लण्ड चुसाई – | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru 100% Free Hindi Sex Stories - Sex Kahaniyan Tue, 20 Feb 2018 13:48:23 +0000 en-US hourly 1 /> //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/wp-content/uploads/2015/10/cropped-mastaram-dot-net-logo-red-32x32.png लण्ड चुसाई – | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru 32 32 मामा समझ कर अपने सगे भाई से ही चुद गई | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/bhai-bahan/mama-samajh-kar-apne-sage-bhai-se-hi-chud-gyi.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/bhai-bahan/mama-samajh-kar-apne-sage-bhai-se-hi-chud-gyi.html#respond Sun, 18 Feb 2018 14:23:53 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=12004 हेल्लो यह कहानी सच्ची है इसमें गलती से अपने सगे भाई से चुदवाने की कहानी है जो आपके मन में चुदाई का ख्याल आये बिना ही झड़ा देगी एसी कहानी अभी तक आप लोगो ने नहीं पढ़ी होगी |

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मामा समझ कर अपने सगे भाई से ही चुद गई
( Mama Samajh Kar Apne Sage Bhai Se Hi Chud Gyi )

दोस्तो ये कहानी एक ऐसी लड़की की है जो मामा समझ कर अपने सगे भाई से ही चुद गई . और जिस चादर पर उसकी भाभी की सुहाग मनी थी उसी चादर पर उसने अपने भाई से चुदाई करवाई . तो दोस्तो आपको ज़्यादा बोर ना करते हुए ये कहानी साना की ज़ुबानी ही आपको सुनाता हूँ |

अभी दो महीने पहले ही मैं 21 साल की हो गयी हूँ. मेरे से 11 साल बड़ा मेरा एक भाई है जिसकी चार साल पहले शादी हो गयी है. हमारे घर में बहुत ही खुश नुमा माहौल है. पिकनिक्स में जाना, अच्छे रेस्तराँ में जाना, कहने का मतलब जिंदगी का हर लुफ्त हम खुल के उठाते हैं. आज फिर पिक्निक का प्रोग्राम था. हमने एक आलीशान फार्म हाउस बुक करवा लिया. पिक्निक में मेरे सगे मामा और दूसरे करीबी रिस्तेदार भी शिरक़त कर रहे थे. मैं अपनी दूसरी रिस्ते की बहनों के साथ फार्म हाउस के स्विम्मिंग पूल में तैराकी कर रही थी. मामा हम सब को तैराकी सिखा रहे थे. हम लड़कियों ने शलवार क़मीज़ पहनी हुई थी. मामा हम सब को बारी बारी तैराकी सिखा रहे थे.

चूँकि फार्म हाउस मामा ने बुक कराया हुआ था इस वजह से हमारी फॅमिली के अलावा कोई और नहीं था. शाम का समय और हल्के हल्के बादल की वजह से मौसम (सीज़न) बहुत ही खुश गवार था. मम्मी अपनी बहनों और दूसरे रिलेटिव के साथ और पापा अपने रिलेटिव के साथ तैराकी कर रहे थे. कुछ फ़ासले पर भाई जान भाभी के साथ पानी में खेल रहे थे.

पानी काफ़ी ठंडा और गहरा था और ब्लू कलर के बारे स्विम्मिंग पूल की वजह से पानी भी नीले रंग का बहुत ही दिलकश लग रहा था. जहाँ हम लोग पानी मे खेल रहे थे वहाँ पानी हमारी कमर(वेस्ट) के ऊपेर था. मामा ने अब मुझे तैराकी के बारे में बताया और मेरी मदद कर ने के लिए मेर पेरो के नीचे से मुझे उठा कर हाथ और पैर की मदद से तैराकी करा रहे थे.

मामा की शादी नही हुई थी और वो मेरे नाना नानी के साथ ही डिफेन्स में रहते थे. सब लोग अपनी बीवियों के साथ खेल रहे थे जब कि वो हम लोगों के साथ तैराकी में मसरूफ़ थे.

मामा ख़ास तोर पर हमसे बहुत ही मोहब्बत कर ते थे. चूँकि मेरी मम्मी उनकी एकलौती बहन थी. मामा ने मेरे पेरो के नीचे हाथ रखा हुआ था और मैं तैराकी के लिए हाथ पैर हिला रही थी. मामा ने अचानक हाथ हटा लिया और मैं डिसबॅलेन्स होकर गिरने लगी तो मैने मामा को पकड़ना चाहा और गलती से मेर हाथ मामा के लंड पर लग गये.

मैं घबरा गयी लेकिन कोई ध्यान नहीः दिया. मामा ने फिर मुझे तैराकी करने को कहा और मैं फिर से तैराकी करने लगी. मामा ने अब जो हाथ रखा तो वो एक हाथ मेरे मम्मों के नीचे और दूसरा मेरी चूत के नीचे था. मैं अभी 17 साल की थी और मैं ना तो मम्मों पर कुछ पहेनती थी और ना ही मुझे अंडरवेर की आदत थी. मामा के हाथ मेर कपड़े गीले होने की वजह से ऐसे लग रहे थे कि मेरे मम्मे नंगे हैं. यह पहली बार था कि किसी के हाथ ने मेरे मम्मों और चूत को स्पर्श किया था. आप यह हॉट हिंदी सेक्सी कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | मुझे मामा का हाथ बहुत अच्छा लगा |

मैं तैराकी की कोशिश कर रही थी और मामा का हाथ वहीं लगा हुआ था. मामा ने कहा कि वो हाथ हटा रहे हैं और उन्हों ने हाथ हटाया कि मैं फिर अस्थिर होगयी और ज्योन्ही मैने उनको पकड़ना चाहा, मेरा हाथ फिर मामा के लंड पर लगा. इसबार मैने खुद ही हाथ वहीं लगाया था. मैने हाथ से महसूस किया कि मामा का लंड अब कुछ तना हुआ था.

मैं मामा के सामने खड़ी थी और मैं ने ट्रॅन्स्परेंट पानी से देखा कि मामा का लंड खड़ा हुआ था. ईतने मैं मेरी एक कज़िन ने कहा कि अब मैं सीखूँगी लेकिन मैने माणा कर दिया और कहा कि मैं कुछ देर और सीखूँगी. मैं फिर तैराकी करने लगी अब मैं जान बूझ कर बार बार अस्थिर होने लगी और मामा का लंड अब खूब सॉफ नज़र आ रहा था कि वो बिल्कुल सीधा खड़ा हुआ था. मैं एक बार तैराकी करते हुए डूबने लगी.

मामा ने मुझे थाम लिया और मैं खड़ी होकर मामा के सीने से लग गयी. मामा का लंड मेरे पेरो से टकरा रहा था. इस मंज़र ने मुझे बहुत ही सेक्सी कर दिया. मैने एक बार फिर तैराकी की कोशिश की और अब मामा ने मुझे पानी पर सीधा करके खुद मेरी टाँगों को फेला कर मेरे पीछे आ गये |

अब उन्हों ने मेर पीछे से दोनो टाँगों के बीच होकर मेर पैरो को पकड़ लिया और कहा,पहले हाथों की प्रॅक्टीस करो फिर पैरों से करना. मैं मामा को दोनो टाँगों के बीच पाकर हाथों से प्रॅक्टीस करने लगी और मामा का लंड मेरी चूत के क़रीब महसूस हो रहा था जो कि बहुत ही लाजवाब लग रहा था. मैं हाथों से प्रॅक्टीस कर रही थी और दर असल मामा के लंड को चूत के क़रीब पाकर खुश हो रही थी या सेक्स में गरम हो रही थी.

मामा का लंड हिलता हुआ महसूस हो रहा था और उसने मेरे ठंडे पानी में डूबे हुवे बदन में आग लगा रहा था. यह एहसास मुझे पहली बार हुआ था और बहुत ही खुस गवार था.. मैं तैराकी तो क्या सीखती किसी और आग मैं जलना सीख रही थी. मैं थक गयी तो मैं खड़ी हो गयी. मामा का हाथ अब भी मेर पैरो पर था और खड़े होते ही मेरे चूतड़ के ऊपर मामा का लंड महसूस हुआ.

मैं पलट कर सीधी हो गयी और मैने मामा की आँखों मे एक नई चमक देखी और खुद मेरे जिस्म के अंदर भी एक नया पैगाम था. शाम ढल चुकी थी और मैं एक नई ख्वाहिस महसूस कर रही थी. मामा ने पूछा, और प्रॅक्टीस करो गी लेकिन उनका हलक खुश्क हो चुका था और बड़ी मुश्किल से उनकी आवाज़ निकल रही थी.

अभी मैं जवाब ही देने वाली थी कि पापा और भाई की आवाज़ आई कि चलो अब रात हो रही हैं. मैं आवाज़ सुन कर ना चाहते हुए पानी से बाहर निकल आई लेकिन मामा ने कहा, मैं अभी ठहर कर आ रहा हूँ.

मैं समझ गयी कि वो खड़े लंड के साथ कैसे बाहर आ सकते हैं. हमलोंग फार्म हाउस के हॉल मे आ गये और थोड़ी ही देर के बाद मामा भी आ गये. वो कुछ चुप चुप थे. हॉल मे भाई और मामा के साथ साथ सब ही ने हाफ पैंट पहनी हुई थी जबकि हम लड़कियों और लॅडीस ने शलवार कमीज़ पहनी हुई थी. मम्मी और भाभी वाघिरा खााना लगा रही थी. मैं बार बार मामा को देख रही थी और जब उनकी तरफ देखती तो उनको अपनी ही तरफ देखते हुवे ही पाती. मेरे अंदर आग लगी हुई थी और मामा के लंड और हाथो की तपिश अब भी महसूस हो रही थी. सब खाना खा रहे थे लेकिन मैं बेदिली से खा रही थी.

एक आग जो मेरे बदन में लगी हुई थी कम नहीं हो रही थी. मामा भी दूसरी तरफ चुप चुप थे और वो भी वही सोच रहे होंगे जो मैं सोच रही थी. मामा एक लंबे क़द और सेहत मंद जिस्म के मालिक थे. वो और भाई दोनो ही डेली जिम जाया करते थे और इसी वजह से दोनो में बहुत दोस्ती थी. मेरी कज़िन्स मुझ से बातें कर रही थी लेकिन मुझे कोई दिलचस्पी नही हो रही थी. मैं अपने बारे में गौर कर रही थी कि मैं एक दुबली पतली परंतु लंबी थी. मेरी आँखे ब्राउन और स्किन कलर फेर था जबकि बाल बहुत ही सिल्की और बड़े थे.

मैं अपने बारे में सोच ही रही थी कि खाना ख़तम हुआ और अब हमलोग चाय का लुफ्त उठा रहे थे और सब ही गॅप शॅप कर रहे थे. रात के अब 11 हो गये थे और आख़िर पापा ने कहा, अब सब सो जाएँ क्योंकि मॉर्निंग मे ब्रेक फास्ट कर के सब को वापिस जाना है. हॉल मने कार्पेट पर बिस्तर सेट होने लगे और मैं हॉल की दीवार के पास खिडकी के नीचे अपने बिस्तर पर लेट गयी.

तमाम जेंट्स के बिस्तर हॉल में एक साथ सेट हुए और उनके पैरों की तरफ कुछ फ़ासले के बाद लॅडीस के बिस्तर सेट हुए. मैने देखा कि मामा मेरी खिडकी के बाद एक खिडकी छोड़ कर दूसरी खिडकी के पास बेड पर थे और उनके बराबर पापा का बेड था… हम सब के लेटने के बाद हॉल की लाइट ऑफ कर दी गयी.

मेरी विंडो से चाँदनी रात छन छन कर मेरे बेड पर गिर रही थी और खिडकी के नीचे लगी हुई रात की रानी की खुश्बू ने मुझे मस्त कर दिया था. मैं लेटे लेटे मामा के बारे मैं सोच रही थी कि जो कुछ आज स्विम्मिंग पूल मैं हुआ था वो कितना हस्सीन था. मुझे अब भी ख़यालों में मामा का लंड चूत के क़रीब और हाथ मम्मों पर महसूस हो रहा था.

मैं ने अपने हाथ शर्ट के अंदर से अपने मम्मों पर लगाए तो महसूस हुआ कि मेरे मम्मे अब भी खुशी में खूब तने हुवे थे.. मैने दूसरे हाथ को शलवार के अंदर डाला और चूत को छुआ तो मज़ा आ रहा था.

मैं ने सोने की कोशिस की लेकिन मुझ से तो लेटा भी नहीं जा रहा था, बस करवट बदल रही थी. मैं तो बेड पर फॉरन सोने की आदी थी लेकिन आज तो नींद नाराज़ हो गयी थी. हॉल मे ख़र्राटों की आवाज़े आ रही थी और ठंडी चाँदनी मेरे ऊपेर थी.

मैं मामा के बारे में सोच रही थी कि वो सोते हुए मेरे बारे मे ख्वाब ज़रूर देख रहे होंगे. मेरी हालत आज के वाक़्ये के बारे में सोच कर बर्दाश्त से बाहर हो रही थी. कम्बख़्त नींद भी नही आ रही थी..

मैने अपने ऊपेर से चादर (शीट) हटाई और अपनी शर्ट ऊपर कर के अपने जिस्म को नंगा किया. हल्की हल्की चाँदनी में कुछ नज़र तो आ रहा था लेकिन सॉफ नहीं था. मैने शर्ट और सलवार दोनो उतार दी और अब मैं नंगी हो गयी. मैं अपने हाथों से अपने जिस्म को सहलाने लगी और मुझे मज़ा आने लगा. अपनी उंगलियों से चूत को छुआ तो और भी मज़ा आने लगा.

मेरे अंदर से भाप(स्टीम) निकल रही थी और लग रहा था कि मेरा जिस्म आग से पिघल(मेल्ट) ना जाय.चैन नहीं आ रहा था और समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करूँ बस दिल चाह रहा था कि मामा मेरे पास आ जाए और मेर साथ लेट जाएँ.यह सोचते ही मेरे ज़हन में एक ख्याल बिजली की तरह आया कि क्यों ना मैं खुद ही मामा के पास चली जाऊं. फिर सोचा कि कहीं गड़बड़ ना हो जाय और मामा कुछ और ही ना कर दें.

जिस्म था कि ज़ालिम सुकून नहीं पा रहा था. मैं अपने हाथों से अपनी चूत और बूब को सहला रही थी लेकिन ज्यों ज्यों मैं सहलाती आग और भड़क उठती मैं एक दम नंगी ही खड़ी हो गयी और हॉल में देखा कि हर तरफ अंधेरा ही छाया हुआ है. मामा वाली खिडकी पर शायद परदा था जो कि बहुत ही मुश्किल से नज़र आ रहा था.

मैने सोचा कि आज या फिर कभी नहीं. यह सोचना था कि सारा खोफ़ ख़तम और मैं एक निडर और बेखौफ़ लड़की की तरह हो गयी. मैं आहिस्ता आहिस्ता मामा की तरफ बढ़ रही थी. एक विंडो छोड़ी और दूसरी खिडकी तक पहुँच गयी. इसी खिडकी के किनारे मामा थे.  मैं नंगी ही थी और मामा के बराबर लेट गयी. मामा ने चादर ओढ़ रखी थी.

मामा सो रहे थे और उनकी साँसों की आवाज़ें आ रही थी. मुझे दुख हुआ कि मेर अंदर आग लगा कर खुद किस मज़े से सो रहे हैं. मैने आहिस्ताः से उनकी चादर उठाई और उनके बराबर ही लेट गयी. मामा के जिस्म की गरमी मेरे जिस्म पर महसूस हो रही थी. मामा गहरी नींद में थे और सीधे लेटे हुवे थे.

मैने अपना हाथ मामा की हाफ पैंट पर से लंड पर रखा तो मामा की तरह वो भी सोया हुआ था. मैं करवट लेकर उनके और क़रीब हो गयी और अपने हाथों से उनके सीने को हाथ लगाया और उंगलिओ से सहलाने लगी लेकिन क्या नींद थी कि उन पर कोई असर नहीं हुआ. मैने अपने हाथ बढ़ाए और उनकी हाफ पैंट मे, जो कि बिल्कुल लूस थी, अपने हाथ डाल कर लंड तक पहुँच गयी.

उनका लंड ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई ठंडा गोश्त हो. मैं ने अपनी उंगलियो से उनके लंड को सहलाना शुरू कर दिया. चन्द ही लम्हों मे उनका लंड कुछ हरकत में आ गया.

मेरी उंगलियाँ उनके लंड को जगा रही थी और उनका लंड भी रफ़्ताह रफ़्ताह जाग रहा था. तभी अचानक मामा ने करवट बदली और उनका चेहरा मेरी तरफ हो गया. मैने हाथ निकाला नहीं और सहलाती ही रही.

मेरे होन्ट मामा के होन्ट के क़रीब हो गये और मेरे मम्मे उनकी छाती पर लग गये. मैने उनके होंटो से अपने होन्ट चिपका लिए और उंगलिओ से उनका लंड सहलाती रही. उनका लंड काफ़ी बड़ा हो चुका था मगर अब भी वो लेटा ही हुआ था. मैने मामा के होंटो को अपने होंटो मे ले लिया.

उनके होंटो को चूसा तो ऐसा लगा कि मेरे होंटो मैं कोई मीठी और गरम सी चीज़ आ गयी. होंटो को चूमा तो मेरा जलता हुआ जिस्म और दहक गया. मामा का लंड तेज़ी से और बड़ा हो रहा था और अब खड़ा होने लगा था. मैने अपने हाथों से लंड को पकड़ लिया. मेरे हाथों ने पहली बार किसी लंड को छुआ था. लंड इतना मोटा था कि मेरी हथेली में नहीं आ रहा था और लंबा कितना था उसका अंदाज़ा ही मुश्किल था. लंड मेरी हथैली मे ऐसा मचल रहा था कि हाथों से बाहर निकलना चाहता हो.

मामा के लंड की तपिश से मेरी हथैली गीली हो रही थी और लंड की वेन्स तैज़ी से हिल रही थी. काश मैं मामा का लंड देख सकती. मैं होंटो को चूस रही थी कि अचानक मामा की सोने वाली साँसे रुक गयीं. वो यक़ीनन जाग चुके थे लेकिन मैं डर नहीं रही थी और बिल्कुल नॉर्मल थी. मामा ने अपने हाथों से मुझे हटाना चाहा तो उनको महसूस हुआ कि मैं तो नंगी हूँ.

उनका हाथ मेरी कमर पर रुक गया. अब उनके हाथों ने मेरे जिस्म को नीचे की तरफ टटोला तो मेरा पूरा बदन ही नंगा मिला. उनका लंड और सख़्त हो गया और उन्हों ने कुछ देर तक रुकने के बाद मुझे अपने हाथों से सीने पर चिपका लिया और खुद ही प्यार करने लगे.

मेरा काम ख़तम हुआ और अब मैं मामा की मर्ज़ी पर थी. मामा मुझे प्यार कर रहे थे और अपने मज़बूत हाथों से मेरे 15 साल के सिल्की, बैदाग और गरम जिस्म को मसल रहे थे.

मैं खुश थी और मामा की आगोश में बहुत ही महफूज़ महसूस कर रही थी. मामा के बराबर पापा की ख़र्राटों की आवाज़े मुसलसल आ रही थी. मैने हाथ बढ़ा कर मामा को गले लगा लिया और कुछ ज़ोर से उनसे चिमट गयी. मामा ने अपनी हाफ पैंट उतार दी और शर्ट तो थी ही नहीं. मामा का लंड मेरी चूत पर था और मेरी थाइस के अंदर जाने की कोशिस कर रहा था.

मैने अपनी ऊपेर वाली जाँघ को ज़रा ऊपेर किया और मामा का लंड अंदर चला गया. लंड को अंदर पाया तो मैने अपनी जाँघ वापिस रख दी और मामा का पूरा लोहे की तरह सख़्त लंड मेरी जाँघ को क्रॉस करता हुआ बाहर झाँक रहा था. मामा मेरे होंटो, गालों और आँखों को चूम रहे थे और मैं भी उनको चूम रही थी जबकि उनका लंड मेरी चूत के दाने को मसल रहा था. मेरे पेरो मैं एक आग का गोला था जो अंदर ही अंदर घूम रहा था.

मैं मामा को चूमते हुए पागल हो गयी और उनके मूँह मे अपनी नाज़ुक ज़ुबान डाल दी. मामा ने मुझे अपनी बाँहो में जकड़ा हुआ था और मैं एक कंवारी लड़की मामा को अपने सीने से चिपका कर उनकी ज़ुबान को काट रही थी.मामा ने मुझे सीधा लिटा दिया और खुद मेरी टाँगों के बीच आ गये.

पूरे हॉल मे खामोशी थी और सब ही गहरी नींद सो रहे थे. मामा ने अपना लंड मेरी चूत पर रखा. मेरी चूत तो वैसे ही इतनी देर मे गीली हो चुकी थी.

उन्होने लंड को मेरी चूत पर रख कर अंदर डालने की कोशिस की. उनका तपता (हॉट) हुआ लंड मेरी चूत पर रखा तो चूत पर नई लज़्ज़त सी महसूस हुई. उनका लंड ज्योन्ही मेरी चूत के दरवाज़े को खोल कर ज़रा सा ही अंदर दाखिल हुआ तो मेरी चूत मे दर्द शुरू हो गया. ऐसा लग रहा था कि कोई पहाड़ मेरी चूत के अंदर आ रहा है.चूत में मामा का लंड फँस गया और ज्योन्ही कुछ और अंदर आया मेरी तो चीख निकल ने लगी और दर्द बर्दाश्त नहीं हो रहा था.

मैने चादर अपने मूँह में ठूंस ली जबकि मामा को कुछ पता ही नहीं था कि मुझ पर कैसी क़यामत टूट रही है. एक लम्हे को दिल चाहा कि वहाँ से भाग जाऊं लैकिन फिर सोचा कि ऐसा मोक़ा कभी नही आएगा. सोचा, आज या फिर कभी नहीं. मामा का लंड और अंदर आया और अब मेरी बर्दाश्त ने जवाब दे दिया और चादर मूँह मे ठूँसने के बावजूद एक हल्की सी चीख निकल गयी. मामा ने चीख सुनी तो एक दम मेरे ऊपेर आ गये. उन्हों ने मेर होंटो को चूमना चाहा तो वहाँ चादर थी.

