चुदास – | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru 100% Free Hindi Sex Stories - Sex Kahaniyan Tue, 20 Feb 2018 13:48:23 +0000 en-US hourly 1 /> //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/wp-content/uploads/2015/10/cropped-mastaram-dot-net-logo-red-32x32.png चुदास – | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru 32 32 भाभी के साथ चुदाई का मज़ा ली | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/group-sex/bhabhi-ke-sath-chudai-ka-maza-lee.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/group-sex/bhabhi-ke-sath-chudai-ka-maza-lee.html#respond Mon, 19 Feb 2018 16:20:31 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=12059 हेल्लो यह मेरी सच्ची कहानी है मेरी चुदाई करवाने में मेरी भाभी ने मुझे बहुत मदत की तब कही जा के मेरी चूत को लौड़ा मिला वही अनुभव आप सभी से शेयर कर रही हूँ आशा करती हूँ आप सभी को पसंद आएगी |

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भाभी के साथ चुदाई का मज़ा ली
( bhabhi ke sath chudai ka maza lee )

नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम निखिल है, मैं आपको पहले भी बता चुका हूँ कि मेरी सभी कहानियाँ काल्पनिक हैं जिनका किसी से भी कोई सम्बन्ध नहीं है अगर होता भी है तो यह मात्र एक संयोग ही होगा। मैं डेढ़ महीने से ज्यादा गाँव में रहा और श्रुति भाभी के साथ काफी मजा किया। मेरी छुट्टियाँ समाप्त हो गई थी इसलिए मैं वापस अपने घर आ गया। मैं घर आया तब तक मेरे भैया छुट्टियाँ समाप्त करके अपनी ड्यूटी पर जा चुके थे इसलिये अब मैं अपनी श्रुति भाभी के साथ उनके कमरे में सोने लगा और मेरे व भाभी के शारीरिक सम्बन्ध बनने फिर से चालू हो गये।

मुझे गाँव से आये हुए अभी दस दिन ही हुए थे कि एक दिन शाम को जब मैं क्रिकेट खेलकर घर आया तो देखा कि ड्राईंगरूम में जहरू चाचाजी बैठे हुए थे। उनको देखकर मैं थोड़ा सा डर गया कि कहीं उनको मेरे और श्रुति भाभी के बारे में पता तो नहीं चल गया और वो उसी की शिकायत करने के लिये यहाँ आये हों ?

खैर मैं उनके चरण स्पर्श करके सीधा अन्दर चला गया और जब अन्दर गया तो देखा की निधि (जहरू चाचा जी की बेटी) भी आई हुई थी, बाद में मुझे पता चला कि निधि को नौकरी के लिये कोई परीक्षा देनी है, उसी के लिये जहरू चाचाजी निधि को शहर लेकर आये हैं।

निधि की परीक्षा अगले दिन थी इसलिये वो दोनों उस रात हमारे घर पर ही रहे। अगले दिन परीक्षा के बाद वो जाना चाहते थे मगर मेरे मम्मी पापा निधि को हमारे घर कुछ दिन रुकने के लिये कहने लगे। वैसे तो निधि की छुट्टियाँ ही चल रही थी मगर वो अपने कपड़े लेकर नहीं आई थी इसलिए वो मना करने लगी। इसके लिये मेरी मम्मी ने उनहें श्रुति भाभी के कपड़े पहनने के लिये बताया और आखिरकार निधि रुकने के लिये मान गई। निधि को हमारे घर पर ही छोड़कर जहरू चाचाजी वापस गाँव चले गये।

निधि के रूकने से मेरे मम्मी पापा तो खुश थे मगर इसका खामियाजा मुझे भुगतना पड़ा क्योंकि निधि मेरी भाभी के साथ उनके कमरे में सोने लगी और मुझे फिर से ड्राईंगरूम में बिस्तर लगाना पड़ा जिससे मेरे और मेरी भाभी के शारीरिक सम्बन्ध होने बन्द हो गये, हमारे सम्बन्ध बस चूमने चाटने और लिपटने तक ही सीमित होकर रह गये थे, और वो भी तभी होता जब भाभी रात को घर का मुख्य दरवाजा बन्द करने के लिये ड्राईंगरूम से होकर आती जाती थी।

हमारे घर का मुख्य दरवाजा मेरी भाभी ही खोलती और बन्द करती थी क्योंकि रात को भाभी ही घर के काम निपटा कर सबसे आखिर में सोती और सुबह जब दूधवाला आता तो भाभी ही दूध लेने के लिये सबसे पहले उठकर दरवाजा खोलती थी, इसके लिये उन्हें ड्राईंगरूम से होकर गुजरना पड़ता था।

मैं उन्हें कभी कभी वहीं पर पकड़ लेता था मगर अब तो भाभी उसके लिये भी मना करने लगी क्योंकि एक बार जब मैं भाभी को ड्राईंगरूम में पकड़ कर चूम रहा था तो अचानक से निधि आ गई, उसने हमे देख लिया था। इसके बारे में निधि ने किसी से कुछ कहा तो नहीं मगर उसको हमारे सम्बन्धों का शक हो गया था इसलिये वो अब हम दोनों पर नजर रखने लगी, मगर वो जाहिर ऐसा करती जैसे कि उसे कुछ पता ही नहीं हो।

मुझे निधि से चिढ़ सी होने लगी थी, मैं सोचता रहता कि आखिर यह कब हमारे घर से जायेगी और इसी तरह हफ्ता भर गुजर गया।

एक बार रात में बिजली नहीं थी क्योंकि शाम को काफी जोरो से आँधी और बारिश होने के कारण लगभग पूरे शहर की ही बिजली गुल थी। बिजली नहीं होने के कारण सभी ने जल्दी ही खाना खा लिया। मेरे मम्मी पापा तो खाना खाते ही सो गये और मेरी भाभी व निधि घर के काम निपटाने लगी।

बिजली के बिना पूरे घर में अन्धेरा था, बस मोमबत्ती की रोशनी से ही काम चल रहा था, मैं मोमबत्ती की रोशनी में पढ़ाई तो कर नहीं सकता था, इसलिये खाना खाने के बाद ऐसे ही ड्राईंगरूम में लेट रहा था और भाभी के बारे में ही सोच रहा था।

तभी ड्राईंगरूम के अन्दर कोई आया और बाहर की तरफ चला गया। ड्राईंगरूम में इतना अन्धेरा था कि कुछ दिखाई नहीं दे रहा था बस दोनों तरफ के दरवाजे ही बाहर से आने वाली थोड़ी सी रोशनी की वजह से अन्धेरे में दिख रहे थे।

मैं समझ गया कि भाभी घर का मुख्य दरवाजा बन्द करने के लिये गई हैं, तभी मेरे शैतानी दिमाग में एक योजना आई, मैं सोचने लगा कि आज चारों तरफ अन्धेरा है और ड्राईंगरूम में तो कुछ भी दिखाई देना मुश्किल है इसलिये क्यों ना आज अन्धेरे का फायदा उठा लिया जाये।

वैसे भी मुझे भाभी के साथ सम्बन्ध बनाये हफ्ता भर हो गया था इसलिये मेरी हवश भी काफी जोर मार रही थी। इस मौके का फायदा उठाने की सोचकर मैं तुरन्त बिस्तर से उठकर खड़ा हो गया और भाभी के वापस आने का इन्तजार करने लगा।

जैसे ही भाभी घर का मुख्य दरवाजा बन्द करके ड्राईंगरूम से होकर वापस जाने लगी, मैंने उन्हें पकड़ लिया और उनकी गर्दन व गालों पर चुम्बनों की झड़ी लगा दी। अन्धेरे में अचानक हमले से भाभी सकपका गई और जब तक वो कुछ समझ सकें तब तक मैंने उनके दोनों होंठों को अपने मुँह की गिरफ्त में ले लिया ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ मजा आ गया।

भाभी ने अपने होंठों को छुड़ाने की भी कोशिश की मगर मैंने एक हाथ से उनकी गर्दन को पकड़ लिया और उनके होंठों को जोर से चूसने लगा।
भाभी काफी डर रही थी, वो मेरा विरोध तो नहीं कर रही थी मगर काफी कसमसा रही थी।

भाभी के होंठों को चूसते हुए ही मैंने अपना दूसरा हाथ उनके शर्ट के अन्दर भी डाल दिया और उनके पेट को सहलाते हुए धीरे धीरे उरोजों की तरफ बढ़ने लगा जिससे उनका पूरा बदन कांपने लगा, पता नहीं उन्हें ये कंपकपी डर के कारण हो रही थी या फ़िर उत्तेजना के कारण, मैं कुछ समझ नहीं पा रहा था |

भाभी ने मेरे हाथ को रोकने के लिये पकड़ना भी चाहा मगर तब तक मेरा हाथ उनके उरोजों तक पहुँच गया था। शर्ट के नीचे भाभी ने ब्रा पहन रखी थी इसलिये मैं ब्रा के उपर से ही उनके उरोजों को मसलने लगा मगर आज उनके उरोज मुझे कुछ छोटे व काफी कसे हुए से महसूस हुए।

और फिर तभी मेरे दिमाग में एक सवाल सा कौन्ध गया…कही यह निधि तो नहीं?

क्योंकि आज मुझे भाभी का व्यवहार भी कुछ अजीब ही लग रहा था, पहले जब कभी मैं भाभी को चुम्बन करता था तो वो हमेशा मेरा साथ देती थी मगर आज वो साथ देने की बजाय कसमसा रही थी और काफी घबरा भी रही थी।

यह बात मेरे दिमाग में आते ही मेरा हाथ जहाँ था वहीं का वहीं रूक गया और मैं बुरी तरह से घबरा गया। मेरी भाभी की व निधि की लम्बाई समान ही थी और उस दिन दोनों ने ही सलवार सूट पहन रखा था इसलिये अन्धेरे में मैं पहचान नहीं सका कि ये मेरी भाभी है या निधि?

मैंने गलती से आज निधि को पकड़ लिया था। निधि भी डर व शर्म के कारण कुछ बोल नहीं रही थी। शायद वो इस वजह से शर्मा रही थी कि अगर वो कुछ कहेगी तो मैं ये जान जाऊँगा कि उसे मेरे और मेरी भाभी के सम्बन्धों के बारे में पता है और उस दिन उसने मुझे व भाभी को देख लिया था, ऊपर से निधि बहुत डरपोक भी थी। आप यह हॉट हिंदी सेक्सी कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |

अब तो मुझे पता चल गया था कि ये श्रुति भाभी नहीं है बल्कि निधि है मगर फिर भी मैंने निधि को छोड़ा नहीं और उसे वैसे ही पकड़े रखा, क्योंकि इतना सब करने के बाद मैं अब अगर निधि को छोड़ देता हूँ तो वो भी समझ जायेगी कि मैंने उसे क्यों छोड़ दिया, अब निधि के जैसी स्थिति में ही मैं भी फँस गया था |

मेरे दिमाग में अब एक साथ काफी सवाल चल रहे थे। निधि को छोड़ दूँ या फिर पकड़े रहूँ? यह मालूम होने के बाद कि ये निधि है और डर व शर्म के कारण कुछ बोल नहीं रही है तो ना जाने क्यों मुझे बहुत रोमाँचित सा भी लग रहा था और रह रह कर निधि के प्रति मेरी वासना भी जोर मार रही थी।

मेरे दिमाग में एक साथ अनेक विचारों का भूचाल सा मच रहा था, मैं सोच रहा था कि अगर निधि डर व शर्म की वजह से कुछ बोल नहीं रही है तो क्यों ना मैं भी इसका फायदा उठा लूँ | आखिरकार वासना मेरे विचारों पर भारी पड़ने लगी और अपने आप ही मेरे हाथों की पकड़ निधि के उरोजों पर फिर से कसती चली गई। मैं निधि के होंठों को कसकर चूसने लगा और साथ ही धीरे धीरे उरोजों को भी मसलता रहा जिसका वो विरोध तो नहीं कर रही थी मगर अब भी कसमसाये जा रही थी।

कुछ देर उरोजों को दबाने के बाद मैंने अपना हाथ निधि के शर्ट से बाहर निकालकर धीरे से उसकी जाँघों की तरफ बढ़ा दिया और सलवार के ऊपर से ही एक बार उसकी बुर को मसल दिया जिससे निधि चिहुँक पड़ी, उसने मेरे हाथ को वहाँ से हटाकर अपनी दोनों जाँघो को भींच लिया।

तभी बाहर किसी की आहट सी सुनाई दी, शायद ये मेरी भाभी थी। अब निधि भी मुझसे छुटाने का जोरों से प्रयास करने लगी इसलिये मैं उसे छोड़ कर अलग हो गया, मैं नहीं चाहता था कि निधि को पता चले कि मैं उनके साथ ये सब जानबूझ कर कर रहा था। मुझसे छुटते ही निधि जल्दी से ड्राईंगरूम से बाहर चली गई।

निधि तो जा चुकी थी मगर मेरे अन्दर हवस का एक तूफान सा उमड़ रहा था इसलिये उस रात मैंने दो बार हस्तमैथुन किया तब जाकर मुझे नींद आ सकी। मेरी चचेरी बहन तो चली गई पर मेरे अन्दर वासना का तूफान उमड़ रहा था, रात में मैंने दो बार हस्तमैथुन किया तब जाकर मैं सो पाया।

अगले दिन सुबह मैं बिना नाश्ता किये जल्दी ही स्कूल चला गया इसलिये घर में मेरी किसी से भी बात नहीं हुई मगर दोपहर को जब मैं स्कूल से आया तो मेरे दिल में हल्का सा डर था, कहीं निधि ने रात वाली बात किसी को बता ना दी हो?

मगर ऐसा कुछ नहीं हुआ, सब कुछ सामान्य ही रहा और निधि का व्यवहार तो ऐसा था जैसे कल रात के बारे में उसे कुछ पता ही नहीं।

इसी तरह तीन दिन गुजर गये जो बिल्कुल सामान्य ही रहे मगर पता नहीं क्यों निधि के प्रति मेरी सोच को क्या होता जा रहा था, अब वो मुझे बहुत खूबसूरत लगने लगी थी। निधि को गाँव से आये हुए अभी एक हफ्ता ही हुआ था और हफ्ते भर में ही निधि का रंग रूप काफी निखर गया था, ऊपर से वो मेरी भाभी के सलवार सूट पहनती थी जो उस पर इतने खिलते थे उनको देखकर कोई कह ही नहीं सकता कि यह गाँव की वही सामान्य सी दिखने वाली लड़की है।

बिल्कुल गोल चेहरा, बड़ी बड़ी भूरी आँखें, पतले और सुर्ख गुलाबी होंठ, लम्बी सुराहीदार गर्दन, हाँ उनका वक्षस्थल मेरी भाभी के मुकाबले में कुछ छोटा था मगर उसमें काफी कटाव व कसाव था, लम्बा कद, बिल्कुल पतली सी कमर और उसके नीचे भरे हुए माँसल गुदाज नितम्ब व जाँघें!

उस समय भी निधि के शरीर का कटाव किसी फिल्मी अभिनेत्री से कम नहीं था बस कुछ समय की ही दरकार थी। अभी तक मैंने निधि को कभी ऐसे नहीं देखा था। निधि सही में इतनी खूबसूरत हो गई थी, या फिर पता नहीं उस रात के बाद मुझे ही ऐसा लगने लगा था।

निधि के परिवार और हमारे परिवार के बीच काफी करीबी सम्बन्ध थे, उसके पापा को मैं चाचा ही मानता था मगर फिर भी पता नहीं क्यों मैं निधि के प्रति आसक्त सा होता जा रहा था और दिल ही दिल में उसको हासिल करने कल्पना करने लगा था।

मैंने अपने आप को समझाने की काफी कोशिश भी की मगर जब मुझसे रहा नहीं गया तो आखिरकार मैंने निधि को पाने के लिये एक योजना बना ली और इसके लिये सबसे पहले तो मैंने अपनी भाभी को सारी बात बता दी।

मेरी बात सुन कर पहले तो भाभी गुस्सा हुई मगर फिर मान गई और मेरा साथ देने के लिये भी तैयार हो गई।

करीब दो दिन बाद ही मुझे मौका मिल गया, उस दिन हल्की सी बारिश होने के कारण मौसम थोड़ा सा खराब था इसलिये शाम को मौका देखकर मैंने शार्ट-सर्किट का बहाना करके जान बूझ कर हमारे घर की बिजली खराब कर दी जिससे हमारे पूरे घर में अन्धेरा हो गया।

मैं उस दिन की तरह ही अन्धेरे का फायदा उठाना चाहता था और इसके लिये मैंने अपनी योजना पहले ही भाभी को बता दी थी।
बिजली ना होने के कारण रात को सभी ने जल्दी खाना खा लिया और सोने की तैयारी करने लगे। मेरे मम्मी पापा तो खाना खाते ही अपने कमरे में जाकर सो गये और मैं ड्राईंगरूम में आ गया।

अब बर्तन साफ करना और बचे हुए काम मेरी भाभी व निधि को करने थे।
मेरी योजना के अनुसार भाभी ने पहले ही तबियत खराब होने का बहाना बना लिया और बचे हुए काम निधि को खत्म करने के लिये बोल कर अपने कमरे में जाकर सो गई।

निधि ने करीब आधे घण्टे में ही सारे काम निपटा लिये और अब बस उसे घर का मुख्य दरवाजा बन्द करने के लिये आना था, मगर निधि शायद दरवाजा बन्द करने के लिये आना नहीं चाहती थी क्योंकि काम खत्म होने के बाद भी काफी देर तक वो रसोईघर में ही खड़ी रही, वो असमन्जस में थी कि दरवाजा बन्द करने के लिये जाये या ना जाये!

इसके लिये वो अब भाभी को बता भी नहीं सकती थी, आखिर वो करे तो क्या करे?

कुछ देर तक तो निधि ऐसे ही रसोईघर में खड़ी रही और फिर दरवाजा बन्द करने की बजाय सीधा भाभी के कमरे में चली गई, शायद आज वो दरवाजा बन्द करना ही नहीं चाहती थी, इससे तो मेरी सारी योजना विफल होने वाली थी, मगर फ़िर भगवान ने मेरी सुन ली क्योंकि कुछ देर बाद ही मोमबत्ती जलाये हुए कोई ड्राईंगरूम की तरफ आने लगा।

मैं समझ गया कि यह निधि ही है, वो मोमबत्ती जलाकर इसलिए आ रही है ताकी मोमबत्ती की रोशनी में मैं उसे पहचान लूँ और उस दिन की तरह कोई हरकत ना करूँ मगर आज तो यह सारी योजना मेरी ही बनाई हुई थी।

मैं तुरन्त ड्राईंगरूम के दरवाजे के साथ चिपक गया और जैसे ही निधि ने दरवाजे में पैर रखा सबसे पहले मैंने मोमबत्ती को ही झपटा मारकर नीचे गिरा दिया। मोमबत्ती नीचे गीरते ही बुझ गई और बिल्कुल अन्धेरा हो गया। अचानक हमले से निधि घबरा गई और तुरन्त वापस मुड़ने लगी मगर मैंने उन्हें पकड़ कर ड्राईंगरूम के अन्दर खींच लिया और वो कुछ बोले उससे पहले ही उनके होंठों को अपने मुँह में भरकर बन्द कर दिया। अब निधि के दोनों होंठ मेरे मुँह में थे इसलिये वो कुछ बोल तो नहीं सकती थी मगर कसमसाते हुए पीछे की तरफ हटने लगी।

मैंने भी उसे छोड़ा नहीं और उसके साथ साथ पीछे होता रहा मगर वो ज्यादा पीछे नहीं जा सकी क्योंकि थोड़ा सा पीछे होते ही दीवार आ गई इसलिये अब वो अपने दोनों हाथों से मुझे धकेलने लगी मगर आज मैं कहाँ मानने वाला था, मैंने उसे दीवार से सटा लिया और जोरो से उसके होंठों को चूसता रहा।

निधि के होंठों को चूसते हुए ही मैंने अपना एक हाथ उसके शर्ट के अन्दर डाल दिया, नीचे उसने ब्रा पहन रखी थी इसलिये मैंने ब्रा के ऊपर से ही उसकी चूचियों पर अपना हाथ रख दिया।
निधि के उरोजों को मैं चूचियाँ इसलिये कह रहा हूँ क्योंकि वो काफी छोटी थी और मेरी भाभी के उरोजों के मुकाबले में तो वो चूचियाँ ही थी।

मैंने बस एक बार उन्हें हल्का सा सहलाकर ब्रा के किनारे को पकड़ लिया और आहिस्ता आहिस्ता उसको ऊपर खींचते हुए उसकी दोनों चूचियों को शर्ट के अन्दर ही ब्रा की कैद से आजाद कर लिया। अब उसकी दोनों नँगी चूचियाँ मेरी मुट्ठी में थी जिनको मैं धीरे धीरे सहलाने लगा।

निधि की चूचियाँ मेरी भाभी से छोटी थी मगर भाभी के मुकाबले में काफी सख्त और मुलायम थी, मुझे ऐसा लग रहा था जैसे कि मेरे हाथ में रबड़ की कोई गेंद आ गई हो।

मैं ऐसे ही निधि की दोनों चूचियों को मसलता रहा और ऊपर उनके होंठों को चूसते हुए अपनी ज़ुबान को भी उनके होंठों के दरम्यान में धकेलने की कोशिश करने लगा, मगर उसने दाँतों को बन्द कर रखा था जिसके कारण मेरी जीभ अन्दर नहीं जा सकती थी इसलिये मैं उनके होंठों को ही अन्दर से चाटने लगा, फिर कुछ देर बाद ही आहिस्ता आहिस्ता निधि के दाँत अपने आप थोड़ा सा अलग हुए जिससे मेरी ज़ुबान को अन्दर जाने की इजाज़त मिल गई और अगले ही पल मेरी ज़ुबान निधि की ज़ुबान से टकराने लगी!

कहानी जारी है … आगे की कहानी पढ़ने के लिए निचे दिए पेज नंबर पर क्लिक करें ….

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]]> //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/group-sex/bhabhi-ke-sath-chudai-ka-maza-lee.html/feed 0 प्यासे लंड की आग के सामने बेबस लड़की | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/chudai-ki-kahani/pyase-land-ki-aag-ke-samne-bebas-ladki.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/chudai-ki-kahani/pyase-land-ki-aag-ke-samne-bebas-ladki.html#respond Mon, 12 Feb 2018 16:49:03 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=11937 शीला और नताशा, दोनों सो गये. रात में सोने से पहले, चंदेल को नताशा ने समझा दिया की वो आज रात में चुदाई नहीं करेगी, आप चाहो तो शीला को चोद लेना, वो कुछ नहीं बोलेगी उसकी चुत में भयंकर आग लगी है |

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प्यासे लंड की आग के सामने बेबस लड़की
( Pyase Land Ki Aag Ke Samne Bebas Ladki )

हेल्लो दोस्तों कैसे है आप लोग मजे कर रहे हो ना मै समझ गया आप लोग मुठ मारने की तयारी कर रहे हो और मेरी बहने भी चुत रगड़ने की तयारी कर रही है तो चलिए सुरु करता हूँ कहानी दोस्तों कहानी के बाद अपनी प्रतिक्रिया कमेंट में जरुर लिखना | प्यासे लंड की आग के सामने बेबस लड़की कहानी का शीर्षक है दोस्तों अब आपको बता दूँ सागर की मम्मी का देहांत हुए महीना भी नहीं हुआ था की उसका पापा चंदेल, 19 साल की दुल्हन ढूढ़ने लगा. एक दिन, सागर घर में काफ़ी लोगों को देख अपने पापा से पूछता है की क्या बात है इतने लोग उसका पापा, उसे समझाने की कोशिश करता है की दोनों को ज़रूरत है एक औरत की जो, घर संभाल सके. सागर की मम्मी के बाद, उसकी बुआ घर के काम देख रही थी पर वो हमेशा तो रुक नहीं सकती. सागर को समझाते समझाते, चंदेल थक गया.

थोड़ी देर बाद, बुआ आकर अपने तरीके से समझाने लगी. सागर की बात सही थी. वो कैसे किसी और को, अपनी मम्मी एक्सेप्ट कर पाएगा. सागर सब समझ रहा था पर उसका दिल बिल्कुल भी नहीं मान रहा था थोड़ी देर बाद, चंदेल फिर आया और बुआ को जाने के लिए कहा. चंदेल, सागर से बोला की शादी करना ज़रूरी है और वो और उसकी नयी मम्मी वही करेगी, जो तू कहेगा कभी कोई प्राब्लम नहीं होगी सागर फिर भी इनकार करने लगा.

आख़िरी में चंदेल ने सागर से कहा मेरी मजबूरी है और बर्दाश्त नहीं होता चाहे जो भी मांग ले पर इनकार मत कर मैं तेरे हाथ जोड़ता हूँ और, वहाँ से चल दिया. “चुड़क्कड़ पापा” तरस रहा था और पीछे नहीं हटने वाला था. आख़िर, में शादी हो ही गई. दुल्हन का नाम, नताशा था.. 21 साल की थी और शरीर भरा हुआ था.. देखा जाए तो सागर, उससे 3 साल ही छोटा था और उसका पति उससे दुगुनी उमर का था. 2-3 दिनों तक, सब घर में ही थे तो “सुहाग रात” तो हुई ही नहीं. सबके जाने के बाद, नताशा ने घर संभाला.

चंदेल, सुबह खेत पर जाता और 7-८ बजे वापस आ जाता. सागर, दोपहर १ बजे स्कूल जाता और 5 बजे तक वापस आ जाता. सागर के दिल में, नयी मम्मी के लिए कोई फीलिंग नहीं थी बल्कि गुस्सा था. पहले दिन से ही, उसने नयी मम्मी को छोटे छोटे काम के लिए परेशान किया. पर नताशा ने, उसकी हर ज़रूरत का ख़याल रखा. सागर ने नहलाने तक का काम, नताशा से कराया.

नताशा के घर में भी वो सब काम करती थी और उसे इन सबकी आदत थी. गाँव की लड़कियों को, ये सब की आदत होती है. नताशा को पहले ही उसके पति ने कह कर रहा था की सागर को किसी चीज़ की तकलीफ़ नहीं होनी चाहिए जो वो कहे, वैसा ही करना नताशा डरी हुई थी, पर साथ ही खुश भी थी. चंदेल रोज़ सुबह, जल्दी खेत में काम करने जाता.

पहले दिन से ही, सागर ने नताशा को परेशान करना शुरू किया. सागर चंदेल के जाने के बाद उठा और संडास जा के नताशा के पास गया और नताशा को कहा – मुझे नहाना है पानी गरम कर के दो घर में ही एक कुआ था, नताशा कुए के पास गरम पानी रख कर खड़ी हो गई. सागर सामने, अंडरवियर में खड़ा हो गया. सागर ऐसे ही खड़ा रहा और नताशा को देख रहा था.

नताशा समझ गई की उसे स्नान भी करवा के देना होगा. नताशा ने साड़ी ऊपर की और बैठ गई. सामने सागर को बिठाया और उस पर पानी डाल कर, साबुन लगाने लगी. पूरे बदन पर साबुन लगा लिया पर अंडरवियर बाकी था. सागर के अंडरवियर में भी, उसे हाथ डालना पड़ा. सागर ये सब, “एंजाय” कर रहा था.

नताशा के मुलायम हाथों का स्पर्श, अपने “लंड और ग़ुल्लों” पर पा कर मन में ही उछल रहा था. साबुन घोते समय, नताशा को महसूस हुआ की सागर का लंड खड़ा हो गया था. नताशा, कुछ नहीं बोली. स्नान होने के बाद, सागर को टॉवेल से पोंछ दिया. सागर का लंड तब भी खड़ा हुआ. अंडरवियर निकाल कर टॉवेल लपेट कर, सागर ने नताशा को कहा की उसे भूख लगी है और सीधा रसोई में चला गया.. नताशा की नज़र उसके लंड पर थी, जो टॉवेल में “टेंट” बन रहा था. सागर, रसोई में गया और बैठ गया.

नताशा आ कर, सागर को खाना परोस कर सामने बैठ गई. एक दो नीवाला मुंह में डालने के बाद, सागर रुक गया. नताशा ने पूछा – क्या बात है खाना ठीक नहीं बना क्या ?? सागर कुछ नहीं बोला और खाना खाने लगा. कुछ देर बाद, सागर बोला की उसे नुन्नी में दर्द हो रहा है उसका लंड, अब भी खड़ा था नताशा ने कहा के टॉवेल ढीला कर दे, बाद में तेल लगा दूँगी. सागर बोला – अभी, तेल ले आओ नताशा ने कहा की खाना ख़तम कर लो, उसके बाद पर सागर ज़िद करने लगा.

नताशा ने कहा – ठीक है और वो तेल की शीशी ले आई. सागर वैसे ही, बैठा रहा. नताशा ने तेल थोड़ा हाथ में ले कर टॉवेल के अंदर हाथ डाल दिया और लंड को पकड़ कर रगड़ने लगी.

10 मिनिट के बाद, सागर का खाना हो गया पर मालिश चल ही रही थी. सागर टॉवेल को हटा कर बोला की टॉवेल चुभ रहा है. नताशा के सामने, सागर पूरा “नंगा” बैठा था. सागर अब बस झड़ने वाला था.

नताशा हाथ में लंड लेकर खुद भी हैरान थी और सोच रही थी की ये सब क्या हो रहा है. सागर, मज़े ले रहा था. खाना ख़तम होने के 2 मिनिट बाद, सागर बोला – अभी, बस हो गया आ आ आहा हा सागर के लंड से पिचकारी, सीधे सामने निकली. नताशा हैरान हो गई, ये सब देख कर.. पिचकारी, सीधे थाली में जा गिरी. यह हिंदी सेक्स कहानी आप मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |

सागर बोला – अब अच्छा लग रहा है नताशा की उंगली, सागर के वीर्य से सनी हुए थी. नताशा ने साड़ी के पल्लू से अपना हाथ और सागर का लंड पोंछ कर, साफ किया. अब ये, रोज़ की बात हो गई थी.

सागर नहाते वक़्त, नंगा हो जाता. नताशा को भी ये ही लगता था क्यूंकि सागर खुश था. सागर को अपनी सोच पर, बहुत अफ़सोस होने लगा. वो सोचता था की नताशा को परेशान करेगा, पर पहले दिन से ही नताशा उसकी सब बात मानती थी. सागर ने सोच लिया की वो नताशा को बहुत प्यार देगा पर एक दोस्त की तरह, वो कभी “मम्मी” का दर्जा नहीं दे पाएगा. एक दिन रात में, सागर को नींद नहीं आ रही थी.

सागर, उसका पापा और नताशा साथ ही एक ही कमरे में सोते हे. सागर ने देखा की चादर की अंदर, चंदेल नताशा के ऊपर सोया हुआ है और ज़ोर ज़ोर से हिल रहा है. कमरे की खिड़की से स्ट्रीट लाइट की रोशनी, सीधे उन पर आ रही थी. सागर, ध्यान से देखने लगा. थोड़ी देर में चादर साइड में हो गई और दोनों का “नंगा बदन” सामने आ गया.

