प्रेषक: राज
वसीम ने गुलनार के हाथ को अपने लण्ड के ऊपर रख दिया तो वो उसे पेंट के ऊपर से ही सहलाने लगी..
अब, वसीम ने गुलनार के ड्रेस के अंदर हाथ घुसा के बूब्स को दबाने लगा…
वो हॉल में ही, सिसकारियाँ भरने लगी..
फिर, हाफ टाइम हो गया तो वो तीनों आराम से बैठ गये।
वसीम बाहर जा के, उनके लिए कुछ खाने के लिए ले आया।
लेकिन, उन दोनों को तो लण्ड का चस्का लग गया था.. गुलबदन ने सारे नाश्ते को, बेग में भर दिया…
10 मिनट बाद, फिल्म चालू हुई तो इनका काम भी चालू हो गया..
वसीम ने पेंट की ज़िप खोल के अपने लण्ड को बाहर निकाला और उन दोनों को चूसने को कहा तो वो दोनों उस पर टूट पड़े.. ..
उन दोनों ने मिल के, वसीम के लण्ड को जम के चूसा…
10 मिनट बाद, वसीम झड़ने वाला था तो उसने कहा के उन दोनों में से कोई एक लण्ड को अपने मुँह में पूरा डाल दे और उसका सारा पानी पी जाए..
ये सुन कर गुलबदन ने फाटक से वसीम के लण्ड को, अपने मुँह में भर लिया.. लेकिन, बड़ा लण्ड होने के कारण पूरा अंदर तक नहीं ले पाई..
फिर, उसने सारा मूठ अपने मुँह मे भर लिया और फिर जब वसीम का पानी निकलना बंद हो गया तो उसने गुलनार के मुँह मे अपनी मुँह लगा के आधा पानी उसके मुँह के अंदर छोड़ दिया..
ऐसे ही उन दोनों ने, वसीम का सारा मूठ पी लिया…
फिर दोनों ने मिल के, वसीम के लण्ड को अच्छी तरहा से चाट के साफ कर दिया।
लेकिन, अभी भी उन दोनों की प्यास नहीं बुझी थी तो गुलबदन ने कहा के भैया हम दोनों आपके लण्ड से अपनी चूत को चुदवाना चाहती हैं..
ये सुनकर, वसीम बोला के उनकी माँ को अगर पता चल गया तो वो बहुत नाराज़ होंगीं..
लेकिन, वो दोनों ज़िद करने लगे तो वसीम ने एक प्लान बनाया…
उसने कहा के जब वो सलमा और नीलोफर को रात में चोद रहा होगा… तभी तुम दोनों दरवाजा खोल के अंदर आ जाना और सारी बातें बाहर वालों को बताने की धमकी देना… तो डर के, सलमा तुम दोनों को भी मेरे साथ चुदवाने के लिए मजबूर हो जाएगी…
फिर वो वहां से उठ के, घर के लिए निकल पड़े..
रास्ते में ही, वो तीनों खाना खा के गये।
वसीम घर पहुँचते ही, अपने कमरे में चला गया…
सलमा ने उन दोनों से पूछा के कैसी रही फिल्म.. !! ?? तो गुलबदन ने कहा के भैया बहुत अच्छे हैं… हमें फिल्म दिखाई और रेस्तरॉं में खाना भी खिलाया…
ये सुन कर सलमा बहुत खुश हुई, क्यूंकि “आज रात को आने वाले तूफान” के बारे में वो अंजान थी.. !!
फिर गुलबदन और गुलनार, अपने कमरे में चले गये..
सलमा और नीलोफर भी, खाना ख़ाके अपने अपने कमरे में चले गये।
लेकिन, गुलबदन और गुलनार को नींद कहाँ आनी थी..
