गतांग से आगे ….
‘बस अब गाण्ड चोद दे राजा !”
“मजा आ रहा है ना?”
“अरे लण्ड से ज्यादा मजा आयेगा, घुसेड़ तो सही !”
किसन ने अपना कड़ा लण्ड उसकी गाण्ड के छिद्र पर रखा और अन्दर दबाया।
“अरे जोर लगा ना, चल दबा दे जोर से !”
हिना ने अपनी गाण्ड का छेद ढीला कर दिया। छेद ढीला होते ही उसका सुपारा फ़क से अन्दर उतर गया।
“उईई माँ, यह हुई ना बात, अब पेल दे जानू !”
किसन के लण्ड में भी जोर की कसावट से मीठा मीठा सा रस महसूस हुआ। वो हिना की पीठ पर लेट गया और फिर अपनी गाण्ड को जोर से उसकी गाण्ड पर दबा दिया। लण्ड हौले हौले अन्दर सरकने लगा। हिना खुशी के मारे किलकारियाँ मारने लगी। कुछ ही समय में उसका लण्ड पूरा अन्दर उतर चुका था। किसन ने अपने हाथ उसकी सीने पर जमा लिये और बोबो को कस कर दबा लिया। फिर उसकी कमर ऊपर नीचे हो कर हिना की गाण्ड को चोदने लगी। दोनों की मीठी मीठी आहें कमरे में गूंजने लगी।
“हाय कितने दिनों बाद चुदी है मेरी गाण्ड !”
हिना नीचे दबी हुई अपनी मीठी आहों से किसन के मन में मीठी तंरगों का संचार कर रही थी। हिना का पूरा सहयोग पाकर उसमे जोश भर आया था। वो हिना के तन को अच्छी प्रकार से भोगना चाहता था। हिना भी किसन के तन का मजा लेना चाहती थी। दोनों ही एक दूसरे के शरीर के भूखे थे। दोनों ही अपनी कामाग्नि बुझाना चाहते थे। हिना की गाण्ड आराम से चुद रही थी। उसकी तंग गाण्ड के आनन्द से किसन मस्त हुआ जा रहा था। अन्त में उसने अपना अन्तिम भरपूर शॉट लगा कर हिना की गाण्ड में अपना वीर्यदान कर दिया।
हिना इस अनोखे चिपचिपे, रसीले वीर्य को पाकर धन्य हो गई। किसन का लण्ड ठण्डा होने पर अपने आप फ़िसलता हुआ बाहर निकल आया। हिना ने सीधे हो कर प्रेम वश किसन को अपनी छाती से लगा लिया और उसे खूब प्यार किया।
किसन तो जवानी की बहार में बह निकला था। दो बार झड़ कर भी वो हिना को भोगना चाहता था। इसी लिपटा लिपटी में दोनों के दिलों में फिर से आग भर आई। हिना तो गाण्ड मरवा कर और भी चुदासी हो गई थी। उसकी चूत तो गर्म हो कर जैसे तपने लगी थी। अभी तक उसकी चूत नहीं चुदी थी। हिना ने जोश में भर कर किसन को अपनी छांव में ले लिया। बादल बन कर वो उस पर छा गई। किसन हिना के तन के नीचे दबने लगा। हिना अपनी टांगें समेट कर उसके लण्ड पर बैठ गई और हौले से उठ कर उसके तने हुये लण्ड पर अपनी चूत का छेद रख कर बैठ सी गई। पहले तो उसने अपनी चूत के पानी को अपने रूमाल से साफ़ किया और फिर उसके लण्ड को अपनी चूत में अन्दर सरकने का आनन्द लेने लगी।
उसकी चूत अन्दर से उत्तेजना से तंग हो गई थी। अन्दर से वासना की उत्तेजना से उसकी चूत की मांसपेशियाँ खिंच कर सख्त हो गई थी जिसे वो लण्ड को भीतर समाते हुये महसूस कर रही थी। हिना की आँखें मस्ती में बन्द होने लगी थी। आप यह हॉट हिंदी सेक्सी कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | इन टिप्स के जरिए आप अपनी शादी की पहली रात को यादगार
कुछ ही देर में किसन के सुपाड़े को भीतर बच्चेदानी के मुख पर टकराने का अहसास हुआ। एक मीठी सी गुदगुदी उसके तन में भर गई। हिना ने अपनी चूत को अपनी बच्चेदानी पर हौले से रगड़ा। जैसे वो जन्नत में खोने लगी। किसन के लण्ड का डण्डा उसके दाने पर रगड़ खाने लगा था। हिना आनन्द के मारे बल खाकर किसन से जोर से लिपट गई और उसके मुख से सिसकारियाँ फ़ूट पड़ी।
“जरा धक्का तो लगाओ राजा … आह मैं तो मरी जा रही हूँ।”
“आण्टी, तू नीचे आ जा, फिर तुझे दबा कर पेलूंगा !”
