गतांग से आगे ….
चाची बोली, “लल्ला .कांच तो अब नहीं है मगर ये मरी मम्मीबत्ती में कुछ दिख नहीं रहा .तू बिस्तर पर लेट जा …एक बार ढंग से देख लूँ….हें .?
मैं चुप चाप बिस्तर पर पेट के बल लेट गया. चाची ने मम्मी्बाती बेड के कोर्नर पर रखी और मेरे बिलकुल पास पालथी मार कर बैठ गयी. उनके इस तरह से बैठने से उनका बंधा हुआ टोवल थोडा सा खुल गया और उनकी चिकनी जांघें दिखाई देने लगी .उनका पूरा ध्यान मेरी घायल गांड पर था और मेरा पूरा ध्यान उनके जांघ पर लिखे “बलमा” पर था. न जाने क्यों मैं जब भी चाची की जांघ का टेटू देखता मेरा बाबुराव सनक जाता पहले से ही कंट्रोल में नहीं था मगर अब तो उसने बगावत ही कर दी. मैं पेट के बल लेटा था इस तरह मैंने बाबुराव को अपने पेट से चिपका कर फंसा लिया था ताकि वो सर न उठा सके. मगर अब वो कुलबुलाने लगा और मेरी हालत ख़राब होने लगी.
इधर चाची मेरी गांड का मुआयना ऐसे कर रही थी जैसे रोड के उद्घाटन से पहले इंजिनियर साहब करते है. वो मेरी गांड पर मस्ती से हाथ फेर रही थी और उनके एक एक स्पर्श से मेरी नसे सनसना रही थी. उन्होंने उनके हाथ से मेरी टांगो को खोलने की कोशिश की. मैंने नहीं खोली क्यूँ की मुझे डर था की कहीं उन्हें मेरी गुस्से में फुफकारता शेषनाग दिख गया तो. चाची बोली, “लल्ला .जरा इधर भी देखने दे बेटा …कहीं इधर उधर कांच चुभ गया तो बाद में दिक्कत ना हो,,,”
भेनचोद….दिक्कत तो अभी हो रही थी ..मेरा बाबुराव अब दुखने लगा था. मैंने बड़ी मुश्किल से अपनी टंगे चौड़ी की ..और बाबुराव को और जोर से दबा लिया.
चाची ने धीरे से मेरे गोटों को सहलाया मानो सच में चेक कर रही हो की कांच तो नहीं चुभा. मेरी सांसें बंद होने लगी …तभी चाची ने नाखुनो से मेरे गोटों को रगड़ दिया. मेरे मुंह से आह निकल गयी. चाची बोली, “हाय राम .दुःख रहा है क्या लल्ला ..
अब मैं चाची को क्या बोलता की चाची ऐसे ही करो मज़ा आ रहा है. इधर साला बाबुराव कहना नहीं मान रहा था और उधर चाची की उंगलिया जाने कहाँ कहाँ जादू चला रही थी. मेरी हालत टाईट हो रही थी. टालने के लिए मैंने कहाँ, “न न नहीं च च चाची ..ल ल ल लगता है की कांच के कुछ टुकड़े आगे की तरफ भी आ गए .मुझे आगे भी दुःख रहा है….”
चाची बोली, “हाय राम देखने दे बेटा घूम जा .” मैं कुछ बोलता या कर पता इतनी देर में तो चाची ने मुझे धक्का देकर घुमा दिया. बाबुराव जो अब तक लीबिया की जनता जैसा दबा हुआ था एक दम उछल के चाची के हाथों से जा टकराया….
चाची जोर से चिल्लाई, “हाय राम …”
मेरी भी गांड फटी की ये क्या हो गया मैंने झट से बाबुराव को छुपा लिया मगर अब तो वो फन उठा चूका था …घंटा छुपने वाला था ???
मेरे बाबुराव का चमकदार सुपाडा मम्मीबत्ती की टिमटिमाती रौशनी में ठुनक ठुनक कर चाची को सलाम कर रहा था.
चाची बोली, “बेशरम …चोट लगी है मगर ..अभी भी लल्ला तू तो बहुत ही बदमाश है रे हाय राम …” यह कह कर चाची ने अपने मुंह पर हाथ रख लिया मानो मैं अपने लंड उनके मुंह में घुसेड़ने वाला हूँ.
मैंने कहा, “न न न नहीं च च चाची …म म म मैंने नहीं क क क किया अपने आ आ आ आप हो गया ..”
