इंडियन बीवी की चुदाई – | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru 100% Free Hindi Sex Stories - Sex Kahaniyan Sat, 17 Mar 2018 06:08:14 +0000 en-US hourly 1 /> //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/wp-content/uploads/2015/10/cropped-mastaram-dot-net-logo-red-32x32.png इंडियन बीवी की चुदाई – | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru 32 32 एक दूधवाले से अपनी चुचिया और चुत चुदवाई | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/chudai-ki-kahani/ek-dudhwale-ne-apni-chuchiya-or-chut-chudwai.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/chudai-ki-kahani/ek-dudhwale-ne-apni-chuchiya-or-chut-chudwai.html#respond Fri, 16 Mar 2018 05:57:27 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=12208 एक दूधवाले से अपनी चुचिया और चुत चुदवाई, रे को जल्दी से शाम होने का इंतजार था मेरी चूत में बहुत ही ज्यादा खुजली हो रही थी दिन किसी तरह से कट गया। शाम को मैं उसी के इन्तजार में बैठी हुई थी करीब 8 बजे उसने गेट को खटखटा कर खोलने को कहा मैंने जल्दी से गेट को खोल दिया उसने पहुचते ही मेरे को अपनी गोद में उठा लिया छोटे बच्चे की तरह वो मेरे को बाहों में भर कर उठाये हुए था

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सभी लंड वाले मर्दों के मोटे लंड पर किस करते हुए और सभी खूबसूरत जवान चूत वाली रानियों की चूत को चाटते हुए सभी का मैं स्वागत करती हूँ। अपनी कहानी इस साईट के माध्यम से आप सभी मित्रो तक भेज रही हूँ। ये मेरी पहली स्टोरी है। इसे पढकर आप लोगो को मजा जरुर आएगा।

मेरा नाम मोहिना है। मैं कर्नाटका की रहने वाली है। मेरी जवानी की कहानी बहुत ज्यादा पूरे मोहल्ले में फैली हुई थी। मै बहुत ही हसीन और जवान माल हूँ। देखने मे मै बहुत ही कट्टो सामान लगती हूँ। दूध की तरह गोरी बदन पर सब लोग अपनी जान छिड़कते हैं। मेरे को चोदने के लिए सारा मोहल्ला परेशान रहता है। मै जब भी मोहल्ले में गुजरती थी सब लोग अपनी आँखे फाड़ फाड़ कर देखने लगते थे। मेरे हसबैंड इसी वजह से मेरे से नाराज हो जाते थे। मै खूबसूरत मर्दो को देखकर लाइन दे देती थी। मेरे को हर दिन एक नया लंड खाने का मन करता रहता है। लेकिन हर रोज नया लंड कहाँ से लेकर आती। मैने अपनी चूत में मोहल्ले के लगभग सारे मर्दो का लंड खाया। मेरे को फिर से एक नए लंड को खाने की भूख लगी हुई थी। मेरे घर से लगभग दो किलोमीटर दूर एक गांव था। जिसमे बहुत से लोग दूध का धंधा करते थे। उस गांव में बहुत बडी डेयरी खुली हुई थी। काफी लोग शहर दूध बेचने आते थे।

मेरे पडोसी के घर एक बहुत ही जबरदस्त बॉडी का एक दूधवाला आता था। उसका नाम रमेश था। मै बहुत ही ज्यादा फ़िदा हो गयी। देखने में वो कोई बहुत ही रईस आदमी के घर से लगता था। लेकिन दूध बेचना ही उसका धंधा था। मेरे को उससे चुदने का मन कर रहा था। उसके लिए मेरे को अपना दूध वाला चेंज करना था। मेरे यहां उसी के यहाँ का दूसरा दूधवाला आता था। वो एक नंबर का कमीना था। हर दिन दूध में पानी भर लाता था। मेरे को दूधवाले को बदलने का बहाना मिल गया था। मै इसी मौके के तलाश में थी। मैंने अपने हसबैंड से कहकर दूधवाले को चेंज करा लिया। मेरे पडोसी के यहाँ आने वाला दूधवाला रमेश मेरे घर भी आने लगा। पहले दो दिन तक वो मेरे को दूध देकर चला जाता था। मै ही किसी तरह से उसके साथ में अपनी कहानीं को आगे बढ़ाना चाहती थी। एक दिन जब वो दूध लेकर आया तो मैंने उससे अपने घर में बुलाकर पर्दे को निकालने के लिए उसे अंदर बुला ली। मेरे से वो ज्यादा लंबा था। इसीलिये मै बहाने बनाकर अंदर ले के गयी हुई थी।

इसी बहाने मेरे को उससे बात करने का मौका मिल गया था। उस दिन से धीरे धीरे मेरे से बात करने लगा। इस तरह मेरी कहानी बनने लगी। मै चुदने को बहुत ही ज्यादा उत्तेजित हो रही थी। वो अक्सर पैजामा कुर्ता पहन कर आता था। मै उसके लंड की एक झलक देखने को व्याकुल थी। धीरे धीरे उसे अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए उसे अपने लटके झटके दिखानी शुरू कर दी। एक दिन वो दूध नाप रहा था। तभी मैं नीचे झुकी और जान बूझकर अपनी साड़ी नीचे सरका दी। मै ब्लाउज में ही उसके सामने झुकी थी। उसकी नजर मेरे गोरे गोरे मम्मे पर पड़ी। मेरे मम्मे उस गहरे ब्लाउज में दिख रहे थे।रमेश की नजर मेरे मम्मे से हट ही नहीं रही थी। वो टक टकी लगाए मेरे मम्मे को ही घूरता रहा। उसी दिन से जब भी मेरे को दूध देता तो मेरे मम्मो को ही ताड़ता रहता था। एक दिन भाग्य से मेरे हसबैंड कही बाहर गए हुए थे।

सुबह सुबह जब रमेश दूध देने के लिए आया हुआ था। तो मेरे से बहुत ही रोमांटिक बाते करने के मूड में था। उसी दरमियां मेरे मोहल्ले की एक लड़की किसी लड़के के साथ में भाग गयी थी। उसी के बारे में वो खड़ा होकर मेरे से गेट पर बात कर रहा था।

“पता नहीं क्या खूबी देखी उस लड़के ने उस लड़की में की भगा ले गया” रमेश ने कहा

“कुछ बात तो रही होगी उसने ज्यादा हॉट सेक्सी रही होगी इसीलिए वो लड़का दीवाना होकर उसे भगा ले गया” मैंने कहा

“वैसे तुम्हे किसी लड़की को ले के भागना होता तो कैसी लड़की ढूंढते” मैंने ये सवाल रमेश से किया

“अब आपकी तरह हो कोई लड़की तो आज ही लेकर उसे भाग जाऊं” उसने हसते हुए कहा

“आप बहुत ही ज्यादा हॉट लगती हो! और आपसे से भी ज्यादा हॉट कुछ और ही है” वो कहकर मुस्कुराने लगा

ये बात उसने मेरे मम्मो की तरफ देखते हुए कह रहा था। मै अपने दूध की तरफ देखकर उससे कहा

“मेरे को तुम्हारे उस हॉट चीज से खेलने का मौका मिल जाए तो मजा आ जाये” उसने कहा

“ठीक है मेरे को पता है! तुम किस चीज की बात कर रहे हो!” मैंने कहा

वो हर बात में मेरे से आप! आप! कहकर बात कर रहा था। ये मेरे को अच्छा नहीं लगता था। मैंने उसे आप कहने से रोक दिया। अब वो हर बात को तुम तुम करके बोल रहा था। उसकी इस तरह बात करने को मेरे को बड़ी अच्छी फीलिंग आती थीं। मेरे से रोमांटिक बाते कर कर के वो भी गर्म हो गया। मै उससे खुल के बात कर रही थी। बार बार वो मेरी चूंचियो को ही घूर रहा था।

“जब से तुम यहां खड़े हो तब से सिर्फ मेरी चूंचियो को ही ताड़े जा रहे हो!” मैंने मुस्कुराते हुए उससे कहा

“क्या करूं जबसे तुम्हे देखा है! मैं तो बस इसी अंग का दीवाना हो गया हूँ! कितने सौभाग्यशाली है तुम्हारे पति जो इतने खिले हुए मम्मो से रोज खेलने का मौका पाते है!” उसने बहुत ही इमोशन में कहा

“मेरे अंग से खेलने के लिए उन्हें बहुत खर्चा उठानी पड़ती है” मैंने कहा

“अब मै तो ठहरा दूधवाला तुम लोगो की तरह कहाँ पैसा खर्च कर पाऊंगा” उसने बहुत ही लहजे में ये बात मेरे से कही

“तुम मेरे से एक डील फाइनल कर लो! तुम मेरे को एक महीने दूध दोगे! और एक दिन के लिए मै तुम्हे अपने दूध से खेलने का मौका दे दूँगी” मैंने कहा

“ठीक है तो तुम आज मेरे को एडवांस में दे दो खेलने का मौका!” उसने बहुत ही उत्तेजित होकर कहा

“क्या बात है! तुम तो ऐसे ही मेरे चूचो से खेलना चाहते हो जैसे मेरे कहते ही तुम्हारी प्रोपर्टी हो गयी हो!” मैंने हँसते हुए कहा

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मैंने उससे शाम को आकर मिलने का प्रोग्राम बनाया। काफी देर से मेरे पड़ोसी उस समय बाहर खड़े मेरे को देख रहे थे। हसबैंड जी तो शाम को आने वाले नही थे। पूरा घर खाली था। जिससे मेरे को चुदने में कोई तकलीफ नहीं थी। मैने अपनी चूत को नया लंड खिलाने का पूरा प्रोग्राम फिट कर दिया था।

मेरे को जल्दी से शाम होने का इंतजार था। मेरी चूत में बहुत ही ज्यादा खुजली हो रही थी। दिन किसी तरह से कट गया। शाम को मैं उसी के इन्तजार में बैठी हुई थी। करीब 8 बजे उसने गेट को खटखटा कर खोलने को कहा। मैंने जल्दी से गेट को खोल दिया। उसने पहुचते ही मेरे को अपनी गोद में उठा लिया। छोटे बच्चे की तरह वो मेरे को बाहों में भर कर उठाये हुए था। उसके बॉडी में घी दूध का बहुत ही ज्यादा असर दिख रहा था। मेरे को कभी भी इस तरह से मेरे हसबैंड ने अपने गोद में लेकर प्यार नहीं किया था।

“आज मैं पहली बार किसी के घर पर उसका काम लगाने के लिए रात में आया हूँ वरना मै तो दिन में ही काम लगा देता हूँ” रमेश ने कहा

“जो मजा रात में है! वो दिन में कहाँ!! तुम भी क्या याद करोगे इस रात का मजा!” मैंने उसे चूमते हुए कहा

वो मेरे को घर के अंदर लेकर चूमते हुए चल रहा था। मै उसे अपने रूम में ले गयी। घर के सारे दरवाजे बंद करके चुदाई का भरपूर मजा लेने बिस्तर पर आ गयी। उसने मेरे को बिस्तर पर पटक कर मेरे ऊपर चढ़ लिया। सांड की तरह उसका शरीर मोटा था। मेरी तो सांस ही फूलने लगी। उसका लंड मेरी चूत के ऊपर चुभ कर चुदने की दस्तक दे रहा था। उसकी चौड़ी छाती मेरे बड़े मोटे मम्मे के ऊपर थे। यूं कह लो की मेरे हर एक अंग से उसका अंग सटा हुआ था। मेरे बालो को सहलाते हुए मेरी जवानी के मजे लूट रहा था। रमेश के प्यार करने का मजा ही कुछ और ही था। मेरे गले को किस करके वो अपनी हवस की प्यास को बुझा रहा था। मैं धीरे धीरे गर्म होने लगी। मेरे गले को चाटते हुए वो होंठो की तरफ अपना मुह धीरे धीरे बढ़ा रहा था। मेरे गालो को चूमते हुए अपना होंठ मेरे नाजुक नर्म गुलाब की पंखुडियो जैसे होंठों पर लगा दिया।

रमेश मेरे होंठो के रस को भौंरे की तरह चूस रहा था। नीचे ऊपर के होंठो को वो बारी बारी से पीकर अपने साथ मेरी भी प्यास को बुझा रहा था। मै उसके कंधे पर हाथ रख कर दबा रही थी। मेरे गर्म होने का एहसास उसे भी होने लगा। लगभग 5 मिनट तक उसने मेरी होंठ चुसाई की। मेरे को किस करने में बहुत ही मजा आया। उसका हाथ मेरे चूचो पर था। मुस्कुरा कर मेरे को देखते हुए मेरे चूचे को बहुत ही तेजी से उसने दबा दिया। मैं जोर से “……अई…अई….अई……अई….इसस्स्स्स्…….उह ह्ह्ह्ह…..ओह्ह्ह्हह्ह….” की सिसकारी निकालने लगी। अचानक से उसके प्यार करने का रंग बदलने लगा। उसने मेरे चूचो को ब्लाउज के ऊपर से निचोड़ना शुरू कर दिया। मैंने उस दिन काले रंग की साडी और ब्लाउज पहन रखी थी।

उसने मेरे बदन से साडी और ब्लाउज उतार कर मेरे को नंगा कर दिया। उसके सामने मै ब्रा और पेटिकोट में ही लेटी हुई थी। वो मेरे जिस्म पर हाथो को फेरकर मेरे को गर्म करने में लगा हुआ था। उसने मेरी ब्रा को निकाल कर संगमरमर की तरह चमकीले चूंचो को पकड़कर दबाते हुए पीने लगा। मै बहुत ही ज्यादा उत्तेजित हो गयी। मेरे बूब्स पर उभरे हुए काले निप्पल को उंगलियों से खीच खीच कर मजे से पी रहा था। मै बहुत ही गर्म हो चुकी थी। उसके मुह को मै कस कर अपने मम्मो में दबा रही थी। जी भर के उसने मेरे मम्मो को चूसा।

“मोहिना इससे आगे भी प्रोग्राम को बढ़ाऊं” उसने पूँछकर मेरे से इजाज़त चाही

“तुमने मेरे को बहुत ही गर्म कर दिया है! तू मेरे जिस्म के हर एक जगह से खेल! जो भी करना चाहता है। जी भर के कर ले!” मैंने जोश में अपने होंठों को काटते हुए कहा

वो फिर से अपने काम पर लग गया। मेरी नाभि की तरफ बढ़कर उसने जी भर के उसकी चुसाई की। बार बार मेरी गहरी नाभि में अपने जीभ को डालकर मेरे को जोश की चरम सीमा ओआ पहुचा दिया। उसके बाद उसने मेरी पेटीकोट का नाडा खोला। पेटीकोट को पैंटी सहित एक ही झटके में बाहर कर दिया। अब मैं पूरी तरह से निर्वस्त्र हो गयी थी। मेरी टांगो को फैलाकर उसने जोर जोर से मेरी चूत को चाटना शुरू कर दिया। मेरी चूत के किनारे किनारे अपनी जीभ लगाकर उसने कुत्ते की तरह चूत चटाई जारी रखी। चूत के दाने को वो काट काट कर मेरे को तड़पा रहा था। मैं उसके लंड को ख़ाने को बेकरार थी। मैंने उसके पैजामे का नाडा खोला और उसके अंडरवियर सहित लंड को आजाद कर दिया। उसका लंड हवा में लहराते हुए खड़ा हो गया।

मैने अपने हाथों से उसके लंड को पकड़ कर सहलाते हुए चूसना आरम्भ किया। हाथ के लगते ही उसका लंड और भयानक होने लगा। लगभग 7 इंच का लंड कुछ ही देर में मेरे सामने खड़ा होकर तैयार हो गया। मैं उसे अपनी चूत में लेने के लिए बेकरार थी। मैं बिस्तर पर अपनी टांगों को फैलाकर चित्त लेट गयी। उसने अपना मोटा लंड मेरी चूत पर रगड़ना शुरू कर दिया। मैं “..अहहह्ह्ह्हह स्सीईईईइ….अअअअअ….आहा …हा हा हा” की सीत्कार छोड़ते हुए बिस्तर पर पड़े चादर को हाथो में समेट रही थी। वो अपना लंड मेरी चूत में घुसाने को तैयार था। उसका लंड ऊपर नीचे होकर मेरी चूत को फाडने को पूरी तरह से तैयार था।

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“मेरे राजा! अब तुम और न तड़पाओ फाड़ दो मेरी नाजुक चूत को!” मैंने कहा

“ले खा ले साली रंडी मेरा लंड तेरे मम्मो को तो काट काट कर खूब चूसा हूँ! अब तेरी चूत को फाड़ने की बारी है” उसने बहुत ही जोश में कहा

इतना कहकर मेरी चूत में अपना लंड सटाकर जोर से धक्का मार दिया। उसका लगभग 4 इंच से ज्यादा लंड मेरी चूत में घुस गया। मैं जोर से “ओह्ह माँ….ओह्ह माँ…उ उ उ उ उ……अअअअअ आआआआ….” की आवाज को निकाल कर चीख उठी। वो मेरी चूत में बार बार धक्का मार मार कर अपना पूरा लंड घुसाकर ही दम लिया। उसका डंडे जैसा 7 इंच का मोटा लंड मेरी चूत को फाड़कर उसकी चुदाई शुरू कर दिया। मेरी चूत उसके पूरे लंड को खाकर बहुत ही आनंद प्राप्त कर रही थी। वो अपनी कमर को उठा उठा कर जोर से मेरी चुदाई करनी शुरू कर दी। कुछ ही देर में मै अपने आप को बहुत ही ज्यादा गर्म महसूस करने लगी। मेरी चूत की भूख बढ़ती ही जा रही थी। उसके पूरे लंड को खाकर भी वो संतुष्ट ना हुई।

“चोदो! और जोर से चोदो! फाड़ दो मेरी चूत!” मैंने कहा

मेरे कहते ही उसने मेरी चूत की जोरदार चुदाई करनी शुरू कर दी। मैं उसके लंड को अपनी गांड उठा उठा कर खा रही थी। थोड़ा बहुत मेरे को दर्द भी हो रहा था। लेकिन फिर भी मैं “….उंह उंह उंह हूँ.. हूँ… हूँ..हमममम अहह्ह्ह्हह..अई…अई…अई…..” की आवाजो के साथ उसके लंड को खा रही थी। कुछ ही देर में उसने अपनी स्पीड बना ली। मेरी चूत में एक बार फिर से धूम मचाकर उसने खूब तेजी से मेरी चुदाई करनी शुरू कर दी। हम दोनों एक दूसरे का साथ देकर सेक्स का भरपूर मजा ले रहे थे। उसने मेरी एक टांग को उठाकर घुसक घुसक कर चोदना शुरू किया। मैं उसके लंड को बहुत ही मजे से अंदर ले रही थी। वो भी पूरा लंड जड़ तक मेरी चूत में पेलकर बहुत ही मजे ले ले कर चुदाई का मजा दे रहा था। मै “आऊ…..आऊ….हमममम अहह्ह्ह्हह…सी सी सी सी..हा हा हा..”, की आवाज के साथ उसका भरपूर सहयोग कर रही थी।

उसने मेरी चूत को फाड़कर उसका भरता बनाने लगा। मेरी चूत का बुरा हाल हो गया। मै झड़ने की स्थिति में पहुच गईं। उसकी जोरदार चुदाई ने मेरी चूत से रस बाहर निकाल दिया। मै झड़ गयी। उसने मेरी चूत में अपना मुह लगाकर दूध की तरह सारा माल पी गया। उसके बाद उसने मेरे को झुका दिया। मेरी गांड के छेद पर थूक लगाकर उसने अपना लंड अंदर घुसाने का प्रयास करने लगा। उसका प्रयास सफल हुआ। अपना लंड घुसाकर उसने मेरी गांड भी फाड़ दी। मैं “हूँउउउ हूँउउउ हूँउउउ ….ऊँ—ऊँ…ऊँ सी सी सी सी… हा हा हा.. ओ हो हो….” की चीख के साथ अपनी गांड चुदाई करा रही थी।

मेरी गांड में वो अपना लंड जोर जोर से पेलकर अपनी गर्मी को निकाल रहा था। आखिरकार कुछ ही देर बाद उसके लंड की भी सारी गर्मी निकल गयी। मेरे को अपनी गांड में कुछ गरमा गरम महसूस हुआ। उसका लंड मेरी गांड में ही अपना माल निकाल दिया। उसके बाद उसने अपना लंड मेरी गांड से निकाल कर थक हार कर बिस्तर पर लेट गया। मै भी उसके बगल में लेट गयी। उसने उस रात मेरी कई बार चुदाई की। आज भी मौक़ा मिलते ही मेरी चूत को अपना लंड खिलाता है। आपको स्टोरी कैसी लगी मेरे को जरुर बताना और सभी फ्रेंड्स नई नई स्टोरीज के लिए नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम पढ़ते रहना। आप स्टोरी को शेयर भी करना।

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मुह में लंड रंडियों की तरह लिया | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/chudai-ki-kahani/muh-me-lund-randiyo-ki-tarah-liya.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/chudai-ki-kahani/muh-me-lund-randiyo-ki-tarah-liya.html#respond Thu, 15 Mar 2018 04:31:08 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=12200 मुह में लंड रंडियों की तरह लिया, मेरे पूरे बदन में आग लग गया, ऐसा लगा कि तुम पूरा लंड को चूत में डाल कर मुह से निकाल दोगे, और वह औउ ह अह ओह हहा ऊउअ ओह अहह अम्म इह अह ह्होह हहह आवाज करने लगी उधर भाभी मेरी गांड चाट रही थी तो कभी ममता की बूब्स दबा रही थी और मे भी एक तरफ से रंडी भाभी के बूब्स को दबा रहा था

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मेरी उम्र 34 साल है और मैं राजस्थान का रहने वाला हूं. में प्रोफेशन से एक बेंकर हु और कोई भी मेरे साथ चैट करना चाहे तो मुझे मेल कर सकता है. मेरी भाभी उसका फिगर ३६-३४-३६ है और यह जो भी साइज़ हे इसमें मेरा भी हाथ हे. मैं मेरी भाभी को चोद चोद के और उस के बूब्स को दबा दबा कर गांड मार मार कर बड़ा किया है, तो मेरे इस काम से भाभी मेरी शुक्र गुजार थी. अब मैं कहानी पर आता हूं, यह बात करीब २ विक पहले की हे जब मैं, भैया और भाभी अजमेर घूमने गए थे अपनी कार में, हम लोग सुबह सुबह ही निकल गये थे घर से और मस्ती करते हुए जा रहे थे, मैं कार चला रहा था और भैया मेरे साइड की सीट में और भाभी पीछे बैठी थी, हम लोग अजमेर घुमे, काफी मजा करने के बाद रिटर्न में काफी थक गए थे.

तो मे भैया से कह रहा था कार चलाने के लिए और में पीछे जा कर सो गया भाभी के गोद में, और काफी अंधेरा भी हो गया था, और आप लोगों को तो पता है कि मैं एक चुदक्कड हूं और जब भाभी की गोद में सोया हु तो उन के बदन से आती हुई खुशबू से भला में कैसे अपने आप को संभाल पाता, लेकिन तब मेरे भैया भी थे तो मुझे अप ने आप पर कंट्रोल करना पड़ा, लेकिन मैंने फिर भी भाभी की चूत में हाथ डाल कर फिंगरिंग करने लग गया था.

भाभी भी काफी सेक्सी हो गयी थी और चूत भी गीली हो चुकी थी और मेरा फिंगर भी गिला हो गया था और मैं उस रस को चाट चाट के साफ भी किया, तब मैंने भाभी को कहा प्लीज मेरे लंड को सहलाओ और जोर जोर से हिला कर पानी निकाल दो, मेरी रंडी भाभी ने ऐसा ही किया और हम लोग एक ओरल सेक्स के बाद हमारे घर पर पहुच गये.

में काफी मूड में था, क्योंकि अभी तो आधा सेक्स ही हुआ है अब मुझे उस रंडी की गांड मारनी थी, तभी भैया आये और बोले प्रेम डिनर का क्या प्लान है? तेरी भाभी बहुत थक चुकी है और वह खाना नहीं बना सकती ऐसा बोल रही है. मैंने कहा कोई बात नहीं मैं बाहर गया से ले आता हु. और मैं बाहर गया और डिनर ले कर आ रहा था तभी भैया का फोन आया कि थोड़ा ड्रिंक लेकर आना मुझे बहुत थकान महसूस हो रही है, मैं लेकर आ गया. मेरे भैया ड्रिंक्स लिए और थोड़ा खाना खाया और सो गए.

