पापा के दोस्त ने मेरी छुट फाड़ दी

प्रेषिका: रानी तिवारी

हेल्लो दोस्तों मेरा नाम रानी है मैं पटना की रहने वाली हूँ …आज मैं आपको अपने और अपने डेडी के दोस्त के बीच घटी एक हसीन घटना बताने जा रही हूँ …. मेरी लम्बाई ५ फीट ३ इंच है रंग गोरा और ३६ की चुचिया है मेरी….एक दम मस्त फिगर था मेरा . दोस्तो बात उन दिनों की है जब मेरे घर वाले जब दिल्ली में सेटल हुए तो मुझे डेडी ने लड़कियों के छात्रावास में डाल दिया। छात्रावास में रह कर मैंने ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की थी।

मेरे छात्रावास के पास ही डेडी के एक दोस्त राजेश रहते थे, पापा ने उन्हें मेरी देख रेख का जिम्मा सौपा था। राजेश अंकल करीब ४०-४५ साल के थे। उनका बिजनेस बहुत फ़ैला हुआ था। एक तो उन्हें बिजनेस सम्हालना और फ़िर टूर पर जाना… उन्हें घर के लिये समय ही नहीं मिलता था। आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |

आन्टी का स्वर्गवास ५ साल पहले हो गया था .. बस उनके दो लड़के थे, जो बिजनेस में उनका साथ देते थे। घर पर वो अकेले रहते थे। उन्होने घर की एक चाबी मुझे भी दे रखी थी।

मैं कम्प्यूटर के लिये रोज़ शाम को वहां जाती थी… राजेश अंकल कभी मिलते…कभी नहीं मिलते थे…

उस दिन मैं जब घर गई तो राजेश अंकल ड्रिंक कर रहे थे और कुछ काम कर रहे थे…

मैं रोज़ की तरह कम्प्यूटर पर अपने ईमेल चेक करने लगी…

आज राजेश अंकल मुझे घूर रहे थे… मुझे भी अहसास हुआ कि आज …राजेश अंकल कुछ मूड में हैं…

“रानी मुझे लगता है तुम्हें कम्प्यूटर की बहुत जरूरत है क्योंकि तुम रोज़ ही कम्प्यूटर प्रयोग करती हो !”

“हां अंकल … पर डेडी मुझे अभी नहीं दिलायेंगे…”

“तुम चाहो तो ये कम्प्यूटर सेट तुम्हारा हो सकता है… पर तुम्हे मेरा एक छोटा सा काम करना पड़ेगा…” सुनते ही मैं उछल पड़ी…

“सच अंकल … बोलो बोलो क्या करना पड़ेगा…” मैं उठ कर राजेश अंकल के पास आ गई।

“कुछ खास नहीं… वही जो तुम पहले कितनी ही बार कर चुकी हो…”

“अरे वाह अंकल …… तब तो कम्प्यूटर मेरा हो गया……” मैं चहक उठी।

“आओ… उस कमरे में…”

मैं राजेश अंकल के पीछे पीछे उनके बेड रूम में चली आई। उन्होने अन्दर से रूम को बन्द करके कुन्डी लगा दी। मुझे लगा कि राजेश अंकल कहीं कुछ गड़बड़ तो नहीं करने वाले हैं। मेरा शक सही निकला।

उन्होने मेरा हाथ पकड़ लिया और कहा “रीना… मैं बरसों से अकेला हूं… तुम्हें देख कर मेरी मर्दों वाली इच्छा भड़क उठी है… प्लीज़ मेरी मदद करो…” आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |

“अंकल … पर आप तो मेरे डेडी के बराबर है…” मैंने कुछ सोचते हुए कहा। एक तो मुझे कम्प्यूटर मिल रहा था …… पर राजेश अंकल ने ये क्यों कहा कि तुम पहले कितनी ही बार कर चुकी हो… राजेश अंकल को कैसे पता चला।

“सुनो रानी … तुम्हे मुझसे कोई खतरा नहीं है… क्योंकि अब मेरी उमर नहीं रही… और फिर मेरा घर तो तुम्हारे लिये खुला है…तुम चाहो तो तुम्हारे दोस्त को भी यहा बुला सकती हो”

