गतांग से आगे …. “उईईए….मोहन……धीरे से…..बहुत मोटा है आपका…..अहह…फ़िरोज़ आप का लंड मेरे गर्भाष्या से टकरा रहा है… ऐसे ही मसलो मेरी चुचियो को….आअहह….ह्म्म्म्ममम…..ओह…हाई” शीला देवी बोल रही थी और उसकी गांड अब फ़िरोज़ के लंड पर ऊपर नीचे हो कर मस्ती से लंड की सवारी कर रही थी. शीला देवी के चूतड़ बहुत प्यारे लग रहे थे. मेरा लंड तो अपनी मूह बोली मा की गांड चोदने को ललचा रहा था. फ़िरोज़ नीचे से अपने चूतड़ उठा उठा कर शीला को निहाल कर रहा था. वो अपने मूह में ले कर शीला के निपल्स चूसने लगा. शीला ने अपनी गांड तेज़ी से ऊपर नीचे करनी शुरू कर दी. चुदाई ज़ोर पकड़ रही थी. फ़िरोज़ ने शीला के चूतड़ अपने हाथों में थाम लिए और तेज़ी से चोदने लगा. आप यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |“मोहन जी, पता है की औरत कैसी चुदाई की ख्वाइश रखती है? कि मर्द उस पर चढ़ कर चोदे, मर्द हमेश औरत के ऊपर का स्थान रखता है. मैं आपके लंड की सवारी कर रही हूँ, मुझे मज़ा भी बहुत आ रहा है. मैं उसी तरह से चुदाई करवाती रहूंगी जैसे आप कहेंगे, जैसा आप कहेंगे. लेकिन मुझे चुदाई के असली मज़े का एहसास तभी होता है जब आप अपनी शीला बेटी को ऊपर चढ़ कर चोदते हैं, पिताजी, है अब ज़ोर से चोदो मुझे, प्लीज़ पिता जी” फ़िरोज़ ने अपनी एक उंगली शीला की गांड में पेल डाली और शीला चिहुनक उठी” ओह! ओह! मदरचोड़, अब मेरी गांड भी नहीं बक्षोगे…..चूत से मन नहीं भरा? आह पेल डालो गांड भी मोहन….दर्द होता है लेकिन आपके लिए दर्द भी झेल लूँगी फ़िरोज़….मुझे प्यार करो मोहन!”
फ़िरोज़ ने शीला के कंधे पर काट खाया और ज़ोर से चूमने लगा और तेज़ी से उंगली भी गांड में पेलने लगा. वो हानफते हुए बोला,” मेरी प्यारी बिटिया रानी, तुझे नीचे डाल कर भी चोदुन्गा….छोड़ूँगा नहीं….पहले तुम तो मुझे चोद लो….फिर तुझे अपनी बीवी की तरह ऊपर चढ़ कर भी चोदुन्गा…..तेरी गांड भी चोदना चाहता हूँ बेटी. कितनी सेक्सी है तेरी गांड? ओह रब्बा कितना मज़ा दे रही हो तुम मुझे.” दोनो पागलों की तरह चुदाई में मस्त थे. मेरा लंड खड़ा हो चुका था. मैने अपनी पैंट खोल कर अपना लंड हाथ में ले लिया और अपनी मूह बोली मा की चुदाई देखते हुए मूठ मारने लगा. शीला देवी के चूतड़ ऊपर नीचे होते हुए बहुत सेक्सी लग रहे थे और वो चिल्ला रही थी” चोदो ज़ोर से किशना…फाड़ डालो मेरी चूत….पेलो किशना…पेलो अपनी रंडी बेटी को”
अचानक फ़िरोज़ रुक गये और शीला के कान को चूमते हुए बोले,” शीला बेटी, अब तुझ पर सवारी करने का वक्त आ गया है. मोहन के नीचे पड़ कर चुदोगि क्या?” शीला नटखट अंदाज़ में बोली,” जल्दी से चोद किशना, पहले ही चूत जल रही है, लंड खा कर और भी भूख बढ़ चुकी है इससकी, किशना, अब ऊपर चढ़ कर भी चोद डालो मुझे.” फ़िरोज़ ने शीला को घोड़ी बनाने को कहा,” क्या? घोड़ी बनूँ? ” मोहन हंस पड़ा” बेटी, औरत और घोड़ी में क्या फरक है? दोनो ही सवारी के काम आती हैं. औरत की छोटी घोड़ी की लगाम के बराबर होती है. मैं तुझे पीछे से चोदना चाहता हूँ, तुझे कोई एतकिशन है क्या?” शीला उसी वक्त पलंग पर झुकती हुई बोली,” नहीं मेरे सरकार, चुदना है तो नखरा कैसा? लंड पेल डालो मेरी प्यासी बुर में जल्दी से. मैं आपके लिए घोड़ी तो क्या कुतिया बन सकती हूँ | आप यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | जैसे ही शीला आगे झुकी, मोहन ने पीछे से लंड का प्रहार किया और शीला के चूतड़ की दरार से होता हुआ लंड उसकी चूत में परवेश कर गया. मोहन ने अपनी रखैल की छोटी को कस के पकड़ लिया और ऐसे चोदने लगा जैसे वो घोड़ी हांक रहा हो. मोहन के अंडकोष ज़ोर ज़ोर से शीला की गांड से टकराने लगे. दोनो पसीने से भीग चुके थे. कमरा फ़चा फ़च की आवाज़ों से गूंजने लगा. मेरा हाथ भी तेज़ी से मेरे लंड के ऊपर नीचे चलने लगा क्यों की शीला देवी का नंगा जिस्म मुझे बहुत उतेज़ित कर रहा था. शीला अपने चूतड़ मोहन के लोड्े पर ज़ोर ज़ोर से मार रही थी. मेरा लंड भी झड़ने के करीब था. फ़िरोज़ शीला के चूतड़ नोच रहा था और हन्फ्ते हुए चुदाई में मस्त था.
