मेरी चुदक्कड सहेलियों की गीली चूत

हेल्लो मस्ताराम डॉट नेट के प्यारे पाठको आप लोग कैसे है  जैसे भी होगे ठीक ही होगे वैसे आज मै अपनी सहेलियों के साथ चुदने की एक मजेदार कहानी बता रही हु आशा है की लंड और चूत इस कहानी को पढ़ कर शांत हो जायेगे … उस दिन शनिवार था और मैं श्रेया के यहाँ जा रही थी कि प्रमोद श्रेया के घर से बाहर निकलता हुआ दिखाई दिया, वो मुझे बहुत ही अजीब निगाहों से घूर रहा था, मन तो किया की एक थप्पड़ लगा दू, लेकिन फिर मैने सोचा कि जाने दो बेचारा देख ही तो रहा है वो मेरे बगल से निकला तो एक अजीब सी सेक्सी स्मेल मेरे दिमाग़ मे दौड़ गयी. मैने सोचा कि ऐसी स्मेल तो हमारे रूम मे तभी आती है जब हम दोनो पति पत्नी चुदाई करते है.
तो क्या वो लड़का श्रेया के घर मे चुदाई करके गया है, किसकी श्रेया की… क्या श्रेया का उस लड़के के साथ चक्कर है. श्रेया इस तरह की औरत है क्या. मैं इन ख़यालों मे खोई हुए थी कि श्रेया ने मुझे पकड़ कर हिलाया, “ऋतू क्या हुआ किन ख़यालों मे खोई है?”
मैं जैसे नींद से जागी, “उम्म्म्म कुछ नही बस ऐसे ही.” श्रेया के भी बाल बिखरे हुए थे कपड़े अस्त-व्यस्त थे. ड्रॉयिंग रूम मे भी वही स्मेल फैली हुए थी, अब मैं पक्के तौर पर कह सकती थी कि श्रेया अभी अभी उस लड़के से चुदा कर निपटी थी. “ऋतू तू बैठ मैं 2 मिनिट मे नहा कर आती हूँ.” इतना कह कर वो बाथरूम मे अपना पाप धोने चली गयी.
तभी मैने देखा कि सामने वाली तबील के नीचे कुछ पड़ा हुआ है, झुक कर उठाया तो वो क रब्बर का लंड था, जो अभी भी गीला था चूत का रस उस पर सूखा नही था. पर मेरा गला ज़रूर सुख गया था, हाथ काँप रहे थे और मैने काँपते हाथो से उसको नाक के पास लेजाकार सूँघा, वा क्या स्ट्रॉंग सुगंध थी श्रेया की चूत की, तो क्या मेरे मैन गेट खोलने की आवाज़ से ही उनका खेल बीच मे बंद हो गया था. आप यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
मैने वो लंड वापिस वही रख दिया, और न्यूज़ पेपर उठा कर उसे पलटने लगी. थोड़ी ही देर मे श्रेया आ गयी और मेरे सामने बैठ गयी. “श्रेया वो लड़का कॉन था जो अभी अभी गया है?” मेरे सवाल पर वो थोड़ा चौंकी फिर नॉर्मल होते हुए बोली, “अरे वो गुड्डू को कल से पढ़ाने आने वाला है, नया ट्यूसन टीचर.”
“ट्यूशन टीचर या तेरी चुदाई का टीचर…..” मैने मन ही मन सोचा.
फिर मैं ज़्यादा देर वहाँ नही रुकी और वापिस आ गयी, मुझे ये बात अच्छी नही लगी लेकिन मन ही मन उस लड़के के बारे मे लगातार सोचे जा रही थी. उसका मुस्कुराता हुआ चेहरा कसा गतिला बदन मेरी आँखन के सामने था.
रात को जब मेरे पति मेरी चुदाई कर रहे थे तो मेरे मन मे यही विचार था कि मुझे मेरे पति नही प्रमोद मेरी चुदाई कर रहा है और इस मुझे ये बहुत रोमांचित कर गया. मैं ज़ोर ज़ोर से अपनी गांड उछाल कर चुदा रही थी.
