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दीदी और अम्मी की चुदाई-1

प्रेषक: राहुल

दोस्तों ये कहानी मेरे एक दोस्त ने मुझे मस्तराम डॉट नेट के गुरु जी को भेजने के लिए बोला और मैंने भेज दिया आप लोग पढ़ के मजे करते रहिये | दीदी अब पूरी तरह से मेरे साथ खुल के बात कर रही थी सो मैंने भी उनको चुदने के लिए तैयार करने की गरज से उनकी चूचियों को मसलते हुए कहा ,” और क्या देखा तुमने दीदी ?” ……….
” कुछ नहीं मै रात को पेशाब करने के लिए उठी तो देखा कि अम्मी के कमरे की लाइट जल रही है व दरवाजा थोड़ा सा खुला है , मैंने जब झाँका तो देखा कि अब्बू अम्मी की सलवार का नाडा खोल रहे थे। मै चुपचाप देखती रही , उन्होंने फिर अम्मी का कुरता भी उतार कर उन्हें बिल्कुल नंगा कर दिया , अम्मी ने भी अब्बू की लुंगी और बाकी के कपडे उतार कर उन्हें नंगा कर दिया उस वक़्त मैंने अब्बू का लंड देखा था , इस उमर में भी बिल्कुल काले नाग की तरह फुँफकार रहा था उस वक़्त मुझे वो सबसे मस्त लंड लगा था क्योंकि मूतते हुए लोगों के लंड ढीले ढाले होते थे , ये सतर लंड मैंने पहली बार ही देखा था , उस वक़्त मुझे लगा कि अब्बू का ये छह इंची लंड ही सबसे मस्त है लेकिन तेरा लंड तो उनके भी लंड से कहीं ज्यादा मोटा और लम्बा है” नशे में टुन्न दीदी ने मेरे लंड को सहलाते हुए बताया
” और क्या देखा दीदी , पूरी बात बताओ ना” मैंने उनकी चूचियों को मसलते हुए पूछा
” अब्बू ने अम्मी को बेड पर घोड़ी की तरह खड़ा करके उनके पीछे से चूत पर अपना लंड टिका कर एक झटके में पेल दिया और अम्मी की कमर थाम के सटासट अपना लंड अम्मी की चूत में अन्दर बाहर करते हुए चोदने लगे। ” दीदी फुल बेशर्मी के साथ अपनी अम्मी की चुदाई की दास्तान बताती बोली।
मैंने देखा कि मेरा लंड फिर से फनफनाने लगा था सो मैंने दीदी की चूत को सहला कर देखा कि वो भी पनीली हो रही है। अतः मैंने दीदी को चोदने की गरज से कहा ,” इसका मतलब मामी को चुदने में बहुत मज़ा आ रहा होगा”
” और नहीं तो क्या , चूत को तो वैसे भी एक अदद लंड की हमेशा चाहत रहती है” दीदी मेरे चूत रगड़ने से मस्त होते हुए कमर हिलती हुयी बोली
” तो दीदी , इसका मतलब तुम्हारी चूत भी लंड की चाहत रखती होगी , अगर हाँ तो मेरा लंड क्या तुम्हे पसंद नहीं आया , कसम से दीदी एक बार आज़मा के तो देखो , मामू से भी ज्यादा ढंग से मस्त बना दूंगा” मैंने अपने लंड को दीदी की चूत पर कसके रगड़ते हुए कहा
” तूने तो मेरे मन की बात ही छीन ली पगले , जबसे तेरे लंड के मेरी चूत ने दीदार किये है वो चुदने के लिए बेकरार हुई जा रही है” दीदी मस्त होते हुए बोली ” आज तू इसे ज़रा जम के चोद दे मेरे भैय्या , ये मेरी चूत पता नहीं कब से तेरे ही जैसे लंड के लिए तड़प रही है “
” क्यों नहीं दीदी , एक भाई का लंड अगर अपनी बहन की चूत की प्यास भी नहीं बुझा सकता तो लानत है ऐसे भाई और उसके लंड पर” मैंने दीदी की चूचियों को मसलते हुए कहा ” पर एक बात सच सच बताओ दीदी , क्या पूरे लुधियाने में तुम्हे आजतक कोई ऐसा लंड नहीं मिला जो तुम्हारी चूत की खुजली मिटा सके “
