मेरा नाम रितेश शर्मा है, मैं आगरा से हूँ. मैंने एक मस्तराम डॉट नेट की पाठिका के साथ सेक्स किया, यह कहानी पूरी तरीके से सत्य है।
मेरी पिछली कहानी के बाद मुझे कई मेल आए.. जिसमें एक मेल था टिया (परिवर्तित नाम) का था। उसकी उम्र 20 साल थी, वो दिल्ली से थी, वो एक वेब डिजाईन कंपनी में काम करती थी, उसने कहा कि वो मुझसे बात करना चाहती है।
उसने मुझे अपनी फेसबुक आईडी दी, इसके बाद मैंने अपना और उसका परिचय किया। मैंने उसे अपनी दो पिक्चर भेजीं, उसने भी अपनी एक पिक्चर मुझे भेजी।
उसको मेरी पिक्चर पसंद आई, वो भी एक 20 साल की सुन्दर पटाखा किस्म की लड़की थी।
इस सबके बाद उसने मुझे अपना नंबर दिया और वाट्सएप्प पर भी मुझसे जुड़ गई।
इसके बाद मैंने उससे फोन पर बात की.. फिर रात्रि को उसके साथ कामुक बातें भी की।
जिसके कुछ अंश निम्न हैं..
मैं- हैलो टिया.. तुम्हारा फिगर क्या है?
टिया- 32-28-34 है।
मैं- आज तुमने किस रंग की ब्रा और पैंटी पहनी है?
टिया- ब्रा सफेद है और पैंटी लाल रंग की है।
मैं- वाह डार्लिंग.. इन ब्रा-पैन्टी कितना सेक्सी फिगर होगा तुम्हारा.. मैं कल्पना कर सकता हूँ।
टिया- तुम्हारा लंड कितना बड़ा है?
मैं- करीब 9 इंच लंबा और 3 इंच मोटा है। तुमने अपनी बुर के बाल कब बनाए थे?
टिया- अभी 3-4 दिन हो गए हैं।
इसके बाद उसने अपनी 3-4 नग्न फोटो भेज दिए.. जिसमें वो एक में ब्रा-पैन्टी के साथ एक अपने मम्मों में थी और अपनी चूत और गांड की भी नंगी फोटो भेजे थे। इसके बाद मेंने अपने लंड की फ़ोटो भी उसको भेज दी।
इसके बाद मैंने उसे एक छोटी सी ब्लू फ़िल्म भेजी.. जिसमें एक लड़का.. लड़की को घोड़ी बना कर तथा सोफे पर बिठा कर चोदता हुआ था।
उसे यह क्लिप बहुत पसंद आई। वो अपनी चूत में उंगली करने लगी।
मैं भी अपने लंड को हिलाने लगा।
इस तरह हमने 3-4 दिन तक सेक्स चैट की और वेबकैम पर भी बातें की। फिर उसने मुझसे मिलने की सहमति जताई।
बीस दिसम्बर को मिलना पक्का हुआ। मैं आगरा से दिल्ली पहुँच गया। मैंने उसे होटल में एक कमरा बुक करने को बोला।
मैं सुबह 11 बजे दिल्ली पहुँच गया। उसने मुझे रेलवे स्टेशन पर रिसीव किया। मैं उसका फ़ोटो तो देख ही चुका था.. तो मुझे टिया को पहचानने में ज्यादा परेशानी नहीं हुई।
उसने पीले रंग का टॉप और ब्लू जीन्स पहन रखा था। वो एक सुन्दर मस्त माल लग रही थी।
उसने मुझे ‘हैलो’ किया और मुझे अपने साथ ले जाने लगी।
हमने एक प्राइवेट टैक्सी की और साथ में एक होटल में पहुँचे। जब मैंने उससे ये पूछा- घर पर क्या बोल कर आई हो?