वो दोनों, तो उनकी “माँ और मासी की चुदाई” का इंतज़ार करने लगीं।
हर रात की तरहा, उस दिन भी सलमा ने गुलबदन और गुलनार के कमरे में झाँक कर देखा के वो लोग सो रहे हैं या नहीं।
उसने देखा के वो दोनों सो गई हैं तो वो नीलोफर के साथ वसीम के कमरे में चली गयीं।
मगर, गुलबदन और गुलनार सोए नहीं थे.. वो, सिर्फ़ सोने का नाटक कर रहे थे..
थोड़ी देर बाद, वो दोनों भी ऊपर वसीम के कमरे के बाहर जाके खड़े हो गये और इंतज़ार करने लगे, उनकी चुदाई का… जैसे रोज़ होता है नीलोफर, सलमा और वसीम लोग लग गये, अपने काम में।
सलमा, वसीम का लण्ड चूस रही थी.. नीलोफर, सलमा की चूत चाट रही थी और वसीम, नीलोफर की चूत चाट रहा था..
कुछ देर बाद, वसीम ने नीलोफर की टांगें खोलीं और उसकी चूत में लण्ड पेल कर चोदने लगा..
नीलोफर, अभी भी सलमा की चूत चाट रही थी…
करीब 10 मिनट बाद, गुलबदन और गुलनार कमरे में घुस गयीं…
इन दोनों को ऐसे देख कर, सलमा और नीलोफर घबरा गयीं.. क्यूंकि वो तीनों, बिल्कुल नंगे ही चुदाई कर रहे थे..
गुलबदन ने कहा की माँ ये सब क्या चल रहा है.. !! ?? आप दोनों ने, हमें कहीं मुँह दिखाने लायक नहीं छोड़ा है.. !! वसीम भैया, आपके बेटे जैसे हैं और उनसे ही आप दोनों चुदवा रही हो…
ये सुन कर सलमा और नीलोफर, उन दोनों के पैरों पर गिर गयीं और माफी माँगने लगीं..
सलमा ने कहा के बेटी इस बारे में किसी को मत बताना.. !! आप लोग जो कहेंगे, हम करेंगे.. !!
इस पर वसीम, गुलबदन और गुलनार मन ही मन हंस रहे थे…
तभी गुलबदन ने कहा के आप लोग जो कर रहे हैं, हमें भी भैया के साथ वो करना है…
ये सुनकर सलमा को गुस्सा आया..
उसने गुलबदन के गाल पर, एक ज़ोरदार तमाचा मारा और कहने लगी – वसीम, तेरा भाई है… तुम उससे ही, चुदवाना चाहती हो.. !! बेशरम…
इस पर गुलनार बोली – वाह माँ वाह!!! हमारा तो चलो, फिर भी भाई है… आपका तो बेटा है.. !! नंगी, खुद खड़ी हो और बेशरम हमें बोल रही हो.. !! जो आप लोग कर रहे हैं, वो ग़लत नहीं है तो हम लोग अगर भैया से चुदवाना चाहते हैं तो इसमे ग़लत क्या है… ?? अगर, तुमने हमे भैया से चुदने नहीं दिया तो हम बाहर के किसी लड़कों के साथ चुदवायेंगी, तब क्या करोगी… ??
सलमा और नीलोफर दोनों ने, उन्हें बहुत समझाने की कोशिश की..
उनको दिखा ने के लिए, वसीम भी उन दोनों को समझाने का नाटक करने लगा।
लेकिन गुलबदन और गुलनार समझने के लिए तैयार ही नहीं हुए तो मजबूरन सलमा को उनकी बात माननी पड़ी..
सच बात तो ये है की असल में उन्हें समझाने जैसा, नीलोफर या सलमा के पास कुछ था ही नहीं.. !!
मगर फिर, सलमा ने कहा के वो दोनों उस के सामने ही चुदवायेंगी..
