नीता दीदी ने झट से अपना ग्लास उठाया और एक ही साँस में गटक गयी. मैं सुजाता से लिपट कर उसको चूमने लगा और उसकी चुचि को मसल्ने लगा. नीता दीदी ने मेरा लंड चूसना शुरू कर दिया. अब उसको अपने भाई के लंड से प्यार हो गया था,और होता भी क्यों नहीं. मैं अपने लंड को साबुन से धो कर रखता हूँ और वो भी खुश्बुदार साबुन से.
नीता दीदी ने पहले तो अपने गालों पर मेरा सूपड़ा फेरा और फिर प्यार से उसको किस किया. मैं किस करते हुए एक हाथ से मा की चुचि मसल रहा था और दूसरे से उसकी चूत स्पर्श कर रहा था. तीन जिस्म अब हवस की आग में जल रहे थे. रुकना मुनासिब ना था. नीता ने अब मेरा लंड हाथ में ले लिया था और मेरे अंडकोष चूसने शुरू कर दिए थे. ‘बेटा, अब जल्दी से डाल दो मेरी चूत में अपना लंड. बहुत तर्सि हूँ मैं लंड के लिए. कल रात जब मैने तेरा लंड नीता की चूत में जाते हुए देखा था, तब से मेरी निगोडी चूत भी इसकी कामना कर रही है. तेरे लंड की चमक अभी तक मेरे दिलो दिमाग़ में बसी हुई है. बस देरी ना करो, राकेश बेटा. ठोक दो अपनी मा को, अपनी सुजाता को चोद कर निहाल कर दो. हम मा बेटी के स्वामी बन जाओ. ओह बेटा, मेरी चूत में आग लगी हुई है!!! आप लोग यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | मैने मा को लिटा लिया और उसकी जांघों को खोलते हुए उसकी चूत को प्यार से सूँघा. मा की चुदसी चूत रो रही थी खुशी के मारे. फिर मैने अपना सूपड़ा सुजाता की चूत पर टीकाया और चूत पर रगड़ने लगा. “उफफफफफ्फ़ राकेश!!!! क्यों तरसा रहे हो? डाल दो ना!!” नीता दीदी मेरी पीठ से सॅट कर मुझ से लिपटने लगी.”भाई, पेल डालो अपनी सुजाता को. फिर मेरी बारी आएगी अपने प्यारे भाई के लंड से चुदवाने की. राकेश, सुजाता की चूत मस्ती से भरी पड़ी है. मसल डालो इसको अपनी मा की प्यासी चूत को. जो काम पापा ने किया था आज उनका बेटा भी कर डाले. भैया मा के बाद फिर मुझे कल वाली जन्नत दिखा देना. मैं महसूस कर रही हूँ कि आज तेरा लंड कल से भी अधिक उतावला हो रहा है. और मेरा राजा भैया का लंड उतावला हो भी क्यो ना? आज बहन के साथ साथ मा भी मेरे भाई की हमबिस्तर हो रही है. शाबाश भाई, चोदना शुरू करो, तब तक मैं मा से अपनी चूत चुस्वाति हूँ. मेरी चूत भी जल रही है!!!” फिर नीता दीदी ने मेरा लंड पकड़ कर मा की चिुत के अंदर धकेल दिया. मेरी मा की चूत से इतना पानी बह रहा था कि लंड आसानी से चूत की गहराई में उत्तर गया. मा की टाँगों ने मेरी कमर को कस लिया और वो अपनी गांड उच्छालने लगी.
नीता दीदी ने अपनी टाँगों को फैला कर अपनी चूत मा के मुख पर रख दी और सुजाता ने अपनी ज़ुबान उसकी चूत में घुसा डी. नीता अब मा की ज़ुबान पर चूत हिलाने लगी. नीता की साँस भी बहुत भारी हो चुकी थी. मा और दीदी दोनो कामुक सिसकारियाँ भर रही थी. मैने सुजाता की चुचि को ज़ोर से मसल्ते हुए धक्कों की स्पीड बढ़ा डाली. लंड फ़चा फ़च चूत के अंदर बाहर होने लगा. जब मैने मा के निपल्स चूसना शुरू किया तो वो बेकाबू हो गयी और पागलों की तरह चुदवाने लगी. सुजाता ने अपना मुख मेरी बहन की चूत से अलग करते हुए कहा,” वाह बेटा, वाह, चोद मुझे….चोद अपनी मा की चूत….चोद मेरी चूत!!….अपनी मा की चूत से पैदा हो कर आज उसको चोद, मदर्चोद….तू अपनी मा को जो आनंद दे रहा है, उसका का कोई मुकाबला नहीं…आआआहह….राकेश!!!!! ओह्ह्ह्ह मदर्चोद………नीता…तेरा भाई वाकई ही बहुत दमदार है…तुझे हमेशा खुश रखेगा…हम दोनो को खुश रखेगा…खूब चोदेगा हम दोनो को!!!!”
