गतांग से आगे …. (दस मिनट तक सामान्य चरण में मैं मौसी की चूचियां चूसते रहा)….ओह प्रेम….तू बीस मिनट से अपनी मौसी के स्तन चूस रहा है पर मौसी के स्तनों से दूध ज़रा सा भी कम नहीं हुआ है….तू और जोर से मौसी की चूचियां …..तू और जोर से मौसी की चूचियां खींच…तू और जोर से दबा अपनी के स्तन…..मेरे स्तनों से दूध का बहाव तेज़ कर, प्रेम…( तीव्र चरण – मौसी की दोनों चूचियों को मैं अपने होठों से तेज़ दबा रहा था + मौसी के दोनों स्तनों को गोले के पास हाथों से जोर से दबा रहा था + अपना सर आगे-पीछे तेज़ी से हिला रहा था ताकि मौसी की चूचियां मेरे होठों से दबी होने के कारण बहुत खिंच रही थी) आह..आह..प्रेम….अब मेरे स्तनों से दूध बहुत तेज़ी से निकल रहा है…आह…आह…प्रेम, बेटा….मेरी चूचियां अपने मुंह से छूटने मत देना…आह…आह…जब तू ऐसे दूध पीता है न मेरा तो..आह..आह..मुझे बहुत मज़ा आता है…आह…आह…और तेज़ी से मौसी का दूध चूसो, प्रेम…(मैं अपने सर को जोर-जोर से काफी दूर तक आगे-पीछे कर रहा था जिसके कारण मौसी की चूचियां खिंच रही थी)…आह प्रेम…अपने होठों से मेरी चूचियां खींच-खींच कर खूब सारा दूध पी….आह…आह…(दस मिनट बाद मौसी अपने हाथों से अपने स्तनों को खींच कर मेरे मुंह से निकलने लगती है तो मेरे होठों से पहले से ही काफी खिंची चूचियां और भी ज्यादा खिंच जाती हैं और मैं मौसी की खिंची हुई चूचियों के नोक को होठों से दबाकर दूध पिए जा रहा था)…आह..शैतान कहीं का…मेरी चूचियां पूरी खिंच गयी हैं…आह..आह .और तू मेरी चूचियों को जोर-जोर से चूसे जा रहा है…..आह..कितनी तेज़ी से मेरी चूचियों से दूध निकल रहा है…आह..” पांच मिनट के बाद मैं मौसी की चूचियों को अपने होठों के बीच में से निकल देता हूँ…और मौसी और मैं दोनों खूब तेज़ी से सांस लेने लगते हैं| मैं: “ओह..मौसी, आपके स्तनों का दूध कितना मीठा है, कितना यम्मी है..” मौसी: “आह..प्रेम…शैतान कहीं का..तुझे मेरी चूचियां खूब खींच-खींच कर जोर-जोर से चूसने में बहुत मज़ा आ रहा था न…तू क्यों इतनी जोर-जोर से मेरी चूचियां चूस रहा था?” मैं: “आप ही ने तो कहा था मौसी कि आपके स्तनों में दूध ज़रा सा भी कम नहीं हुआ है, इसीलिए मैं इतनी जोर-जोर से दूध चूस रहा था…मैंने कुछ गलत किया क्या मौसी?” मौसी: “ओह मेरा बेटा…तूने कुछ गलत नहीं किया….ये मेरी दूध की टंकियों में दूध ही इतना पैदा होता है….|आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |’ मैं: “हाँ, मौसी..आप तो डेरी कि गायों से भी ज्यादा दूध पैदा करती हैं| आप जैसी गाय अगर किसी दूधवाले के पास हो तो उसकी किस्मत ही खुल जाए| ढेर सारा दूध दूहकर खूब पैसे कमाएगा…..