बहु की चुदाई – | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru 100% Free Hindi Sex Stories - Sex Kahaniyan Mon, 19 Mar 2018 11:50:19 +0000 en-US hourly 1 /> //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/wp-content/uploads/2015/10/cropped-mastaram-dot-net-logo-red-32x32.png बहु की चुदाई – | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru 32 32 मेरे ससुर आजकल मुझ रंडी को चोदते है | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/rishto-me-chudai/mere-sasur-aajkal-mujh-randi-ko-chodate-hai.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/rishto-me-chudai/mere-sasur-aajkal-mujh-randi-ko-chodate-hai.html#respond Sun, 28 Jan 2018 12:50:21 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=11809 मेरे ससुर आजकल मुझ रंडी को चोदते है, अपने ही ससुर से मैंने पैसे के लिए चुदवाया क्योकि वो मेरे पति को पैसे नहीं देते और बहार कोठे पर रंडिया चोदने जाते तो मैंने सोचा क्यों ने उनसे चुद्वाकर मै ही उनके पैसे ले लिया करू और मैंने अपने बड़े बड़े चूचो को उनके सामने हिलाहिलाकर उन्हें पटा ही लिया

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हाय गाईज कैसे है आप लोग मुझे पटा है की आप मुझे चोदने के बारे में सोच रहे है जरुर मै कभी आप में से किसी न किसी एक को मौका जरुर दूंगी कभी मेरी चुत को चोदने का. मेरा नाम प्रिंसी शुक्ला है। मै सिंगरवली में रहने वाली हूँ। मैं एक शादी शुदा औरत हूँ। मेरी लव मैरिज हुई थी। मेरी जवानी पर फ़िदा होकर मेरे लवर ने ही मेरे से शादी कर ली। उनका नाम शुशांत है। मेरे हसबैंड दो भाई हैं। उनके बड़े भाई को ससुर जी कुछ ज्यादा ही प्यार करते हैं। मेरे हसबैंड ने जब से मुझसे शादी की थी ससुर जी ने एक फूटी कौड़ी भी नही दी थी वो सारा पैसा जेठ जी को देते थे। सिंगरवली शहर में मेरा तीन मंजिले का मकान है। जिसमे 30 कमरे किराए पर उठे हुए है। उनका सारा पैसा ससुर जी अपने पास रखते है। धीरे धीरे करके सारा पैसा जेठ जी को दे देते हैं। मैं बहोत ही परेशान रहती थी। मेरे हसबैंड भी बहोत परेशान रहा करते थे। वो भी मेरे से शादी करके अपना सुख चैन खो बैठे थे। मैं भी उनका साथ नहीं दे पा रही थी। उनके हाथ मेंरी रसभरी जवानी ही थीं।

रात भर मेरे गुप्तांगों के साथ साथ खेल खेल कर मजा लूट लाट के टाइम पास कर रहे थे। मै ससुर से पैसा निकलवाने का रास्ता ढूंढती रहती थी। मेरे ससुर जी रिटायर्ड थे। 60 साल की उम्र में भी जवान लग रहे थे। उनसे ज्यादा बूढ़े तो मेरे जेठ जी लग रहे थे। मैने मोहल्ले वालो से सुना था कि मेरे ससुर जी बड़ी ठरकी थे। वो मोहल्ले की बहुत सी आंटीयों पर पहले डोरे डालते रहते थे। सेक्स के प्यासे थे। अपने हस्बैंड से मैंने ये सब बात पूँछी तो उन्होंने भी बताया कि आज भी वो हफ्ते में 1 या 2 बार कोठे पर जाते हैं। मैंने सोंचा क्यूँ ना रंडी बनकर मै ही पैसे कमा लू। बुढ़ऊ पर अपनी जवानी का जाल डाल कर फसा लू।

वो मेरे को अक्सर घूरते हुये ही देखते थे। मैं अपनी बड़े बड़े चूचे हिलाकर उनके सामने चलती थी। ससुर जी का मौसम बन जाता था। वो मेरे हॉट सेक्सी बदन को निहारते रहते थे। शायद वो जवानी का रस चखना चाह रहे थे। मैंने अपने हसबैंड से इस बारे में बात की तो पहले मना करने लगे। बड़ी बेइज्जती हो जायेगी बाप के सामने! लेकिन पैसो के बारे में सोच कर उन्होंने भी हाँ में हाँ मिला ही दी। मेरे को भी इसी बहाने नया लंड खाने का मौका भी मिल रहा था। जब भी वो मेरे को देखते तो मैं भी बड़े प्यार से उनकी तरफ देख लेती थी। सुबह सुबह उठकर मै उनके घर में झाड़ू लगाने जाने लगी। ढीली मैक्सी में मेरे लटकते बूब्स को वो करवटे बदल बदल कर देखते रहते थे। लंड के पास का चादर ऊपर उठने लगता था। उनका मौसम बन जाता था लेकिन वो मेरे साथ सेक्स करने से या कुछ कहने से डरते थे। मैं हमेशा पहले उनसे उल्टा सीधा बोलती थी। इसीलिए वो मेरे से बात करने से डरते थे। धीरे धीरे से उनके कमरे में आने जाने से उनका रिएक्शन देखने को मिल रहा था। वो मेरे हसबैंड से अच्छे से बात करने लगे। उनको खर्चे के लिए भी पैसे देने लगे। ताकि हम दोनो खुश रहे। मै उनके कमरे में आया जाया करू। मेरे हसबैंड शुशांत कहने लगे।

शुशांत: क्या बात है शुदा मेरी तरह पिताजी को भी अपनी जवानी के जाल में फसा लिया.
मै: अभी कहां पूरा ममजा आया है। अभी तो उनको चूत का दर्शन कराना बाकी है.
शुशांत: अभी तो तुम्हारे बदन पर फ़िदा होकर पीछे पड़े गए। तो तेरी चिकनी चूत देखकर तो वो अपनी प्रॉपर्टी भी लिख देंगे.

मै: अब देखते जाओ उन्हें मै अपने हुस्न के जाल में कैसे फंसाती हूँ.
इतना कहकर मै ससुर जी को चाय देने चली गयी। मेरी गहरे ब्लाउज में बूब्स के दरार दिख रहे थे। वो गड्ढे को देख देख कर अपने लंड को सहला रहे थे।
ससुर: बहू तू इतनी अच्छी है। मेरे को पहले पाता होता था तो तुम्हे कभी घूर के नहीं देखता.

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मै: कोई बात नहीं बाबू जी मै तो सबको ख़ुश रखना चाहती हूँ
ससुर: अब पता चल रहा है मेरे को की मेरे बेटे ने तुझसे ही शादी क्यों की!
मै: क्यों कर ली??
ससुर: तेरी तरह ही तेरी सास भी खूबसूरत थी। उसका बदन तेरी तरह ही गोरा था
मै: आपको बहोत याद आती है उनकी??
ससुर: हाँ लेकिन याद करने से कुछ होता तो नहीं!

इसी तरह से वो मेरे से कुछ देर रोमांटिक बात करने लगे। मै कुछ देर बाद उनके रूम से चली आयी। दूसरे दिन मेरा घर खाली था। जेठ और जेठानी अपने बच्चो के साथ कहीं बाहर गए हुए थे। घर पर मेरे हसबैंड के अलावा मेरे होने वाले नए हसबैंड ससुर जी थे। जिनके साथ मैं भी सुहागरात मनाना चाहती थी। मेरे ससुर रात में दूध पीकर सोते थे। मैं उनके लिए दूध गर्म करके लेकर गयी हुई थी। उस दिन मेरे हसबैंड ने बियर पीकर सो गए थे। हम दोनों लोग ही जग रहे थे। ससुर ने मेरे से मेरे हसबैंड शुशांत के बारे में पूंछा तो मैंने सब कुछ सच सच बता दिया। वो मेरे मुह से इतना सुनते ही अपने हाथ से दूध को टेबल पर रखते हुए। मेरे हाथों को पकड़ लिया। वो मेरे हाथों को।मरोड़ते हुए अपने हवस को जाहिर कर रहे थे। मेरे को मजा आ रहा था। फिर भी हाथ छुड़ाने का नाटक कर रही थी। वो मेरे को अपनी बिस्तर की तरफ खीच लिए। मै उनकी बाहों में गिर गयी। वो मेरे बालो को सहलाते हुए मेरे साथ जिस्म का संबंध बनाने की बात करने लगें।

ससुर जी: देखो बहू तुम मेरे को आज खुश कर दो उसके बदले में मै तुम्हे सब कुछ दे दूंगा!
मै: ठीक है लेकिंन अपना वादा याद रखना.
इतना सुनते ही वो खुश हो गए।
ससुर: आ जा मेरी प्यारी बहू! बैठ जा मेरी जांघो पर!

उनके चौड़े से जांघ पर मैंने अपनी गांड टिका कर बैठ गयी। ससुर का मोटा लंड मेरी गांड में चुभने लगा। मै ससुर के साथ मजे लूटने लगी। वो मेरे गले पर बिखरे हुए बालो को एक किनारे करके गले को किस करना शुरू किया। बुड्ढा इतना ठरकी होगा मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था। उन्हें लड़कियों को गर्म करने की कला बाखूबी से पता थी। मेरे गले पर किस करके मेरे को गर्म करने की शुरूवात कर दी। वो मेरे गालो को चूमते हुए मेरे सर को ऊपर उठाया। चाँद सा मुखड़ा देख कर उन्होंने चूम लिया। मेरी गुलाबी गुलाब सी पंखुड़ी जैसे होंठो को चूम कर चूसने लगे। वो पागलो की तरह जोर जोर से झपट्टे मार कर मेरी होंठो को चूस चूस कर लाल लाल कर दिया। उस दिन मैंने ससुर का दिया हुआ गिफ्टेड साडी पहना हुआ था। उस हरी साडी में और भी ज्यादा खूबसूरत लगती थी। ससुर मेरी तारीफों पर तारीफ़ किये जा रहे थे। वो मेरे कंधे से साडी को खिसका कर मेरे को ब्लाउज में कर दिए। मेरा बदन बहोत ही गठीला था। ससुर जी ब्लाउज के ऊपर से ही मम्मो को दबाते हुए कहने लगे।

ससुर: बहू तेरे दोनों चुच्चे तो मक्खन से भी ज्यादा सॉफ्ट लग रहे हैं। ज़रा इनके दर्शन करा दो

हम दोनो ने मिलकर ब्लाउज की बटन को खोल दिया। मैं उस दिन अंदर ब्रा नहीं पहनी थी। ब्लाउज के खुलते ही ससुर जी ने मेरे दोनो मम्मो को हाथो में ले लिया। मेरे मम्मो को आने पोते पोतियों जैसे उछाल कर खिलाने लगे। खुद भी बच्चो की तरह उस पर टूट कर पीने लगे। तभी अचानक से मुझे गांड में उनका लंड टाइट होता हुआ महसूस होने लगा। वो उत्तेजित लगने लगे। ससुर जी ने जोर जोर से मेरे निप्पलों को पीकर काटने लगे। मै “……अई…अई….अई……अई.. ..इसस्स्स्स्…….उहह्ह्ह्ह…..ओह्ह्ह्हह्ह….” की आवाज निकालने लगी। ससुर जी खड़े हो गए। वो अपने पैजामे का नाडा खोलने लगे। उन्होंने भी अंदर कुछ नहीं पहना था। उनका पैजामा नीचे गिरते ही अपना लंड हाथ में लेकर हिलाने लगे। देखने में उनका लंड बहोत ही मोटा मालूम पड़ रहा था। हाथो में लेकर देखा तो उनके लंड की लंबाई कुछ ज्यादा ही लग रही थी। उनका लंड तो मेरे हसबैंड से भी ज्यादा टाइट हो गया। मेरे को तो लगा था बुड्ढा का सिकुड़ा लंड ही खाना पडेगा। लेकिन यहाँ तो सब बहोत ही अच्छा था। 30 साल के जवान मर्द की तरह उनका लंड देखकर मेरे को बड़ी ही हैरानी हुई। मै उनके लंड से खेलने लगी। उनका लंड मैंने अपने मुह में रखकर जोर जोर से चूसना शुरू किया। ससुर जी की भी साँसों को मैंने बढ़ा दिया।

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ससुर: तू तो रंडियों से भी अच्छा लंड चूसती है

मैंने उनका लंड कुछ देर तक चूसने के बाद अपने मुह से निकाला। वो मेरी साडी कक पेटीकोट सहित कमर तक उठा दिए। मेरी पैंटी को निकाल कर उन्होंने मेरी चूत का दर्शन कर लिया। मेरी चिकनी चूत अब साफ़ साफ़ नज़र आ रही थी। इतने में वो अपना मुह मेरी चूत पर लगाकर जोर जोर से चाटने लगे। मेरे को चूत चटाने में बहोत मजा आता है। वो जोर जोर से मेरी चूत को चाटकर मेरी सिसकारियां निकलवा रहे थे। वो मेरी चूत के दाने को काट काट कर मजे उड़ा रहे थे। चूत की खाल को वो अपने दांतों से पकड़ कर खीच रहे थे।
दाने के खींचते ही मैं “उ उ उ उ उ……अअअअअ आआआआ… सी सी सी सी….. ऊँ—ऊँ…ऊँ….” की सिसकारियां निकाल देती थी। लगभग 10 मिनट तक उन्होंने मेरी चूत को चाटा। उसके बाद उन्होंने अपना लंड मेरी टांगों को फैलाकर चूत पर रख दिया। मैं टांगो को फैलाये हुए ऊपर की तरफ उठाये हुए थी। ससुर जी अपना लंड मेरी चूत पर अपना लंड रगड़ने लगे। तेजी से कुछ देर लंड रगड़ कर वो मजे ले रहे थे। मेरी चूत लाल लाल हो गयी। कुछ देर बाद उन्होंने अपना लंड मेरी चूत के छेद पर लगाया और जोरदार धक्का मार दिया। वो रिटायर्ड थे। बल आज भी वैसे ही उनके शरीर में कूट कूट के भरा था। एक ही झटके में उन्होंने पूरा लंड मेरी चूत में घुसा दिया। मैं जोर जोर से “ओह्ह माँ….ओह्ह माँ…उ उ उ उ उ……अअअअअ आआआआ….” की चीखें निकाल दी।

ससुर जी: क्यों बहू अब फटी तेरी चूत!
मै(सिसकते हुए): हाँ लेकिन पेलते रहो मेरे को मजा आ रहा है
ससुर जी की रेलगाड़ी और भी ज्यादा तेज हो गयी। वो मेरी चूत को फाड कर बहोत ही खुश हो रहे थे। 60 साल की उम्र में भी वो तेजी से अपनी कमर ऊपर नीचे करके मेरे को चोद रहे थे। मैं भी मजे ले लेकर अपनी गांड ऊपर उठाकर चुदवा रही थी। ससुर की जोरदार चुदाई से बड़ा मजा आ रहा था। जी कर रहा था हर रोज उनका लंड खाकर अपनी चुदाई की तङप को मिटाती। रोज चुदाई के साथ पैसे भी कमा लेती थी। मेंरे को चुदाई करवाके ससुर को खुश करना था। उनकी दोनों गोलियां मेरी गांड पर लग रही थी। जोर जोर से उनका लंड मेरी चूत में अंदर बाहर हो रहा था। मै “आऊ…..आऊ….हमममम अहह्ह्ह्हह…सी सी सी सी..हा हा हा..” की आवाज के साथ अपनी चूत फड़वा रही थी। ससुर ने मेरे को अपने लोहे जैसे सख्त लंड पर बिठाकर चोदने लगे। मै उनके लंड पर उछल कर चुदवा रही थी। उनका लंड सीधा मेरी चूत में घुस रहा था। 7 इंच के लंड को वो जड़ तक घुसाकर मेरी चूत को फाड़ दिए। मेरी चूत को आज करारा लंड मिला था।

ससुर से चुदवा के मेरे को बहोत मजा आ रहा था। ससुर के लंड की रगड़ ने मेरी चूत से पानी निकाल दिया। मैं झड़ गयी। मेरी चूत में पानी आते ही ससुर ने मेरी दुगनी स्पीड से चुदाई करनी शुरू कर दी। मै “हूँउउउ हूँउउउ हूँउउउ ….ऊँ—ऊँ…ऊँ सी सी सी सी… हा हा हा.. ओ हो हो….” की आवाज निकाल रही थी। तभी ससुर जी भी मेरी चूत में स्खलित हो गए। उस दिन हमने खूब मजे ले ले कर रात भर चुदाई की। ससुर जी ने मेरे को तिजोरी की चाभी सौंप दी। उस दिन से आज तक मैंने कई बार उनके लंड को खाया। उन्होंने मेरे को अपने तिजोरी की मालकिन बना कर खूब चुदाई की। आज तक वो मेरे साथ सम्भोग का आनंद लेते हैं। आपको स्टोरी कैसी लगी मेरे को जरुर बताना.

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बाबूजी के मोटे लंड ने मेरी सिस्कार निकाली | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/bahu-ki-chudai/babuji-ke-mote-laude-ne-meri-siskar-nikali.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/bahu-ki-chudai/babuji-ke-mote-laude-ne-meri-siskar-nikali.html#respond Mon, 22 Jan 2018 03:30:43 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=11763 हेल्लो यह कहानी मेरे ससुरजी और मेरे बिच की है मेरे पति के जाते ही मुझे चुदाई की तलब लग गयी अब क्या करूँ कोई रास्ता नहीं दिखा फिर आगे ..

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हेल्लो आप सभी को मेरी तरफ से नए साल की बधाई ये मस्ताराम डॉट नेट पर मेरी पहली कहानी है मेरी कहानी का शीर्षक बाबूजी के मोटे लंड ने मेरी सिस्कार निकाली है अब शायद आप सोच रहे होंगे ये बाबूजी कौन है तो आप ये पूरी कहानी पढ़ कर खुद ही समझ जायेंगे कौन है ये बाबूजी तो चलिए मै मै आपको अपने बारे में बता कर कहानी सुरु करती हूँ | मेरा नाम मधु है, मैं अपने मम्मी बाबूजी की अकेली संतान हूँ, इसलिए बचपन से बहुत लाड़ली रही हूँ । ज़्यादा प्यार भी बच्चों को बिगाड़ देता है और मैं भी कोई अपवाद नहीं हूँ । मम्मी बाबूजी का बेपनाह प्यार और हर बात की आज़ादी का असर यह हुआ कि मैं 10वीं क्लास में ही किसी को अपना दिल दे बैठी । नासमझ, नादान उम्र का वो भी फायदा उठा गया । जिस उम्र में बहुत सी लड़कियों को माहवारी शुरू नहीं होती, उस उम्र में मैंने अपनी वर्जिनिटी तुड़वा लिया था, वो भी उस बेवफा के लिए जो सिर्फ १ बार चोद के मुझे छोड़ गया |

यह कह कर कि तुम्हारे बदन में वो मज़ा नहीं है । मज़ा क्यों नहीं, क्योंकि उसे बड़े बड़े मम्मे और मोटी गांड चाहिए थे, मोटी मोटी जांघें चाहिए थी, मगर मैं तो छोटी सी थी, और पतली भी थी, मेरे पास सब मेरी उम्र और बदन के हिसाब से था, सो मैं जैसी थी, वैसी थी । उसने तो मुझे साफ तौर पे छोड़ दिया, उसके चले जाने के बाद मैं बहुत रोई ।

मगर एक बार जब लंड खा लिया तो फिर चैन कहाँ पड़ता है, 12th में जाते जाते मेरे तीन बॉय फ्रेंड थे और तीनों के तीनों एक नंबर के चोदू… 11वीं 12वीं बड़ी मज़े की कटी, हर हफ्ते में 2-3 बार चुदाई होनी पक्की थी, 2-3 बार अबोर्शन भी करवाना पड़ा ।

चलो किसी को पता नहीं चला । मगर कच्ची उम्र में चूत फड़वाना मुझे पूरी तरह से बिगाड़ गया, मैं सिर्फ डेट के वो 3-4 दिन ही बड़ी मुश्किल से गुजारती थी । फिर बी ए की । मगर मेरी चूत कभी लंड से खाली न रही, सारे कॉलेज में मैं मशहूर थी ।

मुझे पता था, कॉलेज के प्रोफेसर तक मुझपे लाइन मारते थे, कैंटीन बॉय, चौकीदार सब मेरे हुस्न के दीवाने थे । मुझे भी पता था, के ये ज़ालिम मर्द सिर्फ मेरे चूचे, चूतड़, चूत और चेहरे के ही दीवाने हैं, सब के सब सिर्फ मुझे चोदने तक ही मतलब रखते हैं, मेरे दिल से किसी को कोई प्यार नहीं है इसलिए मैं भी हंस बोल कर अपने काम सब से निकलवा लेती थी ।

मगर चुदाई सिर्फ अपने बॉय फ़्रेंड्स से ही करवाती थी । मगर फिर भी मेरी शौहरत बहुत दूर दूर तक फैल गई थी । इसीलिए जब घर वालों ने मेरे रिश्ते की खोज शुरू की तो लोकल रिश्ते 3-4 टूट गए ।

तो घर वालों ने बाहर का लड़का ढूंढा । रिटाइर्ड आर्मी अफसर का लड़का, न्यूयार्क में जॉब करता था, बड़े धूम धाम से शादी हुई, शादी में मेरे तीनों बॉय फ़्रेंड्स भी आए हुये थे । आप यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | दुल्हन का लिबास पहने मैं भी सोच रही थी कि ये कमीने भी सोच रहे होंगे कि साली कैसे सती सावित्री बनी बैठी है और जब हमारी माशूक थी तो कैसे उछल उछल कर चुदवाती थी ।

खैर शादी हुई, सुहागरात भी हुई, जानबूझ कर मैंने बहुत दर्द होने का नाटक किया, बहुत रोई, जैसे मेरा तो रेप ही हो गया हो । घर वाला पूरा खुश कि बड़ी सीलबंद चीज़ मिली ।

शादी के बाद हनीमून पर गए, वहाँ पर भी बस चुदाई ही चुदाई चली, दिन रात जब भी मौका मिलता, अनिकेत ने मुझे खूब पेला मगर कुछ बातें मुझे ठीक नहीं लगी पहली यह कि अनिकेत का लंड छोटा था, सिर्फ 4 या साढ़े 4 इंच का, जबकि शादी से पहले तो मैं 6-7 इंच के लंड ले चुकी थी ।
दूसरी वो बहुत जल्दी झड़ जाता था, मुश्किल 5-7 मिनट ही लगाता था, जबकि मुझे तो यह आदत थी कि जितनी मर्ज़ी देर पेलो ।