उसने कहा- घर ऑफिस जाने की बोल कर आई हूँ और ऑफिस से एक दिन की छुटटी ली है।
होटल में पहुँचने के बाद हमने सबसे पहले होटल के रेस्टोरेंट में नाश्ता किया। टिया मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी। मैं भी इंतज़ार में था कि कब कमरे में पहुँचे और टिया की जोरदार चुदाई करूँ। आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है
कमरे में पहुँचते ही मैंने टिया को पकड़ लिया और जोरदार किस किया और मैं उसके रसभरे होंठों का मर्दन और चूसण करने लगा। आप पढ़ रहे है टिया की चुतफाड़ चुदाई
फिर धीरे-धीरे उसके कपड़े उतारने लगा.. सबसे पहले मैंने उसका टॉप उतारा फिर उसका पैन्ट उतार दिया। अब वो सिर्फ ब्रा-पैन्टी में थी.. क्या कयामत लग रही थी।
वो इतनी गोरी-चिट्टी थी कि उसको छुओ तो भी दाग पड़ जाएं.. पर अब मुझे उस शरीर के हर छेद से पानी निकालना था।
मैंने उसकी ब्रा निकाल कर फेंक दी.. अब उसके तने हुए मम्मे मेरे सामने मुझे चैलेंज कर रहे थे। मैं उसके रसीले मम्मों को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा।
उसका चूचा जितना मेरे मुँह में आ सकता था.. मैं उतना ही उसको पूरा अन्दर लेकर चूसने की कोशिश करने लगा।
मेरा हाथ अब धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगा। मैं उसके चूतड़ों को मसलने लगा.. और उसकी पैन्टी में हाथ डाल दिया.. मैंने देखा कि उसकी पैन्टी कुछ ज्यादा ही गीली थी।
मैंने टिया से कहा- जान क्या बात है.. तुम्हारी चूत कुछ ज्यादा ही पानी छोड़ रही है।
तो उसने कहा- तुम्हें कैसे पता चला?
मैंने कहा- जान.. मुझे तुम्हारे शरीर में एक कंपन सी महसूस हुई थी।
इन्हीं सब बातों के बीच में मैंने उसकी पैन्टी निकाल दी। मैं अब उसकी चूत के दाने को सहलाने लगा और उसके मम्मों को भी चूसे जा रहा था। आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है
हम बिस्तर पर लेटे हुए थे और एक-दूसरे को खूब चूस और चाट रहे थे।
मैं अब धीरे-धीरे नीचे की ओर जा रहा था। मैंने पैन्टी निकाल दी थी.. पर उसकी चूत अभी तक देखी न थी।
दोस्तो, चूत न देखने का मेरा एक लॉजिक है.. अगर तुम कपड़े निकालते-निकालते चूत को एक बार देख लो.. तो तुम्हारा सारा ध्यान वहाँ ही चला जाएगा और तुम चूत चोद बैठोगे.. और लड़की को ज्यादा मजा नहीं दे पाओगे।
मैं अब धीरे-धीरे चूत के पास आ गया। जैसे ही चूत के पास मुँह रखा.. एक अजीब सी मादक खुश्बू छा गई।
अब उसने भी सिर्फ अंडरवियर को छोड़ कर मेरे सारे कपड़े निकाल दिए.. वो मेरे लंड को अंडरवियर के ऊपर से पकड़ कर दबाने लगी। आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है
मैं उसकी चूत के दाने को चाटने लगा.. और कुछ देर सहलाने के बाद मैं उसकी चूत में पूरी जीभ डाल कर चाट रहा था और उसकी गाण्ड में एक ऊँगली डाल कर उसे चोद रहा था।
अब आप ही सोचो क्या सुकून मिला होगा उसको.. इधर मेरा लंड भी पूरा खड़ा हो चुका था।
टिया की चूत का स्वाद कुछ अलग ही था.. एकदम नमकीन पानी.. वो भी एक अलग खुश्बू के साथ.. चूत का रस पीने का मजा था.. और अब वो समय आ ही गया।
टिया ने अकड़ कर.. कस कर मेरे बालों को पकड़ रखा था।
मैं समझ गया कि अब एक जोरदार लहर आने वाली है.. जो मेरे मुँह पर. सुनामी की तरह छा जाएगी और ऐसा ही हुआ।
उसकी चूत ने इतनी पानी छोड़ा कि मेरा मुँह पूरा भर चुका था।
मैंने पानी मुँह में भरके रखा और उसके मुँह के पास जाकर हम दोनों ने उसकी चूत के रस का रसपान किया।
अब वो काबू के बाहर थी.. वो मेरे लंड को पकड़ कर अपनी चूत की तरफ खींच रही थी और बोल रही थी- अब चोदो भी जान.. जल्दी चोदो जान.. अब और मत तड़पाओ.. मैं मरी जा रही हूँ.. तुमसे चुदने के लिए.. लंड डाल दो मेरी चूत में..।
मैंने भी अब ज्यादा वक्त ना लेते हुए.. लगा दिया लंड को चूत के दरवाजे पर!
