रिश्ते की रोशनी द स्टोरी

दोस्तों आज एक बड़ी धासु कहानी लिख रहा हु आशा है आप लोगो को जरुर पसंद आएगी … वो नितेश अपने को बोला के सोई है तू उसके साथ प्रशांत पिंक कलर में ऊपर नीचे हो रही उसकी बड़ी बड़ी चुचिया को देखता हुआ बोला. हां तो? शीतल जानती थी के वो कहाँ घूर रहा है पर उसे जैसे कोई परवाह नही थी. तो वो कह रहा था के बिस्तर पे बहुत सही मज़ा देती है तू अच्छा! और क्या कह रहा था तेरा नितेश? वो ताना सा मारते हुए बोली यही के मस्त होके देती है तू वो गाड़ी चलाता उसकी ओर दाँत निकालता हुआ बोला और? शीतल बोर होती खिड़की से बाहर होती देखती रही यही के कपड़े के अंदर मस्त चिकनी है तू. कहीं पे भी तो एक बॉल नही है तेरे और? और के एक बार शुरू हो जाए तो बिस्तर पर तू जन्नत दिखा देती है सही बोलता है वो शीतल उसकी और देखती हुई बोली बहुत गरम हूँ मैं और कपड़े के अंदर में इतनी चिकनी के साला नंगी हो जाऊं तो तेरे माफिक आदमी कुत्ते के जैसे लार टपकाए. और बिस्तर पे मैं सब करती है. आगे, पिछे, मुँह में, हर जगह लेती है. पर उसका पैसा लगता है, समझा. जितना पैसा मेरे को मिलेगा, उतनी ज़्यादा जन्नत पैसा देने वाले को देखने को मिलेगी. पैसा, जो तेरे जैसे फॉकेटिए के पास है नही तो लार टपकाना बंद कर और गाड़ी चला. समझा? तो मतलब अपने पास माल होगा तो तू अपने को भी देगी? प्रशांत ऐसा बोला जैसे मुँह माँगी मुराद मिल रही हो. हां देगी भी और तेरा लेगी भी. पर पहले माल लेके आ फॉकेटिए शीतल अब भी खिड़की से बाहर देख रही थी. मगर रात के अंधेरे में उस सुनसान सड़क पर काले अंधेरे के सिवा कुछ दिखाई नही दे रहा था. ऐसा काहे को बोलती है. पैसा है ना अपने पास प्रशांत मुँह बनाता हुआ बोला अच्छा? हां है ना. तू बोल कितना चाहिए तेरे को? तेरे पास कितना है हज़ार है मेरे पास प्रशांत ने खुश होकर दाँत दिखाए और उसकी बात सुनकर शीतल ज़ोर ज़ोर से हसने लगी. दाँत दिखाते प्रशांत को समझ नही आया के उसकी हसी में शामिल हो या पहले ये समझे के वो हस क्यूँ रही है. इतने तो साले मैं सिर्फ़ अपना टॉप उतारने के ले लेती हूँ शीतल ने कहा और फिर ज़ोर से हस पड़ी. उसकी हस्ने की वजह सुनकर प्रशांत का मुँह बन गया. उसने नज़र चुप चाप सामने सड़क पर जमाई और होंडा सिटी की स्पीड बढ़ाई. कुछ देर हस्ने के बाद शीतल भी चुप चाप फिर खिड़की से बाहर देखने लगी. साली सयानी बनती है. अमीरों का लंड लेने की आदत पड़ी है. खुद साली की औकात भले 2 कोड़ी की ना हो, पर मेरा मज़ाक ज़रूर उड़ाएगी कार चला प्रशांत मंन ही मंन सोच रहा था | हज़ार. कभी कितनी कीमत रखते थे हज़ार भी उसके लिए और आज वही रकम उसने कैसे हसी में उड़ा दी खिड़की से बाहर देखती शीतल मंन ही मंन सोच रही थी तेरा बॉस बताया के आज किसके पास जाने का है? थोड़ी देर बाद वो बोली नही प्रशांत ने जवाब दिया. उसका गुस्सा अब भी उतरा नही था और ये बात शकल से सॉफ ज़ाहिर थी मेरे को बस इतना बोला के तेरे को लेके खंडाला पहुँचने का है. कोई बड़ी पार्टी आ रही है कोई अँग्रेज़ तो नही है ना? शीतल ने कहा क्यूँ अँग्रेज़ का लेने में दिक्कत है तेरे को? नही दिक्कत तो कोई नही है पर इनका साला पता नही होता. सारी अजीब अजीब बीमारियाँ यही साले शुरू करते हैं और बिस्तर पर ऐसी ऐसी फरमाइश करते हैं जैसा खरीदके लाए हों सोई है कभी किसी अँग्रेज़ के साथ? हां सोई थी एक बार फिर? फिर सुबह लंगड़ाके चल रही थी और क्या. पता नही साला क्या ख़ाके