और मेरे बॉय फ़्रेंड्स भी आधा आधा घंटा अपने पत्थर जैसे सख्त लंड मेरी चूत में डाले रहते थे । मगर फिर भी मैंने अनिकेत को हौंसला दिया और उसे धीरे धीरे अपना समय बढ़ाने के लिए कहा । वो भी धीरे धीरे टाइम बढ़ाता जा रहा था, अब तो वो भी 10-12 मिनट तक चुदाई करता था ।

मैं इसमें भी खुश थी कि चलो अब तो इसके साथ ही रहना है, अब कोई और पंगा नहीं लेना किसी के साथ, सिर्फ और सिर्फ अपने पति के साथ ही अपनी ज़िंदगी गुज़ारूंगी । मगर मेरी खुशी ज़्यादा दिनों की नहीं थी, अनिकेत को वापिस न्यूयार्क जाना था, 2 महीने की छुट्टी पे आए थे ।
फिर मेरे न्यूयार्क जाने के कागज पत्र तैयार करने में कई दिन बीत गए और फिर एक दिन अनिकेत जहाज़ चढ़ कर न्यूयार्क चले गए, मैं अकेली रह गई । पहले तो बहुत रोई, कितने दिन रोती ही रही ।

घर में मैं और मेरे ससुर सिर्फ दो ही जन थे, अनिकेत की बड़ी बहन भी कुछ दिन बाद वापिस लौट गई थी । इतना बड़ा घर बिल्कुल खाली | मगर मैंने खुद को धीरे धीरे संभाला, अपना ध्यान घर के काम पे लगाया, काम वाली आकर सब काम कर जाती थी, मेरे लिए खाली समय काटना बहुत मुश्किल हो जाता । इस कहानी का शीर्षक बाबूजी के मोटे लंड ने मेरी सिस्कार निकाली है |

मायका भी नजदीक नहीं था, हालांकि फोन पे बात होती रहती थी । पिताजी भी ज़्यादातर अपने रूम में या, अपने दोस्तों के साथ घूमने फिरने में रहते थे । मुझे भी कहा था कि आस पास पड़ोस में सहेलियाँ बना लो, मगर मुझे सहेलियों से जायदा दोस्त पसंद थे, इसलिए किसी के साथ मैं ज़्यादा घुल मिल नहीं सकी ।

सारा दिन घर में बोर होते रहो, टीवी भी कितना देख लोगे । ऐसे ही एक दिन दोपहर को मैं खिड़की के पास खड़ी थी, बाहर देख रही थी, तभी मेरी निगाह पड़ोस वाले घर में गई, मुझे लगा वहाँ कुछ हो रहा है ।

थोड़ा ध्यान से देखा तो थोड़ी देर बाद एक मर्द बिलकुल नंगा खड़ा, ये लंबा मोटा लंड, और तभी एक औरत आई, पड़ोसी की बहू थी, उसने वो लंड पकड़ा और अपने मुंह में लेकर चूसने लगी । 2 मिनट बाद वो शायद बेड पे लेट गए, मुझे नहीं दिख रहे थे, मैं कितनी देर वहीं खड़ी उनका इंतज़ार करती रही कि शायद फिर मुझे दिखे मगर आधा घंटा बीत जाने के बाद भी वो नहीं दिखे ।

मैं वापिस आ कर बेड पे लेट गई, मेरे दिमाग में रह रह कर उस मर्द का वो शानदार लंड घूम रहा था, मेरा दिल कर रहा था कि उठ कर उसके घर जाऊँ, घंटी बजाऊँ, जब वो बाहर आए तो उससे पूछूँ- क्या मैं आपका लंड ले सकती हूँ?

मगर यह तो संभव ही नहीं था । मेरे मन की बेचैनी बढ़ती जा रही थी, मैं उठ कर ड्रेसिंग टेबल के सामने जा बैठी, पहले अपने चेहरे पे पूरा मेकअप किया, उसके बाद साड़ी उतारी । शीशे में खुद को ब्लाउज़ और पेटीकोट में देखा… कितना शानदार फिगर है मेरा, गोल उठे हुये मम्मे, सपाट पेट, मोटे गोल चूतड़, भरी हुई चिकनी जांघें, गोरा रंग, सुंदर चेहरा… हर चीज़ मेरी बहुत सुंदर, फिर भी मैं प्यासी क्यों?

मैंने एक एक करके अपने ब्लाउज़ के हुक खोले और ब्लाउज़ उतार दिया, फिर पेटीकोट की हुक खोल कर उसे भी गिरा दिया ।

गोरे बदन पर पिंक ब्रा पेंटी कितनी जंच रही थी । कितनी सेक्सी हूँ मैं… मैंने सोचा । फिर मैंने अपना ब्रा और पेंटी भी उतार दिया, गोरा चिकना सुडौल बदन… किसी मर्द का लंड अकड़ जाए इसे देख कर, फिर मेरे पास लंड क्यों नहीं, मैं लंड के लिए भूखी क्यों हूँ ।

क्या इस खूबसूरत बदन के साथ मुझे किसी चीज़ की कमी है, नहीं । मगर दूसरे ही पल मन में ख्याल आया कि नहीं, सिर्फ अपना पति और कोई नहीं | यही सोच कर मैं बेड पर लेट गई और अपने हाथ से अपनी चूत सहलाने लगी । कितनी देर तड़पती रही और मसलती रही और आखिर मेरा पानी छूट गया । स्खलित होकर भी मैं कितनी देर बेड पे नंगी ही लेटी रही ।

बाबूजी के मोटे लंड ने मेरी सिस्कार निकाली

उस रात को भी मैंने हाथ से किया मगर हाथ से करने से भी मुझे मज़ा नहीं आ रहा था, स्खलित हो जाती थी, मगर संतुष्ट नहीं हो पाती थी ।

फिर मैंने ऐसे चीज़ें ढूंढनी शुरू की जो लंड तरह अपनी चूत में ले सकती थी जैसे खीरा, मूली, गाजर, बेलन, बैंगन, पेन, डंडा और न जाने क्या क्या ।
लंड की कमी तो पूरी हो गई, मगर जो चूमने चाटने की तमन्ना थी, वो कहाँ से पूरी करती?

दिन ब दिन मेरी प्यास बढ़ती ही जा रही थी । ऐसे में ही एक दिन एक अजीब वाकया हुआ, मैं शाम को पिताजी को चाय देने गई, घर का माहौल शुरू से ही खुला था, तो घर में जीन्स टी शर्ट, पेंट, कैप्री आदि पहनने की कोई दिक्कत नहीं थी ।

मेरे जो जीन्स के साथ टी शर्ट पहनी थी, उसका गला थोड़ा गहरा था । मगर मैं तो अपने ही कमरे में रहती थी, पिताजी मेरे कमरे में आते नहीं थे, सो अगर नंगी भी रहती तो कोई डर नहीं था । मगर जब मैं पिताजी के रूम में गई तो उस वक़्त पिताजी सो रहे थे । मैंने देखा, पाजामे में से उनका तना हुआ लंड ऊपर उठा हुआ था । मैंने अंदाज़ा लगाया, कम से कम 7 या 8 इंच का तो होगा ही और मोटा भी लग रहा था ।

यह विचार मन में आते ही चूत में एक बार खुजली सी हुई, फिर सोचा- हट पागल, ये तो ससुरजी हैं, इनके साथ कैसे?

मैंने चाय रखी तो पिताजी की आँख खुल गई और जब मैं झुकी हुई थी तो उनकी नज़र सीधे मेरी टी शर्ट के गले के अंदर, मेरे मम्मों पर पड़ी ।

सिर्फ 2 सेकंड के लिए गौर से देख कर उन्होंने अपनी निगाह हटा ली, मैं भी वापिस आ गई । जब सेक्स की इच्छा हो तो सपने भी सेक्स की ही आते हैं, उसी रात मुझे सपना आया कि मैं पिताजी का लंड चूस रही हूँ । मेरी नींद खुल गई । मैंने हाथ लगा कर देखा, मेरी चूत पानी से लबालब हो रही थी । आप यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | मैं उठी, अपने सारे कपड़े उतारे, बिल्कुल नंगी होकर मैं पिताजी के कमरे के बाहर जा खड़ी हुई । उनके कमरे का दरवाजा खुला था, मैंने देखा वो अंदर सो रहे थे ।

मैंने दरवाजे के पास से अपना थोड़ा सा सर आगे किया और उनको देख कर अपनी चूत में उंगली करने लगी । मगर जब मेरा जोश बढ़ा तो मैं धीरे धीरे पूरी तरह से उनके दरवाजे के सामने ही जाकर खड़ी हो गई और अपनी चूत में उंगली करने लगी ।

बड़ी मुश्किल से मैंने अपनी आवाज़ को दबा कर रखा और वहीं खड़े खड़े हाथ से करते करते स्खलित हो गई । मेरा बहुत मन था कि पिताजी उठ कर आते और मुझे पकड़ लें, और मैं उनका लंड चूस लूँ, और वो मुझे दबा कर पेलें ।

मगर ऐसे कुछ नहीं हुआ | अगली रात मैं फिर उनके कमरे के सामने थी, आज मेरे पास एक बैंगन था, जिसे मैं पिताजी का लंड समझ कर अपनी चूत में ले रही थी, आज मैं थोड़ी और दिलेर हो गई, आज तो मैं उनके कमरे के अंदर चली गई, नीचे कार्पेट पर लेटी, मैं अपनी चूत में बैंगन फेर रही थी कि तभी अचानक बत्ती जल गई । मैंने चौंक कर सामने देखा, पिताजी बेड पर अधलेटे से लाइट जला कर मेरी तरफ देख रहे थे । मैं तो उठ कर भागी, वो बैंगन भी वहीं छोड़ आई ।

सच में बहुत शर्म आई मुझे, यह मैंने क्या कर दिया? पिताजी क्या सोचेंगे मेरे बारे में?

अगले दिन शर्म के मारे मैं पिताजी के सामने ही नहीं जा पा रही थी । उनकी चाय, नाश्ता मैंने काम वाली के हाथ ही भिजवा दिया । मगर दोपहर खाना तो मुझे ही खिलाना था । इस कहानी का शीर्षक बाबूजी के मोटे लंड ने मेरी सिस्कार निकाली है | जब मैंने उन्हें खाना परोसा तो वो बोले- बेटा, मैंने अनिकेत से बात की है, वो जल्द ही तुम्हें ले जाएगा, तब तक थोड़ा सब्र रखो । उनकी इस छोटी सी बात में ही बहुत कुछ था ।

मगर चूत में लगी आग कहाँ बुझती है, रात को मैं फिर बिलकुल नंगी हो कर ड्राइंग रूम में चली गई और सोफ़े पर बैठी, अपनी चूत में मूली ले रही थी । अब ड्राइंग रूम पिताजी के रूम से थोड़ा दूर था, तो मेरे मुंह से हल्की हल्की आवाज़ें, सिसकारियाँ भी निकल रही थी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ मगर तभी ड्राइंग रूम की लाइट जल उठी, देखा सामने पिताजी खड़े थे- बेटा, ये क्या कर रही हो तुम, क्या इतनी बेबस हो चुकी हो?
मैं तो टूट ही पड़ी, नीचे फर्श पर ही गिर पड़ी, रो दी मैं… फूट फूट कर रोई- मुझसे नहीं होता बाबूजी, मैंने बहुत कोशिश की, मुझसे नहीं होता, मैं मर जाऊँगी । कह कर मैं रो पड़ी ।

पिताजी मेरे पास आए, उन्होंने बड़े प्यार से मेरे बदन पे एक शाल दी, मैं उनके कंधे से लग कर रो रही थी, और वो मुझे सांत्वना दे रहे थे- कोई बात नहीं मेरा बच्चा, कभी कभी हो जाता है जब इंसान अपनी भावनाओं पर काबू नहीं रख पाता, तुम घबराओ मत, मैं हूँ न, सब ठीक हो जाएगा ।

उन्होंने तो मुझे ढांडस बंधवाया, मगर मुझे लगा शायद वो कुछ और समझाना चाहते हैं मुझे | पता नहीं क्या आया मेरे मन में, मैंने पाजामे के ऊपर से उनका लंड पकड़ लिया और बोली- बाबूजी मुझे ये चाहिए । वो तो एकदम से चौंक गए- मधु बेटा, ये क्या किया तुमने ?

मैंने भी उनकी बात पर ध्यान नहीं दिया और काम में अंधी होकर मैंने बाबूजी के पाजामे का नाड़ा खींच दिया, इससे पहले वो संभलते, उनका काला, मोटा और लंबा लंड मेरे सामने था । पाजामे के नीचे उन्होने चड्डी पहनी ही नहीं थी ।

वो बुत बन कर खड़े रहे और मैं फर्श पर ही बैठ गई, उनके लंड को हाथ में पकड़ा और सीधा अपने मुंह में ले लिया- आह, क्या जाना पहचाना स्वाद आया मुंह में | बाबूजी ने पीछे हट कर अपना लंड मेरे मुंह से निकालने की कोशिश की मगर मैंने तो मजबूती से अपने हाथ में पकड़ रखा था । ज़ोर से पकड़ कर ज़ोर से चूसा और देखो कैप्टन साहब का लंड उठ खड़ा हुआ ।

मैंने अपनी शाल उतार फेंकी और ससुरजी को धकेलते हुये सोफ़े पे ले गई, उन्हें सोफ़े पे गिरा के अपना मुंह उनकी गोद में घुसा दिया और उनका लंड चूसने लगी ।

उन्होंने भी मेरे सर को पकड़ लिया, मैंने अब हाथ से उनका लंड छोड़ दिया, सिर्फ मुंह से ही चूस रही थी, अपने दोनों हाथों से मैंने उनकी कमीज़ के सारे बटन खोल दिये, बालों से भरे सीने पर अपने हाथ फिराये, उनके चूचुक अपनी उंगलियों से मसले, उनके मुंह से भी ‘आह… उफ़्फ़… इस्स…’ जैसी बहुत से भावनात्मक आवाज़ें निकली ।

मतलब वो भी पूरे गर्म हो चुके थे, लंड तो वैसे ही तन कर अपना पूरा आकार ले चुका था, कोई 7 इंच का होगा, मोटा मूसल… मैं उठ कर उनकी गोद में बैठ गई, उनका लंड अपनी चूत पे सेट किया और थोड़ा सा अंदर लिया ।

उन्होंने अपनी कमीज़ उतार फेंकी और मुझे उसी हालत में अपनी गोद में उठा लिया- रुक साली मादरचोद, बहुत आग लगी है तेरी चूत में अभी बुझाता हूँ ।

कह कर उन्होंने मुझे नीचे कालीन पर ही लेटा दिया और एक ही धक्के में अपना पूरा लंड मेरी चूत में उतार दिया । ‘आह…’ एक लंबी आह निकली मेरे मुंह से, वो थोड़ा पीछे को हटे और फिर एक और जोरदार धक्के से उन्होंने अपना पूरा लंड फिर से मेरी चूत की आखरी दीवार से टकराया ।
‘कम ऑन बाबूजी, फक मी… फक यूअर डोटर! मैंने भी कहा ।

बाबूजी ने मेरे दोनों बूब्स पकड़े और नींबू की तरह निचोड़ दिये, मेरे मुंह से दर्द से हल्की चीख निकल गई- आह बाबूजी… धीरे, दर्द होता है । वो बोले- अब धीरे नहीं, तूने सोये हुये शेर को जगा दिया है, आज तो तेरी मम्मी न चोद दी, तो कहना | और उसके बाद बाबूजी ने अपनी जवानी का पूरा जोश दिखाया, मैं तो सोच सोच कि हैरान थी कि 60 साल में बाबूजी में इतना जोश, इतनी जान?

कितनी देर वो मुझे नीचे लेटाए चोदते रहे, फिर बोले- चल घोड़ी बन | मैं झट से उठ कर घोड़ी बन गई, फिर उन्होंने मेरे पीछे से मेरी चूत में लंड डाल दिया और लगे पेलने | मैंने कहा- बाबूजी, मज़ा आ गया, इतना मज़ा तो मुझे अनिकेत ने नहीं दिया, आप सच में उसके भी बाबूजी हो ।

वो बोले- अरे तेरी आँख तो मैं पहले ही पहचान गया था, मगर मैंने यह नहीं सोचा था कि तू पके आम की तरह मेरी झोली में गिरेगी । मैं वैसे तेरी मम्मी पर फिदा हूँ, वो भी बहुत सुंदर औरत है, मगर तू तो बहुत ही बेसबरी निकली । आप यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |  एक महीना भी मुश्किल से काट पाई ।

मैंने भी अपनी कमर आगे पीछे हिलाते हुये कहा- बाबूजी, एक महीना नहीं, एक दिन नहीं काट पाई, मैं तो जिस दिन अनिकेत गए थे, उस दिन भी हाथ से किया था, और रोज़ रात को हाथ करती थी । बाबूजी बोले- अब तुझे हाथ से करने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी, अब जब भी ज़रूरत हो मेरे पास आ जाया कर | और वो लगे पेलने…

पेलते पेलते मुझे वैसे ही लेटा दिया और मेरे ऊपर लेट कर पीछे से मेरी चूत मार रहे थे और मेरे दोनों बूब्स अपने हाथों में पकड़ के दबा रहे थे ।
थोड़ी देर बाद मैंने कहा- बाबूजी मेरा होने वाला है, मुझे सीधा होने दो ।

बाबूजी पीछे हटे, मैं सीधी हो कर लेटी और बाबूजी फिर से मेरे ऊपर आ गए, मैंने अपने ससुर को अपने पति की तरह बाहों में भर लिया और अपनी टाँगें उनकी कमर पर लपेट ली, और चिपक गई उनके साथ | वो धाड़ धाड़ मेरे घस्से मार रहे थे, मैं नीचे से उचक रही थी, जब मैं स्खलित हुई तो मैंने बाबूजी के होंठो से अपने होंठ लगा दिये- बाबूजी मेरे बूब्स दबाओ! और ज़ोर से दबाओ… और मेरे होंठ चूस लो, मेरी जीभ खा लो, और ज़ोर से चोदो, आह मारो, और मारो |

कहते कहते मैं झड़ गई और बाबूजी से ऐसे चिपक गई जैसे गोंद लगा कर चिपका दिया हो किसी ने | जब मैं शांत हुई तो आराम से लेट गई, अब बाबूजी की बारी थी, मगर वो तो झड़ने का नाम ही नहीं ले रहे थे । मैंने बाबूजी के सीने पर हाथ फेर कर कहा- बाबूजी आप तो बहुत जवान मर्द हो, आपका तो हो ही नहीं रहा?

वो बोले- अरे बेटा, देसी जड़ी बूटी खाता हूँ, इतनी जल्दी पानी नहीं गिरने दूँगा । मैंने कहा- तो कोई बात नहीं जितनी देर आप कर सकते हो कर लो, मैं सारी रात ये कर सकती हूँ । वो बोले- और मैं सारी रात ये कर सकता हूँ ।

उसके बाद अगले 15 मिनट मेरी और जोरदार चुदाई हुई, और तब जा कर मेरे ससुरजी का माल झड़ा । कोई आधे घंटे से भी ज़्यादा उन्होंने मुझे चोदा… चूत की वो तसल्ली हुई, जिसे मैं कब से ढूंढ रही थी, उनके वीर्य से मेरी चूत भर गई ।

मैं निश्चिंत, संतुष्ट लेटी ऊपर छत को देख रही थी और वैसे लेटी ही सो गई । करीब सुबह चार बजे मुझे लगा फिर से जैसे ससुर जी ने मुझे सीधा किया, और फिर से चोदा मैंने तो आँखें खोल कर भी नहीं देखा । इस बार तो शायद 40-50 मिनट लगा दिये उन्होंने!

फिर मुझे गोद में उठा कर मेरे बेड पर लेटा गए । इस कहानी का शीर्षक बाबूजी के मोटे लंड ने मेरी सिस्कार निकाली है | सुबह जब 9 बजे के भी बाद मैं उठी, मेरे नाइट ड्रेस पहनी हुई थी । मैं उठ कर बाथरूम में गई, नहाते हुये शीशे में देखा, मेरे दोनों बूब्स पर यहाँ वहाँ उँगलियों के दांत काटने के निशान थे । कमर और पेट पर भी!

ससुर जी अपने रूम में थे, काम वाली ने चाय बना दी थी, मैं तैयार हो कर चाय लेकर खुद ससुर जी के कमरे में गई मगर उन्होंने ऐसे दिखाया जैसे कुछ हुआ ही नहीं । अगले महीने अनिकेत वापिस आ रहे हैं, मुझे हमेशा के लिए अपने साथ न्यूयार्क ले जाने!

अब मैं सोच रही हूँ कि जाऊँ या न जाऊँ? अरे सच एक बात और… आई एम प्रेग्नेंट । इसमें कोई शक नहीं कि यह बच्चा बाबूजी की ही है, मगर क्या अनिकेत इसे कबूल करेंगे। अब मुझे आपके जवाब का इन्तेजार है | आप ही मुझे कुछ राय दे की मै क्या करूँ |

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पति से ज्यादा मज़ा मेरे ससुर जी ने लिया | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/bahu-ki-chudai/pati-se-jyada-maza-mere-sasur-ji-ne-liya.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/bahu-ki-chudai/pati-se-jyada-maza-mere-sasur-ji-ne-liya.html#respond Tue, 26 Dec 2017 11:00:47 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=11491 पति से ज्यादा मज़ा मेरे ससुर जी ने लिया क्योकि मेरे पति साल में १ बार ही घर पर आते है और मेरी चुदास अब कैसे मिटेगी कोई तो चाहिए तो मैंने भी अपने ससुर को अपना चुदाई का मोहरा बनाया मेरे ससुर का लौड़ा मेरे पति के लौड़े कही ज्यादा मोटा लम्बा मोटा और तगड़ा है |

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मेरा नाम रुचिका है और मुझे चुदाई में बहुत रूचि है तथा मुझे उससे जुड़ी अच्छी रचनाएँ पढ़ने की बहुत रुचिका भी रहती है। चार वर्ष पहले मेरी शादी पुणे वासी योगेश के साथ हुई थी और मैं अपने पति और ससुरजी के साथ हंसी-ख़ुशी पुणे में ही रहती थी। मेरी सासु माँ स्वर्गवासी हो चुकी है मेरे पति एक बड़ी कंपनी में इंजिनियर है उनका ऑफिस पुणे में है | मेरे ससुर गवर्नमेंट नौकरी करते है |

एक वर्ष के बाद मेरे पति को USA की एक कंपनी में नौकरी मिल गई तब वह तो तुरंत वहाँ चले गए और मुझे USA का वीसा मिलने में छह माह लग गए। उन्हीं छह माह के शुरुआत में ही जो घटना मेरे साथ घटी मैं उसी का विवरण आप से साझा कर रही हूँ । पति को USA गए अभी तीन सप्ताह ही हुए थे की एक दिन जब मैं अपने ससुरजी के साथ बाजार में खरीदारी कर के घर आ रहे थे तब हमारे ऑटो का एक्सीडेंट हो गया और वह पलटी हो गया।

उस एक्सीडेंट में मेरे ससुरजी को तो कुछ खरोंचे ही आई थी लेकिन मुझे बहुत चोटें लगी थी जिसमें मेरे दोनों बाजुओं की हड्डियों में फ्रैक्चर हो गए थे और उन पर आठ सप्ताह के लिए प्लास्टर चढ़ा दिया गया था।

मेरी टांगों और घुटनों पर भी काफी चोंटें आई थी जिस के कारण मेरा उठाना बैठना भी मुश्किल हो गया था और डॉक्टर ने मुझे दो सप्ताह के लिए बिस्तर पर ही लेटे रहने की सलाह दे दी थी। मेरी यह हालत देख कर ससुरजी ने मेरी देख-रेख एवं घर के काम के लिए पूरे दिन के लिए एक कामवाली रख दी।

वह कामवाली सुबह छह बजे आती थी और पूरा दिन मेरा और घर का सभी काम करती तथा रात को नौ बजे डिनर खिला कर अपने घर चली जाती थी। अंगों पर लगी चोट और बाजुओं पर बंधे प्लास्टर के कारण मैं अधिक कपड़े नहीं पहन पाती थी इसलिए मैं दिन-रात सिर्फ गाउन या नाइटी ही पहने रहती थी!

