डैड ने मेरी चूत का उद्घाटन किया

प्रेषक: राहुल

दोस्तों पिछले हफ्ते मुझे मुंबई से मेरी पुरानी क्लाइंट की एक फ्रेंड ने कॉल किया और मै अपने टाइम से उनके घर पहुच गया और घर में वो अकेली थी मैंने उनकी चुदाई की वासना ३ बार की चुदाई में शान्त कर दिया और फिर हम एक दुसरे की बाहों में लिपट कर रात में सोये थे हमें नीद नही आ रही थी चुदाई का भी मन नही कर रहा था तो मैंने प्रीति से कहा यार एक बात बताओ पहली बार कब चुदाई करवाई थी तो वो बताने लगी प्रीति ने अपने पापा से चुदाई करवाई थी उसने किस तरह अपने बाप को दूसरे की चुदाई करते हुए देखा और फिर कैसे वो अपने बाप की दीवानी हो गई………………
मेरा नाम प्रीति है और मेरी उमर 20 साल है, मेरे शरीर की रचना कुछ इस प्रकार है, मेरी लंबाई 5’6″.. चुचियाँ 36″.. कमर 28″.. और गान्ड.. 34″ है. एक बात मैं आपको कुछ भी शुरू करने से पहले बता दूं कि मुझे नये नये लंड लेना बहोत पसंद है.

दर असल मेरी ये नटखट चूत मुझे नये नये लंड लेने पर मजबूर कर देती है. क्योकि इसमे खुजली बहुत होती है और इसी लिए मेरी इस प्यारी सी चूत ने आज तक करीबन 13 लंड का स्वाद चखा है और मैं दावे के साथ कह सकती हूँ कि 14वा लंड आप सभी मे से किसी का भी हो सकता है. केसे वो कहानी के अंत मे बताउन्गि, तो चलो आब कहानी स्टार्ट करती हूँ. बात आज से 2 साल पहले की है जब मैं 18 साल की होने वाली थी, मेरा बर्तडे बहोत नज़दीक आ रहा था और मुझे इसकी बड़ी खुशी भी थी. क्योकि मुझे बर्तडे गिफ्ट बहोत पसंद है, क्योकि मेरे मोम डॅड मुझे हर बार एक अलग ही गिफ्ट देते है और वो हमेशा ही अच्छा होता है. आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है|

तो बात मेरे बर्तडे से दो दिन पहले मैं रात को बाथरूम जाने के लिए उठी, मैं बाथरूम से जेसे ही बाहर निकली तो मैने एक साया सा देखा, पहले तो मैने अनदेखा कर दिया पर फिर जेसे ही मैं बेड पर बैठ और सोने लगी, तो मुझे डोर खुलने की आवाज़ आई, जिसे सुन कर मैं घबरा गयी. क्योकि उस वक्त रात के 1:38 बज रहे थे, तो मैने सोचा कही कोई चोर तो नही है ना, तो इस लिए मैं धीरे से आगे बढ़ी और रूम से बाहर आई और लॉबी मे आ गयी और चारो ओर देखने लगी कि आख़िर आवाज़ कहाँ से आई है.

मैं बहोत डर रही थी पर मैने होसला सा करके अपने कदम मैन-डोर की ओर बढ़ाए और देखा कि डोर लॉक नही है. मुझे थोड़ा अजीब सा लगा तो मैने हल्के से डोर खोला और बाहर की ओर झाँकने लगी, और मैं क्या देखती हूँ कि एक आदमी हमारे घर के गेट पर एक कोने मे लगा हुआ बैठा और बाहर की ओर देख रहा है. पहले तो मुझे समझ नही आया कि वो कॉन है पर जेसे ही उसने अपना फोन निकाला और फोन ऑन किया, तो उसकी लाइट से पता चला कि वो आदमी कोई और नही बल्कि मेरे डॅड है.

मैं हेरान थी कि डॅड आख़िर वहाँ इस वक्त रात को क्या कर रहे है, मैं उन्हे आवाज़ लगाने ही वाली थी कि वो चोरों की तरह छुपते हुए वहाँ से उठे और बाहर की और जाने लगे. मैने भी सोच लिया कि अब मुझे जानना ही पड़ेगा कि आख़िर माजरा क्या है, तो मैने भी छुपते हुए उनका पिछा शुरू किया और देखा कि वो हमारी पड़ोसन मिस कविता के घर घुस गये.

