लंड चटाई का मज़ा-2

लंड चटाई का मज़ा-1

गतांग से आगे ….. अब भैया के हाथो ने रीता की सलवार पकड़ कर नीचे करना चालू कर दिया |सलवार के थोडा नीचे होते ही रीता की पुरानी नीले रंग की चढ्ढी मुझे दिखने लगी |भैया ने सलवार थोडा नीचे किया तो सलवार रीता की चूतडो में फस गयी ओर जोर लगाने पे भी नीचे नहीं आ रही थी | भैया ने रीता से कहा :” थोडा गांड उठा ना सलवार नहीं निकल रही है ऐसे ” रीता ने बिना किसी सवाल के भैया की आज्ञा का पालन किया और अपने चूतड़ को थोडा ऊपर उठा दिया ताकि सलवार आसानी से निकल जाये | रीता के चूतड़ उठाते ही भैया ने सलवार को निकाल कर एक कोने में रख दिया | रीता के संगमरमरी बदन को देखकर जय भैया की आखे चमक उठी | मुस्कुराते हुए उन्होंने रीता के बदन पे एक बार हाथ फेरा और दाहिने हाथ को नीचे की तरफ ले जाने लगे | रीता की नाभि तक पहुच कर उनका हाथ रुक गया | थोड़ी देर नाभि पे हाथ फेरने के बाद भैया ने अपने हाथ की सबसे छोटी उंगली नाभि पर रख कर दबाया | उनके ऐसा करते ही रीता की आह निकल गयी |भैया थोड़ी देर यु ही रीता की नाभि से खेलते रहे , और रीता आहे भरती रही | फिर भैया ने हाथ को धीरे -२ रीता के चड्डी की तरफ ले जाना सुरु किया , ज्यु ही भैया का हाथ चड्डी की एलास्टिक तक पहुच ,रीता ने अपना हाथ बढाकर रोक लिया | भैया ने एक नजर रीता के चेहरे पर डाली तो रीता ने नहीं का इशारा करते हुआ सर हिलाया | भैया ने धीरे से कहा : “क्या हुआ हाथ क्यों पकड़ लिया तुने .” रीता ने धीरे से शरमाते हऐ कहा : “वहा हाथ मत डालो , मुझे शर्म आती है ” .भैया ये तो समझ गए कि रीता इंकार नहीं कर रही है बस थोड़ी शरमा रही है | भैया ने अपने दाहिने हाथ को वही रहने दिया और अपने अपने बाएँ हाथ को रीता की चूचियों पे रखकर मसलना चालू कर दिया ,साथ ही साथ अपने होठो को रीता के होठो की तरफ बढ़ा दिया | रीता ने जैसे भैया के होठो के स्वागत में अपने होठ थोड़े से खोल दिए ओर अपनी आखे बंद कर ली | इतनी देर से भैया के साथ नंगे होने के कारण शायद रीता की शर्म भी थोड़ी कम हो गयी , उसकी आखे भी नशे में लगने लगी थी | थोड़ी देर में भैया ने रीता के होठो को चूसते हुए उसके चूची को जोर से दबाया | रीता की आह भैया के होठो में कैद रह गयी पर उसने अपने सीने को ऊपर उठा कर प्रतिक्रिया दी | थोड़ी देर ये ही खेल चलता रहा दोनों के बीच , रीता बार-२ अपने सीने को थोडा उठा लेती जब भैया जोर से उसके चूची मसलते |तभी मैंने देखा कि रीता के हाथो की पकड़ भैया के दाहिने हाथ पे कम हो गयी और भैया का हाथ धीरे-२ उसकी चड्डी के अंदर जाने लगा | इसबार रीता ने कोई विरोध नहीं किया ,वो तो मज़े से भैया के होठो को चूस रही थी|धीरे -२ भैया का हाथ रीता की चड्डी की इलास्टिक को ऊपर करते हुए अंदर समाता जा रहा था |रीता बस कसमसाए जा रही थी भैया की इस हरकत पे भैया के हाथो का असर रीता के चेहरे पे साफ दिखाई दे रहा था |रीता की आंखे अभी भी बंद थी पर ज्यु ही भैया का हाथ उसकी चड्डी में गया उसके बदन ने एक अंगडाई ली और चेहरे पे थोड़ी मुस्कराहट दौड़ गयी | भैया चड्डी के अंदर हाथो को धीरे-२ घुमाने लगे ,इस बीच लगातार रीता के होठो को चूसते जा रहे थे |रीता ने भी भैया का खूब साथ दिया , उसने भैया के सर को पकड़ कर उनके होठो को जितना जोर से चूस सकती थी चूस रही थी | थोड़ी देर के बाद भैया ने अपना हाथ रीता की चड्डी से निकाला , तो मैंने देखा की उनका हाथ काफी भीग गया था और पानी सा चु रहा था |भैया ने रीता के होठो को छोड़ा ओर उसे अपनी गोंद में बैठाते हुए अपना हाथ दिखाया | भैया : “देख रीता तेरी चुत का रस, तेरी चुत तो पूरी गीली हो कर रस छोड रही है ” . रीता भैया के हाथो पे लगे पानी को देख कर शर्मा गयी और सर नीचे करते हुए कहा ” कैसी गन्दी बाते कर रहे हो , गंदे कहीके “. भैया : “अच्छा अब मैं गन्दा हो गया , तेरी चुत मज़े से पानी छोड रही है , तुझे मज़ा आ रहा है और गन्दा मैं हू ” रीता ने भैया की ओर सर करके कहा : “तुम ऐसे मत बोलो मुझे अच्छा नही लगता “. भैया रीता के कामरस से भीगे हाथ को सुघते हुए बोले. भैया : “तो चुत को चुत नहीं कहू तो क्या कहू , तू एक बार सूंघ के देख ना मेरा हाथ कितना मज़ा आ रहा है ” कहते हुए भैया अपने हाथ रीता के नाक के पास ले गए जो अभी भी उनकी गोंद में बैठी थी | ज्यु ही भैया का हाथ रीता कि नाक के पास पंहुचा ,रीता को हल्की से गंध मिली उसे अच्छा तो लगा पर शर्मा कर उसने भैया का हाथ हटा दिया और बोली : ” मुझे नहीं सूंघना , तुम ही सूँघो “. आप लोग यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |  भैया ने हँसते हुए अपना हाथ रीता के सीने पे रख दिया और फिर से मसलने लगे उसकी चुचिया| रीता को जब से भैया ने अपनी गोंद में बैठाया था उसे नीचे से कुछ चुभने का आभाश हो रहा था , वो बार-२ चूतड़ों को इधर -उधर कर रही थी | भैया ने उसे अपनी गोंद में मचलते देखा तो पूछा : “क्या हुआ जानेमन , क्यों इतना मचल रही हो. ” रीता ने भोली सी सूरत ऊपर करते हुए कहा ” मुझे नीचे से कुछ चुभ रहा है ” . भैया मुस्कुरा के बोले :” अरे मेरी जान वो तो तेरा खिलौना है , रुक जा अभी दिखाता हू ” . कहते हुए उन्होंने रीता को अपनी गोंद से नीचे उतार दिया| गोंद से उतरते ही रीता को चैन मिला वो पलट कर भैया की तरफ उत्सुकता से देखने लगी | भैया ने अपनी शर्ट तो पहले ही उतार रख्खी थी अब बारी उनके पैंट की थी , उन्होंने बैठे-२ ही अपने पैंट की चैन खोली और ऊपर के दोनों बटनों को भी खोल दिया | अपनी चूतड़ थोड़ी सी उठा के भैया ने अपनी पैंट को बाहर निकाल दिया और एक तरफ जहा रीता के कपडे थे रख दिया | मैंने देखा उनकी चड्डी में काफी उभार था कोई लम्बी सी मोटी सी चीज़ बार-२ झटके खा रही थी | रीता ने भैया की चड्डी को देख कर अश्चर्य से कहा ” ये क्या है इतना बड़ा और मोटा सा , ये इतना ऊपर-नीचे क्यों हो रहा है ” . भैया ने नीचे देखते हुए कहा : “अरे पगली ये वही तो है जो मैंने तुझे कल दिखाया था ” रीता नीचे देखते हुए मायूसी से बोली : “पर कल तो बहुत छोटा सा दिख रहा था , लेकिन आज तो बहुत बड़ा दिख रहा है .”