पशुगमन – | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru 100% Free Hindi Sex Stories - Sex Kahaniyan Mon, 19 Mar 2018 11:50:19 +0000 en-US hourly 1 /> //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/wp-content/uploads/2015/10/cropped-mastaram-dot-net-logo-red-32x32.png पशुगमन – | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru 32 32 अपनी पहली चुदाई कुत्ते से करवाई | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/sex-with-animal/apni-pahali-chudai-kutte-se-karwai.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/sex-with-animal/apni-pahali-chudai-kutte-se-karwai.html#respond Sun, 03 Sep 2017 12:26:20 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=9980 अपनी पहली चुदाई कुत्ते से करवाई, चुदाई का भुत चढ़ जाने के कारण चूत गीली थी कुत्ते का लंड करीब डेड इंच मेरी चूत मैँ आसानी से चला गया कुत्ता भी सेक्स के लिये गरम हो गया था इस लिये उसने भी अपनी कमर हिलानी शुरू कर दी अब कुत्ता भी चुदाई में मेरा साथ दे रहा था मैने उसके पिछले पैरो को अपने चूतरों के नीचे से निकाल दिया उसके बाद कुत्ते ने जोर जोर से अपनी कमर को हिलाना शुरू कर दिया तो मुझे अपनी चूत मैँ लंड को और अन्दर धंसते हुये महसूस हो रहा था और हल्का सा दर्द भी हो रहा था लेकिन उससे कहीँ ज्यादा मुझे आनन्द आ रहा था

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चुदाई की मेरी यह कहानी इस प्रकार है मेरी उम्र 18 – 19 साल के करीब होगी तब मैं सैक्स के बारे में इतना सोचती थी कि सोचते सोचते में इतना गरम हो जाती कि मेरी चूत गीली हो जाती थी लेकिन मेरी चूत बिल्कुल कवारी थी अभी तक मैंने उसमें उगंली तक नही डाली थी एक दिन मैंने कुत्ते और कुतिया को सैक्स करते देखा तो मुझसे रहा नहीं गया उस दिन मम्मी मामाजी से मिलने अपने मायके चली गयी थी उन्हें 2 दिन बाद आना था पापा औफिस गये थे वो 5 बजे से पहले आने वाले नहीं थे छोटा भाई स्कूल गया था उसकी 4 बजे छुट्टी होनी थी.

मैं 12 की क्लास मैं पढती थी..उस दिन में टीचर से बुखार का बहाना बना कर इंटरवल में ही स्कूल से घर आ गयी और हमारा घरेलू कुत्ता जिसे हम घर में ही छोड आते थे वह वहाँ पर मुझे सोता हुआ मिला जिसे हम जोहनी कहकर बुलाते थे लेकिन उस दिन से मैं उसे हॉर्नी के नाम से पुकारने लगी. मैने उसे हॉर्नी कहकर पुकारा तो वो अपनी पूँछ हिलाता हुआ आया और मुझसे लिपटने लगा जैसे ही उसने अपने अगले पैर उठाकर मेरी छाती पर रखे मुझे उसका लंड अपनी जगह से ईस तरह से निकला जैसे लिपिस्टिक को घुमाकर निकालते है |

चुदाई का अचानक से खयाल आय और मुझे सुबह देखा कुत्ते कुतिया का सैक्स याद आ गया और मेरे अन्दर सैक्स जागने लगा और मैँ सोचते सोचते गरम होने लगी ज्यादा सोचने पर फिर मुझसे रहा नही गया में अपने कुत्ते को अपने बेडरूम मेँ ले गयी और कुत्ते को बिस्किट खिलाया उसके बाद उसके उपर प्यार से हाथ फिराया कुत्ता चुप बैठ गया.

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अब मैंने अपनी चुदाई का कार्यक्रम बना लिया और सोचा की अब तो इस कुत्ते से ही चुदाई करवानी है .. मेने धीरे धीरे हाथ फिराते हुए कुत्ते के लंड को सहलाने लग गयी कुत्ता पीठ के तरफ लेट गया और उसने अपने पैर फैला लिये मैने लंड को हिलाया तो उसकी चमडी मैँ से गाजर के जैसा लंड निकलने लगा मेरा मन मचलने लगा मैँने तुरंत अपने सभी कपडे उतार दिये और कुत्ते के पिछले पैरों को मैँने अपने चूतरो के नीचे दाब लिये और उसके अगले पैरों को अपने दोनों टाँगों के बीच होते हुए अपनी कमर के पास रख लिये और एक हाथ से उसके लंड को हिला हिला कर निकालने लगी उसका 2 इंच लम्बा उंगली के जैसा मोटा लंड निकला ही था मैंने उसे अपनी गीली चूत मेँ डालना शुरू कर दिया लंड ज्यादा मोटा नही था|

चुदाई का भुत चढ़ जाने के कारण चूत गीली थी कुत्ते का लंड करीब डेड इंच मेरी चूत मैँ आसानी से चला गया कुत्ता भी सेक्स के लिये गरम हो गया था इस लिये उसने भी अपनी कमर हिलानी शुरू कर दी अब कुत्ता भी चुदाई में मेरा साथ दे रहा था| मैने उसके पिछले पैरो को अपने चूतरों के नीचे से निकाल दिया उसके बाद कुत्ते ने जोर जोर से अपनी कमर को हिलाना शुरू कर दिया तो मुझे अपनी चूत मैँ लंड को और अन्दर धंसते हुये महसूस हो रहा था और हल्का सा दर्द भी हो रहा था लेकिन उससे कहीँ ज्यादा मुझे आनन्द आ रहा था. मेरी चूत से खून भी बह रहा था और मेरे मुँह सी आह सी आह की आवाज निकल रही थी करीब आधा मिनट बाद उसका लंड मेरी पूरी चूत मैं समां गया उसके बाद मेरी आफत आना शुरु हुई क्यों कि उसका लंड मेरी चूत मैँ फूलने लगा और मेरे दर्द होने लगा मैं कुछ सोच पाती कि कुछ पल मैं ही उसका लंड पूरी तरह से फूल गया मेरी चूत मानो फटने वाली हो. दोस्तों आप ये कहानी मस्ताराम डॉट नेट पे पढ़ रहे है।

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चुदाई ऐसे चल रही थी मनो कामसूत्र चल रहा हो.. अब कुत्ते का लंड भी निकलने वाला नहीं था क्यों कि लंड का आकार चुदाई के दोरान चूत के अनदर मोटा और बाहर से पतला था कुत्ते ने कमर हिलाना बंद कर दिया था और अपने अगले पैर घुमाकर आगे कर लिये और कुतिया की तरह मुझसे खिचने लगा थोडे दर्द के बाद मुझे आनन्द आने लगा कयोँ कि मेरी चुदाई एक कुत्ता कर रहा था और चूत में एक कुत्ते का मोटा लण्ड फसा हुआ पडा था 2 मिनट बाद में झड गयी. कुछ सैँकेंड के बाद कुत्ता भी झड गया और उसका मोटा लंड पतला होने लगा पतला होते ही लंड मेरी चूत से निकल गया।इस तरह से मेरी पहली चुदाई कुत्ते के लंड से हुई थी ईसके बाद तो जब मोका मिलता तो कुत्ते के लंड से चुदाई कराती थी.

एक मौका लडके से चुदाई कराने का भी आया था पर मुझे उस लड़के से चुदवाने में बिल्कुल मजा नहीं आया क्यों कि मुझे कुत्ते के मोटे लंड से चुदाई की जो आदत पड गयी थी। तो बहनो कैसी लगी मेरी चुदाई ? अगर आपको कभी मौका मिले तो आप भी कुत्ते के लंड का मजा जरूर लेना बहूत मजा आयेगा चुदाई करवाने.

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क्यों कुत्ते सेक्स करने के बाद भी एक दूसरे से चिपके रहते हैं ? | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/sex-with-animal/dogs-get-stuck-together-while-having-sex.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/sex-with-animal/dogs-get-stuck-together-while-having-sex.html#respond Wed, 05 Jul 2017 03:45:29 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=9315 जी हा दोस्तों जो अपने इस पोस्ट का शीर्षक पढ़ा सही है आज हम यंहा इसी प्रकिया की जानकारी देंगे । लोगो में सही जानकारी के आभाव की वजह से अलग अलग धारणाएं पनपती है । जब गली में दो कुत्ता प्रजाति के जीव आपस में सम्भोग करते हैं तो कुछ समय बाद आप देखते […]

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जी हा दोस्तों जो अपने इस पोस्ट का शीर्षक पढ़ा सही है आज हम यंहा इसी प्रकिया की जानकारी देंगे । लोगो में सही जानकारी के आभाव की वजह से अलग अलग धारणाएं पनपती है । जब गली में दो कुत्ता प्रजाति के जीव आपस में सम्भोग करते हैं तो कुछ समय बाद आप देखते हैं की नर कुत्ता अपने आप को अलग करने की कोशिश कर रहा है और उसका लिंग मादा की योनि में अटक गया है ।

ऐसे समय पे पास से गुजर रहे सामान्य व्यक्ति की कोशिश होती है की वो कुत्ते को अलग करे । इसी कोशिश में वो कुत्ते को डंडे से मारता है । जो की गलत है । ऐसे समय पे कुत्ते को नहीं मारना चाहिए । उनको उनके हाल पे छोड़ना ही इस समस्या की सबसे सही सलूशन है ।

होता क्या है कि , नर कुत्ते का लिंग , योनि के अंदर जाने के बाद सूज जाता है ।

ये एक प्राकृतिक प्रक्रिया है । यह प्रक्रिया १५-२० मिनट तक भी चल सकती है । हमें चाहिए की ऐसे समय पे उनको अलग करने की कोशिश न करे ।

नर कुत्ते के लिंग के अंदर एक छोटी सी हड्डी पायी जाती है जिसे Baculum (बकलम ) कहते है । ये हड्डी कुत्ते को सम्भोग करने में मदद करती है । एक बार लिंग के योनि में परवेश के उपरान्त , लिंग की जड़ में पायी जाने वाली ग्रंथि जिसका नाम बल्बस ग्लाँडिस (Balbus Glandis ) होता है , में खून का थक्का जमना चालू हो जाता है । जिसकी वजह से लिंग की मोटाई बढ़ने लगती है ।

कभी कभी मादा कुत्ता घबराहट की वजह से उथल पुथल करती है जो की नर कुत्ते के लिए कठिनाई का विषय बन सकती है ।

अतः आप कभी ऐसे होते हुए देखे तो कुत्तो को मारे नहीं बल्कि उन्होंने ज्यो का त्यों छोड़ दे । वो प्राकृत रूप से कुछ समय बाद खुद ही अलग हो जायेंगे ।

ऐसा नहीं है की ये समस्या सिर्फ कुत्तो में पायी जाती है । कई बार ऐसे वाकये दर्ज किये गए हैं जन्हा पर पति पत्नी को सेक्स के तुरंत बाद हॉस्पिटल जाना पड़ा हो । मनुष्यों के संसार में इसे कई लोग भ्रान्ति समझ सकते हैं । पर ये वाकई में एक हकीकत है ।

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मै और मेरा प्यारा फूजी | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/sex-with-animal/mai-aur-mera-pyara-fuji.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/sex-with-animal/mai-aur-mera-pyara-fuji.html#respond Mon, 13 Feb 2017 21:56:31 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=8036 मै और मेरा प्यारा फूजी मजे से चुदाई का मजा लेते है मेरे कहने का मतलब है मै अपने कुत्ते से चुदाई करवाती हूँ कुत्ते का लंड काफी मोटा होता है मेरी चूत में जाते ही मेरे मुह से सीत्कार निकल जाती है मेरा फूजी मेरी चूत का कचुमड निकल देता है |

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मेरा नाम स्मिता है | मेरे उम्र करीब ३९ साल है | आज से लगभग ३ साल पहले मेरे पतिदेव स्वर्गवासी हो गये | अपने पीछे मुझे और अपने दो लड़के छोड़ गये | अब घर चलाने के लिए मुझे नौकरी करना जरुरी हो गया क्योकि मेरे दोनों बेटे स्कूल में पढ़ते है | बड़े बेटे का नाम शुशील है और उसकी उम्र करीब १६ साल और छोटे वाले का नाम अनुराग है उसकी उम्र १३ साल है |

दिखने में में एक सिम्पल नारी हूँ , मेरा फिगर ३८ – ३४ – ३६ , जैसे की दो बच्चो के माँ का होना चाहिए |

बचपन से हे में बड़ी ठरकी किस्म की लडकी थी | मुझे गन्दी और सेक्सी बाते करने में बड़ा मज़ा आता था | कभी कभी में चुपके से अपने चाचा चाची के कमरे में रात को झांकती थी जब चाची चाचा दोनों रात को चुदाई करते थे | फिर मेरे शादी एक अधेड़ उम्र के व्यापारी से हो गयी | क्योकि वो अधेड़ उम्र का था इसीलिए ज़ाहिर है उसमे वो जोश और ताकत नहीं थी जो मै हमेशा अपने पति में देखने के कोशिश करती थी |

मेरे पति का अंग करीब ४ इंच का छोटा और पतला था | वो हमेशा २-३ झटके दे कर के वीर्य गिरा देते थे | १४ साल तक में हमेशा प्यासी ही सोयी | अब जब मेरे पति का देहांत हो गया है तो अब वो सहारा भी गया | आजकल हर रात मेरा बुरा हाल रहता है , मेरा हाथ साडी के अन्दर ही घुसा रहता है | और रात को रह रह के मै अपनी योनी हाथ से रगडती रहती हूँ | आप यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |

रोज़ की तरह मैंने अपने लडको के लिए सुबह नाश्ता बनाया और उन्हें स्कूल के लिया रवाना किया फिर मै अपनी खिड़की पर बैठी कुछ सोच रही थी , तभी मैंने निचे देखा की सड़क के किनारे एक कुत्ता कुतिये को चोद रहा था उसका लंड कुतिया की चूत में गप गप अन्दर बाहर हो रहा था कुत्ते ने करीब २ या ३ मिनट धक्के मारे होगे की उल्टा हो गया और कुतिया की चूत में उसका लंड फस गया और दोनों हफने लगे | कुत्ते और कुतिया की चुदाई देख कर मेरे मन में एक विचार आया अगर मै किसी मर्द को पटा कर चुद्वाऊ तो हो सकता है वो किसी और को बता दे और मेरी बेइजती हो जाए सो मैंने सोच लिया की मै एक कुत्ता खरीदुगी |

अगले दिन जब मै अपने ऑफिस गयी और थोडा ऑफिस का काम करने के बाद मै इन्टरनेट खोल कर कुत्ते खरीदने की जगह के बारे में ढूढ़ रही थी की तभी शीला मैडम आ गयी वो मुझसे छोटी थी पर मुझसे उचे पद पर थी उनके पति ने उन्हें छोड़ कर किसी और लड़की से शादी कर ली थी उन्हें कोई संतान नहीं थी | वो पीछे से आई और मुझे बोली स्मिता क्या ढूढ़ रही हो मै बोली मुझे एक पालतू कुत्ता खरीदना है | तो शीला मैडम ने बोला मेरे पास भी कुत्ता है वो बहुत ही शानदार है और समझदार भी है मैंने जहा से ख़रीदा था मै तुम्हे एड्रेस दे देती हु जाओ खरीद लेना मै शीला मैडम से उस दुकानदार का नंबर ले लिया और उसे फोन कर पूछा तो बो बोला मैडम आपको हमारी दुकान पर आना होगा यहाँ आप देख ले और जो पसंद आये ले लेना भाव भी थोडा कम कर दूंगा | मैंने शीला मैडम का रिफरेन्स दिया तो बोला मैडम शीला मैडम हमारी बड़ी पुरानी ग्राहक है | आईये मै आपके लिए और भी भाव कम कर दूंगा |