मैं जब वहाँ पहुँची तो मैने देखा कि गेट खुला हुआ है तो मैं भी उनके घर मे घुस गयी, पर वहाँ कोई नही था और एक दम अंधेरा था. मुझे कुछ समझ नही आ रहा था कि आख़िर डॅड गये तो गये कहाँ? फिर अचानक एक रूम की लाइट ऑन हो गयी और उस रूम की खिड़की से रोशनी बाहर आने लगी. मैने तुरंत वहाँ से अंदर झाँका और मैं अंदर का नज़ारा देख कर दंग रह गयी.

मेरे पापा अंदर एक दम नंगे खड़े थे और मिस कविता उनके लगभग 7″ लंबे और मोटे लंड को मूह मे लाकर मज़े से चूस रही थी. मैं ये सब देख कर हेरान थी पर मुझे गुस्सा भी बहोत आया कि डॅड ऐसा केसे कर सकते है. तभी अंदर से आवाज़ आने लगी.

कविता – अम्म्म्म.. आमम्म्म.. डार्लिंग मुझे तुम्हारे लंड का स्वाद बहोत पसंद है.

डॅड – आह्ह्ह्ह.. आअहह.. मेरी जान जल्दी कर मुझे भी तेरी चूत का स्वाद चखना है.

कविता – नही आज तो मैं जी भर के तुम्हारे इस मोटे लंड को चूसने वाली हूँ.

डॅड – अहह.. नही बेबी आज हमें जल्दी करना होगा, मैं बड़ी मुश्किल से आया हूँ.

कविता – ओह्ह्ह.. फ्फो कभी तो जल्द बाजी छोड़ दिया करो.

डॅड – आह.. तुम मस्त चूस रही हो बेबी चुस्ती रहो.

कविता – क्यो तुम्हारी वो कुत्ति पत्नी तुम्हारे लंड से नही खेलती क्या.

डॅड – नही वो ऐसे चुसाइ कभी नही करती मेरी जान कम ऑन अह्ह्ह्ह..

मुझे ये सुनकर बहोत गुस्सा आया, पर देखते ही देखते डॅड अपने असली रूप मे आ गये और उन्होने मिस कविता को बेड पर लिटाया और अपने मोटे तगड़े साँप को उसकी चूत की गहराइयों मे पहुचा दिया, और कब डॅड ने अपनी स्पीड बढ़ा दी और कब रूम से आहह.. आह.. की आवाज़े आने लगी पता ही नही चला. डॅड पूरी रफ़्तार से मिस कविता की ठुकाई कर रहे थे, वो लंड को पूरा बाहर निकालते और स्टाककक से पूरा का पूरा लंड अंदर घुसा देते, इससे कविता की चीख निकल जाती और वो डॅड वो गालिया निकालने लग गई, और डॅड भी उसकी माँ बहेन कर देते. वो चुदाई इतनी मजेदार हो गयी थी कि मेरा हाथ भी कब मेरी नरम से चूत पर चला गया मुझे पता ही नही चला और मैने लोअर मे हाथ घुसाया और अपनी चूत मे उंगली घुसाने लगी.

डॅड धड़ा धड़ कविता की चुदाई कर रहे थे.

कविता – चोद साले चोद आहह.. फाड़ दे मेरी चूत बहेन चोद साले अह्ह्ह्ह..

डॅड – तेरी माँ की चूत साली कुतिया बहेन की लौडी, ले ये ले बहेन चोद.

कविता – ह.. चोद चोद मेर राहुला आहह.. फाड़ दे आअज..

डॅड – अहह.. तेरी चूत आज बड़ी टाइट लग रही है, क्या हुआ तेरी वो खस्सि पति तेरी बजाता नही है क्या?

कविता – नही वो बहेन का लोड्‍ा है साला बस काम करता रहता है सारा दिन रात ऑफीस मे.

कविता – साले तू उस माँ चोद भोन्सडि के बीज का नाम क्यो ले रहा है, मेरा मज़ा खराब होता है.

डॅड- साली कुतिया ले तेरी चूत का बाजा बजाता हूँ आज.

