दोस्तों वक़्त इंसान से कुछ भी करवा सकता है | इस बात का अंदाजा मुझे अभी कुछ दिनों पहले ही हुआ है | मैं २४ वर्षीय युवक हूँ | अविवाहित हूँ तो शायद इसीलिए दिमाग में हमेशा एक ही चीज़ रहती है- सेक्स |
मैं १८ साल का था जब मेरे सबसे छोटे चाचा की शादी हुई | मुझे शायद इस शादी से कोई फर्क नहीं पड़ता अगर मेरी चाची इतनी ख़ूबसूरत और गठीली न होती | उनके आते ही सारे परिवार में उनकी खूबसूरती के चर्चे तेजी से फैलने लगे थे | मुझे आज भी याद है कि कैसे मैं उन्हें देखकर उनके बारे में सोचता रहता था- किस तरह मैं उनका चुम्बन करूँगा, वो बिना कपड़ों के कैसी लगेंगी, अगर मैं उनकी नंगी कमर पर हाथ रखूँगा तो वो क्या करेंगी.. वगैरा वगैरा … इन्हीं सब ख्यालात के साथ मैं हमेशा चाची क बारे में सोचता रहता था। इन सभी बातों को अब काफी अरसा बीत चुका है और इस दौरान चाची की ज़िन्दगी में कुछ ऐसा हो गया जो नहीं होना चाहिए था | इतनी ख़ूबसूरत बीवी मिलने के बावजूद चाचा किसी और के चक्कर में लग गए और चाची और अपनी छोटी बेटी को छोड़कर चले गए | यह बात कुछ महीने पहले की ही है | यह सब होने के बाद चाची और उनकी बेटी की ज़िम्मेदारी मेरे पापा ने उठाई और उन्हें अपने साथ रहने के लिए कहा | चाची जी को हमारे घर का ऊपर वाला कमरा दे दिया गया | इस दौरान कभी मेरे दिमाग में ऐसा कोई ख्याल नहीं आया कि मैं चाची के साथ ऐसा कुछ करूँ | आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है | लेकिन अभी कुछ दिनों पहले ही दिल्ली में बहुत तेज़ बारिश हुई | पापा बिज़नेस के काम से बाहर गए हुए थे और माँ भी नानी के घर पर थी | चाची की बेटी भी स्कूल में थी | ऐसे में मैं घर पर अकेला था, न जाने क्यूँ मेरा दिल हुआ कि आज बारिश में नहाया जाए | मैं नहाने के छत पर पहुंचा तो देखा चाची भी बारिश के मज़े ले रही थी | न जाने क्यूँ मेरी नज़र उनके पेट पर गई, जोकि कपड़े गीले होने बाद साफ़ नज़र आ रहा था | शायद मेरे ख़यालात थोड़े बदल से रहे थे | मुझे देखते ही चाची ने अपने आपको थोडा संभाला और कहा- काफी दिनों बाद इतनी अच्छी बारिश हुई है | मैंने पूछा- आपको शायद बहुत अच्छा लगता है बारिश में नहाना | तो उन्होंने कहा- हाँ नहाना भी, बारिश में नाचना भी.. इस बात पर मैंने हंसते हुए बारिश का कुछ पानी उनके मुँह पर फैंका तो उन्होंने भी बदला लेने के लिए ऐसा ही किया.. देखते ही देखते हम दोनों एक दूसरे के साथ बारिश में ही खेलने लगे। फिर ना जाने कैसे अचानक चाची का पाँव फिसला और वो सीधी मेरे ऊपर आकर गिरी | उन्हें गिरने से बचाने के लिए मैंने अपने दोनों हाथों से उन्हें पकड़ना चाहा तो मेरे हाथ उनकी कमर पर रुके लेकिन हम दोनों ही नीचे गिर पड़े | चाची मेरे ऊपर थी और मेरे हाथ उनकी कमर पर, वो लम्हा मेरी ज़िन्दगी का सबसे मुश्किल लम्हा था | पता नहीं क्यूँ मेरे हाथों ने कमर पर से हटने की बजाय अपनी पकड़ और मज़बूत कर ली | हम दोनों की आँखें एक दूसरे की आँखों में ही देख रहे थे और मुझे उन आँखों में कोई रुकावट नज़र नहीं आ रही थी | शायद इसीलिए मैंने उनकी नंगी गर्दन पर चूम लिया | वो थोड़ा घबराई और उठने की कोशिश करने लगी, मगर मेरी पकड़ काफी मजबूत थी, मैंने एक करवट ली और अब मैं उनके ऊपर था। यह सब कुछ खुली छत पर तेज़ बारिश में हो रहा था | बारिश का पानी हम दोनों के बदन को गीला कर चुका था.. लेकिन तब भी मैं उनके बदन की गर्मी को महसूस कर सकता था | मेरी आँखें उनकी आँखों में ही देख रही थी, मेरे हाथ उनके दोनों हाथों को संभाले हुए थे, मेरे पैर उनके पैरों