मैं नहा तो सकती नहीं थी इसलिए काम वाली बाई दिन में मेरे पूरे शरीर को गीले तौलिये से पोंछ कर मुझे गाउन या नाइटी पहनाने में मदद कर देती थी। क्योंकि मुझे बाथरूम में जाकर पेशाब आदि करने में कोई परेशानी नहीं हो इसलिए मैं पैंटी भी नहीं पहनती थी।

इस तरह दुःख और तकलीफ में एक सप्ताह ही बीता था की मेरे ऊपर एक और मुसीबत ने आक्रमण कर दिया। उस रात को लगभग ग्यारह बजे जब मैं सो रही थी तब मुझे मेरी जाँघों के बीच में गीलापन महसूस हुआ और मेरी नींद खुल गई।

मेरी परेशानी और भी अधिक बढ़ गई क्योंकि मेरे दोनों बाजुओं में प्लास्टर लगे होने के कारण मैं अपने हाथों से वह गीलापन क्यों और कैसा है इसका पता भी नहीं लगा पा रही थी। वह गीलापन नीचे की ओर बह कर मेरी नाइटी और बिस्तर को भी गीला करने लगा था जिस के कारण मुझे कुछ अधिक असुविधा होने लगी थी।

दो घंटे तक उस गीलेपन पर लेटे रहने के बाद जब मेरे सयम का बाँध टूट गया तब मैंने ससुरजी को आवाज़ लगा कर बुलाया और उन्हें अपनी समस्या बताई। मेरी बात सुन कर ससुरजी ने जब मुझे थोड़ा सा सरका कर बिस्तर के गीलेपन को देखा तो अवाक हो कर मेरी ओर देखने लगे थे।

मेरे पूछने पर उन्होंने बताया की मेरी टांगों, नाइटी और बिस्तर पर गीलापन महसूस होने का कारण मेरी चुत में से खून का रिसाव है। ससुरजी के मुख से मेरी चुत में से खून का रिसाव की बात सुनते ही मेरा माथा ठनका और मैं समझ गई कि मुझे मासिक-धर्म आ गया था और वह गीलापन उसी के कारण था।

लेकिन मेरी दुविधा कम होने के बजाये और भी अधिक बढ़ गई थी क्योंकि मैं यह निर्णय नहीं कर पा रही थी कि मैं अपनी सफाई कैसे करूँ। तभी ससुरजी ने कहा– तुम्हें बाथरूम तक पहुँचाने के लिए मैं तुम्हारी मदद कर देता हूँ और तुम वहाँ जाकर अपने आप को साफ़ कर लो। तब तक मैं तुम्हारे इस बिस्तर की चादर आदि बदल देता हूँ।

ससुरजी की बात सुन कर अकस्मात मेरे मुख से निकल गया- पापाजी, इन बंधे हाथों से मैं अपनी सफाई कैसे कर सकती हूँ?

मेरी बात सुन कर ससुरजी कुछ देर तो चुप रहे लेकिन फिर बोले- तो तुम ही बताओ क्या करें? क्या कल सुबह काम वाली के आने तक ऐसे ही इसी तरह मैले में ही पड़ी रहोगी?

उनकी बात सुन कर कुछ देर तो मैं संकुचाई फिर हिम्मत कर के बोली- पापाजी, रात भर मैले में तो मैं पड़ी नहीं रह सकती इसीलिए तो आप को आवाज़ लगाईं थी। क्यों नहीं आप ही मेरी सफाई करने में मदद कर देते?

मेरी बात सुनते ही उन्होंने उत्तर दिया- नहीं रुचिका, यह मुझसे नहीं हो पायेगा और यह ठीक भी नहीं है। एक ससुर और बहु के बीच में जो पर्दा, मर्यादा और दूरी होती है तुम उसे तोड़ने के लिए कह रही हो। मैंने तुरंत बोला- पापाजी हमारे पास और कोई चारा भी तो नहीं है। मेरे लिए तो आप मेरी सास और ससुर दोनों ही हो इसलिए क्यों नहीं आप मेरा यह काम मेरी सास की तरह फर्ज़ समझ कर निभा दीजिये।

मेरी बात सुन कर ससुरजी पहले तो चुप हो कर खड़े रहे और फिर अपना सिर को नकारात्मक हिलाते हुए मेरे कमरे बाहर चले गए। 10 मिनट तक मैं अपने बिस्तर पर चिंतित पड़ी यही सोच रही थी कि अब आगे क्या करूँ तभी ससुरजी कमरे में लौट कर आये और बोले- रुचिका, मैं तुम्हे मैले में नहीं पड़ा रहने दे सकता, इसलिए तुम्हारी सफाई करने को तैयार हूँ। लेकिन मुझे नहीं मालूम की वह कैसे करते हैं इसलिए तुम्हें मुझे बताना होगा कि मैं क्या और कैसे करूँ…

ससुरजी की बात सुन मेरे शरीर में एक झुरझुरी सी हुई क्योंकि जीवन में पहली बार मेरी मम्मी, पापा और पति के इलावा कोई अन्य इंसान मेरे गुप्तांगों को देखेगा या फिर छुएगा। लेकिन मैंने अपने मन को संयम में रखते हुए उन्हें मुझे बाथरूम में ले जाने में मदद करने के लिए कहा। तब उन्होंने मुझे सहारा देकर उठाया और कमर से पकड़ कर बाथरूम ले गए तथा मेरे कहने पर मुझे पॉट पर बिठा दिया।

पॉट पर बैठने के बाद मैंने उन्हें कहा- अब आप मेरी नाइटी उतरवा कर कमरे में लकड़ी की अलमारी में से मेरी एक पैंटी, एक नाइटी तथा ड्रेसिंग टेबल के दराज़ में से सेनेटरी नैपकिन का पैकेट लेते आइये। मेरे कहे अनुसार उन्होंने मेरी नाइटी को नीचे से पकड़ ऊपर की ओर खींच कर मेरे शरीर से अलग करके धोने वाले कपड़ों में रख कर बाथरूम से बाहर चले गए।

थोड़ी देर में ससुरजी मेरे बिस्तर की चादर बदल कर और मेरी पैंटी, नाइटी और नैपकिन लेकर बाथरूम में आये तब तक मैंने जोर लगा कर अपनी चुत में से खून का सारा रिसाव बाहर निकाल दिया था। ससुरजी के पूछने पर कि आगे क्या करना है तब मैंने उन्हें मेरी चुत को धोने के लिए कहा।

मेरी बात सुन कर पहले तो वे थोड़ा झिझके लेकिन फिर एक मग में पानी ले कर आये और मेरी टाँगे चौड़ी करके मेरी चुत पर पानी डाल कर धोने लगे। तब मैंने उनसे कहा- पापाजी, ऐसे पानी डालने से सफाई नहीं होगी। आप अपने हाथ में पानी ले कर मेरी चुत को मल मल कर धोयेंगे तभी खून साफ़ होगा।

मेरी बात को समझ कर उन्होंने मेरी चुत पर अपने हाथ से पानी का छींटा मार कर उसे हाथ से ही मल कर साफ़ करने लगे। उनका हाथ लगते ही मेरा पूरा शरीर रोमांचित हो उठा और मेरे शरीर के रोयें खड़े होने लगे!

लगभग चार सप्ताह के बाद मेरी चुत पर किसी मर्द का हाथ लगने से उसके अन्दर एक खलबली मच गई और मेरी सोई हुई चुदाई उत्तेजित हो उठी। इतने में ससुरजी ने मेरी चुत पर पानी के पांच-छह छींटे मार कर उसे मल मल कर साफ़ कर दिया और पूछा- रुचिका, लो अब यह तो बिलकुल साफ़ हो गई है! अब और क्या करना है।

तब मैंने उन्हें कह दिया- पापाजी, अभी इसके अन्दर खून भरा हुआ है। आप दो तीन बार अपनी बड़ी उंगली की इसके अंदर डाल कर थोड़ा घुमा दीजिये तो वह खून बाहर आ जायेगा, उसके बाद आप इसे बाहर से एक बार फिर धो दीजियेगा। मेरी बात सुन कर उन्होंने जैसा मैंने कहा था वैसे ही अपनी बड़ी उंगली को कई बार मेरी चुत के अंदर घुमाया और जब उनकी उंगली पर खून लगना बंद हो गया तभी वह रुके।

क्योंकि मैं तो पहले से ही उत्तेजित थी इसलिए ससुरजी द्वारा आठ-दस बार चुत के अन्दर उंगली घुमाने के कारण खून के साथ मेरा चुत रस भी छूट कर बाहर निकल आया था जिसे उन्होंने पानी से धो कर साफ़ कर दिया।

इसके बाद मैं पॉट से उठी और अपनी टाँगे चौड़ी करके खड़े होते हुए ससुर जी से कहा- पापाजी, उस पैकेट में से एक सेनेटरी नैपकिन निकाल कर मेरी पैंटी के अन्दर चिपका दीजिये और फिर वह पैंटी और नाइटी मुझे पहना दीजिये।

ससुरजी ने मेरे कहे अनुसार वह सब करके मुझे पैंटी पहनाने के बाद मुझे नाइटी पहनाई और फिर मुझे कमर से पकड़ कर सहारा देते हुए कमरे में लाकर मुझे बिस्तर पर लिटा दिया।

रात का एक बज चुका था और ससुरजी जब मेरे कमरे की लाईट बंद करके अपने कमरे में सोने के लिए जाने लगे तब मैंने उन्हें कहा– पापाजी, रात में मुझे बाथरूम में जाने एवं पैंटी उतरवाने के लिए आपकी ज़रूरत पड़ सकती है इसलिए आप मेरे कमरे में मेरे साथ वाले बिस्तर पर ही सो जाइए।

ससुरजी मेरी बात सुन कर थोड़ा झिझके लेकिन फिर बोले- अच्छा, मैं अपने कमरे की लाईट बंद करके आता हूँ। लगभग पांच मिनट के बाद वह आ कर मेरे साथ वाले बिस्तर पर मेरी ओर पीठ कर के सो गए।

रात में मुझे दो बार बाथरूम जाना पड़ा जिसके लिए मैंने ससुरजी का सहारा लिया और अपनी वासना की तृप्ति के लिए उनसे हर बार अपनी चुत में उंगली डलवा कर सफाई भी करवाई। क्योंकि मेरी उत्तेजना एवं वासना की तृप्ति हो चुकी थी इस कारण मैं भी निश्चिन्त हो कर नींद की गोद में खो गई और सुबह बहुत देर तक सोई रही।

ससुरजी मेरे कमरे से कब उठे कर गए मुझे पता ही नहीं चला और मेरी नींद तब खुली जब कामवाली मेरे कमरे की सफाई करने के लिए आई थी! मुझे इतनी गहरी नींद आई थी कि मुझे कामवाली के आने का और ससुरजी के काम पर जाने का पता भी नहीं चला था।

दिन तो दो-तीन बार कामवाली बाई के सहारे सामान्य रूप से बीत गया लेकिन रात कैसे बीतेगी, मुझे इसकी चिंता सताने लगी थी। रात को दस बजे जब ससुरजी सोने जाने से पहले मुझे देखने तथा मेरे कमरे की लाईट बंद करने आये तब मुझसे पूछा- रुचिका, मैं सोने जा रहा हूँ। अगर तुम्हे कुछ चाहिए तो बता दो, मैं अभी दे जाता हूँ।

मैंने कहा- पापाजी, सब कुछ तो कामवाली रख गई है। अभी तो मुझे बाथरूम के लिए आपका सहारा चाहिए है। आप रात की तरह यहीं मेरे साथ वाले बिस्तर पर सो जाइए क्योंकि रात को भी तो बाथरूम जाने के लिए मुझे आपकी ज़रुरत पड़ेगी। एक बार तो अभी ही जाना पड़ेगा। मेरी बात सुन कर ससुरजी ने मुझे उठा कर खड़ा किया और मेरी कमर को पकड़ कर सहारा देते हुए मुझे बाथरूम में ले गए।

वहाँ मेरे कहे अनुसार उन्होंने मेरी नाइटी को ऊँचा करके मेरी पैंटी को उतरा और मुझे पॉट पर बिठा दिया। फिर उन्होंने मेरी पैंटी में से सैनिटरी नैपकिन उतार कर डस्ट-बिन में और पैंटी को धोने वाले कपड़ों में डाल दिया।

इसके बाद वह कमरे में जा कर एक साफ़ पैंटी पर नया सैनिटरी नैपकिन चिपका कर ले आये। उनके आने पर मैंने अपनी टाँगें चौड़ी करके उन्हें मेरी चुत की सफाई के लिए संकेत दिया। आप यह हॉट हिंदी सेक्सी कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | मेरे संकेत को समझ कर वह मग में पानी भर कर ले आये और पानी के छींटे मार कर अपने हाथ से मेरी चुत को मल मल कर साफ़ कर दिया।

फिर मेरे बिना कहे ही उन्होंने अपनी बड़ी उंगली मेरी चुत के अन्दर आठ-दस बार डाल कर उसे साफ़ किया और फिर बाहर से उसे धो कर उसमें से निकला खून और चुत रस भी साफ़ कर दिया। इसके बाद उन्होंने मुझे सेंट्री नैपकिन लगी हुई साफ़ वाली पैंटी पहना कर मुझे सहारा देते हुए बिस्तर पर लिटा दिया और कमरे की लाईट बंद खुद भी साथ वाले बिस्तर पर सो गए।

पिछली रात की तरह उस रात को भी मैंने दो बार ससुरजी के सहारे से बाथरूम में जा कर अपनी वासना की तृप्ति के लिए उनसे हर बार अपनी चुत में उंगली डलवा कर सफाई भी करवाई। उस रात भी मुझे बहुत अच्छी नींद आई और मैं सुबह तक एक ही करवट सोती रही तथा कामवाली ने ही मुझे जगाया था।

यही सिलसला अगले तीन दिनों तक यानि की मेरे मासिक धर्म के आखिरी दिन तक चलता रहा और मैं उन सभी दिनों में बहुत ही संतुष्ट एवं खुश रहती थी। पांचवीं रात यानि की मासिक धर्म बंद होने की आखरी रात को जब ससुरजी ने मेरी चुत की सफाई करी और उन्होंने अपनी उंगली पर खून नहीं लगा पाया तब उन्होंने मुझे वह उंगली दिखाते हुए कहा- रुचिका, अब तो तुम्हारा मासिक धर्म बंद हो गया है क्योंकि आज तो तुम्हारी चुत से खून नहीं निकला है।

उनकी बात का उत्तर देते हुए मैंने कहा- हाँ पापाजी, मासिक धर्म को होते हुए आज पांच दिन पूरे होने को है इसलिए बंद तो हो जाना चाहिए, लेकिन फिर भी आज की रात तो सफाई करनी ही पड़ेगी। मेरी बात सुन कर ससुरजी ने अपनी उंगली कई बार मेरी चुत में डाल कर घुमाते रहे जब तक की मेरा रस नहीं निकल गया।

कहानी जारी है … आगे की कहानी पढ़ने के लिए निचे दिए पेज नंबर पर क्लिक करें ….

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ससुर और बहुओ की ग्रुप में चुदाई | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/bahu-ki-chudai/sasur-aur-bahuvo-ki-group-me-chudai.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/bahu-ki-chudai/sasur-aur-bahuvo-ki-group-me-chudai.html#respond Sat, 18 Nov 2017 18:14:32 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=10984 ससुर और बहुओ की ग्रुप में चुदाई की सच्ची कहानी है | मेरी सभी बहुवे बहुत चुदक्कड़ है सबसे छोटी वाली तो लगाती है की कभी चुदी ही नहीं साली इतनी अच्छी चुदाई करती है की मेरा लंड झड़ने के बाद भी खड़ा ही रहता है |

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हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम नितीश है, मैं मेघालय का रहने वाला हूँ। दोस्तों हमारे घर के पड़ोस वाले घर में लालू नाम का जो आदमी रहता था, उसकी दो बहुवें थी। उस घर में उनकी कोई सास नहीं थी, केवल दो लड़के थे और वो लोग एक गाँव के रहने वाले थे और वो दोनों लड़के बहुत ही सीधे साधे थे और वो दोनों बहुवें भी अभी कम उम्र की थी। बड़ी बहू २४ की और छोटी वाली तो सिर्फ १८ साल की ही लगती थी। दोस्तों मुझे वो छोटी वाली बहू अभी कुँवारी ही लगती थी, दोनों साड़ी पहनती और घूँघट में रहती थी, लेकिन जब दोनों लड़के काम पर चले जाते तो वो दोनों सलवार कमीज़ पहन लेती थी और उनकी इस हरकत से मुझे एक शक सा हुआ इसलिए में ताक-झांक करने लगा और एक महीना इस तरह ही निकल गया और में अपने काम में लगा रहा।

एक दिन करीब 11 बजे मैंने उसको अपनी बड़ी बहू को आवाज़ देते हुए सुना तो जल्दी से में उस दीवार से उचककर उनके घर में देखने लगा। फिर मैंने देखा कि वो एक कुर्सी पर बैठा हुआ था, बड़ी बहू उसके पास आ गई और वो उसके बड़े आकार के बूब्स को देखकर बोला, आओ मेरी जान। यह सब देखकर में तुरंत समझ गया कि मेरा शक एकदम सही था और इनके बीच में जरुर कुछ गलत चल रहा है।

फिर वो जब उसके पास आई तो उसके दोनों बूब्स को पकड़कर वो उससे पूछने लगा क्यों छोटी वाली कहाँ है? वो जवाब देकर कहने लगी कि अभी वो कपड़े बदल रही है बाबूजी। दोस्तों उस बूढ़े को अपनी जवान बहू के बूब्स को पकड़ते हुए देखकर में तड़पने लगा और मेरा लंड जोश में आकर झटके देने लगा और में भी इस दिन के इंतज़ार में था बूब्स को पकड़ने के साथ ही बड़ी बहू ने अपनी कमीज़ के बटन खोलकर अपने दोनों बूब्स को पूरा नंगा किया। अब वो बड़े मज़े से उसके दोनों बूब्स को चूसने लगा।

मुझे यह सब साफ नजर आ रहा था और यह द्रश्य मेरे अंदर मस्ती भरने लगा था। तभी वो कहने लगी बाबूजी आप कल की तरह चूसो ना और अपने बूब्स की घुंडी को ससुर के होंठो से लगाकर ज़रा सा झुकी और अब वो बूढ़ा ससुर अपनी जवान बहू के एक बूब्स को मुँह से दबा दबाकर चूसने लगा और दूसरे बूब्स को वो दबाने लगा। फिर कुछ देर बाद बड़ी बहू प्यार से अपने ससुर के गले में हाथ डालकर कहने लगी कि बाबूजी आप बूब्स को चूसते है तो मुझे बड़ा मज़ा आता है और यह बात सुनकर वो जोश में आकर बूब्स को चूसने लगा, कसे कसे जवान बूब्स का मज़ा उस बूढ़े को लेते हुए देखकर में तड़प गया।’

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अब में तुरंत ही समझ गया कि यह दोनों बहुवें जवानी से भरी हुई है और इनको चोदने पर यह मुझे पूरा मज़ा देगी और आज में इतना अच्छा मौका अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहता था, लेकिन में रुका रहा कि थोड़ा और मज़े लेकर मस्त हो जाऊँ। अब वो बार बार चूसो बाबूजी कह रही थी और वो बूढ़ा ससुर अपनी जवान बहू के निप्पल को चूस रहा था, लेकिन अभी छोटी वाली बहु नहीं आई थी। दोस्तों अपने पड़ोस की दोनों बहुओं को उनके बूढ़े ससुर के साथ मज़ा लेते देख में तुरंत समझ गया कि यह दोनों प्यासी है और उनके पति से उनकी प्यास नहीं बुझती। फिर जब मुझसे सहा नहीं गया तो में अपना कैमरा लेकर उनकी तरफ कूद गया और धप की आवाज़ से वो दोनों चौंककर देखने लगे | दोस्तों ये कहानी आप मस्ताराम डॉट नेट पर पड़ रहे है। मुझे देखकर वो दोनों घबरा गये और बड़ी बहू अपने बूब्स को अंदर करने लगी और बूढ़ा मेरे हाथ में केमरा देखकर काँपने लगा। अब मैंने तेज़ ऊँची आवाज़ में कहा कि तुम दोनों की यह सभी हरकते इस कैमरे में आ गयी है, हाँ तुम और पिलाओ अपने जवान बूब्स इस मरियल बूढ़े को। दोस्तों बड़ी बहू तो डर की वजह से थरथर काँप रही थी।

उसने अपने बूब्स को अंदर तो कर लिया था, लेकिन घबराहट की वजह से वो बटन बंद करना भूल गई थी। अब उसके दोनों मस्त, गोरे, गोलमटोल बूब्स को एकदम पास से देखकर मेरा लंड झटके देने लगा था और में उस मौके का फायदा उठाने के लिए उस बूढ़े से बोला, साले कमीने तू अपनी बहुओं को चोदता है, में यह बात सभी को बता दूँगा।

तो वो मेरे सामने गिड़गिड़ाने लगा और कहने लगा, नहीं भगवान के लिए तुम ऐसा मत करना, में अब कभी ऐसा नहीं करूँगा। फिर मेरे सामने अपनी ससुर को गिड़गिड़ाते हुए देख बड़ी बहू भी घबरा गयी, में उससे कहने लगा साले कमीने में बहुत देर से सब देख रहा था तू बुढ़ापे में अपनी बहुओं के साथ मज़ा ले रहा था, जवानी में तूने अपनी बेटी को भी जरुर चोदा होगा, सच बता तूने इनको कितनी बार चोदा? वो कहने लगा एक बार भी नहीं बेटे, अब में ऐसा नहीं करूँगा।

अब में उससे कहने लगा जब तुम बूब्स पीते हो तो इन दोनों को तुम चोदते भी जरुर होंगे? में बड़ी बहु से पूछने लगा, हाँ तुम ही मुझे बताओ तुम क्या चुदाई भी करवाती हो? वो मेरी तरफ देखकर चुप ही रही। अब वो बूढ़ा कहने लगा भगवान कसम बेटा केवल में इनके साथ अपना दिल बहलाता हूँ और उसी समय मैंने उससे पूछा छोटी बहू कहाँ है? वो बोला कि अंदर है।

फिर मैंने उससे कहा कि जाओ उसको मेरे पास लेकर आओ, मेरी बात को सुनकर वो अंदर चला गया, जिसके बाद मैंने बड़ी वाली को अपने पास बुलाया और जब वो मेरे पास आई तो में उसके कूल्हों पर हाथ लगाकर उससे कहने लगा कि तुम दोनों तो अभी जवान हो, तुम दोनों का मज़ा लेना है यह तो मेरी समझ में आता है, लेकिन यह साला बूढ़ा केवल तुम्हारे बूब्स को ही चूसता होगा या यह तुम्हारी चूत को भी चाटता है? मुझे तुम दोनों की इस जवानी पर बहुत तरस आ रहा है, क्योंकि यह तो तुम दोनों को गरम करके तरसाता होगा, बताओ यह कभी तुम्हारी चुदाई भी करता है?