वो समझ गये कि उनके लंड ने क्या कर दिया हे. उन्हों ने मेरी आँखों पर हाथ लगाया तो वहाँ आँसू बह रहे थे. मामा ने अपना मूँह मेरी आँखों पर रखा और आँसू को पीने लगे. उनका लंड अब भी वहीं था. मामा मेर ऊपेर लेटे हुवे थे और मैं उनके बोझ(वेट) के नीचे दबी हुई थी लेकिन उसकी तकलीफ़ लंड से पैदा होने वाली चूत की तकलीफ़ के सामने कुछ भी नहीं थी.मामा मुझे प्यार करने लगे और आहिस्ताः आहिस्ता लंड को अंदर डालने लगे. मेरा अंदाज़ा था कि एक इंच फी मिनिट की रफ़्तार से लंड अंदर जा रहा था.

मैने मामा को दर्द की शिदत से अपनी बाँहों मे लिपटा लिया था. मेरी चूत मे मिर्ची सी लग रही थी और लग रहा था कि कंवारी चूत लंड की वजह से टुकड़े टुकड़े(पीस) हो जाए गी. मामा के होंटो ने मेरे होंटो को चूसते हुवे मेरी तकलीफ़ देह चीखों को बंद कर दिया था. लंड अंदर जा रहा था जैसे कोई साँप(स्नॅक) अपने बिल मे दाखिल हो रहा हो. एक मुक़ाम पर आ कर उनका लंड रुक गया और मैं महसूस कर रही थी कि एक परदा है जिसने उनके लंड को रोका हुआ है.

यह मैं जानती थी कि कंवारी लड़कियों मे अक्सर एक परदा होता है. मामा का लंड रुका हुआ था और ना मालून कितना अंदर गया था और कितना बाहर रह कर अंदर जाने के लिए बैताब था. मामा ने मेरी गर्दन के नीचे हाथ डालकर मुझे और ज़ोर से अपने से चिमटा लिया और मेर दोनो होंटो को अपने मूँह में ले लिया.

मामा इसी तरह मेरे ऊपेर से ज़रा ऊपेर उठे. उनका पैर ऊपेर हुआ जिससे उनका लंड थोड़ा सा बाहर निकला और फिर उन्हों ने मेरी गर्दन को खूब ज़ोर से भींचा और फिर एक दम उन्हों ने अपने लंड को खोफ़नाक झटका दिया और मेरी चूत के पर्दे को पाश पाश (पीस) कर दिया. मेरी आँखे उबल पड़ी, मेरी चीख निकल गयी, मेरी चूत मे जैसे बॉम्ब फॅट गया. पूरा हॉल रोशन लग रहा था. मेरी आँखों में तारे नाचने लगे. मेरा जिस्म काँपने लगा और मामा का लंड पूरी तरह अंदर जा चुका था.

मैं रो रही थी और मैं अपने हाथों से मामा को धकैल रही थी. लेकिन कहाँ मैं दुबली सी सिर्फ़ 17 साल की लड़की और कहाँ लहीम शाहेम मामा. मुझे पेन नहीं बल्कि मेरा पूरा जिस्म टुकड़े टुकड़े हो चुका था. मैने मामा को अपनी बाँहों से जकड लिया और अपने होंटो को मामा के होंटो से आज़ाद कर के दर्द की शिदत से मामा के राइट साइड के शोल्डर को जो कि मेरे होंठो के क़रीब था पर अपने दाँत (टीत) गाढ (काट) दिया.

मुझ में जितनी ताक़त थी उतनी शिदत से मामा के कंधे पर अपने दाँतों को गाढ दिया. मैं उनके कंधे को इस ज़ोर से काट रही थी कि मुझे मामा के कंधे से नमकीन खून (ब्लड ) का स्वाद महसूस हो रहा था. मामा की भी दर्द के मारे सिसकियाँ निकल रही थी. इसी दोरान मुझा अपनी चूत मे से कोई गरम गरम पदार्थ बहता हुआ महसूस हुआ. यक़ीनन यह मेरी कंवारी चूत से बहता हुआ खून था जोकि रह रह के बह रहा था.

मामा मेरे मम्मों को चूस रहे थे और मैं उनके कंधे को ही काट रही थी. अब मेरे पेन में रफ़्ता रफ़्ता कमी हो रही थी. मैने मामा के होंटो पर अपने होन्ट रख दिए और उनको चूसने लगी. दर्द की कमी के बाद मेरी चूत मे सज़ा हुआ मामा का लंड अच्छा लग रहा था.

मामा ने मुझे प्यार करता हुआ पाया तो वो शायद कुछ मुत्मिन (बेफ़िक्र) हो गये और जवाब मे मुझे भी प्यार करने लगे. मैं लंड के बारे मे सोच रही थी कि कितना बड़ा होगा काश मैं देख सकती. अब मामा ने लंड को आहिस्ताः आहिस्ताः बाहर निकाल कर अंदर डालना शुरू कर दिया. मामा का खोफ़नाक लंड अब दर्द की मंज़िल तय कर चुका था और मेरे जिस्म मे हल्की हल्की लज़्ज़त और मज़ा मिल रहा था. अभी मैं इस लज़्ज़त को महसूस ही कर रही थी कि बराबर लेटे हुवे पापा का हाथ मेर सीने पर आ गया.

मेरे पापा का हाथ उनकी बेटी के सीने पर था मैं मुस्कुरा दी लेकिन वो खर्राटे ले रहे थे. मैने उनका हाथ सीने पर से हटा दिया और मामा के लंड की तरफ मुतवजह हो गयी. मामा का लंड अंदर बाहर हो रहा था और गोया कि मीठा मीठा दर्द महसूस हो रहा था लेकिन मज़ा ज़्यादा आ रहा था. आप यह हॉट हिंदी सेक्सी कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | मैं मामा को प्यार कर रही थी और वो मेरे मम्मों और होंठो को चाट रहे थे.

मैने मामा को अपनी बाँहों (आर्म्स) से क़रीब किया हुआ था. मामा के लंड में अब तैज़ी आ रही थी और मैं भी अपनी चूत से उनके लंड को अंदर बाहर कर रही थी. चारो तरफ खामोशी थी और रात की रानी ने पूरे हॉल को महका दिया था.

मैने मामा के गालों को प्यार किया और फिर उनके मूँह मे अपनी ज़ुबान डाल दी. मामा की ज़ुबान ने मेरी ज़ुबान को चूसना शुरू कर दिया और लंड ने मेरी चूत मे सेक्स की चिंगारी जला रखी थी.मामा की रफ़्तार और तेज हो गयी थी और रफ़्ताह रफ़्ताह तेज़ी मे इज़ाफ़ा हो रहा था. मैने अपनी दोनो टाँगों को मामा की कमर के गिर्द फेला दिया था और खुद भी धक्के लगा रही थी. अब हम दोनो ही एज हो गये थे. दर्द तो था लेकिन बहुत ही कम. मामा ने एक बार फिर मुझे भींच लिया और लंड की रफ़्तार खूब तेज हो गयी थी.

मेरी चूत भी लंड को पाकर पागल हो चुकी थी. मामा के लंड मे कुछ देर तक तेज़ी रही और हम दोनो के किस भी गहरे और लंबे होते गये. मामा के लंड से गरम गरम गाढ़ा पदार्थ निकला और उसने मेरी चूत के अंदर तमाम हिस्सों को भर दिया. मेरी चूत इस नयी और सेक्सी तब्दीली को महसूस कर के खुद भी निढाल हो गयी और अंदर से एक नया सैलाब बहने लगा.

मेरा पूरा वुजूद सुकून और राहत में डूब गया. मैने मामा की तरह इस लम्हे एक दूसरे को खूब ज़ोर ज़ोर से किस किया. मामा का लंड मेरी चूत के अंदर ही अपने अंदर से एक एक क़तरे को बाहर निकाल रहा था और मेरी चूत का जूस भी निकल रहा था. मामा मेरे ऊपेर लेटे हुए प्यार कर रहे थे.

मैने ऊपेर लेटे मामा की कमर पर 3 टाइम एसएसएस लिखा और वो थोड़ी देर के लिए मेरे लिखने पर कुछ रुके और फिर प्यार करने लगे. मामा का लंड अब वापिस आने लगा था और थोड़ी देर बाद जब बाहर निकला तो चूत मे बंद हम दोनो का निकला हुआ वीर्य निकल ने लगा. मामा मेरे पहलू मे आ गये और मुझे गले लगा लिया.

मैने मामा के मुक़ाबले मे उनको खूब किस किया और काफ़ी देर तक उनके साथ चिमटी रही. मैने एक बार फिर मामा के सीने पर अपनी नाज़ुक उंगलिओ से 3 बार एसएसएस लिखा यानी कि मेरा पूरा नाम समा सलमान सुरती मैने देखा कि दूर कहीं सूरज निकल रहा है. मैने मामा के होंठो पर उस रात का आखरी किस किया और नंगी ही अपने बेड पर चली गयी. मामा को शायद यह मालूम था कि नहीं कि मैं कॉन हूँ.

उन्होने हॉल में मोजूद किस लड़की की जवानी को अपने लंड से क़ुबूल किया है. मैं अपने बिस्तर पर नंगी लेटी हुई थी और खुश गवार यादें मेरी रूह मे मुस्तक़िल जगह बना चुकी थी. मेरी चूत के अंदर और बाहर अब भी हल्का हल्का दर्द था मगर सुरूर मे डूबा हुआ महसूस हो रहा था.

मैने चादर ओडी और कुछ देर बाद नींद की आगोश मे नंगी ही चली गयी. हाल मे लोगों के शोर पर उठी तो मालूम हुआ कि लोग जागना शुरू हो गये थे. मैने चादर के अंदर ही अपने कपड़े पहने और बेड पर बैठ गयी. मामा पापा और दूसरे लोगों के साथ ब्रेक फास्ट की तैयारी कर रहे थे जबकि भाई सब लोगों को जगा रहे थे.

मामा समेत काफ़ी लोगों ने अपना समान पॅक कर लिया था. चूँकि नाश्ते के बाद सब का वापिस जाने का प्रोग्राम था. मैं वॉश रूम से फारिघ् होकर मामा के पास बैठ गयी. मामा ने पूछा, रात कैसी गुज़री, नींद अच्छी से आई या नहीं. मैने कहा, ज़बरदस्त, ऐसी मुबारक रात सब को मिले. यह सुन कर सब ही मुस्कुराने लगे. भाई ने पूछा, समा ! तैराकी अच्छे से सीखली ना.

मैने जवाब दिया, बहुत कुछ सीख लिया. हम लोग घर पहुँच गये और मामा हमलोगों को छोड़ कर अपने घर चले गये. उन्हे जाते हुए देख कर मैने मुस्कुरा कर शुक्रिया अदा किया और वो मुस्कराते हुए चले गये. मैं दिल मे सोच रही थी कि अब अगली बार मामा से किस तरह मज़ा लूँगी और अब तो कोई मुश्किल भी नही.

मैं अपने कमरे मे चली गयी और शवर लेकेर सो गयी. सारी रात तो जागी थी. मैं ने तो फार्म हाउस मे अपनी ज़िंदगी की सब से सुहानी रात गुज़ारी थी. शाम को सो कर उठी और भाभी के कमरे मे चली गयी.

वो भी अभी सो कर उठी थी. शायद उन्हों ने भी भाई के साथ फार्म हाउस का लुफ्त उठाया था. भाई शवर ले रहे थे. भाभी ने मुझ से कहा, समा ! तुम पिक्कनीक के बाद कितनी खुश ओर फ्रेश नज़र आ रही हो. मैं सिर्फ़ मुस्कुरा दी. भाभी ने फार्म हाउस वाला बेग निकाला कि समान सेट कर लें और इतने में भाई हस्बे आदत बनियान और शॉर्ट पहने हुए हाथ में तोलिआ (टवल) लिए हुए आ गये. उन्हों ने मुझे देख कर पूछा, पिक्निक कैसी रही | मैं ने कहा, भाई बहुत मज़ा आया.

कहानी जारी है … आगे की कहानी पढ़ने के लिए निचे दिए पेज नंबर पर क्लिक करें ….

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बड़ी बहन के देवर से चटवाई अपनी चुत | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/koi-mil-gaya/badi-bahan-ke-devar-se-chatwai-apni-chut.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/koi-mil-gaya/badi-bahan-ke-devar-se-chatwai-apni-chut.html#respond Tue, 13 Feb 2018 07:31:41 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=11942 बड़ी बहन के देवर से चटवाई अपनी चुत, दीदी के शादी में जब उनके देवर से मै मिली हम दोनों एक दुसरे के करीब आ गए और पहली बार नींद में उसने मुझे किस किया जिससे मेरी नींद खुल गई और मै उसके मन की बात जान गई और फिर हम रात में मिले और एक दमदार चुदाई किये

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हाय दोस्तों आज मैं पहली बार अपनी कहानी को मस्ताराम की साईट पे शेयर करने जा रही हूँ उम्मीद कराती हूँ की आप सभी को जरुर पसंद आएगी. आशा कराती हूँ की ये वैलेंटाइन डे आपके लिए स्पेशल रहे आपको आपका पाट्नर मिले और अगर ऐसा हो गया तो मुझे जरुर कमेंट बॉक्स में बताये. चलिए अब कहानी पे आते है. मेरा नाम अस्फा है | मैं रहने वाली हरिद्वार की हूँ | मेरी उम्र 22 साल है | मैं ऍम एस सी कम्पलीट कर चुकी हूँ | मेरी हाईट 5 फुट 6 इंच है | मैं दिखने में काफी गोरी हूँ | मेरा फिगर देख कर किसी बूढ़े आदमी का भी लंड खड़ा हो जाये | मेरे बड़े बड़े बूब्स और मेरी पतली कमर और मेरी मस्त बड़ी गांड है | मैं किसी हुस्न की मल्लिका से कम नहीं हूँ | जिसको देख कर मेरे मोहल्ले के लड़के पागल रहते हैं |

मुझे सेक्सी कहानी पढना बहुत अच्छा लगता है | मैं सेक्सी कहानी काफी अरसे से पढ़ती आ रही हूँ और आज मुझे भी मौका मिला रहा है की मैं भी एक कहानी लेकर आई हूँ | ये मेरी पहली कहानी है और मेरे जीवन की सच्ची घटना | मेरे घर मैं 4 लोग थे | मैं और मेरे मम्मी पापा और मेरी दीदी | जिसकी अभी कुछ महीने पहले शादी हो गयी है | मेरी दीदी की शादी जयपुर से हुई है | मैं आप लोगो का ज्यादा समय न लेती हुई सीधे अपनी कहानी पर आती हूँ |

ये कहानी कुछ दिन पहले की है जब मैं गर्मी की छुट्टियों में अपनी दीदी के घर गयी थी | मैं जब वहां गयी तब मैंने वहां दीदी के देवर को देखा | जिसका नाम अरशद था | वो दिखने में काफी अच्छा था | उसकी मस्त बॉडी भी थी और काफी स्मार्ट था | जब मैंने उसे पहली बार शादी में देख था तो वो मुझे इतना अच्छा नहीं लगा था | पर जब मैंने उसको उसके घर देख तो वो मुझे बहुत अच्छा लगा था | अब मैं उसके घर पर रुकी थी और मैं कभी कभी उसे मजाक भी कर दिया करती थी | एक दिन की बात है जब मैंने उसकी गांड पर हाथ मारा तो वो ये बात मेरी दीदी से बोल दिया | तो मेरी दीदी ने मुझसे कहा की तुमने मेरे देवर को क्यूँ मारा तो मैंने भी कह दिया | दीदी तुम्हरा देवर छोटा बच्चा नहीं है मैं तो मजाक कर रही थी | वो ये बात पीछे से सुन रहा था | तब वो मुझसे बोला ठीक है अस्फा जब मैं करूँगा तब भाभी से न कहना | तब मेरी दीदी बोली तुम दोनों आपस में जानो मुझ कोई जरूरत नही है और वो ये कह कर चली गयी | उसके बाद मैं सो रही थी |

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तब अरशद आकर मेरी होठो पर किस करने लगा और मैंने भी उसके लंड को पकड कर दबा दिया | तो वो मेरे बूब्स को दाबने लगा तभी दीदी ने मुझे आवाज दी और मैं चली गयी | इस तरह से वो मेरे साथ अक्सर किया करता था | मुझे भी अच्छा लगता था | एक दिन की बाद है जब मेरी दीदी और घर के सब लोग किसी पार्टी में जा रहे थे और अरशद नहीं जा रहा था | तो मैंने भी माना कर दिया और कहा मेरा मन नहीं है जाने का आप लोग चले जाओ | सब लोग चले गए और अरशद अपने कमरे में सो रहा था | मैंने जाकर उसके कमरे के दरवजा बंद करके उसकी होठो पर अपने होठ रख कर मैं उसकी होठो को चूसने लगी और उसकी आंखे खुल गयी | वो भी मेरा साथ देते हुए मेरी होठो को चूसने लगा |

मैं उसकी होठो को चूसने के साथ उसके लंड को पेंट के ऊपर से सहला रही थी | वो मुझे किस करने के साथ में मेरे बूब्स को कपडे के ऊपर से दबाने लगा | तो मेरे मुंह से उह्ह्ह उग्ग्ग्गु ह्ह्ह्ह उह्ह्ह उफ्फ्फ अह्ह्ह उह्ह आह्ह्ह ह्ह्ह्ह ऊह्ह उफ्फ्फ उह्ह्ह उह्ह्ह उफ़ उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ अह्ह्ह उफ्फ्फ उह्ह्ह अह्ह्ह उह्ह्ह उफ़ अह्ह्ह उह्ह्ह उफ्फ्फ अहह उह्ह्ह उफ्फ्फ ऊआआ हाह्ह्ह करने लगी | वो मेरे दूधो को जोर जोर से मसलने लगा | साथ में मेरी चूत को कपडे के ऊपर से सहला रहा था | तो मेरे मुंह से उह्ह उफ्फ्फ्फ़ उह्ह्ह ह्ह्ह्ह उह्ह्ह उफ्फ्फ अह्ह्ह उह्ह आह्ह्ह ह्ह्ह्ह ऊह्ह उफ्फ्फ उह्ह्ह उह्ह्ह उफ़ उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ अह्ह्ह उफ्फ्फ उह्ह्ह अह्ह्ह उह्ह्ह उफ़ अह्ह्ह उह्ह्ह उफ्फ्फ अहह उह्ह्ह उफ्फ्फ की सिसिकियाँ लेने लगी |आप यह हिंदी सेक्स स्टोरी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |

फिर उसने मेरे कपडे निकाल दिए | मैं अब उसके सामने ब्रा और पेंटी में थी | वो मेरे दूध को ब्रा के ऊपर से मसलते मसलते मेरी ब्रा भी खोल दी | अब मेरे बड़े बड़े दूध उसके सामने आ गए और वो मेरे एक दूध को अपने मुंह में लेकर चूसने लगा | जिससे मेरे मुंह से हलकी हलकी आवाज में उह्ह्ह उफ्फ्फ उह्ह्ह उह्ह्ह उफ्फ्फ ह्ह्ह्ह उह्ह्ह उफ्फ्फ अह्ह्ह उह्ह आह्ह्ह ह्ह्ह्ह ऊह्ह उफ्फ्फ उह्ह्ह उह्ह्ह उफ़ उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ अह्ह्ह उफ्फ्फ उह्ह्ह अह्ह्ह उह्ह्ह उफ़ अह्ह्ह उह्ह्ह उफ्फ्फ अहह उह्ह्ह उफ्फ्फ उह्ह उफ्फ्फ की सिसिकियाँ निकलने लगी | वो मेरे एक दूध को मुंह से चूस रहा था और एक को हाथ से मसल रहा था | में उह्ह्हू ऊग्ग्ग्ग उफ्फ्फ उह्ह्हू ह्ह्हू ह्ह्ह्ह उह्ह्ह उफ्फ्फ अह्ह्ह उह्ह आह्ह्ह ह्ह्ह्ह ऊह्ह उफ्फ्फ उह्ह्ह उह्ह्ह उफ़ उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ अह्ह्ह उफ्फ्फ उह्ह्ह अह्ह्ह उह्ह्ह उफ़ अह्ह्ह उह्ह्ह उफ्फ्फ अहह उह्ह्ह उफ्फ्फ करती हुई अपने मुंह में अपनी ऊँगली को डाल कर चूस रही थी |

फिर उसने मेरे पहले दूध को छोड़ कर दुसरे वाले को मुंह में रख कर चूसने लगा और पहले वाले को अपने हाथ से दबने लगा | तो मेरे मुंह से उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ उह्ह्हह्ह अह्ह्ह उह्ह्ह उफ्फ्फ ह्ह्ह्ह उह्ह्ह उफ्फ्फ अह्ह्ह उह्ह आह्ह्ह ह्ह्ह्ह ऊह्ह उफ्फ्फ उह्ह्ह उह्ह्ह उफ़ उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ अह्ह्ह उफ्फ्फ उह्ह्ह अह्ह्ह उह्ह्ह उफ़ अह्ह्ह उह्ह्ह उफ्फ्फ की सिसिकियाँ लेते हुए अपनी चूत को सहलाने लगी | वो मेरे दोनों दूधो को एक एक करके चूस रहा था | कुछ देर तक वो मेरे दोनों दूध को चूसता रहा |

फिर वो मेरी पेंटी को निकाल कर मेरी टांगो को थोडा से फेला कर उसने अपना मुंह मेरी चूत में घुसा कर मेरी चूत को चाटने लगा | तो मेरे मुंह से अह्ह्ह्ह उह्ह्ह आःह्ह की आवाज निकल गयी | वो मेरी चूत में अपनी जीभ को घुसा कर अन्दर बाहर करने लगा जिससे मेरे मुंह से उह्ह्हह्ह उह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह करती हुई अपने बूब्स को मसल रही थी | वो मेरी चूत को चाटने के साथ मेरी चूत में अपनी ऊँगली भी घुसा दी |

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तो में उह्ह्ह उफ्फ्फ उय्य्य उफ्फ्फ्फ़ करने लगी | वो मेरी चूत में अपनी ऊँगली को जोर जोर से अन्दर बाहर करने लगा जिससे मेरी मुंह से हलकी हलकी आवाज में उफ्फ्फ ऊह्ह उफ्फ्फ की सिसिकियाँ लेते हुए अपनी बूब्स को मसलने लगी | वो मेरी चूत को कुछ देर तक चाटता रहा | फिर अपने कपडे निकाल कर अपने लंड को हिलाने लगा | तो मैंने उसके लंड को अपने हाथ में पकड़ कर मुंह में रख कर चूसने लगी | तो उसके मुंह से ह्ह्ह्ह उह्ह्ह उह्ह्ह करने लगा | मैं उसके लंड को अपने मुंह में अन्दर बाहर करते हुए चूस रहा थी | वो अह्ह्ह उह्ह्ह करते हुए मेरे सर को पकड कर मेरे मुंह में धीरे धीरे धक्के मारने लगा | फिर वो मेरी टांगो को फेला कर मेरी चूत के मुंह पर रख कर मेरी चूत में लंड को घुसा कर अन्दर बाहर करने लगा | तो मेरे मुंह से अहह उह्ह्ह उफ्फ्फ करते हुए चुदने लगी | वो जोर जोर के धक्के के साथ मेरी चूत को चोद रहा था |

