हाय, मेरा नाम अंजलि अरोड़ा है.. अभी मेरी उम्र 32 साल है.. मेरा रंग एकदम गोरा है, मेरी चूत भी एकदम दूध सी सफेद है, मेरा फिगर 36-30-38 है। मैं एक शाद-शुदा महिला हूँ.. अब आगरा में रहती हूँ।
मेरे पति देश के बाहर जॉब करते हैं.. दो बच्चे हैं जो हॉस्टल में पढ़ते हैं। घर में मैं और मेरी सास रहती हैं।
मैंने इस वेबसाइट पर अपनी दो कहानियाँ लिखी थीं.. जिनके ऊपर बहुत से दोस्तों ने मुझे अपने ईमेल लिखे.. इससे मुझे बहुत अच्छा महसूस हुआ। मैं आप सभी का धन्यवाद करती हूँ कि आप सबने मेरी कहानी को पसन्द किया।
अब मेरा मन है कि मैं मस्तराम डॉट नेट पर अपनी सारी कहानियाँ लिख डालूँ.. अपने सारे अनुभवों को आप सभी से शेयर करूँ।
तो अब चलते हैं मेरी अगली कहानी पर.. जो मेरी शादी से पहले की है..
यह बात मेरी शादी से पहले की है.. तब मेरी उम्र लगभग 22 साल की थी और ‘माल’ तो मैं उस वक्त भी थी.. और चुदाई की हवस मुझमें कुछ ज़्यादा ही थी तो हुआ यूँ कि मेरे कॉलेज के बहुत से लड़के मुझ पर लाइन तो मारते ही थे..
कम मैं भी नहीं थी.. लड़कों को टीज़ करती ही रहती थी.. गाण्ड मटका कर या छोटे कपड़े पहन कर लड़कों को अपने हुस्न के जलवे दिखा-दिखा कर उनके लौड़े खड़े करती रहती थी।
कॉलेज में जब वार्षिक उत्सव था तो मुझे रानी का रोल मिला था जिसकी मैंने खूब तैयारी की थी।
जब वार्षिक उत्सव का दिन आया.. तो जहाँ कार्यक्रम होना था वहाँ स्टेज के थोड़ा पीछे कुछ टेंट लगे थे.. जहाँ हम सबके लिए रेडी होने के लिए मेकअप, ड्रेस वगैरह रखे हुए थे। सब कुछ सभी में ग्रुप बना कर बाँट दिया गया था।
वार्षिक उत्सव शाम 6 बजे से शुरू हो गया था। मेरा रोल स्टेज पर बाद में था और मुझे 4 रोल प्ले करने थे.. जिनमें से दो रोल मैं कर चुकी थी और अब दो अंत में होने थे।
हमारे ग्रुप में हम 6 लोग थे.. दो लड़के और चार लड़कियाँ.. हम सभी पीछे टेंट में थे..। हमारे ग्रुप में से सिर्फ मेरे दो रोल बचे थे। साथ ही एक हमारी मैडम थीं.. जो सब संभाल रही थीं जैसे मेकअप.. ड्रेस.. आदि..
