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मेरी चूत की गर्मी बॉस ने शांत किया-1

गतांग से आगे …

शौम्या को एक आजादी सी महसूस हो रही थी और उसका बरसों से भरा हुआ मन हल्का हो रहा था। कहानी ख़त्म होते होते शौम्या यकायक खड़ी हो गई और विवेक के सीने से लिपट गई और फिर से रोने लगी मानो उसे यह सब बताने की ग्लानि हो रही थी। विवेक ने उसे सीने से लगाये रखा और पीठ सहलाते हुए उसको सांत्वना देने लगा। शौम्या को एक प्यार से बात करने वाले मर्द का स्पर्श अच्छा लग रहा था और वह विवेक को जोर से पकड़ कर लिपट गई। विवेक को भी अपने से १५ साल छोटी लड़की-सी औरत का आलिंगन अच्छा लग रहा था। वैसे उसके मन कोई खोट नहीं थी और ना ही वह शौम्या की मजबूरी का फायदा उठाना चाहता था। फिर भी वह चाह रहा था कि शौम्या उससे लिपटी रहे। थोड़ी देर बाद शौम्या ने थोड़ी ढील दी और बिना किसी हिचकिचाहट के अपने होंट विवेक के होंटों पर रख दिए और उसे प्यार से चूमने लगी। शायद यह उसके धन्यवाद करने का तरीका था कि विवेक ने उसके साथ इतनी सुहानुभूति बरती थी। विवेक थोड़ा अचंभित था। वह सोच ही रहा था कि क्या करे ! जब शौम्या ने अपनी जीभ विवेक के मुँह में डालने की कोशिश की और सफल भी हो गई। अब तो विवेक भी उत्तेजित हो गया और उसने शौम्या को कस कर पकड़ लिया और जोर से चूमने लगा। उसने भी अपनी जीभ शौम्या के मुँह में डाल दी और दोनों जीभों में द्वंद होने लगा। अब विवेक की कामुकता जाग रही थी और उसका लिंग अंगडाई ले रहा था। एक शादीशुदा लड़की को यह भांपने में देर नहीं लगती। सो शौम्या ने अपना शरीर और पास में करते हुए विवेक के लिंग के साथ सटा दिया। इस तरह उसने विवेक को अगला कदम उठाने के लिए आमंत्रित लिया। विवेक ने शौम्या की आँख में आँख डाल कर कहा कि उसने पहले कभी किसी पराई स्त्री के साथ ऐसा नहीं किया और वह उसका नाजायज़ फायदा नहीं उठाना चाहता। अब तो शौम्या को विवेक पर और भी प्यार आ गया। उसने कहा- आप थोड़े ही मेरा फायदा उठा रहे हो। मैं ही आपको अपना प्यार देना चाहती हूँ। आप एक अच्छे इंसान हो वरना कोई और तो ख़ुशी ख़ुशी मेरी इज्ज़त लूट लेता। विवेक ने पूछा कि वह क्या चाहती है, तो उसने कहा पहले आपके गेस्ट रूम में चलते हैं, वहां बात करेंगे।
ऑफिस का एक कमरा बतौर गेस्ट-रूम इस्तेमाल होता था जिसमें बाहर से आने वाले कंपनी अधिकारी रहा करते थे। उधर रहने की सब सुविधाएँ उपलब्ध थीं। शौम्या, विवेक का हाथ पकड़ कर, उसे गेस्ट-रूम की तरफ ले जानी लगी। कमरे में पहुँचते ही उसने अन्दर से दरवाज़ा बंद कर लिया और विवेक के साथ लिपट गई। उसकी जीभ विवेक के मुँह को टटोलने लगी। शौम्या को जैसे कोई चंडी चढ़ गई थी। उसे तेज़ उन्माद चढ़ा हुआ था। उसने जल्दी से अपने कपड़े उतारने शुरू किए और थोड़ी ही देर में नंगी हो गई। नंगी होने के बाद उसने विवेक के पांव छुए और खड़ी हो कर विवेक के कपड़े उतारने लगी। विवेक हक्काबक्का सा रह गया था। सब कुछ बहुत तेजी से हो रहा था और उसे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करे। वह मंत्र-मुग्ध सा खड़ा रहा। उसके भी सारे कपड़े उतर गए थे और वह पूरा नंगा हो गया था। शौम्या घुटनों के बल बैठ गई और विवेक के लिंग को दोनों हाथों से प्रणाम किया। फिर बिना किसी चेतावनी के लिंग को अपने मुँह में ले लिया। दोस्तों आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है | हालाँकि विवेक की शादी को २० साल हो गए थे उसने कभी भी यह अनुभव नहीं किया था। उसके बहुत आग्रह करने के बावजूद भी उसकी पत्नी ने उसे यह सुख नहीं दिया था। उसकी पत्नी को यह गन्दा लगता था। अर्थात, यह विवेक के लिए पहला अनुभव था और वह एकदम उत्तेजित हो गया। उसका लिंग जल्दी ही