मै शाम को ऑफिस से छूटकर उसके दुकान पर गयी और देखा एक से बढ़कर एक कुत्ते मेरे मन में तो कुछ और ही चल रहा था की मुझे जो खुश कर सके मैंने एक शानदार कुत्ता देखा उसका वजन करीब 75 किलो था पर उसका भाव थोडा ज्यादा था | मैंने उसे पूछा भैया मै ये कुत्ता खरीदना चाहती हूँ पर मै अभी पुरे पैसे नहीं दे पाऊँगी | तो उसने बोला मैडम कोई बात नहीं आप चाहे तो किस्तों में पैसे चूका सकती है | मैंने उस कुत्ते को ले लिए और घर आ गयी |

मेरी चूत की प्यास बढती गयी

मेरे दोनों बेटे देख खुश हो गये की मम्मी कुत्ता ले कर आई है एसे ही कुछ दिन बीते मेरे बेटे जब स्कूल चले जाते तो मै थोड़ी देर तक अपने कुत्ते यानी उसका नाम फूजी रखा था मै फूजी के लंड के साथ खेलती थी और धीरे धीरे फूजी का लंड खड़ा होता और मै उसे मुठियाती रहती और वो मजे से झड़ जाता और फिर मै उसे सिकरी में बाध कर अपने ऑफिस चली जाती |

मै फूजी के लंड से १० दिन तक एसे ही करती रही फिर आखिर वो दिन आ ही गया जब मेरी चूत की कचुमड बनाने के लिए फूजी का लंड तैयार हो गया था सन्डे का दिन था मैंने अपने दोनों बेटो को मेरी माँ के घर भेज दिया अब घर में मै और मेरा कुछ यानी की फूजी ही थे मैंने सबसे पहले उसे अपने कमरे में ले गयी और खुद पूरी तरह से नंगी हो गयी और और फूजी को बेड पर अपने बाजू में बैठा कर उसके लंड को मुह में लेकर चूसने लगी और एक हाथ से अपनी चूत को सहला रही थी मेरी चूत पूरी तरह से गीली हो चुकी थी अब एसा लग रहा था की मेरी चूत फटने वाली है |

फूजी का लंड भी तैयार हो चूका था वो खूब हाफ रहा था और बैठे बैठे ही वो एसे लग रहा था की मेरे मुह में ही धक्के मार रहा था फिर मै उसे खड़ा कर अपने कुतिया की तरह झुक गयी और फूजी को पुचकार कर अपने ऊपर आने को बोलने लगी अब मेरा फूजी भी काफी समझदार हो गया था मेरे इशारे को समझ गया और मेरे पीछे आकर चूत को चाटने लगा और जैसे ही उसकी जीभ मेरी चूत की क्लिट से टच हुयी मेरा पूरा शारीर गनगना गया मेरी आखे बंद हो गयी फूजी ने करीब ५ मिनट तक मेरी चूत की चटाई की मै अपनी चूत की फल्लियो को अपनी दोनों हाथो से फैला कर चटवा रही थी |

अब मुझसे नहीं रहा जा रहा था मैंने फूजी को खीच कर अपनी ऊपर चढ़ा लिया और उसके खड़े लंड को अपनी चूत पर सेट की और वो धक्के मारने लगा वो भी किसी आदमी से ज्यादा ताकतवर लग रहा था मेरी चूत में उसका लंड एसे लग रहा था की मेरे बच्चेदानी से टकरा रहा था मुझे इतना मजा कभी किसी आदमी की चुदाई में नहीं आया था जितना की फूजी के लंड से आ रहा था तभी मुझे लगा की अब मै झड़ने वाली हु पर फूजी अभी भी जोरदार धक्के पे धक्का मार रहा था उसका लंड मेरी चूत में एकदम फिट अन्दर बाहर हो रहा था |

कुत्ते ने मेरी चूत में अपना माल उगल दिया

इतने में मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया और मै अह्ह्ह एस आह्ह्ह करते करते झड़ गयी अब भी मेरा फूजी मजे से धक्के मार रहा था मेरे मुह से आवाज आ रही थी आह आह ये फूजी आह्ह्हह्ह एस १० मिनट तक फूजी ने धक्के मारे और मै दुसरी बार झड़ने वाली थी की फूजी ने हाफाते हुए मेरी चूत में अपना माल गिराने लगा और उसका लंड मेरी चूत में गुब्बारे की तरह फुलने लगा और मेरी चूत से भी पानी निकालने लगा था और अब फूजी की रफ़्तार कम हो गयी थी और मै भी साथ में झड़ रही थी सो मैंने अपने तरफ से उसके लंड को अपने चूत में दबा दबा के झड़ रही थी और फ़ाइनली हम दोनों झड़ गये फूजी हाफाने लगा था और उल्टा हो चूका था और उसका लंड मेरी चूत में फूलने की वजह से फस गया मै वैसे ही पड़ी रही और उसे प्यार से चूमने लगी थी और करीब आधे घंटे तक उका लंड मेरी चूत में धीरे धीरे ठंडा हो कर सिकुड़ गया और बाहर निकल गया और मै जैसे ही खड़ी हुयी मेरी चूत से आधा गिलास पानी निकला वो फूजी का वीर्य था आज मै जिंदगी में पहली बार इतनी मजे से झड़ी थी | दूसरे दिन मेरे बच्चे अपनी नानी के घर से वापस आ गये और अब रोज राज को जब मेरे दोनों बेटे सो जाते तो मै फूजी को अपने कमरे में ले आती और रातभर में २ बार जब तक नहीं चुदवाती तब तक मुझे नीद ही नहीं आती एसे की मै फूजी से चुदवाती रही और अब मेरा शारीर भी गठीला होने लगा था और हो भी क्यों ना जो चुदाई मेरी होने लगी थी मेरे चहरे पर अब हमेशा मुस्कान रहती थी ऑफिस में भी मेरे बॉस मुझ पर लाइन मारने लगे थे |

मेरी प्यास कुत्ते ने मिटा दी

फूजी की चुदाई इतनी शानदार थी की अगर २ औरते भी चुद्वाए तो मेरा फूजी आराम से मात दे सकता है | ऑफिस में मै और शीला मैडम जिनकी उम्र करीब ३२ साल होगी साथ में लंच कर रही थी बातो बातो में मै शीला से खुल कर बात करने लगी और मैंने अपनी फूजी की खूब तारीफ की मेरा फूजी २ आदमी के बराबर है इतना सुनके शीला मैडम ने पूछ लिया क्या मतलब मै चुप हो गयी | आप यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |

शीला मैडम मेरी बात समझ चुकी थी और खुद ही बोल दी की तभी मै सोचु की मिस स्मिता मैडम अब इतना खुश क्यों लगती है मै बोली क्या मतलब आपका आप क्या बोलना चाहती है |

शीला एकदम शांत हो गयी और थोड़ी देर बाद बोली यही की तुम्हारा फूजी तुम्हे खुश कर देता है ना | मेरा टौमी भी मुझे खुश कर देता है अब हम दोनों बातो बातो में खुल चुकी थी और खुल के बाते करने लगी शीला मैडम ने बताया की उनका टौमी १५ मिनट तक लगातार उनकी चूत मरता है चूत में डालने से पहले खूब चाटता है | अब हम एसे ही जब ऑफिस में लंच होता था तो एक दुसरे के कुत्ते के बारे में बाते करने की आज तुमने कितनी बार चुदाई की मैंने कितनी बार चुदाई करवाई कितनी बार झड़ी |

एक दिन हम दोनों ने प्लान बनाया की क्यों न दोनों कुत्तो से एक साथ अदल बदल कर मजे लिया जाए हमने अगले हफ्ते इतवार का दिन फिक्स किया है वो कहानी मै आप सभी को इतवार को चुदाई होने के बाद बताउंगी तब तक आप लोग मुझे ईमेल करना ना भूले साथ में आपका कमेंट भी देना मेरी रियल स्टोरी कैसी लगी क्योकि मेरी इस कहानी के बारे में शीला मैडम भी जानती है वो भी मस्ताराम.नेट की कहानियां पढ़ती रहती है | मेरी ईमेल आई डी है [email protected] आप मुझे अपनी कहानियां भी भेज सकते है | पर आपसे निवेदन है की आप मेरी इस कहानी को शेयर करना ना भूले तभी मै अपनी अगली चुदाई के बारे में लिखुगी |

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कुत्ते को मिला मेरी सील तोड़ने का मौका | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/teen-girls/kutte-ko-mila-meri-seal-todane-ka-mauka.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/teen-girls/kutte-ko-mila-meri-seal-todane-ka-mauka.html#respond Fri, 28 Oct 2016 11:20:18 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=5962 मेरा नाम कुमकुम है. मेरे परिवार मे सिर्फ़ मम्मी, पापा, मेरे बड़े भैया और मैं हैं. हां, और हमारा अल्सेशन कुत्ता जोहनी. जब मैं 11 साल की थी हम एक छ्होटे से घर में रहते थे. एक किचन, बाथरूम और दो कमरे. भैया एक कमरे में सोते थे और मैं मम्मी पापा के साथ एक […]

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मेरा नाम कुमकुम है. मेरे परिवार मे सिर्फ़ मम्मी, पापा, मेरे बड़े भैया और मैं हैं. हां, और हमारा अल्सेशन कुत्ता जोहनी. जब मैं 11 साल की थी हम एक छ्होटे से घर में रहते थे. एक किचन, बाथरूम और दो कमरे. भैया एक कमरे में सोते थे और मैं मम्मी पापा के साथ एक कमरे में.

घर छ्होटा होने के कारण मैने कई बार पापा और मम्मी को प्यार करते देखा था. पापा मेरी मम्मी के उपर चढ़ जाते थे और मम्मी अपनी लातें फैला देती थीं और फिर पापा अपना लंड उनके अंदर डाल देते थे. फिर पापा उपना लंड मम्मी की चूत में अंडर बाहर करते थे और कुछ देर बाद मम्मी सिसकारियाँ लेने लगती थी. मुझे लगता था के उन दोनो को खूब मज़ा आ रहा है.

उन दिनो में मुझे यह बातें अजीब नहीं लगी. मैं नादान थी और मुझ पे अभी जवानी का जोश नही पड़ा था. जब मैं 13 साल की हुई तो मेरा बदन बदलने लगा. मेरी छाती पे मेरे बूब्स आने लगे, मेरी चूत पर हल्के हल्के बॉल उगने लगे.

मैं जवान होने लगी. मैने आजमाया कि अपने बूब्स को सहलाने से मुझे अजीब सा मज़ा आता है. जब मैं अपनी चूत पर हाथ फेरती तो बहुत ही अछा लगता.

जब मैं मम्मी पापा को चुदाई करते देखती तो जी करता के मैं भी उनके साथ यह प्यार का खेल खेलूँ: पापा मेरे भी बूब्स को दबाएँ और अपना लंड मेरे अंडर डालें और में उनका लंड मुँह में लूँ और चूसू, जैसे मम्मी करती थी. फिर स्कूल में मेरी सहेलियों ने मुझे बताया के यह चुदाई का क्या मतलब है. मेरी सहेली कीर्ति ने तो अपने पड़ोसी लड़के के साथ ट्राइ भी किया था.

उसने बताया के लड़के के लंड को हाथ मे लेके सहलाने से वो बढ़ हो जाता है और वो लोहे जैसे सख़्त अकड़ जाता है और उसको फिर मुँह में लेके चूसने में बहुत मज़ा आता है. उसने अपने फ्रेंड का लंड अपनी चूत पे भी उपर नीचे रगड़ता था.

उसको बहुत अछा लगा था. उसने बताया के लंड चूसने के बाद वो झार जाता है और उसमे से खूब सारा मलाई जैसा पानी निकलता है जिसको पीने में बहुत मज़ा है.

उसने बताया के वो अब अपने फ्रेंड का लंड अंदर भी लेना चाहती है. सिर्फ़ मौका मिलने की बात है. यह बातें सुनते मेरे अंदर अक्सर एक अजीब सी गरमाइश उठती थी और मेरा दिल करता था के मैं भी यह बातें आज़माऊ. तब तक मैं 13 साल की हो गयी थी.

एक दिन मैं स्कूल से आकर होमवर्क करने को बैठी. मम्मी, पापा दोनो ऑफीस गये हुए थे और मैं घर में अकेली थी. गर्मी थी इस लिए मैने सिर्फ़ टी-शर्ट और शॉर्ट्स पहने थे.

हमारा कुत्ता जोहनी कमरे में आकर मेरे पास बैठा था. मेरा मन होमवर्क पर नहीं था. मेरे सर में तो सेक्स के ख्याल आ रहे थे जैसे कीर्ति ने सुनाए थे. मैं बेड पे पीछे लेट गयी और अपने बूब्स को, जो अब साइज़ 34 के हो गये थे, अपने हाथों के साथ मसल्ने लगी.

फिर मैने अपनी टी-शर्ट उतार दी ताके मेरे हाथ अच्छी तरह सब जगह पहुँच सकें. फिर मैने एक हाथ शॉर्ट्स के अंदर डाला और में अपनी चूत को सहलाने लगी. मेरी चूत हल्की सी गीली होने लगी और मेरी उंगलियाँ आसानी से मेरी चूत पे घूमने लगी. दोस्तों आप ये कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है l

मेरा एक हाथ मेरे बूब्स पे और दूसरा हाथ चूत पे घूम रहा था. फिर अचानक मुझे महसूस हुआ के जोहनी की गरम गरम गीली ज़बान मेरी जाँघो को चाट रही है. मैने जोहनी को पीछे धकेला और गुस्से से बोली “ नो जोहनी, बॅड बॉय”. मगर सच बताउ तो वो जोहनी का चाटना मुझे बहुत अछा लगा था. कुछ देर बाद जोहनी फिर आकर मेरी जाँघो को चाटने लगा.

मैं कुछ नहीं बोली और उसको चाटने दिया. आहिस्ता आहिस्ता वो उपर की तरफ, मेरी चूत के पास चाटने लगा.
उसकी ज़बान बहुत गरम थी और उसका मुलायम फर मेरी चॅम्डी पर रगड़ रहा था. मुझे बहुत अछा लग रहा था. मेरी चूत भी खूब गीली हो चुकी थी और मेरे अंदर खूब गरमाइश चढ़ चुकी थी. मैने अपनी शॉर्ट्स नीचे खिस्काई और उतार दी. अब मैं बेड पर नंगी पड़ी थी.

मैने जोहनी का सर अपने हाथ में लिया और उसको उपर अपनी चूत की तरफ खींचा. वो चाटने लगा. में तो बहाल होने लगी.  मैने अपनी टाँगें फैलाईं और जोहनी को अपनी चूत का पूरा प्रवेश दिया. अब उसकी ज़बान मेरे दाने पर भी घिस रही थी और कभी कभी मेरी कुँवारी चूत में भी प्रवेश करती थी.

मैं बेड के किनारे तक खिसक गयी ताके जोहनी की ज़बान सब जगह तक पहुँच सके. उसकी लंबी, गरम और खर खरी ज़बान मेरी गांद से उपर मेरे दाने तक चाट रही थी. मेरी टांगे काँपने लगी. मैं अपने चूतर उपेर करके जोहनी से और जोश से चटवाने लगी.

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एक कुता था …वो साला रोज़ स्कूल जाती कुतियो को देख के अपना लंड खड़ा कर लेता था. उसके दोस्त कुत्तो ने कई कुतियो की चुदाई कर डाली थी. वो उस कुत्ते को बे-चूत कहते थे.अब कुत्ते ने ठान ली वो सबसे सुंदर कुतिया की चूत को ही चोदेगा.

