गतांग से आगे ..
ताहिर अज़ीज़ खान जी के ऑफिस में मेरी जगह अब उन्होंने एक ४५ साल की औरत, ज़ीनत को रख लिया था। नाम के बिल्कुल उलटी थी वो — मोटी और कली सी। वो अब अब्बू की सेक्रेटरी थी। मैंने एक बार अब्बू को छेड़ते हुए कहा था, क्या पूरी दुनिया में कोई ढंग की सेक्रेटरी आपको नहीं मिली? तो उन्होंने हँस कर मेरी ओर देखते हुए एक आँख दबा कर कहा, यही सही है। तुम्हारी जगह कोई दूसरी ले भी नहीं सकती और बाय द वे…. मेरा और कोई कुँवारा बेटा भी तो नहीं बचा ना।
अभी दो महिने ही हुए थे कि मैंने ताहिर अज़ीज़ खान जी को कुछ परेशान देखा।
क्या बात है अब्बू… आप कुछ परेशान हैं? मैंने पूछा।
माहिरा! तुम कल से हफ़्ते भर के लिये ऑफिस आने लगो, उन्होंने मेरी ओर देखते हुए पूछा, तुम्हें कोई परेशानी तो नहीं होगी ना अपने पुराने काम को संभालने में?
नहीं! लेकिन क्यों? मैंने पूछा।
अरे वो नयी सेक्रेटरी अकल के मामले में बिल्कुल खाली है। दस दिन बाद पैरिस में एक सैमिनार है हफ़्ते भर का। मुझे अपने सारे पेपर्स और नोट्स तैयार करने हैं जो कि तुम्हारे अलावा और कोई नहीं कर सकता। तुम जितनी जल्दी अपने काम में एक्सपर्ट हो गयी थीं, वैसी कोई दूसरी मिलना मुश्किल है।
लेकिन अब्बू… मैं वापस उस पोस्ट पर रेग्युलर काम नहीं कर सकती क्योंकि मिकाल के आने पर मैं वापस लाहौर चली जाऊँगी।
कोई बात नहीं। तुम तो केवल मेरे सैमिनार के पेपर्स तैयार कर दो और मेरी सेक्रेटरी बन कर पैरिस में सैमिनार अटेंड कर लो। देखो इंकार मत करना। तुम्हें मेरे साथ सैमिनार अटेंड करना ही पड़ेगा। ज़ीनत के बस का नहीं है ये सब। इन सब सैमिनार में सेक्रेटरी स्मार्ट और सेक्सी होना बहुत जरूरी होता है, जो कि ज़ीनत है नहीं। यहाँ के छोटे-मोटे कामों के लिये ज़ीनत रहेगी।
ठीक है मैं कल से ऑफिस चलुँगी आपके साथ। मैंने उन्हें छेड़ते हुए पूछा, मुझे वापस स्कर्ट तो नहीं पहननी पड़ेगी ना? मैंने अपनी राय सुना दी उन्हें। मैंने ये कहते हुए उनकी तरफ़ हल्के से अपनी एक आँख दबायी। वो मेरी बातों को सुन कर मुस्कुरा दिये।
तुम्हारी जो मरज़ी हो, वो पहन लेना। कुछ नहीं पहनो तो भी ताहिर अज़ीज़ खान के बेटे की बीवी को लाइन मारने की हिम्मत किसी में नहीं होगी, हम हँसते हुए अपने-अपने कमरों की ओर बढ़ गये। उस रात मुझे बहुत अच्छी नींद आयी। सपनों में मैं उस ऑफिस में बीते हर पल को याद करती रही।
मैं अगले दिन से ऑफिस जाने लगी। अब्बू के साथ कार में ही जाती और उनके साथ ही वापस आती। ऑफिस में भी अब सलवार कमीज़ या साड़ी में शालीनता से ही रहती। लेकिन जब केबिन में सिर्फ हम दोनों बचते तो मेरा मन मचलने लगता। मैंने महसूस किया था कि उस वक्त ताहिर अज़ीज़ खान जी भी असहज हो उठाते। जब मैं ऑफिस में बैठ कर कम्प्यूटर पर सारे नोट्स तैयार करती तो उनकी निगाहों की तपिश लगातार अपने जिस्म पर महसूस करती।
