लप्प लपालप उठ बैठा चमका बिजुरी सा जाता ( sexy दोहा )
रस न आह जोबन जीवन में सोच चली रह आई
रिमझिम बारिश का मौसम अनमन थी मैं रह आई
पीछे सूनी गली रही धर पुस्तक बैठी ऊपर
थी मनमारी झंक इत उत उफ़ पडी नजर तब उसपर
मुख पतला गोरा भोरा मासूम नजर सा आया
सोलह सतरह वय किशोर लड़का इक दीखा आया
सहमा तकता इधर उधर डर कोई देख न पाए
खड़ा मूतने टिक दीवार रहा ज्यूं था वह आये
उंह मन ही मन कह पल ध्यान हटाए मैं रह आई
डोला चित्त रहा पर क्या करता तक झंक मैं आई
देखा मैनें आह नज़ारा हाय कहूं क्या जो उफ़
चकराईं टिक थम आँखें दिल उछला धड़के धुक धुक
ताजा घिसा न अभी नया चिकनाया लंबा गोरा
तपा ललाया उन्मद लंड खड़ा थामे था छोरा
मगन तका लहराया लंड ठुनक था वह दुलराया
हिला हिलाए लाड़ दिए था छुए चूमता आया
उड़ रह आया धीरज मन दौड़ा रह आया उसपर
ललचाई भर आह मरी मैं हाल देखने जी भर
उठ उठ बढ़ता फुनक फुनकता फूल फूलता जाये
लम्बाया फन काढ़ गजब था लंड खड़ा लहराए
रही देख मैं भर कस मुट्ठी फांस कसे धर आया
रहा गदगदा गोरा छोरा हौले हौले हाथ चलाया
फाड़ फाड़ मुख लंड खींचता सरपट जड़ तक आता
लप्प लपालप उठ बैठा चमका बिजुरी सा जाता
चलता लंड तका जिय डूबा आया रहा समाया
चबा होठ मन कहती हाय हरामी क्या कर आया
चढ़ कठोर गुम्बद रपटी लपलप फिसली रह आती
उठ बैठी लप लप्प लगाई दंड चमडिया जाती
फूल फूलता जाता वह भर कस मुट्ठी रह आती
कड़क फुरकती उछली नीली जाल नसों की जाती
चमक चमक चलता सरपट वह भरी आह मैं जाती
आग बदन बुर लार तकी तकती मैं आई मर मर
उछल फूटती धार उधर गिरती बिजुरी इत मुझपर
उधर नयन ललचाए लंड जबर चलता था आता
कर डालूँ क्या हाय इधर मन गुन गुन सोचा जाता
बुर कुलबुल बेचैन ख्वाब भर उसको आई धरती
बस न रहा तक बहती आई पिघली छलक छलकती
रही सोच उफ़ क्या संजोग इधर प्यासी मैं मरती
बिन बुर उधर चला वह इधर बिन चुदी चूत बरसती