मैं १२ अप्रैल २०१४ को किसी काम से मेरी ससुराल गया हुआ था साम के 5 बजे के समय मैं मेरी कार से जा रहा था जहा रोड में एक मीडियम साइज़ [ना तो ज्यादा मोटी और ना ही ज्यादा दुबली] की औरत को जाते हुए देखा उसकी चाल को देखकर ऐसा लगा जैसे मैं इसे जानता हु , मुझे मेरी इंदु याद आ गई कुछ दूर तक कार से पीछे चलते चलते पूरा विश्वास हो गया की ये तो इंदु ही है तब मैं कार को उसके पास ले गया और आवाज दिया ” हेल्लो इंदु ” तो ओ मेरी तरफ पलट कर देखी और बिना कुछ जबाब दिए आगे को बढ़ गई मैं फिर कार से आवाज दिया ” ओ इंदु सुनो तो सही ” तब ओ फिर से मेरी तरफ घूर कर देखी और बोली ” किसे आवाज दे रहे है ” तो मैंने कार के अंदर से ही बोला ” तुम इंदु हो ना ” तो ओ बोली ” नहीं मैं शालिनी हु ” तब मैंने कार को थोड़ा आगे बढ़ाया और एक किनारे कार को खड़ी किया और उसके पास जाकर पूछा ” आप तउरेज खान की बेटी शालिनी हो ना ” तो ओ बोली ”हां” तब मैंने उसे कहा ”मुझे नहीं पहचाना क्या ” तो ओ दिमाग पर जोर डाली और ना में सिर हिलाया तब मैंने उसे बोला ” ध्यान से देखो मेरी तरफ” तो ओ फिर से मेरी तरफ घूर कर देखी और मुस्कुरा कर बोली ” आप तो सर जी है न ” तब मैंने बोला ”हाँ पहचान लिया ” तब मैंने इंदु को अपनी कार में बड़े आग्रह के साथ अपने बगल वाली सीट पर बिठाया और कुछ दूर जाने के बाद कार को एक छायादार पेड़ के नीचे खड़ी कर दिया और कार के अंदर बैठे बैठे ही बाते करने लगा इंदु का चेहरा बहुत कुछ बदला हुआ है ,आँखों के नीचे काली काली-काली झाइयाँ है फिर भी 40 की उम्र में भी खूबसूरत लग रही है, इंदु आगे होकर बोली ” आप यहाँ कैसे ? आपको 20 साल बाद देखी इस लिए पहचान नही पाई आपतो पहले से भी ज्यादा खूबसूरत लग रहे है ” तो मैंने उसे बताया ”मेरी ससुराल है यहाँ ” तो उसने पूछा ”कहा पर” तो मैंने उसे बताया तो बोली किसके यहाँ तब मैंने मेरी ससुराल वालो का नाम लिया तो बोली ” सच में ओ आपकी ससुराल है ” तो मैंने बोला ”हां” तब ओ फिर पलट कर बोलती है ”आपकी ससुराल वाले तो बहुत बड़े आदमी है बहुत धनी है ओ लोग ” फिर शालिनी ने मेरे बाया हाथ की कलाई के ऊपर देखा और हाथ को चुम लिया और बोली ” ये क्या पहले तो सिर्फ ”आ” लिखा था ये ”यशा” कब लिख लिया और ये अभी तक नहीं मिटा ” तो मैंने शालिनी से कहा की ” ये मेरी चिता जलने के बाद ही मिटेगा ” तो शालिनी मेरे मुह पर हाथ रख दिया और बोली ” चिता जले आपके दुश्मनो की ” फिर शालिनी ने पूछा ”आपने ये मेरा पूरा नाम कब लिख लिया ” तो मैंने शालिनी को बोला की ” तुम्हारी जुदाई में पूरा नाम लिखा लिया ” फिर मैंने इंदु से उसके सौहर – बच्चो के बारे पूछा तो इंदु ने बताया ” पहले वाले शौहर से कोई ओलाद नहीं हुई तो