……….भैया ने कहा :”जानेमन कल तो तुने कुछ करने ही नहीं दिया था , आज तो तेरी वजह से ये इतना बड़ा हुआ है. छु के देखा ना डर क्यों रही है ” रीता : “ना बाबा ना , मैं नही छूती मुझे डर लग रहा है इससे ” भैया : “अरे इस नाम से बुला ना , डर क्यों रही …………मैंने बताया था ना इसे लंड कहते है ” रीता : “छी, कितना गन्दा बोलते हो “. और वो शर्मा कर दूसरी तरफ देखने लगी | भैया ने प्यार से उसका हाथ पकड़ा और अपने लंड की तरफ ले जाते हुए कहा : ” एक बार छू के तो देख कुछ गन्दा नहीं होता , तुझे भी मज़ा आएगा ” रीता ने इस बार हाथ छुड़ाने का बिलकुल प्रयाश नहीं किया और भैया ने उसका हाथ अपने लंड पे रख दिया भैया रीता का हाथ चड्डी के ऊपर से ही अपने लंड पे रख के ऊपर-नीचे करने लगे , जब रीता का हाथ नीचे करते तो उनके लंड का कुछ हिस्सा चड्डी से बाहर दिखने लगता | रीता बहुत उत्सुकता से देख रही थी और धीरे -२ अपना हाथ ऊपर नीचे कर रही थी| जब भैया ने देखा की रीता को लंड मसलने में मज़ा आ रहा तो उन्होंने अपना हाथ रीता के हाथ पर से हटा लिया , रीता इंतना खो गयी थी लंड हिलाने में की उसे होश ही नहीं था कि भैया ने अपना हाथ हटा लिया है , वो अभी भी धीरे-२ अपना हाथ ऊपर -नीचे कर रही थी |मैंने ध्यान दिया कि ये सब देखकर मेरे पैंट के भी आगे का हिस्सा थोडा उभर आया है, मैंने जब अपना हाथ अपने पैंट के ऊपर रखा तो मुझे थोड़ी गुदगुदी हुइ और मज़ा भी आया | मैं भी अब धीरे-२ अपनी लुल्ली (मैं उसे लुल्ली ही कहूँगा क्यों मैं तब बहुत छोटा था ) को सहलाने लगा | तभी मैंने अंदर देखा कि भैया अब रीता कि चुचियो को मसलने लगे थे | रीता को तब होश आया जब उसके छाती में थोडा दर्द हुआ , उसने पाया कि वो अभी तक भैया का लंड मसल रही है ,जबकि भैया ने अपना हाथ हटा लिया है उसे अपनी इस हरकत पे बहुत शर्म आई और उसने अपना हाथ लंड से हटा कर नीचे देखने लगी और मुस्कुराने लगी |भैया ने जब रीता को शरमाते देखा तो बोले : “अब क्या शर्मा रही है , अब तो मज़ा लेने का वक्त आ गया है . रुक जा मैं तेरी बाकि की शर्म भी दूर कर देता हू ” ये कहते हुए भैया ने अपनी चड्डी को नीचे करना चालू कर दिया , रीता बहुत उत्सुकता से बाहर आते लंड को देख रही थी |थोड़ी देर मैं भैया ने अपनी चड्डी को पूरी तरह से निकाल कर अपने कपडो की तरफ उछाल दिया |मैंने देखा भैया का लगभग ७ इंच लंबा और करीब २.५ इंच मोटा लंड सीधे ऊपर की तरफ देखते हुआ फुफकार रहा था जैसे कोई नाग हो | भैया के लंड को देखकर रीता का गला सुख गया बहुत धीरे से बोली : “बाप रे कितना बड़ा और मोटा हो गया है ये .” भैया ने कहा “सब तेरी वजह से ही तो हुआ है , देख तुझे देख कर कैसे उछल रहा है मेरा लंड “.