दोस्तों मेरी बात को सुनकर वो कुछ सहम गई और में उसके बूब्स को पकड़कर हल्का सा दबाकर उससे बोला, मुझे लगता है तुम दोनों को इसने बहुत बार चोदा भी है? तभी वो बुड्ढा घबराया सा अपनी छोटी बहू के साथ वापस आ गया। फिर मैंने देखा कि बिल्कुल टाइट सलवार, कमीज़ में छोटी बहू के छोटे छोटे बूब्स को देखकर मेरे लंड ने एक तेज़ झटका दिया और बड़ी वाली के साथ मुझे देखकर वो घबरा गई। अब छोटी बहु को देखकर में एकदम बेचैन हो गया वो बहुत कसा हुआ माल थी वो भी डरी, सहमी थी और फिर बूढ़ा पास आकर मेरे सामने हाथ जोड़कर कहने लगा, बेटा मेरी इज़्ज़त आज तुम्हारे हाथ में है। फिर में दोनों कुँवारी लड़कियों सी बहुओं को देखते हुए उससे बोला कि तुम दोनों का बूब्स को पीते हुए एक फोटो आया है और अब वो सभी मेरे बस में थे। अब में अपने लंड को उन दोनों के सामने पेंट के अंदर से मसलते हुए बोला शायद तुम्हारे दोनों लड़के नामर्द है जो इन बेचारियों को ठीक तरह से चोदकर ठंडा नहीं कर पाते। अब में कहने लगा में एक शर्त पर अपनी ज़ुबान को बंद रख सकता हूँ? वो बोला बेटा मुझे सभी बातें मंज़ूर है।

अब में उससे कहने लगा देखो तुम्हारी बहुवें प्यासी है, इस उम्र में उन्हे पूरी खुराक चाहिए तुम्हारे लड़के तो शायद बेकार है और इस उम्र में हर दिन दो चार बार चुदने पर मज़ा आता है और अगर तुम ऐसा इनके साथ नहीं करोगे तो यह दोनों अपनी प्यास को बुझाने के लिए बाहर किसी लड़के के चक्कर में पड़ जाएगी। तो वो तुरंत बोल पड़ा, हाँ बेटा यही बात सोचकर में इन दोनों को चूमकर चाटकर अपनी उंगली से इनकी चुदाई करता हूँ। अब मैंने उससे कहा कि आज से तुम इन दोनों को चूसकर चाटकर गरम करो और में इन दोनों को अपने लंड से चोदकर ठंडा कर दिया करूँगा, क्योंकि वैसे भी उंगली से तो बुड्ढी औरतो को चोदा जाता है, यह जवान चूत तो लंड खाती है,

यह दोनों जवान है और जब तक लंड डालकर इनको ना चोदा जाए इनको मज़ा नहीं आएगा, बोलो तैयार हो? हाँ बेटा आ जाओ मेरी ड्यूटी रात की है, दिनभर हम दोनों एक एक को मज़ा दिया करेंगे, यह दोनों मेरी बात मानती है। आओ बेटा अभी से हम यह काम शुरू करते है और तुमको भी यह दोनों बहुत मज़ा देंगी, क्योंकि तुम उनके लिए लंड का इंतजाम जो कर रहे हो।

फिर मैंने अपनी पेंट को खोलकर जैसे ही लंड को बाहर किया तो वो मेरा लंड देखकर बोला अरे बेटा तुम्हारा तो बहुत लंबा, मोटा भी है ऐसा तो घोड़े का होता है। फिर मैंने उससे कहा कि तुम इसको अपनी दोनों बहुओं को खिला दोगे तो तुमसे खुश हो जाएगी, यह दोनों सोचेगी कि बाबूजी की वजह से हमे ऐसा लंड मिला है। दोस्तों वो यह बात सुनकर कमरे से बाहर चला गया और में बहुत खुश था कि आज मुझे एक साथ दो जवान गदराई चूत मिल रही है। मेरे साथ तो दोनों ही मस्त हो जाएगी। तभी कुछ देर बाद बूढ़े की आवाज़ आई और अंदर आते ही मैंने देखा कि वो दोनों उसके आसपास खड़ी थी और दोनों का चेहरा लाल था और वो अब मुझसे डर नहीं रही थी, में उनके पास पहुँचा। अब वो मुझसे बोला बेटा यह सभी तुम किसी से मत कहना, जाओ तुम इन दोनों को ले जाओ। में उन दोनों को देखते हुए बोला, देखो अभी तक आपने तो असली मज़ा लिया ही नहीं, कोई बात नहीं आप दूसरे कमरे के अंदर जाओ और जैसे रोज़ मज़ा लेते थे वैसे ही लीजिए और एक को मेरे साथ भेजिए और दूसरी को आप चूसकर चाटकर मज़े लो और अपने लंड को बाहर करके मैंने उम दोनों को दिखाया। फिर में छोटी वाली का हाथ पकड़कर उसको अपनी तरफ करते हुए बोला, आप बड़ी को अपने पास रखिए, में इसको ले जाता हूँ क्योंकि मुझे इसके साथ ज़्यादा मेहनत करनी पड़ेगी और जब में इसकी चुदाई करके बाहर भेज दूँ तब उसके बाद तुम बड़ी को अंदर भेज देना, अभी तो यह ठीक से जवान भी नहीं है।

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अब में छोटी को अपने बदन से लगाकर उसकी गदराई हुई गांड को छूकर मुझे लगा कि में जन्नत में हूँ और उसको अपने से चिपकाकर उसके बूब्स को पकड़ा और उसी समय वो मुझे देखते हुए इशारे से कहने लगी जल्दी चलो। फिर उसके इस इशारे से में खुश हो गया और में पूरी तरह से जान गया कि वो पूरी तरह से गरम है और पहले छोटी को चुदाई के लिए ले जाने की बात से बड़ी वाली का चेहरा उदास हो गया, जिसकी वजह से मुझे उसकी बेकरारी का भी पता चला और छोटी के बूब्स को दबाते ही मेरे लंड में करंट दौड़ गया। उसके निप्पल अनार की तरह खड़े हुए थे और वो एकदम कुंवारी सी लड़की नजर आ रही थी और वो अपने पति, ससुर से मज़ा लेने के बाद भी अभी तक कली से फूल नहीं बनी थी। अब में छोटी वाली के साथ पहली चुदाई के लिए कमरे की तरफ चला, रास्ते में उसके एक बूब्स को पकड़कर दबाते उसको मस्त करने के साथ उससे कहने लगा कि वाह अभी तो तुम एक लड़की लगती हो, बड़ी वाली तो औरत लगती है और मेरे साथ तुम्हे बहुत मज़ा आएगा, क्योंकि मुझे तुम जैसी औरतों के साथ बड़ा मज़ा आता है और उसके बूब्स को दबाते हुए वो गरम हो गयी। दोस्तों ये कहानी आप मस्ताराम डॉट नेट पर पड़ रहे है।

अब उसके इतने शानदार मुलायम बूब्स को पाकर मेरा लंड बेकरार हो गया और में उसके बूब्स को पकड़ते हुए ही समझ गया कि इसकी चूत भी ठीक बूब्स की तरह कसी होगी। अब में तुरंत कुर्सी पर बैठा और उसकी कमर में अपने हाथ को डालकर उसके कूल्हों को अपने लंड की तरफ खींचकर मैंने उसको गोद में ले लिया और दोनों बूब्स को जैसे ही शर्ट के ऊपर से पकड़कर मैंने उसके गाल को चूमा, वो मज़े से भर गई वो अपने कूल्हों को मेरे लंड पर रगड़ते हुए बोली छोड़ो ना, बटन तो खोलने दो। फिर मैंने उससे कहा कि तुम घबराओ मत, तुम्हे पूरा मज़ा मिलेगा, तुम छोटी हो इसलिए में तुम्हे पहले लाया हूँ। में उस नयी जवानी को अपने फफनाते हुए लंड पर बैठाकर उससे पूछने लगा कि अच्छा तुम अब मुझे सच सच यह बताओ कि तुम्हारा बूढ़ा ससुर तुम्हारे साथ क्या, क्या करता था? वो बोली जी केवल हम दोनों को चूमते, चाटते है और बूब्स को चूसते भी है, हमें चूसवाने में बड़ा मज़ा आता है। दोस्तों ये कहानी आप मस्ताराम डॉट नेट पर पड़ रहे है। फिर मैंने उसके अनार से बूब्स को कसकर दबाते हुए अपने लंड को उसकी गांड की दरार में रगड़ते हुए उससे पूछा क्या तुम अपनी चूत भी चटवाती हो? वो मदहोश होकर बोली हाँ कभी कभी। अब में उससे कहने लगा कि तुम यह सब करती हो तो क्या तुम्हारी चूत गरम नहीं होती, क्या तुम्हे चुदाई का मन नहीं करता? वो तुम्हे चोदता भी है या नहीं? वो बोली कि नहीं बाबूजी का तो खड़ा ही नहीं होता।

अब मैंने उससे पूछा तुम्हारा आदमी तो तुम्हारी चुदाई करता होगा? वो कहने लगी कि हाँ कभी कभी, लेकिन उनका बहुत पतला सा है जिसकी वजह से मुझे बिल्कुल भी मज़ा नहीं आता, चलो आप ही मेरे साथ कुछ करो ना, आपका तो तैयार भी है। वो मेरे लंड पर अपने कूल्हों को रगड़ते हुए बड़ी बेताबी के साथ पूरी तरह खुलकर मुझे अपनी चुदाई करने के लिए बोल रही थी। अब में उसको अपनी गोद में बैठाकर जन्नत में पहुँच चुका था और उसके मुलायम कूल्हे मेरे लंड को ग़ज़ब का मज़ा दे रहे थे और एक गरम अहसास मेरे लंड में उतर रहा था और जब पूरी तरह खुलकर उसने मुझे अपने पति के मरियल लंड के बारे में बताया तो में अपने लंड को उभारता हुए मस्ती के साथ दोनों बूब्स को दबाते हुए प्यार से उसको गोद में सहलाते हुए उससे पूछने लगा कि क्या तुम्हारे आदमी का लंड बहुत छोटा है? तब वो तुरंत ही बोल पड़ी कि जी हाँ एकदम छोटे बच्चे जैसा, जिसकी वजह से मुझे मज़ा ही नहीं आता, आप ही कुछ करो ना, देखो आपका तो तनकर खड़ा हो गया और यह लंबा, मोटा भी बहुत है। दोस्तों वो मेरी गोद में ही मेरे लंड पर अपनी गांड को रखकर बूब्स को दबवाती हुई जोश से भर गयी थी, लेकिन मुझे तो अभी इससे ज्यादा मज़ा लेकर अपने लंड की मस्ती को एक बार झाड़कर प्यार से धमाधम तरीके से उसको चोदकर इसकी चूत को पहली चुदाई में इतना मज़ा देना था कि वो हर बार मेरे लंड से मज़ा लेने के लिए बेकरार रहे। दोस्तों उसका ससुर उसकी चूत को बस चाटता था, लेकिन अभी तक मैंने उसकी चूत पर एक बार भी हाथ नहीं लगाया था और जब मैंने उसके बूब्स की तनी हुई निप्पल को पकड़कर थोड़ा ज़ोर से मसला तो उसकी चूत मस्ती में आ गयी और वो अब पूरी तरह से खुलकर बोली आह्ह्ह तुम मेरी बड़ी मस्त है अब इसको चोदो।

दोस्तों में पहले से ही बहुत अच्छी तरह जानता था कि खुलकर चुदाई की बातें करने से चूत कुलबुलाने लगती है और वो छोटी बहू अभी एकदम कुंवारी लड़की सी थी, उसके एकदम मस्त, जवान बूब्स थे और उसके बूब्स मुझे इतना मज़ा दे रहे थे कि मेरा लंड अब झड़ने के करीब था। फिर मैंने उसके बूब्स को मसलते हुए उससे पूछा कि बताओ मेरा मोटा है ना? वो बोली जी हाँ यह बहुत अच्छा है और वो मेरे लंड पर अपनी गांड को दबाकर मेरे लंड की तारीफ करती हुई कहने लगी कि वाह में अपनी चूत में इस लंड को लेने के लिए बहुत उतावली हो रही हूँ। अब में उसकी ताज़ी, हसीन चूत को मस्ती के साथ चोदकर उसका पूरा मज़ा लेने के विचार में था। फिर धीरे से मैंने अपने एक हाथ को उसकी एक जांघ पर लगाकर सलवार की फटी मियानी पर लगाकर बोला कि मेरी जान तुम अब ज़रा अपनी चूत तो मुझे दिखाओ ।

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करवाचौथ का उपवास ससुर से चुदाकर तोड़ी | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/bahu-ki-chudai/karwa-chauth-ka-vrat-sasur-se-chudwakar-todi.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/bahu-ki-chudai/karwa-chauth-ka-vrat-sasur-se-chudwakar-todi.html#respond Tue, 31 Oct 2017 15:23:09 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=10741 करवाचौथ का उपवास ससुर से चुदाकर तोड़ी अब क्या करू जब कुछ नहीं है तो यही सही मेरी प्यास मिटाने के लिए कोई नहीं है तो मैंने भी सोच लिया मै भी अपने ससुर से सेक्स करुँगी और मेरे ससुर अभी भी बहुत तगड़े है मस्त चुदाई करते है मेरी चुत चाटते है कभी गांड में अंगुली करते है तो कभी चुत में जीभ डालते है |

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मेरा नाम पूजा है | ये मेरी सच्ची कहानी है अभी जल्दी ही करवाचौथ की बात है मेरे पति परदेश में रहकर नौकरी करते है | घर में अकेली अपने ससुर के साथ रहती हूँ | मन नहीं लगता है तो मस्ताराम डॉट नेट पर कहानियां पढ़ पढ़ कर फिंगरिंग करती हूँ | कुछ दिन पहले ही मैंने एक ऑनलाइन वेबसाइट से प्लास्टिक का लंड मगाई थी | क्योकि मेरी रात में चुदाई की इच्छा होती है तो मुझे चुत में कुछ डालने की आदत है | बिना कुछ डाले मै जल्दी नहीं झडती हु |

तो चलिए सब कुछ बताने से पहले अपने बारे में बता दूँ सबसे पहले मैं आप सभी का मस्ताराम डॉट नेट में बहुत बहुत स्वागत करती हूँ। मैं पिछले कई सालो से इसकी नियमित पाठिका रही हूँ और ऐसी कोई रात नही जाती जब मैं इसकी सेक्सी स्टोरीज नही पढ़ती हूँ। आज मैं आपको अपनी कहानी सूना रही थी। आशा है की ये आपको बहुत पसंद आएगी। मेरे पति 5-6 महीने में एक बार ही घर आते है। जब भी आते है मुझे बहुत प्यार करते है। मेरे ससुर जी भी बहुत अच्छे है। मेरे देवर की नौकरी एल्लाहाबाद में लग गयी है। पहले वो हमारे साथ ही में रहता था पर नौकरी लगने के बाद वो चला गया। अब घर में मैं और ससुर जी है।

मैं आप लोगो को अपने बारे में बताना चाहती हूँ। मैं २८ साल की जवान और सेक्सी औरत हूँ। अभी मेरे बच्चे नही हुए है। मैं सुंदर और जवान हूँ और आकर्षक व्यक्तित्व वाली औरत हूँ। मेरा कद 5’ 2” का है। जिस्म भरा हुआ है। मैं काफी गोरी हूँ और चेहरा का फेस कट बहुत सेक्सी है। मेरी जवानी देखकर मर्दों के लंड खड़े हो जाते है। मन ही मन वो मुझे चोद लेना चाहते है पर ये मौका तो कुछ लोगो को ही मिला है। मुझे सेक्स और चुदाई करना बहुत अच्छा लगता है। मेरे पति मेरे 38” के मम्मो को दबा दबा कर मेरी चूत मारते है। मेरा फिगर 38 34 36 का है। मुझे अपनी चूचियां दबवाने में बहुत अच्छा लगता है। जब कभी पराये मर्द के साथ चुदाई करने का मौक़ा मिलता है तो मैं चुदवा लेती हूँ। “खाओ खुजाओ और बत्ती बुजाओ” वाले कांसेप्ट में मैं विश्वास करती हूँ। 2 दिन पहले की बात है मेरी बात मेरे पति से हुई थी।

“जान!! क्या तुम करवाचौथ पर घर नही आ रहे हो?? हर बार तुम करवाचौथ पर नही आते हो। देखो ये बुरी बात है। मैं किसके साथ पूजा करुँगी” मैंने अपने पति अजय से बोला। फिर से उसने बहाना बना दिया। “देखो मैं अपने मैनेजर से बात करूंगा और छुट्टी मागूंगा। अगर मिलती है तो आ जाऊँगा” अजय बोला असल में कुछ महीनो से उसका उसकी सेक्रेटरी से चक्कर चल रहा था। अजय परदेश की एक फर्म में अकाउंट डिपार्टमेंट में था। वो बस पैसे के पीछे भागने वाला मर्द था और खूबसूरत और जवान लडकियों को देखकर फिसल जाता था। मुझे कुछ दिन पहले उसके ऑफिस से किसी ने बताया था की अजय का उसकी सेक्रेटरी से अफेयर चल रहा है और दोनों ऑफिस में ही मजे लूट लेते है। ये बात जानकर मैं काफी दुखी हो गयी थी। आखिर 2 दिन बाद करवाचौथ का त्यौहार आ गया और अजय नही आया।

“पापा जी!! वो नही आये” मैंने कहा और रोने लगी |

मेरे ससुर बहुत अच्छे आदमी थे। मेरा पति बहुत नालायक था पर ससुर जी बहुत अच्छे थे। मेरी बहुत देखभाल करते थे। उन्होंने मुझे सीने से लगा लिया। मैं फूट फूट कर रोने लगी।

“रो मत मेरी बच्ची!! रो मत!! मेरा बेटा इतना नालायक निकलेगा मुझे नही मालुम था” वो बोले और मेरे सिर पर बड़े प्यार से हाथ फिराने लगे।
“पापा जी!! अब मैं पूजा किसकी करूं। देखो चाँद भी निकल आया है” मैंने आशुं बहाते हुए पूछा “बहू! चलो तुम मेरे साथ पूजा कर लो” ससुर जी बोले। उनको मैं हमेशा पापा जी कहकर बुलाती थी |

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फिर वो भी नये कपड़े पहनकर छत पर आ गये। मैंने अपनी सुहाग वाली साड़ी पहनी थी जब मेरी शादी हुई थी। मैंने चाँद को देखकर पूजा की फिर ससुर जी को छन्नी में देखा। फिर किसी बीबी की तरह मुझे अपने पति के पैर छूने थे। पति तो थे नही मैंने झुककर ससुर जी के पैर छू लिए। वो अच्छे मूड में दिख रहे थे। उन्होंने ही मुझे पानी पिलाकर मेरा व्रत तुड़वाया। आप यह हॉट हिंदी सेक्सी कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | आज ससुर जी से सुबह से कुछ नही खाया था क्यूंकि मेरे साथ वो भी व्रत थे। हम दोनों नीचे चले गये। मैंने उनको अपने हाथ से खाना खिलाने लगी। मैं पूरी तरह से नवविवाहिता दुल्हन लग रही थी। हाथो और पैरों में मैंने मेहँदी लगा रखी थी। रात के 10 बजे हुए थे। घर में सन्नाटा था।

सिर्फ 2 लोग घर में थे इसलिए थोडा अजीब लग रहा था। ससुर जी बार बार मेरे दूध की तरफ देख रहे थे। मैं बाही खुला वाला कट स्लीव ब्लाउस पहना था और ब्लाउस भी आगे से गहरा था। मेरी 38” की गोल गोल चूचियां साफ साफ़ दिख रही थी। ससुर जी मेरे मम्मो की तरफ ताड़ रहे थे और जैसे मैं उसकी तरह देखने लग जाती वो नजरे दूसरी तरफ घुमा लेते। मैं सुंदर और जवान औरत थी। आखिर वो क्यों नही मेरी जवानी देखते। फिर मैंने सोचा की आज ससुर जी भी पूरा दिन व्रत रहे है। क्यों न मैं उनको अपने हाथ से खाना खिला दूँ। मैंने पुड़ी का एक कौर तोड़ा और सब्जी में डुबोया और ससुर जी को खिलाने लगी। वो संकोच कर रहे थे।

“क्या पापा जी! आप तो लड़कियों की तरह शरमा रहे है। अब अपनी बहू से कैसी शर्म” मैंने बिंदास लड़की की तरह चहक कर कहा और उनको खाना खिलाने लगी। पर दूसरी बार मेरा हाथ उसके मुंह में अंदर चला गया और जल्दबाजी में उन्होने मेरी ऊँगली को काट दिया। अई…..अई….अई… अहह्ह्ह्हह…..सी सी लग गयी” मैं चिल्लाई ससुर जी ने जल्दी से मेरी ऊँगली मुंह में दबा ली और चूसने लगे।

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जिससे मुझे आराम मिल सके। कुछ देर में मुझे आराम मिलने लगा। पर वो चूसते ही चले गये। फिर मुझे देखकर रुक गये और मेरी तरफ दूसरी नजर से देखने लगे। मैं भी उनको ही देख रही थी। कुछ अजीब अब होने वाला था। फिर अचानक उन्होंने मुझे कुर्सी पर बैठे बैठे ही पकड़ लिया और मेरे होठ पर अपने होठ रख दिए। जल्दी जल्दी चूसने लगे और मुझे कुछ सोचने का मौक़ा नही दिया। मैं मना कर रही थी पर तब तक बहुत देर हो गयी थी। ससुर जी से 5 मिनट तक मेरे रसीले होठ चूस डाले। फिर अपना मुंह मेरे मुंह से हटाया। वो मुझे चोदना चाहते थे मैं जान गयी थी।
आगे के 15 मिनट कैसे गुजरे मुझे याद नही है।

पापा ने मुझे गोद में उठा लिया और सीधा अपने बेडरूम की तरह बढ़ने लगे। मैं चुप थी। मैं सोच नही पा रही थी की क्या करू। उन्होंने मुझे बेड पर लिटा दिया और जल्दी से अपनी शर्ट की बटन खोलकर शर्ट उतारकर फेंक दी। वो मेरे उपर लेट गये और जल्दी जल्दी मेरे गालों पर किस करने लगे। मैं परेशान थी। मैं बहुत हैरान थी। पर ना जाने क्यों मैंने उनको मना नही किया। मैं चाहती तो ससुर जी को रोक सकती थी। पर शायद इस काली सुनसान रात में चुदाई के मजे लूटना चाहती थी। ससुर जी से मेरी साड़ी का पल्लू मेरे ब्लाउस से हटा दिया और मुझे बाहों में भर लिया। मेरे ब्लाउस पर वो हाथ घुमाने लगे। वो आज मेरी जवानी और खूबसूरती के आशिक हो गये थे। मैं पूरी तरह से नई दुल्हन की तरह सजी धजी थी और ससुर जी आप मेरे पति का रोल निभा रहे थे। वो मेरे गाल, गले, काम, चेहरे सब जगह किस कर रहे थे। मैं भी साथ दे रही थी।

“बहु!! आज तुमने करवाचौथ की पूजा मेरे साथ की है। छन्नी में तुमने मेरा चेहरा देखा है। तो आज मुझसे प्यार करके तुम अपने व्रत को पूरा कर दो” ससुर जी बोले “….तो क्या आप चाहते है की मैं आपको अपनी रसीली चूत चोदने क दे दूँ” मैंने हांफते हुए और लम्बी लम्बी सांसे खीचते हुए कहा “हा बहू!! मैं बिलकुल यही चाहता हूँ। तुम्हारा पति वहां परदेश में अपनी सेक्रेटरी के साथ मजे लूट रहा होगा और तुम यहाँ पर प्यासी रह जाओ। ये तो सरासर गलत है। बोलो बहू क्या ख्याल है???”