लेकिन, गुलबदन ने कहा के आप दोनों यहाँ से चले जाइए… हम अपने आप ही, भैया से चुदवा लेंगी…
सलमा क्या करती…
उसने वसीम से कहा के ये दोनों अभी बहुत ही छोटीं हैं… ज़रा धीरे से, इनको चोदना…
वसीम बोला के गुलबदन, अगर तुम्हारी माँ यहाँ रहेंगी तो हमें चुदाई मे मदद करेंगीं…
गुलबदन ने, वसीम की बात मान ली।
पहले गुलबदन चुदवाना चाहती थी तो नीलोफर, गुलनार को अपने साथ लेकर बाहर चली गई…
उन दोनों के जाने के बाद, गुलबदन ने खुद ही अपने सारे कपड़े उतार दिए और “नंगी” हो गई.. !!
उसने अंदर कुछ नहीं पहना था, तो वो बिल्कुल नंगी हो गई और अपनी दोनों टांगें, पूरी तरहा खोले हुए बेड पर लेट गई..
उसका बदन, नीलोफर की ही तरह एकदम “संगेमरमर” जैसा था.. !!
वसीम ने उसकी चूत को देखा तो वो पागल हो गया.. अभी उसकी चूत में, पूरी तरहा बाल नहीं उगे थे..
काफ़ी, “फूली हुई चूत” थी.. !!
वो झट से, उसके ऊपर टूट पड़ा।
उसने चूत को हाथ लगा के देखा तो देखा के वो बहुत ही गरम थी।
चूत के होंठों को खोल के अंदर देखा, बिल्कुल “गुलाबी” थी… मगर उंगली, कन्गे और मोमबत्ती से, रोज़ चुदाई से थोड़ी खुल गई थी..
लंड तो उसने नहीं लिया था पर अब वो “कुँवारी” नहीं थी.. !!
वसीम, उसके उपर चढ़ गया और उसकी मस्त छोटी छोटी चुचियों को दबाने और चूसने लगा..
वो, मस्त आहें भर रही थी।
सलमा साइड में बैठ के उस की सर को सहला रही थी और डर भी रही थी की क्या होगा, उसकी इस “नन्ही सी जान” का… ??
आख़िर, वो उसकी बेटी थी..
जहाँ वो खुद भी वसीम के चुदाई से चिल्ला पड़ती, वहां ये “छोटी सी चूत” का क्या हाल होगा.. !! !!
मगर, अभी डरने का क्या फायदा.. जो कुछ होना है, आज होकर ही रहेगा..
वो, अपने भूल के बारे में सोच के अंदर ही अंदर रोने लगी.. !! क्यूंकि ये जो कुछ भी आज हो रहा है, ये सलमा की ही ग़लती का नतीजा है.. !! दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
अगर, वो अपनी पति का घर नहीं छोड़ती तो आज उसका एक “सुखी परिवार” होता…
सोचते सोचते, उसने गुलबदन को देखा तो वो बड़े मज़े से मदहोश हो के वसीम का लण्ड चूस रही थी..
वसीम ने गुलबदन की चूत को चाट चाट के लाल कर दिया था.. फिर गुलबदन ज़ोर से चीखी और झड़ गई.. तभी वसीम ने गुलबदन के मुँह को और तेज़ी से चोदना शुरू कर दिया क्यूंकि उसका भी लण्ड अब पानी छोड़ने को था..
5-6 धक्के के बाद, वसीम ने ढेर सारा मूठ गुलबदन के मुँह के अंदर छोड़ते हुए झड़ गया..
गुलबदन ने, सारा पानी गटक लिया..
एक बूँद भी नहीं छोड़ा…
फिर, उसने वसीम के लण्ड को चाट चाट के साफ कर दिया..
वसीम का लण्ड, अब थोड़ा सिकुड गया..