उससे तलाक हो गया और दूसरे शौहर से एक लड़का और दो लडकिया है ” मैंने पूछा ”क्या करते है आपके सोहर” तो इंदु ने बताया ” ओ कबाड़ी की दूकान चलाते है ” तब मैंने तपाक से बोला ” आपको भी कबाड़ में बदल दिया ” तो इंदु मेरी तरफ घूर कर देखी और बोली ”आप ठीक कहते है सर अब मैं आपको कबाड़ ही नजर आउगी ” इंदु की बाते सुनकर मुझे अपनी गलती का अहसास हुआ और मैंने इंदु का हाथ पकड़ कर बोला ” क्षमा करो मेरी जान गलती हो गई ” और इतना कहकर इंदु का हाथ ‘चुम’ लिया तो इंदु अपना हाथ छुड़ाते हुए बोली ” अरे क्या कर रहे है आप ये पब्लिक प्लेस है किसी ने देख लिया तो गजब हो जाएगा ” तब मैंने इंदु को बताया की ” काला कांच लगा हुआ है कोई नहीं देख सकता हम दोनों को” और इतना कहने के बाद इंदु को अपनी तरफ खीच लिया और इंदु की चुचियो को दबाते हुए होठो को किस कर लिया ,इंदु ने कोई बिरोध नहीं किया और अपनी सीट से झुक कर मेरे सीने से चिपकी रही, शालिनी की चुचिया खूब टाइट लगती है जैसे चुशियो को किसी ने कई सालो से किसी ने दवाया ही नहीं | इंदु की आर्थिक स्थित, उसे देखकर लगता है बहुत खराब है, साधारण सी चप्पल, सस्ता सा सलवार कुर्ती पहन रखी थी जिसमे कुर्ती में कई जगह पर हाथ से सिलाई की हुई , बाते करते करते मैंने इंदु की कुर्ती के गले के पास से हाथ डालकर इंदु की चुचियो को दबाया , शालिनी की चुचिया मस्त गोलाई लिए हुए बिना लटके, खूब टाइट लग रही थी इंदु ने कोई बिरोध नहीं किया और मुझे किस करने लगी, मैंने शालिनी से बोला ”इंदु तुम तो आज भी बहुत मस्त लगती हो ,तो शालिनी ने पूछ लिया ” कैसे मस्त लगती हु ” तो मैंने शालिनी की चूची की तरफ इसारा किया और बोला ” ये आज भी खूब टाइट है ” तो शालिनी बोली ” हां है तो पर किस काम की ” तो मैंने पूछा ” मतलब क्या है ” तो शालिनी कुछ नहीं बोली और उदास हो गई मैंने बहुत पूछा पर शालिनी इस बारे में कुछ नहीं बताया, हम दोनों कार में 25 मिनट तक बाते किये ,शालिनी बारे पूछा , शालिनी ने मेरे बीबी बच्चो के बारे में पूछा , फिर इंदु का पता पूछा तो इंदु ने पता तो बता दिया जब मैंने बोला चलो छोड़ दू तो इंदु ने मना कर दिया और बोली ”मैं चली जाउगी ” तब मैंने इंदु से उसका मोबाइल नंबर मांगा तो बोली ”मेरे पास मोबाइल नहीं है ” तो मैंने बोला पति का ही दे दो तो बोली ”नहीं उनके नंबर पर बात नहीं करना आप, कही उन्हें पता चल गया तो ‘तलाक तलाक तलाक’ बोलेगे और मैं रोड पर आ जाउगी और अब तो कोई नहीं पूछेगा इस उम्र में ” तब मैंने इंदु से बोला फिर मैंने ”कैसे मिलूँगा कैसे बात करुगा” तो इंदु बोली ”क्या जरुरत है बात करने की ” तब मैंने बोला ” नहीं मेरी जान इतने दिन बाद मिली हो अब मैं तुमसे फिर से बात किया