चाची की नज़ारे तो लंड पर ही जमी थी जैसे बिल्ली की नज़ारे दूध के बर्तन पर लगी हो. उन्होंने अपने सूखे होटों पर जुबान फेरी और बोली, “हम्म…कहाँ कांच लगा है .दिखा तो ज़रा ?” मैंने अपने हाथ नहीं हटाया तो चाची ने मेरे हाथों को मेरे बाबुराव से हटा दिया.
जैसे स्प्रिंग को दबा कर छोड़ दो .तो उछलती है वैसे ही बाबुराव ने झटका खाया और ठुन्कियाँ मारने लगा. चाची अपनी ऑंखें सिकोड़ कर एकटक बाबुराव को निहारे जा रही थी ऐसा लग रहा था मानो अपनी नज़रों से उसको सहला रही हो ..उनका मुंह हल्का सा खुल गया था और उनकी नाक के दोनों कोने फुल गए था.
चाची बोली, ” हाय राम लल्ला .तुझे कुछ चैन भी है की नहीं ..जब देखो तब ही तलवार लेकर खड़ा रहता है, अभी तो चोट लगी है फिर भी यह क्या .”
मैं घबरा भी रहा था और मुझे मज़ा भी आ रहा था, मैं कहा, “च च चाची वो….आप मेरे पीछे .म म मेरा मतलब है की मेरे पुठ्ठो पर से कांच हटा रही थी न इसलिए यह अ अ अ ऐसा ह ह ह हो गया मैंने जानबूझ कर नहीं किया….”
चाची मेरे बाबुराव को घूरते हुए ठंडी सांस लेकर बोली, “हाँ रे लल्ला .जानबूझ कर अगर हो जाता तो तेरे चाचा आज बाप बन चुके होते .”
वो एकटक मेरे लिंग को देखे जा रही थी. फिर अचानक जैसे उनका मूड फिर बदला और वो बोली, ” चल वो सब छोड़ मुझे बता की कहा दर्द है कहीं इधर उधर कांच घुसा होगा तो फिर तेरी लुगाई को खुश कैसे रखेगा .”
यह कह कर उन्होंने मेरे थरथराते लिंग को किसी कुशल सपेरे की तरह पकड़ लिया. मेरे मुंह से तुरंत सिसकारी निकल गयी.
चाची ने झटके से मेरी तरफ देखा और बोली, “दुखा क्या ?”
अब मैं क्या बोलता की चाची दुखा नहीं मज़ा आया ऐसे ही हिलाती रहो. मैंने हाँ में सर हिला दिया. चाची ने मेरे बाबुराव को जड़ से पकड़ा और उसका गौर से मुआयना करने लगी. कांच वांच तो घंटा नहीं लगा था मगर थोडा नाटक करना जरुरी था. मैं ऑंखें बंद किया धीरे धीरे सिसकारी लेने लगा. चाची बड़े ध्यान से मेरे सामान पर चोट के निशान ढूंढ़ रही थी. उन्होंने मेरे बाबुराव की स्किन को थोडा सा निचे सरकाया और सुपाड़े का निरिक्षण करने लगी. मेरी तो सांसे मरते आदमी जैसी रुक रुक कर चल रही थी. उन्होंने फिर से मेरे बाबुराव की स्किन ऊपर की और धीरे से फिर निचे कर दी.
साली चाची मेरी मुठ मार रही थी. मुझे इतना मज़ा आ रहा था की बता नहीं सकता. मेरे मुंह से सिस्कारिया और आह पे आह निकलने लगी. क्या सीन था मैं चाची के बिस्तर पर नंगा लेटा हुआ, चाची सिर्फ टॉवेल में अपने जोबन छुपाये. चाची मेरा बाबुराव हिला रही थी और यह सब बल्लू चाचा के बिस्तर पर उनकी बीवी के साथ हो रहा था.
अचानक चाची ने हिलाना बंद कर दिया और बोली, “क्यों रे हरामी …चोट वोट कुछ नहीं लगी है .हिरसू .साले बेशरम मैं तो सोच रही थी की लल्ला को कांच चुभा होगा और तू हरामी मज़े ले रहा है ..”
मज़े की बात ये थी की यह सब बोलते हुए भी वो ठरकी औरत मेरा बाबुराव हिला रही थी और उसके होटों पर वोही टेडी मुस्कान नाच रही थी. चाची भी पक्की कमीनी थी .उसके कमीनेपन का जवाब कमीनेपन से ही देना था.
मैंने कहा, “नहीं चाची ..च च चोट तो लगी है ..आप ध ध ध्यान से देखो ..आप के नहाने के चक्कर में मेरी तो ग ग ग गांड ही छिल गयी .”
मुझे लगा की चाची के सामने गांड बोल दिया. कहीं नाराज़ न हो जाये मगर वो तो गाँव की ठेठ औरत थी मेरा बाबुराव हिलाती हुयी बोली, “गांड तो छिली है लल्ला मगर ये तुम्हारा …मुन्ना तो ठीक ठाक है .”
