अब मैं घर्से बाहर निकलती तो मेरे तेवर कुछ और ही होने लगे. मैं बाज़ार मे जाती तो शान से, गली के टपोरी मुझे देख सीटी मारते तो मुझे गुस्सा आता और एक बार मैने तो एक बदमाश को एक रखकर दी और उससे पूछा, “घर मे मा-बहेन नही है क्या?” मेरा ऐसा बर्ताव पहले नही था, मैं इन्ही लड़कोसे पहले डरती थी. पर अब मैं अपने ससुर की ग़ैरक़ानूनीही सही प्रॉपर्टी होने के कारण मैं किसी को भी मेरी मजबूरी का फयडा उठाने देती नही थी. पर इन बातो के बारें में मैने ससुर जी को कभी भी नही कहा वरना उन्हे तो वे पोलीस स्टेशन की हवा खिलाते थे. मेरी इस चेंज्ड आटिट्यूड के वजह से वे बदमाश मेरे से दूरही रहने लगे.
एक दिन मैं ना जाने क्यों अपसेट थी, ससुर जी ने मेरा मूड जान लिया और मेरे करीब आकर उन्होने मुझसे पूछा, ” मेरी जान चूत को लगता है जोरोंसे प्यास लगी हैं. अभी लॉडा चाहिए क्या????????” मैं बोली “नही. रखिए संभालकर अपने ही पास.” मेरी नाराज़गी देख वे बोले, “क्या हुआ? बताओ तो सही.” मैं बोली, “हमारा ये लुपचुपी भरा रिश्ता कब तक चलता रहेगा? इसका भविष्य आगे जाके क्या है? आप मुझे भले ही अर्धांगिनी कहते हो पर समाज के लिए मैं केवल एक …” ये कहकर मैं रोने लगी. वे मेरे करीब आए और मेरे आसू पोंछते पोंछते बोले,” डरो मत मेरी जान, जल्दी मैं तुम्हे समाज मे पत्नी का दर्जा दूँगा.” मैने पूछा “कैसे? सासुमा क्या इसे स्वीकारेंगी? क्या समाज इसे पति-पत्नी का दर्जा देगा?” उस पर वे बोले, “डरो मत ये सब मेरी ज़िम्मेदारी है. तुम केवल सदा हस्ती रहो, मैं तुम्हे कदापि दुखी नही देख सकता. और भी हजारो कहानिया है मस्तराम डॉट नेट पर | कुछ दिनो तक मैने उन्हे करीब आने भी नही दिया, मैं उनसे कहती,”पहली मेरी इस घर मे पोज़िशन बनाओ फिर मुझे पाओ.” वे भी हताश थे पर क्या करते मुझसे दूर रहेंगे तो कितना? उस रात से हमारे ‘सेक्स सेशन नही हुए, पर रात को मुझे अच्छी नींद आती और मैं ठीक से सो पाती ये भी एक अजूबा था. क्योंकि आदत सी हुई थी, बिगैर सेक्स किए हम दोनो को नींद नही आती थी. इसलिए ससुर जी चोरी-छुपे बेडरूम मे घुसते जम मुझे दो बार तो चोद्ते और अपने बेडरूम लौटते थे. दो दिनो बाद क्या हुआ पता नही पर उस रात ना जाने क्या पर उन्होने सोते समय सासू मा से क्या बात की, पर दूसरे दिन सासुमा ने मुझे आवाज़ लगाई, “बहू, ओ बहू ज़रा यहाँ तो आना.” मैं बोली, “जी माजी, आई.” वहाँ पहुचने पर उन्होने मुझसे गंभीर स्वर मे कहा, “मैने तुम्हारी दूसरी शादी करवाने ठान ली है.” उनकी ये बात सुनके मैं हड़बड़ा गयी मैं शादी तो करना चाहती थी पर किसी औरसे नही अपने ससुरको ही अपना पति अब मैं मानने लगी थी, वे ही मेरे मालिक थे.
