गतांग से आगे …..
दिन को मैं वापस गई … तो सोफ़े पर हिमांशु प्रियंका की चूंचियों से खेल रहा था, उसके कुर्ते का एक भाग ऊपर करके उसे दबा रहा था। प्रियंका का मुँह मेरी तरफ़ था। मैं जैसे ही दरवाजे पर आई प्रियंका में मुझे देख लिया और हाथ से इशारा कर दिया, कि बस देख लो। हिमांशु को नहीं बताया कि मैं दरवाजे पर हूँ। उसने हिमांशु का सर अपनी चूंचियो पर दबा लिया और मुझे देख कर मुस्करा उठी। और अपनी चूंचियाँ भचक भचक करके उसके मुँह में मारने लगी। जैसे हिमांशु दूध पी रहा हो। अचानक हिमांशु ने मेरी तरफ़ देखा।
“क्या हो रहा है जनाब … ” मैने कटाक्ष किया।
“ये हिमांशु मुझे प्यार बहुत करता है ना, इसलिये मुझसे चिपका ही रहता है।” प्रियंका ने बनावटी हंसी हंस दी।
“हिमांशु जी, हमें भी तो कभी करके देखो ना … ” मैने हिमांशु को सीधे कहा। “कविता जी … आप तो मजाक करती हैं !”
“ना जी , मजाक कैसा … अच्छा एक बार और प्रियंका को प्यार करके दिखा दो ना !” मेरी नजरें जैसे उसे न्योता दे रही थी।
प्रियंका मुस्करा उठी और उसने हिमांशु को प्यार से चूम लिया। हिमांशु ने भी प्रियंका को चुम्मा दिया और फिर हिमांशु के होंठ प्रियंका के होंठ से मिल गये। हिमांशु का एक हाथ प्रियंका के स्तनों पर आ गया और दूसरा उसकी सेक्सी जांघ पर आ गया। मैं यह सीन देख कर पसीने पसीने हो गई। मुझे उम्मीद नहीं थी, मुझे खोलने के लिये वो मेरे सामने ही मस्ती करने लगेगी। मेरे हाथ पांव जैसे कांपने लगे। वासना के डोरे मेरी आखो में खिंचने लगे। प्रियंका ने अब मेरे सामने ही हिमांशु का लण्ड पेण्ट के ऊपर से थाम लिया। उसके मोटे लण्ड का शेप उसके हाथों में नजर आने लगा।
“हिमांशु , बस भई बहुत प्यार हो गया … अपनी दूसरी भाभी को भूल गया क्या … ?” मेरी आवाज वासना से भर उठी थी।
“देख ना कविता, मुझसे कितना प्यार करता है ये … … बस मुझे छोड़ता ही नहीं ” प्रियंका ने मुझे आंख मारी, और उसका सलोना लण्ड हाथों में कस लिया। मैं तो वैसे भी पिघलती जा रही थी।
“मुझे भी तो एक बार प्यार करले ना !” मेरे मुख से निकल पड़ा … बिलकुल ऐसे ही …
“कविता भाभी … आप तो बहुत ही नाजुक हैं, आओ यहाँ बैठो … प्यार करने से तो दिल खुश हो जाता है !” उसे मेरा हाल मालूम हो चुका था। मेरी चूत गीली हो चुकी थी। मैं उसके पास बैठ गई। वो मेरे पास आ गया और गहरी नजरों से मुझे निहारने लगा, आंखो आंखो में सेक्सी इशारे होने लगे, मैं कभी तिरछी नजर से उसे देखती कभी लण्ड की ओर इशारा करती। कभी चूंची उभारती और कभी आंख मारती। हमारी हालत देख कर प्रियंका कह उठी,”अच्छा मैं चाय बना कर लाती हूं … हिमांशु मेरी सहेली है ये ! प्यार अच्छे से करना … !” प्रियंका ने मेरे हाथ दबाते हुये कहा।