कहानी जारी है … आगे की कहानी पढ़ने के लिए निचे दिए पेज नंबर पर क्लिक करें ….

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आज की ये सेक्सी कहानी जो मैं ले के आया हूँ मैं उसके अन्दर इन्वोल्व नहीं हू. लेकिन इस चुदाई को मैंने अपनी आँखों से देखा था. मैं मस्त मौला किस्म का आदमी हूँ. अगल बगल में क्या होता हैं उसकी मुझे ज्यादा परवाह नहीं होई हैं.

उसका नाम किंजल शर्मा हैं और उसकी उम्र करीब 27 साल की होगी. शादी हो चुकी हैं उसकी और उसको एक बेटा भी हैं. जब वो मेरेज के बाद ससुराल में आई तो किसी हिरोइन के जैसा एकदम कच्ची कली सा बदन था उसका और फिर प्रेग्नन्सी के बाद उसका बदन एकदम से भरा हुआ हो गया जैसे.

किंजल का ससुराल मेरे सामने ही हैं और एक दिन जब मैं अपने सूखे हुए पेंट को लेने के लिए गया तो उसके घर में मुझे कुछ हलचल होती हुई दिखी. तभी उसके चीखने की भी आवाज आई जिसके ऊपर मैंने तवज्जो नहीं दी क्यूंकि अक्सर उसका अपने पति के साथ झगडा होता ही था.

लेकिन शाम को मैं जब निम् के निचे की बेंच के ऊपर अपने पडोसी और दोस्त लखन के साथ बैठा था तो उसने मुझे एक अजीब बात बोली. वो बोला की किंजल के उसके ससुर जी मथुरा सिंह ने पकड के बूब्स मसल दिए थे. मैं समझ नहीं पा रहा था की ये सच बात थी या फिर उसने ऐसे ही गप लगाईं थी.

मैंने कहा ऐसे कैसे कोई ससुर अपनी बहु के चुचे पकड लेगा!

मुझे उसकी बात सच नहीं लेकिन जूठ लगी इसलिए मैंने उसके ऊपर ध्यान ही अहि किया. लेकिन अन्दर ही अन्दर से मैं सच में बेताब था और मेरा दिल मुझसे कह रहा था मामले की जांच के लिए. वैसे किंजल का पति अक्सर काफी दिनों तक घर से बहार रहता था. इसलिए इस एंगल से बात सच होने का अंदेशा भी था.

फिर मेरी नजर किंजल के मकान के ऊपर रहती थी जब भी मैं घर पर रहूँ. सन्डे वाले दिन तो जासूसी पूरा दिन होती थ. ऐसे ही ओ हफ्ते निकल गए लेकिन मुझे तो कुछ नजर नहीं आया. लेकिन एक बात ये अच्छी हुई थी की किंजल के साथ नजरें मिलने लगी थी मेरी.

किंजल भी जानती थी की मैं उसके पीछे हूँ और उसे पटाना चाहता हूँ. अब भला उसको क्या पता की मुझे तो उसकी और उसके ससुर जी की कामक्रीडा देखनी थी. दोस्तों आप ये कहानी मस्ताराम डॉट नेट पे पढ़ रहे है।

एक सन्डे को मैं बहार निकला तो देखा की आज किंजल के मकान में वो अपने ससुर जी के साथ अकेली ही थी. मथुरा भी मूड में लग रहा था. बगल के नाइ से दाढ़ी शेव करवा ली थी उसने. और अपने सफ़ेद बालो को काली महंदी से छिपा लिया था. मुछों की धारो को भी कुतरवा के एकदम नुकिली कर रखी थी उसने. मेरे मन में एक चीज घूम रही थी की शायद आज इस ससुर और उसकी हॉट बहु की चुदाई देखने को मिलेगी!

ऐसे करते करते दोपहर हो गई. समर के दिन थे और दोपहर में सब सो जाते हे और गली सुनसान बन जाती हैं दोपहर में तो. मैंने अपने कान और आँखे दोनों को अंजली की खिड़की के ऊपर ही लगाया हुआ था. और फिर मुझे दो तिन बार अंजली के बोलने की आवाज आई. मैंने सोचा की उसकी खिड़की से ही झाँक लेता हूँ. खिड़की के पास आया और इधर उधर देखा. पूरी गली खाली थी तू मैं खिड़की के पास ही खड़ा हो गा.

अंदर से किंजल की आवाज आई: डेडी जी ये गलत हैं, हम दोनों के बिच में ससुर बहु का रिश्ता हैं उसका ही लिहाज कर लो आप.

नाथ ने कहा: अरे बहु तुम कुछ भी कहो लेकिन अब मेरे इ ये सब बर्दाश्त नहीं हो रहा हैं, जब से ब्याह के आई हो मेरे लंड में आग तुमने ही लगाइ हैं.

अबे बेशर्म बूढ़े, इतनी ही आग लगी हैं तो लंड पर बर्फ डाल ले, और तेरी बीवी भी तो जिन्दा हैं अभी, उसे जा के पकड ना मुझे मत छुआ करो.

मथुरा की साँसे उखड़ रही थी और उसके मुहं में पानी आया हुआ था. वो बोला: अरे बहु एक बार अपना गुलाम बना लो मुझे, और फिर मैं तुम जो कहोगी वही करूँगा कसम से ये कह के मथुरा ने किंजल को बाहों में जकड़ लिया. किंजल ने उसे धक्का दिया और बोली, पापा जी आप छोडो मुझे, अरे छोडो मेरे स्तन को उसमे दर्द हो रहा हैं मुझे. और फिर वो गाली गलोच के ऊपर आ गई, अरे बेन्चोद बूढ़े साले मादरचोद छोड़ ना मुझे.

मैं समझ चूका था की बूढ़े मथुरा केलौड़े इ आग लगी थी और वो घर में अकेली बहु को चूत देने के लिए कह रहा था और मैं उसकी पर्सीस्टंट देख के समझ गया था की आज मथुरा जरुर किंजल का बुर चोदेगा.

अंदर से जो आवाजे आ रही थी वो सुन के मेरी बेचेनी भी बढ़ रही थी और मैने अपनी आँखों को खिड़की के ऊपर लगा के देखना चाहा की अन्दर साला हो क्या रहा हैं.

फिर मैंने सोचा की यहाँ से देखना खतरे से खाली नहीं हैं क्यूंकि गली में कोई भी आ सकता था. इसलिए मैं मकान के पीछे की तरफ चला गया. दबे पाँव में अन्दर घुसा. वो लोग जिस कमरे में थे वहां देखने के लिए मुझे सही जगह मिल गई थी और वहां पर मुझे दोनों की आवाज और द्रश्य दोनों एकदम सही आ रहे थे.

किंजल बोली: पापा जी प्लीज़ जान दो मुझे, आप के बेटे को पता चला तो फिर अआप सोचो की आप की हालत कैसी होगी?

लेकिन पापा जी खड़े लंड के ऊपर कंट्रोल नहीं कर सकते थे मथुरा ने कहा: अरे किंजल कुछ मत कह मुझे, मैंने वो सब चीजे पहले से ही सोच के रखी हैं. सच कहूँ तो मैं जब सब कुछ कर के भी नहीं रुका तो मैंने तुम्हे बोला. दोस्तों आप ये कहानी मस्ताराम डॉट नेट पे पढ़ रहे है।

अंदर का सिन कुछ ऐसा था. मथुरा एकदम न्यूड था और उसका लंड एकदम खड़ा कडक था. वो अपने लोडे को एक हाथ से सहलाते हुए बातें कर रहा था और उसकी बहु बिस्तर के ऊपर बैठी हुई थी और वो लंड की तरफ नहीं देख रही थी. किंजल के बूब्स को बिच बिच में पकड़ के मथुरा दबा रहा था.

मुझे सच में अब किंजल की नियत के ऊपर भी डाउट होने लगा था. क्यूंकि अगर उस को ससुरजी का लंड नहीं लेना था तो फिर वो बिस्तर के उपर क्यूँ बैठी थी? वो उठ के चली जाती उठ के वहाँ से! और वो अपने ससुर जी का ज्यादा विरोध भी नहीं कर रही थी उतने जोर शोर से. वो कहते हैं ना नौटंकी!

तभी ससुरजी ने किंजल के हाथ को खिंचा और उसकी हथेली में अपना लंड पकड़ा दिया. किंजल ने जल्दी से हाथ को पीछे किया. लेकिन किंजल के हाथ को वापस मथुरा ने लंड पर रख दिया. अब किंजल रोते रोते हुए अपने ससुर जी के लंड को सहलाने लगी.

मथुरा सिंह आँखे बंद किये हुए कराह रहा था. उसके मुहं से मीठी और ठन्डी आहें निकल रही थी. अब मथुरा ने किंजल को लंड मुहं में ले के चूसने के लिए कहा. लेकिन किंजल ने उसके लिए मना कर दिया ससुर जी को. पर मथुरा ने किंजल के माथे को पकड़ा और एक हाथ से उसके मुहं को खोल के खुले हुए मुहं में अपना लंड जबरन दे दिया.

अंजली ने लोडे को बस थोड़ा सा ही चूसा और फिर अपने मुहं से बहार कर दिया. किंजल के इस कदम को देख के मथुरा की नाक फुल गई थी वो गुस्सा हो गया. और अब मथुरा सिंह ने बहुरानी के कपडे उतारने चालू कर दिए.

किंजल के नंगे बदन का नजारा बड़ा ही सेक्सी था. मैंने अपने शर्ट की जेब से मोबाइल निकाल लिया और इन दोनों की मूवी बनानी चालू कर दी. किंजल नौटंकी करते हुए विरोध दिखा रही थी. लेकी मैं जानता था की ससुर के बड़े लोडे ने उसके मन में चुदास को जगा दिया था. मथुरा ने कुछ ही देर में किंजल को पूरा नंगा कर दिया.

किंजल को ऐसे एकदम न्यूड देख के मेरा लंड भी एकदम पागल सा हो रहा था. मन तो मेरा भी हो रहा था की धडाम से दरवाजे को खोल के खुश जाऊं और इस बूढ़े को हटा के किंजल की सेक्सी चूत में खुद ही अपना लंड डाल दूँ नंगी होने के बाद में किंजल अपने हाथ को अपनी बुर और बूब्स के ऊपर रख के उन्हें छिपाने की नाकाम कोशिश में लगी हुई थी. मथुरा ने उसे धक्का दे के बेड पर डाला और खुद उसकी टांगो को फैला के उसकी चूत में अपनी जबान घुसेड के चाटने लगा.

किंजल ने अब अपना छटपटाना और ससुर जी का विरोध करना बिलकुल ही बंद कर दिया था. और उसका रोना भी बंद हो गया था. उसके आंसू चले गए थे और कुछ देर पहले जो दर्द था वो अब सिसकियों में और आहों में बदल रहा था. वो आहें जो सेक्स के नशे में चूर औरत के गले से निकलती हैं.

अपने ससुर जी को वो अब उकसा रही थी और अह्ह्ह अह्ह्ह्ह पापा अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्हह करने लगी थी. उसके हाथ मथुरा सिंह के माथे को बुर के ऊपर और भी दबा रहे थे. और किंजल के पुरे बदन में अब चुदास का नशा चढ़ता हुआ दिख रहा था.

कहानी जारी है ….. आगे की कहानी पढने के लिए निचे लिखे पेज नंबर पर क्लिक करे …..

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चूत का उद्घाटन ससुर ने किया और दोस्तों से भी चुदवाया | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/bahu-ki-chudai/chut-ka-udghatan-sasur-ne-kiya-or-dosto-se-bhi-chudwaya.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/bahu-ki-chudai/chut-ka-udghatan-sasur-ne-kiya-or-dosto-se-bhi-chudwaya.html#respond Wed, 16 Aug 2017 09:18:15 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=9748 चूत का उद्घाटन ससुर ने किया और दोस्तों से भी चुदवाया, रोटियाँ सुबह से शाम तक पेलती है और अब चूत मागो तो नौटंकी चोद रही है ससुर बोले और उन्होंने मुझे चांटे चट चट मुंह पर जड़ दिए मेरा गाल लाल हो गया फिर ससुर ने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया वो मेरे रसीले होठ चूसने लगे दोस्तों मैं बहुत गोरी और भरे हुए जिस्म वाली लड़की थी इसलिए मैं बहुत सेक्सी माल लग रही थी मेरे मम्मे तो माशाअल्लाह इतने बड़े बड़े थे की ससुर और उनके दोस्त कादेर दोनों के मुंह में पानी आ गया था

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हेल्लो दोस्तों, मैं आरजु खान आप सभी का मस्ताराम डॉट नेट में मैं बहुत ही ज्यादा दिलचस्पी रखती हूँ इसलिए इस साईट पर भरोसा करते हुए आज मैं अपनी एक रियल सेक्स स्टोरी सूना रही हूँ। मैं उम्मीद करती हूँ कि यह कहानी सभी लोगों को जरुर पसंद आएगी ऐसे तो मैंने इस साईट की बहुत सारी कहानिया पढ़ी है लेकिन कभी कोई कहानी लिखी नहीं. आज मैं पहली बार कोई कहानी लिखने जा रही हूँ कुछ भूल चुक हो जाये तो अल्लाह के लिए मुझे माफ करना मैं एक बेहद जवान और सुंदर लड़की थी, मेरे अब्बा एक मजदूर थे। उनके पास मेरी शादी करने के पैसे भी नही थे। पर मैं बहुत खूबसूरत और जवान लडकी थी इसलिए मेरे अब्बा के पास अपने आप शादी के रिश्ते आने लगे।

कुछ दिनों बाद एक आदमी आया। वो अपने लड़के की शादी के लिए एक अच्छी और सुंदर लड़की ढूढ़ रहा था। वो बार बार अपने खानदान का बखान कर रहा था। उसका नाम अब्दार था। वो 6 फुट का मोटा तगड़ा आदमी था और देखने में बिलकुल कसाई लगता था। मुझे वो आदमी कुछ ठीक नही लग रहा था। जब मेरे अब्बा ने पूछा की वो कितना दहेज़ लेगा तो वो हसने लगा और कोई दहेज़ लेने से मना कर दिया। मेरे अब्बा ने कहा की उनके पास शादी करने के पैसे भी नहीं है, तो अब्दार ने अब्बू को २ लाख रुपया दे दिया। वो मेरा होने वाला ससुर था।

मुझे कुछ ठीक नही लग रहा था पर मुझे शादी करनी पड़ी। क्यूंकि मेरी 5 बहने और थी। अगर मैं शादी नही करती तो बाकी बहने भी बैठी रहती। मैंने दिल पर पत्थर रखकर शादी कर ली। निकाह होने के बाद मेरी विदाई हो गयी और मैं ट्रेन से अपने होने वाली पति, ससुर, सास, और बाकी परिवार के साथ बिहार आ गयी। यहाँ पर रात में मेरे ससुर मेरे कमरे में आ गए और मेरे पति बाहर चले गये। उन्होंने मुझे नंगा करके बेदर्दी से चोदा। मेरी चूत से खूब खून निकला

पूरे 1 महीने तक वो मेरी चूत मारते रहे और मेरी गांड भी ससुर जी ने मार ली। बाद में मुझे पता चला की उसके पूरे खानदान में ऐसा ही होता था। नई नवेली दुल्हन को ससुर रखता था। वहां पर ऐसी प्रथा थी। ससुर ही बहू की नई चूत को चोदकर उद्घाटन करता था। यहाँ पर लड़को को कम तरजीह दी जाती थी और ससुर का पहला हक बनता था। जब 1 महीने बाद मेरे पति मुझे चोदने आये तो मेरी चूत और गांड दोनों ढीली हो चुकी थी। मैं उसके बावजूद भी मैं बहुत मस्त माल थी इसलिए मेरे पति को मेरी ** मारने में बहुत मजा मिला।

मैं बहुत रोई भी थी इस बात पर। मन हुआ की अपने पति को तलाक दे दूँ पर फिर मैं कहाँ जाती। मैं चुपचाप सब कुछ सहती रही। मेरी ससुराल वाले तो मुझे नौकर ही समझते थे। सुबह उठकर मैं 20 लोगो का खाना बनाती थी। सबको खिलाती थी। सबके कपड़े धोती थी तब तक शाम हो जाती थी और रात का खाना बनाना शुरू हो जाता था। उपर से मेरे ससुर रोज रात में मुझसे पैर दबवाते थे और तेल लगवाते थे। पूरे बदन में मालिश करवाते थे और जब मन करता था मेरी रसीली चूत में लंड डालकर चोद लेते थे।

“अब्बू ये सब ठीक नही है। आप कैसे रोज रोज मेरे साथ ये गंदी हरकत कर सकते है??” मैं कई बार विरोध करती थी तो वो तलाक देने की बात करते थे। बस यही समझिय की मैं किसी तरह जिन्दगी काट रही थी। फिर मेरे २ बच्चे भी हो गये। एक दिन मेरे ससुर ने खूब शराब पी ली और अपने एक दोस्त के साथ रात में 10 बजे घर आए। उनका दोस्त भी एक मोटा सा काला कलूटा आदमी था। उसका नाम कादेर था। वो मेरे ससुर के साथ फलो की आढत का काम करता था। दूसरे शहरों से आम, अमरुद, केला, सेब के बड़े बड़े ट्रक लाता था और बिहार की फल मंडी में छोटे छोटे दुकानदारों को बेचता था। वो मेरे ससुर के साथ ही बिजनेस पार्टनर था।

“आरजु???? आरजु??? कहा मर गयी???” अब्बू ने मुझे आवाज लगाई।

मैं सो रही थी। इसलिए मैं देर में सुन पायी थी। फिर मैं आई।

“क्या है अब्बू??” मैंने कहा

“माँ की लौड़ी…एक बार में सुन नही पा रही थी। क्या अपनी माँ चुदा रही थी। जा हम दोनों के पीने के लिए गिलास लेकर आ और कुछ चखना भी लेकर आ” मेरे ससुर चिल्लाकर बोले। मैं दौड़ी दौड़ी गयी और गिलास लाकर दिया। मेरे ससुर बहुत बदतमीज और बददिमाग आदमी थे। वो अक्सर मुझ पर हाथ उठा देते थे। इसलिए मैं उसने बहुत डरती थी। मेरे पति की तो घर में कोई इज्जत ही नही थी। वो पैसा नही कमा पाते थे इसलिए उसकी कोई वेलू नही थी। मेरे ससुर ही पूरे 30 लोगो का खर्चा उठाते थे। मेरी नई नई देवरानी की चूत भी वो नियम से मारते थे। हम दोनों बहुओ की चूत वो खूब चोदते थे क्यूंकि हम दोनों को रोटी वही देते थे। इसलिए हम पर उनका हक था। ऐसा मेरे ससुर का सोचना था। मैं जल्दी जल्दी २ ग्लास में शराब उड़ेलने लगी। ससुर और उनका दोस्त कादेर मजे से शराब पीने लगे।

फिर कादेर बार बार मुझे घूरने लगा।

“यार तेरी बहू तो बहुत खूबसूरत है???? बिस्तर गर्म करती है तेरा???” कादेर हंसकर बोला

“हाँ हाँ करती है। इसकी चूत देख लोगो तो चोदने का दिल करने लग जाएगा” मेरे ससुर ने कहा