उसी स्कूल मे एक कुतिया थी जिसने आज तक किसी भी कुत्ते से नही चुदवाया था. कुत्ता उसके पिछे पिछे रोज़ आने जाने लगा. एक दिन कुतिया ने पिछे मूड के उसपे गुर्रया. अब कुत्ते ने वही पे एक खंभे पे टांग उठा के मूत दिया.
कुतिया ने हंस दिया, कि अच्छा हुआ कि तुमने पैंट नही पहनी थी नही तो पैंट मे ही मूत दिए होते.

अब कुत्ता खुस हो गया. हँसी तो फँसी. अब कुता एक दिन उसे खेत मे ले गया डटे पे. सुबह सुबह इंसान ने गरम गरम पॉटी किया था. कुत्ते ने कुतिया को जम के ब्रेक फास्ट कराया. ब्रेकफास्ट के बाद कुतिया, कुत्ते को किस करने लगी उसके मूह चाटने लगी.

कुत्ता बोला यहा नही यहा सभी देखेंगे. चलो घर के अंदर चॉक मे करते है, ये सुन के कुतिया ? अरे बाबा , मैं तुमको किस थोड़े ना कर रही हू, वो तो तुम्हरे होंठो पे गरमा गरम पॉटी लगी थी , उसी का टेस्ट ले रही थी.
ये सुन के कुते के (क्ल्प्ड) खड़े लंड पे धोका हो गया.

कुत्ते को गुस्सा आ गया. उसने गुस्से मे अपना लंड निकाला और कुतिया की चूत पे लगा के ज़ोर से धक्का मारा, जब झटके से कुत्ते का लंड कुतिया के चूत मे गया. कुतिया कयऔं कयऔं करने लगी.

उसे गाना याद आया ? मार डाला , मार डाला. उसे इतना दर्द हुआ कि अपनी चूत लेकर भाग खड़ी हुई. कुत्ता अपने हाथ मे अपने खड़े लंड को लेकर उसे भागते हुए देखता रह गया. कुत्ते ने कहा ? मा चुदा भोसड़ी. आअज भी अपने हाथ से ही काम चला लूँगा. वो वही पे मूठ मारने लगा.

कुत्ता जिस खेत मे खड़ा होके मूठ मार रहा था. उस खेत के मालिक की बेटी वाहा पहुचि. उसने कुत्ते को मूठ मारते देखा. अब सेक्स उसपे चढ़ने लगा था. उसने अपने कपड़ा उतार के वही फेक दिए. और कुत्ते के आगे अपनी चूत फैला के लेट गयी, पर कुता तो मूठ मारने मे बिज़ी था.

वो ढका धक गिनती गिने जा रहा था 75 76 77 78, जैसे उसकी गिनती पूरी हुई. वो झाड़ गया. झदाने के बाद. उसने आपनी आँख खोली तो देखा. उसके सामने एक नंगी चूत है..पर अब झाडे लंड से क्या हो सकता था. वो लड़की की चूत चाटने.

लड़की के चूत से पानी छूट गया. पर कुत्ता था कि चाते जा रहा था..इधर लड़की सेक्स के लिए तड़प रही थी. लड़की ने वही पे बेगन के पौधे से ताज़ा ताज़ा बेगन तोड़ा और अपने चूत मे घुसाने लगी.

ज़ोर ज़ोर से बैगान से चुदके के बाद जब वो झाड़ गई तो वो बैगान अपनी चोली मे छुपा लिया ताकि रात मे इसी से चुदाई करेगी. इधर कुता अपनी कुतिया के पिछे फिर चल निकला. थोड़ी दूर जाने के बाद कुत्ते ने देखा कि . उसकी
कुतिया एक नीम के पेड़ के नीचे खड़ी है.

कुतिया अपनी गंद टेडा करके अपनी जीभ से अपनी चूत चाट रही थी. ये देख के कुत्ता भाग के. पास जाके बोला,
भोसड़ी जब बर्दास्त नही होता तो चुदवा क्यू नही लेती है.कब तक कुवारी रहेगी.

अपने से चूत चाट रही है. इस्पे कुतिया बोली..साले कुत्ते के पिल्ले, चोदना आता भी है. कि चूत पे लंड रखा और पेल दिया. हमारे दुख दर्द का कुच्छ भी अहसास नही है क्या. अगर चुदाई सीखनी है तो कालू कुत्ते से सीखो. कितने प्यार से चोदता है. ये सुन के कुत्ते के तो होश उड़ गये.

सोचा मैं तो इसे कच्ची कली समझ रहा था . पर ये तो पता ना कितनो से चुदवा चुकी है. अब कुत्ते ने इसे अपनी बेज़्जती समझ के कहा- तू चल मेरे घर मैं तुझे दिखाउँगा कैसे चोदते है.

कुतिया उसके घर जाने से इनकार करने लगी. कुत्ता धीरे धीरे उसके पास गया और उसकी चूत को अपने जीभ से चाटने लगा. चाट चाट के काली चूत को उसने लाल कर दिया. अब कुटिया भी गरम हो गयी, उसने पिछे मूड के कुत्ते की गंद चटाना शुरू किया.

अब जैसे ही कुतिया ने कुत्ते का गंद चटा, कुता कूद के भागा? आबे ये क्या कर रही है मेरा गंद क्यू चाट रही है, मेरी गंद मारेगी क्या? कुतिया बोली कुच्छ नही जानू.

मुझे लेस्बियान करने की आदत है ना. मुझे भी जोश आगया जोश जोश मे मैने तुम्हारी गंद चाट ली, जैसे मैं दूसरी कुटियाओ की चूत चाटती हू. अब कुतिया उसके पास गयी और कुते के लंड को मूह मे लेके ब्लो जॉब करने लगी. जिंदगी मे पहली बार लंड चुसवाने पे कुता तो सातवे आसमान पे डोलने लगा. लगा भोकने भो भो भो. कुतिया ने इस्पे उसके लंड मे अपने दाँत गढ़ा दिया.

कुत्ते की चीख निकल गयी. वो चुप हो गया. कुतिया ने चूस चूस के उसके लंड से सारा माल निकाल दिया और उसका लंड चाते जा रही थी. कुत्ते का लंड दुबारा खड़ा हो गया. कुतिया ने कुते को ज़मीन पे लिया दिया और उसके लंड पे अपनी चूत रख के बैठ गई.

उसके बैठते .कुते का आड़ा लंड उसकी चूत मे घुस गया. कुत्ता बोला ये क्या कर रही है. कुतिया बोली, इंसान डॉगी स्टाइल मे चुदवाते है. मैं इंसान स्टाइल मे चुदवाउंगी. और वो ज़ोर ज़ोर से अप्पर नीचे करने लगी. इस्पे
उसके सिक्स बूब्स उप्पेर नीचे जंप कर रहे थे.

कुत्ता अपने हाथो से उसके बूब दबा रहा था. उसने कुट्टी बूब अपने मूह मे ले लिया. और चूसने लगा. कुत्ता, कुतिया के बूब जितना चुसता कुतिया उतनी ही स्पीड से अपने गंद को उप्पेर नीचे कर रही थी. चिल्ला जा रही थी.. आआ
चोद दे, मेरी चूत को फाड़ दे इसमे से 8 10 बच्च्चे निकाल दे?

एयेए चोद चोद. कुत्ता बोला बेहेन्चोद चोद तू मुझको रही है. तो चिल्ला क्यू रही है कि चोद चोद. कुत्ते की बाकी की आवाज़ उसके मूह मे ही रह गयी, क्यूकी कुतिया ने उसे किस करना शुरू कर दिया..वो उसे फ्रेंच क़िस्स्स करे जा रही थी करे जा रही थी.

कुत्ता बोला मैं झदाने वाला हू? कुतिया बोली झाड़ दे मेरी चूत के अंदर अपना साअरा माल झाड़ दे. मेरी सुखी चूत मे हरियाली आ जाएगी. कुत्ता उसकी चूत मे ही झाड़ गया..थोड़ी देर मे कुतिया भी जहड़ गयी.

दोनो एक दूसरे के बगले मे लेट के ज़ोर ज़ोर से हफाने लगे. अब कुत्ता कुतिया की चूत से अपना लंड निकालना चाह रहा था पर निकाल नही पा रहा था?कुतिया की चूत मे कुत्ते का लंड फस गया था. कुतिया बोली जल्दी से मेरी
चूत से अपना लंड निकालो .

अगर किसी ने देख लिया तो मैं किसी को मूह दिखाने के लायक नही रहूंगी. तभी उधर से दो लड़के गुज़रे उन्होने कुते कुतिया को फसे देखा तो उनको ज़ोर से डंडा मारा. कुत्ते का लंड बाहर निकल गया. वो अपनी गंद मे पुछ छुपा के भाग खड़ा हुआ. पर लड़को ने कुतिया को पकड़ लिया. बोले कुत्ते लड़कियो को चोदते ..आज तू मिली है आज हम तेरे को चोदन्गे तो दोस्तो इस इस तरह एक कुतिया का बलात्कार हो गयाl

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विदेशी डॉगी सेक्स और ससुर के साथ सम्भोग | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/sex-with-animal/videshi-dogi-sex-or-sasur-ke-sath-sambhog.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/sex-with-animal/videshi-dogi-sex-or-sasur-ke-sath-sambhog.html#respond Fri, 30 Sep 2016 07:55:52 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=5404 प्रेषक बबिता, मेरी उम्र छबीस वर्ष है, विवाहित हूँ, विवाह को एक वर्ष से ऊपर बीत चुका है, इस समय मैं दो माह के गर्भ से हूँ, शादी के बाद प्रथम गर्भ खुशियों भरा होता है, मगर मुझे इस गर्भ ने बड़ी उलझन में डाल दिया है, समझ नहीं पा रही हूँ की गर्भ ठहरने […]

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प्रेषक बबिता,

मेरी उम्र छबीस वर्ष है, विवाहित हूँ, विवाह को एक वर्ष से ऊपर बीत चुका है, इस समय मैं दो माह के गर्भ से हूँ, शादी के बाद प्रथम गर्भ खुशियों भरा होता है, मगर मुझे इस गर्भ ने बड़ी उलझन में डाल दिया है, समझ नहीं पा रही हूँ की गर्भ ठहरने की ख़ुशी मनाऊं या गम, निसंदेह आप यह जान कर चक्कर में पड़ गये होंगे l

मैं कोई सस्पेंस ड्रामा नहीं लिख रही हूँ, यह मेरी अपनी समस्या है जिसकी वजह से आज मैं बहुत परेशान हूँ, जब तक मैं सारी बात विस्तार नहीं नहीं लिखूंगी आप ढंग से कुछ नहीं समझ पायेंगे, मेरी ससुराल में पांच सदस्य हैं, दो मेरे सास ससुर, दो ननदें, जिनमे एक सोलह वर्ष की है दूसरी ग्यारह वर्ष की है, पांचवे मेरे पति, अब छठी मैं हूँ, इससे पहले ससूराल में एक सदस्य और था, मेरे पति का छोटा भाई जो मेरी शादी से पहले ही एक कार एक्सीडेंट में मारा गया थाl

जब मेरी शादी हुई थी सीमा (मेरी बड़ी ननद) पंद्रह वर्ष की किशोरी थी, उसके यौवन के फूल खिलने शुरू हुवे थे, मगर एक साल में ही वह काफी फुल फाल कर जवान लड़की दिखती थी, पति का कारोबार ऐसा है की उन्हें महिना महिना भर बाहर रुकना पड़ जाता है, ऐसे में मै अकेली उनको याद कर के बैचैन होती रहतीl

तीन महीने पहले पति काम के सिलसिले में सिंगापुर जा रहे थे, कोई महिना चालीस दिन का टुर था, वे मुझे भी साथ ले जाना चाहते थे मगर मैनें ही इनकार कर दिया, मेरी सास की एक बहन बम्बई में रहती है, पति को फ्लाईट बम्बई से पकड़नी थी, तब सास अपनी छोटी बेटी को लेकर मेरे पति के साथ बम्बई के लिये रवाना हो गई, यह सोच कर की उनका बेटा जाते समय उन्हें छोड़ जायेगा और आते समय भी वह उन्ही के साथ वापस आ जायेगीl

घर से तीन लोग चले गये और तीन लोग रह गये, मैं, मेरी ननद और ससुर जी, यहाँ मैं अपने ससुर जी के बारे मैं बताती चलूँ, उनकी उम्र 55 के उपर हो गई है मगर 45 साल के पुरुष की तरह दीखते हैं, देखने मैं कुछ सांवले हैं मगर पर्सनेलिटी बहुत अच्छी हैl

कभी किसी बात का गम नहीं करते सदा खुश रहते हैं, शायद यही उनकी सेहत का राज भी है, शखशियत अच्छी है तो तबियत भी रंगीन है, सबके साथ हंसी मजाक कर लेते हैं, यहाँ तक की मेरे सामने भी नहीं हिचकते, मेरे साथ इस तरह हंसी ठिठोली करते हैं जैसे मैं उनकी बहु ना होकर भाभी होऊं, बल्कि मैं ही झेंप जाती हूँ, पत्नी और बेटे के जाने के बाद वे वक्त गुजारने के लिये बाहर चले जाते थे, कभी कभी दोपहर में आ जाते और कभी शाम को ही लौटते थे,

उस दिन दोपहर को मैं ऊपर बने अपने बैडरूम में सोने के लिए चली गई, मगर जब काफी देर तक नींद नहीं आई तो मैं निचे उतर आई, इन दिनों रात में भी मैं भरपुर नींद ले रही थी तो दिन में नींद कहाँ से आ जाती, पति होते थे तो दिन में खुब सोती थी, उसकी वजह तो आप समझ ही गए होंगे, जी हाँ, वे मुझे आधी आधी रात तक जगाते जो थे, अब ऐसा नहीं था, रात भर आराम ही आराम थाl

बहरहाल मैं निचे आ गई, ननद को मैं निचे ही छोड़ कर गई थी, वह मुझे कहीं दिखाई ना दी, मैंने सोचा किसी कमरे में जाकर सो गई होगी, वह कुछ संकोची स्वभाव की थी, जब किसी बात पर मैं उसे छेड़ती तो वह शर्मा जाती थी, मुझे लगा वह अभी हर बातों से अंजान है, मगर आज मेरा यह भ्रम टूट गया, वह अंजान और भोली भाली दिखाई जरूर देती थी, मगर अन्दर से बिलकुल भुनी हुई थीl

यह मैंने आज ही जाना, तब जब मैं उसे तलाश करती करती एक कमरे से कुं-कुं तथा सिसकीयों की आवाजें सुनी, ड्राइंगरूम नुमा वह कमरा पूरी तरह बंद नहीं था, दरवाजे और दीवार के बिच थोडी सी झिरी बन रही थी, अन्दर से निकलते रहस्यमई स्वर ने मुझे होशियार कर दिया था अतः मैंने ननद को आवाज देने या दरवाजा एकदम से खोलने के बजाये दरवाजे में थोड़ी और दरार बनाई की देखूं अन्दर से ये कैसी आवाजें आ रही हैं?