और इतना बोलते ही डॅड ने पूरी रफ़्तार से मिस कविता की चुदाई करना शुरू कर दिया. कविता चिल्लाती रही पर डॅड एक ही पोज़ मे उसे 30 मिंट तक लगातार चोदते रहे, और इस दोरान वो तीन बार झड़ी पर डॅड बिना रुके उसे धड़ा धड़ बस चोदते रहे.

डॅड को देख कर मेरा नज़रिया अब उनके लिए कुछ और ही हो चुका था, उनका वो मोटा लंड मेरी आँखो मे वासना जगा चुका था और ये सोचते सोचते मैं भी झाड़ गयी, और उधर डॅड ने भी लंड चूत से निकाला और पचछररर पचछररर वीर्य की पिचकारियाँ मार मार कर कविता का सारा शरीर अपने गरम गरम माल से नहला दिया. मैं तो ये सब देख कर एक दम हेरान थी, मैने ऐसा दृश्य पहले कभी न्ही देखा था. डॅड का लंड अब आधा मुरझा गया था और इस दशा मे वो और भी सेक्सी लग रहा था. मैं तो जेसे उनके लंड की दीवानी सी हो गयी थी, फिर मैने वहाँ देर नही की और वहाँ से घर आ गई और थोड़ी देर बाद डॅड भी चुपके से आए और अपने रूम मे जा कर सो गये. मैने उस दिन रात भर डॅड को सोच कर अपनी चूत मे उंगली की और कई बार झड़ी. रात को कई बार अपनी चूत मे उंगली करने के बाद मुझे काफ़ी अच्छी नीद आई और सुबह जब मेरी आँख खुली, तो बस मेरी आँखों के सामने डॅड का वो मोटा लंड नज़र आ रहा था. मुझे तो सोच कर ही बहोत खुशी हो रही थी, मैं मन ही मन मचल सी रही थी.

खेर मैं वहाँ से उठी और नहाने के लिए बाथरूम मे घुस गयी और नहाते वक्त तो मैं अपनी चूत मे उंगली किए बिना रह ही नही सकी. नहाने के बाद जब मैं कपड़े पहेन कर अपने रूम से बाहर आई, तो मोम-डॅड सामने टेबल पर बैठे ब्रेक फास्ट कर रहे थे.

मैं – गुड मॉर्निंग मोम-डॅड.

मोम – गुड मॉर्निंग

डॅड – गुड मॉर्निंग बेटा, आओ नाश्ता कर लो.

मैं – हां ठीक है.

मोम – नहा के भी आई हो या ऐसे ही आ गयी हो.

मैं – कम ऑन मोम मैं नहा कर आई हूँ.

डॅड – हां तभी पूरी चमक रही हो.

मैं – हाहाहा डॅड आप भी ना.

मैं (मन मे) – पर मुझसे ज़्यादा तो आपका वो मोटा लंड चमकता है मेरे सेक्सी डॅड.

खेर हम ने ब्रेक फास्ट किया और फिर डॅड अपने ऑफीस के लिए निकल गये और मोम भी घर के काम मे लग गयी, मेरी उस दिन स्कूल से छुट्टी थी, तो मैं तो बस बस ये ही सोच रही थी कि आख़िर डॅड के साथ ऐसा कॉन्सा खेल खेला जाए कि मुझे उनके साथ स्वर्ग मे जाने का मोका मिल सके. आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है|