लेकिन जब वो पल गुजर गया तो मन ग्लानि से भर गया………..
दूसरी सुबह मैं अपने पति से नज़रें नही मिला पा रही थी, मुझे लग रहा था कि जिस रास्ते पर मैं निकल पड़ी हूँ वो सही रास्ता नही है, ये मैं ग़लत करने जा रही हूँ. फिर एक पल के लिए लगता कि इसमे क्या ग़लत है.
मैं इन्ही ख़यालों मे खोई हुए थी कि दरवाज़े की घंटी बज उठी.
“अरे जरीना तू, आज मेरी याद कैस आ गयी तुझे.” मैने दरवाज़ा खोल कर उसको अंदर आने का इशारा करते हुए कहा
“एक काम है तुझसे इस लिए यहाँ आई हूँ, नही तो तू मेरे घर वालो को जानती ही है हमेशा मुझ पर नज़रें गड़ाए रहते है. जैसे कि मैं जाकर किसी भी मर्द के नीचे लेटने वाली हूँ.” जरीना ने सोफे पर बैठते हुए कहा.
जरीना की आँखे एक दम लाल हो रही थी और वो कुछ घबराई हुए लग रही थी. मैने उससे जब बहुत ज़ोर देकर पूछा तब वो बताने को तैयार हुई वो भी वही देख कर आई थी, प्रमोद और श्रेया की चुदाई उसने बोलना शुरू किया, “ऋतू वो श्रेया सोफे पर ही उससे चुदा रही थी, जब तू आई तो गेट की आवाज़ से दोनो ने एक मिनिट मे ही कपड़े पहन लिए और वो प्लास्टिक का लंड टॅबिल के नीचे फेंक दिया.”
मैने मन ही मन डरते हुए पूछा, “ तो क्या वो दो दो लंड डाल कर चुदा रही थी.”
“अरे नही वो तो उसकी गांड मार रहा था और रब्बर का लंड तो श्रेया खुद चूत मे डाल रही थी.” कहते हुए जरीना शर्मा गयी | अब मुझे अपनी बेवकूफी याद आई उस रब्बर के लंड को उठा कर मैने अपनी नाक के पास करके स्मेल जो किया था. उस लड़के के जाते ही मैं भी वहाँ से निकल गयी, लेकिन मुझे श्रेया ने देख लिया था.” कह कर जरीना चुप हो गयी | तभी फिर से दरवाज़े की घंटी बज उठी और श्रेया दरवाज़े पर अपने बड़े बड़े मम्मे और चौड़ी गांड लेकर खड़ी थी, अब मुझे उसकी गांड बड़ी होने का मतलब समझ मे आया.  वो अंदर आई तो जरीना को देख कर झेंप गयी पर नॉर्मल होते हुए वो बात करने लगी. “श्रेया तुझे ऐसा करते हुए शरम नही आती?” जरीना के अचानक इस सवाल से हम दोनो ही हिल गये “कैसी शरम ये जिंदगी एक बार ही मिलती है और इसका पूरा मज़ा लेना चाहिए.” श्रेया ने अपने आप को संभालते हुए कहा “हाँ श्रेया बिल्कुल सही कह रही है.” कहते हुए करीना आंटी ने दरवाज़े पर कदम रखा और हम तीनो ने बात बदल दी. उसी शाम को मुझे श्रेया का फोन आया वो मुझे उसके घर आने की ज़िद कर रही थी. पहले तो मैने मना किया लेकिन कही कुछ जानने की इक्षा ने मुझे हाँ करने पर मजबूर कर दिया और मैने उसको 4 बजे आउन्गि कह कर फोन रख दिया. ठीक शाम को चार बजे मैं उसके दरवाज़े पर थी, या मुझे कुछ ज़्यादा ही जल्दी थी उसके घर जाने की. “आजा अंदर आ.” कह कर श्रेया ने दरवाज़ा बंद कर दिया और वो भी मेरे पास आकर सोफे पर बैठ गयी