चंदेल, चोदने में लगा हुआ था. नताशा, धीरे धीरे चिल्ला रही थी. नताशा की नज़र, सागर पर पड़ी. पर वो, कुछ ना बोली. सागर, चुप चाप देख रहा था. थोड़ी देर बाद, चंदेल ने नताशा को “डॉगी स्टाइल” में चोदना चालू किया. चंदेल ने जब सागर को जागते हुए देखा तो ज़ोर से सागर पर चिल्लाया – ओय, सोया नहीं अभी तक चल, मुंह उधर कर के सो नहीं तो टाँगे तोड़ दूँगा सागर डर गया और डर के मारे, सो गया. अगले दिन, सागर ने नहाते वक़्त नताशा से पूछा की रात मैं क्या चल रहा था नताशा, कुछ नहीं बोली.

सागर के बार बार पूछने पर नताशा ने कहा की ये सब बड़े लोगों का खेल है तुम नहीं समझोगे सागर ने कहा की उसे भी ये “खेल” खेलना है नताशा डाँट कर बोली की ऐसा, ये सब नहीं बोलना चाहिए वरना वो शिकायत करेगी, चंदेल से सागर चुप हो गया पर उसके दिमाग़ में कुछ चल रहा था. सागर, रोज़ खाना खाते खाते मूठ मरवाता.

अब, पापा बेटा दोनों खुश थे. नताशा, बेटे और पति को खुश रखने की कोशिश में जुटी थी. चंदेल ने कहा था की सागर को कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए और जो कहे, जो मांगे, दे देना. अपने पति की आग्या का पालन कर रही थी और सागर की कभी शिकायत नहीं की. चंदेल रात को आता और खाना खा कर सो जाता.

सागर दिन भर खेलता कूदता और पापा के आते ही, किताब ले कर बैठ जाता. नताशा, सुबह सागर को संभालती और शाम को चंदेल को. 3-4 महीनो बाद चंदेल की रिश्तेदार, सागर की चाची आई. सब की खबर, लेने के लिए.

शीला की शादी नहीं हुए थी और उमर बढ़ने के कारण, वो “वर्जिन एंड अनमॅरीड” ही रह गई. शीला (चाची) को लग रहा था की सब कुशल मंगल है, सब खुश लग रहे थे. वो कुछ दिनों के लिए, आई थी. अगले दिन, सुबह उठ कर वो पहले संडास करने के लिए खेतो में गई. उसके बाद वापस आ कर, घर के कामो में नताशा का हाथ बटाने लगी. नताशा ने फिर कुछ देर बाद, सागर को उठाया. सागर का लंड, सुबह की ठंडी में कड़क हो गया था. शीला ने देखा की उसकी पतलून में उभार है, और समझ गई की लड़का अब जवान हो गया है.

सागर, संडास करके आया और कुए (वेल) के पास जाकर कपड़े निकालने लगा. तब तक नताशा, गरम पानी बाल्टी में लेकर आई. शीला, दोनों को देख रही थी. शीला को होश तब आया जब नताशा, सागर के सिर पर पानी डाल कर साबुन लगाने लगी.

शीला यूही देखती रही और सोचने लग गई की ये तो “जवान लड़का” है, थोड़ी तो शरम आनी चाहिए. नताशा ने सारे बदन पर साबुन लगा दिया और एक पत्थर से, बदन घिसने लगी.

सागर नताशा से बोला – चाची को यहाँ से हटाओ मुझे शरम आती है नताशा हँसते हुए शीला से बोली – आप ज़रा रसोई में जाइए मेरे मुन्ना को, शरम आ रही है |

चाची बोली – काहे की शरम मैं तो तेरी मम्मी जैसी हूँ ना सागर ज़िद करने लगा.

नताशा के फिर से कहने पर चाची अंदर गई और हँसते हुए बोली – कितना शरमाता है शादी के बाद, क्या होगा तेरा

सागर नताशा से कहता है – नुन्नि को भी सॉफ कर दो

नताशा कहती है – तू अब बड़ा हो गया है ये सब, खुद से करना चाहिए चाची देखेगी तो क्या बोलेगी

सागर बोला – चाची तो एक दो दिनों के लिए है

नताशा ने फिर एक हाथ से एलास्टिक खींचा और दूसरे हाथ को अंदर डा

कर नुन्नि को मुट्ठी में पकड़ लिया.

सागर बोला – अच्छे से सॉफ करो इसमें से, बदबू आती है

नताशा, सागर के लंड पर साबुन लगा कर हिलाने लगी. सागर भी मज़े ले रहा था. शीला थोड़ी देर के बाद आई और फिर ये सब देख कर सोच में पड़ गई. सागर की नुन्नि, असल में एक लंड के आकर की हो गई थी. नताशा को भी पता था पर वो सागर को बच्चा ही समझ रही थी. शीला, सागर के हाव भाव देख कर समझ गई की दाल में कुछ काला है. आप यह हिंदी सेक्स स्टोरी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | स्नान होने के बाद, सागर कमरे में कपड़े पहनने गया. नताशा ने उसके सर पर चमेली का तेल लगाया. सागर बोला की थोडा तेल नुन्नि को भी लगाओ

नताशा ने पूछा – क्यू ??

तो सागर बोला – ऐसा करने से, मैं जल्दी जवान हो जाऊंगा ऐसा, मेरे दोस्तो ने कहा है

नताशा बोली – चल हट, बदमाश जा कर खुद लगा मुझे बहुत काम है

सागर बोला – बाद मैं मालिश कराऊंगा मुझे नहीं आता

नताशा, रूम से बाहर चली गई.

सागर ने फिर खुद ही तेल लगा लिया.

खाना खाते हुए, सागर बोला की दर्द हो रहा है.

नताशा बोली – नहीं अभी चाची है उनको अच्छा नहीं लगेगा

सागर, कुछ नहीं बोला. नताशा बोली की बाद में, तुझे मालिश करवाती हूँ  खाना खाने के बाद, सब सो गये पर सागर तो मालिश करवाने के लिए उत्तेजित था. शीला, रूम में सोई थी.सागर नताशा को लेकर रसोई में गया और कपड़े उतार कर, अंडरवियर में लेट गया. नताशा तेल की शीशी लेकर, उसकी मालिश करने लगी. फिर हाथ पैर की मालिश कर दी.. उतने में सागर का लंड, टाइट हो गया था. सागर ने कहा – जिसके लिए आया था वो तो छोड़ दिया

नताशा ने पूछा – क्या ??

तो सागर ने झट से जवाब दिया – मेरी नुन्नि

नताशा ने मुस्कुराते हुए हथेली में काफ़ी तेल लिया और दोनों हाथ से लंड पकड़ कर हिलाने लगी.

10 मिनिट के बाद सागर बोला – रूको मत, ज़ोर ज़ोर से करो

नताशा बोली – तेरा रस निकल जाएगा ऐसा मत कर

सागर बोला – रस निकलने के बाद ही चैन मिलता है आप जल्दी करो

नताशा फिर हिलाने लगी और थोड़ी देर के बाद, गरम वीर्य लंड से निकल आया.

नताशा ने फिर अपने पल्लू से लंड और हाथ सॉफ किया.

नताशा, ने सागर को कपड़े पहनकर सोने के लिए कहा और खुद भी सो गई.

शाम को चंदेल आया, हंसी मज़ाक का माहोल बना हुआ था.

चाची अपने गाँव के किस्से सुना रही थी और चंदेल भी घर की गाँव की बात करता.

रात में खाना खाते वक़्त, नताशा सागर से बोली की चाची, तुम्हारे साथ सोएगी

सागर ने ज़िद की, की अकेले सोना है.

शीला ने कहा की तुम्हारे साथ ही सोउंगी

नताशा ने कुछ कहा नहीं पर सोच में पड़ गई.

खाना खाने के बाद, नताशा ने शीला से कहा की रात में आप, जाग जाओगी

शीला समझ गई और हंस कर बोली – चिंता मत कर मैं एक बार सो गई तो आसानी से नहीं उठती तुम दोनों चाहे, जितना आवाज़ करो मुझे पता नहीं चलेगा और पता भी चला तो क्या हुआ ?? मैं तो घर की ही, हूँ ना

नताशा मुस्कुर कर बोली – क्या आप भी कुछ भी कहती हो

रात में, सब सो गये. शीला, नताशा के बगल में थी और दूसरी साइड में चंदेल. सागर, दूसरे कोने में सोता था. चंदेल को चुदाई बिना, नींद नहीं आती थी.
शीला और सागर को सोता हुआ देख, चंदेल नताशा के कपड़े उतारने लगा. नताशा को शरम आ रही थी, मना भी किया पर चंदेल के सिर पर सेक्स चढ़ा हुआ था. नताशा को नंगा कर खुद भी नंगा हो गया और आधी रात तक सेक्स होता रहा. चंदेल, नताशा पर रोज़ भारी पड़ता था. नताशा, चंदेल के लंड को कुछ देर बर्दाश्त करने के बाद टूट जाती थी और किसी तरहा फिर से ताक़त जुटा कर, दूसरी बार झड़ जाती. उस रात भी, कुछ ऐसा ही हुआ. नताशा ने कोशिश की, की आवाज़ ना निकले पर चीख तो निकल ही जाती थी. सुबह उठने के बाद, सब अपने अपने काम पर लग गये. शीला ने नताशा की तरफ़ देखा.

नताशा नॉर्मल बिहेव कर रही थी, जैसे कल आधी रात तक रात सेक्स किया ही ना हो. संडास करने, दोनों साथ में गये. संडास करते करते, शीला ने नताशा से कहा – क्या बात है ?? रात में इतनी देर जागने के बाद भी तुम काफ़ी फ्रेश लग रही हो नताशा बोली – आप को कैसे पता ?? आप तो सोई थी ??

शीला बोली – रात में तुम्हे बहुत दर्द हो रहा था अंजाने में, तुमने मेरा हाथ पकड़ लिया था मैंने आँखें खोली तो देखा की चंदेल तुम्हारी जम कर चुदाई कर रहा है |

चुदाई नाम सुन कर, नताशा शर्माकर बोली – क्या आप भी मुझे शरम आ रही है आप किसी को मत कहना, प्लीज़

शीला बोली – बोली भी दिया तो क्या सब को पता है की तुम्हारी चुदाई तो रोज़ होती होगी

दोनों हँसते हुए, गांड धो कर घर आ गई. नताशा और शीला, दोनों एक दूसरे के सामने थोड़ा खुल गई थी. सागर उठने के बाद, हॅगने गया और वापस आ कर नहाने कुए के पास आया. आप यह हिंदी सेक्स स्टोरी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | रोज़ की तरह नताशा से स्नान करवाया और लंड मालिश भी करवाई. दोपहर में तेल मालिश करवाने रसोई में दोनों गये और हमेशा की तरहा, लंड मालिश हो रही थी की अचानक शीला आ गई और उसने देख लिया. आप यह हिंदी सेक्स स्टोरी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | शीला को देख कर, दोनों डर गये. शीला का खून खौलने लगा पर वो कुछ ना बोली. शाम को चंदेल को, शीला ने सब कुछ बता दिया. चंदेल को याद था की उसके बेटे ने शर्त रखी थी की नयी मम्मी के साथ, वो किसी भी तरहा रह सकता है. चंदेल ने लंबी साँस ली और शीला को सब कुछ बता दिया. नताशा, दरवाजे के बाहर खड़ी सब सुन रही थी और सागर बाहर खेलने गया था. शीला, फिर बोली की ये सब ग़लत है.

चंदेल बोला – जाने दो घर की ही बात है, आपस में देख लेंगे

शीला का दिमाग़ घूम गया था और बहुत कुछ बोल देती पर चुप रही.

रात में खाना खाने के बाद, सब सो गये पर असल में सिर्फ़ सागर सोया था बाकी सब सोने का नाटक आर रहे थे. कुछ देर बाद, चंदेल मूतने के लिए बाहर गया और रूम के अंदर आते ही, कपड़े निकाल कर नंगा हो गया. चंदेल को देख, नताशा ने भी खुद के कपड़े नीकाल लिए. चंदेल, नताशा की टाँग फैला कर उसके ऊपर आ गया और चूमने लगा. “सेक्स का प्रोग्राम” स्टार्ट हो गया. शीला, इसका आनंद लेने के लिए आँखें खोल कर देख रही थी. चंदेल का ध्यान, सिर्फ़ नताशा पर था. 2 घंटे के बाद, दोनों सो गये. शीला का मन, बहुत करता सेक्स करने के लिए पर, कुछ नहीं कर पा रही थी. अगले दिन, शीला और नताशा दोनों संडास करते करते बाते कर रही थी..

शीला ने कहा – तुम बहुत नसीब वाली हो जो इतना प्यार करने वाला पति और बेटा मिला है

ये कह कर शीला की आँखें नम हो गई थी..

नताशा ने देखा और पूछा – क्या बात है आप को कोई दुख है क्या ??

शीला बोली – कुछ नहीं, चलो

एक दो बार पूछने पर भी, शीला कुछ नहीं बोली.

रात में जब चंदेल चोद रहा था तो नताशा ने देखा की शीला, उन दोनों को देख रही है और बदन को सिकोड कर सोई है.

नताशा को पहले ही शक हो गया था और अब यकीन हो गया की शीला की चुत में “आग” लगी है.

अगले दिन, नताशा ने चंदेल को सब बता दिया..

चंदेल गुस्से में बोला – बहन चोद को एक करेला दे, कुछ दिन के लिए अगर, सिर पर चढ़ गई तो मुसीबत होगी

नताशा बोली – आप की बात सही है पर एक बार तो उसको वो सुख दे ही सकते है ना

चंदेल, कुछ ना बोल कर निकल गया.

नताशा फिर दोपहर में खाते समय शीला से पूछा – आपको कैसे लगते है ??

शीला ने पूछा – क्या ??

नताशा बोली – सागर के पापाू ??

शीला, खाना खाते खाते बोली – अच्छा तो है काम भी बहुत करता है कमाता भी अच्छा है और क्या चाहिए

नताशा बोली – रात में, कैसे लगते है

शीला बोली – मैं समझी नहीं ??

नताशा बोली – मैंने देखा है आपको, रात में आँखें खुली थी..

शीला, कुछ नहीं बोली.

नताशा बोली – शरमाती क्यू हो ?? आपने ही तो कहा था की चुदाई सब करते है आज रात मे, मैं नहीं करूंगी मेरा व्रत है ना पर चंदेल को नहीं पता एक मुसीबत है

शीला पूछती है – क्या ??

नताशा बोली – चंदेल, रात में सुनते ही नहीं सीधा, हल जोतना चालू कर देते है एक काम करते है आप मेरी जगह पर सो जाना और मैं आपकी चंदेल, मुझे दूसरी तरफ़ देख कर कुछ नहीं करेंगे क्यूंकी उस तरफ दीवार है

शीला कुछ ना बोली और सोचने लगी.  शीला को अजीब लगा पर उसे कोई दिक्कत भी नहीं थी.

नताशा बोली – चलो, सो जाते है

शीला और नताशा, दोनों सो गये. रात में सोने से पहले, चंदेल को नताशा ने समझा दिया की वो आज रात में चुदाई नहीं करेगी, आप चाहो तो शीला को चोद लेना, वो कुछ नहीं बोलेगी उसकी चुत में भयंकर आग लगी है |

चंदेल बोला – कैसी बाते कर रही हो ?? मैं तुम्हारे साथ ही सोऊंगा ??

पर नताशा, मान ही नहीं रही थी. रात में नताशा, शीला की दूसरी तरफ सोई थी और उस तरफ थोड़ी दूर चंदेल सोया था. रात में, सब सो गये.
चंदेल ने चुदाई किए बगैर ही, रात निकाल ली. अगले दिन भी ऐसा ही होना था. नताशा ने शीला से कहा की रात में ध्यान से सोना, चंदेल रात को नींद मैं भी चुदाई कर सकता है, कोई भरोसा नहीं. शीला मन ही मन सोचने लगी की चुदाई के लिए, अगर लंड आ रहा है तो वो रोकेगी नहीं. अगली रात, सब सो गये. रात में, नताशा ने शीला की साड़ी को ऊपर उठा दिया. कुछ देर बाद, चंदेल को होश आया. सामने चूत का द्वार देख उससे रहा नहीं गया और वो शीला के करीब जाकर, पैर सहलाने लगा. शीला, आधी नींद में थी.

दोनों घुटने ऊपर करके, वो पीठ के बल आ गया. चंदेल ने शीला की साड़ी उतार दी और चिपक कर सो गया. शीला तुरंत जाग गई और देखा की चंदेल का एक हाथ चड्डी के अंदर था और एक से पीठ पकड़ी थी. शीला की गर्मी कम नहीं हुई थी और फिर “हवस की ज्वाला” भड़क उठी. आधी रात तक, दोनों “प्रेम लीला” में मग्न थे. सागर भी आवाज़ सुन कर जाग उठा पर दोनों एक दूसरे में इतने खो गये थे की उनका ध्यान ही नहीं गया. सुबह, दोनों लेट उठे. दोनों के चेहरे पर गिल्टी की फीलिंग सॉफ दिख रही थी और साथ ही साथ, एक दूसरे को प्यार करने की चाहत भी. उस दिन भी रात में चंदेल से, रहा नहीं गया. शीला भी सोई नहीं थी. चंदेल शीला के पास गया और बिना कुछ कहे, शीला से लिपट गया. आप सोच रहे होंगे की “नताशा और सागर” का क्यू हुआ. अब तक नताशा ने अपने पति और शीला को एंगेज करा लिया था तो अब वो फ्री हो गई थी, सागर को आज़माने के लिए |

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हमारे परिवार के सभी सदस्य एक विवाह में शरीक होने अपने गांव गये थे, हम तीन भाई-बहन और मां-बाबूजी। मैंने 12वीं की बोर्ड की परीक्षा दी थी और परिणाम का इंतज़ार कर रहा था।

मैं तीनो भाई बहन में सबसे बडा हूं। उस समय 20 साल में था और अन्य लडकों की तरह मुझे भी चूची और चूत की तलाश थी लेकिन उस समय तक एक भी औरत या लडकी का मज़ा नहीं लिया था। बस माल को देखकर तरसता रहता था और लंड हिलाकर पानी निकाल कर संतुष्ट हो जाता था। दोस्तों के साथ हमेशा चूची और चूत की बातें होती थी। मुझसे छोटी बहन, माला है और उससे छोटा एक भाई।

मां का नाम बिंदु है और उस समय वो 39-40 साल की भरपूर जवान औरत थी। बाबूजी 42 साल के मजबूत कद-काठी के मर्द थे जो किसी भी औरत की जवानी की प्यास को बुझा सकते थे। बाबूजी की तरह मैं भी लम्बा और तगड़ा था लेकिन पता नहीं क्यों मुझे लड़कियों से बात करने में बहुत शरम आती थी, यहाँ तक कि मैं अपनी 18 साल की मस्त जवान बहन के साथ भी ठीक से बात नहीं करता था।

गांव में शादी में बहुत से लोग आये थे। चचेरी बहन की शादी थी, खूब धूमधाम से विवाह सम्पन्न हुआ। विवाह के बाद धीरे-धीरे सभी मेहमान चले गये। मेहमानों के जाने के बाद सिर्फ घरवाले ही रह गये थे। पांच भाईयों में से सिर्फ मेरे बाबूजी गांव के बाहर काम करते थे, बाकी चारों भाई गांव में ही खेती-बाड़ी देखते थे। गांव की आधी से ज्यादा जमीन हमारी थी।

बाबूजी की छुट्टी खत्म होने को थी, हम लोग भी एक दिन बाद जाने वाले थे। हम वहाँ 17-18 दिन रहे। बहुत लड़कियों को चोदने का मन किया, बहुत औरतों की चूची मसलना चाहा लेकिन मैं कोरा का कोरा ही रहा। मेरा लन्ड चूत के लिये तरसता ही रह गया। लेकिन कहते हैं कि ‘देर है लेकिन अन्धेर नहीं है’

उस दिन भी ऐसा ही हुआ। उस समय दिन के 11 बजे थे। औरतें घर के काम में व्यस्त थीं, कम उम्र के बच्चे इधर-उधर दौड़ रहे थे और आंगन में कुछ नौकर सफाई कर रहे थे। मेरे बाबूजी अपने भाईयों के साथ खेत पर गये थे। मैं चौकी पर बैठ कर आराम कर रहा था। तभी माँ मेरे पास आई और बगल में बैठ गई। मेरी माँ बिंदु ने मेरा हाथ पकड़ कर एक लड़के की तरफ इशारा करके पूछा,”वो कौन है?” वो लड़का आंखें नीची करके अनाज को बोरे में डाल रहा था। उसने सिर्फ हाफ-पैंट पहन रखा था।

“हां, मैं जानता हूँ, वो चंद्रकिशोर है.. सुरेश का भाई !” मैंने माँ को जवाब दिया।

सुरेश हमारा पुराना नौकर था और हमारे यहा पिछले 8-9 सालों से काम कर रहा था। माँ उसको जानती थी।
मैंने पूछा,”क्यों, क्या काम है उस लड़के से?”

मां ने इधर उधर देखा और बगल के कमरे में चली गई। एक दो मिनट के बाद उसने मुझे इशारे से अन्दर बुलाया। मैं अन्दर गया और बिंदु ने झट से मेरा हाथ पकड़ कर कहा,”बेटा, मेरा एक काम कर दे…”
“कौन सा काम माँ !”

फिर उसने जो कहा वो सुनकर मैं हक्का बक्का रह गया।

“बेटा, मुझे चंद्रकिशोर से चुदवाना है, उसे बोल कि मुझे चोदे…!”

मैं बिंदु को देखता रह गया। उसने कितनी आसानी से बेटे के उम्र के लड़के से चुदवाने की बात कह दी…..
“क्या कह रही हो…..ऐसा कैसे हो सकता है….” मैंने कहा।

“मैं कुछ नहीं जानती, मैं तीन दिन से अपने को रोक रही हूँ, उसको देखते ही मेरी बुर गरम हो जाती है, मेरा मन करता है की नंगी होकर सबके सामने उसे अपने अन्दर ले लूँ !” माँ ने मेरे सामने अपनी चूची को मसलते हुए कहा,”कुछ भी करो, बेटा चंद्रकिशोर का लन्ड मुझे अभी चूत के अन्दर चाहिए !”

बिंदु की बातें सुनकर मेरा माथा चकराने लगा था। मैंने कभी नहीं सोचा था कि मां, बेटे के सामने इतनी आसानी से लण्ड और बुर की बात करेगी। मुझे यह जानकर अचम्भा हुआ कि मैं 18 साल का होकर भी किसी को अब तक चोद नहीं पाया हूँ तो वो चंद्रकिशोर अपने से 20-22 साल बडी, तीन बच्चे की माँ को कैसे चोदेगा। मुझे लगा कि चंद्रकिशोर का लन्ड अब तक चुदाई के लिये तैयार नहीं हुआ होगा।

“मां, वो चंद्रकिशोर तो अभी छोटा है.. वो तुम्हें नहीं चोद पायेगा….” मैंने माँ की चूची पर हाथ फेरते हुए कहा,”चल तुझे बहुत मन कर रहा है तो मैं तुम्हें चोद दूंगा ..!”

मैं चूची मसल रहा था, माँ ने मेरा हाथ अलग नहीं किया। यह पहला मौका था कि मेरे हाथ किसी चूची को दबा रहा था और वो भी एक मस्त गुदाज़ औरत की, जो लोगों की नजर में बहुत सुन्दर और मालदार थी।
“बेटा, तू भी चोद लेना, लेकिन पहले चंद्रकिशोर से मुझे चुदवा दे…अब देर मत कर ….बदले में तू जो बोलेगा वो सब करुंगी… तू किसी और लड़की या औरत को चोदना चाहता है तो मैं उसका भी इंतज़ाम कर दूंगी, लेकिन तू अभी अपनी माँ को चंद्रकिशोर से चुदवा दे.. मेरी बुर एकदम गीली हो गई है।”

बिंदु ने सामने से चुदाई की पेशकश की है तो कुछ ना कुछ तो करना ही पड़ेगा। मैंने जोर जोर से 3-4 बार दोनों मस्त मांसल चूचियों को दबाया और कहा,” तू थोड़ा इन्तज़ार कर….मैं कुछ करता हूँ !” यह कहकर मैंने माँ को अपनी बांहों में लेकर उसके गालों को चूसा और बाहर निकल कर आ गया। दिन का समय था, सब लोग जाग रहे थे, किसी सुनसान जगह का मिलना आसान नहीं था। मैं वहाँ से निकल कर ‘कैटल-फार्म’ में आ गया जो आंगन से थोड़ी ही दूर पर सड़क के उस पार था। वहाँ उस समय जानवरों के अलावा और कोई नहीं था। वहाँ एक कमरा भी था नौकरों के रहने के लिये। उस कमरे में भी कोई नहीं था। मैंने सोचा क्यों ना आज माँ की चुदाई इसी कमरे में की जाये।

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कमरे में एक चौकी थी और उस पर एक बिछौना भी था। मैं तुरंत आंगन वापस आया। बिंदु अभी भी बाहर ही बैठी थी और चंद्रकिशोर को घूर रही थी। मैं उसके बगल में बैठ गया और कहा कि वो दस मिनट के बाद उस नौकर वाले कमरे में आ जाये। वहाँ से उठ कर मैं ग़ोपाल के पास आया और उसकी पीठ थप-थपा कर मेरे साथ आने को कहा। वो बिना कुछ बोले मेरे साथ आ गया। मैंने देखा कि मां के चेहरे पर मुस्कान आ गई है।

चंद्रकिशोर को लेकर मैं उस कमरे में आया और दरवाज़ा खुला रहने दिया। मैं आकर बिछौने पर लेट गया और चंद्रकिशोर से कहा कि मेर पैर दर्द कर रहा है, दबा दे.. यह कहते हुये मैंने अपना पजामा बाहर निकाल दिया। नीचे मैंने जांघिया पहना था। ग़ोपाल पांव दबाने लगा और मैं उससे उसके घर की बातें करने लगा। वैसे तो चंद्रकिशोर के घरवाले हमारे घर में सालों से काम करते हैं फिर भी मैं कभी उसके घर नहीं गया था। चंद्रकिशोर की दादी को भी मैंने अपने घर में काम करते देखा था और अभी उसकी माँ और भैया काम करते हैं। गोपल ने बताया कि उसकी एक बहन है और उसकी शादी की बात चल रही है। वो बोला कि उसकी भाभी बहुत अच्छी है और उसे बहुत प्यार करती है।

अचानक मैंने उससे पूछा कि उसने अपनी भाभी को चोदा है कि नही। ग़ोपाल शरमा गया और जब मैंने दोबारा पूछा तो जैसा मैंने सोचा था, उसने कहा कि उसने अब तक किसी को चोदा नहीं है।
मैंने फिर पूछा कि चोदने का मन करता है या नहीं?

तो उसने शरमाते हुये कहा कि जब वो कभी अपनी माँ को अपने बाप से चुदवाते देखता है तो उसका भी मन चोदने को करता है। ग़ोपाल ने कहा कि रात में वो अपनी माँ के साथ एक ही कमरे में सोता है । लेकिन पिछले एक साल से माँ की चुदाई देख कर उसका भी लन्ड टाईट हो जाता है।

“फिर तुम अपनी माँ को क्यों नहीं चोदते हो…” मैंने पूछा, लेकिन चंद्रकिशोर के जबाब देने के पहले बिंदु कमरे में आ गई और उसने अन्दर से दरवाजा बन्द कर दिया। ग़ोपाल उठकर जाने लगा तो मैंने उसे रोक लिया। चंद्रकिशोर ने एक बार बिंदु के तरफ देखा और फिर मेरा पैर दबाने लगा।

“क्या हुआ मां?”

“अरे बेटा, मेरा पैर भी बहुत दर्द कर रहा है, थोड़ा दबा दे !” बिंदु बोलते बोलते मेरे बगल में लेट गई। मेरा दिल जोर जोर से धड़कने लगा, डर से या माँ को चोदने के खयाल से , मालूम नहीं। मैं उठ कर बैठ गया और माँ को बिछौने के बीचोंबीच लेटने को कहा।

मैं एक पैर दबाने लगा । ग़ोपाल चुपचाप खड़ा था।

“अरे ग़ोपाल, तुम क्यों खड़े हो, दूसरा पांव तुम दबाओ !” मैंने ग़ोपल से कहा लेकिन वो खड़ा ही रहा।
मेरे दो-तीन बार कहने के बाद चंद्रकिशोर दूसरे पांव को दबाने लगा। मैंने माँ को आंख मारी और वो मुस्कुरा दी।
“मां, कहां दर्द कर रहा है?”