वैसे तो मेरा एक बाय्फ्रेंड है और उसने मेरी कई बार ठुकाई भी की है, पर डॅड के लंड को और रात की वो चुदाई देखने के बाद मेरा मन मान ही नही रहा था. मैं तो बस ये चाहती थी कि आख़िर किसी भी तरह से कुछ ऐसा किया जाए कि मैं डॅड को ब्लॅकमेल या ऐसा ही कुछ कर सकूँ. तो मैने तय किया कि मैं डॅड पर रात को नज़र रखूँगी और जब भी वो दोबारा हमारी पड़ोसन मिस कविता के घर जाएगे तो मैने उनकी एक वीडियो बना लूँगी ताकि उससे उनको ब्लॅकमेल किया जा सके. मैं ऐसा ही किया मैं उस रात बिल्कुल नही सोई और बस डॅड के बाहर जाने का इंतेज़ार करने लगी. पर मेरी कराब किस्मत वो वहाँ नही गये और मुझे अपनी उंगली से ही अपनी प्यास बुझानी पड़ी. मैं ऐसे ही कुछ दिनो तक उनपर रात को नज़र रखती रही, पर वो दोबारा वहाँ जा ही नही रहे थे. मेरा तो जेसे सबर ही टूटा जा रहा था, तो मैने तय किया कि कल सुबह मैं केसे भी करके कुच्छ ना कुच्छ तो ज़रूर करूँगी. अगले दिन मैने पूरी प्लानिंग की हुई थी कि कोन्सि बात कब और कहाँ कहनी है, मैं रेडी हो कर अपने रूम से बाहर आई और मैने डॅड से कहा प्लीज़ आज मुझे स्कूल तक छोड़ देना मेरी सहेली आज नही जा रही नही तो मुझे अकेले ही जाना पड़ेगा. तो जो कि होना ही था उन्होने हां करदी और मेरा काम बन गया. डॅड ने कार निकाली और हम दोनो बैठे और घर से निकल गये और इतेफ़ाक से जब हम घर से निकल रहे थे मिस कविता हमे अपने गेट पर खड़ी मिली. डॅड ने उसे चोर नज़र से देखा और आँख मार दी, मैने सब देख लिया और फिर.

मैं – डॅड कविता जी भी बहोत अच्छी है.

डॅड – हां बेटा बहोत अच्छी है

मैं – हां पर बेचारी हमेशा अकेली ही रहती है, उनके पति तो बस सारा दिन काम ही करते रहते है.

डॅड – हां बेटा पर इसी लिए वो बहोत अमीर भी तो है ना.

मैं – हां अमीर तो है पर खुश नही है. आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है|

डॅड – क्यो खुश क्यो नही है?

मैं – मतलब उनके साथ कोई बात करने वाला नही होता और वो आस पास के लोगो से भी ज़्यादा बात नही करती, हम लोगो से भी कभी कभी ही बात करती है.

डॅड – बेटा शायद वो भी अपने पति की तरह बिज़ी रही होगी, शायद इसी लिए.

मैं – हां, या फिर किसी और के साथ.

डॅड (हेरान होते हुए)- किसी और के साथ मतलब?

मैं – पता नही मैने कई बात उनके घर एक अंजाने से आदमी को आते हुए देखा है.

डॅड – किस तरह का अंजान आदमी?

मैं – पता न्ही, मैने एक दिन रात को उनके घर एक आदमी को चोरों की तरह छुपते हुए जाते देखा था.

मेर मूह से ये बात सुनके डॅड का तो जेसे हलक ही सूख गया.

डॅड (लड़खड़ाती हुई आवाज़ मे)- बेटा क्या पता वो कोई जानवर होगा कोई कुत्ता या और कुछ?

मैं – कम ऑन डॅड अब आप अपने आपको कुत्ता क्यो बुला रहे हो.

ये बात सुनते ही डॅड ने एक दम से कार साइड मे लगाई और हैरानी से मुझे देखने लगे, डर उनके चेहरे पर सॉफ नज़र आ रहा था.

डॅड (घबराते हुए) – प्रीति ये क्या बात है अपने पापा को कुत्ता कह रही है और तेरा मतलब क्या है.

मैं – कम ऑन डॅड अब इतने भी भोले मत बनो मुझे आपके और कविता के बारे मे सब पता चल गया है.

डॅड (घबराते हुए) – क्या पता चल गया है. आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है|

मैं – अब क्या ये भी मुझे बताना पड़ेगा.

डॅड (घबराते हुए)- देख तेरा ये मज़ाक बहोत हो गया.

मैं – आह्ह्ह्ह.. आअहह.. मेरी जान जल्दी कर मुझे भी तेरी चूत का स्वाद चखना है.

मेरे मूह से ये बात सुनते ही मैं आपको लड़को के अंदाज मे बताऊ तो डॅड की तो गान्ड ही फट गयी.

डॅड (गुस्से मे)- बदतमीज़ अपने डॅड के सामने ये सब बाते करती है तुझे शरम नही आती?