अन्दर का नजारा देख मेरा मारे हैरत के बुरा हाल हो गया, कमरे के अन्दर मेरी ननद थी, मगर पुरी तरह नंगी, शरीर पर चिंदी मात्र भी कपडा नहीं था, उसके सेव आकार के नंगे उरोज, झिलमिलाती जांघें और गुदाज कुल्हे मेरी आँखों के सामने कामुकता बिखेर रहे थे, वह भी कोई चौंकने की बात नहीं थी, मगर अन्दर मेरी ननद के साथ हमारा वह विदेशी नस्ल का कुत्ता भी था जिसे पति विदेश से लेकर आये थेl

लंबे लंबे बालों वाला वह ऊँचा कुत्ता ननद के सामने खड़ा उसकी जाँघों के बिच में मुंह दिये अपनी लंबी जीभ से चपड़ चपड़ उसकी योनी चाट रहा था, साथ ही वह कूं- कूं करके दुम भी हिला रहा था, और ननद अपनी जांघें फैलाये योनी चटवाती जोर जोर से अपने उरोज मसल रही थी, उसके चहरे पर बला की कामुकता झलक रही थीl

वह सी सी करके अपने उरोज बुरी तरह रगड़ती जा रही थी, जैसे उरोजों के साथ उसकी खानदानी दुश्मनी चली आ रही हो, और वह विदेशी कुत्ता हिन्दुस्तानी योनी को ऐसे चाट रहा था जैसे रसमलाई खा रहा हो, लग रहा था वह योनी चाटने में बड़ा एक्सपर्ट है, यह सब देख मेरे शरीर में सनसनी दौड़ गईl

तभी ननद ने अपनी टांगें सिकोड़ी उरोज मसलना रोक कर वह झुकी, कुत्ते ने बैचैनी से कूं-कूं करके योनी की ओर देखा, उसकी योनी एकदम चिकनी थी जो कुत्ते की खुरदुरी जीभ से चाटने की वजह से ऐसे लाल हो रही थी जैसे की उसके शरीर का सारा खून वहीँ सिमट आया हो, वही हाल उरोजों का भी थाl

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मेरी चुदाई के मजेदार किस्से-12 | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/group-sex/meri-chudai-ke-majedar-kisse-12.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/group-sex/meri-chudai-ke-majedar-kisse-12.html#respond Tue, 19 Jul 2016 16:01:32 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=3843 मेरी चुदाई के मजेदार किस्से-11 हेल्लो मेरे प्यारे देवरों और भाभियों मै आज अपनी कहानी की आखिरी कड़ी लिख रही हूँ | पिछली कहानी में अब तक आप लोगो ने जो पढ़ा उसके आगे …  शेरू काफी जोश में मेरी चूत चाटने लगा। उसकी ज़ुबान मेरी रसीली-भीगी चूत में घुसते हुए उसमें से निकलता हुआ […]

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मेरी चुदाई के मजेदार किस्से-11

हेल्लो मेरे प्यारे देवरों और भाभियों मै आज अपनी कहानी की आखिरी कड़ी लिख रही हूँ | पिछली कहानी में अब तक आप लोगो ने जो पढ़ा उसके आगे …  शेरू काफी जोश में मेरी चूत चाटने लगा। उसकी ज़ुबान मेरी रसीली-भीगी चूत में घुसते हुए उसमें से निकलता हुआ रस चाट रही थी। मैं आँखें बंद करके मस्ती में ज़ोर-ज़ोर से चींखने लगी। राजीव, संदीप, नसरिमा आँटी और आबिया सभी से चूत चटवाने में मुझे बेहद मज़ा आता था लेकिन शेरू की ज़ुबान की बात ही अलग थी। अपनी चूत और क्लिट पर उस जानवर की लंबी-खुर्दरी भीगी ज़ुबान की चटाई से मेरा जिस्म बेपनाह मस्ती में भर कर बुरी तरह थरथरा रहा था। उसकी ज़ुबान मेरी चूत में इतनी अंदर तक जा रही थी जहाँ तक किसी इंसान की ज़ुबान का पहुँच पाना मुमकिन नहीं था। एक तरह से वो अपनी ज़ुबान से मेरी चूत चाटने के साथ-साथ चोद भी रहा। मैंने ज़ोर-ज़ोर से कराहते हुए मस्ती में अपने घुटने मोड़ कर बिस्तर में अपने सैंडल गड़ाते हुए अपने चूतड़ ऊपर उठा दिये और अपनी चूत उसके थूथने पर ठेल दी। उसकी ज़ुबान मेरी चूत में अंदर तक घुस कर फैलती और फिर बाहर फिसल कर मेरी धधकती क्लिट पर दौड़ती। आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | मेरे जिस्म में इस कदर मस्ती भरी लहरें दौड़ रही थीं कि मुझसे अब और बर्दाश्त नहीं हो रहा था और मेरी चूत पिघल कर पानी छोड़ने लगी। बिस्तर की चादर अपनी मुठ्ठियों में कस कर जकड़ते हुए मैं मस्ती में बेहद ज़ोर से चींखी, “आआआहहह आँटी ईईईई… मेरी चूत… झड़ीईईई… हाय अल्लाह…. ऑय…ऑय एम कमिंग…!” मेरी चूत से बे-इंतेहा पानी निकलाने लगा जिसे शेरू ने अपनी ज़ुबान से जल्दी-जल्दी चाटने लगा। ऐसा लग रहा था जैसे कि मेरा पेशाब निकल गया हो। इस कदर गज़ब का ऑर्गैज़म था कि बेहोशी सी छा गयी और मैं आँखें बंद करके हाँफने लगी। शेरू अभी भी मेरी चूत चाटते हुए मेरे पनी के आखिरी कतरे पी रहा था। नसरिमा आँटी उसे पुचकारते हुए बोलीं, “बस.. बस… इतना काफी है… डार्लिंग!” और शेरू को अपनी तरफ़ खींचकर उसे सहलाने लगी। आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | बेहतरीन ऑर्गैज़म के लुत्फ़ का एहसास करते हुए मैं चार-पाँच मिनट तक आँखें बंद किये लेटी रही। मुझे बेहद तसल्लुत महसूस हो रही थी। जब मैंने आँखें खोलीं तो देखा कि नसरिमा आँटी घुटनों पे बैठी शेरू का लाल गाजर जैसा लंड प्यार से सहला रही थीं। करीब सात-आठ इंच लंबा और मोटा सा नोकीला लंड सख्त होकर फड़क रहा था जिसे देख कर मेरे चेहरे की सुकून भरी मुस्कुराहट हैरत में तब्दील हो गयी। आँटी ने मुझे सेहर-ज़दा नज़रों से शेरू के लंड को घूरते हुए देखा तो बोलीं, “है ना लाजवाब? पास आकर इसे हाथ में महसूस करके देखो!” मैं खुद को रोक नहीं सकी और शोखी से मुस्कुराते हुए उठ कर घुटने मोड़ कर बैठ गयी और अपना एक हाथ शेरू के पेट के नीचे ले जा कर उसके सख्त और लरज़ते हुए गरम लंड को सहलाने लगी। उसके लंड को आगे से पीछे तक सहलाते हुए उसके लंड की फूली हुई नसें मुझे अपने हाथ में धड़कती हुई महसूस हो रही थीं। शेरू के लंड से लगातार चिकना और पतला-सा रस चू रहा था। मोटी गाजर जैसा उसका लंड मेरे हाथ में धड़कता हुआ और ज्यादा फूलने लगा और उसकी दरार में से सफ़ेद झाग जैसा रस और ज्यादा चूने लगा और मेरा हाथ और उंगलियाँ उस चिकने रस से सन गयीं। इतने में नसरिमा आँटी उसके टट्टों की फुली हुई एक हाथ में पकड़ कर मुझे दिखाते हुए बोलीं, “देखो ये किस कदर लज़ीज़ मनि से भरे हुए हैं…।“ और अपने होंथों पर ज़ुबान फिराने लगीं।
फिर अचानक नीचे झुक कर आँटी उसके रस से सने हुए लंड पर जीभ फिराने लगीं और उसका रिसता हुआ लंड अपने मुँह में भर कर चूसना शुरू कर दिया। शेरू मस्ती से रिरियाने लगा। आँटी को शेरू का लंड चूसते देख मेरे मुँह में भी पानी भरने लगा। बेसाख्ता मैं अपना हाथ अपने होंठ और नाक के करीब ले गयी तो शेरू के लंड के चिकने रस की तेज़ खुशबू मेरी साँसों में समा गयी और मैं शेरू के लंड के रस से सनी अपनी उँगलियों मुँह में लेकर चाटते हुए उसका ज़ायका लेने लगी। मुझे राजीव और संदीप की मनि बेहद पसंद थी लेकिन शेरू के इस रस का ज़ायका थोड़ा अलग था लेकिन था बेहद लज़्ज़तदार। शेरू का लंड अपने मुँह से निकालकर चटखारा लेते हुए आँटी भी बोलीं, “ऊँऊँ यम्मी… तुम भी चूस के देखो… बेहद लाजवाब और अडिक्टिव ज़ायका है इसका… मेरा तो इससे दिल ही नहीं भरता!” आँटी की बात पूरी होने से पहले ही मैं झुक कर अपनी ज़ुबान शेरू के लंड की रिसती हुई नोक पर फिराने लगी। मैंने अपनी ज़ुबान पर उसके लंड से रिसता हुआ रस अपने मुँह में लेकर घुमाते हुए उसका ज़ायका लिया और फिर अपने हलक़ में उतार लिया। अपनी इस बेरहरावी पे मस्ती में मेरी सिसकी निकल गयी। मैं फिर उसके कुत्ते के गरम लंड पे अपनी ज़ुबान घुमा-घुमा कर लपेटते हुए चुप्पे लगाने लगी और उसमें से चिकना ज़ायेकेदार रस लगातार मेरी ज़ुबान पे रिस रहा था। आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | फिर मैंने उसके लंड की नोक को चूमते हुए उसका लंड अपने मुँह में ले लिया और मस्ती में अंदर-बाहर करते हुए उसे चूसने लगी। मुझे बेहद मज़ा आ रहा था और शेरू भी रिरियाने लगा और झटके मारने लगा लेकिन नसरिमा आँटी ने उसे पकड़ रखा था और उसे पुचकार भी रही थीं। मैं अपने हलक तक उसका लंड ले-ले कर चूसते हुए उसके चिकने रस का मज़ा ले रही थी और अब उसकी मनि के इखराज़ होने की मुंतज़िर थी। थोड़ी ही देर में शेरू का रिरियाना तेज़ हो गया और उसका लंड मेरे मुँह में और भी फूल गया। मेरे होठों के बाहर उसके लंड की जड़ गेंद की तरह फूल गयी और अचानक मेरा मुँह उसकी गाढ़ी चिपचिपी मनि से भर गया। मैं उसकी बेशकीमती मनि गटक-गटक कर पीते हुए अपने मुँह में जगह बना रही थी और शेरू फिर मेरा मुँह भर देता था। कुत्ते के लंड और टट्टों में से उसकी मनी चूस-चूस कर पीते हुए मैं बेहद मस्ती और मदहोशी के आलम में थी। शेरू के लंड की मनि मेरे होंठों के किनारों से बाहर बहने लगी लेकिन मैंने उसके लंड को अपने मुँह में चूसना ज़ारी रखा। मनि का आखिरी कतरा इखराज़ होने के बाद भी मैं उसके लंड को कुछ देर तक चूसती रही।
जब मैंने शेरू का लंड अपने मुँह से रिहा किया तो अचानक नसरिमा आँटी ने मेरे होंठों पे अपने होंठ रख दिये और मेरे मुँह में जीभ डालकर अपने कुत्ते की मनि का ज़ायका लेने लगीं। मैं तो पहले ही बेहद गरम थी और नसरिमा आँटी से कस कर चिपक गयी और हम दोनों किसिंग करते हुए फिर से आपस में गुथमगुथा होकर एक-दूसरे को सहलाने लगीं। करीब पाँच मिनट तक हमारी ज़बरदस्त स्मूचिंग ज़ारी रही। फिर मैं आँटी से बोली, “मज़ा आ गया आँटी शेरू का लंड चूस कर… लेकिन आपने पहले कभी इस बात का ज़िक्र क्यों नहीं किया…. मुझे इतने दिन इस नायाब तजुर्बे से महरूम रखा आपने?”
आँटी मुस्कुराते हुए बोलीं, “इस तरह के मामलों में काफी एहतियात बरतनी पड़ती है… और सिर्फ़ तुम ही हो जिसे मैंने अपने इस हसीन राज़ में शरीक़ किया है… लेकिन अभी तुमने असली मज़ा लिया ही कहाँ है… शेरू का लंड चूत में नहीं लोगी क्या?”