करुगा तुमसे मिला करुगा ” तब इंदु बोली ” मेरे पडोस में एक हिन्दू सहेली है उसका नंबर देती हु उस पर बात कर लिया करना ” और फिर इंदु ने नंबर दे दिया मुझे अपने पडोसी का मैंने भी मेरा कार्ड इंदु को दे दिया ,फिर बोला इसे सम्हाल कर रखना और जब इंदु कार से उतरने को तैयार हुई तो मैंने मेरी पर्स में से 1000 – 1000 की 21 नोट निकाला और इंदु के हाथ में रख दिया तो ओ मेरी तरफ आस्चर्य भरी निगाह से देखी और बोली ” ओ अल्ला ,इतने रुपये क्या करुँगी ” तब मैंने बोला ”रख लो अपने लिए अच्छे अच्छे कपडे ले लेना और अपने लिए एक मोबाइल खरीद लेना है ” तब इंदु मेरी तरफ बड़े प्यार से देखी और मुझे किस किया और कार से उतर कर चली गई और मैं भारी मन से अपनी ससुराल आ गया पर मेरा मन बार बार शालिनी के साथ बिताये हुए पल को याद करने लगे पर बार बार कोई न कोई डिस्टर्ब कर देता पर जब साम को सोने लगा तो शालिनी के साथ बिताये एक एक पल की सुनहरी यादो में खो गया और कब नींद लग गई पता ही नहीं चला पर शालिनी के एक एक बाते स्वप्न में सिनेमा की तरह दिमाग में चलने लगा | शालिनी खान स्कूल के समय ऐसी ही लगती थी ये सच कहानी है उन दिनों की है जब मैं एक छोटे से कस्बे जो UP के बार्डर में है वहा की हायर सेकण्ड्री स्कूल में पहली बार लेक्चरर के पद पर नियुक्त हुआ उस समय मैं 27 – 28 साल का हट्टा कट्टा ,खूबसूरत नौजबांन था मुझे स्कूल में क्लास 10Th का क्लास टीचर बनाया प्रिंसपल साहब ने | 10Th क्लास में तो कई लडकिया थी पर उसमे थी शालिनी खान [शालिनी की पढ़ाई लेट चालु हुई इस लिए शालिनी की उम्र 10 Th में 18 साल की हो गई थी] जो बहुत ही सुन्दर और सेक्सी थी पढ़ने में भी अच्छी थी इसलिए मैंने उसे क्लास मॉनिटर बना दिया इस कारण ओ मेरे से ज्यादा घुल मिल गई , पर मैं उसके बारे में ज्यादा कुछ नहीं जानता था एक दिन मैं अपनी रॉयल इनफील्ड बुलट मोटर साइकल से कस्बे के बाजार में निकला तो एक जूते -चप्पल की दूकान में शालिनी बैठी हुई मिली,मुझे भी एक स्लीपर लेना था सो मैं शालिनी की दूकान के सामने बाइक रोक कर रुक गया , शालिनी ने जैसे ही मुझे देखा उठकर खड़ी हो गई और बोली ”क्या चाहिए गुरु जी ” तो मैंने उससे बोला ”आपकी दूकान है” तो ओ बोली ”हां पर गुरु जी आप मुझे आप क्यों कहते है” मैं तो आपकी स्टूडेंट हु ” तो मैंने बोला आप स्कूल में स्टूडेंट है यहाँ नहीं तो ओ मुस्कुराई और एक टूटी से चेयर दिया और बोली ”आप बैठ जाए ” तो मैं बैठ गया चेयर में और शालिनी से कहा की ”मुझे एक स्लीपर चाहिए ” तो शालिनी ने लखानी की एक स्लीपर दिखाया पसंद आ गई तो ओ स्लीपर मैंने रख लिया और शालिनी को 20 – 20 के दो नोट दिए [लखानी के स्लीपर उस समय 25 रुपये में मिलती थी] तो