मैं – डॅड अब ज़्यादा ओवर मत हो जाओ, सीधे सीधे अपनी ग़लती मान लो.

डॅड – अपनी बकवास बंद कर.

मैं – ठीक है तो फिर मैं आपकी और कविता जी की वीडियो आज घर जाते ही मोम को दिखा दूँगी.

वीडियो की बात सुनते ही डॅड का तो पुच्छ मत बुरा ही हाल हो गया.

डॅड (गिडगिडाते हुए)- प्लीज़ बटी ऐसा मत करना मुझे माफ़ कर्दे मैं आगे से कभी अभी कविता से नही मिलूँगा तेरी कसम.

मैं – कम ऑन डॅड मुझे इससे कोई फरक नही पड़ता कि आप किसके साथ सोते हो और किसके साथ नही, मुझे तो बस अपनी बात पूरी करवानी है.

डॅड (हैरानी से)- क्या?

मैं – ह्म्‍म्म्म.

डॅड – कौन सी बात?

मैं – डॅड मुझे भी आपके लंड का स्वाद चखना है.

मेरे ये कहते ही डॅड भड़क उठे और बेकाबू होकर मुझ पर चिल्लाने लगे, और जेसा कि आप सभी जानते ही है कि आख़िर मे जीत तो आख़िर मेरी ही होनी थी. आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है|

मैने डॅड से कहा कि कल मेरा 18वा बर्तडे है और मुझे आपका लंड ही गिफ्ट मे चाहिए. डॅड भी अब क्या कर सकते थे उनका एक अनमोल खजाना मेरे पास जो था जोकि उनके सारे राहुल खोल सकता था.

हम ने तय किया कि रात को आते टाइम डॅड आइस क्रीम लेकर आएगे और उसी मे हम मोम को नींद की गोलियाँ मिला कर दे देंगे. क्योकि उस रात घर मे बहोत हहा कार मचने वाला था.

सब वैसे ही किया जैसा मैने सोचा था और मैने वैसे ही मोम की आइस क्रीम मे नीद की गोलियाँ मिलाई और वो सोने चली गयी, और मैं रात के 1:04 बजने का इंतेज़ार करने लगी. अब आप सोचोगे कि 1:04 क्यों?, तो दोस्तो बात सीधी सी है मेरा जनम रात 1 बजकर 4 मिनट पर ही हुआ था, तो इसी लिए हम ने ये टाइम तय किया था.

मैं तो अपने बेड पर लेटी हुई बस दरवाजे की ओर देखे जा रही थी और साथ साथ अपनी चुचियों को तो कभी कभी अपनी चूत को सहला रही थी. मुझसे तो बिल्कुल भी इंतेज़ार नही हो रहा था, ऐसा लग रहा था जेसे पहली बात चुदने जा रही हूँ.

फिर आख़िर वो टाइम आ ही गया जब डॅड ने अपने दर्शन मेरे रूम मे ठीक 1:04 पर दिए, मैं तो उन्हे देख कर ही फूली नही समा रही थी. डॅड भी मुझे कामुकता भरी नज़रों से देख रहे थे, शायद वो समझ चुके थे कि अब अगर जवान माल मिल ही रहा है तो क्यो ना इस मज़े से चोदा जाए. उस वक्त मेरे सामने खड़ा वो आदमी मेरे लिए सिर्फ़ एक मर्द था और शायद डॅड के लिए मैं एक औरत. मैं अपने बेड पर खड़ी हो गयी और डॅड मेरी और बढ़ने लगे, वो जेसे ही बेड के पास आए मैने भाग कर छलान्ग लगाई और सीधे उनकी गोद मे जा लिपटी और उनकी कमर को अपनी अपनी टाँगों से बाँध लिया.

मैने सबसे पहले डॅड के होंठ अपने होंठो से जोड़ दिए और किस करने लगी, पर डॅड तो उस्ताद थे उन्होने उस किस को कुछ ही पलों मे स्मूच मे बदल दिया और मस्ती से मेरे होंठो का रास्पान करने लगे. फिर उन्होने मुझे वैसे ही बेड के एक कोने मेर लिटाया और मेरी टी-शर्ट को निकाल फेंका और फिर से मेर होंठो का रस्पान करने लगे.