रीता बिना पलके झपकाये उस गोरे-चिट्टे लंड को देखे जा रही थी | भैया अब थोडा बेशरमी पे उतर आये थे उन्होंने ने रीता से कहा : “एक बार पकड़ के देख ना कितना गरम हो गया है . “. रीता जैसे नींद से जागी और बोली : ” नहीं मैं इसे हाथ भी नहीं लगाउंगी ,मुझे इसे देखकर डर लग रहा है “|भैया ने जबरदस्ती रीता का हाथ पकड़ के अपने लंड पे रख दिया और ऊपर नीचे करने लगे | आप लोग यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | थोड़ी देर बाद रीता की झिझक भी खत्म हो गयी और वो खुद ही हाथ चलाने लगी |भैया की मज़े से आखे बंद होने लगी थी ओर उनके मुह से सिसकियाँ निकलने लगी थी |रीता जब लंड पे हाथ फेरते हुए नीचे करती तो चमड़ी के नीचे आते ही मुझे भैया का लाल रंग का सूपाड़ा दिखने लगता |थोड़ी देर बाद ही भैया ने रीता से कहा : “एक बार मुह में ले कर देख ना कितना मज़ा आता है “…..भैया की बात सुनते ही रीता ने अपने हाथ चलाना बंद कर दिया ओर बोली : “छी कैसी गन्दी बाते करते हो , यहाँ से तो पेशाब करते है मैं मुह में कैसे ले सकती हू “. इसपर भैया ने कहा : “कुछ गन्दा नहीं है , येही जब तेरे अंदर जायेगा तो तुझे इतना मज़ा आएगा कि तू सोच भी नही सकती “. रीता ने इसपर आश्चर्य से कहा “ये मेरे अंदर कैसे जायेगा , ये तो कितना मोटा है “. भैया ने कहा: ” मेरी रानी बड़े आराम से जायेगा तेरे अंदर देखना तुझे कितना मज़ा आएगा , अच्छा चल मुह मैं मत ले पर एक बार चाट के तो देख जैसे आईसक्रीम चाटती है “. रीता भैया की बात मानते हुआ घुटनों के बल बैठ गयी ओर लंड को एक हाथ से पकड कर अपना मुह उसके पास लायी.| लंड के पास आते ही उसकी मादक सी महक रीता की नाक में गयी तो वो थोड़ी मदहोश सी हो गयी और धीरे से अपना मुह खोलकर जीभ को बाहर निकाला | उसके छोटे से मुह के सामने लंड काफी विशाल लग रहा था |रीता ने भैया की आखो में देखते हुए धीर से लंड पे अपनी जीभ रखी , और मुह को ऊपर की तरफ ले जाते हुए लंड का पहली बार स्वाद चखा | भैया की तो मज़े से आह निकल गयी और वो लंड चटाई का मज़ा लेने लगे |भैया ने थोड़ी देर बाद रीता से कहा ” एक बार सुपाडे को तो चाट के देख “.रीता ने वैसा ही किया .|रीता की जीभ सुपाडे पे पड़ते ही लंड ने मज़े में ठुमका लगाया और थोडा सा उछल गया | लंड को ऐसा करते देख रीता की हंसी निकल गयी | उसे इस खेल में अब मज़ा आने लगा था , वो बार -२ अपनी जीभ सुपाड़े पे ले जाकर चाटने का प्रयास करती और हर बार लंड एक ठुमका लगता |भैया तो मज़े से दोहरे हुए जा रहे थे रीता की इस हरकत पे |रीता अपना काम किये जा रही कि तभी भैया ने उसे रुकने का इशारा किया और रीता लंड चाटना छोड कर भैया के बगल में सर नीचे करके खड़ी हो गयी और भैया के अगले आदेश का इंतज़ार करने लगी | भैया ने एक हाथ से अपना लंड पकड़ा और रीता को इशारे से बिस्तर पे लेटने को कहा | आप लोग यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | रीता चुपचाप बिस्तर पे पीठ के बल लेट गयी और भैया कि अगले हरकत का इंतजार करने लगी …….. भैया रीता को बिस्तर पे लेटने को कह कर खुद अपने कपड़ो कि तरफ चले गए ओर पैंट कि