खुले आम तो नहीं चुदवा सकती थी

प्यारे पाठको बड़े दुःख के साथ आपको बताना पड़ रहा है की मेरे पतिदेव अब नहीं रहे. एक तरह से चलो अच्छा ही हुआ. अब मैं सरेआम मोटे मोटे लंदो से अपनी चूत मारा सकती थी. अब तो इनका भी डर नहीं रहा. वैसे मुझे लगता है कि इनको अंदेशा तो था कि इनके पीठ पीछे मैं लौंडो से अपनी चूत की खाज मिटा रही हूँ पर एक लाज शर्म नाम की चीज़ से खुले आम तो नहीं चुदवा सकती थी. खैर इस उम्र में भी मैं और ज्यादा चुदासी हो रही हूँ.
पर यह वाकया तो सुनिए. पतिदेव ज्यादा कमाते नहीं थे. पर पैसे इतने नहीं बचा कर भी रखे. इनके लंड में भी इतना दम तो था नहीं की बाहर जा कर अपनी ठरक मिटाते. वैसे ठरक होती तो मैं औरों से क्यों चुद्वाती. खैर ये तो बाद की बात है. अब जब इनका देहांत हो गया तो इतने पैसे तो थे नहीं कि मैं ढंग से दाह संस्कार करा सकूं. भोज तो जैसे तैसे हो गया, पर पंडित को दक्षिणा देने लायक पैसे नहीं बचे. ये पंडित इनके मित्र थे. कुछ ३-४ सालों से इनकी अच्छी खासी जान पहचान हो गयी थी. पंडित जी भी विधुर थे. इनकी औरत का कुछ समय पहले ही देहांत हो चुका था. देखने में अच्छे खासे आकर्षक थे. अभी ४२-४३ के ही शायद हुए होंगे. मेरे हमउम्र थे. हृष्ट पुष्ट शरीर था. और मैं अंदाज़ा लगाती हूँ की इनका लंड भी करीब ८ इंच का होना चाहिए. खैर आदमी के शरीर से लंड का ज्यादा पता नहीं लगता. ये बात तो बाद में पता चली. पंडितजी सदैव धोती कुरता में हुआ करते थे. जनेऊ भी पहनते थे. पर स्त्री गामी तो नहीं प्रतीत होते थे. पर अच्छे अच्छे लोगो की नीयत मैंने डोलते हुए देखा है. आप यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | मैंने पंडितजी को श्राद्ध के भोज के बाद घर पर दक्षिणा देने के लिए बुलाया. पंडितजी उधर चौकी पर बैठे थे. इनको गए हुए अभी १० दिन भी नहीं बीता था और में चुदासी हो चुकी थी. पैसे नहीं थे तो शायद पंडित चूत ही दक्षिणा ले ले. पर सीधे मुंह कैसे कहती. पंडित जी चौकी पर बैठे थे और मैं उनके पैर के पास बैठ गयी.
“पंडित जी, आपको घर की हालत पता तो होगी ही, आप समझ ही सकते हैं.”
“जी हाँ, भाभीजी, पर आपको तो पता ही है की बिना दक्षिणा के हमारे परम प्रिय मित्र को मुक्ति नहीं मिलेगी”.
“पर पंडित जी, मेरे पास इतने पैसे नहीं है, घर में जो कुछ है वो भी सब बिकने के कगार पर है. मैं भी सोच रही हूँ कि इनके बाद अब मेरा क्या होगा. मेरे पास न तो को काम है और न ही पैसे. अब आप ही कोई उपाय सुझाईये”
यह कह कर मैं ऐसे बैठ गयी जैसे लोग पखाने में बैठते हैं. इससे अगर मेरी साड़ी जरा सी ऊपर हो गयी तो पंडितजी को मेरे बाल रहित चूत का दर्शन हो जायेगा. पर रिझाना भी तो एक कला है.
पंडितजी शायद अभी तक मेरा इशारा नहीं समझे थे. कहने लगे
“भाभी जी, दुनिया का तो ऐसा ही रीती रिवाज है जो निभाना ही पड़ता है.”