“अरे पूछ मत बेटा, पूरा पाव और छाती दर्द कर रहा है, खूब जोर से पैर और छाती को दबाओ।”

मां ने खुल कर बुर और चूची दबाने का निमंत्रण दे दिया था। मैं पावं से लेकर कमर तक एक पर को मसल मसल कर मजा ले रहा था जब कि चंद्रकिशोर सिर्फ घुटनों तक ही दबा रहा था। मैंने चंद्रकिशोर का एक हाथ पकड़ा और माँ की जांघों के ऊपर सहलाया और कहा कि तुम भी नीचे से ऊपर तक दबाओ। वो हिचका लेकिन मुझे देख देख कर वो भी बिंदु लम्बी लम्बी टांगों को नीचे से ऊपर तक मसलने लगा।

2-3 मिनट तक इस तरह से मजा लेने के बाद मैंने कहा,”मां साड़ी उतार दो…तो और अच्छा लगेगा…”
“हां, बेटा, उतार दो…”

“चंद्रकिशोर, साड़ी खोल दो।” मैंने चंद्रकिशोर से कहा।

उसने हमारी ओर देखा लेकिन साड़ी खोलने के लिये हाथ आगे नहीं बढ़ाया।

“चंद्रकिशोर, शरमाते क्यों हो, तुमने तो कई बार अपनी माँ को नंगी चुदवाते देखा है…यहां तो सिर्फ साड़ी उतारनी है, चल खोल दे।” और मैंने चंद्रकिशोर का हाथ पकड़ कर साड़ी की गांठ पर रखा। उसने शरमाते हुये गांठ खोली और मैंने साड़ी माँ के बदन से अलग कर दी। काले रंग के ब्लाऊज़ और साया में गजब की माल लग रही थी।

“मालकिन, आप बहुत सुन्दर हैं…” अचानक चंद्रकिशोर ने कहा और प्यार से जांघों को सहलाया।
“तू भी बहुत प्यारा है..” बिंदु ने जबाब दिया और हौले से साया को अपनी घुटनों से ऊपर खींच लिया। माँ के सुडौल पैर और पिंडली किसी भी मर्द को गर्म करने के लिये खाफी थे। हम दोनों पैर दबा रहे थे लेकिन हमारी नजर बिंदु की मस्त, गोल-गोल, मांसल चूचियों पर थी। लग रहा था जैसे कि चूचियां ब्लाऊज़ को फाड़ कर बाहर निकल जायेंगी। मेरा मन कर रहा था कि फटाफट माँ को नंगा कर बूर मे लन्ड पेल दूं। मेरा लंड भी चोदने के लिये तैयार हो चुका था। और इस बार घुटनों के ऊपर हाथ बढा कर मैंने हाथ साया के अन्दर घुसेड़ दिया और अन्दरुनी जांघों को सहलाते हुये जिन्दगी में पहली बार बुर को मसला। एक नहीं, दो नहीं, कई बार बुर मसला लेकिन माँ ने एक बार भी मना नहीं किया। माँ साया पहने थी और बुर दिखाई नहीं पर रही थी। साया ऊपर नाभि तक बंधा हुआ था। मैं बुर को देखना चाहता था। एक दो बार बुर को फिर से मसला और हाथ बाहर निकाल लिया।

“मां, साया बहुत कसा बंधा हुआ है, थोड़ा ढीला कर लो.. ”

मैंने देखा कि चंद्रकिशोर अब आराम से बिंदु की जांघों को मसल रहा था। मैंने गोपल से कहा कि वो साया का नाड़ा खोल दे। तीन चार बार बोलने के बाद भी उसने नाड़ा नहीं खोला तो मैंने ही नाड़ा खींच दिया और साया ऊपर से ढीला हो गया। मैं पांव दबाना छोड़कर माँ की कमर के पास आकर बैठ गया और साया को नीचे की तरफ ठेला। पहले तो उसका चिकना पेट दिखाई दिया और फिर नाभि। कुछ पल तो मैंने नाभि को सहलाया और साया को और नीचे की ओर ठेला।

अब उसकी कमर और बुर के ऊपर का चिकना चिकना भाग दिखाई पड़ने लगा। अगर एक इंच और नीचे करता तो बुर दिखने लगती।

“आह बेटा, छाती बहुत दर्द कर रहा है..” बिंदु ने धीरे से कहा । साया को वैसा ही छोड़कर मैंने अपने दोनों हाथ माँ की मस्त और गुदाज चूचियों पर रखे और दबाया। चंद्रकिशोर के दोनों हाथ अब सिर्फ जांघो के ऊपरी हिस्से पर चल रहा था और वो आंखे फाड़ कर देख रहा था कि एक बेटा कैसे माँ की चूचियां मसल रहा है।

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“मां, ब्लाउज खोल दो तो और अच्छा लगेगा।” मैंने दबाते हुए कहा।

“खोल दे ” उसने जबाब दिया और मैंने झटपट ब्लाउज के सारे बटन खोल डाले और ब्लाउज को चूची से अलग कर दिया।

मां की गोल-गोल, उठी हुई और मांसल चूची देख कर माथा झनझना गया। मुझे याद नहीं था कि मैंने आखरी बार कब माँ की नंगी चूची देखी थी। मैं जम कर चूची दबाने लगा।

“कितना टाईट है, लगता है जैसे किसी ने फ़ुटबाल में कस कर हवा भर दी है।” मैंने घुन्डी को कस कर मसला और ग़ोपाल से कहा,” क्यों चंद्रकिशोर कैसा लग रहा है?” मैं जोर जोर से चूची को दबाता रहा।

अचानक मैंने देखा कि चंद्रकिशोर का एक हाथ माँ की दोनों जांघों के बीच साया के ऊपर घूम रहा है। एक हाथ से चूची दबाते हुए मैंने चंद्रकिशोर का वो हाथ पकड़ा और उसे माँ की नाभि के ऊपर रख कर दबाया।

“देख, चिकना है कि नहीं?” मैं उसके हाथ को दोनों जांघों के बीच बुर की तरफ धकेलने लगा। दूसरे हाथ से मैं लगातार चूचियों का मजा ले रहा था। मुझे याद आया कि बचपन में इन चूचियों से ही दूध पीता था। मैं माँ के ऊपर झुका और घुन्डी को चूसने लगा।

तभी माँ ने फुसफुसाकर कान में कहा,”बेटा, तू थोड़ी देर के लिये बाहर जा और देख कोई इधर ना आये..”
मैं दूध पीते पीते चंद्रकिशोर के हाथ के ऊपर अपना हाथ रख कर साया के अन्दर ठेला और चंद्रकिशोर का हाथ माँ के बुर पर आ गया। मैंने चंद्रकिशोर के हाथों को दबाया और चंद्रकिशोर बुर को मसलने लगा । कुछ देर तक हम दोनों ने एक साथ बुर को मसला और फिर मैं खड़ा हो गया। ग़ोपाल का हाथ अभी भी माँ की बुर पर था लेकिन साया के नीचे। बुर दिख नहीं रही थी।

मैंने अपना पजामा पहना और चंद्रकिशोर से कहा,”जब तक मैं वापस नहीं आता, तू इसी तरह मालकिन को दबाते रहना। दोनों चूचियों को भी खूब दबाना।”

मैं दरवाजा खोल कर बाहर आ गया और पल्ला खींच दिया। आस पास कोई भी नहीं था। मैं इधर उधर देखने लगा और अन्दर का नजारा देखने का जगह ढूंढने लगा। जैसा हर घर में होता है, दरवाजे के बगल में एक खिड़की थी। उसके दोनों पल्ले बन्द थे। मैंने हलके से धक्का दिया और पल्ला खुल गया। बिस्तर साफ साफ दिख रहा था।

बिंदु ने चंद्रकिशोर से कुछ कहा तो वो शरमा कर गर्दन हिलाने लगा।बिंदु ने फिर कुछ कहा और चंद्रकिशोर सीधा बगल में खड़ा हो गया। बिंदु ने उसके लन्ड पर पैंट के ऊपर से सहलाया और ग़ोपाल झुक कर साया के ऊपर से बुर को मसलने लगा। एक दो मिनट तक लंड के ऊपर हाथ फेरने के बाद बिंदु ने पैंट के बटन खोल डाले और चंद्रकिशोर नंगा हो गया। बिंदु ने झट से उसका टनटनाया हुआ लंड पकड लिया और उसे दबाने लगी।

मां को मालूम था कि मैं जरुर देख रहा हूँ, उसने खिड़की के तरफ देखा। मुझसे नजर मिलते ही वो मुस्कुरा दी और लंड को दोनों हाथों से हिलाने लगी। चंद्रकिशोर का लंड देख कर वो खुश थी। उधर चंद्रकिशोर ने भी बुर के ऊपर से साया को हटा दिया था और मैंने भी पहली बार एक बुर देखी वो भी अपनी माँ की, जिसे मेरी आंखों के सामने एक लड़का मसल रहा था।

बिंदु ने कुछ कहा तो चंद्रकिशोर ने साया को बाहर निकाल दिया। वो पूरी नंगी थी। उसकी गठी हुई और लम्बी टांगें और जांघ बहुत मस्त लग रही थी। बुर पर बहुत छोटे छोटे बाल थे, शायद 6-7 दिन पहले झांट साफ किया था। बिंदु लंड की टोपी खोलने की कोशिश कर रही थी। उसने चंद्रकिशोर से फिर कुछ पूछा और चंद्रकिशोर ने ना में गर्दन हिलाई। शायद पूछा हो कि पहले किसी को चोदा है या नहीं। बिंदु ने चंद्रकिशोर को अपनी ओर खींचा और खूब जोर जोर से चूमने लगी और चूमते-चूमते उसे अपने ऊपर ले लिया।

अब मुझे बिंदु की बुर नहीं दिख रहा था। बिंदु ने हाथ नीचे की ओर बढ़ाया और अपने हाथ से लंड को बुर के छेद पर रखा। बिंदु ने चंद्रकिशोर से कुछ कहा और वो दोनों चूची पकड़ कर धीरे धीरे धक्का लगा कर चुदाई करने लगा।

चंद्रकिशोर अपने से 20 साल बड़ी गांव की सबसे मस्त और सुन्दर माल की चुदाई कर रहा था। मैं अपने लंड की हालत को भूल गया और उन दोनों की चुदाई देखने लगा। चंद्रकिशोर जोर जोर से धक्का मार रहा था और बिंदु भी चूतड़ उछाल उछाल अपने बेटे की उम्र के लड़के से चुदाई का मजा ले रही थी। यूँ तो चंद्रकिशोर के लिये चुदाई का पहला मौका था लेकिन वो पिछले साल से हर रात अपनी माँ को नंगी देखता था, बाप से चुदवाते।
मैं देखता रहा और चंद्रकिशोर जम कर मेरी माँ को चोदता रहा और करीब 15 मिनट के बाद वो माँ के ऊपर ढीला हो गया। मैं 2-3 मिनट तक बाहर खड़ा रहा और फिर दरवाजा खोल कर अन्दर आ गया। मुझे देखते ही चंद्रकिशोर हड़बड़ा कर नीचे उतरा और अपने हाथ से लंड को ढक लिया। लेकिन बिंदु ने उसका हाथ अलग किया और मेरे सामने चंद्रकिशोर के लंड को सहलाने लगी।

मां बिल्कुल नंगी थी। उसने दोनों टांगों को फैला रख्खा था और मुझे बुर का फांक साफ साफ दिख रहा था। लंड को सहलाते हुये बिंदु बोली,”बेटा, चंद्रकिशोर में बहुत दम है…मेरा सारा दर्द खत्म हो गया।” फिर उसने चंद्रकिशोर से पूछा,”क्यों, कैसा लगा..?”

मैं उसकी कमर के पास बैठ कर बुर को सहलाने लगा। बुर चंद्रकिशोर के रस से पूरी तरह से गीली हो गई थी।

“बेटा, साया से साफ कर दे।”

मैं साया लेकर बुर के अन्दर बाहर साफ करने लगा और उसने चंद्रकिशोर से कहा कि वो चंद्रकिशोर को बहुत पसन्द करती है और उसने चुदाई भी बहुत अच्छी की। उसने चंद्रकिशोर को धमकाया कि अगर वो किसी से भी इसके बारे में बात करेगा तो वो बड़े मालिक (मेरे बड़े काका) से बोल देगी और अगर चुप रहेगा तो हमेशा चंद्रकिशोर का लंड बुर में लेती रहेगी। चंद्रकिशोर ने कसम खाई कि वो किसी से कभी बिंदु मालकिन के बारे में कुछ नहीं कहेगा। बिंदु ने उसे चूमा और कपड़े पहन कर बाहर जाने को कहा।

ग़ोपाल बहुत खुश हुआ जब माँ ने उससे कहा कि वो जल्दी फिर उससे चुदवायेगी। मैंने चंद्रकिशोर से कहा कि वो आंगन जाकर अपना काम करे। चंद्रकिशोर के जाते ही मैंने दरवाजा अन्दर से बन्द किया और फटाफट नंगा हो गया। मेरा लन्ड चोदने के लिये बेकरार था। माँ ने मुझे नजदीक बुलाया और मेरा लन्ड पकड़ कर सहलाने लगी।

“हाय बेटा, तेरा लौड़ा तो बाप से भी लम्बा और मोटा है…, लेकिन अपनी माँ को मत चोद। तू घर की जिस किसी भी लड़की को चोदना चहता है, मैं चुदवा दूंगी.. लेकिन मादरचोद मत बन।”
मैंने अपना लंड अलग किया और माँ के ऊपर लेट गया। लंड को बुर के छेद से सटाया और जम कर धक्का मारा…

“आह्ह्ह्ह्ह……”

मैं माँ के कन्धों को पकड़ कर चोदने लगा।

“साली, अगर मुझे मालूम होता कि तू इतनी चुदासी है तो मैं तुझे 4-5 साल पहले ही चोद डालता, बेकार का हत्तू मार कर लौड़े को तकलीफ नहीं देता।” कहते हुये मैंने जम कर धक्का मारा.. “आअह्ह्ह्ह्ह्ह….मजा आआआअ ग…याआअ..”

मां ने कमर उठा कर नीचे से धक्का मारा और मेरा माथा पकड़ कर बोली,”बेटा, वो तो चंद्रकिशोर से चुदवाने के लालच में आज तेरे सामने नंगी हो गई, वरना कभी मुझे हाथ लगाता तो एक थप्पड़ लगा देती।

मैंने धक्का मारते मारते माँ को चूमा और चूची को मसला।

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“साली, सच बोल, चंद्रकिशोर के साथ चुदाई में मजा आया क्या?” मेरा लौड़ा अब आराम से अपनी जन्मभूमि में अन्दर-बाहर हो रहा था।

“सच बोलूं बेटा, पहले तो मैं भी घबरा रही थी कि मैं मुन्ना के उम्र के लड़के के सामने रन्डी जैसी नंगी हो गई हूँ लेकिन अगर वो नहीं चोद पाया तो !” माँ ने चंद्रकिशोर को याद कर चूतड़ उछाले और कहा,” चंद्रकिशोर ने खूब जम कर चोदा, लगा ही नहीं कि वो पहली बार चुदाई कर रहा है.. मैं तो खुश हो गई और अब फिर उससे चुदवाउंगी।”

“और मैं कैसा चोद रहा हूँ मेरी जान ?” मैंने उसके गालों को चूसते हुये पूछा।

“बेटा, तेरा लौड़ा भी मस्त है और तेरे में चंद्रकिशोर से ज्यादा दम भी है….मजा आ रहा है….”
और उसके बाद हम जम कर चुदाई करते रहे और आखिर में मेरे लंड ने माँ के बुर में पानी छोड़ दिया। हम दोनों हांफ रहे थे। कुछ देर के बाद जब ठण्डे हो गये तो हमने अपने कपड़े पहने और बिस्तर ठीक किया।
“बाप रे, सब पूछेंगे कि मैं इतनी देर कहा थी, तो क्या बोलूंगी…” माँ अब दो दो लंड खाने के बाद डर रही थी।
मैंने उसे बांहों में जकड़ कर कहा, “रानी, तुम डरो मत। मैं साथ हूँ ना… किसी को कभी पता नहीं चलेगा तुमने बेटे और नौकर से चुदवाया है।” मैंने माँ के गालों को चूमा और उससे खुशामद किया कि वो दो-ढाई घंटे के बाद फिर इस कमरे में आ जाये जिसमें से कि मैं उसे दुबारा चोद सकूँ

“एक बार में मन नहीं भरा क्या..?” उसने पूछा..

“नहीं साली, तुमको रात दिन चोदता रहूँगा फिर भी मन नहीं भरेगा… जरुर आना..”

“आउंगी..लेकिन एक शर्त पर…!” माँ ने मेरा हाथ अपनी चूची पर रखा।

“क्या शर्त?” मैंने चूची जोर से मसला…

“चंद्रकिशोर भी रहेगा ….” माँ फिर चंद्रकिशोर का लौड़ा चाहती थी।

“साली, तू चंद्रकिशोर की कुतिया बन गई है… ठीक है, इस बार मैं अपनी गोदी में लिटा कर चंद्रकिशोर से चुदवाउंगा।
“तो ठीक है, मैं आउंगी….”

आंगन के रास्ते में मैंने उससे पूछा कि वो पहले कितने लौड़े खा चुकी है.. तो उसने कहा कि बाद में बतायेगी।
आंगन में पहुंचते ही बड़ी काकी ने पूछा- माँ को लेकर कहां गया था। सब खाने के लिये इंतजार कर रहे हैं।
मैंने जबाब दिया कि मैं माँ को गाछी (फार्म हाउस) दिखाने ले गया था। फिर किसी ने कुछ नहीं पूछा।

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सासु माँ की धासु चुदाई की कहानी | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/rishto-me-chudai/sasu-ma-ki-dhasu-chudai-ki-kahani.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/rishto-me-chudai/sasu-ma-ki-dhasu-chudai-ki-kahani.html#respond Sat, 10 Feb 2018 15:33:56 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=11919 सासु माँ की धासु चुदाई की कहानी, मेरी बीवी और मेरी सास एक ही तरह दिखाती है दोनों की आज भी हॉट और सेक्सी है मैंने अपनी सास की कैसे चुदाई की ये इस कहानी में बताया गया है उनकी चुदाई करने में काफी मजा आया

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मेरे प्यारे दोस्त आज मैं आपको एक कहानी सुना रहा हु, जो की मेरे शादी के दिन की है, एक तांत्रिक की वजह से मैं अपने सास के साथ सुहागरात मनाया, पर अच्छा हुआ, इसके पहले मैंने कभी चूत का मज़ा नहीं लिया था और उस दिन ऐसा मौका आया की सुहागरात के दिन मैंने अपनी ही सास के साथ सेक्स किया. और दूसरे दिन मैंने अपने वाइफ का पर आप सच मानिये मेरे दोस्त मुझे सास को चोदने में बहुत मजा आया था, उसकी चूत आज भी टाइट थी. चूच उनका टाइट और गोल गोल है रंग गोरा लम्बी और होठ गुलाबी, चलती है तो चूतड़ ऐसे हिलता है की लंड महाराज भी खड़ा होके सलामी ठोकते नजर आते है.

मेरे ससुर जी का देहांत हुए 10 साल हो गया है, मेरी वाइफ सास ससुर की अकेली संतान है, धन दौलत की कोई कमी नहीं है, सासु माँ ने बड़े लाड प्यार से पाला, किसी चीज की कभी कोई कमी नहीं होने दी, मेरी वाइफ देखने में बड़ी ही खूबसूरत और मॉडर्न है, गोरी लम्बी सेक्स पार्ट तो मत पूछो यार, वो 24 साल की है, मेरी सास की उम्र 40 की है पर मेरी सास और वाइफ एक जैसी ही लगती है.

मेरी शादी हुयी कोर्ट मैरिज ग्रेटर नोएडा में, मैंने अपने माँ बाप से छुपा के शादी किया, क्योंकी मैं मीशा को पसंद करता था पर मेरे माँ पापा इसके लिए राजी नहीं थे. शादी हो गयी मैंने किराये के मकान में रहता था और मेरी सास को अपना वसंत कुञ्ज में फ्लैट है, मैं उनके यहाँ ही चला गया.

अब मैं असल कहानी पे आता हु, मैं रोज दूसरे की कहानी पढ़ा करता था पर मुझे आज लगा की मैं भी अपनी कहानी पोस्ट करूँ जो आपके सामने है, दिन में २ बजे के करीब कोर्ट में शादी हो गयी, फिर मंदिर में आके फेरे ले लिए, शादी बड़ी ही गुपचुप तरीके से ही हुयी थी, शाम को हम लोग एक फाइव स्टार होटल में खाना खाए और घर के लिए निकल पड़े, अचानक मेरी वाइफ का तबियत ख़राब हो गया, वो बेहोश हो गयी तुरंत उसको हॉस्पिटल ले गया, हॉस्पिटल पहुँचते पहुँचते वो बेहोश हो गयी, डॉक्टर ने बोला की ये बेहोशी करीब १२ घंटे तक रहेगा, आई सी यु में भर्ती करवा दिया, मेरी सास्सू माँ और मैं खुद बहुत बैचेन थे, डॉक्टर ने कहा की अब आप लोग नहीं मिल सकते है सुबह के आठ बजे तक, तो सासु माँ बोली बेटा घर ही चलो यहाँ तो रहने भी नहीं दे रहे है, मिल भी नहीं सकते घर वह से २०० मीटर की दुरी पर ही था तो हमलोग घर आ गए.

सासु माँ बोली की क्या हो गया है, आज तुम्हारे ज़िंदगी का सबसे ख़ुशी का दिन था, सुहागरात का पर होनी को कौन टाल सकता है बेटा और रोने लगी, मैंने चुप करने जैसे ही आगे बढ़ा वो मेरे में लिपट गयी और रोने लगी, मैं समझाता रहा पर वो रोये जा रही थी मैंने अपने सीने से चिपका लिया था, उनकी चूचियाँ मेरे सीने से चिपक के आधा बाहर निकल रहा था पीठ सहलाते सहलाते मेरा लंड खड़ा होने लगा, ये एहसास मेरे सास को भी हो गया था मुझे ठीक नहीं लग रहा था की पता नहीं ये क्या सोचेगी पर हुआ इसका उल्टा.

वो मेरे गाल को किश करने लगी फिर होठ को किश करने लगी, वो अपने चूत की जगह के मेरे लंड के पास सटा दी इससे मुझे और भी सिहरन होने लगी, फिर वो मेरे पीठ को सहलाने लगी, वो किश करते ही जा रही थी, मुझसे भी रहा नहीं गया और मैं भी उनको किश में शामिल हो गया, अब दोनों तरफ से किश और सहलाना सुरु हो गया, अचानक वो घूम गयी, उनका गांड मेरे लंड के पास आ गया मैंने उनके गांड में लंड सटा दिया, वो आगे से मेरे हाथ को पकड़ के चूच के पास ले गयी और, दबाने के लिए कहने लगी, मैंने चूच को दबाते दबाते उनके नाभि में ऊँगली घुसाने लगा, फिर मैंने साडी के ऊपर से ही चूत को सहलाने लगा.

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वो आअह आआह आआह आआह करने लगी, और बोली बेटा आज तो मीशा नहीं है बेटा आज तू मेरे साथ ही सुहागरात मना ले, वो मुझे हाथ पकड़ के बेड रूम में ले गयी, और मेरे कपडे उतार दिया और खुद लेट गयी मैंने उनके ब्लाउज का हुक खोला और ब्रा के ऊपर से ही चूच को दबाने लगा वो हाथ ऊपर कर दी कांख में काले काले बाल थे मैंने जीभ से कांख के बाल को चाटने लगा, फिर वो खुद ही ब्रा का हुक पीछे से खोल दी ओह्ह्ह्ह माय गॉड बड़ा बड़ा गोल गोल टाइट चूच हवा में लहराने लगे मैंने तो जोश में आ गया और उनके दोनों चूच को बारी बार से पिने लगा, आआह आआअह उफ्फ्फ्फ्फ़ पि ले बेटा पि ले, आआअह आआआह हाय वो इस तरह से आवाज निकाल रही थी.

मैंने सरक के निचे हो गया और जीभ उनके नाभि में डालने लगा वो सिहर रही थी कह रही थी और खिल खिला के हँस रही थी कह रही थी हटो ना प्लीज गुद गुदी हो रही है, मैं फिर सरक के निचे हो गया और पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया ओह्ह्ह्ह, ब्लैक कलर की पेंटी मैंने सूंघने लगा, वो फिर से खिलखिला के है रही थी, मैंने पेंटी उतार दी, वो अपने हाथ से चूत को छिपा ली, बोली मेरा गिफ्ट सुहागरात का, मैंने अपने वाइफ के लिए एक सोने का चेन ले गया था मैंने पहना दिया.

फिर मैंने उनका हाथ चूत से हटा के पैर को अलग अलग किया थोड़े थोड़े बाल थे, चूत को हाथ लगाया वो गरम था चिपचिपा हो चूका था, मैंने उनके चूत के चाटना सुरु किया, करीब ५ मिनट तक चाटा तो सास बोली मुझे और ना तड़पाओ मुझे भी तुम्हारा लंड अपने मुह में लेने है, पर मैं अभी उनके चूत को नहीं छोड़ सकता मुझे चाटना था मुझे काफी अच्छा लग रहा था, तभी मुझे याद आया की 69 पोजीशन जिसमे लंड पार्टनर के मुह में और चूत दूसरे पार्टनर में मुझ के पास बस मैं घूम गया मेरा लंड उनके मुह में था और मेरा मुह उनके चूत के पास बस दोनों एक दूसरे को चाटने लगे, इस विच एक गहरी सांस और अंगड़ाई लेते हुए मेरी सास झड़ गयी, तभी मेरी सास मेरे लंड जो जोर जोर से चूसने लगी और मैं भी झड़ गया पूरा वीर्य उनके मुझ में भर गया, वो पि गयी बोली काफी नमकीन है.

अब मेरी सास उठी और फ्रीज़ से अंगूर लायी दोनों मिलकर अंगूर खाने लगे, दोनों नंगे थे, एक दूसरे को पकड़ के लेटे रहे फिर धीरे धीरे सहलाना सुरु किया मेरा लंड महाराज खड़ा हो गया अब मैं अपने सास के दोनों पैर को उठाया और बीच में लंड को रखा और घुसेड़ दिया, सासु माँ की चीख निकल गयी, बोली धीरे धीरे किसी वर्जिन से कम नहीं हु, आराम से करो, फिर मैं कहा रुकने बाला और वो कहा रुकने बाली, वो गांड उठा उठा के और मैं ऊपर से धक्के पे धक्का देने लगा, वो आअह आअह आअह आअह उफ्फ्फ उफ्फ्फ्फ़ उफ्फ्फ आॉच आउच करने लगी, फिर क्या था मैं नव सीखिये और मेरी सास अनुभवी वो मुझे अलग अलग पोज में चुदवाने लगी, इस तरह से हम दोनों रात भर चुदाई करते रहे, अब मेरी बीवी भी घर आ गयी है, हम तीनो सुखी बैवाहिक जीवन बिता रहे है.

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पंडित द्वारा माँ और दीदी बनी वैश्य-2 | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/maa-beta/pandit-dwara-ma-or-didi-bani-vaishya-2.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/maa-beta/pandit-dwara-ma-or-didi-bani-vaishya-2.html#respond Sun, 04 Feb 2018 05:52:48 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=11873 पंडित द्वारा माँ और दीदी बनी वैश्य-2, मम्मी को मेरी अन्तर्वासना के बारे में पता चाल गया तो मैंने उन्हें सहला सहला के गरम कर लिया ताकि वो कुछ और बोल न सके फिर अगले दिन मैंने उनकी तारीफ करना शुरू कर दिया की आ अभी तो बहुत यंग हो फिर हम रात का इंतज़ार किसी और रात में हम दोनों एक अलग कमरे में झुपकर गए झा मेरा प्लान उन्हें चोदने का था जो की कुछ हद तक कम्यद रही क्योकि मैंने उनकी चुत को हाथ लगाया था

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पंडित द्वारा माँ और दीदी बनी वैश्य-1

फिर मैने मम्मी की साडी घुटनो तक उठायी, इसपर मम्मी ने आन्खे खोल दी और बोली, यह क्या कर रहे हो, मैने कहा मम्मी पन्डित्जी ने कहा है ऐसा करने के लिये, आप कहे तो रुक जाता हू, लेकिन मम्मी ने कहा कि नही, अगर पन्डितजीने कहा है तो करो, आखिर मोनाली के भविष्य का सवाल है. अब तो मुझे लायसन्स मिल गया फिर मैने मम्मी के पाव पे घुटनो तक तेल लगाने लगा, मम्मी ने अपनी आन्खे फिरसे बन्द की. अब धीरे धीरे उनके के चेहरे के भाव बदल रहे थे. उनका चेहरा हलका लाल होता जा रहा था,

शायद उन्हे भी इस क्रिया से मझा आ रहा था. अब मेरा भी साहस बढ गया और मैने हिम्मत करते हुए मम्मी की जान्घो पे साडी थोडी और उठानी चाही. मम्मी शरमा गयी और बोली ऐसा मत करो, मैने कहा मम्मी तेल कैसे लगाउन्गा तो उन्होने पूछा कि क्या पन्डितजी ने यहा भी तेल लगाने के लिये कहा है, मैने कहा हा ऐसेही कहा है, तो मम्मी बोली की साडी उपर मत करना. मैने कहा कि फिर तो साडी खराब हो जायेन्गी उसपर तेल के धब्बे दिखेन्गे. लेकिन मम्मी इस बार अपनी बात पे अडी रही, फिर मैने तेल अपने हाथोपे लिया और साडी के अन्दर हाथ डालकर जान्घो पे तेल लगाने लगा.

ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह क्या बताउ दोस्तो मम्मी की जान्घे इतनी कोमल और मुलायम थी, ऐसा लग रहा था जैसे फूलो पे हाथ घुमा रहा हू, अब मुझे इस मे और भी ज्यादा मझा आने लगा था, और मै चाहता था के मै इसे और लम्बा खीचू और मम्मी मुझसे उन्हे चोदने के लिये गिडगिडाये. मैने आस्तेसे मम्मी की जान्घोके उपर वाले हिस्सेपे तेल रगडना शुरु किया. मम्मी के मुह से आवाजे निकलने लगी, जैसे ही मै जान्घोके उपरी हिस्से मे पहुचा तो मेरे हाथ उस लकडी को लगने लगे जो पन्डितने उन्हे बान्धने के लिये दी थी, मै हल्केसे वो लकडी मम्मी की चुत की दिशा मे ढकेलता रहा. अब मम्मी मस्ती मे आयी थी, अपने दान्तो तले होठ दबा रही थी और आन्ख बन्द किये शायद मालिश का मझा ले रही थी. फिर मैने उनसे खडे होने को कहा, वो बोली क्यू तो मैने बताया कि पाव के पिछे के हिस्से मे भी तेल लगाना है, वो खडी हो गयी और मैने अपने घुटनो पे बैठ गया और तेल हाथ मे लेकर साडी मे हाथ घुसा के पाव के पिछले हिस्से मे उपर से नीचे तेल रगडने लगा. मम्मी बहुत अनकम्फरटेबल हो रही थी आन्ख बन्द करके खडी थी. मैने कई बार उनकी पॅन्टी की लाईन को छुआ, लेकिन जब जब मेरा हाथ उनकी गान्डके करीब आता वो सहम जाती.

अब मै खडा हो गया और मम्मी क हाथ अपने हाथ मे लेकर तेल लगाने लगा. ब्लाउझ के चलते पूरे हाथ मे लगाना मुश्किल था, मैने मम्मी से कहा के ऐसे कपडो के साथ मे तेल लगा नही पाउन्गा, और वैसे भी नीचे का हिस्सा रह गया है. मम्मी एकदम से चौन्क गयी, उनकी आन्खोमे कई सवाल थे पर वो कह नही पा रही थी. मैने उनसे कहा मम्मी अब थोडी देर मे रोशनी हो जायेगी और फिर लोगोकी भीड भी बढ जायेगी तो बेहतर यही होगा कि आप साडी ब्लाउझ उतारकर पेटिकोट पहन लो, ऐस पन्डितजी ने खुद कहा है. वो करना तो नही चाहती पर पन्डितके प्रति विश्वास की वजह से वो चुप थी. वो साईड मे जा कर सारे कपडे उतार के आ गयी. मम्मी का वो रूप देखकर मुझे लगा कि कोई स्वर्ग की अप्सरा धरतीपे उतर आयी हो मम्मीने सफेद कलर का पेटिकोट पहना था और उनके बाल खुले थे, चेहरेपे शर्म की लाली थी. मै मम्मी के पिछे खडा हुआ और उनके बालोमे तेल लगाया.