” अब्बू के डर से आज तक सिर्फ उंगली से ही काम चलाया है मुन्ना , वो खुद तो रोज़ रोज़ अम्मी की चूत में अपना लंड पेल के पूरा मज़ा लेते है और मेरे बारे में बिलकुल भी नहीं सोचते कि आखिर ये भी एक चूतवाली है और इसका भी किसी लंड से चुदवाने का मन होता होगा ” दीदी भुनभुनाते हुए बोली
” कोई बात नहीं दीदी , आज मै सारी कसर पूरी कर दूंगा , वो जम के तुम्हारी चूत को अपने इस लंड से चोदूंगा कि तुम ताउम्र याद रक्खोगी” मैंने दीदी के रसीले होंठो को चूमते हुए कहा। मैंने दीदी को टाँगे पेट की तरफ मोड़ कर पूरी तरह से फ़ैलाने को कहा , दीदी ने तुरंत आज्ञा का पालन करते हुए अपनी टाँगे फैला दी। अब जैसे दीदी की चूत मेरे लंड को चोदने का खुला निमंत्रण दे रही थी। मैंने दीदी की चूत पर अपने लंड का सुपाडा टिका कर कस के उनके कंधे पकड़ लिए और एक ही धक्के में अपना आधा लंड दीदी की चूत में ठांस दिया। दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
” हाय अल्ला , बहुत दर्द हो रहा है भैय्या , प्लीज अपना लंड बाहर निकल लो ना ” दीदी ने गिडगिडाते हुए कहा ” पता नहीं अम्मी कैसे अब्बू से मज़े ले ले के चुदवाती हैं “
” यह सिर्फ पहली बार होता है दीदी , उसके बाद तुम्हे भी मामी की तरह भरपूर मज़ा आयेगा , बस सिर्फ कुछ धक्के बर्दाश्त करलो मेरी प्यारी दीदी , फिर तुम देखना कितना मज़ा आता है ” मै दीदी को सांत्वना देता हुआ बोला
” ठीक है भैय्या पर ज़रा आहिस्ते से चोदना , कहीं तुम्हारी इस बहन की चूत फट न जाये ” दीदी कराहते हुए बोली
” तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो , ऐसा कभी हो सकता है
कि मै अपनी दीदी की चूत को फाड़ दूं , कभी नहीं , आखिर तुम्हारी चूत जीजा को भी तो चोदनी है ,तुम निश्चिन्त हो कर सिर्फ ये दो चार धक्के बर्दाश्त कर लो प्लीज ” मै दीदी के निप्पलों को मसलते हुए बोला
मैंने अपने लंड को थोडा सा बाहर खींच कर एक झटके में ही पूरा का पूरा दीदी की चूत में ठांस दिया , मेरा पूरा लंड दीदी की चूत में चरचराता हुआ जड़ तक पहुँच गया। दीदी के मुंह से चीख निकल गयी मैंने कस कर दीदी का मुंह बंद करते हुए सटासट चार पांच धक्के उनकी चूत में ठोंक दिए फिर दीदी का मुंह धीरे से खोलते हुए पुछा ” अब कैसा लग रहा है दीदी ” मेरा लंड बराबर उनकी चूत को चोदे जा रहा था।
” अब तो कुछ ठीक है पर उस वक़्त तो ऐसा लगा कि जान ही निकल गयी , आ s s s s ह मेरे भैय्या और चोदो सही में अब तो बड़ा मज़ा आ रहा है” दीदी सिसकारियां लेते हुए बोली
” चिंता मत करो दीदी , आज मै तुम्हारी चूत की सारी की सारी खुजली मिटा दूंगा ” ये कहते हुए मैंने चोदने की स्पीड और बढा दी। अब मै अपने लंड को दीदी की चूत में फुल स्पीड से अन्दर बाहर कर रहा था। दीदी भी पूरी मस्ती के साथ अपनी चूत उठा उठा के मेरे लंड से चुदाई का भरपूर मज़ा ले रही थी। अचानक दीदी का शरीर थोडा तन के ढीला पड़ गया और मुझे अपने लंड पर गरम गरम महसूस होने लगा , मै समझ गया कि दीदी झड गयी मैं भी उन्हें अब पूरी ताक़त से चोदने लगा और फिर मेरे लंड ने भी दीदी की चूत में अपना गाढ़ा गाढ़ा वीर्य छोड़ दिया। हम दोनों ही एक दूसरे की बांहों में हांफते हुए लाइट जलती हुई छोड़ कर नंगे ही कब सो गए हमें पता ही नहीं चला शायद यह व्हिस्की का भी असर था। अचानक ………
