दोस्तों यह एक खुबसूरत कल्पना की हुयी चुदाई की कहानी हमारे मस्तराम डॉट नेट के एक पाठक ने बड़े प्यार से लिख कर भेजा है | हमें हजारो कहानिया रोज मिलती है पर हम वही कहानी पोस्ट करते है जो आप लोगो को पसंद आये तो दोस्तों चलिए अब हम कहानी पर चलते है …. दोनो अंधेरे में अपने बंगले के बेसमेंट की सीढ़ियाँ उतर रहे थे, उसने अपने हाथ मे एक मोमबत्ती पकड़ रखी थी और उसके पीछे प्रियंका चली आ रही थी. “माना तुम्हारी बहन काफ़ी सुंदर है पर तुम दोनो जुड़वाँ बहने ज़्यादा लगती हो. तुम मुझे भी पसंद आती हो.” वीरेंदर ने धीरे से कहा.“सच!” वो जोरों से हंस दी, “और में क्यों तुम्हे पसंद आती हूँ?” “वो जब बिस्तर पर पीठ के बल लेटी होती है तो उसका बदन मे वो आकर्षण नही होता.” उसने थोड़ी हिम्मत के साथ कहा. “ये तुमने कैसे सोच लिया कि मेरे बदन मे वो आकर्षण होगा?” “यही तो हमारी बात चीत का विषय है. अगर मुझे यकीन ना होता तो इतने खुले शब्दों मे थोड़ी तुम्हे कहता. तुम्हारे अंग अंग मे एक नशा भरा है, और मुझे इस बात की भी परवाह नही है अगर तुम मेरी बात सुनकर मुझे थप्पड़ मार दो.” दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | उसने अपने शरीर मे थोड़ी गर्मी महसूस की और उसकी चूत भी गीली हो गयी उसकी बातें सुनकर. पर दोनो जानते थे कि उपर घर का हर सदस्य मौजूद है. उसने किसी बात की परवाह किए बिना अपना एक हाथ उसकी गर्दन मे डाला और अपने शरीर को पीछे से उसके शरीर के साथ चिपका दिया. उसे विश्वास नही हो रहा था कि इस परिस्थिति मे भी वो मोमबति को गिरने से बचाए हुए था.
“तुम्हे ऐसा नही करना चाहिए. कोई भी यहाँ आ सकता खास तौर पर मेरी बहन जब वो देखेगी कि उसका पति काफ़ी समय से गायब है. मुझे लगता है कि हमें यही रुक जाना चाहिए.” उसने उसे याद दिलया. “मुझे नही लगता कि ऐसा होगा, कारण एक तो उपर सब अपने काम मे व्यस्त है और दूसरी ख़ास बात में मान नही सकता कि तुम नही चाहती हो कि में यहाँ रहूं.”
उसने अपने होंठ अपने दांतो मे दबा लिए और अपने आपको पीछे की ओर धकेल उसके खड़े लंड का एहसास करने लगी, जो उसके चुतदो की दरारों पर ठोकर मार रहा था. “अगर कोई आ गया तो?” उसने खुद से या सवाल पूछा पर वो ये भी जानती थी कि वो उसके प्रति आकर्षित थी और वो कई बार ये सोचती थी कि काश उसके पति की बजाय वो उसके साथ हो.”“क्या सोच रही हो?” कहकर उसने मोमबत्ती को एक शेल्फ पर लगा दिया. मोमबति की रोशनी मे पूरा बेसमेंट एक सुहानी रोशनी से उसकी तरफ का हिस्सा जगमगा उठा फिर भी अंधेरा था. दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | फिर उसने महसूस किया कि उसके हाथ उसकी कमर से उपर बढ़ कर उसकी चुचियों को पीछे से मसल रहे थे और उसके होंठ उसकी नंगी गर्दन को चूम रहे थे. “वैसे तो तुम्हारी ड्रेस बिल्कुल तुम्हारे बदन जैसी है पर इन हालत मे ये कुछ ज़्यादा ही है.” उसने उसकी गर्दन को चूमते हुए कहा. उसकी बातें सुनकर वो खुश हो गयी. ये ड्रेस उसे बहोत पसंद थी इसीलिए पहनी थी. उसकी ड्रेस काफ़ी लो कट गले की थी जो उसकी चुचियों के उभार पूरी तरह से दिखाती थी और कमर पर ऐसे चिपक जतती थी कि किसी को पता ही नही चलता कि कोई ड्रेस पहनी है. दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | उसकी ड्रेस एक दम चॅम्डी के रंग की बनी हुई थी. (वो ये ड्रेस पहन अनिश को जलाना चाहती थी). उसने ये भी महसूस किया कि उसके ससुर और उसके पिताजी उसके अंगों को कई बार घूर रहे थे.“तुम्हे क्यों ऐसा लगता है कि मेरे कपड़े कुछ ज़्यादा है?’ उसने पूछा. हक़ीक़त तो ये है कि जो भी हम दोनो के बीच होगा वो हम दोनो की रज़ामंदी से होगा.” इतना कहकर उसने अपने हाथ से उसकी स्कर्ट उपर उठा दी. दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | उसने अपने हाथ उसकी पॅंटी मे फँसा कर उसकी पॅंटी को नीचे खिसका दिया. उसकी इस हरकत से वो चौंक गयी. फिर उसने महसूस किया कि उसका खड़ा लंड उसकी नंगे चुतदो को छू रहा था. उसके शरीर मे काम और इच्छा कि एक लहर सी दौड़ गयी. उसने उसके स्कर्ट के बटन खोल दिए और फिर उसके टॉप के साथ उसकी ब्रा भी उतार दी. उसने थोड़ी सी हिम्मत जुटाई, “प्लीज़ रुक जाओ ना कोई भी आ सकता है.”
