“क्या हुआ बहु. तुम इतना डरी डरी क्यों हो… क्या हुआ?” ससुर ने पूछा.
“पापा जी वो उधर …उधर …” रूचि को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या बोले.
वो सासु मन के कमरे की तरफ देख रही थी. और जैसे काँप रही थी.
“आप तो मम्मी जी के साथ थे न?……” रूचि हकलाते हुए बोल रही थी.
मोहन को समझ में आ चुका था की रूचि ने उनकी पत्नी प्रमिला को उनके भाई राजू के साथ रंगरेलियां मनाते देख लिया है. मोहन और राजू ने शुरू से अपने बीच में कोई पर्दा नहीं रखा, जवानी में नौकरानी से ले कर कॉलेज में रत्ना तक,जब भी किसी एक को चूत मिली तो उसने दुसरे के साथ मिल बाँट कर उसे चोदा. यहाँ तक शादी कि सुहागरात तक में दोनों नयी दुल्हन के साथ रहे. और आज भी दोनों एक दुसरे के घर जा कर एक दुसरे कि पत्नियों को नियमित रूप से चोदते थे. मोहन को पता था कि रूचि सारा दिन घर पर रहेगी तो किसी न किसी दिन उसे पता तो चलेगा ही. इसी लिए उन्होंने योजना बना रखी थी कि रूचि को थोड़े दिन में किसी प्रकार से अपनी इन गतिविधिओं में शामिल कर लेंगे. पर आज अचानक से यह स्थिति आ गयी तो उन्हें लगा कि अब वो दिन आ गया है. उसने रूचि का हाथ पकड़ लिया और पूछा,
“उस कमरे में कुछ भूत है क्या? आओ चल कर देखते हैं बेटी.” रूचि इस सब बातों से अनजान थी. पर वो नहीं चाहती थी कि उसकी सास कि उसके ससुर इस अवस्था में देखे. “नहीं पापा जी…कुछ नहीं हैं” वो बोली. “अरे नहीं बहूँ. डर का हमेशा सामना करना चाहिए.” कहते हुए मोहन अपनी बहु को लगभग खींचता हुआ कमरे के अन्दर ले गया.
प्रमिला देवी अपनी पीठ पर सीधा लेती हुईं थीं. उनके दोनों पैर हवा में थे. और राजू अपना मोटा लंड उनकी चूत में अन्दर बाहर पेल रहा था. चूत गीली थी हर झटके में चपर चपर की आवाज आती थी.
मनोरमा शर्म के मारे वो सब देख नहीं पा रही थी. अगर उसके ससुर ने उसका हाथ नहीं पकड़ रखा होता तो वो वहां से भाग ही जाती. पर उसकी हैरानी उस समय दुगुनी हो गयी जब उसने अपने ससुर मुस्कराते हुए देखा.
“सूरज भाई, और जोर से पेलो अपनी भाभी को. जरा हमारी बहू भी तो देखे की हम लोग भी किसी जवान लड़के से कम नहीं हैं.”
जब मोहन ये बोले, तब जा कर प्रमिला देवी और राजू को पता चला कि कमरे में और दो लोग हैं. दोनों ने मोहन की तरफ देखा और मुस्करा दिए. उनके चुदाई के काम में को भी रुकावट नहीं आयी.