अचानक कमरे के दरवाजे पर खटका सा हुआ , चूँकि मै निश्चिंत होकर सो रहा था क्योंकि घर में कोई था ही नहीं सिर्फ रज़िया को छोड़ कर , वह भी ऊपर पढाई कर रही थी सो मैंने आँखों में हल्की सी झिर्री बना कर दरवाजे की तरफ देखा तो मेरी तो गांड ही फट गयी क्योंकि दरवाजे में रज़िया खड़ी हम लोगों को इस अवस्था में देख रही थी। हम दोनों ही पूरी तरह नंगे एक दूसरे से चिपके लेटे थे , दीदी ने एक हाथ से मेरा लंड थामा हुआ था और मेरे एक बाजू पर सर रख कर आराम से सो रही थीं और मेरा एक हाथ उनकी मस्त दूधिया चूचियों पर था। ऐसी हालत में रज़िया हम लोगों को दरवाजे में खडी देख रही थी। मै सोच रहा था कि अब यह सबको बता देगी कि रात में जब यह ऊपर पढाई कर रही थी तो नीचे मैंने दीदी को किस तरह से चोदा। मेरी अम्मी और अब्बू को ज़ब यह पता चलेगा तो वह बिना थूक लगाये ही मेरी गांड मार लेंगे।इन सारी बातों से बचने का सिर्फ एक ही रास्ता था कि मै रज़िया की कुंवारी चूत में भी अपना लंड पेल के उसको भी दीदी की तरह चोद देता लेकिन रज़िया को पटाना बहुत ही मुश्किल लग रहा था हालाँकि उसकी चूत पूरी तरह से चुदने के लायक हो चुकी थी परन्तु उसकी किसी भी हरकत से ऐसा नहीं लग रहा था कि वह अपनी चूत को चुदवाने की इच्छा रखती है। दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
तभी रज़िया दरवाजे से हटकर किचिन में चली गयी और थोड़ी देर बाद उसके सीढियों से ऊपर जाने की आवाज़ आयी। मेरी आँखों से नींद कोसों दूर जा चुकी थी व कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या किया जाय। आखिर में मैंने सब कुछ ऊपर वाले पर छोड़ दिया कि दीदी को तो मै चोद ही चुका हूँ अब जो कुछ भी होगा देखा जाएगा।
तभी दीदी ने सोते में मेरे लंड को अपनी मुठ्ठी में दो तीन बार ऊपर नीचे करके बडबडाया ,” ओ मुन्ना ! ज़रा कस के चोदो ना , फाड़ के रख दो अपनी दीदी की चूत को , पता नहीं कब से ये तुम्हारे जैसे लंड के लिए तरस रही थी” यह कह कर दीदी ने अपनी एक टांग उठा कर मेरी टांग पर रख ली और दो तीन बार मेरी जांघ से अपनी चूत को रगड़ दिया। दीदी शायद सोते में भी अपनी चुदाई का सपना देख रहीं थीं। यह सब देख कर सारी टेंशन भूल कर मेरा लंड फिर से अंगड़ाई लेने लगा। मैंने धीरे से थोड़ी सी करवट लेकर अपने हाथ से दीदी की मक्खन मलाई जैसी गांड को मसलना शुरू कर दिया। अब मेरा लंड पूरी तरह खड़ा हो चुका था , मैंने दीदी का हाथ अपने लंड से हटा कर अपने गले में डाल लिया और पूरी तरह से करवट लेकर अपना लंड उनके दोनों जांघों के जोड़ पर टिका कर रगड़ना शुरू कर दिया। दीदी को भी हौले हौले मज़ा आने लगा था सो उन्होंने एक टांग उठा कर मेरी कमर पर चढ़ा ली। अब मेरे लंड को चूत के पूरी तरह से नज़ारे