में और भाभी खाना खा रहे थे. तभी मैंने पूछा भाभी को हो जाए एक चूत-गांड-लंड का गेम? भाभी बोली मैं थक गई हूं, मजा नहीं आएगा, मैंने कहा तेरा मजा में निकालता हूं रुक साली रंडी और जल्दी भैया का स्टेटस देख कर मेरे रूम में आ जाना, मैंने खड़े हुए लंड से तुम्हारा वेट करूंगा, तो वह मेरी रंडी मेरे को बोली तू  कभी नहीं सुधरेगा रंडुआ, और तेरी भाभी को बीना चोदे रह नहीं पायेगा, फिर मैंने बोला तेरे जैसी रंडी हो तो मैं लाइफटाइम शादी भी ना करू और तुजे ही चोदता रहू. फिर में अपने रम में जा के फ्रेश हुआ और भाभी का इंतजार करने लगा.

फिर करीब दो घंटे के बाद वह रंडी आई, पता नहीं किस से मरवा रही थी, मुझे गुस्सा आ गया था वेट कर कर के, तब मैंने पूछा क्यों इतना लेट हो गया? तो बोली तेरे भैया भी घर पर हे, और वह ड्रिंक कर के  सोये हे, लेकिन उन को थोडा थोडा होश हे तो में उन से चूत मरवा के आई और उन को एकदम थका के सुला दी. अब वह सुबह तक नहीं उठेंगे.

मेने कहा वाह रंडी तेरा तो जवाब नहीं तू तो एकदम एक्सपर्ट खिलाड़ी है और मुझ से गांड मरवाने के लिए चूत मरवा कर आ गई, तो उसने कहा कि भडवे बात कम कर और चोद तेरी रंडी को, फाड़ डाल उस की गांड जो तेरा लंड लेने के लिए आई है.

तभी मैंने मेरा पेंट खोल दिया और मेरे लंड को उसके मुंह में डाल के रेडी करने लगा और उसके दोनों गोल गोल बोबे को दबाने लगा, चाटने लगा, खाने लगा, उस के बूब्स को पूरा लाल करने के बाद मैं उसकी चूत को चाटने लगा, पूरी जीभ को उस की चूत में घुसा दिया और उसके बालों को सहलाने लगा, उसकी चूत के ऊपर छोटे छोटे बाल काफी मदहोश कर देते हैं मुझे, वह अब आह हु ऊया हहिः अहह ऐऊ ओह अहह औऔउ आम्म अह्हो ह हहह औऊ बहुत जोर जोर से आवाज करने लगी, बस बस बस और नहीं. मैं और जोर से उसकी चूत को चाटने लगा और वह पानी छोड़ दी मेरे मुंह में ही, क्या टेस्ट था?

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पूरा पानी पीने के बाद मैं तैयार हो गया, मुझे आज इस रंडी को दिखाना था कि मैं उसका देवर उसके पति से अच्छा चोदता हूं कि नहीं. और फिर मेने उसे डौगी स्टाइल में  लिटा के चोदा, क्रीम उस की गांड में लगाया और एक जबरदस्त मारा उसकी गांड के ऊपर, उसका गोरा गांड पूरा लाल हो गया और वह चीख पड़ी, अरे भोसड़ी के लवडे के बाल, मादरचोद, बहनचोद साले, में गांड मरवाने आई हूं, तू तेरा लंड को गांड में मार भोसड़ी के, हाथ से नहीं मार पेन होता है, मैंने कहा पेन और क्या क्या होता है, आज सब तुझे पता चलेगा, रुक रंडी चुप हो कर देख मैं क्या क्या करता हूं? तू बस एंजॉय कर.

मैंने मेरे बड़े लंड को उस की गांड में एक ही बार में घुसा दिया, वह चीख पड़ी, निकाल साले निकाल इसे नहीं नही प्लीज़, फाड़ देगा क्या साले? मैं कहां सुनता था, और फिर उसे और जोर जोर से मारने लगा फच फच फच, उसका गांड पूरा लाल हो चुका था, वह काफी एंजॉय करने लगी थी, बीच बीच में फक फक फक फक बोल कर मेरा हौसला बढ़ा रही थी और मैं भी काफी जोर के साथ से चोद रहा था और करीबन २५ मिनट चोदने के बाद मैं झड़ गया और मैंने सारा पानी उस के गांड में ही डाल दिया, और थोड़ी देर ऐसे ही पड़े रहे और बात करने लगे अजमेर की ट्रिप के बारे में.

तभी रंडी भाभी ने कहा उनकी बहन आ रही है कल कुछ एग्जाम के लिए, तो मैं वह सुनकर काफी खुश हो गया और एक छोटा सा स्माइल सा आ गया मेरे फेस पे, तभी वह भाभी देखि और पूछा तुम क्यों खुश हो रहे हो? मैंने कहा है ऐसे ही, तो वह समझ गई और बोली उसके बारे में सोचना भी मत, वह काफी अच्छी है और यह सब वह नहीं करती है. मैंने कहा ठीक है लेकिन एक बार ट्राई कर के देखने में क्या जाता है. अगर वह अच्छी होगी तो नही करेगी और अगर वह भी तुम्हारी जैसी चुदक्कड निकली तो फिर मेरा लाइफ सेट. और ऐसी बात कर के भाभी अपने रूम में चली गयी.

मैं सुबह करीबन १० बजे उठा और फ्रेश होकर हॉल में आकर बैठ गया, भैया भी थे, और संडे का दिन था तो कुछ काम भी नहीं था. ११ बजे के आस पास दरवाजे का बेल बजा और भाभी की बहन आई, जब तक मैं नहा धोकर रेडी हो गया था. मेरी नजर जब उस पर पड़ी तो मैं दंग रह गया, वह तो एक माल है उसका नाम है ममता, काफी टाइट जींस, टाईट स्कर्ट स्लीव लेस मेरे हिसाब से उसका फिगर ३६ से ज्यादा होगा, गांड उसका ३४ के आस पास होगी, एकदम गोरी चिट्टी थी, बहुत सुंदर लग रही थी. मेरा लंड भी समझ गया था कि उसे कुछ मिलने वाला है.

तभी भाभी आई और वह लोग रुम में चले गए, फिर थोड़ी देर में वह फ्रेश होकर भाभी के रूम से निकली, उसे देख में वहीं पर ही बेहोश होने वाला था, एक सिंपल ड्रेस पहन के आई और उस ड्रेस से समझ में आया कि साली का ब्रेस्ट ३८ तो पक्का है, और मुझे चढ़ गया वह दिमाग में, लेकिन मैं सही समय का इंतजार कर रहा था.

फिर हम लोग सभी लंच लिए, काफी बातें की मैं और ममता भी काफी बातें किए, वह अभी एमबीए कर रही थी और उसका स्पेशलाइजेशन फाइनेंस था, और मैं अपना एमबीए काफी पहले कर चुका था और वह जॉब ढूंढ रही थी, और मैं बैंक में जॉब करता हूं, तो हम नौकरी के बारे में बात कर रहे थे.

तभी भैया के दोस्त का फोन आया और वह लोग कुछ पार्टी का प्रोग्राम कर रहे थे उस रात के लिए किसी और जगह पर, और भैया ने रात को पार्टी के लिए कंफर्म कर दिया और करीबन ६:३० बजे घर से निकल पड़े, अब घर में मैं, भाभी और ममता तीनों लोग ही थे.

मैं भाभी से कहा कि भैया भी मस्ती करने चले गए, हम लोग भी मूवी देखने चलें क्या? भाभी बोली पूछो ममता को अगर वह जाएगी तो चलते हैं, और हम लोग कार में मूवी देखने चले गए में मूवी में दोनों के बीच में बैठा था और मूवी देख रहा था, और आप लोगों को पता है मैं तो अपनी रंडी भाभी के लिए पहले से ही तैयार था चुदाई करने के लिए, तो मैं धीरे धीरे उसे छेड़ने लगा और कभी बूब्स में कभी चूत में कभी गांड में हाथ मारने लगा, भाभी को डिस्टर्ब हो रहा था मूवी देखने में, लेकिन मुझे मजा आ रहा था. इंटरवल के समय में कुछ पोपकोर्न और कोल्ड ड्रिंक लेकर आया और हम लोग सेकंड पार्ट मूवी का एंजॉय करने लगे.

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तब मैंने सोचा कि क्यों ना एक बार ट्राई किया जाए ममता को? और मैं ममता के पीछे कंधे में हाथ डालने का कोशिश किया, ममता ने कहा क्या कर रहे हो? तो मैंने कहा सिर्फ हाथ स्ट्रेच कर रहा हूं, और तभी मैंने जानबूझकर ममता का  पॉपकोर्न गिरा दिया.

वह उसके कपड़े के ऊपर गिर गया लेकिन पता नहीं चल रहा था की कहां कहां गिरा है, तो मैंने कहा उठो मत, हम लोग ऐसे ही खा लेंगे, और मैं उसके कपड़े के ऊपर से ही लेकर खाने लगा, तो भी एक दो बार उसके बूब्स में मेरा हाथ टच हुआ था, काफी सॉफ्ट फील हो रहा था, उसके बाद मैंने जानबूझकर पॉपकोर्न खोजने लगा उसके कपड़े के ऊपर मेरी उंगली पर थोड़ा सा जोर लगाने के साथ साथ में को ढूंढने लगा. तभी मुझे कुछ अहसास हुआ उसकी पैंटी का और मैं गरम हो गया. लेकिन तब तक वह कुछ नहीं बोली मेरे को, लेकिन उसका मतलब यह नहीं था कि सिग्नल मिल गयाहे  चोदने के लिए. मूवी खत्म हुआ फिर हम लोग घर गए और फ्रेश हो गए और भाभी के रूम में बातें करने लगे. मुझे तो बस चोदना था और मैं भाभी को इशारा कर रहा था, प्लीज प्लीज और तभी यह भी कंफर्म हो गया था कि भैया मॉर्निंग को आएंगे क्योंकि उन्होंने ज्यादा पी ली थी.

भाभी ने कहा मैं तैयार हूं तुम मुझे जितना चोदना चाहते हो चोदो लेकिन मैं ममता को कैसे बोलू? वह सब क्या सोचेगी? तो मैंने कहा हम लोग एक प्लान करते हैं और प्लान के मुताबिक में भाभी को चोद दूंगा और हम लोग दरवाजा बंद नहीं करेंगे और पानी की बोतल भी रूम में नहीं रखेंगे, ताकि वह आ के सर्च करें और नहीं मिलने पर आप को पूछने आएगी और आपको यहां देखेगी और हम लोग उसको सॉरी बोल कर उसे भी ट्राई करेंगे.

फिर हम लोगों ने ऐसे ही किया फिर मैं और भाभी रूम में जाकर सेक्स करने लगे उस दिन भी मैंने भाभी की गांड मारी क्योंकि मुझे ममता की चूत मारनी थी, पर तभी कुछ आवाज आई दीदी.. दीदी.. हम लोगो ने उसे इग्नोर किया और सेक्स करने लगे, तभी ममता आई और देख कर दंग रह गई, बोली यह क्या दीदी? क्या कर रहे हो इसके साथ? भैया क्या सोचेंगे?

फिर मैंने कहा यह मेरी गलती है, ऐसा मत सोचो. मुझे माफ कर दो, तब मैं पूरा नंगा खड़ा था और वह मेरे लंड को देख रही थी. मैंने कहा अगर तुमको कोई भी हेल्प चाहिए पूछो एग्जाम की तैयार में या जॉब के लिए में तुम्हारी मदद करने के लिए तयार हु. प्लीज हमें माफ कर दो, तुम जो बोलोगी मैं वह करुंगा, तभी वह हस पड़ी और बोली ठीक है फिर मुझे भी तुम अपनी भाभी की जैसे चोद कर दिखाओ.

और फिर तो दोस्तों मैं बहुत खुश हो गया और बोला कम तो अवर सेक्स ग्रुप, यह सब देख कर भाभी बोली ममता तू चुदेगी पक्का? ममता बोली दीदी में चुत मरवा मरवा कर उसे बड़ा बना चुकी हूं, और तुम मुझे पूछ रही हो? मैं जब यहां आई तभी मेने प्रेम को देख के सोचा था की ईस गांडू से चूत मरवाउंगी

यह सब सुन कर मेरा मन उत्तेजित हो गया और मैं जट से ममता के ऊपर चढ़ गया और उसके बड़े बूब्स को दबाने लगा, क्या मस्त थे दोस्तों और एक तरफ में भाभी की चूत में फिंगरिंग कर रहा था, ममता मेरे लंड को पकड़ने के लिए इधर उधर हात घुमा रही थी.

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तभी मेने उसे मेरा लंड पकड़ा दिया और वो उसे केले के जैसे चूसने लगी, मां कसम क्या लग रहा था, एक तरफ भाभी, एक तरफ ममता. ममता के मेने कपड़े खोल दिये थे, अब वह सिर्फ पैंटी और ब्रा में थी, भाभी ने कहा अरे रंडूवा, अभी ममता आई तो तुम मुझे अच्छे से नहीं चोदेगा मुझे पता है क्योंकि उसकी गांड मुझसे बड़ी है, उसकी ब्रेस्ट भी मुझसे बडे है और तुझे बड़े बड़े पसंद है, मैंने कहा ऐसा कुछ नहीं है भाभी, आप तो मेरी जान हो और जान को पहले उसके बाद बाकी सबको ऐसा बोल कर मैंने ममता को पूरा नंगी कर दिया और उसकी चूत को चाटने लगा, यह एक पूरा नया अनुभव था, उसकी चूत में बाल नहीं थे, पूरी क्लीन शेव थी और बड़े बड़े उभरे हुए थे.

उसके बाद में रह नहीं पाया और मैंने उसे चोदने के लिए उस के ऊपर चढ़ गया और मेरा लंड उसकी चूत में घुसा दिया, वह एकदम से सहम गई और बोली कि कितना बड़ा है तुम्हारा? मेरे पूरे बदन में आग लग गया, ऐसा लगा कि तुम पूरा लंड को चूत में डाल कर मुह से निकाल दोगे, और वह औउ ह अह ओह हहा ऊउअ ओह अहह अम्म इह अह ह्होह हहह आवाज करने लगी, उधर भाभी मेरी गांड चाट रही थी तो कभी ममता की बूब्स दबा रही थी, और मे भी एक तरफ से रंडी भाभी के बूब्स को दबा रहा था, और ममता पूरी तरह से अपनी गांड को उठा उठा कर मरवा रही थी और काफी गंदा गंदा गाली दे रही थी, बहन के लौड़े, मादरजात, भोसड़ी के जात.

और मैं भी उसे मार रहा था ऐसे ही पच पच और ऐसे ही चोदते चोदते तक़रीबन २० मिनट हो गया और मैं पूरा पानी उस रंडी ममता के ऊपर डाल दिया और वो रंडी भाभी तड़प रही थी चूत मरवाने के लिए, फिर कुछ देर बाद मेने भाभी को चोदा डॉगी स्टाइल में और फिर २ घंटे बाद ममता की गांड में भी चोदा, उस रात मैंने ६ बार सेक्स किया और रात भर सारा पानी उस ममता की बॉडी में ही डाला और वह दोनों बहने सारा पानी को चाट ले रहे थे साले रंडियों की औलाद, ऐसी रंडियों को जितना चोदो सेटिसफाय नहीं होते हैं, मैं चोद चोद के थक गया वह साले नहीं थक रहे थे, फिर फाइनली में ही हार मान गया और बोला बेटर लक नेक्स्ट टाइम और हम ऐसे ही नंगे सो गये एक दुसरे के ऊपर.

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अपूर्वा के पति ने चुदाई करते हुए पकड़ा | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/chudai-ki-kahani/apurva-ke-pati-ne-chudai-karate-huye-pakda.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/chudai-ki-kahani/apurva-ke-pati-ne-chudai-karate-huye-pakda.html#respond Mon, 05 Mar 2018 07:19:00 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=12133 अपूर्वा के पति ने चुदाई करते हुए पकड़ा, अपूर्वा के पति ने फिर हमारे साथ मिलकर थ्रीसम सेक्स करना शुरू किया उसने मेरी गांड मारनी शुरू कर डी गांड में इतना दर्द हुआ कि में बता नहीं सकता दोस्तों उसने सही मौका देखकर अपने लंड को मेरी गांड में डाल दिया, मेरी गांड को फाड़ ही दिया था और फिर वो ज़ोर ज़ोर से धक्के देने लगा था उसका लंड बहुत ही सख्त था अब मुझे लगा कि जैसे में उस दर्द की वजह से मर ही जाऊँगा

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हे मेरे दोस्तों, कैसे है आप लोग दोस्तों आपको बता दूं कि मेरी शादी को हुए एक ही साल हुआ था लेकिन हर किसी की तरह मुझे भी अपनी बीवी के अलावा दूसरो की बीविया अच्छी लगने लगी अपनी बीवी से तो जैसे मेरा मन ही भर गया था मुझे अब दूसरो की बीविय बहुत प्यारी लगाने लगी थी. अब में अपने ऑफिस में ही हमेशा कम्पूटर पर बैठकर चेट कर रहा था और एक दिन मेरी यह मेहनत रंग भी ले आई. फिर एक दिन मुझे एक आंटी मिली जो एक शादीशुदा औरत थी. उनका नाम अपूर्वा जैन था, उनसे रोज ही मेरी कई कई घंटे चेटिंग होने लगी थी. फिर दिन गुजरने के साथ साथ हमारे बीच दोस्ती होने लगी थी और एक दिन मैंने उनको अपनी कुछ फोटो भेजी और उनकी भी फोटो माँगी और उन्होंने भी मुझे अपनी फोटो भेज दी.

दोस्तों मैंने देखा कि उस फोटो में वो आंटी मुझे थोड़ी मोटी नजर आ रही थी और उनका रंग भी सांवला था, लेकिन उनके बूब्स आकार में बहुत बड़े थे और उनकी गांड भी बहुत भारी थी. अब में वो फोटो देखकर उनकी गांड मारने की बात मन ही मन सोचने लगा था और फिर उसके बाद हम दोनों एक दो बार बाहर होटल रेस्टोरेंट पर भी मिले और फिर उसके बाद हम लोग खुलकर एक दूसरे से सभी तरह की बातें करने लगे थे.

फिर उसने मुझे बताया कि रमेश नाम का एक लड़का उसके पड़ोस में रहता था, जो अपने कॉलेज की पढ़ाई करने आया था. उस लड़के ने उनको कई बार चोदा, लेकिन अब जब से वो लड़का वापस अपने घर चला गया है तब से वो बिल्कुल अकेली पड़ गयी है. अब वैसे पड़ोस के एक दो लोग उस पर अपनी गंदी नज़र हमेशा रखते है और उनको बहुत घूर घूरकर देखते है और उनको अच्छी तरह से पता है कि वो सभी उनसे क्या चाहते है? फिर भी, लेकिन वो उनसे नहीं करवाना चाहती है.

अब हम दोनों ज्यादा आगे बढ़ने लगे थे, क्योंकि वो उसके पति की नौकरी बाहर और कभी कभी अपने घर आने की वजह से अपनी बड़ी बहन के साथ रहती थी और में अपनी पत्नी के साथ. अब हम दोनों ही किसी ऐसी जगह को तलाशने लगे थे जहाँ पर हम दोनों अपने मन की इच्छा चुदाई के जमकर मज़े लेकर पूरी कर ले, लेकिन डरते थे कहीं पकड़ ना लिए जाएँ क्योंकि आजकल बहुत सारे ऐसे काम होने की वजह से सभी जगह पर पुलिस की बहुत सख्ती थी. दोस्तों उन दिनों पुलिस हर एक होटल ऐसी जगह पर बहुत ध्यान देती और ऐसे कुछ कुंवारे शादीशुदा जोड़े वो पकड़ भी चुके थे.

फिर एक दिन उसने मुझे बताया कि उसकी बहन और उसका पति तीन दिन के लिए बाहर हिमाचल प्रदेश किसी शादी में आज ही दोपहर को जा रहे है और जब तक वो दोनों नहीं आते में अपने घर में अकेली ही रहूंगी, हमें इससे अच्छा मौका दोबारा क्या पता कब मिले, इसलिए हमे इसका पूरा पूरा फायदा उठा लेना चाहिए. अब में उसके मुहं से यह बात सुनकर बहुत खुश था और उसके घर में जाकर मिलने उसके साथ कुछ भी करने पर हमें किसी भी बात की कोई चिंता भी नहीं थी, हम दोनों अपनी मर्जी से कुछ भी वहां पर कर सकते थे.

फिर हम दोनों ने अगले ही दिन दोपहर के समय मिलने का विचार बना लिया और में पूरा दिन उसको मिलने उसके साथ चुदाई करने की बात को सोच सोचकर बहुत उत्साहित था और मेरी ख़ुशी का कोई ठिकाना नहीं था. अब में सुबह अपने ऑफिस ठीक समय पर चला गया और में वहां पर जाकर कुछ देर बैठ गया. फिर उसके बाद में अपनी तबीयत खराब होने का झूठा बहान बनाकर वहां पर अपने घर जाने की बात कहकर ऑफिस से अपने घर के लिए निकल गया. फिर में वहां से खुश होता हुआ सीधा अपनी आंटी के यहाँ पहुँच गया और दरवाजा बजाते ही तुरंत आंटी ने खोल दिया, मैंने देखा कि वो मेरा वहां पर बड़ी बेसब्री से इंतजार कर रही थी.

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हम दोनों ने मिलते ही एक दूसरे को सबसे पहले कुछ देर चूमना चाटना शुरू किया. अब मुझे पता चला कि वो बड़ी मस्त हॉट सेक्सी होने के साथ साथ बहुत ही अनुभवी औरत भी थी, वो मुझे लगातार चूमती मेरे बदन को सहलाकर मुझे गरम कर रही थी. अब हम दोनों बिना देर किए पूरे नंगे हो गये और मैंने तुरंत ही अपना लंड बाहर निकालकर उसके हाथ में पकड़ाकर में उसके बूब्स को चूसने सहलाने लगा था.

इससे पहले मैंने इतने बड़े बूब्स कभी पूरे नंगे नहीं देखे थे, इसलिए मेरा लंड बहुत ही कम समय में तुरंत ही सख्त हो चुका था. अब मैंने उसको नीचे लेटा दिया और उसकी जांघो को अपनी जीभ से चाटने लगा था और उसने अब भी मेरे लंड को ज़ोर से पकड़ रखा था. फिर मैंने कुछ देर उसके चूत और आसपास के हिस्से को अपनी जीभ से चाटकर उसके जोश को पहले से ज्यादा बढ़ाकर उसको पागल होने पर मजबूर कर दिया.

मैंने कुछ देर यह सब करने के बाद उसकी चूत में अपने लंड को डाल दिया, मेरे एक हल्के से धक्के में ही मेरा पूरा पूरा का लंड उसकी चूत की गहराईयों में फिसलता हुआ चला गया. अब में ज़ोर ज़ोर से धक्के देकर उसकी चुदाई करने लगा था और उसके जोश को देखकर बड़ा चकित था, कि मेरे हर एक धक्के के साथ वो भी धक्के लगा रही, लेकिन में ज्यादा जोश की वजह से बस पाँच मिनट में ही झड़ गया.

अब ऐसा होने की वजह से मेरा मन बहुत खुश था, क्योंकि में चूत को धक्के मारने के बाद जब उसकी गांड मारूँगा, तब ज़्यादा देर तक उसके मज़े लेता रहूँगा. अब वो मुझसे कहने लगी कि उसको टॉयलेट जाना है और नहाना भी उसके बाद ही दूसरी बार कुछ करेंगे और फिर वो बाथरूम में चली गयी. फिर में भी थोड़ी देर के बाद बाथरूम में चला गया, मैंने सोचा कि में भी उनके साथ ही नहाने के मज़े ले लूँ. अब मैंने अंदर जाकर देखा कि वो टॉयलेट की सीट पर बैठी हुई है, हम दोनों उस समय पूरे नंगे थे.

उसको इस तरह से बैठे देखकर मेरा लंड तनकर खड़ा हो गया और में आगे बढ़कर अपने खड़े लंड को उसके मुँह के सामने ले जाकर खड़ा हो गया और उसके होंठो को छूने लगा था और कुछ देर मेरे ऐसा करने के बाद ही उसने अपने मुँह को खोलकर मेरा लंड अपने मुँह में भर लिया और वो चूसने लगी थी. अब में उसके गालों को सहलाने लगा था और थोड़ी ही देर में मेरा लंड उसके मुँह में ही झड़ गया और उसने मेरे वीर्य को अपने अंदर नहीं लिया तो उसको अपने मुँह से बाहर निकालकर नीचे टपकाने लगी थी.