आया था. रात भर सुकून से एक पल नही बैठा. पूरा वैसा वसूला साले ने इस बात पर वो दोनो ही हस पड़े. बड़े भाई आ रहे हैं शायद कुछ देर की खामोशी के बाद प्रशांत बोला बड़े भाई बोले तो? अपने भाई के ऊपर के भाई. पीछे से सारा माल वही सप्लाइ करते हैं भाई को इसलिए अपने भाई उनको इस बार अच्छे से खुश करना चाहते हैं प्रशांत ने कहा तो मेरा ख्याल कैसे आया? नितेश बोला. वो कह रहा था के तुझ जैसी आज तक किसी के साथ सोया नही है वो. इतना तारीफ किया के भाई बोले के मैं जाके तुझे ही ले आऊँ ह्म्‍म्म्म शीतल ने हामी भरी और फिर गाड़ी के बाहर देखने लगी. ठीक है गाड़ी चलाता प्रशांत अचानक से बोला क्या ठीक है? शीतल ने हैरानी से उसकी तरफ देखा टॉप उतारने का हज़ार लेती है ना तू? अपुन देगा तेरे को हज़ार. तू टॉप उतार प्रशांत गाड़ी धीमी करते हुए बोला. तेरा दिमाग़ खराब हुआ है? क्यूँ दिमाग़ खराब होने वाली क्या बात है उसने गाड़ी सड़क के किनारे लेकर रोक दी तू बस अपना टॉप उतार, अपना ऊपर का माल मेरे को दिखा दे, मैं तुझे हज़ार दे दूँगा गाड़ी एक सुनसान जगह पर खड़ी थी. कोई इक्की दुक्की गाड़ी ही थोड़ी देर बाद गुज़र रही थी. और तू क्या करेगा? मेरी चूचियाँ देखकर हिलाएगा? आप लोग यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | उसकी बात ने जैसे प्रशांत के दिमाग़ में आइडिया डाल दिया. हां. तू थोड़ी देर अपना टॉप और ब्रा उतार कर बैठ और मैं देख कर हिला लूँगा. और हज़ार तेरे शीतल का दिल किया के फिर ज़ोर से हस कर उसकी बात टाल दे पर उसके दिमाग़ ने उसे ऐसा करने से रोक दिया. थोड़ी देर ऊपर से नंगी होकर बैठने के हज़ार मिल रहे थे. वैसे भी तो वो पिच्छले 2 घंटे से कार में बैठी ही थी और अगले एक घंटे तक यहीं बैठी रहना था. तो अगर थोड़ी देर ऊपर से नंगी होकर बैठने के अगर हज़ार मिल रहे हों तो क्या बुरा है? ठीक है वो सीट पर सीधी होकर बैठ गयी पर अपने इस पप्पू का निशाना ज़रा दूसरी तरफ रखना. अगर एक भी छिन्त आकर मेरे ऊपर गिरी तो तू मुँह से चाट कर साफ करेगा ठीक है प्रशांत ने फ़ौरन हामी भर दी. और सिर्फ़ देखना है. अपने हाथ अपने तक ही रखना ठीक है और कोई फालतू डिमांड नही बाद में. के हाथ लगाने दे या जीन्स भी उतारने दे आ अपने खुद दबाके दिखा वगेरह वगेरह मंज़ूर है निकाल हज़ार शीतल ने कहा तो उसने फ़ौरन जेब से 500 के 2 नोट निकाल कर उसे थमा दिए. शीतल ने पैसे लेकर अपने पर्स में रख लिए. अब उतार प्रशांत जैसे उतावला हुए जा रहा था सबर रख कहते हुए शीतल कार पर पूरी तरह सीधी होकर झुक गयी. उसने नीचे से अपने टॉप का सिरा पकड़ा और एक झटके से उतार कर सामने डॅश बोर्ड पर रख दिया. एक मिनट रुक उसने ब्रा का हुक खोलने के लिए हाथ पिछे किए तो प्रशांत ने फ़ौरन रोक दिया ज़रा थोड़ी देर तुझे ब्रा में देख तो लेने दे उसकी बात सुनकर शीतल रुक गयी. हाथ नीचे कर ना प्रशांत ने कहा तो उसने अपने हाथ अपनी टाँगो पर रख लिया.

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गुरु मस्तराम

दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त मस्ताराम, मस्ताराम.नेट के सभी पाठकों को स्वागत करता हूँ . दोस्तो वैसे आप सब मेरे बारे में अच्छी तरह से जानते ही हैं मुझे सेक्सी कहानियाँ लिखना और पढ़ना बहुत पसंद है अगर आपको मेरी कहानियाँ पसंद आ रही है तो तो अपने बहुमूल्य विचार देना ना भूलें



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