गीली चूत – | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru 100% Free Hindi Sex Stories - Sex Kahaniyan Tue, 20 Feb 2018 13:48:23 +0000 en-US hourly 1 /> //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/wp-content/uploads/2015/10/cropped-mastaram-dot-net-logo-red-32x32.png गीली चूत – | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru 32 32 भाभी के साथ चुदाई का मज़ा ली | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/group-sex/bhabhi-ke-sath-chudai-ka-maza-lee.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/group-sex/bhabhi-ke-sath-chudai-ka-maza-lee.html#respond Mon, 19 Feb 2018 16:20:31 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=12059 हेल्लो यह मेरी सच्ची कहानी है मेरी चुदाई करवाने में मेरी भाभी ने मुझे बहुत मदत की तब कही जा के मेरी चूत को लौड़ा मिला वही अनुभव आप सभी से शेयर कर रही हूँ आशा करती हूँ आप सभी को पसंद आएगी |

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भाभी के साथ चुदाई का मज़ा ली
( bhabhi ke sath chudai ka maza lee )

नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम निखिल है, मैं आपको पहले भी बता चुका हूँ कि मेरी सभी कहानियाँ काल्पनिक हैं जिनका किसी से भी कोई सम्बन्ध नहीं है अगर होता भी है तो यह मात्र एक संयोग ही होगा। मैं डेढ़ महीने से ज्यादा गाँव में रहा और श्रुति भाभी के साथ काफी मजा किया। मेरी छुट्टियाँ समाप्त हो गई थी इसलिए मैं वापस अपने घर आ गया। मैं घर आया तब तक मेरे भैया छुट्टियाँ समाप्त करके अपनी ड्यूटी पर जा चुके थे इसलिये अब मैं अपनी श्रुति भाभी के साथ उनके कमरे में सोने लगा और मेरे व भाभी के शारीरिक सम्बन्ध बनने फिर से चालू हो गये।

मुझे गाँव से आये हुए अभी दस दिन ही हुए थे कि एक दिन शाम को जब मैं क्रिकेट खेलकर घर आया तो देखा कि ड्राईंगरूम में जहरू चाचाजी बैठे हुए थे। उनको देखकर मैं थोड़ा सा डर गया कि कहीं उनको मेरे और श्रुति भाभी के बारे में पता तो नहीं चल गया और वो उसी की शिकायत करने के लिये यहाँ आये हों ?

खैर मैं उनके चरण स्पर्श करके सीधा अन्दर चला गया और जब अन्दर गया तो देखा की निधि (जहरू चाचा जी की बेटी) भी आई हुई थी, बाद में मुझे पता चला कि निधि को नौकरी के लिये कोई परीक्षा देनी है, उसी के लिये जहरू चाचाजी निधि को शहर लेकर आये हैं।

निधि की परीक्षा अगले दिन थी इसलिये वो दोनों उस रात हमारे घर पर ही रहे। अगले दिन परीक्षा के बाद वो जाना चाहते थे मगर मेरे मम्मी पापा निधि को हमारे घर कुछ दिन रुकने के लिये कहने लगे। वैसे तो निधि की छुट्टियाँ ही चल रही थी मगर वो अपने कपड़े लेकर नहीं आई थी इसलिए वो मना करने लगी। इसके लिये मेरी मम्मी ने उनहें श्रुति भाभी के कपड़े पहनने के लिये बताया और आखिरकार निधि रुकने के लिये मान गई। निधि को हमारे घर पर ही छोड़कर जहरू चाचाजी वापस गाँव चले गये।

निधि के रूकने से मेरे मम्मी पापा तो खुश थे मगर इसका खामियाजा मुझे भुगतना पड़ा क्योंकि निधि मेरी भाभी के साथ उनके कमरे में सोने लगी और मुझे फिर से ड्राईंगरूम में बिस्तर लगाना पड़ा जिससे मेरे और मेरी भाभी के शारीरिक सम्बन्ध होने बन्द हो गये, हमारे सम्बन्ध बस चूमने चाटने और लिपटने तक ही सीमित होकर रह गये थे, और वो भी तभी होता जब भाभी रात को घर का मुख्य दरवाजा बन्द करने के लिये ड्राईंगरूम से होकर आती जाती थी।

हमारे घर का मुख्य दरवाजा मेरी भाभी ही खोलती और बन्द करती थी क्योंकि रात को भाभी ही घर के काम निपटा कर सबसे आखिर में सोती और सुबह जब दूधवाला आता तो भाभी ही दूध लेने के लिये सबसे पहले उठकर दरवाजा खोलती थी, इसके लिये उन्हें ड्राईंगरूम से होकर गुजरना पड़ता था।

मैं उन्हें कभी कभी वहीं पर पकड़ लेता था मगर अब तो भाभी उसके लिये भी मना करने लगी क्योंकि एक बार जब मैं भाभी को ड्राईंगरूम में पकड़ कर चूम रहा था तो अचानक से निधि आ गई, उसने हमे देख लिया था। इसके बारे में निधि ने किसी से कुछ कहा तो नहीं मगर उसको हमारे सम्बन्धों का शक हो गया था इसलिये वो अब हम दोनों पर नजर रखने लगी, मगर वो जाहिर ऐसा करती जैसे कि उसे कुछ पता ही नहीं हो।

मुझे निधि से चिढ़ सी होने लगी थी, मैं सोचता रहता कि आखिर यह कब हमारे घर से जायेगी और इसी तरह हफ्ता भर गुजर गया।

एक बार रात में बिजली नहीं थी क्योंकि शाम को काफी जोरो से आँधी और बारिश होने के कारण लगभग पूरे शहर की ही बिजली गुल थी। बिजली नहीं होने के कारण सभी ने जल्दी ही खाना खा लिया। मेरे मम्मी पापा तो खाना खाते ही सो गये और मेरी भाभी व निधि घर के काम निपटाने लगी।

बिजली के बिना पूरे घर में अन्धेरा था, बस मोमबत्ती की रोशनी से ही काम चल रहा था, मैं मोमबत्ती की रोशनी में पढ़ाई तो कर नहीं सकता था, इसलिये खाना खाने के बाद ऐसे ही ड्राईंगरूम में लेट रहा था और भाभी के बारे में ही सोच रहा था।

तभी ड्राईंगरूम के अन्दर कोई आया और बाहर की तरफ चला गया। ड्राईंगरूम में इतना अन्धेरा था कि कुछ दिखाई नहीं दे रहा था बस दोनों तरफ के दरवाजे ही बाहर से आने वाली थोड़ी सी रोशनी की वजह से अन्धेरे में दिख रहे थे।

मैं समझ गया कि भाभी घर का मुख्य दरवाजा बन्द करने के लिये गई हैं, तभी मेरे शैतानी दिमाग में एक योजना आई, मैं सोचने लगा कि आज चारों तरफ अन्धेरा है और ड्राईंगरूम में तो कुछ भी दिखाई देना मुश्किल है इसलिये क्यों ना आज अन्धेरे का फायदा उठा लिया जाये।

वैसे भी मुझे भाभी के साथ सम्बन्ध बनाये हफ्ता भर हो गया था इसलिये मेरी हवश भी काफी जोर मार रही थी। इस मौके का फायदा उठाने की सोचकर मैं तुरन्त बिस्तर से उठकर खड़ा हो गया और भाभी के वापस आने का इन्तजार करने लगा।

जैसे ही भाभी घर का मुख्य दरवाजा बन्द करके ड्राईंगरूम से होकर वापस जाने लगी, मैंने उन्हें पकड़ लिया और उनकी गर्दन व गालों पर चुम्बनों की झड़ी लगा दी। अन्धेरे में अचानक हमले से भाभी सकपका गई और जब तक वो कुछ समझ सकें तब तक मैंने उनके दोनों होंठों को अपने मुँह की गिरफ्त में ले लिया ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ मजा आ गया।

भाभी ने अपने होंठों को छुड़ाने की भी कोशिश की मगर मैंने एक हाथ से उनकी गर्दन को पकड़ लिया और उनके होंठों को जोर से चूसने लगा।
भाभी काफी डर रही थी, वो मेरा विरोध तो नहीं कर रही थी मगर काफी कसमसा रही थी।

भाभी के होंठों को चूसते हुए ही मैंने अपना दूसरा हाथ उनके शर्ट के अन्दर भी डाल दिया और उनके पेट को सहलाते हुए धीरे धीरे उरोजों की तरफ बढ़ने लगा जिससे उनका पूरा बदन कांपने लगा, पता नहीं उन्हें ये कंपकपी डर के कारण हो रही थी या फ़िर उत्तेजना के कारण, मैं कुछ समझ नहीं पा रहा था |

भाभी ने मेरे हाथ को रोकने के लिये पकड़ना भी चाहा मगर तब तक मेरा हाथ उनके उरोजों तक पहुँच गया था। शर्ट के नीचे भाभी ने ब्रा पहन रखी थी इसलिये मैं ब्रा के उपर से ही उनके उरोजों को मसलने लगा मगर आज उनके उरोज मुझे कुछ छोटे व काफी कसे हुए से महसूस हुए।

और फिर तभी मेरे दिमाग में एक सवाल सा कौन्ध गया…कही यह निधि तो नहीं?

क्योंकि आज मुझे भाभी का व्यवहार भी कुछ अजीब ही लग रहा था, पहले जब कभी मैं भाभी को चुम्बन करता था तो वो हमेशा मेरा साथ देती थी मगर आज वो साथ देने की बजाय कसमसा रही थी और काफी घबरा भी रही थी।

यह बात मेरे दिमाग में आते ही मेरा हाथ जहाँ था वहीं का वहीं रूक गया और मैं बुरी तरह से घबरा गया। मेरी भाभी की व निधि की लम्बाई समान ही थी और उस दिन दोनों ने ही सलवार सूट पहन रखा था इसलिये अन्धेरे में मैं पहचान नहीं सका कि ये मेरी भाभी है या निधि?

मैंने गलती से आज निधि को पकड़ लिया था। निधि भी डर व शर्म के कारण कुछ बोल नहीं रही थी। शायद वो इस वजह से शर्मा रही थी कि अगर वो कुछ कहेगी तो मैं ये जान जाऊँगा कि उसे मेरे और मेरी भाभी के सम्बन्धों के बारे में पता है और उस दिन उसने मुझे व भाभी को देख लिया था, ऊपर से निधि बहुत डरपोक भी थी। आप यह हॉट हिंदी सेक्सी कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |

अब तो मुझे पता चल गया था कि ये श्रुति भाभी नहीं है बल्कि निधि है मगर फिर भी मैंने निधि को छोड़ा नहीं और उसे वैसे ही पकड़े रखा, क्योंकि इतना सब करने के बाद मैं अब अगर निधि को छोड़ देता हूँ तो वो भी समझ जायेगी कि मैंने उसे क्यों छोड़ दिया, अब निधि के जैसी स्थिति में ही मैं भी फँस गया था |

मेरे दिमाग में अब एक साथ काफी सवाल चल रहे थे। निधि को छोड़ दूँ या फिर पकड़े रहूँ? यह मालूम होने के बाद कि ये निधि है और डर व शर्म के कारण कुछ बोल नहीं रही है तो ना जाने क्यों मुझे बहुत रोमाँचित सा भी लग रहा था और रह रह कर निधि के प्रति मेरी वासना भी जोर मार रही थी।

मेरे दिमाग में एक साथ अनेक विचारों का भूचाल सा मच रहा था, मैं सोच रहा था कि अगर निधि डर व शर्म की वजह से कुछ बोल नहीं रही है तो क्यों ना मैं भी इसका फायदा उठा लूँ | आखिरकार वासना मेरे विचारों पर भारी पड़ने लगी और अपने आप ही मेरे हाथों की पकड़ निधि के उरोजों पर फिर से कसती चली गई। मैं निधि के होंठों को कसकर चूसने लगा और साथ ही धीरे धीरे उरोजों को भी मसलता रहा जिसका वो विरोध तो नहीं कर रही थी मगर अब भी कसमसाये जा रही थी।

कुछ देर उरोजों को दबाने के बाद मैंने अपना हाथ निधि के शर्ट से बाहर निकालकर धीरे से उसकी जाँघों की तरफ बढ़ा दिया और सलवार के ऊपर से ही एक बार उसकी बुर को मसल दिया जिससे निधि चिहुँक पड़ी, उसने मेरे हाथ को वहाँ से हटाकर अपनी दोनों जाँघो को भींच लिया।

तभी बाहर किसी की आहट सी सुनाई दी, शायद ये मेरी भाभी थी। अब निधि भी मुझसे छुटाने का जोरों से प्रयास करने लगी इसलिये मैं उसे छोड़ कर अलग हो गया, मैं नहीं चाहता था कि निधि को पता चले कि मैं उनके साथ ये सब जानबूझ कर कर रहा था। मुझसे छुटते ही निधि जल्दी से ड्राईंगरूम से बाहर चली गई।

निधि तो जा चुकी थी मगर मेरे अन्दर हवस का एक तूफान सा उमड़ रहा था इसलिये उस रात मैंने दो बार हस्तमैथुन किया तब जाकर मुझे नींद आ सकी। मेरी चचेरी बहन तो चली गई पर मेरे अन्दर वासना का तूफान उमड़ रहा था, रात में मैंने दो बार हस्तमैथुन किया तब जाकर मैं सो पाया।

अगले दिन सुबह मैं बिना नाश्ता किये जल्दी ही स्कूल चला गया इसलिये घर में मेरी किसी से भी बात नहीं हुई मगर दोपहर को जब मैं स्कूल से आया तो मेरे दिल में हल्का सा डर था, कहीं निधि ने रात वाली बात किसी को बता ना दी हो?

मगर ऐसा कुछ नहीं हुआ, सब कुछ सामान्य ही रहा और निधि का व्यवहार तो ऐसा था जैसे कल रात के बारे में उसे कुछ पता ही नहीं।

इसी तरह तीन दिन गुजर गये जो बिल्कुल सामान्य ही रहे मगर पता नहीं क्यों निधि के प्रति मेरी सोच को क्या होता जा रहा था, अब वो मुझे बहुत खूबसूरत लगने लगी थी। निधि को गाँव से आये हुए अभी एक हफ्ता ही हुआ था और हफ्ते भर में ही निधि का रंग रूप काफी निखर गया था, ऊपर से वो मेरी भाभी के सलवार सूट पहनती थी जो उस पर इतने खिलते थे उनको देखकर कोई कह ही नहीं सकता कि यह गाँव की वही सामान्य सी दिखने वाली लड़की है।

बिल्कुल गोल चेहरा, बड़ी बड़ी भूरी आँखें, पतले और सुर्ख गुलाबी होंठ, लम्बी सुराहीदार गर्दन, हाँ उनका वक्षस्थल मेरी भाभी के मुकाबले में कुछ छोटा था मगर उसमें काफी कटाव व कसाव था, लम्बा कद, बिल्कुल पतली सी कमर और उसके नीचे भरे हुए माँसल गुदाज नितम्ब व जाँघें!

उस समय भी निधि के शरीर का कटाव किसी फिल्मी अभिनेत्री से कम नहीं था बस कुछ समय की ही दरकार थी। अभी तक मैंने निधि को कभी ऐसे नहीं देखा था। निधि सही में इतनी खूबसूरत हो गई थी, या फिर पता नहीं उस रात के बाद मुझे ही ऐसा लगने लगा था।

निधि के परिवार और हमारे परिवार के बीच काफी करीबी सम्बन्ध थे, उसके पापा को मैं चाचा ही मानता था मगर फिर भी पता नहीं क्यों मैं निधि के प्रति आसक्त सा होता जा रहा था और दिल ही दिल में उसको हासिल करने कल्पना करने लगा था।

मैंने अपने आप को समझाने की काफी कोशिश भी की मगर जब मुझसे रहा नहीं गया तो आखिरकार मैंने निधि को पाने के लिये एक योजना बना ली और इसके लिये सबसे पहले तो मैंने अपनी भाभी को सारी बात बता दी।

मेरी बात सुन कर पहले तो भाभी गुस्सा हुई मगर फिर मान गई और मेरा साथ देने के लिये भी तैयार हो गई।

करीब दो दिन बाद ही मुझे मौका मिल गया, उस दिन हल्की सी बारिश होने के कारण मौसम थोड़ा सा खराब था इसलिये शाम को मौका देखकर मैंने शार्ट-सर्किट का बहाना करके जान बूझ कर हमारे घर की बिजली खराब कर दी जिससे हमारे पूरे घर में अन्धेरा हो गया।

मैं उस दिन की तरह ही अन्धेरे का फायदा उठाना चाहता था और इसके लिये मैंने अपनी योजना पहले ही भाभी को बता दी थी।
बिजली ना होने के कारण रात को सभी ने जल्दी खाना खा लिया और सोने की तैयारी करने लगे। मेरे मम्मी पापा तो खाना खाते ही अपने कमरे में जाकर सो गये और मैं ड्राईंगरूम में आ गया।

अब बर्तन साफ करना और बचे हुए काम मेरी भाभी व निधि को करने थे।
मेरी योजना के अनुसार भाभी ने पहले ही तबियत खराब होने का बहाना बना लिया और बचे हुए काम निधि को खत्म करने के लिये बोल कर अपने कमरे में जाकर सो गई।

निधि ने करीब आधे घण्टे में ही सारे काम निपटा लिये और अब बस उसे घर का मुख्य दरवाजा बन्द करने के लिये आना था, मगर निधि शायद दरवाजा बन्द करने के लिये आना नहीं चाहती थी क्योंकि काम खत्म होने के बाद भी काफी देर तक वो रसोईघर में ही खड़ी रही, वो असमन्जस में थी कि दरवाजा बन्द करने के लिये जाये या ना जाये!

इसके लिये वो अब भाभी को बता भी नहीं सकती थी, आखिर वो करे तो क्या करे?

कुछ देर तक तो निधि ऐसे ही रसोईघर में खड़ी रही और फिर दरवाजा बन्द करने की बजाय सीधा भाभी के कमरे में चली गई, शायद आज वो दरवाजा बन्द करना ही नहीं चाहती थी, इससे तो मेरी सारी योजना विफल होने वाली थी, मगर फ़िर भगवान ने मेरी सुन ली क्योंकि कुछ देर बाद ही मोमबत्ती जलाये हुए कोई ड्राईंगरूम की तरफ आने लगा।

मैं समझ गया कि यह निधि ही है, वो मोमबत्ती जलाकर इसलिए आ रही है ताकी मोमबत्ती की रोशनी में मैं उसे पहचान लूँ और उस दिन की तरह कोई हरकत ना करूँ मगर आज तो यह सारी योजना मेरी ही बनाई हुई थी।

मैं तुरन्त ड्राईंगरूम के दरवाजे के साथ चिपक गया और जैसे ही निधि ने दरवाजे में पैर रखा सबसे पहले मैंने मोमबत्ती को ही झपटा मारकर नीचे गिरा दिया। मोमबत्ती नीचे गीरते ही बुझ गई और बिल्कुल अन्धेरा हो गया। अचानक हमले से निधि घबरा गई और तुरन्त वापस मुड़ने लगी मगर मैंने उन्हें पकड़ कर ड्राईंगरूम के अन्दर खींच लिया और वो कुछ बोले उससे पहले ही उनके होंठों को अपने मुँह में भरकर बन्द कर दिया। अब निधि के दोनों होंठ मेरे मुँह में थे इसलिये वो कुछ बोल तो नहीं सकती थी मगर कसमसाते हुए पीछे की तरफ हटने लगी।

मैंने भी उसे छोड़ा नहीं और उसके साथ साथ पीछे होता रहा मगर वो ज्यादा पीछे नहीं जा सकी क्योंकि थोड़ा सा पीछे होते ही दीवार आ गई इसलिये अब वो अपने दोनों हाथों से मुझे धकेलने लगी मगर आज मैं कहाँ मानने वाला था, मैंने उसे दीवार से सटा लिया और जोरो से उसके होंठों को चूसता रहा।

निधि के होंठों को चूसते हुए ही मैंने अपना एक हाथ उसके शर्ट के अन्दर डाल दिया, नीचे उसने ब्रा पहन रखी थी इसलिये मैंने ब्रा के ऊपर से ही उसकी चूचियों पर अपना हाथ रख दिया।
निधि के उरोजों को मैं चूचियाँ इसलिये कह रहा हूँ क्योंकि वो काफी छोटी थी और मेरी भाभी के उरोजों के मुकाबले में तो वो चूचियाँ ही थी।

मैंने बस एक बार उन्हें हल्का सा सहलाकर ब्रा के किनारे को पकड़ लिया और आहिस्ता आहिस्ता उसको ऊपर खींचते हुए उसकी दोनों चूचियों को शर्ट के अन्दर ही ब्रा की कैद से आजाद कर लिया। अब उसकी दोनों नँगी चूचियाँ मेरी मुट्ठी में थी जिनको मैं धीरे धीरे सहलाने लगा।

निधि की चूचियाँ मेरी भाभी से छोटी थी मगर भाभी के मुकाबले में काफी सख्त और मुलायम थी, मुझे ऐसा लग रहा था जैसे कि मेरे हाथ में रबड़ की कोई गेंद आ गई हो।

मैं ऐसे ही निधि की दोनों चूचियों को मसलता रहा और ऊपर उनके होंठों को चूसते हुए अपनी ज़ुबान को भी उनके होंठों के दरम्यान में धकेलने की कोशिश करने लगा, मगर उसने दाँतों को बन्द कर रखा था जिसके कारण मेरी जीभ अन्दर नहीं जा सकती थी इसलिये मैं उनके होंठों को ही अन्दर से चाटने लगा, फिर कुछ देर बाद ही आहिस्ता आहिस्ता निधि के दाँत अपने आप थोड़ा सा अलग हुए जिससे मेरी ज़ुबान को अन्दर जाने की इजाज़त मिल गई और अगले ही पल मेरी ज़ुबान निधि की ज़ुबान से टकराने लगी!

कहानी जारी है … आगे की कहानी पढ़ने के लिए निचे दिए पेज नंबर पर क्लिक करें ….