मैंने सारे पेपर्स तैयार कर लिये। चार दिन बाद मुझे उनके साथ पैरिस जाना था। एक दिन खाना खाने के बाद मैं और अब्बू टीवी देख रहे थे। अम्मी जल्दी सोने चली जाती हैं। कुछ देर बाद ताहिर अज़ीज़ खान जी ने कहा, माहिरा पैरिस जाने की तैयारी करना शुरू कर दो। टिकट आ चुका है…. बस कुछ ही दिनों में फ्लाईट पकड़नी है।
मैं और क्या तैयारी करूँ। बस कुछ कपड़े रखने हैं। ये कपड़े वहाँ नहीं चलेंगे, उन्होंने कहा, ओरगैनाइज़िंग कंपनी ने सैमिनार का ड्रेस कोड रखा है और उसकी कॉपी अपने सारे केंडीडेट्स को भेजी है। उन्होंने ड्रेस कोड स्ट्रिकटली फोलो करने के लिये सभी कंपनियों के रेप्रिसेंटेटिव्स से रिक्वेस्ट की है। जिसमें तुम्हें…, यानी सेक्रेटरी को सैमिनार के वक्त लाँग स्कर्ट और ब्लाऊज़ में रहना पड़ेगा।
शाम को डिनर और कॉकटेल के समय माइकल्रो स्कर्ट और टाईट शर्ट पहननी पड़ेगी विदाऊट…. अंडरगार्मेंट्स उन्होंने मेरी ओर देखा। मेरा मुँह उनकी बातों से खुला का खुला रह गया। शाम को अंडरगार्मेंट्स पहनना अलाऊड नहीं है। दोपहर और ईवनिंग में पूल में टू पीस बिकिनी पहननी पड़ेगी और पैरों में हर समय हाई-हील्स पहने होने चाहिये…. कम से कम चार इंच हाई हील वाले।
हाई हील्स तो ठीक है लेकिन…? मैंने थूक का घूँट निगल कर कहा, मेरे पास तो इस तरह के सेक्सी ड्रेसेज़ हैं नहीं और आपके सामने मैं कैसे उन ड्रेसेज़ को पहन कर रहुँगी?
क्यों क्या प्रॉब्लम है?
मैं आपकी बहू हूँ, मैंने कहा।
लेकिन वहाँ तुम मेरी सेक्रेटरी बन कर चलोगी! ताहिर अज़ीज़ खान जी ने कहा।
ठीक है सेक्रेटरी तो रहुँगी लेकिन इस रिश्ते को भी तो नहीं भुलाया जा सकता ना, मैंने कहा।
वहाँ देखने वाला ही कौन होगा। वहाँ हम दोनों को पहचानेगा ही कौन। वहाँ तुम केवल मेरी सेक्रेटरी होगी। एक सेक्सी और…, मुझे ऊपर से नीचे तक देखते हुए आगे बोले, हॉट! तुम वहाँ हर वक्त मेरी पर्सनल नीड्स का ख्याल रखोगी जैसा कि कोई अच्छी सेक्रेटरी रखती है… ना कि जैसा कोई बहू अपने ससुर का रखती है।
उनकी इस बात की गंभीरता को भाँप कर मैंने अपना सिर झुका लिया।
तुम परेशान मत हो…. सारा अरेंजमेंट कंपनी करेगी! तुम कल मेरे साथ चल कर टेलर के पास अपना नाप दे आना। बाकी किस तरह के ड्रेस सिलवाने हैं और कितने सिलवाने हैं…. सब मेरा हेडेक है।
अगले दिन मैं उनके साथ जाकर एक फेमस टेलर के पास अपना नाप दे आयी। जाने के दो दिन पहले ताहिर अज़ीज़ खान जी ने दो आदमियों के साथ एक बॉक्स भर कर कपड़े भिजवा दिये।
मैंने देखा कि उनमें हर तरह के कपड़े थे और हर ड्रेस के साथ मेल खाते हाई हील के सैंडल भी थे। कपड़े काफी कीमती थे। मैंने उन कपड़ों और सैंडलों पर एक नज़र डाल कर अपने बेडरूम में रख दिये। मैं नहीं चाहती थी कि मेरी सास को वो एक्सपोज़िंग कपड़े दिखें। पता नहीं उसके बारे में वो कुछ भी सोच सकती थीं। आप यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
शाम को उनके वापस आने के बाद जब मैंने उन्हें अकेला पाया तो मैंने उनसे पूछा, इतने कपड़े! सिर्फ मेरे लिये हैं?