अब मुझे लगा की अब नहीं डोरा डाला तो पता नहीं आगे क्या हो. मैंने सफाई से बेपरवाही का नाटक करते हुए अपना आँचल गिरा दिया. ब्रा तो पहले ही नहीं पहना था और मेरी ब्लाउज भी बिना बांह की थी. यो लो कट ब्लाउज था तो पीछे से पूरे पीठ की दर्शन और आगे से दरारों को दिखता था. उस पर से मैंने इसे ऐसे पहन रखा था जिससे मेरे कम से कम एक मुम्मे तो दिख ही जाये.
आँचल के गिरते ही, मैंने झट से उसे उठा लिया, किन्तु इतना समय दिया कि पंडितजी एक अच्छी नज़र से उसे देख ले. आप यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | मैंने झूठ मूठ झेंपते हुए कहा “पंडितजी मैं चाय बना कर लाती हूँ.” फिर उठते हुए मैंने आँचल को ढीला छोड़ दिया कि इसबार तो दोनों मुम्मे और चूचिया साफ़ साफ़ दिख जाये. फिर मैं पलट गयी और अपने भारी भरकम नितम्ब को थोडा लचका लिया. मैंने चोर निगाह से देखा की पंडितजी की नज़र मेरे मुम्मो से मेरे गांड तक फिसल रही थी. मैंने इसका खूब मजा लिया और मटक मटक कर किचन जा कर चाय बनाया. कनखी से देखा की पंडितजी की धोती तम्बू बन रही थी और फिर नीचे हो गयी. इस उम्र में इतना नियंत्रण तो काबिल-ऐ-तारीफ़ है. पर मौके की नजाकत समझ कर मैं चाय बना कर जल्दी आ गयी. कहीं ऐसा न हो की पंडितजी मेरे हाथ से निकल जाये. मैंने पंडितजी को झुक कर चाय दिया और ये बिलकुल पुष्टि कर ली की पंडितजी की नज़र चाय से ज्यादा मेरे मुम्मो पर हो. अब तो असली कारनामा था. मैं बिलकुल पहले की तरह बैठ गयी, फर्क इतना था की इस बार फिर लापरवाही का नाटक करते हुए मैंने अपनी साडी थोड़ी ऊपर उठा ली, इतनी की मेरी चूत पंडितजी की सीधे नजर में हो. पंडितजी देख कर अनभिज्ञ रहने का पूरा प्रयत्न कर रहे थे पर उनका लंड उनकी हर कोशिश को नाकामयाब कर रहा था. “पंडितजी, अब आप ही बताई की मैं क्या करूं”.
“भाभीजी एक तरीका है, पर पता नहीं आपको पसंद आएगा या नहीं. छोडिये ये सब भी कहने की बातें नहीं हैं. मैं किसी और दिन आता हूँ, आज जरा काम है”. कह कर पंडितजी जल्दी जल्दी चाय पी कर निकलने की कोशिश करने लगे. हाथ से जाता मुर्गा देख कर मैं थोडा तो परेशान हुई पर मैं भी इतनी जल्दी हार नहीं मानने वाली थी.
“अरे पंडितजी बताईए तो”.
पर पंडितजी तो उठने का क्रम करने लगे. पर अचानक से उन्हें पता चला की उनका लंड को खड़ा है. इनकी चोरी अब पकड़ी गयी. मैं भी मौके का पूरा फायदा उठा कर जान बूझ कर हैरान होने लगी.
“पंडितजी ये क्या है?”
“अरे भाभीजी, कुछ भी नहीं.” पंडितजी ने सोचा की अब ओखल में सर दिया है तो मूसल से क्या डरना. “मैं इस तरीके से दक्षिणा लेने की बात कर रहा था”.
अब मैंने सोचा कि अब ज्यादा खेलने से काम बिगड़ सकता है, तो मैंने कहा
“भाभी जी नहीं, रानी कहिये”.
यह सुन कर पंडितजी झटके से मुझे अपनी बांहों में ले लिए.
“अरे अरे, जान जरा रुको तो, दरवाजे को अच्छी तरह से बंद करने तो दो.”
दरवाजा बंद करके मैं पलटी तो देखा पंडितजी तो पहले से ही नंगे तैयार हैं और उनका लंड मेरे अनुमान से अधिक लम्बा निकला.