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]]> //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/group-sex/bhabhi-ke-sath-chudai-ka-maza-lee.html/feed 0 काली मोटी आंटी की चुदाई की कहानी | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/chachi-ki-chudai/kali-moti-aunty-ki-chudai-ki-kahani.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/chachi-ki-chudai/kali-moti-aunty-ki-chudai-ki-kahani.html#respond Wed, 14 Feb 2018 02:50:29 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=11948 इसी समय मैंने लंड पूरा बाहर खींच के एक लंबा धक्का मारा। मेरे लंड ने आंटी की चूत की गहराई में जाकर पिचकारी छोड़ दी थी ,कैसी लगी  सेक्स स्टोरी , रिप्लाइ जररूर करना आंटी का दूसर पार्ट जलदी लेकर आऊगा |

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काली मोटी आंटी की चुदाई की कहानी
( Kali Moti Aunty Ki Chudai Ki Kahani )

हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम अजय है और मेरी उम्र 27 साल है। दोस्तों यह मेरी दुसरी कहानी है और में पटना सिटी होऊ बेगलुर काम करता होऊ अब आंटी के बारे बतात होऊ आंटी नाम सुनता हैं उम्र 38 साल की है पर  वो बहुत ही काली है और उसके बूब्स बहुत बड़े और टाइट है और गांड तो बहुत ही ज्यादा बाहर है और. उसका फिगर ३८ – ३२ – ४०. उसका पति  टेक्स डरवर है उसके २ बच्चे है, अब में कहानी आता हूं एक दिन की बात है, जब मैं सविता आंटी के घर बाहर था,  आंटी मेरे पास आई और बोल ने लगी मेरा एक हैल्प करा गए अजय में बोल क्या हैल्प आंटी जी ऑन्टी बोली बच्चे स्कूल फीस दान है २०.००० और बोली १ महीने वापस कर कर दूगी मै ने आंटी को दूसर दिन पैसा दे दिया । दकथा ते दकथा  २ मयना हो गए  आंटी ने पैसा नही दिया |

आंटी रोज बोलती कल कल करते करते और १० दिन हो गया, और आंटी एक दिन  अपने घर में बुलया और बोल लगी प्ल्ज़ और 3 मयने टाइम देदो .में बोल ने लग क्या नही सुना है बस्स कल मेरा पैसा वापस कर दान. या बोल के में आपन ऑफिस को चला गया और साम के ५ बजे ऑफिस से वापस आया .आंटी मेर घर आई और बोल लगी मेरी हालत बहुत खरब है २ महीने से और बोल लगी बस 15 दिन का टाइम दो. मै आंटी हालत देकर हा बोल दिया.

सोमवार दिन था अदा दिन ऑफिस काम कर घर आय २ बजे और सात  २ बियर बॉटल लाया १ बोतल पी लिए और खाना बनाने लगा ,और १५ मिनट खाना बान गया और खाना खता खता  सात मै बियर पीने लगा अब मेरा खाना हो गया था. और बियर खत्म हो गई थी अब सोन लगा १० मिनट हो गया नींद नही आरी थी  ३.३० बजे अब मेरे दिमाक आंटी आगई में आंटी के घर गया और . बोल लगा जोर जोर बोल लगा मेरा पैसा वापस कर दो आज ,आंटी बोली ने लगी घर के अंदर आके बात करा प्ल्ज़,  अब घर के आंदर गया और बोल लगा आज मेरा पैसा वापस कर दे , आंटी बोल ने लगी आपने  दारू पिया है जादा लगर है, में बोल लगा नही , आंटी बोल लगी अब तुम मेरे घर सौज आप , अब मेरा सार दर्द होने लगा था , आंटी बोल लगी बेडरूम जाकर सो जाऊ आप, अब में बेडरूप मै जाकर सोने लग, ४,३० बजे सो के बेडरूम बार निकल आंटी नाहक बातरूम निकली और में तो पागल ही हो गया.

और लन्ड ख़डा हो गए ‘आंटी मेर तरफ को दक ने लगि, अब तो मेरा मन बन गया था आंटी को चोदने का, आंटी बोल लगी आपने घर जाऊ आप बच्चे स्कूल आने टीम हो गया, में आपने घर जाकर सो गया उस दिन पुर रात आंटी याद आरी थी , अब रोज आंटी के नाम मुठ मरता था,  अब १५ दिन हो गया आंटी उस दिन रात को आकर १५.००० दिया ,और बोल लगी ५ दिन बाकी पैसा दुगी, में आंटी बोल लगा ठीक है बुधवार का दिन में ऑफ़स नही गया उस दिन पूरा दिन घर था  २.३० आंटी घर गया और ,आंटी बोली क्या काम है में बोल लगा आप से मिलने आया होऊ आंटी आंदर बुलाया और बोल लगी आप कॉफी पिता हो क्या मै  नही बोल दिया, आंटी बोल लगी आज तुम ऑफ़स नही गया मै बोल लगा आप से कम था आंटी बोली क्या काम हैं बस मिलान था |

में आंटी बोल दिया आप बहुत खूबसूरत हो ,आंटी बोल लगी नही तो, आंटी आप से प्रेम हो गया हम को, आंटी हत किश कर दिया आंटी भक कर बड़रम मै चलगई |

में बी बडरम चलगई,आंटी बोल लगी तुम आप अपने घर जाऊ , में आंटी को बोल लग तुम आज मेरा काम कर दो , आंटी बोली तुम गलत करे हो , में बोल लगा नही आंटी  में किस नही बोली ग’ यबात ,आंटी बोल लगी मेरा पति को मालूम हो गए आप को मार दगा, में बोल लग आप पति को मालूम होग जब तो,  अब आंटी और मै हम कुछ देर किस करते रहे. और जबान लडाते रहे. अब में आंटी के बूब्स को अपने दोनों हाथो से जोर जोर से मसल ने लगा. आप यह हिंदी सेक्स स्टोरी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | आंटी भी सिस्कारिया भरने लगी. आआआआ स्सस्सस्स ऊउह्ह्ह्ह हाहाहा आआआआ…. और जोर से दबा, मेने आंटी की ब्रा खोल दी. और उनके दोनों बूब्स बहार आ गये. में भूखे जानवर की तरह उन पर टूट पड़ा. आंटी को भी मजा आ रहा था. वो आहे भर रही थी. अब वो मेरे लंड को सहलाने लगी , कुछ देर बूब्स चूसने के बाद मेने उनकी पेंटी उतार दी. उन्हों ने शेव नही की थी. और  चूत उपर उठी हुई थी |

मेने उस पर अपना हाथ रखा तो पूरी हथेली चूत  के अंदर समा गई. फिर मेने उनको बिस्तर पर लेटा दिया, और उनकी चूत पर अपनी जबान फिराने लगा. आंटी जोश में आ गई. में भी मदहोश होकर उनकी चूत चाटने लगा. मेने अपनी जीभ उनकी चूत के छेद में घुसाई. जिस से आंटी कसमसा गई, कुछ देर बाद आंटी मेरे बाल पकड़ कर चूत पर दबाने लगी. और आआआआ ऊऊऊ ऊऊऊईईईं आआआआ हाहाहा ह्ह्ह्हह मजा आ रहा है, और जोर से चूस, आज तक मेरी चूत को इतनी अच्छी चुसाई किसी ने नहीं की हे,

आज तो तूने मुझे जन्नत दिखा दी. आज तक मेने ऐसी चुसाई नहीं की हे. में उसे बहोत जोर जोर से चूस रहा था और उसके एकदम अंदर तक मेरी जीभ डाल कर अंदर तक चूस रहा था और आंटी अब  अहह फह हहह फह अह्ह्ह कर रही थी और वह बहोत गरम हो गयी थी और उसकी चूत तो एक आग की तरह तड़प रही थी और में उसे अपने मुह से चोद रहा था.

थोड़ी देर में आंटी का  शरीर अकडने लगा और आंटी जड गई और उसने सारा पानी मेरे मुह में ही डाल दिया था.. आंटी का सारा पानी अपने मुह में भर लिया.अब आंटी ने मेरी पेंट निकाल दी, और मेरे लंड को पकड़ कर हिलाने लगी. जिस से वो और टाइट हो गया. और वो गपा गप अपने मुह उस पर चलाने लगी. मेरा लंड उनके गले तक जा रहा था.

और में भी उनके बाल पकड़ कर अपने लंड  डाल रहा था.. थोड़ी ही देर में आंटी बोल लगी, ‘अब डाल दो…अजय.. अब नहीं रुका जाता… जल्दी से… फाड़ दो मेरी . चूत  .!’  आंटी फुल गरम हो चुकी थीं। मैं उनकी टांगों की बीच में आ गया और अपना गुलाबी लन्ड उनकी चूत पर टिका कर जोर लगाने लगा। लेकिन उनकी मोटी सी चूत में मेरा मोटा लंड घुस गया सपसे अंदर घुस गया। अब मैं अपना लंड उनकी चूत की दरार पर ऊपर से नीचे डाल लगा… जिससे पूरा लंड चूत के पानी में भीग कर चिकना हो गया। उनकी चूत के मुहाने को उँगलियों से फैलाया और लन्ड फंसा दिया।

फिर उनकी कमर पकड़ के एक जोरदार  जोरदार  झटका मारा…लगा अब पूरा लंड चूत घुस गया था , अब चूत से फचाक फचाक फचाक आवज चूत आने लगा था ,और आंटी । के मुँह से चीख सी निकल सिसकारियाँ… उह्ह…आह्ह की आवाज निकल रही थी..अब लंड गीला होने के बाद आसानी से अंदर चला जार था  फिर धीरे-धीरे आंटी  के चूत अंदर जरा तह अब आंटी मेरे लन्ड के ऊपर के बैठ गई और उसका पूरा लंड आंटी की  चूत के अंदर चला गया।

अब उसके मुँह से आहें निकल रही थी और अब  आंटी मेरे लन्ड के ऊपर उछलने लगी  साथ हमारी चीखें तेज हो रही थी।। कुछ ही देर में आंटी की  चूत फव्वारा  स्पद रंग पानी आर था | आप यह हिंदी सेक्स स्टोरी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | अब ३० मिनट की चुदाई के बाद मुझे महसूस हुआ कि मैं अब झड़ने वाला हूँ तो मैंने लंबे-लंबे धक्के मरने शुरू कर दिया। अब आंटी मुँह से तेज सिसकारियाँ निकलने लगी…

अब आंटी की चूत और टाइट हो गई… इसी समय मैंने लंड पूरा बाहर खींच के एक लंबा धक्का मारा। मेरे लंड ने आंटी की चूत की गहराई में जाकर पिचकारी छोड़ दी थी ,कैसी लगी  सेक्स स्टोरी , रिप्लाइ जररूर करना आंटी का दूसर पार्ट जलदी लेकर आऊगा | [email protected]

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करुणा भाभी का नंगा बदन देख | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/chudai-ki-kahani/karuna-bhabhi-ka-nanga-badan-dekh.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/chudai-ki-kahani/karuna-bhabhi-ka-nanga-badan-dekh.html#respond Mon, 12 Feb 2018 12:50:12 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=11934 करुणा भाभी का नंगा बदन देख, मेरे घर की बालकनी के सामने रहने वाली करुणा भाभी ज्यादा अपने पति से चुदी नहीं थी उनकी प्यास गहरी थी और मैंने उनसे दोस्ती कर उनके साथ जिस्मानी रिश्ता बनाया उनका पूरा बदन जैसे खिली हुआ गुलाब जिसे बरसो से किसी ने न छुवा हो

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मैं आपको कहानी की हीरोइन करुणा भाभी के बारे में बता दूँ। उनका कद 5 फुट6 इंच का और रंग गोरा है। उनका वक्ष स्थल यानि चूचों का साइज करीब छत्तीस इंच का है। भाभी देखने में ऐसी लगती हैं कि मानो परी हों। जब वो चलती थीं.. तो उनके कूल्हे ऐसे मटकते कि अच्छे से अच्छे लोगों की भी पैंट गीली हो जाए।

ये बात आज से दो साल पहले की है.. जब मैं नौकरी के सिलसिले में दिल्ली गया था। वहां नैनी में मैंने किराए पर एक कमरा लिया। मेरी नौकरी में मेरी ड्यूटी कभी सुबह.. कभी रात को होती थी, क्योंकि मैं एक कॉल सेंटर में काम करता था। उन दिनों मेरी रात की ड्यूटी थी.. तो सुबह पांच बजे मैं अपने कमरे में आ जाता था और सो जाता था।

उस दिन मैं करीब 11 बजे सोकर उठा और अपने कमरे की बालकनी में आकर खड़ा हो गया। उस दिन मैंने करुणा भाभी को पहली बार देखा था।
मैं तो उन्हें देखता ही रह गया… वाह.. क्या मस्त भाभी थीं। मेरे कमरे की स्थिति कुछ ऐसी थी कि अगर मैं अपने ऊपर वाले कमरे की बालकनी में आ जाऊं.. तो मुझे उनके घर के अन्दर थोड़ा-थोड़ा दिख जाता है।

जब मैंने भाभी को देखा तो अपने घर के बाहर झाड़ू लगा रही थीं। जब वो झाड़ू लगा रही थीं.. तो उनका पल्लू कभी नीचे गिर जाता.. तो उनके चूचों के बीच की दरार दिख जाती। मुझे इस तरह से उनको देखने में बड़ा मजा आ रहा था। कई दिन ऐसे ही निकल गए।
एक दिन उन्होंने मुझे उनको ताड़ते हुए देख लिया.. पर वो बोलीं कुछ नहीं।

फिर एक दिन मैं पड़ोस की दुकान में सामान ले रहा था.. तो वो भाभी भी वहीं आ गईं।

मैं वहाँ से जाने लगा तो उन्होंने मुझे आवाज लगाई- सुनिए, आपका पर्स गिर गया है।

वो मेरा नाम नहीं जानती थीं.. तो मैं मुड़कर उनके पास गया। मैंने पर्स उठाया और उन्हें थैंक्स बोला। यहीं से हमारी बातचीत शुरू हुई और हम चलते-चलते बात करने लगे। उन्होंने मेरे बारे में पूछा.. तो मैंने भी उनके बारे में पूछा। उन्होंने बताया कि उनका पति दुबई में बिज़नेस करता है और साल में दो-तीन महीने के लिए आता है। उनके घर में उनके अलावा उनकी सास और ससुर रहते हैं और एक छोटा देवर भी रहता है।

मुझे भाभी से बात करना अच्छा लग रहा था.. तो मैंने भाभी को अपना फ़ोन नंबर दिया और उनसे उनका नंबर ले लिया।

अगले दिन मैंने उनको फ़ोन किया तो उन्होंने उठाया तो हम बात करने लगे। कुछ दिन हम नार्मल बात करते रहे।
एक दिन उन्होंने मुझसे पूछा- तुम मुझे उस दिन ऐसे क्यों देख रहे थे.. जब मैं बाहर झाड़ू लगा रही थी?
मैंने कहा- भाभी आपकी वक्ष के बीच में बनी दरार मुझे बड़ी अच्छी लगती है।

इस पर उन्होंने कुछ नहीं कहा और हंस दीं। मुझे हिम्मत मिली और मैंने आगे बात बढ़ाई। फिर धीरे-धीरे हम अपनी पर्सनल लाइफ के बारे में बात करने लगे। कब ये बात सेक्स में बदल गई.. पता ही नहीं लगा। इसी दौरान उन्होंने बताया कि उनका पति जब आता है तब ही वो सेक्स कर पाती है.. नहीं तो बस ऐसे ही रात को करवट बदल-बदल कर गुजारनी पड़ती है।

उनके मुँह से ये सुनकर मैं उनकी और थोड़ा ओर आकर्षित हो गया.. क्योंकि अकेली रह रही भाभी को देखकर कोई भी उनकी तरफ खिंचा जा सकता था।
मैंने उनसे कहा- मैं आपकी ये समस्या दूर कर सकता हूँ।
उन्होंने बिना कुछ कहे फ़ोन रख दिया।

मैंने सोचा कि पता नहीं मैंने क्या गलत कह दिया.. कहीं भाभी मुझसे नाराज तो नहीं हो गईं।
मैंने कुछ दिन फ़ोन नहीं किया।

लगभग दस दिन बाद भाभी का खुद फ़ोन आया तो उन्होंने कहा- तुम मेरी समस्या को कैसे दूर करोगे?
मैंने कहा- जैसे आपको ठीक लगे।
उन्होंने कहा- मैं आज तुमसे मिलना चाहती हूँ।
मैंने कहा- शाम को मिलते हैं.. अभी मेरी ड्यूटी है।
उन्होंने कहा- ठीक है।

शाम को हम मिले.. तो उन्होंने मेरे हाथ पर अपना हाथ रखकर मुझसे पूछा- क्या तुम मेरी समस्या को मेरे साथ सेक्स करके दूर कर सकते हो.. क्योंकि मैं सेक्स की भूखी हूँ।

मैंने कहा- क्यों नहीं भाभी.. आप कहो और मैं न करूं। मैं भी कब से यही सोच रहा था.. इसीलिए तो उस रोज के बाद मैं आपको बाल्कनी से देखता था।
उन्होंने कहा- कल मेरे घरवाले शादी के लिए ग्वालियर जा रहे हैं.. मैं नहीं जा रही। तुम कल रात को मेरे घर आ जाना।
मैंने कहा- ठीक है।

उन दिनों मेरी ड्यूटी भी दिन के समय की थी। मुझे जाने में कोई दिक्कत नहीं थी और अगर होती भी तो छुट्टी ले लेता। क्योंकि जो मैं चाहता था.. वही होने वाला था।

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मैं अगले दिन शाम को खाना खाकर आठ बजे उनके घर चला गया। मेरे मन में तो सेक्स हिलोरें खा रहा था।
मैंने उनके घर की बेल बजाई तो भाभी ने दरवाजा खोला। उन्होंने स्लीवलेस कुर्ती और पजामा डाला हुआ था। मैंने सोचा कि शायद वो रात को यही पहन कर सोती हैं।

मैं उन्हें देखता ही रह गया और उन्हें देख कर मेरा लंड तन कर खड़ा हो गया। भाभी जी ने मुझे अन्दर बुलाकर सोफे पर बिठाया और पानी लाकर दिया। वो मेरे पास बैठ गईं.. तो मैंने उनसे कहा- मुझे पानी की प्यास नहीं है.. मुझे आपकी प्यास है। यह कहते हुए मैंने उन्हें अपनी बांहों में पकड़ लिया और उनके होंठों को चूमने लगा।

वो बोलीं- यहाँ नहीं.. कमरे में चलते हैं।

हम दोनों उठकर बेडरूम में आ गए, वहां जाकर भाभी ने दरवाजा बंद किया। अब मैंने उन्हें पीछे से पकड़ लिया और उनकी गर्दन को चूमने लगा।

वो भी पलट गईं और मुझे भी कस कर पकड़ लिया, फिर हम एक-दूसरे के होंठों को चूसने लगे। कुछ देर यूं ही चलता रहा।

उसके बाद मैं भाभी जी को गोद में उठाकर बिस्तर पर ले गया और बिस्तर पर लिटा दिया। फिर उनके ऊपर आकर भाभी की कुर्ती में हाथ डालकर उनके चूचों को दबाने लगा। उनकी उम्म्ह… अहह… हय… याह… निकल गई।

उसके बाद मैंने देर न करते हुए उनकी कुर्ती निकाल दी। नंगी भाभी के शरीर का खुला नजारा देख कर मैंने कहा- वाह भाभी.. कहाँ छुपा कर रखा था इस खूबसूरत जिस्म को?
उन्होंने कहा- कहीं नहीं.. यहीं तो थे आपके सामने.. जिन्हें आप मुझे झाड़ू लगाते हुए देखते थे।

मैंने हँसते हुए उनकी ब्रा भी निकाल दी। ब्रा निकालने के बाद भाभी के चूचे ऐसे लग रहे थे जैसे काफी समय से किसी ने उन्हें छुआ ही न हो।

मैंने भाभी की नंगी चूचियों को दबाना और चूसना शुरू किया तो भाभी सिसकियाँ निकालने लगी थीं।

वो कह रही थीं- चंदन मेरी जान.. और जोर से चूसो मेरे चूचों को.. काफ़ी समय से इन्हें किसी ने नहीं चूसा है.. चूस चूस.. कर इन्हें लाल कर दो।

मैं और तेजी से उनके चूचे चूसने लगा और उनके काले काले निप्पलों को काटने लगा। भाभी को भी मजा आ रहा था और वो लगातार ‘आह.. आह.. हां ऐसे ही चूसो आह..’ की आवाज निकाल रही थीं।

करीब दस मिनट तक भाभी के चूचे चूसने के बाद मैंने अपने कपड़े उतार दिए और अपना लंड भाभी को चूसने के लिए बोला तो भाभी ने झट से मेरा लंड पकड़ कर मुँह में भर लिया और चूसने लगीं। मुझे बड़ा मजा आ रहा था.. क्योंकि भाभी एकदम पागलों की तरह मेरा लंड चूस रही थीं।

मैंने भाभी की नंगी चूत में अपनी एक उंगली डाली.. तो उनकी ‘आह..’ निकल गई। मैंने भाभी की चूत में उंगली को आगे-पीछे करना शुरू किया।
भाभी पागल सी हो गईं.. और मेरे हाथ में ही झड़ गईं।

मैंने अपना मुँह उनकी चूत की तरफ किया और भाभी की चूत को चूसने लगा, वो मेरा लंड चूस रही थीं। इसी बीच मैं भी भाभी के मुँह में होने वाला था.. तो मैंने भाभी जी से कहा- मैं होने वाला हूँ।

तो उन्होंने कुछ नहीं कहा.. बस लंड चूसती रहीं। मैं भाभी जी के मुँह में ही झड़ गया, वो मेरे लंड से निकले सारे माल को पी गईं.. फिर भी मेरा लंड को पागलों तरह चूसती रहीं। मुझे थोड़ी अकड़न सी होने लगी.. तो मैंने उन्हें रोका और उनके चूचों को चूसने लगा। पांच मिनट बाद भाभी फिर मेरे लंड को चूसने लगीं.. और अब उन्होंने मेरे लंड को चूस-चूस कर खड़ा कर दिया।
भाभी बोलीं- अब इसे मेरी चूत में उतारो.. मुझसे नहीं रहा जा रहा है।

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मैंने भाभी को बिस्तर पर लिटाकर उनकी कमर के नीचे तकिया लगाया और चूत पर अपना लंड रखा। मैंने भाभी की आंखों में देखा और एक धक्का मार दिया। मेरा लंड एक इंच ही अन्दर गया होगा कि उन्होंने चीख मारी।

मैंने भाभी के होंठों को अपने होंठों से बंद कर दिया और फिर से एक ज़ोर का धक्का मारा। इस बार मेरा आधा लंड उनकी चूत में समां गया।

उसके बाद मैंने धीरे-धीरे उनकी चूत में अपना लंड पेलना शुरू किया। जब उन्हें मजा आने लगा तो फिर भाभी जी खुद अपनी कमर उठा-उठाकर मुझसे चुदने लगीं और मेरे लंड को अपने अन्दर तक डलवाने लगीं।

साथ में भाभी चिल्ला रही थीं- आहह रॉनित.. फाड़ दे इसे आज.. बहुत दिन से तड़प रही है ये.. किसी के लंड के लिए.. अहह.. आज बुझा दे इसकी आग..
मैंने कहा- भाभी जी आज मैं आपकी चूत की पूरी तसल्ली करवा दूँगा और आज मैं भी इसे छोड़ने वाला नहीं हूँ।

मैं भी बहुत दिनों से सेक्स का भूखा था और फिर मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी। मैंने भाभी को बीस मिनट तक चोदा और अंत में मैं भाभी की चूत में ही झड़ गया। फिर मैं भाभी के शरीर पर ही लेट गया।
कुछ देर हम ऐसे ही लेटे रहे, फिर भाभी ने पूछा- बहुत अच्छा चोदा तुमने.. क्या तुमने पहले भी किसी से सेक्स किया है?