मैं समझ गई कि राजेश अंकल को ये सब पता चल चुका है… अचानक मुझे सब याद आ गया… शायद राजेश अंकल को मेरा ईमेल एड्रेस और पासवर्ड मिल गया था…जो गलती से मेज पर ही लिखा हुआ छूट गया था।

“अंकल … मेरा मेल पढ़ते है ना आप…”राजेश अंकल मुस्करा दिये। मैं उनकी छाती से लग गई।

” थैंक्स रानी…” कह कर उन्होंने मेरे चूतड़ दबा दिये। मैंने अपने होंठ उनकी तरफ़ बढ़ा दिये… उन्होने मेरे होंठो से अपने होंठ मिला दिये… दारू की तेज महक आई… राजेश अंकल ने मेरी जीन्स ढीली कर दी… फिर मैंने स्वयं ही झुक कर उतार दी… टोप अपने आप ही उतार दिया। राजेश अंकल ने बड़े प्यार से मेरे जिस्म को सहलाना शुरु कर दिया। मेरे बोबे फ़ड़क उठे… ब्रा कसने लगने लग गई… पेंटी तंग लगने लगी… पर मुझे कुछ भी करने की जरूरत नहीं पड़ी… राजेश अंकल ने खुद ही मेरी पुरानी सी ब्रा खींच कर उतार दी और पैंटी भी जोश में फ़ाड़ दी।

“अंकल ये क्या… अब मैं क्या पहनूंगी…” मैंने शिकायत की।

“अब तुम मेरी रानी हो… तुम ये पहनोगी… नही… मेरे साथ चलना… एक से एक दिला दूंगा……” राजेश अंकल जोश में भरे बोले जा रहे थे। मुझे नंगी करके राजेश अंकल ने बिस्तर पर लिटा दिया। मेरे पांव चीर दिये और मेरी चूत पर अपने होन्ठ लगा दिये। मेरी चूत में से पानी निकलने लगा… चुदने की इच्छा बलवती होने लगी। मेरा दाना भी फ़ड़कने लगा… राजेश अंकल जीभ से मेरे दाने को चाट रहे थे… साथ में जीभ चूत में भी अन्दर जा रही थी। मेरी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी। अब राजेश अंकल ने मेरे पांव और ऊपर उठा दिये…मेरी गाण्ड ऊपर आ गई… उन्होने मेरी चूतड़ की दोनो फ़ांके अपने हाथों से चौड़ा दी। और गाण्ड के छेद पर अपनी जीभ घुसा दी और गाण्ड को चाटने लगे। मुझे गाण्ड पर तेज गुदगुदी होने लगी।

“हाय अंकल … बहुत मजा आ रहा है…” आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |

कुछ देर गाण्ड चटने के बाद उनके हाथ मेरे बदन की मालिश करने लगे… आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |

अब मैं राजेश अंकल से लिपट पड़ी…उनकी कमीज़ और दूसरे कपड़े उतार फ़ेंके। उनका बदन एकदम चिकना था… कोई बाल नहीं थे… गोरा बदन… लम्बा और मोटा लण्ड झूलता हुआ। सुपाड़ा खुला हुआ …लाल मोटा और चिकना। मैंने राजेश अंकल का लण्ड पकड़ लिया और दबाना शुरू कर दिया। राजेश अंकल के मुह से सिसकारी निकलने लगी।

“आहऽऽऽ रानी… कितने सालों बाद मुझे ये सुख मिला है… हाय… मसल डाल…”

मैंने राजेश अंकल का लण्ड मसलना और मुठ मारना चालू कर दिया। वो बिस्तर पर सीधे लेट गये उनका लण्ड खड़ा हो चुका था… मेरे से रहा नहीं गया… मैं उनके ऊपर बैठ गई और चूत के द्वार पर लण्ड रख दिया। मैंने जोश में जोर लगा कर सुपाडे को अन्दर लेने की कोशिश करने लगी… पर लण्ड बार बार इधर उधर मुड़ जाता था… शायद लण्ड पर पूरी तनाव नहीं आया था।

