गैर मर्द – | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru 100% Free Hindi Sex Stories - Sex Kahaniyan Mon, 19 Feb 2018 16:20:31 +0000 en-US hourly 1 /> //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/wp-content/uploads/2015/10/cropped-mastaram-dot-net-logo-red-32x32.png गैर मर्द – | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru 32 32 करुणा भाभी का नंगा बदन देख | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/chudai-ki-kahani/karuna-bhabhi-ka-nanga-badan-dekh.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/chudai-ki-kahani/karuna-bhabhi-ka-nanga-badan-dekh.html#respond Mon, 12 Feb 2018 12:50:12 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=11934 करुणा भाभी का नंगा बदन देख, मेरे घर की बालकनी के सामने रहने वाली करुणा भाभी ज्यादा अपने पति से चुदी नहीं थी उनकी प्यास गहरी थी और मैंने उनसे दोस्ती कर उनके साथ जिस्मानी रिश्ता बनाया उनका पूरा बदन जैसे खिली हुआ गुलाब जिसे बरसो से किसी ने न छुवा हो

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मैं आपको कहानी की हीरोइन करुणा भाभी के बारे में बता दूँ। उनका कद 5 फुट6 इंच का और रंग गोरा है। उनका वक्ष स्थल यानि चूचों का साइज करीब छत्तीस इंच का है। भाभी देखने में ऐसी लगती हैं कि मानो परी हों। जब वो चलती थीं.. तो उनके कूल्हे ऐसे मटकते कि अच्छे से अच्छे लोगों की भी पैंट गीली हो जाए।

ये बात आज से दो साल पहले की है.. जब मैं नौकरी के सिलसिले में दिल्ली गया था। वहां नैनी में मैंने किराए पर एक कमरा लिया। मेरी नौकरी में मेरी ड्यूटी कभी सुबह.. कभी रात को होती थी, क्योंकि मैं एक कॉल सेंटर में काम करता था। उन दिनों मेरी रात की ड्यूटी थी.. तो सुबह पांच बजे मैं अपने कमरे में आ जाता था और सो जाता था।

उस दिन मैं करीब 11 बजे सोकर उठा और अपने कमरे की बालकनी में आकर खड़ा हो गया। उस दिन मैंने करुणा भाभी को पहली बार देखा था।
मैं तो उन्हें देखता ही रह गया… वाह.. क्या मस्त भाभी थीं। मेरे कमरे की स्थिति कुछ ऐसी थी कि अगर मैं अपने ऊपर वाले कमरे की बालकनी में आ जाऊं.. तो मुझे उनके घर के अन्दर थोड़ा-थोड़ा दिख जाता है।

जब मैंने भाभी को देखा तो अपने घर के बाहर झाड़ू लगा रही थीं। जब वो झाड़ू लगा रही थीं.. तो उनका पल्लू कभी नीचे गिर जाता.. तो उनके चूचों के बीच की दरार दिख जाती। मुझे इस तरह से उनको देखने में बड़ा मजा आ रहा था। कई दिन ऐसे ही निकल गए।
एक दिन उन्होंने मुझे उनको ताड़ते हुए देख लिया.. पर वो बोलीं कुछ नहीं।

फिर एक दिन मैं पड़ोस की दुकान में सामान ले रहा था.. तो वो भाभी भी वहीं आ गईं।

मैं वहाँ से जाने लगा तो उन्होंने मुझे आवाज लगाई- सुनिए, आपका पर्स गिर गया है।

वो मेरा नाम नहीं जानती थीं.. तो मैं मुड़कर उनके पास गया। मैंने पर्स उठाया और उन्हें थैंक्स बोला। यहीं से हमारी बातचीत शुरू हुई और हम चलते-चलते बात करने लगे। उन्होंने मेरे बारे में पूछा.. तो मैंने भी उनके बारे में पूछा। उन्होंने बताया कि उनका पति दुबई में बिज़नेस करता है और साल में दो-तीन महीने के लिए आता है। उनके घर में उनके अलावा उनकी सास और ससुर रहते हैं और एक छोटा देवर भी रहता है।

मुझे भाभी से बात करना अच्छा लग रहा था.. तो मैंने भाभी को अपना फ़ोन नंबर दिया और उनसे उनका नंबर ले लिया।

अगले दिन मैंने उनको फ़ोन किया तो उन्होंने उठाया तो हम बात करने लगे। कुछ दिन हम नार्मल बात करते रहे।
एक दिन उन्होंने मुझसे पूछा- तुम मुझे उस दिन ऐसे क्यों देख रहे थे.. जब मैं बाहर झाड़ू लगा रही थी?
मैंने कहा- भाभी आपकी वक्ष के बीच में बनी दरार मुझे बड़ी अच्छी लगती है।

इस पर उन्होंने कुछ नहीं कहा और हंस दीं। मुझे हिम्मत मिली और मैंने आगे बात बढ़ाई। फिर धीरे-धीरे हम अपनी पर्सनल लाइफ के बारे में बात करने लगे। कब ये बात सेक्स में बदल गई.. पता ही नहीं लगा। इसी दौरान उन्होंने बताया कि उनका पति जब आता है तब ही वो सेक्स कर पाती है.. नहीं तो बस ऐसे ही रात को करवट बदल-बदल कर गुजारनी पड़ती है।

उनके मुँह से ये सुनकर मैं उनकी और थोड़ा ओर आकर्षित हो गया.. क्योंकि अकेली रह रही भाभी को देखकर कोई भी उनकी तरफ खिंचा जा सकता था।
मैंने उनसे कहा- मैं आपकी ये समस्या दूर कर सकता हूँ।
उन्होंने बिना कुछ कहे फ़ोन रख दिया।

मैंने सोचा कि पता नहीं मैंने क्या गलत कह दिया.. कहीं भाभी मुझसे नाराज तो नहीं हो गईं।
मैंने कुछ दिन फ़ोन नहीं किया।

लगभग दस दिन बाद भाभी का खुद फ़ोन आया तो उन्होंने कहा- तुम मेरी समस्या को कैसे दूर करोगे?
मैंने कहा- जैसे आपको ठीक लगे।
उन्होंने कहा- मैं आज तुमसे मिलना चाहती हूँ।
मैंने कहा- शाम को मिलते हैं.. अभी मेरी ड्यूटी है।
उन्होंने कहा- ठीक है।

शाम को हम मिले.. तो उन्होंने मेरे हाथ पर अपना हाथ रखकर मुझसे पूछा- क्या तुम मेरी समस्या को मेरे साथ सेक्स करके दूर कर सकते हो.. क्योंकि मैं सेक्स की भूखी हूँ।

मैंने कहा- क्यों नहीं भाभी.. आप कहो और मैं न करूं। मैं भी कब से यही सोच रहा था.. इसीलिए तो उस रोज के बाद मैं आपको बाल्कनी से देखता था।
उन्होंने कहा- कल मेरे घरवाले शादी के लिए ग्वालियर जा रहे हैं.. मैं नहीं जा रही। तुम कल रात को मेरे घर आ जाना।
मैंने कहा- ठीक है।

उन दिनों मेरी ड्यूटी भी दिन के समय की थी। मुझे जाने में कोई दिक्कत नहीं थी और अगर होती भी तो छुट्टी ले लेता। क्योंकि जो मैं चाहता था.. वही होने वाला था।

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मैं अगले दिन शाम को खाना खाकर आठ बजे उनके घर चला गया। मेरे मन में तो सेक्स हिलोरें खा रहा था।
मैंने उनके घर की बेल बजाई तो भाभी ने दरवाजा खोला। उन्होंने स्लीवलेस कुर्ती और पजामा डाला हुआ था। मैंने सोचा कि शायद वो रात को यही पहन कर सोती हैं।

मैं उन्हें देखता ही रह गया और उन्हें देख कर मेरा लंड तन कर खड़ा हो गया। भाभी जी ने मुझे अन्दर बुलाकर सोफे पर बिठाया और पानी लाकर दिया। वो मेरे पास बैठ गईं.. तो मैंने उनसे कहा- मुझे पानी की प्यास नहीं है.. मुझे आपकी प्यास है। यह कहते हुए मैंने उन्हें अपनी बांहों में पकड़ लिया और उनके होंठों को चूमने लगा।

वो बोलीं- यहाँ नहीं.. कमरे में चलते हैं।

हम दोनों उठकर बेडरूम में आ गए, वहां जाकर भाभी ने दरवाजा बंद किया। अब मैंने उन्हें पीछे से पकड़ लिया और उनकी गर्दन को चूमने लगा।

वो भी पलट गईं और मुझे भी कस कर पकड़ लिया, फिर हम एक-दूसरे के होंठों को चूसने लगे। कुछ देर यूं ही चलता रहा।

उसके बाद मैं भाभी जी को गोद में उठाकर बिस्तर पर ले गया और बिस्तर पर लिटा दिया। फिर उनके ऊपर आकर भाभी की कुर्ती में हाथ डालकर उनके चूचों को दबाने लगा। उनकी उम्म्ह… अहह… हय… याह… निकल गई।

उसके बाद मैंने देर न करते हुए उनकी कुर्ती निकाल दी। नंगी भाभी के शरीर का खुला नजारा देख कर मैंने कहा- वाह भाभी.. कहाँ छुपा कर रखा था इस खूबसूरत जिस्म को?
उन्होंने कहा- कहीं नहीं.. यहीं तो थे आपके सामने.. जिन्हें आप मुझे झाड़ू लगाते हुए देखते थे।

मैंने हँसते हुए उनकी ब्रा भी निकाल दी। ब्रा निकालने के बाद भाभी के चूचे ऐसे लग रहे थे जैसे काफी समय से किसी ने उन्हें छुआ ही न हो।

मैंने भाभी की नंगी चूचियों को दबाना और चूसना शुरू किया तो भाभी सिसकियाँ निकालने लगी थीं।

वो कह रही थीं- चंदन मेरी जान.. और जोर से चूसो मेरे चूचों को.. काफ़ी समय से इन्हें किसी ने नहीं चूसा है.. चूस चूस.. कर इन्हें लाल कर दो।

मैं और तेजी से उनके चूचे चूसने लगा और उनके काले काले निप्पलों को काटने लगा। भाभी को भी मजा आ रहा था और वो लगातार ‘आह.. आह.. हां ऐसे ही चूसो आह..’ की आवाज निकाल रही थीं।

करीब दस मिनट तक भाभी के चूचे चूसने के बाद मैंने अपने कपड़े उतार दिए और अपना लंड भाभी को चूसने के लिए बोला तो भाभी ने झट से मेरा लंड पकड़ कर मुँह में भर लिया और चूसने लगीं। मुझे बड़ा मजा आ रहा था.. क्योंकि भाभी एकदम पागलों की तरह मेरा लंड चूस रही थीं।

मैंने भाभी की नंगी चूत में अपनी एक उंगली डाली.. तो उनकी ‘आह..’ निकल गई। मैंने भाभी की चूत में उंगली को आगे-पीछे करना शुरू किया।
भाभी पागल सी हो गईं.. और मेरे हाथ में ही झड़ गईं।

मैंने अपना मुँह उनकी चूत की तरफ किया और भाभी की चूत को चूसने लगा, वो मेरा लंड चूस रही थीं। इसी बीच मैं भी भाभी के मुँह में होने वाला था.. तो मैंने भाभी जी से कहा- मैं होने वाला हूँ।

तो उन्होंने कुछ नहीं कहा.. बस लंड चूसती रहीं। मैं भाभी जी के मुँह में ही झड़ गया, वो मेरे लंड से निकले सारे माल को पी गईं.. फिर भी मेरा लंड को पागलों तरह चूसती रहीं। मुझे थोड़ी अकड़न सी होने लगी.. तो मैंने उन्हें रोका और उनके चूचों को चूसने लगा। पांच मिनट बाद भाभी फिर मेरे लंड को चूसने लगीं.. और अब उन्होंने मेरे लंड को चूस-चूस कर खड़ा कर दिया।
भाभी बोलीं- अब इसे मेरी चूत में उतारो.. मुझसे नहीं रहा जा रहा है।

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मैंने भाभी को बिस्तर पर लिटाकर उनकी कमर के नीचे तकिया लगाया और चूत पर अपना लंड रखा। मैंने भाभी की आंखों में देखा और एक धक्का मार दिया। मेरा लंड एक इंच ही अन्दर गया होगा कि उन्होंने चीख मारी।

मैंने भाभी के होंठों को अपने होंठों से बंद कर दिया और फिर से एक ज़ोर का धक्का मारा। इस बार मेरा आधा लंड उनकी चूत में समां गया।

उसके बाद मैंने धीरे-धीरे उनकी चूत में अपना लंड पेलना शुरू किया। जब उन्हें मजा आने लगा तो फिर भाभी जी खुद अपनी कमर उठा-उठाकर मुझसे चुदने लगीं और मेरे लंड को अपने अन्दर तक डलवाने लगीं।

साथ में भाभी चिल्ला रही थीं- आहह रॉनित.. फाड़ दे इसे आज.. बहुत दिन से तड़प रही है ये.. किसी के लंड के लिए.. अहह.. आज बुझा दे इसकी आग..
मैंने कहा- भाभी जी आज मैं आपकी चूत की पूरी तसल्ली करवा दूँगा और आज मैं भी इसे छोड़ने वाला नहीं हूँ।

मैं भी बहुत दिनों से सेक्स का भूखा था और फिर मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी। मैंने भाभी को बीस मिनट तक चोदा और अंत में मैं भाभी की चूत में ही झड़ गया। फिर मैं भाभी के शरीर पर ही लेट गया।
कुछ देर हम ऐसे ही लेटे रहे, फिर भाभी ने पूछा- बहुत अच्छा चोदा तुमने.. क्या तुमने पहले भी किसी से सेक्स किया है?

तो मैंने कहा- हाँ भाभी.. मेरी एक गर्ल फ्रेंड थी कोमल.. उसे मैंने चोदा है। एक बार उसे और उसकी फ्रेंड को भी चोदा है।

उसके बाद भाभी और मैं बाथरूम में गए और एक-दूसरे को साफ़ किया। वहां भी हमने शावर के नीचे एक-दूसरे को चूमते हुए सेक्स किया।
इस रात हमने चार बार सेक्स किया।

फिर मैंने भाभी को गर्भ निरोधक गोली दे दी। अगले दिन मैंने भाभी को उनके बेडरूम की दीवार के सहारे खड़ा करके.. मेज के ऊपर लिटाकर और कुर्सी पर बिठाकर भाभी जी चूत और गांड दोनों मारी। जब भी मुझे मौका मिलता मैं उनके अच्छे देवर की तरह रोज चुदाई करता हूँ।

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सासु माँ की धासु चुदाई की कहानी | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/rishto-me-chudai/sasu-ma-ki-dhasu-chudai-ki-kahani.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/rishto-me-chudai/sasu-ma-ki-dhasu-chudai-ki-kahani.html#respond Sat, 10 Feb 2018 15:33:56 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=11919 सासु माँ की धासु चुदाई की कहानी, मेरी बीवी और मेरी सास एक ही तरह दिखाती है दोनों की आज भी हॉट और सेक्सी है मैंने अपनी सास की कैसे चुदाई की ये इस कहानी में बताया गया है उनकी चुदाई करने में काफी मजा आया

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मेरे प्यारे दोस्त आज मैं आपको एक कहानी सुना रहा हु, जो की मेरे शादी के दिन की है, एक तांत्रिक की वजह से मैं अपने सास के साथ सुहागरात मनाया, पर अच्छा हुआ, इसके पहले मैंने कभी चूत का मज़ा नहीं लिया था और उस दिन ऐसा मौका आया की सुहागरात के दिन मैंने अपनी ही सास के साथ सेक्स किया. और दूसरे दिन मैंने अपने वाइफ का पर आप सच मानिये मेरे दोस्त मुझे सास को चोदने में बहुत मजा आया था, उसकी चूत आज भी टाइट थी. चूच उनका टाइट और गोल गोल है रंग गोरा लम्बी और होठ गुलाबी, चलती है तो चूतड़ ऐसे हिलता है की लंड महाराज भी खड़ा होके सलामी ठोकते नजर आते है.

मेरे ससुर जी का देहांत हुए 10 साल हो गया है, मेरी वाइफ सास ससुर की अकेली संतान है, धन दौलत की कोई कमी नहीं है, सासु माँ ने बड़े लाड प्यार से पाला, किसी चीज की कभी कोई कमी नहीं होने दी, मेरी वाइफ देखने में बड़ी ही खूबसूरत और मॉडर्न है, गोरी लम्बी सेक्स पार्ट तो मत पूछो यार, वो 24 साल की है, मेरी सास की उम्र 40 की है पर मेरी सास और वाइफ एक जैसी ही लगती है.

मेरी शादी हुयी कोर्ट मैरिज ग्रेटर नोएडा में, मैंने अपने माँ बाप से छुपा के शादी किया, क्योंकी मैं मीशा को पसंद करता था पर मेरे माँ पापा इसके लिए राजी नहीं थे. शादी हो गयी मैंने किराये के मकान में रहता था और मेरी सास को अपना वसंत कुञ्ज में फ्लैट है, मैं उनके यहाँ ही चला गया.

अब मैं असल कहानी पे आता हु, मैं रोज दूसरे की कहानी पढ़ा करता था पर मुझे आज लगा की मैं भी अपनी कहानी पोस्ट करूँ जो आपके सामने है, दिन में २ बजे के करीब कोर्ट में शादी हो गयी, फिर मंदिर में आके फेरे ले लिए, शादी बड़ी ही गुपचुप तरीके से ही हुयी थी, शाम को हम लोग एक फाइव स्टार होटल में खाना खाए और घर के लिए निकल पड़े, अचानक मेरी वाइफ का तबियत ख़राब हो गया, वो बेहोश हो गयी तुरंत उसको हॉस्पिटल ले गया, हॉस्पिटल पहुँचते पहुँचते वो बेहोश हो गयी, डॉक्टर ने बोला की ये बेहोशी करीब १२ घंटे तक रहेगा, आई सी यु में भर्ती करवा दिया, मेरी सास्सू माँ और मैं खुद बहुत बैचेन थे, डॉक्टर ने कहा की अब आप लोग नहीं मिल सकते है सुबह के आठ बजे तक, तो सासु माँ बोली बेटा घर ही चलो यहाँ तो रहने भी नहीं दे रहे है, मिल भी नहीं सकते घर वह से २०० मीटर की दुरी पर ही था तो हमलोग घर आ गए.

सासु माँ बोली की क्या हो गया है, आज तुम्हारे ज़िंदगी का सबसे ख़ुशी का दिन था, सुहागरात का पर होनी को कौन टाल सकता है बेटा और रोने लगी, मैंने चुप करने जैसे ही आगे बढ़ा वो मेरे में लिपट गयी और रोने लगी, मैं समझाता रहा पर वो रोये जा रही थी मैंने अपने सीने से चिपका लिया था, उनकी चूचियाँ मेरे सीने से चिपक के आधा बाहर निकल रहा था पीठ सहलाते सहलाते मेरा लंड खड़ा होने लगा, ये एहसास मेरे सास को भी हो गया था मुझे ठीक नहीं लग रहा था की पता नहीं ये क्या सोचेगी पर हुआ इसका उल्टा.

वो मेरे गाल को किश करने लगी फिर होठ को किश करने लगी, वो अपने चूत की जगह के मेरे लंड के पास सटा दी इससे मुझे और भी सिहरन होने लगी, फिर वो मेरे पीठ को सहलाने लगी, वो किश करते ही जा रही थी, मुझसे भी रहा नहीं गया और मैं भी उनको किश में शामिल हो गया, अब दोनों तरफ से किश और सहलाना सुरु हो गया, अचानक वो घूम गयी, उनका गांड मेरे लंड के पास आ गया मैंने उनके गांड में लंड सटा दिया, वो आगे से मेरे हाथ को पकड़ के चूच के पास ले गयी और, दबाने के लिए कहने लगी, मैंने चूच को दबाते दबाते उनके नाभि में ऊँगली घुसाने लगा, फिर मैंने साडी के ऊपर से ही चूत को सहलाने लगा.

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वो आअह आआह आआह आआह करने लगी, और बोली बेटा आज तो मीशा नहीं है बेटा आज तू मेरे साथ ही सुहागरात मना ले, वो मुझे हाथ पकड़ के बेड रूम में ले गयी, और मेरे कपडे उतार दिया और खुद लेट गयी मैंने उनके ब्लाउज का हुक खोला और ब्रा के ऊपर से ही चूच को दबाने लगा वो हाथ ऊपर कर दी कांख में काले काले बाल थे मैंने जीभ से कांख के बाल को चाटने लगा, फिर वो खुद ही ब्रा का हुक पीछे से खोल दी ओह्ह्ह्ह माय गॉड बड़ा बड़ा गोल गोल टाइट चूच हवा में लहराने लगे मैंने तो जोश में आ गया और उनके दोनों चूच को बारी बार से पिने लगा, आआह आआअह उफ्फ्फ्फ्फ़ पि ले बेटा पि ले, आआअह आआआह हाय वो इस तरह से आवाज निकाल रही थी.

मैंने सरक के निचे हो गया और जीभ उनके नाभि में डालने लगा वो सिहर रही थी कह रही थी और खिल खिला के हँस रही थी कह रही थी हटो ना प्लीज गुद गुदी हो रही है, मैं फिर सरक के निचे हो गया और पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया ओह्ह्ह्ह, ब्लैक कलर की पेंटी मैंने सूंघने लगा, वो फिर से खिलखिला के है रही थी, मैंने पेंटी उतार दी, वो अपने हाथ से चूत को छिपा ली, बोली मेरा गिफ्ट सुहागरात का, मैंने अपने वाइफ के लिए एक सोने का चेन ले गया था मैंने पहना दिया.