मैं उह्ह्ह उफ्फ्फ करते हुए चुद रही थी | वो अपने लंड से मेरी चूत को फुल स्पीड से चुदने लगा | वो मेरी चूत में अन्दर बाहर करते हुए मेरी चूत को चोद रहा था | मैं ह्ह्ह्ह उह्ह्ह उफ्फ्फ अह्ह्ह उह्ह आह्ह्ह ह्ह्ह्ह ऊह्ह उफ्फ्फ उह्ह्ह उह्ह्ह उफ़ उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ अह्ह्ह उफ्फ्फ उह्ह्ह अह्ह्ह उह्ह्ह उफ़ अह्ह्ह उह्ह्ह उफ्फ्फ अहह उह्ह्ह उफ्फ्फ करती हुए अपने चूत को हिला हिला कर चुदने लगी |आप यह हिंदी सेक्स स्टोरी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | वो मेरी चूत में अन्दर बाहर करते हुए चुद रहा था और मैं ह्ह्ह्ह उह्ह्ह उफ्फ्फ अह्ह्ह उह्ह आह्ह्ह ह्ह्ह्ह ऊह्ह उफ्फ्फ उह्ह्ह उह्ह्ह उफ़  उफ़ अह्ह्ह उह्ह्ह उफ्फ्फ अहह उह्ह्ह उफ्फ्फ उह्ह्ह उफ्फ्फ अहह करते हुए अपनी चूत को आगे पीछे करते हुए चुद रही थी वो मेरी चूत को अन्दर बाहर करते हुए चुद रहा था | वो 35 मिनट की मस्त चुदाई के बाद अपने लंड को मेरी चूत से निकाल कर मेरी चूत के ऊपर मुठ मारने लगा और कुछ दी देर में उसके लंड ने सारा माल मेरी चूत के ऊपर निकाल दिया |

इस तरह से मैंने अपनी दीदी के देवर से अपनी चूत की मस्त चुदाई करवाई | मैं उम्मीद करती हूँ की आप लोगो को मेरी कहानी पसंद आई होगी और मज़ा भी आया होगा | मेरी कहानी पढने के लिए धन्यवाद |

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बीबी से पहले सास के साथ मनाया सुहागरात | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/rishto-me-chudai/bibi-se-pahale-sas-ke-sath-manaya-suhagraat.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/rishto-me-chudai/bibi-se-pahale-sas-ke-sath-manaya-suhagraat.html#respond Sat, 03 Feb 2018 13:25:11 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=11883 बीबी से पहले सास के साथ मनाया सुहागरात, ये कहानी मेरी शादी से पहले की है जिसमे एक तांत्रिक की वजह से मुझे मेरी सास को चोदना पीडीए पहले सुन के बुरा लगा लेकिन जब मैंने अपनी सास को अपनी शादी से पहले चोदा तो मुझे लगा जो हुआ बहुत ही अच्छा हुआ

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मेरे प्यारे दोस्त आज मैं आपको एक कहानी सुना रहा हु, जो की मेरे शादी के दिन की है, एक तांत्रिक की वजह से मैं अपने सास के साथ सुहागरात मनाया, पर अच्छा हुआ, इसके पहले मैंने कभी चूत का मज़ा नहीं लिया था और उस दिन ऐसा मौका आया की सुहागरात के दिन मैंने अपनी ही सास के साथ सेक्स किया और दूसरे दिन मैंने अपने वाइफ का पर आप सच मानिये मेरे दोस्त मुझे सास को चोदने में बहुत मजा आया था, उसकी चूत आज भी टाइट थी. चूचे उनका टाइट और गोल गोल है रंग गोरा, लम्बी और होठ गुलाबी, चलती है तो चूतड़ ऐसे हिलता है की लंड महाराज भी खड़ा होके सलामी ठोकते नजर आते है,

मेरे ससुर जी का देहांत हुए 19 साल हो गया है, मेरी वाइफ सास ससुर की अकेली संतान है, धन दौलत की कोई कमी नहीं है, सासु माँ ने बड़े लाड प्यार से पाला, किसी चीज की कभी कोई कमी नहीं होने दी, मेरी वाइफ देखने में बड़ी ही खूबसूरत और मॉडर्न है, गोरी लम्बी सेक्स पार्ट तो मत पूछो यार, वो 24 साल की है, मेरी सास की उम्र 43 की है पर मेरी सास और वाइफ एक जैसी ही लगती है.

मेरी शादी हुयी एक मंदिर बंगाल में, मैंने अपने माँ बाप से छुपा के शादी किया, क्योंकी मैं सपना को पसंद करता था पर मेरे माँ पापा इसके लिए राजी नहीं थे. शादी हो गयी मैंने किराये के मकान में रहता था और मेरी सास को अपना वसंत कुञ्ज में फ्लैट है, मैं उनके यहाँ ही चला गया.

अब मैं असल कहानी पे आता हु, मैं रोज दूसरे की कहानी पढ़ा करता था पर मुझे आज लगा की मैं भी अपनी कहानी पोस्ट करूँ जो आपके सामने है, दिन में २ बजे के करीब कोर्ट में शादी हो गयी, फिर मंदिर में आके फेरे ले लिए, शादी बड़ी ही गुपचुप तरीके से ही हुयी थी, शाम को हम लोग एक फाइव स्टार होटल में खाना खाए और घर के लिए निकल पड़े, अचानक मेरी वाइफ का तबियत ख़राब हो गया, वो बेहोश हो गयी तुरंत उसको हॉस्पिटल ले गया, हॉस्पिटल पहुँचते पहुँचते वो बेहोश हो गयी, डॉक्टर ने बोला की ये बेहोशी करीब १२ घंटे तक रहेगा, आई सी यु में भर्ती करवा दिया, मेरी सास्सू माँ और मैं खुद बहुत बैचेन थे, डॉक्टर ने कहा की अब आप लोग नहीं मिल सकते है सुबह के आठ बजे तक, तो सासु माँ बोली बेटा घर ही चलो यहाँ तो रहने भी नहीं दे रहे है, मिल भी नहीं सकते घर वह से २०० मीटर की दुरी पर ही था तो हमलोग घर आ गए.

सासु माँ बोली की क्या हो गया है, आज तुम्हारे ज़िंदगी का सबसे ख़ुशी का दिन था, सुहागरात का पर होनी को कौन टाल सकता है बेटा और रोने लगी, मैंने चुप करने जैसे ही आगे बढ़ा वो मेरे में लिपट गयी और रोने लगी, मैं समझाता रहा पर वो रोये जा रही थी मैंने अपने सीने से चिपका लिया था, उनकी चूचियाँ मेरे सीने से चिपक के आधा बाहर निकल रहा था पीठ सहलाते सहलाते मेरा लंड खड़ा होने लगा, ये एहसास मेरे सास को भी हो गया था मुझे ठीक नहीं लग रहा था की पता नहीं ये क्या सोचेगी पर हुआ इसका उल्टा.

वो मेरे गाल को किस करने लगी फिर होठ को किश करने लगी, वो अपने चूत की जगह के मेरे लंड के पास सटा दी इससे मुझे और भी सिहरन होने लगी, फिर वो मेरे पीठ को सहलाने लगी, वो किश करते ही जा रही थी, मुझसे भी रहा नहीं गया और मैं भी उनको किश में शामिल हो गया, अब दोनों तरफ से किश और सहलाना सुरु हो गया, अचानक वो घूम गयी, उनका गांड मेरे लंड के पास आ गया मैंने उनके गांड में लंड सटा दिया, वो आगे से मेरे हाथ को पकड़ के चूच के पास ले गयी और, दबाने के लिए कहने लगी, मैंने चूच को दबाते दबाते उनके नाभि में ऊँगली घुसाने लगा, फिर मैंने साडी के ऊपर से ही चूत को सहलाने लगा.

वो आअह आआह आआह आआह करने लगी, और बोली बेटा आज तो सपना नहीं है बेटा आज तू मेरे साथ ही सुहागरात मना ले, वो मुझे हाथ पकड़ के बेड रूम में ले गयी, और मेरे कपडे उतार दिया और खुद लेट गयी मैंने उनके ब्लाउज का हुक खोला और ब्रा के ऊपर से ही चूच को दबाने लगा वो हाथ ऊपर कर दी कांख में काले काले बाल थे मैंने जीभ से कांख के बाल को चाटने लगा, फिर वो खुद ही ब्रा का हुक पीछे से खोल दी ओह्ह्ह्ह माय गॉड बड़ा बड़ा गोल गोल टाइट चूच हवा में लहराने लगे मैंने तो जोश में आ गया और उनके दोनों चूच को बारी बार से पिने लगा, आआह आआअह उफ्फ्फ्फ्फ़ पि ले बेटा पि ले, आआअह आआआह हाय वो इस तरह से आवाज निकाल रही थी.

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मैंने सरक के निचे हो गया और जीभ उनके नाभि में डालने लगा वो सिहर रही थी कह रही थी और खिल खिला के हँस रही थी कह रही थी हटो ना प्लीज गुद गुदी हो रही है, मैं फिर सरक के निचे हो गया और पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया ओह्ह्ह्ह, ब्लैक कलर की पेंटी मैंने सूंघने लगा, वो फिर से खिलखिला के है रही थी, मैंने पेंटी उतार दी, वो अपने हाथ से चूत को छिपा ली, बोली मेरा गिफ्ट सुहागरात का, मैंने अपने वाइफ के लिए एक सोने का चेन ले गया था मैंने पहना दिया,

फिर मैंने उनका हाथ चूत से हटा के पैर को अलग अलग किया थोड़े थोड़े बाल थे, चूत को हाथ लगाया वो गरम था चिपचिपा हो चूका था, मैंने उनके चूत के चाटना सुरु किया, करीब ५ मिनट तक चाटा तो सास बोली मुझे और ना तड़पाओ मुझे भी तुम्हारा लंड अपने मुह में लेने है, पर मैं अभी उनके चूत को नहीं छोड़ सकता मुझे चाटना था मुझे काफी अच्छा लग रहा था, तभी मुझे याद आया की 69 पोजीशन जिसमे लंड पार्टनर के मुह में और चूत दूसरे पार्टनर में मुझ के पास बस मैं घूम गया मेरा लंड उनके मुह में था और मेरा मुह उनके चूत के पास बस दोनों एक दूसरे को चाटने लगे, इस विच एक गहरी सांस और अंगड़ाई लेते हुए मेरी सास झड़ गयी, तभी मेरी सास मेरे लंड जो जोर जोर से चूसने लगी और मैं भी झड़ गया पूरा वीर्य उनके मुझ में भर गया, वो पि गयी बोली काफी नमकीन है.

अब मेरी सास उठी और फ्रीज़ से अंगूर लायी दोनों मिलकर अंगूर खाने लगे, दोनों नंगे थे, एक दूसरे को पकड़ के लेटे रहे फिर धीरे धीरे सहलाना सुरु किया मेरा लंड महाराज खड़ा हो गया अब मैं अपने सास के दोनों पैर को उठाया और बीच में लंड को रखा और घुसेड़ दिया, सासु माँ की चीख निकल गयी, बोली धीरे धीरे किसी वर्जिन से कम नहीं हु, आराम से करो, फिर मैं कहा रुकने बाला और वो कहा रुकने बाली, वो गांड उठा उठा के और मैं ऊपर से धक्के पे धक्का देने लगा, वो आअह आअह आअह आअह उफ्फ्फ उफ्फ्फ्फ़ उफ्फ्फ आॉच आउच करने लगी, फिर क्या था मैं नव सीखिये और मेरी सास अनुभवी वो मुझे अलग अलग पोज में चुदवाने लगी, इस तरह से हम दोनों रात भर चुदाई करते रहे, अब मेरी बीवी भी घर आ गयी है, हम तीनो सुखी बैवाहिक जीवन बिता रहे है,

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काले घुंघराले बालों के बीच गुलाबी मुलायम चूत की चुदाई | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/chudai-ki-kahani/kale-ghugharale-baalo-ke-bich-gulabi-mulayam-chut-ki-chudai.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/chudai-ki-kahani/kale-ghugharale-baalo-ke-bich-gulabi-mulayam-chut-ki-chudai.html#respond Fri, 19 Jan 2018 16:28:06 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=11731 मैने बोला मैडम मैं झड़ने वाला हूं तो उन्होने मुझे खड़ा कर दिया और खुद भी मेरे ऊपर से हट गयी । बोली-आओ राजा मेरी ज़बान पर गिरा दो । वो मेरे लंड के पास मुंह खोल कर ज़बान निकाल कर बैठ गयीं ।

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दोस्तों यह सच्ची कहानी है जो मेरे भाई लोगो का लंड खड़ा कर देगा और बहनों की चुत को गीली कर देगा | बात उन दिनो की है जब मैं 12th की बोर्ड की परीक्षा देकर फ़्री हुआ था और रिजल्ट आने में तीन महीने का समय था । ये वो समय होता है जब हर लड़का अपने लंड के प्रति आकार्षित रहता है साथ-साथ बढ़ती हुई काली-काली घुंघराली झांटे उसका मन जल्दी से किसी नशीली चूत का रस पान करने को प्रेरित करती हैं ।

मैने फ़्री टाइम को सही इस्तेमाल करने के लिये एक इंगलिश स्पीकिंग कोर्स ज्वाइन कर लिया । हमारे घर से थोड़ी दूर पर एक नये इंगलिश कोचिंग सेंटर खुला था जहां मैं अपना एडमीशन लेने पहुंच गया ।

मेरी किस्मत अच्छी थी | वहां जाते ही मेरा सामना एक कमसिन, अल्हड़, मदमस्त, जवान, औरत से हुआ जो पता चला वहां की टीचर है । उसके गोरे-गोरे तन बदन को देखते ही मेरा तो लौड़ा चड्ढी में ही उचकने लगा । उसकी खुशबूदार सांसो ने मन मे तूफ़ान पैदा कर डाला था । मन तो उसके तुरंत चोदने को कर रहा था पर क्या करता वहां तो पढ़ने गया था ।

एडमीशन देते हुए वो भी मुझे आंखों ही आंखों में तौल रही थी । वो २७ साल की भरे बदन वाली मैडम थी । शादी-शुदा, उसकी दोनो बूब्स (चूचियां) आधा किलो की थी और उसके गद्देदार मोटे चूतड़ (गांड) उभार लिये संगमरमर की मूरत से तराशे हुए हिलते ऐसे लगते थे जैसे कह रहे हो- “आजा राजा इस गांड को बजा जा” मैने एडमीशन लेकर पूछा “कितने बजे आना है मैडम?”

वोह मुस्करा कर बोली “सुबह ७ बजे आना।” “साथ क्या लाना है?” “वो बोली एक कोपी बस” । मैं घर वापस आ गया पर सारी रात सुबह होने के इंतज़ार में सो न सका । रात भर मैडम की हसीन मुस्कान और चेहरा सामने था । मैं बार-बार उनके ब्लाउज़ में कैद उन दो कबूतरों का ध्यान कर रहा था जो बाहर आने को बेताब थे । उनकी चूत कैसी होगी? गुलाबी चूत पे काला सिंघाड़ा होगा |

उनकी चूत का लहसुन मोटा होगा या पतला, मुलायम मीठा या नमकीन, कितना नशा होगा उनके चूत के रस में? उनकी बुर की फांके गुलाब की पत्तियों सी फैला दूं तो क्या हो? ये कल्पना और मदहोश कर रही थी जिससे मेरे लंड फूल कर लम्बा और मोटा हो गया था और मेरी चड्ढी में उसने गीला पानी छोड़ दिया । अगले दिन सुबह, जल्दी से नहा कर मैं इंगलिश की कोचिंग में टाइम से पहुंच गया ।

उस क्लास में और भी कुछ हसीन लड़कियां थीं । कुछ खूबसूरत शादी-शुदा औरतें भी थी जो हाई क्लास सोसाइटी में अपनी धाक जमाने के लिये इंगलिश सीखना चाह रही थीं ताकि हाई क्लास की रंगीनियों का मज़ा उठाया जा सके ।

मैं पीछे की सीट पर बैठ गया । थोड़ी देर में मैडम वहां आयी और गूड मोर्निंग के साथ मुझ पर नज़र पड़ते ही बोली –“तुम आगे आकर बैठो” । उनके कहने पर मैं आगे की सीट पर बैठ गया । वो सबको अपना परिचय हुए बोली – हाय मै निशा हूँ ।

अब आप लोग अपना परिचय दीजिये । हम सबने अपना-अपना परिचय दिया । फिर वो ब्लैक बोर्ड की तरफ़ मुड़कर लिखने लगी । जैसे ही वो मुड़ी उनकी गांड मेरे सामने थी और मन फिर उनकी गांड मारने के ख्याल में खो गया । क्या करुं जवानी १८ साल की कहां शांत रहती । वो बहुत सुंदर लाइट कलर की साड़ी पहने थी । लाइट पिंक ब्लाउज़ के नीचे उनका काला ब्रा साफ़ दिख रहा था । साड़ी के पल्लु से उनकी चूची का बोर्डर जीभ पे पानी ला रहा था । लालच मन में जगा रहा था ।

दोनो चुचियों के बीच की गहरी लाइन ब्रा के ऊपर से लंड को मस्ती दिला रही थी । वो मुड़ कर वापस क्लास को बोलने लगी ग्रामर के बारे में और मेरे एकदम पास चली आयी । मैं बैठा था और वो मेरे इतने करीब खड़ी थी कि उनका खुला पेट वाला हिस्सा मेरे मुंह के पास आ चुका था जिसमे से उनकी गोल-गोल गहरी टोंडी (नाभि) की महक मेरे नथुनो मे मीठा ज़हर घोल रही थी । फिर उनका पेन हाथ से गिरकर मेरे सामने टपक गया जिसे लेने वो नीचे झुकी तो दोनो चुचियां मेरे मुंह के सामने परस गये ।

उस दिन क्लास ऐसे ही चलता रहा । फिर जब क्लास खत्म हुआ तो जब सब चलने लगे तो मैडम ने मुझे रुकने को कहा । मैं अपनी कुरसी पर बैठा रहा । सबके चले जाने के बाद मैडम मेरे पास आयी और बोली-“ हेंडसम लग रहे हो” मैने कहा “थैंक यू” । तुम अभी क्या करते हो? मैं बोला- अभी १२वीं का एक्साम दिया है अब मैं फ़्री हूं । मैडम बोली –मतलब अब तुम बालिग (एडल्ट) हो गये हो।” “यस मैडम”, मैं बोला । “हूऊऊऊउम…… । वो कुछ सोच कर बोली, तुम्हारा केला तो काफ़ी काफ़ी बड़ा है ।

‘केला???’ मैं समझ तो गया था कि मैडम मेरे लंड की तरफ़ इशारा कर रही हैं पर मैं अंजान बना रहा । मैने पूछा किस केले की बात कर रही हैं आप? “अरे अब इतने अंजान मत बनो मेरे राजा, तुम्हारा लौड़ा जो काफ़ी बड़ा है और जो इस पैंट के नीचे से फूल कर बाहर हवा खाने को बेताब है । शायद इसने अभी तक गुझिया (चूत) का स्वाद नहीं चखा ।

असल में मैं क्लास जल्दी पहुंचने के चक्कर में नहा कर पैंट के नीचे अंडरवियर पहनना भूल गया था जिससे मोटा लौड़ा तन कर पैंट में अपनी छाप दिखा रहा था । मैडम को फ़्री और फ़्रेंक होता देख कर मैने भी कह दिया “हां मैडम अभी तक किसी की चूत का स्वाद नहीं चखा है।” वो बोली शनिवार की सुबह ६ बजे मेरे घर आ सकते हो, मैं अकेली रहती हूं । दर असल मेरे पति नेवी में हैं और हमारे कोई औलाद नहीं हैं । तुम आजाओगे तो मुझे कम्पनी हो जायेगी ।

मैने फ़ौरन हामी भर दी । मैं जानता तो था कि मैडम को मेरी कम्पनी क्यों चाहिये थी । उनको अपनी बुर की खुजली मिटानी थी और फिर जब पति नेवी में गांड मराये तो पत्नी दिन भर जब टीचिंग से लौट कर आये तो चूत चोदने को कोई लौड़ा तो चाहिये ही ।

इसमे कुछ गलत नहीं हैं । हर औरत की, हर लौंडिया की चूत में गरमी चढ़ती है और उसकी चूत की आग सिर्फ़ और सिर्फ़ लंड ही शांत कर सकता है । सारी रात मैडम का ध्यान कर मैं सो न सका । सुबह घड़ी में अलार्म लगा दिया ५ बजे का । मम्मी भी सुबह अलार्म की आवाज़ से उठ गयी और बोली इतने सुबह कहां जा रहे हो?? मैने कहा सुबह रोज़ अब मैं जल्दी उठ कर जोगिंग करने जाउंगा और फिर वहीं से क्लास अटेंड कर वापस आउंगा । अब उनसे क्या कहता कि मैडम की चूत की खुजली शांत करने जा रहा हूं ।

सुबह चाय पीकर मैं तुरंत टैक्सी कर मैडम के पते पर कोपी लिये पहुंच गया । डोरबेल की घंटी बजायी तो थोड़ी देर बाद मैडम ब्लैक नाइटी पहने मुस्करा कर दरवाजा खोलती नज़र आयी । उनके नाइटी के दो बटन ऊपर के खुले थे और ब्रा नहीं पहने होने के कारण दोनो चूचियां मुझे साफ़ दिख रहीं थीं । नीचे पेटीकोट भी नहीं था क्योंकि उन्होने मेरा हाथ कमर पे रख मुझे अंदर बुलाया जिससे उनका बदन मेरे हाथ में आ गया था । सामने खुला हुआ सीना मेरे दिल की धड़कन बढ़ा रहा था ।

वो मुसकरा कर बोली अब ऐसे ही खड़े-खड़े मेरी सूरत देखते रहोगे या मुझे अपनी बाहों में उठा कर बिस्तर पे भी ले चलोगे । मेरी जवानी कबसे मोटे लंड की आग में जल रही है, मेरी जवानी के मज़े नहीं लूटोगे ???