विकाराल रूप धारण करने लगा। शौम्या ने उसके लिंग को प्यार से चूसना शुरू किया और जीभ से उसके सिरे को सहलाने लगी। अभी २ मिनट भी नहीं हुए होंगे कि विवेक अपने पर काबू नहीं रख पाया और अपना लिंग शौम्या के मुँह से बाहर खींच कर ज़ोरदार ढंग से स्खलित हो गया। उसका सारा काम-मधु शौम्या के स्तनों और पेट पर बरस गया। विवेक अपनी जल्दबाजी से शर्मिंदा था और शौम्या को सॉरी कहते हुए बाथरूम चला गया। शौम्या एक समझदार लड़की थी और आदमी की ताक़त और कमजोरी दोनों समझती थी। वह विवेक के पीछे बाथरूम में गई और उसको हाथ पकड़ कर बाहर ले आई। विवेक शर्मीला सा खड़ा था। शौम्या ने उसे बिस्तर पर बिठा कर धीरे से लिटा दिया। उसकी टांगें बिस्तर के किनारे से लटक रहीं थीं और लिंग मुरझाया हुआ था। शौम्या उसकी टांगों के बीच ज़मीन पर बैठ गई और एक बार फिर से उसके लिंग को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। मुरझाये लिंग को पूरी तरह मुँह में लेकर उसने जीभ से उसे मसलना शुरू किया। विवेक को बहुत मज़ा आ रहा था। शौम्या ने अपने मुँह से लिंग अन्दर बाहर करना शुरू किया और बीच बीच में रुक कर अपने थूक से उसे अच्छी तरह गीला करने लगी। विवेक ख़ुशी के मारे फूला नहीं समा रहा था। उसके हाथ शौम्या के बालों को सहला रहे थे। धीरे धीरे उसके लिंग में फिर से जान आने लगी और वह बड़ा होने लगा। अब तक शौम्या ने पूरा लिंग अपने मुँह में रखा हुआ था पर जब वह बड़ा होने लगा तो मुँह के बाहर आने लगा। वह उठकर बिस्तर पर बैठ गई और झुक कर लिंग को चूसने लगी। उसके खुले बाल विवेक के पेट और जांघों पर गिर रहे थे और उसे गुदगुदी कर रहे थे। अब विवेक का लिंग बिलकुल तन गया था और उसकी चौड़ाई के कारण शौम्या के दांत उसके लिंग के साथ रगड़ खा रहे थे। अब तो विवेक की झेंप भी जाती रही और उसने शौम्या को एक मिनट रुकने को कहा और बिस्तर के पास खड़ा हो गया। उसने शौम्या को अपने सामने घुटने के बल बैठने को कहा और अपना लिंग उसके मुँह में डाल दिया। अब उसने शौम्या के साथ मुख-मैथुन करना शुरू किया। अपने लिंग को उसके मुँह के अन्दर बाहर करने लगा। शुरू में तो आधा लिंग ही अन्दर जा रहा था पर धीरे धीरे शौम्या अपने सिर का एंगल बदलते हुए उसका पूरा लिंग अन्दर लेने लगी। कभी कभी शौम्या को ऐसा लगता मानो लिंग उसके हलक से भी आगे जा रहा है। विवेक को बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था। उसने अपने धक्के तेज़ कर दिए और मानो भूल गया कि वह शौम्या के मुँह से मैथुन कर रहा है। शौम्या को लिंग कि बड़ी साइज़ से थोड़ी तकलीफ तो हो रही थी पर उसने कुछ नहीं कहा और अपना मुँह जितना ज्यादा खोल सकती थी खोल कर विवेक के आनंद में आनंद लेने लगी। विवेक अब दूसरी बार शिखर पर पहुँचने वाला हो रहा था। उसने शौम्या के सिर को पीछे से पकड़ लिया और जोर जोर से उसके मुँह को चोदने लगा। जब उसके लावे का उफान आने लगा उसने अपना लिंग बाहर निकालने की कोशिश की पर शौम्या ने उसे ऐसा नहीं करने दिया और दोनों हाथों से विवेक के चूतड पकड़ कर उसका लिंग अपने मुँह में जितना अन्दर कर सकती थी, कर लिया। विवेक इसके लिए तैयार नहीं था। उसने सपने में भी नहीं सोचा था कि वह किसी लड़की के मुँह में अपने लावे का फव्वारा छोड़ पायेगा। इस ख़ुशी से मानो उसका लंड डेढ़ गुना और बड़ा हो गया और उसका क्लाइमेक्स एक भूकंप के बराबर आया। शौम्या का मुँह मक्खन से भर गया पर उसने बाहर नहीं आने दिया और पूरा पी गई। विवेक ने अपना लिंग शौम्या के मुँह से बाहर निकाला और झुक कर उसे ऊपर उठाया। शौम्या को कस कर आलिंगन में भर कर उसने उसका जोरदार चुम्बन लिया जिसमे कृतज्ञता भरी हुई थी।

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