प्रेषक : कन्हैया
नमस्कार दोस्तों मै कन्हैया आपके सामने फिर हाज़िर हूँ एक नया अनुभव लेकर बात अभी पिछले महीने की है 2 मार्च को मुझे एक महिला का ईमेल मिला, जिसमें वो मुझसे मालिश और अपनी चूत को चुदवाना चाहती थी
उनको मैंने ईमेल से बात करने के बाद स्काइप पर कैमरा के द्वारा बात की..
उसके बाद हमारी मीटिंग गुड़गांव में ही उनके घर पर तय हुई।
जिसमे मुझे उनके शरीर की मसाज करने के साथ साथ उनको शारीरिक सुख देना था। उन्होंने मुझे अपने घर का पूरा पता दिया । में अगले ही दिन गुड़गांव के लिए निकल गया और
मैं दोपहर को उनके घर पहुँच गया।उन्होंने मुझे पानी वैगेरह पिलाया और कुछ देर आराम के लिए कहा । में भी नहा धोकर आराम करने लगा
वह बोली-हम अपना काम शाम को करेंगे ।मेने कहा जैसा आप चाहो।
मुझे क्या था.. मैं तो पूरे दिन के लिए वहीं के लिए आया था। उसने अपने घर का काम निबटाया.. मुझे खाना खिलाया.. इस सब में शाम हो गई थी।
मैं बोला- मेरा काम कब शुरू होना है?
बोली- मैंने आज सारा काम पूरा खत्म कर लिया था.. लेकिन कुछ जरूरी काम आ गया है, जिसकी वजह से देर हो गई।
फिर शाम को 7 बजे और वह खाली हुई बोली- हाँ.. अब कोई दिक्कत नहीं है.. आप अपना काम बिना किसी के संकोच के कर सकते हैं।
वो मुझे अपने कमरे में ले गई।
वहाँ उसने मुझे पूछा- कैसे शुरू करना है?
मैं बोला- आप नीचे कालीन पर एक मोटा चादर डाल दें.. उस पर लेट जाएं। तेल आपके पास है ही।
वो अपना गाऊन पहन कर आई और लेट गई। मैं बोला- गाउन पर कैसे लगाऊँ.. आप इसको उतार दें।
वो गाउन उतार कर केवल चड्डी में लेट गई। ब्रा उसने पहनी नहीं थी।
मैं उससे बोला- आप पीठ के बल लेट जाएं।
पूजा के लेट जाने के बाद मैंने उसकी पीठ पर हल्का गुनगुना तेल डाला और उसकी पीठ पर फैला कर मालिश करने लगा। उसका नाम पूजा था। आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
उसने कंधे और पुट्ठों पर मुझसे देर तक रगड़वाया उसने हाथ पर हल्का ही लिया।
फिर मैं उसकी कमर पर आया.. कमर को रगड़ कर मैं उसके गर्दन तक हाथ लगा रहा था।
उसने चड्डी पहनी हुई थी.. इसलिए मैंने उस हिस्से को बचा कर मालिश की।
फिर उसकी जांघ पर मालिश की।
उसको जाँघों पर मालिश करवाने में मजा आ रहा था।
पूजा को मैंने उसके पैर की ऊँगली तक मालिश दी.. फिर उसको पलटने को बोला, वह पलट गई।
उनसे पूछा- आपके मम्मों पर मालिश करना है कि नहीं?
उसने कहा- सब जगह करना है।
इस पर मैं बोला- फिर आप फिर अपनी चड्डी उतार दें.. जिससे उधर भी मालिश करने में आसानी होगी और आपको बार-बार उठना न पड़े।
वह बोली- तुम ही नीचे से खींच दो।
मैंने उसकी चड्डी उतार दी।
क्या औरत थी.. बिल्कुल साफ़.. चिकनी.. झांट के बाल साफ़ करके बैठी थी और बुर तो ऐसी खिली हुई था जैसे की पावरोटी.. उसकी पंखुड़ी काली थीं.. लेकिन उसका किनारा साफ़ था जरा गहरे रंग का था।उसकी पसलियाँ भी मालिश से तरोताज़ा होती गईं।
अब उसने मुझसे बोला- जब किसी औरत को तुम मालिश करते हो.. तुमको लगता नहीं कि तुम उसको चोद दो?