हो गए। मैंने अपने लंड को दीदी की चूत पर टिका कर सुपाडे को चूत में अन्दर बाहर करने लगा। मैंने दीदी के रसीले होंठो को चूसते हुए अपनी जीभ दीदी के मुंह में डाल दी , अब दीदी की चूत भी पनीली हो चुकी थी उन्होंने धीरे से आँखे खोलते हुए मेरी जीभ को लोलीपॉप की तरह चूसना शुरू कर दिया। मेरा लंड अब दीदी की चूत को फिर से चोदने के लिए पूरी तरह से तैयार था। दीदी भी अपनी चूत को चुदवाने के लिए बेताब नज़र आ रही थी। मैंने भी देर न करते हुए दीदी को अबकी बार घोड़ी बना कर खडा कर दिया और उनके पीछे की तरफ जाकर पनीली चूत पर लंड को टिका कर एक झटके में ठांस दिया।
” अरे बहनचोद ! आज तो मज़ा आ गया , चोद मेरे भैय्या और जम के चोद अपनी दीदी की चूत को, फाड़ के रख दे आज तू , अगर मुझे पता होता कि तू मेरी चूत में अपने इस शानदार लंड को ठांसना चाहता है तो मै पहले ही तुझसे चुदवा लेती , पता नहीं कबसे मेरी चूत लंड की प्यासी थी मेरे राजा …… आआआह चोद खूब चोद आज तू” दीदी मस्ती में बडबडाई।
मेरा लंड दीदी की चूत को धकाधक चोद रहा था। फिर मैंने दीदी की चूत से लंड को बाहर खींच लिया
” क्या हुआ मादरचोद ! लंड क्यूं बहार निकाल लिया।” दीदी थोडा गुस्से से बोली
” अरे कुछ नहीं दीदी , ज़रा तुम्हारे दूसरे छेद को ट्राई करने का दिल कर रहा है , तुम बस चुपचाप मज़े लेती रहो। ” मैंने दीदी की गांड को थूक से गीला करते हुए कहा
” क्या बोला भोसड़ी के ! तू मेरी गांड मारेगा , नहीं नहीं तेरा ये हलब्बी लंड मेरी गांड बर्दाश्त नहीं कर पायेगी , तू चूत में पेल ना , अब तुझे क्या मेरी चूत में मज़ा नहीं आ रहा है।” दीदी ने अपनी गांड को थोड़ा सा उंचा करके मेरे लंड को दोबारा अपनी चूत में लेने की कोशिश करते हुए कहा
” तुम बस चुपचाप घोड़ी बनी पिलवाती रहो दीदी और देखती जाओ मै तुम्हे कैसे कैसे मज़े दिलवाता हूँ ” मैंने दीदी की गांड पर अपने लंड का सुपाडा टिकाते हुए कहा। मै जानता था कि चूत और गांड बिलकुल डिफरेंट होतीं है सो मैंने दीदी की कमर को कसके पकड़ के अपने तकरीबन एक चौथाई लंड को गांड में ठांस दिया।
” हाय हाय मार डाला इस मादरचोद ने ” यह कह कर दीदी बेड पर उल्टी ही लेट गयी। मैंने भी झट से दीदी की कमर को छोड़ कर उनकी बगल में हाथ डाल कर कंधे जकड लिए और अपने पैरों से उनकी टांगों को चौड़ा कर फैला दिया लेकिन इस उठापटक में मेरा लंड दीदी की गांड से बाहर निकल गया।
” मुन्ना प्लीज ! मेरी गांड मत मार , बहुत दर्द हो रहा है …. तू मेरी चूत क्यों नहीं मारता है बहनचोद ” दीदी गिडगिडाते हुए बोली लेकिन मेरा लंड दीदी की फुल टायट गांड में जाकर दुबारा घुसने के लिए बुरी तरह फनफना रहा था और दीदी बुरी तरह से जकड़ी मेरे नीचे बेबस भी थी सो मैंने उनकी चीखों पर ध्यान न देते हुए अपने लंड पर थूक लगाकर फिर से उनकी गांड पर टिका कर अबकी बार एक झटके में तकरीबन आधा ठांस दिया।
