हेल्लो मित्रो आज मै फिर से एक नई कहानी लेकर आया हु ये कहानी चाची भतीजे पर आधारित है मस्त चुदाई की कहानी है दोस्तों आराम से धीरे धीरे पढना साथ में लंड जिसके पास है वो अपने लंड पकड़ ले या जो चूत वालिया है वो अपनी चूत में अंगुली या खीरा डाल कर इस कहानी का मज़ा ले …. तो दोस्तों कहानी सुरु होती है … “उफफफ्फ़, ओफ… चेतन ज़रा फन तो ऑन करना, बाप रे बाप” कहती हुई मेघाली अपनी भारी भरकम शरीर सोफे के गद्दे पर बिता लेती हैं, उसकी नज़र नीचे अपनीए पसीने से लथपथ सारी और ब्लाउज पर जाती हैं के तभी हॉल में दौड़ था हुआ चेतन आता हैं “अरे आंटी , तुम.. वो अटुअल्ली लाइट गया हुआ हैं” कहता हुआ अपने इपॉड ऑफ करके सोफे के आजू बाजू रखा हुआ ग्रोक्सेरी का समान लेकर सीधे किचन में रख देता हैं. किचन से बहार निकलते ही चेतन का नज़र अपने आंटी के भीगे हुए सारी और ब्लाउज पर आने लगता हैं और बस उसकी आंटी थे की पसीने का अंदाज़ा लगते ही उसके मन में हलचले होने लगा |
मेघाली : आए राम, यह लाइट को भी अभी जाना था…. उफफफ्फ़ कितनी गर्मी हैं | उसकी कीमती सारी का वो हाल हो गयी थी के अगर निचोरा जाई तो पसीने का समंदर बह पड़े और ब्लाउज के अगल बगल भी भीगी हुई थी, बाज़ार से इतनी थकी हुई थी की अपनी चौड़ी शरीर को सोफे पर ही रगड़ती गयी और रुआंटील से आंटी के पसीने को पोछने लगी “चेतन, जूस तो कम से कम ला देते”. चेतन दौड़ता हुआ झट से फ्रेश लाइम जूस लेकर आता हैं “वैसे आंटी, इतनी थकी क्यों हो?
मेघाली : (जूस लेती हुई) हम, एक मिनट, पीने तो दे पहले.. हम वो चेतन, बहार गर्मी हो इतनी हैं, और (तेज आवाज़ में) वॉचमन को बताया क्यों नहीं जेनरेटर ऑन करने के लिए???
चेतन : वो… आंटी….कुछ प्राब्लम हो गया था आज
मेघाली : (चेतन को गिलास देती हुई) मैं तो पागल हो जाऊंगी, सच में.. यह मनहूस जेनरेटर और खैर.. मुझे लाता हैं (अपनी गालों के पसीने को छुट्टी हुई) के थोड़ी नहा लेना चाहिए, वो भाई आए तो केहदेना के पहले बर्तन कर ले |
मेघाली अपनी चौड़ी जिस्म को सोफे पर से उठती हुई सीधे अपनी कमरे में जाती हैं और चेतन अपने उमर के बाकी लड़कों के तरह ही अपने आंटी के भादी भादी मटकती हुई कमर और खास करके कमर के नीचे गुब्बारो के सारी में मटकने को देखता गया, उसके हाथ कुछ ही देर के लिए बेचैन हो गया था के सीधे अपने डंडे को पकड़ ले, उसे यह एहसास ही नहीं था के सिर्फ़ पसीने से ही उसके आंटी जैसी कोई भादी भड़कं औरत नमकीन लग सकती हैं, पर फिर ‘आंटी’ शब्द का ख्याल आया और वो शर्आंटी गया |
वहां दूसरे और अपने कमरे में मेघाली पागलों की तरह अपनी सारी, ब्लाउज, इत्यादि से मुक्त होकर सीधे शवर में घुस पड़ी और फुल बढ़ता में शवर का मजा लेती रही. शवर के दौरान बार बार उसने आँखें बंद की और उसके दिआंटीग़ में एक ही दृश्या थी, आंटी मार्किट में की गयी एक जवान लड़के का हरकत अपनी गले और कंधों पर हाथ रगड़ती हुई वो उस घारी को याद करने लगी के कैसे उसके चेतन के उमर का एक स्टूडेंट बस में खुले आम अपने आप को उसकी पीठ पर रगड़ने लगा था और कैसे बार बार उसके हाथ उसकी मुलायम