“शीला बेटी, मैं झार रहा हूँ, बेटी ऐसी मस्त औरत मैने कभी नहीं देखी. तू बहुत मस्ती से चुदवाती हो रानी. ओह्ह्ह्ह मैं गया…..हाई बेटी…..” शीला भी मस्ती से भरी हुई थी जब मेरे लंड ने पिचकारी छोड़ डी. मेरे लंड रस की धारा बहुत दूर तक गयी और अपने हाथों पर मुझे अपने लंड का रस महसूस हुआ. आख़िरी बारी अपनी मूह बोली मा के नंगे जिस्म को देखते हुए मैं अंकित के कमरे की तरफ लौट पड़ा. सारी रात शीला का नंगा बदन मेरी आँखों में छाया रहा और मेरा लंड सारी रात शीला को चोदने के लिए मचलता रहा.
अगले दिन से सारा काम रुटीन में चलने लगा लेकिन मेरी नज़र में अब शीला के लिए वासना जाग चुकी थी. मैं हर वक्त शीला को नंगे देखने की ताक में रहता, उसको गले लगाने का बहाना ढूनडता रहता, उसकीे ब्लाउस से उसकी चुचि की घाटी में झँकता. आप यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |एक महीने के बाद रजनी के नानाजी रजनी की शादी के सिलसिले में हमारे घर आने वाले थे. मैं उस वक्त शीला देवी के बाथ रूम के पास मंडरा रहा था के शायद मेरी मूह बोली मा के नंगे जिस्म की झलक मिल पड़े. तभी जब फोन बज उठा. फोन शीला ने बाथरूम से ही ले लिया.. “हेलो पापा, कैसे हो, कब आ रहे हो. मैं नहा रही हूँ, ओह पापा आप से क्या परदा, बिल्कुल नंगी हूँ…..बस आपके लिए……मैने अभी अभी झांते सॉफ की हैं पापा….मैं जानती हूँ मेरे पापा को अपनी बेटी की चूत पर बाल बिल्कुल अच्छे नहीं लगते….सच पापा आपकी आवाज़ सुनते ही मेरी चुचि कड़ी हो उठी है….अब मुझ से आपका इंतज़ार भी नहीं होगा….जल्दी आइए पापा, मैं आपकी बाहों में मचलना चाहती हूँ….आपका लंड चूसना चाहती हूँ, पापा, आप तो जानते ही हैं कि विधवा होने के बाद मुझे अगर क़िस्सी ने चोदा है तो आप ने…क्या आप भी नंगे हो चुके हैं? सच? आपका लंड भी खड़ा हो गया है? सच? नहीं पापा, इस्सको मूठ ना मारें, मैं मूह में ले कर चूसना चाहती हूँ, बिल्कुल वैसे जैसे मम्मी चुस्ती थी. आअप जल्दी आ जाएँ, पापा, प्लीज़”
मैं चौंक पड़ा. तो साली शीला देवी साली सभी बाज़ुर्ग मर्दों से चुदवाती है? अब अपने बाप से चुदाई के बातें कर रही है. मेरी बारी कब आएगी. साली का चक्कर अपने ही बाप से भी चल रहा है. बाथरूम का दरवाज़ख़्ुला और शीला देवी टवल लपेटे बाहर निकली. पानी से भीगा बदन कयामत ढा रहा था. उसके ठुमक ठुमक करते हुए कूल्हे मेरा लंड खड़ा कर रहे थे. शीला की जंघें अधिक दिखाई दे रही थी क्यों की उसका टवल बहुत छोटा था. मैं जान बुझ कर दूसरी तरफ से तेज़ी से कमरे में आया और शीला से टकरा गया. टक्कर इतनी ज़ोर से मारी के शीला का टवल खुल गया और नीचे गिर पड़ा.” आइ आम सॉरी मा, मुझे दिखाई ही नहीं दिया कि आप आ रही हैं.” लेकिन मेरी ज़ुबान बंद हो गयी जब मेरी नज़र ने शीला को नगन हालत में देखा. उसकी मस्त चुचि नज़दीक से क़िस्सी का हार्ट फैल करने के लिए काफ़ी थी. पेट एक दम सपाट और कमर पतली. मांसल जांघों के बीच फूली हुई चूत देख कर मेरे होश उड़ गये.
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