सर रगडतेही मम्मी की आन्खे मून्दने लगी, इस मौके का फायदा उठाकर मैने तेल उनकी कन्धोपे लगाया, गजब की मखमली स्किन थी, नर्म रजाई जैसी, कन्धोपे लगाते लगाते मैने उनके बूब्सके उपरी हिस्सोमे तेल लगाया. उनके बूब्स पेटिकोट मे समा नही पा रहे थे, और उभर के बाहर आने को बेताब थे. मैने तेल हाथ मे लेकर मम्मी की पीठ पे लगाने लगा, उनकी स्किन का स्पर्श एक दम सुखद था

मम्मी भी अब मेरे हाथ के स्पर्श का आनन्द ले रही थी, वो कुछ बोल तो नही रही थी पर उनका चेहरा लाल हो चुका था, अब बारी थी उनके प्रायव्हेट जगहोकी मुझे समझ नही आ रहा था कि कैसे आगे बढू. मैने उनसे कहा कि बाकी जगहोपे तेल लग गया है, मम्मी ने पूछ कही कुछ बाकी है क्या, तो मैने नौटन्की अन्दाज मे नजर नीचे घुमाकर कहा कि पन्डितजी ने तो पूरे बदन पे लगाने के लिये कहा था लेकिन मेरे हिसाब से अब मुझे रुकना चाहिये. मम्मी सोच मे पड गयी एक तरफ थी उनकी उस पन्डितके प्रति श्रद्धा और दूसरी तरफ अपने जवान बेटे के सामने नग्न हो कर उससे अपने शरीर की मालिश कराना. उन्होने मुझे फिर पूछा कि क्या पन्डितने सचमुच सब जगह लगाने के लिये बोला है.

मैने झट से कहा कि हा वाकई सब जगह पे, आप चाहती हो तो मै उन्हे बुलाकर आपके तसल्ली कर दू और ऐसा कहकर मैने निकलने का अभिनय किया. मम्मी घबडा गयी, वो नही चाहती थी वो पन्डित उसे इस अवस्था मे देखे. कुछ पल ऐसे उधेड-बुन मे बिताने के बाद मम्मीने एक तरकीब सोची. उन्होने कहा कि मै तेरे सामने अपने कपडे तो नही निकाल सकती, तुम एक काम करो, अपनी आन्खोपे कपडा बान्ध लो. मै थोडा नाराज हो गया क्योन्की मै इस काम का आराम से मझा लेना चाहता था, लेकिन यह भी जानता था की देर करनेपर लोग आना शुरु हो जायेन्गे और मेरा काम बिगड जायेगा. मैने कुछ बोले बिना अपनी आन्खो पे पटटी बान्धी और अपने हाथ मे तेल लेकर मम्मी के पेटिकोट मे उपर से हाथ डाला, जैसे ही मेरा हाथ मम्मी के बूब्स को छुआ हम दोनो के शरीर कान्प गये, मै ऐसे ही कुछ पल खडा रहा और उस अजीब महोल मे मम्मी के भरेपूरे वक्षो को रगडने का आनन्द लेने लग. जैसे ही मेरा हाथ उनके एक निपल पर आया……….उफ्फ्फ्फ…….ऐसा लग रहा था जैसे मै हवा मे सैर कर रहा हू.

मै जोरसे दबाना तो चाहता था लेकिन मन ही मन जानता था कि ऐसा करने से बना बनाया काम बिगड सकता था इसलिये मैने सिर्फ उपर उपर से हाथ घुमाया. मम्मी का निपल मेरी हथेली के नीचे सख्त होता हुआ मै महसूस कर रहा था, मै उनके बूब्स देख तो नही सकता था लेकिन उनके बूब्स के स्पर्श से अन्दाजा लगा सकता था कि उनके बूब्स काफी कठोर थे, ढीले नही पडे थे. और उनका साईझ काफी बडा था, मै सब कुछ भुलाकर उनके दोनो मम्मोपर तेल लगा रहा था. मम्मी को कैसा लग रहा था इसका अन्दाजा लगाना मुश्किल था क्योन्की मै उनका चेहरा तो नही देख सकता था, उन्होने कोई आवाज भी नही की लेकिन मेरे स्पर्श से थोडी कसमसायी जरूर थी. एक एक करके मैने मम्मी के दोनो बूब्स पे तेल लगाया और अपना हाथ वहा से निकाल लिया, शायद मम्मी अपने बूब्स मुझसे और थोडा दबाना चाहती थी लेकिन उनकी तरफ से कोई आवाज नही आयी, फिर मैने मम्मी को खडा किया और उनके पेटिकोट के अन्दर हाथ डाल दिया और सीधा उनके गदराई गान्ड पे रख दिया, क्या बताउ, मेरे अन्दाज़ से भी उनकी गान्ड बडी और टाईट और सुडौल थी, मेर हाथ लगते ही मम्मी का बॅलन्स बिगड गया, शायद उनको भी अब इन्ही हरकतोसे मजा आ रहा था, और वो कुछ ना कहते हुए मेरे मसाज का आनन्द ले रही थी.

पहले तो मैने उनके गोल मटोल चुतडोपे बारी बारी तेल लगाया, एक अजीब से हलचल हो रही थी मन मे, और मेरा लन्ड एक दम तना हुआ था, मैने उनकी गान्ड की दरार मे तेल लगाया और वहा से हाथ हटा लिया, फिर मैने हाथ मे तेल लिया और वो काम करने के लिये बढ गया जिसे मुझे कुछ दिन पहले करने का ना कोई इरादा न मनशा, पर आज मेरी सबसे बडी चाहत वो चीज बन चुकी थी. यह सब सोच कर मेरा लन्ड मेरे वस्त्रसे बाहर आनेकी कोशिश कर रहा था जैसे ही मैने मम्मी के पेटिकोट मे हाथ अन्दर डाला, मम्मी की मुह से एक लम्बी सास मुझे सुनाई दी, शायद वो भी जान चुकी थी कि आगे क्या होना है, मैने जैसे ही अपना हाथ मम्मी की चूत के करीब लाया तो मुझे अपने हाथ मे गरमी महसूस हुई, शायद मम्मी भी उत्तेजित हो गयी होगी.

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जब मैने उनकी चूत पे हाथ रखा तो हक्का बक्का रह गया, उनकी चूत भटटी की तरह गरम थी और गीली भी थी, चूत के उपर वाले हिस्से मे वो पन्डितवाली लकडी हाथ को लग रही थी. मम्मी शायद मेरे स्पर्श और उस लकडी की वजह से उत्तेजित हो चुकी थी, उनके चूत एकदम गदराई थी और उनके बाहर वाले होट फूले फूले से लग रहे थे. मैने जैसेही उनकी चूत पे हाथ रखा तो मम्मी एकदम झेन्प गयी और मेरे हाथ को अपनी टान्गोसे हलकेसे दबा लिया. मम्मी की चूत एकदम चिकनी थी, एक भी बाल नही था, इसका मतलब मम्मी भी एक मॉडर्न औरत की तरह सब साज-शृन्गार करती थी बस बाहरसे वो एकदम सीदी साधी लगती थी. मुझे लग रहा था कि कुछ पल वक्त यही रुक जाये, मेरी मम्मी मेरा हाथ उनके टान्गोके बीच दबाये रखे और मै उनकी मस्तानी चूत सहलाता रहू. खैर कुछ देर बाद मैने मम्मी की चूत से हाथ हटा लिया मम्मी को भी होश आया और उन्होने मेरी आन्ख की पटटी खोल दी और खुद घाट की तरफ चल पडी.

मै मम्मी के पीछे चुपचाप चल पडा, हम दोनो एक अजीबसे नशेमे थे. गन्गा मे उतरने के बाद मैने नहाने मे उनकी मदद की, लेकिन मैने जान बुझ कर उन्हे ज्यादा छुआ नही, अब आजूबाजू मे काफी लोग भी आये थे. मम्मी भी झट्से नहा कर निकली और तैय्यार हो गयी. कुछ देर बाद पन्डित आ गया, मैने उसे आन्खसे इशारा करके बता दिया की जो हुआ सो अच्छा था. मम्मी थोडी दूर जानेपर मैने उसे साफ बता दिया की यह आयडिया तो अच्छा था लेकिन अब थोडा और आगे बढाओ. पन्डित ने कहा की अभी नही थोडा सब्र करो, उसने मम्मी को पूजा-स्थान पे बिठाया और कोई किताब खोल कर मन्त्र जाप करने लगे, करीबन आधे घन्टे तक वो मन्त्र जाप कर रहे थे, फिर उन्होने मम्मी से कहा कि मुझे लगता है जिस निष्ठा से तुम यह पूजा कर रही हो उससे लगता है कि हमारे जाने से पहले ही आपका सन्कल्प पुरा हो जायेगा. मम्मी यह सुनकर बहुत खुश हुई और कहने लगी की पन्डितजी आप जो विधि है वो करवा लो अगर मोनाली की शादी हो जाये तो हम समझेन्गे भग्वान हम पे सच मे प्रसन्न हो गये है

मन ही मन हसी आ रही थी क्योन्की मै जानता था कि पन्डित ने पहले से ही मोनाली दीदी के लिये रिश्ता तय कर चुका था, मम्मी का भोलेपन का वैसे तो मुझे गुस्सा आता था, लेकिन मुझे आज उसकी मासूमियत बहुत सेक्सी लग रही थी. पन्डितने हमे आश्रम जाने के लिये कहा और कहा कि बाकी के विधी दीदी पर होने है. उसने यह भी बताया कि उन्होने एक रूम पूजा विधी के लिये ले लिया है. इसका मतलब था कि मेरा काम होनेवाला था, मै खुश हुआ और मम्मी के सुन्दर बदन के सपने देखने लगा. हम आश्रम आ गये, दीदी हमारे रूम मै सोयी थी. फिर हम दोनो मा-बेटे हमारे रूमसे उस पूजावाले रूम मे पहुचे. पन्डितने मेरे आने के बाद कमरा बन्द किया और मुझे और मम्मी को एक आसन पे बिठा दिया और मुझे मम्मी का हाथ अपने हाथ मे लेकर ध्यान करने को कहा. वो खुद भी मन्त्र जाप शुरु कर दिया, मुझे मम्मी का मुलायम हाथ मेरे हाथ मे लेकर अजीबसी उतेजना हो रही थी. कुछ देर बाद पन्डित ने बताय कि और कठिन विधी करनी होगी, मेरी मम्मीसे वो बोले कि मै वो विधी तुम्हारे सुपुत्र को समझा दून्गा, मेरी उपस्थिती मे आपको वो विधी करनी ठीक नही लगेगा, मै उसे सारी बाते समझा दून्गा लेकिन आपको वैसेही करना है जैसा बतयाअ गया हो वर्ना विधी का फल नही मिलेगा. फिर वो उस रूम के बाहर आया और मुझे समझाने लगा, उसने मुझे चन्दन का लेप दिया और एक चोला दिया और मेरे लिये एक धोती दी. उसने कहा आगे तुम देख लो इससे ज्यादा मै कुछ नही कर सकता.

मैने एक कमरे का बन्दोबस्त किया है और यहा तुम दोनोके सिवा कोई नही आयेगा, अब तुम्हे पूरा मैदान खाली छोडा है, जाके अच्छी बॅटिन्ग करो. ऐसा कहकर वो वहा से खिसक गया. मै अन्दर गया और कमरा अन्दरसे बन्द किया और मम्मी से कहा कि आपको यह चोला पहनना है. उन्होने चिन्तित स्वर मे पूछा की बेटा अब क्या करना है, मैने कहा कि पन्डितजी यह लेप दे गये है इसे आपके शरीर पे लगाना है. वो थोडी सन्देह मे थी वो बोली ऐसेही तो लगाया जा सकता है, मैने उन्हे पन्डितकी बात बतायी कि यह वस्त्र पहनकर ही लगाना है, यह पूजा के स्पेशल वस्त्र है और लगाने की भी विधी है. उन्होने पूछा कैसी विधी, तो मैने कहा कि वो बतानी नही है, गुप्त विधी है, बस करके दिखानी है. मम्मी उस कमरे के साथवाले बाथरूम मे जाकर चोला पहनने लगी, मैने भी अब अपनी पॅन्ट शर्ट खोल कर वो धोती पहन ली. मम्मी जब बाहर आयी तो वो चौन्क गयी, पूछने लगी कि तुमने अपने कपडे क्यू निकाल लिये, मैने कहा यह धोती पहन के विधी करनी है, मम्मी मुह बनाके वही खडी रही. मै कुछ समझा नही कि वो ऐसा क्यू कर रही है, लेकिन जब मेरा ध्यान मम्मी के कपडो पे पडा तो मै दन्ग रह गया, दरसल वो चोला बहुत ही छोटा था,और नीचे का हिस्सा एक ढीले स्कर्ट जैसा था जो मुश्किलसे उनकी घुटनोतक ही आ रहा था, मम्मी की केले जैसी गोरी चिकनी जान्घे साफ दिख रही थी.

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ब्लाउझ इतना छोटा था कि मम्मी के विशाल स्तन उसमे समा भी नही रहे थे, छाती पूरी ढकी थी बस, वैसे तो उनकी ८०% बूब्स इतने उभरकर आये थे मानो नन्गेही हो. उपर से वो ब्लाउझ इतना ढीला था और उसका गला बडा था. . उसकी स्लीव्स ढीली होनेकी वजह से मम्मी की साफ सुथरी बगल का हिस्सा दिख रहा था जो एकदम सेक्सी लग रहा था. सिर्फ उनकी बगलही नही बल्कि मम्मी पूरी की पूरी इतनी सेक्सी लग रही थी कि मेरा मन कर रहा था कि उन्हे उसी वक्त लिटा कर…………खैर, मैने अपने आप पर काबू पाया, धोतीमे खडे लन्ड को मम्मीके विरुद्ध दिशा मे घूमकर अ*ॅडजस्ट किया. मुझे नही पता था कि क्या यह मेरा वहम है या और कुछ लेकिन मम्मी के चोलेसे उनके निपल्स साफ दिखाई दे रहे थे, क्या मम्मी भी उत्तेजित हुई थी यह मै नही जानता था. मुझे अब किसी तरीकेसे उनको मेरी आगोशमे लाना था.

मैने कुछ सोचकर उनको मेरे सामने बिठाया. जैसे ही मम्मी बैठ गयी मै उनके सामने घुटनोपे बैठा और उनके चेहरे पे लेप लगाने लगा, पहले मै उनके माथे पे लगाया और फिर गले पे, फिर उनकी लम्बी और सुराईदार गर्दन पे, उनके गोरे गोरे और कोमल गालोपे लगाया. उन मक्खन जैसे गालोको सहलाते हे मै जन्नत का मझा ले रहा था. उन्होने कहा कि अगर गाल पे लगाना था तो गर्दनसे पहले लगाते, मैने कहा जैसे पन्डितजी ने कहा मै तो वैसेही कर रहा हू. मैने डर डर के मम्मी से कहा, मम्मी एक बात कहू, वो बोली क्या, तो मैने शरमाते हुए कहा कि आपके गाल बहुत मुलायम है, और आपके चेहरे की स्किन बहुत स्मूथ है, मम्मी शर्मसे लाल हो गयी, बोली, धत ऐसे नही कहते और चुप हो गयी. मै जान गया कि उन्हे यह सब अच्छा लग रहा है. मै उठके मम्मी के पिछे जाके बैठ गया, मम्मी का स्कर्ट नीचे खिसक गया था और उनके गान्ड की लकीर दिख रही थी, मेरा लन्ड धोती मे बेकाबू हो चला था, मैने उसे अ*ॅदजस्ट किया. फिर मम्मी का ब्लाउझ थोडा उपर किया, ढीला होने की वजह से वो आराम से उपर आ गया. मम्मी ने कापते हुए आवाज मे कहा क्या कर रहे हो, मैने कहा जैसा पन्डितजी ने बताया है वैसा ही कर रहा हू, मुझे आपकी पीठ पर शुभचिन्ह बनाना है.

मम्मी थोडी झल्ला गयी कि ऐसी विधी मैने ना देखी थी और न ही कभी सुनी थी, पता नही पन्डितजी मोनाली का दोश हटाने के लिये क्या क्या करवायेन्गे, मैने भी उनकी हा मे हा मिला दी, मन ही मन मै सोच रहा था कि यह साजिश तो हम दोनो ने रचाई है. लेकिन शायद मम्मी को यह सब उत्तेजित भी कर रहा था, क्योन्कि वोह यह सब दिखाने के लिये कह रही थी अन्दरसे वो भी शायद मेरे हाथोका स्पर्श चाहती थी. और ऐसा नही होता तो उसने ऐसे विधी के लिये कब का मना कर दिया होता. जैसे ही मैने मम्मी की लगभग पूरी नन्गी पीठ को छुआ मेरे शरीर मे बिजली दौड गयी, मेरी रगो मे खून दुगनी रफ़्तार से बहने लगा. मम्मी का भी शायद यही हाल था, उनकी पीठ एकदम चिकनी थी बिलकुल गोरी, उसपर कोई निशान नही था. मैने साहस करके शरारत करने की सोची और मम्मी से कहा, मम्मी एक बात कहू, वो बोली अब क्या है. मैने कहा मम्मी आपकी पीठ फ़िसलपटटी जैसी है, वो हसने लगी और पूछने लगी क्यू, मैने कहा हाथ रुकता ही नही फिसल जाता है. फिर मम्मीने कहा कि अब बस बहुत तारीफ कर ली. मैने कहा सचमुच मम्मी इस आश्रम के इस माहौल मे इन कपडो मे इस पूजा-पाठ की विधी मे आप सच मे कोई अप्सरा जैसी लग रही हो. मुझे मेरे साहस पे खुद भी विश्वास नही हो रहा था कि मैने यह कह दिया. लेकिन मम्मी तो सिर्फ हस पडी, कही, मै जानती हू मै क्या हू, एक औरत जो पूरी जवान भी नही और पूरी बुढढी भी नही.

मुझे यकीन हो गया कि अब मम्मी को भी इन शरारती बतो मे मजा आ रहा था, मैने कहा मम्मी आप क्या बात करती हो, जब आप और दीदी साथ साथ चलती हो तो लोग आप दोनो को बहने कहते है. मम्मीने मुडकर मेरी तरफ देखा और कहा सचमे तुझे ऐसा लगता है, मैने कहा हा मम्मी वाकई आप की उमर ज्यादा लगती नही. कोई भी औरत तारीफ से पिघल जाती है और मम्मी भी एक औरत ही थी, उनका खूबसूरत और गोरा चेहरा लाल हो गया, उन्होने यह बात पे जरा भी ध्यान नही दिया कि मै उन्हे बातो मे उलझाकर उनकी पीठ को बहुत समय से मसल रहा था. मैने शुभचिन्ह बना लिया और मम्मी को कहा कि आप लेट जाओ.

उन्होने पूछा कि अब क्या करना है. मैने कहा पन्डितजीने जो कहा मै वैसा ही कर रहा हू. जैसे ही मम्मी लेट गयी,मै उनकी जान्घो के करीब बैठ गया, वो मुझे टुकुर टुकुर देख रही थी मगर कुछ बोल नही रही थी. मैने हाथोपे लेप लिया और उनकी जाघो पे लगाने के लिये आगे बढा, मेरा हाथ उत्तेजना की वजह से कान्प रहा था, और मुझे यकीन नही हो रहा था कि मै यह सब अपने हाथो से कर रहा हू और वो भी मम्मी की अनुमति से खैर जैसे ही मैने अपना हाथ मम्मी की जान्घो पे रखा, मेरा शरीर ठन्डा पड गया,

मम्मी की जान्घे मुलायम और गरम थी शायद वो भी मेरी तरह उत्त्तेजित हो चुकी थी, वो अपनी आन्ख बन्द कर धीरे धीरे आहे भर रही थी, वो आवाज मुझे बडी सेक्सी लग रही थी, उनकी सासे भी तेज हो गयी थी. उनकी तरफसे कोई विरोध नही था यह देखकर मैने सुकूनसे फिर उनके पाव से लेकर जान्घो तक लेप लगाया. सुबह किये हुई तेल मालिश की वजह से उनकी टान्गे और भी चिकनी हो चुकी थी. मैने लेप लगाते लगाते मम्मी से हिम्मत करके पूछा, मम्मी आप अपनी टान्गोपे क्या लगाती हो, उन्होने आन्खे खोल कर मेरी ओर देखा और पूछ क्यू, मैने कहा मुझे नही पता था के इतनी भी मुलायम स्किन किसी की हो सकती है. तो मम्मी हस के बोली तुम पागल हो, मैने फिर जिद की के बताओ ना क्या लगाती हो, वो बोली कुछ खास नही हमेशा तेल मालिश करती हू, लेकिन आज मेरे लाडले बेटेने मसाज किया है इसलिये स्किन और भी नरम हो गयी होगी, चल अब जल्दी खतम कर इस विधी को, जैसे ही मैने स्कर्ट के अन्दर हाथ डाला तभी दरवाजेपर किसीने खटखटाया. साला कौन आ गया इस वक्त यह सोचकर मै दरवाजेकी ओर बढा, मम्मी के शकल पर भी नाराजी झलक रही थी, वो उठकर बाथरूम मे चली गयी कि कोई उसे इस हालत मे न देखे. मुझे बडा गुस्सा आया, झट्से दरवाजा खोला तो देख पन्डित लौट आया था, मै गुस्सेमे फुसफुसाया कि क्या है, मैने क्या कहा था तो वो कहने लगा कि मोनालीदीदी जाग गयी है और कबसे पूछ रही है वो यहा आ जाती तो सब गडबड हो जाता और काम बिगड जाता. फिर मम्मी नहा के चेन्ज कर के आ गयी और हम दोनो हमारी रूम मे चले गये.

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जाते जाते मैने पन्डितको एक कोने मे ले जा कर दुबारा धमकाया अब पूजा मे सिर्फ २ दिन बचे है, वो अगर मेरा काम नही करेगा तो मै भी उसे किया हुआ वादा भूल जाउन्गा और फिर तुम्हारा जो अन्जाम होगा वो तो तुम्हे पता है. पन्डित डर गया और मुझसे बिनती करने लगा कि प्लीज मुझे थोडा समय दे दो, आज रात को किसी भी हालत मे मै तुम्हारा यह काम करून्गा, अब तुम जाके सो जाओ, रात को तुम्हे जागना है. दोपहर मे पन्डित मम्मी और दीदी से कुछ ना कुछ पूजा और विधी करवाता रहा. शाम को मम्मी वापस रूम मे लौटी तो बहुत थकी हुई थी, वो झट्से सो गयी. दीदी सुबह सो चुकी थी तो अब वो फ्रेश थी, वो चाहती थी कि मै उसे शहर घुमाने ले जाऊ या कुछ और टाईमपास करू लेकिन मेरा सारा ध्यान रात की प्लान पे था. मै नही चाहता था कि दीदी रात को जागे और मेरा खेल बिगाड दे. मै शाम को ३-४ घन्टे सो कर उठा था, वैसे मै उन्हे घूमने ले जा सकता था लेकिन मैने ऐसा कुछ नही किया.

दीदी यूही आश्रम मे इधर उधर टहलके वापस आयी. रात को ८ बजे पन्डित रूम मे आये और कहने लगे के शादी के रिश्ते की बात आयी है, देखो अगर सब कुछ ठिक चला तो रिश्ता पक्का हो जायेगा. मम्मी अभी सो के उठी थी, यह बात सुनकर वो बहुत खुश हुई और पन्डित को धन्यवाद देने लगी. पन्डितने बडी विनम्रता से कहा मेरा कुछ नही यह सब तो आपकी पूजा क असर है, फिर उन्होने कहा के आज रात की विधि १० बजे शुरु होगी, और उन्होने कहा मम्मी से के आपके सुपुत्र और के अलावा और कोई नही हो सकता आपके साथ. दीदीने कहा मै भी चलती हू तो पन्डितने कहा ऐसा नही हो सकता, उन्होने मम्मीसे भी कहा मोनाली नही आ सकती, उसी मे तो दोश है. यह बात सुनकर मम्मी क्या कहती, उन्होने दीदीसे कहा कि तुम यही रहो, हम पूजा करके आयेन्गे, तुम सो जाना. दीदी मान गयी. हमलोग खाना खाने नीचे आ गये, पन्डितने मुझे बाजूमे ले जाकर सब समझा दिया यू समझो सारा मामला फिट्* कर दिया. मम्मी ने बीचमे उसे पूछा तो उसने बताया कि वो मुझे विधी ठीकसे समझा रहा है, फिर मम्मी क्या बोलती. खाना खाने के बाद हम रूम मे आ गये, कुछ देर बाद पन्डित आया और पूजा के लिये चलने को कहा. हम भी तैयार थे खास करके मै तो बहुत उतावला हो चुका था. मम्मीने दीदी से कहा कि तुम सो जाना और दरवाजा अन्दरसे लगा लेना, हम जब भी आयेन्गे तुम्हे जगा लेन्गे. दीदीने दोपहर मे आराम नही किया था जो मैने किया था, इसलिये उसे भी नीन्द आ रही थी. उसने सोने की तैयारी कर दी. उसे वहा छोड कर हम दूसरे कमरे मे दाखिल हो गये.

पन्डितने वहा जाते ही हमे कुछ देर पूजा के स्थान पर बिठाया और मन्त्र जाप करने लगा. यह नाटक कुछ समय चलने के बाद मैने उसे आन्खोसे इशारा किया कि अब बहुत हो चुका, चलो अपना काम निपटाओ. तुरन्त उसने अपना कारोबार खतम किया, जाते वक्त मम्मीसे बोला कि बाकी की विधी मै आपके सुपुत्र को समझा के चलून्गा और सुबह ५ बजे आउन्गा.

मुझे वो बाहर ले गया और कहने लगा अब सब तुम्हारे हाथ मे है, मैने कुछ अलगसे वस्त्र रखे है वोही पहनाना, तुम्हारा काम आसान हो जायेगा. मात्र ५ बजे तक का वक्*त है तुम्हारे पास, उसके बाद तो बाकीके लोग जाग जाते है और अपनी अपनी पूजा के लिये निकल पडते है, उस टाईम तुम्हे इस कमरे मे रहना ठीक नही होगा. बस अपना वादा याद रखना, मेरे नाम पे अपने शहर मे कोई धब्बा नही लगना चाहिये. मै समझ गया कि इससे ज्यादा कुछ करना उसके लिये सम्भव नही होगा. अब सचमुच सबकुछ मेरे हाथमे था अगर मै इस रात को कामयाब नही होता तो फिर ऐसा सुनहरा मौका कभी नही आता.

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मेरे परिवार मे 4 लोग है, मै, मेरी बडी बहन मोनाली उनकी उम्र 24 साल है, मेरी मम्मी उषा उनकी उम्र 43 और पापा बलवंत उनकी 47 साल है, और मै 20 साल का हू. हम एक मिडलक्लास परिवार वैसे पैसे की कोई तकलीफ़ नही थी, पापा सरकारी नौकर थे, अच्छी तनखा थी उनकी यह कहानी कुछ महिने पहले की है, मेरी दीदी 23 की हो चुकि थि,उन्होने डिग्री कर ली और वो घर का सब काम जानती थी, बहुत ही सुन्दर और सुशील थी, पर उनकी शादी नही हो पा रही थी क्योकी वो मान्गलिक थी और उनकी जनमपत्री मे भी कुछ दोष था. उनकी शादी ना होने से मम्मी पापा बहुत परेशान थे.

पापा सरकारी नौकर होनेकी वजह से उन्हे काम के सिलसिले मे अक्सर बाहर रहना पडता था, पर १ या २ दिन से ज्यादा नही. एक दिन मै घर पर आया तो मम्मी पापा आपस मे हमेशा की तरह दीदी की शादी की बात कर रहे थे, फिर हमारा पन्डित आया जो दीदी के लिये रिश्ता ढून्ढने मे मदद कर रहा था. उसने बताया के दीदी की जनमपत्री का दोष हटाने के लिये हरिद्वार मे गन्गा किनारे पूजा करनी होगी और उनकी शुद्धि करनी होगी तब कोई मान्गलिक लडका दीदी के लिये ढून्ढ कर उनकी शादी करायी जा सकती है.

मुझे ये सब बाते ठीक नही लगती थी और मै इनमे ज्यादा विश्वास भी नही रखता था. मुझे तो उस पन्डित पर भी विश्वास नही था, लेकिन मम्मी और पापा उसपर बहुत भरोसा रखते थे, असल मे वो दोनो इतने परेशान थे के वो शादी के लिये कुछ भी करने के लिये तैयार थे, पन्डित की बाते सुन कर वो खुश हुए और उस पूजा के लिये फ़ौरन राजी हो गये. पन्डित ने बताया की यह पूजा ७ दिन तक चलेगी और यजमान-मतलब मेरे पिता का-उपस्थित होना जरूरी है. पापा फिर नाराज हो गये के उन्हे २-३ दिन से ज्यादा छुटी नही मिलेगी, फिर ये तय हुआ के मै दीदी, मम्मी और पन्डित जायेन्गे, पापा ने हमारा रिझर्वेशन भी करा दिया.

हमने सारी तैयारी कर ली और निर्धारित समय पे स्टेशन पहुच गये, ट्रेन शाम के 6 बजे चलनी थी और सुबह ९ बजे हरिद्वार पहुचती थी. पन्डित वही स्टेशनपे आ गया था, फिर पापा ने हमे अपने डिब्बे मे बिठाया और चले गये, जाते वक्त उन्होने मुझे कुछ पैसे दिये और कहा की मा और दीदी का खयाल रखना. जब ट्रेन चली तो हम अपने अपने स्थान पे बैठ गये और बाते करने लगे, हमारे डिब्बे मे १ कपल और था, वोह खिडकी वली सीट पे आमने सामने बैठे थे और वोह अपनीही बतो मे बिझी थे, मम्मी और दीदी और वो औरत एक साईड मे थे और मै और पन्डित और वो तीसरा आदमी एक साईड मे थे. मै मम्मी के सामने था, बातो बातो मे मैने देखा की पन्डित मम्मी की तरफ़ कुछ ज्यादा ही देख रहे थे, मुझे बडा अनकम्फरटेबल फ़ील हो रहा था और शायद मम्मी को भी. साला पन्डित कभी मम्मी के बडे बडे बूब्स की ओर देखता तो कभी उसकी जान्घो की ओर, और जब भी मम्मी किसी काम से खडी होती तो वोह उनकी कमर और उनके कूल्हो को देख रहा था.

मुझे बडा गुस्सा आ रहा था पर मैने अपने आप पे काबू बनाये रखा, कुछ समय बाद जब भी वो मम्मी की तरफ़ देखता तो मै भी देखता के वो कहा देख रहा है, इसके चलते मै भी न जाने कब मम्मी के खूबसुरत बदन को देखने लगा, मैने देखा की मम्मी के स्तन बडे विशाल और सख्त लग रहे थे, ब्लाउझ मे कस के बन्धे हुए थे, उनके हिप्स भी बडे और गोल थे, उनका पेट थोडा सा ही फूला था, उनकी स्किन गोरी थी, मम्मीने अपने जिस्म का अच्छा खयाल रखा था. उनके चेहरेपर गोल बडी लाल बिन्दी खूब सज रही थी, मेरी मम्मी अब मुझे भी बहुत खूबसूरत और सेक्सी लगने लगी. साला इस पन्डित ने मेरा मम्मी की तरफ़ देखने का नजरियाही बदल दिया था.