मैने तुरंत कोपी पास पड़ी टेबल पर फेंक दी और मैडम को झट से अपनी बाहों में उठा लिया । उनके खुले बाल मेरे हाथ पर थे और उन्होने मेरे होंठों को अपने लिप्स में कैद कर लिया । उनका बेडरूम सामने ही था । मौसम थोड़ा गरम था इसलिये मैं उनको पहले बाथरूम में ले आया जहां उनको थोड़ा नहला कर मालिश कर गरम कर सकुं । मैने मैडम को बाथरूम में खड़ा कर दिया और फिर उनकी काली नाइटी के ऊपर से पूरा मांसल बदन दबाया फिर सहलाया । उनके हाथ ऊपर कर उनकी काली नाइटी धीरे से उतार दी । अब वो पूरी नंगी मेरे सामने खड़ी थी ।

दूधिया बदन गोरी-गोरी-मोटी चूचियां और हल्के काले घुंघराले बालों के बीच गुलाबी मुलायम चूत । मैने शोवर चालु कर दिया पानी ऊपर से नीचे हर अंग को भिगो रहा था । मैने उनको चूमना चाटना शुरु कर दिया । होंठों से होंठ फिर गाल सब पर जीभ फेर कर मज़ा देता गया । दोनो चूचियां बार बार दबा कर निप्पलों को मुंह में भर लिया । उनके पिंक निप्पल मोटे और बहुत सोफ़्ट थे ।

जीभ निकाल कर गोल-गोल निप्पल पर घुमा कर चाट कर पिया । वो आअह्हह्हह…।।उह्हह्हह…ईईस्सस्सस…मज़ा आ गया बोली । और पियो ये निप्पल कब से तरस रहे थे कि कोई इनको पिये । मैने कस कर चूची मर्दन किया दबा दबा कर निप्पलों उकेर कर दोनो निप्पलों पर जबान से खूब खुजली की । मैडम भी अपनी जीभ निकाल कर मेरे जीभ के साथ अपने निप्पलों चाट रहीं थी । उनकी चूचियां फूल कर बड़ी हो गयी थी और मैं नीचे उनके नाभि पर आ गया था ।

गोल नाभि की गहरायी नापने में २ मिनट लगा इससे पहले चूचियों का मसाज और निप्पलों को चूस कर १० मिनट तक उनको प्यार के नशे में डुबाता चला गया । इस क्रिया से मेरा लौड़ा भी नागराज की तरह फुंकारता हुआ खड़ा हो कर ७इंच का हो चुका था जिस पर मैडम का हाथ पहुंच गया था ।

मैने धीरे से मैडम को बाथरूम के फ़र्श पर लिटाया ताकि उनकी चूत खुल कर मेरे सामने आ सके और मैं उनकी गुलाबी गुझिया में उंगली डाल सकूँ । मैं धीरे से उनकी चूत का रस पीने के इरादे से नीचे गया ।

उनकी झांटों पर पड़ी पानी की बूंदों ने मुझे उनके झांटों पर चांदी की तरह चमकती बूंदों को पीने की चाह जगा दी । मैं उनकी काली, मुलायम घुंघराली झांटों को अपने होंठों में कैद कर अपने लिप्स से पीने लगा । उनकी जब झांटें खिंचती तो वो अह्हह्हह्हह्हह्हह्हह्ह……।।ऊऊऊऊऊह्हह्हह …।।ह्हहाईईइ………।ज्जज्जजाआअन्नन्नन्नन्नन्न…।।स्सस्सस्सस्सस्सस्सस्सस… करती जिससे मेरा लंड और कड़क हो जाता । उनकी झांटों से पानी साफ़ करने के बाद मैने दोनो उंगलियों से उनकी चूत की गहरायी को नापा मतलब दोनो उंगलियां अंदर गुलाबी छेद में डाल दी गहरायी तक । फिर जीभ पास लाकर उनके चूत का क्लिट अपने मुंह में पकड़ कर लिया ।

करीब १० मिनट तक उनकी नशीली चूत का रस अपनी जीभ से पीता रहा और उनकी गरम चूत में अपनी जीभ चलाता रहा । ऊपर से नीचे फिर नीचे से ऊपर और फिर जीभ को कड़ा कर अंदर बाहर भी ।

जीभ से चूत रस चाटते वक्त मैने एक उंगली नीचे खूबसुरत से दिख रहे गांड के छेद पे लगा दी । उनको तैयार कर मैने अपना अंडरवेअर उतारा जिससे मैडम बाथरूम के फ़र्श पर उठ कर मेरे ऊपर मेरी तरफ़ गांड कर ६९ की पोजीशन में लेट गयी और मेरा लंड अपने मुंह में डाल लिया ।

मैं मैडम की चूत मैं नीचे से पीछे से जीभ डाल कर उनका रस चाटे जा रहा था और मैडम को मेरा गुलाबी सुपाड़ा बहुत मज़ा दे रहा था । वो बच्चो की तरह उसे चूसे जा रहीं थी । क्योंकि उनको लंड बहुत दिनो बाद नसीब हुआ था । मेरा तना लंड उनको बहुत मज़ा दे रहा था वो ५ मिनट तक मेरा लौड़ा अपने होंठों में कैद कर चूसती रहीं जीभ से लंड के सुपाड़े को चाट-चाट कर लाल कर दिया था और लंड तन कर रोड की तरह पूरा कड़ा हो गया था पर मैडम छोड़ ही नहीं रहीं थी ।

मैने बोला मैडम मैं झड़ने वाला हूं तो उन्होने मुझे खड़ा कर दिया और खुद भी मेरे ऊपर से हट गयी । बोली-आओ राजा मेरी जीभ पर गिरा दो । वो मेरे लंड के पास मुंह खोल कर जीभ निकाल कर बैठ गयीं ।

मैने अपने हाथ से हिला कर जल्दी से अपना सारा गरम गरम शहद उनकी जीभ पे गिराया जिसे उन्होने अपनी आंखे बंद कर जन्नत का मज़ा लिया । वो मेरे गरम वीर्य की आखिरी बूंद तक चाट गयी । फिर उन्होने अपना मुंह धोया और मुझे बोली अब मुझको बेडरूम में ले चलो राजा । मैं भी उनकी चूत चोदने को बेताब था ।

मैने उनको उठा लिया और बेड पर चित लिटा दिया । उनकी दोनो गोरी टांगो को खूब फैला दिया ताकि उनकी गुलाबी चूत मेरे सामने खुल जाये और मुझे उनकी चूत को चाटने में ज़रा भी कठिनाई न हो । वो फिर से मेरे लंड को अपने हाथ से पकड़ कर आगे पीछे हिलाने लगी । उनके ये करने से मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा ।

मैने उनकी नशीली चूत को चाट कर अपने थूक से चिकना किया । वैसे उनकी चूत बहुत मक्खन सी मुलायम और मलमल सी चिकनी थी । वो गरम-गरम मलाई से भरपूर चूत मुझे अब जन्नत सी लग रही थी जिसको अब चोदना बहुत ज़रूरी हो गया था । मेरे लप-लप कर उनकी चूत को चाटने से वो अपने मुंह से सी…सी…ऊऊऊओ…। अह्हह्हह्हह्हह्ह कर रही थी । बोली मेरे राजा जल्दी से अपना ७ इंच का शेर मेरी प्यार की गुफ़ा में घुसा दो । जल्दी से इस चूत की खुजली शांत करो । बहुत तड़प रहीं हूं । मैने जल्दी से उनकी गोरी मांसल जांघो को दूर दूर किया और लौड़ा पकड़ कर अपना सुपाड़ा चूत के मुंह पे टिका कर सहलाया । फिर एक धीरे से ज़ोर लगाया जिससे लंड गप की आवाज से अंदर गरम गरम चूत में अंदर तक समा गया । वो आंखें बंद कर मस्त होने लगी । मैं बोला निशा तुम बहुत मस्त हो ।

वो मुस्कुरा दी । मैने अपने लंड का वेग बढ़ा दिया । लंड जल्दी जल्दी अंदर बाहर चलने लगा । लंड पूरे ज़ोर से अंदर बाहर आ जा रहा था जिससे निशा की चूचियां भी हिल रही थीं । दोनो बूब्स को मैने हाथ में भर कर मसलना शुरु कर दिया था और उनके निप्पल भी अपने होंठों में चूसने लगा । निशा की जवानी लूट कर १० मिनट तक गरम लंड रोड सा उसकी बुर को फाड़ता रहा ।

फिर मैने उसकी चूत से लंड बाहर निकाला और अपना गरम वीर्य उसकी चूत के ऊपर और टोंढी के छेद में डाल दिया । अब वो शांत हो चुकी थीं और मेरा पहला प्यार का क्लास १ घंटे में खतम हुआ था । सेक्स की इस कक्षा में मुझको मज़ा मिला था । अनोखा मज़ा ।

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सपनो की दुनिया में चुदक्कड़ लौंडियो की चुदाई | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/strange-wonderful/sapno-ki-duniya-me-chudkkad-laundiyo-ki-chudai.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/strange-wonderful/sapno-ki-duniya-me-chudkkad-laundiyo-ki-chudai.html#respond Sun, 24 Dec 2017 04:09:58 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=11480 सपनो की दुनिया में चुदक्कड़ लौंडियो की चुदाई, मैं नीचे लेट गया और वो मेरे उपर आ गयी और मैं उसके चुतडो को हाथों से पकड़कर उसे उपर नीचे कर रहा था थोड़ी देर बाद उसे भी समझ आ गयी और मज़ा आने लगा फिर वो खुद ही उछल-उछल कर मुझे चोदने लगी मेरा माल निकलने लगा तो मैने उसकी चूत में ही अपना माल छोड़ दिया लॅकिन वो उछलती रही और मेरे गरम माल को अपनी चूत के अंदर महसूस करके उसे मॅजा आया तो मैने देखा की उसका शरीर अकड़ रहा है मैं समझ गया मैने भी तेज धक्के लगाने शुरू कर दिए

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आज मैं आपके साथ अपना इक एक्सपीरियेन्स शेयर करना चाहता हूँ. मैं 22 साल का हूँ. मेरा इक दोस्त धीरज है. उसका घर मेरे साथ ही है. मेरा सबसे अच्छा दोस्त है. धीरज के चाचा नेपानगर में रहते थे. वो जून-जुलाई की छुट्टियों में वहाँ जाता था. उसने मुझे भी साथ ले जाने की बहुत कोशिश की लकिन मैं स्टडीस में बिज़ी रहता है. असाइनमेंट्स पूरे करता था. इक बार मैं उसको मना नही कर पाया. हम दोनो उसके चाचा के पास चले गये. वो गावों पहाड़ो में था. हर तरफ जंगल ही जंगल था. बहुत कम लोग वहाँ रहते थे. वहाँ पहुँच कर उसने मुझे पूरा जंगल दिखाया लकिन शाम होने से पहले वो मुझे वापिस ले आया. इसका कारण था की गावों वाले मानते थे कि अगर रात को कोई जंगल में जाता है तो उसे पारियाँ उठा के ले जाती है और वो कभी वापस नहीं आता.

कई गावों वालों ने ऐसी ही अपने घर में हुई घटनायों की बात बताई.मैं तो डर गया.धीरज ने बताया कि वो पारियाँ सिर्फ़ कुंवारे लड़के ही चाहती हैं. उसने बताया की पारियाँ लड़कों को उठा कर अपने पॅलेस में ले जाती है और वहाँ वो उसके साथ सेक्स करती हैं. मैं डर गया था लेकिन सेक्स की बात सुनकर वो भी परियों के साथ मुझे काफ़ी अच्छा लगा. हम अंदर रज़ाई डालकर सो गये. मैं परियों के बारे में ही सोच रहा था. मुझे पता नहीं लगा कि कब मुझे नींद आ गयी.मैने सपने में देखा कि मैं और धीरज जंगल में है. रात हो गयी थी. हम वापस गावों की ओर चल रहे थी कि आसमान में इक वाइट रंग की लाइट आई.हम डर गये. थोड़ी देर बाद जब रोशनी कम हुई तो मैने देखा कि दो खूबसूरत लड़कियाँ सफेद ड्रेस में हमारे सामने खड़ी थी.

मैने ऐसी सुंदरता पहले ज़िंदगी में कभी भी नहीं देखी थी.वो पारियाँ थी. उन्होने हम दोनो को पकड़ा और हमे आसमान में ले गयी. हमारी आखें बंद थी. तभी जब हमारी आँखें खुली तो देखा कि हम पॅलेस में हैं. वहाँ सोने-चाँदी का कीमती सामान था. वो पॅलेस बहुत सुंदर था. तभी मुझे इक मीठी सी आवाज़ सुनाई दी. राजकुमारी- उठों मेरे राजकुमारो उठो. वो सब परियों की राजकुमारी थी. वो गजब की सुंदर थी.वो बोली राजकुमारी- डरो नहीं हम तुम्हे कुछ नहीं करेंगे पर तभी जब तुम हमारी बात मनोगे. मैने कहा मुझे सब मंज़ूर है. आप जो कहेंगे मैं करने को तयार हूँ.

राजकुमारी : अच्छा है.

आज तुम हम सबको मज़ा दोगे मैने कहा हां मैं आप सबको अपना सब कुछ दूँगा. जो भी आपको चाहिए आप कह सकती है.

राजकुमारी : सहेलियों , दूसरे लड़के को जो ले जाना चाहती है ले जाए. लॅकिन ये मेरा है. 3-4 पारियाँ धीरज को उठा कर इक कमरे में ले गयी और दरवाज़ा बंद कर दिया.

राजकुमारी : सुनो सहेलियों पहले मैं मज़ा लूँगी बाकी बाद में आना.                                                                                                  पारियाँ : जो हुकुम आपका राजकुमारी जी.                                                                                                                                    राजकुमारी : तो सबसे पहले अपना नाम बताओ मैने जवाब दिया -हॅरी.

राजकुमारी – मेरा नाम यासमीन है मैईएन कहा बहुत आछा नाम है जी.                                                                                            राजकुमारी : अच्छा . मेरा शरीर कैसा है. मैने कहा कपड़ों में तो सुंदर लग ही रहा है. बिना कपड़ों के तो ……

राजकुमारी : काफ़ी समझ दार हो. चलो अपने उपर के कपड़े उतारो. मैने उतार दिए.                                                                        राजकुमारी : चलो अपने नीचे की भी उतारो मैने उतार दिए राजकुमारी : अच्छा है.चलो पूरे नंगे हो जाओ. मेरा लंड खड़ा था. मैने अपना अंडरवेर भी उतार दिया . अब मैं बिल्कुल नंगा खड़ा था सभी परियों के बीच उसने मेरा खड़ा लंड देख कर कहा राजकुमारी—लंड बहुत अच्छा है . मज़ा आएगा मैं ये सुनकर हॉट हो गया राजकुमारी..चलो अब मैने तुम्हे खुला छोड़ा. अगर तुमने मुझे संतूस्त किया तो तुम मरने से बच जाऊगे वरना ….यह कहानी आप मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

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मैने बहुत सी ब्लू फिल्म्स देखी थी . मैने कभी सेक्स तो नहीं किया था लेकिन लड़कियों का माल कैसे निकालते है मुझे पता था. मैं उसके करीब गया. अब मैं पूरा खो चुका था उसके शारीर में. मैने पहले उसे अपनी बाहों में लिया और उसके पूरे बदन पे हाथ फेरा. वाआह कैसा मखमल का बदन था यारों मैं बता नहीं सकता. रेशम सी गांद. फिर मैने उसके होठों से अपने होठ जोड़ लिए. अब हम दोनो की ज़ुबान इक दूसरे से मिल रही थी.मैने बहुत कस्स के किस किया. उसके होंठ मलाई की तरह थे. मेरे होंठ फिसले जा रहे थे. मुझे बहुत मज़ा आया इक परी के साथ किस करके. फिर मैने उसके मुम्मे को दबाया. आहह क्या नाज़ारा था गोल-गोल मुम्मे वो भी मखमल की तरह.

मैने उन्हे दबाया और कपड़ों से ही उसके निपल्स को स्पर्श किया उसे मज़ा आ रहा था राजकुमारी—–आह .हाआँ अहह उफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ फिर मैने उसके उपर के कपड़े उतार दिए. ववॉववववववववववव मज़ा आ गया नंगें मुम्मे गोरे-चिट गोल-गोल बड़े-बड़े मेरा तो पानी निकलने वाला था. मैं उसकी चुचियों को चूसने लगा. इक-इक करके मैं उसकी चुचियाँ चूस रहा था. सभी पारियाँ ये सब देख रही थी. मुझसे अब रहा नहीं गया . मैने उसकी नीचे के कपड़े भी उतार दिए और इक लग नाज़ारा देखा. वाहह क्या चूत थी कोई बॉल नहीं . कमसिन चूत लग रही थी. उसकी गान्ड तो और भी चार चाँद लगा रही थी.

मैने उसे उठाकर पलंग पे लेटा दिया और पूरी बॉडी को चूमना शुरू कर दिया. उसे मज़ा आने लगा वो बोली. राजकुमारी- और चुमो,और चुमो अहह माअज़ाआआआआ एयेए रहाआ है. मैने उसकी चूत के होल को चाटना शुरू कर दिया तो वो तो गरम हो गयी.

राजकुमारी : मुझे ऐसा नज़ारा पहले किसी ने नहीं दिया. अब मैं तुम्हारी हूँ .मज़े से मेरी चूत मारो . और खुद भी मज़ा लो मुझे जोश आ गया और मैने कहा की पहले मेरे लंड को चूस उसने मेरा लंड मुँह में डाल दिया और अपना मुँह आगे पीछे करने लगी. मुझे मज़ा आ रहा था. मैने कहा और ज़ोर से चूस मेरी रानी और ज़ोर से फिर मैं उसका सिर पकड़ के धक्के मारने लगा. मेरा माल छूटने वाला था. मैने अंदर ही उसके मुँह में माल छोड़ दिया . वो मेरा सारा माल पी गयी. अब मैने उसे घुमाया और उसकी गांद को देखा तो मेरा लंड फिर खड़ा हो गया. मैने उसे टाँगें खोलने के लिए कहा और अपना लंड उसके चूत के होल पे रख दिया.

राजकुमारी— डाल दो अंदर. मज़ा दो .मुझे चोदो. मेरी चुदाई करो मैने इक ही धक्का मारा तो सारा लंड उसकी मखमल चूत में चला गया. उसकी चूत बहुत मुलायम थी इसलिए बहुत मज़ा आ रहा था. मुझे इक परी की फुददी मार कर बहुत मज़ा आ रहा था.मैं धक्के लगाए जा रहा था.मैं मज़ा ले रहा था .. आआआआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्
ह्ह्ह्ह उफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ हााआअँ उसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स अहह राजकुमारी——- ह्चॅयेयेयान अहह चुदाई करो और तेज मारो हाआँ अहहूंम्म्ममममममम अहाआआआआआआआआआआआआआ सभी परियों ने अपने कपड़े खोल दिए थे. मैं राजकुमारे के मम्मे दबा रहा था और बीच-बीच मे उसके होठों का रस भी पी रहा था.उसके निपल्स टाइट थे.मैं बेबी की तरह उसके दूध पी रहा था.

इक परी के मुम्मो का रस. वो भी अपनी गांद हिला-हिला कर चुदवा रही थी. फिर मैने उसको पकड़ कर अपने उप्पर लिटा दिया. मेरा माल फिर से निकलने वाला था लेकिन उसका इक बार भी नहीं निकला था.फिर मैं नीचे लेट गया और वो मेरे उपर आ गयी और मैं उसके चुतडो को हाथों से पकड़कर उसे उपर नीचे कर रहा था. थोड़ी देर बाद उसे भी समझ आ गयी और मज़ा आने लगा .

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फिर वो खुद ही उछल-उछल कर मुझे चोदने लगी. मेरा माल निकलने लगा तो मैने उसकी चूत में ही अपना माल छोड़ दिया .लॅकिन वो उछलती रही और मेरे गरम मालको अपनी चूत के अंदर महसूस करके उसे मॅजा आया.तो मैने देखा की उसका शरीर अकड़ रहा है . मैं समझ गया मैने भी तेज धक्के लगाने शुरू कर दिए. तो थोड़ी देर बाद उसका माल निकला.वो मज़े से चिल्ला उठी. राजकुमारी——— अहह माआल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल उम्म्म्ममममममममममममममममममममम अहह हाआआअहहहहहहहहहह उसने माल छोड़ दिया.उसका गरम-गरम माल मेरे लंड को लगा तो मेरा लंड फिर तन गया. मैं उसके जिस्म के नज़ारे लूट कर मदहोश हो रहा था.तो वो उठी और उसने कहा की तुमने मुझे सन्तुस्त किया है.

तुम्हे जो माँगना है माँगो. मैं तो उसके बदन पे फिदा था और मुझे उसकी गांद चाहिए थी तो मैने कहा की मुझे आपकी गांद मारनी है. राजकुमारी—– अच्छा .लेकिन मज़ा ज़रूर देना मैने कहाँ मैं आपको इससे भी ज़्यादा माज़ा दूँगा..मैने कहा की अपनी गांद मेरी तरफ करके लेट जाओ और अपनी गांद उपर रखना. वो लेट गयी तो मैने पहले जीब से उसकी गांद के रस का स्वाद लिया और जब गीली हो गयी तो मैने अपना लंड उसकी गांद के छेद पर रख दिया.मेरा लंड इक दम ताना हुआ था. मैने इक हल्का सा धक्का मारा. राजकुमारी——अहह.धीरे-धीरे . आआआआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह मैने इक और धक्का लगाया और अपना आधा लंड उसकी रेशम जैसी गांद के अंदर चला गया.यह कहानी आप मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

राजकुमारी——- अहह माअरर्र्र्र्र्ररर गाइिईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई धीरे……………… मैने इक और धक्का मारा तो पूरा लंड अंदर चला गया और मेरे मुँह से अहह उम्म्म्मममम की आवाज़ें निकली राजकुमारी——- अहह फाड़ दी गांद .धीरे अहह मैं कुछ देर ऐसी ही रुका तो उसकी गंद और मेरे लंड का अड्जस्टमेंट हो गया. फिर मैं धीरे से अंदर-बाहर करने लगा उसे भी मज़ा आ रहा था राजकुमारी—- हाआन चोदो मेरी गान्ड को. अभी तक किसी ने नहीं मारी है. माअज़ा डूऊऊऊऊऊओ अहह ई लोवे उ…………अहह मेरे राजकुमार मेरी गान्ड मारते रहो………….. मैं ऐसा सुन के और भी मज़े में आ गया उसके चुतड को हाथों से कस-कस कर थप्पड़ मारने लगा. आआआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह क्याअ गांद है………

ऐसी पहले किसी की नहीं मारने मेरी राजकुमारी ऐसी ही चुदवाओ मुझसे…………….अहह. आइ लव यूअर गांद ……अहह पाचक-पाचक की आवाज़ें लगी . मुझे सचमुच ही उसकी गांद अच्छी लग रही थी. वो भी पूरा साथ दे रही थी.मैने देखा कि वो पानी निकाल चुकी है तो मैने स्पीड बड़ाई और ज़ोर-ज़ोर से राजकुमारी परी गांद फाड़ने लगा. कुछ देर बाद मैने अपना सारा माल उसकी गांद के अंदर छोड़ दिया और मैं उसके उपर लेट गया.

