गताग से आगे …. मतलब, जैसे ही हमारा मूड बनता वो लण्ड को अपनी चूत में डलवा लेती.. जबकि, मुझे उसके चुचे चूसने, उसकी चूत और गांड चाटने का काफ़ी दिल करता था.. मेरा लण्ड भी वो कभी कभी ही चूसती। ये कहना सही है की वो चुदाई अपने अनुसार करती थी, मेरे नहीं। वैसे, अपर्णा की तरफ आकर्षित होने के ये कोई कारण नहीं था। इन सब बातों के बावजूद, मुझे किरन के साथ चुदाई में पूरा मज़ा आता था और मैंने कभी किसी दूसरी औरत के बारे में नहीं सोचा था। खैर, पर जब अपर्णा ने खुद ही शुरूवात करी तो मैं इतना भी महान नहीं था की पीछे हट जाता और मुझे तो नहीं लगता कोई भी स्वस्थ लण्ड वाला ऐसा करेगा। फिर, एक दिन तो हद ही हो गई.. उसने मुझे अचानक होंठों पर किस कर दिया.. मैं भी यही चाह रहा था की कुछ ऐसा हो.. मगर, मैं पहल नहीं करना चाहता था.. हकीकत में, मैं बहुत फटु किस्म का इंसान हूँ पर जैसे ही, उसने चुंबन किया मैंने उसको जकड लिया। उसने मेरे बेटे को नज़दीक पड़ी, चारपाई पर लिटा दिया और फिर से मुझसे चिपक गई। तभी मैंने उसे बोला की गेट खुला है, कोई आ जाएगा। वो तुरंत गई और गेट बंद कर दिया और इस बार मैंने उसको बेड पर पटक दिया और उसकी साड़ी खोल दी, उसका शरीर बहुत मस्त था। काफ़ी स्लिम थी, वो.. मगर, उसके चुचे एकदम गोल और 32 या 33 साइज़ के लगभग थे.. ज़्यादा बड़े नहीं थे.. लगभग, किरन जीतने ही थे और दिखने में भी लगभग वैसे ही थे.. गोरे, गोल, बेहद नरम और काले रंग की छोटी सी निप्पल। मैं अपनी जिंदगी में, दूसरे नंगे चुचे देख रहा था। बहुत देर तक, उसके चुचों को मैं एकटक देखता रहा और फिर मैंने उसका ब्लाउज पूरा उतरा और उसके मम्मों को चूसने लगा। उसने, अंदर ब्रा नहीं पहनी थी। अचानक, मुझे लगा मेरे पास समय नहीं है.. ज़्यादा देर, उसके घर रुक नहीं सकता था.. मैंने उसको बोला – अपर्णा, अभी कोई आ सकता है.. .. किरन भी सोचेगी इतनी देर कैसे रुक गये.. .. फिर, कभी सही.. .. और मैं जल्दी से वहाँ से, अपने बेटे को लेकर निकल लिया। रात भर, मुझे उसके चुचे दिखते रहे। उस रात, मैंने किरन को 3 बार चोदा.. दो बार तो लगभग ज़बरदस्ती.. दुबली पतली होने के कारण, एक बार में ही किरन थक जाती है.. हाँ, कभी कभी ड्रिंक करने के बाद, हम ज़रूर दो-तीन बार चुदाई कर लेते थे.. खैर, इसके अगले दिन मैं अपने प्लान के मुताबिक ऑफीस से जल्दी आया और सीधे अपर्णा के घर में घुसा। मैंने उसको पहले ही बता दिया था की मैं सीधे तुम्हारे पास ही आऊंगा। घर पर पहुँचते ही, वो खुद ही बेड पर लेट गई। मैंने तुरंत अपने सारे कपड़े उतारे और उसके भी उतार कर, उसको पूरा नंगा कर दिया। कुछ देर तक, मैं उसको एकटक देखता रहा। उसकी चूत से तो जैसे मेरी नज़र हट ही नहीं रही थी। उसकी चूत एकदम चिकनी थी और सामने से, अँग्रेज़ी के स्माल ‘w’ जैसे दिख रही थी। किरन की तरह, उसका पूरा बदन गोरा होने