तुम्हारी ऐसी चुदाई किया करूँगा कि तुम कभी

दोस्तो मेरा नाम गोलू है और मैं जबलपुर के पास एक गाँव से हूँ। अब मैं औरंगाबाद में रहता हूँ। मैं अपने बारे में बता दूँ मैं २४ साल का हूँ | मै हट्टा-कट्टा लड़का हूँ और मेरे लंड की साइज़ मैंने कभी नापा नहीं है। मस्ताराम डॉट नेट पर यह मेरी पहली कहानी है | जिस भाभी को चोदा उनका नाम नगीना है ज्यादा खूबसूरत नहीं है। लंड को तो चूत से मतलब होता है उनकी एक बेटी है उनके पति अपनी खुद की गाड़ी चलाते हैं। वो महीने में ८-९ दिन बाहर रहते हैं उनका नाम पंकज है और उनका घर गाँव से थोड़ा बाहर है।

एक बार हमारा टयूबबैल खराब हो गया तो मेरे पापा ने कहा- जा अपने भाई पंकज (भाभी के पति) से टयूबबैल खोलने के लिए चाबी ले आ।
क्योंकि उनका घर हमारे खेत के पास है। मैं चाबी लेने उनके घर गया तो भाभी और उनके पड़ोस की लड़की बैठी बात कर रही थीं।

मुझे देखकर भाभी बोलीं- आओ देवर जी, किस चक्कर में घूम रहे हो?

यह कहकर भाभी और वो लड़की हँसने लगी।

मैं बोला- भाभी टयूबबैल के कमरे की चाबी चाहिए।

इतने में एक कुतिया घर में आ गई।

भाभी हँसते हुये बोलीं- लगता है कुतिया की में हिला रहे हो!

मैं बोला- क्या कह रही हो।

वो बोली- कुछ नहीं तुम्हें शादी के टाइम समझाना पड़ेगा।

यह सुनते ही मेरा लौड़ा खड़ा हो गया।

मैंने कहा- आप तो चाबी दे दो

भाभी बोली- चलो आगे वाले कमरे में है।

भाभी उस लड़की को बैठने को कहकर आगे वाले कमरे में जाने लगीं और मैं भाभी के मटकते चूतड़ों को देखता हुआ उनके पीछे चलने लगा।
मेरा मन तो कर रहा था कि आज भाभी के चूतड़ों में लौड़ा बाड़ दूँ पर मुझे डर भी लग रहा था क्योंकि मैंने अब तक कभी किसी को नहीं चोदा था बस लड़कियों और भाभियों को देखकर मुठ मारता था।

कमरे में थोड़ा अंधेरा था। भाभी झुक कर नीचे थैले में चाबी देख रही थीं और मैं पीछे से उनके चौड़े चूतड़ों को देखते हुए अपनी पैंट के ऊपर से लौड़ा सहला रहा था। मैं धीरे से भाभी के पीछे जाकर खड़ा हो गया और बोला- भाभी इसमें चाबी नहीं मिल रही है तो दूसरे थैले में देखो |

भाभी दूसरे थैले में देखने लगीं पर झुकी ही रहीं। मैं धीरे से लंड को उनकी गाण्ड से टच करने लगा। भाभी एक बार को रुकीं और फिर चाबी देखने लगीं।

अब मैंने सोचा जो होगा देखा जाएगा मैंने पैंट की चैन खोलकर लौड़ा निकालकर भाभी के चूतड़ों पर लगाकर भाभी के पेट को कस कर पकड़ लिया।

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भाभी बोलीं- छोड़ ये क्या कर रहा है?

मैं बोला- मेरी जान आज गाण्ड मारनी है तेरी

मैं ऐसे ही पकड़े-पकड़े धक्के लगाता रहा, भाभी छुड़ाने की कोशिश कम कर रही थीं बस कह रही थीं- छोड़ दे कोई आ जाएगा।
मैंने 10-12 धक्कों के बाद उनकी सलवार पर ही माल छोड़ दिया।

भाभी बोलीं- बस इतना ही दम था?

मैं बोला- जान कभी रात में मिलना फिर दम का पता चलेगा।

भाभी बोलीं- कभी क्यों हो सके तो आज रात को तुम्हारे भाई फरीदाबाद गए हुए हैं शायद ना भी आएं तू आज ही आ जा मैंने अपना मोबाइल नम्बर दिया और कहा- भाई ना आएं तो बता देना। आप यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |

भाभी बोलीं- ठीक है लेकिन चाभी तो नहीं मिली।

मैंने कहा- कोई बात नहीं मैं पापा को बता दूँगा कि नहीं है।

मैं उनके होंठों को चूम कर खेत की ओर चल पड़ा।

आज मैं बहुत खुश था कि जिंदगी में पहली चूत मिलने वाली है और वो भी इतनी जल्दी

मैंने खेत में जाकर पापा को कहा- चाबी नहीं मिली और अब मैं आगे वाले खेत में घूमकर आता हूँ।

फिर अगले खेत में जाकर मैंने लंड को मुठ मार कर ठंडा किया और घर आ गया।

कहानी जारी है अगले पेज में …