“तो भाई आज दिलवा दे इसकी रसीली चूत” कादेर बोला

इसके बाद मेरे ससुर ने मुझे पकड़ लिया और मेरे गाल पर चुम्मी लेने लगे। मैं बार बार कह रही थी की अब्बू प्लीस ऐसा मत करो, प्लीस मुझे छोड़ दो पर वो शराब के नशे में आ चुके थे। कुछ देर बाद मेरे ससुर ने मुझे नंगा कर दिया और मेरे कपड़े उतार दिए। हम मुसलमानो में औरतें घर पर सलवार सूट ही पहनती है। इसलिए मैं भी घर पर सलवार सूट पहनती थी। धीरे धीरे मेरे ससुर ने मेरा सूट निकाल दिया। फिर सलवार की नारा खोल दिया और मुझे पूरी तरह से नंगा कर दिया। फिर मेरी ब्रा और पेंटी भी उस दुष्ट आदमी से उतार दी। अब मैं पूरी तरह से नंगी हो गयी थी। फिर मेरे ससुर और उनके दोस्त कादेर ने अपने अपने पकड़े उतार दिए। मैं सब समझ गयी थी की आज मेरा घर में ही गैंगरेप होने वाला था। मैं पूरी तरह से नंगी हो गयी थी। दोस्तों आप ये कहानी मस्ताराम डॉट नेट पे पढ़ रहे है।

मैं बहुत खूबसूरत मस्त चोदने लायक माल लग रही थी। मेरे मम्मे का साइज 40” था जबकि कमर और पिछवाड़ा 32 और 36 का था।

“अब्बू छोड़ दो!! प्लीस मुझे आने दो! प्लीस मुझे मत चोदो!!” मैंने कई बार कहा तो अब्बू ने मेरे गाल पर कई तमाचे मार दिए।

“तेरी माँ की चूत। रोज १० १० रोटियाँ सुबह से शाम तक पेलती है और अब चूत मागो तो नौटंकी चोद रही है!!” ससुर बोले और उन्होंने मुझे चांटे चट चट मुंह पर जड़ दिए। मेरा गाल लाल हो गया। फिर ससुर ने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया। वो मेरे रसीले होठ चूसने लगे। दोस्तों मैं बहुत गोरी, और भरे हुए जिस्म वाली लड़की थी। इसलिए मैं बहुत सेक्सी माल लग रही थी। मेरे मम्मे तो माशाअल्लाह इतने बड़े बड़े थे की ससुर और उनके दोस्त कादेर दोनों के मुंह में पानी आ गया था।

ससुर कुछ देर तक मेरे उपर चढ़े रहे और मेरे रसीले होठ चूसते रहे। इमरान हाश्मी की तरह वो मेरे साथ मजे करने लगे। वो हते तो भैनचोद कादेर आकर मेरे होठ चूसने लगा। फिर ससुर ने मेरी दाई चूची मुंह में भर ली और पीने लगे। उधर कादेर ने मेरी दाई चूची मुंह में भर ली और चूसने लगा। मैं पूरी तरह से नंगी थी। मैं अपनी भी रो रही थी पर इसका कोई असर दोनों भैनचोदो पर नही हो रहा था। वो दोनों मेरे मस्त मस्त 40” के आम दबा देते थे और मुंह में लेकर पी रहे थे। कुछ देर बाद मैंने रोना बंद कर दिया क्यूंकि उससे कोई फायदा नही था। वो दोनों मेरी चूत तो मारके ही दम लेते।

ससुर और कादेर दोनों मेरी रसेदार चूचियों को बार बार दबा देते थे। मैं चिहुक जाती थी। मैं “..अहहह्ह्ह्हह स्सीईईईइ….अअअअअ….आहा …हा हा हा” बोलकर चिल्ला रही थी। वो दोनों मेरे चूचियों को दांत से काट रहे थे, चबा रहे थे, और मस्ती से पिए जा रहे थे। इधर मुझे काफी दर्द हो गया था। फिर ससुर जी ने अपना 8” का लौड़ा मेरे मुंह में डाल दिया। मुझे साँस भी नही आ पा रही थी। मजबूरन मुझे उनका लौड़ा चुसना पड़ रहा था। उधर उनका चुदासा और वासना का पुजारी दोस्त कादेर मेरी चूत पर आ गया। उसने मेरी दोनों खूबसूरत और गोरी टाँगे खोल दी और मेरी चूत में जीभ डालने लगा। अब मुझे डबल उतेज्जना महसूस हो रही थी। मैं हाथ से जल्दी जल्दी ससुर का लंड फेटने लगी और चूसने लगी, उधर भैनचोद कादेर मेरी चूत पी रहा था। मैं “……अई…अई….अई……अई….इसस्स्स्स्स्स्स्स्…….उहह्ह्ह्ह…..ओह्ह्ह्हह्ह….” की आवाज बार बार निकाल रही थी। कुछ देर बाद मुझे ये सब अच्छा लगने लगा। मैं हाथ से जल्दी जल्दी अब्बू [ससुर जी] का लंड फेटने लगी। बहुत मोटा लौड़ा था दोस्तों।

इस लौड़े को मैं बहुत अच्छी तरह से पहचानती थी क्यूंकि इसे ने सुहागरात पर मेरी चूत की सील तोड़कर मुझे चोदा था। मैं मुंह में लेकर जल्दी जल्दी लंड चूस रही थी। मैं मुंह को दबाकर लंड चूस रही थी जिससे उसपर जादा दबाव बने और ससुर जी को जादा मजा आए। नीचे कादेर ने मेरी चूत में कोहराम मचा दिया था। जल्दी जल्दी मुंह लगाकर वो चूत को पिये जा रहा था। उसकी जीभ मेरी चूत को बड़ी कायदे से चाट रही थी। मेरी चूत का नमकीन स्वाद कादेर की जवाब पर आ गया था। फिर उस भैनचोद ने मेरी चूत में अपना अंगूठा ही ठेल दिया और जल्दी जल्दी अंगूठे से मेरी चूत मारने लगा। मैं “आई…..आई….आई…अहह्ह्ह्हह…..सी सी सी सी….हा हा हा…” की आवाज के साथ सिस्कारियां लेने लगी। मैं तडप रही थी। अब मैं जल्दी से लंड खाना चाहती थी क्यूंकि मैं अब बर्दास्त नहीं कर पा रही थी। कादेर तो किसी पागल आदमी की तरह जल्दी जल्दी मेरी चूत में अंगूठा अंदर बाहर करने लगा। मुझे लगा की कहीं मेरा माल ना निकल जाए।

मेरे ससुर ने मेरे मुंह को २० मिनट चोदा फिर हट गये। अब वो भैनचोद कादेर का गया और उसने अपना 9” का मोटा और तगड़ा लंड मेरे मुंह में घुसेड़ दिया। दोस्तों अब मैं पूरी तरह से चुदासी कुतिया बन गयी थी। मैंने अपनी शर्म ह्या छोड़ दी थी इसलिए मैं भी किसी छिनाल की तरह जल्दी जल्दी कादेर का 9” का लंड हाथ में लेकर फेटने लगी और मुंह में लेकर चूसने लगे। उसे तो बहुत मजा मिल रहा था लंड चुसाने में। कई बार तो वो लंड मेरे मुंह में घुसेड़ देता और कई कई मिनट तक अंदर ही बनाए रखता। बाहर निकालता ही नही। फिर अचानक से जब निकालता तब मेरी अटकी सास आती। मेरी खूबसूरत भरी भरी 40” की चूचियों की निपल्स को उसने अपनी ऊँगली से खुद ऐठा। मेरे मुंह को उसने 15 मिनट तक चोदा। उधर मेरे चूत के आशिक ससुर मेरी चूत पी रहे थे। वो एक बहुत हब्सी आदमी थे। मेरी देवरानी की फुद्दी भी वो नियम से मारते थे। हम बहुओ की घर में कोई इज्जत नही थी।

कादेर ने मेरे मुंह से लंड कुछ देर बाद निकाल लिया। मैं लम्बी लम्बी सांसें ले रही थी। फिर वो मेरी चूचियों को फिर से पीने लगा। फिर मेरे ससुर बेड के सिरहाने पर आ गए। वो सिरहाने से पीठ लगाकर बैठ गये। उन्होंने मुझे अपने उपर बिठा लिया। मेरी पीठ उसकी तरह थी। धीरे धीरे मेरे ससुर ने मेरी गांड अपना 8” का लौड़ा डाल दिया। मुझे बहुत दर्द हो रहा था। फिर उनका वासना का पुजारी दोस्त कादेर भी आ गया और मेरे उपर चढ़ गया। उसने अपना 9” का ताकतवर लौड़ा मेरी चूत के छेद में डाल दिया। मैं चिल्लाने लगी। फिर दोनों मेरी गांड और चूत के छेद को धीरे धीरे चोदने लगे। मैं “आऊ…..आऊ….हममममअहह्ह्ह्हह…सी सी सी सी..हा हा हा..” की आवाज कर रही थी क्यूंकि मुझे बहुत दर्द हो रहा था। मेरी चूत और गांड में एक एक मोटा लौड़ा घुसा हुआ था। धीरे धीरे ससुर और कादेर दोने अपने अपने लौड़े चलाने लगे।

मैं रोने लगी क्यंकि आजतक मैंने डबल लंड नही खाया था। कादेर का चेहरे मेरे सामने था। जब ससुर जी मेरे ठीक नीचे थे। दोनों के लौड़े मेरे २ छेदों में आपस में जंग कर रहे थे। कादेर मुझे वासना से घूर रहा था और मेरी चूत चोद रहा था। नीचे से ससुर जी मेरी गांड चोद रहे थे। मैं “….उंह उंह उंह हूँ.. हूँ… हूँ..हममममअहह्ह्ह्हह..अई…अई…अई…..” कर रही थी। मेरी आँखों के सामने तो अँधेरा ही छाया जा रहा था।

पहले तो दोनों गांडू मुझे धीरे धीरे लेते रहे। पर फिर कुछ देर बाद वो दोनों भैनचोद मुझे बहरहमी से चोदने लगे। मैं मरी जा रही थी। लग रहा था की आज चुदवाते चुदवाते मेरी जान ही निकल जाएगी। दोनों ने मुझे आधे घंटे इस तरह चोदा। कादेर नीचे चला गया और ससुर उपर आ गये। अब कादेर मेरी गांड चोद रहा था और ससुर चूत बजा रहे थे। कुछ देर बाद मुझे खूब मजा मिलने लगा। मैं भी मजा करने लगी। फिर आधे घने मेरी ठुकाई हुई। कादेर मेरी गांड में झड़ गया और ससुर मेरी चूत में झड़ गये। दोस्तों आप ये कहानी मस्ताराम डॉट नेट पे पढ़ रहे है।

उसके बाद ससुर ने मुझे बिस्तर से उठा दिया और जमीन पर खड़ा कर दिया। एक मेज पर ससुर ने मुझे झुका दिया और मेरे गोल मटोल पुट्ठों पर वो जल्दी जल्दी कस कसके चांटे मारने लगे। दोस्तों मेरी नाजुक गुलाबी दूधिया पुट्ठे बिलकुल लाल हो गए थे। फिर ससुर ने मेरे दोनों पुट्ठों को हाथ से खोलकर मेरी गांड का छेद चेक किया।

“बहन की लौड़ी का गांड का छेद अब भी बड़ा नही हुआ है” ससुर बोले।

फिर उन्होंने मेरी गांड में थूक दिया और जीभ लगाकर छेद को पीने और चूसने लगे। एक बार फिर से वो जानवर बन गए और अपना 8” का मोटा लंड मेरी गांड में डाल दिया और जल्दी जल्दी मेरी गांड चोदने लगे। कादेर दूसरी तरफ से आ गया और मेरे मुंह में उसने लौड़ा दे दिया। ससुर ने 40 मिनट मेरी गांड चोदी मेज पर झुकाकर खड़ा करके मुझे। फिर बसीर ने भी मेरी गांड १ घंटा तक चोदी। दोस्तों आज भी हर रविवार वो लोग रात में आकर मेरी चूत और गांड चोदते है। मेरी गांड का छेद अब बहुत चौड़ा हो गया है। पूरा २ इंच चौड़ा हो गया है।

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तलाक के बाद पहली बार किया जन्नत की सैर-2 | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/maa-beti/talaak-ke-baad-pahali-baar-kiya-jannat-ki-sair-2.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/maa-beti/talaak-ke-baad-pahali-baar-kiya-jannat-ki-sair-2.html#respond Wed, 12 Jul 2017 03:41:59 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=9406 लगता है की मेरी कहानी सुन कर तुम्हारी चूत गीली गो गयी है." कुंदन ने पूछा. "हन" मैंने धीरे से कहा. "लाओ देखता हूँ मे." कहकर उसने अपना हाथ मेरी स्कर्ट मे डाल दिया और गीली हुई पनटी के उपर से मेरी चूत पर रख दिया और फिर आगे पढ़े |

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यह कहानी निम्न शृंखला का एक भाग है:

तलाक के बाद पहली बार किया जन्नत की सैर-1

मेरी गांड आज पहली बार वीर्य का स्वाद चखा था. में ज़ोर ज़ोर से रंजना की चूत चूस रही थी, उसकी चूत पानी छोड़े जा रही थी और में हर बूँद का स्वाद ले उसे पी रही थी. हम तीनो थके निढाल, पसीने से तार बतर बिस्तर पर पसार गये. इतनी भयंकर सामूहिक चुदाई मैंने अपनी जिंदगी मे नही की थी. मुझे शरम भी आ रही थी साथ ही एक अंजनी खुशी भी की में अपने शारारिक सुख का भी अब ख्याल रख सकती थी तभी रंजना ने कहा, “निकिता तुम हमारे साथ हमारे हनिमून पर क्यों नही चलती?”

“रंजना तुम्हारा दिमाग़ तो खराब नही हो गया है? तुम चाहती हो की में अपनी हँसी उड़वौन. लोग क्या कहेंगे की बेटे के हनिमून पर एक मया उनके साथ क्या कर रही है?”

मैंने कहा. “में मज़ाक नही कर रही. कुंदन हम लोगो का साथ आ रहा है. हमने चार लोगो के हिसाब से कमरा बुक करवाया है. तुम हमारे साथ एक दूं फिट बैतोगी.” रंजना ने कहा. “रंजना सही कह रही है निकिता. हमने चार लोगो की बुकिंग कराई है. में वैसे भी किसी को अपने साथ ले जाने वाला था, तो तुम क्यों नही चलती.” कुंदन ने मेरी चुचियों को मसालते हुए कहा. “तुम ये कहना चाहते हो की आयुष्मान चाहता है की कुंदन और एक दूसरी औरत उसके साथ उसके हनिमून पर चले और साथ साथ एक ही रूम मे रुके.” मैंने पूछा. “हन ये सही है. तुम जानती हो की हम तीनो आपस मे चुदाई करते है. और तुम भी हम दोनो का साथ दे चुकी हो तो क्यों ना हम चारों साथ साथ चले.” कुंदन ने कहा और रंजना निब ही अपनी गर्दन हिला दी. “अगर में तुम लोगून की बात मान भी लेती हूँ तो आयुष्मान क्या सोचेगा?

मैंने कैसे उसके सामने एक ही कमरे में तुम दोनो के साथ चुदाई करूँगी?” मैंने पूछा. “मैंने कहा ना की आयुष्मान में संभाल लूँगी.” रंजना ने कहा. “में इस तरह फ़ैसला नही कर सकती. मुझे सोचने का वक़्त चाहिए. में सोच कर तुम लोगों को बता दूँगी.” मैंने जवाब दिया. मैंने देखा की कुंदन का लंड एक बार फिर खड़ा हो रहा था. रंजना ने मेरी निगाहों का पीछा किया और झुक कर कुंदन के लंड को अपने मुँह मे ले लिया. वो उसके लंड को चूसने लगी और उसका लंड एक बार फिर पूरी तरह से टन कर खड़ा हो गया.

“क्या ये सब कभी रुकेगा की नही?” मैंने अपनेआ आप से पूछा. “निकिता में एक बार फिर तुम्हारी गान मारना चाहता हूँ.” कुंदन ने अपने लंड को सहलाते हुए कहा. कुंदन और रंजना ने मिलकर मुझे घोड़ी बना दिया. “निकिता में आज तुम्हारी गांड मे अपना लंड डाल अपना वीर्य तुम्हारी गांड मे डाल दूँगा.” कुंदन मेरे कन मे फुफउसते हुए मेरे कन की लाउ को चुलबुलाने लगा.

मेरा शरीर कांप गया जब उसने अपने लंड को मेरे गांड के छेड़ पर रगड़ना शुरू किया. वो एक बार मेरी गांड मे अपना लंड घुसा चक्का था फिर भी मेरे मुँह से हल्की चीख निकल गयी, “ओह मार गाइिईई.” कुंदन का लंड मेरी गांड मे जगह बनता हुआ पूरा अंदर घुस गया. वो मेरे कुल्हों को पकड़ धक्के लगा रहा था. तभी रंजना मेरी टॅंगो के बीच आ गयी और मेरी चूत को चाटने लगी. उसकी तर्जुबेकर जीब मेरी चूत से खेलने लगी. वो अपने लंड को मेरी गांड के अंदर बाहर करता रहा जब तक की उसका 9′ इंची लंड पूरा नही घुस गया. फिर उसने रफ़्तार पकड़ ली और ज़ोर के धक्के लगाने लगा. मैंने भी ऐसा आनंद अपनी जिंदगी मे नही पाया था.

एक तो रंजना की जीब मेरी चूत मे सनसनी मचाए हुए थी और दूसरी और कुंदन का लंड मेरी गांड की धज्जियाँ उड़ा रहा था. मैंने भी उत्तेजना में अपने मामे मसल रही थी और ज़ोर से अपने कुल्हों को पीछे धकेल उसका साथ दे रही थी. कुंदन ज़ोर से छोड़ रहा था और रंजना पूरी ताक़त से चूस रही थी. जब रंजना ने मेरी चूत के मुहानो को अपने डातों से भींचा उसी वक़्त मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया. मुझे याद नही की ये आज मे 6थी बार झड़ी थी या 7वी बार. कुंदन ने छोड़ना जारी रखा. आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है |  मुझे उसका लंड अपनी गांड मे अकड़ता महसूस हुआ में समझ गयी की उसका भी छूटने वाला है. मुझसे अब सहा नही जा रहा था. में पागलों की तरह अपना सिर बिस्तर पर पटक रही थी, बिस्तर की चादर को नोच रही थी और गिड़गिदा रही थी की वो दोनो रुक जैन. कुंदन ने अपने तगड़े लंड को मेरी गांड से बाहर खींचा और सिर्फ़ अपने सूपदे को अंदर रहने दिया. उसने दोनो हाथों से मेरे मामे पकड़े और एक ज़ोर का धक्का लगाया.

उसका लंड मेरी गांड की दीवारों को चीरता हुआ जड़ तक घुस गया.

उसने ऐसा दो टीन बार किया और अपना वीर्य मेरी गांड मे छोड़ दिया. मुझे नही पता की उसके लंड ने कितना पानी छोड़ा पर मेरी चूत पानी से लबाब भर गयी थी. उसका वीर्य मेरी गांड से होते हुए मेरी चूत पर बह रहा था जहाँ रंजना अपनी जीब से उस वीर्य को चाट रही थी. कुंदन और रंजना उठे नहाए और कपड़े पहन कर चले गये, और छोड़ गये मुझे आकाला अपनी सूजी हुई गांड और चूत के साथ जो रस से भारी हुई थी. उनके साथ हनिमून पर मे जौन की नही इसी ख़याल मे कब मुझे नींद आ गयी मुझे पता नही. दूसरे दिन मेरी आँख खुल तो मेरा बदन मेरे दर्द के दुख रहा था. ऐसा लग रहा था की शरीर मे जान ही नही है. मैंने बात टब मे हल्के गरम पानी डाला और स्नान किया. आची तरह अपनी सूजी हुई चूत और गांड की गरम पानी से सिकाई की. में अपने चूत और गांड पर हाथ फिरा रही थी तो मुझे विश्वास नही हो रहा था की एक दिन में इतनी बार छुड़वा सकती हू.

कुंदन को मोटा मस्ताना लंड मेरी आँखों के आगे आ जाता. कुंदन वाकई मे एक शानदार मर्द था और उसे औरत को चुदाई का सुख देना आता था. मैंने अपने गीले बदन को अची तरह टवल से पौंचने के बाद अपने बदन को शीशे मे निहारा. मेरा हर आंग जैसे खिल उत्ता था. दिल मे एक अलग ही उमंग सी जाग उठी थी. में आयुष्मान और रंजना के हनिमून के बारे में सोच रही थी. मुझे विश्वास नही हो रहा था की वो मुझे साथ चलने के लिए कह सकते थे. मैंने फ़ैसला वक़्त पर छोड़ दिया था. अभी शादी को एक महीना पड़ा था. कुछ दिन इसी तरह बीट गये. एक दिन की बात है में कुंदन और रंजना के साथ अपने बिस्तर पर थी. आयुष्मान किसी कम से बाहर गया हुआ था. कुंदन अपने खड़े लंड को हाथ मे पकड़े हुए बिस्तर पर लेता हुआ था. में अपने आपको रोक नही पाई और कुंदन के उप्पर आ गयी. मैंने अपनी दोनो टाँगे कुंदन की कमर के अगाल बगल रखी और अपनी चूत को उसके खड़े लंड पर रख दी. रंजना ने अपने हाथों से मेरी चूत के मुँह को थोडा फैलाया और लंड को ठीक चूत के मुँह पर लगा दिया. मैंने नीचे होते हुए कुंदन के लंड को अपनी चूत मे लेने लगी. मेरे कूल्हे अब कुंदन की अंडों से टकरा रहे थे. मैंने झुकते हुए अपने होत कुंदन के होठों पर रखे और उन्हे मुँह मे ले चूसने लगी. कुंदन ने भी मेरी भारी भारी चुचियों को अपने हाथों मे पकड़ा और अपनी जीब मेरे मुँह मे डाल दी. उसका लंड मेरी चूत मे हिल्लोरे मार रहा था. मुझसे अब सहन करना मुश्किल होने लगा. मैंने अपने आपको सीधा किया और उसके लंड पर उठने बैठने लगी. कुंदन मेरे कुल्हों को पकड़ नीचे से धक्के लगाने लगा. रंजना ने मेरे होठों पर अपने होत रख कर चूसना शुरू कर दिया साथ ही वो मेरे चुचियों को ज़ोर से मसल रही थी.

कभी वो मेरे निपल को भींच देती.