रात हमने खाना खाया और सोने की तैयारी करने लगे, मै और पन्डित सबसे उपर की बर्थ पे सोये, मम्मी और दीदी बीच की बर्थ पे और वो कपल नीचे वाली बर्थ पे सो गये. सुबह जब उठे तो देखा मम्मी और दीदी जागी हुई थी और पन्डित भी जागे हुए थे, वो कपल बीचमे ही कही उतर गया होगा, क्योन्कि दीदी और मम्मी विन्डो सीट पे बैठे थे, पन्डित मम्मी की तरफ़ ही देख रहा था और शायद मन ही मन मम्मी के शरीर को पाने की कामना कर रहा था. मम्मी ने ग्रीन कलर की साडी पहनी थी और उसी कलरका ब्लाउझ, मम्मी का शायद ध्यान नही था पर उनकी दायी चुची पूरी तरह से ब्लाउझके साईडसे दिख रही थी, वो शायद पल्लु कुछ ज्यादा ही चढ गया होगा, पन्डित तो उसे बस घूरते जा रहा था, मम्मी का स्तन काफ़ी बडा दिख रहा था और वो उनकी उमर की हिसाब से ढीला भी नही लग रहा था. ब्लाउझ का कपडा पतला होनेसे अन्दर की उनकी ब्रा थोडी दिख रही थी और उनके वक्ष का उभार मानो उस कपडेसे बाहर आनेकी राह देख रहा था.

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मम्मी की बगल के हिस्से मे आया पसीन यह सब और उजागर कर रहा था. मेरा लन्ड मेरी पॅन्ट मे फनफना उठा. कुछ ही देर मे हम हरिद्वार पहुच गये, हमने वहा एक आश्रम मे किसी से कह के बुकिन्ग करवा रखी थी. जब हम वहा पहुचे तो देखा वो एक बहोत बडा आश्रम है और रहने खाने पीने की अच्छी व्यवस्था थी, हमने २ कमरे लिये एक मे पन्डित और दूसरे मे हम तीनो, फिर पन्डित ने कहा के अभी आराम कर लो, और शाम ५.३० बजे गन्गा घाट जायेन्गे और पूजा का आरम्भ करेन्गे, हमने दोपहर को खाना खाया और फिर सो गये, ५ बजे मम्मी ने हमे जगाया और जल्दी तैयार होने को कहा, मे तुरन्त नहा के बाहर निकल गया, क्योन्कि मम्मी और दीदी को भी तैयार होना था, जब वो दोनो बाहर निकले तो दोनोने एक जैसी ही साडी पहन रखी थी, क्रीम कलर की गोल्डन बॉर्डरवाली, जैसे हम अक्सर पूजा मे पहनते है, वो दोनो बहोत सुन्दर लग रही थी. साला पन्डित पहले की तरह मम्मीको घूरते जा रहा था. मम्मी भी उनके इस बरताव से परेशान लग रही थी.

खैर हम घाट पे चले गये, वो उस आश्रम का निजी घाट था, आश्रम मे रहने वाले लोग सुकून से स्नान और पूजा कर सकते थे. पन्डित ने सारी तैयारी कर रखी थी, जैसे ही हम पहुच गये उसने मम्मी और दीदी को पूजा के स्थान पे बिठाया और मन्त्र जाप शुरु किया, मे वहा बैठे बैठे सब देख रहा था, मम्मी मेरे बिलकुल सामने बैठी हुई थी, मैने देखा की मम्मी वाकई बहुत सुन्दर और सेक्सी है, उनकी उमरकी कोई भी औरत इतनी सेक्सी मैने नही देखी थी. पूजा के इस साडी मे तो वो इतनी खूबसूरत दिख रही थी की दीदी उनसे जवान होने के बावजूद उनकी मुकाबला नही कर पा रही थी. कुछ देर बाद पूजा करने के बाद पन्डित ने कह की अब आपकी शुद्धि मन्त्रो से हो गयी है अब आप दोनो गन्गा मे ३ डुबकी लगाके आओ.

मम्मी हैरान हो गयी, उसने कहा की हमारे पास कपडे नही है, लेकिन पन्डितने कहा की अभी पूजा समाप्त नही हुई है, आपको स्नान करके फिरसे यहा आके बैठना है. मम्मी कुछ बोल नही पाई, वो चुपचाप पानी मे उतर गयी और डुबकिया लगाने लगी, जब वो बाहर आयी तब मुझे पन्डितकी चाल समझ मे आयी. मम्मी की सारी पूरी भीगने कि वजह से मम्मी और दीदी के शरीर का ज्यादातर हिस्सा साफ दिखाई दे रहा था, दीदी ने काले कलर की ब्रा पहनी थी और मम्मी ने सफ़ेद, मम्मी के बूब्स एक दम उभर के आ रहे थे, और गीले पानी की वजह से सारी शरीर से चिपक गयी थी, मम्मी का पूरा शेप दिख रहा था, बहुत ही मन मोहित करने वाला दृश्य था. मम्मी का पेट हल्का सा बाहर दिख रहा था, उनकी गान्ड बडी थी, जान्घे मोटी मोटी भरी हुई, दीदी की तरफ़ मैने इतना ध्यान नही दिया मेरी नजर मम्मी से हटतीही नही थी. पन्डितका तो हाल बुरा हो चुका था वो मम्मी को देख के कुछ ज्यादा ही उत्तेजित हो चुका था, घडी घडी अपना लन्ड धोती मे अ*ॅडजस्ट कर रहा था, मुझे उसपे गुस्सा तो बहोत आया पर मै कुछ नही बोला. रात करीबन ७.३० बजे हम वहा से चले पन्डित ने कहा खाना खाके जल्दी सो जाना, सुबह ६ बजे पूजा फिर से शुरु करनी है, और वो चला गया.
मैने मम्मी से कहा मै जरा बाहर घूम कर आता हू. आश्रम से बाहर निकला तो मैने देखा साला पन्डित शर्ट-पॅंन्ट पहने कही जा रहा था. मुझे कुछ अजीबसा लगा की ये शाम को आश्रम छोडकर कहा जा रहा है. मैने उसका पीछा करनेकी ठान ली, चुपकेसे मै भी उसके पीछे चलने लगा. थोडी देर चलने के बाद देखा तो पन्डित एक गन्दीसी दुकान मे घुस गया, मै हैरान हो गया वो तो एक देसी दारू की दुकान थी. ये पन्डित इसमे क्या कर रहा होगा, ये देखनेके लिये मै भी अन्दर दाखिल हुआ और भीड मे छुपकर पन्डितको देखने लगा, उसने एक क्वार्टर मन्गाकर गटागट आधी पी गया. मुझे इस कमीने पन्डितसे बहुत नफरत हो गई थी साला दिन मे पूजा-पाठ पढाता था और शाम होतेही उसके ये धन्दे शुरु हो जाते थे. पन्डितने आधी बोतल अपनी जेब मे रख दी और वो वहासे निकल पडा, मै पीछा करता जा रहा था. फिर पन्डित एक घर मे चला गया, वो बहुत पुराना सा घर था, मै अन्दर तो नही जा सकता था, लेकिन उस घर के पीछे जाकर देखा तो एक खिडकी का काच टूटा हुआ था,

मै अन्दर देखनेके लिये बेताब था, इसलिये बाजूमे पडे एक डिब्बे का सहारा लेकर मै खिडकीसे झाकने लगा. वैसे तो कमरा खाली दिख रहा था, एक टेबल और एक बिस्तर था, मुझे लगा मै शायद गलत कमरे मे देख रहा हू लेकिन कुछही पलोमे पन्डित एक अधेड उम्र की एक औरत को साथ ले आया, दिखनेमे साधारण सी थी लेकिन मेक-अप पर बडा जोर दिया था. चेहरे पर पावडर होटो पे लिपस्टिक वगैरा……मै दन्ग रह गया की भला ऐसी औरत के साथ ये पन्डित क्या कर रहा है. देखतेही देखते पन्डितने उसे अपनी बाहो मे भर के उसे चूमने लगा, चोलीके उपरसे उसके मम्मे दबाने लगा, कुछही पलोमे उसने वो औरत की चोली उसके सीनेसे हटा दी, उस औरत के बूब्स थे तो काफी बडे लेकिन ढीले ढीले लग रहे थे. कुछ देर यूही चुम्मा चाटी करने के बाद वो औरत बिस्तर पर लेट गयी और अपना घागरा कमरतक उठा लिया, उसने नीचे कच्छी नही पहनी थी सो उसकी काले झाटोवाली बुर साफ दिख रही थी, पन्डितने अपना पॅन्ट उतारा और अंडरवेअरसे अपना लन्ड निकाल के उसकी बुर मे घुसा दिया, मै भी ये सब देखकर बहुत उत्तेजित हुआ था, मेरा लन्ड भी मेरे पॅन्टमे सख्त हो गया. धीरे धीरे उनकी चुदई तेज होने लगी और पन्डित जोर जोर से धक्के लगाने लगे, फिर उन्होने और तेजी से चुदई शुरु की और कुछ देर बाद उनका शरीर अकड गया.

मै समझ गया के वो अब झडनेवाला है. और हुआ भी ऐसाही, कुछही पलोमे पन्डित हाफने लगा और वो औरत पर निढाल होकर गिर गया. वो औरत कुछ भी बोल नही रही थी, फिर पन्डित ने उठकर अपने कपडे पहने और वहा से निकलनेके पहले उसने उस औरत को कुछ रुपये दिये, तब मै समझ गया की वो औरत एक वेश्या थी, साला हरामी पन्डित, दिन मे बभूती लगाकर पूजा के मन्त्र बोलता था लेकिन रात को शराब पी कर रन्डीबाजी करता था.

मुझे उसपर गुस्सा भी आया और इस बात का बुरा भी लगा के मेरे मम्मी-पापा ऐसे गिरे हुए इन्सानपर भरोसा रखते थी. फिर पन्डित आश्रम आगये और उनके पीछे पीछे मै भी लौट आया, रात हो चुकी थी, हम सब ने खाना खाया, मम्मी और दीदी उपर हमारे कमरे मे चली गयी, मै इधर-उधर की टहल रहा था, पन्डितने मेरे साथ बात करने की कोशिश की लेकिन मैने टाल दिया. मै ये देखना चाहता था की कही वो कमीना हमारे कमरे के आसपास तो नही आता है, लेकिन वो एक बडेसे कमरेमे सोने चला गया जहा पर और भी लोग थे. तब मै अपने रूम मे सोने चला गया, आश्रम के रूम मे बेड नही था, जब मै रूम मे पहुचा तो देखा की दीदी दिवाल की साईड मे सो रही थी और मम्मी उनके पास. मेरा बिस्तर भी मम्मी के पास फर्शपरही|

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बिछाया था. मै चुपचाप सो गया, मम्मी और दीदी गहरी नीन्द मे थी, अब मेरे मन मे मम्मी के लिये अलग विचार आने लगे थे, बहोत कोशिश के बाद भी मै सो नही पय, एक पल मुझे मम्मी को छूने की सोची लेकिन डर के मारे आगे नही बढ पाया. फिर हिम्मत बढाकर मैने धीरे से मा के हाथ के उपर हाथ रखा, सच बताउ दोस्तो मुझे ऐसा लगा जैसे धडकन वही रुक गयी हई, फिर कुछ देर तक जब कोई हरकत नही हुई तो मै उनका हाथ सहलाने लगा, बहुत अच्छा लगने लगा था. जब मम्मी नही जागी तो मेरा साहस और भी बढ गया और मैने अपना हाथ उनके पेटपर रखा, ओहोहोहो…….कितना मुलायम था, मैने अपना हाथ काफ़ी देर तक हिलाया भी नही, अब कोई हरकत ना हुई तो मै उनका पेट सहलाने लगा, एकदम मख्खन जैसी नरम स्किन थी और नाभी काफी गहरी थी, मै उसमे अपनी उन्गली घुमा रहा था. ऐसा लग रहा थ के मै स्वर्ग मे आया हू, इसी मे मुझे नीन्द आ गयी. जगाया और तैय्यार होने को कहा, मै उठकर दात मान्जने लगा, दीदी नहाने चली गयी, उस वक्*त मैने देखा की मम्मी मुझे कुछ अजीब नजरोसे देख रही है, मैने जब उनकी तरफ देखा तो वो मुस्कुराकर नजर फेरकर चली गयी. मुझे थोडी शर्मसी लग रही थी की कही उनको रातवाली बात मालूम तो नही हो गयी.

खैर हम जब तैयार होके बाहर निकले तो पन्डित बाहर ही खडा था. हम पूजा के स्थान पे गये, वहा सफेद रन्ग के कुछ कपडे पडे हुए थे पन्डितने बताया की ये शुद्ध किये हुए वस्त्र आप दोनो (यानि मम्मी और दीदी) को पहनने होगे, पर अभी आप इन्ही कपडो मे रहे, फिर कुछ देर मन्त्र पढ कर उसने मम्मी और दीदी से कहा की आप पानी मे डुबकी लगा के आओ और ये जो वस्त्र है वो पहन लो. मम्मी-दीदी जब डुबकी लगाकर वस्त्र पहन लिये तो मेरी आन्खे फटी की फटी रह गयी, काहे के वस्त्र वो तो सिर्फ एक ब्लाऊझ और पेटिकोट था और एक चुन्नी, साईझ मे इतने छोटी की मम्मी के बूब्स ब्लाउझमे आधे भी समा नही पा रहे थे, और पेटिकोट बिलकुल उनकी नाभी के नीचे था, शायद अन्दर उन्होने पॅन्टी नही पहनी थी जिसकी वजह से उनकी गान्ड पेटिकोटसे साफ झलक रही थी. दीदी का भी यही हाल था लेकिन मेरी आन्खे तो सिर्फ मम्मी के गदराये हुए जिस्म पर थी, उन्होने किसी तरह उस चुन्नी जैसे कपडे से अपना काम चलाया. पन्डितने आकर फिर पूजा और हवन शुरु कर दिया, जैसी ही मम्मी आहुती देने के लिये हाथ हवन कुन्ड की ओर ले जाती उनके बूब्स उस छोटेसे ब्लाउझसे बाहर आनेकी कोशिश करते थे, मेरा उनको इस हाल मे देख के लन्ड खडा हो गया, पन्डित का भी कुछ ऐसाही हाल था.

एक-दो बार तो मम्मीने शायद मुझे लन्ड अ*ॅडजस्ट करते हुए देख भी लिया था. मै घबरा गया पर कुछ कह न सका, बस वही खामोश बैठा रहा. जब हवन खतम हुआ तो नारियल डालने के लिये सब खडे हो गये, पन्डित सामने था, दीदी और मम्मी पास पास खडी थी और मै मम्मी के पिछे खडा था. पन्डित ने कहा की नारियल की आहुती के समय परिवार के सभी लोग जिस पे नारियल रख के आहुती देते है उसे हाथ लगाये, मै मम्मी के पिछे लकडी पकडके खडा था मम्मी थोडीही पिछे आई और मेरा तना हुआ लन्ड उनकी गदराई गान्ड से एकदम सट गया उधर वो पन्डित कुछ मन्त्र जाप करने लगा लेकिन मै मम्मी की मोटी मांसल गान्ड पे अपने लन्ड के स्पर्श का आनन्द ले रहा था.

कुछ देर बाद जब नारियल की आहुती देने लगे तो मम्मी और दीदी झुक के उस हवन कुन्ड मे डाल रहे थे, इस सूरत मे मम्मी की गान्ड मेरे लन्ड से एक दम सट सी गयी, मै भी जरा भी पिछे नही हटा बल्कि अपने आप को थोडा और आगे की ओर किया जिसकी वजह से मम्मी जब जब झुकती थी मेरा लन्ड मानो उनकी गान्ड की छेद मे धस सा जाता था. आहुती खतम होने के बाद जब हम सब खडे हो गये तो मुझे मम्मी की रिअ*ॅक्शन का डर था, लेकिन उसके चेहरे पर कुछ फर्क नही था.
फिर पन्डित ने कहा की अबकी बार आप तीनो एक बार गन्गा मे नहा कर आ जाओ, और फिर मम्मी और दीदी को कहा की आप अपने दूसरे कपडे पहन लेना. जब हम पानी मे गये तो मम्मी की पीठ मेरे सामने थी, जैसे ही मम्मी ने पहली दफा डुबकी लगायी, गीले पानी की वजह से उनकी गान्ड का शेप साफ दिखने लगा. मेरा लन्ड एक दम खडा हो गया, मम्मी आराम से नहा रही थी और मुझे उनकी नन्गी पीठ, कमर और गान्ड के खूब दर्शन हो रहे थे. जब डुबकिया लगाने के बाद मम्मी मेरी तरफ मुडी तो मेरा दिल जोरो से धडकने लगा, उन्होने चुन्नी हटा दी थी, और उनके बडे बूब्स मेरी आन्खो के बिलकुल सामने थे, उनके बूब्स का सिर्फ़ ३०-४० % हिस्सा कपडे के अन्दर था बाकी पूरा बाहर था.

मेरा दिल कर रहा था के मै वही उन बडे मम्मो को भीन्च दू, लेकिन मम्मी ने मुझे एक ब्लॅन्कसा लुक दिया और वहा से चली गयी. मै भी पानी से निकल कर बाहर आके खडा हो गया, कुछ देर बाद जब मम्मी और दीदी आये तो हम आश्रम के ओर चले, वहा हमने खाना खाया. पन्डित ने कहा की पूज फिर शाम ५ बजे शुरु होगी. हम अपने रूम मे सोने चले गये क्योन्की सुबह जल्दी उठे थे. शाम करीबन ४.३० बजे मम्मी ने मुझे जगाया, हम सब तैयार होके पूजा-घाट पर आ गये, पन्डित ने मम्मी से कहा की अब यहा से पूजा थोडी कठिन हो जायेगी. लेकिन मम्मे को उसपर पूरा विश्वास था उन्होने कहा की मोनाली की जनमपत्री का दोश हटाने के लिये जो आप जरूरी समझे वो बताये, हम आपका पूरा साथ देन्गे. मै मन ही मन हस पडा, मम्मी कितनी भोली थी, अगर उसने पन्डितका उस शामवाला रूप देखा होता तो………….खैर, मम्मी और दीदी अपने स्थान पर बैठ गयी, पन्डित ने विधी शुरु कर दी, फिरसे वही सुबह वाली बात बतायी, गन्गा मे नहा आओ और सफेद वस्त्र पहनो, पन्डित ने ममी को बुलाया और उन्हे एक धागा दिया उस धागे मे एक मोटी गोल करीबन ३ इन्च की लकडी बन्धी हुई थी, पन्डितने बताया की इस धागे को स्नान के बाद आप और मोनाली अपने नाभी पे पहन लेना, और जब तक पूजा पूरी तरह से खतम नही होगी, उसे नही उतारना.

स्नान होने के बाद मम्मी गजब की मादक और कामुक लग रही थी, उनके ब्लाउझके उपर वाला एक हुक भी नही था. मै समझ गया की ये जरूर इस कमीने पन्डित की चाल होगी. आज तो मम्मी के ७०% बूब्स बाहर थे और चुन्नी होते हुए भी वो उसमे समा नही पा रहे थे, वो पन्डितने दिया हुआ धागा बाहर कमर पे बान्धा हुआ था, पन्डित ने कहा की ऐसे नही, लकडी के टुकडे को अन्दर की ओर रहने दो, मम्मी ने तुरन्त अपने पेटिकोट के अन्दर कर दिया. जैसे ही मम्मी और दीदी उस धागे को और उससे से बन्धी लकडी को लेकर बैठ गयी, लकडी ने अपना काम शुरु किया. अन्दर कुछ न पहनने की वजह से वो लकडी सीधे उन दोनो की चूतपर ही रगड रही थी. और इसी वजह से दोनो के चेहरे पे एक अजीब सा भाव आ रहा था, जो आनन्द और शर्म दोनो दिखा रहा था काफी देर तक वो इस लकडी से जूझ रही थी. जब शाम की पूजा समाप्त हुई और वो दोनो खडी हुई तो मेरे होश का कोई ठिकाना नही रहा, जैसे ही मम्मी और दीदी पलटी तो उनकी गान्ड के थोडा नीचे का भाग गिला था, शायद लकडी की वजह से उनकी चूत से पानी निकल रहा था, मतलब दोनो एकदम कामुक हो चुकी थी. पन्डित ने भी मन ही मन मे कुछ सोच कर उसे घूर रहे थे, उनके चेहरे पर एक कमीनी मुस्कान थी. मम्मी और दीदी ने जब फिर से स्नान कर के कपडे पहने तो वो काफी शान्त लग रही थी और थकी हुई भी. पन्डित ने उन्हे आराम करने को कहा और खाने पर मिलने की बात कही.

जैसे ही हम आश्रम पहुचे मैने देखा पन्डित पॅन्ट शर्ट पहन कर चल पडा, मै जानता था की वो कहा जायेगा. पन्डित वैसे ही पहले शराब की दुकान पर और फिर उस रन्डी के पास जाने के लिये निकल पडा. लेकिन आज उसने कुछ ज्यादाही पी रखी थी, ठीकसे चल भी नही पा रहा था, लडखडा रहा था. उस दिन की तरह भी मै उस घर के पीछे छिप गया, लेकिन इस बार मैने एक तरकीब सोची थी, मेरे पास कॅमेरावाला फोन था, मैने सोचा की क्यो ना इन दोनो का व्हिडियो बनाया जाये. कुछ समय बाद पन्डित आ गया, इस बार कोई और औरत थी, जो बहुतही जवान थी, वो पन्डित से लड रही थी की उसे छोड दे, लेकिन नशे मे धुत पन्डित को अपनी वासना के आगे कुछ नही दिख रहा था. उसने उस औरत को बिस्तरपे गिरा दिया और उसके वस्त्र उतारने लगा, वो औरत चीख रही थी, चिल्ला रही थी, पन्डित ने अपने कपडे उतार दिये और वो उस औरतपर झपटनेवाला था की अन्दर से वो पहलेवाली अधेड औरत आ गयी, उसने डर डर के कहा, भागो जल्दी, पुलीस की रेड पडी है, ये सुनकर वो जवान औरत उठ के खडी हो गयी और अपने कपडे उठाकर अन्दर की तरफ भाग गयी. पन्डित नशे मे था, उसने इस अधेड औरत को अपने बाहो मे भर लिया और उसे चूमने लगा, लेकिन उस औरत ने एक जोरदार तमाचा उसके गाल पे जड दिया और उसको पीछे की दरवाजे की तरफ ढकेल दिया. आगे क्या होगा इसका मुझे अन्दाजा नही था, अचानक पन्डित और वो वेश्या पीछे का दरवाजा खोलकर मेरे सामने आ गये.

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हम दोनो मे कौन ज्यादा अचम्भित हुआ ये बताना मुश्किल है, उस औरत ने पन्डित को ढकेल दिया, लेकिन पन्डित ने उसको काफी कसके पकडा था, सो वो दोनो एक दूसरे पर गिर गये. मैने होश सम्भाला और झट से मेरे फोन के कॅमेरेमे उन दोनो की तस्वीरे खीन्च ली, ये देखकर वो औरत ने पन्डितसे अपने आप को छुडाया और अन्दर भाग गयी, बडा अजीब सा नजारा था, पन्डित आधा नन्गा उस रन्डीखाने के पीछे पडा था, नशे मे धुत………तस्वीरे खीन्चने पर मै वहासे दूर भाग कर खडा हो गया और कुछ अन्तरसे वो सारा तमाशा देखने लगा.

काफी भीड जमी थी. फिर पुलीस आ गयी और उसने पन्डित को उठाकर अपने गिरफ्त मे ले लिया. उस कोठे के सामने ही उन्होने रेड मे गिरफ्तार किये लोगोकी खूब पिटाई शुरु की. अब पन्डित की बारी थी, उसका नशा अब पूरी तरह से उतरा था, उसे अब मार पडनीही थी की उसकी नजर मुझपर पडी, मै भी भीड मे खडा था. पन्डित ने पुलीस को बताया की वो आश्रम मे आया है और गलती से इन लोगोके साथ फस गया है, उसने मुझे पुकारकर बुलाया. पुलीस ने मुझे पन्डितके बारे मे पूछा. मैने मौके का फायदा उठाने की सोच ली, मैने पुलीस से कहा की ये सचमुच हमारे साथ आश्रम मे ठहरा है. पुलीस को तसल्ली हो गयी और उन्होने उसे छोड दिया, मै और पन्डित फिर आश्रम लौट आये, पन्डित बार बार मुझसे शुक्रिया कह रहा था, मै कुछ नही बोला, बस सुनता जा रहा था. आश्रम आने के बाद वो अपने कमरे मे चला गया, कुछ देर बाद जब खाना खाने सब नीचे आये तो वो भी आ गया, उसके चेहरे पे कोई चोट तो नही थी, लेकिन चेहरा लाल था, उसका नशा अब कम हुआ लग रहा था, उसकी चाल अभी भी ठीक नही लग रही थी, मम्मीने बडी चिन्तासे उनको पूछा, लेकिन उसने कुछ झूठ बोलकर बात टाल दी. खाना खाके मम्मी और दीदी उपर चले गये, मै वही पे बैठा रहा, मुझे देखकर पन्डित भी मेरे पास आ गया और बाते करने लगे, बातो बातो मे वो मम्मी की बहुत तारीफ़ करने लगा.

मुझे बडा गुस्सा आया और मैने एक जोरका तमाचा उसके गाल पे मारा और कहा, लगता है मार कम पडी है जो अभी भी औरतो के खयाल जेहेन से जा नही रहे है, वो मेरे मुह से सुन ने के बाद अपने होश मे ही नही था, फिर मैने उनको मेरे फोन के कॅमेरा की तस्वीरे बता दी. वैसे ये पन्डित था तो बडा बदमाश, लेकिन हमारे शहर मे उसका बडा नाम था, कई लोग उसे गुरू मानते थे. इन्ही लोगोकी वजह से उसका पूजा-पाठ का अच्छा धन्दा चलता था. उसे पता चला की अगर मै ये फोटो शहर मे दिखा दी तो उसे मुह छुपाने की भी जगह नही मिलेगी. मैने उसे ये भी बताया की वो शराब पीता है और रन्डीयो के पास जाता है, ये बाते अगर मै अपने शहर मे जाके सबको बता दू तो उसका सारा धन्दा चौपट हो जायेगा.

अब पन्डित बहुत डर गया था, वो मेरे आगे हाथ जोडने लगा और माफ़ी मान्गने लगा और किसी से ना कहने के लिये गिडगिडाने लगा. अब स्थिती बिलकुल मेरे कब्जेमे थी, सो मैने उसे धमकाकर उसे कहा एक शर्त पे. मैने उससे पूछा की तुम यहा पूजा के लिये आये हो या कोई और चक्कर मे. तो उसने बताया के वो मेरी मम्मी को पाने की साजिश रचानेके लिये यहा आया था, वो जानता था की मम्मी और पापा उसे बहुत मानते थे सो वो जो कहेगा उसे वो इन्कार नही करेन्गे, पूजा के बहाने वो मम्मी को अपने चन्गुल मे फसा ने के लिये ही यहा लाया था. उसे मेरे आने की उम्मीद नही थी और पापा आते तो उन्हे वो आसानीसे ठगा सकता था. मेरी वजह से उसका काम नही बन रहा था. उसने बताया के उसने वास्तव मे दीदी के लिये एक रिश्ता ढून्ढ रखा था, ये पूजा तो मेरी मम्मी को फसाने के लिये रखी थी. ये सब सुनकर मुझे उसपर बहुत गुस्सा आया और मैने भी एक कोने मे उसे ले जाके उसकी अच्छी धुलाई कर दी. उसे फिर एक बार उसके नन्गे फोटो दिखाने की धमकी दी. फिर वो मेरे पैरो मे गिर गया और रोने लगा और माफ़ी मान्गने लगा, फिर मैने उससे कहा की मेरी मम्मी का खयाल अपने दिमाग से निकाल दो, और जो दूसरी बात मैने बोली तो वो हक्का बक्का रह गया.

मैने उसे साफ कहा की मै अपने मम्मी को पाना चाहता हू, पर जोर जबरदस्ती से नही बल्कि प्यार से, और तुम मेरी इस काम मे मदद करोगे, नही तो मै उसकी पोल खोल दून्गा. पन्डित का नशा अभी काफी उतरा था, वो हसने लगा की मै कैसा कमीना इन्सान हू जो अपनी सगी मा के साथ यौन-सबन्ध बनाना चाहता है. फिर मैने उसे एक और थप्पड मारा और कहा की हरामी तेरी वजह से ही मेरी नियत बिगडी है, तो अभी ज्यादा नौटन्की मत करना, मेरा काम हो जाना चाहिये वरना तुम जानते हो मै क्या कर सकता हू. उसके पास कोई चारा भी तो नही था, वो मेरी सारी बाते मान रहा था. मैने उसे फिर एक बार धमकाया की ये काम कल सुबहसेही शुरु हो जाना चाहिए और मै सोने चला गया. जब मै रूम मै पहुचा तो देखा की मम्मी और दीदी सो चुकि है, मै भी लेट गया. रूम की खिडकी से चान्द की हल्की रोशनी आ रही थी, मैने साईड मे सोयी मम्मी की तरफ देखा, उनकी साडी घुटनो तक उन्ची हुई थी और उनके गोरे कोमल पाव उस रोशनी मे साफ़ दिख रहे थे. मेरी नीन्द उड गयी, मै मम्मी के पाव के पास बैठ गया और उन्हे देखने लगा, बहुत मन कर रहा था की मै मम्मी के पाव का स्पर्श करू पर हिम्मत जुटा नही पा रहा था, कुछ देर सोचने के बाद मैने मम्मी के पाव को हाथ लगाया मेर शरीर ठन्डा पड गया, मुझे डर भी लग रहा था और मजा भी आ रहा था.

मैने कुछ देर अपना हाथ मम्मी के पाव पे बिना हिलाये रहने दिया और फिर कुछ देर बाद हलके हलके उनके पाव को मह्सूस करने लगा. मम्मी की टान्गो पे बाल नही थे, शायद यहा आने से पहले उन्होने निकाल लिये होन्गे, लेकिन मम्मी ऐसी मॉडर्न चीजे भी करती होगी ये सोचकर मै और उत्तेजित हो गया.

खैर मै अपना हाथ हलके हलके मम्मी के पाव पे घुमा रहा था, अब मेरा लन्ड एक दम खडा हो गया था और मै अपना हाथ पाव के नाखूनो से लेकर घुटनो तक घुमा रहा था, मुझे बडा मजा आ रह था. मेरा लन्ड भी अब आगेसे चिपचिपा हुआ था. मै अपने ही खयालो मे खोया हुआ था के अचानक मम्मी जाग गयी और मेरा हाथ पकड लिया, मेरी तो जैसे सास ही रुक गयी, मै कुछ भी नही बोला और मम्मी की डाट का इन्तजार करता रहा. लेकिन मम्मीने बडे शान्त स्वर मे पूछा, बेटा तुम यह क्या कर रहे हो, मैने हिचकिचाते हुए कहा, मम्मी मै आपके पाव दबा रहा था. उन्होने थोडे गुस्सेसे पूछा क्यु, मैने कहा की मुझे लगा आप दिन भर पूजा मे बैठ के थक गयी होगी तो पाव दबाने से आराम मिलेगा, लेकिन आपकी नीन्द कैसे खुल गयी. तो उन्होने कहा बेटा यह जो लकडी बान्धी है पन्डितजी ने उससे काफ़ी तकलीफ़ होती है सोने मे. फिर मैने कहा आप सो जाईये, मै पाव दबा देता हू, थोडा चैन मिलेगा.

