नमस्कार दोस्तों मेरा नाम अनुराधा है,मैं जबलपुर(काल्पनिक स्थान) के पास एक ग्रामीण क्षेत्र की रहने वाली लड़की हूँ । मैं मस्ताराम की कहानियों की बहुत बड़ी फैन हूँ । मैं इन्हें तबसे पढ़ती आरही हूँ जब मेरे उभार में सिर्फ मूंगफली के दाने ही फूटे थे । पर आज मैं 28 साल की एक शादीशुदा लड़की हूँ और 2 बच्चों की माँ बनने के बाद भी मेरा फिगर भी 30-30-32 का है । मेरे परिवार में माँ पापा के आलावा हम 4 बहने हैं बड़ी बहन सविता, सरिता, मैं आराधना और मेरी छोटी बहन साधना । मेरी दो बड़ी बहनो की शादी बहुत पहले हो चुकी है और बाकि मैं और मेरी छोटी बहन साधना अभी कुछ साल पहले ही शादी करके अपने ससुराल पहुंची हैं खैर आप सबको ज़्यादा बोर नही करते हुए सीधे कहानी पर आती हूँ |
आप सभी से अनु का ये अनुरोध है की अपने अपने लण्ड और चूत को सहलाना शुरू करदें और लड़के अ+निरोध(मतलब बिना कंडोम) कहानी का मज़ा लें, और मेरी चुदाई की कल्पना करते हुए,अपना क़ीमती बीज मेरी कोख में बो दें… तो चलिए शुरू करती हूँ, ये कहानी आज से 9 साल पहले की है । उस वक्त मै कुछ 18-19साल की थी और 12वीं क्लास में थी । मेरी क्लास का एक लड़का मुझे बहुत लाइक करता था उसने मुझे एक दिन हिम्मत करके प्रपोज़ करदिया,वो दिखने में बहुत हैंडसम था उसका नाम सुमित था । तो मैंने भी हाँ बोल दिया मैं भी अभी तक कुंवारी थी चुदने को बेकरार थी तो सोचा की क्यों न लाइफ के मज़े लिए जाएँ । पहले हम दोनों एक दुसरे को लैटर लिखते थे फिर धीरे धीरे मिलना शुरू किया फिर हमने एक दिन एक योजना बनाई मैं घर से कोचिंग का बोलकर अपनी सहेली के साथ निकली और रस्ते में बहाना बनाकर लौट आई और फिर सुमित के साथ उसके घर चली गयी,आज उसके घर कोई नहीं था तो हम जाते से ही घर में घुस गए |
मेरे जैसी लड़की को घर में अकेला पाकर सुमित तो जैसे पागल ही हो गया । वो मुझपर टूट पड़ा हमने जल्दी से अपने अपने कपड़े उतारे और बिस्तर पर जा पहुंचे बहुत देर तक किसिंग करते रहे फिर आखिर में वो पल आया जिसका हर लड़की को इंतज़ार होता है,मैंने टाँगे फैलाई और सुमित ने अपना 5″ का लण्ड मेरी चूत के मुंह पर रखा और एक झटके में अंदर पेल दिया, मेरी तो जैसे जान ही निकल गयी.. मैं ज़ोर से चिल्लाना चाहती थी पर आवाज़ करने पर गड़बड़ होसकती थी और फिर मैं आई भी तो चुदवाने ही थी तो मैंने अपना मुंह तकिये से दबाया और चुपचाप लेती रही सुमित मुझे थोड़ी देर ऐसे ही चोदता रहा फिर मेरी चूत के बाहर लण्ड निकाल के झड़ गया । जब वो उठा तो मैंने देखा की मेरी चूत पर खून का कोई निशान नही था,मतलब मेरी सील नही टूट पायी थी,खैर थोड़ी देर हम यूँ ही लेटे रहे फिर मैंने सुमित को दुबारा tease करना शुरू किया मैं पुरी नंगी होगई और उसके सामने किसी कुतिया की तरह घुटनो और हाथों के बल चलने लगी और उसको ललचाने लगी इससे सुमित के हथियार में फिर जान आगयी, मैंने उसके लण्ड को सहलाना शुरू किया तो वो फिर से कड़क होने लगा तो मैंने भी सुमित से क़ातिलाना अंदाज़ में पूछा-: मेरे प्यारे कुत्ते अपने इस लण्ड को सम्भालकर रखोगे क्या? अपनी कुतिया की चुदाई करो न मुझे पीछे से चोदो न!!