और नहीं तो क्या! तुम वहाँ मेरी सेक्रेटरी होगी और मेरी सेक्रेटरी सबसे अलग दिखनी चाहिये। तुम हर रोज एक नये डिज़ाईन का ड्रेस पहनना। उन्हें भी तो पता चले हम इंडियंस कितने शौकीन हैं। तुमने पहन कर देखा उन्हें?
नहीं, मैंने अभी तक इन्हें ट्राई करके तो देखा ही नहीं।
कोई बात नहीं! आज रात खाना काने के बाद तुम्हारा ट्रायल लेते हैं। फिर मुस्कुरा कर बोले, अपनी सास को जल्दी सुला देना।
रात को खाना खाने के बाद अम्मी सोने चली गयी। अब्बू ने खाना नहीं खाया। उन्होंने कहा कि वो खाने से पहले दो पेग व्हिस्की के लेना चाहते हैं। अम्मी तो इंतज़ार ना करके खुद खाना खाकर उन्हें मेरे हवाले कर के चली गयीं। मैंने सारा सामान सेंटर टेबल पर तैयार करके रख दिया। वो सोफ़े पर बैठ कर धीरे-धीरे ड्रिंक्स सिप करने लगे। वो इस काम को लंबा खींचना चाहते थे जिससे अम्मी गहरी नींद में सो जायें। उन्हें ड्रिंक करते देख मेरा भी ड्रिंक पीने का मन तो हुआ पर मैंने कभी अब्बू के सामने ड्रिंक नहीं की थी। मैं उनके पास बैठी उनके काम में हैल्प कर रही थी कुछ देर बाद उन्होंने पूछा, तुम्हारी अम्मी सो गयीं? देखना तो सही। मैं उठ कर उनके बेडरूम में जाकर एक बार सासू जी पर नज़र मार आयी। वो तब गहरी नींद में सो रही थी। मैं सामने के सोफ़े पर बैठने लगी तो उन्होंने मुझे अपने पास उसी सोफ़े पर बैठने का इशारा किया। मैं उठ कर उनके पास बैठ गयी।
उन्होंने कुछ देर तक मुझे निहारा और फिर कहा, जाओ माहिरा… और एक-एक कर के सारे कपड़े मुझे पहन कर दिखाओ। ये कहते हुए उन्होंने अपना ड्रिंक बनाया। मैं उठ कर अपने बेडरूम में चली गयी। बेडरूम में आकर बॉक्स खोल कर सारे कपड़ों को बिस्तर के ऊपर बिछा दिया। मैंने सबसे पहले एक ट्राऊज़र और शर्ट छाँटा। उसके साथ उसके साथ के हाई हील के सैंडल पहन कर कैट-वॉक करते हुए किसी मॉडल की तरह उनके सामने सोफ़े तक पहुँची और अपने हाथ कमर पर रख कर दो सेकेंड रुकी और फिर झुक कर उन्हें बो किया और धीरे से पीछे मुड़ कर उन्हें अपने पिछवाड़े का भी पूरा जायज़ा करने दिया और फिर मुड़कर पूछा, “ठीक है?”
उन्होंने मुस्कुरा कर कहा, सेक्सी.. म्म्म्म…!
