गतांग से आगे
उन्होंने ट्यूब हाथ में ली और थोडा सा आगे सरक के अपनी टांगो को और फैला लिया.
दबा दबा कर निकालने लगी , उन्होंने अच्छे से क्रीम को चूत के उपरी हिस्से पर फैला लिया और चूत के साइड के हिस्से में लगाने लगी ……उनकी गर्दन निचे झुकी थी और बड़े गौर से अपनी चूत की आस पास क्रीम लगा रही थी .
मुझे लगा की मेरी साँसें ही रुक जाएगी
चाची के बारे में कुछ भी सोचना और बात थी और उनको सामने ऐसी हालत में देखना और बात. दिल इतनी जोर से धड़क रहा था की मुझे डर था की चाची को मेरी धड़कने ना सुने दे जाए. चाची तो पुरे मन से क्रीम लगा रही थी. उन्होंने पूरा ट्यूब ख़तम कर दिया और क्रीम को फैला रही थी. मुझे तो उनको क्रीम फैलाते देख कर ठरक चढ़ गयी. उन्होंने अपनी मुनिया के चारो तरफ अच्छे से क्रीम लगा ली थी. आज चाची मुनिया को चिकनी चमेली बनाकर ही छोड़ेगी. आप यह हॉट हिंदी सेक्सी कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
चाची ने क्रीम लगा ली और पीछे टिक कर बैठ गयी. तभी उन्होंने अपने ब्लाउस के हुक खोलना शुरू किये और बड़ी अदा से ब्लाउस भी उतार दिया. मेरा बचा खुचा धैर्य भी ख़तम हो गया. चाची ने आज तो मेरे प्रेशर कुकर की सीटी बजाने का सोच ही लिया था.
हाय क्या सीन था
उपरवाले ने इतने दिनों तक बूंद बूंद देने के बाद आज तो झमाझम बारिश ही कर दी.
चाची ने ब्लाउस क्या उतारा मेरे दिल दिमाग में भूकंप आ गया. उन्होंने अपने दोनों हाथ ऊपर उठा के अंगड़ाई ली और इधर मेरे डंडे ने भी मुसल का रूप धारण कर लिया.
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लंड भी साला इच्छाधारी नाग जैसा है कभी तो इतना सा रहता है कमज़ोर और मासूम बन के .कोई लड़की गलती से देख ले तो जैसे छोटे बच्चो और कुत्ते के पिल्लो को देख कर जैसे उछल उछल कर खुश होती है वैसे ही छोटी ली लुल्ली को देख कर भी शायद खुश हो जाये .wow कितना क्यूट है और जहाँ गलती से लुल्ली को हाथ लगाया तो ये रूप बदलकर ऐसा नागराज बनता है की देख के लौंडिया दौड़ लगा दे.
चाची के दोनों हाथ ऊपर होने से उनके दोनों मम्मे ऐसे तन गए जैसे कुंवारी कन्या के हो. चाची भले ही अभी माँ नहीं बनी थी मगर उनके निप्पल अच्छे खासे बड़े थे और क्या तने हुए थे
क्या नज़ारा था .चाची दोनों टांगे फैलाये कमोड पर पूरी नंगी बैठी थी चूत के चारो तरफ क्रीम लगी थी .बैठने से उनकी जांघें और पिछवाडा फ़ैल गए थे और ऐसा घुमाव और कटाव दिखा रहे थे की नजरे नहीं हट पा रही थी. चाची के दोनों हाथ अभी भी ऊपर ही थे , ऐसा करने से उनका पेट अन्दर खिंच गया था और एक दम सपाट दिख रहा था और उनके मम्मे तो ऐसे तीखे तीखे दिख रहे थे मानो किसी राजपूत के भाले की नोक हो.
चाची ने हाथ नीचे किये और एक हाथ अपने मम्मे के नीचे लगा कर धीरे से सहला लिया उनके मुंह से सिसकारी फुट गयी .स्स्स् अआह बस मैं भी इंसान हूँ यार.