मैंने ज्यादा देर ना करते हुये एक जोरदार झटके के साथ अपना लण्ड उसकी चूत में घुसा दिया। उसकी जोर से चीख निकल गई.. पर मेरा पूरा लंड उसकी चूत में चला गया। आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है
अब मैं धीरे-धीरे लंड अन्दर-बाहर करने लगा, टिया कुछ ज्यादा ही खुश दिख रही थी।
वो मजे के साथ ही मुझसे कह रही थी- ओहह.. जान लव यू.. और जोर से करो डियर.. करते रहो.. मुझे कभी छोड़ कर मत जाना.. मममम.. मुझे आज तक ये सुख और ऐसी चुदाई नहीं मिली.. मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ.. चोदो जान चोदो..आह्ह..
मैंने भी अब मेरी रफ़्तार बढ़ा दी। मैं जोर-जोर से धक्के मारने लगा। चूत और लंड में जो प्यारी सी लड़ाई छिड़ी हुई थी.. उसका अब सुखद परिणाम आने वाला था। एक ऐसा ऐतहासिक परिणाम जिसमें दोनों की जीत थी।
मेरे लंड के झटके उसके दोनों मम्मों को जैसे झूला झुला रहे थे.. इतनी तेजी से उसके मम्मे आगे-पीछे थिरक रहे थे।
मेरा माल अब निकलने ही वाला था.. मैंने उससे पूछा- कहाँ निकालूँ?
तो उसने कहा- हम साथ में ही झड़ते हैं.. मैं भी अभी दुबारा झड़ने वाली हूँ।
बस चार-पाँच जोर के झटकों के साथ हम दोनों झड़ गए। मेरा गर्म लावा एक तेज धार के साथ उसकी चूत के अन्दर की दीवारों से जा टकराया।
उसने मुझे माथे पर चूमा और कस कर अपनी बाँहों में समेट लिया। उसकी आँखों में एक चमक सी आ गई थी। हम एक-दूसरे से चिपक कर ऐसे ही लेटे रहे।
दस मिनट के बाद अब वापिस टिया ने मेरे लंड को पकड़ लिया और उससे खेलने लगी। मेरे लौड़े को वो धीरे-धीरे आगे-पीछे करने लगी। मेरा लौड़ा फिर खड़ा हो गया।
अब मैंने उसे अपने सामने घोड़ी बनने को कहा और पीछे से पहले कुछ देर उसकी चूत चाटी और उसे मैंने हमारी दूसरी पारी की चुदाई के लिए बिल्कुल तैयार कर लिया। जब समय आगे बढ़ा तो मैंने फिर से अपने लंड को निकाला और उसकी चूत की चमड़ी के बीच को अपने लंड को हौले से रगड़ते हुए उसकी चूत के छेद में पेलना शुरू कर दिया। इस बार मैंने रफ़्तार धीमी ही रखी जो कि इस मुद्रा में काफी अच्छे तरीके से काम कर रही थी।
मैंने फिर अब झटके मारते हुए उसकी चूत को पूरा लौड़ा डाल कर चोदने लगा और लगभग तेज कुत्ते वाली रफ़्तार में आधे घंटे तक चोदा.. और आखिरकार अपना सारा माल उसके मुँह पर ही छोड़ दिया।
इस तरीके से मैंने उसे 4 बार चोदा.. फिर हम शाम को दिल्ली घूमने गए।
अब उसने मुझसे विदा ली और अपने घर चली गई।
मैं भी दूसरे दिन वापस लौट आया।
यह मेरी सच्ची घटना थी जो मैंने आपके साथ शेयर की। आप मुझे अपनी प्रतिक्रिया मेल करके दे सकते हैं और इसी ईमेल आईडी से फेसबुक पर भी सर्च कर सकते हैं।
धन्यवाद.. आपके मेल की प्रतीक्षा में।
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