मैं तो बस सिसके जा रही थी के तभी उनके वो बड़े बड़े हाथ मुझे अपनी छोटी छोटी चुचियों की ओर आते हुए महसूस होने लगे. वो मेरी कमर से खिसकते हुए अपने हाथ मेरी चुचियों की ओर बढ़ा रहे थे और देखते ही देखते उन्होने मेरी ब्रा को ऐसे साइड मे कर दिया जेसे ब्रा हो ही ना और मेरी चुचियों को अपने हाथो मे भर कर दबाने लगे.

मैं तो जेसे मस्ती मे झूम सी गयी थी और स्वर्ग के दरवाजे को हाथ लगाने लगी थी. तभी उन्होने स्मूच छोड़ा और मेरे गले को चूमते हुए मेरी नाज़ुक छोटी छोटी चुचियों की तरफ बढ़ने लगे. देखते ही देखते उन्होने मेरी एक चुचि को अपने मूह मे भर लिया और मस्ती से चूसने लगे.

वो मेरी चुचि को पूरा मूह मे भरते और मस्ती से उसे अच्छी तरह निचोड़ते, और एक हाथ से दूसरी चुचि के निपल को अपनी चिकोटी मे पकड़ कर दबाते. इससे मुझे दर्द भी होता पर दूसरी तरफ से वो मेरी चुचि को ऐसे चूस्ते कि वो दर्द मज़े से बदल जाता.

वो ऐसे ही कुछ मिनट तक मेरी चुचिया बदल बदल कर चूस्ते रहे और मुझे मस्ती मे उड़ाते रहे. फिर अचानक उनके दोनो हाथ नीचे मेरी चूत की ओर बढ़ने लगे और उन्होने दोनो हाथो से मेरी लोअर को पकड़ा और आव देखा ना ताव और एक ही झटके मे उसमे चाआररररर से एक बड़ा सा छेद बना दिया और दो उंगलियों से मेरी चूत को सहलाने लगे.

मैं बयान नही कर सकती कि मैं उस वक्त कितने मज़े मे थी, वो मुझे स्वर्ग की सेर करवा रहे थे. फिर वो नीचे झुके और मेरी चूत की चुसाइ करने लगे. वो अपनी जीभ से मेरी चुदाई करने लगे और देखते ही देखते मेरी चूत ने काम रस की नदी बहा दी और वो भी बिना उसकी एक बूँद गिराए सारा का सारा चूत रस चट कर गये.

मैं तो जेसे कुच्छ सेकेंड के लिए खो सी गयी, पर फिर बारी मेरी थी. मैं उठी और मैने अपनी जगह पर डॅड को बिठाया और उनकी पेंट खोलने लगी. पर डॅड ने मेरा साथ देते हुए फटा फट से पेंट खोली और उतार कर साइड मे फेंक दी. उन्होने कोई अंडररवेर नही पहना था तो उनका वो 7.5″ लंबा लंड मेरी आँखो के सामने था.

मैं देर ना करती हुई नीचे अपने घुटनो पर बैठ गयी और डॅड को पिछे को लेट जाने को कहा और वो अपनी टाँगे बेड से नीचे लटका कर लेट गये.

डॅड का मोटा लंड अब मेरे हाथों मे था, वो इतना बड़ा था जितना कि मैं सोच भी नही सकती थी. जब मैने लंड को पकड़ कर उसकी उपरी नरम सी चमडी को पीछे की ओर खिचा और उनका लाइट ब्राउन सुपाडा निकल कर मेरी आँखो के सामने आ गया. उसमे से निकलती एक अजीब सी खुश्बू मुझे दीवाना बना रही थी और कह रही थी आ और मुझे अपने मूह मे भर ले.

