हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम आशीष है और मेरी उम्र 27 साल है. दोस्तों मैंने आज तक सिर्फ़ एक ही लड़की के साथ सेक्स किया है और दूसरी लड़की के साथ सिर्फ़ किसिंग की है. दोस्तों में आज आप सभी को जो सेक्स अनुभव अभी बताने जा रहा हूँ वो उस लड़की का है जो मेरी पहली वाली गर्लफ्रेंड थी और उसके साथ में करीब 5-6 बार सेक्स कर चुका हूँ, लेकिन उसके साथ हुआ मेरा पहला सेक्स में कभी भी भूल नहीं सकता.
दोस्तों यह तब की बात है जब मेरे कॉलेज का दूसरा साल ख़तम होने वाला था. आपको अंदाज़ा हो ही गया होगा कि मेरी उम्र करीब 20-21 साल थी. उस समय में बहुत पतला हुआ करता था और उस वक़्त में बहुत टेंशन में भी रहता था, क्योंकि मेरी हमेशा तबियत खराब रहती और जिसका कारण मेरी पहले साल हुई पढ़ाई की नाकामयाबी थी और सभी लोग मुझसे ना जाने क्यों थोड़ा दूर ही रहते थे और में अब इन सब चीज़ो से बहुत उब चुका था और फिर मैंने एक दिन तय कर लिया था कि में अब यह सब कुछ बदल डालूँगा.
मैंने अब मन लगाकर अपनी पढ़ाई करना शुरू कर दिया था और फिर में बहुत जल्दी सभी बच्चो से पढ़ाई में आगे निकल चुका था और मेरे खुश रहने की वजह से मेरी तबीयत में भी अब धीरे धीरे बहुत सुधार रहा था और अब मुझे एक गर्लफ्रेंड की ज़रूरत थी जो बहुत ही सुंदर हो, लेकिन मुझसे हिम्मत नहीं होती थी किसी को अपने प्यार के बारे में कहने सुनने कि, लेकिन फिर एक दिन मेरा सोया हुआ नसीब तब उस दिन खुल गया जब में पहली बार आकाँशा से मिला.
दोस्तों आकाँशा मेरे कॉलेज में मेरी ही क्लास में थी और में उसकी सुंदरता का वर्णन पूरा करूं तो उसकी आखें काजल से काली और उसकी हंसी किसी को भी एक बार में घायल कर देने वाली थी. उसके वो खुले बाल जो उसके नितंब तक लंबे थे और पूरा भरा हुआ गोरा बदन जो किसी की भी नियत खराब कर दे. दोस्तों वार्सिकोत्सव वाले दिन तो उसने काली कलर की पूरी जालीदार साड़ी पहनी हुई थी, जिसमे से मुझे उसका ब्लाउज साफ साफ दिख रहा था और उसके बूब्स के उभार की वजह से उसके थोड़ा झुकने पर भी उसके ब्लाउज के बीचो बीच पड़ने वाली दरार मुझे साफ साफ दिखाई पड़ रही थी. दोस्तों वो दरार तो मानो इतनी तंग थी कि शायद उसमे एक उंगली घुसाने में भी बला का ज़ोर लग जाए खैर वो तो वो दिन था.
अब में उस दिन से ही उससे बात करने का कोई ना कोई बहाना चाहता था, लेकिन कभी यह काम मुमकिन नहीं हो पा रहा था, लेकिन उस दिन तो मेरे नसीब में कुछ और ही लिखा हुआ था, मानो खुदा ने खुद मेरी इच्छा पूरी करने की ठान ली थी. उस दिन वो खुद मेरे पास आई और मुझसे बोली कि हैल्लो आशीष कैसे हो, क्या तुम मेरी एक मदद करोगे? दोस्तों अब मेरे नाम के आगे का सब मुझसे अनसुना हो गया था उसे मेरा नाम पता था कि में इसी खुशी में मेरे अंग अंग में एक बिजली की तरंग सी दौड़ गई थी और मुझसे जवाब ना पाने पर उसने मुझे फिर से वही सवाल किया. क्यों सुना, क्या कहा मैंने?
मेरे माथे से बहता हुआ वो पसीना देखकर अचानक से वो खिलखिलाकर हंस पड़ी और मुझसे कहने लगी कि कितने बुद्धू हो तुम? लड़कियों से बात करने में इतना भी भला कोई डरता है क्या? दोस्तों उसका वो सवाल औपचारिक था जिसकी वजह से में भी उसकी बात का जवाब ना देते हुए हंस पड़ा और उससे कहने लगा कि माफ़ करना मुझे थोड़ी कम आदत है किसी लड़की से बात करने की, हाँ तुम बताओ कि तुम्हे मुझसे ऐसी क्या मदद चाहिए थी?