के बाबजूद उसकी चूत थोड़ी भूरी थी.. पर, किरन की चूत के होंठ का कटाव जहाँ सामने से ही शुरू हो जाता था, वहीं उसकी चूत के होंठ सामने से बिल्कुल नहीं दिख रहे थे.. जैसा मैंने बताया, सिर्फ़ स्माल ‘w’ का आकार नज़र आ रहा था। मुझे उसकी चूत, किरन से ज़्यादा सुंदर लगी। मैंने अपर्णा से कहा – मुझे नहीं पता था, लड़कियों की चूत अलग अलग आकार की होती है.. .. तुम्हारी चूत बहुत सुंदर है, अपर्णा.. .. अपर्णा ने कुछ नहीं कहा और मुस्कुराते हुए, मेरा हाथ पकड़ कर अपनी चूत पर रख दिया। लेकिन, मैं बर्दशात नहीं कर पाया और जैसे ही उसने अपनी टाँगें खोल कर, मेरा हाथ चूत के होंठों पर फिराया, मेरे लण्ड ने मचल कर वीर्य छोड़ दिया। मैं थोड़ा सा शर्मिंदा हो गया, पर अपर्णा ने तुरंत ही मेरे लण्ड को पकड़ा और अपने मुंह में लेकर, बुरी तरह से चूसने लगी। उसने मेरा पूरा वीर्य ऐसे चाट लिया, जैसे कब से इसकी प्यासी है। उसको अपना वीर्य चाटते देख, मुझे बहुत मज़ा आया और मेरा लण्ड तुरंत फिर से खड़ा होने लगा। किरन ने आज तक, मेरा वीर्य नहीं चाटा था.. बल्कि, वो तो मेरा लण्ड भी कभी कभी ही चूसती थी.. थोड़ी देर बाद, जब मुझसे काबू ना हुआ तो मैंने उसको बिस्तर पर पटक दिया और उसके मम्मों पर टूट पड़ा। जब उनसे दिल भर गया तो फिर, मैंने उसकी चूत को अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया। उसकी चूत लगातार, नमकीन रस छोड़ रही थी.. वो काफ़ी गरम हो चुकी थी.. लगभग 5-10 मिनट, जी भर के चूत चटवाने के बाद वो बोली – मयंक, अब आ जाओ.. .. अब कंट्रोल नहीं हो रहा.. .. मैं भी उसके ऊपर चढ़ गया और अपना 7 इंच लंबा लण्ड, उसकी चूत में तुरंत घुसा दिया। किरन की अपेक्षा, लण्ड उसकी चूत में आसानी से एक झटके में ही घुस गया। इधर, उसने मुझे बुरी तरह से चूमना शुरू कर दिया और बोली – मयंक, मैं तुमसे प्यार करने लगी हूँ.. .. मैं शुरू से चाहती थी की मुझे तुम्हारे जैसा पति मिले.. .. चोदो मुझे और बना लो अपना.. .. और फिर, उसने मुझे बहुत ज़ोर से जकड़ लिया। उसके हाथ, मेरी गांड पर कस गये और वो वो नीचे से उछल उछल कर, ज़ोर लगा रही थी। मैं काफ़ी उतेज्ज़ित हो गया था और थोड़ी देर बाद, मैंने स्पीड बढ़ा दी और अपना सारा वीर्य उसकी चूत में ही डाल दिया। 10-15 मिनट, हम ऐसे ही एक दूसरे को सहलाते रहे। मैंने जी भर के, उसकी गांड को सहलाया और चूमा। सच में, इतना मज़ा मुझे किरन के साथ कभी नहीं आया। असल में, किरन तो चुदाई के फ़ौरन बाद उठ जाती है। खैर.. .. मुझे लगता था, मैं किरन के साथ अपनी चुदाई की जिंदगी बहुत अच्छी जी रहा था पर असल में ऐसा नहीं था। आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है | अपर्णा को चोदने के बाद, मुझे एहसास हुआ की अगर आप रोज़ एक ही खाना खाएगें तो आपको पता ही नहीं चलेगा की दूसरे किसी व्यंजन का स्वाद कैसा