कॉलेज की लड़की को लंड चुसाया

मित्रो यह उन दिनों की बात है जब मैं पढ़ता था.. मैं अपनी क्लास का मॉनिटर भी था। हम लोग क्लास में सिर्फ़ 20 स्टूडेंट्स थे.. जिसमें 8 लड़के और 12 लड़कियाँ थीं। हमारी क्लासेस ज़्यादातर प्रयोगशाला में ही लगती थीं। हम लोग सुबह फिज़िक्स की कोचिंग भी पढ़ने जाते थे। जिस कारण हम कोचिंग से सीधा स्कूल चले जाते और स्कूल सबसे जल्दी पहुँच जाते थे। मेरी ही क्लास में एक लड़की थी जिसका नाम प्रतिभा था.. वो पढ़ाई में ज़रा कमजोर थी.. लेकिन उसका जिस्म तो जैसे आग का शोला था.. 36-26-38 के कटाव देख कर लौड़े की हालत खराब हो जाती थी.. जब वो मटक-मटक कर चलती थी.. तो लगता था कि जैसे उसके चूतड़ टपकने वाले हों। जब भी वो मेरे सामने आती.. तो मैं परेशान हो जाता था.. उसके मम्मों देख कर ऐसा जी करता था कि बहन की लौड़ी के इन मम्मों में से सारा रस निचोड़ कर पी ही जाऊँ.. खैर.. मैं सीधी बात पर आता हूँ कि वो बहुत पटाखा आइटम थी। एक दिन उसने मुझसे अपनी पढ़ाई में मदद माँगी.. भला मैं इनकार क्यों करता। मैंने कहा- ठीक है.. आ जा.. तो उसने कहा- स्कूल टाइम तो कोई भी पीरियड फ्री नहीं होता और शोर भी बहुत होता है.. तो ऐसा करते हैं कि कल सुबह की कोचिंग के बाद मैं सीधा तुम्हारे साथ इधर ही आऊँगी। हमें पढ़ने के लिए स्कूल टाइम से पहले 1 घंटा मिल जाएगा। मैंने कहा- ठीक है.. आ जाना। मैंने उसी वक्त उसके साथ चुदाई करने का मन बना लिया। उस दिन मेरा पढ़ाई में मन कतई न लगा और मैं सारा वक़्त उसी के बारे में सोचता रहा। दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | शाम तक मैंने प्लानिंग कर ली थी कि क्या करना है। अगले दिन जब हमारी फिज़िक्स की कोचिंग खत्म हुई.. तो मैं सीधा उसके पास गया और हम दोनों मेरी बाइक पर स्कूल की तरफ़ चल पड़े। मुझे तो जैसे यकीन ही नहीं आ रहा था कि मेरी स्वपन सुंदरी मेरे पीछे बैठी है। जब हम स्कूल पहुँच गए.. तो सीधा क्लास में गए.. अभी सिर्फ़ चपरासी ही आया था। हमने उससे लैब की चाभी ले ली और लैब में आ गए। उसने अपने बैग से बुक्स निकाल लीं और मेरी तरफ़ आई। वो यूनिफ़ॉर्म की स्कर्ट में काफ़ी हॉट लग रही थी। मैंने उससे किताबें लीं और अपने पास बैठने को कहा। वो बैठ गई.. मैं उसे पढ़ाई के बारे में समझाने लगा। कुछ देर बाद हम लोग इधर-उधर की बातें करने लगे। जब उसने एकदम से मुझसे पूछा- वर्जिन किसे कहते हैं? तो मैं हैरान रह गया, मैंने अपने दिल में सोचा कि आज तो कमाल ही हो गया.. मछली अपने-आप ही जाल में आ गई है। पहले तो मैंने जानबूझ कर आनाकानी की.. लेकिन बाद में मैंने उसे मतलब बता ही दिया कि जिस लड़के या लड़की ने कभी भी किसी और के साथ फिज़िकल रिलेशन ना बनाए हों.. उसे वर्जिन कहते हैं। वो थोड़ा सा शर्मा गई.. मैंने देखा कि लोहा गर्म है और हथौड़ा मारने का सही वक्त है.. तो मैंने पूछा- क्या तुम वर्जिन हो? वो शरमाते हुए बोली- हाँ.. बस मुझे और क्या चाहिए था, मैंने उससे पूछा- क्या तुम फिंगरिंग नहीं करती? तो उसने कहा- नहीं.. मेरी फ्रेंड्स बताती हैं कि यह बुरी बात है और इससे