कुंदन अपने लंड को मेरी चूत मे अंदर बाहर किए जा रहा था. रंजना ने अपने हाथ मेरी गांड पर रख मेरे गांड के छेड़ से खेलने लगी. रंजना अब मेरे गांड के छेड़ पर अपनी जीभ फिरा रही थी. मुझे ऐसी सनसनी पहले कभी महसूस नही हुई. इससे पहले भी रंजना मेरी चूत या गांड के छेड़ को चाट चुकी थी पर ऐसे नही जब एक लंड मेरी चूत मे पहले से ही था. तभी मैंने महसूस किया की रंजना ने किसी तरह की क्रीम या तेल मेरी गांड के छेड़ पर डाल दिया है और उस जगह की मालिश कर रही है. जब मेरी गान के चारों तरफ का हिस्सा चिकना हो गया तो उनसे अपनी एक उंगली मेरी गांड मे डाल गोल गोल घूमने लगी. इस दोहरे स्पर्श ने मेरी चूत और गांड मे एक आग सी लगा दी थी. में उत्तेजना मे ज़ोर ज़ोर से अपने आप को कुंदन के लंड पर दबा देती. रंजना ने अपनी उंगली मेरी गांड से निकल ली और मेरे गांड को और फैलते हुए अपने जीब से उसे चाटने लगी. तभी मैंने महसूस किया की उसकी मुलायम जीब से ज़्यादा सख़्त चीज़ मेरी गान से टकरा रही है, में डर गयी पता नही क्या चीज़ है. में विरोध करना चाहती थी की तभी रंजना मेरे बगल मे आ गयी और मेरे ममो को मसालने लगी और फिर उसने मेरा सिर पकड़ अपनी चूत की और कर दिया. तभी मैंने कुंदन की कहते सुना, “निकिता अब आयुष्मान तुम्हारी गांड मरेगा. आयुष्मान तुम्हारा बेटा पहचानती हो ना उसे? और फिर तुम चाहती हो ना की कोई तुम्हारी गांड मारे? कुंदन ने कहा. मैंने आयुष्मान के लंड को अपनी गांड मे घुसता महसूस किया. आयुष्मान का लंड कुंदन जितना लंबा और मोटा तो नही था फिर भी उसे अंदर घुसने मे तकलीफ़ हो रही थी.

में इस से बचना चाहती थी पर रंजना ने अपनी चूत मेरे मुँह पर दबा कर मेरी हर कोशिश को नाकाम कर दिया. “थोडा साबरा से काम लो निकिता,” रंजना ने मुझे समझते हुए कहा, “थोडा दर्द होगा शुरू मे फिर ऐसा मज़ा आएगा की तुम अपने आप को कोसोगी तुमने आज तक एक साथ दो लंड अपनी चूत और गांड मे क्यों नही लिए.” उसकी शब्दों ने मुझे थोड़ी रहट दी. पहले तो मुझे अपनी गांड मे दर्द हो रहा था पर वक़्त के साथ दर्द मज़े मे बदल गया. आयुष्मान अपना लंड मेरी गांड मे पेले जा रहा था और कुंदन अपना लंड मेरी चूत मे. में भी दोहरी चुदाई का मज़ा लेने लगी. कभी में अपने आप को कुंदन के लंड पर दबा देती तो कभी अपने कूल्हे पीछे कर आयुष्मान के लंड पर. तीनो मेरे जिस्म से खेल रहे थे. उनके हाथ मेरे बदन पर रैंग रहे थे और मेरी उत्तेजना को एक नई चिर्म् सीमा पर पहुँचा रहा थे. मेरे लिए चुदाई का या नया अनुभव था. अपने जिस्म मे इतनी उत्तेजना मैंने कभी महसूस नही की थी. “निकिता मुझे पता है की दोहरी चुदाई का मज़ा क्या होता है. मैंने राती को ही इन दो लंड का मज़ा साथ सहत लिया है.” रंजना बोली. अचानक मैंने महसूस किया की मेरी गांड मे घुसा लॉडा फूलने लगा है और उसकी छोड़ने की रफ़्तार तेज हो गयी है. कुछ ही देर मे कुंदन का लंड मेरी गांड मे अपने वीर्य की पिचकारी छोड़ रहा था, और साथ ही मेरी चूत ने भी पानी छोड़ना शुरू कर दिया. कुंदन का लंड भी तनने लगा था और वो ज़ोर ज़ोर से अपने कूल्हे उछाल मेरी चूत मे अपना लंड पेल रहा था. मैंने कुंदन के लंड को अपनी चूत मे जकड़ा और ज़ोर ज़ोर से उपर नीचे बैठने लगी. उसका लंड आकड़ा और उसने भी मेरी चूत मे अपना वीर्य उंड़ेल दिया. रंजना भी पीछे नही रही उसने मेरा सिर पकड़ कर अपनी चूत पर दबा दिया. मैंने उसकी चूत चूस्टे हुए अपनी

दो उंगलियाँ उसकी चूत मे डाल अंदर बाहर करने लगी.

उसकी चूत ने भी पानी छोड़ दिया और में उसकी चूत से चूते पानी को पीने लगी. जब में उसकी चूत से चूते पानी एक एक बूँद पी गयी तो में निढाल होकर उनके बगल मे बिस्तर पर पसार गयी. कुंदन और आयुष्मान मेरे बदन से खेल रहे थे. दोनो मेरे बदन को सहला रहे थे और रंजना मेरी टॅंगो के बीच आ मेरी चूत मे भरे पानी को पी रही थी. थोड़ी ही देर मे मेरे दोनो शेर फिर से तय्यार हो गये थे मुझे छोड़ने के लिए. में एक बार फिर कुंदन के उप्पर चढ़ कर उसका लंड अपनी चूत मे ले लिया. फराक सिर्फ़ इतना था की आयुष्मान ने अपना लंड मेरे मुँह मे दे दिया था और रंजना मेरे गांड मे अपनी उंगली डाल अंदर बाहर कर रही थी. मेरे तीन छेदों को तीन लोग अपनी तरह से छोड़ रहे थे, “निकिता देखो दो लंड को कैसे तुम मज़े से ले रही हो. मैंने कभी नही सोचा था की तुम इतनी चुड़दकड़ हो जाओगी.”

रंजना मेरी गांड के छेड़ पर अपनी जीब फिरते हुए बोली. कुंदन और आयुष्मान दोनो ने अपने लंड का पानी अपने अपने छेड़ मे उंड़ेल दिया था और रंजना ने एक बार फिर अपनी ज़ुबान से उनके वीर्य को चाट कर सॉफ किया था. एक तरफ तो मेरे मान मे खुशी थी और दूसरी तरफ आत्मा गिलानी भी. “मया तुम्हे सही मे हमारे साथ मेरे हनिमून पर आना चाहिए. मैंने प्लेन की भी चार टिककतें करा रखी है और होटेल मे रूम भी चार लोगों के लिए है.” आयुष्मान ने मुझसे कहा. मैंने सोच रही थी की अभी अभी मेरा बेटा अपना वीर्य मेरी गांड मे झाड़ के हटा है और अब मुझे अपने हनिमून पे साथ मे आने की दावत दे रहा है. में समझ चुकी थी की हनिमून पर भी संहूइक चुदाई के अलावा क्या होना था, मैंने सोचा. जो पहले ही हो चुका है उसे पीछे क्या हटना. अगर कुछ और होगा तो थोड़े दीनो मे मुझे पता चल जाएगा. “ठीक है जो हम लोगों के बीच हो चक्का है उसके बाद में हन बोलती हूँ.” मैंने कहा. “वा मज़ा आ गया तुम्हारी बात सुनकर. फिर तो हमे झशना मानना चाहिए.” कुंदन ने उछलते हुए कहा. “निकिता में एक बार फिर तुम्हारी गांड मारना चाहता हूँ.” हम चारों ने अपने बदन घुमाए, में और रंजना 69 की आवाष्ता मे थे और एक दूसरे की चूत को चूस रहे थे. कुंदन ने अपना लंड मेरी गांड मे डाल छोड़ रहा था और आयुष्मान रंजना की गांड मे लंड डाल पेल रहा था. दोनो हम दोनो को इसी तरह छोड़ते रहे जब तक की उनका पानी नही चूत गया. हम चारों तक गये थे और निढाल पड़े थे. आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है | फिर हम सबने साथ सहत स्नान किया और हॉल मे आकर बैठ गये. बातें करते हुए कुंदन ने बताया की शिमला के जिस होटेल मे बुकिंग कराई गयी हो वो छोड़ू लोगों के लिए मशहूर है. वहाँ हर तारह के जोड़े आते है और चुदाई का मज़ा लेते है. आयुष्मान ने बताया की उस होटेल में जोड़े आते ही इस लिए है की वहाँ पर अदला बदली आसानी से हो जाती है. “तब तो मज़ा आ जाएगा.” रंजना अपने होठों पर ज़ुबान फेरते हुए बोली.

कहानी जारी है …आगे की कहानी पढ़ने के लिए निचे दिए गए पेज नंबर पर क्लिक करें..

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ससुर ने बहु को ब्लू फिल्म देख के चोदा | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/bahu-ki-chudai/sasur-ne-bahu-ko-blue-film-dekh-ke-choda.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/bahu-ki-chudai/sasur-ne-bahu-ko-blue-film-dekh-ke-choda.html#respond Wed, 22 Mar 2017 23:29:02 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=8440 मरे पति ऑफिस की वजह से बहार गए हुए थे उनकी याद में मै ब्लू फिल्म लगाई ससुर ने मुझे देख लिया चुत में उंगली करते हुए ससुर ने बहु को ब्लू फिल्म देख के चोदा क्योकि उन्हें मेरी भड़की अन्तर्वासना के बारे में पता चल गया था और वो मेरी गर्मी निकलना चाहते थे

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प्रेषक मोनिका,

हैल्लो दोस्तों मै बहुत दिनो से ये सोच रही थी कि मै अपनी सेक्स लाइफ के बारे मैं कुछ लिखूं और आप सभी को कुछ बताऊँ, लेकिन मुझे ऐसा मौका ही नहीं मिल रहा था। तो आज मै आप सभी लोगो को मेरी ये कहानी बताने जा रही हूँ। दोस्तों ये मेरी पहली कहानी है, अगर इस में कोई ग़लती हो तो आप मुझे माफ़ कर दीजियेगा।

दोस्तों मेरा नाम मोनिका है, मुझे प्यार से लोग मोना भी कहते है। मैं अपनी तारीफ खुद क्या करूं, मेरा फिगर 32-28-34 है। मुझे देखकर सभी लड़के आहे भरते है। मैं एक शादीशुदा औरत हूँ, शादी के बाद मेरी सेक्स लाइफ बहुत अच्छी चल रही थी। मेरे पति रोज जब कभी भी समय मिलता सुबह हो या शाम मेरे साथ सेक्स करते थे। उन्होंने अपना लंड मुझे बहुत दिया और मेरी प्यास बुझाई थी।

तभी एक बार उन्हे ऑफीस के काम से एक महीने के लिये बहर जाना पड़ा था। उस समय घर पर मैं और मेरे ससुर अकले हो गये थे। मेरी सास की कुछ समय पहले डेथ हो चुकी थी और अब मेरे पति के जाने के बाद मेरी सेक्स कि प्यास अधूरी रह गई थी। तभी एक रात मैं अकेली बैठी टीवी पर ब्लू फिल्म देख रही थी और मैने कुछ नहीं पहना हुआ था कि तभी अचानक मेरी नज़र मेरे कमरे की खिड़की पर गई तभी मैने देखा वहाँ पर से कोई मेरे कमरे मैं देखने की कोशिश कर रहा था। मैने अचानक से टीवी बंद कर दी और अब कमरे मैं अंधेरा छा गया था।

उस पूरी रात मैं सो नहीं पाई थी, मुझे बहुत डर लगा और यही सोचती रही कि कहीं मेरे ससुर जी ने मुझे ब्लू फिल्म देखते हुआ देख लिया हो। अब दूसरे दिन सुबह मुझे ससुर जी के सामने भी जाना था और मुझे डर भी लग रहा था। अब मुझे ससुर जी ने आवाज़ दी बहु बेटा चाय लाना, मैं डरते हुए उनके सामने गई थी और उन्हे मैने चाय दी तभी अचानक से मेरी साड़ी का पल्लू थोड़ा नीचे सरक गया और ससुर जी कि नज़रे मेरे बूब्स पर चली गई थी। तभी वो मुझसे बोल पड़े बहु बेटा ज़रा संभाल कर काम किया करो और मुझे स्माइल दी, अब मेरी नज़र उनके लंड की तरफ गई वो उनका लंड मुझे देखकर खड़ा हो गया था।

अब मैं वहाँ से चली आई और अब में सारा दिन ससुर जी के बारे मे सोचती रही। मैने बहुत दिनो से सेक्स नहीं किया था, तभी मैने अपने ससुर जी के साथ सेक्स करने का प्रोग्राम बनाया था और अब मैं सोचने लगी कि ससुर जी को कैसे तैयार किया जाए सेक्स करने के लिये। अब मेरे दिमाग़ मैं एक आइडिया आया था। अब मैने ससुर जी को किचन मे बुलाया और कहा कि मुझे ऊपर अलमारी से सामान निकालना है, तो आप यहाँ पर आकर ज़रा स्टूल पकड़ ले और वो आ गये थे और मैं अलमारी से सामान निकालने लगी थी। अब मेरी कमर मेरे ससुर जी को साफ साफ दिख रही थी, तभी मैने अचानक से गिरने का नाटक किया और मैं ससुर जी के ऊपर गिर गई थी।
उस समय मेरे बूब्स उनके मुहं में समा गये थे। अब मैंने उठने का नाटक किया और फिर उनके ऊपर गिर गई थी। ससुर जी ने मुझे उठाया, में कमर और पैरो मे चोट लगने का बहाना करने लगी थी, अब मुझे ससुर जी ने सहारा देकर मेरे बेडरूम तक पहुँचाया था, तभी मैने ससुर जी से दवाई लगाने को कहा और वो मान गये थे। अब मैने अपनी साड़ी ऊपर की और वो मेरे पैरो मैं दवाई लगाने लगे थे और मैं गरम होने लगी थी। दवाई लगाते लगाते उनका हाथ मेरी जाँघो तक पहुंच गया था। अब उनके हाथ मेरे बूब्स को छुए थे मेरे बूब्स को टच होने पर मुझे कुछ होने लगा था।

तभी ससुर जी ने पूछा तुम्हे कैसा लग रहा है बहु बेटा, मैने भी कह दिया अब मुझे ठीक लग रहा है, तो उन्होने कहा क्यो मज़ा नहीं आ रहा है क्या और वो मुस्कराने लगे थे। अब मैने भी उन्हे स्माईल दी फिर ससुर जी एक हाथ से मेरे बूब्स पर फेरने लगे थे। मैने कहा आप ये क्या कर रहे हो, अब ससुर जी कहने लगे कि जो तुम्हे पसंद है बहु बेटा और फिर मेरे होंठो पर हाथ फेरने लगे थे और मुझे ज़ोर से किस करने लगे थे। अब मै भी पूरी तरह गरम हो चुकी थी और अब मैं भी उन्हे किस का रेस्पॉन्स देने लगी थी।

अब हम दस मिनट तक किस करते रहे, फिर ससुर जी ने मेरे ब्लाउज के ऊपर से ही मेरे बूब्स को चूसने लगे थे, फिर ससुर जी ने मेरी साड़ी और ब्लाउज उतार दिया मैं सिर्फ़ उनके सामने ब्रा और पेंटी मैं थी। अब वो मेरे ऊपर आ कर मेरे बूब्स को चूसने लगे थे। उन्होने मेरी ब्रा एक झटके मैं उतार फेकी थी और मेरे बूब्स को कुत्तो कि तरह चाटने लगे थे और मैंने कहा ससुर जी थोड़ा आराम से कीजिये लेकिन वो नहीं माने और मेरे बूब्स को काटने और चाटने लगे थे।

जब वो मेरे बूब्स को चूस रहे थे तभी उन्होने एक हाथ मेरी पेंटी के अंदर डाल दिया और मेरी चूत को रब करने लगे थे 15 मिनट तक वो यही करते रहे। अब मैं बहुत गरम हो गई थी और तभी उन्होने अपना लंड मेरे मुहं मैं डाल दिया था। लेकिन उनका लंड बहुत छोटा था 10 मिनट लंड को चूसने के बाद उन्होने कहा बहु बेटा मज़ा तो आ रहा है ना, अब मैने उन्हे प्यारी सी एक स्माइल दी और वो भी हंसने लगे थे। दोस्तों आप ये कहानी मस्ताराम डॉट नेट पे पढ़ रहे है।

अब ससुर जी ने मेरी चूत मैं अपना लंड रखा और एक ही झटके मैं चूत के अंदर डाल दिया था और मैं चीख पड़ी थी। अब उन्होंने एक और ज़ोर का झटका मारा और उनका पूरा लंड चूत के अंदर चला गया था। अब मैं बहुत जोर से चीख पड़ी थी। दो मिनट बाद जब मैं शांत हुई तब ससुर जी ने अपना लंड अंदर बाहर करना शुरू कर दिया था और अब मुझे भी बहुत मज़ा आने लगा था। अब मैं भी उनका साथ देने लगी थी। बीस मिनट तक वो मुझे चोदते रहे बीस मिनट के बाद उनका लंड झड़ गया था और ससुर जी ने अपना पूरा वीर्य मेरी चूत मैं ही छोड़ दिया था और मेरे ऊपर ही गिर गये थे। करीब 15 मिनट बाद ससुर जी ने एक बार मुझे फिर चोद दिया था।

अब मैं उठ कर बाथरूम मे गई और वहाँ पर मै अपने को साफ करने लगी और बाहर आकर अपने कपड़े पहनने लगी थी। तभी ससुर जी ने मेरी ब्रा और पेंटी मुझसे छीन ली, तो मैने कहा कि ससुर जी मुझे मेरे कपड़े दे दीजिये अब मुझे खाना बनाना है तो वो कहने लगे कि तुम आज खाना बिना कपड़ो के भी बना सकती हो बहु बेटा और हंसने लगे थे।

उस दिन मैं पूरे दिन उनके सामने नंगी रही और वो सारा दिन मेरे साथ खेलते रहे। उन्होंने मुझे पूरे दिन मे कई बार चोदा था और मै भी पूरे मजे से चुदवा रही थी। उन्होने रात के समय मे चोद कर मेरी हालत बहुत खराब की और कभी वो लंड को चूत मे डालते कभी गांड में और कभी मेरे मुहं में लेकिन इस चुदाई से आज उन्होंने मेरी पूरी प्यास बुझाई थी और मुझे पूरा मजा दिया था। अब जब कभी मेरे पति बाहर या ऑफीस जाते है तो मैं अपने ससुर जी की सेवा करती हूँ और वो मुझे अपना लंड देते है ।।

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चुदक्कड बहु की चूत प्यासे ससुर का लौड़ा -17 | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/bahu-ki-chudai/chudakkad-bahu-ki-chut-pyase-sasur-ka-lauda-17.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/bahu-ki-chudai/chudakkad-bahu-ki-chut-pyase-sasur-ka-lauda-17.html#respond Tue, 28 Feb 2017 02:52:46 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=7714 उसका लौड़ा अब पूरी तरह से तन गया था। चांदनी अब उसके लौड़े पर वैसे ही अपनी बुर रख कर बैठी जैसे मम्मी पापाजी के लौड़े पर बैठी थी। अब वह अपनी कमर उछाल कर चुदवाने लगी। आकाश भी उसकी हिलती हुई चूचियाँ दबाने लगा।

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यह कहानी निम्न शृंखला का एक भाग है:

चुदक्कड बहु की चूत प्यासे ससुर का लौड़ा -16

हेल्लो दोस्तों आज मेरी कहानी की चुदक्कड बहु की चूत प्यासे ससुर का लौड़ा -17 वी कड़ी है कहानी का मज़ा तभी आता है जब पूरी कहानी पढ़ी जाए जैसे आप कोई फिल्म देखते है अगर आधे में छोड़ दे तो फिल्म का मजा नहीं आता अगर आपने इस कहानी की पहली कड़ी नहीं पढ़ा है तो आप ऊपर दिए गये पाठ पर क्लिक करे जरुर पढ़े | अब आगे की कहानी का मज़ा ले |

उस दिन शाम को रूपा और राजेश को लेने अजित बस अड्डा गया। रूपा बस से उतरी तो वह उसे देखता ही रह गया । काली साड़ी में उसका गोरा बदन क़हर ढा रहा था। छोटा सा ब्लाउस आधी चूचियाँ दिखा रहा था और उसकी गहरी नाभि उस पारदर्शी साड़ी में बहुत आकर्षक लग रही थी। वह अपना सामान उठाने झुकी तो उसकी सामने की क्लिवेज़ देखते ही बनती थी। दोनों गोलायीयाँ जैसे अलग अलग से मचल रही थीं बाहर आने के लिए।

राजेश भी आकर अजित से गले मिला और रूपा भी उसके पास आकर नमस्ते की। अजित ने उसका हाथ पकड़कर दबाया और बोला: आऽऽऽंह जानू क्या क़ातिल लग रही हो?

रूपा: हा हा आपका चक्कर चालू हो गया। आप भी बहुत स्मार्ट लग रहे हो।

अजित राजेश से बात करता हुआ रूपा के पीछे चलने लगा। उफफफ क्या मस्त चूतर हैं। कैसे मटक रहे हैं। कार में बैठने लगे तो रूपा को आगे बैठने को कहा। राजेश पीछे बैठा। कार चला कर वह रूपा को बोला: आज तो काली साड़ी में तुम्हारा गोरा बदन बहुत चमक रहा है। उसने रूपा की जाँघ दबाकर कहा।

रूपा: आप ही तो बोले थे की सेक्सी साड़ी पहनना , तो मैं ये पहन ली। आपको अच्छी लगी चलिए ठीक है।

वह अजित के हाथ के ऊपर अपना हाथ रखी और दबाने लगी।

अजित : और राजेश भाई क्या हाल है? हमारी जान का ख़याल रखते हैं ना?

राजेश: हाँ जी रखते हैं। पर ये तो आपको बहुत याद करती रहती है।

अजित: सच मेरी जान? ये कहते हुए उसने रूपा की बुर को साड़ी के ऊपर से दबा दिया।

रूपा मज़े से टाँगें फैला दी ताकि वह मज़े से उसको सहला सके। वह बोली: अरे घर जाकर ये सब कर लीजिएगा । अभी कार चलाने पर ध्यान दीजिए।

अजित: क्या करें सबर ही नहीं हो रहा है। देखो कैसे खड़ा है तुम्हारे लिए? अजित ने अपना लौड़ा पैंट के ऊपर से दबाकर कहा। रूपा भी आगे आकर उसके पैंट के ऊपर से लौड़े को दबाकर मस्ती से भर उठी। फिर बोली: आऽऽह सच में बहुत जोश में है ये तो। फिर वह उसे एक बार और दबाकर अपनी जगह पर आके बैठी और बोली: आज तो ये मेरी हालत बुरी करने वाला है। सब हँसने लगे।

घर पहुँच कर रूपा चांदनी से लिपट गयी और प्यार करने लगी। चांदनी भी सब कुछ भूलकर उससे लिपट गयी। फिर चांदनी राजेश से मिली और राजेश ने भी उसे प्यार किया।

अब सब लोग सोफ़े पर बैठे और चांदनी चाय बनाने चली गयी। अजित पहले ही समोसे और जलेबियाँ ले आया था। वह उसे सजाने लगी, तभी रूपा किचन में आयी और चांदनी से बोली: बेटी ख़ुश हो ना यहाँ? आकाश के साथ अच्छा लगता है ना? तुमको ख़ुश तो रखता है?