अब में यह सब देखकर बहुत ही रोमांचित हो रहा था, फिर वो थोड़ी देर में उठी उसने पानी से अपनी गांड को धो लिया और फिर उसके बाद हम दोनों साथ में नहाने लगे. अब हम दोनों ने एक दूसरे को बहुत दिल से खुश होकर नहलाया. फिर मैंने उसकी गांड को बड़ी अच्छी तरह से साफ किया और यह काम करते हुए बीच बीच में थोड़ी सी अपनी उंगली भी मैंने उसकी गांड डाली, लेकिन वो मुझसे कुछ नहीं कहती, बस मेरी तरफ मुस्कुराकर देखने लगती. तभी अचानक से उसकी नज़र दरवाजे की तरफ चली और उसने चीखकर पास ही पड़ी एक चादर से अपने मुँह को ढक लिया.

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अब मैंने भी पीछे घूमकर देख तो वहाँ पर एक काला सा लंबा हट्टाकट्टा आदमी खड़ा हुआ था जो कि दिखने में 50 साल के करीब था. अब उसने मुझसे पूछा कि कौन हो तुम? मैंने भी उसको पूछा कि तुम कौन हो? तब उसने मुझे बताया कि वो उस औरत का पति है जो कि बेंक में कोई जरूरी चेक जमा करवाना भूल गया था, इसलिए सुबह ही हिमाचल प्रदेश से वापस आकर सबसे पहले बेंक जाकर अपना काम खत्म करके वापस अब अपने घर पहुँचा है. फिर वो बोला अपूर्वा मेरी तरफ देखो और तुरंत उसने उसकी तरफ देखा, लेकिन उसके चेहरे से मुझे वो डर साफ साफ नजर आ रहा था.

अब वो उसको कहने लगा कि में तुम्हारी ज़रूरत को अच्छी तरह से समझता हूँ बल्कि ना जाने कब से में तुम्हारे साथ यह सब करने की कोशिश कर रहा हूँ, लेकिन तुम्हे मेरे साथ वो मज़ा ना जाने क्यों नहीं आता? फिर वो इतना कहकर बाहर पलंग पर जाकर बैठ गया और फिर हम दोनों भी बाथरूम से निकलकर बाहर आ गए. अब उसने उसकी जांघो में हाथ डाल दिया और फिर वो मुझसे बोला कि तुम्हे शायद पता नहीं है में पुलिस में हूँ और में तुम्हे बंद भी करवा सकता. अब में उसकी बातें सुनकर बहुत ही डर चुका था और फिर में उसको कहने लगा कि जैसे आप मुझसे कहोगे में ठीक वैसा ही करूँगा.

वो मुझसे उसके कपड़े उतारने के लिए बोला और मैंने आगे आकार उसकी शर्ट और पेंट को भी तुरंत उतार दिया. अब मैंने देखा कि उसका लंड पहले से ही खड़ा हो चुका था जो उसकी अंडरवियर में टेंट बना हुआ मुझे साफ नजर आ रहा था और फिर मैंने जब उसकी अंडरवियर को उतारा तब देखा कि उसका लंड लम्बाई में करीब सात इंच का था और वो बहुत मोटा भी था. अब उसने मुझे अपना लंड पकड़ा दिया और मुझसे बोला कि तुम धीरे धीरे इसकी मुठ मारो और फिर मैंने वैसा ही किया. अब उसने अपूर्वा को चूमना शुरू किया और उसके कुछ देर बाद वो उसको बोला कि तुम जाकर वैसलीन लेकर आओ.

अब में तुरंत समझ गया कि वो अब जरुर अपूर्वा की गांड मारेगा. यह सब देखकर मेरा भी लंड एकदम पूरी तरह से जोश में खड़ा हो गया. फिर अपूर्वा के कुछ देर बाद वैसलीन लेकर आते ही उसने मुझसे बोला कि तुम इस वैसलीन से मेरे लंड पर मालिश कर दो. अब मैंने उसके लंड की वैसलीन लगाकर मालिश करके एकदम चिकना लंड उसका कर दिया. फिर उसने मुझे पकड़कर बिस्तर पर हल्का सा धक्का देकर गिरा दिया, क्योंकि वो मुझसे बहुत ताकतवर था.

अब में यह सब देखकर बहुत डर गया और समझ भी गया कि आज सब कुछ उल्टा हो गया, में अब तक अपूर्वा की गांड मारने की बात सोचकर खुश हो रहा था, लेकिन यहाँ तो अब मेरी गांड ही दाव पर लगी थी. अब वो मेरी गांड में अपने लंड को डालकर उसको जरुर फड़ेगा, यह बात सोच सोचकर मेरे माथे से पसीना बहने लगा था. फिर मैंने उसको बहुत बार बोला कि में ऐसा बिल्कुल भी नहीं हूँ जैसा आप सोच रहे है शायद आपको मेरे बारें में कोई गलत बात समझ आ गई है. अब वो हंसते हुए मुझसे कहने लगा कोई बात नहीं है, आज में तुम्हे वैसा ही बना दूँगा, देखना तुम्हे मेरे साथ यह सब करके बड़ा मज़ा अब आने वाला है.

फिर उसी समय मैंने उससे बोला कि अगर तुम अपूर्वा को इतना चाहते हो तो उसकी क्यों नहीं मारते? तभी वो बोला कि अपूर्वा की तो अब में जब भी मेरी मर्ज़ी होगी ले लूँगा, लेकिन तेरी तो में अभी आज ही लूँगा और फिर उसने इतना कहकर मेरी गांड में बहुत सारी वैसलीन लगाई और फिर वो मेरे ऊपर लेट गया.

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अब वो अपने लंड को मेरी गांड के अंदर डालने की कोशिश करने लगा था, लेकिन मैंने अपनी गांड को भींचकर कर पहले से भी बहुत ज्यादा टाईट कर लिया था, जिसकी वजह से उसका लंड मेरी गांड में घुस ही नहीं रहा था. उसने अपना पूरा दम लगाया और फिर उसने अचानक से मुझे तीन चार जोरदार थप्पड़ इतनी ज़ोर से मारे कि उसकी वजह से मेरा सर ही घूम गया और मुझे अपनी गांड में इतना दर्द हुआ कि में बता नहीं सकता. दोस्तों उसने सही मौका देखकर अपने लंड को मेरी गांड में डाल दिया, मेरी गांड को फाड़ ही दिया था और फिर वो ज़ोर ज़ोर से धक्के देने लगा था, उसका लंड बहुत ही सख्त था. अब मुझे लगा कि जैसे में उस दर्द की वजह से मर ही जाऊँगा और फिर उसने कुछ देर बाद इतनी ज़ोर से धक्के मारे जिसकी वजह से अब उसका पूरा लंड मेरी गांड के अंदर चला गया था.

अब में उस दर्द की वजह से मचल गया और ऐसा मेरे साथ पहली बार हुआ था, इसलिए में किसी भी शब्दों में लिखकर नहीं बता सकता वो कैसा दर्द था? वो अब मेरे दर्द को देखकर धीरे धीरे अपने लंड को मेरी गांड से अंदर बाहर करने लगा था और कुछ देर बाद मेरा दर्द भी कम हो रहा था और मुझे बड़ा ही अजीब सा लगने लगा था और थोड़ी ही देर के बाद मुझे भी मज़ा आने लगा था और मेरा मन कर रहा था कि वो ऐसे ही करता ही रहे. अब मेरा लंड भी नीचे रगड़ खा रहा था और तनकर एकदम सख्त हो चुका था.

मेरे लंड को देखकर अपूर्वा ने नीचे अपने एक हाथ को डालकर मेरा लंड सहलाना शुरू किया और अब मुझे अपनी गांड मरवाना बड़ा अच्छा लगने लगा था और नीचे से मुठ मरवाना भी मेरे मन को खुश कर रहा था. अब में जोश मस्ती की वजह से मदहोश हो गया, क्योंकि मुझे ऐसा सुख पहले कभी नहीं मिला था, मेरी ख़ुशी का कोई ठिकाना नहीं था और फिर मेरा वीर्य धीरे धीरे रुक रुककर बाहर निकलने लगा था. दोस्तों अपूर्वा ने भी मेरी मुठ मारना चालू रखा और उसका पूरा हाथ मेरे वीर्य से भरा हुआ था. वो मेरे चिकने लंड को अपने हाथ से लगातार सहला रही थी. फिर उसके पति ने ज़ोर से हुंकार भरी और झड़ते हुए अपने वीर्य को मेरी गांड के अंदर ही छोड़ दिया, जिसकी वजह से में खुशी से मचल गया.

अब वो मेरे पास में लेटकर ज़ोर ज़ोर से साँसे लेने लगा और में भी अपूर्वा के बूब्स में अपना मुँह डालकर वैसे ही लेट गया, में उसके बूब्स को सहलाते हुए एक निप्पल को अपने मुहं में भरकर चूसने लगा था. ऐसा करने में मुझे बड़ा मस्त मज़ा आ रहा था. दोस्तों यह था मेरा वो सच और मेरे साथ घटी उस घटना का सीधा सीधा सच जिसको में आप सभी तक पहुँचाने के बारे में बहुत समय से सोच रहा था और आज मैंने बता भी दिया कि मेरे साथ क्या और कैसे हुआ.

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होली में भीगा बदन ऊपर से आंटी का मन | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/chudai-ki-kahani/holi-me-bheega-badan-upar-se-aunty-ka-man.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/chudai-ki-kahani/holi-me-bheega-badan-upar-se-aunty-ka-man.html#respond Sun, 04 Mar 2018 07:15:12 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=12123 आज की यह अन्तर्वासना सेक्स स्टोरी होली में भीगा बदन ऊपर से आंटी का मन कहानी को पढ़ आप सभी को मस्त्रुबतिओन करना पड़ सकता है तो उसके लिए तैयार रहे. ये कहानी है मेरे पड़ोस की मोटी चुदासी सेक्सी आंटी की जिनकी चुत पे होली के रंग लगाकर सेक्स के मजे लिए

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हाय दोस्तों, आप सभी की कहानियो पे तो मैं फ़िदा हो गया हूँ, जब भी कोई रिश्तो में सेक्स की कहनिया पढता हूँ तो बस दिमाग में ये आता है की क्या ऐसा भी कोई परिवार हो सकता है जो अपनी मर्जी से भाई बहन, मा बेटा, बाप बेटी, सास दामाद, और ससुर बहु की बिच सेक्स हो सकता है. लेकिन अब मुझे भी एक्सपीरियंस हो चूका इतना तो समझ ही गया की हर किसी के मन में इसके प्रति वासना रहती है लेकिन उनमे से कोई उसके लिए आसानी से मन जाता तो कोई नहीं मानता. बुत चलिए हमारी संस्कृति ऐसी है की वो इस तरह की रिश्तो में सेक्स को सही नहीं मानती जिसकी वजह से लोग इस रिश्तो को गुप्त रखते है. और छुप छुप के चुदाई का आनंद उठाते है. चलिए अब एक होली वाली सेक्स कहानी पर आते हे.

मेरा नाम शरद हे और मैं 28 साल का हु. मैं मेरिड हूँ और मैं पतला हूँ लेकिन मेरा लंड बड़ा और चौड़ा हे. मैं पवई की एक प्राइवेट फर्म में काम करता हु लेकिन मेरा नेटिव प्लेस वैसे कोटा हे. मैं यहाँ कांजुलमार्ग में एक किराए के मकान में किरायेदार के तौर पर रहता हूँ. चलिए आप मैं आप को इस कहानी की हिरोइन से मिलवाऊ. वो 35-36 साल की एक सेक्सी आंटी हे. वो एक बच्चे की माँ हे लेकिन अभी भी उसे देख के लगता ही नहीं हे की ऐसा हो. उसका पति पवई से बहार काम करता हे और वो महीने में एकाद दो बार ही घर पर आता हे. और शायद यही वजह थी की आंटी जी मुझे पहले से ही फुल लाइन दे रही थी. आंटी की चूत पक्का प्यासी थी ये मुझे पता था! होली के दिन मैंने देखा की आज भी अंकल घर नहीं आये थे. मैं भी एक ही दिन की छुट्टी मिलने की वजह से कोटा नहीं गया था.. मुझे होली खेलने का मुड़ नहीं बना तो मैं अपने कमरे में बैठ के टीवी देख रहा था. आंटी का लड़का बहार अपने यार दोस्तों के साथ रंग खेलने के लिए गया था. आंटी भी अपनी उम्र की औरतों और जवान लड़कियों और भाभियों के साथ होली खेल के वापस आ गई थी.

हम लोग सुबह से मिले नहीं थे क्यूंकि मैं थोडा लेट जगा था. आंटी मेरे पास आई और उसने मुझे हेप्पी होली कहा. मैंने भी होली की बधाई दी. आंटी ने थोडा और नोटीनेस दिखा के मेरे गालों के ऊपर गुलाल लगा दिया. और फिर वो अपने कमरे की तरफ बढ़ गई. और फिर तुरंत वो बाथरूम में नहाने के लिए भी चली गई. कुछ देर में आंटी ने मुझे बुलाया.

मैं जा के बाथरूम के पास रुका. मैंने देखा की आंटी ने बाथरूम का डोर खुला रखा था. मैंने पूछा क्या हुआ तो उसने कहा अन्दर आओ मनोज देखो न ये नल मेरे से खुल ही नहीं रहा हे.

 मैं अन्दर घुसा और अन्दर का सिन देख के मेरे लंड और दिमाग एक एक न्यूरोन यानी नर्व तन्तु की माँ बहन एक हो गई. आंटी एकदम ओपन यानी की नंगी खड़ी हुई थी.

मैंने कहा लेकिन आप तो…!

आंटी ने हंस के कहा, अरे इसमें क्या हुआ, तुम घर के ही तो हो, क्या अपनी बीवी के साथ नंगा नहाये नहीं क्या! शर्माना छोडो और मेरे लिए जल्दी से नल खोलो. आंटी एकदम सेक्सी लग रही थी अपने इस न्यूड अवतार में. उसका सेक्सी बदन देख के कोई नहीं कह सकता हे की वो एक बच्चे की माँ थी. मैंने नल खोला, और वो एकदम आसानी से खुल गया. मैं आंटी को कहने के लिए मुड़ा की ये तो एकदम फ्री खुल रहा हे.

लेकिन तभी आंटी ने मेरे ऊपर आधी बाल्टी पानी फेंक के मुझे भिगो दिया! उसने मुझे भिगोने के लिए ही बुलाया था. और उस पानी के अन्दर रंग भी डाला हुआ थे उसने. मैंने अपने बाल को और आँखों के ऊपर से पानी को हटा के बोला, अब मैं कैसे निचे जाऊँगा इस हाल में?

तो उसने कहा चलो हम दोनों साथ में रंग छुड़ा लेते हे.

मैं नहीं करना चाहता था इसलिए एक कदम पीछे हटा. लेकिन आंटी शायद आज मुझे छोड़ने के मुड़ में नहीं थी. उसने मुझे अपनी बाहों में जकड़ सा लिया. और वो बोली, मेरिड हो और अनुभव वाले हो फिर इतने क्यूँ शर्माते हो भला! और ये कह के उन्होंने मेरा लोवर और चड्डी दोनों खिंच लिया. आंटी की इस हरकत ने मेरे लौड़े को भी हिला के रख दिया. बहुत दिनों से मैंने भी अपनी बीवी को नहीं चोदा था इसलिए फटाक से लंड कड़क हो गया.

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मैंने आंटी के बूब्स को अपने हाथ में ले के दबाये और उन्हें चूमने लगा. आंटी ने अपने हाथ मेरी गांड पर दबाये और अपनी तरफ खींचने लगी.

मैंने आंटी को कहा, बहुत दिन से मेरा लंड लेने की ट्राय में थी तुम.

वो बोली, हां मेरा बेटा घर पर होता था जब तुम होते थे. आज जा के चांस मिला हे इस लेने के. और ये कहते हुए उसने मेरे लंड को दबा दिया. मैंने कहा, तो क्या हर किरायेदार से चुदी हो तुम?

वो बोली, ऐसी मेरी किस्मत कहा! तुम इस मकान के पहले किरायेदार हो. पहले तो उस कमरे में मेरा देवर रहता था.

मैंने कहा, फिर आप ने उसका लिया होगा ना.

छी, वो खुद एक गांडू था और अपनी मरवाने के लिए लोगो को लाता था. तभी तो उसे बहार निकाल के तुम्हे भाड़े पर दे दिया.

मैंने हाथ को आंटी की चूत पर लगा के दबाया. उसकी चूत अन्दर से गीली हुई पड़ी थी. वो कस के मुझे किस करने लगी.

और उसने भी मेरे लौड़े को अपनी मुठी में बंध कर के हिला दिया. मैंने उसके निपल्स को काटा और उसके मुहं से आह निकल पड़ी.  आंटी ने कहा, चलो जल्दी से डाल दो मेरे अंदर.

मैंने कहा एकदम डालना हे?

वो बोली, अरे मैं आज तो जल्दी से अंदर ही लेना चाहती हूँ. फिर प्यार रोमांस सब करेंगे.

मैंने आंटी को बाथरूम की दिवार पकड के खड़ा करवा दिया. फिर पीछे से उसकी गांड के चिक्स यानी की कूल्हों को खोला.

उसकी चूत का छेद देखा तो उसके ऊपर भी होली के रंग लगे हुए थे. मैंने अपना लंड वहाँ रखा तो आंटी की आह्ह निकल गई. मैंने आंटी की कमर को पकड के हौले से धक्का दिया और लंड अन्दर आधा घुस गया. मुझे लंड के ऊपर चिपचिपाहट सी फिल हुई. आंटी बोली, इतने बेदर्दी न बनो, थोडा धीरे से करो!

मैंने कहा, रुक जाओ डार्लिंग. अभी मजा आएगा!

और फिर मैं धीरे धीरे से आंटी की चूत में लंड को हिलाना चालू कर दिया. और एक मिनिट के अन्दर मैंने लंड को पूरा उसकी चूत में घुसेड दिया. आंटी की चूत का रंग निकल के मेरे लंड पर भी आ गया. आंटी भी अपनी गांड को जोर जोर से घिस के मुझे मजे दे रही थी.

मैंने अब उसकी गांड को पकड के जोर जोर से चोदना चालू कर दिया. वो भी हांफती हुई कुतिया की तरह चुदवा रही थी.

और 10 मिनिट की मस्त चुदाई के बाद मैंने कहा, चलो आगे घुमो. वो आगे को हुई तो मैंने उसकी एक टांग को उठा के उसकी चूत में लंड भर दिया.

अब की वो हिल नहीं प् रही थी. लेकिन चुदवाने में अभी भी वो वैसी ही हॉट थी. मैंने कस के उसे 10 मिनिट और चोदा और उसके अन्दर वो 2 बार झड़ गई.

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मेरा भी लंड का पानी निकलने को था. मैंने कहा, आंटी मेरा वीर्य कहा निकालू?

तो वो बोली, अन्दर नाह क्यूंकि पति कम ही चोदते हे मुझे.

मैंने कहा, फिर अपने मुहं में ले लो.

वो बोली ठीक हे.

मैंने लंड को चूत से निकाला. आंटी घुटनों के ऊपर बैठ के लंड को चूसने लगी. केले को खा रही हो वैसे वो मस्त ब्लोव्जोब दे रही थी.

एक मिनिट में मेरे लंड की मलाई उसके मुहं में चूत गई. और वो सब पी भी गई.

दोस्तों हमारी ये चुदाई उस दिन चालु हुई थी पूरी नहीं. आज भी मैं इस सेक्सी मकानमालिकिन आंटी को अपने लौड़े का मजा दे रहा हु.

दोस्तों जाने से पहले आप सब को एक बार फिर से हेप्पी होली!

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होली में बीवी की दो लोगो ने स्पेशल चुदाई किया | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/indian-wife-sex-stories/holi-me-wife-ki-2-logo-ne-special-chudai-kiya.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/indian-wife-sex-stories/holi-me-wife-ki-2-logo-ne-special-chudai-kiya.html#respond Tue, 27 Feb 2018 11:31:50 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=12089 दोस्तों यह एक होली पर मजेदार चुदाई की अनुभव वाली कहानी है है होली में मेरी वाइफ को चुदाई की अनुभव करना था वो भी अनजाने लोगो से हो गया |

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होली में बीवी की दो लोगो ने स्पेशल चुदाई किया
( Holi Me Wife Ki 2 Logo Ne Special Chudai Kiya )

मेरा नाम सुमित सेन है में चंडीगढ़ का रहने वाला हूँ मेरी बीवी का नाम निकिता कौर है | हम दोनों की ही ज़िन्दगी बहुत अच्छे से कट रही थी | एक दिन में रात को में अपने ऑफिस से घर आया तो निकिता ने बताया की आज दिन में स्कूल से घर आते हुए मेरे बेटे को बहुत चोट लग गयी थी मेरा बेटा बहुत शरारती है

सड़क पर दौड़ते हुए किसी बाइक वाले ने उसे टक्कर मार दी थी | मेरी बीवी ने बताया के हमारी ही गली के कुछ लड़कों ने उसकी मदद की मेरे बेटे को हॉस्पिटल पहुचाने की और वो ही उसे वही घर पर भी लेकर आये | मैंने सोचा हमारी गली में कौन ऐसा भला आदमी आ गया | मैंने अपनी बीवी से उसका नाम पूछा तो वो बोली की उसके दोस्त उसे सुन्दर भाई कह रहे थे |

मैंने कहा उसके दोस्त मतलब | उसने बताया की उसके के साथ उसके दो दोस्त और थे | चलो अच्छा है कम से कम कोई तो हमारी गली में है जो भला आदमी है |

“तुमने उसे चाय नाश्ता कराया या नहीं ” मैंने अपनी बीवी से पूछा “मैंने काफी कहा पर वो रुके ही नहीं और चले गए और कह गए है आपके पति के साथ ही किसी दिन बैठेंगे” मुझे बताओ कौन सा घर है में उन्हें जाकर थोडा अपने तरीके से धन्यवाद दे आता हूँ | मेरी बीवी ने मुझे उनका घर बताया और में उनके घर की तरफ चल दिया
उनके घर पहुच कर पता चला वो घर पर नहीं है पूछने पर पता चला के वो पार्क में है में पार्क जो पास ही था वह चला गया
वह जाकर मुझे उन्हें तलाश करने में परेशानी नहीं हुई मैंने वह एक से पूछा तो उसने बता दिया
जब मैंने उसे देखा तो में थोडा सा परेशान हो गया | वो वही गुंडे लोग थे जिनसे में सब डरते थे पर फिर मैंने सोचा एक बार इनको थोडा दारू पिला देता हूँ फिर कभी बात नहीं करूँगा |

मैंने उन्हें अपना परिचय दिया तो उन्होंने मुझे भी वही बैठा लिया | वो सब दारू पी रहे थे | ज़बरदस्ती मुझे भी पेग बना के पिला दिए |
वहां बातों ही बातों में मैंने उन्हें भी एक पार्टी का न्योता दे दिया | वही उसी पार्क में |

अगले दिन मैंने वही पार्क में उन्हें दारू की पार्टी दी | बातों से तो वो सब मुझे भले ही लगे हा बस गलियां ज्यादा दे रहे थे हर बात में माँ बहन की पर मैंने कहा मेरा क्या जाता है वैसे भी में रात को घर आता हूँ तो अकेले पीने से अच्छा है इनके साथ पी ली जाये और टाइम पास भी हो जाएगा फिर तो आम तौर पर में वही पार्क में उन तीनो के साथ पिने लगा |

उनमे एक सुन्दर था उसे सब सुन्दर भाई कहते थे दूसरा सुखजीत और तीसरा फैसल | तीनो ही काफी लम्बे चौड़े थे | उन्हें देख कर तो कोई वैसे ही डर जाये पर मैंने ये भी देखा की वो बिना बात के किसी को परेशान नहीं करते | अभी कुछ दिनों बाद होली का त्योंहार आने वाला था | मेरे बेटे के प्ले स्कूल की भी छुट्टियाँ पड़ चुकी थी तो मैंने उसे उसके दादा दादी के पास भेज दिया |