फिर मैंने उनका हाथ चूत से हटा के पैर को अलग अलग किया थोड़े थोड़े बाल थे, चूत को हाथ लगाया वो गरम था चिपचिपा हो चूका था, मैंने उनके चूत के चाटना सुरु किया, करीब ५ मिनट तक चाटा तो सास बोली मुझे और ना तड़पाओ मुझे भी तुम्हारा लंड अपने मुह में लेने है, पर मैं अभी उनके चूत को नहीं छोड़ सकता मुझे चाटना था मुझे काफी अच्छा लग रहा था, तभी मुझे याद आया की 69 पोजीशन जिसमे लंड पार्टनर के मुह में और चूत दूसरे पार्टनर में मुझ के पास बस मैं घूम गया मेरा लंड उनके मुह में था और मेरा मुह उनके चूत के पास बस दोनों एक दूसरे को चाटने लगे, इस विच एक गहरी सांस और अंगड़ाई लेते हुए मेरी सास झड़ गयी, तभी मेरी सास मेरे लंड जो जोर जोर से चूसने लगी और मैं भी झड़ गया पूरा वीर्य उनके मुझ में भर गया, वो पि गयी बोली काफी नमकीन है.

अब मेरी सास उठी और फ्रीज़ से अंगूर लायी दोनों मिलकर अंगूर खाने लगे, दोनों नंगे थे, एक दूसरे को पकड़ के लेटे रहे फिर धीरे धीरे सहलाना सुरु किया मेरा लंड महाराज खड़ा हो गया अब मैं अपने सास के दोनों पैर को उठाया और बीच में लंड को रखा और घुसेड़ दिया, सासु माँ की चीख निकल गयी, बोली धीरे धीरे किसी वर्जिन से कम नहीं हु, आराम से करो, फिर मैं कहा रुकने बाला और वो कहा रुकने बाली, वो गांड उठा उठा के और मैं ऊपर से धक्के पे धक्का देने लगा, वो आअह आअह आअह आअह उफ्फ्फ उफ्फ्फ्फ़ उफ्फ्फ आॉच आउच करने लगी, फिर क्या था मैं नव सीखिये और मेरी सास अनुभवी वो मुझे अलग अलग पोज में चुदवाने लगी, इस तरह से हम दोनों रात भर चुदाई करते रहे, अब मेरी बीवी भी घर आ गयी है, हम तीनो सुखी बैवाहिक जीवन बिता रहे है.

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गैर मर्द से रिश्ता | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/koi-mil-gaya/gair-mard-se-rishta.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/koi-mil-gaya/gair-mard-se-rishta.html#respond Wed, 07 Feb 2018 03:10:06 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=11894 हेल्लो मै एक हाउस वाइफ हूँ यह मेरी सच्ची कहानी गैर मर्द से सेक्स संबंधो की है जो आपको बहुत मज़ा देगी | मैंने जो कुछ लिखा है सब सही है बस आप सभी के मनोरंजन के लिए बता रही हूँ अच्छी लगे तो शेयर करें |

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गैर मर्द से रिश्ता ( Gair Mard Se Rishta )

हैल्लो दोस्तों मेरा नाम नसीम खान है मे एक सीधी सादी हाऊसवाइफ हु जो हमेशा घर के कामकाज या पति और बच्चो की देखभाल में ही लगी रेहती है मेरी उम्र 33 साल हाइट 5.3 फीट 60 किलो वजन रंग गोरा काफी खुबसुरत हु मेरी शादी को 12साल हो गए है पति का नाम शेहजाद खान है उम्र 36साल वो एक फार्मा कंपनी मे सुपरवाइजर है हम दिल्ली मे रहते है मेरे 2 बच्चे है बडा बेटा 10 साल का है नाम साहिल और छोटी बेटी जो 5 साल की है नाम समीना जिसे हम प्यार से गुड्डी बुलाते है हमारा घर काफी बडा है दो मंजिला और इतने बडे घर मे हम चार लोग ही रहते है बचपन से ही मे एक रुढीचुस्त और स्ट्रीक्ट फेमिली मे पलीबडी होने की वजह से कभी किसी लडके की तरफ नजर उठाके नही देखा और ना ही शादी से पहले मेरा कोइ अफेयर रहा मे घर से बाहर हमेशा बुरखे मे ही निकलती हु और घर मे भी ज्यादातर रुमाली या फुल साईज डुपट्टे मेही रेहती हु मेरे पहले हम बिस्तर मेरे शोहर शेहजाद ही थे हम एक दूसरे से बहोत प्यार भी करते है और वो मुझपर भरोसा बी करते है मेरे पति मुझे हर तरह की खुशी देते है मुझे कभी किसी बात की कमी नही होने दी फिरभी मेरी जिंदगी ने कुछ ऐसा मोड लिया जो मैंने कभी ख़्वाब मे भी नहीं सोचा था जिसमे का भरोसा तोड दिया | मेरा गैर मर्द से रिश्ता बन गया था हुआ कुछ एसा था |

बात आजसे 6 महीने पहले की है एक दीन रात को खाना खाते वक़्त शेहजाद ने मुझसे कहा के नसीम क्यों ना हम अपना उपर वाला कमरा किराये पर दे दे!!?
मै : क्यों किस लिए??
शेहजाद: अरे कुछ नहीं बस ऐसे ही मेरी ओफिस मे एक नया लडका आया है संजय शरमा जो अमृतसर से है उसकी ट्रान्सफर दिल्ली मे हुइ है और बेचारे के कोइ रिश्तेदार भी यहा नही है तो वो मुजसे कोइ ठीकाना करने के लिए पुछ रहा था

मै : लेकिन मुझे ये ठीक नहीं लग रहा है किसी गैर मज़हबी का हमारे साथ रहना!! मेरा मतलब है के वो सेट हो पाएगा??

शेहजाद: अरे कोइ नही वेसे भी पंजाबी लोगों की लाइफ स्टाइल बिलकुल हमारे जेसी ही होती है वो नोनवेज मास मच्छी सब खाते है!! तो बोलो क्या कहती हो बुलालु उसे कल???

मैंने मन मार कर हा मे सर हीला दिया पर मन मे कुछ गभराहट सी मेहसुस हो रही थी दूसरे दिन सुबह शेहजाद ने मुझसे उपर के दोनो कमरे ठीक करने को कहा और ओफिस चले गए शाम को जब 8 बजे वो वापस आए तो उनके साथ एक लडका आया जो करीब 24 साल का था साथ मे कुछ कपडे और थोडा सामान था दिखने मे वो काफी हैन्डसम था मैंने मुस्कुराहट के साथ उनका वेलकम किया |

शेहजाद: नसीम ये संजय है जो मेरे कलीग है जीनके बारे मे मैंने कल तुम्हे बताया था

संजय: (हाथ जोडकर)नमस्ते भाभीजी।। उसकी आखे मेरे पुरे बदन को घुर रही थी

मै : (मुस्कुराहट के साथ) आइये संजय भाइ !!

संजय: शेहजादभाइ आपका घर तो बहोत खुबसुरत है।। ये बात कहते हुए उसकी नजरे मुझपर थी

शेहजाद: शुक्रीया संजय, आओ तुम्हे मे उपर के कमरे दीखाता हु।।

मै : आप लोग उपर जाइए मे चाय वगैरह लेकर आती हु।। वो दोनो उपर गए और मे कुछ देर मे चाय लेकफर पहुँची।। उपर के फ्लोर पे 2 कमरे है जीस्मे से 1 कमरे की बाल्कनी हमारे बराम्दे मे पढती है जहा मे सुबह कपडे धोने शुखाने का काम करती हु मैंने चाय दी और कहा
मै : और कहिये संजयभाइ कौनसा कमरा सीलेक्ट किया आपने??

संजय: भाभीजी ये बाल्कनी वाला कमरा ही ठीक रहेगा

शेहजाद: नसीम इन्हे बाल्कनी वाला कमरा पसंद है

मै : ठीक है तो बस आप अपना सामान यही पर सेट करलो और फटाफट नीचे आजाओ खाना तैयार है

संजय: अरे नहीं नहीं खाना वगैरह मे अपने आप सेट कर लुंगा

शेहजाद: नही भाइ कोइ जरुरत नहीं है बाहर का खाना खाने की

मै : अरे संजयभाइ फिक्र मत करो मे बहोत अच्छा खाना बनाती हु

संजय: अरे नहीं नहीं भाभीजी ऐसी कोइ बात नहीं है

मेरे और शेहजाद के जोर देने पर वो राजी हो गया उधर नीचे होल से बच्चो की आवाज आइ जो टयुशन से आ चुके थे खाना खाते वक़्त शेहजाद ने बच्चो से संजय को मिलवाया कुछ ही देर मे संजय उनसे घुल मील गया रातको मे और शेहजाद बेडरुम मे बाते कर रहे थे

शेहजाद: नसीम तुम्हें कोइ तकलीफ तो नहीं होगी ना संजय के यहा रेहने से ?

मै : नही एसा कुछ नहीं है वो तो बस एक गैर मज़हबी लडके को साथ रखना कुछ अच्छा नहीं लग रहा था इसलिए आपसे कहा था पर अभी ठीक है ।। अच्छा लडका है सेट हो जाएगा.

शेहजाद: हा सही केह रही हो,, और एक ही दिन मे बच्चों से भी कितना घुलमील गया है

मै : हा बच्चे बहोत इंजोय कर रहे थे संजय के साथ

इसी तरह दीन बीतते गए और एक महीने मे तो संजय हमारी फेमिली मे काफी एक्जेसस्ट हो गया ज्यादातर रात के खानेपर हम सब साथ ही होते वो बच्चो के साथ हसीमजाक करता था जीस्मे कभी कभी मे भी शामील हो जाती जीस्से कइ बार मेरा हाथ संजय के हाथ से टच हो जाता या कइ बार वो जानबुझ कर मेरे हाथ से अपने हाथ को टच करता था | आप यह हिंदी गैर मर्द से रिश्ता की कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | इस बीच मैंने नोटीस किया के संजय मुझे कुछ अजीब ही नजरो से देखता रेहता था खाशकर जब शेहजाद कुछ काम मे लगे हो या मेरी नजर उसपर ना हो तब फिर जब हमारी नजरे मिलती तो वो नजर हटा लेता था मुझे बड़ा अजीब लगता था पर मे हमेशा इग्नोर कर देती थी कभी कभी वो मेरे खाने की और मेरी खुबसुरती की तारीफ़ कर देता खासकर जब मे ब्लेक शुट पेहनती।।

संजय ने बताया के वो काफी अच्छा पेइन्टर भी है उसने अपनी ड्रोइंग की हुइ कुछ तसवीरे भी हमे दीखाइ जो बेहद खूबसूरत थी मुझे भी बचपन से ही पेइन्टींग का शौख था तो मे बहोत ही इंम्परेस हुइ एक दिन सुबह जब मे बराम्दे मे कपडे धो रही थी तो मुझे महसूस हुआ के कोइ उपर के कमरे की बाल्कनी मे है जो संजय के कमरे की थी उस वक़्त मे सिर्फ कुर्ती और सलवार मे थी दुपट्टा नही ओढा था और मेरे कपडे काफी भीगे हुए थे तो मैंने फोरन खडी होके दुपट्टा डाल लीया और बाल्कनी मे देखा तो कोइ नही था शायद तबतक संजय चला गया था मुझे थोड़ा गुस्सा आया पर फिर सोचा शायद कुछ काम से आया होगा धीरे धीरे वो रोजाना मुझे बाल्कनी से चुपके चुपके देखता अबतक के मे इतना जान चुकी थी के संजय की नियत मुजपर ठीक नहीं थी एक दिन रात को मे और शेहजाद उपर संजय के कमरे मे कुछ काम से गए और वापस आते वक्त मे अपना मोबाइल उसके कमरे मे ही भूल आइ जीस्का पता मुझे देर रात बेडरुम मे सोते वक्त चला

मै : शेहजाद मेरा फोन नही दीख रहा???

शेहजाद: यही कही होगा रींग मार के देखलो ।। कही उपर संजय के कमरे मे ही तो नहीं छोड दीया???

मै : हा हा शायद उपर ही रेह गया है ।

शेहजाद: ठीक है जाओ ले कर आओ। मैंने देखा रात 12 बज चुके थे मुझे इस वक्त संजय के कमरे मे अकेले जाना कुछ ठीक नहीं लगा तो मैंने कहा सुबह ले आउंगी वेसे भी रात को किसका फोन आने वाला है।। और हम सो गए सुबह 7 बजे रोज की तरह कपडे धोते वक्त मैंने नोटिस किया के संजय बाल्कनी से मुझे देख रहा है मैंने फोरन पीछे मुड के देखा पर मे लेट हो गइ थी संजय वहा नही था तभी मुझे याद आया के मेरा फोन उपर है सो मैंने सोचा के जाके ले आती हु।।

वेसे भी शेहजाद और बच्चे 8 बजे तक उठते है उस वक्त मेरे कपडे पुरे भीगे हुए थे तो मैंने अपना दुपट्टा ओढा और उपर गइ मैंने देखा संजय के कमरे का डोर थोडा खुला हुआ था मैंने नौक किया पर कुछ जवाब नहीं आया पर बाथरुम से पानी की आवाज़ आइ मे समझ गइ के वो बाथरुम मे है मे अंदर चली गई सोचा अपना फोन लेके चली जाती हु मैंने इधर उधर नजर घुमाइ तो फोन टेबल पर पडा दीखा साथ मे एक पेइन्टींग भी थी मैंने जब वो देखी तो मेरे होश उड गए और शौक के मारे मेरी आंखें बडी हो गई।।।

वो मेरी पेइन्टींग थी जीस्मे मे बीना दुपट्टे के सिर्फ़ ब्लेक शुट और सलवार मे थी बाल खुले हुए और मेरे पुरे शरीर को बखुबी पेइन्ट किया था बहोत ही खुबसुरत पेइन्टींग थी वो मे उसे देखने मे खोगइ थी के तभी पीछेसे संजय की आवाज़ आइ।।

संजय: केसी लगी भाभीजी पेइन्टींग??? मे चौक गई और पीछे मुडते हुए

मै : अच्छी है पर क्यु ऐसी ? मेरा मतलब बीना दुपट्टे के,, अगर शेहजाद ने देखली तो उन्हे अच्छा नहीं लगेगा।।

संजय: और आप को??? मैंने शर्म से नजरे झुका ली

संजय: कहीये ना भाभीजी आपको केसी लगी??

मै : (शर्मा ते हुए) बहोत अच्छी,,

संजय थोडा मेरे करीब आया और हमारी नजरे मिली,, मैंने उस्से थोडा गुस्से से कहा

मै : ओह तो तुम ये पेइन्टींग बनाने के लिए रोज मुझे बाल्कनी से छुप छुप के देखते हो।।

संजय: हा,, भाभीजी आप हो ही इतनी खुबसुरत के मे आपको देखने के लिए मजबूर हो जाता हु और ना चाहते हुए भी मैंने ये पेइन्टींग बना दी।। मुझे ना जाने आज क्या हो गया था कि मे संजय की बातो को सुनते जारही थी संजय की बातो मे इतनी कशीस थी के मे उसकी आंखों मे आंखें डालकर उसे ध्यान से सुन रही थी

संजय: भाभाजी आपसे एक बात कहु?? मेरी आँखें उसे हर सवाल का हा मे जवाब दे रही थी

संजय: मे आपको एकबार इस पेइन्टींग की तरह देखना चाहता हूं मे बहोत ही डर गई मैंने फोरन मना कर दिया

संजय: (मेरे करीब आते हुए) प्लीज़ भाभीजी मे देखना चाहता हु के मैंने ये पेइन्टींग ठीक बनाई है के नही।। वो बडी सिद्दत से मेरे पूरे बदन को निहार रहा था मे उसकी बात और उसका मतलब दोनो बखुबी समझ रही थी मे उसे मना करना चाहती थी पर उससे पहले ही संजय ने मेरे बिलकुल करीब आकर धीरे धीरे करके मुजसे लीपटे हुए मेरे दुपट्टे को खिच लिया मे आज पहली बार किसी गैरमर्द के सामने इस तरह बीना दुपट्टे के खडी थी संजय की नजरो मे मुझे हवस साफ नजर आ रही थी हम एकदुसरे को बीना पलक झप्काए देख रहे थे मेरे पुरे शरीर मे अजीब सी सरसराहट हो रही थी मेरी धडकने बढ रही थी गभराहट के मारे मेरा गला सुख रहा था और होठ कांप रहे थे संजय मेरे इतने करीब आचुका था की हम दोनों की सांसो की गरमाहट एकदुसरे मे समा रही थी |

मैंने शर्मा कर अपनी नजरे झुका ली संजय ने अपने दोनो हाथो को मेरे बालो मे डालते हुए मेरे कांपते हुए होठो पे अपने होठ रख दीये और चुसना शुरु कर दिया उसकी इस हरकत से मे शौक्क थी मे उसे रोकना चाहती थी पर उसने मुझे कसकर अपनी बांहो मे भर लिया कुछ ही पल मे मेरा विरोध कम हो गया और धीरे धीरे मे भी पुरा साथ देने लगी हम एक दुसरे के होठो को चुसे जा रहे थे मैंने दोनो हाथ संजय की पीठ पे सेहलाते हुए उससे चीपक गइ मेरे बुब्स संजय के सीने मे समा गए वो अपनी जीभ को मेरे मुह मे डालते हुए डीपस्मुच कर रहा था

मै भी अपनी जीभ को संजय के मुह मे डालकर डीपस्मुच का पुरा आनंद ले रही थी उस्का एक हाथ मेरी पीठ को सेहला रहा था और दुसरा हाथ मेरे बम्प्स को दबा कर मुझे उस्के लंड की तरफ खिंच रहा था करीब दो मिनीट के लिपस्मुच के बाद संजय के होठ मेरे गालो को चुमते हुए मेरी गरदन पे जा पहोचे संजय मेरी गरदन को दोनो तरफ से बेतहासा चाट रहा था जिससे संजय के स्लेव से मेरी गरदन पुरी गीली और लाल हो चुकी थी मेरे मुह से मदहोशी भरी सिस्किया निकल रही थी संजय मेरे होठ गाल कान और गरदन पे चुम्बनो की बौछार कर रहा था |

मै भी अब इतनी मदहोश हो चुकी थी के पुरा जोर लगा कर उस्को अपने अंदर खींच रही थी करीब पांच मिनट तक यही चलता रहा फिर संजय ने मुझे घुमा कर दीवार से चिपका दिया और पीछेसे मुझे अपनी बांहो मे भर लिया और मेरे बुब्स को दबाते हुऐ फिरसे मेरी गरदन को चुम्ना शुरू कर दिया मेरे मूह से सिस्की निकल गई पता नही क्यु आज मेरा शरीर मेरा साथ नहीं दे रहा था और संजय की हर हरकत का मजा लेना चाहता था मेरी सांसे तेज चल रही थी मेरे दोनो बुब्स संजय के हाथो मे खेल रहे थे और उस्के गीले होठ मेरी मखमली गरदन को मसाज दे रहे थे और संजय का लंड मेरे बम्प्स के बीच जगह बना रहा था मे विरोध तो नहीं कर रही थी पर मेरे मुह से नहीं संजय,, नहीं प्लीज …|

ये गलत है,, मे शादीशुदा हु,, ये गलत है,, जेसे शब्द निकल रहे थे संजय का ऐक हाथ मेरे पेट को सेहलाते हुए मेरी सलवार तक पहुंचा मे कुछ समजती उस्से पहले तो मेरा नाडा खीच चुका था और मेरी सलवार जमीन पे थी मैंने संजय की तरफ देखकर मना करना चाहा पर मे कुछ कहती उस्से पहले संजय ने मेरे होठो को अपने होठो मे भर के लिपलोक कर लिया और अपनी उंगलियों से मेरी पेन्टी के उपर से सेहला रहा था फिर उस्ने मेरी पेन्टी मे हाथ डाल कर मेरी चुत पे अपनी कामूक उंगली सेहला दी और धीरे धीरे संजय ने एक उंगली मेरी रस से तरबरती हुई गीली चुत मे डालदी मे एकदम से उछल पडी और संजय के बालो मे हाथ डालके उस्के होठो को जोर से काटने लगी संजय मेरे होठ गाल कान और गरदन पे बेतहासा चुम रहा था और अपनी दो उंगली मेरी रसभरी गीली चुत मे अंदर बाहर कर रहा था मे सिस्किया ले रही थी सिस्स्स्सस अम्म्म्मम मेरा पूरा तन और मन अब वासना की आग मे डुब चुका था और मे अपनी सारी मर्यादा भुल चुकी थी मे भुल चूकी थी की मे शादीशुदा हु और अपने पति से बहोत प्यार करती हु मे दो बच्चो की मॉ हु किसी के घर की इज्ज़त हु सबकुछ भुलकर मे अब एक गैर मर्द की कामुक फींगर सेक्स का भरपुर आनंद ले रही थी जो उम्र मे मुजसे करीब 10 साल छोटा था संजय ने अपनी स्पीड बढादी आह्ह्ह्ह्ह अम्म्म्म्मम मे बहोत ही उत्तेजित हो गइ और किसी भी वक्त झड़ने वाली थी।

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नौकर ने मम्मी की चीखे निकलवाकर खूब चोदा | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/chudai-ki-kahani/naukar-ne-mummy-ki-chikhe-nikalwakar-khub-choda.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/chudai-ki-kahani/naukar-ne-mummy-ki-chikhe-nikalwakar-khub-choda.html#respond Thu, 01 Feb 2018 04:54:54 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=11848 मेरे घर का नौकर मुझे चुदाई करने दे ऐसी मम्मी से ऐसे बात कर रहा था कि मानो वो उसकी रखैल है उसने उन्गलियो से मम्मी की फुद्दी खोली और अपना लन्ड उस पर फिट किया मम्मी के दोनो पैर हवा मे थे और चूत पूरी खुल चुकी थी अशोक ने लन्ड एक बार सेट किया और जैसे ही एक कसकर धक्का मारा तो सिर्फ लन्ड का टोपा ही अन्दर गया और मम्मी की चीख निकल गई

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हेल्लो दोस्तों मेरा नाम है धीरज और आज मै मेरी मम्मी का एक वैश्य रूप आप सभी के सामने लूँगा अपनी कहानी के जरिये. इस कहानी को आप पॉजिटिव वे में लेकर चले एंटरटेनमेंट के लिए क्योकि मैंने इसमे नाम और जगह बदल दिए है क्योकि मै किसी को बेइज्जत नहीं करना चाहता. बस आप सभी एक बार ये कहानी पढ़ मेरी मा के फिगर को इमागिन कर एक बार जरुर मुठ मारे. मेरी मम्मी का नाम है गिरजा, वो एक मॉडर्न महिला है. उसकी उमर कुछ 46 साल है थोडी हेल्दी है, लेकिन उसके थोडेसे मोटापे की वजह से उसका बदन बहुत गदराया और सेक्सी लगता है. वो अक्सर स्लीव्ह लेस ब्लाउझ पहनती है जिसमे उसकी चुचिया बहुत उभर कर आती है. कई बार उसकी साडी नाभी के नीचे पहनी होती जिससे उसका फुला हुआ मुलायम सेक्सी पेट और उसकी लुभावनी नाभी देखने के लिए मै तरस जाता था. मैने उसकी ब्रा देखी है, जिसका साईझ 42 सी है, तो आप अन्दाजा लगा सकते है कि कितने बडे मम्मे होगे उसके….कभी कभी वो जब झुक जाती थी तो उसके बूब्सके बीच की वैली मुझे पागल कर देती थी. मम्मी की गान्ड भी काफी बडी है और जब वो चलती है तो उसकी गान्ड खूब मटकती है.  हमारे घर मे एक नौकर है जिसका नाम है अशोक. उसकी उमर लगभग २३/२४ है और वो काफी मजबूत कद का जवान है.

