मै मेरा दोस्त और मेरी बीवी

गतांग से आगे …..

मैं फिर जोर से बोला- कहाँ मर गया कुत्ते?
और दरवाज़ा बंद कर दिया।
अशोक खड़ा हुआ और बाहर की तरफ जाकर बोला- मैं बालकनी में सिगरेट पी रहा था, हो गया तेरा काम?
बोल कर हंस पड़ा।
मैं आया, आकर सोफे के किनारे पे बैठ गया।
उसने मेरा टॉवल अलग किया और मेरे मलाई और कांची के चूत के पानी में सने हुए मेरे आधे सोये लण्ड को चाटने लगा।
मैंने तेज़ आवाज़ में ही बोला- भाई, तू खुद शादीशुदा आदमी है। तुझे लड़ाई और प्यार की आवाज़ का अंतर समझ नहीं आया?
जिससे मेरी बीवी सुन सके कि मैं अशोक की खबर ले रहा हूँ। दोस्तों आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है | इधर अशोक आधे सोये लण्ड को चाट चाट के पूरा साफ़ करने में भिड़ा हुआ था।
मैं धीरे से बोला- यार, इसमें मेरी मलाई भी मिक्स है।
उसने भी धीरे से बोला- इसी कारण और अच्छा लग रहा है टेस्ट। उसने फिर से मेरे लौड़े को इतना चूसा कि मैंने एक बार फिर से अशोक के मुंह में फव्वारा चला दिया।
मैंने उसको बोला- भाई, आज भी मैंने अपना वादा निभा ही लिया। चल मैं ज़रा कांची के साथ नहा लूँ, और कुत्ते अब मत आना बीच में! दोस्तों आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है | मैंने दरवाज़ा खोला बाथरूम में चला गया, वो बाथरूम में ही थी, हमने एक दूसरे को बाँहों में भरा और शावर लिया, एक दूसरे के अंगों को अच्छे से साफ किया, चूमा।फिर हम दोनों ने तौलिये से एक दूसरे को पोंछा, बाथरूम से बाहर निकल कर हमने कपड़े पहने।
कांची जब कपड़े पहन रही थी तो मैंने उसको बोला- सुन… तू अंडर गारमेंट्स मत पहन!
बोली- क्यूँ? जब भैया नहीं होते तो मैं आपकी सब बात मानती हूँ, पर अभी वो हैं तो प्लीज यार ऐसा कुछ मत बोलो न!
मैंने कहा- वो कौन सा तुम्हें इतने बारीकी से देखेगा। देख तो मैं रहा हूँ। सिर्फ मैक्सी पहन लो, इसमें से वैसे भी कुछ नहीं दिखता इतनी मोटी है।
तो वो मान गई।
मैं अब बाहर वाले कमरे में, जहाँ अशोक बैठा मूवी देख रहा था, आ गया।
कांची भी मेरे पीछे पीछे वहीं आ गई।
अशोक कालीन पर बैठा हुआ था। मैं और कांची दोनों सोफे पर बैठ गए और मूवी देखने लगे।
अब हम लोगों के बीच से धीरे धीरे शर्म के धागे टूटते जा रहे थे, अब कांची मुझसे चिपक कर बैठी थी जबकि अशोक वहीं बैठा था।
मैंने भी उसे बाँहों में जकड़ के रखा था और जब तब उसके बूब्स और पीठ सहला रहा था।
अशोक अंजान बना बैठा था पर कभी कभी कनखियों से देख ही रहा था।
मूवी के बीच में ब्रेक आया तो हमारी तरफ मुंह करके बोला- भाभी, I am sorry… मैं थोड़ा सा बेवकूफ हूँ। डिस्टर्बेंस के लिए माफ़ी चाहता हूँ। मुझे अंदर से बहुत बुरा लग रहा है। मेरा मन कर रहा है मैं आज ही यहाँ से चला जाऊँ क्योंकि इतनी बेवकूफाना हरकत के बाद आप लोगों से नज़र मिलाना मुश्किल हो रहा है।
इससे पहले की अशोक और कुछ बोल पाता कांची बोली- अशोक भैया, आपकी इन्नोसेंस ही आपकी सबसे बड़ी स्पेशलिटी है। हम सभी लगभग एक ही उम्र के हैं। और उसमें गलती हमारी भी है, पर क्या करें, यहाँ अकेले रहते हैं तो ऐसी हरकतें करते रहते हैं पर आपके होते हुए हमें ऐसा नहीं करना चाहिए था। आप हमारे कारण अन-कम्फ़र्टेबल होकर यहाँ से जायेंगे तो हम लोगों को बहुत बुरा लगेगा। प्लीज आप जाने के बारे में मत सोचिये।
कमरे में कुछ देर सन्नाटा रहा, फिर मैं बोला- चल छोड़ न, भूल जा… हम भी भूल गए।
फिर कांची बोली- भैया, आज मैं बढ़िया पनीर टिक्का और अच्छी सी सब्जी बनाती हूँ।
फिर मेरी तरफ देखकर बोली- आप कोई अच्छी सी व्हिस्की ले आइये!
