आज की ये सेक्सी कहानी जो मैं ले के आया हूँ मैं उसके अन्दर इन्वोल्व नहीं हू. लेकिन इस चुदाई को मैंने अपनी आँखों से देखा था. मैं मस्त मौला किस्म का आदमी हूँ. अगल बगल में क्या होता हैं उसकी मुझे ज्यादा परवाह नहीं होई हैं.
उसका नाम किंजल शर्मा हैं और उसकी उम्र करीब 27 साल की होगी. शादी हो चुकी हैं उसकी और उसको एक बेटा भी हैं. जब वो मेरेज के बाद ससुराल में आई तो किसी हिरोइन के जैसा एकदम कच्ची कली सा बदन था उसका और फिर प्रेग्नन्सी के बाद उसका बदन एकदम से भरा हुआ हो गया जैसे.
किंजल का ससुराल मेरे सामने ही हैं और एक दिन जब मैं अपने सूखे हुए पेंट को लेने के लिए गया तो उसके घर में मुझे कुछ हलचल होती हुई दिखी. तभी उसके चीखने की भी आवाज आई जिसके ऊपर मैंने तवज्जो नहीं दी क्यूंकि अक्सर उसका अपने पति के साथ झगडा होता ही था.
लेकिन शाम को मैं जब निम् के निचे की बेंच के ऊपर अपने पडोसी और दोस्त लखन के साथ बैठा था तो उसने मुझे एक अजीब बात बोली. वो बोला की किंजल के उसके ससुर जी मथुरा सिंह ने पकड के बूब्स मसल दिए थे. मैं समझ नहीं पा रहा था की ये सच बात थी या फिर उसने ऐसे ही गप लगाईं थी.
मैंने कहा ऐसे कैसे कोई ससुर अपनी बहु के चुचे पकड लेगा!
मुझे उसकी बात सच नहीं लेकिन जूठ लगी इसलिए मैंने उसके ऊपर ध्यान ही अहि किया. लेकिन अन्दर ही अन्दर से मैं सच में बेताब था और मेरा दिल मुझसे कह रहा था मामले की जांच के लिए. वैसे किंजल का पति अक्सर काफी दिनों तक घर से बहार रहता था. इसलिए इस एंगल से बात सच होने का अंदेशा भी था.
फिर मेरी नजर किंजल के मकान के ऊपर रहती थी जब भी मैं घर पर रहूँ. सन्डे वाले दिन तो जासूसी पूरा दिन होती थ. ऐसे ही ओ हफ्ते निकल गए लेकिन मुझे तो कुछ नजर नहीं आया. लेकिन एक बात ये अच्छी हुई थी की किंजल के साथ नजरें मिलने लगी थी मेरी.
किंजल भी जानती थी की मैं उसके पीछे हूँ और उसे पटाना चाहता हूँ. अब भला उसको क्या पता की मुझे तो उसकी और उसके ससुर जी की कामक्रीडा देखनी थी. दोस्तों आप ये कहानी मस्ताराम डॉट नेट पे पढ़ रहे है।
एक सन्डे को मैं बहार निकला तो देखा की आज किंजल के मकान में वो अपने ससुर जी के साथ अकेली ही थी. मथुरा भी मूड में लग रहा था. बगल के नाइ से दाढ़ी शेव करवा ली थी उसने. और अपने सफ़ेद बालो को काली महंदी से छिपा लिया था. मुछों की धारो को भी कुतरवा के एकदम नुकिली कर रखी थी उसने. मेरे मन में एक चीज घूम रही थी की शायद आज इस ससुर और उसकी हॉट बहु की चुदाई देखने को मिलेगी!
ऐसे करते करते दोपहर हो गई. समर के दिन थे और दोपहर में सब सो जाते हे और गली सुनसान बन जाती हैं दोपहर में तो. मैंने अपने कान और आँखे दोनों को अंजली की खिड़की के ऊपर ही लगाया हुआ था. और फिर मुझे दो तिन बार अंजली के बोलने की आवाज आई. मैंने सोचा की उसकी खिड़की से ही झाँक लेता हूँ. खिड़की के पास आया और इधर उधर देखा. पूरी गली खाली थी तू मैं खिड़की के पास ही खड़ा हो गा.
अंदर से किंजल की आवाज आई: डेडी जी ये गलत हैं, हम दोनों के बिच में ससुर बहु का रिश्ता हैं उसका ही लिहाज कर लो आप.
नाथ ने कहा: अरे बहु तुम कुछ भी कहो लेकिन अब मेरे इ ये सब बर्दाश्त नहीं हो रहा हैं, जब से ब्याह के आई हो मेरे लंड में आग तुमने ही लगाइ हैं.
अबे बेशर्म बूढ़े, इतनी ही आग लगी हैं तो लंड पर बर्फ डाल ले, और तेरी बीवी भी तो जिन्दा हैं अभी, उसे जा के पकड ना मुझे मत छुआ करो.
मथुरा की साँसे उखड़ रही थी और उसके मुहं में पानी आया हुआ था. वो बोला: अरे बहु एक बार अपना गुलाम बना लो मुझे, और फिर मैं तुम जो कहोगी वही करूँगा कसम से ये कह के मथुरा ने किंजल को बाहों में जकड़ लिया. किंजल ने उसे धक्का दिया और बोली, पापा जी आप छोडो मुझे, अरे छोडो मेरे स्तन को उसमे दर्द हो रहा हैं मुझे. और फिर वो गाली गलोच के ऊपर आ गई, अरे बेन्चोद बूढ़े साले मादरचोद छोड़ ना मुझे.