“लूँगी क्यों नहीं… मेरी चूत तो बेकरार है शेरू के लंड से चुदने के लिये… लेकिन शेरू तो जस्ट अभी-अभी फारिग हुआ है…!” मैं तड़पते हुए बोली। शेरू बिस्तर से उतरकर नीचे बेड के करीब खड़ा हमारी तरफ़ देखते हुए पूँछ हिला रहा था। आँटी बोलीं, “अरे खूब स्टैमिना है मेरे शेरू में… लगातार चार-पाँच दफ़ा फारिग होकर चुदाई करने की ताकत है इसके अमेज़िंग लंड में।“ मैंने आँटी से कहा कि पहले मैं जल्दी से पेशाब कर के आती हूँ और उठ कर अटैच्ड बाथरूम में चली गयी। नशे की खुमारी की वजह से हाई पेन्सिल हील की सैंडल में चलते हुए मेरे कदम ज़रा लड़खड़ा रहे थे। जब मैं पेशाब करके वापस आयी तो नसरिमा आँटी शेरू का लाल लंड सहला रही थीं जो फूल कर चोदने के लिये तैयार था। आँटी बोलीं, “चलो घुटने मोड़ कर कुत्तिया की तरह झुक कर अपनी ज़िंदगी की सबसे थ्रिलिंग चुदाई के लिये तैयार हो जाओ!” मैं फौरन बेड पे कुत्तिया की तरह झुक गयी। “गुड…. लेकिन अपनी टाँगें थोड़ी चौड़ी फैलाओ… थोड़ी सी और चौड़ी…!” आँटी बोलीं तो मैंने अपनी टाँगें चौड़ी फैला दीं और अपना चेहरा तकिये पे टिका लिया। शेरू से चुदने की बेकरारी में मेरे पूरे जिस्म में मस्ती भरी लहरें दौड़ रही थीं और मेरी चूत में तो जैसे शोले दहक रहे थे।
अपनी गाँड ऊँची उठाये और थरथराती रानें चौड़ी फैलाये हुए मैंने तकिये पे गाल टिका कर अपनी गर्दन मोड़ कर पीछे देखा तो शेरू अपना जबड़ा खोले खड़ा था और उसके कान सीधे खड़े थे। उसकी पिंक ज़ुबान बाहर लटकी हुई थी। नसरिमा आँटी ने मेरे चूतड़ों को सहलाते हुए उन्हें फैलाया और भर्रायी आवाज़ में अपने कुत्ते से बोलीं, “शेरू बेबी! देखो कितनी हसीन गाँड है…!” और फिर खुद ही मेरी गाँड के छेद पर अपनी ज़ुबान फिराने लगीं। मेरे पूरे जिस्म में सनसनी फैल गयी और मैं सिसकने लगी। शेरू भी मेरे सैंडल और पैर चाटने लगा और फिर मेरी रानों पे अपनी ज़ुबान फिराने लगा और अचानक भोंकते हुए रिरियाया तो नसरिमा आँटी हंसते हुए बोली, “ओके बाबा… ले तू चाट ले… तेरी बारी… गो अहेड!” मुझे अपने चूतड़ों पे शेरू की गरम साँसें महसूस हुईं और फिर उसकी लंबी ज़ुबान मेरे चूतड़ों की दरार के बीच में घुस कर चाटने लगी। नसरिमा आँटी ने मेरे चूतड़ पकड़ कर चौड़े फैलाये हुए थे। शेरू की गरम भीगी ज़ुबान मेरी गाँड से चूत और फिर क्लिट तक ज़ोर-ज़ोर से चाटने लगी। मुझसे इतनी मस्ती बर्दाश्त नहीं हो रही थी। मैंने सिसकते हुए आँटी से कहा, “ऊँऊँहहह प्लीज़ आँटी… अब जल्दी से इसके लंड से चुदवा दो ना… आँआँहह… नहीं तो मैं फिर ऐसे ही झड़ जाऊँगी। इस कहानी का शीर्षक मेरी चुदाई के मजेदार किस्से है | फिर मुझे अपने चूतड़ों पे शेरू का भारी जिस्म महसूस हुआ और उसके अगले पैर मेरी कमर को जकड़े हुए थे और वो अपनी पिछली टाँगों पर खड़ा था। या अल्लाह! अब वो जानवार मुझे अपनी कुत्तिया बना कर चोदने के लिये मेरे ऊपर सवार हो रहा था और… और नसरिमा आँटी भी उसे उकसा रही थीं। “वेरी गुड शेरू डार्लिंग…! वैसे ही मज़े से चोदना जैसे तू मुझे चोदता है…!” आँटी शेरू से कह रही थीं और फिर मुझसे मुखातिब होकर बोलीं, “तुम भी घबराना नहीं डियर! बेइंतेहा मज़ा आयेगा तुम्हें!” फिर मुझे अपनी गरम चूत पे शेरू के लंड की ठोकर महसूस हुई तो मस्ती में मेरे मुँह से ज़ोर से सिसकी निकल गयी। फिर मुझे उसके ताकतवर मज़बूत जिस्म का धक्का अपने चूतड़ों पे महसूस हुआ और उसका हड्डी वाले लंड ने मेरी चूत पे जोर से ठोकरें मारी। मेरी सुलगती चूत में अपना फड़कता हुआ गाजर जैसा लाल मोटा लंड घुसाने की कोशीश करते हुए बेकरारी से वो ज़ोर से रिरियाया और मेरे चूतड़ों पर झटके मारते हुए उसने मेरी कमर पे अपनी अगली टाँगें और ज्यादा ज़ोर से कस दीं। मैं भी उसका लंड लेने की बेकरारी में अपनी गाँड गोल-गोल घुमाने लगी। मेरी साँसें भी ज़ोर से चल रही थीं और दिल भी खूब ज़ोर से धड़क रहा था। शेरू के लंड से चुदने की तड़प अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रही थी। आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | मेरी हालत देख कर नसरिमा आँटी बोलीं, “उसकी हेल्प करो! गो ऑन… उसका लंड पकड़ के अपनी चूत में डालो…!” मेरे मुँह से लगातार हल्की-हल्की ‘ऊँह ऊँह’ निकल रही थी। मैंने एक हाथ पीछे अपनी रानों के दरमियान ले जा कर शेरू का सख्त चिकना लंड पकड़ कर अपनी चूत पे दबाते हुए उसे अंदर का रास्ता दिखाया। खुद-ब-खुद शेरू ने फ़ितरती तौर पे आगे धक्का मारा और उसका लंड ज़ोर से मेरी तड़पती मेरी भीगी चूत को बेहद चौड़ा फैला कर बड़ी बेरहमी से चीरते हुए अंदर गहरायी तक घुस गया। “ऊँह ऊँह ऊँह ऊऊऊहहह अल्लाहहह!” शेरू के लगातार झटकों से उसका लंड अपनी चूत में ठंसाठंस भरा हुआ महसूस करके मैं मस्ती में सिसकने लगी। उसका फूला हुआ लाल लंड पुरा का पूरा मेरी फैली हुई चूत में घुस कर बुरी तरह से चोद रहा था। मनि से लबालब भरे हुए टट्टे ज़ोर-ज़ोर से झूलते हुए मेरी चूत पर थपेड़े मार रहे थे। शेरू का लंड मेरी चूत में ज़ोर-ज़ोर से चोदते हुए और ज्यादा फूलता जा रहा था और मेरी चूत की दीवारों को फैलाते हुए खूब प्रेशर डाल रहा था। “ओह… ओंह… ओह मेरे खुदा… आँह.. ओंह…!” मेरे हलक़ से ज़ोर-ज़ोर से सिसकियाँ निकल कर मेरे आधे खुले होंठों से छूट रही थीं और मैं आँखें फाड़े साईड में ड्रेसिंग टेबल के आइने में शेरू को पीछे से अपनी चूत में ज़ोर-ज़ोर से चोदते हुए देख रही थी। आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | शेरू के ज़ोरदार धक्कों से सिर तकिये पे ज़ोर-ज़ोर से रगड़ रहा था। मैं भी अपनी गाँड पीछे ठेल-ठेल कर शेरू के बेरहम धक्कों का जवाब देने लगी। मैं अपनी दहकती चूत में शेरू के लंड की बेरहम चुदाई से मैं इतनी मस्त और मदहोश हो गयी थी कि उस वक़्त मुझे नसरिमा आँटी की मौजूदगी का एहसास भी नहीं था। इस दरमियान मैं दो दफ़ा चींखते हुए बेहद ज़बर्दस्त तरीके से झड़ी लेकिन शेरू ने पुर-जोश चोदना ज़ारी रखा। मेरी साँसें तेज़-तेज़ चल रही थीं और मेरी कराहें और मस्ती भरी चींखें पूरे कमरे में गूँज रही थीं। शेरू का लंड शुरू से मेरी चूत में गरम-गरम रस छोड़ रहा था जिससे मेरी चूत की आग और ज्यादा भड़क रही थी। फिर मैंने महसूस किया कि कुछ देर से शेरू के लंड की जड़ की फूली हुई गाँठ बहुत ज़ोर से मेरी चूत पे टकरा रही है और शेरू ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारते हुए उसे मेरी चूत में ठूँसने के लिये बड़ी शिद्दत से कोशिश कर रहा था। शेरू के लंड की टेनिस बॉल जैसी गाँठ अपनी चूत में लेने के ख्याल से मेरे जिस्म में मस्ती की लहरें सनसनाने लगीं। आँटी ने भी ज़िक्र किया था कि कुत्ते के लंड की गाँठ चूत में लेने में बेहद मज़ा आता है। कुछ ज़बरदस्त धक्के मारने के बाद आखिरकार शेरू कि कोशिश कामयाब हुई और मेरी चूत की दीवारें उसकी फूली गाँठ को अंदर लेने के लिये फैल गयीं। “आआआईईईई अल्लाहहह…. मेरी चूत… आँटीईईई…. ऊँऊँईईईई”, मैं दर्द ओर मस्ती में बड़ी ज़ोर से चींखी। आँटी प्यार से मेरी कमर और चूतड़ सहलाने लगीं।
अपने लंड का सबसे मोटा हिस्सा मेरी चूत में ठूँस कर फंसाने के बाद शेरू नये जोश के साथ चोदने लगा। उसकी गेंद जैसी गाँठ ने मेरी चूत को बेहद चौड़ा फैला रखा था और मेरी चूत भी उसके ऊपर कसके जकड़ी हुई थी। अब चोदते हुए उसका लंड मेरी चूत से बाहर नहीं आ रहा था और अंदर फंसा हुआ ही फूल-फूल के चूत में धड़कते और कूदते हुए चुदाई कर रहा था। ये चुदाई ट्रडिश्‍नल चुदाई से अलग थी लेकिन बेहद ज़बरदस्त और निहायत मज़ेदार थी। करीब पंद्रह मिनट शेरू मुझे इसी तरह चोदते हुए मेरी चूत में लगातार मनि छोड़ता रहा और मैं लगातार ज़ोर-ज़ोर से कराह रही थी, सुबक रही थी, सिसक रही थी और जब मेरी चूत पानी छोड़ती तो ज़ोर-ज़ोर से चींख भी रही थी। मेरी चूत तो बार-बार झड़-झड़ के निहाल हो गयी थी। ये मेरी ज़िंदगी की सबसे निहायत और बेहतरीन चुदाई थी।
शेरू के झटके अचानक पहले से तेज़ हो गये। हालाँकि उसकी मनी शुरू से ही मेरी चूत में इखराज़ हो रही थी लेकिन शेरू एक तरह से अब झड़ने वाला था। मेरी चूत उसका लंड और उसकी गाँठ बे-इंतेहा फूल गये और फिर अचानक शेरू ने हिलना बंद कर दिया। उसका लंड बेहद ज़ोर से मेरी चूत में फड़कने लगा और मुझे उसकी मनी का इखराज़ भी पहले से ज्यादा तेज़ होता हुआ महसूस हुआ और मेरी चूत ने भी एक दफ़ा फिर से पानी छोड़ दिया। शेरू ढीला होकर दो-तीन मिनट मेरी कमर पे ही रहा और फिर आँटी ने उसे मेरी कमर से उतारा तो भी उसके लंड की गाँठ मेरी चूत में ही फंसी थी। आँटी ने मेरी तसल्ली की कि ये नॉर्मल है और पाँच दस मिनट में शेरू के लंड की गाँठ सिकुड़ने के बाद उसका लंड मेरी चूत में से आज़ाद हो जायेगा। वैसे मुझे भी शेरू से कुत्तिया की तरह चिपके हुए मज़ा ही आ रहा था। उसके लंड और फूली हुई गाँठ की लरज़िश और प्रेशर मुझे अपनी चूत में बेहद अच्छा लग रहा था। थोड़ी देर बाद शेरू का लंड सिकुड़ मेरी चूत से रिहा हो गया और मैं और आँटी एक-दूसरे के आगोश में चिपक कर सो गये।
उस दिन के बाद तो मैं शेरू की दीवानी हो गयी और रोज़-रोज़ शाम को आँटी के घर जाकर शेरू से चुदवाती हूँ। राजीव और संदीप के साथ भी पहले की तरह ही चुदाई का खूब मज़ा लेती ही हूँ लेकिन शेरू से चुदवाये बगैर मुझे चैन नहीं आता। मैंने तो अब खुद शेरू जैसा बड़ी नस्ल वाला कुत्ता पालने का फैसला कर लिया है और फहीम को भी इसके लिये राज़ी कर लिया है। इसके अलावा मुझे इस बात का भी शक़ है कि मेरे और राजीव के रिलेशन के ज़ानिब फहीम को शायद पता चल चुका है पर वो खामोश है। आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | फहीम हमें एक दूसरे के साथ रहने का ज़्यादा से ज़्यादा मौका देता रहता है। बेचारा कर भी क्या सकता है। उसको तो बस आग लगाना ही आता है जिसे बुझाने के लिये मुझे राजीव, संदीप और शेरू के लंड की ज़रूरत पडती है। राजीव न्यू-यॉर्क के ट्रेवलिंग प्लैन में लगा हुआ है। मेरा पासपोर्ट भी आने वाला है और दो महीने के बाद मैं राजीव के साथ एक महीने के लिये न्यू-यॉर्क चली जाऊँगी। उधर संदीप ने एक बड़े फैशन-शो में उसके कपड़ों के लिये मुझे मॉडलिंग करने की ऑफर दी है। मैंने जब अशफ़ाक़ से इस बारे में बात की तो इसके लिये भी खुशी-खुशी रज़ामंद हो गया। फैशन शो अगले ही महीने है और आजकल रिहर्सल और तैयारी के बहाने मैं संदीप से भी हर रोज़ चुदवाने जाती हूँ।