तो मैंने कहा- हाँ भाभी.. मेरी एक गर्ल फ्रेंड थी कोमल.. उसे मैंने चोदा है। एक बार उसे और उसकी फ्रेंड को भी चोदा है।

उसके बाद भाभी और मैं बाथरूम में गए और एक-दूसरे को साफ़ किया। वहां भी हमने शावर के नीचे एक-दूसरे को चूमते हुए सेक्स किया।
इस रात हमने चार बार सेक्स किया।

फिर मैंने भाभी को गर्भ निरोधक गोली दे दी। अगले दिन मैंने भाभी को उनके बेडरूम की दीवार के सहारे खड़ा करके.. मेज के ऊपर लिटाकर और कुर्सी पर बिठाकर भाभी जी चूत और गांड दोनों मारी। जब भी मुझे मौका मिलता मैं उनके अच्छे देवर की तरह रोज चुदाई करता हूँ।

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गैर मर्द से रिश्ता | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/koi-mil-gaya/gair-mard-se-rishta.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/koi-mil-gaya/gair-mard-se-rishta.html#respond Wed, 07 Feb 2018 03:10:06 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=11894 हेल्लो मै एक हाउस वाइफ हूँ यह मेरी सच्ची कहानी गैर मर्द से सेक्स संबंधो की है जो आपको बहुत मज़ा देगी | मैंने जो कुछ लिखा है सब सही है बस आप सभी के मनोरंजन के लिए बता रही हूँ अच्छी लगे तो शेयर करें |

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गैर मर्द से रिश्ता ( Gair Mard Se Rishta )

हैल्लो दोस्तों मेरा नाम नसीम खान है मे एक सीधी सादी हाऊसवाइफ हु जो हमेशा घर के कामकाज या पति और बच्चो की देखभाल में ही लगी रेहती है मेरी उम्र 33 साल हाइट 5.3 फीट 60 किलो वजन रंग गोरा काफी खुबसुरत हु मेरी शादी को 12साल हो गए है पति का नाम शेहजाद खान है उम्र 36साल वो एक फार्मा कंपनी मे सुपरवाइजर है हम दिल्ली मे रहते है मेरे 2 बच्चे है बडा बेटा 10 साल का है नाम साहिल और छोटी बेटी जो 5 साल की है नाम समीना जिसे हम प्यार से गुड्डी बुलाते है हमारा घर काफी बडा है दो मंजिला और इतने बडे घर मे हम चार लोग ही रहते है बचपन से ही मे एक रुढीचुस्त और स्ट्रीक्ट फेमिली मे पलीबडी होने की वजह से कभी किसी लडके की तरफ नजर उठाके नही देखा और ना ही शादी से पहले मेरा कोइ अफेयर रहा मे घर से बाहर हमेशा बुरखे मे ही निकलती हु और घर मे भी ज्यादातर रुमाली या फुल साईज डुपट्टे मेही रेहती हु मेरे पहले हम बिस्तर मेरे शोहर शेहजाद ही थे हम एक दूसरे से बहोत प्यार भी करते है और वो मुझपर भरोसा बी करते है मेरे पति मुझे हर तरह की खुशी देते है मुझे कभी किसी बात की कमी नही होने दी फिरभी मेरी जिंदगी ने कुछ ऐसा मोड लिया जो मैंने कभी ख़्वाब मे भी नहीं सोचा था जिसमे का भरोसा तोड दिया | मेरा गैर मर्द से रिश्ता बन गया था हुआ कुछ एसा था |

बात आजसे 6 महीने पहले की है एक दीन रात को खाना खाते वक़्त शेहजाद ने मुझसे कहा के नसीम क्यों ना हम अपना उपर वाला कमरा किराये पर दे दे!!?
मै : क्यों किस लिए??
शेहजाद: अरे कुछ नहीं बस ऐसे ही मेरी ओफिस मे एक नया लडका आया है संजय शरमा जो अमृतसर से है उसकी ट्रान्सफर दिल्ली मे हुइ है और बेचारे के कोइ रिश्तेदार भी यहा नही है तो वो मुजसे कोइ ठीकाना करने के लिए पुछ रहा था

मै : लेकिन मुझे ये ठीक नहीं लग रहा है किसी गैर मज़हबी का हमारे साथ रहना!! मेरा मतलब है के वो सेट हो पाएगा??

शेहजाद: अरे कोइ नही वेसे भी पंजाबी लोगों की लाइफ स्टाइल बिलकुल हमारे जेसी ही होती है वो नोनवेज मास मच्छी सब खाते है!! तो बोलो क्या कहती हो बुलालु उसे कल???

मैंने मन मार कर हा मे सर हीला दिया पर मन मे कुछ गभराहट सी मेहसुस हो रही थी दूसरे दिन सुबह शेहजाद ने मुझसे उपर के दोनो कमरे ठीक करने को कहा और ओफिस चले गए शाम को जब 8 बजे वो वापस आए तो उनके साथ एक लडका आया जो करीब 24 साल का था साथ मे कुछ कपडे और थोडा सामान था दिखने मे वो काफी हैन्डसम था मैंने मुस्कुराहट के साथ उनका वेलकम किया |

शेहजाद: नसीम ये संजय है जो मेरे कलीग है जीनके बारे मे मैंने कल तुम्हे बताया था

संजय: (हाथ जोडकर)नमस्ते भाभीजी।। उसकी आखे मेरे पुरे बदन को घुर रही थी

मै : (मुस्कुराहट के साथ) आइये संजय भाइ !!

संजय: शेहजादभाइ आपका घर तो बहोत खुबसुरत है।। ये बात कहते हुए उसकी नजरे मुझपर थी

शेहजाद: शुक्रीया संजय, आओ तुम्हे मे उपर के कमरे दीखाता हु।।

मै : आप लोग उपर जाइए मे चाय वगैरह लेकर आती हु।। वो दोनो उपर गए और मे कुछ देर मे चाय लेकफर पहुँची।। उपर के फ्लोर पे 2 कमरे है जीस्मे से 1 कमरे की बाल्कनी हमारे बराम्दे मे पढती है जहा मे सुबह कपडे धोने शुखाने का काम करती हु मैंने चाय दी और कहा
मै : और कहिये संजयभाइ कौनसा कमरा सीलेक्ट किया आपने??

संजय: भाभीजी ये बाल्कनी वाला कमरा ही ठीक रहेगा

शेहजाद: नसीम इन्हे बाल्कनी वाला कमरा पसंद है

मै : ठीक है तो बस आप अपना सामान यही पर सेट करलो और फटाफट नीचे आजाओ खाना तैयार है

संजय: अरे नहीं नहीं खाना वगैरह मे अपने आप सेट कर लुंगा

शेहजाद: नही भाइ कोइ जरुरत नहीं है बाहर का खाना खाने की

मै : अरे संजयभाइ फिक्र मत करो मे बहोत अच्छा खाना बनाती हु

संजय: अरे नहीं नहीं भाभीजी ऐसी कोइ बात नहीं है

मेरे और शेहजाद के जोर देने पर वो राजी हो गया उधर नीचे होल से बच्चो की आवाज आइ जो टयुशन से आ चुके थे खाना खाते वक़्त शेहजाद ने बच्चो से संजय को मिलवाया कुछ ही देर मे संजय उनसे घुल मील गया रातको मे और शेहजाद बेडरुम मे बाते कर रहे थे

शेहजाद: नसीम तुम्हें कोइ तकलीफ तो नहीं होगी ना संजय के यहा रेहने से ?

मै : नही एसा कुछ नहीं है वो तो बस एक गैर मज़हबी लडके को साथ रखना कुछ अच्छा नहीं लग रहा था इसलिए आपसे कहा था पर अभी ठीक है ।। अच्छा लडका है सेट हो जाएगा.

शेहजाद: हा सही केह रही हो,, और एक ही दिन मे बच्चों से भी कितना घुलमील गया है

मै : हा बच्चे बहोत इंजोय कर रहे थे संजय के साथ

इसी तरह दीन बीतते गए और एक महीने मे तो संजय हमारी फेमिली मे काफी एक्जेसस्ट हो गया ज्यादातर रात के खानेपर हम सब साथ ही होते वो बच्चो के साथ हसीमजाक करता था जीस्मे कभी कभी मे भी शामील हो जाती जीस्से कइ बार मेरा हाथ संजय के हाथ से टच हो जाता या कइ बार वो जानबुझ कर मेरे हाथ से अपने हाथ को टच करता था | आप यह हिंदी गैर मर्द से रिश्ता की कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | इस बीच मैंने नोटीस किया के संजय मुझे कुछ अजीब ही नजरो से देखता रेहता था खाशकर जब शेहजाद कुछ काम मे लगे हो या मेरी नजर उसपर ना हो तब फिर जब हमारी नजरे मिलती तो वो नजर हटा लेता था मुझे बड़ा अजीब लगता था पर मे हमेशा इग्नोर कर देती थी कभी कभी वो मेरे खाने की और मेरी खुबसुरती की तारीफ़ कर देता खासकर जब मे ब्लेक शुट पेहनती।।

संजय ने बताया के वो काफी अच्छा पेइन्टर भी है उसने अपनी ड्रोइंग की हुइ कुछ तसवीरे भी हमे दीखाइ जो बेहद खूबसूरत थी मुझे भी बचपन से ही पेइन्टींग का शौख था तो मे बहोत ही इंम्परेस हुइ एक दिन सुबह जब मे बराम्दे मे कपडे धो रही थी तो मुझे महसूस हुआ के कोइ उपर के कमरे की बाल्कनी मे है जो संजय के कमरे की थी उस वक़्त मे सिर्फ कुर्ती और सलवार मे थी दुपट्टा नही ओढा था और मेरे कपडे काफी भीगे हुए थे तो मैंने फोरन खडी होके दुपट्टा डाल लीया और बाल्कनी मे देखा तो कोइ नही था शायद तबतक संजय चला गया था मुझे थोड़ा गुस्सा आया पर फिर सोचा शायद कुछ काम से आया होगा धीरे धीरे वो रोजाना मुझे बाल्कनी से चुपके चुपके देखता अबतक के मे इतना जान चुकी थी के संजय की नियत मुजपर ठीक नहीं थी एक दिन रात को मे और शेहजाद उपर संजय के कमरे मे कुछ काम से गए और वापस आते वक्त मे अपना मोबाइल उसके कमरे मे ही भूल आइ जीस्का पता मुझे देर रात बेडरुम मे सोते वक्त चला

मै : शेहजाद मेरा फोन नही दीख रहा???

शेहजाद: यही कही होगा रींग मार के देखलो ।। कही उपर संजय के कमरे मे ही तो नहीं छोड दीया???

मै : हा हा शायद उपर ही रेह गया है ।

शेहजाद: ठीक है जाओ ले कर आओ। मैंने देखा रात 12 बज चुके थे मुझे इस वक्त संजय के कमरे मे अकेले जाना कुछ ठीक नहीं लगा तो मैंने कहा सुबह ले आउंगी वेसे भी रात को किसका फोन आने वाला है।। और हम सो गए सुबह 7 बजे रोज की तरह कपडे धोते वक्त मैंने नोटिस किया के संजय बाल्कनी से मुझे देख रहा है मैंने फोरन पीछे मुड के देखा पर मे लेट हो गइ थी संजय वहा नही था तभी मुझे याद आया के मेरा फोन उपर है सो मैंने सोचा के जाके ले आती हु।।

वेसे भी शेहजाद और बच्चे 8 बजे तक उठते है उस वक्त मेरे कपडे पुरे भीगे हुए थे तो मैंने अपना दुपट्टा ओढा और उपर गइ मैंने देखा संजय के कमरे का डोर थोडा खुला हुआ था मैंने नौक किया पर कुछ जवाब नहीं आया पर बाथरुम से पानी की आवाज़ आइ मे समझ गइ के वो बाथरुम मे है मे अंदर चली गई सोचा अपना फोन लेके चली जाती हु मैंने इधर उधर नजर घुमाइ तो फोन टेबल पर पडा दीखा साथ मे एक पेइन्टींग भी थी मैंने जब वो देखी तो मेरे होश उड गए और शौक के मारे मेरी आंखें बडी हो गई।।।

वो मेरी पेइन्टींग थी जीस्मे मे बीना दुपट्टे के सिर्फ़ ब्लेक शुट और सलवार मे थी बाल खुले हुए और मेरे पुरे शरीर को बखुबी पेइन्ट किया था बहोत ही खुबसुरत पेइन्टींग थी वो मे उसे देखने मे खोगइ थी के तभी पीछेसे संजय की आवाज़ आइ।।

संजय: केसी लगी भाभीजी पेइन्टींग??? मे चौक गई और पीछे मुडते हुए

मै : अच्छी है पर क्यु ऐसी ? मेरा मतलब बीना दुपट्टे के,, अगर शेहजाद ने देखली तो उन्हे अच्छा नहीं लगेगा।।

संजय: और आप को??? मैंने शर्म से नजरे झुका ली

संजय: कहीये ना भाभीजी आपको केसी लगी??

मै : (शर्मा ते हुए) बहोत अच्छी,,

संजय थोडा मेरे करीब आया और हमारी नजरे मिली,, मैंने उस्से थोडा गुस्से से कहा

मै : ओह तो तुम ये पेइन्टींग बनाने के लिए रोज मुझे बाल्कनी से छुप छुप के देखते हो।।

संजय: हा,, भाभीजी आप हो ही इतनी खुबसुरत के मे आपको देखने के लिए मजबूर हो जाता हु और ना चाहते हुए भी मैंने ये पेइन्टींग बना दी।। मुझे ना जाने आज क्या हो गया था कि मे संजय की बातो को सुनते जारही थी संजय की बातो मे इतनी कशीस थी के मे उसकी आंखों मे आंखें डालकर उसे ध्यान से सुन रही थी

संजय: भाभाजी आपसे एक बात कहु?? मेरी आँखें उसे हर सवाल का हा मे जवाब दे रही थी

संजय: मे आपको एकबार इस पेइन्टींग की तरह देखना चाहता हूं मे बहोत ही डर गई मैंने फोरन मना कर दिया

संजय: (मेरे करीब आते हुए) प्लीज़ भाभीजी मे देखना चाहता हु के मैंने ये पेइन्टींग ठीक बनाई है के नही।। वो बडी सिद्दत से मेरे पूरे बदन को निहार रहा था मे उसकी बात और उसका मतलब दोनो बखुबी समझ रही थी मे उसे मना करना चाहती थी पर उससे पहले ही संजय ने मेरे बिलकुल करीब आकर धीरे धीरे करके मुजसे लीपटे हुए मेरे दुपट्टे को खिच लिया मे आज पहली बार किसी गैरमर्द के सामने इस तरह बीना दुपट्टे के खडी थी संजय की नजरो मे मुझे हवस साफ नजर आ रही थी हम एकदुसरे को बीना पलक झप्काए देख रहे थे मेरे पुरे शरीर मे अजीब सी सरसराहट हो रही थी मेरी धडकने बढ रही थी गभराहट के मारे मेरा गला सुख रहा था और होठ कांप रहे थे संजय मेरे इतने करीब आचुका था की हम दोनों की सांसो की गरमाहट एकदुसरे मे समा रही थी |

मैंने शर्मा कर अपनी नजरे झुका ली संजय ने अपने दोनो हाथो को मेरे बालो मे डालते हुए मेरे कांपते हुए होठो पे अपने होठ रख दीये और चुसना शुरु कर दिया उसकी इस हरकत से मे शौक्क थी मे उसे रोकना चाहती थी पर उसने मुझे कसकर अपनी बांहो मे भर लिया कुछ ही पल मे मेरा विरोध कम हो गया और धीरे धीरे मे भी पुरा साथ देने लगी हम एक दुसरे के होठो को चुसे जा रहे थे मैंने दोनो हाथ संजय की पीठ पे सेहलाते हुए उससे चीपक गइ मेरे बुब्स संजय के सीने मे समा गए वो अपनी जीभ को मेरे मुह मे डालते हुए डीपस्मुच कर रहा था

मै भी अपनी जीभ को संजय के मुह मे डालकर डीपस्मुच का पुरा आनंद ले रही थी उस्का एक हाथ मेरी पीठ को सेहला रहा था और दुसरा हाथ मेरे बम्प्स को दबा कर मुझे उस्के लंड की तरफ खिंच रहा था करीब दो मिनीट के लिपस्मुच के बाद संजय के होठ मेरे गालो को चुमते हुए मेरी गरदन पे जा पहोचे संजय मेरी गरदन को दोनो तरफ से बेतहासा चाट रहा था जिससे संजय के स्लेव से मेरी गरदन पुरी गीली और लाल हो चुकी थी मेरे मुह से मदहोशी भरी सिस्किया निकल रही थी संजय मेरे होठ गाल कान और गरदन पे चुम्बनो की बौछार कर रहा था |

मै भी अब इतनी मदहोश हो चुकी थी के पुरा जोर लगा कर उस्को अपने अंदर खींच रही थी करीब पांच मिनट तक यही चलता रहा फिर संजय ने मुझे घुमा कर दीवार से चिपका दिया और पीछेसे मुझे अपनी बांहो मे भर लिया और मेरे बुब्स को दबाते हुऐ फिरसे मेरी गरदन को चुम्ना शुरू कर दिया मेरे मूह से सिस्की निकल गई पता नही क्यु आज मेरा शरीर मेरा साथ नहीं दे रहा था और संजय की हर हरकत का मजा लेना चाहता था मेरी सांसे तेज चल रही थी मेरे दोनो बुब्स संजय के हाथो मे खेल रहे थे और उस्के गीले होठ मेरी मखमली गरदन को मसाज दे रहे थे और संजय का लंड मेरे बम्प्स के बीच जगह बना रहा था मे विरोध तो नहीं कर रही थी पर मेरे मुह से नहीं संजय,, नहीं प्लीज …|

ये गलत है,, मे शादीशुदा हु,, ये गलत है,, जेसे शब्द निकल रहे थे संजय का ऐक हाथ मेरे पेट को सेहलाते हुए मेरी सलवार तक पहुंचा मे कुछ समजती उस्से पहले तो मेरा नाडा खीच चुका था और मेरी सलवार जमीन पे थी मैंने संजय की तरफ देखकर मना करना चाहा पर मे कुछ कहती उस्से पहले संजय ने मेरे होठो को अपने होठो मे भर के लिपलोक कर लिया और अपनी उंगलियों से मेरी पेन्टी के उपर से सेहला रहा था फिर उस्ने मेरी पेन्टी मे हाथ डाल कर मेरी चुत पे अपनी कामूक उंगली सेहला दी और धीरे धीरे संजय ने एक उंगली मेरी रस से तरबरती हुई गीली चुत मे डालदी मे एकदम से उछल पडी और संजय के बालो मे हाथ डालके उस्के होठो को जोर से काटने लगी संजय मेरे होठ गाल कान और गरदन पे बेतहासा चुम रहा था और अपनी दो उंगली मेरी रसभरी गीली चुत मे अंदर बाहर कर रहा था मे सिस्किया ले रही थी सिस्स्स्सस अम्म्म्मम मेरा पूरा तन और मन अब वासना की आग मे डुब चुका था और मे अपनी सारी मर्यादा भुल चुकी थी मे भुल चूकी थी की मे शादीशुदा हु और अपने पति से बहोत प्यार करती हु मे दो बच्चो की मॉ हु किसी के घर की इज्ज़त हु सबकुछ भुलकर मे अब एक गैर मर्द की कामुक फींगर सेक्स का भरपुर आनंद ले रही थी जो उम्र मे मुजसे करीब 10 साल छोटा था संजय ने अपनी स्पीड बढादी आह्ह्ह्ह्ह अम्म्म्म्मम मे बहोत ही उत्तेजित हो गइ और किसी भी वक्त झड़ने वाली थी।

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मन की अन्तर्वासना भाग – 1 | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/chudai-ki-kahani/man-ki-antarvasna-part-1.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/chudai-ki-kahani/man-ki-antarvasna-part-1.html#respond Mon, 29 Jan 2018 15:24:32 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=11815 सामने पड़े चमेली के कपड़े बता रहे थे कि यह सच था. वे थोड़े लज्जित भी थे – एक तो इसलिये कि उन्होंने एक नौकरानी के साथ यह काम किया था और दूसरे इसलिये कि वे उसे तुष्ट नहीं कर पाए.

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मन की अन्तर्वासना भाग – 1 ( Man Ki Antarvasna Part -1 )

वासना के अतिरेक में प्रवीन ने चमेली के हाथ अपने कांपते हाथों में ले लिये. जब उसने कोई विरोध नहीं किया तो उन्होंने रोमांचित हो कर उसे अपनी तरफ खींचा. झिझकते हुए चमेली उनके इतने नजदीक आ गई कि उसकी गर्म सांसे उन्हें अपने गले पर महसूस होने लगी. प्रवीन ने उसके चेहरे को अपने दोनों हाथों में ले कर उठाया और उसकी नशीली आंखों में झांकने लगे. चमेली ने लजाते हुए पलकें झुका लीं पर उनसे छूटने की कोशिश नहीं की. उससे अप्रत्यक्ष प्रोत्साहन पा कर प्रवीन ने अपने कंपकंपाते होंठ उसके नर्म गाल पर रख दिए. तब भी चमेली ने कोई विरोध नहीं किया तो उन्होने एक झटके से उसे बिस्तर पर गिराया और उसे अपनी आगोश में ले लिया. चमेली के मुंह से एक सीत्कार निकल गई.