होली के दिन में अपने घर पर सुबह सुबह ही बीअर पीना शुरू कर चूका था | निकिता ने आज पकोड़े तले थे | मकान मालिक भी मेरे यहाँ आकर थोड़ी सी पी कर चला गया उसका परिवार भी होली पर अपने गाँव गया हुआ था उसने भी मेरे साथ पी और वो भी अपने किसी रिश्तेदार के यहाँ होली खेलने चला गया अब पुरे मकान पर में और मेरी बीवी रह गए थे |

हम दोनों ने भी खूब जम कर होली खेली मेरी बीवी ने भी आज थोड़ी सी बीअर पी ली थी तो उसे भी सरुर चड़ा हुआ था | वो भी आज मेरे साथ पूरी मस्ती कर रही थी |
उसने साड़ी पहनी हुई थी जिस पर बिना बाँहों का ब्लाउस था वो भी लो नेक का | बहुत ही सेक्सी लग रही थी

हम दोनों ऐसे ही मस्ती करते रहे मैंने कुछ ज्यादा ही पी ली थी मेरा सर घूमने लगा था | मिने सोचा थोडा सा नींद पूरी कर लीं |

ये सोच कर में सोने के लिए जा ही रहा था तभी दरवाजे पर दस्तक हुई | मैंने सोचा अब कौन आया होगा | मैंने दरवाज़ा खोला तो बाहर सुन्दर खड़ा था |

उसने आते ही मुझे गले लगा लिया और मुझे रंग लगाने लगा | मैंने भी उसे जवाब में रंग लगा दिया वो अन्दर आया और वही बैठ गया वो अपने साथ एक दारू की बोतल लाया था | वो खुद ही किचन में गया और वह से दो ग्लास उठा लाया | मेरा वैसे ही सर घूम रहा था ऊपर से और दारू मुझे तो उलटी आने को हो रही थी पर उसने जबरदस्ती मुझे एक पेग पिला ही दिया अब तो मेरा बुरा हाल था | में वही लेट गया | सुन्दर ने निकिता से कुछ खाने के कहा | तो निकिता किचन से पकोड़े ले आई |

मैं नशे में तो था पर मेरा ध्यान सुन्दर की तरफ ही था | आदमी चाहे जितना भी अच्छा हो दुसरे की बीवी को देखकर उसके मुह में लार टपकने लगती है | मैंने ध्यान दिया की वो बार बार निकिता के उरोजो की तरफ ही देख रहा था |

जब निकिता उसे पकोड़े देने झुकी तो वो उसके ब्लाउस में दिखती उरोजो की लकीर को देख रहा था | और जब निकिता किचन की तरफ जाने लगी तब उसकी हिलते हुए कुलहो को घूरे जा रहा था | मुझे बहुत गुस्सा आ रहा था पर में कुछ नहीं बोला | तभी उसका फोन बजा उसने बात करते करते कहा की वो भी सुमित के घर आजाये | मुझे फिर गुस्सा आया की वो बिना मुझसे पूछे किसी को ऐसे कैसे मेरे घर बुला सकता है. उसने बताया की सुखजीत और फैसल भी आ रहे है |

मैंने सोचा चलो वो तो जानं पहचान के ही है |

थोड़ी देर में वो दोनों भी आ गए मैंने उन दोनों को भी रंग लगाया और होली मुबारक की अब वो तीनो दारू पिने लगे और मुझे भी एक पेग पिला ही दिया अब तो में बिलकुल बेहोश होने लगा था | में बाथरूम में गया और वहा से उलटी करके वापस आ गया | अब थोडा सा राहत मिली |
पर सर अब भी घूम रहा था |मैं थोड़ी देर के लिए लेट गया | अब वो निकिता से बातें करने लगे |
बातें करते करते सुखजीत बोला यार होली का मज़ा तो भाभी के साथ ही आता है जब तक होली पर किसी भाभी को रंग नहीं लगाया तो क्या खाक होली खेली |
निकिता ने कहा आपने गुलाल लगाना है तो कोई बात नहीं पर अगर आपने कोई पक्का रंग लगाया तो अच्छा नहीं होगा |

उन्होंने कहा नहीं भाभी हम कोई पक्का रंग नहीं लगाएँगे | सुन्दर सबसे पहले उठा और निकिता के गलों पर रंग लगाने लगा उसने निकिता का पूरा चेहरा गुलाल से रंग दिया | अभी वो रंग लगा ही रहा था की सुखजीत भी पीछे से आकर निकिता के मुहं पर गुलाल मलने लगा निकिता को इसकी उम्मीद नहीं थी तो वो सुखजीत से बचने के लिए थोडा झुकी |

सुखजीत ने उसके चेहरे को कस के पकड़ा हुआ था निकिता ने जब अपना सर झुकाया तो सुखजीत भी थोडा खीच कर आगे को हो गया और उसका अगला भाग निकिता के कूल्हों के साथ सट गया | निकिता ने किसी तरह अपने आप को उन दोनों से छुड़ाया और अलग हुई | मैंने लेते हुए देखा के सुखजीत की पेंट का अगला हिस्सा उभरा हुआ था मतलब उसका लिंग उत्तेजित हो चूका था | आप यह हॉट हिंदी सेक्सी कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |

निकिता ने सोचा होगा अब इनकी होली ख़तम हुई तो अब बस पर तभी फैसल भी खड़ा हो गया और निकिता की तरफ बदने लगा

उसके हाथ में एक पैकट निकिता ने देखा तो वो चिल्ला पड़ी नहीं ये नहीं | वो पक्का रंग था | फैसल बोला भाभी कोई बात नहीं एक बार नहाते ही ये सब उतर जाएगा | वो निकिता की तरफ बदने लगा | मुझे गुस्सा तो आ रहा था पर एक चीज़ मैंने नोट की की ये सब देख कर में भी बहुत उत्तेजित हो रहा था | और मेरा भी लंड बुरी तरह खड़ा हो चूका था |मैंने सोच चलो अब देखते है आगे ये क्या करते है मैं वैसे ही बिस्तर पर आँखें बंद करके पड़ा रहा |

फैसल ने निकिता को आखिर दबोच ही लिया और उसके चहरे पर रंग लगाने लगा | निकिता ने बहुत कोशिश की अपने आप को बचाने की पर फैसल के आगे उसकी एक न चली | उसने बुरी तरह उसका चेहरा रंग दिया | ये देख कर सुखजीत और सुन्दर भी फैसल से रंग ले कर आ गए और निकिता को रंग लगाने के लिए उसको घेरने लगे | अब तो निकिता ने वहा से भागने में ही भलाई समझी |

वो किचन की तरफ भागने लगी | पर सुखजीत ने उसका रास्ता रोक लिया और उसके हाथों पर रंग लगाने लगा इस धक्का मुक्की में कई बार उस का हाथ निकिता के स्तनों को छू जाता | अब सुन्दर और फैसल भी निकिता को रंग लगाने को उसके पास आ गए |

अब उन तीनो ने उसको घेर लिया था | तीनो की आँखों में वासना साफ़ देखी जा सकती थी | और उनका क्या हाल था ये उनकी फूली हुई पेंट बता रही थी | मेरा भी लंड उत्तेजित होकर पजामा फाड़ कर बाहर आने को तैयार था |

निकिता ने उन के बीच में से निकलने की कोशिश की तो फैसल ने उसको पकड़ने की कोशिश की तो जल्दबाजी में उसने निकिता की कमर में हाथ डाल दिया और दोनों हाथों से घेरा बना कर उसे पीछे से कस कर पकड़ लिया |

ओह ये क्या | निकिता के पीछे फैसल बिलकुल उससे चिपक कर खड़ा हो गया और उसको अच्छी तरह से जकड लिया उसका फुला हुआ लंड निकिता की गांड की दरारों के बिलकुल बीच में था | निकिता जितना अपने आप को फैसल से छुड़ाने की कोशिश करती उतना ही वो फैसल से रगड़ खाती और उतना ही फैसल को मज़ा आता | वो भी जान बुझ कर निकिता को दबाये जा रहा था |

और अपने नीचे के हिस्से को निकिता की गांड से रगड़े जा रहा था | इधर सुखजीत और सुन्दर ने निकिता निकिता के बदन का ऊपर का जो भी हिस्सा साफ़ देखा वहां वो कस कस के रंग लगाये जा रहे थे | उसकी गरदन उसकी पीठ हाथों जहाँ भी नंगा हिस्सा था वहां उनका हाथ चलता जा रहा था | निकिता के साथ इस धक्कामुक्की में निकिता की साड़ी का पल्लू नीचे गिर गया |

अब तो उन तीनो के मुह में पानी आ गया | निकिता के ब्लाउस में झांकती उसकी दोनों स्तनों की लकीर उन तीनो के सामने थी | | मैंने सोचा अब ये क्या करेंगे | कही कुछ ज्यादा ही न हो जाये | निकिता भी अब थोडा तेज़ चिल्लाने लगी थी |

पर उन पर तो अब वासना का भुत चढ़ चूका था | सुन्दर ने एक रंग का पाकेट खोला और निकिता के ब्लाउस की दरार को एक उंगली से हल्का सा उठाया और पूरा पाकेट अन्दर उड़ेल दिया | पूरा रंग निकिता के ब्लाउस में चला गया पर वो रंग सुखा हुआ था |

सुखजीत भाग कर बाथरूम से एक जग में पानी ले आया और उसने भी ब्लाउस को थोडा सा उठा कर पूरा पानी अन्दर डाल दिया | अब निकिता का पूरा ब्लाउस गिला और रंग से सरोबार हो गया था | ब्लाउस गीला होने से अब उसके अन्दर की ब्रा भी अब साफ़ चमकने लगी थी उसे देख कर तो अब तीनो की हवस और बढ गयी | फैसल का हाथ अब निकिता की कमर से ऊपर आ कर उसके चूचो तक आ चूका था |

निकिता ने थोडा सा चिल्ला कर कर कहा तो | फैसल ने उसे छोड़ दिया | निकिता बाथरूम की तरफ भागने लगी | तभी सुखजीत ने निकिता का जो पल्लू जमीन की तरफ था उस पर पाँव रख दिया | निकिता जब भागी तो पल्लू बड़ा होने के कारण उसकी साड़ी खुल गयी निकिता ने अपनी साड़ी उठाना जरुरी नहीं समझा होगा उसे लगा होगा अब तो ये मुझे रंग लगा ही चुके है अब सीधा बाथरूम जाकर नहा लेती हूँ तो वो अपनी खुलती हुई साड़ी को और उतर कर बाथरूम की तरफ भागी | अब ये सीन देख कर तो तीनो मचल उठे भागते हुए निकिता के बदन से चिपका हुआ उसका पेटीकोट उसकी गांड की शेप बता रहा था |

३६ की गांड को देखते ही सुन्दर निकिता के पीछे भागा और निकिता के बाथरूम का दरवाज़ा बंद करने से पहले ही दरवाज़ा पकड़ कर खड़ा हो गया | उसके पीछे दोनों भी निकिता को धकेलते हुए अन्दर की तरफ आ गए | अब निकिता फिर से बाथरूम में उनसे घिर गयी | अब निकिता ने उनको डाटना शुरू किया तो सुखजीत ने कहा देखो भाभी आज होली है |

और आज तो हम आप को तस्सली से रंग लगा कर ही रहेंगे अब चाहे अपनी मर्ज़ी से लगाने दो या फिर ज़बरदस्ती | बोलो क्या करना है | निकिता ने भी अब सोचा के अब ये मानने वाले नहीं है | और वैसे भी इस रगडा रगड़ी में उसे भी जरुर मज़ा आया होगा | उसने भी कहा | देखो रंग लगा लो पर में चुपचाप नहीं लगवाने दूंगी | तुम अपनी कोशिश करों रंग डालने की में अपनी कोशिश करुँगी अपने को बचाने की | ठीक है |

ठीक है भाभी अब आएगा न मज़ा | तीनो ने कहा |

अब होली थोड़ी और गरम होने वाली थी क्योंकि निकिता को भी अब मज़ा आने लगा था | उसे तो लगा था के शायद ये तीनो उसके पति के दोस्त है और सच में वो सिर्फ होली खेलने आये है पर में जानता था क्या चल रहा है |

अब मेरी बीवी उन तीन मर्दों के सामने सिर्फ पेटीकोट और ब्लाउस में होली खेलने को बिलकुल तैयार हो चुकी थी | फैसल ने तुरंत एक जग पानी उठाया और निकिता के वक्षस्थल की तरफ फ़ेंक दिया एक बार फिर निकिता का उपरी हिस्सा गीला हो गया और उसकी ब्रा, ब्लाउस से झाकने लगी |

फिर तो फैसल ने लगातार ३ ४ बार निकिता के ऊपर जग से पानी डाल दिया जिससे निकिता बिलकुल तरबतर हो गयी | उसका पेटीकोट भी उसकी बदन से बुरी तरह चिपक गया और उसके पुरे बदन की शेप साफ़ साफ़ दिखने लगी | अब तो सुन्दर, सुखजीत और फैसल भी थोडा और निकिता को हाथ लगाने लगे सुखजीत ने जानबूझ कर निकिता के कमर में हाथ डाल कर उसे उठा लिया और कहने लगा की अब तो आप को शावर के नीचे ही गीला करेंगे |

सुखजीत ने निकिता को आगे की तरफ से उठा लिया जिससे निकिता के चुचे सुखजीत के चहरे के सामने आ गए और उसके दोनों हाथ निकिता के पीछे उसकी गांड के नीचे पहुच गए सुखजीत ने निकिता को कस कर पकड़ा और उसे उठा कर शोवर के नीचे ले आया ये देख कर फैसल ने शोवर चालू कर दिया | अब निकिता और सुखजीत दोनों भीगने लगे | सुखजीत ने जिस तरह से निकिता को उठाया था उससे निकिता का पेटीकोट थोडा सा ऊपर को हो गया था | जिस से उसकी टांगों का पिछला हिस्सा नंगा हो गया था | मतलब उसके टांगों का पिछला हिस्सा घुटनों तक दिख रहा था | सुन्दर से रहा नहीं गया और उसने थोडा सा रंग लेकर उसकी टांगों में मसलना शुरू कर दिया |

जब सुखजीत भी अच्छी तरह गीला हो गया तब उसने मेरी बीवी को नीचे उतारा निकिता का एक एक अंग साफ़ दिख रहा था | वो तीनो भी गीले हो चुके थे और तीनो के लंड उनकी पेंट में तम्बू बना रहे थे | सुन्दर अब कुछ ज्यादा ही वहशी हो चूका था क्योकि उसने अपने हाथ में रंग लेकर निकिता के ब्लाउस के ऊपर लगा दिया | आप यह हॉट हिंदी सेक्सी कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |

निकिता ने उसे मन किया पर अब वो कहा मानने वाला था उसने फिर से उसके एक साइड के चुचे पर रंग लगा दिया | अब निकिता को गुस्सा आ गया उसने मन किया की वो अब होली नहीं खेलेगी पर सुन्दर नही माना वो फिर भी उसके चुचों में रंग लगाता रहा |

निकिता बाहर जाने को हुई तो फैसल ने उसको पीछे से दोनों हाथों से पकड़ लिया निकिता के दोनों हाथ अब पीछे की तरफ थे और उसके चुचे सामने की तरफ को तने हुए सुन्दर और सुखजीत बिलकुल उसके सामने खड़े हो गए उनका इरादा कुछ नेक नहीं था | सुखजीत ने निकिता के ब्लाउस में हाथ डाल दिया और उसके चूचो में रंग लगाने लगा निकिता चिल्लाई |

पर उन्हें कोई फरक नहीं पड़ा | सुखजीत उसके दोनों चूचो को भिचने लगा उधर फैसल भी निकिता के पीछे उसकी गांड से सट कर खड़ा हो गया और उसकी गांड पे अपने लंड से घिस्से लगाने लगा | सुन्दर ने भी मौके का फायदा उठाया और उसने निकिता का पेटीकोट उसकी जांघों तक उठा दिया | कसम से तीनो ने इस तरह से निकिता को घेरा था की वो चाह कर भी कुछ नहीं कर सकती थी |

सुन्दर उसकी जांघों पर रंग रगड़ने लगा | निकिता उन तीनो के बीच में तड़पने लगी और बुरी तरह अपने आप को छुड़ाने की कोशिश करने लगी | पर जितना वो हिलती उतना ही तीनो को मज़ा आता | सुन्दर अब निकिता की टांगों को रंग लगा कर उठ चूका था और अब उसने सुखजीत का काम संभल लिया |

मतलब अब वो निकिता के चुचिओं पर पिल पड़ा | सुन्दर ने निकिता के ब्लाउस के हुक खोलने शुरू किये | निकिता अब जोर जोर से चिल्लाने लगी ये देख सुखजीत ने उसका मुह बंद कर दिया | सुन्दर ने कुछ देर में उसके हुक पुरे खोल दिए पर ब्लाउस को उतारा नहीं |

पर उसके मुम्मो को दबाता जरुर रहा, पीछे फैसल अपना लंड लगातार उसकी गांड से रगड़े जा रहा था | फैसल ने अब निकिता के हाथ छोड़े और उसके दोनों चुचे पीछे से पकड़ लिए और जोर जोर से उन्हें मसलने लगा सुखजीत निकिता का मुह बंद करके खड़ा था पर दुसरे हाथ से वो उसकी गांड को भी दबा रहा था | सुन्दर ने तभी निकिता के पेटीकोट के नाड़े को खोलने की कोशिश की पर वो शायद अटक गया था इसलिए उस से वो खुला नहीं | सुन्दर घुटनों के बल नीचे बैठ गया और वही से नाड़े को खोलने लगा पर नाड़ा फंस चूका था | झल्ला कर सुन्दर ने निकिता का पेटीकोट ऊपर उठा दिया और निकिता की चूत पर अपना हाथ रख दिया और उसे भी रगड़ने लगा |

अब तो ये तय था की अब वो मेरी बीवी का कांड करने ही वाले है | फैसल ने पीछे अपना लंड निकल लिया था और निकिता की गांड की दरार पर धक्के पर धक्का लगाये जा रहा था | सुखजीत भी निकिता का मुह छोड़ कर उसके चूचो में मस्त था और सुन्दर नीचे बैठा हुआ निकिता की चूत में उंगली डाले जा रहा था | मैंने निकिता को देखा तो चूत में उंगली डालने पर उसकी आँखें बंद हो चुकी थी और वो भी सुन्दर के बाल पकड़ कर उसे अपनी चूत की तरफ खिंच रही थी | थोड़ी देर में सुन्दर ने अपना मुह निकिता की चूत की तरफ किया और उसकी दोनों टांगों को चौड़ा किया और अपनी जीभ उसकी चूत पर लगा दी | एकदम से निकिता के मुह से आह निकली |

और उसने कस कर सुन्दर के बाल भीच लिए |१ इस से निकिता का पेटीकोट नीचे सुन्दर के सर के ऊपर आ गया अब निकिता की चूत चाटते हुए वो दिख नहीं रहा था पर निकिता का चेहरा देख कर साफ़ था की नीचे सुन्दर की जीभ निकिता की चूत चोद रही है |

बहुत गरम द्रश्य था | सुखजीत ने निकिता की ब्रा को ऊपर किया और उसके निप्पलों को चूसने लगा एक दम कड़क निप्पल हो चुके थे | फैसल पीछे अपना लंड निकाल कर निकिता की गांड पर रगड़ रहा था | काफी देर से रगड़ने की वज़ह से शायद वो झडने वाला था |

हा सच में उसने पीछे निकिता की गांड के ऊपर अपना सारा माल निकाल दिया था और अपने लंड को ख़ाली करने के लिए वो उसे आगे पीछे किये जा रहा था | सुखजीत ने अपना लंड अपनी पेंट से नक़ल कर निकिता के हाथ में दे दिए निकिता उसके तने हुए लंड की मुठ मरने लगी | और सुखजीत उसके चूचो को चूसता रहा | सुखजीत का जल्द ही लंड झड गया और उसने भी अपना सारा माल निकल दिया | अब फैसल और सुखजीत बाहर आ अगये और वही सोफे पर बैठ गए | तभी सुन्दर उठा और उसने झट से बाथरूम का दरवाजा बंद कर दिया और अन्दर से कुण्डी लगा दी | कुछ देर बाद अन्दर से शोवर चलने की आवाज़ आने लगी | वो दोनों बाहर हसने लगे |

तभी बाहर घंटी बजी शायद कोई आ गया था | बाथरूम के अन्दर सुन्दर ने भी बेल की आवाज़ सुन ली तो वो भी जल्दी से बाहर आ गया उस वक़्त उसकी पेंट नीचे उतरी हुई थी पर उसका अंडर वियर ऊपर ही था शायद वो बस अब कांड करने ही वाला था |

पर बेल की आवाज़ सुन कर बाहर आ गया था उसने अपनी पेंट ऊपर की और मुझे उठाया |

मैंने भी नशे में होने का नाटक किया और ऐसे उठा जैसे कुछ हुआ ही न हो | मैंने देखा निकिता अंदर बाथरूम का दरवाज़ा बंद कर चुकी थी | उसकी साड़ी नीचे फर्श पर पड़ी थी | आप यह हॉट हिंदी सेक्सी कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |

सुन्दर भी सोफे पर उनके साथ बैठ गया और तीनो आपस में खुसर पुसर करने लगे | मैंने दरवाजे पर देखा तो मेरे ऑफिस के दोस्त थे | मैंने उन्हें अंदर बुलाया और उनके साथ भी होली खेली उन्होंने पूछा भाभी कहा है तो मैंने कहा शायद नहाने गयी है | मैंने निकिता को आवाज़ लगाई तो उसने अंदर से कहा की अभी वो नहा कर बाहर आ रही है | कुछ देर हम यु ही बातें करते रहे |

थोड़ी देर में वो बाहर आयी तो उसने मेक्सी पहनी हुई थी | उसकी साड़ी तो ये उतर ही चुके थे | हाँ उसके और कपडे तो उसके बदन पर ही थे और मेक्सी तो हमेशा ही बाथरूम में रहती है | उसने बाहर आते ही सब हो होली मुबारक कहा और वही बैठ गयी | उसका चेहरा देख कर लगा नहीं की उसके साथ कुछ भी हुआ है एकदम से रिलेक्स मुड में थी वो |

कुछ देर बातें करने और एक दो पेग पिने के बाद वो सब चले गए तो मैंने सुन्दर से कहा सोरी यार कुछ ज्यादा ही नशा हो गया था इसलिए थोडा सो गया था | उसने कोई बात नहीं भाई तुम सोये तो क्या हुआ भाभी ने तो हमारा पूरा साथ दिया होली खेलने में | वो निकिता की तरफ देख कर मुस्कुराया तो निकिता भी थोडा सा हंस दी | क्यों न हो उसे भी तो मज़ा आया होगा |

दोस्तों कहानी कैसी लगी मुझे बताने के लिए ईमेल करें या निचे कमेंट करें |

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नौकर ने मम्मी की चीखे निकलवाकर खूब चोदा | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/chudai-ki-kahani/naukar-ne-mummy-ki-chikhe-nikalwakar-khub-choda.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/chudai-ki-kahani/naukar-ne-mummy-ki-chikhe-nikalwakar-khub-choda.html#respond Thu, 01 Feb 2018 04:54:54 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=11848 मेरे घर का नौकर मुझे चुदाई करने दे ऐसी मम्मी से ऐसे बात कर रहा था कि मानो वो उसकी रखैल है उसने उन्गलियो से मम्मी की फुद्दी खोली और अपना लन्ड उस पर फिट किया मम्मी के दोनो पैर हवा मे थे और चूत पूरी खुल चुकी थी अशोक ने लन्ड एक बार सेट किया और जैसे ही एक कसकर धक्का मारा तो सिर्फ लन्ड का टोपा ही अन्दर गया और मम्मी की चीख निकल गई

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हेल्लो दोस्तों मेरा नाम है धीरज और आज मै मेरी मम्मी का एक वैश्य रूप आप सभी के सामने लूँगा अपनी कहानी के जरिये. इस कहानी को आप पॉजिटिव वे में लेकर चले एंटरटेनमेंट के लिए क्योकि मैंने इसमे नाम और जगह बदल दिए है क्योकि मै किसी को बेइज्जत नहीं करना चाहता. बस आप सभी एक बार ये कहानी पढ़ मेरी मा के फिगर को इमागिन कर एक बार जरुर मुठ मारे. मेरी मम्मी का नाम है गिरजा, वो एक मॉडर्न महिला है. उसकी उमर कुछ 46 साल है थोडी हेल्दी है, लेकिन उसके थोडेसे मोटापे की वजह से उसका बदन बहुत गदराया और सेक्सी लगता है. वो अक्सर स्लीव्ह लेस ब्लाउझ पहनती है जिसमे उसकी चुचिया बहुत उभर कर आती है. कई बार उसकी साडी नाभी के नीचे पहनी होती जिससे उसका फुला हुआ मुलायम सेक्सी पेट और उसकी लुभावनी नाभी देखने के लिए मै तरस जाता था. मैने उसकी ब्रा देखी है, जिसका साईझ 42 सी है, तो आप अन्दाजा लगा सकते है कि कितने बडे मम्मे होगे उसके….कभी कभी वो जब झुक जाती थी तो उसके बूब्सके बीच की वैली मुझे पागल कर देती थी. मम्मी की गान्ड भी काफी बडी है और जब वो चलती है तो उसकी गान्ड खूब मटकती है.  हमारे घर मे एक नौकर है जिसका नाम है अशोक. उसकी उमर लगभग २३/२४ है और वो काफी मजबूत कद का जवान है.