में लिपटे हुए थे | आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है | हम दोनों के बदन एक दूसरे से सटे हुए थे | मैंने उन्हें और चूमना शुरू किया, उनकी गर्दन पर, उनके होठों पर | अब उनका ऐतराज़ करना भी बंद हो चुका था, लेकिन वो खामोश ही थी | मेरे हाथों ने उनके बदन पर चलना शुरू किया, मेरा एक हाथ उनके पेट पर था और दूसरा उनकी गर्दन पर | तभी मैंने अपने हाथ से उनकी सलवार के कमरबंद को ढीला कर दिया और उनकी सलवार को बदन से अलग कर दिया | उनकी केले जैसी चिकनी जांघ देखकर मैं पागल सा होने लगा था, मैंने उन्हें चूमना शुरू कर दिया और तभी मैंने चाची की पहली कराह सुनी- आआआआअह्ह्ह्ह्ह्ह | वो अपने हाथ से मेरे सिर को पीछे धकेलने लगी.. मैंने दोनों जाँघों को हाथ में पकड़ कर कमर पर चूमना शुरू किया और धीरे धीरे उनकी कमीज़ को भी उतार दिया | !अब एक ऐसा नज़ारा मेरे सामने था जिसके लिए मैंने हजारों मन्नत की थी.. चाची का गोरा चिकना गठीला बदन मेरी आँखों के सामने था और वो भी उस हालत में जिसमें मैं सिर्फ सोच सकता था.. उन्होंने अपनी आँखों को बंद कर लिया | उन्होंने काली ब्रा और पैंटी पहनी हुई थी.. जोकि उनके गोरे बदन के ऊपर और भी खूबसूरत लग रही थी।मैंने उनकी छाती पर हाथ फेरना शुरू किया और उनकी कड़क चूचियों को दबाने लगा.. अब शायद उन्हें आजाद करने का समय आ गया था। मैंने उनकी ब्रा का हुक खोल कर उन्हें भी आजाद कर दिया.. उनकी चूचियों को देखकर मैं मदहोश सा हो रहा था.. मैंने उन्हें चूसना शुरू किया तो चाची सिसक उठी.. उनकी सिसकियाँ अब तेज़ होती जा रही थी | उनकी आआआआआआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आआआअह्ह्ह्ह्ह् सुनकर मुझे एक अलग सी ताक़त मिल रही थी | आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है | मेरे हाथ उनके पूरे बदन पर चल रहे थे.. और तभी मैंने हाथ उनकी पैंटी के अन्दर घुसा दिया और वो जैसे पागल सी हो गई.. मेरी एक ऊँगली ने उनकी पैंटी के अन्दर हरकत शुरू कर दी थी.. उनके दोनों हाथ मेरी कमर को खरोंच रहे थे.. अब तक उन्होंने भी मुझे कपड़ों से अलग कर दिया था और मेरे बदन पर सिर्फ मेरा अंडरवियर ही बचा था | तभी उन्होंने अपने नाज़ुक हाथों से मेरे लण्ड को पकडा और उसे सहलाने लगी.. मैं पागल हो रहा था.. यह सभी कुछ हम बारिश में गीली छत पर ही कर रहे थे और मुझे लगा काम को आखिरी अंजाम देने के लिए हमे बेड पर जाना ही पड़ेगा..मैंने चाची को उसी हालत में उठाया और अंदर उनके कमरे के बेड पर लिटा दिया.. वो बुरी तरह सिसक रही थी.. लेटते ही मैंने उन्हें बुरी तरह चाटना शुरू किया और एक झटके में उनकी पैंटी उतार दी.. मैंने उन्हें जोर से जकड़ लिया .. उनकी चूचियों को मसलते हुए मैंने अपना लण्ड उनकी दरार में घुसा दिया.. वो थोड़ा सा चिल्लाई, मगर फिर अपने आपको सँभालते हुए उनके हाथों ने मेरे चूतडों को दबाना शुरू किया | | उनकी इस हरक़त से मुझे काफी जोश मिला और मैंने झटके लगाने और तेज़ कर दिए.. झटके लगाते लगाते वो मुझे काट रही थी, मुझे जकड़ रही थी.. सिसकियाँ ले रही थी.. मैंने भी बुरी तरह से उनकी चूचियों को मसलना शुरू कर दिया.. वो बिलकुल पागल हो चुकी थी.. बार बार अपनी गांड उचका रही थी.. मैं खड़ा हो गया और उन्हें गोदी में लेकर चोदने लगा.. वो भी उछल उछल कर मेरा पूरा साथ दे रही थी.. और लगभग पाँच मिनट बाद मेरा ज्वालामुखी फूटा और उनकी दरार ने भी पानी छोड़ दिया.. हम लोग नन्गे बदन काफी देर तक एक दूसरे के ऊपर पड़े रहे.. और चूमते रहे.. यह सिलसला आज भी जारी है..