बहुत देर से झेले जा रहा था अब कण्ट्रोल नहीं हुआ और मैंने पजामा निचे सरकाकर अपने महाराज को खुली हवा दिखा दी. ऐसा लगता है मानो लंड की भी ऑंखें होती है बाहर निकलते लंड ने ऐसा नज़ारा देखा तो लंड तो और तन गया. मैंने धीरे से लंड को सहलाया और जैसे रेस के घोड़े को रेस शुरू होने के पहले सहलाओ तो वो हिनहिनाता है वैसे ही लंड ने चाची को एक ठुनकी मार कर सलाम किया
अन्दर चाची ऑंखें बंद किये पूरा आनंद ले रही थी. उनको शायद याद नहीं था की वो मेरे रूम के बाथरूम में पूरी तरह ने नग्न बैठी है या फिर
या फिर उनको परवाह ही नहीं थी .जो भी हो भाई अपनी तो छप्पर फाड़ के खुल गयी थी. वो भी बड़े इत्मिनान से बाथरूम में कमोड पर बैठे बैठे अपने स्तनों की सहला रही थी और ये नज़ारा देख देख कर बाहर मेरा दिल दहल रहा था. जिस तरह वो मम्मे पर हाथ फेरती वैसे ही मैं अपने हिनहिनाते घोड़े को सहलाता.
कसम से अभी तो हिलाना भी शुरू नहीं किया और ऐसा मज़ा आ रहा था की क्या बोलू बस ऑंखें फाड़ फाड़ कर देख रहा था.
अचानक चाची की ऑंखें खुली, जैसे मानो उनको होश आ गया हो, वो अन्दर से चिल्लाई अरे लल्ला .कितनी देर लगा के रखना है इसको
मैं एक दम उछल गया.
मैं एक दम से घबरा गया और बिना सोचे मैंने बोल दिया चाची 15 मिनट रखना है
मैंने दरवाजे के बाहर ही खड़ा था, मेरे एकदम बोल देने से कहीं चाची को शक तो नहीं हो गया ? चाची अन्दर से चिल्लाई, अरे तो 15 मिनट हुए की नहीं
अब की बार मैं थोडा पीछे गया और बोला, हाँ चाची .म म म मेरा मतलब है की थोड़ी देर और रख लो .
चाची ने दरवाजे पर हाथ रखा और थोडा सा दरवाजा खुल गया. मैं भाग कर कम्पुटर चेयर पर बैठ गया, दरवाजा मेरी पीठ की तरफ था इस लिए चाची को सिर्फ मेरी पीठ दिखती, यह नहीं दीखता की मेरा पजामा नीचे है और मेरा बाबुराव झूम रहा है.
उन्होंने दरवाजे से सिर्फ मुंह बाहर निकालकर कहा, अरे लल्ला इतनी देर तो हो गयी ज्यादा देर लगा के रखने से कहीं और कुछ न हो जाए पहले ही खुजली के मारे दुखी हूँ
मैंने कहा, न न न नहीं चाची 1 2 मिनट और रख लो यह कहकर मैं गर्दन घुमाने लगा तो चाची वहीँ से चिल्लाई .हाय राम .इधर मत देख
और उन्होंने दरवाजा फिर से बंद करने की कोशिश की मैंने जैसे तैसे थोड़ी हिम्मत और जुटाई और सोचा की चलो कुछ मिनट और शो देख लेंगे.
नल चलने की आवाज़ आने लगी .मैंने सोचा शायद चाची अपने हाथ धो रही होगी.
एक हाथ से अपने बेकाबू घोड़े को पुचकारते पुचकारते मैंने धीरे से बाथरूम की तरफ फिर कदम बढाये तभी भड़ाक से बाथरूम का दरवाज़ा खुला और चाची टॉवेल लपेटे और अपने कंधो पर साड़ी डाले बाहर आ गयी.
मैं वहीँ पर उनके सामने खड़ा था मेरा पजामा घुटने तक गिरा था और मेरा हाथ मेरे बाबुराव पर था जिसको मैं बड़े प्यार से धीरे धीरे हिला रहा था.
चाची ने सीधा मेरे लैंड को देखा और उनकी ऑंखें फटती चली गयी उनका मुंह खुला का खुला ही रह गया .