मैंने अनजान बनके पूछा, ” म म मुन्ना ..मतलब .”
चाची ने वो ही टेडी मुस्कान मरी और मेरी आँखों में देखते हुए कहा, “ये तेरा लौड़ा ..”
दोस्तों .औरत के मुंह से ऐसे शब्दों को सुनने का आनंद ही कुछ और है. और जब वो औरत चाची जैसी बिंदास और ठरकी हो और ऐसे शब्द आपकी आँखों में ऑंखें डाल कर कहे तो वियाग्रा या किसी तेल की क्या जरुरत .लंड खड़ा नहीं होता बल्कि फटने लगता है.
चाची ने मेरे लंड को हिलाना जरी रखा. मैंने कहा, “चाची शायद निचे की तरफ कुछ चुभ रहा है ”
चाची ने कहा, “निचे कहा लल्ला …हंडवों पर ..?”
माँ कसम अब तो चाची पुरे फार्म में आ गयी थी. मैंने हाँ में सर हिलाया. चाची ने कहा, “थोडा पीछे हो जा बेटा
और टाँगें चौड़ी कर …मैं देखू जरा कहाँ चुभा ..”
मैंने तुरंत अपनी टाँगें चौड़ी कर ली …और चाची मेरी टांगो के बिच कुतिया की तरह बैठ गयी और मेरे गोटों को देखने लगी ..देख तो क्या रही थी ..मज़े से सहला रही थी कभी कभी नाखूनों से रगड़ देती ..कांच ढूंढने के
नाम पर पूरा मज़ा ले रही थी. चाची के ऐसी झुके रहने से ऐसा ही लग रहा था मानो वो मेरा लंड चूसने के लिए ही ऐसे बैठी है. हेयर रिमोवल क्रीम की वजह से मेरे लंड और गोटों पर एक भी बाल नहीं था. चाची मज़े से हाथ फेरे जा रही थी.
तभी उन्होंने मेरे गोटों और एसहोल के बिच की जगह पर सहलाया. मेरे मुंह से सिसकारी और आह दोनों एक साथ निकल गए. चाची ने मेरी और देखा. हम दोनों की नज़ारे मिली और ऐसे ही मेरी आँखों में देखते हुए चाची ने फिर से वहीँ पर सहलाया, मैंने भी चाची के चेहरे पर नज़ारे गडाए हुए एक और आह भरी. चाची उस जगह से सहलाते सहलाते मेरे गोटों से होती हुयी मेरे लंड तक पहुंची और मेरे सुपाड़े की स्किन पीछे करके अपनी उंगली मेरे लंड के छेद पर फिराने लगी. मज़े से मेरी ऑंखें बंद हुयी जा रही थी मगर चाची की नकार्तिकी आँखों में देख कर मज़ा आ रहा था. इसलिए मैं एकटक उनको देखता रहा.
अचानक चाची सीधी होकर बैठ गयी और बोली, “चल लल्ला…उठ….और कहीं नहीं लगी है ..बोरोलीन लगाकर कपडे पहन ले ..सब लोग आते होंगे ”
बहचोद ..लंड कपडे पहन ले ..इसी को कहते है खड़े लंड पर डंडा .KLPD
मैंने कहा, “च च चाची ..प्लीज़ ..म म म मेरा प प पानी निकल तो दो नहीं तो रात भर दुखेंगा .”
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चाची ने टेडी मुस्कान मरते हुए कहा, “वाह रे लल्ला खुद ही निकाल ले ..वो तेरे कागजों में ..रोज़ तो मुठ मारता है .”
मैं समझ की साली मादरचोद भाव खा रही है …मगर खड़े लंड की खातिर तो कुछ भी करना ही था.