मैं वापस अपने कमरे में आ गयी फिर दूसरे कपड़े पहन कर उनके सामने पहुँची….. फिर तीसरे…..। बनाने वाले ने बड़े ही खूबसूरत डिज़ाईन में सारे कपड़े सिले थे। जो रेडीमेड थे उन्हें भी काफी नाप तोल करके सेलेक्ट किया होगा क्योंकि कपड़े ऐसे लग रहे थे मानो मेरे लिये ही बने हों। जिस्म से ऐसे चिपक गये थे मानो मेरे जिस्म पर दूसरी चमड़ी चढ़ गयी हो।
ट्राऊज़र्स के बाद लाँग स्कर्ट्स और ब्लाऊज़ों की बारी आयी। ताहिर अज़ीज़ खान जी मेरे शो को दिल से इंजॉय कर रहे थे। हर कपड़े पर कुछ ना कुछ कमेंट पास करते जा रहे थे।
लाँग स्कर्ट्स के बाद माइकल्रो स्कर्ट्स की बारी आयी। मैंने एक पहना तो मुझे काफी शरम आयी। स्कर्ट्स की लम्बाइ पैंटी के दो अंगुल नीचे तक थी। टॉप भी मेरी गोलाइयों के ठीक नीचे ही खत्म हो रही थी। टॉप्स के गले भी काफी डीप थे। मेरे आधे बूब्स सामने नज़र आ रहे थे। मैंने ब्रा और पैंटी के ऊपर ही उन्हें पहना और एक बार अपने जिस्म को सामने लगे फुल लेंथ आइने में देख कर शरमाती हुई उनके सामने पहुँची।
नो नो…. तुम्हें पूरे ड्रेस-कोड को निभाना पड़ेगा, उन्होंने अपने ग्लास से सिप करते हुए कहा, नो अंदरगार्मेंट्स!
मैं वहाँ उसी तरह पहन लुँगी…. यहाँ मुझे शरम आ रही है, मैंने शरमाते हुए कहा।
यहाँ मैं अकेला हूँ तो शरम आ रही है…. वहाँ तो सैंकड़ों लोग देखेंगे फिर?
अब्बू वहाँ तो सारी लड़कियाँ इसी ड्रेस में होंगीं…. इसलिये शरम नहीं लगेगी।
नहीं नहीं! तुम तो उसी तरह आओ! नहीं तो पता कैसे चलेगा इन कपड़ों में तुम कैसी लगोगी, उन्होंने कहा तो मैं चुपचाप लौट आयी और अपनी ब्रा और पैंटी उतार कर हाई-हील सैंडलों में धीरे-धीरे चलते हुए वापस पहुँची। उनके सामने जाकर जैसे ही मैंने अपने हाथ कमर पर रखे तो उनकी आँखें बड़ी-बड़ी हो गयीं। उन्होंने शॉर्ट्स पहन रखी थी और उसमें से उनके लंड का उभार साफ़ दिखने लगा। उनका लंड मेरे एक्सपोज़र का मान करते हुए तन कर खड़ा हो गया। शॉर्ट्स के ऊपर से तंबू की तरह उभार नज़र आने लगा।
सामने की ओर थोड़ा झुको, उन्होंने मुझे कहा तो मैं सामने की ओर झुकी। मेरे टॉप के गले से मेरे पूरे उभार बाहर झाँकने लगे। पूरे मम्मे उनकी नजरों के सामने थे ।
पीछे घूमो, उन्होंने फिर कहा।
मैं धीरे-धीरे पीछे घूमी। मुझे पूरा भरोसा है कि मेरे झुके होने के कारण पीछे घूमने पर छोटे से स्कर्ट के अंदर से मेरी चूत उनको नज़र आ गयी होगी। उन्होंने मेरी तारीफ़ करते हुए कहा, बाय गॉड! तुम आग लगा दोगी सारे पैरिस में!