ब्लीडिंग होती है। मैं समझ गया कि यह अभी कच्ची कली है, मैंने कहा- तुम्हारी फ्रेंडस ग़लत कहती हैं.. हम लड़के लोग मुठ मारते हैं.. तो वो बोली- यह क्या होता है? मैंने उसे इशारे से लंड पर हाथ-आगे पीछे करके समझाया.. पर उसे समझ ना आया। मैंने उससे कहा- कि तुम ऐसे नहीं समझोगी.. तो उसने कहा- तो जैसे समझाना हो समझा दो.. मैंने कहा- ठीक है तुम अपना मुँह उधर करो। वो थोड़ा समझ गई.. मैंने अपना 7″ लंबा लंड निकाला.. जो पहले से ही तना हुआ था.. मैं अपने लंड को उसके चेहरे के पास ले गया और उससे अपना मुँह घुमाने के लिए कहा। दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | जब उसने अपना मुँह मेरी तरफ़ घुमाया.. तो वो डर गई। वो चिल्ला उठी और भागने लगी। तभी मैंने उसे शांत किया और आहिस्ता-आहिस्ता अपने लंड को भी सहलाने लगा। मैंने उससे कहा- अब तो तुमने मेरे अन्दर के हवस के शैतान को जगा दिया है.. अब तुम्हें इससे शांत करना पड़ेगा। वो लगातार मेरे लंड की तरफ़ देखे जा रही थी। मैंने उसे हिलाया और कहा- अपना हाथ आगे करो। उसने मना कर दिया.. मैंने उससे विश्वास दिलाया- कुछ नहीं होगा.. अपना हाथ आगे तो करो.. तब कहीं जाकर उसने अपना हाथ मुझे दिया.. जैसे ही उसके मुलायम हाथों ने मेरे लंड को छुआ.. तो मेरे पूरे शरीर में करंट आ गया। मैंने उससे अपना लौड़े के ऊपर हाथ आगे-पीछे करने को कहा। वो ऐसा ही करने लगी, मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। फिर मैंने सोचा कि साली के हाथ में इतना आनन्द है तो ब्रा में तो क़यामत ही छुपी होगी। दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
मैंने उससे कहा- मजा आ रहा है?
‘हाँ..’
‘तो चलो कुछ और करते हैं..’
उसने कहा- क्या?
तो मैंने कहा- तुमने कभी मीठे गोलगप्पे खाया है |
उसने कहा- नहीं.. मैंने तो हमेशा तीखा गोलगप्पा ही खाया है.. मीठा अच्छा नही लगता |
मैंने कहा- तो ठीक है आज मीठे गोलगप्पे का स्वाद ले लोग पर उसे खाने से पहले तुम्हें अपनी आँखें बंद करनी पड़ेगीं, मुँह खोलना पड़ेगा। उसने अपनी आँखें बंद कर लीं और अपना मुँह खोल दिया। मैंने जल्दी से अपना लंड उसके मुँह में भर दिया.. वो फिर डर गई और उसे बाहर को निकालने लगी.. तो मैंने उसे डराया- अब देर हो चुकी है.. अगर चिल्लाई.. तो क्लास में बात फैला दूँगा। उसके पास और कोई चारा नहीं था.. उसने लंड चूसना जारी रखा। मैं तो जैसे आसमान में उड़ रहा था, जब मेरा पानी आने लगा तो मैंने उससे रोक दिया। अब लगता था कि वो भी थोड़ा मस्त हो गई थी..] मैंने उससे अपने कपड़े उतारने को कहा तो उसने उतारने शुरू कर दिए। मैं हैरान था कि आज तक मैंने उससे पहले कभी भी सेक्स के बारे में पूछा क्यों नहीं था। इसके बाद जब उसने अपनी ब्रा हटाई तो कमाल का नज़ारा सामने आया। ओए होए.. क्या संतरे थे उसके.. उन पर लाल-लाल बेर चिपके थे… आज मेरी सारी मनोकामना पूरी हो गई लगती थी। मैंने उन मदमस्त गोलों को अपने हाथ में लिया और मसलने लगा। वो भी अब जोश में आ चुकी थी। मैं फिर उसके निप्पल दबाने लग, वो आहिस्ता-आहिस्ता सख्त होते जा रहे थे , मैंने उन्हें जी भर कर चूसा। उसके मुँह से सिसकारियाँ निकाल रही थी। फिर मैंने उसको अपनी पैन्टी उतारने को कहा.. तो उसने वो भी उतार दी। हाय.. क्या माल लग रही थी वो.. उसकी चूत क्लीन शेव्ड थी.. मैंने उसको टच किया और आहिस्ता आहिस्ता उसमें उंगली डालने लगा। वो फिर सिसकारियाँ लेने लगी.. मैंने थोड़ा तेज़ किया.. तो वो चिल्ला उठी, उसने मुझसे कहा- जो करना है.. जल्दी करो.. मैं आज तुम्हें नहीं रोकूंगी.. फिर मैंने अपना लंड सहलाया और उसकी चूत पर रख दिया.. पहले तो वो अन्दर जा भी नहीं पा रहा था। लैब में वैसलीन रखी हुई थी.. मैंने सोचा कि क्यों ना इससे ट्राई किया जाए। मैंने उससे उठाया और कुछ अपने लंड पर और कुछ उसकी चूत पर लगा दी। अब लंड आसानी से अन्दर जा सकता था.. मैंने उसे धक्का मारा और वो ज़रा सा भीतर पहुँच गया। मैंने थोड़ा-थोड़ा करके पूरा लंड अन्दर डाल दिया.. वो चीखने लगी- आहह.. आहहा.. आह.. दर्द हो रहा है.. मैं न रुका साली की चूत को ठोकता ही चला गया.. उसकी कराहों से पूरी लैब गूँजने लगी- आअहह.. आ.. छोड़ दो.. पर कुछ ही देर बाद आवाज आ रही थी-आह्ह… चोद दो.. अब बारी थी.. मस्त शॉट्स की.. यानि चूत पर लौड़े के घस्सों की.. मैंने पहले तो आहिस्ता आहिस्ता से शुरू किया और फिर ट्रेन की तरह पूरी रफ़्तार पकड़ ली। मैं उसकी चूत का पूरा आनन्द ले रहा था और साथ ही में उसके मम्मों भी मसल कर चूसे रहा था। दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | हम लोगों ने बहुत आसन बदले.. कभी वो मेरे ऊपर.. कभी मैं उसके ऊपर.. बीच-बीच में वो रुक कर थोड़ा ब्लोजॉब भी देती थी। हम लोग अब पूरी तरह हाँफ़ चुके थे। मैंने कहा- मलाई खाओगी? तो उसने हँसते हुए कहा- हाँ भूख तो लगी है। मैंने उसे अपना मुँह मेरे लंड के पास लाने को कहा.. उसने अपने मुँह से मेरे लंड की खूब सेवा की.. जब मेरा पानी बाहर आने लगा यानि कि छूटने लगा तो मैंने उसके मुँह में ही छोड़ दिया। आआआहह.. वो मेरी ज़िंदगी का सबसे हसीन अहसास था। मैंने सारा पानी उसके मुँह में छोड़ दिया। कुछ माल उसके गालों पर भी सज गया.. उसका चेहरा पूरी तरह से भीग गया था। जब वो उससे रूमाल से साफ करने लगी.. तो मैंने उसे अपनी उंगली पर लेकर चाटने को कहा। इस वक्त वो क्या ग़ज़ब लग रही थी.. अब स्कूल का टाइम भी हो गया था। स्टूडेंट्स आने का समय हो रहा था.. हमने कपड़े पहने और बाहर आ गए। उसके बाद जब भी वो मुझे मिलती.. तो मुस्कुरा कर मिलती, उसके चेहरे पर अजब सा सुरूर देखने को मिलता.. उसके बाद मैंने उसे बहुत बार चोदा।

दोस्तो आपको मेरी यह पहली कहानी कैसी लगी..आप लोग मुझे मेल कर जरुर बताईयेगा |

The Author

गुरु मस्तराम

दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त मस्ताराम, मस्ताराम.नेट के सभी पाठकों को स्वागत करता हूँ . दोस्तो वैसे आप सब मेरे बारे में अच्छी तरह से जानते ही हैं मुझे सेक्सी कहानियाँ लिखना और पढ़ना बहुत पसंद है अगर आपको मेरी कहानियाँ पसंद आ रही है तो तो अपने बहुमूल्य विचार देना ना भूलें



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