रूचि अब थोडा थोडा समझ गयी कि मामला थोडा पेंचीदा है. पर उसकी समझ में ये गया कि सास ससुर खुल कर जीवन का आनंद लेते हैं. ससुर ने अपने दुसरे हाथ से अपना लंड पतलून से बाहर निकाल लिया. और रूचि का हाथ अपने लंड पर रख दिया. दोस्तों आप लोग यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | रूचि तो मानों चौंक उठी. उसे समझ नहीं आ रहा था कि क्या कुछ हो रहा है, पर ये सब देख कर उसकी चूत थोड़ी गीली सी हो गयी थी. उसने सोचा कि अगर वो इस कमरे से जबरदस्ती भाग गयी, तो उसके सास ससुर उसे परेशान करेंगे. उसके बारे में पता नहीं क्या कुछ अजय के कान भर के उसे घर से निकलवा दें. उसने खुद को हालात के ऊपर ही छोड़ देना उचित समझा. वह नीचे देख रही थी. उसका हाथ उसके ससुर ने जबरदस्ती खींच कर अपने लंड पर रखा हुआ था. रूचि ने अपना हाथ से धीरे धीरे ससुर के लंड को सहलाने लगी. ससुर का लंड खड़ा हो चुका था. वो रूचि को लेकर बिस्तर के कोने में बैठ गया. उसकी पत्नी और उसका भाई अभी चुदाई कर रहे थे और बिस्तर हर झटके पर हिल रहा था. मोहन ने रूचि का ब्लाउज और ब्रा उतार दिए और उसकी गोल गोल चुंचियां सहलाने लगे. रूचि एक दम गरम हो चुकी थी. ससुर ने उसे नीचे बैठा दिया और अपना खड़ा लंड उसके होठों पर लगा दिया. रूचि ने ससुर का इशारा समझते ही उनका लंड मुंह मने ले लिया और उसे धीरे धीरे चुभलाने लगी. ससुर जी बहु के मुखचोदन करने लगे. थोड़े देर रूचि के मुंह का आनंद लेने के बाद उन्होंने रूचि को प्रमिला देवी के बगल में लिटा दिया. “देखो तुम्हारी सास पूरी नंगी है, इस लिए तुम्हें भी नंगा होना पड़ेगा बहूँ”, मोहन बोले. रूचि के रहे सहे कपडे भी दो मिनट में उतार फेंके. दोनों हाथों से उसकी टाँगे चौडी कि और रूचि की चूत कि फाँकें चाटने लगे. रूचि गहरी सीत्कारें भर रही थी. इसी बीच उसकी सासू माँ उसकी चुंचियां दबाने लगीं. मोहन अपनी जीभ से रूचि कि चूत जो चोदने लगा. रूचि थोड़ी ही देर में झड गयी. मोहन उठ कर बैठ गया. उसने अपना लंड रूचि कि चूत के मुहाने पर टिकाया और एक जहतक लगाया. आधा लंड रूचि कि चूत में घुस कर जैसे अटक सा गया. रूचि निहाल हो उठी. ससुर ने दुसरे ही झटके में पूरा का लंड अन्दर पेल दिया. इसी बीच राजू और प्रमिला देवी कि चुदाई जोर पकड़ गयी थी. थोड़ी ही देर में दोनों झड गए. मोहन ने रूचि को चोदना चालू कर दिया. राजू और प्रमिला उसके अगल बगल बैठे थे. प्रमिला उसकी चुन्चिया चूस रहीं थीं. सुरज्मोहन ने अपना लंड रूचि के मुंह में दे रहा था. रूचि को बड़ा अनद आ रहा था. एक लंड उसके मुंह कि चुदाई कर रहा था और दूसरा लंड उसकी चूत नाप रहा था. ऊपर से सास उसकी चुंचियां पी रही थीं. वह अपने ऊपर हो रही इस सारी कार्यवाही को बर्दाश्त न कर सकी और झड गयी. पर ससुर का लंड तो अभी भी ताना हुआ था और वो एक जवान छोकरे की तरह उसके पेले जा रहा था. थोड़ी देर में ससुर ने उसको पलट के कुतिया के पोस में खड़ा किया. और खुद आ गया उसके मुंह के सामने.