थोड़ी देर बाद राजकुमारी उठी और कहा की राजकुमारी— तुमने बहुत अच्छा चोदा है मुझे .सालो बाद मेरी प्यास भुजी है मैं तुमको छोड़ देती हूँ. इतना कह कर राजकुमारी अपने कमरे में चली गयी. बाकी पारियाँ मेरे लंड के पास आ गयी. मैने देखा की वो 3 पारियाँ थी. एक परी मेरे लंड को मुँह मे लेकर चूसने लगी. दोसारी मुझे अपने होंठो का रस पीला रही थी और तीसरी मेरी गांद को चाट रही थी. मुझे इतना मज़ा आया की मैने उसके मुँह में ही अपने लंड का माल छोड़ दिया… तभी मुझे धीरज की आवाज़ सुनाई दी.

धीरज——— उठो हॅरी उठो सुबह हो गयी…….. जल्दी उठो यार . मैं तुम्हारे लिए चाय लाता हूँ. मैं सोच रहा था कि ययार क्या सपना था .आज भी मुझे याद है. फ्रेंड्स बताना की कहानी कैसी लगी. यह सच्ची कहानी है. मुझे सचमुच ही ऐसा सपना आया था और आज मैने आपके साथ शेर किया है इसलिए मैने जो भी लिखा है सब सही लिखा है.बाइईईईईईईई समाप्त.

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आज दो मस्त चुत का पानी चखने को मिलेगा | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/rishto-me-chudai/aaj-do-mast-chut-ka-pani-chakhane-ko-milega.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/rishto-me-chudai/aaj-do-mast-chut-ka-pani-chakhane-ko-milega.html#respond Mon, 11 Dec 2017 02:40:17 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=11165 मुझे जम के प्यास लगी थी और मैं खुश हो रहा था कि आज दो मस्त चुत का पानी चखने को मिलेगा मैंने मुँह खोल दिया और मौसी निशाना लगाकर मेरे मुँह में मूतने लगी मैं गटागट उस खारे शरबत को पीने लगा और मौसी नताशा के आश्चर्यचकित चेहरे की ओर देखकर हँसने लगी नताशा को पहले विश्वास ही नहीं हो रहा था पर जब उसने देखा कि कितनी लालसा से मैं मौसी का मूत पी रहा हूँ

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दोस्तों इस शानदार कहानी को आज मै लौट आया हु सबसे पहले तो आप सभी का मस्ताराम डॉट नेट पर बहुत बहुत स्वागत है | दोस्तों अभी तक जिसने पिछली कहानी  मौसी की बुर का स्वादिस्ट पानी और मौसी ने नौकरानी की जवान बेटी को अपनी मंडली में शामिल किया नहीं पढ़ी है | उसे पढ़ ले तभी कहानी का असली रस मिलेगा | तो चलिए अब आगे की कहानी की सुरुवात करता हूँ .. अब इस छोकरे के प्यारे लंड से अच्छा लंड कहाँ मिलेगा?” वह पलंग पर ओंधी लेट गयी अनामिका ने चाट कर और चूस कर अपनी बेटी की गुदा गीली कर दी और उधर मौसी ने मुँह में लेकर मेरा लंड गीला किया मैं अदिति पर चढ बैठा और अपना सुपाडा उसकी गान्ड में घुसाने लगा मौसी और अनामिका ने मुझसे कहा कि ज़रा प्यार से धीरे धीरे मारूं पर मैं ऐसा उत्तेजित था कि कोई ध्यान नहीं दिया और ज़ोर से अदिति की गान्ड में लौडा पेल दिया वह दर्द से कराह उठी पर मेरी दशा समझते हुए मुझे प्यार से बोली कि मैं उसकी परवाह ना करूँ |

और घुसेड दूं पूरा लंड उसके चुतडो के बीच दो धक्को में ही मेरा लंड जड तक उन मोटे मोटे मुलायम चुतडो के बीच उतर गया मैंने खूब हचक कचक कर बिना दया के उसकी गान्ड मारी साली चुदैल युवती दर्द के बावजूद मेरा गान्ड मराना सहती रही और उसे मज़ा भी बहुत आया गान्ड मारते मारते मैंने अदिति के खाली हुए मम्मे भी खूब जोरों से मसले उधर अनामिका और मौसी इस क्रीडा को देखते हुए सिक्सटी नाइन करने में जुट गयीं आख़िर जब मैं झडा तो चार घंटे की वासना शांत हुई चुदाई खतम हो गयी थी अनामिका और अदिति कपड़े पहनने लगीं कल आने का वादा करके दोनों घर चली गयीं अब रोज यह मस्ती होने लगी मेरी हालत देखकर मौसी ने मेरे झडने पर राशन लगा दिया क्योंकि बाद में मौसी और मौसाजी के साथ भी तो मुझे चुदाई करना पड़ती थी अब रोज अदिति मुझे बच्चे जैसे दूध पिलाने लगी साथ ही हर तरह की चुदाई हमा चारों मिलकर दोपहर भर करते साली अनामिका कितनी बदमाश थी और उसके दिमाग़ में कैसी कैसी सेक्स की बातें चलती थीं |

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यह मुझे एक दिन तब पता चला जब मौसी और अदिति आपस में सिक्सटी नाइन कर रही थीं और मैं अनामिका को चोद रहा था अचानक वह मेरे कान में फुसफुसाई “बेटा, मुझे मालुम है कि तू मौसी का मूत पीता है, मेरा भी पीकर देख ना कभी एकदम खारा मसालेदार जायकेदार पिलाऊन्गि तुझे” मेरी आँखों में भर आई वासना से खुश होकर वह आगे बोली “मेरे घर आ ना कभी, तुझे बुर का शरबत तो पिलाऊंगी ही, अपनी और अदिति की गान्ड का हलुआ भी चखाऊंगी, एकदम गरमागरमा, खूब सारा, मज़े लेकर पेट भर खाना !

मैं समझ गया कि वह क्या कहा रही है मुझे डर और घिन भी लगी और एक अजीब वासना भी मेरे मन में जागृत हो गयी साली ने सिर्फ़ बात कर के नहीं छोडी, धीरे धीरे मौसी को उकसाने लगी कि कभी अगर वह और मौसाजी बाहर जाएँ तो मुझे उनके पास छोड़कर जाएँ, वह और अदिति मेरा पूरा खयाल रखेंगे अदिति को भी मालूम था कि उसकी अम्मा क्या गुल खिला रही है वह रांड़ भी मेरी ओर देखकर मुस्कराती और अपनी आँखों से यह कहती कि बच्चे, हमारे चंगुल में अकेले फन्सो तो कभी, देखो तुम्हारे साथ क्या क्या करते हैं मैंने मौसी से यह सब कभी नहीं कहा क्योंकि जहाँ एक ओर मैं बहुत घबरा रहा था, दूसरी ओर मेरा लंड यह कल्पना करके ही बुरी तराहा खड़ा हो जाता था आख़िर अनामिका ने अपनी बात मनवा ही ली और एक बार मुझे दो दिन उन दोनों चुदैल और बदमाश माँ बेटी के हवाले करके मौसाजी और मौसी दो तीन दिन को किसी काम से चले गये मैं मौसी को बता देता कि अनामिका क्या कह रही थी, तो शायद वह कभी मुझे उनके हवाले नहीं करती पर मैं एक अजीब उहापोह में था |

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आख़िर तक मैंने सिर्फ़ मौसी से प्रार्थना की कि मुझे अनामिका और अदिति के साथ अकेला ना छोड़े, उसे कारण नहीं बताया शायद मैं भी मन ही मन उस परवर्तित मौके की तलाश में था मौसी को लगा कि मैं सिर्फ़ शरम के कारण ऐसा कहा रहा हूँ और उसने मेरी एक ना सुनी बाद में मुझे हफ़्ता भर उन रंडी माँ बेटी के साथ अकेला रहना पड़ा उस दौरान क्या हुआ वह बताने लायक नहीं है हाँ इतना कह सकता हूँ कि वासना का अतिरेक हो गया और ऐसे ऐसे काम मुझसे उन दोनों ने करवाए कि मैंने कभी नहीं सोचा था क़ि कोई किसी के साथ ऐसी घिनौनी हरकतें करता होगा! पर मैंने बाद में मौसी से शिकायत नहीं की मज़ा भी बहुत आया था |

आज दो मस्त चुत का पानी चखने को मिलेगा

मुझे और बाद में जो हुआ उसकी तो मैंने कल्पना भी नहीं की थी! आगे बताऊन्गा हमारे इस स्वर्गिक संभोग में और भी कई मतवाली घटनाएँ घटीं एक दोपहर को फिर नताशा का फ़ोन आया कि वह यहाँ शहर में आई हुई है और कल आएगी और आफ़िस से गोल मारकर दोपहर भर रहेगी अंकल दौरे पर थे और अनामिका ने उस दिन छुट्टी ले ली थी इसलिए रास्ता सॉफ था इस बार मौसी ने निश्चय कर लिया कि नताशा के साथ उसके संभोग में मुझे शामिल करके रहेगी नताशा को उसने फ़ोन पर ही बता दिया कि वह उसे कुछ मज़ेदार चीज़ दिखाना चाहती है नताशा के आने के पहले उसने पिछली बार जैसे ही अपनी पैंटी मेरे मुँह में ठूंस कर ब्रेसियर से मेरी मुश्कें बाँध दीं और बिस्तर पर लिटा दिया नताशा आने के बाद वे दोनों साथ के बेडरूम में अपनी कामक्रीडा में जुट गयीं मुझे कुछ दिख तो नहीं रहा था

पर चुंबनो और चूसने की आवाज़ से क्या चल रहा होगा, इसका अंदाज़ा मैं कर सकता था कुछ देर बाद मौसी सिसकने लगी “हाय नताशा डार्लिंग, कितना अच्छा चूसती है तू, तेरे जैसी चूत कोई नहीं चूसता, सिवाय मेरे खिलौने के” उसके बाद फिर पलंग चरमराने और चूसने की आवाज़ें आने लगीं शायद सिक्सटी नाइन चल रहा था कुछ देर बाद चूसने की आवाज़ें बंद हो गयीं और फिर चुंबनो के स्वर सुनाई देने लगे दोनों झडने के बाद लिपट कर चुंबन लेते हुए प्यार की बातें कर रही थीं नताशा ने पूछा “दीदी, खिलौने का क्या कह रही थी?”

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मौसी बोली “नताशा रानी, सुन, आज कल मेरे पास एक बड़ा प्यारा खिलौना है, उसे मैं जैसा चाहे इस्तेमाल करती हूँ, चूत चुसवाती हूँ, चुदवाती हूँ और गान्ड भी मराती हूँ” नताशा की आवाज़ में आश्चर्य और अविश्वास था “झूट बोलती हो दीदी, मज़ाक मत करो, रबर का बड़ा गुड्डा मँगवा लिया है शायद तूने बाहर से, जैसा उस दिन हमने एक किताब के इश्तिहार में देखा था पर गुड्डा ऐसा कैसे करेगा?”

वह शायद रबर के उन बड़े फूल साइज़ गुड्ड़ों और गुडियों के खिलौनों के बारे में सोच रही थी जो बाहर के देशों में मिलते हैं और जिनका उपयोग स्त्री पुरुष संभोग के लिए करते हैं मौसी बोली “डार्लिंग रबर का नहीं, जीता जागता प्यारा बच्चा है, और कोई पराया नहीं, मेरी बड़ी बहन का लड़का है, मेरा सगा भांजा” नताशा ने हँस कर दाद दी “दीदी, तू तो बड़ी हरामी छुपी रुस्तम निकली” मौसी ने पूछा “देखेगी?

आज कल मेरे पास ही है चल तुझे दिखाऊँ, अरे घबरा मत, काटेगा नहीं, बाँध कर रखा है” दरवाजा खुला और दोनों नग्न नारियाँ अंदर आईं मौसी का मध्यम परिपक्व रूप और नताशा की मादक जवानी को देखकर मैं कसमसा उठा क्योंकि मुँह में मौसी की पैंटी होने से बोलने का सवाल नहीं था मौसी ने मेरे पास आकर मेरे तन कर खड़े शिश्न को प्यार से पुचकारते हुए कहा “देख क्या प्यारा चिकना लंड है”

नताशा खडी खडी मुझे बड़े इंटरेस्ट से देखती रही और फिर मेरे बँधे शरीर को देखकर उसे दया आ गयी “अरे बेचारा, इसे बाँध कर क्यों रखा है दीदी? और मुँह में क्या ठूँसा है?” मौसी बोली “अरे मेरी पैंटी और ब्रा है, उसे चूसने से इसका और मस्त खड़ा हो जाता है और बाँधूंगी नहीं तो अभी हस्तमैथुन चालू कर देगा, बड़ा शैतान है, हमेशा मेरी चूत चूसने की फिराक में रहता है |

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नताशा बोली कि मैं बिलकुल उसके छोटे भाई जैसा दिखता हूँ और मेरे पास बैठकर प्यार से मेरे बालों में उंगलियाँ फेरने लगी अब तक मौसी ने मेरा लंड निगल कर चूसना शुरू कर दिया था और जब मैंने अपने नितंब उछाल कर नीचे से ही उसका मुँह चोदना चाहा तो हँसते हुए उसने मुँह में से लंड निकाल दिया नताशा बोली “क्यों सताती हो दीदी बेचारे बच्चे को? खोल दो उसका मुँह” मौसी ने मेरा मुँह खोल दिया बोली कि मुझे बुर रस पिलाने का टाइम भी हो गया है फिर नताशा के सामने ही मेरे मुँह पर बैठ कर वह अपनी बुर मेरे होंठों पर रगडते हुए वह मुझसे चुसवाने लगी मेरे भूखे मुँह और जीभ ने उसे ऐसा चूसा कि दो ही मिनिट में स्खलित होकर उसने मेरे मुँह में अपना बुर का पानी छोड़ दिया मौसी हान्फते हुए मुझे पानी पिलाते हुए बड़े गर्व से बोली “देखा रानी, कितना अच्छा चूसता है! झडा दिया मुझे दो मिनिट में, तेरे साथ इतनी देर संभोग के बाद भी मेरी झडी बुर में से रस निकाल लिया!”

फिर मौसी मेरे लंड को अपनी बुर में घुसाकर मुझे उपर से चोदने लगी नताशा टक लगाकर मौसी की बुर से निकलता घुसता मेरा किशोर कमसिन लंड बड़े गौर से देख रही थी उसकी आँखों में भी अब खुमारी भर गयी थी

उसका यह हाल देखकर मौसी ने उसे बाँहों में भर लिया और चूमने लगी नताशा भी मौसी के स्तन दबाती हुई उसके चुंबनो का जवाब देने लगी एक बार फिर झड कर मौसी सुस्ताने लगी नताशा से बोली |

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“मैं मन भर कर इसे चोद लेती हूँ, तब तक तू ज़रा अपना चूत रस पिला दे ना बेचारे को, देख कैसा लालचा कर तेरी सुंदर चूत को देख रहा है” नताशा पहले तैयार नहीं हो रही थी वह पक्की लेस्बियन थी और शायद एक मर्द से, भले ही वह मेरे जैसा चिकना छोकरा हो, अपनी बुर चुसवाने की ख़याल उसे कुछ अटपटा लग रहा था मैंने भी उसे ‘दीदी’ ‘दीदी’ कहकर छोटे भाई जैसी ज़िद करते हुए खूब मनाया तब जाकर वह तैयार हुई मौसी की मदद से नताशा मेरे मुँह पर अपनी बुर जमाकर बैठ गयी आख़िर मुझे उसकी प्यारी खूबसूरत बुर पास से देखने का मौका मिला नताशा ने पूरी झांतें शेव की हुई थीं और उसकी वह गोरी गोरी चिकनी बुर ऐसी लग रही थी जैसी बच्चियों की होती है गुलाबी मुलायम भगोष्ठो से घिरा उसका लाल रसीला छेद और एक लाल मोती जैसा चमकता उसका क्लिट देखकर मैं झूम उठा वह मेरे मुँह पर बैठ गयी |

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और उस मुलायाम गुप्ताँग में मुँह छुपाकर मैंने उसे ऐसा चूसना शुरू किया जैसे जन्म जन्म का भूखा हूँ जीभ अंदर डालकर उसे प्यार से चोदते हुए उसका शहद निकाला और निगलने लगा जीभ से उसके क्लिट को ऐसा गुदगुदाया कि नताशा पाँच मिनिट में ढेर हो गयी मुझे बड़ा गर्व हुआ कि एक पक्की लेस्बियन को मैंने इतना सुख दिया मेरे मुँह में गाढे मीठे चिपचिपे शहद की धार लग गयी इतना स्वादिष्ट अमृत मैंने कभी नहीं चखा था अब समझ में आया कि मौसी क्यों नताशा से इतना प्यार करती है ऐसा अमृत तो नसीबवालों को ही मिलता है मौसी भी मेरा यह करतब देखकर बड़ी खुश हुई “मैं कहती थी ना कि लड़का बड़ा प्यारा और माहिर है!

अब तू चोदती रह इसके मुँह को, मैं भी पीछे से आती हूँ, दोनों मिलकर मज़ा करेंगे” मौसी ने आगे झुककर नताशा के स्तन पीछे से पकड़ लिए और उन्हें प्यार से दबाती हुई फिर मुझे चोदने लगी उधर नताशा भी अब वासना से मेरे सिर को कस कर पकडकर उपर नीचे होकर मेरे मुँह पर स्टमैथून कर रही थी आधे घंटे तक उन्होंने खूब मस्ती से मेरे लंड और मुँह को मन भर कर चोदा आख़िर तृप्त होकर जब नताशा उठी तो बोली “सच बहुत प्यारा बच्चा है, दीदी तूने तो बड़ा लंबा हाथ मारा है

” मौसी मेरे तन्नाए लंड को पक्क से अपनी चुदी बुर में से खींच कर उठ बैठी मेरा लंड और पेट मौसी के रस से भीग गये थे नताशा बड़ी लालचाई आँखों से अपनी दीदी के उस रस को देख रही थी

मौसी ने हँस कर उसका साहस बाँधाया “देखती क्या है रानी, चाट ले ना, तुझे तो मेरी चूत का पानी बहुत अच्छा लगता है ना? तो ले ले मुँह में और चूस” लंड चूसने के नाम से नताशा थोड़ी हिचकिचा रही थी पर आख़िर मन पक्का करके मेरा पेट और शिश्न चाटने लगी सॉफ करने के बाद वह सीधी हुई और मौसी को बोली कि अभी बाथरूम जाकर आती हूँ |

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मौसी ने मेरी ओर देखा और आँखों आँखों में कुछ पूछा मैंने बड़ी बेचैनी से सिर दुलाकर हामी भरी, मैं जानता था कि अब क्या होने वाला है और उसकी कल्पना करके ही मैं वासना से सिहर उठा मेरी हाँ देखकर मौसी ने आँखों आँखों में मुझे शाबासी दी और नताशा से बोली “अरे रुक, बाथरूम क्यों जाती है, यहीं कर ले” नताशा चकरा गयी गुस्से से बोली “क्या दीदी, गंदी बात करती हो, तुम्हारा बिस्तर मैं क्यों खराब करूँ?

” मौसी उसकी चूची दबाती हुई बोली “बिस्तर पर मूतने को कौन कहा रहा है रानी, अरे अपना प्यारा पोर्टेबल टॉयलेट यहीं है, मुझे भी लगी है, देख पहले मैं करती हूँ, फिर तू कर लेना ऐसे ही” मेरे मुँह पर बैठते हुए फिर मौसी बोली “बेटे, मुँह खोल, सू सू लगी है” मुझे जम के प्यास लगी थी और मैं खुश हो रहा था कि आज दो मस्त चुत का पानी चखने को मिलेगा मैंने मुँह खोल दिया और मौसी निशाना लगाकर मेरे मुँह में मूतने लगी मैं गटागट उस खारे शरबत को पीने लगा और मौसी नताशा के आश्चर्यचकित चेहरे की ओर देखकर हँसने लगी नताशा को पहले विश्वास ही नहीं हो रहा था पर जब उसने देखा कि कितनी लालसा से मैं मौसी का मूत पी रहा हूँ

तो वह भी उत्तेजित हो गयी जब मौसी आख़िर रुकी तो नताशा अपने ही क्लिट को रगड रगड कर अपनी बुर में उंगली करते हुए सिसक रही थी मौसी उठी, नताशा को बाँहों में कस कर उसे चुम्मा और उसका हौसला बढाती हुई बोली “अब तू भी आराम से इस नन्हे प्यारे टॉयलेट को इस्तेमाल कर और पिला दे अपना मूत इसे डर मत, इसपर कोई ज़बरदस्ती नहीं है, इसे सच में औरतों का और ख़ास कर सुंदर औरतों का मूत बहुत अच्छा लगता है” नताशा लडखडाती हुए किसी तरह मेरे मुँह पर बैठी और फिर झुक कर मेरी आँखों में देखने लगी जब उसे वहाँ सिर्फ़ प्यार और वासना की चमक दिखी तो उसे विश्वास हो गया कि सच में मैं उसका मूत पीने को तैयार हूँ उसकी रही सही हिचक जाती रही और एक गहरी साँस लेकर उसने मेरे खुले मुँह में मूतना शुरू कर दिया क्या मस्त खारा गरमा गरम मूत था!