शालिनी ने रुपये वापस कर दिए और बोली ” आप तो ले जाइए गुरु जी ” तो मैंने कहा की ”नहीं ऐसे कैसे बिना दाम चुकाए ले जाऊ ” तो पलट कर शालिनी ने जबाब दिया ”आप तो मेरे गुरु जी है आपसे क्या दाम लू ” और इतना कह कर रुपये मेरे जेब में डाल दिया , रुपये डालते समय शालिनी जैसे मेरी तरफ झुकी शालिनी की चूची [बूब्स ,स्तन] मुझे दिखाई दे गई और शालिनी के बाल मेरे कंधे पर गिर गए , और शालिनी के वदन से एक मादक खुसबू निकली जो मुझे मदहोस कर दिया मैं शालिनी की चूची ही देख रहा था | आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | की इतने में शालिनी खड़ी हो गई और मेरी नजरो को समझ गई की मैं क्या देख रहा हु , तो शालिनी सर्म के मारे अपना दुपट्टा सम्हालते हुए अपनी मस्त मस्त चुचियो को ढक लिया और दूकान में बैठ गई , तो मैंने फिर से जेब में से 40 रुपये निकाले और शालिनी के हाथ को पकड़ा और रख दिया और उठकर चलने,लगा तो शालिनी बोली ”गुरु जी 15 रुपये तो लेते जाइए ” तो मैंने धीमी सी अबाज में कहा की ” आप अपने लिए कुछ खरीद लेना और उसे पहनना तो रोज मेरी याद आएगी” [उस समय पर ब्रा 15 रुपये में मिलती थी और शालिनी अभी तक ब्रा नहीं पहनती थी] शालिनी समझ गई मेरा इसारा तो हलकी सी मुस्कान बिखेर दिया अपने सुन्दर से गुलाब की पंखुड़ियों के तरह होठो पर और मैं उसके दूकान से चला आया और अगले दिन जब शालिनी स्कूल आई तो उसे बोला ये हाजिरी का रजिस्टर रख आओ ऑफिस में तो शालिनी मेरे पास उस समय उसके स्कूल ड्रेस के नीचे ब्रा दिखाई दिया मैं समझ गया की शालिनी ने मेरी बात मान लिया,मैं रोज क्लास में दो पीरियड लेता एक अंग्रेजी और दुसरा गणित का शालिनी बड़े लगन के साथ पढ़ती और किसी न किसी बहाने मेरे से बातें करती इस तरह स्कूल में मुझे करीब 7 माह हो गए फरवरी में स्कूल का वार्षिक उत्सव आया उसमे सभी ने अपने अपने पसंद के भाषण , गीत प्रस्तुत किया , मैं हारमोनियम बहुत अच्छा बजाता था प्रिंसपल साहब मेरे गाँव के पास के थे इस लिए ओ जानते थे की मैं बहुत बढ़िया गाता भी हु तो प्रिंसपल् साहब ने आग्रह किया की मैं कोई गाना सुनाऊ तो मैं स्टेज पर चढ़ कर एक फिल्म का गाना ” कभी कभी मेरे दिल में ख्याला आता है की जैसे तुझको बनाया गया है मेरे लिए ” को पूरा गाया तो सभी स्टाफ और लदको/लड़कियों ने खूब ताली बजाया और सभी ने खूब तारीफ़ किया उसी दिन जब साम को स्कूल का फंकसन ख़त्म हुआ और मैं साम को 7 बजे मैं मेरी बुलट से अपने गाँव आने लगा तो स्कूल से कुछ दूरी पर शालिनी अँधेरे में खड़ी दिखी और मुझे रुकने का इसारा किया तो मैं रुका और बोला ”क्या है शालिनी यहाँ क्यों खड़ी हो अँधेरे में ” तो बोली ” बस सर ऐसे ही ” तब मैंने बोला ”सही