समाप्त |

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मेरी चुदाई के मजेदार किस्से-11 | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/group-sex/meri-chudai-ke-majedar-kisse-11.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/group-sex/meri-chudai-ke-majedar-kisse-11.html#respond Mon, 18 Jul 2016 06:01:13 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=3842 मेरी चुदाई के मजेदार किस्से-10 गतांग से आगे …. हम दोनों झड़ चुके थे और दोनों के जूस निकल चुके थे और दोनों गहरी-गहरी साँसें ले रहे थे। उसका लंड मेरे मुँह में ही था और उसका मुँह मेरी चूत पे। अब उसका लंड मेरे मुँह में थोड़ा-थोड़ा नरम हो गया था पर उसके यंग […]

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मेरी चुदाई के मजेदार किस्से-10

गतांग से आगे …. हम दोनों झड़ चुके थे और दोनों के जूस निकल चुके थे और दोनों गहरी-गहरी साँसें ले रहे थे। उसका लंड मेरे मुँह में ही था और उसका मुँह मेरी चूत पे। अब उसका लंड मेरे मुँह में थोड़ा-थोड़ा नरम हो गया था पर उसके यंग लंड में अभी भी सख्ती थी। थोड़ी ही देर के बाद मैंने उसको अपने ऊपर से हटा दिया और वो नीचे मेरी बगल में लेट गया। हम दोनों करवट से लेटे थे और अभी भी मेरा मुँह उसके लंड के सामने था और मेरी चूत उसके मुँह के सामने। मैंने उसके लंड से खेलना शुरू कर दिया और उसने मेरी चूत में उंगली डाल के फिर से क्लीटोरिस को मसलना शुरू कर दिया। उसका लंड एक ही मिनट के अंदर फिर से कुतुब मिनार जैसे खड़ा हो गया तो मैंने उसको सीधा लिटाया और उसके ऊपर चढ़ गयी और उसके मूसल लंड को पकड़ के अपनी चूत के छेद पर एडजस्ट करके बैठने लगी। गीला लंड धीरे-धीरे गीली चूत के अंदर घुसने लगा। उसका मूसल जैसा लंड मेरी चूत में घुसता हुआ बेइंतेहा मज़ा दे रहा था। मैं पूरी तरह से उसके लंड पे बैठ गयी और उसका लंड जड़ तक मेरी चूत में घुस चुका था। मेरे मुँह से मस्ती की सिसकियाँ निकल रही थी। अब मैंने उसके लंड पे उछालना शुरू कर दिया जिससे मेरी चूचियाँ उसके मुँह के सामने डाँस कर रही थी। मैं उसके लंड पे ऐसे सवार थी जैसे घुड़सवार हॉर्स रेस के वक्त घोड़े पे सवर होता है। उसने मेरी चूचियों को पकड़ के मुझे अपनी तरफ़ झुकाया और चूसने लगा। अभी हम मस्ती में चुदाई कर रहे थे कि रूम में जलती मोमबत्ती खतम हो गयी थी और कमरे में एक दम से अंधेरा हो गया था। पर हमारा ध्यान तो चुदाई में था। मैं उछल-उछल के उसके लंड पे बैठ रही थी और उसका लंड मेरी चूत के बहुत अंदर तक घुस रहा था।
चुदाई फ़ुल स्पीड से चल रही थी। मैं उछल-उछल कर उसके कुतुब मिनार जैसे लंड पे अपनी चूत मार रही थी। उसके घुटने मुड़े हुए थे और मेरे चूतड़ उसकी जाँघों से लग रहे थे। मेरे बाल सैक्सी स्टाईल में उड़-उड़ क्र मेरे मुँह के सामने आ रहे थे। मैं ज़ोर-ज़ोर से उछल रही थी। मेरे उछलने से कभी तो पूरा लंड चूत के बाहर तक निकल जाता और जब मैं ज़ोर से उसके लंड पे बैठती तो उसका लोहे जैसा लंड गचाक से मेरी चूत में घुस कर मेरी बच्चे दानी से टकराता तो मेरे जिस्म में बिजली सी दौड़ जाती और मैं काँपने लगती। फिर अचानक ऐसे हुआ कि मैं जब उछल रही थी तो उसका पूरा लंड मेरी चूत के बाहर निकल गया और जब मैं ज़ोर से उसके लंड पे बैठी तो उसका लंड थोड़ा सा अपनी पोज़िशन से हिल गया और उसका मूसल लंड मेरी चूत में घुसने की बजाये मेरी गाँड में घुस गया। मेरी गाँड के छेद को पता ही नहीं था कि रॉकेट लंड मेरी गाँड में घुसेगा। इसलिये गाँड के मसल रिलैक्स नहीं थे और एक दम से पूरा का पूरा लंड मेरी टाइट गाँड मैं घुसते ही मेरी चींख निकल गयी, “ऊऊऊऊऊऊईईईईईईईई अल्लाहहह…आंआंआंआंआं”, पर अब क्या हो सकता था, लंड तो गाँड में घुस ही चुका था। मैं थोड़ी देर ऐसे ही उसके लंड को अपनी गाँड में रखे रही और जब मेरी गाँड उसके लंड को अपने अंदर एडजस्ट कर चुकी तो मैं उछल- उछल के अपनी गाँड मरवाने लगी। अब उसका लंड मेरी गाँड में आसानी से घुस रहा था। वो फ़ुल स्पीड से मेरी टाइट गाँड मार रहा था। बीच-बीच में मैं रुक कर अपनी चूत को उसके नाफ़ के हिस्से से रगड़ती थी। मैं फिर से झड़ने लगी और उसका लंड भी मेरी गाँड के अंदर फूलने लगा और संदीप ने अपनी गाँड उठा कर अपना मूसल लंड मेरी गाँड में पूरा अंदर तक घुसा दिया। फिर उसने भी अपनी क्रीम मेरी गाँड के अंदर ही निकाल दी। मैं भी झड़ चुकी थी और मदहोश हो कर उसके जिस्म पर गिर पड़ी। हम दोनों एक दूसरे से लिपट गये और पता नहीं कब हमारी आँख लग गयी और हम एक दूसरे से लिपटे हुए नंगे ही सो गये। इतनी ज़बरदस्त तस्कीन बक़्श चुदाई के बाद नींद भी बहुत मस्त आयी। सुबह मेरे सारे जिस्म में मीठा-मीठा सा दर्द हो रहा था। बार-बार अंगड़ायी लेने का दिल कर रहा था और चुदाई का सोच सोच कर खुद-ब-खुद ही मुँह पे मुस्कुराहट आ रही थी। आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | मैं सुबह जल्दी ही उठ गयी और देखा तो संदीप के उठने से पहले ही उसका लंड उठ चुका था। उसका मोर्निंग इरेक्शन देख कर मैं मुस्कुरा दी और उसके हिलते हुए लंड को अपने हाथ में पकड़ के पूछा, “क्या ये अभी भी भूखा है? सारी रात तो चोदता रहा मुझे और अब फिर से अकड़ गया….” तो वो आँखें बंद किये हुए मुस्कुराया और बोला कि “ऐसी प्यारी चूत मिले तो ये रात दिन खड़ा ही रहे” और फिर हम दोनों हँसने लगे।
दोनों नंगे ही थे और उसने मुझे अपने ऊपर खींच लिया और एक बार फिर से मुझे चोद डाला। सुबह की पहली चुदाई में भी एक अजीब बात होती है, जल्दी कोई भी नहीं झड़ता। ये चुदाई भी काफ़ी देर तक चलती रही। उसका लोहे के मूसल जैसा लंड मेरी चूत को चोद-चोद कर भोंसड़ा बनाता रहा और तकरीबन आधे घंटे की फर्स्ट-क्लास चुदाई के बाद हम दोनों झड़ गये और कुछ देर तक ऐसे ही नंगे एक दूसरे से लिपट कर लेटे रह और एक दूसरे को किस करते रहे। कभी वो चूचियों को चूसता रहा और कभी मैं उसके लंड को ऐसे दबाती रही जैसे मुझे और चुदाई करनी है और लंड पकड़ के सिसकारियाँ भरती रही।
जल्दी ही मेरी चूत में लगी क्रीम सूख गयी और फिर थोड़ी देर के बाद हम दोनों उठ गये। वहाँ उसके पास शॉवर लेने की कोई जगह तो थी नहीं, बस मैंने वैसे ही अपने कपड़े पहन लिये और अभी मैं अंदर ही बैठी रही। बाहर से रोशनी अंदर आ रही थी। इस कहानी का शीर्षक मेरी चुदाई के मजेदार किस्से है | मेरे घर में भी कोई नहीं था तो मुझे कोई प्रॉबलम नहीं थी कि रात कहाँ सोयी थी। रात भर तेज़ बारिश हो रही थी, इसलिये बिजली और टेलीफोन के तार लूज़ हो गये थे। ना बिजली थी और ना टेलीफोन के कनेक्शन। आज छुट्टी होने की वजह से उसकी दुकान भी बंद थी और उसके पास कोई वर्कर भी नहीं आने वाले थे। इसलिए हमें कोई मुश्किल नहीं हुई। सुबह के करीब दस बजे के करीब उसने दुकान का शटर आधा उठा दिया और मैं अभी भी अंदर के रूम में ही बैठी थी। बाहर अभी भी थोड़ी-थोड़ी बारिश हो रही थी। थोड़ी देर के बाद वो करीब के होटल से कुछ नाश्ता पैक करवा के ले आया और चाय भी। हम दोनों ने नाश्ता किया और चाय पी कर थोड़ी देर अंदर ही बैठे रहे। उसने मुझे बहुत किस किया और मेरी चूचियों को दबाता ही रहा। मुझे लगा कि मेरी चूत फिर से गीली होनी शुरू हो गयी है और वो अब फिर से फ़ुल चुदाई के मूड में आ गया है पर उसने चोदा नहीं। शायद ये सोचा होगा कि फिर कभी मौके से चुदाई करेगा। आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | जब देखा मार्केट की कुछ दुकानें खुल चुकी हैं तो मैं पहले तो दुकान के बाहर काऊँटर पे आ कर क ऐसे खड़ी हो गयी जैसे कोई कस्टमर खड़ा होता है। संदीप ने कपड़े एक हफते के बाद देने का वादा किया और कुछ देर के बाद मैं अपने घर को चली गयी। घर जा कर पहले तो गरम पानी का शॉवर लिया। फिर गरम-गरम चाय पी और बेड में लेट के रात की चुदाई के बारे में सोचने लगी जिससे मेरे चेहरे पे खुद-ब-खुद मुस्कुराहट आ गयी और मेरा हाथ खुद-ब-खुद मेरी चूत पे आ गया और मैं चूत का मसाज करने लगी। थोड़ी देर के बाद मैं झड़ गयी और गहरी नींद सो गयी।  अब तो ज़िंदगी बेहद हसीन हो गयी थी। वैसे मैं इस कदर हवस-परस्त (सेक्स-ऐडिक्ट) हो चुकी थी कि मेरी चुदाई की तलब मिटती ही नहीं थी। हर वक़्त ‘ये चूत माँगे मोर’ वाली बात थी। खुदा के फ़ज़ल से चुदाने के लिये अब तो दो-दो मस्त लौड़ों का इंतज़ाम था और लेस्बियन सेक्स के लिये भी नसरिमा आँटी और आबिया थी। वैसे भी अब तो मैं मुकर्रर बाइसेक्सुअल हो चुकी थी और मर्दों और औरतों को एक ही नज़र से देखती थी। फिर तीन हफ़्तों बाद एक और वाक़िया हुआ जिसके बाद मेरी हवस-परस्ती अगले मक़ाम पे पहुँच गयी और मैं कुत्ते से भी चुदवाने लगी। मेरी इस बेरहरवी का क्रेडिट भी नसरिमा आँटी को ही जाता है जिहोंने मुझे इस लुत्फ़ से वाक़िफ़ करवाया।
उस दिन मैं ग्यारह बजे के करीब ऑफिस गयी थी। हमेशा की तरह राजीव के चेंबर में पहले तो काम की बातों के साथ -साथ दो पैग शराब पिये और फिर राजीव से अपनी चूत और गाँड दोनों मरवायीं क्योंकि राजीव के उस दिन दोपहर की फ्लाइट से चार दिन के लिये शेखाबाद के लिये निकलने वाला था। फिर घर आकर थोड़ी देर आराम किया और उसके बाद खाना खा कर करीब दो घंटे कम्प्यूटर पे ऑफिस का काम किया। फिर शाम को सात बजे के करीब मैं तैयार होके नसरिमा आँटी के घर गयी। वैसे तो नसरिमा आँटी ही ज्यादातर मेरे घर आती थीं लेकिन अश्फ़ाक़ भी दो दिनों से एक हफ़्ते के लिये टूर पे गये हुए थे और राजीव भी नहीं था तो उस दिन मैं पहली दफ़ा रात को भी नसरिमा आँटी के घर पे ही रुक गयी। हस्ब-ए-दस्तूर हम दोनों अपने-अपने सैंडलों के अलावा बिल्कुल नंगी हो गयीं और शराब पीते हुए हम दोनों ने उनके बेडरूम में एक ब्लू-फिल्म देखी। फिर काफी देर तक आपस में गुथमगुथा होकर एक दूसरे को चूमा, सहलाया, और सिक्स्टी नाइन पोज़िशन में एक -दूसरे की चूतें चाटती रहीं। फिर हमने आमने-सामने लेट कर आपस में अपनी टाँगें कैंची की तरह फंसा कर नसरिमा आँटी के दो-रुखे डिल्डो का एक-एक सिरा अपनी-अपनी चूतों में घुसेड़ कर काफी देर तक चुदाई का मज़ा लिया और हम दोनों कईं दफ़ा फारिग हुईं।
एक दूसरे के आगोश में थोड़ा सुस्ताने के बाद हम दोनों फिर व्हिस्की पीने लगीं और नसरिमा आँटी ने ब्लू-फिल्म की एक नयी सी-डी लगा दी। हम दोनों बेड पर ही हेडबोर्ड और तकियों के सहार कमर टिकाये टाँगें लंबी करके बैठी थीं। फिल्म के पहले सीन में दो अंग्रेज़ लेस्बियन औरतें आपस में हम-जिंसी चुदाई का मज़ा ले रही थीं। इस तरह की फिल्में मैंने नसरिमा आँटी के साथ पहले भी कईं दफ़ा देखी थीं। काफी गरम सीन था और हम दोनों व्हिस्की की चुस्कियाँ लेते हुए वक़फ़े-वक़फ़े से एक दूसरे के होंठों को भी चूम रही थीं। मैंने सिसकते हुए नसरिमा आँटी से कहा कि “बेहद हॉट सीन है आँटी“ तो वो बोलीं, “जब अगला सीन देखोगी तो होश उड़ जायेंगे…! आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | हक़ीकत में उस फिल्म के अगले सीन ने मेरे होश उड़ा दिये। पिछले सीन वाली लेस्बियन औरतों में से एक औरत नंगी ही कमरे से बाहर गयी और जब लौट कर आयी तो उसके साथ एक काले रंग का बड़ा सा कुत्ता था जिसके कंधे उस लंबी अंग्रेज़ औरत के चूतड़ों के ऊपर तक पहुँच रहे थे। उसके बाद वो दोनों औरतें उस कुत्ते के साथ चुदाई में शरीक़ होने लगीं। इससे पहले मैंने सुना-पढ़ा ज़रूर था कि कुछ लोग इंसानों के बजाय जानवरों से चुदाई करते हैं लेकिन मैंने कभी इस पर इतना गौर नहीं किया था। मैंने एक घूँट में अपना गिलास खाली कर दिया और ताज्जुब से आँखें फाड़े उस पर्वर्टेड चुदाई का दिलफ़रेब नज़ारा देख रही थी। फिल्म में उन दोनों औरतों की मस्ती-भरी सिसकियों और चींखों से ज़ाहिर था कि कुत्ते के बड़ी-सी गाजर जैसे लंड से चुदवाने में उन्हें बेहद मज़ा आ रहा था। मुझे हवस-ज़दा देख कर नसरिमा आँटी ने प्यार से मेरी चूचियाँ मसलते हुए पूछा, “है ना कमाल का सीन… मज़ा आया?”
“ऊँऊँह… आँटी… दिस इज़ सो किंकी…. लेकिन क्या ये मुमकीन है… ऑय मीन कि हक़ीक़त में… कुत्ते से… चुदाई… रियली?” मैं इस कदर मग़लूब और इक्साइटिड थी कि ठीक से बोल भी नहीं पा रही थी। व्हिस्की का नशा इक्साइटमेंट में और इज़ाफ़ा कर रहा था।

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मेरी चुदाई के मजेदार किस्से-10 | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/sex-with-animal/meri-chudai-ke-majedar-kisse-10.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/sex-with-animal/meri-chudai-ke-majedar-kisse-10.html#respond Sun, 17 Jul 2016 13:00:57 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=3841 मेरी चुदाई के मजेदार किस्से-9 आज कहानी का दसवा भाग है आशा करती हूँ आप लोग अब तक तो मुझे जान ही गये होगे अब बताने की क्या जरूरत अब कहानी पर चलती हूँ … मुझे मार्केट से कुछ खाने का सामान भी लेना था तो सोचा कि मार्केट जाऊँगी तो शायद सैक्सी खयालात मेरे […]

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मेरी चुदाई के मजेदार किस्से-9