एक दिन मै कॉलेज से वापस आया तो किचन से मम्मी की आवाज आ रही थी, वो अशोक से बाते कर रही थी. दरवाजा खुला ही था तो मै बिना दरवाजा खटखटाए अन्दर चला गया. मै वैसे तो कॉलेजसे आनेपर सीधा अपने कमरेमे जाता हू लेकिन उस दिन मुझे पता नही क्या सूझा, मैने किचन मे झान्क कर देखा तो अशोक जमीन पर बैठा था और उसके सामने सब्जी की थाली थी. मम्मी उसकी तरफ पीठ कर के खडी थी और कुछ पका रही थी. उसने एक गाऊन पहना था जो स्लीव्हलेस था, उससे मम्मीकी गोरी बाहे खूब सुन्दर लग रही थी. अशोक सब्जी काटने के बजाए मम्मीकी गान्ड देख रहा था, मम्मी काम करते वक्त हिल रही थी जिससे उसकी गान्ड बहुत सेक्सी तरीकेसे थिरक रही थी. अशोक अपने धोति के उपर से अपने लन्ड को पकड कर हिला रहा था. मैने ये सब देखा और अपने कमरे की तरफ चला गया.

कुछ दिन बाद मम्मी ने मुझे अशोक को सर्व्हन्ट क्वार्टर से बुलाने के लिए कहा. मै हमारे घर के पीछे अशोक का कमरा था वहा गया और उसका नाम पुकारा लेकिन कोई जवाब नही मिला. मुझे लगा कि वो शायद सो गया है इसलिए मै उसके कमरे का दरवाजा खोलकर अन्दर गया. उसके बाथरूमसे आवाज आ रही थी तो मै समझ गया कि वो बाथरूम मे है, इसलिए मै जाने के लिए मुडा तभी मैने उसके बिस्तर पर देखा और मुझे शॉक लगा. उसके बिस्तर पर एक मरून कलरवाली पॅन्टी पडी थी, मै उसे देखकर ही पहचान गया कि वो मम्मी की थी. मैने वो पॅन्टी उठाई तो उसपर कुछ चिपचिपा सा लगा था, यकीनन वो अशोक का वीर्य था. साला हरामी मेरी मम्मी की पॅन्टी लेकर मूठ मार रहा था. मुझे उसका गुस्सा भी आया और एक अजीब सी सनसनी शरीर मे दौड गई. अशोक मूठ मारते वक्त क्या सोच रहा होगा, कैसे वो मम्मी का खूबसूरत बदन अपनी आन्खो के सामने ला रहा होगा यह सोच कर मेरे लन्ड मे एक करन्ट लगा और वो खडा होकर डोलने लगा. मै वहासे चला गया. कुछ समय बाद अशोक घर मे आकर अपना काम करने लगा.

लेकिन उस दिन से मैने अशोक पर नजर रखना शुरु किया. मैने देखा कि कई बार उसकी नजर मम्मी की गान्ड और बूब्स पर टिकी रहती थी. सबसे हैरत वाली बात यह थी कि मम्मी ने भी उसे कभी टोका नही. मुझे यकीन है कि उसे भी उसकी नजर पता चली होगी. शायद मम्मी भी उस नजर को पसन्द करती होगी. एक-दो बार तो काम करते वक्त मैने अशोक को मम्मी की बडी गान्ड को पीछे से धीरे से सहलाते हुए पकडा. लेकिन मम्मी की तरफसे कोई रिॲक्शन नही था. मुझे लगा कि इन दोनोके बीच मे जरूर कुछ चल रहा है. फिर मैने उन दोनो को डबल मिनिन्ग मे बात करते हुए सुन लिया.

एक दिन अशोक केले ले आया तो मम्मी बोली ‘ ये क्या लाये हो, तुम्हे पता है ना मुझे लम्बे और मोटे केले पसन्द है’ और फिर दोनो हसने लगे. ऐसी बाते सुनकर मुझे यकीन होने लगा की दोनो मे कुछ चल रहा है. मम्मी का अब कपडे पहनने का तरीका भी बदला हुआ था. मैने नोटिस किया कि मम्मी अब ब्रा नही पहनती थी और उसके निप्पल उसके झीने ब्लाउझ से साफ झलकते थे. उसके ब्लाउझ काफी टाईट हुआ करते थे जिससे उसके बूब्स का शेप उभरकर आता था और ज्यादा सेक्सी लगता था. ऐसा लगता था मानो वो जानबूझकर अपने उभरे हुए मम्मो का प्रदर्शन करवा रही हो.

एक बार मुझे कुछ छुटटी थी मै मेरे कमरे मे था (जो पहली मंजिल पर था). मम्मी-पापा का बेडरूम नीचे वाली मंजिल पर था. किचन भी नीचे था तो मम्मी अक्सर नीचे ही रहती थी. उस दिन दोपहर का खाना खाने के बाद मै उपर मेरे कमरे गया, जाते जाते मम्मी को बोल के गया कि मेरे सिर मे दर्द है और मै सोने जा रहा हू. मम्मी ने कहा ठीक है बेटा सो जाओ. मै उपर जाकर लेट तो गया लेकिन काफी देर बिस्तर पर करवटे बदलने के बाद भी मुझे नीन्द नही आइ. दर्द भी ज्यादा हो गया था, तो मैने सोचा कोई गोली ली जाए. मै नीचे जाने लगा तभी मुझे सीढियो पर मम्मी की आवाज आई “अशोक यह क्या बद्तमीजी है”

अशोक बोला “मालकिन, ये बद्तमीजी नही बल्कि प्यार है, और मै जानता हू आप भी प्यार की भूखी हो.”
मम्मी बोली “अभी जाओ अपने रूम मे मेरा बेटा उपर है…”

इसके पहले मम्मी कुछ और कहती उसकी आवाज जैसे गले मे फस गयी हो, मै थोडा सा आगे हुआ तो देख कि अशोक ने मम्मी को अपने बाहो मे लिया हुआ है और जबरदस्ती किस कर रहा है. मम्मी ने पहले तो कोशिश की खुद को छुडाने की लेकिन बाद मे उसकी कोशिश कम होती गै. अब अशोक मम्मी के होठ चूस रह था और गान्ड पर हाथ फेर रह था. मम्मी भी उसका साथ दे रही थी. कुछ देर बाद मम्मी बोली “अब तुम जाओ, कही धीरज ना जाग जाए”  लेकिन अशोक मम्मी को छोडने को तैयार नही था, वो कभी मम्मी के बूब्स दबाता और कभी गान्ड. बडी मुश्किल से मम्मी ने उसको जुदा किया इस वादे पर कि वो रात को उसे अपने बेडरूम मे बुलायेगी.

अब मुझे मम्मी का रात का प्रोग्राम पता चल गया, और मुझे भी देखना था मम्मी के साथ अशोक क्या गुल खिलाता है. तो मैने प्लान को थोडा और बढावा देने की सोचा. शाम को जब अशोक ने चाय-नास्ता परोसा तो मैने मम्मी को बताया कि मै अपने दोस्त के साथ उसके घर पर पढाई करने जानेवाला हू और रात को वही पर ठहरने वाला हू. ये बात सुनकर दोनोके चेहरेपर खुशी छा गई लेकिन मेरे सामने उन दोनो ने कुछ नही कहा.
लेकिन मम्मी ने अशोक की ओर हसकर इशारा किया जो मैने देख लिया. फिर एक बार तसल्ली करने के लिए उसने मुझे पूछा “धीरज पक्का तुम रात वहा गुजारोगे? खाने खा कर जाओगे ना? ” तो मैने हा कह दिया. रात का खाना खा कर मै तैय्यार हुआ और बाहर निकल गया. थोडी देर तक बाहर टहलने के बाद मै सीधा घर के पीछे के रास्तेसे घर मे घुस गया और घर के छत पर चढ गया और रोशनदान से घर के अन्दर झान्कने लगा. अन्दर का नजारा साफ दिखाई दे रहा था.

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मैने देखा कि मम्मी ने एक साधारण सी साडी पहनी थी और पल्लु पूरी तरह से लपेट लिया था, लेकिन जब वो चलने लगी तो मै हक्क बक्का रह गया कि उसने अन्दर ब्लाउझ पहना ही नही था. वो एकदम टिपिकल साधारण औरत के भेस मे थी, उसके बडे बडे गदराए मम्मे हिल रहे थे. उसने एक बार पल्लु ठीक करनेके लिए उसे बाजूमे किया तो मेरी आन्खे फटी की फटी रह गई, उसने अन्दर ब्रा भी नही पहनी थी. उसके बडे वक्ष और उसपर भूरे कलर के गोल और उसपर सख्त हुए निप्पल…..कसम से, बहुत ही सेक्सी नजारा था.

तभी दरवाजेपर किसीने दस्तक दे दी तो मम्मीने जाकर दरवाजा थोडा ही खोला. बाहर अशोक को देखकर उसने मुस्कुराकर उसे अन्दर ले लिया. अशोकने भी शायद मम्मी को इस अन्दाज मे नही देखा था. बगैर ब्लाउझ और ब्रा की उसकी चुची देखकर अशोक का लन्ड खडा होने लगा. मम्मी ने उसे एक सेक्सीसा स्माईल दिया और बेडरूम की ओर चल पडी. अशोक उसकी तरफ देखता ही रह गया, उसे यकीन नेही हो रहा था कि उसकी सेक्सी मालकिन, जिसे पाने का वो सपना देखता था, जिसका बदन याद करके वो मूठ मारता था, आज वो औरत उसके सामने बिना ब्लाउज और ब्रा पहने आई है. मम्मी जब बेडरूम की ओर मुडी तो मैने देखा कि उसकी गोरी पीठ पूरी तरहसे नन्गी थी, सिवा कन्धे पर जहा पर साडी का पल्लु टिका हुआ था. वो जैसे चलने लगी तो उसकी गान्ड एक नशीली लय मे हिलने लगी.

उसके नितम्बो का उभार साडी से साफ दिखाई दे रहा था, शायद उसने पॅन्टी भी नही पहनी थी. उसके गोरे पैर साडी के नीचेसे दिखाई दे रहे थे. अशोक ने अपना हाथ अपने लन्ड पर ले जाकर सहलाया. उसके नसीब मे इतनी खूबसूरत औरत होगी इसका मुझे तो क्या उसे भी अन्दाजा नही होगा.अब ज्यादा समय गवाना उसने उचित नही समझा, हाथ आए मौके को वो छोडना नही चाहता था, उसने झट्से दरवाजा बन्द कर लिया और मम्मी को पीछे से जाकर पकड लिया और उसकी गोरी बाहो को और कन्धो को चूमने चाटने लगा. फिर उसने मम्मी से कहा,
“हाय मेरी जान, अपना खूबसूरत जिस्म तो दिखाओ……..”

मम्मी तो जैसे तैयार बैठी थी, उसने तुरन्त साडी निकाल दी. मेरी अन्दाजा गलत था, उसने अन्दर एक बहुत ही छोटीसी काली पॅन्टी पहनी थी जो उसके गोरे बदन पर सेक्सी लग रही थी. उसके बडे मम्मे अब खुलकर सामने आ गए, उसके निप्पल भी काफी बडे थे. मम्मी के जिस्म का ये नजारा देखकर अशोक जैसे पागल हो गया और उसने मम्मी को बेड पर गिरा दिया और उस पर लेट कर पागलो की तरह उसके बूब्स चूसने लगा. मम्मी के वक्ष इतने बडे थे की उसके हाथ मे नही आ रहे थे. किसी छोटे बच्चे की तरह अशोक मम्मी के मम्मे चूस रहा था और दूसरे हाथ से दुसरे वक्ष को मसल रहा था. कभी वो निप्पल्स को चबाता था, तो कभी दोनो वक्षोको बीच मे खीन्च कर उन्हे एक साथ मुह मे लेने की कोशिश करता था. फिर उसने मम्मी के पेट को चाटते हुए उसकी कमर तक गया और उसकी टान्गो के बीच बैठ कर बोला “चलो मेरी जान, अब अपनी पॅन्टी उतारो” मम्मी ने शरमसे अपना मुह ढक लिया.

अशोक बोला “अरे मेरी रानी, ऐसे शरमाओगी तो मजा कैसे लोगी, चलो जल्दी उतारो” मम्मी ने कहा
“हट बेशरम, मै नही ……..तुमही उतारो” फिर अशोक ने मम्मी की पॅन्टी उतार दी और मेरी दूसरा अन्दाजा गलत निकला. हालान्कि मम्मी अपनी बगल साफ रखती थी लेकिन उसकी चूत पर लम्बे घने काले बाल थे.
अशोक मम्मी की फुद्दी देख कर बोला,
“मेरी जान, तुम शेव्ह नही करती?”
मम्मी अपनी चूत पर हाथ फेर कर बोली,
“किस के लिये शेव्ह करू, धीरज के पापा साल मे १५ दिनो के लिये आते है और तो और, उनका खडा करने मे आधा टाईम जाता है, फिर २-४ धक्कोमेही उनका दम निकल जाता है और खलास हो जाते है.”
ये सुन कर अशोक बोला
“जानता हू रानी…” उसकी बात बीच मे काटकर मम्मी बोली
“तुम क्या जानते हो” तो अशोक हसते हुए बोला
” अरे मेरी जान मै तो हमेशा आपके बेडरूम मे झान्का करता था, मै जानता हू साब क्या करते थे और क्या नही”
मै सुनकर दन्ग रह गया, ये हरामी अशोक कई दिनोसे मम्मीपर नजर रखे हुए था, मतलब उसका प्लान पक्का था. मम्मी भी ये बात सुनकर चौन्क गई
“क्या कहते हो……इसका मतलब तुमने हमारी वो बाते सुन ली………”

अशोक बोला” हा मालकिन, मै जान गया था कि आप जैसी औरत के लिये साब जैसा कमजोर लन्ड नही मेरे जैसा मर्द चाहिये.”
फिर अशोक मम्मी की चूत पर हाथ फेरने लगा और मम्मी के मुह से सेक्सी सिसकारिया निकलने लगी. वो भी अशोक को टान्गो मे दबा रही थी. अशोक ने उसकी पॅन्टी पूरी तरहसे निकाल दी और बाजूमे फेन्क दी. उसने मम्मी को बिस्तर के किनारे खीन्च लिया और खुद घुटनोके बल फर्श पर बैठ गया. वो ऐसा क्यू कर रहा है इसका मुझे और मम्मीको भी अन्दाजा नही था. इसके पहले कि हम कुछ समझ सके, उसने मम्मी की टान्गे चौडी कर दी और उसकी फूली हुई फुद्दी चाटने लगा, मम्मी ने शायद ओरल सेक्स कभी अनुभव नही किया था, उसके मुह से एक जोर की सिसकारी निकली और वो अशोक का सिर पकड कर अपनी चूत पर दबाने लगी, मम्मी की हालत देखने वाली थी, कभी वो अपनी गान्ड उपर कर के अशोक का मुह और ज्यादा फुद्दी पर रगडने की कोशिश करती और कभी अपने बडे बडे मम्मो को दबाती. अशोक मन लगाकर मम्मी की चूत चाट रहा था और उसके भरपूर नितम्बोको मसल रहा था, कभी वो हाथ उपर ला कर मम्मी के बडे बूब्स मसल देता. कुछ देर चाटने के बाद अशोक ने अपनी कमीज उतारी तो मम्मी बोली “चलो अब जल्दी से अपना लम्बा और मोटा केला दिखाओ, देखू तो तेरे पास क्या है”

अशोक बेड की साईड पर खडा हुआ और बोला “लो मेरी जान तुम ही ये काम कर लो”
मम्मी हसते हुए बोली” हा मेरे राजा, क्यू नही” और फिर मम्मी ने अशोक की धोती को खोला और उसकी अन्डरवेअर नीचे कर दी. मेरे तो जैसे होश उड गए और यही हाल मम्मी का था, वो भी सहम गई. अशोक का लन्ड पूरी तरह से खडा थ, वो काले कलर का मोटा रॉड जैसा था, लगभग ९ इन्च का होगा. मम्मी ने अपने होठोपर जीभ फेरकर दरते हुए उस काले नाग को अपनी हाथो मे ले लिया. मम्मी की नाजुक गोरी उन्गलियो मे तो अशोक का लन्ड और मोटा लग रहा था. मम्मीने धीमी और सहमी आवाज मे कहा “अशोक तेरा ये हथियार तो काफी मोटा और लम्बा है, धीरज के बाबा का तो इसके आधे साईझ का भी नही है…… तेरी होने वाली बीवी बहुत सुखी होगी”

अशोक हसकर बोला” अरे मालकिन, मेरी बीवी आएगी तब आएगी, आज तो मेरी बीवी आप हो, आओ देखो मेरे लन्ड को देखो….घबराओ नही”
मम्मी बिस्तर के साईड पर बैठ गई और उसका लन्ड हाथमे लेकर उसे सहलाने लगी. फिर उसने अशोक की तरफ एक शरारती स्माईल दिया और अचानक उसके लन्ड को मुह मे ले लिया. अशोक खुशी से पागल हो गया और उसने मम्मी के सिर को पकड कर अपना पूरा लन्ड उसके मुह मे ठूसने की कोशिश करने लगा. मम्मी भी किसी कसी हुई वेश्या की तरह अशोक को ब्लो-जॉब दे रही थी, उसका मुह पूरा खुला हुआ था फिर भी लन्द पूर अन्दर नही गया था. मम्मी को सास लेना मुश्किल हो रहा था, और अशोक उसकी परवाह किए बिना पूरा लन्ड मम्मी की मुह मे घुसाना चाहता था. थोडी देर लन्ड चुसवाने के बाद अशोक ने मम्मी से कहा
“मालकिन अब लेट जाओ” मम्मी ने तुरन्त उसकी बात मान ली मानो वो उसकी गुलाम बन गई थी. अशोक मम्मी की टान्गे खोल के बीच मे बैठ गया और लन्ड को मम्मी की बालो से भरी फुद्दी पर फेरने लगा.
मम्मी बोली” अशोक, ये तुम्हारा हथियार बहुत बडा है मेरी चूत फाड देगा”
अशोक हसते हुए बोला” अरे नही मेरी जान, तू तो ऐसे डर रही है जैसे तू अभी भी कुवारी है”

मम्मी ने उसके चौडे सीने पर हाथ रखकर बोली” कुवारी नही हू मेरे राजा लेकिन मै बहुत अर्से से तुम्हारे जैसे किसी तगडे मर्द से चुदवाया नही इस लिये थोडा डर लग रहा है, पता नही मेरी चूत तुम्हारा ये बडा लम्बा लन्ड झेल पाएगी या नही”
मै मम्मी की बाते सुन कर हैरान रह गया, वो कैसे आराम से किसी बाजारू औरत जैसी बाते कर रही थी और बिलकुल किसी पेशेवर रन्डी की तरह अशोक से बात कर रही थी.
अशोक बोला” हा वैसे छोटे लन्ड से चुदी हो तो क्या होता, असली लन्ड तो इसको कहते है”

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मम्मी हसते हुए बोली” हा ये भी सच है, और आजकल तो उनका खडा भी नही होता” ये सुन कर अशोक जोरसे हसकर बोला” तभी तो तुम ऐसे रन्डी की तरह चुदवाती हो”
मै गुस्सेसे लाल हो गया, एक मामुली सा नौकर मेरी मम्मी को गाली दे रहा था उसे रन्डी बोल रहा था और सबसे हैरत की बात ये थी कि मम्मी भी उसकी बातो का बिलकुल बुरा नही मान रही थी बल्कि हसके मेरे पापा की बदनामी मे साथ दे रही थी. वो बोली
“तो औरत की कोई भूख नही होती है क्या ? मै कब तक अपने मन को चुप करू? मुझे भी जिस्मानी प्यास है और अगर वो मेरी पति नही बुझाता तो मै दूसरे का सहारा जरूर लून्गी”
अशोक हसकर बोला” हा तेरे जैसी गरम रन्डी तो बगैर लन्ड के कैसे रह सकती है” और आगे बोला” मुझे तो शक है ये धीरज कही हराम का तो नही” सच बताता हू मुझे इतना गुस्सा आया था कि जाकर साले का मुह तोड दू. लेकिन मेरी मम्मी जिस प्रकार से उसका साथ दे रही थी मै जान गया कि इसका कोई फायदा नही है. मम्मी तो बेशरम होकर अशोकसे चुदवा रही थी और वो कमीना हसी मजाक मे मम्मी को पूछ रहा था”क्यू रानी, बताओ धीरज किसका पाप है”

मम्मी बोली” हट नालायक, किसी का नही, इतनी भी गिरी हुई नही हू मै, धीरज हमारा ही बेटा है”
अशोक थोडा गुस्सेसे बोला” चल अब ज्यादा बाते मत कर, मुझे चुदाई करने दे” वो तो मम्मीसे ऐसे बात कर रहा था कि मानो वो उसकी रखैल है. उसने उन्गलियोसे मम्मी की फुद्दी खोली और अपना लन्ड उस पर फिट किया, मम्मी के दोनो पैर हवा मे थे और चूत पूरी खुल चुकी थी. अशोक ने लन्ड एक बार सेट किया और जैसे ही एक कसकर धक्का मारा तो सिर्फ लन्ड का टोपा ही अन्दर गया और मम्मी की चीख निकल गई और उसने अपना हाथ नीचे लाकर अशोक का लन्ड निकालने की कोशिश की. लेकिन अशोक ने मम्मी के हाथ अपने एकही मजबूत हाथ मे पकडकर उसके सिर के उपर कर दिये. दूसरे हाथ से वो मम्मी के बूब्स को बुरी तरहसे मसलने लगा. मम्मी के मुह से ‘आआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह…….स्स्स्स्स्स…..हाय……’ जैसे मादक आवाजे निकल रही थी. बहुत ही सेक्सी नजारा था, मेरी गोरी खूबसूरत मम्मी अपने दोनो हाथ सिर के पास लेकर पडी थी, उसकी क्लीन शेव्ह्ड बगल बहुत सेक्सी लग रही थी, उसके बूब्स उसके हिलने से थिरक रहे थे. अशोक ने अपने हाथोसे उसके गोरे गोरे बूब्स को मसल कर लाल कर दिया. मम्मी को दर्द हो रहा होगा, वो चीख रही थी
“हाय मै मर गई, मेरी चूत फाड रहे हो क्या रे हरामी…………उफ्फ…….तुम आदमी हो के घोडा………….आआआआआ…………ये आदमी का लन्ड तो नही लगता……………कितना मोटा है रे ये……….”