अपने घर के लिए भी ढेर सारा दूध बचा पायेगा…और साथ ही साथ उसके बछड़े भी खुश रहेंगे क्योंकि वो भी गाय के थनों से खूब दूध पी पाएंगे|” मौसी: “(हँसते हुए) तूने तो अपनी मौसी को गाय ही बना दिया…क्यों रे मेरे बछड़े…तेरी गाय तुझसे अपने थन चुसवाना चाहती है…आजा प्रेम…अपनी मौसी के पास आ (मौसी के खुले बाहों में मैं जैसे ही आया, मौसी ने न मुझे उठाकर अपने शरीर के ऊपर लिटा लिया)|” मैं: “ओह मौसी, आपके स्तनों को जितनी भी देर चूस लूं, इन्हें और ज्यादा चूसने का मन करता है|” मौसी: “तो चूस न अपनी मौसी की चूचियां…मेरा बस चले तो चौबीसों घंटे मैं किसी न किसी से अपनी चूचियां चुसवाते रहूँ….प्रेम..मन भर चूस ले अपनी मौसी के स्तन….बस एक बात का ध्यान रखना….तू मौसी का दूध जोर-जोर से चूसेगा….धीरे-धीरे मेरा दूध चूसने के लिए इस घर में आठ लोग हैं…समझा…अब खूब तेज़ी से पी अपनी मौसी का दूध|” मौसी की बात सुनकर मैंने सबसे पहले तो मौसी के दोनों स्तनों को अपने हाथों से सहारा देकर सटा दिया और बिलकुल सीधा कर दिया| फिर मौसी के स्तनों के ऊपर अपना मुंह रख कर दोनों चूचियों और दोनों गोलों का हल्का-भाग भी मुंह के अन्दर लिया और हल्का-हल्का दबाना शुरू किया| दूध तेज़ी से निकल कर मेरे मुंह में गिरा और मौसी ने सिसकी भरी| दो मिनट तक चूचियां चूसकर दूध पीने के बाद मैंने मौसी के स्तनों को भी धीरे-धीरे दबाना शुरू किया तो मौसी ने थोड़ी तेज़ सिसकी भरी| दो मिनट तक इसी तरह दूध पीने के बाद मैंने अपना सर हल्का पीछे कर दिया जिससे कि मेरे होठों के बीच फँसी मौसी की चूचियां हलकी खिंच गयीं| मौसी की सिसकियाँ और तेज़ हो गयीं| दो मिनट तक इसी तरह दूध पीने के बाद मैंने अपने होठों से मौसी के स्तनों को जोर-जोर से दबाना शुरू किया| मेरे होठ मौसी के स्तनों पर फिसलते-फिसलते चूचियों तक पहुंचे और फिर मैंने चूचियों को जोर-जोर से दबाया और चूचियों से भी जब मेरे होठ फिसल कर चूचियों की नोक पर पहुँच गए तो मैंने वापस अपना मुंह खोलकर मौसी के स्तनों के गोले तक का भाग अपने मुंह के अन्दर ले लिया| चार मिनट तक ऐसे दूध पीने के बाद मैंने मौसी के स्तनों को जोर-जोर से दबाना शुरू किया जिससे दूध निकलने की गति बहुत ही तेज़ हो गयी| पांच मिनट तक इसी तरह मौसी के स्तनों को जोर-जोर से दबाते-दबाते मैं दूध चूसता रहा| और फिर मैं अपने सर को ऊपर-नीचे डुलाने लगा जिससे मौसी के स्तन खिंचने भी लग गयीं| अब मौसी के स्तनों को मैं दबा रहा था..