हम दोनों को चेहरे पर ख़ुशी की लहर दौड़ गई। शाम के 6 बजे रहे थे, मैं और अशोक बाजार जाकर सामान लेकर आ गये थे, तब तक कांची ने पूरा घर साफ़ करके खाने की तैयारी भी लगाना शुरू कर दिया था।
हम दोनों आते ही कालीन पर प्लास्टिक बिछाया और बोतल, गिलास, बर्फ, चिप्स के पैकेट, नमकीन रख दिया।
कांची ने मुझे अंदर बुलाया और बोली- क्यूँ? मैंने सही किया न? अशोक भैया को बुरा लग रहा था तो मैंने सोचा शायद इससे उन्हें अच्छा लगे। दोस्तों आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है | मैंने उसके माथे को चूम कर बोला- तुमने बहुत अच्छा किया, मैं खुद भी नहीं सोच पाता शायद ऐसे तो… थैंक यू!
मैं उसकी बात से इतना भावुक हो गया कि मैंने उसके होंठों पे होंठ रख दिए। हम धीरे धीरे एक दूसरे के होंठों अपने होंठों में दबाकर चूस रहे थे, इसी बीच अशोक भी किचन में आ गया।
अबकी बार खांकरा नहीं और बोला- यार, तुम लोगों का प्यार भी न जीनियस बुक में लिखवाना चाहिए। तुम दोनों एक दूसरे को सच में इतना प्यार करते हो कि मुझे तुम दोनों से जलन होने लगी है।
अभी तक हमारे होंठ चिपके हुए थे।
वो बोला- तुम लोग कंटिन्यू करो, मैं बाद में आता हूँ।
हमने अपने होंठों को आराम दिया और कहा- तुझे क्या चाहिए?
अशोक बोला- पानी!
मैंने कहा- ले ले!
और फिर से अपनी बीवी को चूमने लगा।
इस बार बीवी भी पूरे भाव के साथ किस कर रही थी, उसे किसी की कोई शर्म नहीं थी।
खैर अशोक पानी लेकर ड्राइंग रूम में चला गया, मैं भी 2 मिनट बाद बाहर आ गया, थोड़ा अँधेरा होने लगा था, मैंने कहा- पैग बना कर सिगरेट पीते हैं, तब तक पेग ठंडा होगा।
पैग बनाया, चियर्स किया, एक एक सिप मारी और सिगरेट पीने बाहर चले गए।
बाहर आकर अशोक बोला- भाई, तेरी बीवी तो यार मस्त है, अब उन्हें कोई हिचक नहीं है मेरे सामने। मुझे यह देख कर अच्छा लगा। अशोक थोड़ा रुक कर बोला- एक बात बोलूँ?
मैंने हाँ में सर हिला दिया तो उसने कहा- तूने 2 दिन मुझे अपनी बीवी का अमृत पिलाया है। मैंने सोचा था कि तू शादी के बाद बदल गया होगा, सीरियस हो गया होगा। काफी समय से बातें भी नहीं हुई थी इसलिए मैं यह सोच रहा था कि यहाँ टाइम पास कैसे होगा।
मैंने बीच में ही उसकी बात काटते हुए हंस कर कहा- एक सिप में ही चढ़ गई क्या? सीधे सीधे बोल क्या कहना चाहता है? इतनी भूमिका मत बना।
वो बस थोड़ा मुस्कुराया और चुप रह गया।
मैंने फिर से बोला- क्या हुआ? बोलता क्यूँ नहीं?
बोला- चढ़ी नहीं है कमीने, बस ऐसे ही बोल रहा था कि इतना इतना टाइम हो जाता है, बीच में एक आध चक्कर तू भी लगा लिया कर राजस्थान का या बातें ही कर लिया कर!
मैंने बातों को घुमाते हुए कहा- क्यूँ बे? तू अपनी बीवी नीता को क्यूँ नहीं लाया?
तो उसने कहा- यार, वो मायके गई हुई थी, वो परसों आने वाली है, बस वो तुझे और भाभी को सरप्राइज देना चाहती थी। पर तेरे को बता दिया है। उसको पता नहीं चलना चाहिए कि तुझे पहले से पता था।
मैंने कहा- डील भाई डील… बिल्कुल पता नहीं चलेगा। चल नीता के लिए भी कुछ सरप्राइज प्लान करते हैं।
वो आश्चर्य से मेरी तरफ देखने लगा। दोस्तों आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है |
हम बातें करते करते छत पर पहुंच गए और एक एक सिगरेट और जला ली।
मैंने पूछा- नीता बिस्तर पे कैसी है?
अशोक मुझे घूर रहा था।
मैंने कहा- चूतिये, बता तो क्या वो वाइल्ड है? क्या वो चिल्लाती है? उसे कैसा सेक्स करने की तमन्ना होती है?
अशोक बोला- तू कैसी बातें कर रहा है बे?