यानि अब मुझे एक नया, ताज़ा लण्ड मिलने वाला था। प्रियंका ने मुझे बहुत ही प्यार से हिमांशु को मेरे लिये तैयार कर लिया था। हिमांशु की बाहें अब मेरे गले और कमर के इर्द गिर्द लिपट गई। मेरा जिस्म डोल उठा। चूंचियाँ दबने के लिये मचल उठी। मेरे और उसके होंठ चिपक गये। उसके होंठो पर प्यार करने का अन्दाज बड़ा मोहक था। कुछ क्षणो में मेरे बोबे दब गये। मेरे मुख से आह निकल गई। जिस्म में वासना का उबाल आ रहा था। उसके हाथ मेरे कुर्ते के अन्दर पहुंच गये थे।
मेरी चूंचियो के निपल को उसने अपनी अंगुलियो से मलना चालू कर दिया। मैने उसका लण्ड पेण्ट के ऊपर से थाम लिया। उसकी पेण्ट की ज़िप खींच कर खोल दी और उसका कड़कता लण्ड खींच कर बाहर निकाल दिया। उसका सुपाड़ा को चमड़ी खींच कर बाहर निकाल दिया।
“चाय आ गई है … चलो नाश्ता कर लो … अरे ये क्या … प्यार करने को कहा था … कविता ये क्या करने लगी … ” हिमांशु के सुपाड़े को देख कर प्रियंका ने अपना व्यंग का तीर छोड़ा।
मैं तुरन्त सम्भल कर बैठ गई। शरमा कर नीची नजरें कर ली।मैने धीरे से प्रियंका की ओर देखा और मुँह छुपा लिया।
“बस बस , चाय मैं दे देती हूँ … ” प्रियंका ने हंस कर चाय दे दी।
“हिमांशु अपने छोटे हिमांशु को तो भीतर कर लो …! ” हिमांशु हंस पड़ा और मैं शर्म से झेंप गई। दोस्तों आप ये कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है ।
मैंने जल्दी से शरम के मारे चाय समाप्त ही और उठ कर जाने लगी। प्रियंका ने मुझे पकड़ लिया बोली,”कहां चली गोरी, तेरी चूत में तो आग लगी थी ना … आजा अब मौका है तो बुझा ले … तुझे एक बात बताऊँ !”
मैंने प्रश्नवाचक निगाहो से उसे देखा।
“तुझे जब से हिमांशु ने देखा है ना, तब इसका लन्ड फ़ड़फ़ड़ा रहा है, यानि तूने मुझे कहा, उससे भी पहले !” “चल हट … झूठ बोलती है !”
“हां री … तेरे को पटाने के लिये हम ऐसे ही एक्शन करते थे कि तुझे शक हो जाये … और तू हमें छुप छुप कर देखे !”
“हाय रे ! मुझे तो तुम दोनों ने बेवकूफ़ बनाया … !” मुझे उसके दिमाग की तारीफ़ करनी पड़ी।
“जब तेरी चूत में आग लग गई तो तुझे चोदना और भी आसान हो गया और देख अब तू चुदने वाली है !”
मैने भागने की सोची पर पर हिमांशु ने मुझे दबोच लिया और बिस्तर पर पटक दिया। मैं बिना वजह उसकी बाहों में कसमसाने लगी। दिल तो कर रहा कि हाय जालिम, इतनी देर क्यूँ लगा रहे हो? चोद डालो ना।
“हाय हिमांशु, मुझे अब चोद डालोगे … ?” मेरे मुख से दिल की बात निकल पड़ी।
“हां मेरी कविता भाभी … मुझसे रहा नहीं जा रहा है …! आपकी जगह प्रियंका भाभी को चोद चोद कर उनकी चटनी बना डाली थी … अब तुम मिल ही गई हो … तो कैसे छोड़ दूं?” उसका शिकायती स्वर था।
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