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इसपर मम्मी के चेहरेपर सन्तुष्टीके भाव झलकने लगे, बडे प्यार से उन्होने मेरे बालोमे हाथ फेरा और बोली, मेरा राजा बेटा मेरा कितना खयाल रखता है, मैने कहा मम्मी ये तो मेरा फ़र्ज़ है. फिर उन्होने कहा बेटा तू भी तो हमारे साथ पूजा मे लगा रहता है, तू भी तो थक गया होगा, चल अब बस कर मेरी सेवा, सो जा यह कहकर वो लेट गयी. मै भी उनके पास जाके लेट गया. मेरे इस बर्ताव से मम्मी काफी खुश थी, उसने प्यार से मुझे अपने पास खीन्च लिया और मेरी तरफ मुह करके मेरे कन्धे पर हाथ डालकर सो गयी. मै उनके बाजू मे लेटा था, मम्मी की साडी का पल्लु थोडासा खिसक गया था और उनके बडे बडे मम्मे और उन मम्मोके बीच वाली खूबसूरत दरार उस चान्दनीमे गजब की जच रही थी. लेकिन मैने इस वक्*त चुपचाप सो जाना ठीक समझा.

सुबह मम्मीने मुझे ५ बजे जगाया और तैयार होने को कहा, आज मै बडी खुशीसे उठा, जल्दी से तैयार हो गया. दीदी नहाने चली गयी, मम्मी का रवैया आज बदला बदला सा था, वो मेरा बडा खयाल रख रही थी, और बात बात पे मेरी तारिफ़ कर रही थी. मेरे रात के पैर दबानेवाले ड्रामेसे वो एकदम पिघल गयी थी, वो नही जानती थी की मै उन्हे किस नजर से देख रहा था. जब हम नीचे आये तो पन्डित हमारा इन्तज़ार कर रहा था, मुझे देखतेही उसने अपनी नजरे नीचे झुका ली. हम घाट पे आये तो मम्मी और दीदी पूजा स्थान पे बैठ गये, और पन्डित ने पूजा शुरु कर दी, आज वो अपना पूरा ध्यान मन्त्र और पूजा पे लगाये हुए थे, उसने मम्मी और दीदी की तरफ देखा तक नही. कुछ देर बाद उसने मम्मीसे कहा की अब पूजा मे मोनाली की जरुरत नही है सो वो आश्रम जा सकती है, अब आगे की विधी मे आपके सुपुत्र और आपका काम है, मै समझ गया की वो मेरे लिये मौका बना रहा है. मैने इशारेसे उसको बता दिया की दीदी की नाभी की लकडी को खुलवा दे.

पन्डित ने वैसे ही किया. अब वो बिलकुल पालतू कुत्तेकी तरह मेरा कहना मान रहा था. मम्मी को थोडा अचरज हुआ, उसने पूछा ऐसा क्यू, तो पन्डित बोला की बाकी की विधी मै आपसे सम्पन्न कर लून्गा. दीदी ने जाते वक्त वो धागा पन्डित को दे दिया और वो आश्रम मे चली गयी. अब पन्डित की चाल शुरु हो गयी, उसने मम्मीसे कहा कि अब पूजा मे आपका विधीपूर्वक स्नान और शुद्धि होनी है, मम्मी ने कह की उसमे कौनसी नयी बात है, हम तो रोज करते आ रहे है. तो पन्डित ने कहा कि आगे की पूजा और कठिन परिश्रमवाली होगी, मात्र डुबकी लगाने से शुद्धि नही होगी. मम्मी ने आश्चर्यसे पूछा तो फिर क्या करना होगा, पन्डित ने बताया कि तुम्हे पहले दिव्य जडीबूटी वाला तेल लगाना होगा फिर गन्गा स्नान करना होगा, यह सब आप खुद नही कर सकती और यह काम मुझे आपके लिये करना उचित नही, आप यह पसन्द भी नही करोगी, इसलिये मै यह कार्य आपके सुपुत्र से करवाउन्गा. मम्मी हैरान हो गयी और परेशान भी, वो कहने लगी, पन्डितजी वो मेरा बेटा है, मतलब कि……वो अब अब….बडा है, मै उसके साथ उसके सामने कैसे स्नान कर सकती हू, मोनाली मुझे स्नान करा सकती है, आप उसे क्यू नही बुलाते. लेकिन पन्डित साला बहुत चालाक था, उसने कहा जी मोनाली जरूर करवा सकती थी अगर उसकी जनमपत्रीमे दोश ना होता तो.

फिर उसने और थोडा जोर देते हुए कहा कि आप अगर अपनी बेटी की जनमपत्री से दोश हटाना चाहती हो तो ऐसा करो, वर्ना इस विधी के बगैर भी काम चलाया सकता है, लेकिन…………यह कहकर पन्डितने बात आधी छोड दी. उसको मम्मी का वीक पॉईन्ट पता था, मम्मी घबरा गयी और पन्डित से माफ़ी मान्गने लगी, पन्डितजी क्षमा करे, हमे आप पर पूर विश्वास है, आप जैसा कहेन्गे वैसा ही होगा. पन्डित ने कहा कि मेरी उपस्थिती मे आप लोग ज्यादा शरमा जाओगे इसलिये मै पुरी स्नान विधी आपके बेटे से कह के कुछ देर के लिये चला जाउन्गा, और जैसा मै उसे समझा के जाऊ उसे वैसा ही करने देना, एक भी कार्य अगर ठीक से ना हुआ तो पूरी पूजा व्यर्थ हो जायेगी. और इस अजीब विधी के लिये पन्डितने एक जगह बतायी जो थी तो घाट पे ही पर थोडी दूर थी, वहा पे ज्यादा लोग अक्सर नही आते थी, अच्छी प्रायव्हसी थी. मम्मी ने पन्डित से कहा की जैसी आपकी आज्ञा हो, हम करेन्गे, है ना, यह कहकर उसने मेरी तरफ देखा, मैने भी हामी भर दी.

फिर पन्डित मुझे एक कोने मे ले गया और उसने कहा कि देखो भाई शुरुआत तो कर दी है थोडा प्रयास तुम्हे भी करना होगा, समय समय पे मै ऐसेही मौके तुम्हे देता जाऊन्गा लेकिन वो कलवाली बात किसीसे ना कहना. मैने उसे निश्चिन्त रहने को कहा, फिर वो वहा से चला गया, जाते हुए वो मुझे एक तेल की बोतल दे गया. मै समझ गया की क्या करना है. मै मम्मी के पास पहुचा, वो थोडी सी घबराई हुई थी और व्याकुल भी थी मै समझ सकता था के उनके मन मे क्या विचार आ रहे होन्गे, लेकिन मै मन ही मन मे बहुत खुश था लेकिन मम्मी के सामने मै भी परेशान होने का नाटक कर रहा था. मम्मी ने क्रीम कलर की साडी पहनी थी और मॅचिन्ग ब्लाउझ भी. उस ब्लाउझसे उनकी सफेद कलर की ब्रा भी साफ दिखाई दे रही थी. मैने थोडा हिचकिचाते हुए मम्मी से कह की विधी शुरु करे वरना सूरज निकल आनेपर और भी लोग आ जायेन्गे और फिर बडी मुसीबत होगी. मम्मी बोली की ठीक है, यह बात भी सही है, और फिर मम्मी वहा एक पत्थर पे बैठ गयी,

मै मम्मी के पाव के करीब नीचे जमीन पर बैठ गया और मम्मी का एक पाव अपने घुटनेपे रखा और पहले उनके पाव के तलवो पे तेल लगाने लगा, फिर मैने पाव की उन्गलियो पे तेल लगाया. मम्मी बहुत अन-इझी लग रही थी पर मुझे बडा अच्छा लग रहा था, फिर मैने पाव के उपरी हिस्से मे तेल लगाया, अब मेरे हाथ उनके पैरोपर घूम रहे थे. मम्मी ने अपनी आन्खे बन्द कर रखी थी और मुझे अपनी मन मर्जी करने का मौका मिल रहा था.

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बॉलीवुड की एक्ट्रेसेस का असली रूप | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/bollywood-news/bollywood-ki-actress-ka-asali-roop.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/bollywood-news/bollywood-ki-actress-ka-asali-roop.html#respond Fri, 02 Feb 2018 03:24:22 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=11859 बॉलीवुड की एक्ट्रेसेस का असली रूप, बॉलीवुड की हीरोइन अक्सर बहुत ही चुदक्कड़ होती है और चुदवाने में माहिर होती है, वे सभी चुदाई की दीवानी होती बोल्ड एक्ट्रेस रियल लाइफ में भी उतनी ही सेक्सी होती है जितना वो स्क्रीन पे होती है

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बात उस समय की है जब मैंने एक फ़ाईव स्टार होटल में नई नई नौकरी शुरू की थी। उस समय मै 28 वर्ष का एक सुन्दर नौजवान था। होटल मेनेजमेन्ट करते समय मैं जिम जाता था उसके फ़लस्वरूप मेरा शरीर सुडौल और सुन्दर हो गया था। मेरी लम्बाई भी लगभग 6 फ़ुट और मेरा चेहरा बहुत ही आकर्षक था, कपड़े भी मुझे पर बहुत फ़बते थे। मुझे लगता था कि मेरे साथ की लड़कियाँ भी मुझ पर मरती थी। मेरे साथी मुझे फ़िल्मो में कोशिश करने को कहते थे, शायद मैं उन सब बातों को मजाक समझता था।

मैं इस फ़ाईव स्टार होटल में फ़्रण्ट-ऑफ़िस में काम करता था और अधिकतर मुझे काऊन्टर पर अतिथि का स्वागत करना होता था, उन्हें उनके कमरे तक पहुंचाने का काम भी करना होता था। मेरी यह आप बीती एक होलीवुड की अभिनेत्री के बारे में है। वो एक 28 वर्ष की बेहद सुन्दर युवती थी। उसके लिये होटल में सबसे महंगा स्वीट बुक किया हुआ था।

यूं तो यहाँ कई भारतीय अभिनेत्रियां भी आई थी, पर उनमें वो बात नहीं थी, शायद कैमरे के सामने और मेकअप में ही वो सुन्दर लगती थी। उसमें सेक्स अपील जबरदस्त थी। उसका फ़िगर तराशा हुआ और ऐसा प्रतीत होता था कि भगवान ने उसे बनाने में बहुत समय लगाया होगा। उसका चेहरा, उसके होंठ, उसकी मुस्कान, उसकी आकर्षक आंखे हर बात में लाजवाब थी वो।

मै उसका असली नाम नहीं लेकर उसे अंकिता कहूंगा। उसे यहाँ आये हुए दो दिन हो गये थे। जब वो शूटिन्ग से फ़्री होती थी तो मुझसे अवश्य ही बात करती थी। वो मेरा मन मोह लेती थी। पर वी आई पी गेस्ट होने के कारण मुझे ही नहीं सभी को उसकी हर एक बात का ध्यान रखना होता था, यहाँ तक कि उसके इशारों तक को समझना होता था।

आज वो लन्च के बाद फ़्री थी। उसने मेरे बॉस से कुछ बात की और मुझे शहर में घूमने के लिये साथ ले गई। वह एक बहुत ही सरल और मधुर स्वभाव की लड़की लगी। मुझसे बात करने में उसकी दिलचस्पी साफ़ झलकती थी, या वो थी ही इतनी सहज कि बात करने में अपनापन लगता था। मुझसे मेरे बारे में उसने सब कुछ पूछ लिया।

उसे यह पता चल गया था कि मैं एक साधारण परिवार से हूँ। शायद उसने मेरी इस बात का पूरा फ़ायदा उठाया या कहिये कि हर वक्त वो मुझे कुछ ना कुछ बख्शीश के रूप में देती थी, हर बात में वो मुझे बहुत रुपया देने लगी थी। कोल्ड ड्रिन्क हो या बोटिन्ग करना हो, जहा सौ रुपये लगते, वहाँ वो एक हजार का नोट दे देती थी, और बाकी का बचा हुआ पैसा वापिस भी नहीं लेती थी। शाम तक यूं ही मेरे पास लगभग पांच हजार रुपये जमा हो चुके थे।

मैं खुशी से फूला नहीं समा रहा था कि आज मेरे भाग्य से मैं दुनिया की सबसे सुन्दर हिरोईन के साथ था और पैसा भी बहुत मिल गया था। शाम को वो मेरे बॉस से स्वीकृति ले कर मुझे अपने स्वीट में ले गई। वहाँ उसने मेरे साथ कुछ वाईन और स्नेक्स लिये, फिर वो स्विमिंग सूट पहन कर आ गई। स्विमिंग सूट क्या था एक बिलकुल छोटी सी ब्रा और एक ना के बराबर अडरवीयर जिसमें बस उसकी चूत छिपी थी। उसके तराशे हुए चूतड़ की दरार में एक डोरी सी थी जो दरार में ही कहीं खो गई थी। शायद ऐसा पहनना उसके लिये नई बात नहीं थी, क्योंकि वो इसमें भी बिल्कुल सामान्य व्यवहार कर रही थी।

“आप मेरे साथ पूल में नहाना पसन्द करेंगे?” उसने मुस्कान भरी आवाज में प्रार्थना की।

सीधी सी बात थी उसने मुझे आज्ञा दी थी, यह मैं समझता था।

“जी पर मेरे पास नहाने के कपड़े नहीं हैं !” मैंने अपनी मजबूरी दर्शाई।

“आपने अन्दर अन्डरवीयर पहना है, यह काफ़ी है ! मेरे दोस्त तो नंगे ही मेरे साथ नहाते हैं !” उसने हंसते हुये कहा।

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मैं शरमा गया। अन्डरवीयर भी पुरानी सी पहना हुआ था। मुझे झिझक आने लगी। पर मैंने कपड़े उतार दिये और मात्र अन्डरवीयर में खड़ा हो गया। उसने मेरे नंगे बदन को एक गहरी नजर से देखा और शायद अपने जहन में उतार लिया।

“थेंक्स मेरे प्यारे दोस्त !!! बहुत सुन्दर …. आओ चलें !” उसने मुझे गाल पर हल्का सा किस किया और वो मेरे आगे आगे चल पड़ी। उसकी चाल बला की मनमोहक थी। उसके दोनों चूतड़ो की गोलाईयाँ चलते समय ऊपर नीचे होती हुई गजब ढा रही थी। उसका कमाल का फ़िगर देख कर मेरा लण्ड जोर मारने लगा था, पर डर अधिक लग रहा था कि कहीं लण्ड का उभार उसे नजर ना आ जाये। पर मैं गलत था, उसे सब पता था। पूल पर आ कर उसने मुझे पानी में खड़ा कर दिया और स्वयं सामने खड़ी हो गई।

“मुझे गोद में ले लो और मुझे धीरे धीरे पानी में गीला करना, ठीक है?” उसने मुझे समझाया।
मैंने उसे एक बच्चे की तरह बाहों में ले लिया। मुझे वो बिलकुल फ़ूल जैसी हल्की लगी। उसका जिस्म मेरी बाहों में आ गया। इतना कोमल और नरम बदन का स्पर्श पा कर मैं सिहर उठा। मेरी सिरहन तक उसे पता चल गई।

“तुम्हारा जिस्म बहुत अच्छा है, मुझे इससे प्यार है।”
मेरे बदन में चींटिया सी रेंगने लगी। उसने मेरे जिस्म की तारीफ़ की, मुझे पहली बार लगा कि जिम जाने से मेरा शरीर सुन्दर दिखता है। मेरा लण्ड पूरा खड़ा हो गया था। यह उसे भी पता था, वो अपना एक हाथ नीचे लटका कर मेरे लण्ड को भी छू लेती थी।

“क्या मैं तुम्हें चूम सकती हूँ….?” उसने बड़ी सहजता से पूछा और अपने होंठ मेरी तरफ़ बढा दिये। मै कुछ कहता उसके पहले उसके होंठ मेरे होंठो से मिल चुके थे। उसके चूमने का अन्दाज बेहद रोमांचित करने वाला था। मैंने भी जाने कब उसे चूमना और चूसना शुरू कर दिया।

उसने अपनी अधखुली आंखो से मुझे देखते हुए कहा,”तुम्हारा भारतीय स्टाईल बहुत अच्छा है, मुझे नीचे पानी में उतार दो !”
“जी ….जी…. थैंक्स मैम !”
“मुझे अंकिता कहो, मैम नहीं ! तुम बहुत उत्तेजित हो रहे हो, क्या तुम मेरे साथ सेक्स करोगे?”
“अंकिता, मुझे माफ़ करना, ये तो अपने आप ही ऐसा हो गया !” मेरा खड़ा लण्ड को मैंने नीचे दबाते हुए कहा।

“ये तो प्राकृतिक है, इसमें शरमाना कैसा …. और मुझे देख कर ये खड़ा नहीं हो, ये तो मेरे लिये अच्छी खबर नहीं है। मुझे अच्छा लगेगा अगर तुम मेरे साथ सेक्स करोगे तो…. मुझे भी इसे देख कर चुदाने की इच्छा होने लगी है !”

उसने पानी के अन्दर ही मेरा लण्ड सहलाया और उसे पकड़ कर सहलाने लगी। उसके लण्ड को सहलाने का अन्दाज, बस पानी निकालने देने वाला था। उसने मेरी अन्डरवीयर नीचे खींच दी।
“बहुत अच्छा है और सुन्दर है तुम्हारा लण्ड, तुम भी ! मेरे जिस्म को मसाज करो !”

वो भी हीट में आने लगी थी। मुझे चुदाई का कोई अनुभव नहीं था, पर फ़िलहाल इसमें बहुत मजा आ रहा था। उसने मेरी अंडरवीयर पूरी उतार दी और डोरे जैसी स्वयं की अंडरवीयर भी उतार दी। पानी में कुछ साफ़ दिखाई नहीं दिया।

उसने मुझे चूत देखते हुए देख लिया और हंसी। वो उछल कर पूल की दीवार पर बैठ गई और अपनी दोनों टांगे खोल दी- मेरी चूत देखना चाहते हो ना ? देखो ! और पास आकर इसे प्यार करो !”
मेरे बदन में एक सनसनी दौड़ गई। उसकी गुलाबी चिकनी चूत, शेव की हुई थी, पानी से गीली थी, दोनों उभरी हुई पंखुड़ियों के बीच एक दरार और उसमें से झांकता हुआ गुलाबी सा एक छेद।

“अंकिता, इतनी सुन्दर और मोहक है, सच में चूम लूं क्या?”

“येस माई डार्लिंग, कम एण्ड सक इट !” उसने मेरे बाल पकड़ पर अपनी चूत से मेरा मुंह चिपका लिया। सुगंधित, रसीली, चिकनी लसलसी, उभरा हुआ गुलाबी दाना मेरे होंठो से टकरा गये। एक ही सांस में उसका सारा पानी जीभ से मैंने चाट लिया, उसकी चूत की गुहा में मैंने अपनी जीभ घुसा दी। मेरी नाक की नोक उसके दाने पर से रगड़ खा गई।

“ओह गॉड, सो स्वीट, आहऽऽऽ, यू आर टू गुड, ओह्ह सक माइ पूसी हार्ड !” वो सिसक उठी।
मेरे हाथ उसके सुडौल उरोजों पर आ गये। जैसे ही मैंने उसे दबाया तो कह उठी,”नाईस, ओह्ह्ह, स्लो डियर, दिस इस माइ फ़िगर बॉय, नाउ लीव इट !”

उसे मजा तो बहुत आ रहा था पर शायद चूंची दबाने से उसके उरोज ढीले ना पड़ जाये, उसने मेरा हाथ हटा दिया। अब वह पानी में कूद पड़ी, और मेरे से लिपट गई।

“अब तुम इस दीवार पर बैठ जाओ” मै उछल कर दीवार पर बैठ गया।

“प्लीज डोन्ट माइन्ड, यूअर कोक इस सो नाईस, मे आई लव इट?”

मुझे बहुत देर तक जगह जगह चूमती रही फिर मेरा लण्ड अपने मुंह में ले लिया और चूसने लगी।

“बहुत अच्छा है तुम्हारा लण्ड !” उसने मुझे जताया कि उसे भी थोड़ी बहुत हिन्दी आती है।

“ऐसा नहीं कहते अंकिता, आप बहुत अच्छी है” काफ़ी देर तक वो लण्ड का मजा लेती रही, मेरी हालत झड़ने जैसी होने लगी।

“बस अंकिता, अब नहीं !” उसने अपनी नशीली आंखे ऊपर उठाई, उसकी वासना का आलम चरम सीमा पर था। उसकी आँखे गुलाबी हो उठी थी। उसने मुझे प्यार से पानी में उतार लिया फिर मेरी ओर पीठ करके और चूतड़ उभार कर घोड़ी बन कर खड़ी हो गई। बेहद कशिश भरी आवाज में वो बोली,”फ़क माइ पूसी, माइ बॉय। डू इट नाउ, कम ऑन, लेट्स एन्जोय नाउ !”

मैंने अपने आपको रोक नहीं सका और अपना लण्ड पानी के अन्दर ही उसकी चूत से चिपका दिया। मै अब उसकी पीठ से चिपक गया और लण्ड का जोर लगाने लगा। अंकिता ने हाथ का सहारे से लण्ड को अपनी चूत में डाल दिया और अपने चूतड़ मेरे लण्ड पर दबा दिया। मैंने भी जोश में जोर लगाया। लण्ड मक्खन की तरह उसकी चूत में पानी के भीतर ही घुस पड़ा।

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“ओह्ह डार्लिन्ग, फ़क मी, इट इस टू गूऽड”

मेरे लण्ड में हल्की सी जलन हुई, मुझे चोट सी लगी, पर मैं उसे नाराज करने की स्थिति में नहीं था। फिर मेरी हालत भी ऐसी नहीं थी कि मैं उसे नहीं चोदता, वासना की तेजी मुझ पर भी थी। मैंने जलन सहते हुये लण्ड पूरा घुसा दिया। अंकिता झूम उठी और मस्ती में कमर जल्दी जल्दी हिलाने लगी। उसकी चूत में लण्ड आराम से अन्दर बाहर आ जा रहा था, टाईट या कसी हुई चूत नहीं थी। इसलिये अब जलन भी कम होती जा रही थी।

मुझे भी उस रस भरी चूत का आनन्द आने लगा था। उसकी कोमल काया, मखमली बदन, फिर गोरी चमड़ी, गोरी चूत, गोरी गाण्ड। उसके सारे शरीर को सहलाते हुये धक्के मारने में असीम आनन्द आ रहा था। पानी में लहरे चलने लगी और छप छप की आवाज अने लगी। जोश में मैंने उसकी चूंचियाँ मसल ही दी और उसे दबा कर जोर से चोदने लगा।

“माई गॉड, फ़क मी हार्ड, माई बॉय, ऊऊईईईई, ओह्ह्ह, व्हॉट ए कॉक्….”

“हाय मैम, फ़ीलिंग नाईस, ओह्ह, तेरी तो…. साली मक्खन मलाई है !” मुझे भी आनन्द मारे मस्ती आ रही थी।

“यू मीन बटर…. आह लण्ड अच्छा है, फ़क मी !” उसके बोलते ही मुझे मालूम हो गया कि उसे मजा आ रहा है। उसने अपनी टांगे पानी में और फ़ैला ली और थोड़ा और झुक कर मेरे लण्ड को धक्का मारने लगी। फिर उसने अपना पोज बदल लिया। और सामने आकर मेरे से जोर से लिपट गई। लण्ड एक बार फिर अपने निशाने पर घुसता चला गया।

उसकी सिसकारियाँ बढ़ गई थी। उसकी चूत और मेरा लण्ड फिर से तेजी में आ गये। पर वो सामने से अच्छे झटके दे रही थी। दोनों सामने से एक दूसरे को धक्के मार मार कर चोद रहे थे। पानी में भी उबाल आ चुका था। लहरें चुदाई के कारण उछल उछल कर हमें भिगा भी रही थी। चूंकि मेरी यह पहली चुदाई थी सो मेरा शरीर जवाब देने लग गया था, मेरे लण्ड में गहरी मिठास भरने लगी थी। उधर अंकिता का भी यही हाल था। उसकी तेजी बता रही थी कि अब जवानी का रस बाहर आने को बेताब है।

“माइ लव, आह्ह्ह, माई पूसी हेज गोन नाउ ऊईईई !”

“मैम, मेरा तो हाय, निकलने वाला है !” मै इंगलिश भूल गया और हिन्दी बोलने लगा।

“ओह्ह्ह कमिन्ग, ऊईईई…. फ़क मी हार्ड्…. कमिन्ग बॉय….” और उसने शायद पानी छोड़ दिया। मुझे उसने पीछे धक्का दे दिया और लण्ड निकाल दिया। मेरा लण्ड भींच कर पकड़ लिया और मुठ मारने लगी। कुछ ही क्षणो में मेरा वीर्य पानी में लहरा कर निकल पड़ा। मेरा वीर्य निकलते हुए वो देखती रही।

“ओह्…. सो नाईस, व्हॉट ए कलर, यूअर कम इस सो ब्यूटीफ़ुल, यु इण्डियन आर वेरी नाइस इन फ़किन्ग !” और स्वयं पानी के अन्दर डुबकी लगा गई। मैं भी उसके पीछे गोता मार कर तैरने लगा। कुछ ही देर में हम पानी से बाहर आ गये। दोनों नंगे ही कमरे के अन्दर भाग कर चले गये।
कुछ देर पश्चात मैं फिर से अपनी ड्रेस में था। शाम गहरी हो चुकी थी। उसके डिनर का समय हो गया था। मैंने अंकिता से जाने की इज़ाज़त मांगी।

“ठहरो, मेरी तरफ़ से ये गिफ़्ट !”

उसने एक लिफ़ाफ़ा मुझे दिया। मैंने सर झुका कर उसका अभिवादन किया और लिफ़ाफ़ा ले कर बाहर आ गया। घर आ कर मैंने लिफ़ाफ़ा खोला तो उसमें एक हज़ार के पचास नोट थे। और एक इन्विटेशन कार्ड था, उसका पता लिखा हुआ था। उसमें एक सन्देश था,“आई लव यू ! जब भी जी चाहे मुझे फोन कर देना, और तुम यू.एस.ए. में होगे…….. अंकिता”

मुझे एक बार सारी घटना फिर से आंखो के सामने घूम गई। एक प्यारी सी, गुड़िया सी, भली सी लगने वाली सुन्दरता की मूर्ति, मुझे जैसे कुछ यकीन ही नहीं हो रहा था……..मानो एक सपना देखा हो….

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मुस्लिम चुदक्कड़ भाभी की चुदाई | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/koi-mil-gaya/muslim-chudakkad-bhabhi-ki-chudai.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/koi-mil-gaya/muslim-chudakkad-bhabhi-ki-chudai.html#respond Thu, 01 Feb 2018 15:23:08 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=11857 मुस्लिम चुदक्कड़ भाभी की चुदाई, मुझे एक तलाक शुदा मुस्लिम भाभी मिली जिसको देखने के बाद तो पहले ही मेरा लंड खड़ा हो गया और वो भी एकदम चुदक्कड़ थी मेरे साथ वो पट गई और फिर क्या था मैंने उसे ट्रेन में ही चोद डाला क्योकि मै इंतजार नहीं कर सका

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दोस्तों मेरा नाम प्रथमेश हे और मैं मुंबई में रहता हूँ.और हर किसी की तरह मुझे भी सेक्स करने में बहुत मजा आता है चुदाई करना मुझे भी बहुत पसंद है. मै एक अथेल्टिक हूँ और मेरे लंड का साइज़ भी इतना हे की किसी को भी खुश कर दूँ. वो मुंबई में रहती हे. और उसका नाम मेहिरा हे. उसका रंग साफ़ हे.वो लम्बी हे और उसके बूब्स बड़े और गांड थोड़ी सेक्सी और एकदम मन को मोह लेने वाला फिगर लेकिन मुझे तो चूत के छेद से ही मतलब था बस!

मेहिरा भाभी की शादी के कुछ समय में ही उसका डिवोर्स हो गया. और तब वो एकदम जवान ही थी. उसकी और मेरी मुलाक़ात व्हाटसेप्प के फेमली ग्रुप में हुई और फिर हम दोनों सेपरेट पर्सनल चेट भी प्रथमेश लगे. नोर्मल हाई हल्लो, फिर रेग्युलर बात होने लगी हमारी. भाभी की डीपी मस्त थी जिसमे उसके डीप कट ब्लाउज में उसके बूब्स उभरे हुए थे. उसे देख के मेरे तन बदन में तितलियाँ उड़ने लगी थी.

 मैं उसे कहा, भाभी आप का डीपी तो एकदम धांसू हे आप उसके अन्दर बड़ी सेक्सी लग रही हो.

वो बोली: थेंक्स, तुम भ काफी स्मार्ट हो गए हो बढती उम्र के साथ.

 मैं: सच में आप बड़ी हॉट लगती हो.

उसने कुछ देर तक रिप्लाय नहीं कहा, शायद झिझक रही थी वो.

फिर उसने कुछ देर के बाद एक रिप्लाय किया की तुम भी मस्क्युलर बॉडी में सेक्सी ही लग रहे हो, और एंड में उसने आँख मारने वाला स्माइली एड किया था और फिर तो मेरी और मेहिरा भाभी की ऐसी चेटिंग होने लगी. मैं अक्सर उसके साथ चेटिंग करते हुए अपने लंड को सहलाता था. फिर एक दिन मैंने उसे कहा, वैसे आप मेरे से ज्यादा सेक्सी हो, हम दोनों अगल बगल में खड़े रहे तो आप को लोग पहले वोट करेंगे.

उसके बाद मेरी और मेहिरा भाभी की फ्लर्टिंग सी होने लगी थी. वो भी मुझे मेसेजिस में अपने नए नए कपडे और स्टाइल भेजती थी पिक्स निकाल के. और मैं जिम में कसरत करते वक्त उसे अपनी बॉडी के जलवे दिखाता था. फिर हम दोनों के बिच में रिश्ते जैसे धूल चुके थे. वो और मैं सेक्स चेट भी प्रथमेशे लगे थे. उसने मुझे ये भी बताया की उसकी डिवोर्स का रीजन ये था की उसका पति गे था और वो लंड खड़ा नहीं कर पता था उसे न्यूड देख के भी.

फिर एक इन मैंने जिद्द की तो मेहिरा भाभी ने अपना न्यूड शो किया मेरे लिए. उसने वीडियो चेटिंग में मुझे अपने कसे हुए बदन की झाँखी करवाई. ऐसे में मेरे कोलेज की छुट्टियाँ आ गई और मैंने घर में कहा की मैं मुंबई जाना चाहता हूँ  ट्रेकिंग के लिए. मैंने कहा वहाँ मेहिरा भाभी का घर भी हे तो कुछ दिन रह लूँगा. भाभी वैसे अपनी माँ के साथ में रहती थी जो एकदम बूढी थी. मेरे मम्मी पापा ने मुझे जाने के लिए हां कह दिया. मैंने उसे ये मेसेज किया तो वो एकदम खुश हुई और मुझे बहुत सब कीस वाली स्माइली भेजी उसने.