मगर, गुलबदन तो अभी भी प्यासी थी.. लेकिन, इतने देर तक लण्ड चूसने और झड़ने के बाद वो थोड़ी थक गई थी और अभी वो लण्ड को चूस के खड़ा करने के हालत में नहीं थी तो उसने अपनो माँ से कहा के वो चूस के वसीम के लण्ड को तैयार कर दे, फिर वो चुदवाएगी…
सलमा, मजबूरी में आकर वसीम के लण्ड को चूसने लगी तो वसीम ने कहा के आज के लिए, बस इतना ही… वो, बहुत थक गया है.. !!
मगर, गुलबदन नहीं मानी तो उसे भी उसकी बात माननी पड़ी और फिर सलमा ने चूसना शुरू किया..
लेकिन ज़्यादा थका होने के कारण, वसीम का लण्ड खड़ा नहीं हो पा रहा था..
सलमा ने फिर बहुत ज़ोर लगाया तो तब जा के, करीब 15-20 मिनट के बाद, उसका लण्ड खड़ा हुआ..
चोदने से पहले, सलमा ने एक पूरी तेल की बॉटल गुलबदन की चूत में डाल दी और फिर वसीम के लण्ड को भी तेल से अच्छी तरहा मालिश कर के थोड़ा नरम किया, ताकि चुदाई के वक़्त गुलबदन को ज़्यादा दर्द ना हो।
फिर, सलमा ने वसीम को आराम से घुसाने को कहा..
वसीम ने गुलबदन की टाँगों को जितना हो सके, फैला दिया।
सलमा ने गुलबदन की चूत के छेद को पूरी खोल के लंड घुसने को कहा।
वसीम ने अपने लण्ड को हाथ में पकड़ के, गुलबदन की चूत के छेद पर दबाया।
तेल की चिकनाई होते हुए भी, बहुत ही मुश्किल से सिर्फ़ आधा लण्ड ही घुस पाया।
इतने में ही गुलबदन की सांस फूलने लगी तो वसीम ने डर के लण्ड को बाहर निकाल दिया..
गुलबदन दर्द से, तड़पने लगी। दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
सलमा और वसीम, दोनों मिल के उसके बदन के हर हिस्से को सहलाने लगे।
कुछ देर बाद, गुलबदन शांत हुई तो अपने आप उसने अपनी टांगें खोल दी..
वसीम, फिर से उसके चूत में लण्ड को घुसाने लगा।
क्या दृश्य था.. “एक माँ, अपनी बेटी की चूत खोल रही थी, उसके भाई से ही चुदवाने के लिए”..
खैर, इस बार उसका लण्ड थोड़ा और अंदर घुस गया तो गुलबदन फिर से चिल्लाने लगी – ओममाआ माआररर ग्आईयईई…
वसीम ऐसे ही लण्ड को उसकी चूत में डाले हुए, उसे चूमता रहा..
सलमा भी अपनी बेटी, गुलबदन के बूब्स को चूस रही थी।
वसीम, उस आधे घुसे लण्ड को बाहर भीतर करने लगा।
जब गुलबदन को थोड़ा मज़ा आया तो उसने एक ज़ोर का झटका मार के, पूरे लण्ड को गुलबदन की चूत में पेल दिया और वैसे ही उसके ऊपर पड़ा रहा..
गुलबदन की आँखों से आँसू निकलने लगे.. !! दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
वो ज़ोर ज़ोर से रोने लगी..
कुछ देर बाद, वसीम ने उसे चोदना शुरू किया..
वो रो रही थी.. लेकिन, वसीम उसे चोदे जा रहा था..
सलमा भी, गुलबदन को सहलाने में लगी थी।
मोमबती चूत में डालना और किसी “मर्द के लण्ड” से चुदवाने में, ज़मीन आसमान का फरक है.. !!
वसीम भी बहुत थक गया था.. क्यूंकि, गुलबदन की चूत इतनी टाइट थी की उसके लण्ड में भी दर्द होने लगा था..
