मेरा नाम दीपेश कुमार है, तिरुपती, आन्ध्र प्रदेश से हू. मेरी उमर 40 साल है और सेहत एकदम ताना-टन है, शारीरिक और कामुक दोनो तरह से पर्फेक्ट हू. मगर बीवी के बीमार होने की वजह से कमूह गतिविधि रुक गयी. एस हे एक दोस्त से इस बारे में बात हुई तो उसने एक दलाल के ज़रिए एक कॉल गर्ल बुलवा ली जिसे हम दोनो यारो ने बारी-बारी चोदा. मगर यह तो ऐसा काम है की भूख की तरह फिर जाग जाता है. तो 4-5 दिन बाद मेरा फिर किसी को चोदने का दिल करने लग़ा.
उस दलाल का मोबाइल नंबर तो मेरे पास था हे, मैने नंबर मिलाया और उस-से बात की. बातो बातो में उसने मुझसे पूछा- सर आप यह बताइए की आपको कैसा पीस चाहिए, मेच्यूर आंटी, लड़की, मोटी, पतली, कॉलेज या स्कूल गर्ल? और आपका बजेट कितने तक का हो सकता है? कॉलेज गर्ल का नाम सुनकर तो में भी चौंक गया. मेरी बेटी भी तो कॉलेज में पढ़ती है. मैने उस-से पूछा- क्या किसी भी कॉलेज की लड़की ला सकते हो? उसने जवाब दिया- जी बिल्कुल, आप जिस कॉलेज का नाम ले उसी का माल हाज़िर कर डेंगा… बताइए?
मैने पहले तो तोड़ा सा सोचा फिर अपनी बेटी के कॉलेज का नाम बताया. ‘ओक सर… अपने लायक है वाहा बहुत से लड़किया पैसे के लिए , झूटी शान दिखनाए का लिए यह काम करती है. कोई ख़ास क्लास, सेक्षन या लड़की का नाम?’ उसने पूछा. तो मैने अपनी बेटी की क्लास बता दी. तो उसने जवाब दिया- ठीक है सर में देख लेता हू, पता करके बता देता हू. फोन काटने के बाद में सोचने लगा की अगर खुदा ना ख़स्ता इसने मेरी हे बेटी का नाम बता दिया ,या अगर नाम ना भी बताया, सीधा मेरे सामने ला कर खड़ा कर दिया ओह में क्या करूँगा. पहले सोचा की क्नसेल कर देता हू… फिर सोचा पहले पता तो चले… फिर देखा जाएगा.
खैर थोड़ी देर बाद उसका फोन आया- सर आपके बताए हुए कॉलेज और क्लास की एक लड़की मिल गयी है, बड़ी मुश्किल से तैयार हुई है, बताइए कहा लेकर आयु? मैने कहा- में होटेल में जा रहा हू, रूम बुक करके तुम्हे कमरा नंबर बता दूँगा, तुम सर्फ़ लड़की को अंदर भेजना खुद मत आना मैने उसे बता दी,
ताकि अगर लड़की मेरी जान पहचान की हो तो उस दलाल को पता ना चले. में अपने एक दोस्त के होटेल में पहुचा, कमरा लेकर मैने फिर उस दलाल को फ़ाइनल किया और होटेल का नाम और रूम नंबर बता दिया. में रूम में जाकर बैठ गया. करीब 20 मिनिट बाद डोर पर दस्तक हुई, में दौड़ कर बाथरूम के अंदर गया और अंदर से हे कहा- खुला है, आ जयो. जब लड़की अंदर आई तो उसने डोर लॉक कर दिया और बेड पर जाकर बैठ गयी. पहले मैने बाथरूम के डोर से झाँक कर देखा, लड़की देखी हुई नही थी.