“लो बहु थोडा मेरा लंड चुसो. अब मेरा भाई राजू तुम्हारी लेगा” रूचि समझ गयी थी कि आ उसकी जम के चुदाई होने वाली है. और उसने वो स्थिति का पूरा फायदा उठाना चाहती थी. उसने गपाक से ससुर का लंड अपने मुंह में ले लिया. अपनी ही चूत के रसों से सना हुआ लंड चाटना थोडा अजीब तो लगा, पर यहाँ तो सब कुछ अजीब ही हो रहा था. वो लंड चूसने में इतना तल्लीन थी कि जैसे भूल ही गयी कि एक और लंड उसकी खैर लेने के लिए मौजूद है. उसने अपनी चूत के मुहाने पर कुछ गरम और टाइट सा महसूस हुआ. उसने अपनी गांड को उठा कर जैसे राजू के लंड को निमंत्रण दिया. सूरज ने अपना लंड पूरा का उसकी चूत में समा कर गपागप उसे चोदने में बिलकुल देर नहीं लगाई. बड़ा ही रंगीन नज़ारा था. प्रमिला देवी बिस्तर पर नंगी खडी हुई थीं. उनके पति मोहन बिस्तर पर बैठ कर उनकी चूत चाट रहे थे. उन दोनों कि बहू रूचि कुतिया के पोस में मोहन का लंड चूस रहीं थीं. मोहन के भाईसाहब राजू पीछे से रूचि कि चूत में अपना आठ इन्ची हथियार पेल पेल कर उसे जीवन का आनंद प्रदान कर रहे थे. रूचि ने महसूस किया कि उसके मुंह में ससुर जी का लंड फूल सा गया है. वह उसे और प्रेशर लगा के चूसने लगी. ससुर रूचि के मुंह में झड गए. लगभग इसी समय रूचि कि सास प्रमिला अपने पति से चटवाते हुए झड गयीं. रूचि भी झड रही थी. और एक मिनट बाद ही राजू ने अपने लंड को चूत से निकाल लिया और रूचि कि गांड के ऊपर झड गए.
सारा परिवार इस चुदाई कि प्रक्रिया से थक चुका था. चारो लोग बिस्तर पर नंगे ही सो गए.
उस शाम रूचि मन ही मन ये सोच कर परेशान थी कि जब उस का पति शाम को घर आएगा तो उसका सामना कैसे करेगी. आज दोपहर के घटनाक्रम के दृश्य उसकी आँखों के सामने बार बार घूम जाते थे. उसका सासु माँ के कमरे के कार्यक्रम का गलती से देख लेना, उसकी ससुर का उसको चोदना, चाचा जी का उसको कुतिया बना कर चोदना, चाचा जी की सासू माँ से चुदाई, सासु माँ का खड़े हो कर ससुर जी से चूत चुस्वाना सब बार उसकी आँखों के सामने घूम जाता था. वो इस बात से बड़ी हैरान थी कि उसे ये सब अच्छा लगा था. बात तो साचा है चुदाई का कोई न दीं है ना धर्म. लंड में चूत घुस कर की चूत की मलाई बनाता है, तो लंड और चूत धारकों जीवन का आनंद प्राप्त होता है.
