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प्रीती की चूत की सील तोड़ी

हाय.. मस्तराम डॉट नेट पर यह मेरी पहली कहानी है और उम्मीद है कि आप सभी को पसंद आएगी।
मैं प्रीति जिला देवास (मध्य प्रदेश) में रहती हूँ। मैं अपने प्रेमी की और से यह कहानी लिख रही हूँ. मेरे प्रेमी का नाम राज है (परिवर्तित नाम) और उसकी उम्र 25 साल है।

यह मेरी सच्ची घटना है कोई मनघड़न्त कहानी नहीं है। बात उस समय की है.. जब मैं जब मैंने कॉलेज छोड़ कर अपना खुद का बिजनेस चालू किया था.. मैं अपने ऑफिस में बैठ कर रोजाना अपना कामकाज किया करता था।

मेरे ऑफिस के सामने ही एक दुकान थी और उसमें एक खूबसूरत लड़की काम किया करती थी.. उसका नाम प्रीति था।
मार्केट के पूरे लड़के उसके चक्कर काटते थे और मैं सिर्फ अपने काम पर ध्यान देता था। आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है

एक दिन काम करने का मूड नहीं था मेरा.. तो मैंने उस लड़की की तरफ देखा। मैंने उसे पहली बार ही देखा तो मेरे होश ही उड़ गए.. क्या क़यामत लग रही थी। उसके गोल संतरों जैसे बोबे.. पतली कमर.. उम्र 20 साल थी।
ऐसा लगता था जैसे कि बनाने वाले ने उसे फुरसत में बनाया हो। मैं कभी उस पर ध्यान नहीं देता था.. पर अब वो जब भी अपनी शॉप पर आती.. तो मेरी तरफ कुर्सी रखकर बैठ जाती और मुझे देखा करती थी।

दोपहर की बात है.. मैं उसके शॉप की तरफ देख रहा.. अचानक शॉप पर उसकी मम्मी दोपहर को झाड़ू लगा रही थीं और उन्हें नहाने व कपड़े धोने के लिए जाना था.. क्योंकि शॉप के ऊपर ही उसका मकान था।
इसलिए उसे अपनी लड़की प्रीति को आवाज लगाई और उसे बैठने की बोल कर उसकी मम्मी ऊपर नहाने चली गई।

जैसे ही मैंने प्रीति को देखा तो मेरा लंड खड़ा हो गया.. वो उस दिन सफेद सलवार सूट में थी। उसके खुले बाल.. और मस्त उठी हुई चूचियों को देख कर मेरा लण्ड खड़ा हो गया।
उसके हाथ में पेप्सी की बोतल थी.. वो मेरी तरफ घूमकर पेप्सी पी रही थी और मैं उसे एकटक देख रहा था।

अचानक मुझे एक झटका लगा.. मैंने देखा कि वो पेप्सी की बोतल हाथ में लेकर मुझे पिलाने का इशारा कर रही थी.. मैंने उस समय मना कर दिया.. पर बाद में मैंने सोचा कि पटाने का इससे अच्छा मौका अब नहीं मिलेगा।

मैं 5 मिनट बाद उसके पास गया.. उसकी नजरें मेरी तरफ ही थीं.. वो मुझे अपनी तरफ आते देख कर मुस्कुरा दी।
मैंने उससे कहा- पिलाने वाले पूछा नहीं करते.. बल्कि लाकर पिला दिया करते हैं।
वो हँसी और बोली- पहले आप बैठ जाइए, मैं आपके लिए अभी पेप्सी लाती हूँ।

उसने मुझे कुर्सी दी और मैं बैठ गया फिर उसने फ्रीज से पेप्सी निकाली और मुझे देकर मेरे सामने बैठ कर मुस्कुराने लगी।
मेरी नजर उसके बोबों पर थी.. शायद उसे भी इस बात का अंदाजा लग गया था। आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है
उसने मुझसे पूछा- क्या देख रहे हो?
मैंने कहा- कुछ नहीं..
उसने मुस्कुरा कर अपनी नज़रें नीचे झुका लीं..

