गतांग से आगे … कभी उसकी चूत को दबाता और कभी उसकी गंद को , उसे अब बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था तो उस ने उसे दूर हटा दिया और जल्दी जल्दी अपने सारे कपड़े उतार दिए, उसे कपड़े उतारते देख कर वो भी अपने कपड़े उतार कर नंगा हो गया, अब वो दोनो एक दम नंगे थे, तमन्ना ने उस का लंड अपने हाथ में पकड़ लिया उस का लंड बहुत ज़्यादा मोटा लंबा था , और फिर उसने तमन्ना को किस करना शुरू कर दिया,तमन्ना भी उसे बेतहाशा किस किए जा रही थी उस ने किस करते हुए अपने हाथ मे गौरव के लंड को लेकर सहलाने लगी. फिर उसके भाई ने उसा घोड़ी बना कर खूब चोदा. इधर मुझे भी बड़ा मज़ा आरहा था काफ़ी देर तक मैं और अमर किस करते रहे, उसी बीच में एक बार झड़ भी गई थी, फिर अमर ने मुझे लंड चूसने को कहा में वही बैठ गई और उस का लंड चूसने लगी, थोड़ी ही देर में उस ने मेरे सिर को ज़ोर से अपने लंड पे दबा लिया में समझ गई की इस का पानी निकलने वाला है, और उसी टाइम उस के लंड का पानी निकल कर सीधे मेरे मूह में गया में ने भी सारा पानी पी लिया एक बूँद भी नीचे नही गिरने दिया ,आख़िर भाई के लंड से निकला अमृत जो था. फिर उस ने अपना लंड मेरे मूह से निकालना चाहा मगर में ने नही निकाला में उस के लंड को अपने मूह में भरी रही ,जी चाहता था के सारी उमर यूही लंड को मूह मे लिए रहू.मगर उस ने ज़ोर लगा कर अपने लंड निकाल लिया, और अपने कपड़े पहनने लगा मुझे अच्छा नही लगा , में ने तुरंत ही उसे किस करना शुरू कर दिया जिस से वो दोबारा जोश में आ गया , और एक बार फिर से उस का लंड खड़ा होगया, हम थोड़ी देर तक किस करते रहे फिर, उस ने अपना लंड मेरी चूत में सटा दिया मगर में ने उसे हटा दिया तो उस ने कहा क्या हुआ में ने कहा नही अभी चूत नही अभी तुम मेरी गांड ही मार लो तो भाई मेरे पिच्छवाड़े पे हाथ फेरने लगा.मे उनकी तरफ देख कर मुस्कुराइ , दोनो तरफ फिर चिंगारी भड़क चुकी थी.मे बेबस हो कर सीट पर पेट के बल लेट गयी और अपने घुटनो के बल होकर अपने चूतर हवा मे उठा चौपाया बन गयी.मेरे गोल मटोल गोरे गोरे चूतर भाई की आँखों के सामने लहरा रहे थे. आप यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | भाई से रहा नही गया और झुक कर चूतर को दन्तो से कस कर काट लिया. भाई पिछे हो कर चूत के साथ साथ गांड पे भी जीभ फेरने लगा तो सारा बदन एक नयी लज़्ज़त से रोशन हो गया.मैंने कूल्हे और उँचे कर लिए. भाई जैसे ही मेरे उपर चढ़ा तो लंड का सूपड़ा सीधा गांड पे जा लगा. फिर भाई ने मेरे चूतर को दोनो हाथों से पकड़ कर ज़ोर का धक्का लगाया और भाई का सुपरा मेरी गंद की छेद मे चला गया. मेरी कसी गंद ने भाई के लंड के सुपरे को जाकड़ लिया. मुझे थोडा दर्द हुआ. भाई ने दोबारा धक्का दिया और मेरी गंद को फड़ता हुआ भाई का आधा लंड गंद मे दाखिल हो गया. मे ज़ोर से चीख उठी, “उईइ मा, दुख़्ता है मेरे राजा.” पर भाई ने मेरी चीख पर कोई ध्यान नही दिया और लंड थोड़ा पीछे खींच कर जोरदार शॉट लगाया. भाई का 9″ का लंड मेरी गंद को चौड़ा हुआ पूरा का पूरा अंदर दाखिल हो गया. मे फिर चीख उठी. मैं बार बार अपनी कमर को हिला हिला कर भाई के लंड को बाहर निकालने की कोशिश कर रही थी. भाई ने आगे को झुक कर मेरी चूंची को पकड़ लिया और उन्हे सहलाने लगा.