मैं समझ चूका था की बूढ़े मथुरा केलौड़े इ आग लगी थी और वो घर में अकेली बहु को चूत देने के लिए कह रहा था और मैं उसकी पर्सीस्टंट देख के समझ गया था की आज मथुरा जरुर किंजल का बुर चोदेगा.
अंदर से जो आवाजे आ रही थी वो सुन के मेरी बेचेनी भी बढ़ रही थी और मैने अपनी आँखों को खिड़की के ऊपर लगा के देखना चाहा की अन्दर साला हो क्या रहा हैं.
फिर मैंने सोचा की यहाँ से देखना खतरे से खाली नहीं हैं क्यूंकि गली में कोई भी आ सकता था. इसलिए मैं मकान के पीछे की तरफ चला गया. दबे पाँव में अन्दर घुसा. वो लोग जिस कमरे में थे वहां देखने के लिए मुझे सही जगह मिल गई थी और वहां पर मुझे दोनों की आवाज और द्रश्य दोनों एकदम सही आ रहे थे.
किंजल बोली: पापा जी प्लीज़ जान दो मुझे, आप के बेटे को पता चला तो फिर अआप सोचो की आप की हालत कैसी होगी?
लेकिन पापा जी खड़े लंड के ऊपर कंट्रोल नहीं कर सकते थे मथुरा ने कहा: अरे किंजल कुछ मत कह मुझे, मैंने वो सब चीजे पहले से ही सोच के रखी हैं. सच कहूँ तो मैं जब सब कुछ कर के भी नहीं रुका तो मैंने तुम्हे बोला. दोस्तों आप ये कहानी मस्ताराम डॉट नेट पे पढ़ रहे है।
अंदर का सिन कुछ ऐसा था. मथुरा एकदम न्यूड था और उसका लंड एकदम खड़ा कडक था. वो अपने लोडे को एक हाथ से सहलाते हुए बातें कर रहा था और उसकी बहु बिस्तर के ऊपर बैठी हुई थी और वो लंड की तरफ नहीं देख रही थी. किंजल के बूब्स को बिच बिच में पकड़ के मथुरा दबा रहा था.
मुझे सच में अब किंजल की नियत के ऊपर भी डाउट होने लगा था. क्यूंकि अगर उस को ससुरजी का लंड नहीं लेना था तो फिर वो बिस्तर के उपर क्यूँ बैठी थी? वो उठ के चली जाती उठ के वहाँ से! और वो अपने ससुर जी का ज्यादा विरोध भी नहीं कर रही थी उतने जोर शोर से. वो कहते हैं ना नौटंकी!
तभी ससुरजी ने किंजल के हाथ को खिंचा और उसकी हथेली में अपना लंड पकड़ा दिया. किंजल ने जल्दी से हाथ को पीछे किया. लेकिन किंजल के हाथ को वापस मथुरा ने लंड पर रख दिया. अब किंजल रोते रोते हुए अपने ससुर जी के लंड को सहलाने लगी.
मथुरा सिंह आँखे बंद किये हुए कराह रहा था. उसके मुहं से मीठी और ठन्डी आहें निकल रही थी. अब मथुरा ने किंजल को लंड मुहं में ले के चूसने के लिए कहा. लेकिन किंजल ने उसके लिए मना कर दिया ससुर जी को. पर मथुरा ने किंजल के माथे को पकड़ा और एक हाथ से उसके मुहं को खोल के खुले हुए मुहं में अपना लंड जबरन दे दिया.
अंजली ने लोडे को बस थोड़ा सा ही चूसा और फिर अपने मुहं से बहार कर दिया. किंजल के इस कदम को देख के मथुरा की नाक फुल गई थी वो गुस्सा हो गया. और अब मथुरा सिंह ने बहुरानी के कपडे उतारने चालू कर दिए.
किंजल के नंगे बदन का नजारा बड़ा ही सेक्सी था. मैंने अपने शर्ट की जेब से मोबाइल निकाल लिया और इन दोनों की मूवी बनानी चालू कर दी. किंजल नौटंकी करते हुए विरोध दिखा रही थी. लेकी मैं जानता था की ससुर के बड़े लोडे ने उसके मन में चुदास को जगा दिया था. मथुरा ने कुछ ही देर में किंजल को पूरा नंगा कर दिया.
किंजल को ऐसे एकदम न्यूड देख के मेरा लंड भी एकदम पागल सा हो रहा था. मन तो मेरा भी हो रहा था की धडाम से दरवाजे को खोल के खुश जाऊं और इस बूढ़े को हटा के किंजल की सेक्सी चूत में खुद ही अपना लंड डाल दूँ नंगी होने के बाद में किंजल अपने हाथ को अपनी बुर और बूब्स के ऊपर रख के उन्हें छिपाने की नाकाम कोशिश में लगी हुई थी. मथुरा ने उसे धक्का दे के बेड पर डाला और खुद उसकी टांगो को फैला के उसकी चूत में अपनी जबान घुसेड के चाटने लगा.
किंजल ने अब अपना छटपटाना और ससुर जी का विरोध करना बिलकुल ही बंद कर दिया था. और उसका रोना भी बंद हो गया था. उसके आंसू चले गए थे और कुछ देर पहले जो दर्द था वो अब सिसकियों में और आहों में बदल रहा था. वो आहें जो सेक्स के नशे में चूर औरत के गले से निकलती हैं.
अपने ससुर जी को वो अब उकसा रही थी और अह्ह्ह अह्ह्ह्ह पापा अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्हह करने लगी थी. उसके हाथ मथुरा सिंह के माथे को बुर के ऊपर और भी दबा रहे थे. और किंजल के पुरे बदन में अब चुदास का नशा चढ़ता हुआ दिख रहा था.
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