बस इतना कहने भर की देर थी सुमित उठ कर खड़ा होगया और मैं भी जल्दी से कुतिया की तरह अपनी चूत उसकी और करके खड़ी होगई उसने अपना लण्ड मेरी चूत में डाला तो इस बार मेरी जान ही निकल गयी,बहुत दर्द हुआ तब सुमित ने बताया की मेरी चूत से खून आगया,मुझे दर्द हो रहा था पर सुमित नही रुका मुझे चोदता रहा,खून मेरी हल्की हल्की झांटों से होकर बेड पर टपक रहा था और मैं मस्त अपने आशिक़ से उसके घर में उसके ही बेड पर अपनी सील टूटने और खुद के जवान होने का जशन चुदवाके मना रही थी ।
कुछ देर चोदने के बाद सुमित नीचे लेट गया और मैं उसके लण्ड को अपनी चूत में भरकर उसके ऊपर उछलने लगी । उसी जोश में सुमित ने मेरे दूध अपनी मुठ्ठियों में भींच लिए और मुझे नीचे से झटके मारने लगा । फिर कुछ देर बाद वो झड़ने के करीब आया तो उसने मुझे खुदपर से हटाया और अपना पानी निकाला । फिर हम दोनों ने कपड़े पहने और फिर सुमित ने मुझे अपने घर के पास छोड़ दिया हल्का अँधेरा हो गया था तो किसी को कुछ समझ नही आया और मैं आराम से आपने घर आगयी । और सारी रात सुमित से हुई चुदाई के ख्यालों में खोयी रही और कब नींद लगगयी पता ही नही चला । खैर एक बार ये क्रम चला तो फिर चलता ही गया आयेदिन जब भी हमे मौका मिलता हम कोचिंग या स्कूल के बहाने सुमित के घर में या किसी सुनसान जगह में मिलने लगे । और खूब चुदाई का मज़ा लेने लगे ।
आलम् ये हो गया की हफ्ते में 2 दिन चुदाई न करवाऊं तो नींद ही नहीं आती थी ठीक से । कभी हम सुनसान एरिया में चले जाते और खुले में घनी झाड़ियों में सेक्स करते तो कभी सुमित के घर पर,कभी मेरे घरवाले कहीं बाहर जाते तो मैं बहाना बनाकर घर पर रुक जाती और सुमित को घर बुला लेती और फिर हम जमकर चुदाई का खेल खेलते । मैं पूरे घर में नंगी होकर सुमित से चुदवाती,टीवी वाले कमरे में,हॉल में,सीढ़ियों पर,किचिन में,बाथरूम में,बैडरूम में और तो और छत पर भी । फिर समय बीतता गया चुदाई का असर ये हुआ की मेरे 26 साइज़ के दूध 28 के होगये । फिर कभी हम दोनों मिल नही पाते तो कुछ जुगाड़ भी लगा लिया करते थे । आप यह हॉट हिंदी सेक्सी कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | एक बार हमे मिले हुए कुछ 15-16 दिन होगये थे चुदाई का मौका ही नही मिल पा रहा था । गर्मियों का समय था मैं शामको नहाकर ही आई थी तो मैंने अपनी ब्रा उतारी और सिर्फ टी शर्ट पहन ली और नीचे एक स्कर्ट पहन ली । और एक फ़ोटो खींचकर सुमित को सेंड करदी । फ़ोटो देखकर सुमित ललचा गया बिना ब्रा के टी शर्ट पर उछलती मेरी चूचियाँ उसे लुभा गयीं वो बोला-: अन्नु तुम बहुत हॉट लग रही हो मेरा मन कररहा है तुम्हारे दूध पीने का,
तो मैं बोली-: कैसे पियोगे जानू,मेरे घर पर सब हैं
तो वो बोला-: एक काम करो तुम कुछ बहाने से अपने घर के बाहर आजाओ और साइड में जो खाली प्लॉट पड़ा है वहां आजाओ ।
तो मैंने कहा-: ठीक है,