उसकी बात को नज़र अंदाज़ कर उसने उसे अपनी तरफ घुमा लिया. उसने अपने होंठ उसके होठों पर रख दिए. प्रियंका ने तो अपने होठ विरोध करने के लिए खोले थे पर उसने पाया कि उसकी जीब उसके होठों को छूती हुई उसके मुँह मे घुस गयी थी. उसका लंड उसकी चूत के मुहाने पर उपर नीचे हो रहा था. शरीर मे उठती उत्तेजना उसके पावं को कमजोर कर दिया था. उसके मुँह से सिसकारी निकल पड़ी जब उसके हाथों ने उसकी चूत को भींच लिया.
उसने अपने आपको उसके चुंबन छुड़ाया और अलग किया तो उसने पाया कि वो अपनी पॅंट और शॉर्ट को नीचे खिसका चक्का था. उसका खड़ा लंड तन कर खड़ा था. उसने प्रियंका का हाथ पकड़ा और अपने लंड पर रख दिया. फिर वो उसके हाथ को अपने लंड पर उपर नीचे खिसकाने लगा. प्रियंका ने महसूस किया कि उसका लंड उसकी मुट्ठी मे और ज़्यादा तनने लगा है. “चिंता मत करो यहाँ कोई नही आएगा.” इतना कहते हुए वो उसके गालों को और गर्दन चूम रहा था और एक हाथ से उसकी चूत को भींच और सहला रहा था. दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | उसने दूसरे हाथ से उसकी चुचियों को पकड़ लिया, “प्रियंका तुम्हारी चुचियाँ तो बहोत बड़ी है. ये तो तुम्हारी बहन की चुचियों से भी बड़ी और भारी भारी है.”जब उसने अपने होठ उसके निपल पर रखे तो प्रियंका के मुँह से सिसकारी निकल पड़ी. साथ ही साथ उसने अपनी एक उंगली उसकी चूत मे घुसा दी. दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | जहाँ उसने मोमबति लगाई थी उसी के नीचे एक टेबल पड़ी थी, “तुम घूम जाओ और झुक जाओ?’ उसने प्रियंका से कहा. “नही.” प्रियंका ने विरोध करते हुए कहा. “इसी तरह तुम अंदर डाल दो.”“में तुम्हे पीछे से चोदना चाहता हूँ.” उसने उसे नीचे झुकते हुए कहा तभी कहीं डोर से कदमो की आवाज़ सुनाई देने लगी. वो घबरा गयी और लड़खड़ाहट मे मोमबत्ती नीचे गिर कर बुझ गयी और बेसमेंट मे पूरा अंधेरा छा गया.
“प्रियंका क्या तुम यहाँ हो?” यक़ीनन ये आवाज़ उसके भाई अनिश की थी. आज इसी के लिए तो वो ऐसे कपड़े पहन के आई थी. प्रियंका ने कपड़ों की सरहराहट सुनी. वो समझ गयी वीरेंदर छुपने की जगह ढूँढ रहा है. बेसमेंट के पीछे की ओर एक दरवाज़ा था, अगर वो उसे खोलने मे कामयाब हो गया तो बिना किसी की नज़र मे आए वो यहाँ से जा सकता था.
प्रियंका की आँखे अंधेरे मे देखने की कोशिश कर रही थी. उसने पीछे दरवाज़े पर से अपनी नज़र घुमाई और सीढ़ियों की तरफ देखने लगी, ऐसा करते हुए उसका माथा टेबल की साइड से लगा और वो दर्द मे कराह कर ज़मीन पर गिर पड़ी. “प्रियंका क्या हुआ? तुम ठीक तो हो ना?” अनिश दौड़ कर सीढ़ियाँ उतरते हुए बोला.
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