है। खैर, अपर्णा के साथ ऐसा दो तीन दिन लगातार चलता रहा और फिर पाँचवे दिन की बात होगी, शायद.. मैं अपर्णा की चुदाई करने के बाद, उसकी गांड को सहला रहा था और वो मुझसे बातें कर रही थी.. बातों बातों में, उसने मुझे बताया की उसके पति सुमित को सेक्स के अलावा कुछ नहीं सूझता.. .. सेक्स होने के बाद, उसे मुझसे कुछ मतलब नहीं.. .. मेरी ना तो कोई परवाह करता है और तो और आए दिन, पिटाई भी करता है.. .. वो अक्सर दूसरों की पत्नियों के बारे में, ख़ासकर मेरी पत्नी किरन के बारे मैं कुछ ना कुछ बोलता रहता है.. .. मैंने पूछा – क्या बोलता है.. .. तो अपर्णा बोली – नहीं, कुछ नहीं.. .. बस, ऐसे ही.. .. मैंने उससे फिर पूछा – अब बता भी दो.. .. क्या बोलता है.. .. बताओ तो सही, प्लीज़.. .. अपर्णा बोली, बोलता है – देख, किरन को क्या मस्त माल है.. .. यार बस, एक रात को मिल जाए तो मज़ा ही आ जाए.. .. मुझसे पूछता है की क्या मैं उसको किरन को चोदते हुए, देखूँगी.. .. ये भी कहता है की अगर इससे (किरन से) बदली हो जाए तो मैं आज ही अदला बदली कर लूँ.. .. फिर वो बोलीं – अब तुम ही बताओ, ऐसे पति के साथ मैं कैसे गुज़ारा करूँ.. .. जो अपने सामने, मुझे किसी दूसरे मर्द से चुदवाना चाहता है और मेरे सामने किसी और औरत को चोदना चाहता है.. .. मैं भी क्या कहता, बोला – हाँ यार, बहुत ही बेकार आदमी है.. .. ऑफीस में सब से लड़ता रहता है.. .. और फिर कम से कम, कोई अपनी बीवी के सामने ऐसा तो नहीं बोलता है.. .. वैसे, तुम में क्या कमी है.. .. तुम्हारी चूत से तो मेरी नज़र ही नहीं हटती.. .. गांड और दूध तो इतने सुंदर हैं की पूछो ही मत.. .. मैं तो कहता हूँ की अगर मैं शादीशुदा नहीं होता तो तुमसे शादी कर लेता और उससे तलाक़ दिला देता.. .. वो बोली – हाय!! सच में.. .. मैं बोला – हाँ!! बिल्कुल.. .. इसी वक़्त, सुमित हमारे सामने आकर खड़ा हो गया। (वो शायद इसी पल का इंतेजार कर रहा था की मैं कुछ बोलूं.. उसने अपनी मास्टर की से लॉक खोला और चुपके से हमारी बातें सुन रहा था..) उस पल, मुझे लगा मेरी धड़कन रुक गई है और मेरा खून सुख गया है। रागिनी, मेरी तरफ गांड करके लेटी थी और मेरा हाथ, अभी भी उसकी गांड पर था। फिर, वो अलग लहजे में बिल्कुल टोन बदलते हुए बोला – तो जनाब, आप इन मैडम से शादी करोगे.. .. कर लो, कर लो.. .. मैं तो इनको कब से छोड़ने के लिए, तैयार हूँ.. .. लेकिन, मुझे भी तो कोई चाहिए.. .. मैं आपकी बीवी से काम चला लूँगा.. .. पर्मनेंट रख लो, इस चुड़क्कड़ छीनाल को.. .. और फिर सुमित कदम बढ़ाते हुए बोला – चलो, तो फिर.. .. मैं तुम्हारे घर जा रहा हूँ, किरन के पास.. .. अब मैं सारी हिम्मत जुटा के बोला – रु रु रू को को को.. .. त त तु म्हा रा रा दि दि मा ग़ ग तो ठी क है.. .. इस पर सुमित बोला – हाँ, बिल्कुल ठीक है.. .. तुम मेरी बीवी को चोदोगे तो मैं