मुस्कुराते हुए मैं वापस बेड रूम में चली गयी। कुछ देर बाद एक के बाद एक, सारे स्कर्ट और टॉप ट्राई कर लिये। अब सिर्फ बिकिनी बची थी।
अब्बू सारे कपड़े खत्म हो गये…. अब सिर्फ बिकिनियाँ ही बची हैं, मैंने कहा।
तो क्या! उन्हें भी पहन कर दिखाओ, उन्होंने कसमसाते हुए अपने तने हुए लंड को सेट किया। इस तरह की हरकत करते हुए उनको मेरे सामने किसी तरह की शरम महसूस नहीं हो रही थी। काश कि मैंने भी उनकी तरह दो-तीन पैग व्हिस्की के पिये होते तो मैं भी और खुलकर और बेशर्म होकर ये शो इंजॉय करती।
मैंने वापस कमरे में जाकर पहली बिकिनी उठायी और उसे अपने जिस्म पर पहन कर देखा। बिकिनी सिर्फ ब्रा और पैंटी की तरह टू पीस थी। बाकी सारा जिस्म नंगा था। हर बिकिनी के रंग के साथ मेल खाते सैंडल भी थे। मैं वो बिकिनी और उसके साथ के हाई-हील सैंडल पहन कर चलती हुई ताहिर अज़ीज़ खान जी के पास आयी। मेरे लगभग नंगे जिस्म को देख कर ताहिर खान जी की जीभ होंठों पर फिरने लगी।
मुझे तो अपने बेटे की किस्मत पर जलन हो रही है। ऐसी खूबसूरत हूर तो बस किसमत वालों को ही नसीब होती है, उन्होंने मेरी तारीफ़ की। मैंने उनके सामने आकर उसी तरह झुक कर अपने मम्मों को उनकी आँखों के सामने किया और फिर एक हल्के झटके से मम्मों को हिलाया और घूम कर अपने नितंबों पर चिपकी पैंटी के भरपूर जलवे दिखाये। फिर मैं अंदर चली गयी।
एक के बाद एक बिकिनी ट्राई करने लगी। हर बिकिनी पहले वाली बिकिनी से ज्यादा छोटी थी। आखिरी बिकिनी तो बस निप्पल को ढकने के लिये दो इंच घेर के दो गोल आकर के कपड़े के टुकड़े थे। दोनों एक दूसरे से पतली डोर से बंधे थे। उन्हें निप्पल के ऊपर सेट करके मैंने डोर अपने पीछे बाँध ली। पैंटी के नाम पर एक छोटा सा एक ही रंग का तिकोना कपड़ा चूत को ढकने के लिये इलास्टिक से बंधा हुआ था। मैंने आइने में देखा। मैं पूरी तरह नंगी नज़र आ रही थी। हाइ हील सैंडलों में मेरी नंगी गाँड ऊपर की और ऊघड़ रही थी।
मैं वो पहन कर जब चलते हुए उनके सामने पहुँची तो उनके हाथ का ग्लास फ़िसल कर कार्पेट पर गिर पड़ा। मैं उनकी हालत देख कर हँस पड़ी। लेकिन तुरंत ही शरम से मेरा चेहरा लाल हो गया।
मैंने अब तक कईं गैर मर्दों के साथ में सब कुछ किया था मगर फिरोज़ भाई जान के साथ ही सेक्स को इंजॉय किया था। उनकी तरह इनके साथ भी मैं इंजॉय कर रही थी। मैं इस बार उनके कुछ ज्यादा ही पास पहुँच गयी। उनके सामने जाकर मैं अपना एक पैर सोफे पर उनकी टाँगों के बीच में रख कर मैं झुकी तो मेरे बड़े-बड़े बूब्स उनकी आँखों के सामने नाचने लगे। मेरे दोनों मम्मे उनसे बस एक हाथ की दूरी पर थे। वो अपने हाथों को उठा कर उन्हें छू सकते थे। मेरे सैंडल की आगे की टिप उनके शॉर्ट्स के ऊपर से उनके लंड को छू रही थी। मैंने अपने जिस्म को एक झटका दिया जिससे मेरे मम्मे बुरी तरह उछल उठे। फिर मैं पीछे मुड़कर अपने कमरे में जाने को हुई तो उन्होंने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अपनी गोद में खींचा। मैं लहरा कर उनकी गोद में गिर गयी। उनके होंठ मेरे होंठों से चिपक गये। उनके हाथ मेरी गोलाइयों को मसलने लगे। एक हाथ मेरे नंगे जिस्म पर फिरता हुआ नीचे टाँगों के जोड़ तक पहुँचा। उन्होंने मेरी चूत के ऊपर अपना हाथ रख कर पैंटी के ऊपर से ही उस जगह को मुठ्ठी में भर कर मसला। अब उनके हाथ मेरी ब्रा को मेरे जिस्म से अलग करना चाहते थे।