जेब से कुछ निकाल कर रीता कि ओर मुड़े | मैंने देखा भैया के हाथो में एक छोटी सी तेल कि शीशी थी जिसे उन्होंने बिस्तर के सर के पास रख दिया | रीता ने भैया से पूछा : ” ये तेल किस लिए लाए हो .” तो भैया ने मुस्कुराते हुए कहा : “अभी पता चल जायेगा , क्यों परेशान हो रही है “. मुझे लग रहा था कि भैया को काफी अनुभव था , सायद वो पहले भी ये सब कर चुके थे , पूरी तैयारी के साथ आये थे वो | मुझे ये सब बाते उस वक्त तो नहीं पता थी , जब मैं जवान हुआ तो मुझे एहसास हुआ था उस दिन की घटना का | भैया अब रीता के दाहिने तरफ बैठ गए , भैया तो पूरी तरफ नन्गे थे पर रीता के शरीर पर अभी भी एक चड्डी बाकी थी जिसने उसकी प्यारी सी कुवारी चुत को ढक रखा था | भैया उठ कर अब रीता के पैरों की तरफ आ गए थे , और उनके हाथो ने रीता की चड्डी कि इलास्टिक को दोनों तरफ से पकड़ लिया था | जब रीता को एहसास हुआ कि भैया क्या करने जा रहे है तो उसने नीचे देखते हुए भैया का हाथ पकड़ लिया , भैया रीता की आखो में देखते हुए उसकी चड्डी को नीचे किये जा रहे थे , थोड़ी देर तो रीता ने विरोध किया पर जब उसे लगा भैया नहीं मानने वाले तो उसने अपने हाथो कि पकड़ धीली कर दी | रीता की चड्डी धीरे-२ नीचे की तरफ जा रही थी , और उसकी कच्ची कली किसी मर्द के सामने पहली बार बेपर्दा होने जा रही थी | भैया ने थोड़ी सी चड्डी सरका के रीता की चुत का जायजा लिया तो पाया कि अभी तक रीता कि चुत पे ठीक से काले बल तक नहीं आये है , बस कुछ छोटे-२ रोये जैसे भूरे बाल ही थे |भैया ने झुक के रीता कि उभरी चुत पे एक किस किया तो रीता मचल उठी | भैया फिर नीचे आते हुए , चड्डी को निकालने लगे ,मगर रीता के लेटे होने कि वजह से चड्डी भी सलवार की तरफ उसकी जाघो में फस गयी | भैया ने एक हाथ नीचे ले जाते हुए रीता के चूतड़ों को थोडा ऊपर उठाया , तो रीता ने पूरा सहयोग करते हुए अपने बदन को जमीन से थोडा ऊपर कर किया ताकि चड्डी निकलने में आसानी हो| भैया ने एक झटके में रीता की चड्डी को इसके बदन से अलग कर दिया , और ध्यान से चड्डी को देखने लगे तो उन्हें चड्डी के सामने का भाग कुछ गीला सा लगा |भैया ने रीता की चड्डी को अपनी नाक पे रखकर सुंघा तो उन्हें ऐसा करते देख रीता शर्मा गयी और होठो को दातो से दबा कर दूसरी तरफ देखने लगी | भैया ने चड्डी को सूंघते हुए कहा : “तेरी चुत की खुशबू तो लाजवाब है, इतना नशा अगर तेरी चुत के रस में है , तो तेरे बदन में कितना नशा होगा रानी . ” रीता अपनी तारीफ सुनकर शरमाये जा रही थी और भैया, उसे देखते हुए चड्डी के गीले भाग को चाटने लगे | थोड़ी देर बाद भैया ने चड्डी को भी बाकी कपड़ो की तरफ उछाल दिया और रीता की ओर मुड़े | रीता किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थी , जवानी की दहलीज पे द्कदम रख चुकी कोमल और मासूम लड़की भैया के सामने पूरी नंगी पड़ी थी | ऊपर से नीचे तक उसका बदन ऐसा लग रहा था जैसे दूध में हल्का सा सिंदूर डाला गया हो | उसके