नीता अब उठ कर आई और मेरे अंडकोष से खेलने लगी और मा की गांड में उंगली करने लगी. लगता था कि अब मेरी बहना चुदाई में अधिक दिलचस्पी लेने लगी थी. जिओं ही नीता की उंगली मा की गांड में गयी तो मा का जिस्म ऐंठने लगा. उसकी गांड तूफ़ानी गति से उप्पेर उठने लगी. मा अब झड़ने वाली थी. मैने भी चुदाई और तेज़ कर दी लेकिन मुझ से पहले मा झड़ गयी.” ऑश बेटा….मैं गयी….राकेश…तेरी सुजाता झारीईए…तेरी माआ झार रही है…आआअहह!!” सुजाता की चूत का रस उसकी जांघों से होता हुआ बिस्तर पर गिरने लगा. कोई 2 मिनिट छुट पटाने के बाद सुजाता शांत हो गयी. लेकिन मैं अभी नहीं झारा था. मैने अपना भीगा हुआ लंड सुजाता की चूत से निकाला और मा की बगल में ही नीता दीदी को लिटा दिया. दीदी मेरे लंड को भूखी नज़रों से देख रही थी. वो आगे झुकी और मेरे लंड को चूसने लगी, चाटने लगी. नीता दीदी मकी आँखें उतेज्ना कारण बंद थी और वो किसी रांड़ की तरह अपने भाई का लंड चूस रही थी. मुझे खुशी थी कि वो नीता जिसको अपने पति का लंड गंदा लगता था, आज अपने भाई के लंड को किस तरह प्यार से चूम रही थी. आप लोग यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | मैने दीदी को बालों से खींच कर घोड़ी बनाया और लंड घुसेड दिया एक ही झटके में,”उम्म्फफफ्फ़… उम्म्फहफ़फ इन्न्ननननननन्न्नममममममम……म्म्म्मफफफ्फ़…इट…आआहह…
… म्म्म्फह…भैयाआअ….धीरे….माआआ….मर गइई” नीता बिलबिलाने लगी. मैं अब दीदी को बेरेहमी से चोदने लगा. “नीता…कैसा लग रहा है? मेरा लंड तेरी चूत में घुस चुका है…बहुत टाइट है तेरी चूत…..मुझे बहुत मज़ा दे रही है ये” उधर मा हम दोनो को देख कर मुस्कुरा रही थी और मुस्कुराती भी क्यों ना. आख़िर घर का मर्द घर की औरत को चोद कर आनंदित कर रहा था. आप लोग यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | मेरा हाथ कई बारी नीता दीदी की चुचि मसल देता और कई बार उसके चूतर पर चपत मार देता जिस से मेरी दीदी की कामुकता और तेज़ हो जाती. दीदी आगे की तरफ झुकी हुई थी और मैं उसको घोड़ी बना कर चोद रहा था. घोड़ी बना कर चोदने का मज़ा ही कुछ और होता है. कमरे के अंदर सेक्स की खुश्बू फैली हुई थी. मुझे दीदी के नंगे जिस्म की तस्वीर और भी कामुक बना रही थी. धक्के तूफ़ानी हो चुके थे और दीदी अपने चूतर पीछे धकेल कर मेरे मज़े को दोगुना कर रही थी.”राकेश मेरे भाई, तेरी बहन जा रही है…मेरी चूत पानी छोड़ रही है…..आआहह मैं झड़ रही हूँ…ज़ोर से….चोदो भाई……मैं मर गयी….चोदो भैयाआ!!!” मेरा लंड भी चोद रहा था. मैं अपना रस दीदी की चूत के अंदर छोड़ने वाला था. मैने नीता को कस के पकड़ रखा था और तबाद तोड़ चोद रहा था.” ऊऊऊहह……उूुउऊहह…म्म्म्ममममंणणन्………..आआआआमम्म्ममम!!!!!!!!” मेरा लंड अपना फॉवरा छोड़ने लगा. मैं कुत्ते की तरह हाँफ रहा था. नीता दीदी का भी हाल बुरा हो रहा था. मैं दीदी की चूत में लंड डाल कर सो गया.
अगले दिन जब मैं उठा तो दीदी और मा दोनो कमरे में नहीं थी. सवेर के 8 बज रहे थे. मैं उठ कर बाथरूम में गया. नहा धो कर जब बाहर निकला तो देखा कि मा पूजा कर रही थी और दीदी उसके साथ बैठी हुई थी. जब मैं वहाँ पहुँचा तो पहले दीदी ने और फिर मा ने झुक कर मेरे पैरों को स्पर्श किया. जब मैने उनको ऐसा करने से रोका तो वो शर्मा कर बोली,” राकेश तुम आज से हमारे पति हो और हम तेरी पत्नियाँ. दुनिया हमारे रिश्ते को कुछ भी समझे, लेकिन तुम हमारे स्वामी हो” . तो कैसी लगी ये कहानी जरूर बताना दोस्तों फिर मिलेंगे एक और नई कहानी के साथ तब तक के लिए विदा आपका दोस्त रमन