वो कुछ और करते कि उनका मोबाइल बज उठा। उनके ऑफिस के किसी आदमी का फोन था। वो किसी ऑफिशल काम के बारे में बात कर रहा था। मैं मौका देख कर उन कपड़ों को समेट कर वहाँ से भाग गयी। मैंने अपने कपड़े उतार कर वापस सलवार कमीज़ पहनी और सारे कपड़ों को समेट कर बॉक्स में रख दिया। मैं पूरी तरह तैयार होकर दस मिनट बाद बाहर आयी। तब तक ताहिर अज़ीज़ खान जी जा चुके थे। मैं टेबल से ड्रिंक्स का सारा सामान उठाने को झुकी तो मुझे सोफ़े पर एक गीला, गोल धब्बा नज़र आया। वो धब्बा उनके वीर्य से बना था। मैं सब समझ कर मुस्कुरा उठी।
मैंने अपने लिये एक डबल नीट पैग बनाया और उसे पीने के बाद मैं अपने कमरे में जाकर सो गयी। आज मेरे ससुर जी की रात खराब होनी थी और मैं आने वाले दिनों के बारे सोचती हुई सो गयी जब हफ़्ते भर के लिये पैरिस जैसी रंगीन जगह में हम दोनों को एक साथ रहना था।
हम स्केड्यूल के हिसाब से फ्राँस के लिये निकल पड़े। पैरिस में हमारी तरह तकरीबन सौ कंपनी के रेप्रिसेंटेटिव आये थे। हमें एक शानदार रिज़ोर्ट-होटल में ठहराया गया। उस दिन शाम को कोई प्रोग्राम नहीं था तो हमें साईट-सींग के लिये ले जाया गया। वहाँ आईफल टॉवर के नीचे खड़े होकर हम दोनों कईं फोटो खिंचवाये। फोटोग्राफर्स ने हम दोनों को हसबैंड-वाईफ समझा। वो हम दोनों को कुछ इंटीमेट फोटो के लिये उकसाने लगे। ससुर जी ने मुझे देखा और मेरी राय माँगी। मैंने कुछ कहे बिना उनके सीने से लिपट कर अपनी रज़ामंदी जाता दी। हम दोनों ने एक दूसरे को चूमते हुए और लिपटे हुए कईं फोटो खिंचवाये। मैंने उनकी गोद में बैठ कर भी कईं फोटो खिंचवाये। ये सब फोटो उन्होंने छिपा कर रखने की मुझे तसल्ली दी। ये रिश्ता किसी भी तरह से इंडियन कलचर में एक्सेप्टेबल नहीं था।
अगले दिन सुबह से बहुत बिज़ी प्रोग्राम था। सुबह से ही मैं सैमिनार में बिज़ी रही। ताहिर अज़ीज़ खान जी, यानी मेरे ससुर जी, एक ब्लैक सूट जिस पर गोल्डन लाईनिंग थी, उसमें बहुत जच रहे थे। उन्हें देख कर किसी को अंदाज़ लगाना मुश्किल हो जाये कि उनके बेटों की निकाह भी हो चुके होंगे। वो खुद ४० साल से ज्यादा के नहीं लगते थे। जैसा कि मैंने पहले लिखा था कि निकाह से पहले से ही मैं उन पर मर मिटी थी। अगर मेरा मिकाल से निकाह नहीं हुआ होता तो मैं तो उनकी मिस्ट्रैस बनकर रहने को भी तैयार थी। मिकाल से मुलाकत कुछ और दिनों के बाद भी होती तो मैं अपनी वर्जिनिटी ताहिर अज़ीज़ खान जी पर निसार कर चुकी होती।
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