“अंकल ……ये तो हाय…जा ही नहीं रहा है…” मैं तड़प उठी…

तभी राजेश अंकल ने मुझे अपनी बाहों में जकड़ा और मुझे बेड पर पटक दिया और मेरे ऊपर चढ़ गए और अपने लंड में ढेर सारा थूक लगाया और कुछ मेरी चूत में भी लगाया और मेरी चूत पे अपने सुपाडे को रख कर एक जोर का झटका दिया …

उनका लंड चूत में जाते ही मुझे तो एकदम मजा आ गया और मैं चुतड उठा उठा के चुदवाने लगी…

मेरी चूत लगातार अपना कामरस छोड़ रही थी और लड़ को अपने रस से सराबोर कर रही थी …

राजेश अंकल बहुत मस्त चुदाई कर रहे थे लग रहा था अपने सारे दिनों की कसर पूरी कर रहे थे….

मेरी चूत फच फच…कर रही थी और मैं आहे भरे जा रही थी
राजेश अंकल मेरी चूचियां बुरी तरह मसल रहे थे पर मुझे बहुत मजा आ रहा था ….
” बस ऐसे ही मुझे रगड़ते रहो… मसलते रहो…।”

राजेश अंकल ऊपर ही लिपट गए और बुरी तरह मेरी चूत को चोदने लगे …

राजेश अंकल की इतनी तेज चुदाई मैं सहन नहीं कर पायी और उनको अपनी बाहों में भरकर अपनी चूत खाली कर दी ..

थोड़ी ही देर में राजेश अंकल ने कहा मेरा निकलने वाला है तो मैंने उनका लंड चूत से निकाल कर मुह में ले लिया और उनके लण्ड को मुख में ले कर चूसने लगी… उन्के लण्ड एकदम टाईट थाऔर सीधा खड़ा था… राजेश अंकल अपने चूतड़ उछाल उछाल कर मेरे मुख को ही चोदने लगे। मैंने उनका सुपाड़ा बुरी तरह से चूस डाला और दांतो से कुचला भी… नतीजा… एक तेज पिचकारी ने मेरे मुख को भिगा दिया…राजेश अंकल ज्यादा सह नहीं पाये थे।

राजेश अंकल जोर लगा लगा कर सारा वीर्य मेरे मुख में निकाल रहे थे। मैंने कोशिश की कि ज्यादा से ज्यादा मैं पी जाऊं। मैं उनका लण्ड पकड़ कर खींच खींच कर रस निकालने लगी… अंकल का सारा माल बाहर आ चुका था। उनका सारा जोश ठंडा पड़ चुका था और उनका लण्ड मुरझा गया था। और वो थक चुके थे।

” रानी… तुम्हे कैसे थैंक्स दूं… आज से ये घर तुम्हारा है…आओ भोजन करें…”

बाहर से नौकर को बुला कर डिनर लगवा दिया… और कहा,” मेरी कार ले जाओ … और ये कम्प्यूटर सेट रानी बेटी के छात्रावास में लगा दो। आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |

मैं खुश थी कि मुझे कम्प्युटर मिल गया। डिनर के बाद मैं छात्रावास जाने लगी तो एक बार राजेशअंकल ने फिर से मुझे गले लगा लिया। आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |

“अंकल … प्लीज़ आप दुखी मत होईये… आपकी रानी है ना… आपका पूरा खयाल रखेगी…” राजेश अंकल को किस करके मैं छात्रावास की तरफ़ चल पड़ी।

राजेश अंकल मुझे जाते हुए प्यार से निहारते रहे……और मैं उन्हें टाटा करके छात्रावास चली गयी ….

जब तक मैं छात्रावास में रही मैं अक्सर राजेश अंकल से चुदती रही और अंकल भी मुझे महगे महगे गिफ्ट दिया करते थे ..

तो दोस्तों कैसी लगी आपको ये कहानी अपने कमेंट्स कर जरूर बताएं .

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