कंधे और कमर को छूटा रहा. फिर मेघाली ने गले से नीचे हाथों को लेकर सीधे अपने चौड़े चौड़े मोटे स्तनों को पानी के पौच्ार में रगड़ने लगी और वो सारे बदतमीज़ी याद करती हुई अचानक हाथों को अपनी बुर् के आसपास सरकने लगी और जांघों को रागाड़ने लगी. “उसे लड़के का यह हिम्मत…. उसके आंटी तो मेरे ही उमर का होगा…. कम्बख़्त्ट्त्त पर.. जो भी हो” कहकर अपनी बुर् के झाँटो पर हाथ फिरने लगी “अच्छी लगी उम्म्म्मम” अब मेघाली अपनी पूरे बदन पर हाथों को फिरने लगी और खास करके अपनी मोटी गान्ड के गालों पर. उसे यह अच्छी तरह आंटीलूम थी के लोंडो के लिए सबसे आकर्षित चीज़ वो थी उसकी और वो स्टूडेंट भी तो एक जवान लोंदा ही तो था. शवर का मजा लेती लेती वो उस पल को याद करती रही |
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कुछ देर बार अपनी जिस्म पर एक टावल लपेट्टी हुई मेघाली बहार आई और जब उसने अपनी अलआंटीरी खोली तो घुस्स्सा और हैरानी, दोनों होने लगी. हमेशा की तरह उसकी कोई एक पैंटी गायब थी |
मेघाली ने यह सब पहले भी होते देखी थी और उसे आंटीलूम थी के यह हरकत या तो उसके पति का है या तो फिर उसकी….
वीयशाली और उसकी पटा के बीच सेक्स और प्यार, दोनों का रिश्ता बहुत ही मज़बूत थी तो यह लाज़मी थी के यह हरकत चेतन का ही था. यह सोचते ही विशाली की जिस्म काँप उठी “आए भगवान… इसका मतलब्बब…” और फिर उसके गौर की के जो पैंटी गायब थी वो एक काले रंग की सिल्क वाली थी और शायद उस सिल्क की नरम एहसास से उसका चेतन… “नहीं नहीं… यह नहीं हो सकता…. आख़िर्र्र ऐसा क्की.. नहीं शायद लॉंड्र में दी हैं मैंने, हाँ ऐसा भी तो हो सकता हैं” सोचती हुई वीयशाली फॅट से एक साधारण सारी और ब्लाउज पहनी और जैसे ही सिंदूर लगाने लगी तो आने में चेतन नज़र आया और वो चौुक्ति हुई हाथ में से सिंदूर की डिब्बा गिरा देती हैं और घुस्से में पीछे मुड़ती हैं “टत्तततुउुउउ यहां… क्या कर रहा है????”. चेतन के हाथ में मेथ्स का किताब था आप ये कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | “वह सॉरी.. वॉ तो मैं बॅस एक सुम्म था, सॉरी आंटी”.
मेघाली : (घुस्से में) तो मेरे पूजा होने तक नहीं रुक सकता क्या??? अगली बार मैं दरवाजा बंद करूँगी, ईडियट!
मेघाली झट से कमरे में से निकल पड़ती हैं और पूजा का सआंटीन हाथ में लिए सोचने लगी ” चेतन वहां कब से खड़ा था?? क्या उसने मुझे… उफ़फ्फ़ मेरा दिआंटीग़ खराब हो चुका हैं और बस में उस लड़के को जी भर के कोसती गयी और पूजा घर में घुस पड़ी. सच तो यह था के चेतन ने चुप के से अपने आंटी को ब्लाउज पहनते हुई भी देख चुका था और इस एहसास को दिआंटीग़ में रखता हुआ वो अपने कमरे में जाता हुआ अपने बिस्तर के ताकते ने नीचे से वही सिल्क की काली पैंटी निकल के, बतूम घुस पड़ा. हर रोज़ की तरह वो पैंटी के नर्आंटीहट उसके लंड के कोमल त्वचा पर पड़ते ही, जोरदार तेज खून दौड़ पड़ा और लंड के सुपाडे में से गड़ गड़ नमकीन पानी बहार आने लगा. मेघाली के स्तन कुछ 40 सी के आसपास थी और वो दृश्या याद करता हुआ चेतन पैंटी का आनंद लेता गया.