मैं पहले तो कुछ मिनट उनके लंड को आगे पिछे करती रही और खेलती रही, मुझे ऐसा करने मे बड़ा मज़ा आ रहा था, फिर मैने उनके सुपाडे पर अपनी जीभ रखी और झट से उनके पूरे सुपाडे को अपने मूह मे भर लिया. वो और उसका स्वाद सच में ला जवाब था. मैं तो जेसे दीवानी सी हुई जा रही थी और देखते ही देखते मैं फटा फट उनके लंड को मूह मे लेकर आगे पिछे करने लगी. उनका लंड इतना बड़ा था कि मेरे मूह मे पूरा न्ही आ रहा था, पर फिर डॅड ने मेरे सर को अपने हाथो से पकड़ा और उसे अपने लंड की ओर दबाने लगे और अपनी कमर को भी उपर की ओर उठाने लगे. उनके ऐसा करते ही मैं बेकाबू सी होने लगी और मैने छूटने की कोशिश की पर मैं नाकाम रही और फिर डॅड ने और ज़ोर दार झटका दिया और अपना सारा का सारा लंड मेरे गले तक उतार दिया. आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है|

मैं अच्छी तरह से महसूस कर पर रही थी, उनका लंड मेरे गले तक जा चुका था. उनके ऐसा करने से मेरी साँसे रुक गयी और मैं बिलबिलाने लगी और 5-6 सेकेंड के बाद उन्होने मुझे छोड़ा और मैने तुरंत अपने मुँह से उनका लंड निकाला. जेसे ही लंड मेरे मूह से निकला मुझे बड़ा आनंद आया और मैने देखा डॅड का लंड पूरी तरह से मेरी लार से चिकना हुआ पड़ा था.

डॅड – आह्ह्ह्ह. मेरी जान आहह.. मज़ा आ गया.

ऐसा बीलते ही डॅड ने एक बार फिर अपना लन्ड़ मेरे मूह मे दिया और फिर से एक ज़ोर दार झटका मारा और अपना सारा का सारा लंड एक बार फिर मेरे गले तक उतार दिया. मैं फिर से बिलबिलाने लगी, पर इस बार डॅड ने लंड 8-10 सेकेंड बाद मेरे मूह से निकाला. जेसे ही लंड दोबारा मेरे मूह से निकला तो दोस्तो आप मानो या ना मानो मैं तो स्वर्ग मे पहुँच गयी. वो सच मे एक बहोत बेहतरीन अनुभव था.

मैं फर्श पर लेट गयी और तभी डॅड अपने लंड को हिलाते हुए बेड से उठे और मुझे पकड़ कर खड़ी किया और एक जोरदार स्मूच दिया और फिर मुझे बेड के एक कोने पर लेटा दिया. अब मैं समझ गयी कि अब आख़िर असली खेल की बारी आ ही गयी. डॅड ने एक तकिया उठाया और फर्श पर गिरा दिया और अपने घुटनो के बल उस पर बैठ गये.

डॅड ने मेरी एक टाँग को अपने कंधे पर रखा और मेरी चूत को अपनी दो उंगलियों से रगड़ने लगे और एक हाथ से मेरी चुचि को दबाने लगे.

मैं – प्लीज़ डॅड अब तडपाओ मत चोद दो अपनी इस बेटी को अहह..

डॅड – सीईईई आहह तेरी इस चूत का आज क्या हाल होने वाला है तू नही जानती.

मैं – मुझे सब पता है डॅड, बस अब फाड़ दो मेरी चूत अह्ह्ह्ह.. मुझेस बर्दाश्त नही हो रहा आहह..

डॅड ने मेरी बाते सुन कर मुझे कामुकता भरी नज़रों से देखा और अपना लंड मेरी चूत के दरवाजे पर रख दिया. मैं बस कुछ बोलने ही वाली थी कि उन्होने एक ज़ोर दार झटका मारा और अपने आधे लंड को मेरी चूत मे घुसा दिया, इससे पहले कि मैं कोई हरकत करती उन्होने एक और झटका मारा और अपना सारा का सारा 7.5″ लंबा लंड मेरी चूत मे घुसा दिया.

उनके ऐसा करते ही मैं तो पूरी तरह से बिलबिला उठी और लंड निकल वाने की कोशिश करने लगी, पर डॅड को पकड़ मजबूत थी. उन्होने देर ना करते हुए अपने लंड को सुपाडे तक बाहर निकाला और एक ही झटके मे एक साथ मेरी चूत की गहराइयों मे घुसा दिया. आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है|

मैं – अहह.. आहह.. प्लीज़ अहह… निकालो बाहर मैं तो गयी.

डॅड – अब कुछ नही हो सकता बेबी अब मैं तुझे बताता हूँ कि अपने बाप से चुदाई केसी होती है.