“पंडितजी इतना बड़ा लंड मैं नहीं ले पाऊंगी”
“पंडितजी नहीं अब जान ही कहो” कह कर पंडित जी ने मेरे होठों पर अपने होंठ जड़ दिए. उनका दाया हाथ मेरी पीठ सहलाने लगा और बायाँ साड़ी के ऊपर से ही मेरी चूत खुजाने लगा. इतन जबरदस्त चुम्मा तो मुझे किसी ने नहीं दिया था. पंडितजी तो पूरे भरे हुए थे. मेरे होंठ को बिलकुल चबाने पर उतर आये. पर कुछ ख्याल कर के थोडा धीरे हुए. उनका दायाँ हाथ मेरे ब्लाउज को खोल चुका था, और मेरे मुम्मे दबा रहा था. पंडितजी अब भी बांये से मेरी चूत खुजा रहे थे और साथ साथ मेरा बायाँ स्तन मुंह में ले लिया और दायें हाथ से मेरे दायें स्तन को हलकी हलके मसल रहे थे. ओह, कितना मजा आ रहा था. इस तरह तो भोलू ने भी नहीं किया था. पंडितजी तो पंहुचे हुए खिलाडी लग रहे थे.
अब हम दोनों बिस्तर पर आ गए. पंडितजी, का हाथ अब साड़ी के अन्दर जा चुका था. अब वो मुझे ऊँगली कर रहे थे. क्या जन्नत का आनंद आ रहा था. बारी बारी से वो मेरे दोनों मुम्मे चूसते थे. ऐसा लग रहा था की चूस चूस कर दूध या खून निकाल ही देंगे.

कहानी जारी है …. आगे की कहानी पढने के लिए निचे दिए गए पेज नंबर पर क्लिक करे ..|

hindisexstories.autocamper-service.ru: Hindi Sex Kahani © 2015


माँ को कॉल बॉय ने चोदा"devar bhabhi chudai ki kahani""bahan ki chudai hindi me""didi ki panty"अजमेर की देवर भाभी की हिंदी सेक्सी मूवी"sex story hindi maa beta"डेली अपनों से चुड़ै स्टोरीमैं रंडीखाने चली गयीbolte kahanisexi.com"mastram ki sex kahani""beti ki gand""hindi kamasutra sex story""www chodan com hindi""maa beta hindi sex kahani""chodan. com"भाइ से चुदाने की इचछा पूरी करी"mastram net hindi""mastram ki kahani in hindi font""sex story mastram""antarvasna bollywood""zavazavi kahani"mastaramsuhagratchudaishayri"indian wife swapping sex stories""antarvasna website paged 2"चिकेको कथा"antarvasna bollywood"ड्रग्स से की चुदाई हिंदी कहानियांmaa hamdardi mastram"kamukta dat com"मम्मी चुदी बेटी के मायके मे रोने लगी"brother sister sex story in hindi""maa beta sex kahani hindi"kamukata.com"maa ki chudai stories"antervasana.comमराठी हिंदी खोला खोली सेक्स सेक्सी sex"bhai behan ki hindi sexy kahaniya"पैंतीस सेक्स मस्तराम हिंदी सेक्स कहानियां"chudai ki khaniyan""gujarati sexi varta""aunty ko blackmail karke choda"antervasna1"bhai bahan ki sex story""sasur bahu ki antarvasna""antarvasna suhagrat"আধুনিক হট পোশাকের বাংলা চটি"group sex khani"Ostir Gala gali chote.com"marathi sexy stories in marathi font""bap beti chudai story"Chacha ne Mummy ko patni banaya"mastram ki sexi kahaniya"পিসি কে চোদাগদাম ঠাপ"marathi zavazavi gosti""antarvasna store""mom gangbang stories""mastaram kahaniya""devar bhabhi chudai kahani""kamasutra kahani in hindi"मम्मी चुदी बेटी के मायके मे रोने लगी"badi mummy ki chudai""mastram sex hindi""chachi sex kahani""maa beta sex stories""antarvasna balatkar"Boor kachudae kahanisexy vidwa chachi ki kahani"chudai ki kahaniyan"