जैसे-जैसे सबका प्ले होता जाता तो वे सब अपनी दूसरी ड्रेस में बाहर चले जाते और कार्यक्रम के मजे लेते।
मुझ बेचारी को अब भी दो रोल के लिए इंतज़ार करना पड़ रहा था।
खैर.. मैं आराम से बैठी थी। थोड़ी देर में इधर-उधर घूमने सी लगी।
सभी टेंट लगभग खाली ही पड़े थे.. बस आखिरी के एक-दो में ही कुछ लड़कियाँ बची थीं और कुछ लड़के भी थे। मैं अपने टेंट की तरफ जाने लगी और अचानक पता नहीं कैसे लाइट डिसकनेक्ट हो गई और पता नहीं कहाँ से कुछ लड़के आए और मुझे पकड़ कर चूमने लगे और मेरे मम्मों को बहुत बुरी तरह दबाने लगे।
मेरी आवाज तक नहीं निकलने दी.. क्योंकि मेरा मुँह बंद कर रखा था।
लड़कों अपने मुँह से मुझे चूमने लगे और मेरे जिस्म पर हर तरफ हाथ लगाने लगे.. और कुछ ही पलों में एकदम से वे सब चले गए।
मैं तो खड़ी की खड़ी रह गई और टेंट में भागती हुई पहुँच गई.. तभी लाइट आ गई.. मैंने जल्दी से शीशे में देखा और घबरा गई। उन्होंने मेरी सारी ड्रेस खराब कर दी थी.. मेरी लिपस्टिक फैली हुई लगने लगी.. मेकअप वगैरह सब खराब हो गया। मैंने मम्मे देखे तो लाल हो चुके थे। मैंने फटाफट से सब सही किया.. चेहरा धोकर मेकअप आदि सब कुछ खुद कर लिया.. सब कुछ फिट करके मैं बैठ गई और सोचने लगी कि कौन थे वो सब..
इतने में मेरा नाम बुलाया गया.. मैं स्टेज पर गई.. प्ले किया और वापस टेंट में आ गई। अब एक रोल और बचा था.. फिर इतने में टेंट में एक लड़का आया और बोला- बधाई.. आपका प्ले बहुत अच्छा था..
मैं बोली- थैंक यू..
तो बोला- आपको मैं याद हूँ?
मैं बोली- नहीं तो.. क्यों?
बोला- मैं वही लड़का हूँ.. जिसको आपने मुझे कॉलेज से निकलवाया था..
इतने में तीन और लड़के आ गए।
अब मुझे सब याद आ गया..
यह पुरानी बात है.. जब मैं कॉलेज में बिल्कुल नई थी.. तब मैंने इन्हें निकलवाया था। यह एक अन्य घटना है.. इसके बारे में फिर कभी और बताऊँगी.. कुछ ख़ास नहीं है.. लेकिन अब बात बढ़ चुकी थी।
मेरे टेंट में चारों लड़के आए और अब मैं समझ गई कि ये सब हरकत इन्हीं की थी।
इतने में मेरा फिर से नाम बोला गया.. मैं सबको हटा कर भागी और प्ले करने पहुँच गई।
पूरे टाइम मेरा दिल धड़कता रहा।
खैर.. जैसे-तैसे रोल पूरा किया और अब मैं फिर से टेंट में नहीं गई.. डर के मारे मेरी हालत खराब होने लगी और बहुत तेज़ यूरिन आने लगी।
खैर.. मैं कॉलेज में अन्दर टॉयलेट करने गई.. जैसे ही मैं बाहर आई.. तो वे चारों सामने खड़े थे। मेरी अब हालत खराब हो गई.. मेरे पसीने छूटने लगे।
मैं बोली- अगर हाथ भी लगाया.. तो इस बार वो हाल कराऊँगी कि भूल नहीं पाओगे।
तब एक लड़का मेरी तरफ बड़ा और कमर पकड़ कर बोला- तू क्या सोचती है हमें पता नहीं है कि तूने कितने लौड़े खाए हैं.. साली रांड.. आज तेरी चूत गाण्ड सब फाड़ देंगे..
वो मुझे कस कर चूमने लगा.. और उसने मुझे उठाया.. कॉलेज के पीछे के गेट से लाकर एक गाड़ी में फेंक दिया.. और सारे चल पड़े।
गाड़ी में मुझे ले जाकर.. किसी एक घर पर रोकी और मुझे दो-तीन चांटे भी मारे.. फिर गाड़ी से उठा कर घर में लेकर आ गए और मुझे सोफे पर फेंक दिया।
मैं सोचने लगी कि आज ये सारे साले चोद कर ही मानेंगे.. क्या करूँ.. क्यों किया था.. मैंने इनके साथ ऐसा..