चांदनी: उफ़्फ़ मम्मी आप भी कितने सवाल पूछ रही हो। मैं बहुत ख़ुश हूँ और आकाश मेरा पूरा ख़याल रखते हैं।

रूपा: चलो ये बड़ी अच्छी बात है। भगवान तुम दोनों को हमेशा ख़ुश रखे।

चांदनी: चलो आप बैठो मैं नाश्ता लेकर आती हूँ।

रूपा भी उसकी मदद करते हुए नाश्ता और चाय लगाई। सब नाश्ता करते हुए चाय पीने लगे।

रूपा: आकाश कब तक आएँगे?

अजित: उसको आज जल्दी आने को कहा है आता ही होगा।

चांदनी: मम्मी आपका सामान महक दीदी वाले कमरे में रख देती हूँ। ताऊ जी आपका सामान पापा जी के कमरे में रख दूँ क्या?

अजित: अरे बहु तुम क्यों परेशान होती हो, मैं भाभी का समान रख देता हूँ , चलो भाभी आप कमरा देख लो। और हाँ बहु तुम आकाश को फ़ोन करो और पूछो कब तक आ रहा है।आओ राजेश जी आप भी देख लो कमरा।

तीनों महक वाले कमरे में सामान के साथ चले गए। चांदनी आकाश को फ़ोन करने का सोची। तभी उसे महसूस हुआ कि ये तीनों कमरा देखने के बहाने उस कमरे में क्यों चले गए। शायद मस्ती की शुरुआत करने वाले हैं। मुझे बहाने से अलग किया जा रहा है। ओह तो ये बात है , वह चुपचाप उस कमरे की खिड़की के पास आइ और हल्का सा परदा हटाई और उसकी आँखें फटी की फटी रह गयीं।

सामने मम्मी पापा जी की बाहों में जकड़ी हुई थी और दोनों के होंठ चिपके हुए थे ।पापा जी के हाथ उसकी बड़ी बड़ी गाँड़ पर घूम रहे थे। ताऊ जी भी उनको देखकर मुस्कुरा रहा था और पास ही खड़ा होकर मम्मी की नंगी कमर सहला रहा था। फिर अजित रूपा से अलग हुआ और उसकी साड़ी का पल्ला गिराकर उसकी ब्लाउस से फुली हुई चूचियों को दबाने लगा और उनके आधे नंगे हिस्से को ऊपर से चूमने लगा।

उधर राजेश उसके पीछे आकर उसकी गाँड़ सहलाए जा रहा था

चांदनी की बुर गरम होने लगी और उसके मुँह से आह निकल गयी। तभी पापा जी ने कहा: अरे क्या मस्त माल हो जान। सच में देखो लौड़ा एकदम से तन गया है।

मम्मी: आज छोड़िए अब मुझे, रात को जी भर के सब कर लीजिएगा। फिर हाथ बढ़ाके वह एक एक हाथ से पापा और ताऊ के लौड़े को पैंट के ऊपर से दबाते हुए बोली: देखो आपकी भी हालत ख़राब हो रही है, और मेरी भी बुर गीली हो रही है।

पापा नीचे बैठ गए घुटनो के बल और बोले: उफफफफ जान, एक बार साड़ी उठाके अपनी बुर के दर्शन तो करा दो। उफफफ मरा जा रहा हूँ उसे देखने के लिए।

चांदनी एकदम से हक्की बक्की रह गयी और सोची कि क्या उसकी बेशर्म मॉ उनकी ये इच्छा भी पूरी करेगी। और ये लो मम्मी ने अपनी साड़ी और पेटिकोट उठा दिया। पापा की आँखों के सामने मम्मी की मस्त गदराई जाँघें थी जिसे वो सहलाने लगे थे। और उनके बीच में उभरी हुई बिना बालों की बुर मस्त फूली हुई कचौरी की तरह गीली सी दिख रही थी। पापा ने बिना समय गँवाये अपना मुँह बुर के ऊपर डाल दिया और उसकी पप्पियां लेने लगे। मम्मी की आँखें मज़े से बंद होने लगी। फिर उन्होंने पापा का सिर पकड़ा और ही वहाँ से हटाते हुए बोली: उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ बस करिए। चांदनी आती होगी।

पापा पीछे हटे और चांदनी की आँखों के सामने मम्मी की गीली बुर थी। तभी पापा ने उनको घुमाया और अब मम्मी के बड़े बड़े चूतर उसके सामने थे। चांदनी भी उनकी सुंदरता की मन ही मन तारीफ़ कर उठी। सच में कितने बड़े और गोल गोल है। पापा ने अब उसके चूतरों को चूमना और काटना शुरू कर दिया। मम्मी की आऽऽहहह निकल गई। फिर पापा ने जो किया उसकी चांदनी ने कभी कल्पना नहीं की थी। पापा ने उसकी चूतरों की दरार में अपना मुँह डाला और उसकी गाँड़ को चाटने लगे।उफफगग ये पापा क्या कर रहे हैं ।मम्मी भी हाऽऽऽय्यय कर रही थी। फिर वह आगे बढ़के उससे अपने आप को अलग की और अपनी साड़ी नीचे की और बोली: बस करिए आप नहीं तो मैं अभी के अभी झड़ जाऊँगी। उफफफफ आप भी पागल कर देते हो।

पापा उठे और अपने लौड़े को दबाते हुए बोले: ओह सच में बड़ी स्वाद है तुम्हारी बुर और गाँड़ । वाह मज़ा आ गया।
मम्मी: आप दोनों ऐसे तंबू तानकर कैसे बाहर जाओगे। चांदनी क्या सोचेगी। आप दोनों यहाँ रुको और थोड़ा शांत होकर बाहर आना । यह कहते हुए मम्मी ने बड़ी बेशर्मी से अपनी बुर को साड़ी के ऊपर से रगड़ी और बाहर आने लगी। चांदनी भी जल्दी से किचन में घुस गयी। उसकी सांसें फूल रही थी और छातियाँ ऊपर नीचे हो रहीं थीं। उसकी बुर गीली हो गयी थी। तभी रूपा अंदर आइ और चांदनी उसे देखकर सोची कि इनको ऐसे देखकर कोई सोच भी नहीं सकता कि ये औरत अभी दो दो मर्दों के सामने अपनी साड़ी उठाए नंगी खड़ी थी और अपनी बुर और गाँड़ चटवा रही थी।

रूपा: बेटी आकाश से बात हुई क्या? कब आ रहा है वो? कितने दिन हो गए इसे देखे हुए?

चांदनी: हाँ मम्मी अभी आते होंगे। दुकान से निकल पड़े हैं।

तभी आकाश आ गया और उसने रूपा के पाँव छुए। तभी अजित और राजेश कमरे से बाहर आए और ना चाहते हुए भी चांदनी की आँख उनके पैंट के ऊपर चली गयी और वहाँ अब तंबू नहीं तना हुआ था। उसे अपने आप पर शर्म आयी कि वह अपने ताऊजी और ससुर के लौड़े को चेक कर रही है कि वो खड़े हैं कि नहीं! छी उसे क्या हो गया है, वह सोची।

फिर सब बातें करने लगे और आकाश के लिए रूपा चाय बना कर लाई। आकाश: मम्मी आप बहुत अच्छी चाय बनाती हो, चांदनी को भी सिखा दो ना।

चांदनी ग़ुस्सा दिखाकर बोली: अच्छा जी , अब आप ख़ुद ही चाय बनाइएगा अपने लिए।

सब हँसने लगे। अजित: आकाश मुझे तो बहु के हाथ की चाय बहुत पसंद है। वैसे सिर्फ़ चाय ही नहीं मुझे उसका सब कुछ पसंद है। पता नहीं तुमको क्यों पसंद नहीं है।

रूपा चौक कर अजित को देखी और सोचने लगी कि अजित ने चांदनी के बारे में ऐसा क्यों कहा?

आकाश: अरे पापा जी, चांदनी को मैं ऐसे ही चिढ़ा रहा था।

फिर सब बातें करने लगे और फिर अजित ने कहा: चलो डिनर पर चलें?

आकाश: जी पापा जी चलिए चलते हैं, मैं थोड़ा सा फ़्रेश हो लेता हूँ।

रूपा: हाँ मैं भी थोड़ा सा फ़्रेश हो आती हूँ।

अजित: चलो राजेश, हम भी तैयार हो जाते हैं।

इस तरह सब तैयार होने के लिए चले गए।

अजित और राजेश सबसे पहले तैयार होकर सोफ़े पर बैठ कर इंतज़ार करने लगे। तभी रूपा आयी ।उसके हाथ में एक पैकेट था। और एक बार फिर से दोनों मर्दों का बुरा हाल हो गया। वह अब टॉप और पजामा पहनी थी। उफफफ उसकी बड़ी चूचियाँ आधी टॉप से बाहर थीं। उसने एक चुनरी सी ओढ़ी हुई थी ताकि चूचियाँ जब चाहे छुपा भी सके। वह मुस्कुराकर अपनी चूचियाँ हिलायी और एक रँडी की तरह मटककर पीछे घूमकर अपनी गाँड़ का भी जलवा सबको दिखाया। सच में टाइट पजामे में कसे उसके चूतर मस्त दिख रहे थे अब वह हँसकर अपनी चुन्नी को अपनी छाती पर रख कर अपनी क्लिवेज को छुपा लिया।

अजित: क्या माल हो जान।वैसे इस पैकेट में क्या है?

रूपा: मेरी बेटी के लिए एक ड्रेस है। उसे देना है।

फिर वह चांदनी को आवाज़ दी: अरे बेटी आओ ना बाहर । अभी तक तुम और आकाश बाहर नहीं आए।

आकाश बाहर आया और बोला: मम्मी जी मैं आ गया। आपकी बेटी अभी भी तैयार हो रही है।

रूपा: मैं जाकर उसकी मदद करती हूँ । यह कहकर वह चांदनी के कमरे में चली गयी। वहाँ चांदनी अभी बाथरूम से बाहर आयी और मम्मी को देखकर बोली: आप तैयार हो गयी ? इस पैकेट में क्या है?

रूपा: तेरे लिए एक ड्रेस है। चाहे तो अभी पहन ले। रूपा ने अब अपनी चुनरी निकाल दी थी।

चांदनी उसके दूध देख कर बोली: मम्मी आपकी ये ड्रेस कितनी बोल्ड है। आपको अजीब नहीं लगता ऐसा ड्रेस पहनने में ?

रूपा: अरे क्या बुड्ढी जैसे बात करती हो ? थोड़ा मॉडर्न बनो बेटी। देखो ये ड्रेस देखो जो मैं लाई हूँ।

चांदनी ने ड्रेस देखी और बोली: उफफफ मम्मी ये ड्रेस मैं कैसे पहनूँगी? पापा और ताऊ जी के सामने? पूरी पीठ नंगी दिखेगी और छातियाँ भी आपकी जैसी आधी दिखेंगी। ओह ये स्कर्ट कितनी छोटी है। पूरी मेरी जाँघें दिखेंगी। मैं इसे नहीं पहनूँगी।

रूपा: चल जैसी तेरी मर्ज़ी। तुझे जो पहनना है पहन ले, पर जल्दी कर सब इंतज़ार कर रहे हैं।

चांदनी ने अपने कपड़े निकाले। उसने अपना ब्लाउस निकाला और दूसरा ब्लाउस पहनना शुरू किया। रूपा उसकी चूचियाँ ब्रा में देखकर बोली: बड़े हो गए हैं तेरे दूध। ३८ की ब्रा होगी ना? लगता दामाद जी ज़्यादा ही चूसते हैं। यह कहकर वह हँसने लगी ।

चांदनी : छी मम्मी क्या बोले जा रही हो। वैसे हाँ ३८ के हो गए हैं। फिर उसने अपनी साड़ी उतारी और एक पैंटी निकाली और पहनने लगी पेटिकोट के अंदर से।

रूपा: अरे तूने पुसंजू पैंटी तो निकाली नहीं? क्या घर में पैंटी नहीं पहनती?

चांदनी शर्म से लाल होकर: मम्मी आप भी पैंटी तक पहुँच गयी हो। कुछ तो बातें मेरी पर्सनल रहने दो।

रूपा: अरे मैंने तो अब जाकर पैंटी पहनना बंद किया है, तूने अभी से बंद कर दिया? वाह बड़ा हॉट है हमारा दामाद जो तुमको पैंटी भी पहनने नहीं देता।

चांदनी: मामी आप बाहर जाओ वरना मुझे और देर जो जाएगी। रूपा बाहर चली गयी। साड़ी पहनते हुए वो सोची कि उसने पैंटी पहनना पापाजी के कहने पर छोड़ा या आकाश के कहने पर? वह मुस्कुरा उठी शायद दोनो के कहने पर।

तैयार होकर वो बाहर आयी। साड़ी ब्लाउस में बहुत शालीन सी लग रही थी। रूपा ने भी अभी चुनरी लपेट रखी थी।

अजित: तो चलें अब डिनर के लिए। सब उठ खड़े हुए और बाहर आए।

आकाश: पापा जी मैं कार चलाऊँ?

अजित: ठीक है । राजेश आप आगे बैठोगे या मैं बैठूँ?

राजेश: मैं बैठ जाता हूँ आगे। आप पीछे बैठो ।

अब अजित ने रूपा को अंदर जाने को बोला। रूपा अंदर जाकर बीच में बैठ गयी। चांदनी दूसरी तरफ़ से आकर बैठी और अजित रूपा के साथ बैठ गया। तीनों पीछे थोड़ा सा फँसकर ही बैठे थे। रूपा का बदन पूरा अजित के बदन से सटा हुआ था। अजित गरमाने लगा। जगह की कमी के कारण उसने अपना हाथ रूपा के कंधे के पीछे सीट की पीठ पर रखा और फिर हाथ को उसके कंधे पर ही रख दिया और उसकी बाँह सहलाने लगा। उसका हाथ साथ बैठी चांदनी की बाँह से भी छू रहा था। चांदनी ने देखा तो वह समझ गयी कि अभी ही खेल शुरू हो जाएगा। रात के ८ बजे थे ,कार में तो अँधेरा ही था। तभी अजित ने रूपा की बाँह सहलाते हुए उसकी चुन्नी में हाथ डाला और उसकी एक चूचि पकड़ ली और हल्के से दबाने लगा। चांदनी हैरान होकर उसकी ये हरकत देखी और उसने रूपा को अजित की जाँघ में चुटकी काटकर आँख से मना करने का इशारा करते भी देखी। पर वो कहाँ मानने वाला था। अब उसने चांदनी की बाँह में हल्की सी चुटकी काटी और फिर से उसे दिखाकर उसकी मम्मी की चूचि दबाने लगा और उसने चांदनी को आँख भी मार दी।

चांदनी परेशान होकर खिड़की से बाहर देखने लगी। अब अजित ने थोड़ी देर बाद रूपा का हाथ लेकर अपने लौड़े पर रखा और रूपा उसे दबाने लगी। फिर वह अपना हाथ रूपा की चूचि से हटा कर चांदनी की बाँह सहलाने लगा। चांदनी चौंक कर पलटी और उसकी आँख रूपा के हाथ पर पड़ी जो कि अजित के पैंट के ज़िपर पर थी। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ मम्मी भी ना,कितनी गरमी है इनमे अभी भी। तभी अजित का हाथ उसकी चूचि पर आ गया। वह धीरे से उसको घूरी और उसका हाथ हटाते हुए बोली: पापा जी जगह कम पड़ रही है तो मैं टैक्सी में आ जाती हूँ।

रूपा ने झट से अपना हाथ हटा लिया।

आकाश: क्या हुआ? आप लोग आराम से नहीं हो क्या?

अजित: अरे नहीं बेटा, सब ठीक है। मैं ज़रा हाथ फैलाकर बैठा तो बहु को लगा कि मैं आराम से नहीं बैठा हूँ। सब ठीक है तुम गाड़ी चलाओ। वो चांदनी को आँख मारते हुए बोला।

फिर थोड़ी देर बाद उसने रूपा का हाथ अपने लौड़े पर रख दिया जिसे वो दबाने लगी। और वह रूपा की दोनों चूचि बारी बारी से दबाने लगा। चांदनी ने देखा और फिर खिड़की से बाहर देखने लगी। उसने सोचा कि जब वो दोनों इसमें मज़ा ले रहे हैं तो वो भला इसमें क्या कर सकती है।

थोड़ी देर में वो एक शानदार रेस्तराँ में पहुँचे। आकाश और राजेश बाहर आए और चांदनी और रूपा भी बाहर आ गए। अजित अपनी पैंट को अजस्ट किया कि क्योंकि उसकी पैंट का तंबू ज़रा ज़्यादा ही उभरा हुआ दिख रहा था। वो भी वहाँ हाथ रखकर बाहर आया। ख़ैर डिनर टेबल तक पहुँचते हुए उसका लौड़ा थोड़ा शांत हो गया था।

टेबल गोल थी। अजित के बग़ल में रूपा बैठी और उसकी बग़ल में राजेश बैठा। उसकी बग़ल में आकाश और फिर चांदनी बैठी। चांदनी के बग़ल में एक कुर्सी ख़ाली थी।

अजित: राजेश थोड़ा सा ड्रिंक चलेगा?

राजेश: यार परिवार के साथ अटपटा लगता है।

अजित: अरे इसने अटपटा की क्या बात है? सब अपने ही तो हैं। बोलो रूपा, अगर हम पिएँ तो तुमको कोई आपत्ती है क्या?

रूपा: मुझे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता। आकाश से पूछ लीजिए।

आकाश: पापा जी लीजिए ना जो लेना है। और उसने वेटर को आवाज़ दी।

अजित ने उसे दो पेग व्हिस्की लाने को कहा। फिर उसके जाने के बाद राजेश बोला: आकाश अभी तक लेनी शुरू नहीं की क्या?

आकाश: ताऊ जी कॉलेज में एक दो बार लिया था। पर आप लोगों के सामने हिचक होती है।

अजित: अरे बेटा अब तुम जवान हो गए हो। इसमें हिचकना कैसा? चलो तुम्हारे लिए भी मँगाते हैं। पर बेटा, इसको कभी भी आदत नहीं बनाना। कभी कभी ऐसे अवसरों पर चलता है।

फिर वह रूपा से बोला: भाभी आप भी वाइन ट्राई करो ना। आजकल बहुत आम बात है लेडीज़ का वाइन पीना।

राजेश: हाँ रूपा ले लो ना वाइन। यह तो सभी औरतें आजकल लेती हैं। बोलो मँगाए क्या?

रूपा हँसकर : मैंने तो आज तक कभी ली नहीं है। मेरे दामाद जी बोलेंगे तो लूँगी नहीं तो नहीं लूँगी।

आकाश हँसकर: मम्मी जी आप भी ट्राई करिए ना।फिर चांदनी से बोला: चांदनी तुम भी लो ना थोड़ी सी वाइन।

चांदनी: ना बाबा , मुझे नहीं लेना है। मम्मी को लेना है तो ले लें।

अजित ने वाइन भी मँगा ली। चांदनी के लिए कोक मँगाया।

अब सबने चियर्स किया और पीने लगे। रूपा: ये तो बहुत स्वाद है। चांदनी तू भी एक सिप ले के देख।

चांदनी ने थोड़ी देर विरोध किया पर जब आकाश भी बोला: अरे क्या हर्ज है एक सिप तो ले लो। तो वो मना नहीं कर पाई और मम्मी की वाइन के ग्लास से एक सिप ली।

रूपा: कैसी लगी?

चांदनी: अच्छी है मम्मी। स्वाद तो ठीक है।

फिर क्या था उसी समय अजित ने चांदनी के लिए भी एक वाइन का ग्लास मँगा लिया। अब सब पीने लगे। क्योंकि रूपा और चांदनी पहली बार पी रहे थे जल्दी ही उनको नशा सा चढ़ने लगा। सभी जोक्स सुनाने लगे और ख़ूब मस्ती करने लगे। जल्दी ही पीने का दूसरा दौर भी चालू हुआ। चांदनी ने मना कर दिया कि और नहीं पियूँगी। पर अजित ने उसके लिए भी मँगा लिया।

दूसरे दौर में तो आकाश को भी चढ़ गयी। अब वो भी बहकने लगा। चांदनी ने अपना दूसरा ग्लास नहीं छुआ। बाक़ी सब पीने लगे। अब अडल्ट्स जोक्स भी चालू हो गए और सब मज़े से थोड़ी अश्लील बातें भी करने लगे। चांदनी हैरान रह गयी जब आकाश ने भी एक अश्लील जोक सुनाया।

रूपा भी अब बहकने लगी थी। अजित उसे बार बार छू रहा था और वह भी उसको छू रही थी। आकाश भी चांदनी को छू रहा था। चांदनी को बड़ा अजीब लग रहा था। वह बार बार उसकी जाँघ दबा देता था।

तभी खाना लग गया। सब खाना खाने लगे। अजित ने रूपा को एक और वाइन पिला दी जो कि चांदनी ने भी पी थी। खाना खाते हुए अचानक अजित अपने फ़ोन पर कुछ करने लगा और फिर चांदनी के फ़ोन में कोई sms आया । वह चेक की तो पापाजी का ही मेसिज था: बहु, चम्मच गिरा दो और उसे उठाने के बहाने टेबल के नीचे देखो ।

चांदनी ने अजित को देखा तो उसने आँख मार कर नीचे झुकने का इशारा किया। चांदनी ने उत्सुकतावश नीचे चम्मच गिराया और उसको उठाने के बहाने से टेबल के नीचे देखी और एकदम से सन्न रह गयी। उसने देखा कि पापा जी की पैंट से उनका लौड़ा बाहर था और मम्मी की मुट्ठी में फ़ंसा हुआ था। राजेश ताऊजी का हाथ मम्मी की जाँघ पर था और वह काफ़ी ऊपर तक क़रीब बुर के पास तक अपने हाथ को ले जाकर मम्मी को मस्त कर रहे थे।

कहानी जारी है ….. आगे की कहानी पढने के लिए निचे लिखे पेज नंबर पर क्लिक करे …..

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