अशोक हसते हुए बोला” मै नही तू हरामजादी है जो एक गैर मर्द से चुदवा रही है” फिर झुककर उसने मम्मी का एक वक्ष पकड लिया और उसे दबाने लगा. मम्मी और भी चीखने लगी तो उसने नीचे झुककर मम्मीके होठोपर अपने होठ रख दिये. वो मम्मी को ऐसे किस कर रहा था जैसे उसके होठ चबा कर खा जाएगा. मम्मी की सास अटक रही थी और वो छूटने का प्रयास कर रही थी लेकिन अशोक ने उसे ऐसे कसके पकडा था कि उसे छूटने का मौका ही नही मिल रहा था. बडा ही मादक नजारा था, मेरी गोरी खूबसूरत और गदराए बदन वाली मम्मी को वो काला जवान ऐसे चिपक गया था मानो कोई नाग डस रहा हो. मुझे ये देखकर बहुत एक्साईटमेन्ट हो रही थी और मै मन ही मन चाहने लगा कि अशोक और जोरसे मम्मी को चोदे.

अशोक ने फिर एक और धक्का मारा और उसका लन्ड लगभग पूरा अन्दर दाखिल हुआ. मम्मी के होठ उसने अपने होठोसे बन्द किए थे तो वो बेचारी चिल्ला भी नही सकती थी, लेकिन उसकी जोरदार चुदाई से शायद मम्मी को भी अब मजा आने लगा था. मम्मी बुरी तरह से कान्प रही थी और लन्ड उसकी फुद्दी मे फसा हुआ था. अभी भी आधा लन्ड बाहर था, अब अशोक ने आराम से धक्के मारने शुरु किये, जिस से मम्मी को भी मजा आने लगा और वो गान्ड उपर उठा उठा कर अशोक का साथ देने लगी. उसके मुह से अजीब अजीब आवाजे निकल रही थी……….ह्म्म्म्म, आआहाअ आहाआआआ……हाय मेरी मा…….बस्स और न डालो, मै मर जाऊन्गी……आआआआह्ह्ह्ह…..” लेकिन अशोक मजे ले लेकर उसे चोद रहा था. बीच मे मजाक भी कर रहा था. वो हसते हुए बोला “अच्छा ये बता सुहाग रात मे चुदवाते हुए भी इतना ही दर्द हुआ था क्या”
मम्मी कराहती हुई बोली” आआआआ……नही रे, उनका लन्ड छोटा है……..ह्म्म्म्म्म्म्म…..तुमे तो मस्त चोद रहे हो……क्यू उनके बारे मे पूछ कर मूड खराब कर रहे हो…..आआआआ…….चोदो और जोर से….” मम्मी अपनी आखे बन्द कर के बडबडा रही थी और अशोक से चुदवा रही थी. फिर अशोक ने एक जोर का झटका मारा और लन्ड पूरा अन्दर चला गया. मम्मी दर्द के मारे चिल्लाने लगी” उई मा……..मर गई मै……धीरे से मेरे शेर…………” अशोक मजेसे मम्मी को चोद रहा था

“”हाय मेरी जान, क्या टाईट फुद्दी है तुम्हारी, लगता है ज्यादा चुदी नही हो, मेरा नसीब अच्छा है कि तेरे जैसे मस्त चूत मिली….ले और ले…..ले मेरा लन्ड…….” अशोक पूरा लन्ड अन्दर दाल कर रुक गया, शायद वो मम्मी की इस हालत को एन्जॉय कर रहा था. उस ने मम्मी के अन्डर आर्म्स पर हाथ फेरा, मम्मी ने शायद कुछ दिन पहले ही शेव्ह किया था, इसलिये वहा पर थोडे थोडे बाल निकल आये थय, वो मम्मी की कोमल अन्डर आर्म्स को पागलो की तरह चाटने लगा. मम्मी को गुदगुदी हो रही थे और वो हसने लगी, मैने देखा मम्मी की फुद्दी पूरी तरह से खुल गई थी. शायद अशोक की चुदाई की वजहसे फट गई हो. फिर अशोक ने मम्मीका एक जोरदार किस लिया और पूछा,
“रानी दर्द कुछ कम हुआ क्या”
मम्मी ने आपनी आन्खे खोली नही, वो अपने दात अपने होठोपर गडाकर दर्द बर्दाश्त कर रही थी, वो बोली
“नही रे…….बहुत दर्द है मेरे राजा………” लेकिन उसने अपने हाथोसे अशोक को कसके पकड रखा था, मम्मीके मुह से सिसकिया निकल रही थी…..‘आअह्ह्ह्ह आहाअह, ह्ह्म्म्म आआह्ह्हाआ………..’ ऐसी आवाजोसे पता चल रहा था कि मम्मी को शायद अब मजा आने लगा था, उसने अपने पैर अशोक की कमर के गिर्द टाईट कर लिए थे और बीच बीचे मे उसे प्यारसे किस कर रही थी.

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अशोक ने फिर से एक जोर का धक्का मरा और मम्मी की चीखे और जोर की होने लगी. अशोक का लन्ड पहले धीरे धीरे अन्दर बाहर हो रहा था. लेकिन उसने स्पीड बढा दी. अब अशोक जोर से अपनी कमर हिलाकर बडी तेजीसे मम्मी की फुद्दी मे लन्ड अन्दर बाहर करने लगा, कभी वो उसके बूब्स चूसता तो कभी उसके होठोपे या गालोपर किस करता था, पूरे कमरे मे ‘फच्च….फच्च……फच्च…….’ की आवाज गून्ज रही थी. मम्मीकी चूतसे अन्दर बाहर करता हुआ अशोक का काला लन्ड बहुत ही भयानक लग रहा था, वो पूरी तरह मम्मी की चूत की रस से गीला हुआ था, उसके धक्कोकी रफ्तार देखते ही बनती थी.
तभी मम्मी चीखकर बोली “आहाआह अशोक………. मै…… आह….. आह….गए…….आआआआआअह्ह…………….ओ मेरी मा…….” और मम्मी झड गई, उसकी चूतसे पानी निकलकर अशोक के लन्ड और उसकी जान्घपे आ गया. ये देखकर अशोक को और जोश आया और उसने और जोर जोर से चोदना शुरु कर दिया. बीच मे चुदाई रोककर प्यार से मम्मी के होठ चूस कर बोला
“बस इतनी ही देर मे तू झड गई, मै तो तुझे रात भर रन्डी की तरह चोदनेवाला हू”

मम्मी निढाल हो कर पडी थी, उसने भी प्यारसे अशोक का किस लिया और बोली” हा मेरे राजा, आजसे मै तेरी रन्डी हू, मुझे खूब चोदना, रात भर चोदना…..तेरा ये मस्त लन्ड मुझे कितना मजा दे रहा है तुम नही जानते……….लगता है आज सही तरह सुहागन बनी हू”
मम्मी अब पूरी तरहसे अशोक के वश मे हो गई थी. मम्मी की ऐसी बाते सुनकर अशोक को जोश आया और उसने फिरसे जोरदार धक्के लगाने शुरु किए, मम्मी चीख चिल्ला रही थी लिएकिन उसने बिलकुल ध्यान नही दिया और बडी तेजी से मम्मी को चोदता रहा. और जब उसकी खलास होने की बारी आई तो किसी जानवर की भान्ति गुर्राता हुआ वो झड गया. उसके ढेर सारे वीर्य से उसने मम्मी की बुर को लबालब भर दिया. उन दोनो की यह चुदाई देखकर मै भी झड गई. कुछ देर मम्मी और अशोक वैसे ही लेटे रहे. फिर अशोक उठा और उसने अपना लन्ड धीरे से मम्मी की बुर मे से बाहर निकाला. जैसे ही उसके लन्ड का टोपा निकला बहुत सारा रस मम्मी की फुद्दी मे से बाहर निकल कर उसकी बडी गान्ड और मोटी जान्घोपर बहने लगा. मम्मी की फुद्दी पूरी खुली हुई थी. अशोक ने अपना लन्ड पकड कर मम्मी के मुह के पास लाया और बोला.
“ले रन्डी अब इस को चूस कर साफ कर” अशोक का लन्ड छोटा हो कर ४/५ इन्च का हो गया था. मै हैरत से देखता रहा कि मम्मी ने मुस्कुरा कर अशोक के लन्ड को पकडाअ और उस गन्दे लन्ड को चूसने लगी और उसे मजा भी आ रहा था.

“ओह अशोक ये तो बहुत नमकीन है” और किसी आईसक्रीम की तरह अशोक का लन्ड चूस रही थी.
अशोक ने पूछा” तूने कभी लन्ड चूसा है”
मम्मी बोली” नही आज से पहले कभी लन्ड नही चूसा था” और उसने अच्छी तरहसे अशोक का लन्ड साफ करके चाट लिया. फिर वो दोनो आपसमे बाते करते बिस्तर पर लेट गए.
ऐसीही कई राते अशोकने मम्मी की खूब चुदाई की और मै हर बार चुपकेसे देखकर उसका मजा लेता था.

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मन की अन्तर्वासना भाग – 3 | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/chudai-ki-kahani/man-ki-antarvasna-part-3.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/chudai-ki-kahani/man-ki-antarvasna-part-3.html#respond Wed, 31 Jan 2018 03:14:26 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=11817 ज्योत्सना ने सोचा, ‘इन्हें मेरी शारीरिक चोट की तो इतनी फ़िक्र है पर चमेली का मज़े लेने से पहले इन्होने मेरी मानसिक चोट के बारे में सोचा था? अब इन्हें सबक सिखाने का समय आ गया है

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मन की अन्तर्वासना भाग – 3 ( Man Ki Antarvasna Part -3 )

बाबूजी, अब आपसे क्या छिपाना, चमेली ने अपनी आवाज नीची कर के अपनी बात आगे बढाई. सच तो यह है कि मेरे मरद के मन में लालच आ गया था. हमारे मुहल्ले में एक आदमी है जो हर तरह के उलटे-सीधे धंधे करता है – चरस, गांजा, स्मैक, गन्दी फिलमें – वो सब कुछ खरीदता और बेचता है. मेरा मरद उसके पास पहुँच गया.

उसने उस आदमी से कहा कि मेरे एक दोस्त के पास एक शरीफ और घरेलू किस्म के मरद-औरत की गन्दी फिलम है. वो कितने में बिक सकती है? उस आदमी ने कहा कि आजकल कोई नैट नाम का बाज़ार बना है जहाँ ऐसी चार-पांच मिनट की फिल्म के भी एक लाख रुपये तक मिल सकते हैं. सुना आपने, बाबूजी? एक छोटी सी फिलम के एक लाख रुपये!

अब प्रवीन की बोलती बंद हो गई. वे चालीस-पचास हज़ार रुपये भी मुश्किल से जुटा पाते लेकिन यहां तो बात एक लाख की हो रही थी. उन्हें लगा कि बाज़ी हाथ से निकल चुकी है. अब कुछ नहीं हो सकता. लेकिन फिर उन्हें याद आया कि अभी चमेली ने यह नहीं कहा था कि उसके पति ने फिल्म बेच दी. शायद कोई रास्ता निकल आये! उन्होंने डरी हुई आवाज में कहा, फिर तुम्हारे मरद ने क्या किया?

एक लाख की बात सुन कर उसके मुंह में पानी आ गया पर फिर कुछ सोच कर उसने वो फिलम न बेचना ही ठीक समझा. वापस आ कर उसने मुझे सारा किस्सा सुनाया और कहा ‘चमेली, रुपये तो हाथ का मैल है. किस्मत में लिखे हैं तो कभी न कभी जरूर आयेंगे. पर तेरी मालकिन जैसी एक नम्बर की मेम दुबारा नहीं मिलेगी.

मैं कितना ही मुंह मार लूं पर मुझे औरत मिलेगी तो तेरे दर्जे की ही. मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि मेमसाहब जैसा टनाटन माल मेरी किस्मत में हो सकता है! अब किस्मत मुझ पर मेहरबान हुई है तो मैं ये मौका क्यों छोडूं? तू तो बस एक दिन के लिए मेमसाहब को मुझे दिला दे.’ सुना आपने, बाबूजी? उस मूरख ने बीवीजी के लिए एक लाख रुपये छोड़ दिए!

यह सुन कर प्रवीन स्तब्ध रह गये. यही हाल ज्योत्सना का था जो परदे के पीछे खडी सब सुन रही थीं. दोनों सन्न थे. दोनों के समझ में नहीं आ रहा था कि अब क्या करें. ज्योत्सना किसी तरह दीवार का सहारा ले कर खड़ी रह पायीं. आप यह हॉट हिंदी सेक्सी कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | प्रवीन गुमसुम से खिड़की की तरफ देख रहे थे. तभी चमेली ने सन्नाटा तोडा, क्या हुआ, बाबूजी? आपकी तबियत ठीक नहीं लग रही है. गर्मी भी तो इतनी ज्यादा है. मैं आपके लिए पानी लाती हूँ.

ज्योत्सना ने चौंक कर खुद को संभाला. उन्हें डर था कि कहीं चमेली अन्दर आ कर उनका हाल न देख ले. तभी उन्हें प्रवीन की आवाज सुनाई दी, नहीं नहीं, मैं ठीक हो जाऊंगा.

अन्दर से बीवीजी को बुलाऊं? चमेली ने हमदर्दी दिखाते हुए कहा. उसकी बात सुन कर ज्योत्सना तेज़ी से बेडरूम में चली गयीं.

प्रवीन ने कहा, नहीं, कोई जरूरत नहीं है. मुझे अब थोडा ठीक लग रहा है.

पर फिर भी आपको उनसे बात तो करनी होगी न! चमेली उनका पीछा नहीं छोड़ रही थी.

बात? हां, मैं बात करूंगा. चमेली, क्या तुम अभी जा सकती हो? कल तक के लिए?

ठीक है बाबूजी, इतने दिन बीत गए तो एक दिन और सही! मैं चलती हूँ. चमेली उठ कर दरवाजे की ओर चल दी. बाहर निकलने से पहले उसने कहा, जो भी तय हो वो आप कल मुझे बता देना.

उसके जाने के बाद प्रवीन किंकर्तव्यविमूढ से बैठे रहे. वे जानते थे कि अब चमेली के पति की बात मानने के अलावा कोई चारा नहीं था. पर उन्हें समझ में नहीं आ रहा था कि वे यह बात ज्योत्सना को कैसे बताएं. ज्योत्सना को भी भान हो गया था कि चमेली जा चुकी थी. उन्हें यह भी ज्ञात हो गया था कि पति की इज्ज़त और जान बचाने के लिए उन्हें उस घटिया आदमी की इच्छा पूरी करनी ही पड़ेगी. वे जानती थीं कि प्रवीन के लिए उनसे यह बात कहना कितना कठिन होगा. उन्होंने अपना जी कड़ा किया और ड्राइंग रूम में पहुँच गयीं. उन्होंने देखा कि प्रवीन की सर उठाने की भी हिम्मत नहीं हो रही थी.

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ज्योत्सना ने उनके कंधे पर हाथ रख कर दृढता से कहा, तुम चिंता छोडो. मैं कर लूंगी.

कर लोगी? प्रवीन ने आश्चर्य से कहा. क्या कर लोगी?

वही जो चमेली की शर्त है और जो उसका पति चाहता है, ज्योत्सना ने कहा.

यह सुन कर प्रवीन को अपनी वाइफ की इज्ज़त लुटने का दुःख कम और अपना पिंड छूटने की ख़ुशी ज्यादा हुई. उन्हें पता था कि वो फिल्म इन्टरनेट पर आ जाये तो वे किसी को मुंह दिखाने के लायक नहीं रहेंगे. पर उन्होंने अपने चेहरे पर संताप और ग्लानि की मुद्रा लाते हुए कहा, मैं कितना मूर्ख हूं! मैंने यह भी नहीं सोचा कि मेरी मूर्खता की कीमत तुम्हे चुकानी पड़ेगी. अगर मैं अपनी जान दे कर…

मैंने कहा था न कि तुम ऐसी बात सोचना भी नहीं, ज्योत्सना ने उनकी बात काटते हुए कहा. सब ठीक हो जाएगा. मुझे तो बस एक ही बात का डर है.

प्रवीन ने थोड़े शंकित हो कर पूछा, डर? कैसा डर?

यही कि इसके बाद मैं तुम्हारी नज़रों में गिर न जाऊं! ज्योत्सना ने कहा. कहीं तुम मुझे अपवित्र न समझने लगो!

यह सुन कर प्रवीन की चिंता दूर हो गई. उन्होंने ज्योत्सना को गले लगा कर कहा, कैसी बात करती हो तुम! इस त्याग के बाद तो तुम मेरी नज़रों इतनी ऊपर उठ जाओगी कि तुम्हारे सामने मैं बौना लगने लगूंगा.

अब यह तय हो गया था कि ज्योत्सना को क्या करना था. दोनों कुछ हद तक सामान्य हो गए थे. अब अगला सवाल था कि यह काम कहाँ, कब और कैसे हो? चमेली का पति रतन (उसका नाम कालीचरण था पर सब उसे रतन ही कहते थे) एक-दो बार इनके घर आया था, यह बताने के लिए कि चमेली आज काम पर नहीं आ सकेगी. दोनों को याद था कि वो एक मजबूत कद-काठी वाला पर काला-कलूटा और उजड्ड टाइप का आदमी था. उसकी सूरत कुछ कांइयां किस्म की थी. उसका ज्यादा देर घर के अन्दर रुकना पड़ोसियों के मन में शंका पैदा कर सकता था क्योंकि वो किसी को भी उनका रिश्तेदार या दोस्त नहीं लगता.

दूसरा रास्ता था कि ज्योत्सना उनके घर जाये. पर इसमें भी जोखिम था. उस मोहल्ले में ज्योत्सना का चमेली के घर एक-दो घन्टे रुकना भी शक पैदा कर सकता था. काफी सोच-विचार के बाद उन्हें लगा कि यदि ज्योत्सना रात के अँधेरे में वहां जाएँ और भोर होते ही वापस आ जाएँ तो किसी के द्वारा उन्हें देखे जाने की संभावना बहुत कम हो जायेगी. साथ ही वे साधारण कपडे पहनें और थोडा सा घूंघट निकाल लें तो वे चमेली और रतन की रिश्तेदार लगेंगी.

यह भी तय हुआ कि रात होने के बाद ज्योत्सना एक निर्दिष्ट स्थान पर पहुँच जायेंगी और वहां से चमेली उन्हें ले जायेगी. अगली सुबह तडके चमेली उन्हें वापस पंहुचा देगी. प्रवीन ने चमेली से एक दिन का समय मांगा था इसलिए यह काम अगली रात को करना तय हुआ.

खाना खाने के बाद पति-वाइफ सोने के लिए चले गए पर नींद उनकी आँखों से कोसों दूर थी. ज्योत्सना की आँखों के सामने बार-बार रतन का चेहरा घूम रहा था. उन्हें याद था कि वो जब-जब यहाँ आया, उन्हें लम्पट दृष्टि से देखता था. उन्हें ऐसा लगता था जैसे वो अपनी आँखों से उन्हें निर्वस्त्र करने की कोशिश कर रहा हो. उन्हें यह सोच कर झुरझुरी हो रही थी कि कहीं उसने वास्तव में उन्हें नग्न कर दिया तो उन्हें कैसा लगेगा! उसकी बोलचाल भी गंवार किस्म की थी. न जाने वो उनके साथ कैसे पेश आएगा! ज्योत्सना को उससे प्रवीन जैसे सभ्य व्यवहार की आशा नहीं थी. और वो बिस्तर पर उनके साथ जो करेगा उसकी तो वे कल्पना भी नहीं करना चाहती थीं.

