मेरी और रहिना आँटी की प्यास कुत्ते ने मिटाई-2

लेखिका: तसलीमा

इस कहानी के भाग एक में आप लोगो ने पढ़ के खूब मज़ा किया अब और आगे बची हुयी कहानी लिख रही हु आशा करती हु की लडको के लंड और लडकियों की चूत से पानी जरुर निकल जायेगा …… तो अब कहानी पर चलते है …अपनी चुदासी चूत की भड़कती प्यास बुझाने के लिये मैं हर रोज़ मैस्टरबेशन का सहारा लेती।  कॉलेज के ज़माने की तरह ही फिर से गंदी सैक्सी किताबों और ब्लू-फिल्मों का चस्का लग गया। इसके अलावा मैंने अक्सर शराब पीना भी शुरू कर दिया। जब भी काम के सिलसिले में यूरोप जाती तो डिल्डो और ब्लू-फिल्में ज़रूर  खरीद कर लाती। इस तरह मैंने तरह-तरह के छोटे-बड़े कईं डिल्डो जमा कर लिये और रात-रात भर मैं इन डिल्डो से अपनी चूत की आग बुझा कर मज़ा लेती।

ऐसे ही करीब दो साल बीत गये। एक दिन की शाम को मैं बैंक से घर लौटी तो मैं बेहद चुदासी महसूस कर रही थी। लौटते हुए रास्ते में मैं चर्च-गेट स्टेशन के नज़दीक सड़क किनारे पटरी पर बिकने वाली हिंदी की दो-तीन गंदी सैक्सी कहानियों की किताबें ले कर आयी थी। अगले दिन इतवार था इसलिये शराब की चुस्कियों के साथ चुदासी कहानियों का मज़ा लेने का प्रोग्राम था। दरसल अंग्रेज़ी की सैक्सी कहानियों के मुकाबले मुझे हिंदी और उर्दू  के गंदे अश्लील अल्फाज़ों वाली चुदासी कहानियाँ पढ़ने में ज्यादा मज़ा आता है। दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |

घर पहुँचते ही कपड़े बदले बगैर ही मैं ड्राइंग रूम में सोफे पर बैठ कर वोडका की चुस्कियाँ लेते हुए वो रंगीन चुदासी किताबें पढ़ने में मसरूफ हो गयी। कहानियाँ पढ़ते-पढ़ते जल्दी ही मेरी चूत मचमचाने लगी और शराब का भी थोड़ा नशा होने लगा। मैंने अभी भी काले रंग का फॉर्मल पेन्सिल स्कर्ट और सफेद टॉप पहना हुआ था। इस दौरान शराब और किताब का मज़ा लेते हुए मैं अपनी स्कर्ट का हुक और ज़िप खोल चुकी थी और पैंटी के अंदर हाथ डाल कर चूत सहला रही थी।

ऐसे ही कुछ देर में नशा इस कदर परवान चढ़ गया कि मैं झूमने लगी। किताब में छपे हर्फ भी साफ नहीं पढ़ पा रही थी तो आखिरकार किताब एक तरफ उछाल कर फेंकते हुए मैं खड़ी हुई और सैंडलों में लड़खड़ा कर चलती हुई और रास्ते में अपनी स्कर्ट और बाकी कपड़े उतारती हुई मैं  बेडरूम की तरफ बढ़ी। जब मैं बेडरूम में पहुँची तो पैरों में ऊँची पेन्सिल हील के काले सैंडलों के अलावा मैं मादरजात नंगी थी। बेडरूम में आदमकद आइने के सामने खड़े हो कर मैंने अपना जिस्म निहारा और खुद को आइने में देखते-देखते बेड तक पीछे हटते हुए बिस्तर पर बैठ गयी। अभी भी अपने सामने आइने में देखते हुए मैंने अपनी टाँगें फैलायी और अपनी चूत के ऊपरी लबों पर उंगली फिराते हुए खुद को देखा।

फिर आहिस्ता से अपनी दो उंगलियाँ अंदर घुसेड़ दीं। चूत की मचमचाहट और झड़ने की तमन्ना मुझ पर हावी हो गयी और मैं अपनी चूत में दो उंगलियाँ अंदर बाहर करती हुई पीछे बिस्तर पर कमर के बल लेट गयी। मेरे चूतड़ बिस्तर के किनारे पर थे और पैर ज़मीन पर। मेरी चूत बेहद भीगी हुई थी और मैंने तीसरी उंगली भी अंदर घुसेड़ दी और आहिस्ता-आहिस्ता अंदर बाहर करने लगी। दूसरे हाथ से अपने निप्पल उमेठते हुए मैं सिसक रही थी। फिर अपनी भीगी उंगलीयाँ बाहर निकाल कर मैंने आहिस्ते से उन्हें फिसलाते हुए अपने तंग छेद की तरफ खिसका दिया जो मुझे दिवाना कर देता है। अपनी बीच वाली भीगी हुई चिकनी उंगली मैंने अपनी गाँड के छेद पर फिरायी और फिर आहिस्ता से अंदर घुसेड़ दी। उसी लम्हे मुझे वो महसूस हुआ! यही वो लम्हा था जब मेरी ज़िंदगी में एक नये हसीन दौर का आगाज़ हुआ लेकिन दुनिया की नज़रों में ये मेरी बदकार और बदचलन ज़िंदगी का आगाज़ था! दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |

मुझे अपनी गाँड के छेद और उसके अंदर घुसी हुई उंगली के आसपास गरम और मुलायम भीगा सा एहसास हुआ। मैं चौंक कर घबराते हुए हड़बड़ा कर बैठी तो देखा कि जैकी मेरी उंगली चाट रहा था। उसने मेरी तरफ देखा लेकिन उसने चाटना बंद नहीं किया। मेरे अंदर कतरा-कतरा चींख उठा कि उसे रोक दूँ! उसे परे ढकेल दूँ! लेकिन फिर अचानक कईं साल पहले रहिना आँटी और उनके कुत्ते की चुदाई का नज़ारा मेरे ज़हन में उभर आया और फिर शराब के नशे और अपनी उंगली और गाँड के छेद पर जैकी की ज़ुबान के एहसास ने मुझे कमज़ोर बना दिया। मैं अपनी उंगली अंदर-बाहर करती हुई जैकी को अपनी वो उंगली और गाँड ज़ुबान से चाटते हुए देखने लगी।5263f510bfc35girl and dog.mp4-5b

मैंने नज़रें उठा कर सामने आइने में खुद को जैकी की ज़ुबान से मज़े लेते हुए देखा। ज़लालत का एहसास होने की बजाय ये नज़ारा देख कर मेरी चाहत और ज़्यादा बढ़ गयी। मैंने उसे परे ढकेल सकती थी…. चिल्ला कर डाँटते हुए उसे रोक सकती थी… ! लेकिन उसे रोकने की बजाय मैंने उसकी ये हरकत ज़ारी रहने दी। मुझे जैकी की ज़ुबान अपनी चूत के ऊपर क्लिट की तरफ चाटती महसूस हुई। एक बार फिर उसने ऐसे ही किया लेकिन इस बार उसकी ज़ुबान का दबाव ज्यादा था जिससे कि उसकी ज़ुबान मेरी चूत के अंदर घुस कर चाटते हुए मेरी क्लिट तक ऊपर गयी। चाटते हुए उसकी ज़ुबान मेरी चूत के अंदर बाहर फिसलने लगी। बहुत ही मुख्तलिफ़ एहसास था। मुझे उसकी ज़रूरत थी…उसकी आरज़ू थी। काँपते हाथों से मैंने अपनी चूत फैला दी इस उम्मीद के साथ कि वो मेरी तड़पती चूत को अपनी खुरदुरी ज़ुबान से चाटना ज़ारी रखेगा। जैकी ने ऐसा ही किया… अपनी लालची ज़ुबान से मेरी चूत चाटते हुए रस पीने लगा। बे-इंतेहा हवस और वहशियाना जुनून सा मुझ पर छा गया था।

फिर मैं बिस्तर के बीच में अपने हाथों और घुटनों के बल झुककर कुत्तिया की तरह हो गयी और जैकी को भी बिस्तर पर आने को कहा। वो कूद कर बिस्तर पर चढ़ गया और पीछे से मेरी चूत चाटने लगा। मैंने देखा कि उसका लाल-लाल चमकता हुआ लौड़ा कड़क हो कर बाहर निकला हुआ था। उसके लौड़े का नाप देख कर बेखुदी-सी की हालत में मैंने अपना हाथ बढ़ा कर उसका अज़ीम लौड़ा अपनी मुठ्ठी में ले लिया। मेरी इस हरकत से जैकी झटके मारते हुए मेरी मुठ्ठी में अपना लौड़ा चोदने लगा। लेकिन साथ ही उसने मेरी चूत चाटना बंद कर दिया जो मैं नहीं चाहती थी। उसे मसरूर करना उस वक्त मेरी नियत नहीं थी। मैंने उसका लौड़ा सहलाना बंद कर दिया तो वो फिर से मेरी चूत अपनी ज़ुबान से चाटने लगा। मैं मस्त होकर ज़ोर-ज़ोर से सिसकने लगी और कुछ ही देर में चींखते हुए झड़ गयी। जैकी ने फिर भी मेरी चूत चाटना बंद नहीं किया और इसी तरह मेरी चूत ने दो बार और पानी छोड़ा। मुझे ज़बरदस्ती जैकी का सिर अपनी चूत से दूर हटाना पड़ा क्योंकि लगातार चाटने से मेरी क्लिट बहुत ही नाज़ुक सी हो गयी थी और दुखने लगी थी। जैकी के चाटने की मिलीजुली दर्द और मस्ती अब मुझसे और बर्दाश्त नहीं हो रही थी। दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |

तीन बार झड़ने के बाद भी मेरी हवस कम नहीं हुई थी। बल्कि अब तो मैं उसका लंड अपनी चूत में लेने के लिये बेताब हो रही थी। प्यास की वजह से मेरा गला सूख रहा था तो पानी पीने पहले मैं नशे में लड़खड़ाती हुई किचन में गयी। जैकी भी मेरे पीछे-पीछे आ गया। मैं तो नंगी ही थी और जैकी बीच-बीच में मेरी टाँगों के बीच में अपना सिर घुसेड़ने की कोशिश कर रहा था। मैं उसकी ये कोशिश कामयाब नहीं होने दे रही थी तो वो मेरे टाँगें या फिर मेरे पैर और सैंडल चाटने लगता।

पानी पी कर मैं पेंसिल हील के सैंडलों में झूमती हुई ड्राइंग रूम में आ गयी और धड़ाम से गिरते हुए सोफे पर बैठ गयी। फिर अपनी टाँगें फैला कर मैंने जैकी के आगे वाले पंजे अपने हाथों में लेकर उसे अपने नज़दीक खींचते हुए अपने कंधों पर रख दिये। उसका लौड़ा अब बिल्कुल मेरी बेताब चूत के सामने था। अपना एक हाथ नीचे ले जा कर मैंने उसका लौड़ा अपनी मुठ्ठी में लिया और उसे अपनी चूत में हांक दिया। जैकी जोर-जोर से धक्के मारने लगा। मैं भी सोफे से अपनी गाँड ऊपर उठा कर उसके धक्कों का जवाब देने लगी। लेकिन मैं ज्यादा देर तक इस तरह उसका साथ नहीं दे सकी और वापस सोफे पर अपनी गाँड टिका कर बैठ गयी और आगे की चुदाई उस पर ही छोड़ दी। मैंने महसूस किया कि इस पूरी चुदाई के दौरान उसके लौड़े से पतला सा चिपचिपा रस लगातार मेरी चूत में बह रहा था।

मैं दो दफा चींखें मारते हुए इस कदर झड़ी कि मेरी आँखों के सामने अंधेरा छा गया। फिर थोड़ी देर बाद इसी तरह ज़ोर-ज़ोर से चोदते हुए अचानक जैकी ने एक ज़ोर से धक्का मारते हुए अपने लौड़े के आखिर की गाँठ मेरी चूत में ठूँस दी। मेरी तो दर्द के मारे साँस ही गले में अटक गयी। दर्द इस कदर था कि मैं छटपटा उठी। मुझे अपने शौहर के साथ पहली चुदाई याद आ गयी। थोड़ी सी देर में मेरा दर्द थम गया और मुझे एहसास हुआ कि जैकी झड़ने के बहुत करीब था। उसने चोदना ज़ारी रखा और मैं प्यार से उसके कान सहलाने लगी। फिर अचानक मुझे गरम और बहुत ही गाढ़ा चिपचिपा रस अपनी चूत में छूटता हुआ महसूस हुआ।

बाद में मुझे एहसास हुआ कि हम दोनों आपस में वैसे ही चिपक गये थे जैसे मैंने रहिना आँटी और उनके कुत्ते को आपस में जुड़ते हुए देखा था। मैं जैकी को खुद से अलग नहीं कर सकती थी इसलिये मैंने उसे उसी हाल में रहने दिया और मैं उसे पुचकारते हुए उसका जिस्म अपने हाथों से सहलाने लगी। जैकी से इस तरह जुड़ कर चिपके हुए मुझे अजीब सा मज़ा और सुकून महसूस हो रहा था। करीब बीस मिनट बाद उसके लंड की गाँठ सिकुड़ी और हम अलग हुए।

उस एक नशीली शाम के बाद सब कुछ बदल गया और मेरी ज़िंदगी में फिर से बहारें आ गयी… ज़िंदगी का खालीपन दूर हो गया। मैं तो जैकी की इस कदर दीवानी हूँ कि उससे बकायदा हर रोज़ ही तरह-तरह से चुदवाती हूँ… उसका लंड चुसती हूँ और अक्सर गाँड भी मरवा लेती हूँ। जैकी भी बहुत शौक से मेरी चूत चाटने और चोदने के लिये मुश्ताक रहता है। इसके अलावा जज़बाती तौर पे भी हमारे दरमियान बेपनाह मोहब्बत है। हमारा रिश्ता बिल्कुल मियाँ-बीवी जैसा ही है। काश की ये ज़लिम दुनिया हमारे रिश्ते को समझ पाती। मेरी ये कहानी यही पे समाप्त होती है आगे मै जल्दी ही फिर अपनी कहानी आप लोगो को बताउंगी जब मै अमेरिका गयी तो वहा मैंने घोड़े लंड से चुदाई करवाई थी पर तब तक आप लोग अपनी प्रतिक्रिया देते रहिये ..

The Author

गुरु मस्तराम

दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त मस्ताराम, मस्ताराम.नेट के सभी पाठकों को स्वागत करता हूँ . दोस्तो वैसे आप सब मेरे बारे में अच्छी तरह से जानते ही हैं मुझे सेक्सी कहानियाँ लिखना और पढ़ना बहुत पसंद है अगर आपको मेरी कहानियाँ पसंद आ रही है तो तो अपने बहुमूल्य विचार देना ना भूलें



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