पर मैने कुछ नही कहा, मैं चुप रही. सासुमा ने इस पर मुझसे पूछा,”क्या तुम्हे दूसरी शादी नही करनी? ज़िंदगीभर ऐसे ही विधवा की ज़िंदगी बिताना चाहोगी?” मेरी खामोशी देख वे बोली, “तुम्हे शायद ये रिश्ता ठीक ना लगे पर मैने तुम्हारी शादी किसी औरसे नही मेरे अपने पति से करवाने की सोची है. मैं जानती हूँ, और समझ सकती हूँ कि तुम जैसी लड़की को विधवाकी ज़िंदगी बिताते देख कई बदमाशोंकी तुम पर बूरी नज़र होंगी पर एक बार तुम्हारी इनसे शादी हो जाए फिर कोई तुम्हे छेड़नेकी जुर्रत नही करेगा. रही बात मेरी, मैं अब काफ़ी कमज़ोर हूँ इस लिए तुम्हारा किसी दूसरे घर में ब्याह करवाकर मैं अकेली अपना सभी कुछ नही संभाल सकती. तुम्हे मेरा ख़याल रखना आता है, तुम इनकी भी अच्छी देखभाल करती हो.”
मेरी दूसरी शादी और वो भी ससुर जी से? वो भी सासुमा खुद ये प्रस्ताव मेरे सामने रख रही है ये सुनकर मैं चौंक गयी पर उतनी खुश भी थी. दूसरेही दिन हम ने कोर्ट मॅरेज के लिए रिजिस्टर किया और पासवाले मंदिर मे शादी करली. शादी करने के बाद मैने सासुमा से आशीर्वाद लिया ठीक उसी तरह जैसे मैने आकाश से शादी करने के बाद लिए थे. मुझे उठाते हुए उन्होने मुझसे कहा, अब तुम मेरी बहू नही सौत हो पर साथ मे इनकी बीवी हो. आजसे तुम मुझे सासुमा और इन्हे ससुर जी नही, दीदी और अजी करके पुकारना.” मैं बोली, “जी दीदी”. (मैं तो इसी मौके के तलाश में थी असल में.) उस दिन मेरी ससुर जी के साथ अफीशियल ‘सुहाग रात’ थी, उसे हम ने मेमोरबल बनाया. उस रात हम ने 5 बार सेक्स किया, जब हमारा पहला ‘सेक्स सेशन’ चालू था, तब उन्होने मुझसे पूछा,” अब कहा टपकाऊं?अंदर या बाहर.” मैं बोली, “खबरदार अगर एकभि बूँद बाहर गिरा तो अब ये चूत आप ही की है. जामके बरसाईए इसी मे. जल्दी मा बनाइए मुझे. मेरी कोख सूनी है आप ही के बच्चे को जन्म देना चाहती है ये.” मेरे ये ऑर्डर मिलने पर उन्होने मेरी चूत मे स्पर्म शूट किया और मैं हर गोलाबारी मे घायल होती रही. आप लोग यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | अब मैं प्रेग्नेंट हूँ, और फिलहाल हमारा ‘सेक्स मिशन’ इन्दिनो रुक गया है.वे मेरा पूरा ख्याल रखते हैं पर मुझे बोर यही लगता है कि मैं उनकी ‘सेक्स की भूख’ प्रेग्नेन्सी के वजह से मिटा नही सकती. पर चलो एक बार मैं डिलीवेर हो जाने दो, उनकी भूख- प्यास सभी मिटाते रहूंगी ज़िंदगी भर | अब मै अपनी कहानी यही पर समाप्त करती हु आशा करती हु आप लोग भी एन्जॉय किये होगे और मस्तराम डॉट नेट का तहेदिल से धन्यवाद करना चाहुगी जिन्होंने मेरी आपबीती आप लोगो तक पहुचाई |