उधर प्रवीन का भी यही हाल था. शुरू में तो उन्हें भय और तनाव से मुक्त होने की ख़ुशी हुई थी पर बाद में उनका मन न जाने कहाँ-कहाँ भटकने लगा. उन्हें लग रहा था कि उनका चमेली को भोगना तो एक सामान्य बात थी पर रतन जैसा आदमी उनकी वाइफ को भोगे यह सोच कर उन्हें वितृष्णा हो रही थी.

फिर उन्हें महसूस हुआ कि रतन ही क्यों, किसी भी पर-पुरुष को अपनी वाइफ सौंपनी पड़े तो उन्हें इतना ही बुरा लगेगा. उन्हें यह सर्वमान्य पुरुष स्वभाव लगा कि अपनी वाइफ को दूसरों से बचा कर रखो पर दूसरों की वाइफ मिल जाए तो बेझिझक उसका उपभोग करो. फिर प्रवीन के मन में विचार आया कि रतन भी तो यही कर रहा है. दूसरे की वाइफ मिल सकती है तो वो उसे क्यों छोड़ेगा. पर वे वे हैं और रतन रतन!

एक और डर प्रवीन को सताने लगा. रतन कहीं ज्योत्सना को शारीरिक नुकसान न पहुंचा दे! वो ठहरा एक हट्टा-कट्टा कड़ियल मर्द जबकि ज्योत्सना एक कोमलान्गी नारी थीं. उन दोनों में कोई समानता न थी. शारीरिक समानता तो दूर, उनके मानसिक स्तर में भी जमीन आसमान का फर्क था. ज्योत्सना एक सुसंस्कृत और संभ्रांत स्त्री थीं. रतिक्रिया के समय पर भी उनका व्यवहार शालीन और सभ्य रहता था. जबकि रतन से सभ्य आचरण की अपेक्षा करना ही निरर्थक था. प्रवीन चमेली का यौनाचरण देख चुके थे. कहीं रतन ने भी ज्योत्सना के साथ वैसा ही व्यवहार किया तो?

अपने-अपने विचारों में डूबते-तरते पता नहीं कब वे दोनों निद्रा की गोद में चले गए.

अगली रात को –

ज्योत्सना एक पूर्व-निर्धारित स्थान पर पहुँच गयीं जो उनके घर से थोड़ी ही दूर था. चमेली वहां उनका इंतजार कर रही थी. जब वे दोनों चमेली के घर की ओर चल पडीं तो रास्ते में चमेली ने ज्योत्सना को कहा, बीवीजी, मैने अपने एक-दो पड़ोसियों को बताया है कि रात को मेरी भाभी इस शहर से गुज़र रही है. वो हम लोगों से मिलने कुछ घंटों के लिये हमारे घर आएगी. उसे जल्दी ही वापस जाना है इसलिए वो अपना सामान स्टेशन पर जमा करवा के आयेगी. अब आप बेफिक्र हो जाइये. किसी को कोई शक नहीं होगा. कल सुबह आप सही-सलामत अपने घर पहुँच जायेंगी और मेरे मरद की इच्छा भी पूरी हो जाएगी.

आखिरी वाक्य सुन कर ज्योत्सना को फिर झुरझुरी सी हुई. लेकिन अब वे लौट नहीं सकती थीं! उन्होंने स्वीकार कर लिया कि जो होना है वो तो हो कर रहेगा. और वो होने में ज्यादा देर भी नहीं थी क्योंकि बातों-बातों में वे चमेली के घर पहुँच गए थे. घर के अन्दर पहुँच कर ज्योत्सना एक और समस्या से रूबरू हुईं. उस घर में एक कमरा, एक छोटा सा किचन और एक बाथरूम था. सवाल था कि चमेली कहाँ रहेगी!

रतन एक कुर्सी पर लुंगी और बनियान पहने बैठा था. जैसे ही चमेली ने दरवाजा बंद किया, रतन लपक कर ज्योत्सना के पास गया और उसने अपने दोनों हाथ उनकी कमर पर रख दिए. उसकी भूखी नज़रें उनके चेहरे पर जमी हुई थीं. लगता था कि वो उन्हें अपनी आँखों से ही खा जाना चाहता हो. वो उन्हें लम्पटता से घूरते हुए चमेली से बोला, चमेली, बाबूजी के पास ऐसा जबरदस्त माल था फिर भी तू उनकी नज़रों में चढ़ गई! पर जो भी हो, इसके कारण मेरी किस्मत खुल गई. अब मैं इस चकाचक माल की दावत उड़ाऊंगा.

उसने अपना मुंह ज्योत्सना के होंठों की ओर बढाया पर वे अपनी गर्दन पीछे कर के बोलीं, नहीं, यहाँ चमेली है.

तो क्या हुआ, मेमसाहब? रतन ने कहा. इसके साथ बाबूजी ने जो किया, वो मैंने देखा. अब मैं आपके साथ जो करूंगा, वो इसे देखने दीजिये. हिसाब बराबर हो जाएगा.

चमेली ने अपने पति का परोक्ष समर्थन करते हुए कहा, अरे, हिसाब की बात तो अलग है. पर अब मैं जाऊं भी तो कहाँ? इस घर में तो जगह है नहीं और मैं किसी पडोसी के घर गई तो वो सोचेगा कि यह रात को अपनी भाभी को अपने मरद के पास छोड़ कर हमारे घर क्यों आई है? बीवीजी, आपको तकलीफ तो होगी पर मेरा यहाँ रहना ही ठीक है.

अब ज्योत्सना के पास कोई चारा न था. और चमेली जो कह रही थी वह ठीक भी था. उन्होंने हलके से गर्दन हिला कर हामी भरी. अब रतन को जैसे हरी झंडी मिल गई थी. उसने उनके होंठों पर ऊँगली फिराते हुए कहा, ओह, कितने नर्म हैं, फूल जैसे! और गाल भी इतने चिकने!

उसका हाथ उनके पूरे चेहरे का जुगराफिया जानने की कोशिश कर रहा था. पूरे चेहरे का जायजा लेने के बाद उसका हाथ उनके गले और कंधे पर फिसलता हुआ उनके सीने पर पहुँच गया. उसने आगे झुक कर अपने होंठ उनके गाल से चिपका दिए. वो अपनी जीभ से पूरे गाल को चाटने लगा. साथ ही उसकी मुट्ठी उनके उरोज पर भिंच गई. ज्योत्सना डर रही थी कि वो उनके स्तन को बेदर्दी से दबाएगा पर उसकी मुट्ठी का दबाव न बहुत ज्यादा था और न बहुत कम.

रतन ने अपने होंठों से उनके निचले होंठ पर कब्ज़ा कर लिया और वो उसे नरमी से चूसने लगा. कुछ देर उनके निचले होंठ को चूसने के बाद उसने अपने होंठ उनके दोनों होठों पर जमा दिये. उनके होंठों को चूमते हुए वो कपड़ों के ऊपर से ही उनके स्तन को भी मसल रहा था. ज्योत्सना ने सोचा था कि रतन जो करेगा, वे उसे करने देंगी पर वे स्वयं कुछ नहीं करेंगीं. वैसे भी काम-क्रीडा में ज्यादा सक्रिय होना उनके स्वभाव में नहीं था.

उनके होंठों का रसपान करने के बाद रतन ने अपनी जीभ उनके मुंह में घुसा दी. जब जीभ से जीभ का मिलन हुआ तो ज्योत्सना को कुछ-कुछ होने लगा. वे निष्काम नहीं रह पायीं. वे भी रतन की जीभ से जीभ लड़ाने लगीं. उनके स्तन पर रतन के हाथ का मादक दबाव भी उनमे उत्तेजना भर रहा था. उन्हें लगा जैसे वे तन्द्रा में पहुंच गयी हों. उसी तन्द्रा में वे अपनी प्रकृति के विपरीत रतन को सहयोग करने लगीं. उनकी तन्द्रा चमेली के शब्दों ने तोड़ी जब वो रतन से बोली, अरे, ऊपर-ऊपर से ही दबाएगा क्या? चूंची को बाहर निकाल ना. पता नहीं ऐसी चूंची फिर देखने को मिलेगी या नहीं!

चमेली के शब्दों और उसकी भाषा से ज्योत्सना यथार्थ में वापस लौटीं. उन्हें पता था कि निचले तबके के मर्दों द्वारा ऐसी भाषा का प्रयोग असामान्य नहीं था पर एक स्त्री के मुंह से ‘चूंची’ जैसा शब्द सुनना उन्हें विस्मित भी कर गया और रोमान्चित भी. रतन ने उनकी साड़ी का पल्लू गिराया और वो चमेली से बोला, आ जा, तू ही बाहर निकाल दे. फिर दोनों देखेंगे.

चमेली ने उनके पीछे आ कर पहले उनका ब्लाउज उतारा और फिर उनकी ब्रा. जैसे ही उनके उरोज अनावृत हुए, रतन बोल उठा, ओ मां! चमेली देख तो सही, क्या मस्त चून्चियां हैं, रस से भरी हुई!

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अब चमेली भी उनके सामने आ गई और मियां-बीवी दोनों उनके उरोजों को निहारने लगे. दोनों मंत्रमुग्ध से लग रहे थे. उनकी दशा देख कर ज्योत्सना को अपने स्तनों पर गर्व हो रहा था. उनकी नज़र अपने वक्षस्थल पर गई तो उन्हें भी लगा कि उनकी ‘चून्चियां’ वास्तव में चित्ताकर्षक हैं. फिर उन्होंने तुरंत मन ही मन कहा, ‘यह क्या? मैं भी इन लोगों की भाषा में सोचने लगी!’ पर उन्हें यह बुरा नहीं लगा.

रतन ने उनकी साड़ी उतार कर उन्हें पलंग पर लिटा दिया. उसने कहा, मेमसाहब, अब तो मैं जी भर कर इन मम्मों का रस पीऊंगा.

यह नया शब्द सुन कर ज्योत्सना की उत्तेजना और बढ़ गई. रतन ने उनका एक मम्मा अपने हाथ में पकड़ा और दूसरे पर अपना मुँह रख दिया. अब वह एक मम्मे को अपने हाथ से सहला रहा था और दूसरे को अपनी जीभ से. कमरे में लपड़-लपड़ की आवाजें गूंजने लगीं. ज्योत्सना की साँसें तेज़ होने लगीं. उनका चेहरा लाल हो गया. जब रतन की जीभ उनके निप्पल को सहलाती, उनका पूरा शरीर कामोत्तेजना से तड़प उठता. उन्हें लग रहा था कि रतन इस खेल का मंजा हुआ खिलाडी है. आप यह हॉट हिंदी सेक्सी कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | उनकी आँखें बंद थीं और वे कामविव्हल हो कर मम्मे दबवाने और चुसवाने का आनंद ले रही थीं.

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मम्मी की चुत में नौकर का मोटा लौड़ा देखा फिर तो | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/voyeur/mummy-ki-chut-me-naukar-ka-mota-lauda-dekha.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/voyeur/mummy-ki-chut-me-naukar-ka-mota-lauda-dekha.html#respond Tue, 30 Jan 2018 01:51:30 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=11836 यह मेरी सच्ची कहानी मम्मी और नौकर के बिच चुदाई की है मैंने मम्मी को नौकर से चुदवाते देखा अब मुझे देख के इतना मज़ा आया की मै खुद भी झड़ गया |

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मम्मी की चुत में नौकर का मोटा लौड़ा देखा फिर तो
( Mummy Ki Chut Me Naukar Ka Mota Lauda Dekha )

मेरा नाम है विपुल और मेरी मम्मी का नाम है शैला, मेरी मम्मी की उम्र कुछ ४४ साल है थोडी हेल्दी टाईप की है, लेकिन उसके थोडेसे मोटापे की वजह से उसका बदन बहुत गदराया और सेक्सी लगता है. वो अक्सर स्लीव्हलेस ब्लाउज पहनती है जिसमे उसकी चुचिया बहुत उभर कर आती है. कई बार उसकी साडी ढोढ़ी नीचे पहनी होती जिससे उसका फुला हुआ मुलायम सेक्सी पेट और उसकी लुभावनी ढोढ़ी देखने के लिए मै तरस जाता था. मैने उसकी ब्रा देखी है, जिसका साईझ ४० सी है |

तो आप अन्दाजा लगा सकते है कि कितने बडे मम्मे होगे उसके कभी-कभी वो जब झुक जाती थी तो उसके चूचो के बीच की खाई मुझे पागल कर देती थी मम्मी की गांड भी काफी बडी है और जब वो चलती है तो उसकी गांड खूब मटकती है | हमारे घर मे एक नौकर है जिसका नाम है प्रह्लाद. उसकी उमर लगभग २४-२५ साल है और वो काफी मजबूत कद का जवान है | एक दिन मै कॉलेज से वापस आया तो किचन से मम्मी की आवाज आ रही थी, वो प्रह्लाद से बाते कर रही थी.

दरवाजा खुला ही था तो मै बिना दरवाजा खटखटाए अन्दर चला गया. मै वैसे तो कॉलेज से आनेपर सीधा अपने कमरेमे जाता हू लेकिन उस दिन मुझे पता नही क्या सूझा, मैने किचन मे झान्क कर देखा तो प्रह्लाद जमीन पर बैठा था और उसके सामने सब्जी की थाली थी. मम्मी उसकी तरफ पीठ कर के खडी थी और कुछ पका रही थी. उसने एक गाऊन पहना था जो स्लीवलेस था |

उससे मम्मी की गोरी बाहे खूब सुन्दर लग रही थी. प्रह्लाद सब्जी काटने के बजाए मम्मी की गांड देख रहा था, मम्मी काम करते वक्त हिल रही थी जिससे उसकी गांड बहुत सेक्सी तरीके से थिरक रही थी. प्रह्लाद अपने पैंट के उपर से अपने लन्ड को पकड कर हिला रहा था. मैने ये सब देखा और अपने कमरे की तरफ चला गया.

कुछ दिन बाद मम्मी ने मुझे प्रह्लाद को बुलाने के लिए कहा. मै हमारे घर के पीछे प्रह्लाद का कमरा था वहा गया और उसका नाम पुकारा लेकिन कोई जवाब नही मिला. मुझे लगा कि वो शायद सो गया है इसलिए मै उसके कमरे का दरवाजा खोलकर अन्दर गया. उसके बाथरूम से आवाज आ रही थी तो मै समझ गया कि वो बाथरूम मे है |

इसलिए मै जाने के लिए मुडा तभी मैने उसके बिस्तर पर देखा और मुझे शॉक लगा. उसके बिस्तर पर एक मरून कलरवाली पॅन्टी पडी थी, मै उसे देखकर ही पहचान गया कि वो मम्मी की थी. मैने वो पॅन्टी उठाई तो उसपर कुछ चिपचिपासा लगा था, यकीनन वो प्रह्लाद का वीर्य था. साला हरामी मेरी मम्मी की पॅन्टी लेकर मूठ मार रहा था. मुझे उसका गुस्सा भी आया और एक अजीब सी सनसनी शरीर मे दौड गई. प्रह्लाद मूठ मारते वक्त क्या सोच रहा होगा, कैसे वो मम्मी का खूबसूरत बदन अपनी आन्खो के सामने ला रहा होगा यह सोच कर मेरे लन्ड मे एक करन्ट लगा और वो खडा होकर डोलने लगा. मै वहा से चला गया. कुछ समय बाद प्रह्लाद घर मे आकर अपना काम करने लगा.

लेकिन उस दिन से मैने प्रह्लाद नजर रखना शुरु किया. मैने देखा कि कई बार उसकी नजर मम्मी की गांड और बूब्स पर टिकी रहती थी. सबसे हैरत वाली बात यह थी कि मम्मी ने भी उसे कभी टोका नही.

मुझे यकीन है कि उसे भी उसकी नजर पता चली होगी. शायद मम्मी भी उस नजर को पसन्द करती होगी. एक-दो बार तो काम करते वक्त मैने प्रह्लाद को मम्मी की बडी गांड को पीछे से धीरे से सहलाते हुए पकडा. लेकिन मम्मी की तरफ से कोई रिॲक्शन नही था. मुझे लगा कि इन दोनो के बीच मे जरूर कुछ चल रहा है. फिर मैने उन दोनो को डबल मिनिन्ग मे बात करते हुए सुन लिया.

एक दिन प्रह्लाद केले ले आया तो मम्मी बोली ये क्या लाये हो, तुम्हे पता है ना मुझे लम्बे और मोटे केले पसन्द है और फिर दोनो हसने लगे. ऐसी बाते सुनकर मुझे यकीन होने लगा की दोनो मे कुछ चल रहा है. मम्मी का अब कपडे पहनने का तरीका भी बदला हुआ था. मैने नोटिस किया कि मम्मी अब ब्रा नही पहनती थी और उसके निप्पल उसके झीने ब्लाउज से साफ झलकते थे.

उसके ब्लाउज काफी टाईट हुआ करते थे जिससे उसके बूब्स का शेप उभरकर आता था और ज्यादा सेक्सी लगता था. ऐसा लगता था मानो वो जानबूझ कर अपने उभरे हुए मम्मो का प्रदर्शन करवा रही हो.

एक बार मुझे कुछ छुटटी थी मै मेरे कमरे मे था (जो पहली महल्ले था). मम्मी-पापा का बेडरूम नीचे वाली महल्ले था. किचन भी नीचे था तो मम्मी अक्सर नीचेही रहती थी. उस दिन दोपहर का खाना खाने के बाद मै उपर मेरे कमरे गया, जाते जाते मम्मी को बोल के गया कि मेरे सिर मे दर्द है और मै सोने जा रहा हू. मम्मी ने कहा ठीक है बेटा सो जाओ. मै उपर जाकर लेट तो गया लेकिन काफी देर बिस्तर पर करवटे बदलने के बाद भी मुझे नीन्द नही आइ. दर्द भी ज्यादा हो गया था, तो मैने सोचा कोई गोली ली जाए.

मै नीचे जाने लगा तभी मुझे सीढियोपर मम्मी की आवाज आई

“प्रह्लाद यह क्या बद्तमीजी है”

प्रह्लाद बोला “मालकिन, ये बद्तमीजी नही बल्कि प्यार है, और मै जानता हू आप भी प्यार की भूखी हो.”

मम्मी बोली “अभी जाओ अपने रूम मे मेरा बेटा उपर है…”

इसके पहले मम्मी कुछ और कहती उसकी आवाज जैसे गले मे फस गयी हो, मै थोडा सा आगे हुआ तो देख कि प्रह्लाद ने मम्मी को अपने बाहो मे लिया हुआ है और जबरदस्ती किस कर रहा है. मम्मी ने पहले तो कोशिश की खुद को छुडाने की लेकिन बाद मे उसकी कोशिश कम होती गै. अब प्रह्लाद मम्मी के होठ चूस रह था और गांड पर हाथ फेर रह था. मम्मी भी उसका साथ दे रही थी. कुछ देर बाद मम्मी बोली

“अब तुम जाओ, कही विपुल ना जाग जाए”

लेकिन प्रह्लाद मम्मी को छोडने को तैयार नही था, वो कभी मम्मी के बूब्स दबाता और कभी गांड. बडी मुश्किल से मम्मी ने उसको जुदा किया इस वादे पर कि वो रात को उसे अपने बेडरूम मे बुलायेगी.

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अब मुझे मम्मी का रात का प्रोग्राम पता चल गया, और मुझे भी देखना था मम्मी के साथ प्रह्लाद क्या गुल खिलाता है. तो मैने प्लान को थोडा और बढावा देने की सोचा. शाम को जब प्रह्लाद ने चाय-नास्ता परोसा तो मैने मम्मी को बताया कि मै अपने दोस्त के साथ उसके घर पर पढाई करने जानेवाला हू और रात को वही पर ठहरने वाला हू. ये बात सुनकर दोनोके चेहरेपर खुशी छा गई लेकिन मेरे सामने उन दोनो ने कुछ नही कहा.

लेकिन मम्मी ने प्रह्लाद की ओर हसकर इशारा किया जो मैने देख लिया. फिर एक बार तसल्ली करने के लिए उसने मुझे पूछा

“विपुल पक्का तुम रात वहा गुजारोगे? खाने खा कर जाओगे ना? ” तो मैने हा कह दिया. रात का खाना खा कर मै तैय्यार हुआ और बाहर निकल गया. थोडी देर तक बाहर टहलने के बाद मै सीधा घर के पीछे के रास्तेसे घर मे घुस गया और घर के छत पर चढ गया और रोशनदान से घर के अन्दर झान्कने लगा. अन्दर का नजारा साफ दिखाई दे रहा था. मैने देखा कि मम्मी ने एक साधारणसी साडी पहनी थी और पल्लु पूरी तरहसे लपेट लिया था, लेकिन जब वो चलने लगी तो मै हक्क बक्का रह गया कि उसने अन्दर ब्लाउज पहनाही नही था. वो एकदम टिपिकल बंगाली औरत के भेस मे थी, उसके बडे बडे गदराए मम्मे हिल रहे थे.

उसने एक बार पल्लु ठीक करनेके लिए उसे बाजूमे किया तो मेरी आन्खे फटी की फटी रह गई, उसने अन्दर ब्रा भी नही पहनी थी. उसके बडे वक्ष और उसपर भूरे कलर के गोल और उसपर सख्त हुए निप्पल…..कसम से, बहुत ही सेक्सी नजारा था.