” हाय हाय कोई मुझे इस बहन के लौड़े से बचाओ , कमीने मेरी गांड फट गयी है मादरचोद , अब तो छोड़ दे ” दीदी मेरे नीचे फडफड़ाने की कोशिश करते हुए चिल्लाई। मै तो जैसे बहरा हो गया था। ये मौक़ा मुद्दत बाद मेरे हाथ आया था जिसे मै किसी भी कीमत पर गवां नहीं सकता था सो मैंने उसी पोजीशन में थोड़ी सी कमर उचका कर एक कस के धक्का मार कर पूरा का पूरा लंड दीदी की गांड में ठांस दिया।
” हाय अल्ला , मर गयी …….. अरे मादरचोद छोड़ दे , मेरी गांड बुरी तरह से फट गयी है ………. ऐसा लग रहा है कि गांड में किसी ने पूरा का पूरा भाला घुसा दिया है …….. छोड़ दे बहनचोद …… छोड़ दे ” दीदी अब बुरी तरह से चिल्ला रही थी लेकिन मै जानता था कि उनकी चीखें सुनने वाला वहां कोई नहीं था सो मै निश्चिन्त होकर उनकी चीखें अनसुनी करता हुआ गांड मार रहा था। अब दीदी की गांड पूरी तरह से रवां हो चुकी थी सो वह अब शांत होकर गांड मरवा रही थी। फिर मैंने दीदी की गांड से लंड को बाहर निकाल लिया और उन्हें चित्त लिटा कर उनकी चूत में फिर से पेल दिया। दीदी की चूत गांड मरने से भकाभक पानी फ़ेंक रही थी सो मैंने अपने लंड को निकाल कर अपना लंड और उनकी चूत को ढंग से पास पडी नाइटी से पोंछ लिया। अब मैंने दुबारा अपने फनफनाते लंड का सुपाडा दीदी की चूत पर टिका कर एक झटके में पूरा का पूरा लंड जड़ तक ठांस दिया। दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
” हाय हाय कुत्ते !! आज क्या तू मेरे सारे छेद फाड़ कर ही दम लेगा कमीने ……. मादरचोद ……. भोसड़ी के …… मुझसे क्या दुश्मनी है जो इतनी बेरहमी से ठोंक रहा है , ये तो देख लेता कि चूत सूखी है या गीली” दीदी फिर से चिल्लाई
” चिंता मत कर मेरी रानी दीदी ……… आज तेरे सारे छेद रवां हो जायेंगे …… तेरी सारी की सारी खुजली मिटा दूंगा ” मैंने दीदी की रसीली मस्त मस्त चूचियों को कस कस के मसलते हुए उनकी चूत की पटरी पर अपने लंड की रेलगाड़ी दौडाते हुए कहा।
” आआआआआह बहनचोद ! आज तो तूने वाकई सारे नट बोल्ट ढीले कर दिए कमीने ….. ऒऒऒओह ………… आआआआआह …………. हा s s य ……… हाआआआय” कहते हुए दीदी का शरीर अचानक तन कर ढीला पड़ गया , मेरे लंड पर दीदी की चूत ने गरमागरम पानी छोड़ दिया। मेरा लंड भी अब फुल स्पीड से दीदी की चूत में अन्दर बाहर हो रहा था , उनकी चूत से पानी रिस रिस कर उनकी गांड के चौड़े छेद में जा रहा था। मुझे भी अब अपना स्टेशन नज़र आ गया था सो मेरे लंड ने दीदी की चूत में गाढ़ा गाढ़ा वीर्य छोड़ दिया। अब हम दोनों ही बुरी तरह से थक कर चूर हो चुके थे। हम दोनों एक दूसरे की बांहों में पड़े हांफ रहे थे फिर कब हम दोनों उसी पोजीशन में सो गए ये पता ही नहीं चला। 
हमेशा की तरह सुबह तकरीबन साढ़े छः बजे मेरी आँख खुली तो मैंने देखा दीदी बेड पर हाथ ऊपर को किये टाँगे फैलाये सो रही थी। उनकी बड़ी बड़ी गुलाबी मस्त चूचियां उन्नत पर्वत शिखरों सी मुझे ललकारती लग रहीं थीं। मैंने उठ कर उनकी चूत को इस वक़्त ध्यान से देखा तब पता चला कि रात में जो मैंने बुरी तरह से चोदा था इस वज़ह से वह सूज गयी थी व चारों तरफ खून निकल कर सूख कर चिपका था, थोडा नीचे झुक के देखने पर पता चला कि गांड का छेद अभी तक चौड़ा था।