तभी दरवाजे पर दस्तक हुई तो प्रवीन की नींद खुल गई. उन्होंने देखा कि बिस्तर पर वे अकेले थे. वे बुदबुदा उठे इसी वक़्त आना था .पर वे घड़ी देख कर खिसिया गए. सुबह हो चुकी थी. दुबारा दस्तक हुई तो उन्होंने उठ कर दरवाजा खोला. बाहर चमेली खड़ी थी, उनकी कामवाली, जो एक मिनट पहले ही उनके अधूरे सपने से ओझल हुई थी. उसके अन्दर आने पर प्रवीन ने दरवाजा बंद कर दिया.

जबसे उनकी वाइफ ज्योत्सना गई थी वे बहुत अकेलापन महसूस कर रहे थे. ज्योत्सना की बहन शादी के कई वर्ष बाद गर्भवती हुई थी. वे कोई जोखिम नही उठाना चाहती थीं इसलिए एक महीने पहले ही उन्होंने ज्योत्सना को अपने यहाँ बुला लिया था. पिछले माह उनके बेटा हुआ था. जच्चा के कमजोर होने के कारण ज्योत्सना को एक महीने और वहां रुकना था. इसलिये प्रवीन इस वक्त मजबूरी में ब्रह्मचर्य का पालन कर रहे थे.

काफी समय से उनका मन अपने घर पर काम करने वाली चमेली पर आया हुआ था. चमेली युवा थी. उसके नयन-नक्श आकर्षक थे. उसका बदन गदराया हुआ था. अपनी वाइफ के रहते उन्होंने कभी चमेली को वासना की नज़र से नहीं देखा था. ज्योत्सना थी ही इतनी खूबसूरत! उसके सामने चमेली कुछ भी नहीं थी. पर अब वाइफ के वियोग ने उन की मनोदशा बदल दी थी.

चमेली उन्हें बहुत लुभावनी लगने लगी थी और वे उसे पाने के लिए वे बेचैन हो उठे थे. प्रवीन जानते थे कि चमेली बहुत गरीब है. वो मेहनत कर के बड़ी मुश्किल से अपना घर चलाती है. उसका पति निठल्ला है और वाइफ की कमाई पर निर्भर है. उन्होंने सोचा कि पैसा ही चमेली की सबसे बड़ी कमजोरी होगी और उसी के सहारे उसे पाया जा सकता है. प्रवीन जानते थे कि पैसे के लोभ में अच्छे-अच्छों का ईमान डगमगा जाता है. फिर चमेली की क्या औकात कि उन्हें पुट्ठे पर हाथ न रखने दे.

चमेली को हासिल करने के लिए उन्होंने एक योजना बनाई थी. आज उन्होंने उस योजना को क्रियान्वित करने का फैसला कर लिया. चमेली के आने के बाद वे अपने बिस्तर पर लेट गए और कराहने लगे. चमेली अंदर काम कर रही थी. जब उसने प्रवीन के कराहने की आवाज सुनी तो वो साड़ी के पल्लू से हाथ पोछती हुई उनके पास आयी. उन्हें बेचैन देख कर उसने पूछा, बाबूजी, क्या हुआ? तबियत खराब है?

दर्द का अभिनय करते हुए प्रवीन ने कहा, सर में बहुत दर्द है.

आपने दवा ली?

हां, ली थी पर कोई फायदा नहीं हुआ. जब ज्योत्सना यहाँ थी तो सर दबा देती थी और दर्द दूर हो जाता था. पर अब वो तो यहाँ है नहीं.

चमेली सहानुभूति से बोली, बाबूजी, आपको बुरा न लगे तो मैं आपका सर दबा दूं?

तुम्हे वापस जाने में देर हो जायेगी! मैं तुम्हे तकलीफ़ नहीं देना चाहता पर घर में कोई और है भी नहीं, प्रवीन ने विवशता दिखाते हुए कहा.

इसमें तकलीफ़ कैसी? और मुझे घर जाने की कोई जल्दी भी नहीं है, चमेली ने कहा.

चमेली झिझकते हुए पलंग पर उनके पास बैठ गई. वो उनके माथे को आहिस्ता-आहिस्ता दबाने और सहलाने लगी. एक स्त्री के कोमल हाथों का स्पर्श पाते ही प्रवीन का शरीर उत्तेजना से झनझनाने लगा. उन्होंने कुछ देर स्त्री-स्पर्श का आनंद लिया और फिर अपने शब्दों में मिठास घोलते हुए बोले, चमेली, तुम्हारे हाथों में तो जादू है! बस थोड़ी देर और दबा दो.

कुछ देर और स्पर्श-सुख लेने के बाद उन्होंने सहानुभूति से कहा, मैंने सुना है कि तुम्हारा आदमी कोई काम नहीं करता. वो बीमार रहता है क्या?

बीमार काहे का? खासा तन्दरुस्त है पर काम करना ही नहीं चाहता! चमेली मुंह बनाते हुए बोली.

फिर तो तम्हारा गुजारा मुश्किल से होता होगा? आप यह हॉट हिंदी सेक्सी कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |

क्या करें बाबूजी, मरद काम न करे तो मुश्किल तो होती ही है, चमेली बोली.

कितनी आमदनी हो जाती है तुम्हारी? प्रवीन ने पूछा.

वही एक हजार रुपए जो आपके घर से मिलते हैं.

कहीं और काम क्यों नहीं करती तुम?

बाबूजी, आजकल शहर में बांग्लादेश की इतनी बाइयां आई हुई हैं कि घर बड़ी मुश्किल से मिलते हैं. चमेली दुखी हो कर बोली.

लेकिन इतने कम पैसों में तुम्हारा घर कैसे चलता होगा?

अब क्या करें बाबूजी, हम गरीबों की सुध लेने वाला है ही कौन? चमेली विवशता से बोली.

थोड़ी देर एक बोझिल सन्नाटा छाया रहा. फिर प्रवीन मीठे स्वर में बोले, अगर तुम्हे इतने काम के दो हज़ार रुपए मिलने लगे तो?

चमेली अचरज से बोली, दो हज़ार कौन देता है, बाबूजी?

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मैं दूंगा. प्रवीन ने हिम्मत कर के कहा और अपना हाथ उसके हाथ पर रख दिया.

चमेली उनके चेहरे को आश्चर्य से देखने लगी. उसे समझ में नहीं आया कि इस मेहरबानी का क्या कारण हो सकता है. उसने पूछा, आप क्यों देगें, बाबूजी?

चमेली के हाथ को सहलाते हुए प्रवीन ने कहा, क्योंकि मैं तुम्हे अपना समझता हूँ. मैं तुम्हारी गरीबी और तुम्हारा दुःख दूर करना चाहता हूँ.

और मुझे सिर्फ वो ही काम करना होगा जो मैं अभी करती हूँ?

हां, पर साथ में मुझे तुम्हारा थोड़ा सा प्यार भी चाहिए. दे सकोगी? प्रवीन ने हिम्मत कर के कहा.

कुछ पलों तक सन्नाटा रहा. फिर चमेली ने शंका व्यक्त की, बीवीजी को पता चल गया तो?

अगर मैं और तुम उन्हें न बताएं तो उन्हें कैसे पता लगेगा? प्रवीन ने उत्तर दिया. अब उन्हें बात बनती नज़र आ रही थी.

ठीक है पर मेरी एक शर्त है …

यह सुनते ही प्रवीन खुश हो गए. उन्होंने चमेली को टोकते हुए कहा, मुझे तुम्हारी हर शर्त मंजूर है. तुम बस हां कह दो.

मैं कहाँ इंकार कर रही हूं पर पहले मेरी बात तो सुन लो, बाबूजी. चमेली थोड़ी शंका से बोली.

अब प्रवीन को इत्मीनान हो गया था कि काम बन चुका है. उन्होंने बेसब्री से कहा, बात बाद में सुनूंगा. पहले तुम मेरी बाहों में आ जाओ.

चमेली कुछ कहती उससे पहले उन्होंने उसे खींच कर अपनी बाहों में भींच लिया. उनके होंठ चमेली के गाल से चिपक गए. वे उत्तेजना से उसे चूमने लगे. चमेली ने किसी तरह खुद को उनसे छुड़ाया, बाबूजी, आज नहीं. आपको दफ्तर जाना है. कल इतवार है. कल आप जो चाहो कर लेना.

अगले चौबीस घंटे प्रवीन पर बहुत भारी पड़े. उन्हें एक-एक पल एक साल के बराबर लग रहा था. वे चमेली की कल्पना में डूबे रहे. उनकी हालत सुहागरात को दुल्हन की प्रतीक्षा करते दूल्हे जैसी थी. किसी तरह अगली सुबह आई. रोज की तरह सुबह आठ बजे चमेली भी आ गई. जब वो अन्दर जाने लगी तो प्रवीन ने पीछे से उसे अपनी बांहों में जकड़ लिया. वे उसे तुरंत बैडरूम में ले जाना चाहते थे लेकिन चमेली ने उनकी पकड़ से छूट कर कहा, ये क्या, बाबूजी? मैं कहीं भागी जा रही हूँ? पहले मुझे अपना काम तो कर लेने दो.

काम की क्या जल्दी है? वो तो बाद में भी हो सकता है! प्रवीन ने बेसब्री से कहा.

नहीं, मैं पहले घर का काम करूंगी. आपने कहा था ना कि आप मेरी हर शर्त मानेंगे.

अब बेचारे प्रवीन के पास कोई जवाब नहीं था. उन्हें एक घंटे और इंतजार करना था. वे अपने बैडरूम में चले गए और चमेली अपने रोजाना के काम में लग गई. प्रवीन ने कितनी कल्पनाएं कर रखी थीं कि वे आज चमेली के साथ क्या-क्या करेंगे! एक घंटे तक वही कल्पनाएं उनके दिमाग में घूमती रहीं. बीच-बीच में उन्हें यह भी लग रहा था कि चमेली आज काम में ज्यादा ही वक़्त लगा रही है !

प्रवीन का एक घंटा बड़ी बेचैनी से बीता. कभी वे बिस्तर पर लेट जाते तो कभी कुर्सी पर बैठते कभी उठ कर खिड़की से बाहर झांकते तो कभी अपनी तैय्यारियों का जायज़ा लेते (उन्होंने तकिये के नीचे एक लग्जरी कन्डोम का पैकेट और जैली की एक ट्यूब रख रखी थी.)

नौ बज चुके थे. धूप तेज हो गई थी. पंखा चलने और खिड़की खुली होने के बावजूद कमरे में गर्मी बढ़ गई थी. पर प्रवीन को इस गर्मी का कोई एहसास नहीं था. उन्हें एहसास था सिर्फ अपने अन्दर की गर्मी का. वे खिड़की के पर्दों के बीच से बाहर की तरफ देख रहे थे | आप यह हॉट हिंदी सेक्सी कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | कि उन्हें अचानक कमरे का दरवाजा बंद होने की आवाज सुनाई दी. उन्होंने मुड़ कर देखा. चमेली दरवाजे के पास खड़ी थी. उसकी नज़रें शर्म से झुकी हुई थीं.

चमेली के कपडे हमेशा जैसे ही थे पर प्रवीन को लाल रंग की साडी और ब्लाउज में वो नयी नवेली दुल्हन जैसी लग रही थी. वे कामातुर हो कर चमेली की तरफ बढे. उनकी कल्पना आज हकीकत में बदलने वाली थी. पास पहुँच कर उन्होने चमेली को अपने सीने से लगा लिया और उसे बेसब्री से चूमने लगे. उन्होने अब तक अपनी वाइफ के अलावा किसी स्त्री को नहीं चूमा था.

चमेली को चूमने में उन्हें एक अलग तरह का मज़ा आ रहा था. जैसे ही उनका चुम्बन ख़त्म हुआ, चमेली थोड़ा पीछे हट कर बोली, “ऐसी क्या जल्दी है, बाबूजी? खिड़की से किसी ने देख लिया तो?”

खिड़की के बाहर तो सुनसान है. वहां से कौन देखेगा?

मर्द लोग ऐसी ही लापरवाही करते हैं. उनका क्या बिगड़ता है? बदनाम तो औरत होती है. हटिये, मैं देखती हूँ.

चमेली खिड़की के पास गई. उसने पर्दों के बीच से बाहर झाँका. इधर-उधर देखने के बाद जब उसे तसल्ली हो गई तो उसने पर्दों को एडजस्ट किया और प्रवीन के पास वापस आ कर बोली, सब ठीक है. अब कर लीजिये जो करना है.

करना तो बहुत कुछ है. पर पहले मैं तुम्हे अच्छी तरह देखना चाहता हूँ.

देख तो रहे हैं मुझे, अब अच्छी तरह कैसे देखेंगे?

अभी तो मैं तुम्हे कम और तुम्हारे कपड़ों को ज्यादा देख रहा हूँ. अगर तुम अपने कपडों से बाहर निकलो तो मैं तुम्हे देख पाऊंगा. प्रवीन ने कहा.

“मुझे शर्म आ रही है, बाबूजी. पहले आप उतारिये,” चमेली ने सर झुका कर कहा.

नौकरानी के सामने कपडे उतारने में प्रवीन को भी शर्म आ रही थी पर इसके बिना आगे बढ़ना असंभव था. प्रवीन अपने कपड़े उतारने लगे. यह देख कर चमेली ने भी अपनी साडी उतार दी. प्रवीन अपना कुरता उतार चुके थे और अपना पाजामा उतार रहे थे. चमेली को उनके लिंग आकार अभी से दिखाई देने लगा था. उसने अपना ब्लाउज उतारा. प्रवीन की नज़र उसकी छाती पर थी. जैसे ही उसने अपनी ब्रा उतारी, उसके दोनो स्तन उछल कर आज़ाद हो गये. फिर उसने अपना पेटीकोट भी उतार दिया. उसने अन्दर चड्डी नही पहनी थी.

उसका गदराया हुआ बदन, करीब 36 साइज़ के उन्नत स्तन, तने हुए निप्पल, पतली कमर, पुष्ट जांघें और जांघों के बीच एक हल्की सी दरार यह सब देख कर प्रवीन की उत्तेजना सारी हदें पर कर गई. उन्होंने अनुभव किया कि चमेली का नंगा शरीर ज्योत्सना से ज्यादा उत्तेजक है. वो अब उसे पा लेने को आतुर हो गये.

अब तक प्रवीन भी नंगे हो चुके थे. चमेली ने लजाते हुए उनके लिंग को देखा. उसे वो कोई खास बड़ा नहीं लगा. उससे बड़ा तो उसके मरद का था. वो सोच रही थी कि यह अन्दर जाएगा तो उसे कैसा लगेगा. शुरुआत उसने ही की. वो प्रवीन के पास गई और उनके लिंग को अपने हाथ में ले कर उसे सहलाने लगी. उसके हाथ का स्पर्श पा कर लिंग तुरंत तनाव में आ गया. प्रवीन ने भी उसके स्तनो को थाम कर उन्हें मसलना शुरू कर दिया.

थोड़ी देर बाद प्रवीन चमेली को पलंग पर ले गए. दोनो एक दूसरे को अपनी बाहों में भर कर लेट गये. दीपक ने अपने एक हाथ से उसके निपल को मसलते हुए कहा, “चमेली, तुम नही जानती कि मैं इस दिन का कब से इंतजार कर रहा था!”

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“मैं खुश हूं कि मेरे कारण आपको वो सुख मिल रहा है जिसकी आपको जरूरत थी,” चमेली ने प्रवीन के लिंग को मसलते हुए कहा.

प्रवीन फुसफुसा कर बोले, “तुम्हारे हाथों में जादू है, चमेली.”

चमेली बोली, “अच्छा? लेकिन यह तो मेरे हाथ में आने से पहले से खड़ा है.”

प्रवीन भी नहीं समझ पा रहे थे कि आज उनके लिंग में इतना जोश कहाँ से आ रहा है. वो भी अपने लिंग के कड़ेपन को देख कर हैरान थे और कामोत्तेजना से आहें भर रहे थे. चमेली ने अपनी कोहनी के बल अपने को उठाया और वो प्रवीन की जांघों के बीच झुकने लगी. प्रवीन यह सोच कर रोमांचित हो रहे थे कि चमेली उनके लिंग को अपने मुह में लेने वाली है. उन्हें कतई उम्मीद नहीं थी कि चमेली जैसी कम पढ़ी स्त्री मुखमैथुन से परिचित होगी. उनकी पढ़ी-लिखी मॉडर्न वाइफ ने भी सिर्फ एक-दो बार उनका लिंग मुंह में लिया था और फिर जता दिया था कि उन्हें यह पसंद नहीं है.

ओह! कितना उत्तेजक होगा यह अनुभव! प्रवीन ने सोचा और धीमे से चमेली के सर के पीछे अपना हाथ रखा. उसके सर को आगे की तरफ धकेल कर उन्होंने यह जता दिया कि वे भी यही चाहते है. चमेली ने उनके लिंगमुंड को चूमा. उसके होंठ लिंग के ऊपरी हिस्से को छू रहे थे और तीन-चार बार चूमने के बाद चमेली ने अपनी जीभ लिंग पर फिरानी शुरू कर दी .प्रवीन आँखें बंद कर के इस एहसास का आनंद ले रहे थे |

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बड़ी माँ की चुदाई की इच्छा मैने पूरा किया | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/rishto-me-chudai/badi-maa-ki-chudai-ki-ichchha-maine-pura-kiya.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/rishto-me-chudai/badi-maa-ki-chudai-ki-ichchha-maine-pura-kiya.html#respond Thu, 11 Jan 2018 06:17:33 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=11624 दोस्तों इस कहानी में मै आपको बताऊंगा मैंने कैसे अपनी बड़ी माँ की चुदाई किया बड़ी माँ की चूत को जीभ से खूब चाटा जब चूत से पानी निकलने लगा तब लौड़ा अन्दर घुसाया |

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दोस्तों मेरा नाम रासिद हैं और मैं बिहार का रहने वाला हूँ | ये सेक्स कहानी मेरी और मेरी बड़ी माँ की हैं. आप का समय ख़राब का करते हुए मैं अब सीधा इस चुदाई की कहानी पर ही आता हूँ | मेरी बड़ी माँ एक गदराई हुई जवान औरत हैं उनका फिगर एकदम हॉट हैं | एकदम टाईट गोल चुंचे और मसलवाली बड़ी गांड भी हैं | उनकी. बड़ी माँ को देखते हुए किसी का भी लोडा खड़ा हो जाए ऐसा रंग हैं उसका, देखने वो किसी परी के जैसी लगती हैं | एक दिन मेरे घर पर कोई नहीं था सिर्फ मैं और मेरी बड़ी माँ थे | वो दोपहर में सो गई थी तभी मैं क्रिकेट खेल के घर आया तो देखा की उनकी साड़ी ऊपर उठी हुई थी और उनका बुर पूरा पसीने से भीगा हुआ था |

उस समय मुझे पता नहीं चला की बड़ी माँ नींद में ही झड़ चुकी है मैं उन्हें नींद में समझ के उनके जांघ की तरफ जा के सूंघने लगा. क्या मस्त खुसबू आ रही थी उनके बुर से. मैंने उसकी साडी को थोडा ऊपर किया तभी उनकी आँख खुल गई तब भी उन्होंने मुझे कुछ नहीं कहा. और वो उठ के मेरी तरफ देख रही थी तो मैंने बहाना बना के कहा की बड़ी माँ खाना दो न बहुत भूख लग रही हैं. पर मैंने देखा की वो मुझे एकदम नशीली आँखों से देख रही थी |

मैंने कहा, क्या हुआ बड़ी माँ ऐसे क्यूँ देख रही हो. तो उसने कहा की मेरा एक काम करेगा तू?

मैं: क्यों नहीं बड़ी माँ!

बड़ी माँ: किसी से कहेगा तो नहीं ना?

मैं: नहीं बड़ी माँ क्या बात हैं.

बड़ी माँ: वही जो तू अभी मेरे साथ कर रहा था उसे अच्छे से और खुल कर लो

मैं पूरा शर्म के मारे लाल हो गया.

बड़ी माँ: मेरी नजर तेरे ऊपर बड़े पहले से ही थी. तू जब भी नहाता तो मैं तेरा लोडा बड़े ही प्यार से देखती हूँ.

मैं बड़ी माँ के पास गया तो उन्होंने मुझे कमर से पकड़ लिया. मुझे भी अन्दर से बहुत मस्त लग रहा था क्यूंकि मेरी भी सालो की तमन्ना आज पूरी होने को थी. कितने दिनों से मैं बड़ी माँ की गांड और बूब्स को देखना और टच करना चाहता था. और तभी बड़ी माँ ने मेरा माथा पकड के अपने बुर की तरफ कर दिया.मुझे बड़ी माँ के बुर से गीली खुसबू का अहसास हो रहा था.

मैंने उनके बुर पर हाथ रखा तो जैसे मेरे लोडे में पूरा करंट लगा. अब वो उठी और मेरी पेंट को निचे कर के बोली, जो तू रोज मेरे नाम की मुठ मारता हैं तो आज जो करना चाहता हैं कर ले. मैंने भी देरी न करते हुए पसीने से लथपथ उनके कंधे को और कानो को चाटना चालू कर दिया. बड़ी माँ भी एकदम मदहोशी में डूबी हुई थी |

अब मैं निचे गया और उनके बुर को चाटना चालू कर दिया. वो पूरी मदहोशी से मोनिंग कर रही थी.. आह्ह्ह चाट आह्ह्ह मेरे राजा चाट चाट के साफ़ कर के अपनी बड़ी माँ के भोसड़े को! आह आह तू ही है जो मेरी चुदाई का दर्द दूर करेगा मेरे राजा,, आह्ह्हह्ह ओह्ह्ह्हह्ह आह्ह्ह्हह्ह.बड़ी माँ ने अपनी जांघो के बिच में मेरी मुंडी को कस के दबा ली और मैं समझ गया की मेरे चाटने की वजह से वो झड़ने की कगार पर आ चुकी थी.तभी मुझे किसी के आने की आवाज सुनाई दी…. वो कोई और नहीं मेरे बड़े पापा थे | आप यह हिंदी सेक्सी कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |

मैं जैसे तैसे अपनेआप को रोक के वहाँ से भाग खड़ा हुआ. और बड़ी माँ को बड़ा गुस्सा आ गया | फिर मैं शाम को बड़ी मम्मी के यहाँ गया तो देखा उनकी आँखों में एक अलग ही चमक थी. मैंने कुछ बोला भी नहीं और वो मेरे पास आइ और एक झटके में मुझे किस करने लगी. मैंने भी जवान में खूब जोर से उसे किस करना चालू कर दिया.