तभी दरवाजेपर किसीने दस्तक दे दी तो मम्मी ने जाकर दरवाजा थोडाही खोला. बाहर प्रह्लाद को देखकर उसने मुस्कुराकर उसे अन्दर ले लिया. प्रह्लाद ने भी शायद मम्मी को इस अन्दाज मे नही देखा था. बगैर ब्लाउज और ब्रा की उसकी चुची देखकर प्रह्लाद का लन्ड खडा होने लगा. मम्मी ने उसे एक सेक्सीसा स्माईल दिया और की ओर चल पडी. प्रह्लाद उसकी तरफ देखता ही रह गया, उसे यकीन नेही हो रहा था कि उसकी सेक्सी मालकिन, जिसे पाने का वो सपना देखता था, जिसका बदन याद करके वो मूठ मारता था |

आज वो औरत उसके सामने बिना ब्लाउज और ब्रा पहने आई है. मम्मी जब बेडरूम की ओर मुडी तो मैने देखा कि उसकी गोरी पीठ पूरी तरहसे नन्गी थी, सिवा कन्धेपर जहापर साडी का पल्लु टिका हुआ था. वो जैसे चलने लगी तो उसकी गांड एक नशीली लय मे हिलने लगी. उसके नितम्बोका उभार साडी से साफ दिखाई दे रहा था, शायद उसने पॅन्टी भी नही पहनी थी.

उसके गोरे पैर साडी के नीचेसे दिखाई दे रहे थे. प्रह्लाद ने अपना हाथ अपने लन्ड पर ले जाकर सहलाया. उसके नसीब मे इतनी खूबसूरत औरत होगी इसका मुझे तो क्या उसे भी अन्दाजा नही होगा.अब ज्यादा समय गवाना उसने उचित नही समझा, हाथ आए मौके को वो छोडना नही चाहता था, उसने झट्से दरवाजा बन्द कर लिया और मम्मी को पीछे से जाकर पकड लिया और उसकी गोरी बाहो को और कन्धो को चूमने चाटने लगा. फिर उसने मम्मी से कहा, “हाय मेरी जान, अपना खूबसूरत जिस्म तो दिखाओ……..”

मम्मी तो जैसे तैयार बैठी थी, उसने तुरन्त साडी निकाल दी. मेरी अन्दाजा गलत था, उसने अन्दर एक बहुत ही छोटीसी काली पॅन्टी पहनी थी जो उसके गोरे बदन पर सेक्सी लग रही थी. उसके बडे मम्मे अब खुलकर सामने आ गए, उसके निप्पल भी काफी बडे थे. मम्मी के जिस्म का ये नजारा देखकर प्रह्लाद जैसे पागल हो गया और उसने मम्मी को बेड पर गिरा दिया और उस पर लेट कर पागलो की तरह उसके बूब्स चूसने लगा. मम्मी के वक्ष इतने बडे थे की उसके हाथ मे नही आ रहे थे.

किसी छोटे बच्चे की तरह प्रह्लाद मम्मी के मम्मे चूस रहा था और दूसरे हाथ से दुसरे वक्ष को मसल रहा था. कभी वो निप्पल्स को चबाता था, तो कभी दोनो वक्षोको बीच मे खीन्च कर उन्हे एक साथ मुह मे लेने की कोशिश करता था. फिर उसने मम्मी के पेट को चाटते हुए उसकी कमर तक गया और उसकी टान्गो के बीच बैठ कर बोला

“चलो मेरी जान, अब अपनी पॅन्टी उतारो” मम्मी ने शरमसे अपना मुह ढक लिया. प्रह्लाद बोला

“अरे मेरी रानी, ऐसे शरमाओगी तो मजा कैसे लोगी, चलो जल्दी उतारो” मम्मी ने कहा

“हट बेशरम, मै नही ……..तुमही उतारो” फिर प्रह्लाद ने मम्मी की पॅन्टी उतार दी और मेरी दूसरा अन्दाजा गलत निकला. हालान्कि मम्मी अपनी बगल साफ रखती थी लेकिन उसकी चूत पर लम्बे घने काले बाल थे.

प्रह्लाद मम्मी की फुद्दी देख कर बोला,

“मेरी जान, तुम शेव्ह नही करती?”

मम्मी अपनी चूत पर हाथ फेर कर बोली,

“किस के लिये शेव्ह करू, विपुल के पापा साल मे १५ दिनो के लिये आते है और तो और, उनका खडा करने मे आधा टाईम जाता है, फिर २-४ धक्कोमेही उनका दम निकल जाता है और खलास हो जाते है.”

ये सुन कर प्रह्लाद बोला

“जानता हू रानी…” उसकी बात बीच मे काटकर मम्मी बोली

“तुम क्या जानते हो” तो प्रह्लाद हसते हुए बोला

” अरे मेरी जान मै तो हमेशा आपके बेडरूम मे झान्का करता था, मै जानता हू साब क्या करते थे और क्या नही”

मै सुनकर दन्ग रह गया, ये हरामी प्रह्लाद कई दिनोसे मम्मीपर नजर रखे हुए था, मतलब उसका प्लान पक्का था. मम्मी भी ये बात सुनकर चौन्क गई

“क्या कहते हो……इसका मतलब तुमने हमारी वो बाते सुन ली………”

प्रह्लाद बोला” हा मालकिन, मै जान गया था कि आप जैसी औरत के लिये साब जैसा कमजोर लन्ड नही मेरे जैसा मर्द चाहिये.”

फिर प्रह्लाद मम्मी की चूत पर हाथ फेरने लगा और मम्मी के मुह से सेक्सी सिसकारिया निकलने लगी. वो भी प्रह्लाद को टान्गो मे दबा रही थी. प्रह्लाद ने उसकी पॅन्टी पूरी तरहसे निकाल दी और बाजूमे फेन्क दी. उसने मम्मी को बिस्तर के किनारे खीन्च लिया और खुद घुटनोके बल फर्श पर बैठ गया. वो ऐसा क्यू कर रहा है इसका मुझे और मम्मीको भी अन्दाजा नही था.

इसके पहले कि हम कुछ समझ सके, उसने मम्मी की टान्गे चौडी कर दी और उसकी फूली हुई फुद्दी चाटने लगा, मम्मी ने शायद ओरल सेक्स कभी अनुभव नही किया था, उसके मुह से एक जोर की सिसकारी निकली और वो प्रह्लाद का सिर पकड कर अपनी चूत पर दबाने लगी, मम्मी की हालत देखने वाली थी, कभी वो अपनी गांड उपर कर के प्रह्लाद का मुह और ज्यादा फुद्दी पर रगडने की कोशिश करती और कभी अपने बडे बडे मम्मो को दबाती.

कहानी जारी है … आगे की कहानी पढ़ने के लिए निचे दिए पेज नंबर पर क्लिक करें ….

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कड़ाके की ठंड में सगी मौसी ने अपनी गर्म तड़पती चुत चुदवाई | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/maa-beta/kadake-ki-thand-me-sagi-mausi-ne-apni-garm-tadapati-chut-chudwai.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/maa-beta/kadake-ki-thand-me-sagi-mausi-ne-apni-garm-tadapati-chut-chudwai.html#respond Sat, 27 Jan 2018 10:28:24 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=11800 मौसी को किस करने लगा और थोड़ी देर में मौसी गर्म हो गयी और लंड को चुत में फिर से डाल दिया और चोदने लगा । । इस बार कंबल के अंदर ही अपनी मौसी माँ को चोद रहा था । उस रात मौसी को चार बार चोदा । मेरा लंड सूज गया था ।

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कड़ाके की ठंड में सगी मौसी ने अपनी गर्म तड़पती चुत चुदवाई
( Kadake Ki Thand Me Sagi Mausi Ne Apani Garm Tadapati chut Chudwai )

मस्ताराम कहानी के पाठकों को मेरा प्यार भरा नमस्कार | मेरा नाम सचिन है | मैं गाँव का रहने वाला हूँ । लेकिन मैं एक बड़े शहर में रह कर पढ़ाई कर रहा हूँ । उसी शहर में मेरी मौसी की लड़की यानी मेरी बहन और उसके पति रहते है । अब मैं सीधे अपनी सच्ची कहानी पर आता हूँ । यह बात 25 दिन पहले की है । मेरी मौसी अपने बेटी से मिलने आयी थी । तो मौसी मुझे भी कॉल करके बुलायी । बोली आ जाओ सचिन बेटा तुमसे से भी मिलना है बहुत दिन हो गया है मिले हुए । हम बोले ठीक है क्लास के बाद आता हूँ । मैं 7 बजे शाम में अपनी बहन के घर गया । वहाँ पहुँचे तो मौसी मुझे देख कर बहुत खुश हो गयी । बोली बाप रे कितना बड़ा हो गया मेरा बेटा । ऐशे मौसी हमको बचपन से बहुत मानती है ।

हम बोले मौसी आप भी बहुत अच्छी लग रही है । मौसी बोली कुछ भी बेटा | हम बोले नही मौसी जी सच में । मेरी मौसी की उम्र 40 साल है | लेकिन  देखने मे अभी भी 26 की ही लगती है । अपने फिगर को मेंटेन रखी है । लेकिन ज्यादा मॉडर्न नही है गाँव जैसा ही रहती है । वो साड़ी पहनती है । क्योकि गाँव मे सब लोग यही पहनती है । मौसेरी बहन और जीजू भी बहुत खुश थे । उस सब से बहुत बात किये । ऐशे तो दीदी जीजू से मिलते ही रहता हूँ । फिर खाना बना सब कोई बैठ कर खाना खाया । फिर सोने की बारी आया |

हम दीदी से बोले हम कहाँ सोयेंगे तो मौसी बोली तुम मेरे ही साथ सो लेना क्योकि ज्यादा बेड नही है और ठंड भी काफी है । हम बोले ठीक है । दीदी और जीजू एक रूम में सोने चले गए । फिर हम भी  सोने चले गए | उस दिन काफी ठंड थी । हम कंबल ओढ़ कर सोने लगा । फिर कुछ देर बाद मेरी मौसी आ गई सोने वो भी कंबल के अंदर घुस गई । हम किनारा हो कर सो रहे थे तो मौसी बोली बेटा सट कर सोवो ना नही तो ठंड लग जायेगा और गिर भी जाएगा ।

हम बोले हाँ मौसी ठीक है । मौसी मुझे पकड़ कर अपनी ओर खिंच ली और मेरे शरीर से चिपक गयी । मुझे अजीब लग रहा था । और मुझे कुछ होने लगा था । मेरा  लंड खड़ा हो गया । हम ऐशे ही चुपचाप रहा कुछ देर बाद मौसी अपना पैर मेरे ऊपर चढ़ा दिया और हाथ से मुझे जकड़ कर पकड़ लिया । जिससे मौसी की बड़े बड़े चुच्ची मेरे मुह से सट गया । मेरा तो हालत खराब हो रहा था । मैं सोच रहा था मौसी को क्या हो गया । ऐशे मुझे मज़ा आ रहा था । लेकिन मुझे कुछ करने का हिम्मत नही हो रहा था । और कुछ बोलने का भी हिम्मत नही हो रहा था ।

कुछ देर बाद मौसी मेरे अंदर वियर में डाल कर लंड पकड़ लिया । तो हम हिम्मत करके  मौसी से बोले ये क्या कर रहे है । तो मौसी बोली बेटा मेरा प्यास बुझा दो तेरे मौसा को जब से चीनी रोग हुआ है तब से वो कुछ नही कर पाता है । बेटा मेरा बरसों की प्यास बुझा दो मैं यहाँ तेरे लिए ही आयी हूँ । ऐशे ये सुन के मैं बहुत खुश था |

मुझे भी चुदाई करने का बहुत मन था क्योकि कभी नही किया था बस पोर्न वीडियो देखता था और मुठ मरता था । मैं थोड़ा नाटक करते हुए बोला मौसी आप मेरे माँ की तरह है आप के साथ मैं ये सब कैसे कर सकता हूँ । तो मौसी बोली प्लीज बेटा आज मेरी प्यास बुझा दो नही तो मैं मर जाऊँगी । और बोली क्या तुम चाहते हो की तेरी मौसी किसी गैर से चुदाये |

हम बोले नही और हम बोले ठीक है मौसी जी आप की जैसी मरजी । तो मौसी बोली सुक्रिया मेरा अच्छा बेटा । मौसी बहुत खुश हो गयी । मौसी मुझे पूछी कभी चुदाई किया है?मैं बोला नही तो मौसी जी । बोली फिर अच्छा है ।

आज मैं कुँवारा लंड से चुदूँगी । फिर मौसी मेरे ऊपर आ गयी और मुझे चूमने लगा | मैं भी अपनी मौसी को चूमने लगा । कुछ देर बाद मैं मौसी के ऊपर आ गया और कंबल को हटा दिया और मौसी की साड़ी उतार दिया | अब मौसी ब्लाउज और पेटीकोट में हो गयी । मौसी की चुची बहुत बड़ा बड़ा है । मैं मौसी के गर्दन को चुमने लगा । और हाथ से चुची दबाने लगा ।

मौसी मदहोश होने लगी । फिर मैं मौसी की ब्लाउज और पेटीकोट उतार दिया अब मौसी बिल्कुल नंगी मेरे सामने थी पहली बार किसी औरत को नंगी देख रहा था वो भो अपनी मौसी को जिसके गोद मे खेल के बड़ा हुआ था । मौसी क्या लग रही थी एकदम शिल्पा शेट्टी जैसी | पतली कमर और सब कुछ उसके जैसी ही | हुस्न की परी | मौसी ब्रा पेन्टी नही पहनती है |

क्योंकि गाँव के बहुत कम ही लोग ब्रा पेन्टी पहनती है । इसीलिए मौसी भी नही पहनी थी । मौसी का पूरा शरीर दूध जैसा गोरी है । बड़े बड़े ममे थी । मौसी की मस्त गुलाबी चुत पर बहुत बड़ा बड़ा  बाल था । लेकिन चुत  बहुत गोरा है । मन कर रहा था चुत  चूस ले लेकिन बड़ा बाल देख कर मन नही किया और मौसी भी क्या  सोचेगी क्योकि वो उतना मॉडर्न  नही है | आप यह हॉट हिंदी सेक्सी कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | फिर मैं चुत पर अपना हाथ फेरते ही मौसी की शरीर मे करंट दौर गया और मुँह से हल्की सी आह निकल गयी ।

फिर मैं मौसी की चुची को चुसने लगा । और एक हाथ से झांट वाली चुत सहलाने लगा थोड़ी देर में मौसी सिसकियाँ लेने लगी | उनके मुह से आ आ आ उ ऊऊ… आह उ ऊऊ करने लगी मौसी अपने मुह से धीरे धीरे आवाज निकाल रही थी क्योंकि बगल वाली रूम में बेटी दामाद था ।

यानी दीदी और जीजू । बहुत मज़ा आ रहा था चुची चुसने में । फिर मैं अपने एक ऊँगली चुत में डाल कर अंदर बाहर करने लगा । मौसी आँखे बंद कर मजे लेने लगी । फिर दो और अंगुली डाल कर अंगुली से चुत चोदने लगा । मौसी कमर हिला हिला के अंगुली से चुत चुदवा रही थी । और चुची भी मैं चूस रहा था । मेरा लंड भी बहुत टाइट हो गया था और मैं अपने चड्डी में ही झड़ गया और सिकुड़ कर छोटा हो गया ।

कुछ देर बाद मौसी का शरीर अकड़ने लगा और झड़ गयी उसके चुत से बहुत सारा पानी निकला । मेरा पूरा हाथ मे लग गया | मौसी एक दम निढ़ाल हो कर शांत हो गयी । कुछ देर ऐशे ही रहे फिर मैं कपड़े से मौसी का चुत और अपना लंड पोछ लिया । फिर से मैं मौसी का चुची  चुसने लगा और बुर में उंगली करने लगा थोड़े देर में मौसी फिर गर्म हो गयी |

मेरा भी लंड टाइट हो गया । मौसी फिर से सिसकिया लेने लगी । और बोली बेटा अब मत तड़पाओ अपनी मौसी को चोद  कर प्यास बुझा दो | हम बोले ठीक है मौसी फिर मैं अपना पूरा  कपड़ा उतार कर नंगा हो गया फिर  मैं अपने मौसी की दोनों टांगे को अपने कांधे पर रख दिया और कमर के नीचे तकिया लगा दिया । और  लंड को चुत पर रगड़ने लगा | मौसी तो और तड़पने लगी जैसी बिना पानी की मछली । चुत पूरा पानी छोड़ रहा था | और गुलाबी चुत का छेद खुल बंद हो रहा था । मौसी बोली बेटा जल्दी डालो लंड मेरे बुर में |

मौसी अपने से मेरे लंड को पकड़ कर चुत के छेद में सेट कर लिया । फिर मैं एक जोर का धक्का दिया गीली चुत होने की वजह से आधा लंड बुर में घुस गया | एक और धक्का दिया तो पूरा लंड चुत में घुस गया

मौसी की मुह से चीख निकल गयी बोली आराम से बेटा । बहुत दिन बाद मेरे बुर में लोरा गया । दर्द हो रहा । कुछ देर बाद हम धक्के लगाने लगे । मौसी कमर उछालने लगी । और आ आ आ आ आ आ ……………..उ उ उ ऊऊ करने लगी | और बोलने लगी बेटा और ज़ोर जोर से आज अपनी मौसी माँ की बुर का भोसड़ा बना दो । चोद बेटा अपनी मौसी को तेरा मौसा अब  नही चोद पता है । आज से मेरे चुत पर तेरा पहला हक और आज से अपनी रखेल बना ले बेटा । ये सुन के मुझे और जोश आ रहा था । मैं और पूरी ताकत से मौसी की बुर चोदने लगा चुत पर बाल होने की वजह से पूरा बुर पर झाग हो गया था ।

20 मिनट से जम के चोदाई हो रहा था और मैं चुची भी चूस रहा था । इस बीच मौसी 2 बार झड़ चुकी थी | फिर से मौसी का शरीर अकड़ने लगा हम समझ गये फिर से झड़ने वाली है । अब मैं भी झड़ने वाला था तो मैं मौसी से पूछा मौसी मैं झड़ने वाला हूँ कहाँ गिराये तो मौसी बोली मेरे बुर में गिरा दो बेटे इस सुखार में हरियाली ला दो । हम पूछे मौसी कुछ होगा नही । तो  मौसी बोली बेटा कुछ नही होगा मैं बच्चा नही होने वाला ऑपरेशन बहुत पहले ही तेरा मौसा करवा दिया है । हम बोले ठीक है ।

मैं अपने धक्के की स्पीड और बढ़ा दिया । और कुछ देर बाद हम दोनों साथ मे ही झड़ गया । मौसी की चुत को अपने वीर्य से भर दिया । मौसी पूरी संतुष्ट हो गयी थी । और बहुत खुश थी । और मैं अपना लंड को चुत से निकला तो चुत से वीर्य और चुत का पानी निकाल रहा था । फिर मौसी कपड़ा से चुत पोछि और मेरा लंड भी साफ किया । फिर मौसी ऊपर से कंबल ओढ़ दिया और हमको जकड़ कर पकड़ ली । फिर हम मौसी से पूछे कैसा लगा मौसी  बोली बहुत मज़ा आया बेटा इतना मज़ा कभी नही आया था । बेटा तेरे  मौसा भी इतना मजा नही दिया था । फिर मौसी बोली बेटा अब तुम हमको सब दिन चोदेगा ना हम बोले हाँ मौसी आपको जब मन होगा ?हमको बोल दीजिएगा ।

ये सुन के मौसी बहुत खुश हो गयी बोली मेरा प्यार बेटा । फिर ऐशे ही हमदोनो माँ बेटा बात करने लगे | इस बीच मेरा फिर से लंड खड़ा हो गया । मैं मौसी से बोला मौसी फिर से चोदने का मन कर रहा है तो मौसी बोली ये पूछने की बात है आज से ये तुम्हरी है जितना चाहो उतना चोदो बेटा । मैं मौसी के ऊपर चढ़ गया |

फिर से मौसी को किस करने लगा और थोड़ी देर में मौसी गर्म हो गयी और लंड को चुत में फिर से डाल दिया और चोदने लगा । । इस बार कंबल के अंदर ही अपनी मौसी माँ को चोद रहा था । उस रात मौसी को चार बार चोदा । मेरा लंड सूज गया था । सारी रात हमदोनों नंगा ही रहे । फिर सुबह हम सोये थे तो मौसी  बोली उठो बेटा 8 बज गया है । फिर हम उठे मौसी अभी भी नंगी थी । हम उठते ही मौसी को चूमने लगा । आरे क्या कर रहे हो हम बोले मौसी हमको अब रूम जाना है |

क्लास है 11 बजे | इसीलिए मौसी एक बार और चोदने दो । मौसी बोली हम मना कहाँ कर रहे है बेटा चोदो जीतना मन करता है तुमको जो मन है । करो फिर हम मौसी से बोले मौसी एक बात बोलू तो मौसी बोली बोलो फिर हम मौसी से बोले कि हमको मम्मी को चोदना है किसी तरह से जुगाड़ लगा दो तो  मौसी बोली नही तुम सिर्फ हमको चोदेगा |

मौसी मना कर दी लेकिन बहुत कहने पर मान गयी । फिर हम मौसी के चुत में लंड डाल दिया और चोदने लगा । मौसी धीरे धीरे सिकियाँ ले रही थी । दोनो को बहुत मज़ा आ रहा था । कुछ देर बाद दीदी दरवाजा खटखटाने लगी बोली उठने के लिए तो मौसी बोली हाँ आ रही हूं । फिर हम और तेजी से चोदने लगा और जल्दी से हम दोनों माँ बेटा झड़ गए ।

उसके बाद मौसी से बोला अगली बार चुत का बाल साफ कर लीजिएगा मौसी बोली ठीक है बेटा । और बोली जल्दी से कपड़ा पहन लो फिर हम दोनों कपड़ा पहन लिए । हम फिर से लेट गए मौसी उठ के चले गयी । थोरे देर बाद हम उठे और फ्रेस हो गए |

दीदी चाय बनाई पिये फिर नास्ता कर के वहाँ से चले आये । आप यह हॉट हिंदी सेक्सी कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | आते समय मौसी दीदी बोली आते रहना हम बोले ठीक हैं । 2 दिन बाद दीदी की कॉल आया बोली छोटू रात में आ जाना तुम्हरे जीजू बाहर गए है इसिलए आ जाना हम बोले ठीक है दीदी । ।

