भाई के गधे जैसे लंड से चुदी

प्रेषिका : चित्रांगदा

मैं चित्रांगदा हूँ | लोग मुझे प्यार से चित्रा कहते है | और मेरी फिगर ३८-३२-३८ है. मेरा एक भाई है उसका नाम दिनेश है वो अभी कुवारा है | मैं भी कई महीनो से एक अच्छे लंड की तलाश में थी, जो कहीं आज मिला था मुझे. मेरा पति साला 4 इंच का लंड लेकर मुझे चोदने लगता है तो मैं संतुष्ट नहीं हो पाती. कई मर्दों से चुदवा चुकी हूँ | लेकिन मेरी चूत हमेशा भूखी रह जाती है. मेरे पति के बॉस ने मुझे एक बार अपने पार्ट्नर के साथ मिल कर दो दो लंड के साथ चोदा था, लेकिन कुछ दिन पहले पति के बॉस का भी तबादला हो गया और अब मुझे लंड की कमी महसूस होती है.” चित्रा, मेरी प्यारी दीदी, तू भी हमारी मम्मी जैसी चुदक्कड हो. मम्मी का भी एक मर्द से गुज़ारा नहीं होता। आज सुबह जब वो रसोई में खाना बना रही थी तो उसकी चुचि ब्लाउस से बाहर झाँक रही थी. उसी वक्त फोन आया तो मम्मी ने उठाया. दूसरी तरफ से शशि अंकल ने कहा” रानी, आज अपनी चूत को शेव कर लो, तुझे मैं और राधेश्याम दोनो चोदने वाले हैं… राधेश्याम तुझे ना जाने कब से चोदने के लिए मिन्नते कर रहा है… तुम ठीक 5 बजे होटल राधे पहुँच जाना, मेरी रानी.., आज तेरी दीवाली मनाएँगे…” मैं उस वक्त उन दोनो की बातें सुन रहा था. मेरा तो दिल कर रहा था की मम्मी को वहीं चोद डालूं, पर मैं इस बात पर खुश था की आज शाम को अपनी चित्रा दीदी के साथ मजे करूँगा. सच चित्रा, मैने आज तक तेरे जैसी औरत नहीं चोदी…” मेरे बारे में मेरे भाई को कुछ दिन पहले ही पता चला था. मेरा भाई मुझसे मिलने आया था. मेरा पति अपनी दुकान और मेरी सास बाज़ार गयी हुई थी. मुझे यही मौका था और मैं अपने जवान नौकर से चुदवाने लगी. मेरा नौकर नंदू भी जानता था की मैं लंड की प्यासी हूँ क्योंकी वो मेरे पति की नामर्दानगी के बारे में जानता था। नंदू उस वक्त टेबल सॉफ कर रहा था जब मेरी सास बाज़ार गयी. मैने नंदू को पीछे से पकड़ लिया और उसके मस्ताने लंड से खेलने लगी, ” क्या बात है.., मालकिन, आज बड़ी मस्ती में हो.., कहीं मेरा केला खाने का इरादा तो नहीं है?” मैने उसके पजामे को नीचे सरकाते हुए उसका लंड मुहँ में डाल लिया. नंदू मेरी आदत जानता था की मुझे केला खाने की आदत है। नंदू बोला,” चित्रा मालकिन क्यों ना आज तुझे तेरी सास के बिस्तर पर चोदा जाए… उसको भी मेरा केला बहुत पसंद है.. अब तो सास बहू दोनो को एक ही लंड से गुज़ारा करना पड़ेगा… साली बुडिया भी लंड की शौकीन है, आपकी तरह..” नंदू मुझे उठा कर सासू माँ के बिस्तर पर ले गया और मुझे नंगा करने लगा. मेरे चूतड़ पर हाथ फेर कर बोला,” चित्रा आज ना जाने क्यों तुझे कुत्तिया बनाने का मन कर रहा है… तुम मालकिन भी हो और मेरी रांड़ भी… अगर मैने अपनी मालकिन की सवारी नहीं की तो दुनिया क्या