होठ लग रहे थे जैसे सुबह कि पहली किरन के साथ गुलाब की पंखुडिया कली से नीकल रही हो | रीता कि चुचिया थोड़ी फूल सी गयी थी और उत्तेजना की वजह से उसकी निप्पल पूरी तरह खड़ी हो गयी थी | भैया ,रीता के पैरे की तरफ ही थे और ध्यान से रीता के बदन का जायजा ले रहे थे और अपनी किस्मत पे इतरा रहे थे कि इतनी प्यारी कच्ची कली उनकी झोली में आ गिरी थी वो भी बिना कुछ किये | भैया धीरे-२ रीता के पैरों की तरफ से ऊपर बढे उन्होंने अपने दोनों हाथ रीता की जाघो पे लगा दिया और झुक कर उसकी प्यारी सी कुवारी चुत को देखने लगे | आप लोग यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | फिर भैया ने रीता की चुत पे एक किस लिया तो रीता “उहह ” कर बैठी और अपनी नजरो को नीचे करके भैया की हरकतों को देखने लगी | भैया अब रीता के पैरों पे आराम से बैठ गए थे और उसकी चुत का मुआयना कर रहे थे | रीता की चुत हल्के झाटो से भरी थी जो उसके चुत को ढकने में नाकामयाब थी | चुत का चीरा कुछ २ इन्च का था , उसके आसपास का भाग चुत के पानी की वजह से थोडा गीला हो गया था |भैया ने चुत को देखते हुए अपने दाहिने हाथ की उंगली को चुत के चीरे पे लगाया और थोडा सा दबाया तो उनकी उंगली थोड़ी अंदर चली गयी और रीता की आह निकल गयी | रीता ने अब आखे बंद कर ली थी और भैया की हरकतों का मज़ा लेने लगी |भैया उंगली को अंदर रखते हुए नीचे की तरफ ले गए तो उनकी उंगली चुत के पानी कि वजह से फिसल कर बाहर निकल आई |भैया ने इस बार अपने दोनों हाथो का इस्तेमाल लिया और रीता की चुत की के फाको को दोनों तरफ से अलग करने की कोशिश की तो उन्हें रीता की चुत के अंदर का भाग नजर आने लगा |चुत के अंदर का भाग बिलकुल लाल हो रहा था , चुत का छेद भी बहुत छोटा सा था और उसके उपरी भाग पे उसकी छोटी सी चुत की घुंडी दिखाई दी | भैया ने ज्यु ही चुत की घुंडी को छुआ , तो जैसे रीता के शरीर में कर्रेंट का झटका लगा और उसका पूरा शरीर कॉप गया | भैया ने देखा कि उनकी हरकत से रीता की चुत ने पानी छोड़ दिया था |भैया ने अपनी उगंली को नीचे ले जाकर रीता के चुत के छेद पे रखा और अंदर की तरफ दबाया तो रीता ने दर्द का इज़हार करते हुए भैया हाथ पकड़ लिया |भैया समझ गए कि चुत का छेद तंग होने कि वजह से रीता को दर्द हो रहा है ,उन्होंने रीता के हाथो को छुडाया और बिस्तर के बगल में देखने लगे | लंड चटाई का मज़ा-1

कहानी जारी है … अगले भाग में पढ़े आगे की कहानी और अपनी प्रतिक्रिया निचे लिखे कमेंट बॉक्स में जरुर लिखे |

The Author

गुरु मस्तराम

दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त मस्ताराम, मस्ताराम.नेट के सभी पाठकों को स्वागत करता हूँ . दोस्तो वैसे आप सब मेरे बारे में अच्छी तरह से जानते ही हैं मुझे सेक्सी कहानियाँ लिखना और पढ़ना बहुत पसंद है अगर आपको मेरी कहानियाँ पसंद आ रही है तो तो अपने बहुमूल्य विचार देना ना भूलें



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