“ओह नहीं रे … बस चोद दे मुझे … मेरे जानू, नीचे से लगा रे धक्का !”
किसन ने अपनी कमर नीचे से उछाली तो हिना चहक उठी।
“आह रे, मैं मर गई … मेरे राजा, और लगा ना !”
किसन कोशिश करके कमर उछाल कर उसे चोदने लगा। पर जल्दी वो थकने लगा। उसने तब हिना को दबा कर नीचे कर लिया। हिना तड़प कर उसके नीचे आ गई और किसन ने उसे अपने ताकतवर शरीर के नीचे दबा लिया। अब किसन को हिना को चोदने में कोई दिक्कत नहीं आ रही थी, वो जम कर धक्के मार रहा था।
“आह्ह आह्ह्ह … यह बात हुई ना। चोद दे यार, बहुत मजा आ रहा है।”
“ये ले … उफ़्फ़्फ़ … ये जोर से ले…” किसन भी पूरी तन्मयता के साथ उसे चोद रहा था। हिना आनन्द की सीमा को पार करने लगी। उसके चूचे किसन दबा दबा कर मरोड़ रहा था,, मसल रहा था। इससे हिना मदहोशी की चरमसीमा में पहुँचने लगी थी। तभी जैसे हिना की आंखें उबल पड़ी। उसके जबड़े की हड्डियां तक उभर आई। दांत जैसे एक दूसरे पर किटकटाने लगे थे।
“उम … किसन … हाय राम… मैं तो गई … हाय रे … आह किसन … ” और एक चीख मार कर हिना ने अपना कामरस छोड़ दिया। धीरे धीरे वो स्खलित होती जा रही थी। हिना अब भी अपनी चूत में लण्ड ले रही थी। किसन के तेज शॉट अभी भी चल रहे थे।
“बस … बस किसन बस कर… लग रही है … बस कर !”
“ओह्ह, आण्टी मैं तो आया … आह्ह रे … मेरा तो निकला … हिना आण्टी … तेरी तो … ओह्ह्ह ह्ह्ह ह्ह्ह !”
फिर किसन जैसे उसके तन से चिपक गया। और उसकी चूत में अपना वीर्य छोड़ने लगा। हिना उसके गर्म वीर्य का अपने शरीर में महसूस कर रही थी। उसे एक अपूर्व शान्ति मिल रही थी। दो जिस्म एक जान हो चुके थे। दोनों प्रेम से एक दूसरे को निहार रहे थे। अब उन्होने अपने पैरों को फ़ैला लिया और उन्मुक्त भाव से खुल कर लेट गये। फिर वो आपस में प्यार से लिपट कर गहरी निंद्रा में खोने लगे। दोनों के मन आग शान्त हो गई थी। दोनों के दिलों को सुकून मिल गया था।
अब दोनों का प्यार परवान चढ़ने लगा। वो दोनों एक दूसरे के बिना नहीं रह पाते थे। दोनों एक दूसरे के शरीर को नोचते खसोटते, और फिर जानवरो की तरह चुदाई में लग जाते। बस मौका पाते ही हिना अपनी चूत की प्यास बुझाने में लग जाती थी। किसन पर तो जैसे पागलपन की सी दीवानगी चढ़ गई थी। उसका लण्ड तो कामाग्नि से जलता ही रहता था। लगता था जैसे वो दोनों एक दूसरे के लिये ही बने थे।