साथ-ही-साथ मौसी के खींचते हुए स्तनों को मैं होठों से दबाकर दूध पी रहा था – पांच मिनट तक इसी तरह दूध पीने के बाद मेरे होठ मौसी के स्तनों से फिसलने लग गए पर मैंने जोर-जोर से चूसना ज़ारी रखा और पांच मिनट बाद मेरे होठ मौसी की चूचियों पे पहुँच गए और मैं झट से अपना सर बहुत ऊपर कर दिया जिससे मौसी की चूचियां पूरी खिंच गयीं और मौसी के स्तन भी पूरा खिंच गए| मौसी उत्तेजना के मारे जोर-जोर से सिसकियाँ भरने लगी| और इसी तरह अगले दस मिनट तक मैं मौसी का दूध चूसता रहा और फिर मौसी की चूचियां को छोड़ दिया| मौसी: “ओह्ह, प्रेम, तूने तो बहुत मज़े से मेरा दूध चूसा!” मैं: “अच्छा लगा, मौसी, आपको मुझे दूध पिलाने में?” मौसी: “हाँ रे शैतान, जितना मज़ा तुझे मेरे स्तनों को चूसकर दूध पीने में आता है, उतना ही मज़ा मुझे भी अपने स्तन चुसवाने और दूध पिलाने में आता है| इसीलिए तो अभी जब तू खेलने जाएगा तो मैं घर के बाकी सारे लोगों को उठाकर उन्हें दूध पिलाऊंगी|” मैं मौसी को गाल पे पप्पी देता हूँ और हम दोनों बिस्तर से उठते हैं| मौसी ने पहले अपनी ब्रा का हुक लगाया| फिर मौसी ने अपनी ब्लाउज के हुक लगाये| मौसी ने फिर साड़ी पहनी| और मौसी अपने कमरे से निकल कर बगल वाले कमरे में जाती हैं जहाँ बेटी और भांजी सो रहे थे| मौसी बिस्तर के पास जाती हैं| मौसी: “उठो मेरी बच्चियों…चलो ” बेटी: “माँ, सोने दो न…क्या तुम भी सुबह-सुबह जगाने चली आई?” मौसी: “शैतान…उठ जा..दूध पीने का समय हूँ गया|” भांजी: “आंटी, अभी सोने के पहले ही तो तुमने हम दोनों को खूब देर तक स्तनपान करवाया था…|” मौसी: “वो कल रात की बात थी….अभी सुबह भी तो दूध पिलाना है तुम लोगों को…मुझे बीच में आने दो|” मौसी दोनों लड़कियों के बीच में लेट जाती हैं और बारी-बारी से दोनों को सर पे किस करती हैं| फिर मौसी अपनी साड़ी का पल्लू हटाकर अपनी ब्लाउज प्रदर्शित करती हैं| मौसी फिर अपनी हथेलियों से ब्लाउज जे ऊपर से ही अपने स्तन सहलाने लगती हैं| मौसी: “ओह्ह..ये मेरे दूध से भरे स्तन….(मौसी ब्लाउज की हुक खोलने लगती है और तीन हुक खोलने के बाद अपनी हथेलियाँ ब्रा के अन्दर घुसती हैं)…आ जाओ….बच्चियों..मेरी छाती पर अपने सर रखो|” मौसी ने अपनी ब्रा और ब्लाउज अपने स्तनों के पूरे ऊपर खींच दी और दोनों लड़कियों के सरों को अपने हाथ से सहारा देकर उनके चेहरों को अपने प्रदर्शित स्तनों पर रख दिया| लड़कियां अपने हाथों से मौसी के स्तनों को मसलने लगी| मौसी सिसकियाँ भरने लगीं| बेटी: “ओह माँ, तुम्हारे स्तन तो दिन-ब-दिन आकार में और बड़े होते जा रहे हैं|” भांजी: “और इनमें दूध की मात्र भी बहुत ज्यादा बढ़ गयी है|” मौसी: “तुम दोनों मेरे स्तनों को मसलते ही रहोगी या फिर अपना मुंह खोलकर मेरी चूचियां भी चूसोगी|” दोनों लड़कियों ने अपने दोनों हाथों में मौसी का एक-एक स्तन पकड़कर दबाने लगीं और एक-एक चूची अपने मुंह में डाल ली और अपना सर तेज़ी से ऊपर-नीचे करके चूसने लगीं| मौसी: “ओह्ह मेरी बच्चियों…..चूसो मेरी चूचियां….जोर-जोर से दबाव मेरे स्तन….खूब पीयो मेरा दूध…..