मेरी बीवी और उसका जिम ट्रेनर-7

और अब आगे की कहानी :  मैंने इस तरह बेरहमी से मिताली के मम्मो को कभी नहीं मसला था जितनी बेरहमी से जावेद ने उन्हें मसला था। मेरी बीवी अब पूरी टॉपलेस खड़ी हुई थी। उस ट्रेनर के हाथ फिर से उसकी जॉब की तरफ आये। और उसने पीछे से मिताली के नंगे मम्मो को कसकर पकड़ा। मेरी बीवी पूरी तरह टॉपलेस एक मस्क्युलर बन्दे के साथ खड़ी थी जो पहले कभी प्रोेफेशनल बॉडी बिल्डर भी था। मेरी बीवी के हाथ उस ट्रेनर के कंधो पर आराम कर रहे थे। मेरी बीवी जोर से कतराकर एक थर्राहट के साथ आहें भर रही थी। वो जगह इतनी गर्म हो चुकी थी की कहीं खुद ही न जल जाये।

मेरी बीवी ने उसकी बॉडी को जावेद की बॉडी की तरफ सरकाया, लेकिन अब वो ट्रेनर थोडासा पीछे हट गया। मुझे अब यह समझ नहीं आया की उसने ऐसा क्यों किया। और जावेद ने फिर से बोलना शुरू किया

जावेद : मैंने अपने जिंदगी में कभी इतने सेक्सी और बड़े मम्मे नहीं देखे। तुम काफी गर्म ब्यूटी हो जान।

मिताली : ह्म्म्म………

जावेद : तुम्हारे चूचियों को मेरे हैंडलिंग कैसे लगी ?

मिताली : बहुत अच्छी..…….. ह्म्म्म्म……। प्लिज…… इनके साथ और खेलो। …… जोरसे………।

जावेद : जरूर बेबी। तुमने तुम्हारी पति को जानबूझकर घर पर भेजा न, है न?

मिताली : ह्म्म्म…… हं………. दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है

जावेद : तुम्हे ये आज चाहिए था। है न ?

मिताली : हं……….

जावेद : जैसा की तुम मेरे लिए बगैर ब्रा पहने आई हुई हो। इसलिए वैसाही एक फेवर मैंने तुम्हारे लिए किया है ?

मिताली : वो…… वो क्या है?

जावेद : मैंने भी अपनी पेंट के अंदर कुछ नही पहना है।hindisexstories.autocamper-service.ru (6)

मिताली के बॉडी कुछ देर तक के लिए तन गयी और वो कुछ नहीं बोली। फिर जावेद ने मिताली का एक हाथ उठाया और धीरे से सरकते हुए अपनी पेंट की तरफ ले जाने लगा।

जावेद का हाथ मिताली के हाथ को पकड़कर निचे सरकते हुए ले जा रहा है ये देखकर मेरे शरीर में भी कंपकंपी छूटी। मै नहीं जानता था की ये सब इतनी जल्दी होगा। फिर जावेद ने मिताली के हाथ से उस जगह पर एक जोरदार मालिश की। इसे मेरी बीवी को जोरदार झटका लगा उसका एक्सप्रेशन और बॉडी इस तरह हिल रही थी जैसे की उसने किसी इलेक्ट्रिक वायर को छुआ हुआ हो। जावेद ने मिताली का हाथ वहां से हटाया और अब पीछे से मिताली को कसकर ऐसे पकड़ा जैसे की दोनों की बॉडी अलग नहीं एक ही हो। अब जावेद का लंड उसकी पेंट के अंदर से ही मिताली के गांड को दबा रहा था। उसने मिताली को गर्दन को चूमा और लगातार चूमने लगा। उसके बाद उसने मिताली से पूछा।

जावेद : तुम्हारे हाथ में मेरा वो कैसा महसस हुआ ?

मिताली : हा……… अच्छा

जावेद : क्या वो मजबूत था ?

मिताली : हं………. (उसका चेहरा अब पूरी तरह शर्म के मरे गुलाबी हो चूका था )

जावेद : अब जब वो तुम्हारे गांड को टच कर रहा है तो तुम्हे कैसा लग रहा है।

मिताली : ह्म्म्म……। आह्ह्ह्ह……… ये बहुत…… बहुत अच्छा है ……… काफी बडा……… और मजबूत है।