पूजा में भी कुछ खास मन नहीं लगा पा रही थी मेघाली. बस में की गयी हरकत और चेतन के घूरने से वो काफी परेशान थी. उसे एहसास हो गयी थी के चेतन अब बड़ा, जवान लोंदा हो चुका था. भले ही 19 साल, लेकिन फिर भी एक मर्द एक आस पास. उसे और गुस्सा तब आई जब वही पूजा खरते वक्त भी उसकी सारी और पेटीकोट के अंदर फँसी बुर् में छोटी छोटी खुजली होने लगी और उसके पास कोई चारा नहीं थी इस लिए बस मंत्र पड़ते पड़ते हल्के से अपनी जांघों को आपस में घिस्स लेती थी. जैसे ही पूजा खत्म हुई, उसकी दिआंटीग़ में एक ही बात थी “आज चेतन से कुछ जरूरी बातें करनी हैं मुझे”.
“चेतन!!! चेतन!! यहां आऊ, जल्दी!” मेघाली ने एक आदर्श आंटी का रूप धारण कर ली थी, आँखोन्म ए मोटे चश्मे और चेहरे पर एक सख्त भाव और हाथ में मेथ्स के मनुअल, पर इन सब के अगर कुछ अलग थी वो था उसकी सारी जो उसने अपनी पेट से थोड़ी नीचे पहनी हुई थी जिससे उसकी सुडौल कमर और पेट पर नाभी साफ नज़र आ रही थी. मेघाली ने पहले मनुअल के पन्ने देखे, फिर नजरें नीचे करके अपनी गहरी नाभी देखी और मन ही मन थोड़ी शर्आंटी गयी, पर यह करना जरूरी थी. आख़िर चेतन से बात जो करनी थी उसे.
चेतन अपने मेथ्स के किताब और नोटबुक लेकर भीगी बिल्ली की तरह आने लगा अपने आंटी के पास और सामने खड़ा होते ही उसकी नज़र नीचे की तरफ अपने आंटी के गहरी नाभी पर गयी. नाभी के दरार में से कुछ बूँदें झलक रही थी और चेतन के लंड में हलचल होने लगी, शुक्र था के कक्चा काफी मज़बूत था शॉर्ट्स के अंदर. मेघाली भी एक पोज़ देकर खड़ी थी, जैसे आंटी कोई सख्त टीचर हो, पर उसकी इस पोज़ में उसकी नाभी और उभर के दिख रही थी और चेतन नजरें हटा नहीं पा रहा था के तभी “बर्कुधर, ज़रा ऊपर भी तो देखिए” और चेतन चौुक्ता हुआ आंटी के चेहरे को देखने लगा “ओह सोर सोर्रर्र सोररय्ी आंटी”.
मेघाली सोफे पर अपनी चौड़ी गान्ड बिता लेती हैं और चश्मे को एडजस्ट करती हैं और चेतन के हाथों में से नोटबुक लेती हैं “हम, एम्म्म.. नहीं नहीं… गलत है चेतन, तुम कब सुधरोगे!!!!” कहती हुई चेतन को देखती रहती है जो खड़ा का खड़ा ही था. चेतन टेन्स होकर अपने बालों को खुजाने लगता हैं और बार बार चुपके से नाभी को देखने लगा जो बैठने के कारण और आंटीज़ में दब चुकी थी और फिर मेघाली ने चुटकी बजाई “अब बताओगे भी, कौन सा सवाल???”.