मैंने उसे थोड़ा ठंडा करते हुए कहा- भोसड़ी के, हम एक दूसरे का लण्ड चूस चूस के बड़े हुए हैं, हमारे बीच कैसी शर्म? लड़कियाँ जो एक दूसरे को ज्यादा नहीं जानती वो तक अपनी न जाने कितनी प्राइवेट बातें एक दूसरे से शेयर कर लेती है। नहीं बताना तो माँ चुदा अपनी! भोसड़ी का!
उसने जब मुझे गर्म होते देखा तो बोला- लण्ड के… गुस्सा रहेगा या मैं नीता के बारे में कुछ बताऊँ!
मैंने उत्सुकता से कहा- बता!
अशोक बोला- यार हम लोग तो मम्मी पापा और छोटी बहन के साथ रहते हैं इसलिए बहुत चुप और छुप छुप कर सेक्स करते हैं। पर हाँ जब कभी हम कहीं घूमने जाते हैं और होटल में चुदाई होती है तब हम दोनों ही इतने वाइल्ड होते हैं कि हम 2-2 दिन तक कमरे से बाहर ही नहीं निकलते। उसे बाथटब में चुदवाना इतना पसंद है कि अगर होटल में बाथटब न मिले तो मुझे कभी कभी लास्ट मोमेंट पे दूसरा होटल लेना पड़ता है। कुल मिला के हम लगभग रोज़ रात को ही सेक्स करते है। पर यार, तेरी बीवी मतलब कांची की तुलना में तो वो 50% भी हॉट या वाइल्ड नहीं कह सकता इसलिए थोड़ा झिझक रहा था। दोस्तों आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है |
मैंने एक गहरी सांस लेते हुए कहा- क्या तू अपनी बीवी को ग्रुप सेक्स के लिए मना सकता है? चारों साथ में मजे मारेंगे।
उसकी आँखें एकदम चमक उठी, वो बोला- भाई मजा ही आ जायेगा। पर क्या कांची मानेगी?
मेरी तरफ आशा की नज़र से देखने लगा।
मैंने कहा- पता नहीं, पर कोशिश करके देखता हूँ।
अब हम वापस से नीचे आ गये और बेहद चुप होकर टीवी देखते हुए शराब पीने लगे। अब वो कांची को बहुत ध्यान से उसके एक एक उतार चढ़ाव को देख रहा था।
कांची का पूरा ध्यान टीवी में था मेरा ध्यान टीवी में कम और कांची को पटाने में लगा हुआ था।
और अशोक ख्याली पुलाव बनाते हुए मन ही मन ग्रुप सेक्स के बारे में सोच रहा था।
अशोक थोड़ी देर बाद उठकर बाथरूम चला गया, मैं उठकर कालीन से सोफे पर बैठ गया।
सोफे पर कांची बैठी हुई थी, मैं अशोक के न होने का फायदा उठते हुए उसके बूब्स दबाने लगा, वो अपना पूरा सीना मेरी तरफ आगे बढ़ा कर दबवाने के लिए उकसा रही थी। दोस्तों आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है | वो धीरे से बोली- थोड़ा धीरे धीरे दबाओ, इतना जोर से नहीं। उसकी इस हरकत से में और उत्तेजित होने लगा, मैंने अपना हाथ उसके टॉप के अंदर डाल दिया और अब उसके नंगे बदन पर मेरे हाथ रेंग रहे थे, उसके मस्त उभारों को में सहला रहा था। वो मेरी तरफ न देखकर टीवी की तरफ ही देख रही थी जो पता नहीं क्यूँ पर बड़ा अच्छा लग रहा था।
मैंने देख लिया कि उधर अंदर की तरफ से अशोक चला आ रहा है, मैंने उसको आँखों से ही इशारा किया और अपनी बीवी का टॉप इतना उठा दिया कि अशोक थोड़ा दूर से देख सके।
फिर मैं उन्हें चूसने लगा और दूसरे तरफ का निप्पल को रगड़ने लगा, अशोक थोड़ा झांक कर कांची के नंगे बदन को देखने की कोशिश करने लगा।
इतने में मैंने कांची के कपड़े सही किये, थोड़ा दूर हटा कहा- वो कभी भी बाथरूम से आ सकता है।
अशोक थोड़ा पीछे हट कर दरवाज़े की आवाज़ करता हुआ आने लगा।
कांची धीरे से मुझसे बोली- आपकी टाइमिंग बहुत अच्छी है।
मैं बोला- अंदर आ जा | और मैं बैडरूम में चला गया।

दोस्तों अब ऑफिस से निकने का टाइम हो गया  है अब मै अपनी कहानी यही पर समाप्त करता हूँ मै अपनी ईमेल आई डी यहाँ नही लिख रहा हूँ पर आप लोग अपना रिप्लाई निचे कमेंट में लिख कर जरुर दे | क्योकि मेरी बीवी ने बोला तुम भी कहानी लिखो और मै भी लिखती हूँ देखती हूँ कितने कमेंट तुम्हे मिलते है सो मै चाहता हूँ आप लोग कमेंट जरुर दीजियेगा | धन्यवाद !



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