(पांच मिनट तक इसी तरह दूध चूसने के बाद लड़कियां चूचियां छोड़ देती हैं)… आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | .क्या हुआ लड़कियों…अभी तो तुम्हे अपनी माँ और अपनी आंटी का ढेर सारा दूध चूसना है (लड़कियां सांस लेने के लिए अपना मुंह खोले हुए थी जिसमे मौसी अपनी उँगलियों के बीच में स्तनों के गोले के पास वाला भाग रखकर चूचियां घुसा देती हैं और फिर अपने स्तन दबाने लगती हैं..चूचियों से दूध निकलते ही दोनों लड़कियां भी अपने होठों से बल लगाकर चूचियां चूसने लगती हैं) आह..आह..लड़कियों..मैं अपने स्तन जोर से दबा रही हूँ और तुम दोनों मेरी चूचियां जोर से चूस रही हो…दूध बहुत तेज़ी से बह रहा है….(पांच मिनट तक इसी तरह दूध चूसने के बाद लड़कियां मौसी की चूचियां मुंह से निकल देती हैं)…बच्चियों..थोडा और चूसो मेरा दूध…तुम लोग इतना काम दूध पियोगे तो…किसके लिए इतना सारा दूध पैदा करती हूँ मैं….(मौसी की बात सुनकर दोनों लड़कियों ने मौसी के दोनों स्तनों को अपने दोनों हाथों से ज़कड़ लिया और मौसी के स्तनों को गूंधने लग गयी| मौसी भी अपने स्तनों को गोलों के पास अपनी उँगलियों से जोर से दबाने लगीं..दोनों लड़कियां होठों के बीच मौसी की चूचियां लेकर जोर-जोर से दबाने लगी..और अपने सर ऊपर-नीचे कर के मौसी की चूचियां खींचने भी लगी)ओह्ह…बच्चियों…मेरे स्तनों से दूध की धार बहुत तेज़ हो गयी है….आह..आह…पीते रहो इसी तरह मेरा दूध……आह..आह..(दस मिनट तक इसी तरह दूध पीने के बाद दोनों लड़कियां मौसी की चूचियां होठों से निकलकर और मौसी के स्तनों से हटाकर जोर-जोर से सांस लेने लग जाती हैं)|” बेटी: “बस, माँ, अब और दूध नहीं पिया जायेगा…|” भांजी: “ओह…मौसी..कितना दूध है आपको स्तनों में….बीस मिनट तक हम दोनों ने इतनी जोर-जोर से आपकी चूचियां चूसी पर ऐसा लग रहा है कि आपके स्तनों में दूध ज़रा सा भी कम नहीं हुआ है|” मौसी बिस्तर से उठकर अपने स्तनों के ऊपर अपनी ब्लाउज खींचती हैं और साड़ी के पल्लू से ढककर दूसरे कमरे में जाने लगती हैं| दूसरे कमरे में मौसी का बेटा और भतीजा सोये रहते हैं| मौसी: “उठ जाओ मेरे बच्चों…सुबह हो गयी..|” भतीजा: “सोने दो ना, आंटी…अभी तो रौशनी भी नहीं हुई है|” बेटा: “हाँ, माँ, तुम रोज़ सुबह आकर में जल्दी जगा देती हो..|” मौसी: “शैतानो..मुझे कुछ नहीं सुनना है तुम दोनों से…तुम दोनों उठकर मेरे स्तन चूस रहे हो बस..|” दोनों लड़के तकिये के अन्दर अपना सर घुसा लेते हैं| मौसी बिस्तर पर दोनों बीच में जाकर बैठ जाती है और दोनों से तकिये छीन कर अपने पैरों पर रख देती हैं| दोनों: “ तुम बहुत गन्दी हो, माँ/आंटी|” मौसी: “तुम दोनों को दूध पिलाए तो मैं यहाँ से हटने नहीं वाली तो अच्छा है कि तुम लोग मेरी बात मान कर सीधे-सादे तरीके से मेरी गोद में सर रख दो…..