फिर मैंने देर न करते अपने दोनों हाथो से उनकी साडी के अन्दर के बूब्स को पकड़ लिया. पहले मैंने बूब्स को थोडा मसला और फिर अपना एक हाथ उनके बुर में डाल दिया. क्या बताऊँ दोस्तों उनके बुर की खुसबू को मैं सूंघना चाहता था और इसलिए मैं खुद को रोक नहीं सका. मैंने अपना हाथ बुर से निकाल के अपने उंगलियों को चाटना और सूंघना चालू कर दिया |

बड़ी माँ ने कहा, चाटना हैं तो पहले से बता देता.यह कह के उन्होंने नंगे हो के सोफे के ऊपर अपनी जांघो को खोल दिया. मैं उनके पास गया और उनके बुर को चाटने लगा. बुर को चाट रहा था और लोडा भी मेरे हाथ में था. मैं लोडा हिलाते हुए अपनी बड़ी माँ का बुर चाट रहा था |

मैंने २० मिनट तक उनका बुर अपनी जबान से चोदा और इस बिच में वो २ बार झड़ भी गई. वो मुझे अपना बुर जोर जोर से चाटने के लिए कहती रहती थी बिच बिच में.अब मैंने और भी जोर जोर से बड़ी माँ का बुर चाटा. वो फिर से एक बार झड़ गई और मैं उसके बुर का सब पानी पी गया. अब मैंने अपना लोडा बड़ी माँ को चूसने के लिए दे दिया | आप यह हिंदी सेक्सी कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | बड़ी मम्मी सच में एक चुदस्सी औरत थी और उसने इतना हॉट ब्लोव्जोब दिया मुझे की मेरे लौड़े में जैसे आग सी लगा दी. वो अपनी जबान से सुपारे को हिलाती थी और लंड को एकदम तडपा के फिर अपने मुह में ले लेती थी. मैं ५ मिनट में ही उसके मुहं में झड़ गया. बड़ी माँ ने सब वीर्य पी लिया |

फिर हम दोंनो ने एक दुसरे को गले लगा लिया. २ मिनट में उसके हाथ से फिर से मेरा लंड हिलना चालू हो गया. सिकुड़े हुए लोडे में फिर से खुसपुसाहट सी हो गई और उसकी सलवटें मिट के लोडा फिर से कडक हो गया. अब मैंने बड़ी माँ की बुर को खोला और अपना लंड उनके बुर पर रख दिया |

बड़ी माँ: आह जल्दी से अन्दर कर दे अपने तोते को मेरी मैना बहुत ही प्यासी हैं |

मैंने एक झटका दिया और मेरा लोडा बड़ी माँ के बुर में घुस गया. मैंने अपने मुह में उनके बूब्स भर लिये और मैं बूब्स को चूसते हुए ही उन्हेंचोदने लगा. बड़ी माँ को बड़ा अच्छा लग रहा था और वो भी अपनी गांड हिला हिला के चुदवा रही थी.१० मिनट चोद के फिर मैंने अपना सब वीर्य बड़ी माँ के बुर में ही छोड़ दिया |

बड़ी माँ ने फिर मेरा लोडा अपने मुह में भर लिया और लंड के सब तरफ से वीर्य को चाट के साफ़ कर लिया.दोस्तों यह थी मेरी और बड़ी माँ की पहली चुदाई की हिंदी सेक्स कहानी. अब हम दोनों सेक्स के रेग्युलर पार्टनर हो चुके हैं और जब भी चांस मिलता हैं मैं उनका बुर चोद आता हूँ |

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नैना गोयल और उसकी ननद | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/randibaji-gigolo/nanad-goyal-aur-uski-nanad.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/randibaji-gigolo/nanad-goyal-aur-uski-nanad.html#respond Tue, 09 Jan 2018 14:15:43 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=11607 बात आज से करीब डेढ़ साल पहले गर्मीयों की है सुबह के करीब 04:30 बजे मैं शालू, शांती, मोनीका और शीखा बेड पर नंगे ही सो रहे थे और अक्सर घर में एकदम नंगे ही रहते थे अगर कीसी ने अपने बदन पर एक भी कपडा पहना तो 500 रुपये जुरमाना होता था |

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दोस्तों सबसे पहले आदरणीय गुरूजी को सादर प्रणाम जीनकी कृपा से मस्ताराम डॉट नेट के जरीये लंड को खड़ा कर देने वाली और चूत में उँगली करने को मजबूर कर देने वाली कामुक कहानीयाँ पढ़ने और लीखने को मील जाती हैं | दोस्तों सबसे पहले तो मैं आप सब को अपना परीचय देना चाहूँगा क्योंकी वैसे तो मुझे ज्यादातर पाठक दोस्त और पाठिकाएं दोस्त मुझे जानते हैं |

लेकीन कुछ नए पाठक एवं पाठिकाएं मुझसे परीचित नहीं हैं उनके लीये परीचय अत्यंत आवश्यक हो जाता है तो दोस्तों मैं आपका वही जाना पहचाना 25 वर्षीय वीशु कपूर हूँ जो आगरा का रहने वाला हूँ लेकीन इस समय अपनी मौसी के साथ अहमदाबाद में रह रहा हूँ और वहीँ रहकर एक  लेडीज मसाज पार्लर में एक मसाज बॉय की हैसीयत से काम कर रहा हूँ जीसमें मुझे लड़कीयों और औरतों की फुल बॉडी मसाज और उनकी जरूरत के हीसाब से उनकी चुदाई भी करनी पड़ती है और जीम जाने के कारण मेरा बदन गठीला है और मेरे लंड की लंबाई 9 इंच है | अब मैं आपको बोर न करते हुए अपनी कहानी पर आता हूँ |

बात आज से करीब डेढ़ साल पहले गर्मीयों की है सुबह के करीब 04:30 बजे मैं शालू, शांती, मोनीका और शीखा बेड पर नंगे ही सो रहे थे और अक्सर घर में एकदम नंगे ही रहते थे अगर कीसी ने अपने बदन पर एक भी कपडा पहना तो 500 रुपये जुरमाना होता था हाँ अगर चारों लडकीयों में से कीसी को भी पीरियड ( महीना) आता था बस उसी समय सीर्फ उसी लड़की को चड्डी पहनने की इज़ाज़त थी |

तो दोस्तों मैं बीच में सोता था बाकी मेरे आजू बाजू दो दो लड़की सोती थी तो दोस्तों जैसा की आप जानते हो सुबह के समय लंड अपने आप खड़ा हो जाता है तो मेरे बगल में दायीं तरफ शांती सोई हुई थी और बाई तरफ मोनीका और शांती के बगल में शालू थी और मोनीका के बगल में शीखा सो रही थी तभी सुबह के 04:30 पर मेरे मोबाइल का अलार्म बजा तो मेरी आँख खुल गई और मेरे साथ ही शीखा भी उठ गई तो रोज ही मेरे लंड को चुस्ती और उससे नीकलने वाले बीज को पीती थी क्योंकी उसे मेरे लंड का बीज पीना बहुत पसंद था तो वो उठी और मेरे लंड को रोज की तरह चूसने लगी | दोस्तों आप यह हिंदी सेक्सी कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |

मेरा लंड तो पहले से खड़ा था उसके चूसने से और ज्यादा टाइट हो गया और उसका सुपाड़ा एक बड़े मशरूम की तरह फूल गया और टमाटर की तरह लाल हो गया तभी मोनीका जो अब तब करवट लेकर सो रही थी वो एकदम सीधी हो गई और उसने अपने घुटने मोड़ लीये तभी अचानक ही शीखा के दीमाग में एक शरारत आई और उसने मेरा लंड अपने मुँह से नीकाल कर मोनीका की चूत के छेद पर रख दीया और मुझे जोरदार झटका देने का इशारा कीया |

मैंने जब मना कीया तो उसने मेरी कमर के ऊपर से एक जोर का धक्का दीया जीससे मेरा लंड सोती हुई मोनीका की चूत में सरसराता हुआ पूरा घुस गया जीससे मोनीका की एकदम से चीख नीकल गई और उसकी चीख सुनकर शालू और शांती भी चोंक कर उठ गई फीर मैंने मोनीका के साथ साथ सभी की चूत में लंड डाला और बीच बीच में शीखा मेरा लंड चूत में से नीकाल कर चूस लेती और फीर उसी चूत में डाल देती जीस चूत से मेरा लंड नीकाल ती थी करीब 1 घंटे बाद जब मेरा लंड शालू की चूत में था तो मैंने शालू से पूछा की शालू अब मैं झड़ने वाला हूँ तो शीखा तेजी के साथ मेरे पास आई और बोली की जीजू मुझे आपका बीज पीना है इसलीये अपना लंड मेरे मुँह में डाल दो ताकी मैं आपके लंड को चूसते हुए बीज पी सकूँ और शालू की चूत से मेरा लंड नीकाल कर अपने मुँह में डाल लीया और लोलीपोप की चूसने और चाटने लगी |

इधर मैं भी झड़ने के करीब था तो मैंने भी शीखा के मुँह में धक्के लगाना शुरू कर दीया करीब 5 मीनट ही धक्के मारे होंगे की मेरे लंड ने शीखा के मुँह में पिचकारी छोड़ दी | और जैसे ही मेरे लंड ने शीखा के मुँह में पिचकारी छोड़ी तब तक 6 बज चुके थे फीर शीखा ने मेरे लंड से नीकल ने वाली बीज की एक एक बूँद को पी गई और जब तक मेरा लंड दुबारा नहीं खड़ा हो गया तब तक उसने मेरे लंड के सुपाड़े के ऊपर वाली खाल को पीछे खीस्का कर उस पर अपनी जीभ चलाने लगी |

लंड को चूसकर खड़ा करने वाली यह कला हर लड़की को नहीं आती है जो लड़की सुपाड़े की ऊपर वाली खाल को पीछे की तरफ खीस्का कर जीभ से सुपाड़े के नीचले हीस्से मतलब सुपाड़े के पीछे की तरफ जो जॉइंट होता है वहाँ और जहाँ सुपाड़े का लास्ट हीस्सा जहाँ से खाल सुपाड़े को ढकती है उस जगह पर अगर लड़की अपनी जीभ फीराये तो मैं गारंटी देता हूँ की लड़के के लंड में कीतनी भी ताकत हो मतलब वो कीतनी भी देर तक धक्के लगाने वाला हो लेकीन वो लड़का 10 मिनट से ज्यादा नहीं रुक सकता तुरंत ही वीर्यपात हो जायेगा और बुड्ढे से बुड्ढे जीसका लंड हरकत में न आये उसका लंड भी सैकंड में खड़ा हो जायेगा |

खैर शीखा के चूसने और चाटने से मेरा लंड दोबारा खड़ा हो गया उसके बाद शालू, शांती और मोनीका ने मेरा लंड चूसा लेकीन जो लंड चुसाई शीखा में थी वो जौहर उन तीनों लडकीयों ने नहीं दीखा पाया अगर शीखा ही मेरा लंड चुस्ती रहती तो शायद मैं 8 या 10 मिनट में अपने लंड से पिचकारी छोड़ देता लेकीन उन तीनो ने मेरी पिचकारी 20 मिनट में भी नहीं छुड़ा पाई तो मैंने शांती को बोला की वो मेरी मुट्ठ मार दे क्योंकी दोस्तों जैसा की आप जानते ही हैं की लंड अगर लोहे की गरम रॉड की तरह तन कर खड़ा हो जाये तो फीर बीना बीज नीकले बैठता नहीं है चाहे वो बीज चूत, गाँड या मुट्ठ मारने से ही नीकल ता है और फीर तभी बैठता है |

तो शीखा बोली जीजू क्या मैं दोबारा आपका लंड चूस सकती हूँ? तो मोनीका बोली बड़ी आई हर बार लंड का बीज पीने वाली इस बार मैं पीऊँगी जीजू के लंड का बीज| कम से मैं भी तो देखूँ की आखीर शीखा रोजाना जीजू के लंड का बीज क्यों पीती है कहीं न कहीं जरूर ये बीज स्वादीष्ट होता होगा? तो शीखा बोली की हाँ हाँ तू ही पी लेना लेकीन मैं सीर्फ तुझे यह बताना चाहती हूँ जीजू के लंड से बीज जल्दी कैसे निकलेगा? तुम सब अगले घंटे तक लंड को हीलाती रहना बीज नहीं नीकल सकता लेकीन मैं जीजू का लंड इस तरह चुसूँगी और चाटूँगी की 8 से 10 मिनट में जीजू का लंड पिचकारी छोड़ देगा फीर तू उस बीज को पी लेना ओ0 के0|

और वास्तव में शीखा ने मुश्कील से 8 या 10 मिनट ही मेरे लंड के सुपाड़े को खाल हटाकर अपनी जीभ से चाटा होगा की मेरे लंड ने मोनीका के मुँह में पिचकारी छोड़ दी इधर मेरा लंड बीज की धार छोड़ रहा था तभी मेरे मोबाइल की घंटी बजी तो मेरा फ़ोन शालू ने उठाया और स्पीकर खोल कर बात की उधर से कोई नैना गोयल (बदला हुआ नाम) बोल रही थी जीसे मैं नहीं जानता था तो शालू ने कहा की बताइये |

मैं आपकी क्या सेवा कर सकती हूँ उधर से आवाज आई की क्या मैं वीशु कपूर जी से बात कर सकती हूँ? शालू ने कहा की जीजू अभी सो रहे हैं आप मुझे बता सकती हो की उनसे आपको क्या काम है? नैना गोयल ने बताया की मेरी अभी पीछले 6 महीने पहले ही शादी हुई है और मेरे पती दुबई में एक इंजीनियर के पद पर कार्यरत हैं जो मुझ जैसी औरत को छोड़कर दुबई चले गए हैं हालाँकी मेरा मेरे पती के साथ वैवाहीक रिश्ता बहुत अच्छा रहता था मैं उनसे शारीरीक रूप से पूर्णतया संतुष्ट थी लेकीन अब वो यहाँ नहीं हैं तो मुझे बहुत ही अकेलापन महसूस होता है इसलीये मुझे मेरी एक सहेली ने वीशु कपूर जी का नंबर दीया था की मैं उनसे बात कर लूँ इसलीये मैं उनसे बात करना चाह रही थी?

तो शालू ने कहा की आपको कौन सी सर्वीस चाहीये 2 घंटे वाली या फुल नाईट वाली? तो नैना ने पूछा की दोनों के चार्जेज क्या हैं? शालू ने बताया की दो घंटे वाली के xxxx प्रती क्लाइंट और फुल नाईट के xxxx/- प्रती क्लाइंट| तो नैना कुछ देर सोच में पड़ गई और उसने कहा की मैं आपको अभी पूछ कर बताती हूँ |

5 मिनट बाद ही नैना का फोन आया तो इस बार फोन शीखा ने उठाया तो नैना ने कहा की मैडम, मैं मेरी जीठानी और मेरी ननद तीनो को वीशु जी की फुल नाईट वाली सर्वीस चाहीये तो बताइये की मुझे कीतने पैसे लगेंगे? तो शीखा बोली की फुल नाईट के जीजू xxx/- प्रती क्लाइंट लेते हैं तो आपको और आपकी जीठानी और आपकी ननद तीनों को जीजू की फुल नाईट की सर्वीस चाहीये तो आपके xxx/- लगेंगे नैना ने कहा की xxx/- तो बहुत ज्यादा हैं कुछ कम कर लीजीये तो शीखा बोली की आपकी ननद वर्जिन है या….

. तो नैना की ननद फोन पर आई और बोली की हाँ मैं अभी तक वर्जिन ही हूँ तो शीखा बोली की वर्जिन क्लाइंट का जीजू xxxx/- लेते हैं बाक़ी आप जीजू से बात कर लीजीये और शीखा ने फ़ोन मुझे पकड़ा दीया तो जब मैंने नैना से बात की तो वो बोली की वीशु जी xxxx/- तो बहुत ज्यादा हैं तो मैंने उसकी पूरी बात को समझा और फीर मैंने कहा की मैडम आप भी हद करती हैं आपकी ननद अभी वर्जिन है और आप दोनों के पती भी बहुत दीन से भारत नहीं आये हैं तो आप ही अंदाज़ा लगा लीजीये की मुझे आप तीनो के साथ पूरी मेहनत करनी पड़ेगी तो नैना बोली की वीशु जी कुछ तो कम कर लीजीये |

मैंने कहा की मैडम मैं काम करने के पैसे लेता हूँ आप पहले मेरा काम देखीये अगर मैं आपको खुश कर दीया तो आप मुझे पैसे देना अदरवाइज एक पैसा मत देना ओ0 के0| नैना बोली ठीक है वीशु जी पर हाँ ये पक्का है की आपने हम तीनो को खुश कर दीया तो हम आपको खुश कर देंगे तो मैंने कहा की ओ0 के0 और उसने अपना पता और शाम का समय नोट करवा दीया| लास्ट मैं मैंने नैना से पूछा की आप लोग कंडोम तो यूज़ करोगी न? तो नैना बोली की वो शाम को भी पता चलेगा? तो मैंने कहा की नहीं मैडम मुझे अभी जवाब चाहीये क्योंकी जो क्लाइंट्स प्रग्नेंट होना चाहती हैं मैं उनकी पहले ब्लड रीपोर्ट चेक करता हूँ की कहीं वो HIV पॉजीटिव तो नहीं है अगर नहीं होती है तभी मैं उस क्लाइंट को अपनी सर्वीस देता हूँ अन्यथा मैं मना कर देता हूँ |

इसलीये आप मुझे अभी बताइये की आप लोग कंडोम इस्तेमाल करोगी या नहीं? तो करीब 10 मिनट बाद नैना का मेरे पास फीर से फोन आया की नहीं आपका बीज अपनी अपनी चूत में डालवायेंगी ना की कंडोम में ओ0 के0 तो मैंने कहा की मैडम फीर तो आप सब को अपने अपने ब्लड की टेस्टीनग करानी पड़ेगी और बीना टेस्टीनग के मैं आप में से कीसी भी नहीं चोद पाउँगा तो इसलीये यदी आप लोग मुझसे चुदना चाहती तो आप सभी को टेस्टीनग करानी पड़ेगी तो नैना ने जवाब में सीर्फ ओ0 के0 कहा और फोन काट दीया | फीर कुछ समय बाद नैना की ननद का फोन आया की आप शाम को 7 बजे आ जाना ओ0 के0 तब तक हम सब अपनी ब्लड की जाँच बगैरह करवा के तैयार रखेंगे लेकीन आप कंडोम लेकर मत आइयेगा ओ0 के0 और उसने फोन काट दीया |

कहानी जारी है … आगे की कहानी पढ़ने के लिए निचे दिए गए पेज नंबर पर क्लीक करें |

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इतना मोटा लंड पहले कभी नहीं मिला काश पहले ही मिल गया होता | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/koi-mil-gaya/itna-mota-land-pahale-kabhi-nahi-mila-kash-pahale-mil-gya-hota.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/koi-mil-gaya/itna-mota-land-pahale-kabhi-nahi-mila-kash-pahale-mil-gya-hota.html#respond Sat, 06 Jan 2018 14:49:03 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=11578 मेरी शादी 1 साल पहले सुजीत के साथ हुई है. सुजीत की उमर ३० साल की थी. सुजीत के अलावा घर पर कोई नहीं रहता. मैं सेक्स में बहुत रूचि रखती हूँ. मैने अपनी लाइफ के बारे में जो ख्वाब देखे थे वो सभी ख्वाब सुजीत से शादी करने के बाद टूट गये सुजीत का […]

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मेरी शादी 1 साल पहले सुजीत के साथ हुई है. सुजीत की उमर ३० साल की थी. सुजीत के अलावा घर पर कोई नहीं रहता. मैं सेक्स में बहुत रूचि रखती हूँ. मैने अपनी लाइफ के बारे में जो ख्वाब देखे थे वो सभी ख्वाब सुजीत से शादी करने के बाद टूट गये

सुजीत का लंड बहुत ही छोटा था और उस से मेरी भूख शांत नहीं होती थी. शादी के बाद जब मैं ससुराल पहुचि तो मैने देखा की एक आदमी एक दम नंगा ही पागलों की तरह हमारे घर के आस पास चक्कर लगता रहता था. दिखने में वो गठीले बदन का शानदार नौजवान था और किसी अछे परिवार का लगता था. उसकी उमर लगभग 26-27 साल की रही होगी.

मैने सुजीत से उस पागल के बारे में पूछा तो वो बोले ये तो बहुत दीनो से यहीं आस पास ही घूमता रहता है / मेरे घर के आस पास बहुत सारे जंगली पेड़ और पौधे थे जिस से कोई भी आदमी गेट के बाहर से हमारे घर को आसानी से नहीं देख सकता था. वो जब हमारे घर के आस पास होता तो मैं हमेशा छुप छुप कर उसकी निक्कर से बहार लटकते हुए उसके लंड को देखती रहती थी क्यों की उसका लंड ढीला रहने पर भी लगभग 8″ लंबा और बहुत ही मोटा था जैसे कोई खीर या ककड़ी हो. मैने सोचा की काश एक बार मैं उसके लंड को अपने हाथो से पकड़ कर देख सकती. मेरा मन बड़ा ललचाता था..