उसने चुदाई की स्पीड बढ़ा दी और ज़ोर ज़ोर से पेलने लगा…
गुलबदन दर्द से चिल्ला रही थी – बचाओ मुझे.. !! आह माँ.. !! मेरी चूत, फट गयी.. !! आह.. !! नहीं.. !! छोड़ दे, हरामी.. !!
उसकी तड़प देख कर, सलमा के आँखों में भी पानी आ गया.. दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
इस बीच पता नहीं, गुलबदन कितनी बार झड़ी थी..
उसके चूत से पानी और खून बहता जा रहा था।
वसीम गुलबदन के चूत में अपना डंडा पेलता गया.. !! पेलता गया और बस पेलता गया.. !!
फिर, 30-35 मिनट के बाद वो जब झड़ने वाला था तो सलमा ने उसे कहा की तुम गुलबदन के चूत से अपना लंड निकल के मेरी चूत में डाल दो और वहीं झड़ जाना… क्यूंकि, आक़ाँशा अभी बहुत छोटी है.. !! अगर, कहीं ये प्रेग्नेंट हो गई तो हम लोग किसी को मुँह दिखाने लायक नहीं रहेंगे और हमारी सारी बातें बाहर के लोगों को पता चल जाएँगी… तुम, मेरी ही चूत में अपना पानी छोड़ देना…
ये कह के सलमा बेड पर लेट गई और अपनी टाँगों को फेला कर अपनी चूत के छेद को खोल दिया..
वसीम ने जल्दी से गुलबदन के चूत से अपना लण्ड निकल के, सलमा की चूत में घुसेड दिया और उसे चोदने लगा..
कुछ 10-20 धक्के के बाद, वसीम ने ढेर सारा पानी सलमा की चूत में छोड़ते हुए झड़ गया और उसके ऊपर ही लेट गया…
वो, काफ़ी देर तक झड़ता रहा..
फिर सलमा ने उसे बेड पर सीधा लेटा दिया और उसके लण्ड को चाट चाट के साफ कर दिया…
इस बात से, गुलबदन बहुत नाराज़ हुई।
उसने सलमा को कहा के वो फिर से चुदवाना चाहती है और लण्ड का पानी अपनी चूत में लेना चाहती है…
मगर सलमा ने उसे समझा दिया तो वो समझ गई..
फिर सलमा ने दरवाजा खोला तो नीलोफर और गुलनार, अंदर आ गए..
गुलनार कहने लगी – अब मेरी बारी तो वसीम ने उसे कहा के आज वो और किसी को चोद नहीं सकता…
फिर किसी दिन, वो गुलनार को चोद देगा..
ये सुन कर, गुलनार उदास हो गई तो सलमा ने उसे समझाया के भैया की हालत कुछ ठीक नहीं है… तू किसी दूसरे दिन, चुदवा लेना… दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
सबके समझाने के बाद, गुलनार मान गई।
उस रात गुलनार और नीलोफर, दोनों ने “उंगली चोदन” से एक दूसरे की प्यास बुझाई…
सुबह 11 बजे, जब में वसीम के घर पहुँचा तो सलमा ने मुझे बताया के कल रात से अचानक वसीम की तबीयत खराब हो गयी है और उसे तेज़ बुखार भी है..
मैं तुरंत वसीम के कमरे में गया तो सलमा भी मेरे साथ आ गई।
वसीम एक रज़ाई ओढ़ के, सो रहा था..
फिर मैंने उसके डॉक्टर को फोन किया तो वो इंडिया से बाहर थे।
उन्होंने मुझे वसीम को ले जाकर, उनके एक दोस्त के क्लिनिक में दिखाने के लिए कहा..
उन्होंने उस डॉक्टर को फोन करके, हमारी मीटिंग फिक्स कर दी।
मैंने वसीम की कार निकाली और उसे डॉक्टर के पास लेकर गया।
सलमा भी हमारे साथ आई थी।
डॉक्टर ने उसका चेक उप किया।
वसीम का ब्लड टेस्ट भी किया। दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
टेस्ट की रिपोर्ट आने के बाद, डॉक्टर ने सिर्फ़ मुझे अंदर बुला के बताया के वसीम बहुत ही कमज़ोर है.. उसका “हीमोग्लोबिन” कम हो गया है..