फिर मैं रात  में वहाँ पहुँच गए । मैं अपना अगले कहानी मैं जल्द लिखूंगा अपनी सगी माँ के साथ चुदाई का । अब सिर्फ देखते है | मौसी कब  मेरे माँ को कब राजी करती है अपने बेटा से यानी हमसे चुदाई के लिए । आप सभी का आशीर्वाद रहा तो ये बहुत जल्द होगा । इससे पहले हम उस रात का कहानी लिखूंगा जब दीदी कॉल कर के बुलाई थी ।

कैसे मौसी दीदी की चुत चुदवाई मुझे  दीदी को गर्भवती करने के लिए क्योकि दीदी की शादी हुए 4 साल हो गयी थी औऱ बच्चा नही हो रहा था । उस दिन पता चला जीजू में ही कमी है । और पूरी कहानी के लिए अगले कहानी लिखने का इंतेजार कीजिये आप सब को ये कहानी कैसी लगो प्लीज कमेंट कर बताये ।

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संध्या ने अपने पति के साथ थ्रिसम चुदाई करवाई | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/indian-wife-sex-stories/sandhya-ne-apne-pati-ke-sath-threesome-chudai-karwai.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/indian-wife-sex-stories/sandhya-ne-apne-pati-ke-sath-threesome-chudai-karwai.html#respond Wed, 24 Jan 2018 04:06:08 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=11783 मुझे चूत पर जाने को कहा मैं संध्या के पैर अपने कंधे पर उठाके संध्या को पेलने लगा संध्या फिर से गरम हुई थी वो भी मेरे साथ साथ नीचे से धक्के लगाके मेरा साथ देने लगी |

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संध्या ने अपने पति के साथ थ्रिसम चुदाई करवाई

नमस्कार दोस्तो, मैं अमित सेठ आप का स्वागत करता हूँ और आप सभी का धन्यवाद करता हूँ कि अपने मेरी कहानी नागपुर के माल मे मिली मडम की चुदाई को पढ़ कर मुझे बहुत प्यार दिया। बहुत सारे मेल किए, दोस्तो, मैं कभी भी लड़की या महिला का ईमेल पता या उनका नंबर या हमारी बातचीत को आगे नहीं बता सकता, इसलिए आप निश्चिन्त होकर पहले की तरह बातें करते रहिये। आप मुझ से फेसबुक पे भी अमित सेठ नामकी आय डी जुड़े रहिये।

दोस्तो आपको मैने वादा किया था की मेरी अगली कहानी कपल के साथ सेक्स वाली बहुत जल्द भेजूँगा तो दोस्तो आज मैं आपको मेरी दोस्त नेहाजी के ही रेफ्रन्स से उनकीही फ्रेंड जिसने अपने पति के साथ मिलकर खुद की चुदाई करवाई उस चुदाई का अनुभव लिख रहा हूँ, ये एक असली अनुभव है इसमें कुछ भी काल्पनिक नहीं है बस नाम ही बदले हुए हैं।

तो दोस्तो मै नेहा मैडम से फिर से दो तीन बार मिला नेहाजी ने ही संध्या मैडम के बारे मे बताया था पर मैने उतना ध्यान नही दिया था |

एक दिन मेरे मोबाइल पर एक अंजान नंबर से कॉल आया मैने रिसीव किया तो सामने से एक महिला की आवाज़ आई मैने कहा – कौन बोल रहे है ? तो उन्होने कहा – ‘’संध्या बोल रही हू मै ‘’ चौक गया |

मैने कहा – ‘’ आप नेहा मैडम की फ़्रेंड बोल रहे |

हो तो उन्होने कहा –‘’ हा ‘’ मैने उनका हालचाल पूछा फिर फोन करने की वजह पूछी तो |

उन्होने कहा – ‘’मुझे आपसे मिलना है ‘’ मैने पूछा – क्यू तो उन्होने कहा – ‘ क्यू आप किसीसे मिलते नही है क्या ‘’ इसपर मैं बोला- ‘ ऐसी बात नही है ‘ इसपर उन्होने कहा- ‘ आप फ्री कब रहेंगे’ |

मैने कहा – शाम को तो उन्होने मुझे इटरनिटी मॉल मे शाम को छे बजे आने को बोला मैने ओके बोल के फोन रख दिया |

फिर शाम को ६ बजे मै मॉल गया तो उनकी कॉल आई की केफसी की तरफ आओ मै केफसी की तरफ चला गया फोन चालू ही था की उन्होने मुझे हाथ दिखाके इशारा किया मैं नज़िक गया तो उनको देखता ही रहा खो गया |

बहुत खूबसूरत थी करीब ३२-३३ साल की बहुत ही गोरी औरत थी वो उन्होने मुझे हाय कहके फिर बोला – कहा खो गये हो अमित मैने कहा – कही नही मॅम फिर उन्होने मुझे बैठने के लिए कहा और बोला बोलो क्या लोगे मैने आदतन उनसे कह दिया- ‘ जो आप खिलाएँगी पिलाएँगी वो मैं ख़ौऊन्गा और पीऊंगा’ फिर उन्होने दोनो के लिए कोलडिंक्स मंगाई फिर हम लोग बाते करने लगे कहिए फिर उन्होने मेरे से हाथ मिलाया मैने अपना हाथ आगे बढ़ाके उनसे हाथ मिलाया बहुत ही नरम मुलायम हाथ था |

उसका फिर मैने कहा कहिए मेरे से क्या काम था तब उन्होने कहा – ‘ क्यू बिना काम के तुम किसीसे मिलते नही क्या’ मैने कहा- ‘ एसी कोई बात नही है कहिए क्या बात है’ उन्होने अपने बारे मे बताया फिर कहा – मै बहुत बिंदास औरत हू मुझे भी जिंदगी का असली मज़ा लेना है इसपर मैने कहा – ‘ मै समज़ा नही आप कहना क्या चाह रही है’ आपको मज़े लेने है तो इसमे मै आपकी क्या हेल्प कर सकता हू तो उन्होने कहा – जाड़ा बनो मत मै तुम्हारे और नेहा के बारे मे सब जानती हू अब मुझे सब कुछ समझ मे आने लग गया की इनको क्या चाहिए मैने उनसे कहा – आप जानती है ठीक है पर मैं आपके साथ कैसे करू और क्यू |

इसपर उसने कहा- नेहा के साथ क्यू करते हो मैं चुप ही रहा फिर उन्होने कहा- मैं आपके साथ मज़े करना चाहती हू और हा इसमे मेरे पति भी शामिल होंगे मैं शाक हो गया |

मैं तुरन्त ही बोल पड़ा – क्या आपके पति भी…….. क्यू आप मुझे मरवाना चाहती हो ये क्या कह रही हो आप आपको पता भी है मैं नही आ सकता आप कोई और देख लो प्लीज़ मैं ये नही कर सकता |

इसपर उन्होने कहा – किसी और के पास जाना होता तो मैं तुम्हारे पास क्यू आती मुझे नेहा ने तुम्हारे बारे मैं बताया तुम्हारी बहुत तारीफ कर रही थी इसलिए तुमसे बात कर रही हू | आप यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |

मैने कहा – लेकिन तुम्हारे पति कैसे क्या वो कैसे क्या शामिल होंगे इस सब मे इसपर संध्या ने कहा– अमित हम लोग ब्राड मैंडेड है हम लोग खुलकर जीते है एकदुसरे से कोई बात छुपी नही होती है वो भी इस बात के लिए राज़ी बल्कि उन्होने ने ही मुझे कहा है आपको बुलाने के लिए |

थोड़ी देर सोचने के बाद मैने कहा – ओके मैं आता हू पर कोई प्रब्लम हुई तो मैं कुछ भी नही करूँगा |

उसपर संध्या ने कहा- तुम बेफिकर रहो कोई प्राब्लम नही होगी हम दोनो तैयार है तो कोनसि प्रब्लम होगी तुम बिन्धस्त रहना ओके संध्या ने मुझे घर का पता दिया और कहा- मैं फ़ोन करूँगी तुम्हे कब आना है और हा शायद वीकेंड पर तुमको बुला सकती हू तब तक तुम तैयार रहना ओके इसपर मैने -ओके -कहा और संध्या ने हाथ मिलाके बाय कहा मिलाया क्या यू कहिए दबाया था बाद मे मैं रूम पर वापस आया फिर उसी हफ्ते के शनिवार को सबेरे सबेरे मेरे मोबइल की रिंग से मई जगा तो संध्या का ही काल था मैने नींद मे ही हेलो कहा उसने कहा- उठो उठो कितनी देर सोते रहोगे भूल गये क्या मुझे संध्या बोल रही हू गुड मार्निंग……

इसपर मैने मार्निंग विश करके कहा – मैने आवाज़ पहचान ली है पर इतनी सुबह आपने कैसे याद किया मुझे याद तो तुम्हारी हमेशा आती ही है पर आज मेरे लिए खास दिन है |

मैने कहा क्यू आज आपका जन्मदिन है तो उन्होने कहा – ईडिएट आज शनिवार है वीकेंड मैने कहा तो क्या हुआ |

संध्या बोली- मैने क्या कहा था याद है या भूल गये फिर मैं समझ गया मुझे याद आई उसकी बाते फिर उन्होने कहा – आज तुमको हमारे घर आना है शाम को सात बजे और खाना ख़ाके मत आना हमारे साथ ही खाना खाना |

मैने कहा- ओके ठीक है मैं आता हू |

फिर आफ़िस गया शाम को लौटकर आते वक्त कंडोम के दो पकेट साथ लिया रूम पर आके नाहया फिर तैयार होके संध्या के बताए पते पर निकला उसके घर के पास जाके काल किया उन्होने फिर से ठीक से पता बताया और आख़िर मैने घर ढूंड लिया और बेल बजाई दरवाजा एक आदमी ने खोला मुझे समझ गया की ये संध्या का पति होगा उसने मुझसे हाथ मिलाया मेरा वेलकम किया अंदर आने के लिए बोला मैं उनके पीछे पीछे हाल मे आया उनका घर बहुत अच्छा घर मैं हाल मे आकर बैट गया संध्या के पति अपना परिचय दिया उनका नाम राहुल था |

फिर राहुल ने मुझे फ्रेश होने के लिए कहा मैं नाहया तो था फिर भी फ्रेश होने चला बाद कमरे में आया |

फिर राहुल ने पूछा –‘ड्रिंक मे क्या लोगे’ |

तो मैने कहा- बीयर लूँगा |

फिर राहुल अंदर जाके बीयर और उनके लिए रम लेकर आए उनके पीछे ही संध्या आई काले कलर का गाऊंण पहने हुए ओ बहुत सेक्सी लग रही थी क्या फिगर था उसका मैं तो उसे देखता ही रह गया ओ बिल्कुल सिल्क स्मिता की विद्या बालन जैसी दिख रही थी अब आप अंदाज़ा लगा लो क्या नज़ारा होगा वाहाका फिर संध्या मेरे पास आके हाथ मिलाके मुझे होश मे लाया और बोली कहा – खो गये अमित जागो अभी खो जाने को टाइम है |

मैं बोला – कही नही आप होही इतनी हाट की कोई भी अपने होश खो देगा |

राहुल बोले – हा अमित संध्या की बात ही कुछ एसी है की हर कोई अपने होश खो दे |

फिर हम तीनो मिलकर पीने लग गये राहुल के पास संध्या बैठी थी मैं दूसरे सोफे पर था राहुल संध्या को चूमते हुए बुब्स दबाने लगा संध्या शर्मा रही थी |

राहुल बोले- अमितसे क्या शरमाना तुम तो आज अमित से चुदने वाली हो |

मैने अपनी बीयर ख़तम की राहुल और संध्या ने अपने दो दो पैग पूरे किए बाद राहुल ने संध्या को खाना लगाने बोला संध्या किचन मे गयी फिर खाना खाने हम लोग बैठ गये खाना खाने तक रात के दस बज गये खाने के बाद राहुल ने टी वी चालू करके ब्लू फिल्म लगाई हम तीनो फिल्म देखने लगे फिल्म ग्रुप सेक्स की थी |

राहुल और संध्या दोनो साथ मे बैठे थे मैं अकेला एक जगह था राहुल ने संध्या को सहलाते हुए चूमना चालू कर दिया संध्या गरम हो रही थी फिर राहुल ने संध्या के कपड़े उतरे और बुब्स चूसने लगा संध्या सिर्फ़ पैंटी पर थी बाद मे राहुल ने पैंटी भी उतारी अब संध्या पूरी की पूरी नंगी हुई थी मैं उन दोनो को देख रहा था |

फिर राहुल ने मुझे नज़िक आने का इशारा किया मैं संध्या के नरम नरम बुब्स दबाने लगा संध्या ने मेरी तरफ देखा और मेरे गले मे हाथ डालके अपनी और खिछा और मुझे बेहद बुरे तारीख़े से चूमने लगी जैसे बरसो की प्यासी हो मैं भी कहा पीछे रहने वाला था मैं भी एक हाथ से संध्या का सर पकड़ा एक हाथ से बुब्स दबाते हुए संध्या को चूम रहा था | इस कहानी का शीर्षक संध्या ने अपने पति के साथ थ्रिसम चुदाई करवाई और आप इस स्टोरी को मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | उसकी जीभ मूह मे लेके चूस ने लगा संध्या तो सातवे आसमान मे थी क्यू की उसकी बहुत दीनो की इच्छा पूरी हो रही थी एक साथ दो लोगो से चूड़ने की |

फिर राहुल ने कहा – चलो बेडरूम मे चलते है |

फिर हम तीनो बेडरूम मे आ गये संध्या बेड पर लेट गयी मेरा हाथ पकड़के अपने उपर खिछा मुझे फिर मुझे चूमते हुए मेरे कपड़े उतरने लगी मेरी अंडरवियर उतरते ही मेरे लॅंड की तरफ देखने लगी मैने पूछा – क्या हुआ संध्या जी तो संध्या बोली – आज मज़ा आएगा फिर राहुल भी बेड पर आ चुका था संध्या ने राहुल के भी कपड़े उतारे राहुल संध्या के बुब्स चूसने लगा |

मैने संध्या को चूमते हुए नीचे आने लगा जैसे ही मैने संध्या के चुत को छुआ तो संध्या ने मुझे कसके पकड़ लिया और आ आ ससस्स ‘आह्ह.. अहह..’ करने लगी फिर मैने संध्या की चुत को सहलाने लगा एकदम क्लीन शेव्ह की हुई चुत मस्त पाव रोटी की तरह फूली हुई थी फिर मैं संध्या की चुत को चूमा संध्या एकदम सिहर उठी उसने मेरा सर पकड़ कर अपनी चूत पर दबाया मुझसे चुदास भरी नशीली आवाज में बोलीं- अपनी जुबान से मेरी चूत को मालिश दे.. |

एसेही थोड़ी देर तक मैं संध्या को चाट रहा था संध्या अपनी आखे बंद करके मज़ा ले रही थी मदहोश हुई जा रही थी राहुल ने भी अपना काम जारी रखे था संध्या का तो मज़ा दोगुना था दो दो लोग जो थे उसके पास एकसाथ वो अलग अलग आवाज़े निकल रही थी और मज़ा ले रही थी |

फिर संध्या बोली — अमित तुम लेट जाओ मैं तुम्हारे मूह पर बैट जाती हू फिर चूसो मेरी चुत को |

मैं बोला- ‘ओके संध्या जी’

संध्या बोली,- मेरी चुत चाट रहे हो, मुझे चोद्ने वाले हो तो फिर ये क्या संध्या जी संध्या जी कह रहे हो मुझे रानी या जान कहके बुला सकते हो |

मैने- ‘ओके मेरी जान’ |

कहा फिर संध्या बोली- ‘’ये हुई ना बात चलो लेट जाव’’

फिर मैं लेट गया संध्या मेरे मूह पर अपनी चुत सेट करके बैट गई फिर राहुल उठा और संध्या के मूह मे अपना लॅंड दे दिया |

संध्या मज़े से राहुल का लॅंड चूस रही थी और अपनी चूत चुसवा रही थी मैं थोड़ी देर उसकी चूत चाट ही रहा था की वो मेरे मूह मे ही झड़ गयी मैने चाट के साफ किया फिर उसने राहुल का लॅंड अपने मूह से निकल के सीधी बेड पर लेट गयी और बोली — ” अब मुझसे रहा नही जा रहा कोई तो मेरी छूट को शांत करो” |

फिर राहुल ने मुझे इशारा किया मैंने एक बार चूत को चाटा और फिर संध्या से लण्ड चुसवा कर लता की दोनों टांगों को कंधों पर रख कर मैने अपने आपको संध्या के उपर सेठ करके अपना लॅंड चूत पर टीकके ज़ोर से धक्का दिया मेरे धक्के से संध्या हिल सी गयी बुरी तरह तड़प उठी और बोली – आहह… बहन के लौड़े उम्म्मम… लण्ड से चूत चुदाई करने को कहा था चूत फाड़ने को नहीं आहहहह…मादर चोद चूत चुदवानी है फड़वानी नहीं… साले गधे का लण्ड लेकर ह्म्म्म… ऐसे झटके मारेगा तो चूत के चीथड़े उड़ जाएंगे। ”कमीणे मैं कही भागी नही जा रही हू ज़रा धीरे धीरे कर नही सकता क्या”

मैं- सॉरी डार्लिंग, मुझे पता नहीं था कि तुम झेल नहीं पाओगी, अब धीरे धीरे चोदूँगा।

फिर मैं थोडा स्लो हो गया और धीरे धीरे करने लगा थोड़ी देर बाद मैने स्पीड बढ़ा दी संध्या बड़बड़ाने लगी |

राहुल सही कह रहा था कि लता चुदवाते समय बहुत बकती है और आवाज ज्यादा न जाए इसलिए मैंने उसके होठों को चूसने लगा. .
राहुल- अमित, और जोर से चोद साली को, बहुत चुदक्कड़ बनती जा रही है, आज इसकी चूत को चोद चोद के लाल कर दे।

फिर संध्या बहुत छ्ट पता रही थी शायद वो झड़ने को आई थी मुझे कसक के पकड़ा मुझे चूमने लगी और झड़ गयी |

फिर राहुल ने कहा- ” अमित तुम इसके मूह को चोद मैं इसकी चूत चोदत हू” फिर मैने अपने लॅंड को संध्या के मूह मे दिया मैने अभी तक झाड़ा नही था राहुल संध्या को बड़ी बेरहमिसे चोद्ने लगा संध्या मेरा लॅंड चुसती रही राहुल ५ मिनिट मे ही झड़ गया |

फिर वो संध्या के मूह मे आ गया और मुझे चूत पर जाने को कहा मैं संध्या के पैर अपने कंधे पर उठाके संध्या को पेलने लगा संध्या फिर से गरम हुई थी वो भी मेरे साथ साथ नीचे से धक्के लगाके मेरा साथ देने लगी |

संध्या- ” उम्म्मम… हाँ अब मजा आ रहा है… हाँ भोसड़ी के ऐसे ही आहहह… तेरा मस्त लौड़ा तो मेरी चूत में बिल्कुल कस के रगड़ मार रहा है, आहहहह… अब जोर से चोद… अब लगा अपने लौड़े का जोर दिखा कितनी स्पीड से ओह्हहह… चोद सकता है। नेहा को तो तूने बहुत चोद है अब मुझे भी चोद आआहह आइईइ ””,,,,,,,,,,,,

बोल के संध्या फिर से झड़ने को हुई तो मैने भी अपनी स्पीड बढ़ा दी मैं भी झड़ ने को आया था मैं इतनी जोरोसे धक्का लगा रहा था की संध्या के बुब्स गोलल्गोल हिल रहे थे फिर उसे कस के पकड़ा और संध्याने भी मुझे कासके पकड़ा और दोनो झद्ने लगे मैं संध्या के उपर लेट के रहा थोड़ी देर बाद राहुल ने एक बीयर और व्हिस्की ले आया और स्नकस भी फिर संध्या उठी और बाथरूम हो के आई |

फिर से हम तीनो ने पीना चालू किया संध्या मेरी गोद मे बैठी और मुझे बीयर पिलाने लगी मैं भी संध्या को पिलाने लगा फिर संध्या ने मेरी किसिंग चालू कर दी और मेरे लॅंड को सहलाना चालू कर दिया फिर से हम लोग बेड पर आ गये संध्या गरम हुई और मेरा लॅंड चूसने लगी फिर मुझे लेटने को कहा और मेरे लॅंड को अपनी चुत के अंदर लेके उपर से मुझे चोद्ने लगी | इस कहानी का शीर्षक संध्या ने अपने पति के साथ थ्रिसम चुदाई करवाई और आप इस स्टोरी को मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | मैं भी नीचे से धक्के देने लगा फिर राहुल ने तेल निकलके संध्या के गान्ड मे लगाना चालू किया और फिर संध्या को मेरे उपर झुका कर अपना लॅंड डालने लगा संध्या दर्द के मारे चिल्लाने लगी थी फिर मैने संध्या को मेरे उपर झुकाके किस करने लगा |

फिर थोड़ी देर के बाद संध्या मज़े से चुदने लगी बहुत बड़बड़ा रही थी गलिया दे रही थी राहुल ने कहा- ” अमित रहम मत करो चोदो और जोरसे चोदो चुत का भोसड़ा बना दो मैं इसकी गान्ड फाड़ ता हू आज, बहुत चूड्डकड़ है ये आज हम दोनो मिलके इसकी सारी गरमी निकल देते है एसा कहते ही संध्या झड़ गयी अपने आपको ढीला छोड़ दिया |