कहेगी? आपकी सास तो मेरे लंड की सवारी करने का शौक रखती है… आप यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | आपके चूतड़ मुझे बहुत आकर्षित करते है.. अगर एतराज़ ना हो तो जल्दी घोड़ी बन जाओ… बुडिया का कोई पता नहीं कब आ टपके..” मैं झट से घोड़ी बन गयी. वैसे तो मैं हर आसन में चुदाई का आनंद ले चुकी हूँ, लेकिन घोड़ी बन के मर्द के सामने झुकना मुझे मर्द के आगे समर्पण करने के बराबर लगता है. मैं नौकर के आगे झुकी तो उसके चेहरे पर जीत भरी मुस्कान थी. उसने एक ही धक्के में अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया. उसके हाथों ने मुझे चूतड़ से कस के पकड़ रखा था. लंड मेरी चूत चोद रहा था और मेरी चूत सावन के गीत गा रही थी. नंदू ने मुझे बालों से खींच कर चुदाई शुरू कर दी. वो मेरे बालों को एसे खींच रहा था जैसे घोड़ी की लगाम खींच रहा हो। हम दोनो को पता ही नहीं चला की कब से मेरा भाई दिनेश हम दोनो को देख रहा था. हम जल्दी में डोर बंद करना भूल गये. मैने उत्तेजना वश आँखें बंद कर रखी थी और एक कुत्तिया की तरह हाँफ रही थी. नंदू का लंड किसी पिस्टन की तरह मुझे चोद रहा था,” अहह…..ज़ोर से चोद….नंदू….चोद मुझे माँदरचोद….मेरी चूत की आग बुझा साले नंदू, चोद ज़ोर से मेरी चूत….है मैं मरी जा रही हूँ…बहनचोद ज़ोर से डाल,” मैं चीख रही थी और नंदू लगातार तेज़ धक्के मार रहा था। उसका लंड भी अब झड़ने को था और वो बोल रहा था,” चित्रा…साली रांड़…क्या मस्त माल है तू….अच्छी है तेरा पति नामर्द है वरना एसी मख्खन जैसी चूत मेरी किस्मत में कहा होती….वा मालकिन…मेरी रंडी मालकिन…..चुदवा नंदू के मस्त लंड से,” हम दोनो थोड़ी देर में झड़ गये और नंदू काम करने लग गया. दिनेश शायद हमारी बेशर्मी देख कर दरवाज़े से हट गया और बाहर चला गया था क्युकि वो थोड़ी देर से घर में दाखिल हुआ. मैं अपने कपड़े बदल चुकी थी और जब अपने छोटे भाई को देखा तो सिर पर दुपटा लेकर उसका स्वागत करने पहुची. मैने अपने भाई के चरण स्पर्श किए जैसे की हमारा रिवाज़ है. कमरे में कोई नहीं था. दिनेश मुझे अजीब नज़रों से देख रहा था. उसने मुझे आलिंगन में लेते हुए सीने से लगा लिया। मेरी चुचि जो के बहुत बड़ी है, मेरे भाई के सीने में धस गयी. उसने मेरे चेहरे को अपने हाथों में लेते हुए पूछा,” दीदी, क्या नौकर अब पति से बढ़ कर है तेरे लिए? जब मैने आपको उसके सामने मर्दजात नंगी होकर घोड़ी बने हुए देखा तो मुझे बहुत शर्म आई… क्या अब नंदू का दर्ज़ा मेरे जीजा का हो चुका है? क्या अब मेरे घर की इज़्ज़त नौकर के लंड की मोहताज़ हो चुकी है? क्या अब इस घर में मर्दों की कमी है? अगर जीजा जी में दम नहीं था तो कम से कम अपने भाई तो अपना लिया होता… दिनेश साला, रंडी के कोठे पर पैसे देकर चूत मागता फिरता है और उसकी