एक दिन मै कॉलेज से वापस आया तो किचन से मम्मी की आवाज आ रही थी, वो अशोक से बाते कर रही थी. दरवाजा खुला ही था तो मै बिना दरवाजा खटखटाए अन्दर चला गया. मै वैसे तो कॉलेजसे आनेपर सीधा अपने कमरेमे जाता हू लेकिन उस दिन मुझे पता नही क्या सूझा, मैने किचन मे झान्क कर देखा तो अशोक जमीन पर बैठा था और उसके सामने सब्जी की थाली थी. मम्मी उसकी तरफ पीठ कर के खडी थी और कुछ पका रही थी. उसने एक गाऊन पहना था जो स्लीव्हलेस था, उससे मम्मीकी गोरी बाहे खूब सुन्दर लग रही थी. अशोक सब्जी काटने के बजाए मम्मीकी गान्ड देख रहा था, मम्मी काम करते वक्त हिल रही थी जिससे उसकी गान्ड बहुत सेक्सी तरीकेसे थिरक रही थी. अशोक अपने धोति के उपर से अपने लन्ड को पकड कर हिला रहा था. मैने ये सब देखा और अपने कमरे की तरफ चला गया.

कुछ दिन बाद मम्मी ने मुझे अशोक को सर्व्हन्ट क्वार्टर से बुलाने के लिए कहा. मै हमारे घर के पीछे अशोक का कमरा था वहा गया और उसका नाम पुकारा लेकिन कोई जवाब नही मिला. मुझे लगा कि वो शायद सो गया है इसलिए मै उसके कमरे का दरवाजा खोलकर अन्दर गया. उसके बाथरूमसे आवाज आ रही थी तो मै समझ गया कि वो बाथरूम मे है, इसलिए मै जाने के लिए मुडा तभी मैने उसके बिस्तर पर देखा और मुझे शॉक लगा. उसके बिस्तर पर एक मरून कलरवाली पॅन्टी पडी थी, मै उसे देखकर ही पहचान गया कि वो मम्मी की थी. मैने वो पॅन्टी उठाई तो उसपर कुछ चिपचिपा सा लगा था, यकीनन वो अशोक का वीर्य था. साला हरामी मेरी मम्मी की पॅन्टी लेकर मूठ मार रहा था. मुझे उसका गुस्सा भी आया और एक अजीब सी सनसनी शरीर मे दौड गई. अशोक मूठ मारते वक्त क्या सोच रहा होगा, कैसे वो मम्मी का खूबसूरत बदन अपनी आन्खो के सामने ला रहा होगा यह सोच कर मेरे लन्ड मे एक करन्ट लगा और वो खडा होकर डोलने लगा. मै वहासे चला गया. कुछ समय बाद अशोक घर मे आकर अपना काम करने लगा.

लेकिन उस दिन से मैने अशोक पर नजर रखना शुरु किया. मैने देखा कि कई बार उसकी नजर मम्मी की गान्ड और बूब्स पर टिकी रहती थी. सबसे हैरत वाली बात यह थी कि मम्मी ने भी उसे कभी टोका नही. मुझे यकीन है कि उसे भी उसकी नजर पता चली होगी. शायद मम्मी भी उस नजर को पसन्द करती होगी. एक-दो बार तो काम करते वक्त मैने अशोक को मम्मी की बडी गान्ड को पीछे से धीरे से सहलाते हुए पकडा. लेकिन मम्मी की तरफसे कोई रिॲक्शन नही था. मुझे लगा कि इन दोनोके बीच मे जरूर कुछ चल रहा है. फिर मैने उन दोनो को डबल मिनिन्ग मे बात करते हुए सुन लिया.

एक दिन अशोक केले ले आया तो मम्मी बोली ‘ ये क्या लाये हो, तुम्हे पता है ना मुझे लम्बे और मोटे केले पसन्द है’ और फिर दोनो हसने लगे. ऐसी बाते सुनकर मुझे यकीन होने लगा की दोनो मे कुछ चल रहा है. मम्मी का अब कपडे पहनने का तरीका भी बदला हुआ था. मैने नोटिस किया कि मम्मी अब ब्रा नही पहनती थी और उसके निप्पल उसके झीने ब्लाउझ से साफ झलकते थे. उसके ब्लाउझ काफी टाईट हुआ करते थे जिससे उसके बूब्स का शेप उभरकर आता था और ज्यादा सेक्सी लगता था. ऐसा लगता था मानो वो जानबूझकर अपने उभरे हुए मम्मो का प्रदर्शन करवा रही हो.

एक बार मुझे कुछ छुटटी थी मै मेरे कमरे मे था (जो पहली मंजिल पर था). मम्मी-पापा का बेडरूम नीचे वाली मंजिल पर था. किचन भी नीचे था तो मम्मी अक्सर नीचे ही रहती थी. उस दिन दोपहर का खाना खाने के बाद मै उपर मेरे कमरे गया, जाते जाते मम्मी को बोल के गया कि मेरे सिर मे दर्द है और मै सोने जा रहा हू. मम्मी ने कहा ठीक है बेटा सो जाओ. मै उपर जाकर लेट तो गया लेकिन काफी देर बिस्तर पर करवटे बदलने के बाद भी मुझे नीन्द नही आइ. दर्द भी ज्यादा हो गया था, तो मैने सोचा कोई गोली ली जाए. मै नीचे जाने लगा तभी मुझे सीढियो पर मम्मी की आवाज आई “अशोक यह क्या बद्तमीजी है”

अशोक बोला “मालकिन, ये बद्तमीजी नही बल्कि प्यार है, और मै जानता हू आप भी प्यार की भूखी हो.”
मम्मी बोली “अभी जाओ अपने रूम मे मेरा बेटा उपर है…”

इसके पहले मम्मी कुछ और कहती उसकी आवाज जैसे गले मे फस गयी हो, मै थोडा सा आगे हुआ तो देख कि अशोक ने मम्मी को अपने बाहो मे लिया हुआ है और जबरदस्ती किस कर रहा है. मम्मी ने पहले तो कोशिश की खुद को छुडाने की लेकिन बाद मे उसकी कोशिश कम होती गै. अब अशोक मम्मी के होठ चूस रह था और गान्ड पर हाथ फेर रह था. मम्मी भी उसका साथ दे रही थी. कुछ देर बाद मम्मी बोली “अब तुम जाओ, कही धीरज ना जाग जाए”  लेकिन अशोक मम्मी को छोडने को तैयार नही था, वो कभी मम्मी के बूब्स दबाता और कभी गान्ड. बडी मुश्किल से मम्मी ने उसको जुदा किया इस वादे पर कि वो रात को उसे अपने बेडरूम मे बुलायेगी.

अब मुझे मम्मी का रात का प्रोग्राम पता चल गया, और मुझे भी देखना था मम्मी के साथ अशोक क्या गुल खिलाता है. तो मैने प्लान को थोडा और बढावा देने की सोचा. शाम को जब अशोक ने चाय-नास्ता परोसा तो मैने मम्मी को बताया कि मै अपने दोस्त के साथ उसके घर पर पढाई करने जानेवाला हू और रात को वही पर ठहरने वाला हू. ये बात सुनकर दोनोके चेहरेपर खुशी छा गई लेकिन मेरे सामने उन दोनो ने कुछ नही कहा.
लेकिन मम्मी ने अशोक की ओर हसकर इशारा किया जो मैने देख लिया. फिर एक बार तसल्ली करने के लिए उसने मुझे पूछा “धीरज पक्का तुम रात वहा गुजारोगे? खाने खा कर जाओगे ना? ” तो मैने हा कह दिया. रात का खाना खा कर मै तैय्यार हुआ और बाहर निकल गया. थोडी देर तक बाहर टहलने के बाद मै सीधा घर के पीछे के रास्तेसे घर मे घुस गया और घर के छत पर चढ गया और रोशनदान से घर के अन्दर झान्कने लगा. अन्दर का नजारा साफ दिखाई दे रहा था.

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मैने देखा कि मम्मी ने एक साधारण सी साडी पहनी थी और पल्लु पूरी तरह से लपेट लिया था, लेकिन जब वो चलने लगी तो मै हक्क बक्का रह गया कि उसने अन्दर ब्लाउझ पहना ही नही था. वो एकदम टिपिकल साधारण औरत के भेस मे थी, उसके बडे बडे गदराए मम्मे हिल रहे थे. उसने एक बार पल्लु ठीक करनेके लिए उसे बाजूमे किया तो मेरी आन्खे फटी की फटी रह गई, उसने अन्दर ब्रा भी नही पहनी थी. उसके बडे वक्ष और उसपर भूरे कलर के गोल और उसपर सख्त हुए निप्पल…..कसम से, बहुत ही सेक्सी नजारा था.

तभी दरवाजेपर किसीने दस्तक दे दी तो मम्मीने जाकर दरवाजा थोडा ही खोला. बाहर अशोक को देखकर उसने मुस्कुराकर उसे अन्दर ले लिया. अशोकने भी शायद मम्मी को इस अन्दाज मे नही देखा था. बगैर ब्लाउझ और ब्रा की उसकी चुची देखकर अशोक का लन्ड खडा होने लगा. मम्मी ने उसे एक सेक्सीसा स्माईल दिया और बेडरूम की ओर चल पडी. अशोक उसकी तरफ देखता ही रह गया, उसे यकीन नेही हो रहा था कि उसकी सेक्सी मालकिन, जिसे पाने का वो सपना देखता था, जिसका बदन याद करके वो मूठ मारता था, आज वो औरत उसके सामने बिना ब्लाउज और ब्रा पहने आई है. मम्मी जब बेडरूम की ओर मुडी तो मैने देखा कि उसकी गोरी पीठ पूरी तरहसे नन्गी थी, सिवा कन्धे पर जहा पर साडी का पल्लु टिका हुआ था. वो जैसे चलने लगी तो उसकी गान्ड एक नशीली लय मे हिलने लगी.

उसके नितम्बो का उभार साडी से साफ दिखाई दे रहा था, शायद उसने पॅन्टी भी नही पहनी थी. उसके गोरे पैर साडी के नीचेसे दिखाई दे रहे थे. अशोक ने अपना हाथ अपने लन्ड पर ले जाकर सहलाया. उसके नसीब मे इतनी खूबसूरत औरत होगी इसका मुझे तो क्या उसे भी अन्दाजा नही होगा.अब ज्यादा समय गवाना उसने उचित नही समझा, हाथ आए मौके को वो छोडना नही चाहता था, उसने झट्से दरवाजा बन्द कर लिया और मम्मी को पीछे से जाकर पकड लिया और उसकी गोरी बाहो को और कन्धो को चूमने चाटने लगा. फिर उसने मम्मी से कहा,
“हाय मेरी जान, अपना खूबसूरत जिस्म तो दिखाओ……..”

मम्मी तो जैसे तैयार बैठी थी, उसने तुरन्त साडी निकाल दी. मेरी अन्दाजा गलत था, उसने अन्दर एक बहुत ही छोटीसी काली पॅन्टी पहनी थी जो उसके गोरे बदन पर सेक्सी लग रही थी. उसके बडे मम्मे अब खुलकर सामने आ गए, उसके निप्पल भी काफी बडे थे. मम्मी के जिस्म का ये नजारा देखकर अशोक जैसे पागल हो गया और उसने मम्मी को बेड पर गिरा दिया और उस पर लेट कर पागलो की तरह उसके बूब्स चूसने लगा. मम्मी के वक्ष इतने बडे थे की उसके हाथ मे नही आ रहे थे. किसी छोटे बच्चे की तरह अशोक मम्मी के मम्मे चूस रहा था और दूसरे हाथ से दुसरे वक्ष को मसल रहा था. कभी वो निप्पल्स को चबाता था, तो कभी दोनो वक्षोको बीच मे खीन्च कर उन्हे एक साथ मुह मे लेने की कोशिश करता था. फिर उसने मम्मी के पेट को चाटते हुए उसकी कमर तक गया और उसकी टान्गो के बीच बैठ कर बोला “चलो मेरी जान, अब अपनी पॅन्टी उतारो” मम्मी ने शरमसे अपना मुह ढक लिया.

अशोक बोला “अरे मेरी रानी, ऐसे शरमाओगी तो मजा कैसे लोगी, चलो जल्दी उतारो” मम्मी ने कहा
“हट बेशरम, मै नही ……..तुमही उतारो” फिर अशोक ने मम्मी की पॅन्टी उतार दी और मेरी दूसरा अन्दाजा गलत निकला. हालान्कि मम्मी अपनी बगल साफ रखती थी लेकिन उसकी चूत पर लम्बे घने काले बाल थे.
अशोक मम्मी की फुद्दी देख कर बोला,
“मेरी जान, तुम शेव्ह नही करती?”
मम्मी अपनी चूत पर हाथ फेर कर बोली,
“किस के लिये शेव्ह करू, धीरज के पापा साल मे १५ दिनो के लिये आते है और तो और, उनका खडा करने मे आधा टाईम जाता है, फिर २-४ धक्कोमेही उनका दम निकल जाता है और खलास हो जाते है.”
ये सुन कर अशोक बोला
“जानता हू रानी…” उसकी बात बीच मे काटकर मम्मी बोली
“तुम क्या जानते हो” तो अशोक हसते हुए बोला
” अरे मेरी जान मै तो हमेशा आपके बेडरूम मे झान्का करता था, मै जानता हू साब क्या करते थे और क्या नही”
मै सुनकर दन्ग रह गया, ये हरामी अशोक कई दिनोसे मम्मीपर नजर रखे हुए था, मतलब उसका प्लान पक्का था. मम्मी भी ये बात सुनकर चौन्क गई
“क्या कहते हो……इसका मतलब तुमने हमारी वो बाते सुन ली………”

अशोक बोला” हा मालकिन, मै जान गया था कि आप जैसी औरत के लिये साब जैसा कमजोर लन्ड नही मेरे जैसा मर्द चाहिये.”
फिर अशोक मम्मी की चूत पर हाथ फेरने लगा और मम्मी के मुह से सेक्सी सिसकारिया निकलने लगी. वो भी अशोक को टान्गो मे दबा रही थी. अशोक ने उसकी पॅन्टी पूरी तरहसे निकाल दी और बाजूमे फेन्क दी. उसने मम्मी को बिस्तर के किनारे खीन्च लिया और खुद घुटनोके बल फर्श पर बैठ गया. वो ऐसा क्यू कर रहा है इसका मुझे और मम्मीको भी अन्दाजा नही था. इसके पहले कि हम कुछ समझ सके, उसने मम्मी की टान्गे चौडी कर दी और उसकी फूली हुई फुद्दी चाटने लगा, मम्मी ने शायद ओरल सेक्स कभी अनुभव नही किया था, उसके मुह से एक जोर की सिसकारी निकली और वो अशोक का सिर पकड कर अपनी चूत पर दबाने लगी, मम्मी की हालत देखने वाली थी, कभी वो अपनी गान्ड उपर कर के अशोक का मुह और ज्यादा फुद्दी पर रगडने की कोशिश करती और कभी अपने बडे बडे मम्मो को दबाती. अशोक मन लगाकर मम्मी की चूत चाट रहा था और उसके भरपूर नितम्बोको मसल रहा था, कभी वो हाथ उपर ला कर मम्मी के बडे बूब्स मसल देता. कुछ देर चाटने के बाद अशोक ने अपनी कमीज उतारी तो मम्मी बोली “चलो अब जल्दी से अपना लम्बा और मोटा केला दिखाओ, देखू तो तेरे पास क्या है”

अशोक बेड की साईड पर खडा हुआ और बोला “लो मेरी जान तुम ही ये काम कर लो”
मम्मी हसते हुए बोली” हा मेरे राजा, क्यू नही” और फिर मम्मी ने अशोक की धोती को खोला और उसकी अन्डरवेअर नीचे कर दी. मेरे तो जैसे होश उड गए और यही हाल मम्मी का था, वो भी सहम गई. अशोक का लन्ड पूरी तरह से खडा थ, वो काले कलर का मोटा रॉड जैसा था, लगभग ९ इन्च का होगा. मम्मी ने अपने होठोपर जीभ फेरकर दरते हुए उस काले नाग को अपनी हाथो मे ले लिया. मम्मी की नाजुक गोरी उन्गलियो मे तो अशोक का लन्ड और मोटा लग रहा था. मम्मीने धीमी और सहमी आवाज मे कहा “अशोक तेरा ये हथियार तो काफी मोटा और लम्बा है, धीरज के बाबा का तो इसके आधे साईझ का भी नही है…… तेरी होने वाली बीवी बहुत सुखी होगी”

अशोक हसकर बोला” अरे मालकिन, मेरी बीवी आएगी तब आएगी, आज तो मेरी बीवी आप हो, आओ देखो मेरे लन्ड को देखो….घबराओ नही”
मम्मी बिस्तर के साईड पर बैठ गई और उसका लन्ड हाथमे लेकर उसे सहलाने लगी. फिर उसने अशोक की तरफ एक शरारती स्माईल दिया और अचानक उसके लन्ड को मुह मे ले लिया. अशोक खुशी से पागल हो गया और उसने मम्मी के सिर को पकड कर अपना पूरा लन्ड उसके मुह मे ठूसने की कोशिश करने लगा. मम्मी भी किसी कसी हुई वेश्या की तरह अशोक को ब्लो-जॉब दे रही थी, उसका मुह पूरा खुला हुआ था फिर भी लन्द पूर अन्दर नही गया था. मम्मी को सास लेना मुश्किल हो रहा था, और अशोक उसकी परवाह किए बिना पूरा लन्ड मम्मी की मुह मे घुसाना चाहता था. थोडी देर लन्ड चुसवाने के बाद अशोक ने मम्मी से कहा
“मालकिन अब लेट जाओ” मम्मी ने तुरन्त उसकी बात मान ली मानो वो उसकी गुलाम बन गई थी. अशोक मम्मी की टान्गे खोल के बीच मे बैठ गया और लन्ड को मम्मी की बालो से भरी फुद्दी पर फेरने लगा.
मम्मी बोली” अशोक, ये तुम्हारा हथियार बहुत बडा है मेरी चूत फाड देगा”
अशोक हसते हुए बोला” अरे नही मेरी जान, तू तो ऐसे डर रही है जैसे तू अभी भी कुवारी है”

मम्मी ने उसके चौडे सीने पर हाथ रखकर बोली” कुवारी नही हू मेरे राजा लेकिन मै बहुत अर्से से तुम्हारे जैसे किसी तगडे मर्द से चुदवाया नही इस लिये थोडा डर लग रहा है, पता नही मेरी चूत तुम्हारा ये बडा लम्बा लन्ड झेल पाएगी या नही”
मै मम्मी की बाते सुन कर हैरान रह गया, वो कैसे आराम से किसी बाजारू औरत जैसी बाते कर रही थी और बिलकुल किसी पेशेवर रन्डी की तरह अशोक से बात कर रही थी.
अशोक बोला” हा वैसे छोटे लन्ड से चुदी हो तो क्या होता, असली लन्ड तो इसको कहते है”

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मम्मी हसते हुए बोली” हा ये भी सच है, और आजकल तो उनका खडा भी नही होता” ये सुन कर अशोक जोरसे हसकर बोला” तभी तो तुम ऐसे रन्डी की तरह चुदवाती हो”
मै गुस्सेसे लाल हो गया, एक मामुली सा नौकर मेरी मम्मी को गाली दे रहा था उसे रन्डी बोल रहा था और सबसे हैरत की बात ये थी कि मम्मी भी उसकी बातो का बिलकुल बुरा नही मान रही थी बल्कि हसके मेरे पापा की बदनामी मे साथ दे रही थी. वो बोली
“तो औरत की कोई भूख नही होती है क्या ? मै कब तक अपने मन को चुप करू? मुझे भी जिस्मानी प्यास है और अगर वो मेरी पति नही बुझाता तो मै दूसरे का सहारा जरूर लून्गी”
अशोक हसकर बोला” हा तेरे जैसी गरम रन्डी तो बगैर लन्ड के कैसे रह सकती है” और आगे बोला” मुझे तो शक है ये धीरज कही हराम का तो नही” सच बताता हू मुझे इतना गुस्सा आया था कि जाकर साले का मुह तोड दू. लेकिन मेरी मम्मी जिस प्रकार से उसका साथ दे रही थी मै जान गया कि इसका कोई फायदा नही है. मम्मी तो बेशरम होकर अशोकसे चुदवा रही थी और वो कमीना हसी मजाक मे मम्मी को पूछ रहा था”क्यू रानी, बताओ धीरज किसका पाप है”

मम्मी बोली” हट नालायक, किसी का नही, इतनी भी गिरी हुई नही हू मै, धीरज हमारा ही बेटा है”
अशोक थोडा गुस्सेसे बोला” चल अब ज्यादा बाते मत कर, मुझे चुदाई करने दे” वो तो मम्मीसे ऐसे बात कर रहा था कि मानो वो उसकी रखैल है. उसने उन्गलियोसे मम्मी की फुद्दी खोली और अपना लन्ड उस पर फिट किया, मम्मी के दोनो पैर हवा मे थे और चूत पूरी खुल चुकी थी. अशोक ने लन्ड एक बार सेट किया और जैसे ही एक कसकर धक्का मारा तो सिर्फ लन्ड का टोपा ही अन्दर गया और मम्मी की चीख निकल गई और उसने अपना हाथ नीचे लाकर अशोक का लन्ड निकालने की कोशिश की. लेकिन अशोक ने मम्मी के हाथ अपने एकही मजबूत हाथ मे पकडकर उसके सिर के उपर कर दिये. दूसरे हाथ से वो मम्मी के बूब्स को बुरी तरहसे मसलने लगा. मम्मी के मुह से ‘आआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह…….स्स्स्स्स्स…..हाय……’ जैसे मादक आवाजे निकल रही थी. बहुत ही सेक्सी नजारा था, मेरी गोरी खूबसूरत मम्मी अपने दोनो हाथ सिर के पास लेकर पडी थी, उसकी क्लीन शेव्ह्ड बगल बहुत सेक्सी लग रही थी, उसके बूब्स उसके हिलने से थिरक रहे थे. अशोक ने अपने हाथोसे उसके गोरे गोरे बूब्स को मसल कर लाल कर दिया. मम्मी को दर्द हो रहा होगा, वो चीख रही थी
“हाय मै मर गई, मेरी चूत फाड रहे हो क्या रे हरामी…………उफ्फ…….तुम आदमी हो के घोडा………….आआआआआ…………ये आदमी का लन्ड तो नही लगता……………कितना मोटा है रे ये……….”

अशोक हसते हुए बोला” मै नही तू हरामजादी है जो एक गैर मर्द से चुदवा रही है” फिर झुककर उसने मम्मी का एक वक्ष पकड लिया और उसे दबाने लगा. मम्मी और भी चीखने लगी तो उसने नीचे झुककर मम्मीके होठोपर अपने होठ रख दिये. वो मम्मी को ऐसे किस कर रहा था जैसे उसके होठ चबा कर खा जाएगा. मम्मी की सास अटक रही थी और वो छूटने का प्रयास कर रही थी लेकिन अशोक ने उसे ऐसे कसके पकडा था कि उसे छूटने का मौका ही नही मिल रहा था. बडा ही मादक नजारा था, मेरी गोरी खूबसूरत और गदराए बदन वाली मम्मी को वो काला जवान ऐसे चिपक गया था मानो कोई नाग डस रहा हो. मुझे ये देखकर बहुत एक्साईटमेन्ट हो रही थी और मै मन ही मन चाहने लगा कि अशोक और जोरसे मम्मी को चोदे.