जावेद : क्या तुम्हरे पति का लंड भी इस तरह प्रेशर बना पाता है तुम्हारे गांड पे।

मिताली : नही……. वो बहुत छोटा है …… और कमज़ोर भी

ये सुनकर मई अपने आप पर रोने लगा। मुझे बहुत अपमानित फिल हो रहा था। अंदर जावेद ने फिर से मिताली के कानो की लौ को चूमना शुरू किया। और उसके बाद चूमते हुए मिताली के गालो तक चला गया। और अब वहां चूमने लगा। अब मिताली की सांसे जोर से ऊपर निचे होने लगी थी। वो आहें भर रही थी। उसकी सिस्कारियां की आवज़ हिल रही थी। जावद ने अब उसके हाथों से मिताली का चेहरा घुमाया। और फिरसे मिताली के गालों को चूमते हुए उसकी होटों की तरफ जाने लगा। जावेद ने मिताली के होठों के चारो तरफ चूमा लेकिन जानबूझकर होटों को नहीं चूमा। मिताली के होंठ थरथरा रहे थे जैसे वो जावेद के होंठों को कह रहे हो आओ मुझे चूमो। दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है

लेकिन जावेद जैसे मिताली को चिड़ाना चाह रहा था वो जानबूझकर मिताली के होंठों को नहीं चुम रहा था। उसने कुछ देर तक ऐसे ही खेल खेला और आखिर में अपने होंठ मिताली के होंठों पर रख दिए। मिताली ने भी फ़ौरन इस किस का जवाब दिया। मिताली ने जावेद के बालों को जोर से पकड़ा और अपनी और खिंचा। अब जावेद मिताली के होंठों को चूस रहा था। मिताली ने अपने हाथों से जावेद के कंधो को कसकर पकड़ा था। और उसकी चूचियाँ जावेद के छाती पर मसली जा रही थी। वो दोनों करीब १० मिनट तक इस तरह ही एक दूसरे के मुंह में मुंह डालकर चूमते रहे। मुझे ये कभी भी नहीं पता था की मेरी बीवी इतनी अच्छी किसर है।

कुछ मिनट बाद जावेद ने अपने होंठ मिताली के होंठ से अलग किये और अब सामने की तरफ से मिताली के गर्दन को चूमने लगा। दोनों अब एक दूसरे की तरफ चेहरा किये हुए खड़े थे। मैंने जावेद की पेंट में खड़ा हुआ एक बड़ा तम्बू देखा। मुझे ये मानना तो पड़ा की उसका लंड काफी बड़ा था। मेरे लंड के दीडपट ज्यादा बड़ा था। मेरे वाईफ ने भी उस तंबू को देखा और फ़ौरन झेंपकर शर्मा गयी। जावेद अब होठों से गर्दन के साथ खेल रहा था। उसने अपना दाया हाथ उठाया और अपनी नाक मिताली के बगल की तरफ ले गया। उसनी उसकी नाक वहांपर रगड़ी। फिर जावेद ने उसके होठों से मिताली के बगल को रगड़ा और वहां चूमने लगा। मेरे वाईफ ने अब अपना कंट्रोल खो दिया और उसके चेहरे के उस संतोषजनक हावभाव से मुझे पता चल गया की उसे दूसरी बार ऑर्गैस्म हुआ है। जावेद सच में औरतों को हैंडल करने में माहिर था।

वो फिर से अब गर्दन की तरफ गया और वहां चूमते हुए निचे की तरफ सरकने लगा। और उसने अब उसके होंठ चूचियों की क्लीवेज के ऊपर रगड़ना शुरू किये। चूमते हुए उसके हाथ अब वापस से मेरी बीवी के मम्मो को मसलने में लग गए। लेकिन इस वक्त मम्मो की मालिश करने के ऐवजी जावेद ने मेरी बीवी के एक निप्पल को पकड़ा और जोर से उसे चिमटा काढ़ा। जिससे मिताली की एक जोर की सिसकारी निकल गयी। मिताली अपने दोनों हाथों से अपने ट्रेनर के कंधो को दबा रही थी। अभी भी जावेद चिढ़ाने के मुड में था। जावेद अब उसकी जबान से मम्मो को चाटने लगा। वो निप्पल के करीब आता और छोड़ देता। कुछ देर तक वो इस तरह से ही खेलता रहा। लेकिन अब मिताली से बर्दाश्त नहीं हो रहा था। उसने उसके दोनों हाथों से जावेद के सर को पकड़ा और अपने मम्मो पर दबाया। दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है

जावेद हलके से मुस्कुराया और अब वो उसका चेहरा पूरी चूचियों पर घूमने लगा और उसने हलके से मिताली के निप्पल को काटा। मिताली अब सिस्कारियां जोर जोर से लेने लगी थी उसने जावेद के सर के बाल खिंचकर पकडे हुए थे। जावेद चेहरे से मिताली के चूचियों को मसाज दे रहा था और उसके हाथ मिताली के खुली पीठपर घूम रहे थे। और आखिर में उसने मिताली के निप्पलो को चूसना शुरू किया। कुछ देर तक एक के बाद एक कर के उसने मिताली के निप्पलो को चूस डाला। अब तीसरी बार मिताली ने पानी छोड़ दिया था। मिताली उसके आनन्द के परमोच्च शिखर पर घूम रही थी। अब जावेद मिताली के निप्पलो के छेड़खानी में लग गया। उसने अब दातो में निप्पलो को पकड़ कर उन्हें खींचना शुरू किया। इससे मिताली के निप्पल फूल गए और बड़े हो गए। उन निप्पलो को देखकर मेरे भी मुह में पानी आ गया अब तो मई भी उधर जाकर उन्हें चूसना चाह रहा था। निप्पल मुंह में लेकर अब वो जबान से निप्पलो के साथ खेल रहा था।