फिर मैंने थोड़ी देर बाद उससे पूछा- आप कौन सी क्लास में पढ़ती हो?
तब प्रीति ने कहा- अभी 12 वीं क्लास में हूँ..
मैंने पूछा- आपकी जन्मतिथि क्या है?
प्रीति ने मेरी तरफ देख कर बोला- किसी लड़की की जन्मतिथि नहीं पूछी जाती।
मैंने कहा- क्या आप मुझे अपना फ्रेंड नहीं मानती हो?
तो उसने बोला- नहीं ऐसी बात नहीं है..

फिर मैंने प्रीति से जोर देते हुए कहा- अगर आप मुझे अपना फ्रेंड मानती हो.. तो मुझे अपनी जन्मतिथि बता दीजिए।
उसने कहा- ठीक है।
उसने अपनी जन्मतिथि बताई इत्तेफाक से दूसरे दिन उसका जन्म दिन था और मुझे उसका नंबर मांगने का मौका मिल गया।
मैंने उससे कहा- आपका मोबाइल नंबर क्या है?
तब प्रीति ने बोला- आपको मेरा नंबर क्यों चाहिए?
मैंने कहा- क्योंकि अब आप मुझे अपना फ्रेंड मानती हो और कल आपका बर्थडे है तो आपको विश करना है..
उसने कहा- ठीक है..

उसने अपना नंबर मुझे दे दिया।
मैंने प्रीति से पूछा- मैं आपको कितने बजे तक आप को फोन लगा सकता हूँ.. क्योंकि उसका बर्थडे रात को 12 बजे शुरू हो जाना था.. तब प्रीति ने बोला- जब आपका दिल करे.. आप मुझे फोन लगा सकते हो।
मैंने प्रीति से कहा- क्या तुम अकेली सोती हो?
प्रीति ने कहा- हाँ.. मैं मेरे कमरे में अकेली ही सोती हूँ और कोई नहीं रहता..
फिर मैंने कहा- ठीक है.. मैं चलता हूँ।
प्रीति ने मुझे बोला- ठीक है बाय..

अब मैं रात होने का इंतजार करने लगा, जैसे-तैसे दिन कटा और रात हो गई, जब बारह बज चुके.. तो मैंने प्रीति को फोन लगाया और जैसे कि वो मेरे फोन आने का ही इंतजार कर रही हो.. उसने एक रिंग में ही फोन उठा लिया।
पहले तो मैंने उसे जन्मदिन की मुबारकबाद दी और उसने मुझे थैंक्स कहा।

अब मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि और मैं क्या बात करूँ.. तो थोड़ी देर मैं चुप रहा।
तब प्रीति ने कहा- आप चुप क्यों हो?
मैंने हिम्मत करके कहा- आप मुझे बहुत अच्छी लगती हो।
तो उसने कहा- और..
मैंने कहा- आइ लव यू..
तो उसने बोला- मुझे सुनाई नहीं दिया..
मैंने फिर कहा- आइ लव यू..
वो ख़ुशी से हँसने लगी और बोली- सेम टू यू..

मेरी तो लाइफ बन गई दोस्तो.. उस दिन से मैं उसे रोज फोन लगाने लगा और हमने करीबन 20-25 दिन तक खूब बातें की।
अब हम दोनों आपस में काफी खुल चुके थे। मैं उससे सेक्स की बातें भी करने लगा था। उससे बातें करके मेरा लंड खड़ा हो जाता था.. मेरा मन प्रीति को चोदने का होने लगा। आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है