वो अभी भी मेरी तरफ देखकर हंस रही थी और उसकी वो हंसी मुझे उसके और भी करीब खींचती जा रही थी. अब वो किसी तरह अपना हंसना रोकते हुए मुझसे बोली कि क्यों तुम डाटा स्ट्रक्चर्स में बहुत होशियार हो ना? मेरा एक तो “सी” प्रोग्राम ज्यादा अच्छा नहीं है और ऊपर से यह डाटा स्ट्रक्चर्स यूज़िंग ”सी”, अब तुम ही बताओ में कैसे पास करूँ यह विषय?
दोस्तों उसने जिस मासूमियत से मुझसे यह सवाल किया था. मेरा बस चलता तो में अपना छोड़कर सीधा उसी का पेपर दे देता. फिर मैंने उससे कहा कि वो बहुत आसान है, तुम मेरे नोट्स ले जाओ और तुम उसमें से पढ़कर देखो. दोस्तों में जानता हूँ कि में कितना बड़ा गधा था, अगर में चाहता तो उसे सिखाने के लिए पूछ सकता था, लेकिन मेरी अकल तो देखो, मैंने उससे कह दिया कि ठीक है कुछ ना समझ सको तो हम कॉलेज में तो मिलते रहेंगे और तुम मुझसे कभी भी पूछ लेना. फिर उसने मुझसे हाँ कहा और वो मेरे नोट्स को अपनी बाहों में भरकर मुझसे धन्यवाद कहकर मेरे कमरे से बाहर निकल गयी और में वहीं खड़ा खड़ा उसे देखता रह गया.
फिर दूसरे दिन जब वो मुझे मेरे नोट्स वापस करने आई तो उसने मुझसे कहा कि आप बिल्कुल भी बुरा मत मानना, लेकिन तुम्हारी लिखावट बड़ी खराब है जिसकी वजह से में नोट्स को कॉपी नहीं कर पाई. दोस्तों एक तो किसी की मदद करो और ऊपर से यह बात सुनो, लेकिन ना जाने क्यों हर किसी को लड़कियों की किसी भी बात का गुस्सा नहीं आता.
अब वो मुझसे पूछने लगी कि क्या तुम खुद मुझे सिखा सकते हो? तो मैंने तुरंत से उसे “हाँ” में जवाब दे दिया, क्योंकि आख़िर में खुद कल से तैयार जो था और मेरे इस तेज जवाब से पहले तो वो एकदम से बौखला गई और फिर हंस पड़ी और बोली कि ठीक है तो फिर शाम को 6 बजे से पढ़ते है, लेकिन हम मेरे घर पर ही पढ़ाई करेंगे, नहीं तो माँ हमे पढ़ने नहीं देगी, क्यों तुम्हे कोई समस्या तो नहीं है ना? दोस्तों मुझे कौन सी अस्थमा का दिक्कत थी और फिर मैंने जल्दी से उसे हाँ कह दिया और उस दिन से हमने शाम को एक साथ में पढ़ना शुरू कर दिया.
वैसे उसका घर कुछ ख़ास बड़ा नहीं था और हॉल से टीवी की आवाज़ बहुत आराम से बेडरूम तक आ जाती थी इसलिए हम हमेशा दरवाजा बंद करके ही पढ़ते थे और उसके परिवार वाले सभी लोग बहुत खुले ख्यालों के थे जिसकी वजह से मेरे घर आने पर उन्हे कोई ऐतराज़ नहीं था और उसकी मम्मी तो मुझे बार बार कुछ ना कुछ खिलती ही रहती थी और मुझे उसके घर वाले बहुत पसंद थे. दोस्तों वो दिन भी बिल्कुल ठीक ही निकला था.
में अपने समय से उसके घर पर पहुँच गया और दोस्तों मैंने गौर किया कि वो घर पर कॉलेज की अपेक्षा इतना बन-ठन कर नहीं रहती थी, लेकिन उस दिन उसे कहीं जाना था इसलिए वो बहुत ज्यादा सजधजकर तैयार ही बैठी हुई थी. उसने काले रंग की एक ड्रेस पहनी हुई थी जिसमें से उसकी छाती से ऊपर का भाग काले दानों से भरी जाली से ढका हुआ था और वो ड्रेस उसकी भरी हुई जंघो को बहुत कस रही थी और उसके हाथ में पहनी हुई वो काली चूड़ियां तो मानो सोने पे सुहागा लग रही थी.
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