अशोक ने फिर एक और धक्का मारा और उसका लन्ड लगभग पूरा अन्दर दाखिल हुआ. मम्मी के होठ उसने अपने होठोसे बन्द किए थे तो वो बेचारी चिल्ला भी नही सकती थी, लेकिन उसकी जोरदार चुदाई से शायद मम्मी को भी अब मजा आने लगा था. मम्मी बुरी तरह से कान्प रही थी और लन्ड उसकी फुद्दी मे फसा हुआ था. अभी भी आधा लन्ड बाहर था, अब अशोक ने आराम से धक्के मारने शुरु किये, जिस से मम्मी को भी मजा आने लगा और वो गान्ड उपर उठा उठा कर अशोक का साथ देने लगी. उसके मुह से अजीब अजीब आवाजे निकल रही थी……….ह्म्म्म्म, आआहाअ आहाआआआ……हाय मेरी मा…….बस्स और न डालो, मै मर जाऊन्गी……आआआआह्ह्ह्ह…..” लेकिन अशोक मजे ले लेकर उसे चोद रहा था. बीच मे मजाक भी कर रहा था. वो हसते हुए बोला “अच्छा ये बता सुहाग रात मे चुदवाते हुए भी इतना ही दर्द हुआ था क्या”
मम्मी कराहती हुई बोली” आआआआ……नही रे, उनका लन्ड छोटा है……..ह्म्म्म्म्म्म्म…..तुमे तो मस्त चोद रहे हो……क्यू उनके बारे मे पूछ कर मूड खराब कर रहे हो…..आआआआ…….चोदो और जोर से….” मम्मी अपनी आखे बन्द कर के बडबडा रही थी और अशोक से चुदवा रही थी. फिर अशोक ने एक जोर का झटका मारा और लन्ड पूरा अन्दर चला गया. मम्मी दर्द के मारे चिल्लाने लगी” उई मा……..मर गई मै……धीरे से मेरे शेर…………” अशोक मजेसे मम्मी को चोद रहा था

“”हाय मेरी जान, क्या टाईट फुद्दी है तुम्हारी, लगता है ज्यादा चुदी नही हो, मेरा नसीब अच्छा है कि तेरे जैसे मस्त चूत मिली….ले और ले…..ले मेरा लन्ड…….” अशोक पूरा लन्ड अन्दर दाल कर रुक गया, शायद वो मम्मी की इस हालत को एन्जॉय कर रहा था. उस ने मम्मी के अन्डर आर्म्स पर हाथ फेरा, मम्मी ने शायद कुछ दिन पहले ही शेव्ह किया था, इसलिये वहा पर थोडे थोडे बाल निकल आये थय, वो मम्मी की कोमल अन्डर आर्म्स को पागलो की तरह चाटने लगा. मम्मी को गुदगुदी हो रही थे और वो हसने लगी, मैने देखा मम्मी की फुद्दी पूरी तरह से खुल गई थी. शायद अशोक की चुदाई की वजहसे फट गई हो. फिर अशोक ने मम्मीका एक जोरदार किस लिया और पूछा,
“रानी दर्द कुछ कम हुआ क्या”
मम्मी ने आपनी आन्खे खोली नही, वो अपने दात अपने होठोपर गडाकर दर्द बर्दाश्त कर रही थी, वो बोली
“नही रे…….बहुत दर्द है मेरे राजा………” लेकिन उसने अपने हाथोसे अशोक को कसके पकड रखा था, मम्मीके मुह से सिसकिया निकल रही थी…..‘आअह्ह्ह्ह आहाअह, ह्ह्म्म्म आआह्ह्हाआ………..’ ऐसी आवाजोसे पता चल रहा था कि मम्मी को शायद अब मजा आने लगा था, उसने अपने पैर अशोक की कमर के गिर्द टाईट कर लिए थे और बीच बीचे मे उसे प्यारसे किस कर रही थी.

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अशोक ने फिर से एक जोर का धक्का मरा और मम्मी की चीखे और जोर की होने लगी. अशोक का लन्ड पहले धीरे धीरे अन्दर बाहर हो रहा था. लेकिन उसने स्पीड बढा दी. अब अशोक जोर से अपनी कमर हिलाकर बडी तेजीसे मम्मी की फुद्दी मे लन्ड अन्दर बाहर करने लगा, कभी वो उसके बूब्स चूसता तो कभी उसके होठोपे या गालोपर किस करता था, पूरे कमरे मे ‘फच्च….फच्च……फच्च…….’ की आवाज गून्ज रही थी. मम्मीकी चूतसे अन्दर बाहर करता हुआ अशोक का काला लन्ड बहुत ही भयानक लग रहा था, वो पूरी तरह मम्मी की चूत की रस से गीला हुआ था, उसके धक्कोकी रफ्तार देखते ही बनती थी.
तभी मम्मी चीखकर बोली “आहाआह अशोक………. मै…… आह….. आह….गए…….आआआआआअह्ह…………….ओ मेरी मा…….” और मम्मी झड गई, उसकी चूतसे पानी निकलकर अशोक के लन्ड और उसकी जान्घपे आ गया. ये देखकर अशोक को और जोश आया और उसने और जोर जोर से चोदना शुरु कर दिया. बीच मे चुदाई रोककर प्यार से मम्मी के होठ चूस कर बोला
“बस इतनी ही देर मे तू झड गई, मै तो तुझे रात भर रन्डी की तरह चोदनेवाला हू”

मम्मी निढाल हो कर पडी थी, उसने भी प्यारसे अशोक का किस लिया और बोली” हा मेरे राजा, आजसे मै तेरी रन्डी हू, मुझे खूब चोदना, रात भर चोदना…..तेरा ये मस्त लन्ड मुझे कितना मजा दे रहा है तुम नही जानते……….लगता है आज सही तरह सुहागन बनी हू”
मम्मी अब पूरी तरहसे अशोक के वश मे हो गई थी. मम्मी की ऐसी बाते सुनकर अशोक को जोश आया और उसने फिरसे जोरदार धक्के लगाने शुरु किए, मम्मी चीख चिल्ला रही थी लिएकिन उसने बिलकुल ध्यान नही दिया और बडी तेजी से मम्मी को चोदता रहा. और जब उसकी खलास होने की बारी आई तो किसी जानवर की भान्ति गुर्राता हुआ वो झड गया. उसके ढेर सारे वीर्य से उसने मम्मी की बुर को लबालब भर दिया. उन दोनो की यह चुदाई देखकर मै भी झड गई. कुछ देर मम्मी और अशोक वैसे ही लेटे रहे. फिर अशोक उठा और उसने अपना लन्ड धीरे से मम्मी की बुर मे से बाहर निकाला. जैसे ही उसके लन्ड का टोपा निकला बहुत सारा रस मम्मी की फुद्दी मे से बाहर निकल कर उसकी बडी गान्ड और मोटी जान्घोपर बहने लगा. मम्मी की फुद्दी पूरी खुली हुई थी. अशोक ने अपना लन्ड पकड कर मम्मी के मुह के पास लाया और बोला.
“ले रन्डी अब इस को चूस कर साफ कर” अशोक का लन्ड छोटा हो कर ४/५ इन्च का हो गया था. मै हैरत से देखता रहा कि मम्मी ने मुस्कुरा कर अशोक के लन्ड को पकडाअ और उस गन्दे लन्ड को चूसने लगी और उसे मजा भी आ रहा था.

“ओह अशोक ये तो बहुत नमकीन है” और किसी आईसक्रीम की तरह अशोक का लन्ड चूस रही थी.
अशोक ने पूछा” तूने कभी लन्ड चूसा है”
मम्मी बोली” नही आज से पहले कभी लन्ड नही चूसा था” और उसने अच्छी तरहसे अशोक का लन्ड साफ करके चाट लिया. फिर वो दोनो आपसमे बाते करते बिस्तर पर लेट गए.
ऐसीही कई राते अशोकने मम्मी की खूब चुदाई की और मै हर बार चुपकेसे देखकर उसका मजा लेता था.

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पति के दो गॉर्डस से चुत और गांड मरवाई | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/indian-wife-sex-stories/pati-ke-do-gaurds-se-chut-or-gaand-marwai.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/indian-wife-sex-stories/pati-ke-do-gaurds-se-chut-or-gaand-marwai.html#respond Sun, 28 Jan 2018 11:59:25 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=11807 पति के दो गॉर्डस से चुत और गांड मरवाई, जब पति ऑफिस जाते तो मै घर पे अकेली रहती धीरे धीरे घर पे रहने वाले दो गार्ड्स ने मुझे पटा लिया और मेरी भी चुदाने की बहुत इच्छा हो रही थी और गार्ड्स ने भी चोदने के मन बना लिया था फिर हमने कुभ चुदाई का थ्रीसम खेल खेला

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सभी लंड वाले मर्दों के मोटे लंड पर किस करते हुए और सभी खूबसूरत जवान चूत वाली रानियों की चूत को चाटते हुए सभी का मैं स्वागत करती हूँ। ये मेरी पहली स्टोरी है। इसे पढकर आप लोगो को मजा जरुर आएगा, ये गांरटी से कहूंगी।

मेरा नाम लतिका सिंह है। मै गुजरात की रहने वाली हूँ। मेरी उम्र 31 साल है। मेरी जवानी आज भी बरकरार है। सारे मोहल्ले में मेरी जवानी के चर्चे हैं। मेरी खूबसूरती को देखकर सारे मर्द झड़ जाते हैं। मै जब भीं मोहल्ले से गुजरती हूँ सारे मोहल्ले वाले जहां के तहां खड़े होकर मेरे को ताड़ने लगते हैं। मेरी मटकती गांड को देखकर ही अपना लंड खड़ा कर लेते हैं। मै शादी शुदा औरत थी। मेरे हसबैंड एक बिज़नस मैन थे। वो अक्सर बाहर ही रहते थे। मेरे को घर का सारा काम संभालना पड़ रहा था। मेरा एक बेटा था। उसे भी मुम्बई के एक अच्छे से कॉलेज में एडमिशन कराके वही शिफ्ट कर दिया गया था। मैं अकेली ही घर पर रहती थी। मेरे अलावा मेरे घर पर दो गार्ड रहते थे। एक का नाम विनय और दूसरे का नाम प्रीतम था।

वो भी मेरे काम में हाथ बटाते थे। विनय का शरीर बिल्कुल लोहे जैसा था। प्रीतम भी कुछ कम नहीं था। वो भी जवान मर्द था। प्रीतम की उम्र लगभग 29 साल की और विनय की उम्र 26 साल की थी। वो दोनों मेरे को बहोत ही अच्छे लगते थे। दोनों एक से बढ़कर एक फौलादी शरीर वाले थे। दोनों के शरीर को देख कर चुदने का मन कर रहा था। वो दोनों हमेशा भाभी भाभी करते रहते थे। प्रीतम तो शादी शुदा था। वो मेरी तरफ काम ही ध्यान देता था। लेकिन मन उसका भी करता था। विनय तो मेरे को कभी कभी एक टक लगाए घूरता ही रहता था। दोनों कुछ कर नहीं रहे थे बस ताड़ते ही रहते थे। मैं अपनी चूत उन दोनों के हवाले करना चाहती थी।

एक दिन मैं बैठी धूप सेक रही थी। सर्दियों का मौसम था। काफी ठंड पड़ रही थी। बड़े दिनों के बाद धूप भी निकली था। मैंने उस दिन साडी पहनी हुई था। मेरे घर के ग्राऊंड में एक चारपाई पड़ी थी। मैं उसी पर लेटी हुई थी। वो दोनों मेरे को घूर कर देख रहे थे। मैंने अपना पैर उठाकर एक पैर पर रख ली। मेरी साड़ी जांघ तक आ गयी। प्रीतम मेरी गोरी चिकनी टांगो को देखकर बहोत ही खुश हो रहा था। उसने विनय को भी बुला लिया। वो दोनों मेरे टांग की तरफ खड़े होकर मेरी चूत को देखने की कोशिश करने लगे। मैं भी उन दोनों को मजा देने के लिए अपनी साड़ी धीरे धीरे ऊपर करने लगे। उन दोनों के लंड में हलचल मच गयी। कुछ देर बाद मैं उठ गयी। वो दोनों जल्दी से खिसक लिए। मैं प्रीतम को पहले अपने पास बुलाई।

मै: प्रीतम तुम दोनों किस बात को लेकर मेरी तरफ देख रहे थे??

प्रीतम: कुछ नहीं भाभी हम दोनों तो वैसे ही बात कर कर के हंस रहे थे

प्रीतम डर गया। वो हिचकिचा कर बोल रहा था। मैने कुछ देर बाद विनय को बुलाया। उसने भी यही बात बोली।

मै: तुम दोनों मेरे को भाभी कहते हो। तो तुम मेरे देवर हुए. तुम जो भी मजाक करना चाहो कर लो

विनय: भाभी हम लोग आप के बारे में ही बात कर रहे थे

विनय ने मेरे को सारी बाते बता दी। वो मेरे से खुल के सब बता रहा था। मेरा मन भी चुदने का होने लगा। इतने में वो दोनो मेरी कुछ ज्यादा ही तारीफ किये जा रहे थे। मैं बहोत खुश हो रही थी।

प्रीतम: भाभी आप भैया के बिना कैसे इतने दिन काट लेती हो? मेरी बीबी तो एक ही दिन में बेकरार हो जाती है.

मै: कैसे काटती हूँ एक एक पल वो मै जानती हूँ। मेरे को भी डोज़ चाहिए लेकिन कौन दे सकता है। तुम्हारे भैया तो हमेशा बाहर ही रहते है।

प्रीतम: सही कहा भाभी आपने! बहोत तड़प होती है। मैं भी अभी तक कुवांरा हूँ मेरे को भी सेक्स करने का बहोत मन कर रहा है. मैं सोफे पर बैठी थी। मैं अचानक से उठने लगी। मेरी साडी पैर में फस गयी और मै विनय के ऊपर गिरने लगी। उसने मेरे को थाम लिया। वो मेरी आँखो में आँखे डालकर बात कर रहा था। उसकी हवसी नजरे बता रही थी की वो मेरे को चोदना चाहता है।

विनय: भाभी ऐसे न देखो मेरे को, मेरे अंदर हलचल मच जाती है.

भाभी: ऐसी हलचल तो मेरे अंदर रोज मचती रहती है.

विनय: प्रीतम का क्या है उसकी तो शादी हो चुकी है। उसकी बीवी भी उसी के साथ रहती है.

प्रीतम: एक ही सामान से रोज रोज खेलने पर जी भर जाता है। मेरा बीवी से जी भर गया है.

मैं: चलो मैं तुम लोगों को एक नया सामान दिखाऊंगी। लेकिन उसके लिए तुम लोगों को शाम को रुकना होगा.

वो दोनों नयी चूत के बारे में सुनते ही उछल पड़े। मैं भी उन दोनों के साथ अपनी कामना पूरी होने का इंतजार कर रही थीं। वो दोनो भी किसी तरह से शाम का इंतजार कर रहे थे। वह घडी आने ही वाली थी जब मैं उन दोनों से चुदने वाली थी। शाम हो चुकी थी। कामवाली ने आकर तीन लोगों का खाना बनाया। उसके बाद हम तीनो ने खाना खाकर बैठ कर कुछ रोमांचक बाते की। दोनों का चोदने का मूड बना था। मेरे बड़े बडे 34 के मम्मे को घूर रह थे। मैं जल्द ही उन दोनों के साथ अपने बेडरूम में आ गयी। मैंने उस दिन काले रंग की साड़ी पहन रखी थी। लिपस्टिक भी काली लगा रखी थी।

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विनय: भाभी काले रंग की साडी में आप कुछ ज्यादा ही हॉट लगती हो!

मै: कुत्तो!! मै तो हर दिन ऐसी ही लगती हूँ। तभी तुम दोनों मेरे को देखकर हमेशा लार टपकाते रहते हो!

प्रीतम: सिर्फ लार टपकाने से क्या होता है। लेने को मिला ही नहीं.

मैं: तुम लोगो ने आज तक मेरे को देखकर लार टपकाया है। आज मैं तुम्हे अपने बदन को चाटने का मौका दूँगी.

विनय: भाभी आप हमसे चुदवायेंगी??

मै: हाँ विनय तुम्हारे भैया भी तो बाहर किसी की चूत पी रहे होंगे.

मैने दोनों को अपने पास कर लिया। वो दोनों मेरे को ताड़ने लगे। मैंने अपने हाथों से साडी को पेट से हटाया। मेरे गोरे पेट पर गहरी चूत सी नाभि को देखते ही दोनो झपट पड़े। विनय मेरी नाभि को चाट रहा था। मैं चुपचाप अपनी नाभि को पीने दे रही थी। उसने अपनी जीभ मेरी नाभि में घुसाकर मेरी सिसकारी निकलवा दी। मैं “हूँउउउ हूँउउउ हूँउउउ ….ऊँ…ऊँ…ऊँ सी सी सी सी… हा हा हा.. ओ हो हो….” की सिसकारियां निकालने लगी। प्रीतम भी कुत्ते की तरह मेरे बदन को अपनी जीभ लगाकर चाट रहा था। वो मेरी कमर को कस कर दबाये हुए पेट के किनारे किनारे चाट रहा था। दोनों ने मेरे को चाट चाट कर गरम कर दिया। विनय नाभि को ही छेड़ कर खेलता रहा।

प्रीतम ने मेरे गले को किस करते हुए मेरे गालो पर किस किया। वो कुछ देर तक तो मेरे होंठों की खूबसूरती को ताड़ता रहा। फिर उसने अपने होंठो को मेरे होंठो पर टिका दिया। धीरे धीरे से मेरे होंठो को चूसने लगा। मै दोनों के सर पर एक एक हाथ रखे हुए उनके बालो को पकडे हुए थी। मैं जब भी उन दोनों के बालो को पकड़ कर खींचती थी वो दोनो मेरी नाभि और होंठ की चुसाई को तेज कर देते थे। दोनों के इस तरह से करने पर मेरी चूत में आग सी लग गई। प्रीतम की जोरदार होंठ चुसाई से मेरे को सांस लेने तक की फुरसत नहीं मिल रही थी। मेरी सांस फूलने लगी। वो अपनी जीभ को मेरे मुह में डालकर मेरी जीभ से खेलने लगा। विनय ने नाभि पीना बंद किया।

उसने एक एक करके मेरी ब्लाउज के सारे बटन को खोल दिया। मैंने अंदर काले रंग की ब्रा पैंटी पहनी थी। काली ब्रा में फसे हुए मेरे दोनों दूध की तरह बूब्स बहोत ही अच्छे लग रहे थे। विनय ने अपने हल्के हाथों से मेरे बूब्स को दबाया।

विनय: प्रीतम भाई होंठ पीना बंद कर! भाभी के चुच्चे तो और भी ज्यादा मजेदार हैं

प्रीतम: चल भाई आज भाभी के दूध को पीते हैं

मेरी ब्रा को प्रीतम ने निकाल दिया। मेरे दोनों बूब्स आजाद होकर झूलने लगे। बिक्रम और विनय दोनों में मेरे एक एक बूब्स को पकड़ कर पीने लगे। मक्खन की तरह मुलायम दोनों चुच्चो को पी कर वो दोनों मजा काट रहे थे।

मेरी तो जान निकल जाती थी जब वो दोनों मेरे निप्पल को अपने दांतो से पकड़कर खीचते थे। मै“……अई…अई….अई……अ ई….इसस् स्स्स्…….उ हह्ह्ह्ह…..ओह्ह्ह्हह्ह….” की आवाजे निकाल कर अपने होंठो को काट रही थी। वो दोनो मेरी आवाज के धुन पर ही जैसे पी रहे थे। मै जितनी जल्दी आवाजे निकालती उतनी ही तेजी से वो दोनों मेरा दूध पी रहे थे। दोनों ने एक साथ सब करना शुरू किया। प्रीतम और विनय दोनों ही खड़े होकर अपना अपना पैंट खोलने लगे। दोनों का औजार बहोत ही बड़ा लग रहा था। मै बैठी हुई थी। वो दोनो मेरे सामने अपना अंडरवियर उतार रहे थे।

मेरे मुह के आमने सामने ही उन दोनो का लंड उपस्थित था। अंडरवियर के निकलते ही उन दोनों के साँड़ जैसा लंड दिखने लगा। वो दोनो अपने हाथो में लेकर हिला रहे थे। मै बहोत खुश हो रही थी। इतने दिनों की तड़प दो साँड़ जैसे लंड वाले इंसान मिटाने वाले थे। मैंने दोनो के लंड को हाथ में पकड़ा। प्रीतम का लंड 7 इंच और विनय का लंड लगभग 6 इंच का था। प्रीतम का लंड काला और भयानक दिखता था। लेकिन विनय का लंड गोरा और ज्यादा आकर्षक लग रहा था। मेरे छूते ही उन दोनों का लंड मोटा हो गया। दोनों का लंड मै एक साथ हिला रही थी। धीरे धीरे उनका ढीला खंभा टाइट होकर खड़ा हो गया। मेरे हाथ हटाते ही उनका लंड ऊपर नीचे होने लगा।

विनय: भाभी मेरे लंड को चूसो!

मैंने उसके लंड को पकड़ा और अपने मुह में भर कर चूसने लगी। प्रीतम अपने लंड पर मेरा हाथ रखा के मालिश करवा रहा था। मेरे को बहोत मजा आ रहा था।

प्रीतम ने मेरी साडी निकाल दी। मैं सिर्फ पेटीकोट में हो गयी। मैंने खुद ही अपनी पेटीकोट का नाडा खोला और पैंटी में हो गयी। प्रीतम मेरी चूत को पैंटी के ऊपर से ही मसलने लगा। मै चुदने को तड़पने लगी। मेरी“..अहहह्ह्ह्हह स्सीईईईइ….अअअअ अ….आ हा …हा हा हा” की सिसकारियां बढ़ने लगी। दोनों ने पैंटी को पकड़कर निकाल दिया। मेरी चिकनी चूत की देखकर दोनों के मुह से एक बार फिर से लार टपकने लगा। वो दोनों मेरी चूत को एक साथ मिल कर चाटने लगे। मै बहोत गर्म हो चुकी थी। मेरी चूत के एक एक टुकड़े को एक साथ पी रहे थे।

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बारी बारी मेरी चूत का रस पीकर मेरे को बहोत ही ज्यादा उत्तेजित कर दिया। कुछ देर तक तो उन दोनों ने अपनी अंगुली को ही मेरी चूत में अंदर बाहर करके चुदाई करने लगे। एक साथ चार चार अंगुली डाल कर मेरी चूत के छेद को फैला रहे थे। मै सिसकारियां भरकर अपनी चूत की मालिश कर रही थी। मै चुदने को तड़पने लगी। वो दोनों भी ज्यादा उत्तेजित लग रहे थे। वो मेरी बूब्स को दबाकर मेरी चूत चाट रहे थे। विनय मेरी चूत पर अपना लंड रगड़ने लगा। अचानक मेरी चूत में धक्के मार कर वो अपना लंड अंदर घुसाने लगा। मेरी चूत में उसका आधा लंड ही घुसा दिया। मै “ओह्ह माँ….ओह्ह माँ…उ उ उ उ उ……अअअअअ आआआआ….” की चीख निकाल रही थी।

वो मेरी चूत में अपना लंड आधे से ज्यादा घुसा दिया। मैं चीखें निकाल कर चुदवा रही थी। वो बार बार धक्के पर धक्का मार कर अपना लंड जड़ तक पेल दिया। प्रीतम को कंट्रोल नहीं हो पा रहा था। वो अपना हाथ लंड मेरे मुह में रख कर चुसाने लगा। मेरे मुह में वो अपना लंड चूत की तरह अंदर बाहर करने लगा। मेरे को चुदवाने में बहोत मजा आ रहा था। मै अपनी गांड उठा उठा कर चुदवा रही थी। वो मेरे को जोर जोर से चोदने लगा। आज पहली बार दो मर्दो के साथ सम्भोग कर रही थी। वो दोनो मेरे साथ सम्भोग करके बहोत ही मजे ले रहे थे। विनय की स्पीड धीरे धीरे बढ़ रही थी। वो तेजी से मेरी चूत फाड़ने लगा। वो मेरी चूत को फाड़कर उसका भरता बना डाला। विनय झड़ने वाला हो चुका था। उसने मेरी चूत से अपना लंड निकाल कर मुठ मारते हुए झड़ गया। प्रीतम को मौक़ा मिलते ही उसने मेरे ऊपर चढ़ लिया।

मेरी टांगो को खोलकर वो अपना लंड पेलने लगा। मेरी चूत में उसका 7 इंच का लंड बहोत ही तेजी से घुस गया। वो और भी तेजी से अपना लंड मेरी चूत में घुसाने लगा। मेरी चूत का कचरा बना दिया। मै भी “….उंह उंह उंह हूँ.. हूँ… हूँ..हमममम अहह्ह्ह्ह ह..अ ई…अई…अई…..” की आवाज के साथ कमर को मटकाते हुए चुदवा रही थी। विनय ने सिर्फ मेरी चूत को भरता बनाया था। लेकिंन प्रीतम के लंड ने तो उसकी चटनी निकलवाने पर तुला था। वो तेजी से अपने लंड को मेरी चूत में कमर उछाल उछाल कर चुदाई कर रहा था। मैं भी उसका साथ दे रही थी। मेरे को बहोत ही आनंद आ रहा था। विनय का लंड एक बार फिर से तैयार हो गया। प्रीतम ने मेरी चूत से चटनी की निकाल दी।

मै “अई…..अई….अई… अहह्ह्ह्हह…..सी सी सी सी….हा हा हा…”, की आवाज के साथ झड़ गयी। मेरी चूत से निकले माल को उन दोनों ने अपना मुह लगाकर पिया। पहली बार किसी ने मेरी चूत को इस तरह से चाटकर मजा दिया था। मेरे हसबैंड तो डायरेक्ट चुदाई पर ही भिड़ जाते थे। 8 10 झटकें मार कर झड़ जाते थे। आज मेरे को चुदाई का असली मजा आ रहा था।

प्रीतम: भाभी आपकी चूत गीली होने के साथ साथ ढीली भी हो चुकी है। मेरे को ममजा नहीं आ रहा है

मै: चोदो! और चोदो! मेरी चूत को आज इसका सारा रस निकाल दो!