फिर मैंने अपने लंड पर एक निगाह डाली जो रात की कुश्ती के बाद अब मस्त होकर शांत पड़ा था। मैंने चारों तरफ देखा , हर तरफ सन्नाटा था जिसका मतलब था कि रज़िया अभी तक नीचे नहीं आयी थी। मैंने सोच लिया था कि इस रज़िया नाम की मुसीबत का कोई ना कोई हल तो ढूँढना ही पड़ेगा। मैं धीरे से दीदी के बालों को सहलाते हुए उनके होठों को चूसने लगा। दीदी ने कराहते हुए धीरे से आँखे खोल दीं। ” अब उठ जाओ दीदी , सुबह हो चुकी है। कभी भी कोई आ सकता है “
दीदी भी सारी बात समझते हुए बिना देर लगाए एक झटके में उठ कर बेड से उतर गयीं। जैसे ही उन्होंने बेड से ज़मीन पर पैर रक्खे उनके मुंह से एक चीख सी निकल गयी ,
” हाय अल्ला s s s s s s मर गयी ” कहते हुए दीदी फिर से बेड पर धम्म से बैठ गई।
” क्या हुआ दीदी ! सब ठीक तो है ” मैंने दीदी के नंगे बदन को सहलाते हुए पूछा
” क्या खाक़ ठीक है , कमीने पूरी रात चोद चोद के सारे दरवाजे खिड़कियाँ सब तोड़ डाले , कोई भी छेद नहीं छोड़ा तूने हरामी जिसमे अपना लंड न पेला हो और अब पूछता है क्या हुआ दीदी ” दीदी गुस्से और दर्द से भिन्नाते हुए बोली।
” अरे दीदी ! रात गयी बात गयी और फिर मज़ा तो तुमने भी पूरा लिया था , कुछ पाने के लिए कुछ तो खोना ही पड़ता है पर तुम चिंता मत करो मै अभी तुम्हे नाश्ते के बाद दवा लाकर दे दूंगा जिससे दो खुराकों में ही तुम रात तक बिल्कुल ठीक हो जाओगी। अब फ़टाफ़ट नहा धोकर तैयार हो जाओ कहीं रज़िया नीचे ना आ जाये और फिर हमें अस्पताल भी तो जाना है” मैंने दीदी को समझाया
” रज़िया तो आठ बजे से पहले नीचे नहीं आयेगी लेकिन हाँ हमें जल्दी से अस्पताल के लिए तैयार हो जाना चाहिए” दीदी ने कहा
किसी तरह से दर्द को बर्दाश्त करते हुए दीदी उठ कर खड़ी हुई और नंगी ही बाथरूम की तरफ चल दी। पूरी रात चुदने के बाद अब उसमें किसी भी तरह की शर्म या हया बाकी नहीं बची थी। उसकी टाँगे v शेप में ज़मीन पर पड़ रहीं थीं , उसने अपने निचले होंठ को दाँतों से कस कर दबा रक्खा था। हाय हाय करते हुए किसी तरह वह बाथरूम में घुस गयी लेकिन उसने दरवाजा खुला ही छोड़ दिया था। अन्दर से छु र्र र्र र्र र र र र र की आवाज़ मुझे सुनायी दी , मै समझ गया कि अब वह पेशाब कर रही थी। मैं भी फ़टाफ़ट बेड से नीचे उतरा और अपनी बनियान व अंडरविअर ढूंढ कर पहने व ऊपर से लुंगी लपेट ली। तभी मेरी निगाह बेडशीट पर चली गयी जिस पर खून के ढेर सारे निशान थे। मैंने अलमारी से दूसरी बेडशीट निकाल कर तुरंत बदली और उस बेडशीट को वाशिंग मशीन में डाल कर ब्लीच और सर्फ़ मिला के मशीन ऑन कर दी। तभी दीदी ने बाथरूम से आवाज़ लगाई , ” अरे मुन्ना ! ज़रा तौलिया तो देना ” मै तौलिया लेकर बाथरूम में पहुँचा , मैंने देखा दीदी नहा धोकर नंगी खडी थी। पूरी रात ढंग से चुदने के बाद सुबह नहा कर उनका हुस्न और निखर आया था लेकिन मैंने अपने अन्दर के ज़ज्बातों को दबाते हुए उन्हें तौलिया देकर कहा , ” दीदी ! रात में एक गड़बड़ हो गयी है , जब हम तुम चुदाई करके सो रहे थे तो रज़िया नीचे शायद खाना लेने आयी थी और उसने तुम्हे मेरे बगल में नंगे लेटे देख लिया। वह समझ गयी होगी कि मैं तुम्हे चोद चुका हूँ “