फिर राहुल ने कहा- ” अमित तुम मेरी जगह आ जाओ मैं तुम्हारी जगह आता हू फिर हुँने अपनी जगह बदल ली और फिर से शुरू हुआ घमासान दो लॅंड और एक चुत के बीच का युध्द हम इसबार करीब २४-२५ मिनिट तक संध्या को पेलते रहे इतनी देर मे संध्या ३-४ बार झड़ चुकी थी फिर हम दोनो झद्ने को आए तो हम लोग संध्या के मूह पर आकर झड़ने लगे संध्या हम दोनो के लॅंड को बारी बारी चूसने लगी फिर हम दोनो को चुस्के साफ किया फिर संध्या थक गयी थी और सोने को हुई थी |

हम तीनो नंगे ही सो गये फिर रात को संध्या ने मेरा लॅंड चुसके एक बार फिर जगाया और डागी स्टाइल मे चुडवाया फिर हम सो गये अगले दिन सवेरे हम तीनो साथ नहाए और एक बार संध्या को दोनो के बीच मे लेके चुदाई की और मैं वाहा नाहके बाहर आया सभी तैयार हो गये मैने निकलने की बात ही कह दी की संध्या ने मुझे गले लगाया और मुझे चूमने लगी कहा- ”अमित बहुत मज़ा दिया तुमने ” राहुल ने भी मुझे गले लगाया और मुझे दस हज़ार देने लगा मैने लेने से मना कर ही रहा था की संध्या ने कहा अगर नही लोगे तो हम फिर तुम्हे कभी नही बुलाएँगे मैं संध्या को बार बार करने की सोच रहा था तो मुझे लेने ही पड़े और मैं अपने घर वापस आ गया |

दोस्तो, आपको मेरी कहानी कैसी लगी.. मुझे आप सबकी मेल्स का इंतज़ार रहेगा। मुझे आशा है कि पहले जैसे ही आपको मेरी ये कहानी भी पसंद आएगी और मेरे दोस्त मुझे मेल जरूर करेंगे।

आपका अपना अमित [email protected]

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मेरी दीदी की चुदास और अंकल की प्यास | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/chudai-ki-kahani/meri-didi-ki-chudas-or-uncle-ki-pyas.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/chudai-ki-kahani/meri-didi-ki-chudas-or-uncle-ki-pyas.html#respond Sat, 13 Jan 2018 06:30:53 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=11641 मेरी दीदी की चुदास और अंकल की प्यास, जब मै अपने दीदी के घर रहने गया था तो वह मैंने कुछ दिनों तक देख दीदी और अंकल एक दुसरे से बहुत करीब आते रहते है फिर धीरे धीरे मुझे उनपर शक हुआ और मैंने एक बार देखा की वो एक दुसरे के साथ शारीरिक संबंध बनाये थे

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हैल्लो दोस्तों, मेरे परिवार में चार लोग है पापा, मम्मी, में और मेरी दीदी; मेरे पापा अबू धाबी में रहते है, वो साल में एक या दो बार ही घर आते है; मेरी दीदी गोरेगाव में रहती है और में भी उनके साथ ही गोरेगाव में रहता हूँ. उन दिनों में अपनी दीदी के साथ एक छोटे शहर में 4 रूम के एक सेपरेट फ्लेट में रहता था; अंकल उस्मान ख़ान हमारे पड़ोस में रहते है; हमारे फ्लेट के पीछे झाड़ी है तो लोग अक्सर वहाँ कूड़ा डालते है; अब उस्मान अंकल वहाँ पेशाब कर रहे थे और दीदी बालकनी से उनके मोटे लंड को देख रही थी; अब अंकल की नजर दीदी की चूचीयों पर थी; अब दीदी धीरे-धीरे मुस्कुरा रही थी; फिर उस्मान अंकल ने अपने लंड को हिलाया और दीदी की तरफ देखा तो दीदी शर्मा गयी; फिर में जॉब पर चला गया और फिर शाम को जब में वापस आया तो वो अंकल दीदी से बात कर रहे थे.

फिर मैंने दीदी से कहा कि में बहुत थक गया हूँ और टी;वी देखने जा रहा हूँ; फिर दीदी ने कहा कि ठीक है, तुम जाओ मुझे अंकल से कुछ बातें करनी है. में अंदर चला गया और टी;वी ऑन किया; फिर में वापस से शाम को पढ़ने के लिए बैठा तो आधे घंटे के बाद मैंने अपने सामने वाले कमरे से जिसमें दीदी थी किसी को जाते हुए देखा; तो तभी में समझ गया कि अब जो कुछ भी होने जा रहा था, वो कुछ अलग था; फिर में बिना देर किए अपनी टेबल पर खड़ा हो गया और रोशनदान में लगे हुए कांच से जब मैंने दीदी के रूम में देखा.

मैंने पाया कि जैसे ही अंकल दीदी के रूम में अंदर गये तो उनको देखकर दीदी अपने बेड से उठकर अपने सिर पर अपने पल्लू को रखते हुए उनकी तरफ अपनी पीठ को करते हुए खड़ी हो गयी; अब अंकल दीदी के पास आ गये थे और दीदी से सटकर खड़े हो गये थे.

अब दीदी एक कदम आगे बढ़ गय तो अंकल ने दीदी की कमर के ऊपर अपना एक हाथ रखते हुए दीदी को अपनी तरफ खींच लिया; फिर अंकल ने दीदी के सिर से आँचल को हटाकर उसे जमीन पर गिरा दिया; अब दीदी लो-कट ब्लाउज पहने थी; अब मुझे उनकी नंगी गोरी कमर दिख रही थी; फिर अंकल ने दीदी की पीठ पर चुंबन लिया और दीदी के दाहिनी चूची को धीरे-धीरे दबाने लगे; अब पीछे से चूची दबाने के बाद अंकल ने दीदी के ब्लाउज के हुक को खोलना शुरू कर दिया था.

ब्लाउज के सारे बटन को खोलने के बाद ब्लाउज को उतारकर जमीन पर गिरा दिया और इसके बाद अंकल ने दीदी की साड़ी को भी धीरे-धीरे उतार दिया; अब दीदी के दोनों हाथों को अंकल ने अपने दोनों हाथों से दबा रखा था; फिर इसके बाद अंकल ने दीदी के पेटीकोट के नाड़े को एक ही झटके में खोल दिया; फिर दीदी का पेटीकोट सरककर जमीन पर जा गिरा; अब दीदी बिल्कुल ही नंगी खड़ी थी.

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फिर इसके बाद मैंने देखा कि अंकल ने दीदी के कंधे के पास से बाल को हटाते हुए अपने होंठो को दीदी के कंधे और गर्दन के बीच में धीरे-धीरे रगड़ने लगे थे और दीदी की चूची को धीरे-धीरे दबाने के साथ ही अपने दूसरे हाथ से दीदी की चूत को सहलाने लगे थे.

जैसे ही अंकल ने दीदी की चूत को सहलाना शुरू किया, तो दीदी अपने आपको रोक नहीं पाई और घूमकर अंकल से लिपट गयी; अब अंकल ने दीदी को अपनी बाँहों में उठा लिया था और दीदी को ले जाकर बेड पर लेटा दिया था.

इसके बाद अंकल ने रूम के दरवाजे को धीरे से बंद कर दिया; फिर दरवाजा बंद करने के बाद जब अंकल दीदी के पास आए तो साथ में उन्होंने तेल के एक डिब्बे को भी ले लिया और उसे लेकर टेबल पर रख दिया; फिर अंकल ने दीदी की जाँघों को थोड़ा सा फैलाया, क्योंकि उस वक़्त तक दीदी की दोनों जाँघे बिल्कुल ही सटी हुई थी; अब मुझे दीदी की चूत पूरी तरह से दिख रही थी.

फिर अंकल ने डिब्बे से सरसों के तेल को निकाला और दीदी की चूत पर लगाते हुए जब दीदी की चूत को सहलाने लगे; फिर दीदी ने अंकल के लंड को उनकी लुंगी से बाहर निकाल दिया, जो कि अब 8 इंच लंबा था; अब दीदी भी उसे पकड़कर सहलाने लगी थी.

मैंने देखा कि दीदी और अंकल लगभग 1 मिनट तक ऐसे ही अपने काम को अंजाम देते रहे; फिर इसके बाद अंकल दीदी की जाँघ पर बैठ गये और दीदी की चूत पर अपने लंड को जैसे ही सटाया, तो दीदी ने अपने दोनों हाथों से अपनी चूत को फैला दिया; फिर अंकल ने दीदी की चूत में अपने लंड को ले जाने के लिए अपनी कमर को धीरे-धीरे सरकाना शुरू किया, तो दीदी ने अपनी सांसे खींचनी शुरू कर दी; फिर मैंने देखा कि अंकल ने दीदी की चूत में अपने लंड के टोपे को डाल दिया था.

अब अंकल दीदी के ऊपर लेट गये थे और अपनी कमर को हिलाना शुरू कर दिया था; अब दीदी के मुँह से आआआहह की आवाज निकलने लगी थी; फिर कभी- कभी अंकल ज़ोर-ज़ोर के झटके लगाते तो दीदी पूरी तरह से हिल जाती थी; अब दीदी ने अपने हाथों को अंकल की पीठ पर रख लिया था और अंकल की पीठ को सहला रही थी.

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अब अंकल दीदी के गालों को चूमने लगे थे और अपने दोनों हाथों से दीदी की दोनों चूचीयों को दबाने लगे थे; फिर दीदी भी मस्ती में आआअहह की अजीब ही आवाज निकाल रही थी; अब कुछ देर में ही अंकल ने अपने आधे लंड को दीदी की चूत में डाल दिया था; अब अंकल ने दीदी के पैरो को फोल्ड कर लिया था और दीदी की जाँघो को फैलाते हुए अपने आपको दीदी के दोनों पैरो के बीच में एडजस्ट किया, तो दीदी ने ऐसा करने में उनकी मदद की.

अंकल ने दीदी को फिर से झटके देने शुरू किए तो दीदी ने अपनी गर्दन को उठा-उठाकर आहें भरना शुरू कर दिया था; फिर अंकल ने दीदी से पूछा कि दर्द कर रहा है क्या? तो दीदी ने एक अजीब आवाज में कहराते हुए जबाब दिया नहींईईईईईई.

फिर कुछ देर के बाद अंकल ने दीदी के होंठो को अपने होंठो में दबा लिया और अपने लंड को दीदी की चूत में ज़ोर-ज़ोर से अंदर-बाहर अंदर-बाहर करने लगे; फिर ये सिलसिला पूरे आधे घंटे तक चला; फिर थोड़ी देर के बाद अंकल ने दीदी की कुंवारी चूत में अपना बीज गिरा दिया, तो तब जाकर वो दोनों शांत पड़े.

अंकल कुछ देर तक ऐसे ही दीदी के ऊपर लेटे रहे और फिर इसके बाद उठकर जब उन्होंने दीदी की चूत से अपने लंड को बाहर निकाला तो दीदी ने अपनी आँखें खोली और मुस्कुराते हुए अपने चेहरे को ढक लिया; फिर तभी अंकल हँसते हुए बोले कि अब चेहरा क्या ढकना है? और फिर उन्होंने दीदी के हाथों को उनके चेहरे से हटाते हुए पूछा कि मज़ा आया क्या?

दीदी ने अपना सिर हिलाते हुए जवाब दिया हाँ बहुत मज़ा आया; फिर अंकल दीदी के ऊपर से हट गये और फिर अंकल ने अपनी जेब में से एक गोली निकाली और दीदी को दी; तभी दीदी ने पूछा कि यह किस लिए है? तो अंकल ने कहा कि यह गर्भ निरोधक गोली है, तो दीदी ने गोली खा ली और अंकल चले गये.

 

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गार्ड के मुसल लंड से चुदती मेरी जवानी | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/voyeur/guard-ke-musal-lund-se-chudati-meri-jawani.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/voyeur/guard-ke-musal-lund-se-chudati-meri-jawani.html#respond Sun, 07 Jan 2018 13:01:09 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=11596 गार्ड के मुसल लंड से चुदती मेरी जवानी, अन्तर्वासना सेक्स स्टोरी, हिंदी सेक्स स्टोरी ऐसी कहानिया पढ़कर रोज मुठ मारे और खूब मजे ले आप सभी को मेरी कहानी कैसी लगी निचे कमेंट करे

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दोस्तों मैं रूबी तिवारी, आपने मेरे द्वारा लिखी गई बहुत सारी कहानिया पढ़ी होंगी मुझे बहुत से लोग अपनी कहानिया भेजकर चाहते है की मैं उनकी इस कहने को एक अलग सा रूप देकर आप सभी तक पहुचती हूँ और आप सभी ने मेरी कहानिया को बड़ा ही सरह है जिसके लिए मैं आप सभी धन्यवाद भी कराती हूँ. आज फिर से मैं एक कहानी अलका और संजय की लेकर आई हूँ जो आप सभी को बहुत पसंद आएगा. तो चलिए कहानी को आगे बढ़ाते है. संजय आँखे बंध कर के लंड चुस्वाने की मजा लेता रहा | एक दो मिनिट लंड चूसने के बाद में खड़ी हुई और मैंने अपनी नाईटी और उसमे पहनी ब्रा उतार फेंकी, पेंटी तो मै पहेले से ही पहनी नहीं थी | संजय मेरा सुडोल शरीर देख दंग रह गया | वह उठा और मेरे दोनों चुचक अपने मुहं में भरकर चूसने लगा |

मेरा नाम अल्का है, सभी मुझे रोनी कहकर बुलाते हैं. कपडे सूखाने के लिए मै आज जैसे ही बहार निकली मैंने देखा की आज भी वह नया चोकीदार मुझे देख रहा था, इस 26 साल के नए चोकीदार ने मुझे कितनी बार ही देखा होगा |

मै हमेंशा से मूसल लंड की दीवानी रही थी, और जब यह चोकीदार पिछले महीने यहाँ आया तो मैंने उसको थोड़ी थोड़ी लाइन देनी शरु कर दी थी, उसके बड़े बाजू और तगड़ा सीना देख मै समझ गई थी के वह जरुर एक मूसल लंड का मालिक होगा |

एकाद हफ्ते तक वह देखने में कतराता था, फिर शायद उसे भी पता चल गया की मेरी इच्छा है और वह फिर मुझे देखता बिना संकोच के | मुझे भी बस एक मोके की तलाश थी जब मै संजय, नए चोकीदार, को घर में ले आऊ और उसके लंड से अपनी प्यास बुझाऊं | मेरा पति ऐसे भी अब अपने काम को ज्यादा तवज्जो देता था, बीवी को सिर्फ चूत वाला मशीन बना दिया था, कपडे उतारो, पेलो और सो जाओ | में मन ही मन में सोचती थी, की शादी के बाद काफी बदल गया है, लेकिन अब मैंने सोचना छोड़ दिया है, अब में केवल मौका देख रही हूँ इस संजय का लंड लेने का | मुझे आखिरकार मौका मिला इस मूसल लंड को लेने का

हफ्ते के बाद मेरे पति ने मुझे कहा की वोह कंपनी के काम से बंगलौर जा रहा है, उसने मुझे पूछा की क्या मै आना चाहूंगी, मैंने उसे कहा बिट्टू की एक्जाम है | आप अकेले चले जाओ | दुसरे दिन सुबह राकेश बेंगलोर निकल गया, मै सब्जी लेने के लिए सोसायटी से बहार जा रही थी.

मैंने संजय से स्माइल की | संजय ने भी स्माइल दे दी, मैंने उसे कहा, आप डयूटी पर कब तक है, संजय बोला, बीबी जी आज में पूरा दिन यही हूँ | मैंने उसे कहा, मेरे घर की टंकी में कुछ सामान गिर गया है क्या आप दोपहर को निकाल देंगे, इसके डेडी बाहर चले गए और में उन्हें कहना भूल गई |

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संजय बोला ठीक है, मैं खाने के वक्त आपके यहाँ आ जाऊँगा | मेने सब्जी ला कर बिट्टू को उस दिन जल्दी स्कुल पहुंचा दिया, मैंने वेक्स करके चूत के आसपास के सारे बाल निकाल दिए | अपनी हलकी पतली पिली नाईटी डाल में संजय के आने का इन्तेजार करने लगी |

मूसल लंड वाला चोकीदार भी तयारी से आया था, संजय लगभग 1 बजे आया, उसने डोरबेल बजाते ही मैंने एक बेल में दरवाजा खोल दिया, उसकी नजरे मेरे शरीर पर फिरने लगी | मैंने उसे कहा आइये, संजय आके बोला, कहा है टंकी मेडम | मैंने कहा बैठिये तो सही, दोपहर में सोसायटी में चोर नहीं आते है….! वोह भी हंस पड़ा और सोफे पर बेठा |

मैं उसके लिए पानी लायी और जान भुझ कर उसको अपने चुंचे दिखाते हुए झुकी, मैंने देखा की उसकी आँखे मेरे भरी चुंचे देखते ही जैसे की बड़ी हो गई | मेने ग्लास लेते वक्त उसे दुबारा चुंचे दिखाए| मैं तो कब से गर्म थी, बस एक बार संजय गर्म हो जाए तो हल्ला बोलना था उसके मूसल लंड पर |

मैंने उसकी उपरकी जेब देखी तो मैं दंग रह गई, ड्यूरेक्स के कंडोम का पाकिट था उसमे, राकेश की भी फेवरेट ब्रांड थी इसलिए में उसे ऊपर से हलकी झलक मै ही पहेचान गई, तो संजय भी तयारी के साथ आया था…..!!!

लंड दे दो अपना मूसल, मुझे इसकी बड़ी चाह है…!

संजय ने पानी पीकर टंकी के बारे में पूछा, मैंने उसे किचन में टंकी दिखाई, जिसके अंदर मैंने पहेले से बिट्टू का खिलौना डाल दिया था | टंकी बहुत टेढ़ी जगह पर स्थित थी, उसमे से सामान निकालना थोड़ा कठिन था, और यही मेरा प्लान था | मैंने संजय को एक सीडी लाके दी, संजय उस पर चढ़के टंकी का दरवाजा खोलने लगा |

अब सीडी तो हिलनी ही थी उसके वजन से, मैं बोली में आपको पकड़ के रखती हूँ, सीडीका बेलेंस सही नहीं है | मैंने उसकी जांघो वाले भाग को दोनों हाथ से पकड लिया, कुछ इस तरह से की मेरे हाथ से उसके लंड का स्पर्श हो जाए, में देखना चाहती थी के उसका मूसल लंड तना है की नहीं | मेरा शक सही था, उसका लंड कोई लोहे के औजार की माफक तना था |

मैंने उसके जांघे पकडे रखी और हाथ को उपर निचे करने लगी | संजय टंकी से खिलौना निकाल ने में शायद जान भूजकर देरी कर रहा था, खेर मैं भी वही चाहती थी | मैंने अब बिना कोई देरी किए उसके लंड के ऊपर हाथ फेरना शरु कर दिया | आप ये कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

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संजय बोला, बीबी जी क्या कर रही हो…

मैंने कहा कुछ नहीं, देख रही हूँ के हमारा नया चोकीदार मजबूत है या कमजोर….?

संजय बोला, मेडम कर लीजिए चेक….!

लंड हो तो मूसल लंड, बाकि सब में तो बसी होती है ठंड

संजय का तना लंड मै थोड़ी देर तक सहलाती रही और वह सीडी पर ही खड़ा मजा ले रहा था, मैंने उसे अब निचे आने को कहा और उसे लेकर सोफे पर चली गई, सोफे पर बिठा मैंने उसकी खाखी पेंट निचे सरका दी और उसकी चड्डी भी उतार दी, सही मै उसका मूसल लंड बहुत बड़ा और सेक्सी था |

मैं अपने आप को बिलकुल नहीं रोक पायी और मैंने उसे अपने मुहं में भरकर उसकी सेक्सी चुसाई शरु कर दी | संजय आँखे बंध कर के लंड चुस्वाने की मजा लेता रहा | एकाद दो मिनिट लंड चूसने के बाद में खड़ी हुई और मैंने अपनी नाईटी और उसमे पहनी ब्रा उतार फेंकी, पेंटी तो मै पहेले से ही पहनी नहीं थी | संजय मेरा सुडोल शरीर देख दंग रह गया | वह उठा और मेरे दोनों चुचक अपने मुहं में भरकर चूसने लगा |

मेरी योनी पानी छोड़ने लगी और मै इस मूसल लंड को पाने के लिए बेताब हो गई | संजय ने मुझे वही सोफे पर टांगे फेला के बैठाया और ड्यूरेक्स अपने लंड पर चढ़ा दिया, मैंने उसके लंड को अपने हाथ में लिया और उसे अपनी योनिमुख पर रख दिया…!

संजय का एक झटका काफी था लंड को योनी की गहेराइयो में ले जाने में, कंडोम पर लगा लुब्रिकांत मस्त चिकना था, मुझे एक पल के लिए लगा की योनी फट गई हो, मेरे पति के मुकाबले संजय का लंड डबल था | मुझे कुछ देर में मजा आने लगा और संजय मुझे मस्त पेलने लगा | वह ओह ओह आह ऐसे बोल रहा था, शायद मेरी चूत उसे भी बहुत भा गई थी |

मेरी योनी झाग निकालने लगी क्यूंकि संजय 10-11 मिनिट तक मुझे कस के पेलता रहा, मेरी योनी में उसके मूसल लंड का प्रत्येक प्रहार मजा दे रहा था…! उसका लंड मेरी चूत में अंदर तक आ जा रहा था. थोड़ी देर में उसका वीर्य निकलने लगा, मुझे कंडोम के अंदर रहे लंड से निकलता प्रवाह भी महेसुस हो रहा था |  आप ये कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

संजय ने अपना लंड बहार निकाला और वोह कपडे पहेनने लगा, मैंने उसे अपनी पर्स से 500 रूपये दिए और उससे उसका मोबाइल नंबर भी ले लिया | इसके बाद में जब भी मेरा पति बाहर होता, संजय को बुलाकर उसके लंड से अपनी प्यास भुजा लेती थी, उसने मेरी गांड तक में अपना मूसल लड़ दे दिया है अब तो…मेरा जब भी दिल करता है मैं उसके मूसल लंड ले लेती हूँ.

 

—– समाप्त —–

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