फिर मैंने डॉक्टर साहब से इसका कारण पूछा।
उन्होंने कहा – क्या ये बहुत ज़्यादा सेक्स करते हैं… ?? तो मैंने कहा के हाँ…
तो डॉक्टर साहब ने बताया के खाने पीने का ध्यान रखे बिना, इतना सेक्स करना सेहत के लिए ठीक नहीं हैं… इसी कारण वसीम के जिस्म से, हीमोग्लोबिन की मात्रा कम हो गयी है…
ये सुनकर मुझे टेंशन हो गया। फिर मैंने डॉक्टर साहब से, इसके इलाज़ के बारे मे पूछा।
उन्होंने कुछ विटामिन, आइरन, वगेरह कुछ दवाई लिख के दिया और कहा के वसीम के खाने पीने का खास ख़याल रखना… वरना, ये मेडिसिन्स कुछ काम की नहीं है… रोज़ दूध में, प्रोटीन पाउडर मिला के पीने को कहा और एक खास बात, जब तक ये पूरी तरह ठीक नहीं हो जाते, इनको किसे के साथ भी सेक्स नहीं करना है.. !! आप 15 दिन बाद, वसीम को फिर से लेकर आना… हम, इनका फिर से हीमोग्लोबिन चेक करेंगे…
मैं वसीम को लेकर, घर आ गया। दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
उसको कमरे में सुला कर, सलमा को सारी बातें बताई और कहा के इसके खाने पीने का ठीक से ध्यान रखना पड़ेगा..
सारी बातें सुनने के बाद, सलमा समझ गई और वसीम को सेक्स करने से भी रोका।
ये बात, जब गुलनार को पता चली तो वो उदास हो गई.. क्यूंकि, उस घर में एक वही थी जिसने अभी तक अपने चूत में लण्ड का मज़ा नहीं लिया था..
वसीम ने मुझे बताया के उसने गुलनार को चोद के, इस घर में सभी की चूत फाड़ दी है।
मुझे थोड़ा बुरा लगा क्यूंकि अब तक मेरी भाभी की चुदाई का जुगाड़ भी समाप्त हो गया था..
वो, माँ बन गई थी।
(ये एक अलग कहानी है, जोकि मैं इस कहानी के बाद लिखूंगा।)
फिर, मैंने वसीम से कहा – यार, मैंने तो सोचा था के भाभी का काम हो जाने के बाद, गुलबदन और गुलनार की चूत मैं ही फ़ाड़ूंगा.. चल खैर, जाने दे.. तू मेरा दोस्त है, ये सब तेरे ही नसीब में था..
फिर वसीम ने मुझे कहा के तेरे लिए एक सर्प्राइज़ है.. मैंने सिर्फ़ गुलबदन को चोदा है, गुलनार की चूत अभी भी “कुँवारी” है.. तू चाहे तो, उसकी सील तोड़ सकता है.. इसमे, मैं तेरा मदद करूँगा.. अब मैं तो कई दिनों तक किसी को चोद नहीं सकता.. ये सुनकर, गुलनार उदास है.. तू उसकी उदासी दूर कर दे.. बल्कि यार, मैं तो कहता हूँ जब तक मैं ठीक नहीं हो जाता, तू इस घर में मेरी जगह ले ले और सभी की मस्ती से चुदाई कर.. तू भी खुश, वो सब भी खुश..
मैंने वसीम से कुछ सोचते हुए कहा – यार, गुलनार तो ठीक है.. लेकिन, तेरे बाकी सारे घर वालों की चुदाई करते करते, मैं भी तेरे जैसा ही हो जाऊंगा और यार तू तो जानता है की मुझे अपनी भाभी को भी संभालना है.. मैं सिर्फ़, गुलनार को ही चोदूंगा..