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चेतन ने किताब दी और वीयशाली किताब हाथ में लेती हुई सवाल को देखने लगी और एक उबासी लेती हुई किताब को अपनी गोद में रख दी “बैठ जाओ, कुछ बातें करनी थी तुमसे”. चेतन सर को झुकाया हुआ फॅट से अपने आंटी के विपरीत सोफे पर बैठ जाता हैं और आंटी चेतन एक दूसरे के रूबरू होते हैं. मेघाली अपनी मोटी जाँघ पर एक जाँघ रखकर बैठ पड़ती हैं जिससे सारी थोड़ी पैरों से ऊपर होती हैं, पर उसने परवाह नहीं की और चेतन को देखने लगी. सवाल जवाब तो बाद में, उसे तो पहले यह देखी थी के चेतन वाकई में कितना गबरू मर्द बन गया था और सच तो यह था के वो तो अपने पितः का ही रूप लेकर आया था, इन सब बातों से और क्रोधित होती गयी मेघाली और वापस चश्मे को एडजस्ट करती हुई अपनी हाथों को आपस में मलने लगी “देखो चेतन, मैं आंटी हूँ तुम्हारी, कुछ बातें बहुत जरूरी हैं”.
चेतन : आंटी, वो सवाल दरअसल… मैंने बहुत कोषिश्ह.. पर वॉ..
मेघाली : खैर सवाल चोदा…. मुझे एक और विषय को लेकर चिंतित हूँ.
चेतन हैरानी से आंटी को देखने लगा…. और चेहरे पर पसीना जआंटी होने लगा. मेघाली अनजाने में बार बार अपनी मुलायम हाथों के नाखूनओ को अपनी पेट के आंटीज़ पर फिरने लगी “देखो चेतन, मुझसे कुछ मत छुपाना, प्लीज़” और सोफे में से उठती हुई चेतन के करीब खड़ी हो गयी, कुछ ऐसा के उसकी नाभी सीधे चेतन के आँखों के सामने आ गये.
मेघाली कुछ ऐसे खड़ी हो गयी के उसकी नाभी बिलकुल चेतन के नजरों के सामने थी और चेतन के धड़कन तेज होने लगा, उसके जी में आया के झट से अपने आंटी के मोटे कमर को अपने हाथों के जलद में लेले, पर उसे यह भी समझ में नहीं आ रहा था के आख़िर क्यों उसके आंटी ने सारी इतनी नीचे पहनी हुई थी. मेघाली कुछ देर बस शांत रहके अपने चेतन के आँखों को घूरती गयी और बड़ी रुबब के साथ अपनी नाभी प्रशरहित करती गयी, उसके मन में अब हर वो पल घूमने लगी जब उसके पति उसके नाभी पर जीभ फिरता था और फिर नाभी के नीचे एक लंबी सान लेती हुई मेघाली अब यहां से वहां घूमने लगी और फिर से चेतन के पास आकर रुक गयी “देखो चेतन, तुम अब बारे हो रहे हो और यह बातें बहुत जरूरी हैं, तुम… तुम समझ रहे हो ना????”. मेघाली चिंतित थी पर अंदर खुजली भी बहुत थी और वो अपनी चेतन के बालों पर उंगलियाँ फिरने लगी “तुम्हारे सूंस सही नहीं हो रहे है चेतन, कॉलेज से भी कमज़ोर रिपोर्ट आ रही हैं, आख़िर प्राब्लम क्या है??” बालों पर हाथ फिरनी हुई मेघाली अब सीधे चेतन के गर्दन के पीछे हाथों को लाने लगी, आंटी जैसे अपनी नाभी पर उसके मुंह को धकेल ना चाहती हो.
चेतन कुछ बोलना चाहा पर उसके होठों से निकला हर साँस सीधे उसके आंटी के खुले नाभी पर आने लगा और मेघाली की धड़कन तेज होने लगी. चेतन फिर कुछ धीमे धीमे शब्द बाहार लाअनए लगा और फिर नाभी पर गरम साँसों का असर हुआ और इस बार विशाली थोड़ी सी दूर खड़ी हो जाती हैं तो चेतन के आंटीसवाल चेहरा दिख गयी उसको.
चेतन : VVओह्ह आंटी….. दरअसलल्ल्ल…. आंटी… मुझे पढ़ाई में मन…. मन नहीं लगताअ हाीइ..
मेघाली : क्यों चेतन???