इतना मोटा लंड पहले कभी नहीं मिला काश पहले ही मिल गया होता चुत कितना मज़ा आता |

मैं हमेशा सोचा करती थी की काश सुजीत का लंड भी लंबा और मोटा होता क्यों की सुजीत का लंड सिर्फ 4″ लंबा और बहुत ही पतला था | मुझे उनसे चुदवाने में बिल्कुल भी मज़ा नहीं आता था. वो पागल रात को हमारे कॉंपाउंड में आ जाता था और पूरी रात घर के मैं दरवाज़े के पास बैठा रहता था. ये उन दिनों की बात है जब सुजीत 15 दीनो के लिए बंगलौर चले गये. उनके जाने के दूसरे दिन रात के 8 बजे के आस पास वो पागल हमारे घर के दरवाजे के पास आ कर बैठ गया. जब वो रात को आ कर एक कोने में बैठ जाता तो वो फिर सुबह ही वहाँ से वापस जाता था.  तो उसने अपना सिर हां में हिला दिया. मैं खाना ले आई और जब वो खाना खा चुका तो उसने इशारे से पानी मैं उसके बगल में बैठ गयी. मैं तो उसके लंड को अपने हाथ में लेकर देखना चाहती थी.

मैं ये भी देखना चाहती थी की उसका लंड खड़ा होने के बाद कितना लंबा और मोटा हो जाता है | मैने अपना हाथ उसके जांघों पर रख दिया. वो कुच्छ नहीं बोला तो मैं अपना हाथ उसके जाँघ पर फिरने लगी. वो फिर भी कुच्छ नहीं बोला तो मैने अपना हाथ धीरे धीरे उसके लंड की तरफ बढ़ा दिया. वो फिर भी कुच्छ नहीं बोला. अब मेरी उंगलियाँ उसके लंड को टच कर रही थी.

मेरे बदन में सुरसुरी सी होने लगी तो मैने अपनी उंगली उसके मेरी चूत भी अब पानी छोड़ने लगी | जब वो फिर भी कुच्छ नहीं बोला तो मैने अपने हाथों से उसके लंड को पकड़ लिया. मैं धीरे धीरे उसका लंड सहलाने लगी तो वो मुझे घूर घूर कर देखने लगा. उसकी आँखों में भी सेक्स की प्यास एक दम सॉफ दिख रही थी. थोड़ी ही देर में उसका धीरे धीरे से लंड खड़ा होने लगा. उसका लंड टाइट होने के बाद लगभग 10″ से भी ज्यादा लंबा और बहुत ही ज़्यादा मोटा हो गया. ऐसा लग रहा था जैसे मेरे सामने किसी घोड़े का लंड या किसी गधे का लंड ऊपर नीचे सलामी मार रहा हो.  मैं उसके लंड के साइज़ को देखकर जोश के मारे पागल सी होने लगी और थोड़ी ही देर में मेरी चूत एक दम गीली हो गयी.

मुझे अब ग़लत या सही का कोई होश नहीं रह गया था. मैने सोचा अगर मैं इस पागल से चुदवा लूं तो मुझे कोई कुच्छ भी नहीं कह सकेगा. अगर मुझसे कोई कुच्छ कहेगा तो कह दूँगी की इस पागल ने मेरे साथ ज़बरदस्ती किया है. मैने सोच लिया की आज मैं इस पागल के लम्बे और मोटे लंड से चुदवा कर रहूंगी भले ही मेरी चूत का हाल कुच्छ भी हो | आप यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | मैं उस पागल का हाथ पकड़ कर घर के अंदर ले गयी.  उसे देख कर लग रहा था जैसे उसने कभी नहाया ही ना हो |

मैं उसे बातरूम में ले गयी और उसे एक साबुन देते हुए नहाने को कहा. मैं खड़ी रही और वो नहाने लगा. जोश के मारे मेरी चूत फिर से पानी छोड़ने लगी. नहाने के बाद उसका गोरा बदन एकदम निखर आया. उसका लंड भी बहुत गोरा था. जब वो नहा चुका तो मैं उसे नंगे ही बेडरूम में ले गयी. मैने उसे बेड पर बिठा दिया.  उसने अपना सिर हां में हिला दिया.

मैने सोचा की ये तो और अच्च्ची बात है कि ये गूंगा है और किसी से कुछ भी नहीं कहेगा. मैं बेड पर उसके बगल में बैठ गयी. मैने उसके लंड को अपने हाथों में भर कर फिर से सहलाना शुरू कर दिया तो थोड़ी ही देर में उसका लंड खड़ा हो कर एक दम टाइट हो कर सलामी मरने लगा. मैने सोचा ये तो पागल है. अगर मैं इस से चोदने के लिए कहा तो कहीं ये ज़बरदस्ती अपना पूरा का पूरा लंड एक झटके से ही मेरी चूत में ना घुसा दे नहीं तो मेरी चूत तो फॅट जाएगी. मैने उसे बेड पर लिटा दिया और अपने सारे कपड़े उतार दिए. वो मेरे गोरे बदन को घूर घूर कर देखने लगा. मैने उसके बगल में बैठ गयी और उसके लंड के सुपाडे पर अपनी जीभ फिरने लगी.  वो जोश में आ कर आहें भरने लगा और अपने लंड के झटके मेरे मूह पर मरने लगा. थोड़ी देर बाद मैने उस से पुछा कि मेरी चूत को चाटोगे तो उसने अपना सिर हां में हिला दिया. मैंने उसको बिस्तर पर पीठ के बल लिटा दिया ये व्ही बिस्तर था जिस पर मैं सुजीत के साथ सुहागरात मना चुकी थी और रोज़ उसके साथ सेक्स करती थी.  मैंने भी अपनी सलवार कमीज़ उतार दी नीचे मैंने काली ब्रा और पेंटी पहनी थी …

वो पागल मुझे घूर घूर कर देख रहा था .. फिर मैंने अपनी ब्रा और पेंटी भी उतार दी .. मेरे मोटे मोटे मुम्मे पागल की नज़रों के सामने थे .. मैं पागल के उपर 69 की पोज़िशन में लेट गयी मेरे भारी भारी मुम्मे पागल के पेट पर दब रहे थे. मैने उसका लंड अपने मूह में ले कर धीरे धीरे से चूसना शुरू कर दिया.  वो अपनी उंगलियों से मेरी भगनासा को मसालते हुए बड़े प्यार से मेरी चूत को चाटने लगा. मैं समझ गयी की वो किसी औरत को चोदने का पुराना खिलाड़ी है. थोड़ी देर तक मेरी चूत को चाटने के बाद उसने अपनी बीच की उंगली मेरी चूत में घुसा दी और मेरी चूत के ग-स्पॉट को रगड़ने लगा. मेरे सारे बदन में आग सी लगने लगी और मैने उसके लंड को तेज़ी के साथ गपा-गप चूसना शुरू कर दिया. वो मेरे जी-स्पॉट को रगड़ता रहा और मैं जोश से पागल सी होने लगी.

फिर 2 मिंट में ही मैं झाड़ गयी. उसके बाद मैं उसके उपर से हट गयी और ढेर सारी क्रीम लाकर उसके लंड पर लगा दी और थोड़ी क्रीम अपनी चूत में भी लगा ली.  क्रीम लगाने के बाद मैं फिर से उसके उपर आ गयी. जैसे ही मैने उसके लंड के सुपाडे को अपनी चूत की च्छेद पर रखा तो उसने मेरा सिर पकड़ कर अपनी तरफ खीच लिया और बड़े प्यार से मुझे चूमने-चाटने लगा. उसके होंठ एक दम गरम थे. मेरे सारे बदन में सिहरन सी दौड़ गयी. थोड़ी देर तक मैने अपनी चूत को उसके लंड के सुपाडे पर रगड़ा.

फिर उसके बाद मैने अपनी चूत को उसके लंड पर थोड़ा सा दबा दिया तो मेरे मूह से हल्की सी चीख निकल गयी और उसके लंड का सुपाडा मेरी चूत में घुस गया और मेरी चूत चारों तरफ से फ़ैल गयी थी क्योंकि पागल का लंड बहुत मोटा और लम्बा था. मुझे दर्द होने लगा तो मैने उसके लंड का सुपाडा अपनी चूत से बाहर निकल दिया और अपनी चूत को फिर से उसके लंड पर रगड़ना शुरू कर दिया. वो बड़े प्यार से मेरी पीठ को सहलाता हुआ मुझे चूमने लगा.  थोड़ी देर बाद जब मेरा दर्द कुच्छ कम हुआ तो मैने अपनी चूत के मूंह को अपने दोनों हाथों से खोल कर उसके लंड के सुपाडे पर फिर से थोड़ा सा दबा दिया. उसके लंड का सुपाडा फिर से मेरी चूत में घुस गया लेकिन इस बार मुझे ज़्यादा दर्द नहीं हुआ क्योंकि मेरी चूत भी अब बहुत पानी छोड़ चुकी थी. मैने अपनी चूत को जैसे ही थोड़ा सा और दबाया तो मेरे मूह से चीख निकल पड़ी.  अब उसका लंड मेरी चूत में लगभग २-३ इंच अंदर तक घुस चुका था. मेरी टाँगें थर थर काँपने लगी.

मेरी धड़कन बहुत तेज चलने लगी. लग रहा था की जैसे कोई गरम लोहा मेरी चूत को चीरता हुआ अंदर घुस रहा हो. मैं रुक गयी. थोड़ी देर बाद मैने धीरे धीरे अपनी चूत को उसके लंड पर उपर नीचे करना शुरू कर दिया. जब मेरा दर्द फिर से कुच्छ कम हुआ तो मैने थोड़ा सा ज़ोर और लगा दिया.  मैं फिर से चीख उठी और उसका भारी लंड मेरी चूत में 4″ तक घुस गया. मैने फिर से अपनी चूत में उसके लंड को धीरे धीरे अंदर बाहर करना शुरू कर दिया. थोड़ी देर बाद जब मेरा दर्द कुच्छ कम हुआ तो उसने मुझसे लेट जाने का इशारा किया. मैं जोश से पागल हुई जा रही थी और उसके इशारे के बाद मैं उसके उपर से हट गयी और बेड पर लेट गयी.

मैने सोचा अब जो होगा देखा जाएगा. उसने मेरे चूतड़ के नीचे 2 तकिये रख दिए जिस के कारण मेरी चूत ऊपर की तरफ उठ गई और मेरी चूत उस पागल के सामने एकदम सामने आ गयी. फिर वो मेरी टाँगों के बीच आ गया और उसने मेरी गीली चूत के बीच अपने लंड का सुपाडा रख दिया और मेरी टाँगों को पकड़ कर दोनों तरफ फैला दिया.  मैं डर रही थी की वो कहीं ज़बरदस्ती ही अपना पूरा का पूरा लंड मेरी चूत में एकदम से ना घुसेड दे. उसने धीरे धीरे अपना लंड मेरी चूत के अंदर दबाना शुरू किया.

उसका लंड धीरे धीरे मेरी चूत में घुसने लगा. जैसे ही उसका लंड लगभग 5 इंच तक मेरी चूत में घुसा तो मैं चीखने चिल्लाने लगी और वो रुक गया.

उसने अपने होंठ मेरे होठों पर रख दिए और मेरे बड़े बड़े मुम्मे मसालते हुए धीरे धीरे अपना लंड मेरी चूत के अंदर बाहर करने लगा. अब मैं समझ गयी की वो ज़बरदस्ती अपना लंड मेरी चूत में नहीं घुसाएगा.  थोड़ी देर बाद जब मैं झड गयी तो मेरी चूत पूरी तरह से गीली हो चुकी थी उसका हलब्बी और बहशी लौड़ा मेरी चूत में फचाफच अंदर बहार हो रहा था उसने अपनी स्पीड बहुत तेज कर दी. थोड़ी देर बाद उसने एक जोरदार धक्का लगा दिया तो मेरे मूह से आ निकल पड़ी और उसका लंड और ज़्यादा गहराई तक मेरी चूत में घुस गया. वो फिर से धीरे धीरे धक्के लगाने लगा. उसका लंड अब तक मेरी चूत के अंदर लगभग 6 इंच तक घुस चुका था. वो मुझे धीरे धीरे छोड़ता रहा तो थोड़ी देर बाद मेरा दर्द जाता रहा और मुझे मज़ा आने लगा.

दस मिंट तक चुदवाने के बाद मैं फिर से झाड़ गयी. मेरे झड़ने के बाद उसने फिर से अपनी स्पीड बढ़ा दी. मुझे अब बहुत ही मज़ा आ रहा था. मैने अपना चूतड़ उठना शुरू कर दिया था. मैं उसके हर धक्के के साथ अपने चूतड़ उठा कर ताल से ताल मिला रही थी .. मुझे चूतड़ उठा उठा कर चुद्वाता हुआ देखकर वो रुक गया और उसने धीरे धीरे अपना लंड मेरी चूत के अंदर और ज़्यादा गहराई तक घुसना शुरू कर दिया.  उसका लंड बहुत ही धीरे धीरे मेरी चूत को चीरता हुआ अंदर घुसता जा रहा था. जैसे ही उसका लंड मेरी चूत के अंदर थोड़ा और घुसा तो मैं फिर से तड़पने लगी लेकिन इस बार मैं चीखी नहीं. दर्द के मारे मैने अपने होंठ जकड़ लिए.

वो अपना घोड़े जैसा लंड धीरे धीरे मेरी चूत में घुसता रहा. जब उसका लंड मेरी चूत में लगभग सात इंच तक घुस गया तो मैं दर्द से तड़प उठी और मेरे मूह से जोरदार चीख निकल ही गयी. मेरी चीख निकलते ही वो रुक गया | आप यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | 

थोड़ी देर तक रुकने के बाद उसने फिर से धीरे धीरे मेरी चुदाई शुरू कर दी.  थोड़ी देर बाद जब मेरा दर्द फिर से कुच्छ कम हो गया तो उसने अपनी स्पीड बढ़ा दी और मुझे तेज़ी के साथ चोदने फचा फच चोदे ही जा रहा था … मैं जोश के मारे पागल सी हुई जा रही थी और जल्दी से जल्दी उसका पूरा का पूरा लंड अपनी चूत के अंदर लेना चाहती थी. लगभग 10 मीं तक छुड़वाने के बाद मैं फिर से झड़ गयी. मेरे झड़ जाने के बाद उसने फिर से अपना लंड मेरी चूत में धीरे धीरे घुसना शुरू कर दिया. मेरी चूत अब तक एक दम गीली हो चुकी थी इस लिए इस बार उसका लंड आसानी से मेरी चूत के अंदर धीरे धीरे घुसता जा रहा था.  मैने अपने होंठ मजे के कारण ज़ोर से जकड़ रखे थे.

उसका लंड मेरी चूत को चीरता हुआ अंदर घुसता ही जा रहा था. थोड़ी देर बाद जब उसका लंड मेरी चूत में लगभग 9 इंच तक घुस गया तो मैं तड़प उठी और मेरे मूह से फिर एक चीख निकल पड़ी. इस बार वो रुका नहीं. उसने अपना लंड आधे से ज़्यादा मेरी चूत से बाहर खीचा वापस बहुत ही जोरदार धक्के के साथ मेरी चूत में पूरा का पूरा अंदर जड़ तक घुसेड दिया. मेरे मूह से बहुत ही जोरदार चीख निकली. उसने 10-12 बहुत ही जोरदार धक्के लगा दिए तो उसका पूरा का पूरा लंड मेरी चूत में घुस गया. 

पूरा लंड मेरी चूत में घुसा देने के बाद उसने मेरी चुदाई शुरू कर दी. मैं दर्द के मारे चीखती रही लेकिन मैने उसे माना नहीं किया. थोड़ी देर बाद मेरा दर्द एक दम कम हो गया तो मैने चूतड़ उठा उठा कर उसका साथ देना शुरू कर दिया. उसने अपनी स्पीड और तेज कर दी. लगभग 10 मिंट तक चुदवाने के बाद मैं फिर से झाड़ गयी. उसने अपनी स्पीड और भी तेज कर दी. वो मुझे तेज़ी के साथ छोड़ता रहा और मैं एक दम मस्त हो कर उस से चुदवा रही थी. अब वो इतने ज़ोर ज़ोर के धक्के लगा रहा था की उसका हर धक्का मुझ पर भारी पड़ रहा था. उसके हर धक्के के साथ मेरे बदन के सारे जोड़ हिल रहे थे और मेरे मुम्मे हर थक्के के साथ ऊपर नीचे हो रहे थे.  मेरी चूत में अब ज़्यादा दर्द नहीं हो रहा था.

मुझे छुड़वाने में आज जो मज़ा पहली पहली बार मिल रहा था उसके आयेज ये दर्द कुच्छ भी नहीं था. लगभग 15 मिंट और चुदवाने के बाद जब मैं झड़ गयी तो उसने अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकल लिया. मैं उस से पुछा , अब क्या हुआ तो उसने इशारे से मुझे डॉगी स्टाइल में होने को कहा. मैं डॉगी स्टाइल में हो गयी. वो मेरे पीछे आ गया और उसने धीरे धीरे अपना पूरा का पूरा लंड मेरी चूत में घुसा दिया.  इस बार मुझे ज़्यादा दर्द नहीं हुआ. उसके बाद उसने मेरी कमर को पकड़ कर मेरी चुदाई शुरू कर दी. इस बार वो बहुत ही तेज़ी के साथ मुझे चोद रहा था.

उसके हर धक्के के साथ मेरी गांड पर भी पड़ रहा था…सारा बेड ज़ोर ज़ोर से हिल रहा था. मेरी जोश भारी सिसकारियाँ रूम में गूज़ रही थी और वो जाम कर मेरी चुदाई कर रहा था. थोड़ी देर बाद उसने मेरी कमर को छोड़ दिए और अपने दोनो हाथों से मेरे दोनो मुम्मे दबाते हुए और मेरे निपल्स को मसालते हुए मुझे चोदने लगा. मैं एक दम मस्त हो चुकी थी. अब तक मुझे चुदवाते हुए लगभग 45 मिंट हो चुके थे और वो था की झड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था.  वो मुझे एक दम आँधी की तरह चोदता रहा. लगभग 1 घंटे के बाद उसने रुक रुक कर ज़ोर ज़ोर के धक्के लगाने उस पागल का गधे जैसा लम्बा मोटा लंड पूरा का पूरा मेरी चूत की जड़ तक अंदर और बहार आ जा रहा था ..

मैं समझ गयी की अब वो भी झड़ने की कगार है. मैं भी फिर से झड़ने ही वाली थी.

2 मिनट में ही मैं झड़ गयी और मेरे साथ ही साथ वो भी झड़ गया. उसके लंड से ढेर सारा जूस निकला जैसे की वो बहुत दिन बाद झड़ा हो. मेरी चूत पूरी उसके लंड के अमृत से भर गयी थी … लंड का सारा का सारा पानी मेरी चूत में निकल देने के बाद वो एक तरफ लेट गया और लेट गया.

मैने उसके लंड को चाट चाट कर सॉफ कर दिया. आज ज़िंदगी में पहली बार मुझे चुदवाने में बहुत ही मज़ा आया था और मैने भी एक दम मस्त हो कर उस से चुदवाया. उसका ढीला लंड अभी भी मेरे पति के लंड से बड़ा दिखाई दे रहा था … वो भी मुझे चोदने के बाद बहुत ही खुश दिख रहा था और लग रहा था की जैसे बरसों बाद उसके लंड की प्यास बुझी हो. लगभग 1 घंटे तक हम दोनो लेटे रहे और एक दूसरे के बदन को सहलाते हुए होठों को चूमते रहे.  उसके बाद मैने उसका लंड फिर से चूसना शुरू कर दिया तो 2 मिंट में ही उसका लंड फिर से खड़ा हो गया और घोड़े के लंड जैसे ऊपर नीचे झटके मारने लगा. इस बार मैने उस से डॉगी स्टाइल में ही चुदवाया | आप यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |

मेरी चूत पहली बार की चुदाई में सूज गयी थी इस लिए मुझे फिर से थोड़ा थोड़ा दर्द होने लगा लेकिन थोड़ी देर बाद मुझे बहुत ज़्यादा मज़ा आया. उस ने भी इस बार मेरी जम कर चुदाई की. इस बार उसने मुझे लगभग डेढ़ घंटे तक बहुत ही बुरी तरह से छोड़ा और फिर झड़ गया. इस बार की चुदाई के दौरान मैं 4 बार झड़ गयी थी. झड़ जाने के बाद उसने अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाला और मेरी चूत को चाटने लगा जब उसने मेरी चूत को चाट चाट कर एक दम सॉफ कर दिया तो उसने अपना लंड मेरे मूह के पास कर दिया.

मैने भी उसके लंड को बड़े प्यार से चाटा और चाट चाट कर एक दम सॉफ कर दिया.  मैने उस से कहा, आज तुमसे छुड़वाने में मुझे जो मज़ा आया है मैं उसे कभी भी नही भूल पाऊँगी. तुमसे चुदवाने में मेरी चूत में बहुत दर्द हो रहा है लेकिन मुझे तुमसे चुदवाने में जो मज़ा आया है उसके आगे ये दर्द कुच्छ भी नहीं है. वो चुप चाप उठा और किचन में चला गया.