उसके मुँह से चुदाई से सम्बंधित शब्द मुझे बता रहा था कि अब ये गरम होने लगी है।
मैं बोला- नहीं मैडम.. मैं इतना काम कर चुका हूँ कि अब मुझे जरा भी हड़बड़ाहट नहीं होती और जितना कहा जाता है.. मैं वहीं तक सीमित रहता हूँ.. ऐसा नहीं कि उत्तेजना नहीं होती.. हाँ.. उत्तेजित हो जाता हूँ लेकिन व्याकुलता भी नहीं होती। मैं तो अपनी चड्डी में ही था।
उसके मम्मे गोल-गोल थे और कसे हुए भी थे।
वो 40 साल की थी जरूर.. लेकिन उसके जिस्म में ढलकाव नहीं था।
उसकी चूचियाँ भरी हुई थीं और रगड़ पाने से वे और सख्त होती चली गईं।
उसको मम्मों को रगड़वाने में मजा आ रहा था।
जब मैं रगड़ रहा था तो मैं उसकी तरफ देख रहा था.. उसके पैर कसमसा रहे थे।
उसका इस तरह करने से मुझे पता लग रहा था कि यह गरम हो गई है.. लेकिन उससे मुझे चुदाई नहीं करना है.. यह बात मैं जानता था और उसने जो कहा है.. वही करना है।
उसके मम्मों की अच्छी मालिश से वह पूरी तरह से चुदवाने के मूड में आ चुकी थी।
बोली-कन्हैया अब जरा नीचे बुर की मालिश आज अच्छे से करना।
उसको मैंने तेल लेकर उसकी बुर को गीला कर दिया।
उसकी बुर पहले से ही गीली थी बुर में से पानी रिस रहा था…
ऊपर से तेल की चिकनाहट से उधर थोड़ा चिपचिपा हो गया लेकिन ठीक ही था।
उसको रगड़ थोड़ी अच्छी मिल रही थी।
उसकी बुर के बगल में मालिश करने से उसकी थकान कम हो गई, जिससे वह आराम से पैर खोल कर लेट गई।
अब क्या बचा था.. मेरे सामने उसकी बुर तेल और उसके कामरस से चमचमा रही थी।
उसकी चूत के होंठों को लेकर मैंने अपनी दोनों ऊँगली के बीच दबा कर धीरे से मसलना शुरू किया।
यह उसके लिए बिजली का झटका लगने जैसा था। आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
मेरी यह मालिश की ये अदा उसको उत्तेजित कर रही थी।
उसके मुँह और कान लाल हो गए थे, उसने पैर और खोल दिए थे, उसकी फांकें अच्छे से गीली हो रही थी।
फिर मैंने उसकी फांकें खोल कर उसका दाना छुआ।
वह उछल पड़ी और उसने अपनी कमर हिला दी।
मैं समझ रहा था कि अगर इस वक्त कोई पूजा को ठोक दे.. उसको बुरा नहीं लगेगा लेकिन मुझे अपनी हद तक रहना था। मैं भी उत्तेजित तो था लेकिन रुका हुआ था।
उसका दाना जब मैंने खोला तो उसकी गुलाबी फ़ुद्दी मेरे सामने खुल गई।
उसका दाना जब कुछ ही मिनट रगड़ने से उसका दम फूलने लगा।
वह अपने हाथ से ही अपनी चूची को मसलने लगी थी।
उसका दाना मसलने की वजह से वह अपनी कमर उचका रही थी।
फिर मैंने उसकी बुर के छेद में धीरे से ऊँगली डाल दी और उसके अन्दर की दीवार को सहलाना शुरू किया तो वह खुद ही कमर उछाल कर कोशिश करने लगी कि मैं उसकी बुर के अन्दर तक ऊँगली डाल कर मसलूँ। फिर में उसकी चूत को जीभ से चाटने लगा।पूजा कहने लगी अब अपना लण्ड मेरी चूत में डाल दो अब मुझसे रहा नही जाता। मैंने भी देर न करते हुए अपना लण्ड उसकी चूत के मुँह पर लगा कर एक ही झटके में अपना पूरा लण्ड उसकी चूत की गहराइयों में उतार दिया और उसकी चूत की चोदने लगा। इधर मैं अपने लण्ड से उसकी चूत को चोद रहा था और ऊपर उसके मम्मों को मुँह में लेकर चूस रहा था।
वो चिल्लाने लगी- आअह्ह्ह.. अह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह्ह… ह्म्म्म्म.. और जोर से.. और जोर से.. आह्ह्ह.. मैं आ रही हूँ.. फाड़ दो मेरी चूत.. फाड़ दो.. आज इसको.. आआअह्हह..