(दोनों मौसी की गोद में रखे तकियों पर अपना सर रख देते हैं….मौसी अपनी साड़ी का पल्लू हटा देती है)…..ज़रा मेरे स्तनों का आकार देखो बच्चों…इतने बड़े स्तनों वाली औरत तुम्हे दूध पिलाने के लिए तैयार है….(मौसी अपनी ब्लाउज के सारे हुक खोलती हैं और फिर अपनी ब्रा को स्तनों के ऊपर खींच देती है….) मेरे दूध से भरे इन भारी स्तनों को देखकर मज़े लो बच्चों…(मौसी के नंगे स्तनों को देखकर दोनों लड़कों के मुंह अपने आप खुल जाते हैं जिसमें मौसी अपनी चूचियां घुसा देती हैं…चूचियों के होठों को छूते ही दोनों बच्चे चूसना शुरू कर देते हैं..)ये हुई न बात मेरे बच्चों….मेरे स्तनों के स्वस्थ और स्वादिष्ट दूध को चूसो…..तुम दोनों नाटक बहुत करते हो….वैसे तो तुम्हे मेरे स्तनों का दूध पीना अच्छा नहीं लगता…लेकिन जैसे ही मैं अपने स्तनों को नंगा करती हूँ, तुम दोनों झट से दूध पीने लगते हो (मौसी फिर स्तनों के गोले के पास अपनी उँगलियाँ रखकर स्तनों को दबाना शुरू कर देती हैं) लो बच्चों….अब मैं अपने स्तन भी दबा रही हूँ…इससे मेरी चूचियों से दूध तेज़ी से निकलने लगेगा….ठीक से दूध चूसना…कहीं सरक न जाओ तुम दोनों….ओह्ह…मेरे बच्चों…दूध पीते रहो……..(दस मिनट के बाद दोनों बच्चे भी अब दूध पीते पीते प्रवाह में आ गए थे…उन दोनों ने मौसी की चूचियों को जोर-जोर से चूसना शुरू कर दिया)…..क्यों शैतानों…तुम्हे तो मेरा दूध पीना अच्छा नहीं न लगता था…फिर क्या हुआ…अब जोर-जोर से मेरी चूचियां क्यों चूसने लगे तुम दोनों…मेरा दूध चूसते चूसते और उत्तेजित हो गए न तुम दोनों..ओह्ह…मेरे बच्चों…तुम दोनों को कोई अंदाजा नहीं है कि जब तुम दोनों मेरी चूचियां जोर-जोर से चूसते हो तो मुझे कितना आनंद मिलता है…..” दस मिनट दोनों लड़के मौसी की चूचियां छोड़ देते हैं और मौसी के स्तनों से खेलने लगते हैं| मौसी: “क्यों लड़कों, पेट और मन दोनों भर गया तुम दोनों का?” बेटा: “ओह माँ, पेट क्यों नहीं भरेगा?आपके स्तनों में इतना दूध जो पैदा होता है!” भतीजा: “हाँ चाची…इसके पहले आप प्रेम को और दोनों बहनों को भी अपने स्तनों का दूध पिलाकर आ रही होंगी और फिर हमें भी पिलाया पर अभी भी आपके स्तन दूध से पूरी तरह भरे हुए हैं|” मौसी: “ये तो है बच्चों….मेरे स्तनों में बहुत दूध पैदा होता है….मैं तो तुम्हारी क्लास के हर बच्चे को दूध पिला सकती हूँ…….