क्या तुम्हारी को छोड़ दूँगा.. .. अब मैं सच में बहुत डर गया था क्यूंकी मैं रंगे हाथों पकड़ा गया था। शुक्र तो इस बात का था की मैं अब तक जिंदा था। किसी और के पति ने मुझे रंगे हाथों पकड़ा होता तो अब तक मुझे शायद, गोली मार दी होती। खैर, अब मैं बोला – ध ध्रु सुमित, म मे मेरी बात सुनो.. .. ए ऐ ऐसे कुछ नहीं होगा.. .. अब सुमित गुस्से में बोला – सुन तू, बहन के लौड़े.. .. मां चोद के रख दूँगा, तेरी.. .. (झटके से मेरे कपड़े उठाते हुए) ऐसा ही, पूरी बिल्डिंग में नंगा दौड़ा दौड़ा कर मारूँगा, तुझे मादर चोद.. .. फिर उसने तुरंत मोबाइल निकाला और आनन फानन में, हमारी फोटो खींचने लगा। हम दोनों ही अब तक नंगे थे.. इधर, अपर्णा भी नहीं समझ पा रही थी अपने हाथ से चेहरे को छुपाए या दूध को.. फिर, वो अपने चेहरे को अपने घुटनों में छुपा कर बैठ गई। सुमित ने पास आकर, अपना जूता निकाल कर ज़ोर से उसकी कमर पर मारा.. जिससे, वो कराह उठी और उसका चेहरा ऊपर हो गया.. फिर, दो चार फोटो और खींच कर वो बोला – चलो.. .. अब बहुत हुए, सबूत.. .. अब तक, मैं बहुत डर चुका था और कुछ रास्ता ना देख मैं बोला – म म मैं मैं तु तु तुम तुम्हें नि किरन की दि ल वाने ने की को शिश क रूँगा.. आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है | .. ले किन, मु झे थो डा स मय दो.. .. उसने हंसते हुए बोला – ठीक है.. .. लेकिन, कब तक का समय.. .. मैं बोला – 10 -15 दिन में.. .. और उसने बोला – ठीक है.. .. मुझे बाद में मालूम हुआ की मुझे सुमित ने अपनी बीवी अपर्णा से फँसवाया था। सुमित ने अपनी बीवी को बोला था की तू मयंक को फँसा ले और उसके साथ मज़े कर.. .. अगर, तू उसकी बीवी की दिलवा देगी तो मैं तुझसे नहीं पीटा करूँगा.. .. बस एक बार दिलवा दे.. .. और अपर्णा ने पीटने से बचने के लिए, जानमुझ कर सुमित की बातों में आकर मुझे फाँसया था। होली आने वाली थी और होली के लिए ही, मैंने एक प्लान बनाया था। अपर्णा ने होली से एक दिन पहले ही, मेरी बीवी किरन को बोला की कल का लंच और डिन्नर अपर्णा के घर पर होगा और होली वाले दिन, सुमित के प्लान के मुताबिक घर पर एक बड़ा ड्रम रंग से भरकर बाथरूम में रखा। होली वाले दिन, करीब 11 बजे मैं और किरन सुमित के घर पहुँचे। उन्होंने, हमें अपने कमरे में बैठाया। सुमित एक रंग का डब्बा लेकर आया और बोला – भाभी जी, पहले कुछ नाश्ता हो जाए या होली.. .. किरन बोली – भाई साब.. .. मैं तो होली कम खेलती हूँ.. .. आप इनके रंग लगा लो.. .. इस पर, मैं बीच में बोला – किरन, तुम खेलो या ना खेलो.. .. भाई, मैं तो ज़रूर खेलूँगा, इन दोनों के साथ.. .. एक साल बाद, होली का त्योहार आता है और फिर भी ना खेले, तो क्या फ़ायदा.. .. भाई, सुमित मैं तो अपर्णा भाभी के साथ खूब होली खेलूँगा.. ..
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