फिर 15 दिन बाद, मैं वसीम को डॉक्टर साहब की क्लिनिक पर ले कर गया।
उन्होने वसीम का ब्लड टेस्ट किया तो पता चला की अब सब कुछ ठीक हो गया था।
वसीम, अब पूरी तरहा स्वस्थ और तंदुरुस्त हो गया था…
फिर डॉक्टर साहब ने बोला – आप अब, बिल्कुल ठीक हैं।
इस पर वसीम ने सेक्स के बारे में पूछा तो डॉक्टर साहब ने हंसते हुए कहा के आप आराम से किसी के साथ भी सेक्स कर सकते हैं.. मगर, खाने पीने का ध्यान रखते हुए और रोज़ दूध पीना पड़ेगा.. अगर, आप अपनी सेहत का ख़याल नहीं रखेंगें तो फिर कैसे जावानी का मज़ा लूट सकते हैं.. मैं कुछ मेडिसिन्स लिख देता हूँ, इसे आप 15 दिन और खा लीजिएगा..
वसीम ने और मैंने डॉक्टर साहब की सारी बातें सुनी और फिर हम दोनों वहां से घर गये।
जब घर वालों ने ये बात सुनी तो सभी के चेहरे खिल गये.. क्यूंकि, 15 दिनों से जो उन सब की चूत की खुजली थी, अब वो मिटने वाली थी.. दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
फिर वसीम ने मुझे कहा के अब तेरा सेटिंग गुलनार के साथ कैसे करना है, इसके लिए मुझे एक प्लान बनाना पड़ेगा।
मैं एक काम करता हूँ, इस सनडे को गुलबदन और गुलनार को लेकर मेरे फार्म हाउस में पिक्निक के बहाने चला जाऊंगा.. इसके लिए, मैं सलमा से बात करूँगा.. तू बस, जाने के लिए तैयार हो जा.. बाकी सब, मैं संभाल लूँगा..
उस दिन, रात भर वसीम ने सलमा, नीलोफर और गुलबदन को जम के चोदा और अपनी भी 15 दिनों का आग बुझाई।
जब गुलनार की बारी आई तो उसने गुलनार को अकेले में बुला कर कहा – तेरे लिए, एक सर्प्राइज़ है.. तुझे मेरा दोस्त, विनय कैसा लगता है..
तो गुलनार ने कहा के ठीक लगते हैं..
फिर वसीम ने कहा – इस सनडे तुम, गुलबदन, मैं और मेरा दोस्त विनय चारों मिलकर पिक्निक में जाएँगे और वहां मैं तुझे उससे चुदवा दूँगा.. वो भी, मेरी तरहा एक बहुत बड़ा चुड़क्कड़ है.. तुझे मुझ से भी ज़्यादा, मज़ा देगा, वो.. ये बात किसी को नहीं बताना.. यहाँ तक के, गुलबदन को भी नहीं..
ये सुनते ही गुलनार मान गई और वो सनडे का इंतज़ार करने लगी..
जैसे, मैंने आप लोगों को पिछले भाग में बताया था के वसीम की तबीयत खराब हो गई थी और वो 15 दिनों तक किसी को नहीं चोद सकता था। दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
इन 15 दिनों में, गुलनार से मेरी बहुत अच्छी दोस्ती हो गई थी।
पहले तो, वो मुझ से डर डर के बात करती थी क्यूंकि मैं वसीम का दोस्त था और उससे काफ़ी बड़ा भी था।
लेकिन, अब वो मुझ से पूरी तरहा खुल के बात करती है।
मैं बात करते करते, उसके जिस्म पर हाथ मार देता था और वो कुछ नहीं कहती थी।
सो, सनडे को हम चारों सुबह 7 बजे फार्म हाउस के लिए निकल गये…
वसीम ने मुझे मेरे भैया के घर से, पिक-अप किया।
घर में भाभी की देखभाल करने के लिए, उनकी चचेरी बहन रिचा आ गई थी।
भाभी के मदद से, मैं रिचा को भी चोदा रहा था…
(ये कहानी मैं आप लोगों को, बाद मे बताऊँगा।)
जैसे ही, वसीम मुझे लेने आया तो भाभी ने मुझे पूछा – देवर जी, आप कहाँ जा रहे हो… ??