रोज की तरह अजय शाम को कम से लौटा. रूचि अपनी दिन की हरकत से इतनी शर्मिंदा थी कि जैसे ही उसने अजय की मोटर साइकिल की बात सुनी, वो घबरा कर बाथरूम में घुस गयी. बाथरूम में बैठ कर अपने मन को शांत किया और जब वो पूरा संयत हो गयी बाहर निकली. अजय सासु माँ के कमरे में था. वो जैसे ही उनके कमरे में घुसी, दोनों अचानक चुप हो गए. अजय रूचि की तरफ देख रहा था. रूचि को तो जैसे काटो तो खून नहीं था. उसे लगा कि उसके सास ससुर कोई गेम खेल रहे हैं उसके साथ. अजय उसकी तरफ देख कर मुस्कराया.”मैं चाय बनाती हूँ आप के लिए”, रूचि ने जैसे तसे कहाँ और कमरे से जल्दी से बाहर निकल गयी.उसे जाने क्यों लगा कि उसके पति और उसकी सासु माँ उसकी घबराहट को देख कर हंस रहे हैं. पर उसने जैसे खुद को बताया कि ये उसका वहम है.वो शाम रूचि के लिए बड़ी भारी थी. रात जब वो बिस्तर पर गयी, अजय उसके बगल में लेट कर मंद मंद मुस्करा रहा था. रूचि ने आखिर पूछ ही लिया.”क्या बात है जी, आज जब से आयें हैं घर बड़ा मुस्करा रहे हैं””अरे ऐसी कोई बात नहीं है”, अजय बोला.अजय ने उसकी चुंचियां मसलना शुरू कर दिया. और दुसरे हाथ से उसकी चूत को उसके गाउन के ऊपर से ही रगड़ने लगा. रूचि आज की तारीख में दो दो मर्दों से चुद चुकी थी. पर उसके पति कि पुकार थी इस लिए चुदना उसका धर्म था. उसने झट से अपना गाउन उतार फेंका. अजय ने देखा कि उस की प्यारी पत्नी रूचि ने आज गाउन के अन्दर न ब्रा पहनी हुई है न पैंटी. वो एक बार फिर मुस्कराया.अजय रूचि के गोर और नंगे बदन के ऊपर चढ़ गया. लंड तो खड़ा था ही और रूचि की चूत भी गीली थी. तो लंडा गपाक से घुस गया.”आह …उई माँ …मई मर गयी …” रूचि अचानक अपनी चूत पर ही इस हमले पर हलके से चीख उठी.”क्यों क्या हुआ …” अजय ने पूछा, वो अभी भी मुस्करा रहा था.”क्या पापा और चाचा जी का लंड खाने के बाद मेरा लंड अच्छा नहीं लगा आज रात?” अजय ने पूछा.रूचि को अपने कानों पर यकीन नहीं हो रहा था. तो क्या अजय को शाम से ये सब पता था. और अगर उसे ये सब पता है फिर भी वो शाम से हंस रहा मुस्करा रहा है. और तो और वो उसे प्यार भी कर रहा है.”क्या मतलब…” अजय के लंड के धक्के खाते खाते वो इतना ही बोल पायी.”अरे रूचि रानी मुझे आज तुम्हारी दिन कि सारी करतूत पता है…” अजय हंस रहा था और दनादन चोद रहा था उसे.रूचि को ये सब सुन कर एक अजीब तरह की अनुभूति हुई. उसे अपनी चूत में जैसे कोई गरम लावा सा छूटता हुआ महसूस हुआ. अजय का लंड भी अब पानी छोड़ने वाला था. दोनों थोड़ी देर में ही झड गए. दोस्तों आप लोग यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
अजय उसके बगल में ढेर हो गया. रूचि अभी भी बड़ी कन्फ्यूज्ड थी.
“क्या तुम्हें मम्मी जी और पापा जी ने कुछ बताया है” रूचि ने पूछा.
अजय ने उसे बताया कि उसे सब पता हुई. अजय के परिवार में सब लोग आपस में काम क्रिया का आनंद लेते थे. पहले ये सब खुले में होता था. जब से अजय रूचि का विवाह हुआ, ये सब छुप के हो रहा था. पर आज जब रूचि ने ये सब देख लिया, जैसा कि पहले से प्लान था, उसे इस प्रक्रिया में शामिल कर लिया गया.
“चलो अच्छा हुआ जो हुआ, देर सबेर तुम्हें ये सब पता चलना ही था. उससे अच्छा ये हुआ कि तुम अब इस परिवार के इन आनंद भरें खेलों में शामिल हो गयी हो मेरी रानी.” अजय ने शरारत भरी अदा से बोला.
“मुझे तो अभी तक यकीन नहीं हो रहा है कि एक ही परिवार के लोग आपस में ऐसा कर सकते है”, रूचि अभी भी हैरान थी.
“तुम्हारा सोचना भी जायज़ है. पर सेक्स इतना आनंद भरा काम है. जरा सोचो ये सब बाहर के लोगों से करना थोडा खतरे वाला काम हो सकता है. इस लिए हमारे परिवार में हम इतनी आनंददायक चीज को आपस में करते हैं.” अजय ने बोला.