और मैं एक रोटी लेकर गाय को देने के बहाने मेन गेट के बाहर आगयी,शाम के कुछ 7:30 बजे थे हल्का अँधेरा भी था मैंने गाय को रोटी दी तभी बाजू के खाली पड़े प्लाट तरफ गयी तो सुमित वहीँ खड़ा था । वहां थोडा ज़्यादा अँधेरा था तो हम दिखाई भी नही देरहे थे,
सुमित ने देर न करते हुए जल्दी से मेरी टी शर्ट ऊपर करी और मेरे दूधों पर टूट पड़ा करीब 10 मिनट तक उसने मेरे दूध पिये, फिर मैंने उससे कहां कि अब होगया जाओ वरना कोई आ न जाये । पर वो जाने को तैयार ही न था उल्टा उसने अपना हाथ मेरी लॉन्ग स्कर्ट में घुसा दिया और मेरी चूत को सहलाने लगा,उसकी इस हरकत से मेरे अंदर भी आग लग गयी मुझसे रहा न गया मैंने उसे दूर किया और झट से अपनी स्कर्ट ऊपर की और पेंटी नीचे खिसकाकर दीवार के सहारे झुक गयी । सुमित ने भी समय न गंवाते हुए जल्दी से अपना लण्ड निकाला और मेरी चूत में देदिया । मेरे मुंह से बस सुखद एहसास भरी आह!! निकल कर रह गयी ।
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हम थोड़ी देर यूँ ही चुदाई करते रहे,तभी मेरे पापा जी की आवाज़ मुझे सुनाई दी,
वो मुझे ढूंढ रहे थे क्योंकि खाने का वक़्त हो गया था । मैंने सुमित से बोला की चलो अब चलते हैं मै जाती हूँ,पर वो नहीं माना इतने में पापा जी बाहर निकल आये और ठीक हमारे सामने आकर खड़े होगये,खैर गनीमत इतनी थी की वो हमसे कुछ 30 फ़ीट दूर थे और अँधेरे की वजह से हमे देख नहीं पा रहे थे,मैंने सुमित को इशारा किया की अब बस करो मुझे जाने दो पर उसका मूड नही था मुझे छोड़ने का । क्या दृश्य था मेरे पापा रोड पर खड़े मुझे ढूंढ रहे हैं और उनकी बेटी उनसे चन्द कदम दूर अंधेरे में अपनी स्कर्ट ऊँची करे अपने आशिक के साथ खुले आसमान के नीचे सम्भोग का आनंद ले रही थी । तभी पापा जी दुबारा अंदर चले गए और मैं आने के लिए अलग हुई और सुमित के लण्ड को मुठी में भरकर हिलाने लगी क्योंकि जबतक उसका पानी नही निकलता वो जाता भी नहीं तो मैंने जल्दी से उसका पानी निकलवाया फिर दबे पाँव घर में आगयी,बाद में जब मुझसे सबने पूछा तो मेने बहाना बना दिया । फिर ये क्रम भी बहुत बार दोहराया ।
जब भी मौका मिलता मैं यूँ ही स्कर्ट टॉप पहन लेती और बहाने से या चुपके से घर के बाहर खाली वाले प्लाट में अँधेरे में सुमित से खूब चुदवाती । एक बार तो जब सुमित का बहुत मन हुआ तो वो रात में 12 बजे मेरे घर का बड़ा गेट कूदकर बरामदे में आगया,मेरे रूम का एक दरवाज़ा भी बरामदे में खुलता था तो मैं भी अपनी छोटी बहन को रूम में सोता छोड़ दबे पाँव बरामदे में आगयी,उस वक्त मेरे पापा टीवी पर भारत और वेस्टइंडीज़ का क्रिकेट मैच देख रहे थे,और ठीक उसी वक्त आपने घर के बरामदे में मैं अपनी दोनों टाँगे उठाये सुमित से चुद रही थी और वो मेरी चूत की पिच पर छक्के चौके लगा रहा था । फिर उसने मुझे कुतिया बनाया और चोदा फिर मैंने मुट्ठ लगा के उसका पानी निकाला फिर वो चुप चाप दीवार कूदकर वापिस चला गया । फिर हम आये दिन रातों को छुप छुप कर मिलने लगे ।
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