मैं मन लगा कर पी रहा था नताशा भी अब वासना से थरथराते हुए बिना रुके पूरे ज़ोर से मूत रही थी लगता था कि काफ़ी देर से मूती नहीं थी मुझे बड़ी जल्दी जल्दी उस अमृत को निगलना पड़ा मौसी भी थोड़ी घबराई कि इस जोरदार धार को मैं सह पाऊन्गा कि नहीं पर मैंने एक बूँद भी गिराए बिना पूरा मूत निगल लिया आख़िर प्रेशर कम होने पर नताशा ने मूतने की गति धीमी कर दी मेरी आँखों में देखते हुए वह रुक रुक कर मूतने लगी कि मुझे उसका स्वाद लेने का मौका मिले वह तडप कर मौसी से बोली “दीदी, यह तो सच में मेरा मूत पी गया, और बड़े प्यार से पी रहा है जैसे शरबत हो”

मौसी ने उसकी चुचियाँ मसलते हुए और उसे चूमते हुए समझाया “मैंने कहा था ना रानी, मेरा गुलाम है और अब तेरा भी, इसके लिए तो यह बुर का शरबत सचमुच के शरबत से बढकर है जब से इसने यह पीना सीखा है,

मैंने बाथरूम जाना ही छोड़ दिया है” मूतना समाप्त होने तक नताशा ऐसी फडक उठी कि सीधा मेरे मुँह पर बैठकर मेरे मुँह को चोदने लगी और झड कर ही दम लिया मुझे मेरी मेहनत का खूब फल भी मिला, उसकी बुर के स्वादिष्ट रस के रूप में उठकर उसने मौसी को बधाई दी कि मेरे जैसा प्यारा गुलाम उसे मिला नताशा अब मुझसे इतनी खुश थी कि मेरे तडपते लंड को चूसने में भी वह मौसी के साथ कदम से कदम मिला कर चली बारी बारी से उसने मौसी के साथ मेरा लौडा चूसा और जब मैं आख़िर झडा तो ज़रा भी ना झिझके उसने भी मेरा वीर्य अपने मुँह में लिया मेरे लिए यह बहुत गर्व की बात थी कि नताशा जैसी पक्की लेस्बियन को भी मैं इतना खुश कर सका जब आख़िर नताशा जाने लगी तो मेरा गाल चूमकर बोली कि आगे से मौसी मुझे भी अपने कामकर्म में शामिल करेगी, उसे बहुत अच्छा लगेगा जाते जाते मेरे आग्रह करने पर एक बार फिर नताशा ने मेरे मुँह का टॉयलेट जैसा इस्तेमाल किया मौसी को वह बोली कि अब हर हफ्ते कम से कम एक बार वह आया करेगी मुझे प्यार से चूम कर वह बोली”राहुल, तैयार रहना,

अब जब भी आऊँगी तो खूब पानी पीकर आऊन्गि, दिन भर नहीं मुतुँगी, तेरे लिए इतना बुर का शरबत लाऊंगी कि तू घंटों पीता रहेगा” उसके जाने पर बतौर इनाम के मौसी ने सारे दिन और रात मुझे अपनी गान्ड मारने दी इसके बाद जब भी नताशा आती, हम तीनों धुँआधार कामुक रति करते बस एक बात का मुझे अफ़सोस है कि नताशा ने कभी मुझे उसे चोदने या गान्ड मारने नहीं दिया, हाँ, उसका अमृत जैसा बुर का रस और शरबत जैसा मूत उसने मुझे खूब पिलाया इस बार जब मौसाजी दौरे से वापस आए तो मौसी दो दिन के लिए एक शादी अटेंड करने के लिए बाहर गयी तब मैंने मौसाजी के साथ भी खूब मज़ा किया मौसाजी ने मौसी को कहा कि वह बेझिझक हो आए,

वे उसके भांजे का पूरा ख़याल करेंगे मौसी हँसने लगी “मालूम है, तुम उसकी कैसी हिफ़ाज़त करोगे” मौसाजी ने उन दो दिनों में इतना प्यार मेरे से किया कि वैसा कभी किसी ने नहीं किया होगा ओफिस से उन्होंने छुट्टियाँ ले ली कि पूरा समय मेरे साथ बिता सकें उन्होंने मुझे ऐसे भोगा कि जैसे मैं नयी नवेली दुल्हन हूँ और वे कामातूर दूल्हा वे मुझे खुद प्यार से बच्चे जैसा नहलाते, अपना लंड चुसवाते और फिर उपर से गिरते ठंडे शोवर के नीचे दीवाल से मुझे सटाकर खड़े खड़े मेरी गान्ड मारते उन्होंने उन दो दिनों में मेरी इतनी गान्ड मारी कि मानों जैसे जनम भर की तृप्ति उन दो दिनों में ही पा लेना चाहते हों मेरी गान्ड मारते हुए मेरे सुख का भी वे पूरा ख़याल रखते थे

डाइनिंग टेबल पर चोदने का एक बड़ा प्यारा आसन उन्होंने आजमाया जो बहुत ही मादक सिद्धा हुआ मैं टेबल पर अपने चुतड किनारे पर रख कर लेट गया मेरे सामने वे खड़े हो गये और मेरे पैर पकडकर अपने कंधे पर रख लिए अब मेरे नितंब थोड़े उठ गये थे और ठीक उनके लौडे के सामने थे धीरे धीरे उन्होंने मेरी गान्ड में लंड उतारा और मुझसे चिपक कर खड़े हो गये मैंने उनके सिर को अपने पैरों के बीच पकड़ लिया और उन्होंने मेरी जांघें पकडकर खड़े खड़े ही आगे पीछे होकर मेरी मारना शुरू कर दी यह बहुत आराम का आसन था क्योंकि मेरे शरीर पर उनका ज़रा भी बोझ नहीं पड़ता था वे भी मुझसे बातें करते हुए, मेरे चिकने शरीर को सामने से नंगा देखने का मज़ा लेते हुए और मेरे लंड के साथ खेलते हुए बहुत देर मुझे चोद सकते थे मेरी आँखों में देखकर मुस्कराते हुए मुझे दूर से ही फ्लाइंग किस देते हुए और मेरे लंड को मुठियाते हुए वे गान्ड मार रहे थे बीच में प्यार से उन्होंने पूछा “राहुल बेटे, तू चुद तो रहा है ना ठीक से?”

मैंने सुख की सिसकारियाँ भरते हुए कहा “हाँ अंकल, बहुत मज़ा आ रहा है ऐसे मरवाने में” खेल खेल में मैं अपने पैर उनके गालों और मुँह पर रगडने लगा उनकी शेव ना की हुई ज़रा सी बढ़ी दाढी के बाल मेरे तलवों को बड़ी प्यारी गुदगुदी कर रहे थे उन्होंने अचानक मेरे पैरों को चूमना और चाटना शुरू कर दिया फिर मेरे पैर के अंगूठे और दूसरी उंगलियों को मुँह में लेकर चूसने लगे और मेरे तलवे चाटने लगे एक बड़ी मीठी अनुभूति से मैं सिहर उठा मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी कि तलवों को चटवाने से इतना मज़ा आता है |

कहानी जारी है आगे की कहानी अगले पेज पर पढ़े ..

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मै मेरी बीवी और वो | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/indian-wife-sex-stories/mai-meri-wife-aur-vo.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/indian-wife-sex-stories/mai-meri-wife-aur-vo.html#respond Sat, 09 Dec 2017 09:59:44 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=11321 मै मेरी बीवी और वो खूब चुदाई किये मेरी बीवी की चुत को उसने फैला कर खूब चूसा फिर मेरे लंड के पानी को पी लिया दोस्तों सच कहूँ कहानी पढ़ के सैटरडे मजे से कटेगा |

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मेरा नाम अन्जय है और मेरी उम्र 30 साल है, मैं एक शादीशुदा आदमी हूँ | मेरी बीवी का नाम चित्रा है और उसकी उम्र २६ साल है | मै इंडिया गवर्नमेंट में नौकरी करता हूँ | और मेरी फेमिली जहा रहती है मै वहा न रहकर दुसरे प्रदेश में नौकरी करता हूँ | और हमेशा एक प्रदेश से दुसरे प्रदेश में आता जाता रहता हूँ | वैसे ज्यादातर मै रात में यात्रा करता हूँ | क्योकि रात में यात्रा करने पर रात को सो भी लेता हूँ और सुबह नौकरी पर भी चला जाता हूँ |

दोस्तों तो मेरी कहानी सुरु होती है अब ये बात अभी अभी पिछले महीने की बात है | कि मै अपने बीवी के साथ शहर से दुसरे शहर मे जा रहा था और मैने रात वाली बस ली थी | हमारे सीट के सामने वाली सीट खाली थी और उसपर कोई नहीं बैठा था | बस मे, कोई ज्यदा सवारिया भी नहीं थी; केवल कुछ ही लोग थे और सब के सब सो रहे थे | मुझे देर से सोने के आदत थी, चित्रा सो चुकी थी, मै जाग रहा था और बोर हो रहा था | पहले स्टॉप से कुछ सवारिया चढ़ी जिसमे एक परिवार था | उसमे एक पति-बीवी, एक बुढा आदमी, एक बुढ़िया, और दो लडकें | मेरी नजर जल्द ही उस औरत पर पड़ी जो काफी सेक्सी और गदरायी बदन की थी |

उस औरत की उम्र 45 होगी, सब मेरे सामने वाले सिट पर जाकर बैठ गए | मुझे लगा, चलो सफ़र अच्छा कट जायेगा | उन्हें देख कर मेरी बीवी जग गई, एक प्यारी से मुस्कराहट के साथ उस औरत ने चित्रा से बातचीत शुरू की और आपस मे एक दुसरे को जाना | उनकी नाम सुलेखा है | व अपने सास-ससुर, पति और बच्चों के साथ मायके गए हुए थे | उनके दो बच्चे है एक बेटा और एक बेटी, बेटा 18 साल का और बेटी 12 साल की, दोनों स्कूल जाते है | उनको देखके लगा, सीधी सादी सभ्य महिला, उनका सरीर बहुत सेक्सी लग रहा था और ब्लाउज में से झाकती उनकी मोटी मोटी चुचिया बहुत मस्त लग रही थी | मैंने उसे गोर से देखा ..उनका बदन इतना सेक्सी था की में बता नहीं सकता बूब्स बड़े थे और पेट की चमड़ी मुड़ी हुई थी जिसे देख कर मैंने उनकी बुर की गहराई का अंदाज लगा लिया ..मांस से भरी हुयी जांघें साडी में से दिख रही थी बो सफ़ेद ब्लाउज पहने हुए थी उसमे से दूध का आकार साफ़ दिख रहा था |

अभी व घर जा रही है उनके पति सरकारी जॉब में हैं और रस्ते में उनकी सास-ससुर और लडकें पति के साथ उतर जायेंगे | सो उस महिला को अकेली ही सहर अपनी घर तक जाना पड़ेगा | लेकिन हमें पाकर उनकी चिंता कम हो गई | व मेरी बीवी से काफी घुल-मिल गयीं, बात करते-करते काफी वक़्त निकल गया; काफी दिलचस्प मैडम थी वो |

कुछ घंटे के बाद उनका जगह आ गया उनकी सास-ससुर, पति और बेटा उतर गए और बीवी से कह गए अपना ख्याल रखना | रात काफी हो चुकी थी और मुझे नीद आने लगी थी; तो, मैने उनको सोने के लिए बोला और काफी गहरी नीद मे सो गया | आधी रात के बाद, उन्होंने मुझे काफी जल्दी मे उठाया और बोली बस ख़राब हो गयी है | रास्ते मे बारिश के कारण, काफी पानी भर गया है और बस पानी मे चलने के कारण ख़राब हो गयी है और कल सुबह 10:00 बजे चलेगी | इतनी रात मे कोई दूसरा जाने का जरिया मिलना मुश्किल था | उन मैडम का नाम सुलेखा था | सुलेखा ने मुझे से पूछा, कि क्या करना चाहिए |

मैने कहा, इतनी रात मे कहाँ जायेंगे; यहीं होटल ढूंढ़कर कमरा ले लेते है और सुबह इसी बस से आगे चलेंगे | सुलेखा ने भी मेरे साथ हामी भर दी और मेरे साथ ही होटल ढूंढने चल दी | काफी मुश्किल एक होटल मिला और हमने वहा २ रूम मांगे | लेकिन, उनके पास एक ही रूम था; मैने सुलेखा को रूम लेने के लिए बोला और खुद दूसरा होटल देखने के लिए चलने लगा | सुलेखा ने बोला, एक ही रूम ले लेते है, कुछ ही घंटो की बात है मुझे कोई ऐतराज़ नहीं है | उसकी हां के बाद हम तीनों ने एक ही रूम ले लिया और रूम मे चले गये | हम सब ही काफी भीग चुके थे | सुलेखा बाथरूम मे चली गयी और चित्रा ने मुझे तोलिया दे दिया | मैने अपने सारे भीगे कपडे उतार दिए और तोलिये को अपनी कमर पे लपेट लिया |

मुझे सुसु जाना था और मुझे ये ध्यान नहीं रहा, कि बाथरूम मे सुलेखा भी है | मैने एक ही झटके के साथ बाथरूम ले दरवाजा खोल दिया और देखा, सुलेखा एकदम नंगे toilet पर बैठी हुई थी, उसकी नंगी शारीर को देख कर मेरा लंड एकदम खड़ा हो गया | क्या बड़े-बड़े स्तन थे, जब मैंने निचे देखा तो, अरे ये क्या, उसके पास तो एक लंड था |

मेरा आश्चर्य का कोई ठिकाना नहीं रहा | क्या लम्बा और मोटा लंड था, मेरा लंड तो उसकी लंड का आधा होगा | लंड का लाल सुपाडा आधा बाहर था, और घने काले झांट लंड और अंडकोष के चारों और भरा हुआ था, मेरे आंख खुले के खुले रह गए | सुलेखा ने भी केवल कमर पर तोलिया लपेट रखा था | मैने उसको सॉरी बोला, और बाहर निकलने लगा |

उसने मुझे बोला, ठीक है और tiolet ख़त्म करके खुद बाहर आ गयी | मै सुसु करके कमरे मे आ गया | उसे देखते ही चित्रा को हैरानी हुई पर वो कुछ नहीं बोली | शायद उसे भी सुलेखा की नंगा बदन देखने में मजा आने लगा था | तो सुलेखा बोली मेरे पास और कुछ नही है पहने के लिए; इसलिए मुझे ऐसे हे रहना पड़ेगा | तुम्हे कोई ऐतराज़ तो नहीं, मै ख़ुशी से मारा जा रहा था, मैने कहा नहीं | वो मुस्कुराई और उसने मेरे हाथ नीचे कर दिए और अपना तोलिया खोल दिया | अब सुलेखा एकदम नंगी हमारे सामने खडी हुई थी | जब मेरी बीवी ने उसकी निचले हिस्से को देखा तो व हैरान थी; कि ये कोंन है? इसकी तो मस्त चुचे के साथ-साथ एक बड़ा सा लंड भी था | सुलेखा की लंड और बड़े-बड़े अंडकोष काले झांटों से भरा हुआ था | चित्रा को अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हो रहा था |

सुलेखा की लंड मुरझा हुआ था फिर भी लंड काफी लम्बा मोटा था, लाल सुपाडा करीब आधा बाहर था | उसने मुझे उसका लंड हाथ मे पकड़ा दिया | सुलेखा पुरी औरत ही थी, जैसे उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां, पतली कमर, चौड़ी उभरी नितम्ब और मोटी-मोटी चिकनी जांघें | उसकी गांड के तो क्या कहने … एकदम मांसल उभरी गांड थे | आप यह हॉट हिंदी सेक्सी कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |  उसने हमें बोली, मेरे पास दोनों है और मैं पुरी तरह से चोद सकती हूँ और मेरे ऊपर चढ़ बैठी | उसकी लंड मेरे लंड से टकरा रहा था और वो मैं उसकी लंड को खड़ा करने की कोशिश कर रहा था | फिर, उसने मेरे हाथ अपनी कमर पर रख दिए और बोला जैसे मै करती हु, बिलकुल वैसे ही करना | वो अपने हाथ मेरी कमर पर फिराने लगी और मै भी वैसे ही करने लगा |

सुलेखा मेरे होटो पर आ गयी और उसको चूसने लगी | उसने मुझे पूछा, कभी किसी लंड वाली औरत के साथ सेक्स किया है ? मैने कहा नहीं, लेकिन करने की इच्छा है | फिर उसने अपने हाथ मेरी गांड पर चलाने शुरू किया और मेरी गांड के छेद को रगड़ना शुरू कर दिया | और फिर उसने फिर एक ऊँगली मेरी गांड के छेद मे डाल दी और और उसके अन्दर फिराने लगी, दूसरी हाथ से अपनी मुसल लंड को सहलाने लगी | मैने भी वही किया और मुझे उसकी ऊँगली अपने गांड मे लेने मे मज़ा आने लगा | उसकी लंड ने उठाना शुरू कर दिया, लेकिन अभी पूरा तनाव नहीं आया था | उसने मुझे पलग के किनारे से लगा दिया |

अब मेरा आधा शरीर पलंग के ऊपर लेटा था और टाँगे जमीन से चिपकी हुई थी | उसने अपने पर्स से एक कंडोम निकला और अपनी लंड के सुपाडा को बाहर कर लंड में कंडोम चढ़ा लिया | वो पलग के किनारे पे चढ़ गयी और अपना लंड मेरी गांड मे भिड़ा दिया | तभी चित्रा पीछे आ गई और सुलेखा की लंड को पकड़ कर सहलाते हुए मेरी गांड के छेद में रगड़ने लगी | उसने डालने से पहले मेरी गांड को और अपने लंड को अपने थूक से पूरा गीला कर लिया, ताकि को दिक्कत न हो |

उसके एक ही जोरदार धक्के ने मेरी गांड फाड़ दी और उसका पूरा लंड मेरी गांड मे घुस गया | मै दर्द से चिल्ला उठा, लेकिन सुलेखा कुछ सुन ही नहीं रही थी | व धीरे धीरे अपनी भारी गांड उछलती हुई लंड अन्दर-बाहर करने लगी | मुझे अब मजा आने लगा था | वो तो बस कुते की तरह चड़ी हुई अपनी भारी भरकम गांड हवा में उछालती हुई मेरी गांड मारे जा रही थी | फिर सुलेखा ने अपनी लंड बाहर निकल लिया, झट से चित्रा सुलेखा की लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी | थोड़ी देर लंड चूसने के बाद चित्रा फिर से सुलेखा की लंड मेरी गांड में दल दिया | चित्रा ने फिर से सुलेखा की मस्त गांड के छेद को चाटने में लग गई | कुछ समय बात मैने कुछ तेज़ झटको को महसूस किया और एक गरम-गरम पिचकारी अपनी गांड मे महसूस की |

कामिन झड चुकी और उसने कुछ देर आराम करने के बाद उठ खडी हुई और अपनी लंड से कंडोम निकल लिया | और चित्रा की मुह मे अपना लंड घुसा दिया | फिर अपने लंड हिलाने लगी | सुलेखा के स्तन बहुत मस्त थे | मैं एक हाथ से उसकी चुचे और दुसरे हाथ से चित्रा की चुचे दबा रहा था | सुलेखा और मेरी बीवी दोनों के मुह से आह.आह,,करके आवाज़े निकल रही थी | मेरी बीवी की मुह मे सुलेखा की लंड और एक हाथ मे मेरा लंड था और सुलेखा की लंड फूलकर बड़ा हो रहा था |

चित्रा एक हाथ से अपनी झांटों से भारी बुर में ऊँगली अन्दर-बाहर कर रही थी, ये देखते ही सुलेखा मुस्करा पड़ी और झट से चित्रा की मुँह से अपनी लंड बाहर निकल कर पलंग पर आ गई और चित्रा को झुका दिया और उसकी सारी और पेटिकोट सहित कमर तक उपर को उठा दी । चित्रा ने पैंटी नही पहन रखी थी । तभी सुलेखा ने चित्रा की दोनो टाँगे हवा मे उँची उठा दी और उसकी साडी और पेटीकोट अपने आप कमर के चारों और सिमट गया और झाड़ियों से हरा भरा बुर सुलेखा के चरने के लिए सामने खुला पड़ा था । सुलेखा चित्रा की चूत को एक टक देखती रही । क्या उभरी हुई मांसल चूत थी । चूत के होठों मे जैसे हवा भरी हुई हो, बीच की लाल रेखा स्पष्ट नज़र आ रही थी और चूत के साइड के काले लंबे बाल इधर उधर बिखरे हुए थे। सुलेखा ने चित्रा को थोडा अपनी और खींच उसके चूतड़ अपनी जाँघो पर रख लिए और सूमी के घूटने उसकी छाती से लगा दिए। अब मतवाली चूत पूरी तरह खुल के मलाई माल पुए खाने की दावत दे रही थी । सुलेखा बोली – कभी मेरी भी इसी तरह बुर थी, पर अब मुझे औरोतों की बुर चोदने में जबरदस्त मजा आता है |

सुलेखा ने कोई देर नही की और चित्रा की चूत के इर्द गिर्द जीभ फिरने लगी। बीच बीच मे जीब की नोक से चूत की दरार मे एक लकीर खींच देता और मेरी बीवी सिहर के सिसकारियाँ लेने लगती । सुलेखा ने चूतड़ के दोनो तरबूज अपने हाथ मे ले लिए और जीब जड़ तक पेल उसकी चूत के अंदर के हर हिस्से को जीब से छूने लगी और अपनी लंड को आगे-पीछे करने लगी । सुलेखा ने अपनी जीभ कड़ी कर के सिर आगे पीछे कर के मेरी बीवी की चूत को चोदने लगी । उसकी मज़ा दोगुना हो गया ।

अपने चूतर को ज़ोर-ज़ोर से उठाती हुए बोली, “और ज़ोर से, और ज़ोर से, हाई । वो अब झरने वाली थी । वो ज़ोर ज़ोर से चिल्लाते हुए अपनी चूत सुलेखा की पूरे चहेरे पर रगड़ रही थी । सुलेखा भी पूरी तेज़ी से जीभ लॅप-लपा कर चित्रा की चूत पूरी तरह से चाट रही थी । और बीच बीच मे अपनी जीभ को उसकी चूत मे पूरी तरह अंदर डाल कर अंदर बाहर करने लगी । चित्रा ने सुलेखा की चहेरे को अपनी जांघों मे जाकड़ कर अपनी चूत को उसकी मुँह से चिपका दिया । निचे बैठी सुलेखा की चौड़ी उभरी गांड देख कर मेरा लंड फिर से लोहे की रोड की तरह सख़्त हो गया था ।

सुलेखा उठ कर खडी हो गई और अपने लंड को हाथ से सहलाते हुए मेरी बीवी को पलंग पर घुटनों के बल लिटा कर झुका दिया । और उसकी सारी और पेटिकोट सहित कमर तक उपर को उठा दी । चित्रा ने पेंटी खोल रखी थी और फिर सुलेखा मुस्कुरा कर पलंग से उतरी और अपने चूतर को लहराते हुए ड्रेसिंग टेबल से वस्सेलीन की शीशी उठा लाई । ढक्कन खोल कर ढेर सारा वस्सलिन अपने हाथो मे ले लिया और अपनी लंड की मालीश करने लगी । अब उसकी लंड रोशनी मे चमकने लगा । फिर सुलेखा ने चित्रा को पलंग पर पेट के बल लिटा दिया और अपने घुटनो के बल होकर उसकी चूतर हवा मे उठा दिए । देखने लायक नज़ारा था । मेरी बीवी के गोल मटोल चूतर मेरी आँखों के सामने लहरा रहे थे । तभी सुलेखा ने ढेर सारे वस्सेलीन ऊँगली में लेकर चित्रा की गांड में दाल कर अन्दर-बाहर करने लगी |