मैं दो दिन के बाद मुंबई के लिए निकला और पहले ही भाभी के घर गया.

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भाभी की माँ ने दरवाजा खोला और मुझे अंदर लिया. शाम हो गई थी. मैं फ्रेश हो के वापस आया उतने में डिनर भी लग चूका था. खाने के बाद मेहिरा भाभी को एक मेरिज फंक्शन में जाना था. भाभी रात को करीब 11 बजे आई और मैं आलरेडी बेडरूम में ही था और भाभी की वेट करते हुए अपने लंड को हिला रहा था. सच कहूँ तो मैं एकदम फ्रस्टेट हुआ था उसकी वेट में. उन्के घर में दो बेदरूम थे एक उसके लिए और एक उसकी मोम के लिए. मैं उसके बेडरूम में ही था उस वक्त मैं उसकी ही वेट में था और उसके आते ही जानवर के जैसे उसके ऊपर टूट पड़ा. मैंने उसे कमर से पकड के अपनी तरफ खिंच लिया. और मैंने रूम के दरवाजे को फट से बंद कर दिया.

वो मेरे तरफ अपनी कमर कर के थी और मेरा लंड उसकी गांड को टच कर रहा था. मेरे हाथ उसकी कमर एक ऊपर से होते हुए उसके बूब्स पर थे जिन्हें मैं दबा रहा था. और साथ में मैं उसके गले को और काना के ऊपर किस दे रहा था. फिर मैंने उसके पल्लू को हटा दिया और उसके बूब्स को दबाने लगा. फिर मैंने उसके कान में कहा: आज तो तुमने बहुत वेट करवाई मेरी जान. लेकिन तुम्हे इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी याद रखना. मैं ऐसे चोदुंगा की तुम्हारी गांड ही फाड़ डालूँगा मेरी रानी.

और ये कह के मैंने उसे बिस्तर के अंदर फेंक दिया. फिर मैंने अपनी टी शर्ट और शोर्ट को उतार दिया. भाभी ने भी अपनी साडी को उतार दी.

मैं अपने ऊपर कंट्रोल नहीं कर सका और एकदम नंगा हो के उसके बूब्स को और ट्रिम की हुई चूत को छूने लगा. मैं उसके ऊपर ही चढ़ गया था और उसके बूब्स को किस दे रहा था. फिर हमने एक दुसरे को एक लम्बा किस दिया और फिर मैंने निचे उसकी चूत में दो ऊँगली डाली और उसकी फिंगर फकिंग प्रथमेश लगा. मैंने काफि देर तक उसकी चूत का फिंगर फक किया. मैं फिर ऊँगली बहार निकाल के चाटी तो वो एकदम खारा सवाद था.

भाभी के कहने पर फिर हम दोनों 69 पोजीशन में आ गए. और वो किसी प्रोफेशनल पोर्नस्टार के जैसे मेरे लंड को पूरा अपने मुहं में ले के मजे से चूसने लगी थी. मैं उसकी चूत को और गांड के छेद को अपनी जबान से चाट रहा था और उसके अन्दर अपनी जबान को घुसाने की भी कोशिश में लगा हुआ था.

फीर मैं मेहिरा भाभी के ऊपर आ गया और अपने लंड को उसकी चूत पर लगा दिया. मैंने जैसे ही एक झटका दिया तो वो मेरे नाम को ले के जोर से मोअन कर बैठी. मैंने उसके मुहं को अपने हाथ से दबा दिया और जोर से धक्का मार के अपने लंड को अन्दर पेल दिया.

मैंने कहा: साली इतनी लेट आई उसी की सजा हे ये मेरा लंड. ऐसे चोदुंगा की तेरी चूत का भोसड़ा बना दूंगा साली रंडी.

और फिर मैं जोर जोर के धक्के दे के उसकी चूत को चोदने लगा. भाभी भी एकदम जोर जोर से मोअन कर रही थी और मुझे पकड़ के अपनी तरफ खिंच रही थी. शायद सालों के बाद उसकी सुखी हुई चूत में लंड की बहार आई थी. इसलिए वो भी इन लम्हों को खून एन्जॉय कर रही थी.

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वो मोअन करते हुए बोली: अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह प्रथमेश चोदो मुझे, अह्ह्ह्ह आआअज से मैं अपनी चुत्पर तुम्हारा नाम लिख दूंगी मेरे राजा, वाह क्या बड़ा लंड हे तेरा तो. चोदो चोदो मुझे अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्हह  मजा आ गया वाह्ह्ह!

कुछ देर मेहिरा भाभी को मिशनरी पोज में चोदने के बाद हम दोनों डौगी स्टाइल में आ गए. मैंने पीछे से उसके बाल पकडे और जैसे कुतिया को चोद रहा था वैसे कस कस के उसकी चूत को बजाई. उसके बाद में भाभी ने मेरे लंड की सवारी भी की और बूब्स हिला हिला के अपनी चूत को चुदवाया. वो चुदते हुए जो मोअन करती थी उसकी वजह से मैं और भी उत्तेजित हो जाता था.

एक बार फिर से हम दोनों मिशनरी पोज में आ गए और मैंने उसको डीप धक्के दे दे के चोदा. हम दोनों एक दुसरे को चूम रहे थे, हाथ से प्यार दे रहे थे और मोअन कर रहे थे. फिर उसकी टांगो को मैंने अपनी कमर के चारोतरफ ले ली और एकदम जोर जोर से लंड को उसकी चूत में ठोकता गया. मैंने कहा मेरा निकलने को हे.

मेहिरा भाभी ने कहा सब अपनी भाभी की भोसड़ी में ही निकाल दे मेरे राजा. मैंने आखरी झटके दिए और अपने सब माल को भाभी की चूत में निकाला. मैं उसकी निपल्स को सक कर रहा था. और वो भी वीर्य चूत में ले के मजे से मोअन कर रही थी. हम दोनों की अन्तर्वासना शांत हो चुकी थी.

कुछ देर आराम प्रथमेशे के बाद हम दोनों ने एक और राउंड चालु कर दिया. इस बार की चुदाई में मैंने उसके बूब्स को खूब चुसे और उसके ऊपर ढेर सारे लव बाईटस भी दे दिए. मैं भाभी के घर पुरे 3 दिन रुका था. उसमे से एक दिन वो मुझे अपने आम के बाग़ पर भी ले के गए थे. वहां पर मैंने भाभी को किसान की चारपाई में भी चोदा था. और वो तिन दिन में मैंने कम से कम 20 बार मेहिरा भाभी को चोदा.

फिर मैं वापस घर आ गया. फिर मैं अक्सर मुंबई जा के मेहिरा भाभी को चोदता रहा. पिछले कुछ महीनो पहले ही भाभी की सेकंड मेरिज नवसारी में हो गई. वो बहुत दूर हे मेरे प्लेस से. लेकिन वहां पर जा के भाभी को उसके ससुराल में चोदने का भी इरादा हे मेरा!

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नौकर ने मम्मी की चीखे निकलवाकर खूब चोदा | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/chudai-ki-kahani/naukar-ne-mummy-ki-chikhe-nikalwakar-khub-choda.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/chudai-ki-kahani/naukar-ne-mummy-ki-chikhe-nikalwakar-khub-choda.html#respond Thu, 01 Feb 2018 04:54:54 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=11848 मेरे घर का नौकर मुझे चुदाई करने दे ऐसी मम्मी से ऐसे बात कर रहा था कि मानो वो उसकी रखैल है उसने उन्गलियो से मम्मी की फुद्दी खोली और अपना लन्ड उस पर फिट किया मम्मी के दोनो पैर हवा मे थे और चूत पूरी खुल चुकी थी अशोक ने लन्ड एक बार सेट किया और जैसे ही एक कसकर धक्का मारा तो सिर्फ लन्ड का टोपा ही अन्दर गया और मम्मी की चीख निकल गई

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हेल्लो दोस्तों मेरा नाम है धीरज और आज मै मेरी मम्मी का एक वैश्य रूप आप सभी के सामने लूँगा अपनी कहानी के जरिये. इस कहानी को आप पॉजिटिव वे में लेकर चले एंटरटेनमेंट के लिए क्योकि मैंने इसमे नाम और जगह बदल दिए है क्योकि मै किसी को बेइज्जत नहीं करना चाहता. बस आप सभी एक बार ये कहानी पढ़ मेरी मा के फिगर को इमागिन कर एक बार जरुर मुठ मारे. मेरी मम्मी का नाम है गिरजा, वो एक मॉडर्न महिला है. उसकी उमर कुछ 46 साल है थोडी हेल्दी है, लेकिन उसके थोडेसे मोटापे की वजह से उसका बदन बहुत गदराया और सेक्सी लगता है. वो अक्सर स्लीव्ह लेस ब्लाउझ पहनती है जिसमे उसकी चुचिया बहुत उभर कर आती है. कई बार उसकी साडी नाभी के नीचे पहनी होती जिससे उसका फुला हुआ मुलायम सेक्सी पेट और उसकी लुभावनी नाभी देखने के लिए मै तरस जाता था. मैने उसकी ब्रा देखी है, जिसका साईझ 42 सी है, तो आप अन्दाजा लगा सकते है कि कितने बडे मम्मे होगे उसके….कभी कभी वो जब झुक जाती थी तो उसके बूब्सके बीच की वैली मुझे पागल कर देती थी. मम्मी की गान्ड भी काफी बडी है और जब वो चलती है तो उसकी गान्ड खूब मटकती है.  हमारे घर मे एक नौकर है जिसका नाम है अशोक. उसकी उमर लगभग २३/२४ है और वो काफी मजबूत कद का जवान है.

एक दिन मै कॉलेज से वापस आया तो किचन से मम्मी की आवाज आ रही थी, वो अशोक से बाते कर रही थी. दरवाजा खुला ही था तो मै बिना दरवाजा खटखटाए अन्दर चला गया. मै वैसे तो कॉलेजसे आनेपर सीधा अपने कमरेमे जाता हू लेकिन उस दिन मुझे पता नही क्या सूझा, मैने किचन मे झान्क कर देखा तो अशोक जमीन पर बैठा था और उसके सामने सब्जी की थाली थी. मम्मी उसकी तरफ पीठ कर के खडी थी और कुछ पका रही थी. उसने एक गाऊन पहना था जो स्लीव्हलेस था, उससे मम्मीकी गोरी बाहे खूब सुन्दर लग रही थी. अशोक सब्जी काटने के बजाए मम्मीकी गान्ड देख रहा था, मम्मी काम करते वक्त हिल रही थी जिससे उसकी गान्ड बहुत सेक्सी तरीकेसे थिरक रही थी. अशोक अपने धोति के उपर से अपने लन्ड को पकड कर हिला रहा था. मैने ये सब देखा और अपने कमरे की तरफ चला गया.

कुछ दिन बाद मम्मी ने मुझे अशोक को सर्व्हन्ट क्वार्टर से बुलाने के लिए कहा. मै हमारे घर के पीछे अशोक का कमरा था वहा गया और उसका नाम पुकारा लेकिन कोई जवाब नही मिला. मुझे लगा कि वो शायद सो गया है इसलिए मै उसके कमरे का दरवाजा खोलकर अन्दर गया. उसके बाथरूमसे आवाज आ रही थी तो मै समझ गया कि वो बाथरूम मे है, इसलिए मै जाने के लिए मुडा तभी मैने उसके बिस्तर पर देखा और मुझे शॉक लगा. उसके बिस्तर पर एक मरून कलरवाली पॅन्टी पडी थी, मै उसे देखकर ही पहचान गया कि वो मम्मी की थी. मैने वो पॅन्टी उठाई तो उसपर कुछ चिपचिपा सा लगा था, यकीनन वो अशोक का वीर्य था. साला हरामी मेरी मम्मी की पॅन्टी लेकर मूठ मार रहा था. मुझे उसका गुस्सा भी आया और एक अजीब सी सनसनी शरीर मे दौड गई. अशोक मूठ मारते वक्त क्या सोच रहा होगा, कैसे वो मम्मी का खूबसूरत बदन अपनी आन्खो के सामने ला रहा होगा यह सोच कर मेरे लन्ड मे एक करन्ट लगा और वो खडा होकर डोलने लगा. मै वहासे चला गया. कुछ समय बाद अशोक घर मे आकर अपना काम करने लगा.

लेकिन उस दिन से मैने अशोक पर नजर रखना शुरु किया. मैने देखा कि कई बार उसकी नजर मम्मी की गान्ड और बूब्स पर टिकी रहती थी. सबसे हैरत वाली बात यह थी कि मम्मी ने भी उसे कभी टोका नही. मुझे यकीन है कि उसे भी उसकी नजर पता चली होगी. शायद मम्मी भी उस नजर को पसन्द करती होगी. एक-दो बार तो काम करते वक्त मैने अशोक को मम्मी की बडी गान्ड को पीछे से धीरे से सहलाते हुए पकडा. लेकिन मम्मी की तरफसे कोई रिॲक्शन नही था. मुझे लगा कि इन दोनोके बीच मे जरूर कुछ चल रहा है. फिर मैने उन दोनो को डबल मिनिन्ग मे बात करते हुए सुन लिया.

एक दिन अशोक केले ले आया तो मम्मी बोली ‘ ये क्या लाये हो, तुम्हे पता है ना मुझे लम्बे और मोटे केले पसन्द है’ और फिर दोनो हसने लगे. ऐसी बाते सुनकर मुझे यकीन होने लगा की दोनो मे कुछ चल रहा है. मम्मी का अब कपडे पहनने का तरीका भी बदला हुआ था. मैने नोटिस किया कि मम्मी अब ब्रा नही पहनती थी और उसके निप्पल उसके झीने ब्लाउझ से साफ झलकते थे. उसके ब्लाउझ काफी टाईट हुआ करते थे जिससे उसके बूब्स का शेप उभरकर आता था और ज्यादा सेक्सी लगता था. ऐसा लगता था मानो वो जानबूझकर अपने उभरे हुए मम्मो का प्रदर्शन करवा रही हो.

एक बार मुझे कुछ छुटटी थी मै मेरे कमरे मे था (जो पहली मंजिल पर था). मम्मी-पापा का बेडरूम नीचे वाली मंजिल पर था. किचन भी नीचे था तो मम्मी अक्सर नीचे ही रहती थी. उस दिन दोपहर का खाना खाने के बाद मै उपर मेरे कमरे गया, जाते जाते मम्मी को बोल के गया कि मेरे सिर मे दर्द है और मै सोने जा रहा हू. मम्मी ने कहा ठीक है बेटा सो जाओ. मै उपर जाकर लेट तो गया लेकिन काफी देर बिस्तर पर करवटे बदलने के बाद भी मुझे नीन्द नही आइ. दर्द भी ज्यादा हो गया था, तो मैने सोचा कोई गोली ली जाए. मै नीचे जाने लगा तभी मुझे सीढियो पर मम्मी की आवाज आई “अशोक यह क्या बद्तमीजी है”

अशोक बोला “मालकिन, ये बद्तमीजी नही बल्कि प्यार है, और मै जानता हू आप भी प्यार की भूखी हो.”
मम्मी बोली “अभी जाओ अपने रूम मे मेरा बेटा उपर है…”

इसके पहले मम्मी कुछ और कहती उसकी आवाज जैसे गले मे फस गयी हो, मै थोडा सा आगे हुआ तो देख कि अशोक ने मम्मी को अपने बाहो मे लिया हुआ है और जबरदस्ती किस कर रहा है. मम्मी ने पहले तो कोशिश की खुद को छुडाने की लेकिन बाद मे उसकी कोशिश कम होती गै. अब अशोक मम्मी के होठ चूस रह था और गान्ड पर हाथ फेर रह था. मम्मी भी उसका साथ दे रही थी. कुछ देर बाद मम्मी बोली “अब तुम जाओ, कही धीरज ना जाग जाए”  लेकिन अशोक मम्मी को छोडने को तैयार नही था, वो कभी मम्मी के बूब्स दबाता और कभी गान्ड. बडी मुश्किल से मम्मी ने उसको जुदा किया इस वादे पर कि वो रात को उसे अपने बेडरूम मे बुलायेगी.

अब मुझे मम्मी का रात का प्रोग्राम पता चल गया, और मुझे भी देखना था मम्मी के साथ अशोक क्या गुल खिलाता है. तो मैने प्लान को थोडा और बढावा देने की सोचा. शाम को जब अशोक ने चाय-नास्ता परोसा तो मैने मम्मी को बताया कि मै अपने दोस्त के साथ उसके घर पर पढाई करने जानेवाला हू और रात को वही पर ठहरने वाला हू. ये बात सुनकर दोनोके चेहरेपर खुशी छा गई लेकिन मेरे सामने उन दोनो ने कुछ नही कहा.
लेकिन मम्मी ने अशोक की ओर हसकर इशारा किया जो मैने देख लिया. फिर एक बार तसल्ली करने के लिए उसने मुझे पूछा “धीरज पक्का तुम रात वहा गुजारोगे? खाने खा कर जाओगे ना? ” तो मैने हा कह दिया. रात का खाना खा कर मै तैय्यार हुआ और बाहर निकल गया. थोडी देर तक बाहर टहलने के बाद मै सीधा घर के पीछे के रास्तेसे घर मे घुस गया और घर के छत पर चढ गया और रोशनदान से घर के अन्दर झान्कने लगा. अन्दर का नजारा साफ दिखाई दे रहा था.

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मैने देखा कि मम्मी ने एक साधारण सी साडी पहनी थी और पल्लु पूरी तरह से लपेट लिया था, लेकिन जब वो चलने लगी तो मै हक्क बक्का रह गया कि उसने अन्दर ब्लाउझ पहना ही नही था. वो एकदम टिपिकल साधारण औरत के भेस मे थी, उसके बडे बडे गदराए मम्मे हिल रहे थे. उसने एक बार पल्लु ठीक करनेके लिए उसे बाजूमे किया तो मेरी आन्खे फटी की फटी रह गई, उसने अन्दर ब्रा भी नही पहनी थी. उसके बडे वक्ष और उसपर भूरे कलर के गोल और उसपर सख्त हुए निप्पल…..कसम से, बहुत ही सेक्सी नजारा था.

तभी दरवाजेपर किसीने दस्तक दे दी तो मम्मीने जाकर दरवाजा थोडा ही खोला. बाहर अशोक को देखकर उसने मुस्कुराकर उसे अन्दर ले लिया. अशोकने भी शायद मम्मी को इस अन्दाज मे नही देखा था. बगैर ब्लाउझ और ब्रा की उसकी चुची देखकर अशोक का लन्ड खडा होने लगा. मम्मी ने उसे एक सेक्सीसा स्माईल दिया और बेडरूम की ओर चल पडी. अशोक उसकी तरफ देखता ही रह गया, उसे यकीन नेही हो रहा था कि उसकी सेक्सी मालकिन, जिसे पाने का वो सपना देखता था, जिसका बदन याद करके वो मूठ मारता था, आज वो औरत उसके सामने बिना ब्लाउज और ब्रा पहने आई है. मम्मी जब बेडरूम की ओर मुडी तो मैने देखा कि उसकी गोरी पीठ पूरी तरहसे नन्गी थी, सिवा कन्धे पर जहा पर साडी का पल्लु टिका हुआ था. वो जैसे चलने लगी तो उसकी गान्ड एक नशीली लय मे हिलने लगी.

उसके नितम्बो का उभार साडी से साफ दिखाई दे रहा था, शायद उसने पॅन्टी भी नही पहनी थी. उसके गोरे पैर साडी के नीचेसे दिखाई दे रहे थे. अशोक ने अपना हाथ अपने लन्ड पर ले जाकर सहलाया. उसके नसीब मे इतनी खूबसूरत औरत होगी इसका मुझे तो क्या उसे भी अन्दाजा नही होगा.अब ज्यादा समय गवाना उसने उचित नही समझा, हाथ आए मौके को वो छोडना नही चाहता था, उसने झट्से दरवाजा बन्द कर लिया और मम्मी को पीछे से जाकर पकड लिया और उसकी गोरी बाहो को और कन्धो को चूमने चाटने लगा. फिर उसने मम्मी से कहा,
“हाय मेरी जान, अपना खूबसूरत जिस्म तो दिखाओ……..”

मम्मी तो जैसे तैयार बैठी थी, उसने तुरन्त साडी निकाल दी. मेरी अन्दाजा गलत था, उसने अन्दर एक बहुत ही छोटीसी काली पॅन्टी पहनी थी जो उसके गोरे बदन पर सेक्सी लग रही थी. उसके बडे मम्मे अब खुलकर सामने आ गए, उसके निप्पल भी काफी बडे थे. मम्मी के जिस्म का ये नजारा देखकर अशोक जैसे पागल हो गया और उसने मम्मी को बेड पर गिरा दिया और उस पर लेट कर पागलो की तरह उसके बूब्स चूसने लगा. मम्मी के वक्ष इतने बडे थे की उसके हाथ मे नही आ रहे थे. किसी छोटे बच्चे की तरह अशोक मम्मी के मम्मे चूस रहा था और दूसरे हाथ से दुसरे वक्ष को मसल रहा था. कभी वो निप्पल्स को चबाता था, तो कभी दोनो वक्षोको बीच मे खीन्च कर उन्हे एक साथ मुह मे लेने की कोशिश करता था. फिर उसने मम्मी के पेट को चाटते हुए उसकी कमर तक गया और उसकी टान्गो के बीच बैठ कर बोला “चलो मेरी जान, अब अपनी पॅन्टी उतारो” मम्मी ने शरमसे अपना मुह ढक लिया.

अशोक बोला “अरे मेरी रानी, ऐसे शरमाओगी तो मजा कैसे लोगी, चलो जल्दी उतारो” मम्मी ने कहा
“हट बेशरम, मै नही ……..तुमही उतारो” फिर अशोक ने मम्मी की पॅन्टी उतार दी और मेरी दूसरा अन्दाजा गलत निकला. हालान्कि मम्मी अपनी बगल साफ रखती थी लेकिन उसकी चूत पर लम्बे घने काले बाल थे.
अशोक मम्मी की फुद्दी देख कर बोला,
“मेरी जान, तुम शेव्ह नही करती?”
मम्मी अपनी चूत पर हाथ फेर कर बोली,
“किस के लिये शेव्ह करू, धीरज के पापा साल मे १५ दिनो के लिये आते है और तो और, उनका खडा करने मे आधा टाईम जाता है, फिर २-४ धक्कोमेही उनका दम निकल जाता है और खलास हो जाते है.”
ये सुन कर अशोक बोला
“जानता हू रानी…” उसकी बात बीच मे काटकर मम्मी बोली
“तुम क्या जानते हो” तो अशोक हसते हुए बोला
” अरे मेरी जान मै तो हमेशा आपके बेडरूम मे झान्का करता था, मै जानता हू साब क्या करते थे और क्या नही”
मै सुनकर दन्ग रह गया, ये हरामी अशोक कई दिनोसे मम्मीपर नजर रखे हुए था, मतलब उसका प्लान पक्का था. मम्मी भी ये बात सुनकर चौन्क गई
“क्या कहते हो……इसका मतलब तुमने हमारी वो बाते सुन ली………”

अशोक बोला” हा मालकिन, मै जान गया था कि आप जैसी औरत के लिये साब जैसा कमजोर लन्ड नही मेरे जैसा मर्द चाहिये.”
फिर अशोक मम्मी की चूत पर हाथ फेरने लगा और मम्मी के मुह से सेक्सी सिसकारिया निकलने लगी. वो भी अशोक को टान्गो मे दबा रही थी. अशोक ने उसकी पॅन्टी पूरी तरहसे निकाल दी और बाजूमे फेन्क दी. उसने मम्मी को बिस्तर के किनारे खीन्च लिया और खुद घुटनोके बल फर्श पर बैठ गया. वो ऐसा क्यू कर रहा है इसका मुझे और मम्मीको भी अन्दाजा नही था. इसके पहले कि हम कुछ समझ सके, उसने मम्मी की टान्गे चौडी कर दी और उसकी फूली हुई फुद्दी चाटने लगा, मम्मी ने शायद ओरल सेक्स कभी अनुभव नही किया था, उसके मुह से एक जोर की सिसकारी निकली और वो अशोक का सिर पकड कर अपनी चूत पर दबाने लगी, मम्मी की हालत देखने वाली थी, कभी वो अपनी गान्ड उपर कर के अशोक का मुह और ज्यादा फुद्दी पर रगडने की कोशिश करती और कभी अपने बडे बडे मम्मो को दबाती. अशोक मन लगाकर मम्मी की चूत चाट रहा था और उसके भरपूर नितम्बोको मसल रहा था, कभी वो हाथ उपर ला कर मम्मी के बडे बूब्स मसल देता. कुछ देर चाटने के बाद अशोक ने अपनी कमीज उतारी तो मम्मी बोली “चलो अब जल्दी से अपना लम्बा और मोटा केला दिखाओ, देखू तो तेरे पास क्या है”

अशोक बेड की साईड पर खडा हुआ और बोला “लो मेरी जान तुम ही ये काम कर लो”
मम्मी हसते हुए बोली” हा मेरे राजा, क्यू नही” और फिर मम्मी ने अशोक की धोती को खोला और उसकी अन्डरवेअर नीचे कर दी. मेरे तो जैसे होश उड गए और यही हाल मम्मी का था, वो भी सहम गई. अशोक का लन्ड पूरी तरह से खडा थ, वो काले कलर का मोटा रॉड जैसा था, लगभग ९ इन्च का होगा. मम्मी ने अपने होठोपर जीभ फेरकर दरते हुए उस काले नाग को अपनी हाथो मे ले लिया. मम्मी की नाजुक गोरी उन्गलियो मे तो अशोक का लन्ड और मोटा लग रहा था. मम्मीने धीमी और सहमी आवाज मे कहा “अशोक तेरा ये हथियार तो काफी मोटा और लम्बा है, धीरज के बाबा का तो इसके आधे साईझ का भी नही है…… तेरी होने वाली बीवी बहुत सुखी होगी”

अशोक हसकर बोला” अरे मालकिन, मेरी बीवी आएगी तब आएगी, आज तो मेरी बीवी आप हो, आओ देखो मेरे लन्ड को देखो….घबराओ नही”
मम्मी बिस्तर के साईड पर बैठ गई और उसका लन्ड हाथमे लेकर उसे सहलाने लगी. फिर उसने अशोक की तरफ एक शरारती स्माईल दिया और अचानक उसके लन्ड को मुह मे ले लिया. अशोक खुशी से पागल हो गया और उसने मम्मी के सिर को पकड कर अपना पूरा लन्ड उसके मुह मे ठूसने की कोशिश करने लगा. मम्मी भी किसी कसी हुई वेश्या की तरह अशोक को ब्लो-जॉब दे रही थी, उसका मुह पूरा खुला हुआ था फिर भी लन्द पूर अन्दर नही गया था. मम्मी को सास लेना मुश्किल हो रहा था, और अशोक उसकी परवाह किए बिना पूरा लन्ड मम्मी की मुह मे घुसाना चाहता था. थोडी देर लन्ड चुसवाने के बाद अशोक ने मम्मी से कहा
“मालकिन अब लेट जाओ” मम्मी ने तुरन्त उसकी बात मान ली मानो वो उसकी गुलाम बन गई थी. अशोक मम्मी की टान्गे खोल के बीच मे बैठ गया और लन्ड को मम्मी की बालो से भरी फुद्दी पर फेरने लगा.
मम्मी बोली” अशोक, ये तुम्हारा हथियार बहुत बडा है मेरी चूत फाड देगा”
अशोक हसते हुए बोला” अरे नही मेरी जान, तू तो ऐसे डर रही है जैसे तू अभी भी कुवारी है”

मम्मी ने उसके चौडे सीने पर हाथ रखकर बोली” कुवारी नही हू मेरे राजा लेकिन मै बहुत अर्से से तुम्हारे जैसे किसी तगडे मर्द से चुदवाया नही इस लिये थोडा डर लग रहा है, पता नही मेरी चूत तुम्हारा ये बडा लम्बा लन्ड झेल पाएगी या नही”
मै मम्मी की बाते सुन कर हैरान रह गया, वो कैसे आराम से किसी बाजारू औरत जैसी बाते कर रही थी और बिलकुल किसी पेशेवर रन्डी की तरह अशोक से बात कर रही थी.
अशोक बोला” हा वैसे छोटे लन्ड से चुदी हो तो क्या होता, असली लन्ड तो इसको कहते है”

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मम्मी हसते हुए बोली” हा ये भी सच है, और आजकल तो उनका खडा भी नही होता” ये सुन कर अशोक जोरसे हसकर बोला” तभी तो तुम ऐसे रन्डी की तरह चुदवाती हो”
मै गुस्सेसे लाल हो गया, एक मामुली सा नौकर मेरी मम्मी को गाली दे रहा था उसे रन्डी बोल रहा था और सबसे हैरत की बात ये थी कि मम्मी भी उसकी बातो का बिलकुल बुरा नही मान रही थी बल्कि हसके मेरे पापा की बदनामी मे साथ दे रही थी. वो बोली
“तो औरत की कोई भूख नही होती है क्या ? मै कब तक अपने मन को चुप करू? मुझे भी जिस्मानी प्यास है और अगर वो मेरी पति नही बुझाता तो मै दूसरे का सहारा जरूर लून्गी”
अशोक हसकर बोला” हा तेरे जैसी गरम रन्डी तो बगैर लन्ड के कैसे रह सकती है” और आगे बोला” मुझे तो शक है ये धीरज कही हराम का तो नही” सच बताता हू मुझे इतना गुस्सा आया था कि जाकर साले का मुह तोड दू. लेकिन मेरी मम्मी जिस प्रकार से उसका साथ दे रही थी मै जान गया कि इसका कोई फायदा नही है. मम्मी तो बेशरम होकर अशोकसे चुदवा रही थी और वो कमीना हसी मजाक मे मम्मी को पूछ रहा था”क्यू रानी, बताओ धीरज किसका पाप है”

मम्मी बोली” हट नालायक, किसी का नही, इतनी भी गिरी हुई नही हू मै, धीरज हमारा ही बेटा है”
अशोक थोडा गुस्सेसे बोला” चल अब ज्यादा बाते मत कर, मुझे चुदाई करने दे” वो तो मम्मीसे ऐसे बात कर रहा था कि मानो वो उसकी रखैल है. उसने उन्गलियोसे मम्मी की फुद्दी खोली और अपना लन्ड उस पर फिट किया, मम्मी के दोनो पैर हवा मे थे और चूत पूरी खुल चुकी थी. अशोक ने लन्ड एक बार सेट किया और जैसे ही एक कसकर धक्का मारा तो सिर्फ लन्ड का टोपा ही अन्दर गया और मम्मी की चीख निकल गई और उसने अपना हाथ नीचे लाकर अशोक का लन्ड निकालने की कोशिश की. लेकिन अशोक ने मम्मी के हाथ अपने एकही मजबूत हाथ मे पकडकर उसके सिर के उपर कर दिये. दूसरे हाथ से वो मम्मी के बूब्स को बुरी तरहसे मसलने लगा. मम्मी के मुह से ‘आआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह…….स्स्स्स्स्स…..हाय……’ जैसे मादक आवाजे निकल रही थी. बहुत ही सेक्सी नजारा था, मेरी गोरी खूबसूरत मम्मी अपने दोनो हाथ सिर के पास लेकर पडी थी, उसकी क्लीन शेव्ह्ड बगल बहुत सेक्सी लग रही थी, उसके बूब्स उसके हिलने से थिरक रहे थे. अशोक ने अपने हाथोसे उसके गोरे गोरे बूब्स को मसल कर लाल कर दिया. मम्मी को दर्द हो रहा होगा, वो चीख रही थी
“हाय मै मर गई, मेरी चूत फाड रहे हो क्या रे हरामी…………उफ्फ…….तुम आदमी हो के घोडा………….आआआआआ…………ये आदमी का लन्ड तो नही लगता……………कितना मोटा है रे ये……….”