मैं – अहह.. प्लीज़ एक बार निकाआ लो अहह.. प्लीज़.

पर डॅड अब कहाँ मानने वाले थे क्योकि अब तो बारी उनकी थी. वो धड़ा धड़ एक सांड़ की तरह मेरी चूत को बजाने लगे और पूरे कमरे मेरी आहह.. ससिईईई.. ओह्ह्ह… थप.. थप.. तप.. की आवाज़ों का महॉल पैदा हो गया.

5 मिनट तक मैं दर्द से चिल्लाती रही पर फिर वो दर्द मज़े मे कब बदल गया पता ही नही चला. डॅड का खुरदरा लंड अब मुझे मेरी चूत की दीवारों पर महसूस होने लगा था. उनके हर झटके का मज़ा अब मुझे महसूस होने लगा था.

डॅड – क्या बात है तेरी तो सील पहले से ही टूटी हुई है.

मैं – हां आहह.. आहह.. बस चोदते रहो, अब मज़ा आ रहा है अह्ह्ह्ह..

डॅड – साली किस से चुदवाती है तू?

मैं – मेरा एक बाय्फ्रेंड है उससे आहह..

डॅड – अच्छा तो तुझे पहले से ही लंड के स्वाद का पता है, रुक अभी दिखाता हूँ असली चुदाई क्या होती है.

इतना बोलते ही डॅड ने अपनी रफ़्तार और बढ़ाई और वो मेरी ताबड तोड़ चुदाई करने लगे. सारे कमरे मे अब आहह.. अहह.. तप.. थप ठप.. के अलावा सिसकारिया और गालियाँ भी गूंजने लगी थी.

मैं – चोद और बहेन चोद अपनी बेटी को बना ले मुझे अपनी रंडी साले.

डॅड – साली कुतिया मुझे गालियाँ निकालती है.

मैं – मार मेरी चूत आहह.. फाड़ दे आहह..

डॅड – अहह अह्ह्ह्ह चल जो भी कहो पर तेरी चूत तो मुझे एक कुवारि चूत का ही मज़ा दे रही है.

और चुदाई का ये दोर 25 मिट तक चलता रहा और मैं इस दोरान 5 बार झड़ी. फिर अचानक डॅड ने आहह.. आह.. की सिसकारियाँ भरते हुए अपना लंड मेरी चूत से निकाला और पचछर्ररर पचछर्ररर मेरे पेट की ओर लंड को करके पिचकारिया मारना शुरू कर दिया. आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है|

उनके लंड से निकली पहली तीन पिचकारियाँ मेरे गले तक आ कर लगी और फिर वो छोटी होती गयी और उसके साथ साथ डॅड का लंड भी मुरझाना शुरू हो गया. उनके गरम गरम माल को मैं अपने पूरे शरीर पर महसूस कर रही थी, मैने अपनी एक उंगली अपनी चुचियों पर घुमाई और उस पर लगे वीर्य को ले कर उंगली मूह मे डाल दी.

डॅड तो साइड मे लेटे लेटे मुझे ताकते रहे और इसी के साथ हम दोनो की नज़रे मिली और हम दोनो के चेहरे पर एक सेक्सी सी मुस्कुराहट आ गयी.

फिर कुछ देर बार हम दोनो बाप बेटी बाथरूम मे गये और नहाए और फिर डॅड ने मुझे एक गोल्ड रिंग दी बर्तडे गिफ्ट के तोर पर और फिर हम दोनो अपने अपने कमरे मे जा कर सो गये.

सुबह जब मैं उठी तो मुझे बहोत अच्छा महसूस हो रहा था, पर मुझसे चला बिल्कुल भी नही जा रहा था. मोम के पुच्छने पर मैने कहा कि रात को बाथरूम मे फिसल गयी थी.

तो बस इसी तरह दिन बीतते रहे और डॅड और मेरे बीच और भी कई चुदाई के दोर चले पर वो सब मैं आपको बाद मे बताऊंगा दोस्तो ये कहानी यही ख़तम होती है तो दोस्तो फिर मिलेंगे एक और नई कहानी के साथ तब तक के लिए अलविदा आपका दोस्त राहुल

समाप्त



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