भाई मेरी गर्दन और गालों की चुम्मियाँ ले रहा था. लंड अभी भी पूरा का पूरा मेरी गंद के अंदर था. कुछ देर बाद मेरी गंद मे लंड डाले डाले मेरी चूंची को सहलाता रहा. जब मे कुछ नॉर्मल हुए तो अपने चूतर हिला कर बोली, “चलो राजा अब ठीक है.” मेरा सिग्नल पाकर भाई ने दोबारा सीधे होकर मेरे चूतर पकड़ कर धीरे-धीरे कमर हिला अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया. मेरी गंद बहुत ही टाइट थी. भाई को चोदने मे बड़ा मज़ा आ रहा था. अब मे भी अपना दर्द भूल कर सिसकारी भरते हुए मज़ा लेने लगी. मैंने अपनी एक उंगली चूत मे डाल कर कमर हिलाना शुरू कर दिया. मेरी मस्ती देख कर भाई भी जोश मे आ गया और धीरे-धीरे अपनी रफ़्तार बढ़ा दी. भाई का लंड अब पूरी तेज़ी से मेरी गंद मे अंदर-बाहर हो रहा था. मे भी पूरी तेज़ी से कमर आगे पीछे करके भाई के लंड का मज़ा ले रही थी. लंड ऐसे अंदर-बाहर हो रहा था मानो एंजिन का पिस्टन. पूरी केबिन मे चुदाई की ठप ठप की आवाज़ गूँज रही थी. जब मेरे थिरकते हुए चूतर से भाई के अंडकोष टकराते थे तो लगता कोई तबलची तबले पर ठप दे रहा हो. मे पूरी जोश मे पूरी तेज़ी से चूत मे उंगली अंदर-बाहर करती हुई सिसकारी भर कर भाई से गांड मरवा रही थी. हम दोनो ही पसीने पसीने हो गयी थे पर कोई भी रुकने का नाम नही ले रहा था. मे भाई को बार बार ललकार रही थी, “चोद लो मेरे राजा चोद लो अपनी बहन की गंद. आज फाड़ डालो इससे. शाबाश मेरे साजन, और ज़ोर से राज्ज्जा और ज़ोर से. फाड़ डाली तुमने मेरी तो.” भाई भी हुमच हुमच कर शॉट लगा रहा था. पूरा का पूरा लंड बाहर खीच कर झटके से अंदर डालता तो मेरी चीख निकल जाती. भाई का लावा अब निकलने वाला था. उधेर मे भी अपनी मंज़िल के पास थी. आप यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | तभी भाई ने एक झटके से लंड मेरी गांड मे जड़ तक धंसा दिया. भाई मेरे बदन को पूरी तरह अपनी बाहों मे समेत कर दनादन शॉट लगाने लगा. मे भी सम्हल कर ज़ोर ज़ोर से आह उहह करती हुई चूतर आगे-पीछे करके अपनी गांड मे भाई का लंड लेने लगी. हम दोनो की सांस फूल रही थी. आख़िर भाई का ज्वाला मुखी फुट पड़ा और भाई मेरी पीठ से चिपक कर मेरी गांड मे झड़ गया. मे भी झड़ने को थी और चीख़्ती हुई झड़ गयी. तमन्ना और गौरव के आने से पहले ही हमने कपड़े पहन लिए, मैंने तमन्ना से मज़ाक करते हुए कहा क्या बात है काफ़ी टाइम लगा दिया, कितने स्वाद लिए? तमन्ना ने भी कहा के एक बार मूह में और एक बार गांड में तो मैंने कहा अरे चूत में नही उसने कहा के अभी टाइम है हर जगह पे चुदवाउंगी , फिर हम बैठ कर बातें करने लगे,और फिर थोड़ी देर बाद गौरव और अमर का फिर से मूड बन गया, गौरव ने तमन्ना को बाहों मे भरते हुए कहा क यार अब हमारे बीच क्या परदा और हम अपने-2 भाई की बाहों मे समा गयी.अब की बार हम शरमाये नही और उनके सामने ही किस करने लगे. उन्हे हमारी सुध कहाँ थी,मैंने देखा के गौरव का लंड तमन्ना की चूत मे समा चुका है.लगता था कि वो इसके पहले ही आदि थे.तमन्ना बड़े मज़े से ताल से ताल मिला कर अपने भाई से चुदवा रही थी,मुझे तो डर भी लग रहा था कि पता नही भाई का मोटा लंड मेरी कुँवारी चूत झेल पाएगी या नही .