चलो अब दोनों उठो और मुझे किस दो|” दोनों लड़के मौसी को एक-एक गाल पे किस देते हैं और मौसी अपने स्तनों को ब्रा से ढकती हैं पर ब्लाउज के हुक नहीं बंद करती हैं और साड़ी के पल्लू को कर के बिस्तर से उतर जाती हैं| मौसी अब चौथे कमरे में जाती हैं जहाँ सास लेटी रहती है| मौसी बिस्तर के पास जाती है और बिस्तर का स्क्रू हिला कर बिस्तर को ऊँचा करती हैं| सास की आँख खुल जाती है| मौसी इस तरह बिस्तर पर बैठ जाती हैं कि सास का चेहरा मौसी की ब्लाउज के सामने होता है| मौसी झट से अपनी साड़ी का पल्लू हटाकर अपनी ब्लाउज प्रदर्शित करती हैं जिसमे पहले से ही नीचे के तीन हुक खुले थे | आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | मौसी अपनी ब्रा के बांये फ्लैप के अन्दर अपना हाथ घुसा कर अपना बांया स्तन उघाड़ देती हैं और अपनी सूजी हुई बांयी चूची अपनी सास के खुले मुंह के अन्दर दे देती है जिसे सास किसी लालची बच्चे की तरह चूसने लगती है| सास मौसी के दांये स्तन को ब्लाउज के ऊपर से ही सहला रही थीं और मौसी अपने बांये स्तन को सहला रही थीं तभी मौसी के पति आते हैं| सास मौसी की चूची मुंह से निकल देती है| सास: “जल्दी आओ, अपनी बीबी के स्तनों का दूध चूसो..इसके स्तन तो अभी भी भरे हुए हैं…|” पति: “इसके स्तन तो हमेशा दूध से भरे रहते हैं…|” बिस्तर पर सास और मौसी हल्का सा खिसकर पति के लिए जगह बनाते हैं और मौसी अपनी ब्रा के ये फ्लैप के अन्दर हाथ घुसा कर दांया भी उघाड़ देती हैं| सास दांये स्तन और पति बांये स्तन को अपने हाथ में लेते हैं| सास: “इसका एक स्तन भी मेरे दोनों हाथों से ठीक से नहीं पकड़ा जाता|” फिर सास और पति दोनों अपने मुंह में मौसी की चूचियां घुसकर लालची बच्चों की तरह दूध चूसने लगते हैं| सास और पति मौसी के दोनों स्तनों को मसलने लग जाते हैं| मौसी सिसकियाँ भरने लग जाती हैं और दोनों – सास और पति – चू-चू की आवाजें निकलकर दूध पीने लग गए| दस मिनट तक सास और पति दूध चूसते रहे और फिर दोनों ने चूचियां मुंह से निकल दी| सास: “पेट भर गया बस दस मिनट ही तुम्हारे स्तनों का दूध चूसने से|” पति: “हाँ, तुम्हारी चूचियों से दूध कितनी तेज़ी से निकलता है|” मौसी: “तुम दोनों का तो पेट भर गया पर मेरे स्तनों में तो दूध ज़रा सा भी कम नहीं हुआ|” मौसी फिर अपनी ब्रा को अपने स्तनों के आगे करती हैं और साड़ी के पल्लू से ब्लाउज ढकती हैं| मौसी अब पांचवें कमरे में जाती है| मौसी की ननद बाथरूम में होती हैं| मौसी बिस्तर पर बैठ जाती हैं| मौसी अपनी साड़ी का पल्लू अपनी ब्लाउज के आगे से हटा कर अपने हाथों से अपने स्तनों को सहलाने लगती हैं| मौसी अपनी आँखें बंद कर के अपनी ब्रा के अन्दर हाथ डालकर अपने स्तनों को सहलाने लगीं| मौसी: “आह…आह..ये मेरे स्तन जैसे दूध की टंकियां हैं….कितना भी दूध पिला लो, दूध ख़त्म ही नहीं होता है…सुबह-सुबह सत्तर मिनट प्रेम ने मेरी चूचियों को खींच-खींच कर और मेरे स्तनों को गूंध-गूंध कर खूब जोर-जोर से चूचियां चूसी….फिर मेरी बेटी और भांजी ने भी बीस मिनट तक खूब रगड़ कर मेरे स्तन चूसे…
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