बहन नौकरों को फ्री में बाँट रही है… चित्रा, तुझे नंगी देख कर मैं पागल हो चुका हूँ… अब से नंदू की छुट्टी कर दो और मुझे अपना पति बना लो… मेरे लंड को देख लो, पूरा 9 इंच का है,” कहते ही उसने अपनी पेंट की ज़िप खोल डाली। उसका मोटा लंड बहुत प्यारा लगा. लेकिन एक बात मुझे सता रही थी,” दिनेश, बहनचोद साले अपनी ही बहन को चोदोगे तुम? अगर ऐसा ही करना था तो मेरी शादी उस नपुंसक से क्यों की थी, जिसकी कमी मैं नौकर से पूरी कर रही हूँ… भाई, बहन को भाई नहीं चोदा करते… भाई के लिए तो भाभी होती है..” दिनेश मेरी बात पर हंस कर बोला,”चित्रा, अगर नंदू तुझे चोद सकता है तो दिनेश में क्या कमी है? जीजा जी की कमज़ोरी का दुख तुझे ही क्यों उठना पड़े? भाई का फ़र्ज़ बनता है की अपनी बहन को हर मुश्किल से निकाले, उसको हर खुशी दे जिस पर उसका हक बनता है… और दीदी, तुझ जैसी सुन्दर और सेक्सी औरत की सेवा करना तो खुशकिस्मत भाई को ही मिलता है… मेरा बस चलता तो मैं तेरी शादी कभी ना होने देता… तुझे अपना बना कर रखता… लेकिन फिकर मत करना… अब तुम मेरी हो… आज से तुझे चूत ठंडी करवाने के लिए किसी के पास जाने की ज़रूरत नहीं है… मैं तेरी सास को बोल दूँगा की मेरे पास अपनी दीदी के लिए अपने ऑफीस में काम है जिसको कर के दीदी के पैसे भी बन जाएँगे और टाइम भी पास हो जाएगा… बुडिया लालची है, शक नहीं करेगी और मान जाएगी… तुम रोज़ मेरे ऑफीस चली आना और हम मेरे कमरे में खूब मौज करेगे… मैने वहाँ बिस्तर पहले ही लगा रखा है.” दिनेश ने अपनी पूरी स्कीम मुझे बता डाली। “लेकिन दिनेश, लोग क्या कहेंगे? किसी को शक नहीं होगा?” मैने अपने मन की आशंका बताई.” दीदी, शक कैसा? तुम मेरी बहन हो… क्या बहन अपने भाई के ऑफीस में जॉब नहीं कर सकती? अब सोच विचार का वक्त नहीं है, तुम हां कर दो… बाकी मैं खुद देख लूँगा.” मेरी चूत ने मुझे सोचने का मौका ही नहीं दिया. साली अपने भईया के लंड की खुशबू सूंघ कर मस्ती से भर गयी और मैने भईया की ऑफर मान ली. सासू माँ ने दिनेश की बात झट से स्वीकार कर ली. शायद उसके लिए अब नंदू से चुदवाने का खुला मौका था. आप यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | खैर अगले दिन मैं दिनेश के ऑफीस जा पहुँची। ऑफीस काफ़ी बड़ा था. ऑफीस के पीछे भईया का रूम था जिस में वो काम भी करता था और आराम भी. कमरा काफ़ी बड़ा था जिसमें दिनेश ने एक फ्रिज, टीवी, कुछ Cd, एक ड्रिंकिंग बार और एक डबल बेड रखा हुआ था. डबल बेड पर सफेद रेशमी चादर बिछी हुई बहुत सेक्सी लग रही थी. “क्यों कैसा लगा, सुहागदिन का बिस्तर, दीदी? साथ में बाथरूम भी है, जिसमे मेरी प्यारी दीदी बाथ ले सकती है… ऑफीस का कोई आदमी इस कमरे में नहीं आ सकता.. यहाँ हम पति पत्नी बन कर रहा करेंगे,”कहते ही दिनेश ने मुझे पीछे से जकड़ लिया और मेरी चुचि को दबाने लगा। मेरी उतेज्ना बढ़ने लगी और चुचि खड़ी होने लगी. दिनेश के गर्म साँसें मेरे गालो से टकराने लगी और वो ज़ोर ज़ोर से मेरी चुचियाँ भींचने लगा.”