थोड़ी देर बाद वो पानी गरम कर के ले आया और उसने बड़े प्यार से मेरी चूत की खूब सिकाई की. 15-20 मिंट की सिकाई के बाद मेरी चूत का सारा दर्द जाता रहा. उसके बाद वो मेरी बगल में लेट गया…|

आप लोगो को मेरी कहानी पसंद आई तो मुझे ईमेल करना ना भूले अगर ना पसंद आई तो अपनी ही कहानी भेज दो यहाँ क्लिक कर ताकि मै चुत में अंगुली डाल के झाड़ जाऊ |

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चुदावट की गुदगुदाहट हो रही है | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/koi-mil-gaya/chudawat-ki-gudgudahat-ho-rahi-hai.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/koi-mil-gaya/chudawat-ki-gudgudahat-ho-rahi-hai.html#respond Tue, 02 Jan 2018 14:05:24 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=11554 चुदावट की गुदगुदाहट हो रही है, उसके हाथ मेरे शरीर पर चूंचियाँ दबाने के लिये अन्दर घुस पड़े मैंने जैसे मन ही मन तरुण को धन्यवाद दिया दोनों बोबे दबा कर उसकी कमर मेरी गाण्ड पर उछलने कूदने लगी मैं खुशी के मारे आनन्द की किलकारियाँ मारने लगी सिसकी फ़ूट पड़ी उसके सेक्सी शरीर का स्पर्श मुझे निहाल कर रहा था मेरी चूंचियाँ दबा दबा कर उसने लाल कर दी थी उसका लण्ड मेरी गाण्ड की भरपूर चुदाई कर रहा था मेरी चूत भी चूने लग गई थी उसमें से भी पानी रिसने लगा था मेरी गाण्ड में मनोहारी गुदगुदी उठ रही थी, अब तो मेरी चूत में भी मीठी सी सुरसराहट होने लग गई थी मेरी चूत लण्ड की प्यासी होने लगी

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हाय दोस्त आप सभी के सामने कुछ राज खोल रही हूँ जो की थोड़ी इंटरेस्टिंग है जिसने पढ़ने के बाद आप सभी का लंड खड़ा और लड़कियों की चुत गीली हो जाएगी. जब मैं कुवांरी थी तब मेरी चुदने की इच्छा कम होती थी। क्यूंकि मुझे इस बारे में अधिक नहीं मालूम था। आज मेरी शादी हुये लगभग 3 साल हो चुके हैं, मैं बेशर्मी की हदें पार करके सभी तरीको से अपने पति से चुदवा चुकी हूँ।

जी हां ! बिल्कुल अनजान बन कर ! भोली बन कर ! और मासूम बन कर … ! जैसे कि मैं सेक्स के बारे में कुछ नहीं जानती हूं। यही भोलापन, मासूमियत उनके लण्ड को खड़ा कर चोदने पर मजबूर कर देती थी। आप ही बताईये, लड़कियां जब भोली बन कर, अनजान बनकर और मासूम सा चेहरा लेकर लण्ड लेती हैं तब पति को लगता है कि मेरी बीवी सती सावित्री है …

पर वो क्या जाने, हम लोग भोली बनकर ऐसे ऐसे मोटे मोटे और लम्बे लण्ड डकार जाती हैं कि उनके फ़रिश्तों तक को पता नहीं चल पाता है। पर अब बड़ी मुश्किल आन पड़ी है। वो छ्ह माह के लिये अबरोड़ चले गये हैं … मुझे यहां अकेली तड़पने के लिये। पर हां ! यह उनका उपकार है कि मेरी देखभाल करने के लिये उन्होंने अपने दोस्त के बेटे तरुण को कह दिया था कि वह मेरा ख्याल रखे।

जानते हैं आप, उसने कैसा ख्याल रखा … मुझे चोद चोद कर बेहाल कर दिया … नए नए तरीकों से ! मुझे खूब चोदा …

क्या हुआ था आप जानना चाहेंगे ना …

मेरे पति के अब्रॉड जाने के बाद रात को तरुण खाना खा कर मेरे यहां सोने के लिये आ जाता था।

गर्मी के दिन थे … मैं अधिकतर छत पर ही अकेली सोती थी। कारण यह था कि रात को अक्सर मेरी वासना करवटें लेने लगती थी। बदन आग हो जाता था। मैं अपना जिस्म उघाड़ कर छत पर बेचैनी के कारण मछली की तरह छटपटाने लग जाती थी। पेटीकोट ऊपर उठा कर चूत को नंगी कर लेती थी, ब्लाऊज उतार फ़ेंकती थी। ठण्डी हवा के मस्त झोंके मेरे बदन को सहलाते थे। पर बदन था कि उसमें शोले और भड़क उठते थे। मुठ मार मार कर मैं लोट लगाती थी … फिर जब मेरे शरीर से काम-रस बाहर आ जाता था तब चैन मिलता था।

आज भी आकाश में हल्के बादल थे। हवा चल रही थी … मेरे जिस्म को गुदगुदा रही थी। एक तरावट सी जिस्म में भर रही थी। मन था कि उड़ा जा रहा था। उसी मस्त समां में मेरी आंख लग गई और मैं सो गई। अचानक ऐसा लगा कि मेरे शरीर पर पानी की ठण्डी बूंदे पड़ रही हैं। मेरी आंख खुल गई। हवा बन्द थी और बरसात का सा मौसम हो रहा था। तभी टप टप पानी गिरने लगा। मुझे तेज सिरहन सी हुई। मेरा बदन भीगने लगा। जैसे तन जल उठा।

बरसात तेज होती गई … बादल गरजने लगे … बिजली तड़पने लगी … मैंने आग में जैसे जलते हुये अपना पेटीकोट ऊंचा कर लिया, अपना ब्लाऊज सामने से खोल लिया। बदन जैसे आग में लिपट गया …

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जब मैं कुवांरी थी तब मेरी चुदने की इच्छा कम होती थी। क्यूंकि मुझे इस बारे में अधिक नहीं मालूम था। आज मेरी शादी हुये लगभग पांच साल हो चुके हैं, मैं बेशर्मी की हदें पार करके सभी तरीको से अपने पति से चुदवा चुकी हूँ।

जी हां ! बिल्कुल अनजान बन कर ! भोली बन कर ! और मासूम बन कर … ! जैसे कि मैं सेक्स के बारे में कुछ नहीं जानती हूं। यही भोलापन, मासूमियत उनके लण्ड को खड़ा कर चोदने पर मजबूर कर देती थी। आप ही बताईये, लड़कियां जब भोली बन कर, अनजान बनकर और मासूम सा चेहरा लेकर लण्ड लेती हैं तब पति को लगता है कि मेरी बीवी सती सावित्री है …

पर वो क्या जाने, हम लोग भोली बनकर ऐसे ऐसे मोटे मोटे और लम्बे लण्ड डकार जाती हैं कि उनके फ़रिश्तों तक को पता नहीं चल पाता है।

पर अब बड़ी मुश्किल आन पड़ी है। वो छ्ह माह के लिये ABROAD चले गये हैं … मुझे यहां अकेली तड़पने के लिये। पर हां ! यह उनका उपकार है कि मेरी देखभाल करने के लिये उन्होंने अपने दोस्त के बेटे तरुण को कह दिया था कि वह मेरा ख्याल रखे।

जानते हैं आप, उसने कैसा ख्याल रखा … मुझे चोद चोद कर बेहाल कर दिया … नए नए तरीकों से ! मुझे खूब चोदा …

क्या हुआ था आप जानना चाहेंगे ना …

मेरे पति के abroad जाने के बाद रात को तरुण खाना खा कर मेरे यहां सोने के लिये आ जाता था।

गर्मी के दिन थे … मैं अधिकतर छत पर ही अकेली सोती थी। कारण यह था कि रात को अक्सर मेरी वासना करवटें लेने लगती थी। बदन आग हो जाता था। मैं अपना जिस्म उघाड़ कर छत पर बेचैनी के कारण मछली की तरह छटपटाने लग जाती थी। पेटीकोट ऊपर उठा कर चूत को नंगी कर लेती थी, ब्लाऊज उतार फ़ेंकती थी। ठण्डी हवा के मस्त झोंके मेरे बदन को सहलाते थे। पर बदन था कि उसमें शोले और भड़क उठते थे। मुठ मार मार कर मैं लोट लगाती थी … फिर जब मेरे शरीर से काम-रस बाहर आ जाता था तब चैन मिलता था।

आज भी आकाश में हल्के बादल थे। हवा चल रही थी … मेरे जिस्म को गुदगुदा रही थी। एक तरावट सी जिस्म में भर रही थी। मन था कि उड़ा जा रहा था। उसी मस्त समां में मेरी आंख लग गई और मैं सो गई। अचानक ऐसा लगा कि मेरे शरीर पर पानी की ठण्डी बूंदे पड़ रही हैं। मेरी आंख खुल गई। हवा बन्द थी और बरसात का सा मौसम हो रहा था। तभी टप टप पानी गिरने लगा। मुझे तेज सिरहन सी हुई। मेरा बदन भीगने लगा। जैसे तन जल उठा।

बरसात तेज होती गई … बादल गरजने लगे … बिजली तड़पने लगी … मैंने आग में जैसे जलते हुये अपना पेटीकोट ऊंचा कर लिया, अपना ब्लाऊज सामने से खोल लिया। बदन जैसे आग में लिपट गया …

“राम कसम भाभी मैंने कुछ नहीं देखा … नीचे चलो” तरुण शरम से लाल हो रहा था।

“क्या नहीं देखा तरुण … चुपचाप खड़ा होकर देखता रहा और कहता है कुछ नहीं देखा” मेरी चोरी पकड़ी गई थी। उसके लण्ड का उठान पजामें में से साफ़ नजर आ रहा था। अपने आप ही जैसे वह मेरी चूत मांग रहा हो। मैंने उसका हाथ पकड़ कर उसे अपनी ओर खींच लिया और उसे दबोच लिया … कुछ ही पलों में वो मुझे चोद रहा था। अचानक मैं जैसे जाल में उलझती चली गई। मुझे जैसे किसी ने मछली की तरह से जाल में फ़ंसा लिया था, मैं तड़प उठी … तभी एक झटके में मेरी नींद खुल गई।

मेरा सुहाना सपना टूट गया था। मेरी मच्छरदानी पानी के कारण मेरे ऊपर गिरउ गई थी। तरुण उसे खींच कर एक तरफ़ कर रहा था। मेरा बदन वास्तव में आधा नंगा था। जिसे तरुण बड़े ही चाव से निहार रहा था।

“भाभी … पूरी भीग गई हो … नीचे चलो … ” उसकी ललचाई आंखे मेरे अर्धनग्न शरीर में गड़ी जा रही थी। मुझ पर तो जैसे चुदाई का नशा सवार था। मैंने भीगे ब्लाऊज ठीक करने की कोशिश की … पर वो शरीर से जैसे चिपक गया था।

“तरुण जरा मदद कर … मेरा ब्लाऊज ठीक कर दे !”

रवि मेरे पास बैठ गया और ब्लाऊज के बटन सामने से लगाने लगा … उसकी अंगुलियाँ मेरे गुदाज मुम्मों को बार बार छू कर जैसे आग लगा रही थी। उसके पजामे में उसका खड़ा मोटा लण्ड जैसे मुझे निमंत्रण दे रहा था।

“भाभी , बटन नहीं लग रहा है … ”

“ओह … कोशिश तो कर ना … ”

वह फिर मेरे ब्लाऊज के बहाने मुम्मों को दबाने लगा … जाने कब उसने मेरे ब्लाऊज को पूरा ही खोल दिया और चूंचियां सहलाने लगा। मेरी आंखे फिर से नशे में बंद हो गई। मेरा जिस्म तड़प उठा। उसने धीरे से मेरा हाथ लेकर अपने लण्ड पर रख दिया। मैंने लण्ड को थाम लिया और मेरी मुठी कसने लगी।

बरसात की फ़ुहारें तेज होने लगी। तरुण सिसक उठा। मैंने उसके भीगे बदन को देखा और जैसे मैं उस काम देवता को देख कर पिघलने लगी। चूत ने रस की दो बूंदें बाहर निकाल दी। चूंचियां का मर्दन वो बड़े प्यार से कर रहा था। मेरे चुचूक भी दो अंगुलियों के बीच में सिसकी भर रहे थे। मेरी चूत का दाना फ़ूलने लगा था। अचानक उसका हाथ मेरी चूत पर आ गया और दाने पर उसकी रगड़ लग गई।

मैं हाय करती हुई गीले बिस्तर पर लुढ़क गई। मेरे चेहरे पर सीधी बारिश की तेज बूंदे आ रही थी। गीला बिस्तर छप छप की आवाज करने लगा था।

“सोना भाभी … आप का जिस्म कितना गरम है … ” उसकी सांसे तेज हो गई थी।

“तरुण … आह , तू कितना अच्छा है रे … ” उसके हाथ मुझे गजब की गर्मी दे रहे थे।

“भाभी … मुझे कुछ करने दो … ” उसका अनुनय विनय भरा स्वर सुनाई दिया।

” कर ले, सब कर ले मेरे तरुण … कुछ क्यों … आजा मेरे ऊपर आ जा … हाय, मेरी जान निकाल दे … ”

मेरी बुदबुदाहट उसके कानो में जैसे अमृत बन कर कर उतर गई। वो जैसे आसमान बन कर मेरे ऊपर छा गया … नीचे से धरती का बिस्तर मिल गया … मेरा बदन उसके भार से दब गया … मैं सिसकियाँ भरने लगी। कैसा मधुर अनुभव था यह … तेज वर्षा की फ़ुहारों में मेरा यह पहला अनुभव … मेरी चूत फ़ड़क उठी, चूत के दोनों लब पानी से भीगे हुये थे … तिस पर चूत का गरम पानी … बदन जैसे आग में पिघलता हुआ, तभी … एक मूसलनुमा लौड़ा मेरी चूत में उतरता सा लगा। वो तरुण का मस्त लण्ड था जो मेरे चूत के लबों को चूमता हुआ … अन्दर घुस गया था।

मेरी टांगे स्वतः ही फ़ैल गई … चौड़ा गई … लण्ड देवता का गीली चूत ने भव्य स्वागत किया, अपनी चूत के चिकने पानी से उसे नहला दिया। तरुण लाईन क्लीअर मान कर मेरे से लिपट पड़ा और चुम्मा चाटी करने लगा … मैं अपनी आंखें बंद करके और अपना मुख खोल कर जोर जोर से सांस ले रही थी … जैसे हांफ़ रही थी। मेरी चूंचियां दब उठी और लण्ड मेरी चूत की अंधेरी गहराईयों में अंधों की तरह घुसता चला गया। लगा कि जैसे मेरी चूत फ़ाड़ देगा। अन्दर शायद मेरी बच्चेदानी से टकरा गया। मुझे हल्का सा दर्द जैसा हुआ। दूसरे ही क्षण जैसे दूसरा मूसल घुस पड़ा … मेरी तो जैसे हाय जान निकली जा रही थी … सीत्कार पर सीत्कार निकली जा रही थी। मैं धमाधम चुदी जा रही थी … तरुण को शायद बहुत दिनों के बाद कोई चूत मिली थी, सो वो पूरी तन्मयता से मन लगा कर मुझे चोद रहा था। बारिश की तेज बूंदें जैसे मेरी तन को और जहरीला बना रही थी।

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तरुण मेरे तन पर फ़िसला जा रहा था। मेरा गीला बदन … और उसका भीगा काम देवता सा मोहक रूप … गीली चूत … गीला लण्ड … मैं मस्तानी हो कर लण्ड ले रही थी। मेरे

शरीर से अब जैसे शोले निकलने लगे थे … मैंने उसके चूतड़ों को कस लिया और उसे कहा,”तरुण … नीचे आ जाओ … अब मुझे भी चोदने दो !”

“पर सोना भाभी, चुदोगी तो आप ही ना … ” तरुण वर्षा का आनन्द लेता हुआ बोला।

“अरे, चल ना, नीचे आ जा … ” मैं थोड़ा सा मचली तो वो धीरे से मुझे लिपटा कर पलट गया। अब मेरी बारी थी, मैंने चूत को लण्ड पर जोर दे कर दबाया। उसका मूसल नुमा लण्ड इस बार मेरी चूत की दीवारों पर रगड़ मारता हुआ सीधा जड़ तक आ गया। मेरे लटकते हुये मुम्में उसके हाथ में मसले जा रहे थे। तरुण की एक अंगुली मेरे चूतड़ों की दरार में घुस पड़ी और छेद को बींधती हुई गाण्ड में उतर गई।

मैं उसके ऊपर लेट गई और अपनी चूत को धीरे धीरे ऊपर नीचे रगड़ कर चुदने लगी। बारिश की मोटी मोटी बूंदें मेरी पीठ पर गिर रही थी। मैंने अपना चेहरा उसकी गर्दन के पास घुसा लिया और आंखें बन्द करके चुदाई का मजा लेने लगी। हम दोनों जोर जोर से एक दूसरे की चूत और लण्ड घिस रहे थे … मेरे आनन्द की सीमा टूटती जा रही थी। मेरा शरीर वासना भरी कसक से लहरा उठा था। मुझे लग रहा था कि मेरी रसीली चूत अब लपलपाने लगी थी। मेरी चूत में लहरें उठने लगी थी। फिर भी हम दोनों बुरी तरह से लिपटे हुये थे। मेरी चूत लण्ड पर पूरी तरह से जोर लगा रही थी … बस … कितना आनन्द लेती, मेरी चूत पानी छोड़ने लिये लहरा उठी और अन्ततः मेरी चूत ने पानी पानी छोड़ दिया … और मैं झड़ने लगी। मैं तरुण पर अपना शरीर लहरा कर अपना चूतरस निकाल रही थी।

मैं अब उससे अलग हो कर एक तरफ़ लुढ़क गई। तरुण उठ कर बैठ गया और अपने लण्ड को दबा कर मुठ मारने लगा … एक दो मुठ में ही उसके लण्ड ने वीर्य छोड़ दिया और बरसात की मूसलाधार पानी के साथ मिल कहीं घुल गया। हम दोनों बैठे बैठे ही गले मिलने लगे … मुझे अब पानी की बौछारों से ठण्ड लगने लगी थी। मैं उठ कर नीचे भागी। तरुण भी मेरे पीछे कपड़े ले कर नीचे आ गया।

मैं अपना भीगा बदन तौलिये से पोंछने लगी, पर तरुण मुझे छोड़ता भला। उसने गीले कपड़े एक तरफ़ रख दिये और भाग कर मेरे पीछे चिपक गया।

“भाभी मत पोंछो, गीली ही बहुत सेक्सी लग रही हो !”

“सुन रे तरुण , तूने अपनी भाभी को तो चोद ही दिया है , अब सो जा, मुझे भी सोने दे !”

“नहीं सोना भाभी … मेरे लण्ड पर तो तरस खाओ … देखो ना आपके चूतड़ देख कर कैसा कड़क हो रहा है … प्लीज … बस एक बार … अपनी गाण्ड का मजा दे दो … मरवा लो

प्लीज … ”
“हाय ऐसा ना बोल तरुण … सच मेरी गाण्ड को लण्ड के मजे देगा … ?” मुझे उसका ये प्रेमभाव बहुत भाया और मैंने उसके लण्ड पर अपनी कोमल और नरम पोन्द दबा दिये। उसका फिर से लण्ड तन्ना उठा।

” भाभी मेरा लण्ड चूसोगी … बस एक बार … फिर मैं भी आपकी भोसड़ी को चूस कर अपको मजा दूंगा !”

“हाय मेरे राजा … तू तो मेरा काम देवता है … “मैंने अपने चूतड़ों में से उसका लण्ड बाहर निकाल लिया और नीचे झुकती चली गई। उसका लण्ड आगे से मोटा नहीं था पर पतला था, उसका सुपाड़ा भी छोटा पर तीखा सा था, पर ऊपर की ओर उसका डण्डा बहुत ही मोटा था। सच में किसी मूली या मूसल जैसा था।

मैंने मुठ मारते हुये उसे अपने मुख में समा लिया और कस कस कर चूमने लगी। मुझे भी लग रहा था कि अब तरुण भी मेरी भोसड़ी को चूस कर मेरा रस निकाले। मैंने जैसे ही उसका लण्ड चूसते हुये ऊपर देखा तो एक बार में ही वो समझ गया। उसने मुझे बिस्तर पर लेटा दिया और मेरी चूत पर उसके होंठ जम गये। उसकी लपलपाती हुई जीभ मेरी चूत के भीतरी भागों को सहला रही थी। जीभ की रगड़ से मेरा दाना भी कड़ा हो गया था। मैं सुख से सराबोर हो रही थी। तभी तरुण ने तकिया लेकर कहा कि अपनी चूतड़ के नीचे ये रख लो और गाण्ड का छेद ऊपर कर लो।

मैंने जल्दी से करवट बदली और उल्टी हो गई और अपनी चूत को तकिये पर जमा दी। मैंने अपनी दोनों टांगे फ़ैला कर अपना फ़ूल सा भूरा गुलाब खिला कर लण्ड़ को हाज़िर कर दिया। उसका मूसल जैसा लण्ड चिकनाई की तरावट लिये हुये मेरे गुलाब जैसे नरम छेद पर दब गया। मैंने पीछे घूम कर उसे मुस्करा कर देखा। दूसरे ही क्षण लण्ड मेरी गाण्ड पर घुसने के लिये जोर लगा रहा था। मैंने अपनी गाण्ड को ढीला छोड़ा और लण्ड का स्वागत किया। वो धीरे धीरे प्यार से अंधेरी गुफ़ा में रास्ता ढूंढता हुआ … आगे बढ़ चला। मेरी गाण्ड तरावट से भर उठी। मीठी मीठी सी गुदगुदी और मूसल जैसा लण्ड, पति से गाण्ड मराने से मुझे इस लण्ड में अधिक मजा आ रहा था। उसके धक्के अब बढ़ने लगे थे। मेरी गाण्ड चुदने लगी थी।

मैं उसे और गहराई में घुसाने का प्रयत्न कर रही थी। मेरे चूतड़ ऊपर जोर लगाने लगे थे। तरुण ने मौका देखा और थोड़ा सा जोर लगा कर एक झटके में लण्ड को पूरा बैठा दिया। मैं दर्द से तड़प उठी।

“साला लण्ड है या लोहे की रॉड … चल अब गाड़ी तेज चला … ”

वो मेरी पीठ पर लेट गया। उसके हाथ मेरे शरीर पर चूंचियाँ दबाने के लिये अन्दर घुस पड़े … मैंने जैसे मन ही मन तरुण को धन्यवाद दिया। दोनों बोबे दबा कर उसकी कमर मेरी गाण्ड पर उछलने कूदने लगी। मैं खुशी के मारे आनन्द की किलकारियाँ मारने लगी। सिसकी फ़ूट पड़ी … । उसके सेक्सी शरीर का स्पर्श मुझे निहाल कर रहा था। मेरी चूंचियाँ दबा दबा कर उसने लाल कर दी थी। उसका लण्ड मेरी गाण्ड की भरपूर चुदाई कर रहा था। मेरी चूत भी चूने लग गई थी। उसमें से भी पानी रिसने लगा था। मेरी गाण्ड में मनोहारी गुदगुदी उठ रही थी, अब तो मेरी चूत में भी मीठी सी सुरसराहट होने लग गई थी। मेरी चूत लण्ड की प्यासी होने लगी। हाय … कितना अच्छा होता कि अब ये लण्ड मेरी चूत की प्यास बुझाता … मैंने गाण्ड मराते हुये घूम कर तरुण को आंख से इशारा किया।

“आह्ह नहीं सोना भाभी … तंग गाण्ड का मजा ही जोर का है … पानी निकालने दो प्लीज !”