आज कहानी का दसवा भाग है आशा करती हूँ आप लोग अब तक तो मुझे जान ही गये होगे अब बताने की क्या जरूरत अब कहानी पर चलती हूँ … मुझे मार्केट से कुछ खाने का सामान भी लेना था तो सोचा कि मार्केट जाऊँगी तो शायद सैक्सी खयालात मेरे दिल से निकल जायेंगे। फिर खयाल आया कि चलो क्यों ना अपने सलवार कमीज़ का कपड़ा भी ले लूँ और सिलने के लिये दे दूँ। ये सोचते ही मैंने अपनी अलमरी से दो नये सलवार सूट के कपड़े निकाले और बैग में डाल कर बाहर निकल गयी। देर शाम हो चुकी थी। बाहर ठंडी-ठंडी हवा भी चलने लगी थी और लगाता था जैसे बारिश होगी पर हो नहीं रही थी। संदीप की दुकान तो बज़ार में जाते हुए पहले ही पड़ती थी तो मैं पहले वहीं चली गयी। उस वक़्त संदीप कहीं बाहर गया हुआ था। उसका कोई मुलाज़िम बैठा था। उसने बताया कि संदीप अभी दस मिनट में आ जायेगा…. तो मैंने कहा, “ठीक है…. ये कपड़े यहीं रहने दो…. मैं भी बाकी शॉपिंग के लिये जा रही हूँ, वापसी में आ जाऊँगी…. संदीप से कह देना कि शबीना मैडम आयी थी और ये कपड़े रख कर गयी है…. अभी आ जायेगी।“ उसने कहा, “ठीक है” और कपड़े एक साईड में रख दिये। आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | मुझे बाकी शॉपिंग में एक घंटे से कुछ ज़्यादा ही लग गया। वापस आते वक्त तक तो रात के तकरीबन आठ बज गये थे। मैं सोच रही थी कि कहीं संदीप दुकान ना बंद कर दे, इसी लिये जल्दी से उसकी दुकान की ओर बढ़ी। संदीप दुकान में आ चुका था और उसकी दुकान भी खाली हो चुकी थी। वो भी बंद करने की तैयारी कर रहा था और साथ ही मेरा इंतज़ार भी कर रहा था। उसका दूसरा स्टाफ छुट्टी कर चुका था और संदीप दुकान में अकेला ही था। मुझे देख कर वो खुश हो गया और उसका चेहरा चमकने लगा। मैंने देखा कि वो रम पी रहा था। उसने मेरे लिये भी एक पैग बना दिया। हालांकि मैंने शाम को ही दो पैग व्हिस्की के पिये थे और बहुत हल्का सा असर मुझ पर बरकरार था लेकिन ठंडी हवा चल रही थी और मेरा मन पीने का कर रहा था। वैसे भी राजीव और नसरिमा आँटी के साथ रह कर मैं पीने की बहुत आदी हो गयी थी और जब कभी भी पीने का मौका मिले तो मना नहीं कर पाती थी। दिन भर में आम तौर पे चार-पाँच पैग हो ही जाते थे लेकिन ऐसा कभी-कभार ही होता था कि मैं नशे में बुरी तरह चूर हो जाऊँ। मैंने उसको थैंक्स कहा और अपना ड्रिंक सिप करने लगी जो ठंड में बहुत ही अच्छा लग रहा था। उसने पूछा, “आपके कपड़े हैं मैडम?” तो मैंने कहा, “हाँ…. बहुत दिनों से सोच रही थी कि तुमसे कुछ ड्रेस सिलवाऊँगी तो आज चली आयी।“
मैं भी फ्री थी और कोई काम नहीं था। मुझे भी टाईम पास करना था तो दो पैग पीने तक हम इधर-उधर की बातें करते रहे। मेरे पूछने पर उसने बताया कि वो फैशन डीज़ाईनिंग का कोर्स भी कर रहा है तो मैंने उससे फैशन डीज़ाईनिंग के बारे में पूछा। उसने मुझे फैशन डीज़ाईनिंग के बारे में काफी कुछ बताया और बात-बात में बताया कि “मैडम कईं बार किसी खास डिज़ाईन के लिये जिस फैशन-मॉडल का नाप लेना होता है तो उसको नंगा करके नाप लिया जाता है ताकि फिटिंग सही बैठे।“ मैं हैरान रह गयी और पूछा कि “लड़कियाँ नंगी हो जाती हैं?” तो उसने कहा “हाँ मैडम…. अगर किसी को अच्छी तरह से और सही फ़िटिंग का ड्रेस सिलवाना हो तो बहुत अराम से नंगी हो जाती हैं लेकिन उस टाईम पे बस वही डिज़ाईनर अंदर होता है जो नाप ले रहा होता है ताकि फैशन-मॉडल बस एक ही डिज़ाईनर के सामने नंगी हो…. पूरी क्लास के सामने नहीं।“ मैंने कहा कि “ऐसे कैसे हो सकता है?” तो उसने कहा कि “मैं सच कह रहा हूँ मैडम…. हम ऐसे ही नाप लेते हैं!” तो मैंने हँसते हुए कहा कि “क्या मेरा भी ऐसे ही लोगे?” तो उसने कहा कि “अगर आप भी सही और परफेक्ट फिटिंग के डिज़ाईनर कपड़े सिलवाना चाहती हैं और अगर आपको कोई ऑबजेक्शन ना हो तो आप अपने कपड़े निकाल सकती हैं…. नहीं तो हम सैंपल साईज़ से ही काम चला लेते हैं।“ मैंने कहा कि “मैं तो सैंपल नहीं लेकर आयी” तो उसने कहा कि “मैं ऐसे ही ऊपर से आपका साईज़ ले लुँगा…. आप अंदर ड्रेसिंग रूम में चलिये।“ अभी मैं सोच ही रही थी कि क्या करूँ, इतने में हवा बहुत ही तेज़ी से चलने लगी और उसके काऊँटर पर रखे कपड़े उड़के नीचे गिरने लगे और नाप के रजिस्टर के पन्ने फड़फड़ाने लगे तो उसने अपनी दुकान का शटर जल्दी से गिरा दिया और नीचे गिरे हुए कपड़े उठाने लगा। मैंने देखा कि उसने लुँगी पहनी हुई है और टी-शर्ट। जब उसने देखा कि मैं उसकी लूँगी को हैरत से देख रही हूँ तो उसने बताया कि मार्केट में किसी दुकान से नीचे उतरते हुए कील लगने से उसकी पैंट फट गयी तो इसी लिये उसने पैंट चेंज कर के लुँगी बाँध ली थी।
दुकान का शटर बंद करने से दुकान में ठंडी हवा के झोंके नहीं आ रहे थे, वैसे बाहर तो अच्छी खासी सर्दी होने लगी थी। हम दोनों अंदर ड्रेसिंग रूम में आ गये, जहाँ वो मेरा नाप लेने वाला था। दुकान का शटर गिरते ही मुझे लगा जैसे हम एक सेपरेट रूम में अकेले हैं और मेरे खयाल में आया कि इस दुकान में मैं और संदीप अकेले हैं और हमें देखने वाला कोई नहीं। मेरे दिमाग में गर्मी चढ़ने लगी। नशा तो पहले ही चढ़ा हुआ था। जिस्म में खून तेज़ी से दौड़ने लगा साँस तेज़ी से चलने लगी और एक अजीब सा सुरूर महसूस होने लगा। खैर उसने अंदर की लाईट जला दी। ड्रेसिंग रूम बहुत बड़ा तो नहीं था लेकिन बहुत छोटा भी नहीं था। मीडियम साईज़ का था जहाँ पर एक तरफ़ बड़ा सा मिरर लगा हुआ था ताकि अगर कोई लड़की चेक करना चाहे तो कपड़े पहन कर मिरर में देख सकती थी। वो मेरे सामने खड़ा हो गया और पहले उसने सलवार का नाप लेने को कहा। जैसे टेलर्स की आदत होती है, नाप लेने से पहले वो थोड़ा सा झुका और मेरे सामने बैठते-बैठते उसने मेरी सलवार के सामने के हिस्से को पकड़ के थोड़ा सा झटका दिया जिससे सलवार थोड़ी सी सरक के नीचे हुई। मैंने जल्दी से सलवार को ऊपर से पकड़ लिया। उसने अब नाप लेना शुरू किया। साईड से कमर से पैर तक का नाप लेते हुए उसने पूछा कि “मैडम आप अधिकतर इतनी ही ऊँची हील पहनती हैं क्या….? मैं उसी हिसाब से नाप लेना चाहता हूँ।“ मैंने कहा, “हाँ यही चार-साढ़े चार इंच और कईं दफ़ा पाँच इंच तक!” उसके बाद वो फिर टेप का बड़ा वाला हिस्सा जिस पर मेटल लगा होता है, उसको जाँघों के अंदर पकड़ कर साईज़ लेने लगा तो वो मेटल का पीस मेरी चूत से टकराया और मेरे मुँह से एक सिसकरी सी निकल गयी। उसने पूछा, “क्या हुआ मैडम?” तो मैंने कहा, “कुछ नहीं…. तुम नाप लो।“ उसने उस मेटल के पीस को थोड़ा और अंदर किया तो मुझे लगा जैसे वो पीस मेरी चूत के लिप्स को खोल के अंदर घुस गया और क्लीटोरिस को टच करने लगा। जैसा कि मैं पहले ही बता चुकी हूँ कि जब से ऑफिस जाने लगी थी, मैंने अब पैंटी और ब्रा पहनना करीब- करीब छोड़ ही दिया था तो आज भी मैंने ना पैंटी पहनी थी और ना ब्रा । आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | उसका हाथ मेरी जाँघों के अंदर वाले हिस्से में था और नाप ले रहा था जिससे मेरी आँखें बंद हो गयी और टाँगें अपने आप ही खुल गयी थी और मैं उसके हाथ को अपनी चूत से खेलने का आसान एक्सेस दे रही थी। मेटल पीस चूत के अंदर महसूस करते ही चूत गीली होना शुरू हो गयी और जिस्म में सनसनी दौड़ने लगी। वो खड़ा हो गया और मेरी कमर का नाप लेने लगा और बोला कि “मैडम कमीज़ को थोड़ा ऊपर उठा लीजिये” तो मैंने कमीज़ को थोड़ा उठाया जिससे मेरा पेट दिखायी देने लगा तो उसने कहा कि “मैडम आपका कलर तो क्रीम जैसा है और बहुत चिकना भी है।“ मैं शर्मा गयी पर कुछ नहीं बोली। जबसे मुझे उसका हाथ मेरी जाँघों के अंदर महसूस हुआ, उसी वक़्त से मुझे तो मस्ती छाने लगी थी और चूत में खुजली भी होने लगी थी। मैं सोचने लगी कि फैशन -मॉडल्स ऐसे कैसे नंगी हो कर नाप देती होंगी। ये सोचते ही मेरा भी मन करने लगा कि संदीप अगर मुझसे भी कहे तो मैं नंगी हो कर नाप दे सकती हूँ और फिर ये खयाल आते ही मैं और गीली हो गयी। इस कहानी का शीर्षक मेरी चुदाई के मजेदार किस्से है |
इतने में वो खड़ा हो गया और कमीज़ का नाप लेने लगा। लंबाई लेने के लिये कंधों से नीचे तक टेप लगाया। टेप मेरी चूचियों को टच करने लगा तो एक दम से मेरे निप्पल खड़े हो गये और साँसें तेज़ी से चलने लगी। फिर उसने मुझे हाथ सीधे रखने को कहा और मेरी बगल के अंदर से टेप डाल कर चूचियों के ऊपर से नाप लेना शुरू किया। उसी वक़्त पे पीछे से जब वो टेप ठीक कर रहा था तो उसकी गरम साँस मेरे नंगे कंधों पे महसूस होने लगी जिससे मैं और गरम हो गयी। वो भी करीब मेरी ही हाईट का था। जब वो खड़ा हुआ तो मेरे हाथ को ऐसा लगा जैसे उसका लंड मेरे हाथ से टच हुआ हो। बस ऐसा महसूस होते ही मेरे ज़हन में राजीव का लंड घूमने लगा। वो थोड़ा और आगे आया और टेप पीछे से ठीक करने लगा तो इस बार सही में उसका लंड मेरे हाथ पे लगा। उसका लंड एक दम से खड़ा हो चुका था। शायद वो भी गरम हो गया था। उसका लंड मेरे हाथ से टच होते ही मेरी चूत समंदर जैसी गीली हो गयी और मुझे यकीन हो गया कि उसे भी एहसास था कि उसका लंड मेरे हाथ से टकराया है पर वो पीछे नहीं हटा और अपने लंड को मेरे हाथ पे ही रखे-रखे टेप ठीक करने लगा। मेरी साँसें तेज़ी से चलने लगी और मेरे ज़हन में जो शाम से चुदाई का भूत सवार था वो अब ज़ोर पकड़ने लगा और मैं हवस की आग में जलने लगी। ऊपर से शाम की व्हिस्की और अभी संदीप के साथ पी हुई रम का नशा मेरी हवस को और भड़का रहा था और मैं सोचने लगी कि अगर संदीप ने मुझे नहीं चोदा तो मैं खुद ही उसको चोद डालुँगी आज। नशे भरे मेरे दिमाग में आया कि उसके अकड़े हुए लंड को पकड़ कर अपनी गीली गरम चूत में घुसेड़ डालूँ पर बड़ी मुश्किल से अपने आप को कंट्रोल कर पायी और चाहते हुए भी उसके लंड को अपनी मुट्ठी में ले कर नहीं दबाया।

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मेरी चुदाई के मजेदार किस्से-9 | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/anal-gand-chudai-female/meri-chudai-ke-majedar-kisse-9.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/anal-gand-chudai-female/meri-chudai-ke-majedar-kisse-9.html#respond Sat, 16 Jul 2016 05:00:33 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=3840 मेरी चुदाई के मजेदार किस्से-8 आज मै अपनी कहानी मेरी चुदाई के मजेदार किस्से के नववे भाग में लिखने जा रही हूँ मेरे देवर लोग अपने पप्पू को अपने हाथ में पकड़ ले और दीदी लोग अपनी चूत में एक अंगुली जरुर डाले अगर मज़ा ना आया तो मुझे मेल में लिख कर भेजना मै […]

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मेरी चुदाई के मजेदार किस्से-8