विनय: भाभी मेरे को आपकी टाइट गांड चोदनी है( मेरी गांड पर हाथ मारते हुए बोला)

मै: ठीक है सालो चूत के साथ साथ गांड को भी फाड़ डालो!

इतना कहकर मैं खड़ी होकर झुक गयी। विनय तेजी से मेरी गांड की तरफ लपकते हुए आ गया। विनय ने मेरी गांड के छेद पर अपना लंड कुछ देर तक रगडा। उसके बाद छेद में अपना लंड धकेलने लगा। उसके लंड का टोपा बड़ी मुश्किल से मेरी गांड में घुसा था। वो जोर जोर से धक्के मार कर अपना पूरा लंड मेरी गांड में घुसा दिया। पूरे लंड से वो मेरी जोरदार की चुदाई कर रहा था। मेरी गांड फट गयी। उधर मेरे मुह को पकड़कर प्रीतम अपना गीला लंड चुसाने लगा। पहली बार मैंने उसके लंड पर लगे अपनी चूत के माल को चखा था। प्रीतम मेरी जीभ के रगड़ से झड़ गया। विनय दूसरी बार चुदाई कर रहा था। वो मेरी गांड में ही अपना लंड डाले हुए सारा माल निकाल दिया।

मेरे को गांड में कुछ गरमा गरम लगा। विनय का लंड भी धीरे धीरे सिकुड़ कर बाहर निकल आया। हम तीनों रात भर बिस्तर पर नंगे ही पड़े रहे। उस रात प्रीतम और विनय ने मेरी जवानी का खूब मजा लूटा। उसके बाद आज तक वो दोनों मौक़ा मिलते ही मेरे साथ सेक्स करना शुरू कर देते हैं। आपको स्टोरी कैसी लगी मेरे को जरुर बताना और सभी फ्रेंड्स नई नई स्टोरीज के लिए मस्ताराम.नेट पढ़ते रहना। आप स्टोरी को शेयर भी करना।

 

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संध्या ने अपने पति के साथ थ्रिसम चुदाई करवाई | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/indian-wife-sex-stories/sandhya-ne-apne-pati-ke-sath-threesome-chudai-karwai.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/indian-wife-sex-stories/sandhya-ne-apne-pati-ke-sath-threesome-chudai-karwai.html#respond Wed, 24 Jan 2018 04:06:08 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=11783 मुझे चूत पर जाने को कहा मैं संध्या के पैर अपने कंधे पर उठाके संध्या को पेलने लगा संध्या फिर से गरम हुई थी वो भी मेरे साथ साथ नीचे से धक्के लगाके मेरा साथ देने लगी |

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संध्या ने अपने पति के साथ थ्रिसम चुदाई करवाई

नमस्कार दोस्तो, मैं अमित सेठ आप का स्वागत करता हूँ और आप सभी का धन्यवाद करता हूँ कि अपने मेरी कहानी नागपुर के माल मे मिली मडम की चुदाई को पढ़ कर मुझे बहुत प्यार दिया। बहुत सारे मेल किए, दोस्तो, मैं कभी भी लड़की या महिला का ईमेल पता या उनका नंबर या हमारी बातचीत को आगे नहीं बता सकता, इसलिए आप निश्चिन्त होकर पहले की तरह बातें करते रहिये। आप मुझ से फेसबुक पे भी अमित सेठ नामकी आय डी जुड़े रहिये।

दोस्तो आपको मैने वादा किया था की मेरी अगली कहानी कपल के साथ सेक्स वाली बहुत जल्द भेजूँगा तो दोस्तो आज मैं आपको मेरी दोस्त नेहाजी के ही रेफ्रन्स से उनकीही फ्रेंड जिसने अपने पति के साथ मिलकर खुद की चुदाई करवाई उस चुदाई का अनुभव लिख रहा हूँ, ये एक असली अनुभव है इसमें कुछ भी काल्पनिक नहीं है बस नाम ही बदले हुए हैं।

तो दोस्तो मै नेहा मैडम से फिर से दो तीन बार मिला नेहाजी ने ही संध्या मैडम के बारे मे बताया था पर मैने उतना ध्यान नही दिया था |

एक दिन मेरे मोबाइल पर एक अंजान नंबर से कॉल आया मैने रिसीव किया तो सामने से एक महिला की आवाज़ आई मैने कहा – कौन बोल रहे है ? तो उन्होने कहा – ‘’संध्या बोल रही हू मै ‘’ चौक गया |

मैने कहा – ‘’ आप नेहा मैडम की फ़्रेंड बोल रहे |

हो तो उन्होने कहा –‘’ हा ‘’ मैने उनका हालचाल पूछा फिर फोन करने की वजह पूछी तो |

उन्होने कहा – ‘’मुझे आपसे मिलना है ‘’ मैने पूछा – क्यू तो उन्होने कहा – ‘ क्यू आप किसीसे मिलते नही है क्या ‘’ इसपर मैं बोला- ‘ ऐसी बात नही है ‘ इसपर उन्होने कहा- ‘ आप फ्री कब रहेंगे’ |

मैने कहा – शाम को तो उन्होने मुझे इटरनिटी मॉल मे शाम को छे बजे आने को बोला मैने ओके बोल के फोन रख दिया |

फिर शाम को ६ बजे मै मॉल गया तो उनकी कॉल आई की केफसी की तरफ आओ मै केफसी की तरफ चला गया फोन चालू ही था की उन्होने मुझे हाथ दिखाके इशारा किया मैं नज़िक गया तो उनको देखता ही रहा खो गया |

बहुत खूबसूरत थी करीब ३२-३३ साल की बहुत ही गोरी औरत थी वो उन्होने मुझे हाय कहके फिर बोला – कहा खो गये हो अमित मैने कहा – कही नही मॅम फिर उन्होने मुझे बैठने के लिए कहा और बोला बोलो क्या लोगे मैने आदतन उनसे कह दिया- ‘ जो आप खिलाएँगी पिलाएँगी वो मैं ख़ौऊन्गा और पीऊंगा’ फिर उन्होने दोनो के लिए कोलडिंक्स मंगाई फिर हम लोग बाते करने लगे कहिए फिर उन्होने मेरे से हाथ मिलाया मैने अपना हाथ आगे बढ़ाके उनसे हाथ मिलाया बहुत ही नरम मुलायम हाथ था |

उसका फिर मैने कहा कहिए मेरे से क्या काम था तब उन्होने कहा – ‘ क्यू बिना काम के तुम किसीसे मिलते नही क्या’ मैने कहा- ‘ एसी कोई बात नही है कहिए क्या बात है’ उन्होने अपने बारे मे बताया फिर कहा – मै बहुत बिंदास औरत हू मुझे भी जिंदगी का असली मज़ा लेना है इसपर मैने कहा – ‘ मै समज़ा नही आप कहना क्या चाह रही है’ आपको मज़े लेने है तो इसमे मै आपकी क्या हेल्प कर सकता हू तो उन्होने कहा – जाड़ा बनो मत मै तुम्हारे और नेहा के बारे मे सब जानती हू अब मुझे सब कुछ समझ मे आने लग गया की इनको क्या चाहिए मैने उनसे कहा – आप जानती है ठीक है पर मैं आपके साथ कैसे करू और क्यू |

इसपर उसने कहा- नेहा के साथ क्यू करते हो मैं चुप ही रहा फिर उन्होने कहा- मैं आपके साथ मज़े करना चाहती हू और हा इसमे मेरे पति भी शामिल होंगे मैं शाक हो गया |

मैं तुरन्त ही बोल पड़ा – क्या आपके पति भी…….. क्यू आप मुझे मरवाना चाहती हो ये क्या कह रही हो आप आपको पता भी है मैं नही आ सकता आप कोई और देख लो प्लीज़ मैं ये नही कर सकता |

इसपर उन्होने कहा – किसी और के पास जाना होता तो मैं तुम्हारे पास क्यू आती मुझे नेहा ने तुम्हारे बारे मैं बताया तुम्हारी बहुत तारीफ कर रही थी इसलिए तुमसे बात कर रही हू | आप यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |

मैने कहा – लेकिन तुम्हारे पति कैसे क्या वो कैसे क्या शामिल होंगे इस सब मे इसपर संध्या ने कहा– अमित हम लोग ब्राड मैंडेड है हम लोग खुलकर जीते है एकदुसरे से कोई बात छुपी नही होती है वो भी इस बात के लिए राज़ी बल्कि उन्होने ने ही मुझे कहा है आपको बुलाने के लिए |

थोड़ी देर सोचने के बाद मैने कहा – ओके मैं आता हू पर कोई प्रब्लम हुई तो मैं कुछ भी नही करूँगा |

उसपर संध्या ने कहा- तुम बेफिकर रहो कोई प्राब्लम नही होगी हम दोनो तैयार है तो कोनसि प्रब्लम होगी तुम बिन्धस्त रहना ओके संध्या ने मुझे घर का पता दिया और कहा- मैं फ़ोन करूँगी तुम्हे कब आना है और हा शायद वीकेंड पर तुमको बुला सकती हू तब तक तुम तैयार रहना ओके इसपर मैने -ओके -कहा और संध्या ने हाथ मिलाके बाय कहा मिलाया क्या यू कहिए दबाया था बाद मे मैं रूम पर वापस आया फिर उसी हफ्ते के शनिवार को सबेरे सबेरे मेरे मोबइल की रिंग से मई जगा तो संध्या का ही काल था मैने नींद मे ही हेलो कहा उसने कहा- उठो उठो कितनी देर सोते रहोगे भूल गये क्या मुझे संध्या बोल रही हू गुड मार्निंग……

इसपर मैने मार्निंग विश करके कहा – मैने आवाज़ पहचान ली है पर इतनी सुबह आपने कैसे याद किया मुझे याद तो तुम्हारी हमेशा आती ही है पर आज मेरे लिए खास दिन है |

मैने कहा क्यू आज आपका जन्मदिन है तो उन्होने कहा – ईडिएट आज शनिवार है वीकेंड मैने कहा तो क्या हुआ |

संध्या बोली- मैने क्या कहा था याद है या भूल गये फिर मैं समझ गया मुझे याद आई उसकी बाते फिर उन्होने कहा – आज तुमको हमारे घर आना है शाम को सात बजे और खाना ख़ाके मत आना हमारे साथ ही खाना खाना |

मैने कहा- ओके ठीक है मैं आता हू |

फिर आफ़िस गया शाम को लौटकर आते वक्त कंडोम के दो पकेट साथ लिया रूम पर आके नाहया फिर तैयार होके संध्या के बताए पते पर निकला उसके घर के पास जाके काल किया उन्होने फिर से ठीक से पता बताया और आख़िर मैने घर ढूंड लिया और बेल बजाई दरवाजा एक आदमी ने खोला मुझे समझ गया की ये संध्या का पति होगा उसने मुझसे हाथ मिलाया मेरा वेलकम किया अंदर आने के लिए बोला मैं उनके पीछे पीछे हाल मे आया उनका घर बहुत अच्छा घर मैं हाल मे आकर बैट गया संध्या के पति अपना परिचय दिया उनका नाम राहुल था |

फिर राहुल ने मुझे फ्रेश होने के लिए कहा मैं नाहया तो था फिर भी फ्रेश होने चला बाद कमरे में आया |

फिर राहुल ने पूछा –‘ड्रिंक मे क्या लोगे’ |

तो मैने कहा- बीयर लूँगा |

फिर राहुल अंदर जाके बीयर और उनके लिए रम लेकर आए उनके पीछे ही संध्या आई काले कलर का गाऊंण पहने हुए ओ बहुत सेक्सी लग रही थी क्या फिगर था उसका मैं तो उसे देखता ही रह गया ओ बिल्कुल सिल्क स्मिता की विद्या बालन जैसी दिख रही थी अब आप अंदाज़ा लगा लो क्या नज़ारा होगा वाहाका फिर संध्या मेरे पास आके हाथ मिलाके मुझे होश मे लाया और बोली कहा – खो गये अमित जागो अभी खो जाने को टाइम है |

मैं बोला – कही नही आप होही इतनी हाट की कोई भी अपने होश खो देगा |

राहुल बोले – हा अमित संध्या की बात ही कुछ एसी है की हर कोई अपने होश खो दे |

फिर हम तीनो मिलकर पीने लग गये राहुल के पास संध्या बैठी थी मैं दूसरे सोफे पर था राहुल संध्या को चूमते हुए बुब्स दबाने लगा संध्या शर्मा रही थी |

राहुल बोले- अमितसे क्या शरमाना तुम तो आज अमित से चुदने वाली हो |

मैने अपनी बीयर ख़तम की राहुल और संध्या ने अपने दो दो पैग पूरे किए बाद राहुल ने संध्या को खाना लगाने बोला संध्या किचन मे गयी फिर खाना खाने हम लोग बैठ गये खाना खाने तक रात के दस बज गये खाने के बाद राहुल ने टी वी चालू करके ब्लू फिल्म लगाई हम तीनो फिल्म देखने लगे फिल्म ग्रुप सेक्स की थी |

राहुल और संध्या दोनो साथ मे बैठे थे मैं अकेला एक जगह था राहुल ने संध्या को सहलाते हुए चूमना चालू कर दिया संध्या गरम हो रही थी फिर राहुल ने संध्या के कपड़े उतरे और बुब्स चूसने लगा संध्या सिर्फ़ पैंटी पर थी बाद मे राहुल ने पैंटी भी उतारी अब संध्या पूरी की पूरी नंगी हुई थी मैं उन दोनो को देख रहा था |

फिर राहुल ने मुझे नज़िक आने का इशारा किया मैं संध्या के नरम नरम बुब्स दबाने लगा संध्या ने मेरी तरफ देखा और मेरे गले मे हाथ डालके अपनी और खिछा और मुझे बेहद बुरे तारीख़े से चूमने लगी जैसे बरसो की प्यासी हो मैं भी कहा पीछे रहने वाला था मैं भी एक हाथ से संध्या का सर पकड़ा एक हाथ से बुब्स दबाते हुए संध्या को चूम रहा था | इस कहानी का शीर्षक संध्या ने अपने पति के साथ थ्रिसम चुदाई करवाई और आप इस स्टोरी को मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | उसकी जीभ मूह मे लेके चूस ने लगा संध्या तो सातवे आसमान मे थी क्यू की उसकी बहुत दीनो की इच्छा पूरी हो रही थी एक साथ दो लोगो से चूड़ने की |

फिर राहुल ने कहा – चलो बेडरूम मे चलते है |

फिर हम तीनो बेडरूम मे आ गये संध्या बेड पर लेट गयी मेरा हाथ पकड़के अपने उपर खिछा मुझे फिर मुझे चूमते हुए मेरे कपड़े उतरने लगी मेरी अंडरवियर उतरते ही मेरे लॅंड की तरफ देखने लगी मैने पूछा – क्या हुआ संध्या जी तो संध्या बोली – आज मज़ा आएगा फिर राहुल भी बेड पर आ चुका था संध्या ने राहुल के भी कपड़े उतारे राहुल संध्या के बुब्स चूसने लगा |

मैने संध्या को चूमते हुए नीचे आने लगा जैसे ही मैने संध्या के चुत को छुआ तो संध्या ने मुझे कसके पकड़ लिया और आ आ ससस्स ‘आह्ह.. अहह..’ करने लगी फिर मैने संध्या की चुत को सहलाने लगा एकदम क्लीन शेव्ह की हुई चुत मस्त पाव रोटी की तरह फूली हुई थी फिर मैं संध्या की चुत को चूमा संध्या एकदम सिहर उठी उसने मेरा सर पकड़ कर अपनी चूत पर दबाया मुझसे चुदास भरी नशीली आवाज में बोलीं- अपनी जुबान से मेरी चूत को मालिश दे.. |

एसेही थोड़ी देर तक मैं संध्या को चाट रहा था संध्या अपनी आखे बंद करके मज़ा ले रही थी मदहोश हुई जा रही थी राहुल ने भी अपना काम जारी रखे था संध्या का तो मज़ा दोगुना था दो दो लोग जो थे उसके पास एकसाथ वो अलग अलग आवाज़े निकल रही थी और मज़ा ले रही थी |

फिर संध्या बोली — अमित तुम लेट जाओ मैं तुम्हारे मूह पर बैट जाती हू फिर चूसो मेरी चुत को |

मैं बोला- ‘ओके संध्या जी’

संध्या बोली,- मेरी चुत चाट रहे हो, मुझे चोद्ने वाले हो तो फिर ये क्या संध्या जी संध्या जी कह रहे हो मुझे रानी या जान कहके बुला सकते हो |

मैने- ‘ओके मेरी जान’ |

कहा फिर संध्या बोली- ‘’ये हुई ना बात चलो लेट जाव’’

फिर मैं लेट गया संध्या मेरे मूह पर अपनी चुत सेट करके बैट गई फिर राहुल उठा और संध्या के मूह मे अपना लॅंड दे दिया |

संध्या मज़े से राहुल का लॅंड चूस रही थी और अपनी चूत चुसवा रही थी मैं थोड़ी देर उसकी चूत चाट ही रहा था की वो मेरे मूह मे ही झड़ गयी मैने चाट के साफ किया फिर उसने राहुल का लॅंड अपने मूह से निकल के सीधी बेड पर लेट गयी और बोली — ” अब मुझसे रहा नही जा रहा कोई तो मेरी छूट को शांत करो” |

फिर राहुल ने मुझे इशारा किया मैंने एक बार चूत को चाटा और फिर संध्या से लण्ड चुसवा कर लता की दोनों टांगों को कंधों पर रख कर मैने अपने आपको संध्या के उपर सेठ करके अपना लॅंड चूत पर टीकके ज़ोर से धक्का दिया मेरे धक्के से संध्या हिल सी गयी बुरी तरह तड़प उठी और बोली – आहह… बहन के लौड़े उम्म्मम… लण्ड से चूत चुदाई करने को कहा था चूत फाड़ने को नहीं आहहहह…मादर चोद चूत चुदवानी है फड़वानी नहीं… साले गधे का लण्ड लेकर ह्म्म्म… ऐसे झटके मारेगा तो चूत के चीथड़े उड़ जाएंगे। ”कमीणे मैं कही भागी नही जा रही हू ज़रा धीरे धीरे कर नही सकता क्या”

मैं- सॉरी डार्लिंग, मुझे पता नहीं था कि तुम झेल नहीं पाओगी, अब धीरे धीरे चोदूँगा।

फिर मैं थोडा स्लो हो गया और धीरे धीरे करने लगा थोड़ी देर बाद मैने स्पीड बढ़ा दी संध्या बड़बड़ाने लगी |

राहुल सही कह रहा था कि लता चुदवाते समय बहुत बकती है और आवाज ज्यादा न जाए इसलिए मैंने उसके होठों को चूसने लगा. .
राहुल- अमित, और जोर से चोद साली को, बहुत चुदक्कड़ बनती जा रही है, आज इसकी चूत को चोद चोद के लाल कर दे।

फिर संध्या बहुत छ्ट पता रही थी शायद वो झड़ने को आई थी मुझे कसक के पकड़ा मुझे चूमने लगी और झड़ गयी |

फिर राहुल ने कहा- ” अमित तुम इसके मूह को चोद मैं इसकी चूत चोदत हू” फिर मैने अपने लॅंड को संध्या के मूह मे दिया मैने अभी तक झाड़ा नही था राहुल संध्या को बड़ी बेरहमिसे चोद्ने लगा संध्या मेरा लॅंड चुसती रही राहुल ५ मिनिट मे ही झड़ गया |

फिर वो संध्या के मूह मे आ गया और मुझे चूत पर जाने को कहा मैं संध्या के पैर अपने कंधे पर उठाके संध्या को पेलने लगा संध्या फिर से गरम हुई थी वो भी मेरे साथ साथ नीचे से धक्के लगाके मेरा साथ देने लगी |

संध्या- ” उम्म्मम… हाँ अब मजा आ रहा है… हाँ भोसड़ी के ऐसे ही आहहह… तेरा मस्त लौड़ा तो मेरी चूत में बिल्कुल कस के रगड़ मार रहा है, आहहहह… अब जोर से चोद… अब लगा अपने लौड़े का जोर दिखा कितनी स्पीड से ओह्हहह… चोद सकता है। नेहा को तो तूने बहुत चोद है अब मुझे भी चोद आआहह आइईइ ””,,,,,,,,,,,,

बोल के संध्या फिर से झड़ने को हुई तो मैने भी अपनी स्पीड बढ़ा दी मैं भी झड़ ने को आया था मैं इतनी जोरोसे धक्का लगा रहा था की संध्या के बुब्स गोलल्गोल हिल रहे थे फिर उसे कस के पकड़ा और संध्याने भी मुझे कासके पकड़ा और दोनो झद्ने लगे मैं संध्या के उपर लेट के रहा थोड़ी देर बाद राहुल ने एक बीयर और व्हिस्की ले आया और स्नकस भी फिर संध्या उठी और बाथरूम हो के आई |

फिर से हम तीनो ने पीना चालू किया संध्या मेरी गोद मे बैठी और मुझे बीयर पिलाने लगी मैं भी संध्या को पिलाने लगा फिर संध्या ने मेरी किसिंग चालू कर दी और मेरे लॅंड को सहलाना चालू कर दिया फिर से हम लोग बेड पर आ गये संध्या गरम हुई और मेरा लॅंड चूसने लगी फिर मुझे लेटने को कहा और मेरे लॅंड को अपनी चुत के अंदर लेके उपर से मुझे चोद्ने लगी | इस कहानी का शीर्षक संध्या ने अपने पति के साथ थ्रिसम चुदाई करवाई और आप इस स्टोरी को मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | मैं भी नीचे से धक्के देने लगा फिर राहुल ने तेल निकलके संध्या के गान्ड मे लगाना चालू किया और फिर संध्या को मेरे उपर झुका कर अपना लॅंड डालने लगा संध्या दर्द के मारे चिल्लाने लगी थी फिर मैने संध्या को मेरे उपर झुकाके किस करने लगा |

फिर थोड़ी देर के बाद संध्या मज़े से चुदने लगी बहुत बड़बड़ा रही थी गलिया दे रही थी राहुल ने कहा- ” अमित रहम मत करो चोदो और जोरसे चोदो चुत का भोसड़ा बना दो मैं इसकी गान्ड फाड़ ता हू आज, बहुत चूड्डकड़ है ये आज हम दोनो मिलके इसकी सारी गरमी निकल देते है एसा कहते ही संध्या झड़ गयी अपने आपको ढीला छोड़ दिया |

फिर राहुल ने कहा- ” अमित तुम मेरी जगह आ जाओ मैं तुम्हारी जगह आता हू फिर हुँने अपनी जगह बदल ली और फिर से शुरू हुआ घमासान दो लॅंड और एक चुत के बीच का युध्द हम इसबार करीब २४-२५ मिनिट तक संध्या को पेलते रहे इतनी देर मे संध्या ३-४ बार झड़ चुकी थी फिर हम दोनो झद्ने को आए तो हम लोग संध्या के मूह पर आकर झड़ने लगे संध्या हम दोनो के लॅंड को बारी बारी चूसने लगी फिर हम दोनो को चुस्के साफ किया फिर संध्या थक गयी थी और सोने को हुई थी |

हम तीनो नंगे ही सो गये फिर रात को संध्या ने मेरा लॅंड चुसके एक बार फिर जगाया और डागी स्टाइल मे चुडवाया फिर हम सो गये अगले दिन सवेरे हम तीनो साथ नहाए और एक बार संध्या को दोनो के बीच मे लेके चुदाई की और मैं वाहा नाहके बाहर आया सभी तैयार हो गये मैने निकलने की बात ही कह दी की संध्या ने मुझे गले लगाया और मुझे चूमने लगी कहा- ”अमित बहुत मज़ा दिया तुमने ” राहुल ने भी मुझे गले लगाया और मुझे दस हज़ार देने लगा मैने लेने से मना कर ही रहा था की संध्या ने कहा अगर नही लोगे तो हम फिर तुम्हे कभी नही बुलाएँगे मैं संध्या को बार बार करने की सोच रहा था तो मुझे लेने ही पड़े और मैं अपने घर वापस आ गया |

दोस्तो, आपको मेरी कहानी कैसी लगी.. मुझे आप सबकी मेल्स का इंतज़ार रहेगा। मुझे आशा है कि पहले जैसे ही आपको मेरी ये कहानी भी पसंद आएगी और मेरे दोस्त मुझे मेल जरूर करेंगे।

आपका अपना अमित [email protected]

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बाबूजी के मोटे लंड ने मेरी सिस्कार निकाली | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/bahu-ki-chudai/babuji-ke-mote-laude-ne-meri-siskar-nikali.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/bahu-ki-chudai/babuji-ke-mote-laude-ne-meri-siskar-nikali.html#respond Mon, 22 Jan 2018 03:30:43 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=11763 हेल्लो यह कहानी मेरे ससुरजी और मेरे बिच की है मेरे पति के जाते ही मुझे चुदाई की तलब लग गयी अब क्या करूँ कोई रास्ता नहीं दिखा फिर आगे ..