फिर एक दिन मैंने उससे कहा- चलो कहीं घूमने चलते हैं..
वो राजी हो गई.. मैंने कमरे का इंतजाम पहले से ही अपने दोस्त के कमरे में कर रखा था। मेरा दोस्त सुबह ऑफिस चला जाता था और रात को आता था।
वो दो दिन के लिए गाँव जाने वाला था.. मैंने उससे कमरे की चाभी ले ली और प्रीति को कहा- आज चलो..
तो वो बोली- ठीक है.. मैं तैयार होकर तुम्हें बस स्टेंड पर 3 बजे दोपहर को मिलूँगी।

मैं भी कपड़े पहन कर कार की चाभी उठाई और बस स्टेंड पर प्रीति से मिला, उसे मैंने कार में बैठने को कहा और वो बैठ गई।
फिर हम लोग वहाँ से चल दिए और आगे जाकर एक रेस्टोरेंट में हमने खाना खाया.. फिर मैं उसे अपने दोस्त के फ्लैट पर ले गया।
मैंने उसे बाहर वाले कमरे में बिठाया और बोला- मैं अभी आता हूँ।

मैं पीछे कमरे में गया और बिस्तर को बढ़िया सजाकर पूरे बिस्तर के ऊपर गुलाब के फूल की पत्तियों बिखेर दीं।
फिर मैं प्रीति के पास गया और उसकी आँखों में पट्टी बांधी.. वो बोली- ये क्या कर रहे हो?
मैंने कहा- जल्दी क्या है.. अभी पता चल जाएगा..

हालांकि उसे पता तो था कि आज उसकी कुँवारी चूत सुहागन हो जाएगी।
मैं उसे पट्टी बांधकर पीछे के कमरे में ले गया और बिस्तर पर बिठा दिया।
उसने पूछा- इतनी खुशबू क्यों आ रही है?
तो मैंने उसकी आँखों से पट्टी हटा दी.. वो सजा हुआ बिस्तर देख कर हैरान हो गई। हो भी क्यों ना.. मैंने बिस्तर को गुलाब की पत्तियों से सजाया जो था।
वो मेरी तरफ प्यार भरी नजरों से देख रही थी.. और मैं भी..
फिर मैंने उसके देखते ही देखते उसके होंठों पर चुम्बन कर दिया और फिर हाथों को चूम लिया।

फिर उसके गले में चुम्बन करने लगा और फिर उसे अपनी बाँहों में भरकर उसे बिस्तर पर लेटा दिया और उसे होंठों को बुरी तरह चूमने लगा।
अब मैंने उसके बोबों को दबाना चालू किया और उसने मेरा लंड पकड़ लिया.. जो कि उसे चोदने को लिए बेताब था।
मैंने उसके एक-एक कपड़ो को उतारना चालू किया। पहले मैंने उसके सलवार सूट को उतारा.. उसने अन्दर सफेद ब्रा और लाल पैन्टी पहन रखी थी। क्या सेक्सी लग रही थी..

फिर मैंने उसके कसे हुए चूचों को ब्रा से आजाद कर दिया और उसके संतरे जैसे चूचे का रसपान करने लगा। उसकी हालत कामातुर जैसी होती जा रही थी.. और उसके मुँह से ‘आहह्ह… आह्ह.. आह्ह.. अह..’ की आवाज से पूरा कमरा गूंजने लगा।

अब प्रीति ने मेरे पूरे कपड़े अपने हाथों से निकाल दिए और मुझे एकदम नंगा कर दिया। वो मेरे लंड को देख कर हैरान रह गई.. शायद उसने पहली बार लंड को इतने करीब से देखा था।
उसने मुझे बिस्तर पर लेटा दिया और अपने हाथों में मेरा लंड पकड़ कर देखने लगी, बोली- आज तुम अपने इस बड़े लंड से मेरी कुँवारी चूत पर कहर बरसा दो..