फिर एक लड़का दारू उठा कर लाया और टेबल पर कुछ स्नेक्स सजाए और मुझे ऑफर करते हुए बोला- देख लैला.. चुदना तो तेरा पक्का है ही.. शराफ़त से चूत मरवा कर मजा ले.. और दे.. हम कुछ नहीं कह रहे किसी से भी..।
मैं बोली- देखो मैंने आज तक सेक्स नहीं किया..
तो चारों हँसे और एक बोला- अरे तुझसे बड़ी कॉलेज की रंडी है कौन.. ये बता? प्रोफेसर तक से तो तूने चुदवाया है और न जाने कितने लड़कों से भी चुद चुकी है.. यार थोड़ा मजा तो हमें भी दे अपनी इस रसीली चूत का.. और आ जा.. बैठ दारू पी तू.. रानी आज मौज कर.. आज जैसा मजा तुझे कभी नहीं आएगा.. तुझे जन्नत की सैर करवाएँगे.. चल जल्दी से आ जा..
अब मेरा दिल भी बोला.. साले सच ही बोल रहे थे.. न जाने कितनों का लौड़ा खा चुकी थी मैं.. वैसे भी वार्षिक उत्सव है.. मैंने सोचा ड्रिंक कर.. मौज ले..
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बस मैं उठी और उनके साथ दारू पीने बैठ गई..
मैं पैग पीते-पीते स्नेक्स खाने लगी और सिगरेट पीने लगी। अब सच में मुझे वो चारों अच्छे लगने लगे और मैं नशे में मस्त होती जा रही थी। मैं उठी और मोबाइल में गाना लगा कर एक लड़के के साथ डान्स करने लगी।
अब सब एन्जॉय करने लगे.. इतने में पता नहीं उस लड़के के फोन पर कॉल आई.. तो उस लड़के ने उठाया और किसी लड़की से बात करने लगा।
थोड़ी देर बाद गेट पर खटखट हुई.. और मुझे यकीन नहीं हुआ हमारे कॉलेज की एक टीचर जिनका नाम निशा है.. वो आई थी.. मैं तो उन्हें देख कर शॉक्ड रह गई और वो भी हम दोनों एक-दूसरे को देखने लगे।
वो बोली- क्या बात है अंजलि.. तुम भी यहाँ से ही अपनी बुझवाती हो?
मैं चुप रही.. तो वो बोली- हाँ भाई आख़िर प्यास तो यहीं से सही बुझती है.. 8″-9″ इंच के लौड़े यहीं मिलते हैं।
मैं एकदम से बोली- क्या.. 8”-9”.. इतने बड़े?
तो बोली- ह्म्म्म्म..
अब दारू पीते-पीते डान्स का माहौल सा बन गया। सब नाचने लगे और सब लड़के ने टी-शर्ट उतार दी। हम दोनों की बॉडी पर भी बस ब्रा-पैन्टी ही बची थी। यह कहानी आप मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे हैं !
मैडम ने बहुत ही सेक्सी ब्रा-पैन्टी पहनी थी.. नेट की लाल और काले रंग की थी।
मैंने सफ़ेद ब्रा और पैन्टी पहन रखी थी वैसे मैडम भी कम नहीं थी.. उनके मम्मे और गाण्ड कातिलाना थे।
उनकी गाण्ड तो एकदम सुडौल.. मोटी भारी.. और मम्मे एकदम तने हुए थे.. साली की कमर एकदम बलखाती हुई पतली.. उसकी उम्र भी 38 की थी पर वो किसी छम्मक-छल्लो की तरह सिर्फ 26 साल की ही लगती थी।
दोस्तों मैं इधर कहानी को जरा रोक रही हूँ.. आप भी जरा अपने लौड़े ठीक कर लो.. चूत के लिए कोई मोटी सी मोमबत्ती ले लो.. क्योंकि अब चुदाई का वो माहौल मिलने वाला है कि पानी की सुनामी आ जाएगी।
मुझे अपने ईमेल लिखिएगा.. मैं बस अभी आती हूँ..
कहानी जारी है।