“हाय रे फिर कभी गाण्ड चोद लेना, अभी तो मेरी चूत मार दे तरुण !”

“तो ये ले भोसड़ी की … हाय भाभी सॉरी … गाली मुँह से निकल ही गई !”

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“नहीं रे चुदाते समय सब कुछ भला सा लगता है … ” फिर मेरे मुख से सीत्कार निकल पड़ी। उसने अपना लण्ड मेरी चूत में जोर से घुसेड़ दिया था … बस लण्ड का स्पर्श जैसे ही चूत को मिला … मेरी चूत फ़ड़क उठी। लड़कियों की चूत में लण्ड घुसा और वो सीधे स्वर्ग का आनन्द लेने लगती है। मेरी चूत की कसावट बढ़ने लगी … वो मेरे पीठ पर सवार हो कर चूत चोद रहा था। उसने मुझे घोड़ी बनने को कहा … शायद लण्ड को अन्दर पेलने में तकलीफ़ हो रही थी। मेरी गाण्ड ऊंची होते ही उसका लण्ड चूत में यूं घुस गया जैसे कि किसी बड़े छेद में बिना किसी तकलीफ़ सीधे सट से मोम में घुस गया हो। मेरी चूत बहुत गीली हो गई थी। किसी बड़े भोसड़े की तरह चुद रही थी … उसने मेरे मुम्में एक बार फिर से पकड़ते हुये अपनी ओर दबा लिये।

मुझे चुचूकों को दबाने से और चूत में मूसल की रगड़ से मस्ती आने लगी। उसका लण्ड मेरी चूत को तेजी से झटके मार मार कर चोद रहा था। अचानक उसका चोदने का तरीका बदल गया। करारे शॉट पड़ने लगे। मेरी चूत मे तेज आनन्द दायक खुजली उठने लगी। लगा कि चूत पानी छोड़ देगी।

“मां … मेरी … दीईईईपूऊऊऊ चोद मार रे … निकाल दे फ़ुद्दी का पानी … हाय राम जीऽऽऽऽ … मेरी तो निकल गई राजा … आह्ह्ह्ह” और मैंने अपना पानी छोड़ दिया …

उसका हाथ मुम्मों पर से खींच कर हटाने लगी …

“बस छोड़ दे अब … मत कर जल रही है … ” पर उसे कहाँ होश था … मैं दर्द के मारे चीख उठी और तरुण … उसका माल छूट गया … उसकी चीख ने मेरी चीख का साथ दिया …

उसका लण्ड बाहर निकल आया और अपना वीर्य बिस्तर पर गिराने लगा। कुछ देर तक यूं ही माल निकलने का सिलसिला चलता रहा। फिर उस बिस्तर से उठे और हम दोनों दूसरे बिस्तर पर नंगे ही जाकर लेट गये … और फिर जाने कब हम दोनों ही सो गये।

मुझे लगा कि कोई मुझे बुरी तरह झकझोर रहा है … मेरी आंख खुल गई … सवेरा हो चुका था … पर ये तरुण … मेरी चूत में अपना लण्ड घुसाने का प्रयत्न कर रहा था … मुझे हंसी आ गई … मैंने अपने दोनों टांगें पसार दी और उसका लण्ड अपनी चूत में समेट लिया। उसे अपने से कस कर सुला लिया। मैं सुबह सवेरे फिर से चुद रही थी … मुझे अपनी सुहागरात की याद दिला रही थी … सोना नहीं … बस चुदती रहो … सुबह चुदाई, दिन को चुदाई रात को तो पूछो मत … शरीर की मां चुद जाती थी …

 

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बायोलॉजी वाली मैडम की चुत चुदाई की कहानी | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/guru-ghantal/biology-vali-madam-ki-chut-chudai-ki-kahani.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/guru-ghantal/biology-vali-madam-ki-chut-chudai-ki-kahani.html#respond Sun, 31 Dec 2017 12:42:37 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=11534 मै बोला मैडम अब आप सीधी लेट जाओ, वो बोली ठिक है ,और मुस्कुरा दी,अब मुजे ग्रीन सिग्नल मिल गया,और और बी जोश चढ़ गया,मैन कंडोम थोड़ा और ऊपर किया और अपना लंड उसकी चुत के मुह पे रख दिया

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हेलो दोस्तो में अमन शर्मा, कद – 5.5 ,उम्र – 20 साल , गुजरात का रहने वाला हु, ज्यादा वक़्त ना लेते हुए सीधा कहानी पे आता हूं | तो ये कहानी उस वक़्त की है, जब में कक्षा 12 में पढ़ाई करता था, हालांकि मेरे कक्षा 10 में बहुत अच्छे नंबर आये थे ,तो घरवालो ने मेरा एडमिशन साइंस में कराया, और मुझे भी इस बात से कोई ऐतराज नही था |

पहला सेमेस्टर जल्द ही खत्म हो गया,और मुझे हर सब्जेक्ट में बढ़िया मार्क्स मिले थे, सिवाय बायोलॉजी,जिसके वजह से मेरे result बिगड़ा क्योंकि मुझे बायोलॉजी मे बहॉत ही कम मार्क्स मीले थे जिसके वजह से मैरा ओवरआल परसेंटेज ज्यादा नही आये,।

तो मेरी जो बायोलॉजी टीचर थी उसने मुझे स्टाफ रूम में बुलाया, में उसकी केबिन में रजा लेके अंदर गया ,और बाकी सब टीचर्स बी अपना लंच कर रहे थे, मीनल मैडम चेयर पे बैठी थी,ओह्ह सॉरी मैंने आपको उनका नाम नही बताया

तो सुनो

उनका नाम है मीनल ,वो हमारी बायोलॉजी टीचर और वो ही हमारी क्लास टीचर थी,वो कद में थोड़ी छोटी पर उसकी गांड की तो क्या बात करू दोस्तो,।उसकी  उम्र होगी कई 30-32 के आसपास और उसका एक 5 साल का बेटा भी है,।पूरा स्कूल उनकी गांड पे जान देता था
और में मैडम के फ़ेवरिट स्टूडेंट्स में से एक था,क्युकी मैडम जानती थी कि में क्लेवर स्टूडेंट हु.।

वैसे भी स्कूल में मैडम का हर छोटा मोटा काम वो मुझे ही देती थी, में कई बार कुछ ना कुछ काम की वजह से उनके केबिन में चला जाता,और वो हमेसा चेयर पर बेठेके मुझे मेरे सब्जेक्ट का कुछ प्रॉब्लम हो वो समजती ,में ठीक उसकी चेयर की साइड में खड़ा रहकर उनके बड़े बड़े चुचे देखता
और वो बैठी होती और में खड़ा होता उसलिए ऊपर से मुझे बहुत अच्छी तरह से उनके चुचे दिखाई देते,।

आज भी परिश्थिति कुछ ऐसे ही थी,वो मुझे सामने देखेके समजा रही थी और में उनकी चुचियों को घूर रहा था,आज ब्राउन कलर की ब्रा पहनी थी उसने और उसके 2-2 किलोग्राम के चुचे उसमे साफ दिखाई दे रहे थे,उसी वक्त मेरे पेण्ट में तंबू बन गया,
में उसे काफी देर से घूर रहा था शायद उनको पता चल गया इसलिए मैंने तुरंत अपना ध्यान हटाया और उनकी हा में हा करने लगा।

मीनल मैडम – फिजिक्स और केमिस्ट्री में तो तुम्हारे बहोत अच्छे मार्क्स है फिर बायोलॉजी में इतने कम क्यु, में अच्छा नही पढाती क्या?
में – नही मैडम ऐसी कोई बात नही है में पहले से ही बायोलॉजी में थोड़ा वीक हु,
मीनल मैडम – तो ऐसे कैसे चलेगा,तुम्हे अब नेक्स्ट सेमेस्टर में अच्छे नंबर लाने है ,तुम एक काम करो मेरे घर पर एक्स्ट्रा कोचिंग के लिए आओ रोज शाम को में – जी ओके मैडम में पापा को पूछ के बताता हूं
मीनल मैडम – अरे डोंट वररी में तुम्हारी कोई फीस नही लुंगी
में- जी ओके मैडम में कल से आऊंगा।

और उसने ऐसे ही आलस में अपना हाथ पीछे किया और वो सीधा मेरे खड़े हुए लोडे पे टकरा गया,उसने तुरंत सॉरी बोला पर में शर्म से लाल हो गया ,शायद उसे ये पता चल गया था, फिर उसने मेरेको वापिस क्लास में जाने को बोला

दूसरे दिन क्लास में उसने मेरेको उसका घर का अड्रेस दिया और बोला 6 बजे आ जाना, मै बोला ठीक है मैडम आज बी उसने हरे रंग की साड़ी पहनई थी जिसमे उसकी चुचिया बहुत ही बड़ी लग रही थी

ठीक ६ बजे में उसके बताये हुए पते पर बाइसिकल लेके गया मैंने doorbelll बजाई तो उसने दरवाज़ा खोला ,उसने अभी तक साडी ही पहनी हुई थी,शायद अभी अभी आयी होगी स्कूल से वो बोली ओह्ह अमन तुम आओ आओ |

बायोलॉजी वाली मैडम की चुत चुदाई की कहानी आप पढ़ रहे है मिनल की चुदाई की दास्ताँ अमन वर्मा के द्वारा

ये कहके वो आगे चलने लगी और में उनके पीछे ,उसकी गांड ऐसे मटक रही थी जी चाहता था कि अब  फाड़ दु, पर मेने अपने आप पे कंट्रोल किया मीनल  मैडम – अमन तुम मेरे बेडरूम में वेइट करो में अभी आयी |

मै – ओके ठीक है मैडम ये कहके में बैग लेके सीधा अंदर चला गया |
वो आयी, में अभी तक बैडरूम में खड़ा था उसने बोला अरे खड़े क्यु हो,बैठो बैठो,और मै वह बेड पे बैठ गया
वो भी ठीक मैरे पास आके बैठ गयी और मुझे अच्छे से पढ़ाने लगी,

उसकी ब्रा में से उसके चुचे लटक रहे थे में ऊपर से मजा ले रहा था और अब तो पढ़ाई में ध्यान बिल्कुल नही था मेरा ,मेरा लोडा तुरंत खड़ा हो गया ,और अब मुझसे कंट्रोल नही हो पा रहा था मैने एक दो बार अपने लोडे को अंदर ऊपर से ही दबाया हल्के हल्के ,शायद वो नोटिस कर रही थी ,उसके पैर मेरे पैर को टच कर रहे थे और जाँघे भी।

अब उसे पता चल गया कि मेरा ध्यान भटक गया है उसने बोला अमन ( थोड़े गुस्से से)  कहा ध्यान है तुम्हारा ,में बोला कही नही मैडम
मीनल मैडम – नही में तुम्हे काफी दिनों से नोटिस कर रही हु ,आज तो में ये जानके ही रहूंगी
में – नही मैडम ऐसी कोई बात नही है
मीनल मैडम – नही अमन कुछ तो बात है ऐसा कहकर सीधा उसने अपना हाथ मेरे लोडे पे रख दिया | Aahhhhhhhhhh दोस्तो क्या फीलिंग्स थी वो ,में आपको बता नही सकता में कितना खुस हुआ था |

पर में एक ही सेकंड में संभल गया और उसका हाथ हटाकर बोला मैडम ये आप क्या कर रही हो

मीनल मैडम – ओय्ये चूतिये ज्यादा सीधा बनने की कोशिश मत कर ,मुजे पता ये तू आज सुबह स्कूल में क्या घूर रहा था ,और तेरे लंड पर भी सुबह में जान मुचके ही अपना हाथ मारा था

मैडम के मुहसे ऐसे शब्द सुनकर मेरे तो होश उड़ गए फिर मैंने बोलै अब के बाद ऐसी गलती नही करूंगा प्लीज मुजे माफ करदो
मीनल मैडम – साले भड़वे तुजे तो में जरूर माफ करूँगी ,चूतिया साला
इसबार में तो में डर के थोड़ा पिछे
हट गया

मीनल मैडम – अरे में मज़ाक कर रही हु ,डरो मत पास आओ

में जैसे ही पास आया उन्होंने मुजे खीच के तुरंत अपनी बाहों में भर लिया,में उसी वक्त सारा खेल समज गया और मन ही मन खुस हुआ आज तो इसको चोदने का मौका मिलेगा ,2-3 मिनट में युही उसकी बाहहो में ही रहा, वो लंबी लंबी सांसे ले रही थी
फिर वो बेड पे से उठी अपने कपड़े ठीक किए और  दरवाजा खुला था वो बंद करने चलने लगी ,

लेकिन मुझसे अब कण्ट्रोल नही हो रहा था में सीधा दौड़ता गया और उसको पीछे से जकड़ लिया आप यह हॉट हिंदी सेक्सी कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | एक सेकंड के लिए मुजे लगा में स्वर्ग में हु मेरा लंड और उनकी गाँड़ का मिलन हो गया था ,बहोत ही टाइट और मोटी थी उसकी गाँड़।

थोड़ी देर बाद उसने मुजे पीछे धक्का दिया और बोली “छोडो मुजे ,ये क्या कर रहे हो ,कोई देख लेगा;
उसके बाद उसने दरवाज़ा बंद कर दिया ओर बोली अब जो करना है करो,उसके ये सुनते ही मैने फिरसे उसे जकड़ लिया,और उसकी गाँड़ पर ऊपर से ही हल्के हल्के शॉट मारने लगा
2-3 मिनट तक ऐसे ही मैं वहा उसे जकड़कर खड़ा रहा

में अपना लंड उसकि गांड की दरारों की बीच में डालने की कोशिश कर रहा था पर उसने बहुत ही टाइट सारी पहनी हुई थी इसलिए में ऐसे ही लंड को उसकी गांड पर रगड़ रहा था।
अब तो वो भी आँखे बंद करके मजे लेने लगी थी,और वो मेरे लंड को ऊपर से धीरे धीरे दबाने और सहलाने लगी

हैम अभी तक वही खडे थे दरवाज़ा बंध करके ,फिर वो पीछे घूमी और नीचे बैठ गयी और मेरी पेन्ट की ज़िप खोलने लगी,तुरंत से मेरा 8 इंच का हथियार बाहर आ गया,उसने मेरे लोडे को अपने हाथों में पकड़ लिया और  खड़ी होके मेरा लंड पकड़के आगे बेड की ओर चलने लगी और में भी उसके पीछे पीछे उसकी गाँड़ पर हाथ फिरता चला गया
फिर बेड पे जाके हम दोनों सोते सोते एक दूसरे को किस करने लगे ,एक हाथ से वो मेरा लोड सहलाते सहलाते वो मुजे किस कर रही थी में सचमूच पागल सा हो गया था

में भी किस करते करते उसके चुचियों को ऊपर से दबा रहा था,उसकी आंखें बंद थी,करीब 10 मिनट तक हम एकदूसरे को ऐसे किस करते रहे फिर…

अचानक से किसीने दरवाज़ा खटखटाया ,में थोड़ा घबरा गया उसी वक्त हम दोनों अलग हो गए मेने तुरंत अपना लंड अपने पैंट में वापिस डाल दिया,उसने अपनी साड़ी ठीक की,और मुजे बोली कि बुक्स पढ़ने का नाटक करो किसीको शक ना हो इसलिए
में चुपचाप बुक पढ़ने लगा
,उसने जाके दरवाज़ा खोला तो उसकी बूढी सास थी,तब जाके मुजे थोड़ी राहत हुई, शायद वो कुछ चीज़ भूल गयी थी ,वही लेने आए थी,कुछ देर में वो चली गयी,मीनल मैडम ने फिर से दरवाज़ा लॉक कर दिया अंदर से लॉक कर दिया ।

फिर से आकर वो मुजे वो जोर जोर से किस करने लगी,में पीछे से उनकी गाँड़ को  दबा रहा था ,अब मुझसे कंट्रोल नही हो रहा था ,मैंने सीधा उनको बेड पे लिटा दिया ,और धीरे धीरे उनकी साड़ी और ब्लाउज निकालने लगा ,वो भी मेरा साथ देने लगी

मैने उस्के सारे ऊपर के कपड़े निकाल दिए अब वो सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी,अहह दोस्तों वो क्या माल लग रही थी,जी चाहता था कि अभी  उसकी चूत फाड़ दु,
इस बार में सीधा उसको लेके बेड पे लेट गया ,वो मेरे नीचे थी और में उसके ऊपर मै अब सिर्फ अंडरवियर में था,मैने लंड उसकी गाँड़ पर पैंटी  पे रगड़ रहा था,और पीछे से उसके बूब्स दबा रहा था,वो बी हल्की हल्की सिसकारियां भर रही थी,
फिर मैंने धीरे से अपनी एक उंगली उसकी पैंटी के अंदर से चूत में घुसा दी,घुसाते ही पता चल गया ,क्या क्लीन शेव्ड चुत थी वो दोस्तो,वो थोड़ी सी चिल्लाई, मैने नोटिस किया उसका चूत का छेद बहुत छोटा था,वो अपनी पति से बहुत चुदी नही थी

वो शायद थोड़ा शर्मा रही थी ,इसलिए ज्यादा बात नही कर रही थी,फिर मैंने उसकी पैंटी भी उतरके फेक दी,आहा दोस्तो,क्या चूत थी उसकी,मैंने जिंदगी में उससे बढ़िया चूत नही देखी थी

मै 1 भी सेकंड की देर ना करते हुए सीधा अपना मुंह उसके चुत पे लगा दिया, और वो एकदम एकदम जोर जोर से सिसकारियां भरने लगी,,आह ओहहिया अमन प्लीज मुजे और मत तड़पाओ

उसके मुंह से ये सुनते ही ,मैंने तुरंत अपना लोडा निकालके उसकी चुत पे रख दिया,तो उसने बोला रुको रुको ।अभी हमारी फैमिली प्लानिंग चल रही है ,अगर गलती से में प्रेग्नेंट हो गयी तो सब गड़बड़ हो जाएगी,तो  मैंने कहा अब क्या करे,उसने बोला वो मेरे टेबल के नीचे वाले ड्रावर में कॉन्डोम का पैकेट है वो लेके आओ।

मै तुरंत दौड़ के गया और लेके आया ,और बड़ी बेताबी उसे खोलने लगा ,और इससे पहले मैंने कभी कंडोम पहना नही था।उसने बोला लाओ में खोल देती हूं,ऐसा बोलकर मेरे हाथ में से कंडोम का पैकेट खींच लिया ।

और अपने हाथों से मुजे कॉन्डोम पहनाया ,अब में पूरी तरह से तैयार था,उसने बाकी के कंडोम और पैकेट नीचे रख दिये,वो आबि तक ब्रा मैं थी,में उसकी ब्रा निकालकर उस्के मममो से खेलने लगा ,और वो मेरे लोडे को कंडोम के ऊपर ऊपर से सहलाने लगी।

मै बोला मैडम अब आप सीधी लेट जाओ, वो बोली ठिक है ,और मुस्कुरा दी,अब मुजे ग्रीन सिग्नल मिल गया,और और बी जोश चढ़ गया,मैन कंडोम थोड़ा और ऊपर किया और अपना लंड उसकी चुत के मुह पे रख दिया आप यह हॉट हिंदी सेक्सी कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |

1,2,3 बोलते ही मैन एक ही धक्के में अपना पूरा का पूरा लंड उसकी चुत में घुसा दिया वो थोड़ा चिल्लाई, शायद थोड़ा दर्द महसूस हुआ होगा उसको, पर अब कोंन रुकने वाला था,मैने फिर से अपना लंड थोड़ा बाहर निकाला और धके के साथ वापिस डाल दिया,

अब वो हल्की हल्की सिस्कारिया भरने लगी,शायद उसे अब मजा आने लगा था,वो अब ऊपर उठ उठ के सामने से चुद रही थी,तो मेरा जोश और बढ़ गया,और मै बी डबल जोश से चोदने लगा,

तो वो बोलने लगी, अमन थोड़ा धीरे करो में पूरी की पूरी तुम्हारी हु, में बोला ठीक है मैडम,और मेने अपनी गति थोड़ी धीरे की,पर  शायद अब में आने वाला था और इसलिए मुझसे कंट्रोल नही हो पा रहा था,

इसके बाद में करीब 10 -15 मिनट उसे ऐसे ही धक्के लगता रहा,और वो और जोर जोर से सिस्कारिया भरके बोलने लगी,आह ओहिआ अमन में तुम्हे रोज दूंगी,और तुम ऎसे ही चोदना, आह ओहहिया, तुम कितने अच्छे हो

मुजे पता चल गया अब वो जड़नेवाली है,उसके कुछ देर बाद मुजे  पता चल गया कि मेरा आनेवाला है,मेने एक शॉट मारा और उसके ऊपर जाके गिरा,उसने बी मुजे अपनी बाहो में कसके जकड़  लिया,शायद वो बी जड़ गयी थी।

उसके बाद हम दोनों 5 मिनट तक ऐसे ही एकदूसरे पर नंगे पड़े रहे,फिर वो उठी मेरा लोडा अभी तक उसकी चुत मैं था, उसने खींच के बाहर निकाला, और बाथरूम में फ्रेश होने के लिए चली गयी |

कुछ देर बाद बाहर आकर अपनी ब्रा,पैंटी और साड़ी पहनने लगी,।में अभी तक वैसे ही सोया था,उसने मेरे लंड पर से कंडोम निकाला और उसे dustbin में फेंक दिया ,मेरे लंड पे कुछ वीर्य लगा हुआ,था उसने अपने हाथों से साफ किया,और बोली उठो अब तुम्हे घर जाना है लेट हो जाओगे,

उसके बाद में उठा फ्रेश हुआ,अपने कपड़े पहने ,अपना बैग लगया ,और जाते जाते उसकी गाँड़ में साड़ी के ऊपर से  उंगली की,और वो हँसने लगी,और बोली,शायद में सैटरडे को घर पे अकेली हु, आ जाना,फिर मैंने उसे एक लिप् किस दिया,और फिर उसने दरवाज़ा खोला मेरे लिए,और बाय बाय बोला,फिर मैं वापिस अपने घर गया।

तो दोस्तो कैसी लगी आपको मेरी कहानी, मुजे मेल करके जरूर बताइयेगा। [email protected]

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