इतना कहकर वो मेरी बड़े मोटे लंड को अपने मुँह में लेकर पागलों की तरह चूसने लगी। मैं तो जैसे स्वर्ग में पहुँच गया। उसके कोमल होंठ मेरे लंड को इस तरह चूस रहे थे मानो कि प्यासे को रेगिस्तान में पानी मिल गया हो।

अब मुझसे रहा नहीं गया और मैंने उसे बिस्तर पर नीचे लिटाकर उसकी अंडरवियर उतार दी और उसकी चूत में उंगली डाल दी.. फिर तेज-तेज अन्दर-बाहर करने लगा।
प्रीति को भी बहुत मजा आ रहा था और उसके मुँह से ‘आह्ह.. आह्ह… सी.. सी…ह..’ की आवाज आ रही थीं।
उंगली करने के साथ-साथ में उसके बोबों को भी अपने हाथों से दबा रहा था।

तब प्रीति ने कहा- अब और नहीं सहा जाता.. अब देर ना करो और मेरी चूत का उद्घाटन अपने लंड की कैंची से कर दो..
मैं भी किसी लड़की को पहली बार चोद रहा था.. इसलिए मेरा लंड लोहे की रॉड जैसा कड़क और लाल हो गया था।

फिर मैंने अपना लंड उसकी चूत के मुँह पर रखा और एक जोरदार झटका मारा और मेरा पूरा लंड उसकी चूत में उसकी बच्चेदानी तक उतार दिया।

वो बहुत जोर से चिल्लाई और उसकी आँखों से आँसू टपकने लगे। उसकी चूत से जो खून निकल रहा था.. उससे बिस्तर पर सजी गुलाब की पंखुड़ियाँ और भी लाल हो गईं.. पर मैं रुका नहीं और लगातार उसकी चूत पर वार पर वार करता गया। मैं उसे तेजी से चोदता जा रहा था और वो दर्द से कराह रही थी।

फिर थोड़ी देर बाद उसका दर्द कम हुआ और वो मेरा साथ देने लगी और अपने चूतड़ उठा-उठा कर चुदवाने लगी। उसने मुझे जोर से अपनी बाँहों में कस रखा था और मेरे लंड के जोरदार झटकों से उसके मुँह से चीखें निकल रही थीं।
‘अह.. अह.. उई.. उई.. चोदो.. और चोदो.. आज फाड़ दो मेरी चूत को.. मारो धक्के.. और मारो..’

करीबन दस मिनट धकापेल चोदने के बाद मैं झड़ गया.. जबकि वो इस दौरान दो बार झड़ चुकी थी।
मैंने अपना सारा पानी उसकी चूत में छोड़ दिया और उसके ऊपर उसी अवस्था में लेट गया।

मैंने उसकी आँखों में देखा.. उसकी आँखों में मेरे लिए जो प्यार था.. जो अहसास था.. जो अपनापन था.. वो उसकी आँखों से साफ-साफ दिखाई दे रहा था।

उसने मुझसे कहा- आपने आप मेरी सील तोड़कर जो अहसान किया.. मैं उस अहसान को कभी नहीं भुलूँगी। जब भी आप बोलोगे.. मैं आपके लिए हाजिर रहूँगी.. आज से मैं आप की गुलामी कबूल करती हूँ।
उसके बाद हम दोनों फिर से सेक्स के लिए तैयार हो गए और अलग-अलग तरीके से सेक्स करने लगे।

उस दिन मैंने उसे 5 बार चोदा और फिर मैंने उसे चुम्बन करके उसे अपने घर छोड़ दिया।
उसके बाद मैंने उसे 3 बार और चोदा।

आपको मेरी कहानी कैसी लगी.. मुझे जरूर बताना।

मैं आप सभी लड़के-लड़कियों के मेल का इंतजार कर रहा हूँ और रोज अपनी ईमेल ID चैक कर रहा हूँ.. मुझे इंतजार है आप के मेल का.. अगली कहानी के लिए इंतजार करें.. मैं फिर लौटूंगा.. एक स्टोरी के साथ..
आपका राज। [email protected]

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