आज मै अपनी कहानी मेरी चुदाई के मजेदार किस्से के नववे भाग में लिखने जा रही हूँ मेरे देवर लोग अपने पप्पू को अपने हाथ में पकड़ ले और दीदी लोग अपनी चूत में एक अंगुली जरुर डाले अगर मज़ा ना आया तो मुझे मेल में लिख कर भेजना मै जवाब जरुर दूंगी | गतांग से आगे ..  मैंने आबिया की स्कर्ट, ब्लाऊज़, ब्रा और पैंटी लेकर बालकोनी में सूखने के लिये फैला दिये। मैंने कहा कि “तुम मेरे बाथरूम में जा के गरम पानी से शॉवर लेकर आ जाओ और टॉवल लपेट लो और हाँ अंदर से लॉक नहीं करना क्योंकि शायद अंदर से तुमसे ना खुले…. उसका बोल्ट कुछ टाइट है।“ मैं उसके साथ बाथरूम में आ गयी। मेरे बाथरूम में बड़े साईज़ का बाथ टब है जिसमें कभी मैं ड्रेन होल को बंद करके गरम पानी भर करके उसमें कोई पर्फयूम डाल कर बैठ जाती हूँ और बाथ टब में जकूज़ी भी लगा हुआ है जिसके बुलबुलों से मेरा जिस्म रिलैक्स हो जाता है और जिस्म में पर्फयूम की महक भी आ जाती है। मैंने ऐसा ही उसके लिये भी किया और बाथ टब में गरम और ठंडा पानी मिक्स करके डाल दिया और थोड़ा सा पर्फयूम भी डाल दिया और उसमें पानी उतना ही डाला जितना आबिया के जिस्म को बर्दाश्त हो सके और आबिया से कहा कि थोड़ी देर वो इसमें ऐसे ही बैठ जाये… उसके बाद ड्रेन होल खोल दे तो सारा पानी निकल जायेगा और फिर बाहर आ जाये। उसने ऐसा ही किया। वो सैंडल उतार कर बाथ टब में बैठ गयी। बाथरूम का डोर खुला हुआ था। मैं अपने रूम में आकर बिस्तर पर बैठ गयी। मेरा सिर नशे में हल्का महसूस हो रहा था और मेरा सारा ध्यान राजीव की तरफ़ था। वो दो दिनों से नहीं आ सका था। कुछ तो बारिश का असर था कुछ उसको काम भी ज़्यादा था। मैं यही सोच रही थी और फिर एक और पैग बना कर पीते हुए राजीव के साथ अपने न्यू-यॉर्क के ट्रिप के बारे में सोचने लगी और यही सोच-सोच कर मेरे होंठों पे मुस्कुरहाट भी आ रही थी।
बाथरूम से आबिया के चींखने की आवाज़ से मैं अपने न्यू-यॉर्क के ख्वाब से बाहर आ गयी और बाथरूम कि तरफ़ दौड़ के गयी तो देखा कि आबिया टब के बाहर के हिस्से में नीचे गिरी हुई है। उसने शायद टब से बाहर निकल कर सैंडल पहने होंगे और फर्श थोड़ा गीला होने से उसका पैर फिसल गया था। मैं उसको नंगी ही उठा कर सहारा देकर अपने बेडरूम में लेकर आ गयी और बेड पे बड़ा सा टॉवल बिछा कर वैसे ही उसको टॉवल पे लिटा दिया और उसके जिस्म को उसी टॉवल से सुखाते वक्त देखा कि उसकी चूत तो मक्खन जैसी चिकनी और मलाई जैसी गोरी है। उसकी बिना बालों वाली और मोटे लिप्स की चूत, जिसके दोनों लिप्स एक दूसरे से थोड़े से अलग हुए थे और अंदर से पिंक कलर, बहुत सैक्सी लग रही थी। मेरा दिल कर रहा था कि बस मैं इसकी चूत को चूम लूँ और अपनी ज़ुबान उसकी चूत के अंदर डाल के चाट डालूँ। मैंने उसके जिस्म को सुखा कर के ऐसे ही टॉवल से लपेट दिया और पूछा कि क्या हुआ तो वो बोली कि “आँटी, मैंने बाहर निकल कर सैंडल पहने ही थे कि मेरा पैर फिसल गया और मैं गिर गयी!” मैंने कहा कि “तुम फिक्र न करो मैं तुम्हारे जाँघों पे ऑलिव ऑयल कि मालिश कर दूँगी तो थोड़ी ही देर में तुम ठीक हो जाओगी!” तो उसने कहा “ठीक है आँटी” और बोली कि “यू आर सो स्वीट आँटी…. आप बहुत अच्छी हो…. कितना खयाल रखती हो मेरा…. मेरी मम्मी के पास तो मेरे लिये टाईम ही नहीं है।“ मैं अपनी तारीफ सुन कर थोड़ा सा शरमा गयी और कहा “नहीं आबिया, ऐसी बात नहीं…. तुम देखो कि तुम्हारे मम्मी और डैडी दोनों काम करते हैं, ताकि तुम को अच्छी तालीम दे सकें और तुम्हारी हर ख्वाहिश पूरी कर सकें।“ उसने कुछ कहा नहीं, बस अपना सिर हिला दिया।
मैं ऑलिव ऑयल लेकर आ गयी और आबिया से कहा कि “मैं तुम्हारी जाँघों पे तेल लगा कर थोड़ी सी मालिश कर दूँगी तो तुम ठीक हो जाओगी पर ये टॉवल तुम्हारे नीचे रहा तो ये खराब हो जायेगा। मैं इसको निकाल देती हूँ और एक पुरानी बेडशीट बिछा देती हूँ।“ उसने कहा, “ठीक है आँटी” तो मैंने टॉवल निकाल दिया और एक पुरानी बेडशीट उसके नीचे बिछा कर उसको नंगी ही लिटा दिया और मैं उसकी दोनों टाँगों को फैला के बैठ गयी। उसने अपने हाथों से अपनी चूत को छुपा लिया तो मैं हँस पड़ी और कहा कि “अभी तो तुम से कहा था कि लड़कियाँ एक दूसरे से नहीं शर्माती” तो फिर भी उसने अपना हाथ नहीं हटाया तो मैंने कहा कि “देखो दोनों हाथ यहाँ रखने से तुम्हारी मौसंबी जैसी चूचियाँ मुझे दिखायी दे रही हैं” तो उसने दोनों हाथ चूत पे से हटा के चूचियों पे रख लिये तो मैंने कहा कि “देखो अब ये नज़र आ रही है” तो वो हँसने लगी और बोली कि “आँटी…. आप भी तो नाईटी पहने हुए हैं… वो भी तो खराब हो जायेगी, अगर उसको तेल लग गया तो!” मैंने हँस के कहा, “क्या मतलब है तुम्हारा?? मैं भी अपनी नाईटी उतर दूँ क्या?? वैसे भी इसमें से तुम्हें मेरा सब कुछ तो दिख रहा है।“ तो वो कुछ बोली “नहीं”, बस हँसने लगी तो मुझे भी कुछ शरारत सूझी और कहा, “ठीक है! तुम्हें शरम आती है तो मैं भी अपनी नाईटी निकाल देती हूँ।“ ये कहते हुए अपने हाथ से बैठे-बैठे नाइटी को ऊपर उठा के जिस्म से निकल दिया और नंगी हो गयी और बोली कि, “लो मैं भी तुम्हारी तरह अब सिर्फ सैंडल पहने हुए हूँ। आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | आबिया ने मेरा जिस्म देखा तो बोली कि, “वॉव आँटी आप बहुत ब्यूटीफुल हो तो मैंने कहा कि तुम्हारी मम्मी भी तो ब्यूटीफुल है।“ उसने कहा कि “हाँ! है तो सही पर आप जितनी ब्यूटीफुल नहीं… आप तो बहुत ही ब्यूटीफुल हो” और मेरी चूचियों की तरफ़ इशारा करके बोली कि “मेरी मम्मी के ये भी ढीले हैं, आपके देखो कैसे शेप में हैं” और फिर मेरी चूत कि तरफ़ इशारा करके बोली कि “ये देखो आपके यहाँ तो एक भी बाल नहीं है और मेरी मम्मी के यहाँ तो बहुत बाल हैं।“ मैंने कहा कि “जैसे मैं तुमसे करीब दस साल बड़ी हूँ वैसे ही तुम्हारी मम्मी भी मुझसे दस-बारह साल बड़ी होंगी… इसलिये उम्र के हिसाब से इतना फर्क़ तो आ ही जाता है… वैसे तुमने कब और कैसे देखा तुम्हारी मम्मी को?” तो उसने बतया कि “बचपन से कईं दफ़ा देखा है… बाथरूम से बाहर आते हुए और कपड़े चेंज करते हुए।“ मैं समझ गयी कि आबिया के घर का माहौल बिल्कुल फ्री है तो मैंने पूछा, “डैडी का भी कुछ देखा?” तो उसने कहा कि “हाँ, कईं दफ़ा देखा है कपड़े चेंज करते वक्त और कभी सोने के टाईम पे क्योंकि आँटी, मेरे मम्मी और डैडी दोनों बिल्कुल नंगे सोते हैं बेड में।“ मैं हैरान रह गयी। फिर सोचा कि हो सकता है और फिर नंगे सोने में कुछ गलत बात भी तो नहीं है। मैं भी तो नंगी ही सोती हूँ। मैंने पूछा “और क्या-क्या देखा है तुमने” तो उसने कहा कि “मैंने तो बहुत कुछ देखा है आँटी। दोनों रात को ड्रिंक करके नशे में खुल्लमखुल्ला सब करते हैं। कभी डैडी को मम्मी के ऊपर और कभी मम्मी को डैडी के ऊपर चढ़े हुए भी देखा है और कभी जब उनके जिस्म से ब्लैंकेट हट जाती है तो देखा कि दोनों नंगे एक दूसरे के ऊपर चढ़ कर चुदाई करते हैं।“ मैंने पूछा “तुमने कैसे देखा?” तो आबिया ने कहा कि “नशे में वो बेडरूम बंद नहीं करते और मैंने छुप कर सब देखा।“ मुझे अपनी चुदाई याद आ रही थी जैसे कभी मैं राजीव पे और कभी राजीव मुझ पर चढ़ कर उछल-उछल के चोद रहे होते हैं। मैं यही सोचती रही और अपने खयालों में गुम हो गयी।
आबिया ने कहा कि “क्या हुआ आँटी ??” तो मैं अपने सपनों से बाहर आ गयी और उससे कहा कि “नहीं कोई खास बात नहीं…. मैं तुम्हारी मम्मी और डैडी के बारे में सोच रही थी…. तुम बहुत शरारती हो… अपने मम्मी-डैडी की चुदाई देखती हो…. और तुम्हें कैसे पता ये चुदाई है?” वो बोली, “आँटी, मैं बच्ची नहीं हूँ…. सब समझती हूँ।“ ये कहकर वो हँस पड़ी। “तो और क्या-क्या करती हो तुम छुप कर…” मैंने मुस्कुराते हुए पूछा। वो थोड़ा शर्मा गयी और बोली, “आँटी आप भी ना…!” मैंने फिर उसे उकसाया तो उसने बताया कि उसने अपने पेरेंट्स की ब्लू फिल्मों की सी-डियाँ कई बार छुप कर देखी हैं और शराब भी पी है। मैं उसकी बातें सुनकर गरम हो गयी थी। मैं अपनी टाँगें फ़ोल्ड करके उसकी दोनों टाँगों के बीच में बैठी थी और मैंने उसकी दोनों टाँगों को फैला करके तेल दोनों जाँघों पे डाल दिया और धीरे-धीरे पहले तो तेल फैलाया और फिर मालिश करने लगी। उसकी दोनों टाँगों को अपनी मुड़ी हुई जाँघों पे रख लिया और आबिया को थोड़ा सा अपनी तरफ़ खींच लिया जिससे वो थोड़ा सा सामने खिसक आयी और उसकी चूत के दोनों लिप्स खुल गये। मैंने देखा कि उसकी चूत अंदर से बहुत पिंक है और छोटी सी क्लीटोरिस चूत के ऊपर टोपी कि तरह है और चिकनी चूत मस्त लग रही थी। मेरा बहुत मन कर रहा था कि मैं उसकी मक्खन जैसी चूत को सहलाऊँ, मसाज करूँ और उसकी चूत को चूम लूँ पर ऐसा करने से अपने आपको रोक लिया। मैं बस उसकी जाँघों की ही मालिश कर रही थी। इस कहानी का शीर्षक मेरी चुदाई के मजेदार किस्से है | मैंने आबिया से पूछा कि “कैसा लग रहा है तो उसने कहा कि बहुत अच्छा लग रहा है आँटी, थोड़ा सा और ऊपर तक दर्द हो रहा है” और उसने अपनी चूत के करीब हाथ रख कर बताया कि करीब यहाँ तक दर्द हो रहा है तो मैं और ज़्यादा ऊपर तक मालिश करने लगी। उसकी जाँघें बहुत ही हसीन थी क्योंकि वो डाँस सीख रही थी और डाँस क्लास अटेंड करती थी। मालिश करते वक्त मेरी चूचियाँ आगे पीछे हो रही थीं तो आबिया उनको गौर से देख रही थी। मेरी नज़र आबिया पे पड़ी कि वो मेरी चूचियाँ देख रही है तो मैंने मुस्कुराते हुए पूछा, “क्या देख रही हो आबिया?” तो वो शर्मा गयी और बोली कि “ये मुझे अच्छे लग रहे हैं, पता नहीं मेरे कब इतने बड़े होंगे।“ मैंने कहा, “फिक्र ना करो…. जल्दी ही बड़े हो जायेंगे…. दो या तीन साल में ही बड़े हो जायेंगे।“ उसने पूछा कि “और क्या क्या होगा मेरे जिस्म में”, तो मैंने उसकी मोसंबी जैसी चूचियों को पकड़ के कहा कि “ये बड़े हो जायेंगे…. इतने बड़े कि पूरे हाथ में समा जायें।” मेरे हाथ उसकी चूचियों पे लगते ही उसके मुँह से एक “आआहह” निकल गयी तो मैंने पूछा, “क्या हुआ आबिया…. क्या दर्द हो रहा है?” तो उसने कहा “नहीं आँटी, आप के यहाँ हाथ रखने से बहुत अच्छा लगा और मुझे बहुत मज़ा आया” तो मैं हँस पड़ी और उसकी चूचियों को अपने दोनों हाथों में पकड़ कर दबा दिया। उसने फिर से सिसकरी ली तो मैं समझ गयी कि ये लड़की बेहद गरम है और जवानी में तो कयामत बन जायेगी। आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | जाँघों पे मालिश करते-करते मेरे अंगूठे उसकी चूत के मोटे-मोटे लिप्स तक आ रहे थे और जब भी अंगूठा उसकी चूत से टकराता तो वो अपने चूतड़ उछाल देती और सिसकरी लेती। मैंने पूछा, “क्या हो रहा है?” तो वो बोली कि “बहुत मज़ा आ रहा है आँटी, अब जाँघों को छोड़ कर यहीं पे करो ना मालिश।“ मुझे भी अपने स्कूल के टाईम का अपनी क्लासमेट ताहिरा के साथ चूतों से खेलना और सिक्स्टी-नाईन पोज़िशन में एक दूसरे की चूतों को चाटना याद गया तो मैं सब कुछ भूल कर आबिया की चूत का मसाज करने लगी और अपनी अँगुलियों से उसकी क्लिटोरिस को मसलने लगी। उसके मुँह से बस सिसकारियाँ ही निकल रही थीं। मैंने आबिया की टाँगों को पकड़ कर थोड़ा और अपनी तरफ़ खींचा तो उसकी टाँगें और खुल गयीं और चूत थोड़ा ऊपर उठ गयी और कुछ और करीब आ गयी। मैं झुक कर उसकी चूत को किस करने लगी। मेरे लिप्स उसकी चूत पे लगते ही उसके मुँह से एक चींख सी निकल गयी और उसने मेरे सिर पर हाथ रख लिया और अपने चूतड़ उछाल के मेरे मुँह पे चूत को रगड़ने लगी। मैंने अपने दोनों हाथ उसके चूतड़ों के नीचे रख कर उसकी चूत को और उठाया और उसकी चिकनी चूत के अंदर ज़ुबान डाल कर उसकी मक्खन जैसी चिकनी चूत को चाटने लगी। उस वक्त मैं अपने आप को वही ग्यारहवीं-बारहवीं में पढ़ने वाली लड़की समझ रही थी और आबिया को अपनी क्लासमेट ताहिरा समझ रही थी और ये बिल्कुल भूल गयी थी कि मैं एक शादी शुदा औरत हूँ और आबिया से काफी बड़ी हूँ। पर उस वक्त मुझे याद था तो बस ताहिरा का मेरे बेड में रहना और हमारा एक दूसरे की चूतों को चाटना। अपने आप को छोटी ग्यारहवीं-बारहवीं की शबीना समझते हुए और नीचे लेटी हुई आबिया को ताहिरा समझते हुए मैं पलट गयी और अपनी चूत को आबिया के मुँह पे रख दिया और उसकी गाँड के नीचे हाथ रख कर उसकी चूत को थोड़ा ऊपर उठा लिया और उसकी छोटी सी मक्खन जैसी चूत को चूसने लगी। उसने मेरी चूत में अपनी ज़ुबान डाल दी और मेरी चूत को चूसना शुरू कर दिया। मेरे जिस्म में मस्ती छायी हुई थी और मैं जितनी तेज़ी से अपनी चूत उसके मुँह से रगड़ रही थी, उतनी ही तेज़ी से उसकी चूत को भी चूस रही थी और अपनी ज़ुबान उसकी चूत में डाल कर ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर और पूरी चूत को मुँह में लेकर काटने लगी। उसने अपने चूतड़ उछाल कर मेरे मुँह में चूत को ज़ोर-ज़ोर से रगड़ना शुरू कर दिया और वो जोश में मेरी चूत ज़ोर-ज़ोर से चाटने और चूसने लगी और मेरे जिस्म में एक बिजली सी दौड़ने लगी। मैं काँपने लगी और मुझे महसूस हुआ कि अब मेरा जूस निकलने वाला है और मेरा जिस्म हिलने लगा और मेरी चूत में से जूस निकलने लगा, जिसे आबिया मज़े ले लेकर पीने लगी और एक ही सैकेंड में आबिया काँपने लगी और उसकी चूत में से भी जूस निकल पड़ा। उसकी चूत भी बहुत ही नमकीन हो गयी और उसकी आँखें बंद हो गयी थी उसकी चूत से बहुत ज़्यादा जूस निकला। मैं उसके ऊपर ऐसे ही लेटी रही। थोड़ी देर में फिर जब मुझे होश आया तो पलट के उसके बगल में सीधी लेट गयी और बोली कि “सॉरी आबिया, पता नहीं मुझे क्या हो गया था…. मुझे तुम्हारे साथ ये सब नहीं करना चहिये था” तो उसने कहा “नहीं आँटी, आप ऐसा कुछ मत सोचिये…. ये तो मैं अपनी फ्रैंड के साथ कईं दफ़ा कर चुकी हूँ और मुझे इसमें बहुत मज़ा भी आता है।“ मुझे फिर अपनी फ्रैंड ताहिरा का खयाल आया और मैं सोचने लगी कि शायद ये सब स्कूल की लड़कियों के लिये नॉर्मल सी बात है और शायद सभी स्कूल की लड़कियाँ जो एक दूसरे की बेस्ट फ्रैंड्स हैं, छिपछिपा कर ऐसे ही करती हैं।

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