उहह दिनेश, क्या कर रहे हो.. मुझे अभी साँस तो लेने दो… क्या मुझे बस चोदने के लिए ही बुलाया है… तू तो किसी चूत के भूखे लड़के लग रहे हो… उईईई धीरे से दबाओ ना, ये तेरी बहन की चुचि है, किसी रंडी की नहीं… भाई, तेरा लंड मेरे नितंभों में घुस रहा है, इसको संभालो ज़रा!” दिनेश कहा रुकने वाला था. भाई ने मेरे कपड़े उतारने शुरू कर दिए. खिड़की के शीशे में से बारिश होती दिख रही थी और उधर बहन नंगी हो रही थी. मेरा गोरा बदन पेंटी और ब्रा में खड़ा मेरे भाई के लिए हाज़िर था. दिनेश मेरी सुडोल जांघों को घूर रहा था, मेरे उभरे नितंभ स्पर्श कर रहा था, मेरी चूची से खेल रहा था और मेरे मसल जिस्म के नशे में झूम रहा था. मेरी वाइट पेंटी के नीचे मेरी चूत किसी डबल रोटी जैसी फूली हुई थी. मेरी भूरी आँखें मदहोशी से बंद हो रही थी. चूत में चीटियाँ दौड़ रही थी. मेरा सारा बदन गंनगना चुका था. मेरे भाई ने अपना हाथ बढ़ा कर मेरी फूली हुई चूत को ज़ोर से मसल दिया. मेरी चूत से रस की धारा बहने लगी और मैने अपनी जांघें भींच ली. मैने अपना नंगा जिस्म जब मिरर में देखा तो अंदर की आग और भी भड़क उठी. मैने भईया की पेंट के ऊपर से उसका खड़ा लंड पकड़ लिया.. लंड किसी साँप की तरह फूंकार रहा था. मेरी चूत अब कामुकता की आग मैं जल रही थी। “भईया, अब देर मत करो, मेरी चूत को तुम ने गर्म कर दिया है, अब जल्दी से डालो अपना लंड इसमे, प्लीज़,भईया ,” कहते ही मैने भईया की पेंट उतार डाली और उसके काली झांठो में उठ रहे लंड को देख कर मेरी हरामी चूत खुशी के आँसू बहाने लगी. आज मेरा सगा भाई, अपने लंड से मुझे चोदने वाला था. दिनेश ने मेरी अंडरवियर नीचे सरका दी और मेरे ब्रा को खोलने लगा. ब्रा के खुलते ही मेरी गोरी चुचि के ऊपर ब्राउन रंग के चुचक भईया के हाथों में आ गये. दिनेश ने मेरे चुचक मुह में ले लिए और चूस लिया,” आआआहह….भैय्आआआ,,,,,चूसो भईया….मेरे निपल्स चुसो….अपनी बहन का दूध पियो….याया….ऊऊऊओह…..मेरी फुददी मारो भईया,” मेरे मुख से बरबस ही निकल गया. मैं आप को बता देना चाहती हूँ की चुदाई के वक्त मैं गंदी गंदी गालियाँ बकती हूँ। दिनेश किसी बच्चे की तरह मेरा दूध चूसने लगा. मेरे चुचक उसके थूक से भीग गये और मैं मस्ती से झूमने लगी. आप यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | दिनेश का एक हाथ मेरी चूत पर रेंग रहा था. मैने चूत को बिल्कुल सॉफ किया हुआ था और मेरी चूत रस टपका रही थी. दिनेश ने एक उंगली मेरी चूत में धकेल दी तो मैं सिसकारी भरने लगी.  कहानी जारी है …

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