चेतन बार बार अपने आँखें बंद करता तो उसके आंटी के पैंटी, आंटी के ब्रा और ब्लाउज बदलने का दृश्या बार बार आने लगा और उसके लंड पर सुरसुरी होना शुरू हो गया “वॉ आंटी…” फिर से नज़र नाभी पर. “हाँ चेतन, वो क्या????” मेघाली को उसके चेतन से सुन्नी थी, उसे यह जानी थी के आख़िर चेतन के मन में क्या चल रहा था. चेतन भी काफी शैतान था, उसने बात को घूमने के लिए कुछ अलग ही कहानी बनाई “आंटी… वो डर्सल कॉलेज में.. वॉ आक्च्युयली…मंदिरा आंटीम्म…” आप ये कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |.
“मंदिरा आंटीअंम???? उसके केमिस्ट्री टीचर??” सोचने लगी मेघाली और फिर चेतन के तरफ देखने लगी “क्या हुआ…???? कुछ कहा क्या उसने तुझे???? बताओ मुझे चेतन!!. मेघाली अपनी पल्लू के आखिरी हिस्से को जकड़ती हुई थी और खेल रही थी कपड़े के साथ और चेहरे में तेज भाव थी.
चेतन में थोड़ा नमक मिर्च लगा ने का सोचा “वो आंटी…. आज क्लास के,…… आज क्लास के बाद मंदिरा आंटीँ ने मुझे उनके क्वार्टर में बुलाई थी और…..” फिर सर नीचे कर लेता हैं. मेघाली क्रोधित होने लगी, उसके दिआंटीक़ में बहुत कुछ चल रही थी, मंदिरा उसकी एक अच्छी दोस्त भी थी और काफी शरीफ औरत थी. “और फिर क्या हुआ???? अरे खुल के क्यों नहीं बताता????
चेतन के लंड ऊपर होने लगा था और “वो आंटीँ…. आंटी, वो बहुत गंदी औरत है…….. वो तो मेरे साथ फ़्लर्ट करने लगी!!!” कहता हुआ चुपके से अपने आंटी को देखने लगा और कुछ ही पलों में मेघाली पसीने से नहाने लगी. पावर फैल्िुरे और सिचुयेशन दोनों के दबाव से मेघाली फिर से पसीने में लथपथ होने लगी और उसे फिर बस में की गयी हरकत याद आने लगी. “हें राम… क्या यह वैसा भी हो सकता है…. लगता है हम दोनों इस आंटीमल्ले में बराबर शिकार हुए हैं” सोचती हुई चेतन के तरफ देखने लगी और एक हाथ को उसके गाल पर फिरने लगी “कककक क्क्या कह रहा है तू चेतन?? मुझे तो समझ में ही नहीं आ रही हैं, मंदिरा आंटीँ ने क्या कहा तुझसे??
चेतन बनावटी चिंतित स्वर में बोल पड़ा “आंटी, वो तो मुझसे अश्लील हरकतें करने को कह रही थी….आंटी… मैं तो शर्मा गया गया”| मेघाली बहुत क्रोधित थी “अकक्षा कहीं की, इतनी भोली सूरत लेकर घूमती है और स्टाफ रूम में यह सब्बब… ओह गोद”. मेघाली ने कुछ और सोची और फिर चेतन के बालों को चोर दी “चेतन, क्या . की क्या तूने कुछ किया???? पूछते ही उसकी साँसें तेज हो गयी और चेतन ने नजरें नीचे की तो देखी के नाभी में कुछ पसीना जम चुकी थी और सुडौल पेट चमक ने लगी थी. भारी दोपहर में गर्मी भी ड़ थी गयी और सारी पतली होने के बावजूट भी मेघाली गर्मी के आंटीरे पागल हो रही थी, दुआ कर रही थी के पावर जल्दी आ जाए और तभी चेतन झट से अपने आंटी के कमर के चारों और हाथ फैलता हुआ उसके भीगे पेट पर अपना भीगा हुआ चेहरा दबा लेता हैं “आंटी…. मुझे… मुझे तो इन टीचर्स से ही डर… डर लगता हाईईईई”. मेघाली आंटी और वासना के बीच तैयार रही थी, एक तो दोनों आंटी चेतन पसीने में लथपथ और फिर इस तरह चेतन का चेहरा उसके पेट के ऊपर दब जाना, अनजाने में उसकी हाथ अपने चेतन के सर को और अंदर दबा देती हैं “श चेतन…. हे राम तेरे कॉलेज में यह सब होता हैं…. “.
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