फिर सुलेखा ने चित्रा की उभरी गांड की और झुकती हुई गांड फैलाई और पीछे हो उसकी गांड को जीभ की नोक से छेड़ने लगी । सुलेखा अब उसकी गांड मे अपनी पूरी जीब डाल अंदर-बाहर करने लगी । फिर सुलेखा अपनी जीभ चित्रा की गांड से बाहर निकल कर अपनी लंड को जोर-जोर से आगे-पीछे करने लगी । बड़ा सेक्सी नज़ारा था मेरे सामने । औरत की बदन पे लंड देखने लायक था । सुलेखा से अब रहा नही गया और झुक कर चूतर को मुँह मे भर कर कस कर काट लिया और उठ कर घुटने का बल बैठ गई और लंड को पकड़ कर चित्रा की गांड के छेद पर रख दिया । चित्रा ने थोड़ा पीछे होकर लंड को निशाने पर रखा और अपने दोनो हाथों अपने चूतर को खींच कर गांड का छेद को फैला दिया । फिर सुलेखा ने उसकी चूतर को दोनो हाथों से पकड़ कर धक्का लगाया ।

सुलेखा की 9” का लंड चित्रा की गांड को चीरता हुआ पूरा का पूरा अंदर दाखिल हो गया । चित्रा फिर चीख उठी. . सुलेखा ने आगे को झुक कर उसकी चूंची को पकड़ लिया और उन्हे सहलाने लगी । लंड अभी भी पूरा का पूरा चित्रा की गांड के अंदर था । सुलेखा दोबारा सीधे होकर उसकी चूतर पकड़ कर धीरे-धीरे अपनी भारी गांड हिला कर लंड अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया । चित्रा की गांड बहुत ही टाइट थी । मेरी बीवी और सुलेखा की चोदाई देखने में मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था और मैं भी जोश मे आ गया और अपनी लंड को मुठियाने लगा । सुलेखा अब धीरे-धीरे अपनी रफ़्तार बढ़ा दी उसकी लंड अब पूरी तेज़ी से चित्रा की गांड मे अंदर-बाहर हो रहा था । चित्रा भी पूरी तेज़ी से कमर आगे पीछे करके सुलेखा की स्त्री लंड का मज़ा ले रही थी । चित्रा भी उंगली से चूत को चोद चोद कर अपनी मंज़िल के पास थी । सुलेखा मेरी बीवी के बदन को पूरी तरह अपनी बाहों मे समेट कर दनादन शॉट लगाने लगी । आप यह हॉट हिंदी सेक्सी कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | वो भी सम्हल कर ज़ोर ज़ोर से आह उहह करती हुई चूतर आगे-पीछे करके अपनी चूत मे सुलेखा की लंड लेने लगी । उन दोनो की सांस फूल रही थी ।

अचानक सुलेखा ने चित्रा की गांड से अपनी लंड बाहर निकल ली और मुझे सोफे पर बैठने को कहा | सुलेखा ने मेरा लंड सीधा कर दिया और मेरी बीवी की गांड के छेद को मेरी लंड के ऊपर रख दिया और चित्रा की गांड को जोर से धक्का मारा | एक ही बार मे, मेरा लंड चित्रा की गांड मे था | और मैं अपना गांड उठाकर चित्रा को चोद रहा था | उतने मे, सुलेखा मेरी बीवी के सामने आयी और बुर को अपने थूक से गीला कर दिया | मुझे समझ आ गया; के, सुलेखा अब मेरी बीवी की बुर में अपनी लंड घुसएगी | उन्होंने, अपनी मोटा सा लंड को पकड़ कर मेरे चित्रा की झांटों से भरी बुर को फैलाया और लाल छेद पर लंड लगाया और जोर से धक्का मारा |

पूरा तो नहीं, लेकिन, कुछ हद तक सुलेखा की लंड चित्रा की बुर मे घुस गया | पीछे से धक्का लगने के कारण, सुलेखा की लंड और भी अन्दर घुस गया | मेरी बीवी दर्द के मारे तड़प रही थी और चिला रही थी | पुरे कमरे फच फच की आवाज से गूंज रहा था | सुलेखा अब अपनी तेज बढ़ाते हुए भारी गांड उछल रही थी और चित्रा की बुर छोड़ी जारही थी | कमरे में सुलेखा और मेरी बीवी की पहने हुए चूड़ियों और पैरों की पायल की झंकार गूंज रही थी | अब मैं और सुलेखा दोनों मेरी बीवी की गांड और बुर में एक साथ चोदाई करने लगे | मैं निचे से चित्रा की गांड चोद रहा था और सुलेखा ऊपर से उसकी बुर में लंड अन्दर-बाहर करके चोद रही थी | सुलेखा हांफने लगी और मस्ती में कराहने लगी | कुछ देर में मैं झड गया और अपना सारा गरम पानी चित्रा की गांड मै छोड़ चूका था | लेकिन, सुलेखा अभी भी बाकी थी | सुलेखा गप-गप मेरी बीवी की बुर में लंड अन्दर-बाहर कर रही थी | आख़िर सुलेखा की ज्वालामुखी फूट पड़ी और व चित्रा की स्तन से अपनी स्तन चिपका कर दो तिन बार हवा में अपनी भारी गांड उछली और चित्रा की बुर में झड गई .. चित्रा की भी चूत को झरने को थी और व भी चीख़्ती हुई झड गयी ।

कुछ देर बाद सुलेखा मेरी बीवी के ऊपर से उठ गई और अपनी मुरझी हुई लंड को पकड़ कर चित्रा की बुर पर झूक गयी और दोनो हाथो से जितना फैला सकती थी उतनी उसकी बुर फैला दी । चित्रा की बुर मे अंदर तक देखा जा सकता था । तभी सुलेखा ने आधी से अधिक जीब उसकी बुर मे दे दी और जीभ अंदर की बुर के अंदर की दीवारों पर चलाने लगी । सुलेखा अच्छी तरह से मारी हुई बुर से टपकती हुई वीर्य को चाटती रही । जब हम तीनों सुस्त हुए तो सुलेखा उठी और तौलिये को कमर में लपेटे बाथरूम की और चल पड़ी | मैं उत्साह के साथ उधर देखा, सुलेखा दरवाजा खुला ही छोड़ कर तौलिये को कर तक उठा कर अपनी भारी भरकम गांड दिखाती हुई बैठ गई और पेशाब करने लगी | सुलेखा पेशाब करने के बाद थोड़ी देर अपनी लंड सहलाती रही फिर उठकर कमरे के अंदर आने लगी |

जो भी हो, वो सेक्स बहुत ही मस्त था और मुझे बड़ा मज़ा आया | हम तीनो वही सोफे पर और जमीन पर नंगे ही सो गये, सुलेखा ने मेरी बीवी की भारी गांड के दरार में अपनी लंड सटा कर उसे बाहों में भर के सो गई |

उस दिन मुझे बड़ा मज़ा आया | औरसुबह को हम अपने-अपने रास्ते चल पड़े |

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प्रमोसन के चक्कर में चूत और गांड मेरे हवाले किया | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/office-sex/pramotion-ke-chakkar-me-chut-aur-gand-mere-hawale-kiya.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/office-sex/pramotion-ke-chakkar-me-chut-aur-gand-mere-hawale-kiya.html#respond Tue, 21 Nov 2017 08:09:48 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=11045 हेल्लो दोस्तों ये घटना एकदम सच है जो मै आप सभी को बस मजे के लिए बता रहा हूँ पर नाम और स्थान बदल दिया हूँ | दोस्तों मै एक बड़ी कंपनी में सीनियर इंजिनियर के पोस्ट पर काम करता हूँ मेरे अंडर में एक लड़की काम करती है उसका नाम ज्योत्सना है बहुत सेक्सी […]

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हेल्लो दोस्तों ये घटना एकदम सच है जो मै आप सभी को बस मजे के लिए बता रहा हूँ पर नाम और स्थान बदल दिया हूँ | दोस्तों मै एक बड़ी कंपनी में सीनियर इंजिनियर के पोस्ट पर काम करता हूँ मेरे अंडर में एक लड़की काम करती है उसका नाम ज्योत्सना है बहुत सेक्सी माल है उसकी गांड बहार निकली हुयी है बूब्स इतने बड़े की दबा दे तो सास अटक जाए | अगर कहाँ जाए तो उसकी साइज़ ३६-३०-३८ है यानी सिने की साइज़ ३६ है कमर ३० है और गांड यानी चुतड ३८ के और जब किसी लड़की का फिगर इस तरह हो सोच लो किसका लंड नहीं खड़ा होगा तो दोस्तों उसे मेरे साथ में काम करते हुए करीब ६ महीने हो गये डेली मेरा लंड उसे देख कर खड़ा हो जाता कभी कभी वो नोटिस भी करती पर मै इधर उधर घुमा देता था |

अब हमारे ऑफिस का अप्प्रिजल आने वाला था जिसमे मुझे ज्योत्सना को रेटिंग देनी थी | अब जब उसे पता चला की इस साल का प्रमोसन उसका मेरे हाथ में है तो वो मुझसे और भी चिपकने लगी अब मै समझ चूका था ये चुदवा कर रहेगी | एक दिन सैटरडे को शाम को जब मै ऑफिस से निकल रहा था तो ज्योत्सना बोली सर आज मै भी आपके साथ आ रही हूँ मै बोला ठीक है आ जाओ हम साथ में ऑफिस से निकले रस्ते में एक फेमस चिकन का होटल पड़ता है | ज्योत्सना ने कहाँ सर आज हम यही पर चिकन खाते है मै बोला ठीक है मै उसके इरादे को समझ रहा था | हम दोनों ने चिकन खाने के लिए होटल में वेटर को बोला एक एक प्लेट चिकन देना और तब तक ज्योत्सना ने बोल दिया एक एक बोतल बियर भी दे देना मै बोला तुम बियर पीती हो क्या तो ज्योत्सना बोली हां सर कभी कभी चलता है | मै अब उसका प्लान लगभग समझ चूका था पर फिर भी शक के घेरे में था |

हमने बियर पिया और एक एक सिगरेट मारी और चिकन खाया फिर जैसे ही निकलने के लिए हम होटल से निकलने ज्योत्सना ने मेरे हाथ को पकड़ लिया बोली सर मुझे नहीं चला जा रहा है थोड़ी देर आराम कर लेते है यहाँ पर एक लाज है अब मेरा लंड खड़ा हो गया मै उसकी बात को पूरी तरह से समझ गया की इसे चुदवाना है मै बोला ठीक है हम दोनों ने वही पास में जो लाज था उसमे एक कमरा २ घंटे के लिए किराया पर लिया और कमरे में पहुचते ही ज्योत्सना मेरे ऊपर आ गयी और मेरे मुह में जीभ डाल कर चूसने लगी मै भी गर्म हो चूका था मैंने भी आव देखा ना ताव उसकी चूत पर सलवार के ऊपर से ही हाथ लगा दिया और धीरे धीरे सहलाने लगा इतने में उसकी चूत से पानी निकलने लगा था | आप यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |

ज्योत्सना बोली सर ६९ करते है मै बिना बोले उसकी चूत पर जीभ लगा दिया और उसने मेरे लंड को अपने मुह में भर लिया भूखे जानवर की तरह मेरे लंड को चूस रही थी मुझे नहीं रहा गया मै उसके मुह में अपना वीर्य गिरा दिया ज्योत्सना ने मेरा वीर्य पी लिया और अब फिर से मेरे लंड को हिला हिला के खड़ा कर दी मैंने भी उसकी चूत को चाट चाट कर पानीदार कर दिया था फिर मैंने उसे बेड के किनारे लिटाया और लंड को सेट कर धीरे से धक्का मार दिया मेरा आधा लंड ज्योत्सना की चूत में घुस चूका था ज्योत्सना पहले से चुदी लग रही थी | चूत भी ज्यादा टाइट नहीं थी पर साली चुदवाने में माहिर थी मैंने धक्के पर धक्का देना सुरु कर दिया अभी १० – १२ धक्के ही मारे होंगे की उसकी चूत से पानी निकल गया मै अब अपनी रफ़्तार बढ़ा चूका था एक बार जड़ चुकी थी सो सुकी चूत से पेशाब निकलने लगा था |

अब मेरा भी होने वाला था मैंने बोला ज्योत्सना कहा निकालू तो वो बोली सर अन्दर ही डाल दो मेरा भी होने वाला है बस फिर क्या था दोस्तों मैंने अपना माल उसकी चूत में भरना सुरु किया ही था की उसकी चूत से पानी का फव्वारा छुट पड़ा मेरा लंड उसके गरमा गरम पानी से नहा उठा हम दोनों का बहुत अच्छे से हुआ था हमने एक दुसरे को कश के पकड़ लिया और करीब ३० मिनट तक एसे ही लेटे रहे फिर होटल से निकले अपने घर पहुचे उस दिन होटल से निकलने के बाद हमने कुछ बात नहीं किया दुसरे दिन ऑफिस में फिर मिले अब मै ज्योत्सना के प्रति बदल चूका था |

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उसे मैंने अप्रिजल में उसके सामने पूरी रेटिंग दी दू भी क्यों ना मुझे जो उसकी गांड का स्वाद चखना था | चूत तो ठीक है गांड मारने का मज़ा कुछ और ही होता है | उस दिन रेटिंग देने के बाद वो मुझे बोली सर आज मेरी गांड का भी उद्घाटन कर दीजिये फिर शाम को हमने चिकन खाया बियर पिया और फिर लोज में गये और वहा पर फिर से मैंने उसकी घमासान चुदाई सुरु कर दी उसकी गांड बहुत टाइट थी पर ज्योत्सना इतनी गर्म हो चुकी थी की आराम से मेरे ७ इंच लम्बे और ४ इंच मोटे लंड को घुसवा ली और फिर हमने अपनी पोजीशन चेंग किया मै निचे और ज्योत्सना अपनी गांड में मेरे लंड को फसा कर मेरे ऊपर बैठ कर धक्के मार रही थी |

२० -२५ धक्के अभी लगे ही होंगे की मैंने करीब आने लगा और आखिर में आने वाला था की ज्योत्सना ने भी अपनी चूत रगडनी सुरु कर दिया और अब मै झड़ने लगा मेरे वीर्य की गर्मी से ज्योत्सना की चूत पानी की बौछार होने लगी जो मेरे मुह को भी भीगा दिया और ये सब मेरे ऊपर हो रहा था और पहली बार किसी लड़की को इस तरह झड़ते हुए देख रहा था दोस्तों अब तो मै हर सैटरडे ज्योत्सना की चूत और गांड बजता हूँ अब उसकी गांड और भी बाहर निकल गयी है |

दोस्तों मेरी सच्ची कहानी कैसी लगी बताने के लिए आप मुझे मेल कर सकते है या कमेंट बॉक्स में अपने विचार लिख सकते है |

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मेरी माँ और दोनों बहने – 8 | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/bhai-bahan/meri-maa-aur-dono-bahane-part-8.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/bhai-bahan/meri-maa-aur-dono-bahane-part-8.html#respond Sun, 05 Nov 2017 02:34:18 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=10710 तू बड़ा बेशरम हो गया है तू मानेगा नहीं ठीक है बाबा छोड़ ना मुझे बताती हूँ मेम साहेब क्या चाहती हैं मा ने मुझ से छूटने की नाकाम कोशिश करते हुए कहा मैने उसे छोड़ा उसकी साड़ी नीचे कर दी पर गोद से हटाया नहीं ह्म्‍म्म्म ये हुई ना बात चल जल्दी बता मैने मा का चेहरा अपनी तरफ करते हुए कहा बेटा वो तेरा मस्त लंबा मोटा लौडा अपनी चूत में लेना चाहती है

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मेरी माँ और दोनों बहने -7

इस कहानी को पढ़ने से पहले कहानी के पिछले पुरे पार्ट को पढ़े ऊपर दिए लिंक पर क्लिक कर… और अब आगे की कहानी पढ़े … अया क्या मस्ती थी सुबह सुबह हम तीनों एक दूसरे से लिपटे थे और एक दूसरे को चूमे जा रहे थे रश्मि आज ज़यादा दर्द तो नहीं हुआ ना रे ? मैं बहुत जोश में था मैने रश्मि को चूमते हुए कहा नहीं भाई अब मेरी चूत बिल्कुल तैय्यार हो गयी है भाई के बाँस के खंबे के लिए “और उस ने हाथनीचे करते हुए अपने प्यारे प्यारे खंबे जैसे मेरे लौडे को, जो अब तक सिकुड कर बाँस के लंबी, सुखी, पतली पट्टियों की तरह झुका झुका और मुरझाया सा था |

हम आपस में ऐसे ही लिपटे एक दूसरे से खेल रहे थे कभी चूमते, कभी चाट लेते, कभी दबा देते रश्मि मेरे लौडे से खेलती रही और वंदु मेरे सीने पर हाथ फेरती रही बड़ा ही प्यारा माहौल था | तभी मा बाथरूम से बिल्कुल तरो-ताज़ा हो बाहर आई और हमे मस्ती करते हुए देखा और बोल उठी | वाह रे सुबह सुबह इतना प्यारा माहौल बस ऐसे ही तुम लोग हमेशा प्यार करते रहो पर अब उठो भी तैय्यार हो जाओ मैं जाती हूँ चाय बनाती हूँ मुझे देर हो रही है |

और हम सब फिर से एक दूसरे को चूमते हुए उठ गये आज के दिन की शुरुआत हो चूकी थी प्यार, और रस से भरपूर शुरुआत

और इसी तरह मस्ती, प्यार और हंसते, मुस्कुराते हमारे दिन गुज़रते गये हम सब एक दूसरे के इतने करीब थे के एक दूसरे के दिल की बातें, देखते ही समझ जाते हम बस अपनी ही दुनिया में मस्त थे एक दूसरे में खोए किसी और की हमें परवााह ही नहीं थी बस हम थे
और हमारी चुदासि-चौकड़ी येई हमारा मक़सद था ये चुदासी-चौकड़ी का नामकरण हमारी सब से चुदासि बहन रश्मि का ही दिया था बड़ा सटीक नाम था

ऐसे ही करीब महीने दो महीने निकल गये

एक रोज की बात है

मैं अपने काम से उस रोज कुछ जल्दी ही घर आ गया मा अभी भी बंगले पर ही थी

मैं हाथ मुँह धो बिस्तर पे लेटा था

दरवाज़े पे ख़त-खत हुई मैं बाहर आया तो देखा बंगले का माली वहाँ खड़ा था

मैने पूछा क्या है शंकर भाऊ ? उसे सब इसी नाम से बुलाते थोड़ा बुज़ुर्ग था इसलिए भाऊ याने बड़े भाई के तरह उसे मानते

हरी तुझे मेम साहेब ( म्र्स केपर ) बूला रही हैं जल्दी जा ”
मैं बड़ा हैरान था म्र्स केपर मुझे क्यूँ बुलाने लगी और मा तो वहीं हैं फिर कोई काम होता वे मा से भी बता सकती थीं मुझे बुलाने की क्या ज़रूरत ? और आज तक तो कभी उन्होने बुलाया नहीं क्या बात हो सकती है ?

हम सब वहाँ उन्हें मेम साहेब ही बोलते थे एक दो बार मैने उन्हें देखा भी था बहुत सीरीयस सी लगी मुझे थोड़ी मोटी भारी भारी सा बदन एक पंजाबी औरत की तरह बिल्कुल गोरी चिटी पर मिज़ाज़ हमेशा गर्म ही रहता मैं डरा डरा सा था

मैने फिर से भाऊ से पूछा मेम साहेब मुझे बूला रही है ?? क्या बात है भाऊ ?”

अब मैं क्या बताऊ रे हरी जा जल्दी जा देर ना करना वरना चील्लायेगि ”

अच्छा ठीक है तू चल मैं अभी के अभी आया कपड़े तो पहन लूँ ”

भाऊ वापस लौट गया और मैं अंदर गया कपड़े पहने, बाल-वाल ठीक किए और बंगले की ओर निकल पड़ा

मेरे चेहरे पे एक उलझन, शंका, डर, परेशानी इन सब का मिला जुला झलक सॉफ नज़र आ रहा था

मैं लंबे लंबे कदमों से वहाँ पंहुचा बरामदे की सीढ़ियाँ चढ़ ही रहा था के दरवाज़ा खुला और मा बाहर आई और मुझे देखा मैं परेशान सा था मा ने मेरे चेहरे पे हवाइयाँ उड़ते देखा और वो जोरों से हंस पड़ी मुझे थोड़ा गुस्सा भी आया मेरी जान निकल रही है और ये हँसे जा रही है

मा मेरे पास आई मेरे गालों को पूचकारते हुए कहा

अरे अरे तू तो बड़ा परेशान है अरे कोई परेशानीवाली बात नही अंदर जा और मेम साहेब से अदब से बात करना और जो वो कहें हां कर देना ठीक है ना ? उस के चेहरे पर एक अजीब सी मुस्कान थी मुझे कुछ समझ नहीं आया उसकी मुस्कुराहट के पीछे क्या छिपी थी

मैने हां में गर्दन हीला दी पर चेहरे पे उलझन कम नहीं हुई और भी बढ़ गयी

मा तो मुझे दिलासा देती हुई अपनी अजीब सी मुस्कान लिए आगे बढ़ गयी घर की ओर पर मैं और ही हैरान परेशान था

मेम साहेब मा से भी खबर भिजवा सकती थीं मेरे को ही क्यूँ बुलाया मैं लाख कोशिश करता रहा दीमाग चलाता रहा पर ये सवाल अभी भी मेरे सामने पहाड़ की तरह खड़ा था

मैने डरते डरते अपने कदम आगे बढ़ाए दरवाज़े के बाहर अपने चप्पल उतारे और दरवाज़ा खटखटाया

अंदर देखा तो वहाँ कोई नहीं था ड्रॉयिंग रूम खाली था

थोड़ी देर तक दरवाज़े पर ही खड़ा रहा कोई बाहर नहीं आया मेरी परेशानी बढ़ती जा रही थी एक मिनिट दो मिनिट कोई नहीं मैने फिर से दरवाज़ा खटखटाया

इस बार अंदर से आवाज़ आई कौन है ?बड़ी रुअब्दार और कड़क आवाज़ थी एक औरत की आवाज़ और इतनी रूखी मेरी तो जान ही निकल गयी मैने इस से पहले कभी भी मेम साहेब की आवाज़ नहीं सुनी थी पर उनका सीरीयस चेहरा ज़रूर देखा था और ये आवाज़ उनके
सीरीयस चेहरे से बिकुल मेल खा रहा था.