“पर फिर भी सोच के अजीब सा लगता है”, रूचि बोली.
“अरे जरा याद करो, आज दोपहर में जब चाचा जी पीछे से अपना लंड तुम्हारी चूत में पेल रहे थे, तब तुम्हें जरा भी बुरा लगा क्या. तब तो तुम मजे से पापा जी का लंड अपने मुंह में चुभला चुभला के चूस रहीं थीं. एक ही जिन्दगी मिली है. इसे एन्जॉय करें. इसे क्यों बेकार में ऐसे ही जाने दे जमाने के बेकार के नियम मान कर?” अजय बोला.
“ह्म्म्म…. तो तुम कब से चुदाई के खेल खेल रहे हो?”
“बस मेरी रानी, जब से अठारह का हुआ, तबसे पेलाई कि प्रैक्टिस कर रहा हूँ. ताकि जब भी तुम जैसी कोई मिले उसे जीवन का पूरा मज़ा दे सकूं.”
“और कितने रिश्तेदार शामिल होते हैं इस समारोह में?”
“अब चाचा का तुम्हें पता ही ही है. चाची भी एक नम्बर की चुदाक्कड हैं. मैं जब उनके यहाँ जाता हूँ, मुझे चाचा चाची के रूम में सोना पड़ता है. बाकी के रिश्तेदारों के बारे में धीरे धीरे पता चल जाएगा”
“और गौरव और अमरु?”
“जब भी घर में कोई जन्मदिन वगैरह मनाते हैं. हम सब मिल के मम्मी कि चुदाई करते हैं. जिसका जन्मदिन होता है उसे सब से पहले लेने को मिलती है.”
“हे भगवान्…” रूचि अभी भी हैरानी में थी
“कल छुट्टी है, गौरव और अमरु को भी तुमसे मिलवा देंगे” अजय बोला
“नहीं अजय. इस परिवार ने मुझे इतना चुदाक्कड बना दिया है. गौरव और अमरु से तो मैं अब अपने अंदाज़ से मिलूंगी. थोडा मुझे भी नए जवान लड़कों को रिझाने का मज़ा लेने को तो मिले”
“अरे बिलकुल रूचि रानी. उन सालों कि किस्मत खुल जायेगी.”
“हाँ अजय. बड़ा मज़ा आएगा मुझे मेरे दोनों देवरों को एक साथ चोद के”. रूचि पूरे उत्तेंजना में थी.
“दो दो मर्दों को एक बार चोद लिया आज तो अब दो से कम में काम नहीं चलेगा तुम्हारा लगता
है.”
“नहीं अजय. एक बात मैं एकदम साफ़ कर दूं. अब मैं किसी से भी चुदूं या कुछ भी करू. पर सच्चा प्यार मैं हमेशा तुमसे ही करूंगी.” रूचि ने बोला.
“रूचि रानी तुम मेरी हो और सदा मेरी रहोगी. ये मेरा वादा है”. अजय ने उसका हाथ अपने हाथ में ले कर वादा दिया.
“तो क्या तुम लोगों कि बहनें भी?”
“मैंने पहले ही बताया कि मेरा पूरा परिवार एक दुसरे से एकदम खुला हुआ है. जब भी हम में से कोई भी अठारह वर्ष का हुआ, उसे पारिवारिक चुदाई समरोह का टिकट तुरंत दे दिया गया”, अजय ने बोला.
“धीरे धीरे सब पता चलेगा. अभी इन चीजों का मजा एक एक कर के लो. सब इकट्ठे ले नहीं पाओगी” अजय ने बोला.
“आप ठीक कहते हो” रूचि ने बोला.
इस परिवार की इस सारी चर्चा पर रूचि कि चूत में एक अजीब सी सरसराहट होने लगी . उसकी चुंचियां टाइट हो कर उठ गयीं. अजय के लंड में भी जैसे जान आ गयी थी. कहानी जारी है….
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