“बता क्यों बुलाया है.” मैने पूछा “ऋतू क्या तू भी मुझे ग़लत समझती है, मैने कुछ भी ग़लत नही किया.” कह कर वो चुप हो गयी और सिर झुका लिया “ठीक है जो तुझे सही लगा तूने किया, मुझे तेरी पर्सनल लाइफ से कुछ लेना देना नही.” कह कर मैं खामोश हो गयी | वो रोने लगी और मुझे भी श्रेया पर तरस आ गया, मैं उसके कंधे पर हाथ फेरते हुए उसे चुप करने लगी तो वो मेरे गले लग गयी, मैं उसको आँखें बंद किए चुप करा रही थी और उसका रोना भी बंद हो गया था. उसके हाथ मेरी पीठ पर फिसल रहे थे और उसकी गरम सासें मुझे गर्देन पर महसूस हो रही थी, मैं भी उसको अपने सीने से लिपटाने लगी. श्रेया अब बिल्कुल शांत थी और वो मेरी पीठ पर ब्लाउस के पीछे बहुत ही धीरे धीरे गोल गोल घूमाते हुए हाथ फेर रही थी, मेरे सारे बदन मे कंपकपि दौड़ गयी और मेरी सिसकी निकल गयी और मैने उसको ज़ोर से लिपटा लिया. श्रेया ये जान चुकी थी कि अब मैं पूरी तरह से उसके बस मे हूँ और उसे नही रोक पाउन्गि, श्रेया मेरी गर्दन पर चूमने लगी और पता ही नही चला कि कब हमारे होठ मिल गये, मेरी जीभ श्रेया के मुँह मे थी और वो बहुत धीरे से मेरी जीभ को दाँतों से दबाते हुए चूम रही थी. ऐसा 5 मिनिट तक चला. फिर श्रेया ने अपने हाथ मेरे कसे हुए मम्मो पर रख दिए…………. मुझे ऐसा लगा किसी ने मुझे हिला कर रख दिया हो और मैं उस नशे से बाहर आ गयी और श्रेया को खुद से अलग किया और अपना पर्स उठा कर दरवाज़ा खोला और बाहर निकल गयी. मैने वापिस मूड कर भी नही देखा. मेरी चूत की चिपचिपाहट मैं अपनी रगड़ खाती हुए झंघों पर महसूस कर रही थी, जितना तेज चलने की कोशिश करती पैर उतना ही धीरे उठ रहे थे. घर आने का 5 मिनिट का रास्ते 5 घंटे की तरह गया, आकर सीधा बाथरूम मे गयी और सारे कपड़े निकाल कर ठंडे पानी का नल शुरू करके उसके नीचे बैठ गयी…
नहा कर बाथरूम से निकली ही थी कि मेरे पति आ गये और उसके बाद घर के काम मे लग गयी, रात भर जो मेरे और श्रेया के बीच मे हुआ वो सोच कर मैने पहली बार अपने पति के बगल मे लेट कर अपनी चूत को सहलाया और मुझे बहुत मज़ा आया. मैं इस मज़े और ग्लानि के भंवर मे फस्ति चली जा रही थी.

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The Author

गुरु मस्तराम

दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त मस्ताराम, मस्ताराम.नेट के सभी पाठकों को स्वागत करता हूँ . दोस्तो वैसे आप सब मेरे बारे में अच्छी तरह से जानते ही हैं मुझे सेक्सी कहानियाँ लिखना और पढ़ना बहुत पसंद है अगर आपको मेरी कहानियाँ पसंद आ रही है तो तो अपने बहुमूल्य विचार देना ना भूलें



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