मुझे तो हार्ट अटैक ही आ गया इतनी जोर से चमका की क्या बोलू
मेरी गांड की फटफटी फुल स्पीड में चालू.
चाची जोर से चिल्लाई हाय राम बेशरम क्या कर रहा है ?
मेरी तो डर के मारे आवाज़ ही बंद हो गयी मैंने पहले तो अपने बाबुराव को हाथ से ढकने की कोशिश की मगर
उस साले को तो चिकनी चूत की खुशबु आ गयी जैसे कुत्ते को हड्डी की खुशबु मिल जाये तो वो अपने मालिक की नहीं सुनता और खोदता चला जाता है वैसे ही बाबुराव ने मेरे हाथों में छुपने से मानो इनकार ही कर दिया और जोर जोर से ठुनकी मारने लगा जैसे चाची की चूत को आवाज़ लगा रहा हो
उधर चाची की तो नज़रे ही नहीं हट रही थी बाबुराव के ऊपर से. वो ऑंखें खड़े बाबुराव को नजरो से सहला रही थी.
मेरे हिलाने और चाची को इस हालत में देख कर बाबुराव ने एक चमकती हुयी चिकनी बूँद बाहर निकाल दी थी.
ऐसी लग रहा था मानो ख़ुशी के मारे बाबुराव के आंसु निकल आये हो . वो बार बार ठुनकी मार रहा था मानो चाची से बोल रहा हो, क्या बोलती तू ?
चाची के चिल्लाने से मेरी गांड तो फट ही गयी थी उसके ऊपर से मेरे लंड ने भी अपनी औकात दिखा दी. मैं समझ गया की यह तो आज कहना नहीं मानेगा. मेरा पजामा मेरे पैरों में आकर इकठा हो गया था तो उसे भी ऊपर चडाने का कोई सवाल नहीं था. कुछ समझ नहीं आया तो मैं घूम गया और चाची की तरफ पीठ कर ली.
चाची गुस्से से बोली, अरे बेशरम क्या कर रहा है ?
मैं तो कुछ बोल नहीं पा रहा था. मगर मेरा हाथ अभी भी धीरे धीरे लंड को मसल रहा था.
चाची थोड़ी जोर से बोली, हट जा मेरे रस्ते से बेशरम
मैं तो बिना रुके हिला रहा था. जैसे ढलान पर एक बार दौड़ना शुरू करो तो रुकना मुश्किल हो जाता है वैसे ही मुझे लंड हिलाने में वो आनंद आ रहा था की अब रुकना मुश्किल था.
मैंने बड़ी मुश्किल से बोला, च च च चाची मुझे म म म माफ़ कर दो, प्लीज़ आप इधर मत आओ. मुझे बहुत शर्म आ रही है
चाची गुस्से से बोली, हाय राम शर्म आ रही है ? ऐसी हरकते करने में लाज नहीं आई और अब बड़ा लजा रहा है, हट जा जाने दे मुझे
मैंने कहा,च च चाची .प्लीज़ .इधर मत आओ .म म म म मेरा निकलने वाला है कहीं अ अ आप पर न गिर जाए
चाची जहाँ थी वहीँ पर रुक गयी, शायद उन्हें याद आ गया था की मेरा अमृत कैसे रोकेट जैसा उड़ता है पिछली बार भी उनके पैरों के पास जा गिरा था.
वो ठंडी सांस लेकर बोली, हे भगवन .इतना बेशरम है रे जल्दी ख़त्म कर
यह सुनते ही मैंने जोर जोर से हिलाना शुरू कर दिया
ख़ुशी की वो आंसु जो लंड ने निकाले थे वो अब सैलाब बन गए थे .बहुत सारा रस निकल कर मेरे लंड के चारो और फ़ैल गया था जिस से फच फच की आवाज़ आ रही थी.
मैं राजधानी ट्रेन की स्पीड से हिलाए जा रहा था .आनंद के मारे मेरी ऑंखें बंद हुयी जा रही थी मगर आज बाबुराव ठान कर आया था की मैदान-ऐ-जंग में आसानी से हार नहीं मानेगा. सारे राउंड खेलेगा.