मैंने थोडा सा आगे झुक कर चाची का हाथ पकड़ा जिससे उन्होंने मेरे लंड को पकड़ा था और उनके हाथ को मेरे लंड के ऊपर हिलाने लगा. चाची मुस्कुराते हुए मुझे देख रही थी. अचानक चाची ने मेरे लंड को कस के पकड़ लिया और उनके चेहरे पर उत्तेजना के भाव आ गए. उन्होंने दांत भींचे हुए थे और मेरे लंड को कस के हाथ में पकडे जोर जोर से मुठ मरने लगी. मैं समझ गया की अब चाची की गांड फट रही है की घरवाले आ न जाये. इसिलए वो जल्दी से मेरा पानी निकलना चाहती है
मैंने भी सोच लिया की आज कुछ भी जाए मेरा पानी जल्दी नहीं निकलने दूंगा. मैंने कहीं पढ़ा था की जब पानी निकलने लगे तो लम्बी लम्बी साँसे लेनी चाहिए पानी जल्दी नहीं निकलता. मैंने लम्बी लम्बी साँसें लेना शुरू कर दिया. चाची को लगा की मेरा निकलने वाला है तो वो और जोर जोर मेरा हिलाने लगी. मगर मैं अब कंट्रोल में आ गया था. जोर जोर से हिलाने के चक्कर में चाची का टोवल ढीला हो गया था, मैंने कनखियों से देखा की चाची का टोवल बस गिरने ही वाला था. तभी चाची ने हिलाना बंद किया और सीधी होकर घुटनों के बल खड़ी हो गयी, टोवल को बस जैसे इसका ही इंतज़ार था, भोसड़ी के ने चाची के मम्मो का साथ छोड़ दिया और 80 साल के बुढ्ढे के जैसे ढेर हो गया. चाची ने झट से अपने मम्मो को एक हाथ से और दुसरे हाथ से अपनी चमेली को छुपा लिया और वो ही काजोल वाली शर्मीली मगर शरारती मुस्कान मारने लगी.
हाय .मैं तो घायल हो गया.
मैंने बड़ी मुश्किल से अपने आप को संभाला. मैं थोडा सा उठा और चाची के हाथ को जो उनके मम्मो को छुपाये हुए था उसको हटा दिया ..चाची ने फिर से छुपा लिया, मैंने चाची के हाथ को कास के पकड़ के उनके मम्मो से हटा कर मेरे दुखी बाबुराव पर रख दिया .बाबुराव तो गुलाब के फूल जैसा खिल गया. चाची ऑंखें तो बंद किये थी मगर मुस्कुरा रही थी. मेरे बाबुराव को पकड़ने के कारण वो थोडा सा झुकी हुयी थी. उनके गोल गोल संतरे अपने चेरी जैसे निप्पलों के साथ मुझे चिड़ा रहे थे. चाची का जोबन मेरे मुंह से सिर्फ कुछ ही दूर था. अचानक मेरी इतनी देर के ठरक आग जैसे भभक गयी और मैंने कचकचा कर उनमे मम्मे को अपने मुंह में ले लिया.
आम खाने के शौकीन जानते होंगे की आम खाने का मज़ा चूस कर खाने में ही है .बस मैं भी चाची के आम बरसो के भूखे प्यासे जैसे जोर जोर से चूसने लगा ..
चाची के मुंह से ऐसी मादक सिसकारी निकली की मेरा पूरा शरीर सितार के तार की तरह तन गया. चाची का मुंह हैरत और मस्ती के कारण खुल गया था. मैं उनके चेहरे पर आता ये काम वासना के भाव देख रहा था तभी उन्होंने अपनी नज़रे निचे करके मुझे देखा और हमारी नज़रे मिली और उन्होंने एक ज़ोरदार सिसकारी मार दी और जोर जोर से मेरा लौड़ा हिलाने लगी. उन्होंने मेरे बाबुराव को इतना कस के पकड़ा था जैसे वो कोई जहरीला सांप हो और अगर छुटा तो काट खायेगा. चाची सिसकारी पे सिसकारी मार रही थी और जंगलीपन से मेरा लंड हिला रही थी. चाची के मम्मो में से हलकी हलकी चोकलेट की खुशबु आ रही थी.
अरे हां ..चोकलेट .
जिस पिघली हुयी चोकलेट के कारण यह सब हुआ था वो वहीँ पास में बेड साइड टेबल पर पड़ी थी. मैंने चाची का मम्मा छोड़ा और अपने लंड को मुश्किल से उनकी गिरफ्त में से निकाला. उठा और चोकलेट उठा कर उनके दोनों मम्मो पर मसल दी. चाची का मुंह हैरत से खुला का खुला ही रह गया, इसके पहले की वो कुछ बोल पाती मैंने अपना मुंह वापस उनके चोकलेट से लथपथ मम्मो पर लगा दिया और जन्मो जनम के प्यासे की तरह चोकलेट उनके मम्मो से चाटने लगा.
चाची ने अपने सर पीछे की तरफ फ़ेंक दिया और वासना से भरी ऐसी आह भरी की मेरा बाबुराव घंटे की तरह टन टन करने लगा. चाची के मम्मे चोकलेट से चिकने होने के बाद तो जैसे सोफ्टी आइसक्रीम हो गए थे .मैं उनके निप्पल को जैसे चुसना शुरू करता चाची का पूरा बदन सिहरने लगता .उनके पुरे शरीर में हलके हलके झटके लगने लगते….
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