मिताली : ह्म्म…। ह्म्म्म्म्म्म………। आह्ह्ह्ह……… और जोर से। …… प्लीज

मिताली अब जावेद का सर और से खींचकर अपने मम्मो पर दबा रही थी। मिताली की उंगलिया अब जावेद के सर के बालो में घूम रही थी।

जावेद एक चुचीं से दूसरी चुचीं पर शिफ्ट हो रहा था। और अब वो पूरा जोर लगा कर किसी जंगली जानवर की तरह मिताली की नंगी चूचियों को चूस रहा था। मिताली अब जावेद के कंधो पर, पीठ पर, और जावेद की छाती पर अपने हाथ फेर रही थी और आहें भर रही थी। इसी दौरान जावेद फिर से उठकर खड़ा हो गया और मिताली के होठों पर जोर से अपने होठ रख दिए और ऐसे चूसने लगा मानो जैसे अब होठों से खून ही निकल जाये। और पूरी तरह कसकर मिताली को बाँहों में भर लिया।

मैंने अब ये सब रोकने का फैसला किया। और उन्हें रंगे हाथ पकड़ने के लिए चल दिया।

इस लिए मैंने अब मिताली के मोबाईल पर कॉल किया। जैसे ही मोबाईल की रिंग बजी वो दोनों अचानक एक दूसरे से अलग हो गए और उनकी खोई हुई दुनिया से असल दुनिया में लौट आये। मिताली को अब अपने पोसिशन का और अपनी अवस्था और परिस्थिति का ध्यान आया और उसने शर्म के मारे अपना सर झुका दिया। उसने अपना टी-शर्ट उठाया और अपने मम्मो पर इस तरह रखा जैसा वो इसे छुपाना चाहती हो जावेद से। यह देखकर मुझे हंसी आई। मेरी हंसी में दुख भी था और गुस्सा भी। अब तक मई मोबाईल पर दो बार रिंग दे चूका था। इस बार मिताली ने मोबाईल लेने के लिए हाथ बढ़ाया। लेकिन जावेद ने मिताली का हाथ पकड़ा और कॉल लेने से उसे रोका। दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है

मिताली : क्या हुआ ?

जावेद : थोड़ा ठहरो। तुम्हे बताऊंगा।

मिताली : मुझे ये कॉल लेना चाहिए।

जावेद : मुझे पता है , लेकिन वेट करो।

मिताली इससे काफी कन्फ्यूज हो गयी। फोन कुछ देर तक बजा और बाद में बंद हो गया। मुझे अब ये समझ में नहीं आ रहा था की क्या किया जाये। मुझे ये डर सता रहा था की कहनी उन्हें ये पता न चल जाये की मई वहां छुपा हुआ हु। मुझे अब पसीना आने लगा था पर थोड़ी देर बाद मेरा मन शांत हो गया। अगर मै उन्हें डिरेक्टली नहीं सुन पा रहा था तो ये कैसे शक्य था की वो मुझे डिरेक्टली सुने। जावेद के मन में कुछ अलग ही खिचड़ी शिज रही थी। थोड़ा कन्फ्यूजन में ही मैंने एक बार फिर मिताली को कॉल किया।

इस समय भी जावेद ने मिताली को फोन लेने नहीं दिया। अब मुझे ये समझ नहीं आ रहा था की क्या किया जाये। उस फाइल रूम से निकल कर बाहर चले जाने के अलावा मेरे पास दूसरा पर्याय नहीं था। वो दोनों किसी भी समय रिसेप्शन एरिया में आ सकते थे। तो मैंने फाइल्स उठकर वापस जहाँ थे वहां रख दिए। और रूम से निकल कर बाहर चला गया जहांपर मेरी बाइक पार्क की हुई थी। वहां से फिर से एक बार मैंने कॉल किया लेकिन मिताली ने रिप्लाय नहीं दिया। तो फिर मैंने कुछ देर तक बाहर इंतज़ार किया। अब जिम के अंदर घुसकर देखने के अलावा मेरे पास दूसरा पर्याय नहीं था। इसलिए मई वापस मेरी बाइक लेकर जिम पार्किंग में पहुँच गया। और बाइक पार्क करके जिम के अंदर चला गया।

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