सही बताओ क्या काम है यहाँ अँधेरे में” तो शालिनी बोली ”सर एक बात पुछू ” तो मैंने कहा की ”पूछो ना ” तो शालिनी बोली ” गाना किसके लिए गाया ” तो मैंने तपाक से बोला ”आपके लिए” तो शालिनी खुस होकर बोली ”सच्ची मुच्ची मेरे लिए गाया ” तो मैंने शालिनी का बाया हाथ पकड़ा और बोला ”कसम से आपको याद करके ओ गाना गाया अच्छा लगा आपको मेरा गाना ” तो शालिनी बोली ” आप भी अच्छे लगे और आपका गाना भी अच्छा लगा ” और इतना कहकर एक गुलाब का फूल दिया [दाए हाथ को पीछे छिपा रखी थी गुलाब का फूल ] और बोली ”आप बहुत अच्छा गाते है सर” तो मैंने उसे सुक्रिया कहा और बोला ”जाओ यहाँ से अँधेरे में मत खड़ी रहो” तो शालिनी मेरी तरफ देखते हुए वहा से चली गई मैं अपने गाँव आ गया [मेरा गाँव स्कूल से 15 KM दूर है इस लिए रोज अप डाउन करता था] पर रास्ते भर और फिर रात भर शालिनी का खूबसूरत और मासूम चेहरा आँखों के सामने घूमता रहा और अब जब भी स्कूल आता तो शालिनी आती तो तिरक्षी नजर से मेरे तरफ बड़े प्यार से देखती फिर अप्रैल -मई में एक्जाम हुई 10 Th बोर्ड की मैंने शालिनी को खुब नक़ल करवाया तो शालिनी के 89% रिजल्ट बना और शालिनी 11Th में आ गई मुझे भी 11Th के क्लास का क्लास टीचर बना दिया मैंने शालिनी को फिर से 11Th का मॉनीटर बना दिया अब शालिनी खूब घुल मिल गई | जुलाई में खूब बरसात होने लगी मैं गीला हो जाता रेनकोट के बाद भी तो एक दिन पापा को बोला की बरसात के लिए वही रूम लेकर रहु क्या तो पापा ने मना नहीं किया तो मैंने शालिनी के घर के सामने दो रूम किराए से लेकर रहने लगा जब ये बात शालिनी को पता चली तो बहुत खुस हुई | शालिनी के अब्बु जान की उम्र 50 साल के आसपास होगी बालो में मेहदी लगाये रहते है ,पर शालिनी की अम्मीजान बमुश्किल 30 साल के आसपास होगी हलकी से सावली पर मस्त जवान थी,उस कस्बे में नल की कोई ब्यवस्था नहीं थी उस समय पर एक कुआ था जहा से सभी पानी भरते और वही पर नहाने भी जाते थे मैं भी वही जाने लगा ,मैं जब भी नहाने जाता शालिनी भी पानी लेने के बहाने जाती [शालिनी की सौतेली माँ सभी करवाती थी] और मुझे पानी भर कर दे देती नहाने के लिए यह क्रम रोज चलने लगा शालिनी पानी भरने के बहाने बहुत से बाते करती ,एक दिन शालिनी से पूछ लिया की आपकी अम्मी जान की उम्र कम है पापा से तो शालिनी ने बताया की उसकी अम्मीजान और अब्बा में तलाक हो गया ये दुसरी अम्मी है मेरी तो मैंने पूछा की क्यों हुआ तलाक तो शालिनी ने बताया की मेरी अम्मी जान की और अब्बा की नहीं पटती थी तो मैंने पूछा की इस मम्मी से पटती है क्या तो शालिनी बोली ज्यादा नहीं पटती है पर ये अम्मी बहुत गरीब घर से है …
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