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मैने हकलाते हुए जवाब दिया मैं हूँ हरी मेम साहेब मेरी आवाज़ ऐसी थी मुझे खूद सामझ नहीं आया ये आवाज़ मेरी ही थी

ओऊह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह हरी तू आ गया ज़रा बैठ, मैं बस आई इस बार आवाज़ कुछ नर्मी लिए थी थोड़ी राहत मीली

मैं खड़ा ही रहा, थोड़ी देर बाद ड्रॉयिंग रूम की सीढ़ियों से चलती में साहेब नीचे उतरने लगी

मेरी परेशानी फिर से बढ़ गयी

मैं आँखें फाडे उनकी तरफ देख रहा था क्या यही हैं वो सीरीयस सी दिखनेवालि मेम साहेब ???

एक मोटी औरत भी इतनी खूबसूरत दिख सकती है आज तक मैने सोचा ना था

जैसे जैसे सीढ़ियों से उतरते पास आती जाती उनके शरीर की बनावट और खूबसूरती भी मेरे सामने उभरती जाती. आप यह हॉट हिंदी सेक्सी कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |

आज तक मैने उन्हें इतने पास से कभी नहीं देखा था और ज़्यादा ध्यान से भी नहीं देखा था

उनकी हाइट एक औरत की उँचाई के हिसाब से ज़्यादा ही थी इस से उनका मोटापा ज़्यादा नहीं दिखता मांसल बाहें भरा भरा सीना लो कट कुर्ता था दूधिया रंग नाक नक्शा भी सुडौल गहरे पिंक लिपस्टिक होंठों पर खीलते हुई टाइट सलवार से जंघें बाहर निकलने को बेताब

और हल्का सा पर्फ्यूम

उनका ये रूप मेरी परेशानी को और भी बढ़ा दिया पर डर कम हो गया कम से कम इतना मुझे विश्वास हो गया और कुछ भी कर लें मेम साहेब पर इस रूप में गुस्सा तो नहीं ही करेंगी

मैं अभी भी खड़ा ही था

वो पास रखे सोफे पर आ कर बैठ गयी और मुझे अपने पास बुलाया

आ हरी बैठ खड़ा क्यूँ है ? ”

मेरी हिम्मत नहीं हुई उनके साथ बैठने की नहीं मेम साहेब मैं यहीं ठीक हूँ ”

अरे आ तो मैं क्या इतनी भयानक हूँ मेरे से डर लग रहा है तेरे को ? उन्होने हंसते हुए कहा

आ जा आ पास बैठ तुझ से कुछ ज़रूरी बातें करनी है तू उतनी दूर खड़ा रहेगा फिर बातें कैसी होगी ?? डरो मत आ जाओ उन्होने बड़ी प्यारी प्यारी आवाज़ में कहा

मैं सेहम्ते हुए पास गया और उन से कुछ दूरी बनाते हुए सोफे के बिल्कुल आगे की तरफ बैठ गया सर सामने की तरफ

उन्होने समझ लिया फिलहाल मैं इस से ज़्यादा और पास नहीं आ सकता

उन्होने बात शुरू की

देख हरी तुझे कार चलानी आती है ना ?? निशा बता रही थी तू जानता है ?”

” हां मेम साहेब पर मेरे पास लाइसेन्स नहीं मैने कार सफाई करते करते अपने एक और सफाई करनेवाले दोस्त से जो पार्ट टाइम ड्राइवरी भी करता था उस से कार चलाना सीख ली थी ये मेरे लिए भी ज़रूरी था क्योंकि कभी कभी सफाई की कार आगे पीछे भी करनी पड़ती
थी, और कभी वॉश करने के लिए पानी के नल के पास कार ले जानी पड़ती कार चलाना जान ने से मेरे काम में सहूलियत होती

कोई बात नहीं हरी फिलहाल कॉंपाउंड से बहार जाने की ज़रूरत नहीं तू मुझे कार चलाना सीखा दे कॉंपाउंड के अंदर ही बोल सीखायगा ?? कुछ दिनों बाद मैं अपना और तेरा दोनो का साथ ही पक्का लाइसेन्स भी बनवा दूँगी ”

बात करते करते मेम साहेब मेरे करीब आ गयी मुझ से लघ्भग चिपकती हुई उनके बदन की खूशबू मुझे और भी परेशान कर रही थी आज मेरी परेशानी कम होती नज़र ही नहीं आती हां मेम साहेब सीखा दूँगा मैने धीमी आवाज़ में कहा |

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गुड चलो अच्छा हुआ तुम ने हां कर दी कल से शुरू कर दें ? मैं इतने दिनों से तेरे को देख रही हूँ तू काम से आता है फिर हमेशा घर पर ही रहता है और लड़कों की तरह आवारगार्दी नहीं करता इसलिए मैने तुझ को ही बोला ऐसा कहते हुए उन्होने अपना एक हाथ मेरे कंधे
पर रख दिया और उसे हल्के से दबा भी दिया

उनकी इस हरकत से में चौंक उठा और उनकी तरफ देखा उनके चेहरे पर हल्की सी मुस्कान थी

अरे बाबा तू इतना आगे क्यूँ बैठा है आराम से बैठ ना ”

जी मैं ठीक हूँ मैं ने फिर से धीमी आवाज़ में कहा

“खाक ठीक है चल पीठ पीछे कर और सोफे से पीठ टीका दिखने में इतना लंबा चौड़ा लगता है पर इतना डरता है मैं कोई खा जाऊंगी ??और हँसने लगी
उनकी ऐसी बातों से मुझे थोड़ी राहत मीली और मैं पीछे सरकता हुआ थोड़े आराम से बैठा

पर मैं सोचने लगा इनके पास तो ड्राइवर है फिर इन्हें कार चलाना क्यूँ सीखना है और सीखना भी है तो मुझ से क्यूँ ? ड्राइवर से ही सीख लेतीं

उनकी नज़र मेरी तरफ ही थी उन्होने भाँप लिया मैं किसी सोच में हूँ.

कहानी जारी है … आगे की कहानी पढ़ने के लिए निचे दिए पेज नंबर पर क्लिक करें ….

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मेरी माँ और दोनों बहने – 5 | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/bhai-bahan/meri-maa-aur-dono-bahane-part-5.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/bhai-bahan/meri-maa-aur-dono-bahane-part-5.html#respond Thu, 02 Nov 2017 05:30:13 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=10707 रश्मि ने भी मेरे से चिपकते हुए मेरी दूसरी गाल चूम ली हम सब हँसी, मज़ाक के माहौल में खाना खाते रहे कहते हैं ना चुदाई के बाद लौडे की भूख तो शांत हो जाती है पर पेट की भूख जाग उठ ती है मुझे भी वंदु की चुदाई के बाद जोरों की भूख लगी थी, और आज ही बढ़िया खाना भी था

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मेरी माँ और दोनों बहने -4

इस कहानी को पढ़ने से पहले कहानी के पिछले पुरे पार्ट को पढ़े ऊपर दिए लिंक पर क्लिक कर… ये कहानी माँ बहन की चुदाई से सम्बंधित है. अब आगे….दोनो हाँफ रहे थे जब मेरी सांस ठीक हुई मैने अपना सर उसके मुलायम सीने से उपर उठाया उसे देखा वंदु की आँखें अभी भी बंद थीं चेहरे पे एक सुकून था, मानो उस ने सारा जहाँ फ़तेह कर लिया हो होंठों पे हल्की सी मुस्कान थी मैने उसके होंठों को चूम लिया वंदु ने आँखें खोल दीं मेरी ओर देखा मेरे बाल सहलाने लगी वंदु दर्द ज़्यादा हुआ क्या ?”                                                                                                                    उसने कहा भाई अगर येई दर्द है तो ऐसे हज़ारों बार का दर्द अपने भाई पर कुर्बान है तू रोज मुझे ऐसा दर्द दे भाई ” और वो मुझ से चिपक गयी और खुशी के मारे फफक फफक के रो पड़ी ये रोना तभी आता है जब खुशियाँ सारी सीमायें तोड़ डालती हैं, जब किसी को ये समझ में ना आए के क्या कहे, कैसे कहे फिर आँसू ही आखरी सहारा होता है अपने आप को ज़ाहिर करने का “भाई तुम कितने अच्छे हो कितने प्यारे हो उफफफफ्फ़ कितना प्यार है तुझे हम सब से ” हां वंदु और मैं फिर से उसके सीने पर सर रख दिया, दोनो एक दूसरे की बाहों में पड़े पड़े सो गये. थोड़ी देर बाद मेरी नींद खुली मैने आँखें खोलीं देखा वंदु दुनिया से बेख़बर मेरे सीने से लगे अभी भी सो रही थी कितनी मासूम लग रही थी उसका एक हाथ मेरे सीने पर रखा था.

दीवार पर टाँगे एक पुरानी सी घड़ी पर नज़र गयी 10 बज गये थे मेरे काम पर जाने का टाइम हो चूका था वंदु की तरफ नज़र गयी अफ कितनी हसीन लग रही थी उसका नंगा बदन मेरे से चिपका चेहरे पर सुकून मानो मेरे सीने से लगी अपने आप को कितना महफूज़ समझ रही हो मैं उठना चाहा पर जाने क्यूँ उसके हाथ मेरे सीने पर कस गये मानो मुझे रोक रही हो मुझे समझ नही आया ये अंजाने में हुआ या उस ने जान बूझ कर किया. मैं रुक गया अपनी शर्मीली बहन पर मेरा मन फिर से डोल गया मैने सोचा चलो आज का काम अपनी बहन पर कुर्बान कर दो उस ने भी तो आज सब कुछ मेरे पर कुर्बान कर दिया है ऐसा मौका बार बार नहीं आता. मैं फिर से लेट गया और उस के चेहरे की तरफ घूमता हुआ आमने सामने लेट गया उसका चेहरा अपने हाथों में लिया और उसके होंठ चूमने लगा मेरे चूमने से उसकी नींद खुल गयी. भाई अभी भी मन नहीं भरा ? और कितना चूसोगे उफ्फ देखो ना मेरे होंठ कितने सूज गये हैं उस ने खुमारी से भारी आवाज़ में कहा वंदु इस से कभी मन भरता है क्या ? मन करता है बस तुम्हें ऐसे ही चूस्ता रहूं और मैने ऐसा कहते हुए उसे अपने से और भी चिपका लिया तू ने ही तो कहा था ना मैं जो जी में आए करूँ तो रानी मैं वही तो कर रहा हूँ मैने हंसते हुए कहा..,

वंदु ने फिर से आँखें झुका लीं बड़े बेशरम हो तुम धीमे से उस ने कहा और मेरे सीने पर प्यार से मुक्के लगाने लगी. मैने उसके हाथ पकड़ लिए और उसकी हथेली मुँह में डाल उसकी लंबी लंबी और मुलायम उंगलियाँ चूसने लगा. भाई तेरे को लगता है सब कुछ छोड़ मेरी उंगलियाँ ही इतनी अच्छी लगीं जब देखो चूसना शुरू करते हो ”

हां रे बड़ी मस्त हैं मैने कहा और चूसना शुरू कर दिया वंदु भी अब मस्ती में आ रही थी उसकी आँखें बंद हो रही थीं

मैने एक टाँग उसकी जाँघ के उपर रख उसे अपने से और भी चिपका लिया अब उसकी चुचियाँ मेरे सीने से बिल्कुल चिपक गयी थीं मानो गुब्बारा चिपका हो मेरा लौडा भी उसकी जांघों के बीच उसकी चूत से रगड़ खा रहा था.

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वंदु को भी अच्छा लगा उसकी चूतड़ भी अपने आप आगे की ओर हो गये मैने अपना हाथ नीचे किया उसकी चूत पर लगाया

काफ़ी चीपचीपा था मेरे वीर्य, उसके खून और रस से भरा भरा

वंदु ने मेरे हाथ रोक लिए और कहा भाई ज़रा रुक ना मैं अभी आई और उठ कर कोने की ओर गयी, मैने अपना सर घुमाया उसकी तरफ देखा तो पहले तो च्छुरर चुर्र मूतने की आवाज़ आई वंदु कोने में जहाँ पानी की बाल्टी रखी थी वहाँ एक नाली बनी थी वहीं बैठ कर मूत
रही थी अया उसकी चूत से मूत की धार की आवाज़ ने मुझे सन सना दिया फिर मैं देखा उस ने अपनी टाँगें फैलाई और एक गीले कपड़े से जांघों के बीच अच्छी तरह सॉफ किया, और दूसरा सूखा कपड़ा हाथ मे लेते हुए मेरी तरफ आई

उफफफफ्फ़ पूरी की पूरी नंगी, मेरे सामने वंदु खड़ी थी चलती हुई मेरी तरफ बढ़ रही थी मानो कोई मॉडेल फॅशन परदे में चल रही हो इतना शेप्ली था वंदु का बदन चुचियाँ उछलती हुई, पेट और भारी भारी जंघें हिलती हुई चूत बिल्कुल सॉफ सुथरा, चमचमाती हुई चेहरे पर
हल्की हल्की शर्मीली मुस्कान नज़रें आधी झुकी आधी खुली मैं तो बस पागल हो उठा और इसके पहले कि वो खाट पर बैठ टी, मैने उसे जाकड़ लिया अपने सीने से चिपका लिया और उसे बेतहाशा चूमने लगा कभी होंठों को, कभी चूचियों को कभी पेट उफ़फ्फ़ मेरी समझ में
नहीं आ रहा था क्या करूँ कहाँ कहाँ चूमूं

उफफफफफ्फ़भाई क्या कर रहे हो छोड़ो ना “और वो कसमसा रही थी मेरी बाहों में

मेरा लौडा फिर से खड़ा उसकी जांघों के बीच दबा था

“ठहरो ना भाई इतने उतावले मत हो ना देख ना तेरा हथियार भी गंदा है मैं सॉफ कर देती हूँ चल बैठ जा फिर जो चाहे करना छोड़ ना ”

और उस ने बड़ी मुश्किल से अपने को छुड़ाया मुझे धीरे से धकेलते हुए खाट पर बैठा दिया खुद नीचे फर्श पर बैठ गयी मेरे पैरों के बीच और मेरे तननाए लौडे को अपने हाथों में लिया और सूखे कपड़े से अच्छी तरह अपनी हथेली उपर नीचे करते हुए बड़े प्यार से पोंछने लगी
मेरे लौडे पर लगे खून, वीर्य और उसकी चूत के रस को पोंछती रही

मेरा लौडा हिल रहा था उसके हाथ के छूने से मैं बिल्कुल पागल हो गया

मैने उसे अपनी बाहों से जकड़ता हुआ उठाया और खाट पे लिटा दिया और उसके टाँग फैला दी आज पहली बार मैं इतना बेचैन हुआ था किसी की चूत में लंड पेलने को
मेरे चूम्मा चाटी से उसकी भी चूत गीली थी पहली चुदाई का उस पर कोई निशान नहीं था चूत चमक रही थी मुझ से रहा नहीं गया मैने झूकते हुए उसकी चूत की फाँक को उंगलियों से फैला दिया और अपने होंठ गुलाबी फाँक में लगा बूरी तरह चूसने लगा वंदु उछल
पड़ी,,उसकी चूत से रस की धार मेरे मुँह में फूट पड़ी

हाआआआआऐयइ रे ऊवू मैं मर गेययी भाई क्या कर रहे हो आआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह मेरे अंदर क्या कर दिया रे भाई अयाया कांप उठी वंदु उसके चूतड़ उछल रहे थे

मुझ से रुका नहीं गया

मैने चूसना बंद किया अपना लौडा थामा और रख दिया उसकी चूत पर उसकी चूतड़ थामी और एक झटके में अंदर पेल दिया आधे से ज़्यादा लौडा अंदर फतच से फिसलता हुआ घूस गया

आआआः भाई ज़रा संभाल के दर्द होता है उफफफफ्फ़ मैं मर जाऊंगी भाई धीरे करो ना ”

मेरा लौडा उसकी टाइट चूत में फँसा था मुझे होश आया मैने क्या कर दिया उफ़फ्फ़ बेचारी की चूत अभी भी पूरी तरह खुली नहीं थी

मैने उसे अपने से और चिपका लिया उसे चूमने लगा उसकी चुचियाँ सहलाने लगा

ओह सॉरी वंदु क्या करूँ तू ने मुझे पागल कर दिया था ना “और मैं उसे और भी चूमने लगा

भाई कोई बात नहीं मैं भी तो पागल हो गयी हूँ ना तेरे लौडे के लिए मैं समझती हूँ भाई पर अभी नयी नयी चूत है ना भाई ज़रा आराम आराम से करो ना मैं थोड़ी ना रोकूंगी ” आप यह हॉट हिंदी सेक्सी कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |

उफ़फ्फ़ वंदु जैसी शर्मीली लड़की के मुँह से चूत और लौडा सुन के मैं और भी जोश में आ गया जवानी के जोश ने उसे कितना बेशर्म कर दिया था सब कुछ भूल गयी थी वंदु

मैने अब धीरे धीरे से अपने और भी कड़क हुए लौडे को अंदर पेलना चालू कर दिया इस बार अंदर जाने में ज़्यादे तकलीफ़ नहीं हुई वंदु ने भी अपने को बिल्कुल ढीला छोड़ दिया था और अपनी टाँगें और फैला दी थीं फिर एक और झटका दिया मैने और पूरे का पूरा लौडा अंदर
था अयाया उसकी चूत से अब तो रस की गंगा बह रही थी मेरे लौडे और उसकी चूत की दीवार के बीच से रीस रही थी

मैने अब धक्के लगाने शुरू कर दिए अंदर बाहर अंदर बाहर पूरी जड़ तक फतच फतच की आवाज़ और वंदु की सिसकारियाँ हाईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई रे उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़
भाईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह इतना मज़ा ऊवू भाई हांईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईरे आज मेरी जान निकाल दो मेरे राजा भाई आआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ये क्या
हो रहा है ”

और मेरे धक्के भी ज़ोर पकड़ते गये और ज़ोर

और फिर वंदु की सीसकारीया चीख में बदल गयी :भाई भाई ऊवू भाई बस बस आआआआआआः और वो अपनी चूतड़ उछाली मेरे लौडे पर उसकी चूत के काँपने का जकड़ने का और ढीली होने का ऐएहसास हुआ और वंदु भी ढीली हो कर, टाँगें और हाथ फैला कर सूस्ट पड़
गयी उसकी चूत से गाढ़ा रस का रिसाव मेरे तननाए लंड पर महसूस हुआ मैं भी दो चार ज़ोर दार धक्के लगाता हुआ उसकी चूत में पीचकारी छोड़ दिया गर्म वीर्य की धार से वंदु का सूस्त बदन भी गन्गना गया सिहर उठी वंदु और मैं उसके सीने पर हांफता हुआ ढेर हो गया.

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दो दो बार घमासान चुदाई से मैं पस्त हुआ सो रहा था के मेरे सीने पर कुछ गीला पन महसूस हुआमेरी आँखें खुल गयी देखा तो वंदु जाग गयी थी और मेरी घूंडिया चूसे जा रही थी और हाथ नीचे किए मेरे मुरझाए लौडे से खेल रही थी

मैं चुप चाप लेता रहा और वंदु को देखता रहा और मन ही मन सोचने लगा के लौडे और चूत का खेल भी क्या चीज़ है वंदु जैसी शर्मीली लड़की भी देखो कैसी बेशरम हो गयी

मैने कहावंदु तुझे मेरा लौडा इतना अच्छा लगा रे ? देख ना सब के सामने तो कितना शरमाती है और अभी कितने प्यार प्यार से सहला रही है ?”

मुझे जगा देख वो थोड़ी शरमाई और नज़रें नीची कर ली पर बोल उठी

हां भाई तू ठीक ही कह रहा है देखो ना मुझे क्या हो गया मेरा हाथ खुद ही वहाँ चला गया और मेरे लौडे को जोरों से जाकड़ लिया और तेरा लौडा भी तो कितना मस्त है रे कितना कड़क, मोटा और लंबा हाथ से पकड़ने में बड़ा अछा लगता है रे तभी तो साली रश्मि जब
देखो इसे थाम्ति रहती है ”

मैने उसे अपने से चिपका लिया बस अब क्या है ये तो बस तुम सब के लिए ही है रे वंदु जब मन आए थाम लिया कर ”

तभी उसकी नज़र दीवाल पर लगी घड़ी की ओर गयी और वो चौंक्ति हुई बोली

अरे बाप रे देख तो भाई 1230 बज गये अरे बाबा चल उठ मा और रश्मि आते ही होंगे ”

मैने उसे फिर से जकड़ा और उसकी चुचियाँ दबा दी और कहा

तो क्या हुआ मेरी बहना रानी अब तो सब कुछ हो गया सब से क्या छुपा है आने दो ना उन्हें भी साथ लिटा देंगे ”

उस ने मेरे गालों पर हल्का सा थप्पड़ लगाते हुए कहा

चुप रे बेशरम ऐसा भी कहीं होता है और अपने को छुड़ाने की कोशिश की

मैने उसे और भी चिपका लिया और कहा

बस देखती जा वंदु ये लौडे और चूत का खेल क्या क्या रंग दिखाता है हम चार ही रहेंगे पर अब साथ रहेंगे हर समय सब काम साथ साथ करेंगे ”

हाई रे भाई मैं तो शर्म से मर जाऊंगी रे ऐसा मत बोल ”

हा हा हा ! देख वंदु पहले तू अकेले में भी कितना शरमाती थी पर देख अब तेरी हालत ? बस वैसे ही देखना कितना अच्छा लगेगा ”

ठीक है बाबा जब की जब देखी जाएगी अभी तो उठ और कपड़े पहन ”

और ऐसा बोलती हुई वंदु मुझे धकेल्ति हुई उठ गयी और अपने कपड़े उठा कोने की ओर चली गयी

मैं भी उठा और हाथ मुँह धो कपड़े पहन खाट पर बैठ गया

थोड़ी देर बाद ही दरवाज़े पर खत खत हुई, मैं समझ गया दोनो आ गयी तीन मैने वंदु की तरफ देखा वो भी कपड़े पहन चूकी थी मैं दरवाज़े की तरफ गया और दरवाज़ा खोला

दोनो मा बेटी बाहर खड़े थे

दरवाज़ा खुलते ही मा तो सीधे चूल्‍हे की तरफ चली गयी उसके हाथ में एक बड़ा सा पॉलितेन बॅग था और रश्मि मेरे सामने खड़ी मुझे नीहार्ते हुए बोली

भाई चेहरा बड़ा थका थका लग रहा है तेरा लगता है वंदु की तो तू ने अच्छे से ले ली और वंदु की ओर देख जोरों से हँसने लगी.

कहानी जारी है … आगे की कहानी पढ़ने के लिए निचे दिए पेज नंबर पर क्लिक करें ….

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