मेरी पहली रात थी,फिर भी उनकी चुदाई को देख कर मे रुक ना सकी और तकिये पे पुराना कपड़ा डाल कर अपने चूतड़ टिकाए और भाई को अपने ऊपर खींच लिया.अमर ने मोटे लंड का गरम सूपड़ा जैसे ही मेरी चूत पर लगाया,मेरी तो एईद हो गयी.मैंने नीचे से चूतड़ उछले तो गॅप से लंड का सूपड़ा योनि को चौड़ा करता हुआ अंदर चला गया. मैंने बाहों का घेरा भाई पर कस दिया तो भाई ने एक जोरदार घस्सा मारा, कपड़ा फटने जैसी आवाज़ हुई और उनके अंडकोष मेरी गांड से आ लगे. आप यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | चूत को फाड़ कर लंड मेरी नाभि से टकरा रहा था. सीट पर ही जोरदार चुदाई शुरू हो गयी.भाई के धक्के तेज होते गये और जल्दी ही मे भी ताल से ताल मिलाने लगी. ट्रेन के हिचकोलो के साथ केबिन मे फ़च फ़च..पाट..पाट..की आवाज़ें गूँज रही थी. दो भाई और दो बहने स्वर्ग मे गोते लगा रहे थे. मुझे तो लग रहा था के जैसे ये मेरी सुहागरात है.जब भाई का गरम गरम वीर्य मेरे गरभ मे गिर रहा था तो मे तीसरी बार झड़ रही थी.जब सखलन का नशा उतरा तो हमारा ध्यान दूसरी तरफ गया. वो लड़का अपनी बहन को घोड़ी बना कर चोद रहा था और उसकी बहन भी मज़े से आँख बंद करके गपा गॅप पिछे से भाई का लंड डलवा रही थी. आप यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | ये नज़ारा देख कर हमने एक दूजे को देखा और भाई का इशारा समझ कर मैं घूम कर झुक गई. उस ने अपना लंड पिछे से मेरी चूत में डाल दिया .लंड मोटा था इस लिए एक बार चूत मरवाने के बाद भी आराम से चूत में नही गया, और मुझे काफ़ी दर्द हो रहा था,पर भाई का दिया हुआ दर्द था जो कि बहुत मीठा लग रहा था. फिर उस ने चूत मे शॉट लगाने शुरू किए. उस के हर घस्से पे में आसमान की सेर कर रही थी | करीब 10 मिंट तक उस ने मेरी चूत की चुदाई की , इस दौरान मे दो बार फिर से झड़ चुकी थी. फिर भाई की रफ़्तार बढ़ गई में समझ गई कि इस का पानी निकलने वाला है तो में ने उस का लंड अपनी चूत से निकाल कर मूह में भर लिया और एक बार फिर उस का पानी मेरे मूह में गिरा, इस तरहा से चलती ट्रेन में चुदवाने का मज़ा ही कुछ और था,वो भी अपने सगे भाई से. कभी चूत तो कभी गांड हम दोनो जोड़े सारी रात चुदाई मे लगे रहे.सुबह होने पर हम बहन भाई मम्मा के पास आकर ऐसे बैठ गये जैसे कुछ हुआ ही ना हो.पर मेरी उलझी लतें और चेहरा पे खुशी का नूर तो सब कुछ बता रहा था.सारी रात की किस्सिंग से मेरे होंठ भी कुछ सूज से गये थे.अमर मेरे पास मे बैठ कर फिर मुझे छेड़ने लगा तो मैंने धीरे से उसके कान मे कहा के क्या कर रहे हो, मा देख लेगी,सारी रात तो सोने नही दिया,थोड़ा सा सबर भी नही होता, घर चल कर दे दूँगी”.और ये सिलसिला अब रुकने का नाम नही ले रहा है.हम एक दूजे के बिना नही रह सकते. समाप्त
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गुरु मस्तराम
दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त मस्ताराम, मस्ताराम.नेट के सभी पाठकों को स्वागत करता हूँ . दोस्तो वैसे आप सब मेरे बारे में अच्छी तरह से जानते ही हैं मुझे सेक्सी कहानियाँ लिखना और पढ़ना बहुत पसंद है अगर आपको मेरी कहानियाँ पसंद आ रही है तो तो अपने बहुमूल्य विचार देना ना भूलें