अशोक हसते हुए बोला” मै नही तू हरामजादी है जो एक गैर मर्द से चुदवा रही है” फिर झुककर उसने मम्मी का एक वक्ष पकड लिया और उसे दबाने लगा. मम्मी और भी चीखने लगी तो उसने नीचे झुककर मम्मीके होठोपर अपने होठ रख दिये. वो मम्मी को ऐसे किस कर रहा था जैसे उसके होठ चबा कर खा जाएगा. मम्मी की सास अटक रही थी और वो छूटने का प्रयास कर रही थी लेकिन अशोक ने उसे ऐसे कसके पकडा था कि उसे छूटने का मौका ही नही मिल रहा था. बडा ही मादक नजारा था, मेरी गोरी खूबसूरत और गदराए बदन वाली मम्मी को वो काला जवान ऐसे चिपक गया था मानो कोई नाग डस रहा हो. मुझे ये देखकर बहुत एक्साईटमेन्ट हो रही थी और मै मन ही मन चाहने लगा कि अशोक और जोरसे मम्मी को चोदे.

अशोक ने फिर एक और धक्का मारा और उसका लन्ड लगभग पूरा अन्दर दाखिल हुआ. मम्मी के होठ उसने अपने होठोसे बन्द किए थे तो वो बेचारी चिल्ला भी नही सकती थी, लेकिन उसकी जोरदार चुदाई से शायद मम्मी को भी अब मजा आने लगा था. मम्मी बुरी तरह से कान्प रही थी और लन्ड उसकी फुद्दी मे फसा हुआ था. अभी भी आधा लन्ड बाहर था, अब अशोक ने आराम से धक्के मारने शुरु किये, जिस से मम्मी को भी मजा आने लगा और वो गान्ड उपर उठा उठा कर अशोक का साथ देने लगी. उसके मुह से अजीब अजीब आवाजे निकल रही थी……….ह्म्म्म्म, आआहाअ आहाआआआ……हाय मेरी मा…….बस्स और न डालो, मै मर जाऊन्गी……आआआआह्ह्ह्ह…..” लेकिन अशोक मजे ले लेकर उसे चोद रहा था. बीच मे मजाक भी कर रहा था. वो हसते हुए बोला “अच्छा ये बता सुहाग रात मे चुदवाते हुए भी इतना ही दर्द हुआ था क्या”
मम्मी कराहती हुई बोली” आआआआ……नही रे, उनका लन्ड छोटा है……..ह्म्म्म्म्म्म्म…..तुमे तो मस्त चोद रहे हो……क्यू उनके बारे मे पूछ कर मूड खराब कर रहे हो…..आआआआ…….चोदो और जोर से….” मम्मी अपनी आखे बन्द कर के बडबडा रही थी और अशोक से चुदवा रही थी. फिर अशोक ने एक जोर का झटका मारा और लन्ड पूरा अन्दर चला गया. मम्मी दर्द के मारे चिल्लाने लगी” उई मा……..मर गई मै……धीरे से मेरे शेर…………” अशोक मजेसे मम्मी को चोद रहा था

“”हाय मेरी जान, क्या टाईट फुद्दी है तुम्हारी, लगता है ज्यादा चुदी नही हो, मेरा नसीब अच्छा है कि तेरे जैसे मस्त चूत मिली….ले और ले…..ले मेरा लन्ड…….” अशोक पूरा लन्ड अन्दर दाल कर रुक गया, शायद वो मम्मी की इस हालत को एन्जॉय कर रहा था. उस ने मम्मी के अन्डर आर्म्स पर हाथ फेरा, मम्मी ने शायद कुछ दिन पहले ही शेव्ह किया था, इसलिये वहा पर थोडे थोडे बाल निकल आये थय, वो मम्मी की कोमल अन्डर आर्म्स को पागलो की तरह चाटने लगा. मम्मी को गुदगुदी हो रही थे और वो हसने लगी, मैने देखा मम्मी की फुद्दी पूरी तरह से खुल गई थी. शायद अशोक की चुदाई की वजहसे फट गई हो. फिर अशोक ने मम्मीका एक जोरदार किस लिया और पूछा,
“रानी दर्द कुछ कम हुआ क्या”
मम्मी ने आपनी आन्खे खोली नही, वो अपने दात अपने होठोपर गडाकर दर्द बर्दाश्त कर रही थी, वो बोली
“नही रे…….बहुत दर्द है मेरे राजा………” लेकिन उसने अपने हाथोसे अशोक को कसके पकड रखा था, मम्मीके मुह से सिसकिया निकल रही थी…..‘आअह्ह्ह्ह आहाअह, ह्ह्म्म्म आआह्ह्हाआ………..’ ऐसी आवाजोसे पता चल रहा था कि मम्मी को शायद अब मजा आने लगा था, उसने अपने पैर अशोक की कमर के गिर्द टाईट कर लिए थे और बीच बीचे मे उसे प्यारसे किस कर रही थी.

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अशोक ने फिर से एक जोर का धक्का मरा और मम्मी की चीखे और जोर की होने लगी. अशोक का लन्ड पहले धीरे धीरे अन्दर बाहर हो रहा था. लेकिन उसने स्पीड बढा दी. अब अशोक जोर से अपनी कमर हिलाकर बडी तेजीसे मम्मी की फुद्दी मे लन्ड अन्दर बाहर करने लगा, कभी वो उसके बूब्स चूसता तो कभी उसके होठोपे या गालोपर किस करता था, पूरे कमरे मे ‘फच्च….फच्च……फच्च…….’ की आवाज गून्ज रही थी. मम्मीकी चूतसे अन्दर बाहर करता हुआ अशोक का काला लन्ड बहुत ही भयानक लग रहा था, वो पूरी तरह मम्मी की चूत की रस से गीला हुआ था, उसके धक्कोकी रफ्तार देखते ही बनती थी.
तभी मम्मी चीखकर बोली “आहाआह अशोक………. मै…… आह….. आह….गए…….आआआआआअह्ह…………….ओ मेरी मा…….” और मम्मी झड गई, उसकी चूतसे पानी निकलकर अशोक के लन्ड और उसकी जान्घपे आ गया. ये देखकर अशोक को और जोश आया और उसने और जोर जोर से चोदना शुरु कर दिया. बीच मे चुदाई रोककर प्यार से मम्मी के होठ चूस कर बोला
“बस इतनी ही देर मे तू झड गई, मै तो तुझे रात भर रन्डी की तरह चोदनेवाला हू”

मम्मी निढाल हो कर पडी थी, उसने भी प्यारसे अशोक का किस लिया और बोली” हा मेरे राजा, आजसे मै तेरी रन्डी हू, मुझे खूब चोदना, रात भर चोदना…..तेरा ये मस्त लन्ड मुझे कितना मजा दे रहा है तुम नही जानते……….लगता है आज सही तरह सुहागन बनी हू”
मम्मी अब पूरी तरहसे अशोक के वश मे हो गई थी. मम्मी की ऐसी बाते सुनकर अशोक को जोश आया और उसने फिरसे जोरदार धक्के लगाने शुरु किए, मम्मी चीख चिल्ला रही थी लिएकिन उसने बिलकुल ध्यान नही दिया और बडी तेजी से मम्मी को चोदता रहा. और जब उसकी खलास होने की बारी आई तो किसी जानवर की भान्ति गुर्राता हुआ वो झड गया. उसके ढेर सारे वीर्य से उसने मम्मी की बुर को लबालब भर दिया. उन दोनो की यह चुदाई देखकर मै भी झड गई. कुछ देर मम्मी और अशोक वैसे ही लेटे रहे. फिर अशोक उठा और उसने अपना लन्ड धीरे से मम्मी की बुर मे से बाहर निकाला. जैसे ही उसके लन्ड का टोपा निकला बहुत सारा रस मम्मी की फुद्दी मे से बाहर निकल कर उसकी बडी गान्ड और मोटी जान्घोपर बहने लगा. मम्मी की फुद्दी पूरी खुली हुई थी. अशोक ने अपना लन्ड पकड कर मम्मी के मुह के पास लाया और बोला.
“ले रन्डी अब इस को चूस कर साफ कर” अशोक का लन्ड छोटा हो कर ४/५ इन्च का हो गया था. मै हैरत से देखता रहा कि मम्मी ने मुस्कुरा कर अशोक के लन्ड को पकडाअ और उस गन्दे लन्ड को चूसने लगी और उसे मजा भी आ रहा था.

“ओह अशोक ये तो बहुत नमकीन है” और किसी आईसक्रीम की तरह अशोक का लन्ड चूस रही थी.
अशोक ने पूछा” तूने कभी लन्ड चूसा है”
मम्मी बोली” नही आज से पहले कभी लन्ड नही चूसा था” और उसने अच्छी तरहसे अशोक का लन्ड साफ करके चाट लिया. फिर वो दोनो आपसमे बाते करते बिस्तर पर लेट गए.
ऐसीही कई राते अशोकने मम्मी की खूब चुदाई की और मै हर बार चुपकेसे देखकर उसका मजा लेता था.

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मन की अन्तर्वासना भाग – 3 | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/chudai-ki-kahani/man-ki-antarvasna-part-3.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/chudai-ki-kahani/man-ki-antarvasna-part-3.html#respond Wed, 31 Jan 2018 03:14:26 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=11817 ज्योत्सना ने सोचा, ‘इन्हें मेरी शारीरिक चोट की तो इतनी फ़िक्र है पर चमेली का मज़े लेने से पहले इन्होने मेरी मानसिक चोट के बारे में सोचा था? अब इन्हें सबक सिखाने का समय आ गया है

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मन की अन्तर्वासना भाग – 3 ( Man Ki Antarvasna Part -3 )

बाबूजी, अब आपसे क्या छिपाना, चमेली ने अपनी आवाज नीची कर के अपनी बात आगे बढाई. सच तो यह है कि मेरे मरद के मन में लालच आ गया था. हमारे मुहल्ले में एक आदमी है जो हर तरह के उलटे-सीधे धंधे करता है – चरस, गांजा, स्मैक, गन्दी फिलमें – वो सब कुछ खरीदता और बेचता है. मेरा मरद उसके पास पहुँच गया.

उसने उस आदमी से कहा कि मेरे एक दोस्त के पास एक शरीफ और घरेलू किस्म के मरद-औरत की गन्दी फिलम है. वो कितने में बिक सकती है? उस आदमी ने कहा कि आजकल कोई नैट नाम का बाज़ार बना है जहाँ ऐसी चार-पांच मिनट की फिल्म के भी एक लाख रुपये तक मिल सकते हैं. सुना आपने, बाबूजी? एक छोटी सी फिलम के एक लाख रुपये!

अब प्रवीन की बोलती बंद हो गई. वे चालीस-पचास हज़ार रुपये भी मुश्किल से जुटा पाते लेकिन यहां तो बात एक लाख की हो रही थी. उन्हें लगा कि बाज़ी हाथ से निकल चुकी है. अब कुछ नहीं हो सकता. लेकिन फिर उन्हें याद आया कि अभी चमेली ने यह नहीं कहा था कि उसके पति ने फिल्म बेच दी. शायद कोई रास्ता निकल आये! उन्होंने डरी हुई आवाज में कहा, फिर तुम्हारे मरद ने क्या किया?

एक लाख की बात सुन कर उसके मुंह में पानी आ गया पर फिर कुछ सोच कर उसने वो फिलम न बेचना ही ठीक समझा. वापस आ कर उसने मुझे सारा किस्सा सुनाया और कहा ‘चमेली, रुपये तो हाथ का मैल है. किस्मत में लिखे हैं तो कभी न कभी जरूर आयेंगे. पर तेरी मालकिन जैसी एक नम्बर की मेम दुबारा नहीं मिलेगी.

मैं कितना ही मुंह मार लूं पर मुझे औरत मिलेगी तो तेरे दर्जे की ही. मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि मेमसाहब जैसा टनाटन माल मेरी किस्मत में हो सकता है! अब किस्मत मुझ पर मेहरबान हुई है तो मैं ये मौका क्यों छोडूं? तू तो बस एक दिन के लिए मेमसाहब को मुझे दिला दे.’ सुना आपने, बाबूजी? उस मूरख ने बीवीजी के लिए एक लाख रुपये छोड़ दिए!

यह सुन कर प्रवीन स्तब्ध रह गये. यही हाल ज्योत्सना का था जो परदे के पीछे खडी सब सुन रही थीं. दोनों सन्न थे. दोनों के समझ में नहीं आ रहा था कि अब क्या करें. ज्योत्सना किसी तरह दीवार का सहारा ले कर खड़ी रह पायीं. आप यह हॉट हिंदी सेक्सी कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | प्रवीन गुमसुम से खिड़की की तरफ देख रहे थे. तभी चमेली ने सन्नाटा तोडा, क्या हुआ, बाबूजी? आपकी तबियत ठीक नहीं लग रही है. गर्मी भी तो इतनी ज्यादा है. मैं आपके लिए पानी लाती हूँ.

ज्योत्सना ने चौंक कर खुद को संभाला. उन्हें डर था कि कहीं चमेली अन्दर आ कर उनका हाल न देख ले. तभी उन्हें प्रवीन की आवाज सुनाई दी, नहीं नहीं, मैं ठीक हो जाऊंगा.

अन्दर से बीवीजी को बुलाऊं? चमेली ने हमदर्दी दिखाते हुए कहा. उसकी बात सुन कर ज्योत्सना तेज़ी से बेडरूम में चली गयीं.

प्रवीन ने कहा, नहीं, कोई जरूरत नहीं है. मुझे अब थोडा ठीक लग रहा है.

पर फिर भी आपको उनसे बात तो करनी होगी न! चमेली उनका पीछा नहीं छोड़ रही थी.

बात? हां, मैं बात करूंगा. चमेली, क्या तुम अभी जा सकती हो? कल तक के लिए?

ठीक है बाबूजी, इतने दिन बीत गए तो एक दिन और सही! मैं चलती हूँ. चमेली उठ कर दरवाजे की ओर चल दी. बाहर निकलने से पहले उसने कहा, जो भी तय हो वो आप कल मुझे बता देना.

उसके जाने के बाद प्रवीन किंकर्तव्यविमूढ से बैठे रहे. वे जानते थे कि अब चमेली के पति की बात मानने के अलावा कोई चारा नहीं था. पर उन्हें समझ में नहीं आ रहा था कि वे यह बात ज्योत्सना को कैसे बताएं. ज्योत्सना को भी भान हो गया था कि चमेली जा चुकी थी. उन्हें यह भी ज्ञात हो गया था कि पति की इज्ज़त और जान बचाने के लिए उन्हें उस घटिया आदमी की इच्छा पूरी करनी ही पड़ेगी. वे जानती थीं कि प्रवीन के लिए उनसे यह बात कहना कितना कठिन होगा. उन्होंने अपना जी कड़ा किया और ड्राइंग रूम में पहुँच गयीं. उन्होंने देखा कि प्रवीन की सर उठाने की भी हिम्मत नहीं हो रही थी.

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ज्योत्सना ने उनके कंधे पर हाथ रख कर दृढता से कहा, तुम चिंता छोडो. मैं कर लूंगी.

कर लोगी? प्रवीन ने आश्चर्य से कहा. क्या कर लोगी?

वही जो चमेली की शर्त है और जो उसका पति चाहता है, ज्योत्सना ने कहा.

यह सुन कर प्रवीन को अपनी वाइफ की इज्ज़त लुटने का दुःख कम और अपना पिंड छूटने की ख़ुशी ज्यादा हुई. उन्हें पता था कि वो फिल्म इन्टरनेट पर आ जाये तो वे किसी को मुंह दिखाने के लायक नहीं रहेंगे. पर उन्होंने अपने चेहरे पर संताप और ग्लानि की मुद्रा लाते हुए कहा, मैं कितना मूर्ख हूं! मैंने यह भी नहीं सोचा कि मेरी मूर्खता की कीमत तुम्हे चुकानी पड़ेगी. अगर मैं अपनी जान दे कर…

मैंने कहा था न कि तुम ऐसी बात सोचना भी नहीं, ज्योत्सना ने उनकी बात काटते हुए कहा. सब ठीक हो जाएगा. मुझे तो बस एक ही बात का डर है.

प्रवीन ने थोड़े शंकित हो कर पूछा, डर? कैसा डर?

यही कि इसके बाद मैं तुम्हारी नज़रों में गिर न जाऊं! ज्योत्सना ने कहा. कहीं तुम मुझे अपवित्र न समझने लगो!

यह सुन कर प्रवीन की चिंता दूर हो गई. उन्होंने ज्योत्सना को गले लगा कर कहा, कैसी बात करती हो तुम! इस त्याग के बाद तो तुम मेरी नज़रों इतनी ऊपर उठ जाओगी कि तुम्हारे सामने मैं बौना लगने लगूंगा.

अब यह तय हो गया था कि ज्योत्सना को क्या करना था. दोनों कुछ हद तक सामान्य हो गए थे. अब अगला सवाल था कि यह काम कहाँ, कब और कैसे हो? चमेली का पति रतन (उसका नाम कालीचरण था पर सब उसे रतन ही कहते थे) एक-दो बार इनके घर आया था, यह बताने के लिए कि चमेली आज काम पर नहीं आ सकेगी. दोनों को याद था कि वो एक मजबूत कद-काठी वाला पर काला-कलूटा और उजड्ड टाइप का आदमी था. उसकी सूरत कुछ कांइयां किस्म की थी. उसका ज्यादा देर घर के अन्दर रुकना पड़ोसियों के मन में शंका पैदा कर सकता था क्योंकि वो किसी को भी उनका रिश्तेदार या दोस्त नहीं लगता.

दूसरा रास्ता था कि ज्योत्सना उनके घर जाये. पर इसमें भी जोखिम था. उस मोहल्ले में ज्योत्सना का चमेली के घर एक-दो घन्टे रुकना भी शक पैदा कर सकता था. काफी सोच-विचार के बाद उन्हें लगा कि यदि ज्योत्सना रात के अँधेरे में वहां जाएँ और भोर होते ही वापस आ जाएँ तो किसी के द्वारा उन्हें देखे जाने की संभावना बहुत कम हो जायेगी. साथ ही वे साधारण कपडे पहनें और थोडा सा घूंघट निकाल लें तो वे चमेली और रतन की रिश्तेदार लगेंगी.

यह भी तय हुआ कि रात होने के बाद ज्योत्सना एक निर्दिष्ट स्थान पर पहुँच जायेंगी और वहां से चमेली उन्हें ले जायेगी. अगली सुबह तडके चमेली उन्हें वापस पंहुचा देगी. प्रवीन ने चमेली से एक दिन का समय मांगा था इसलिए यह काम अगली रात को करना तय हुआ.

खाना खाने के बाद पति-वाइफ सोने के लिए चले गए पर नींद उनकी आँखों से कोसों दूर थी. ज्योत्सना की आँखों के सामने बार-बार रतन का चेहरा घूम रहा था. उन्हें याद था कि वो जब-जब यहाँ आया, उन्हें लम्पट दृष्टि से देखता था. उन्हें ऐसा लगता था जैसे वो अपनी आँखों से उन्हें निर्वस्त्र करने की कोशिश कर रहा हो. उन्हें यह सोच कर झुरझुरी हो रही थी कि कहीं उसने वास्तव में उन्हें नग्न कर दिया तो उन्हें कैसा लगेगा! उसकी बोलचाल भी गंवार किस्म की थी. न जाने वो उनके साथ कैसे पेश आएगा! ज्योत्सना को उससे प्रवीन जैसे सभ्य व्यवहार की आशा नहीं थी. और वो बिस्तर पर उनके साथ जो करेगा उसकी तो वे कल्पना भी नहीं करना चाहती थीं.

उधर प्रवीन का भी यही हाल था. शुरू में तो उन्हें भय और तनाव से मुक्त होने की ख़ुशी हुई थी पर बाद में उनका मन न जाने कहाँ-कहाँ भटकने लगा. उन्हें लग रहा था कि उनका चमेली को भोगना तो एक सामान्य बात थी पर रतन जैसा आदमी उनकी वाइफ को भोगे यह सोच कर उन्हें वितृष्णा हो रही थी.

फिर उन्हें महसूस हुआ कि रतन ही क्यों, किसी भी पर-पुरुष को अपनी वाइफ सौंपनी पड़े तो उन्हें इतना ही बुरा लगेगा. उन्हें यह सर्वमान्य पुरुष स्वभाव लगा कि अपनी वाइफ को दूसरों से बचा कर रखो पर दूसरों की वाइफ मिल जाए तो बेझिझक उसका उपभोग करो. फिर प्रवीन के मन में विचार आया कि रतन भी तो यही कर रहा है. दूसरे की वाइफ मिल सकती है तो वो उसे क्यों छोड़ेगा. पर वे वे हैं और रतन रतन!

एक और डर प्रवीन को सताने लगा. रतन कहीं ज्योत्सना को शारीरिक नुकसान न पहुंचा दे! वो ठहरा एक हट्टा-कट्टा कड़ियल मर्द जबकि ज्योत्सना एक कोमलान्गी नारी थीं. उन दोनों में कोई समानता न थी. शारीरिक समानता तो दूर, उनके मानसिक स्तर में भी जमीन आसमान का फर्क था. ज्योत्सना एक सुसंस्कृत और संभ्रांत स्त्री थीं. रतिक्रिया के समय पर भी उनका व्यवहार शालीन और सभ्य रहता था. जबकि रतन से सभ्य आचरण की अपेक्षा करना ही निरर्थक था. प्रवीन चमेली का यौनाचरण देख चुके थे. कहीं रतन ने भी ज्योत्सना के साथ वैसा ही व्यवहार किया तो?

अपने-अपने विचारों में डूबते-तरते पता नहीं कब वे दोनों निद्रा की गोद में चले गए.

अगली रात को –

ज्योत्सना एक पूर्व-निर्धारित स्थान पर पहुँच गयीं जो उनके घर से थोड़ी ही दूर था. चमेली वहां उनका इंतजार कर रही थी. जब वे दोनों चमेली के घर की ओर चल पडीं तो रास्ते में चमेली ने ज्योत्सना को कहा, बीवीजी, मैने अपने एक-दो पड़ोसियों को बताया है कि रात को मेरी भाभी इस शहर से गुज़र रही है. वो हम लोगों से मिलने कुछ घंटों के लिये हमारे घर आएगी. उसे जल्दी ही वापस जाना है इसलिए वो अपना सामान स्टेशन पर जमा करवा के आयेगी. अब आप बेफिक्र हो जाइये. किसी को कोई शक नहीं होगा. कल सुबह आप सही-सलामत अपने घर पहुँच जायेंगी और मेरे मरद की इच्छा भी पूरी हो जाएगी.

आखिरी वाक्य सुन कर ज्योत्सना को फिर झुरझुरी सी हुई. लेकिन अब वे लौट नहीं सकती थीं! उन्होंने स्वीकार कर लिया कि जो होना है वो तो हो कर रहेगा. और वो होने में ज्यादा देर भी नहीं थी क्योंकि बातों-बातों में वे चमेली के घर पहुँच गए थे. घर के अन्दर पहुँच कर ज्योत्सना एक और समस्या से रूबरू हुईं. उस घर में एक कमरा, एक छोटा सा किचन और एक बाथरूम था. सवाल था कि चमेली कहाँ रहेगी!

रतन एक कुर्सी पर लुंगी और बनियान पहने बैठा था. जैसे ही चमेली ने दरवाजा बंद किया, रतन लपक कर ज्योत्सना के पास गया और उसने अपने दोनों हाथ उनकी कमर पर रख दिए. उसकी भूखी नज़रें उनके चेहरे पर जमी हुई थीं. लगता था कि वो उन्हें अपनी आँखों से ही खा जाना चाहता हो. वो उन्हें लम्पटता से घूरते हुए चमेली से बोला, चमेली, बाबूजी के पास ऐसा जबरदस्त माल था फिर भी तू उनकी नज़रों में चढ़ गई! पर जो भी हो, इसके कारण मेरी किस्मत खुल गई. अब मैं इस चकाचक माल की दावत उड़ाऊंगा.

उसने अपना मुंह ज्योत्सना के होंठों की ओर बढाया पर वे अपनी गर्दन पीछे कर के बोलीं, नहीं, यहाँ चमेली है.

तो क्या हुआ, मेमसाहब? रतन ने कहा. इसके साथ बाबूजी ने जो किया, वो मैंने देखा. अब मैं आपके साथ जो करूंगा, वो इसे देखने दीजिये. हिसाब बराबर हो जाएगा.

चमेली ने अपने पति का परोक्ष समर्थन करते हुए कहा, अरे, हिसाब की बात तो अलग है. पर अब मैं जाऊं भी तो कहाँ? इस घर में तो जगह है नहीं और मैं किसी पडोसी के घर गई तो वो सोचेगा कि यह रात को अपनी भाभी को अपने मरद के पास छोड़ कर हमारे घर क्यों आई है? बीवीजी, आपको तकलीफ तो होगी पर मेरा यहाँ रहना ही ठीक है.

अब ज्योत्सना के पास कोई चारा न था. और चमेली जो कह रही थी वह ठीक भी था. उन्होंने हलके से गर्दन हिला कर हामी भरी. अब रतन को जैसे हरी झंडी मिल गई थी. उसने उनके होंठों पर ऊँगली फिराते हुए कहा, ओह, कितने नर्म हैं, फूल जैसे! और गाल भी इतने चिकने!

उसका हाथ उनके पूरे चेहरे का जुगराफिया जानने की कोशिश कर रहा था. पूरे चेहरे का जायजा लेने के बाद उसका हाथ उनके गले और कंधे पर फिसलता हुआ उनके सीने पर पहुँच गया. उसने आगे झुक कर अपने होंठ उनके गाल से चिपका दिए. वो अपनी जीभ से पूरे गाल को चाटने लगा. साथ ही उसकी मुट्ठी उनके उरोज पर भिंच गई. ज्योत्सना डर रही थी कि वो उनके स्तन को बेदर्दी से दबाएगा पर उसकी मुट्ठी का दबाव न बहुत ज्यादा था और न बहुत कम.

रतन ने अपने होंठों से उनके निचले होंठ पर कब्ज़ा कर लिया और वो उसे नरमी से चूसने लगा. कुछ देर उनके निचले होंठ को चूसने के बाद उसने अपने होंठ उनके दोनों होठों पर जमा दिये. उनके होंठों को चूमते हुए वो कपड़ों के ऊपर से ही उनके स्तन को भी मसल रहा था. ज्योत्सना ने सोचा था कि रतन जो करेगा, वे उसे करने देंगी पर वे स्वयं कुछ नहीं करेंगीं. वैसे भी काम-क्रीडा में ज्यादा सक्रिय होना उनके स्वभाव में नहीं था.

उनके होंठों का रसपान करने के बाद रतन ने अपनी जीभ उनके मुंह में घुसा दी. जब जीभ से जीभ का मिलन हुआ तो ज्योत्सना को कुछ-कुछ होने लगा. वे निष्काम नहीं रह पायीं. वे भी रतन की जीभ से जीभ लड़ाने लगीं. उनके स्तन पर रतन के हाथ का मादक दबाव भी उनमे उत्तेजना भर रहा था. उन्हें लगा जैसे वे तन्द्रा में पहुंच गयी हों. उसी तन्द्रा में वे अपनी प्रकृति के विपरीत रतन को सहयोग करने लगीं. उनकी तन्द्रा चमेली के शब्दों ने तोड़ी जब वो रतन से बोली, अरे, ऊपर-ऊपर से ही दबाएगा क्या? चूंची को बाहर निकाल ना. पता नहीं ऐसी चूंची फिर देखने को मिलेगी या नहीं!

चमेली के शब्दों और उसकी भाषा से ज्योत्सना यथार्थ में वापस लौटीं. उन्हें पता था कि निचले तबके के मर्दों द्वारा ऐसी भाषा का प्रयोग असामान्य नहीं था पर एक स्त्री के मुंह से ‘चूंची’ जैसा शब्द सुनना उन्हें विस्मित भी कर गया और रोमान्चित भी. रतन ने उनकी साड़ी का पल्लू गिराया और वो चमेली से बोला, आ जा, तू ही बाहर निकाल दे. फिर दोनों देखेंगे.

चमेली ने उनके पीछे आ कर पहले उनका ब्लाउज उतारा और फिर उनकी ब्रा. जैसे ही उनके उरोज अनावृत हुए, रतन बोल उठा, ओ मां! चमेली देख तो सही, क्या मस्त चून्चियां हैं, रस से भरी हुई!

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अब चमेली भी उनके सामने आ गई और मियां-बीवी दोनों उनके उरोजों को निहारने लगे. दोनों मंत्रमुग्ध से लग रहे थे. उनकी दशा देख कर ज्योत्सना को अपने स्तनों पर गर्व हो रहा था. उनकी नज़र अपने वक्षस्थल पर गई तो उन्हें भी लगा कि उनकी ‘चून्चियां’ वास्तव में चित्ताकर्षक हैं. फिर उन्होंने तुरंत मन ही मन कहा, ‘यह क्या? मैं भी इन लोगों की भाषा में सोचने लगी!’ पर उन्हें यह बुरा नहीं लगा.

रतन ने उनकी साड़ी उतार कर उन्हें पलंग पर लिटा दिया. उसने कहा, मेमसाहब, अब तो मैं जी भर कर इन मम्मों का रस पीऊंगा.

यह नया शब्द सुन कर ज्योत्सना की उत्तेजना और बढ़ गई. रतन ने उनका एक मम्मा अपने हाथ में पकड़ा और दूसरे पर अपना मुँह रख दिया. अब वह एक मम्मे को अपने हाथ से सहला रहा था और दूसरे को अपनी जीभ से. कमरे में लपड़-लपड़ की आवाजें गूंजने लगीं. ज्योत्सना की साँसें तेज़ होने लगीं. उनका चेहरा लाल हो गया. जब रतन की जीभ उनके निप्पल को सहलाती, उनका पूरा शरीर कामोत्तेजना से तड़प उठता. उन्हें लग रहा था कि रतन इस खेल का मंजा हुआ खिलाडी है. आप यह हॉट हिंदी सेक्सी कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | उनकी आँखें बंद थीं और वे कामविव्हल हो कर मम्मे दबवाने और चुसवाने का आनंद ले रही थीं.

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