क्या मैं अंदर आ सकता हूँ?” शशिकला ने दरवाज़ा खोला तो मैं फूल आगे बढ़ता हुआ बोला “बाहर मत खड़े रहो अंदर आओ, कोई देख लेगा” उसने मेरी शर्ट पकड़ कर मुझे अंदर खींचा और दरवाज़ा बंद कर लिया. “अरे देखने दो, यहाँ तुम लोगों को जानता ही कौन है” मैं अंदर आता हुआ बोला “जानते फिलहाल नही हैं तो इसका मतलब ये नही के कभी नही जानेंगे. बाद में मोम डॅड से लोग बातें करेंगे तो बताएँगे नही के आपके पिछे आपकी लड़की रात को घर पर लड़के बुलाती है” शशिकला अपने माँ बाप की एकलौती लड़की थी और पिछले हफ्ते ही उन्होने इस नये घर में शिफ्ट किया था. मैं पिछले 5 साल से उसे जानता था, उससे प्यार करता था और सही मौके की तलाश में था के बात को घरवालो की मर्ज़ी से आगे बढ़ाया जाए. उस रात उसके मोम डॅड किसी रिलेटिव के यहाँ रुके हुए थे तो उसने मुझे फोन करके बुला लिया. आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | मैं अपना कोट उतारता हुआ ड्रॉयिंग रूम में दाखिल हुआ. रात के करीब 11.30 बज रहे थे. बाहर मौसम ठंडा था पर घर के अंदर हीटर ऑन होने की वजह से कमरे का टेंपॅरेचर गरम था. ड्रॉयिंग रूम में ही उनके घर में काम करने वाली लड़की ज़मीन पर बैठी टीवी देख रही थी. “आइ थॉट यू सेड यू वर अलोन?” मैने शशिकला की तरफ देखते हुए कहा तो उसने मुझे आँख मारी और पलट कर फ्रिड्ज से कुच्छ खाने को निकालने लगी. मैं सोफे पर आकर बैठ गया और टीवी देखने लगा. उस लड़की ने एक बार मेरी तरफ देखा. मैं जवाब में मुस्कुराया पर वो अजीब नज़रों से मुझे देखती वहाँ से उठी और एक कमरे के अंदर चली गयी. यू वाना ईट हियर ओर यू वाना गो टू दा बेडरूम?” शशिकला ने मुझसे पुछा तो मैने इशारे से कहा के बेडरूम में चलते हैं हाथ में खाने की प्लेट्स उठाए हम उसके बेडरूम तक पहुँचे. “घर तो बहुत मस्त है” मैने खाने की प्लेट्स टेबल पर रखते हुए कहा “और काफ़ी सस्ते में मिला है डॅड कह रहे थे. ही सेड इट वाज़ आ प्रेटी गुड डील” शशिकला झुकी हुई खाना टेबल पर लगा रही थी. उसने उस वक़्त एक स्कर्ट और टॉप पहेन रखा था. स्कर्ट घुटनो तक था और आगे को झुकी होने के कारण टॉप खींच कर उपेर हो गया था. “आइ थिंक प्रेटी गुड डील तो ये है जो मुझे मिली है” मैने आगे बढ़कर उसकी कमर को पकड़ते हुए अपना खड़ा लंड उसकी गांद पर टीका दिया. “औचह” वो फ़ौरन ऐसे खड़ी हुई जैसे बिच्छू ने डॅंक मार दिया हो “क्या करते हो? “तुम्हें प्यार” मैने फ़ौरन उसको अपनी तरफ घुमाया और होंठ उसके होंठों पर रख दिए. “खाना तो खा लो” वो किस के बीच में बोली “पूरी रात पड़ी है | “ठंडा हो जाएगा” “गरम कर लेंगे. खाने के साथ साथ ज़रा हम दोनो भी ठंडे हो लें” आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | वो अच्छी तरह जानती थी के फिलहाल मुझसे बहस करने का कोई फायडा नही था इसलिए बिना आगे कुच्छ बोले मेरा साथ देने लगी. आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | हम दोनो उसके बेड के पास खड़े हुए थे. वो अपने पंजो पर खड़ी मेरे होंठों को चूस रही थी और मेरे हाथ उसके टॉप के अंदर उसकी नंगी कमर को सहला रहे थे. क्या इरादा है?” अपने पेट पर कपड़ो के उपेर से ही मेरे खड़े लंड को महसूस करते हुए वो बोली “तुम्हें चोदने का” मैं आँख मारते हुए कहा और आगे को झुक कर उसके गले को चूमने लगा. मेरे हाथ अब उसकी कमर से नीचे सरक कर उसकी गांद तक पहुँचे. “ओह लव” उसने मुझसे लिपट-ते हुए एक ठंडी आह भरी. मैने धीरे धीरे उसके स्कर्ट को उपेर की ओर उठाना शुरू कर दिया. “वेट. उतार ही दो” वो बोली हम दोनो एक पल के लिए अलग हुए और वो मुस्कुराती हुई बेड पर चढ़ कर खड़ी हो गयी. “लेट्स स्ट्रीप टुगेदर” उसने कहा तो हम दोनो ने एक दूसरे के देखते हुए एक साथ कपड़े उतारने शुरू कर दिए. उसने टी-शर्ट और स्कर्ट के नीचे कुच्छ भी नही पहना हुआ था. अगले ही पल वो नंगी हो चुकी थी. “नो अंडरगार्मेंट्स?” मैने मुस्कुराते हुए पुच्छा और पूरी तरह नंगा होकर बिस्तर पर चढ़ गया “पता था के तुम आओगे तो वैसे ही उतारने पड़ेंगे तो सोचा के पेहेन्के फायडा ही क्या” वो बिस्तर पर अपनी पीठ पर लेट गयी और दोनो टांगे खोल दी. मैं इशारा समझ गया. पेट पर उल्टा लेट कर मैने उसकी टाँगो को अपने कंधो पर रखा. उसकी चूत किसी फूल की तरह खुल चुकी थी और रस टपका रही थी. “यू आर सोकिंग वेट” मैने कहा और आगे बढ़कर अपने होंठ उसकी जीभ पर टीका दिए. “लिक्क मी” उसने ऊँची आवाज़ में सरगोशी की और टाँग उपेर हवा में उठा दी. जैसे जैसे मेरी जीभ उसकी चूत की गहराइयों में उतरती रही, वैसे वैसे उसकी मेरे बालों पर पकड़ और मज़बूत होती रही. नीचे से वो कभी बिस्तर पर अपनी गांद को कभी रगड़ने लगती तो कभी एडीयन नीचे रख कर अपनी चूत मेरे मुँह पर दबाने लगती. “सक मी … लिक्क इट …. जीभ घुसाओ अंदर …. अंगुली डालो” जब वो इस तरह से बोलने लगती तो मैं समझ जाता था के वो गरम हो गयी थी. लंड चाहिए?” मैने चूत से मुँह हटा कर पुच्छा | “हां” “चूत में या पहले मुँह में लोगि?” “फक मी फर्स्ट …. आइ विल सक यू लेटर. पूरी रात पड़ी है” वो बेसब्री होते हुए बोली और मुझे अपने उपेर खींचने लगी. “कम ऑन … हरी अप … फक मी फास्ट”
मैं पूरा उसके उपेर आ गया तो उसने खुद ही हाथ हम दोनो के बीच ले जाकर मेरा लंड पकड़ा और अपनी चूत के मुँह पर लगा दिया. घुसाओ अंदर मैने हल्का सा धक्का मारा और लंड उसकी गीली चूत में ऐसे गया जैसे मक्खन में गरम च्छुरी.
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