” सत्यानाश ! ये तो बहुत बड़ी गड़बड़ हो गयी मुन्ना , अगर उसने अब्बू को बता दिया तो वो मुझे जान से मार डालेंगे” दीदी घबराते हुए बोली
” दीदी घबराने से काम नहीं चलेगा , हमें ठन्डे दिमाग से इस समस्या का हल ढूँढना होगा ” मैंने दीदी को समझाते हुए कहा
” लेकिन इस समस्या का आखिर क्या हल हो सकता है ” दीदी ने कपडे पहनते हुए कहा
” एक हल मेरे दिमाग में आ रहा है , अगर किसी तरह से रज़िया चुदवाने को तैयार हो जाय तो सारी प्रॉब्लम ही सोल्व हो जायेगी” मैंने दीदी को आइडिया देते हुए कहा
” तुम्हारा दिमाग खराब हो चुका है , पहले तो शायद वह चुदने को तैयार ही नहीं होगी और अगर मान लो वो तैयार हो भी गयी तो तुम्हारे इस मूसल जैसे लंड से उसकी छोटी सी चूत का क्या हाल होगा ये सोचा है क्या ? ” दीदी ने थोडा गुस्से से कहा
” अरे दीदी ! कल रात तुम्हारी चूत भी तो छोटी सी थी लेकिन मेरा पूरा का पूरा लंड पिलवा पिलवा के खूब चुदी , गलत कह रहा हूँ मै ? मैंने दीदी को समझाते हुए कहा
” हाँ हाँ , रात की चुदाई अभी तक भुगत रही हूँ , कमीने दो कदम भी चलना मुश्किल होरहा है , टाँगे फैला फैला के चल रही हूँ …. चूत अभी तक सूज़ के कुप्पा रक्खी है और गांड वो तो इतना दर्द कर रही है कि लेट्रिन भी बड़ी मुश्किल से कर पाई हूँ नाशपीटे , तू बहुत ही बुरी तरह से चोदता है। रज़िया तो मर ही जायेगी तेरी इस चुदाई से, पूरे साढ़े चार साल मुझसे छोटी है ” दीदी ने रात की भड़ास निकालते हुए कहा
लेकिन मै जानता था कि बिना रज़िया को चोदे इस समस्या का हल नहीं निकलेगा सो मैंने भी किसी ना किसी तरह दीदी को पटाने की ठान ली और हम दोनों सोती हुयी रजिया को घर में ही लॉक करके अस्पताल को निकल गए। अस्पताल में मामू और अम्मी हम दोनों का ही वेट कर रहे थे। जब हम दोनों वहाँ पहुँच गए तो अम्मी और मामू बारी बारी फ्रेश हो आये और हम सब ने मिल कर नाश्ता कर लिया।
” क्यों रे मुन्ना ! तू यह सोच कर आया होगा कि मामू के यहाँ चल कर मौज मस्ती करेंगे लेकिन तू इस लफड़े में पड़ गया” मामू मुझसे बोले
” अरे नहीं मामू ! ये तो बाई चांस की बात है कि मामी गिर गयीं और फिर सिर्फ आज की ही तो और बात है , कल तो मामी घर पहुँच ही जायेगी। मौज मस्ती दो दिन बाद सही , कौन सी आफत आ जायेगी” मैंने ज़बाब दिया
” अच्छा अब तुम लोग घर जाओ , रजिया भी जाग गयी होगी ” मामू ने कहा
” ठीक है मामू ! अगर कोई बात हो तो फोन कर देना ” यह कह कर मै दीदी को बाइक पर बिठा कर घर की तरफ चल दिया। रस्ते में मैंने दीदी के लिए दो खुराक दवा कीं लीं और घर पहुँच गया। घर पहुँच के हमने देखा कि रजिया अभी तक नीचे नहीं उतरी है सो मैंने दीदी को दवा खाने की हिदायत दी और खुद रज़िया को देखने ऊपर की तरफ चल दिया।

दोस्तों आगे की कहानी अगले भाग में पढ़िए आप लोग मुझे मेल कर सकते है और आपको ये कहानी कैसी लगी कमेंट कर के बताये | [email protected]

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