और मैंने भी 5 या 6 झटके जोर-जोर से मारे और मैं और वो.. एक साथ झड़ गए।
मैं उसकी चूत में ही झड़ गया और उसके ऊपर ही पड़ा रहा। करीब 5 मिनट के बाद उसने मुझे हटने को कहा। वो उठ कर बाथरूम में गई… मैं भी उसके पीछे बाथरूम में पहुँच गया। वो पेशाब कर रही थी.. मैं भी पेशाब करने लगा। मैंने पानी से उसकी चूत धोई और उसने मेरा लण्ड धोया। फिर हम बाहर आ गए
उसने बोला- अच्छा अब मेरी बुर को अपने जुबान से चाट कर मालिश कर दो।
मैंने भी ‘हाँ’ में सर हिलाया। हम दोनों बेड पर नंगे थे। मैंने उसे बेड पर लिटा लिया और उसकी चूत में उंगली करने लगा। मैं अपनी दो उंगली से उसकी चूत को चोद रहा था.. वो ‘आहें’ भर रही थी। फिर मैंने उसकी चूत में अपनी जीभ को डाल दिया और चाटने लगा। वो मजे से ‘आहें..’ भर रही थी और मैं लगातार उसकी चूत को ‘चपर.. चपर..’ चाट रहा था। आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
वो ‘आईईईई.. आइ..ई.. उईईईई..’ कर रही थी.. और चूतड़ों को हवा में उठाते हुए जोर-जोर से अपनी चूत चटवा रही थी। उनसे मेरे सर को चूत पर जोर से दबा रखा था।
फिर वो अकड़ गई और झड़ गई.. बोली- आह्ह.. बस करो अब.. मुझे चोदो..
मैंने उसकी चूत पर अपना लंड रखा और उसकी टाँगों को अपने कंधे पर रख लिया। फिर उसकी चूत का निशाना साध कर लंड को छेद में ‘सट..’ से घुसा दिया।
उसने थोड़ा सा ‘उई..माँ..’ किया और पूरा लंड चूत में समा गया।
अब मैंने हौले-हौले धक्के लगाने चालू कर दिए थे। उसे मजा आने लगा और वो नीचे से अपनी कमर हिलाने लगी।
कुछ देर चुदने के बाद उसने मुझे धक्का देकर नीचे गिरा दिया और मेरे ऊपर चढ़ गई.. मेरे खड़े लंड को अपनी चूत में घुसा लिया और वो जोर-जोर से चुदने लगी, उसे बहुत मजा आ रहा था ‘वूऊऊऊओ.. आईह… अईए.. उईई.. आईईई.. चोद साले.. हईईईईए..’
वो चुदास में सीत्कारें निकाल रही थी और चूत को लौड़े पर पटकते हुए जोर-जोर से चुद रही थी.. साथ ही मुझे गन्दी-गन्दी गालियां भी बक रही थी।
मैंने भी नीचे से अपने लंड की रफ़्तार तेज कर रखी थी। वो ऐसा करते-करते झड़ गई और मेरे ऊपर गिर गई। मैं उसके मम्मों को लगातार दबा रहा था और चूस रहा था।
मैंने उसकी चूत पर फिर से जीभ को काम पर लगा दिया। उसकी चूत से निकला हुआ पानी अभी भी उसकी जाँघों में लग कर नीचे गिर रहा था। मैंने उसे अपनी जीभ से साफ़ किया और फिर से उसकी चूत चाटने लगा।
अब वो फिर से जोश में आ गई थी। मैं उसकी चूत के दाने को बार-बार अपने होंठों में दबा कर काट लेता.. जिससे वो ‘उईईए..’ करने लगती। आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
जैसे-जैसे मैं उसकी चूत को चाटता.. वो मस्ती भरी सिसकारी लेने लगती और मेरे सर को पकड़ कर अपने चूत में सटा लेती। अब हम दोनों 69 में हो गए.. वो मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी और मैं उसकी चूत को..
जैसे ही मैं उसकी चूत में जीभ अन्दर करता.. वो मेरे लंड को जोर से काट लेती.. ऐसा लगता था कि जैसे खा जाएगी।
थोड़ी देर बाद वो कहने लगी- बस करो.. अब आओ.. चोदो मुझे..
अब वो गाण्ड मेरी तरफ करके बिस्तर पर कुतिया की तरह हो गई। मैं समझ गया.. मैंने पीछे से अपना लंड उसकी चूत में पेल दिया और धक्के लगाने लगा। वो ‘उईईए.. आईईई.. हईईईई..’ करने लगी और अपनी चूत मेरे लंड पर जोर-जोर से मारने लगी। अब हम दोनों बिस्तर से नीचे आ गए। मैंने उसकी एक टांग को बिस्तर पर टिका दिया और एक नीचे ही रहने दी। फिर मैंने उसके पीछे खड़े होकर उसकी चूत में लंड पेल दिया और उसे ‘हचक’ कर चोदने लगा।
वो बहुत मज़े से चुदवा रही थी और ‘आहें’ भर रही थी। मैं पीछे से लंड उसकी चूत पर ‘दे दनादन’ लौड़े को पेल रहा था। मैं कभी-कभी उसकी मोटी-मोटी चूचियाँ भी मसल देता और चूस भी लेता.. जिससे वो और भी मजे लेते हुए चुद रही थी।थोड़ी ही देर में हम दोनों जड गए। दोस्तों ये थी मेरी कहानी।आपको पसंद आई हो तो मुझे मेल जरूर [email protected]