थोड़ी देर में चाची बोली, अरे जल्दी कर ना .मुझे जाना है मैं ऐसे ही टोवेल लपेट के खड़ी हूँ
कहते है की लंड खड़ा होने के बाद आदमी का दिमाग काम करना बंद कर देता है. चाची टोवेल लपेट कर खड़ी है ये सुनकर मुझसे रहा नहीं गया. अभी तक मैं चाची की तरफ पीठ करके ही खड़ा था. चाची भी सिर्फ मेरा हिलता हुआ हाथ ही देख पा रही थी मगर वो सिर्फ टोवेल में है ये सुनकर मैं पलट गया.
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कश्मीर मेरे सामने था. चाची ने जल्दी जल्दी में टोवेल लपेट तो लिया था मगर वो टोवेल उनके हुस्न को छुपाने की जगह चीख चीख कर बता रहा था. उन्होंने टोवेल को अपने मम्मो के ऊपर ऐसा बांधा था की वो छुपने की जगह उबल उबल कर बाहर आ रहे थे. सिर्फ निप्पल छुपे थे वर्ना पूरा भूगोल दिखाई दे रहा था. टोवेल उन्ही जांघों के आधे हिस्से को ही ढक पा रहा था.
चाची की जांघ पर बना बलमा का टेटू साफ़ दिखा रहा था. वैसे तो उन्होंने अपने कंधे पर सदी डाली हुयी थी मगर क्या फायदा .वैसे ही सब छन छन कर दिख रहा था.
इधर मैं तो चाही का मुआयना कर रहा था मगर चाची की नज़रे मेरे लपलपाते लंड पर थी. उनका मुंह आश्चर्य से खुला हुआ था आज वो पहली बार अपने लल्ला के लुल्ले का दीदार कर रही थी. उन्होंने अपने होंठ जो सुख गए थे उनपर जुबान फेरी और मैंने जोर से आह भरी
चाची बोली, हाय राम निकल रहा है क्या., ?
मैंने ना में सर हिलाया और जोर जोर से हिलाता ही रहा .चाची कुछ देर तक मुंह खोले मेरे लंड को देखती रही फिर अचानक उन्होंने नज़रे उठाई और मुझे उनके मम्मो को घूरता पा कर शर्मा कर नज़रे इधर उधर कर ली.
चाची ने कहा, लल्ला प्लीज़ जल्दी कर ले प्लीज़
चाची विनती कर रही थी या तो घबराई हुयी थी या फिर उनका संयम टूट रहा था. मैं जोर जोर से हिलाता ही जा रहा था मगर बाबुराव भी पक्का पहलवान था .नहीं माना.
चाची ने फिर इधर उधर देखा और कनखियों से लंड को टापने लगी.
वो धीरे से बोली, हाय राम इतनी देर में तो सब का निकल जाता है .निकलता क्यों नहीं
मेरे हाथ हिलाते हिलाते दुखने लगे थे मगर बाबुराव अब भी फुफकारी मार रहा था. आखिर मैंने हाथ हटा लिया.
चाची बोली, अरे क्या हुआ .?
मैंने कहा, च च च च चाची म म म मेरे हाथ दुखने लगे है
चाची ने बोला, अरे जल्दी निकाल ले मुझे जाने दे
मैंने हिम्मत करके कहा, च च च चाची .आप हिला द द द दो ना प्लीज़
चाची की ऑंखें बाहर ही आ गयी
चाची की ऑंखें बाहर ही आ गयी
चाची का मुंह बिलकुल लाल सुर्ख हो गया और उनकी साँसें तेज़ चलने लगी मेरी गांड फटी की शायद मैंने अब अति कर ही दी.
चाची बोली, नासपीटे बेशरम .शर्म नहीं आती ऐसी बात बोलते हुए
मगर उनकी ऑंखें मेरे बाबुराव पर ही थी. और वो चाची के सामने फुल की कुप्पा हुआ जा रहा था. मैं हिलाते हुए जैसे ही हाथ पीछे ले जाता .बाबुराव के सुपाड़े से स्किन उतर जाती और बिलकुल बिलकुल लाल लाल सुपाडा, मदन रस में भीगा हुआ चमकने लगता. सुपाडा भी लाल लाल चाची का मुंह भी लाल लाल
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