रूम में 19-20 साल की खूबसूरत से लड़की बैठी थी,अच्छा खासा रंग रूप, सुंदर बदन , टॉप और लेगिंग में बड़ी प्यारी लग रही थी. दोस्तों ये कहानी आप मस्ताराम डॉट नेट पर पड़ रहे है। में एस बाथरूम से बाहर निकला जैसे कोई ख़ास्स बात ना हो. में उसके पास जाकर बैठ गया. वो उठ कर खड़ी हो गयी, मैने उसका हाथ पकड़ा और उसे बिताया- क्या नाम है तुम्हारा? मैने पूछा. वो बोली- आसीन…. ‘आसीन’ मैने अपने दिमाग़ में सोचा, इसका नाम सुना है, मेरी बेटी अपनी इस नाम की किसी क्लासमेट का जीकर किया करती है. में बेड पर लेट गया तो वो अपना टॉप उतरने लगी.
‘अर्रे इतनी क्या जल्दी है बेटा…’ मारे मूह से बेटा निकल गया. ‘आराम से… मुझे कोई जल्दी नही है… क्या तुम्हे कोई जल्दी
है?’ ‘नही में तो 3 बजे तक फ्री हू.” उसने बताया. ‘मतलब 3 बजे कॉलेज की छुट्टी होठी है तब तक…” मैने उसे अपने पास लेटया, वो मुझसे चिपक कर लेट गयी, अक्सर मेरी बेटी भी मुझसे एस हे छिपकर लेट जाती है, मगर मुझे कभी एस्सा एहसास नही हुआ. उसने अपना सर मेरे काँधे पे रखा हुआ था और में उसकी पीठ पर हाथ फेर रहा था. मैने उस-से काफ़ी देर बत की, उस-से उसकी क्लास की सब लड़कियो के बारे में पूछा, सच काहु तो में यह जान-ना चटा-ता था की कही
मेरी बेटी तो एस क़िस्सी चक्कर में तो नही पद गयी मगर उसने बताया की विना(मेरी बेटी) एक बहुत हे शरीफ और पढ़कू किस्म की लड़की है, ना उसका कोई बॉय-फ्रेंड है और ना लाफद ! मैने उसे अपनी बाहो में भर लिया और उसके गाल पर चूम लिया. जब उसे बाहो में भरा तो उसके दो नाज़ुक से इस्टन मेरे सीने में लग गये. मैने उसकी पीठ पर हाथ फेरते हुए उसके ब्रा पर हाथ फेरा- योउ अरे वेरी सेक्सी… मैने कहा तो उसने भी ‘थॅंक्स’ कह कर जवाब दिया.
मैने उसकी आँखो में देखा और फिर एक बार उसके होठो को चूमा. उसने भी मेरे होठो को चूमा. मैने फिर उसके होठो को चूमा, मगर इश्स बार उसके होठो को अपने होठो में हे भर लिया और उसके होठो को बारी बारी से चूसा. सच में आदमी की उमर जितनी बड़ी होठी जाती है, उसको उतनी हे छोटी उमर की लड़की मज़ेदार लगती है. दोस्तों आप ये कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है।
होठ, गाल चूमते चूस्टे मैने उसकी जाँघ पर हाथ फेरा, फिर उसके चूतड़ो पर और फिर अपना हाथ स्के टॉप के अंदर डाल दिया और उसकी नंगी पीठ पर हाथ फेरता-फेरता उसके ब्रा के हुक तक पहुचा. और हुक खोल दिया. मैने उसे खींच कर अपने उपर ले लिए और अपने दोनो हाथ उसकी लेगिंग में डाल कर उसके दोनो चूतड़ पकड़ लिए. ‘किस मी आसीन…’ मैने कहा तो उस भोली से लड़की ने अपने दोनो होठ मेरे होठो में दे दिए
और मैने जीभ से उसकी जीभ को चुभलना शुरू कर दिया.
मेरा लंड आकड़ा पड़ा था, मैने उठ कर उसे अपनी गौड़ में बीत लिया, उसका टॉप उतरा और ब्रा भी उतार दी. मस्सों से इस्टन मेरी आँखो के सामने थे. मैने उसके इस्टन अपने हाथो में पकड़े, भूत हे चिकने और मुलायम थे, निपल के घेरे बानगाए थे मगर अभीतक चूचक उभर कर बाहर नही आए थे. मुझे बड़ा माज़ा आ रहा था. मैने अपने हाथो में पकड़ कर उसके दोनो इस्टानो को चूसा तो उसने खुद हे मेरे सर को सहलाना शुउ कर
दिया.. ‘ मुझे नंगा करो आसीन !’
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