मैंने कहा – भाभी, मैं वसीम के साथ, उसके फार्म हाउस में जा रहा हूँ… रात को नहीं लौटूंगा…
भाभी ने कहा – अगर, ऐसी बात है तो ऋचा को भी साथ ले जाओ… उसका भी मन बहल जाएगा और आप दोनों का “हनीमून” भी हो जाएगा…
अब मैंने भाभी से झूठ बोल दिया के हमारे साथ बहुत सारे लड़के जा रहे हैं… ऐसे में ऋचा का वहां जान, ठीक नहीं होगा… और फिर आप की देखभाल कौन करेगा…
भाभी मान गईं और मैं बाहर आ गया।
मेरे साथ साथ, ऋचा भी मुझे बाहर छोड़ने आ गई।
वसीम को, ऋचा वाली बात मालूम थी।
उसने ऋचा को देखा तो मुझसे पूछने लगा – क्या ये भी हमारे साथ आएगी… ??
मैंने कहा – नहीं यार, ये बस मुझे टाटा कहने आई है।
वसीम बोला – फिर ठीक है… आज तो तुझे गुलनार के साथ “रासलीला” माननी है… ऋचा को, फिर किसी दिन लेके जाएँगे…
फिर हम लोग, वहां से निकल गये।
वसीम और मैं आगे बैठे थे।
गुलबदन और गुलनार, पीछे के सीट पर बैठे थे। कुछ दूर जाने के बाद, एक ढाबे पर हमने खाना खाया।
वहीं वसीम ने अकेले में, गुलबदन को मेरी और गुलनार की चुदाई वाली बात बताई।
फिर, उसने कहा के अभी गाड़ी में तुम आगे की सीट पर बैठ जाना।
विनय पीछे गुलनार के साथ बैठ जाएगा तो उन दोनों में थोड़ी बातचीत हो जाएगी!!
गुलबदन मान गई।
मैं पीछे गुलनार के साथ बैठ गया!! दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
फिर, हम लोग चल पड़े।
वसीम का फार्म हाउस, उसके घर से 50 किलोमीटर की दूरी पर था।
वहां वसीम का बहुत ही बड़ा एक आम का बगीचा था और भी तरहा तरहा के पेड़ थे।
मैं पीछे गुलनार के साथ, बात करने लगा।
हम दोनों को मालूम था के ये पिक्निक हमारे मिलन के लिए ही थी!!
मगर वो फिर भी, मुझ से थोड़ी डर रही थी।
बात करते करते, मैंने आहिस्ते से अपना एक हाथ उसकी पीठ पर रख दिया।
हमारी बातचीत चालू थी…
सामने आकाँशा भी वसीम के लण्ड को पकड़ के बैठी थी।
फिर मैंने धीरे से गुलनार की पीठ को सहलाना शुरू किया तो मुझे देख कर मुस्कुराने लगी।
मुझे तो बस, सिग्नल का इंतज़ार था।
उसका सिग्नल मिलते ही, मैं उसकी चुचियों को दबाने लगा।
उसने अपनी आँखें बंद कर लीं…
गुलनार ने, स्कर्ट और टी-शर्ट पहनी थी।
फिर मैंने उसके टी-शर्ट के अंदर हाथ डाला और ब्रा के ऊपर से ही बूब्स को मसलने लगा।
गुलनार मस्त होने लगी।