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हेल्लो आप सभी को मेरी तरफ से नए साल की बधाई ये मस्ताराम डॉट नेट पर मेरी पहली कहानी है मेरी कहानी का शीर्षक बाबूजी के मोटे लंड ने मेरी सिस्कार निकाली है अब शायद आप सोच रहे होंगे ये बाबूजी कौन है तो आप ये पूरी कहानी पढ़ कर खुद ही समझ जायेंगे कौन है ये बाबूजी तो चलिए मै मै आपको अपने बारे में बता कर कहानी सुरु करती हूँ | मेरा नाम मधु है, मैं अपने मम्मी बाबूजी की अकेली संतान हूँ, इसलिए बचपन से बहुत लाड़ली रही हूँ । ज़्यादा प्यार भी बच्चों को बिगाड़ देता है और मैं भी कोई अपवाद नहीं हूँ । मम्मी बाबूजी का बेपनाह प्यार और हर बात की आज़ादी का असर यह हुआ कि मैं 10वीं क्लास में ही किसी को अपना दिल दे बैठी । नासमझ, नादान उम्र का वो भी फायदा उठा गया । जिस उम्र में बहुत सी लड़कियों को माहवारी शुरू नहीं होती, उस उम्र में मैंने अपनी वर्जिनिटी तुड़वा लिया था, वो भी उस बेवफा के लिए जो सिर्फ १ बार चोद के मुझे छोड़ गया |

यह कह कर कि तुम्हारे बदन में वो मज़ा नहीं है । मज़ा क्यों नहीं, क्योंकि उसे बड़े बड़े मम्मे और मोटी गांड चाहिए थे, मोटी मोटी जांघें चाहिए थी, मगर मैं तो छोटी सी थी, और पतली भी थी, मेरे पास सब मेरी उम्र और बदन के हिसाब से था, सो मैं जैसी थी, वैसी थी । उसने तो मुझे साफ तौर पे छोड़ दिया, उसके चले जाने के बाद मैं बहुत रोई ।

मगर एक बार जब लंड खा लिया तो फिर चैन कहाँ पड़ता है, 12th में जाते जाते मेरे तीन बॉय फ्रेंड थे और तीनों के तीनों एक नंबर के चोदू… 11वीं 12वीं बड़ी मज़े की कटी, हर हफ्ते में 2-3 बार चुदाई होनी पक्की थी, 2-3 बार अबोर्शन भी करवाना पड़ा ।

चलो किसी को पता नहीं चला । मगर कच्ची उम्र में चूत फड़वाना मुझे पूरी तरह से बिगाड़ गया, मैं सिर्फ डेट के वो 3-4 दिन ही बड़ी मुश्किल से गुजारती थी । फिर बी ए की । मगर मेरी चूत कभी लंड से खाली न रही, सारे कॉलेज में मैं मशहूर थी ।

मुझे पता था, कॉलेज के प्रोफेसर तक मुझपे लाइन मारते थे, कैंटीन बॉय, चौकीदार सब मेरे हुस्न के दीवाने थे । मुझे भी पता था, के ये ज़ालिम मर्द सिर्फ मेरे चूचे, चूतड़, चूत और चेहरे के ही दीवाने हैं, सब के सब सिर्फ मुझे चोदने तक ही मतलब रखते हैं, मेरे दिल से किसी को कोई प्यार नहीं है इसलिए मैं भी हंस बोल कर अपने काम सब से निकलवा लेती थी ।

मगर चुदाई सिर्फ अपने बॉय फ़्रेंड्स से ही करवाती थी । मगर फिर भी मेरी शौहरत बहुत दूर दूर तक फैल गई थी । इसीलिए जब घर वालों ने मेरे रिश्ते की खोज शुरू की तो लोकल रिश्ते 3-4 टूट गए ।

तो घर वालों ने बाहर का लड़का ढूंढा । रिटाइर्ड आर्मी अफसर का लड़का, न्यूयार्क में जॉब करता था, बड़े धूम धाम से शादी हुई, शादी में मेरे तीनों बॉय फ़्रेंड्स भी आए हुये थे । आप यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | दुल्हन का लिबास पहने मैं भी सोच रही थी कि ये कमीने भी सोच रहे होंगे कि साली कैसे सती सावित्री बनी बैठी है और जब हमारी माशूक थी तो कैसे उछल उछल कर चुदवाती थी ।

खैर शादी हुई, सुहागरात भी हुई, जानबूझ कर मैंने बहुत दर्द होने का नाटक किया, बहुत रोई, जैसे मेरा तो रेप ही हो गया हो । घर वाला पूरा खुश कि बड़ी सीलबंद चीज़ मिली ।

शादी के बाद हनीमून पर गए, वहाँ पर भी बस चुदाई ही चुदाई चली, दिन रात जब भी मौका मिलता, अनिकेत ने मुझे खूब पेला मगर कुछ बातें मुझे ठीक नहीं लगी पहली यह कि अनिकेत का लंड छोटा था, सिर्फ 4 या साढ़े 4 इंच का, जबकि शादी से पहले तो मैं 6-7 इंच के लंड ले चुकी थी ।
दूसरी वो बहुत जल्दी झड़ जाता था, मुश्किल 5-7 मिनट ही लगाता था, जबकि मुझे तो यह आदत थी कि जितनी मर्ज़ी देर पेलो ।

और मेरे बॉय फ़्रेंड्स भी आधा आधा घंटा अपने पत्थर जैसे सख्त लंड मेरी चूत में डाले रहते थे । मगर फिर भी मैंने अनिकेत को हौंसला दिया और उसे धीरे धीरे अपना समय बढ़ाने के लिए कहा । वो भी धीरे धीरे टाइम बढ़ाता जा रहा था, अब तो वो भी 10-12 मिनट तक चुदाई करता था ।

मैं इसमें भी खुश थी कि चलो अब तो इसके साथ ही रहना है, अब कोई और पंगा नहीं लेना किसी के साथ, सिर्फ और सिर्फ अपने पति के साथ ही अपनी ज़िंदगी गुज़ारूंगी । मगर मेरी खुशी ज़्यादा दिनों की नहीं थी, अनिकेत को वापिस न्यूयार्क जाना था, 2 महीने की छुट्टी पे आए थे ।
फिर मेरे न्यूयार्क जाने के कागज पत्र तैयार करने में कई दिन बीत गए और फिर एक दिन अनिकेत जहाज़ चढ़ कर न्यूयार्क चले गए, मैं अकेली रह गई । पहले तो बहुत रोई, कितने दिन रोती ही रही ।

घर में मैं और मेरे ससुर सिर्फ दो ही जन थे, अनिकेत की बड़ी बहन भी कुछ दिन बाद वापिस लौट गई थी । इतना बड़ा घर बिल्कुल खाली | मगर मैंने खुद को धीरे धीरे संभाला, अपना ध्यान घर के काम पे लगाया, काम वाली आकर सब काम कर जाती थी, मेरे लिए खाली समय काटना बहुत मुश्किल हो जाता । इस कहानी का शीर्षक बाबूजी के मोटे लंड ने मेरी सिस्कार निकाली है |

मायका भी नजदीक नहीं था, हालांकि फोन पे बात होती रहती थी । पिताजी भी ज़्यादातर अपने रूम में या, अपने दोस्तों के साथ घूमने फिरने में रहते थे । मुझे भी कहा था कि आस पास पड़ोस में सहेलियाँ बना लो, मगर मुझे सहेलियों से जायदा दोस्त पसंद थे, इसलिए किसी के साथ मैं ज़्यादा घुल मिल नहीं सकी ।

सारा दिन घर में बोर होते रहो, टीवी भी कितना देख लोगे । ऐसे ही एक दिन दोपहर को मैं खिड़की के पास खड़ी थी, बाहर देख रही थी, तभी मेरी निगाह पड़ोस वाले घर में गई, मुझे लगा वहाँ कुछ हो रहा है ।

थोड़ा ध्यान से देखा तो थोड़ी देर बाद एक मर्द बिलकुल नंगा खड़ा, ये लंबा मोटा लंड, और तभी एक औरत आई, पड़ोसी की बहू थी, उसने वो लंड पकड़ा और अपने मुंह में लेकर चूसने लगी । 2 मिनट बाद वो शायद बेड पे लेट गए, मुझे नहीं दिख रहे थे, मैं कितनी देर वहीं खड़ी उनका इंतज़ार करती रही कि शायद फिर मुझे दिखे मगर आधा घंटा बीत जाने के बाद भी वो नहीं दिखे ।

मैं वापिस आ कर बेड पे लेट गई, मेरे दिमाग में रह रह कर उस मर्द का वो शानदार लंड घूम रहा था, मेरा दिल कर रहा था कि उठ कर उसके घर जाऊँ, घंटी बजाऊँ, जब वो बाहर आए तो उससे पूछूँ- क्या मैं आपका लंड ले सकती हूँ?

मगर यह तो संभव ही नहीं था । मेरे मन की बेचैनी बढ़ती जा रही थी, मैं उठ कर ड्रेसिंग टेबल के सामने जा बैठी, पहले अपने चेहरे पे पूरा मेकअप किया, उसके बाद साड़ी उतारी । शीशे में खुद को ब्लाउज़ और पेटीकोट में देखा… कितना शानदार फिगर है मेरा, गोल उठे हुये मम्मे, सपाट पेट, मोटे गोल चूतड़, भरी हुई चिकनी जांघें, गोरा रंग, सुंदर चेहरा… हर चीज़ मेरी बहुत सुंदर, फिर भी मैं प्यासी क्यों?

मैंने एक एक करके अपने ब्लाउज़ के हुक खोले और ब्लाउज़ उतार दिया, फिर पेटीकोट की हुक खोल कर उसे भी गिरा दिया ।

गोरे बदन पर पिंक ब्रा पेंटी कितनी जंच रही थी । कितनी सेक्सी हूँ मैं… मैंने सोचा । फिर मैंने अपना ब्रा और पेंटी भी उतार दिया, गोरा चिकना सुडौल बदन… किसी मर्द का लंड अकड़ जाए इसे देख कर, फिर मेरे पास लंड क्यों नहीं, मैं लंड के लिए भूखी क्यों हूँ ।

क्या इस खूबसूरत बदन के साथ मुझे किसी चीज़ की कमी है, नहीं । मगर दूसरे ही पल मन में ख्याल आया कि नहीं, सिर्फ अपना पति और कोई नहीं | यही सोच कर मैं बेड पर लेट गई और अपने हाथ से अपनी चूत सहलाने लगी । कितनी देर तड़पती रही और मसलती रही और आखिर मेरा पानी छूट गया । स्खलित होकर भी मैं कितनी देर बेड पे नंगी ही लेटी रही ।

बाबूजी के मोटे लंड ने मेरी सिस्कार निकाली

उस रात को भी मैंने हाथ से किया मगर हाथ से करने से भी मुझे मज़ा नहीं आ रहा था, स्खलित हो जाती थी, मगर संतुष्ट नहीं हो पाती थी ।

फिर मैंने ऐसे चीज़ें ढूंढनी शुरू की जो लंड तरह अपनी चूत में ले सकती थी जैसे खीरा, मूली, गाजर, बेलन, बैंगन, पेन, डंडा और न जाने क्या क्या ।
लंड की कमी तो पूरी हो गई, मगर जो चूमने चाटने की तमन्ना थी, वो कहाँ से पूरी करती?

दिन ब दिन मेरी प्यास बढ़ती ही जा रही थी । ऐसे में ही एक दिन एक अजीब वाकया हुआ, मैं शाम को पिताजी को चाय देने गई, घर का माहौल शुरू से ही खुला था, तो घर में जीन्स टी शर्ट, पेंट, कैप्री आदि पहनने की कोई दिक्कत नहीं थी ।

मेरे जो जीन्स के साथ टी शर्ट पहनी थी, उसका गला थोड़ा गहरा था । मगर मैं तो अपने ही कमरे में रहती थी, पिताजी मेरे कमरे में आते नहीं थे, सो अगर नंगी भी रहती तो कोई डर नहीं था । मगर जब मैं पिताजी के रूम में गई तो उस वक़्त पिताजी सो रहे थे । मैंने देखा, पाजामे में से उनका तना हुआ लंड ऊपर उठा हुआ था । मैंने अंदाज़ा लगाया, कम से कम 7 या 8 इंच का तो होगा ही और मोटा भी लग रहा था ।

यह विचार मन में आते ही चूत में एक बार खुजली सी हुई, फिर सोचा- हट पागल, ये तो ससुरजी हैं, इनके साथ कैसे?

मैंने चाय रखी तो पिताजी की आँख खुल गई और जब मैं झुकी हुई थी तो उनकी नज़र सीधे मेरी टी शर्ट के गले के अंदर, मेरे मम्मों पर पड़ी ।

सिर्फ 2 सेकंड के लिए गौर से देख कर उन्होंने अपनी निगाह हटा ली, मैं भी वापिस आ गई । जब सेक्स की इच्छा हो तो सपने भी सेक्स की ही आते हैं, उसी रात मुझे सपना आया कि मैं पिताजी का लंड चूस रही हूँ । मेरी नींद खुल गई । मैंने हाथ लगा कर देखा, मेरी चूत पानी से लबालब हो रही थी । आप यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | मैं उठी, अपने सारे कपड़े उतारे, बिल्कुल नंगी होकर मैं पिताजी के कमरे के बाहर जा खड़ी हुई । उनके कमरे का दरवाजा खुला था, मैंने देखा वो अंदर सो रहे थे ।

मैंने दरवाजे के पास से अपना थोड़ा सा सर आगे किया और उनको देख कर अपनी चूत में उंगली करने लगी । मगर जब मेरा जोश बढ़ा तो मैं धीरे धीरे पूरी तरह से उनके दरवाजे के सामने ही जाकर खड़ी हो गई और अपनी चूत में उंगली करने लगी ।

बड़ी मुश्किल से मैंने अपनी आवाज़ को दबा कर रखा और वहीं खड़े खड़े हाथ से करते करते स्खलित हो गई । मेरा बहुत मन था कि पिताजी उठ कर आते और मुझे पकड़ लें, और मैं उनका लंड चूस लूँ, और वो मुझे दबा कर पेलें ।

मगर ऐसे कुछ नहीं हुआ | अगली रात मैं फिर उनके कमरे के सामने थी, आज मेरे पास एक बैंगन था, जिसे मैं पिताजी का लंड समझ कर अपनी चूत में ले रही थी, आज मैं थोड़ी और दिलेर हो गई, आज तो मैं उनके कमरे के अंदर चली गई, नीचे कार्पेट पर लेटी, मैं अपनी चूत में बैंगन फेर रही थी कि तभी अचानक बत्ती जल गई । मैंने चौंक कर सामने देखा, पिताजी बेड पर अधलेटे से लाइट जला कर मेरी तरफ देख रहे थे । मैं तो उठ कर भागी, वो बैंगन भी वहीं छोड़ आई ।

सच में बहुत शर्म आई मुझे, यह मैंने क्या कर दिया? पिताजी क्या सोचेंगे मेरे बारे में?

अगले दिन शर्म के मारे मैं पिताजी के सामने ही नहीं जा पा रही थी । उनकी चाय, नाश्ता मैंने काम वाली के हाथ ही भिजवा दिया । मगर दोपहर खाना तो मुझे ही खिलाना था । इस कहानी का शीर्षक बाबूजी के मोटे लंड ने मेरी सिस्कार निकाली है | जब मैंने उन्हें खाना परोसा तो वो बोले- बेटा, मैंने अनिकेत से बात की है, वो जल्द ही तुम्हें ले जाएगा, तब तक थोड़ा सब्र रखो । उनकी इस छोटी सी बात में ही बहुत कुछ था ।

मगर चूत में लगी आग कहाँ बुझती है, रात को मैं फिर बिलकुल नंगी हो कर ड्राइंग रूम में चली गई और सोफ़े पर बैठी, अपनी चूत में मूली ले रही थी । अब ड्राइंग रूम पिताजी के रूम से थोड़ा दूर था, तो मेरे मुंह से हल्की हल्की आवाज़ें, सिसकारियाँ भी निकल रही थी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ मगर तभी ड्राइंग रूम की लाइट जल उठी, देखा सामने पिताजी खड़े थे- बेटा, ये क्या कर रही हो तुम, क्या इतनी बेबस हो चुकी हो?
मैं तो टूट ही पड़ी, नीचे फर्श पर ही गिर पड़ी, रो दी मैं… फूट फूट कर रोई- मुझसे नहीं होता बाबूजी, मैंने बहुत कोशिश की, मुझसे नहीं होता, मैं मर जाऊँगी । कह कर मैं रो पड़ी ।

पिताजी मेरे पास आए, उन्होंने बड़े प्यार से मेरे बदन पे एक शाल दी, मैं उनके कंधे से लग कर रो रही थी, और वो मुझे सांत्वना दे रहे थे- कोई बात नहीं मेरा बच्चा, कभी कभी हो जाता है जब इंसान अपनी भावनाओं पर काबू नहीं रख पाता, तुम घबराओ मत, मैं हूँ न, सब ठीक हो जाएगा ।

उन्होंने तो मुझे ढांडस बंधवाया, मगर मुझे लगा शायद वो कुछ और समझाना चाहते हैं मुझे | पता नहीं क्या आया मेरे मन में, मैंने पाजामे के ऊपर से उनका लंड पकड़ लिया और बोली- बाबूजी मुझे ये चाहिए । वो तो एकदम से चौंक गए- मधु बेटा, ये क्या किया तुमने ?

मैंने भी उनकी बात पर ध्यान नहीं दिया और काम में अंधी होकर मैंने बाबूजी के पाजामे का नाड़ा खींच दिया, इससे पहले वो संभलते, उनका काला, मोटा और लंबा लंड मेरे सामने था । पाजामे के नीचे उन्होने चड्डी पहनी ही नहीं थी ।

वो बुत बन कर खड़े रहे और मैं फर्श पर ही बैठ गई, उनके लंड को हाथ में पकड़ा और सीधा अपने मुंह में ले लिया- आह, क्या जाना पहचाना स्वाद आया मुंह में | बाबूजी ने पीछे हट कर अपना लंड मेरे मुंह से निकालने की कोशिश की मगर मैंने तो मजबूती से अपने हाथ में पकड़ रखा था । ज़ोर से पकड़ कर ज़ोर से चूसा और देखो कैप्टन साहब का लंड उठ खड़ा हुआ ।

मैंने अपनी शाल उतार फेंकी और ससुरजी को धकेलते हुये सोफ़े पे ले गई, उन्हें सोफ़े पे गिरा के अपना मुंह उनकी गोद में घुसा दिया और उनका लंड चूसने लगी ।

उन्होंने भी मेरे सर को पकड़ लिया, मैंने अब हाथ से उनका लंड छोड़ दिया, सिर्फ मुंह से ही चूस रही थी, अपने दोनों हाथों से मैंने उनकी कमीज़ के सारे बटन खोल दिये, बालों से भरे सीने पर अपने हाथ फिराये, उनके चूचुक अपनी उंगलियों से मसले, उनके मुंह से भी ‘आह… उफ़्फ़… इस्स…’ जैसी बहुत से भावनात्मक आवाज़ें निकली ।

मतलब वो भी पूरे गर्म हो चुके थे, लंड तो वैसे ही तन कर अपना पूरा आकार ले चुका था, कोई 7 इंच का होगा, मोटा मूसल… मैं उठ कर उनकी गोद में बैठ गई, उनका लंड अपनी चूत पे सेट किया और थोड़ा सा अंदर लिया ।

उन्होंने अपनी कमीज़ उतार फेंकी और मुझे उसी हालत में अपनी गोद में उठा लिया- रुक साली मादरचोद, बहुत आग लगी है तेरी चूत में अभी बुझाता हूँ ।

कह कर उन्होंने मुझे नीचे कालीन पर ही लेटा दिया और एक ही धक्के में अपना पूरा लंड मेरी चूत में उतार दिया । ‘आह…’ एक लंबी आह निकली मेरे मुंह से, वो थोड़ा पीछे को हटे और फिर एक और जोरदार धक्के से उन्होंने अपना पूरा लंड फिर से मेरी चूत की आखरी दीवार से टकराया ।
‘कम ऑन बाबूजी, फक मी… फक यूअर डोटर! मैंने भी कहा ।

बाबूजी ने मेरे दोनों बूब्स पकड़े और नींबू की तरह निचोड़ दिये, मेरे मुंह से दर्द से हल्की चीख निकल गई- आह बाबूजी… धीरे, दर्द होता है । वो बोले- अब धीरे नहीं, तूने सोये हुये शेर को जगा दिया है, आज तो तेरी मम्मी न चोद दी, तो कहना | और उसके बाद बाबूजी ने अपनी जवानी का पूरा जोश दिखाया, मैं तो सोच सोच कि हैरान थी कि 60 साल में बाबूजी में इतना जोश, इतनी जान?

कितनी देर वो मुझे नीचे लेटाए चोदते रहे, फिर बोले- चल घोड़ी बन | मैं झट से उठ कर घोड़ी बन गई, फिर उन्होंने मेरे पीछे से मेरी चूत में लंड डाल दिया और लगे पेलने | मैंने कहा- बाबूजी, मज़ा आ गया, इतना मज़ा तो मुझे अनिकेत ने नहीं दिया, आप सच में उसके भी बाबूजी हो ।

वो बोले- अरे तेरी आँख तो मैं पहले ही पहचान गया था, मगर मैंने यह नहीं सोचा था कि तू पके आम की तरह मेरी झोली में गिरेगी । मैं वैसे तेरी मम्मी पर फिदा हूँ, वो भी बहुत सुंदर औरत है, मगर तू तो बहुत ही बेसबरी निकली । आप यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |  एक महीना भी मुश्किल से काट पाई ।

मैंने भी अपनी कमर आगे पीछे हिलाते हुये कहा- बाबूजी, एक महीना नहीं, एक दिन नहीं काट पाई, मैं तो जिस दिन अनिकेत गए थे, उस दिन भी हाथ से किया था, और रोज़ रात को हाथ करती थी । बाबूजी बोले- अब तुझे हाथ से करने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी, अब जब भी ज़रूरत हो मेरे पास आ जाया कर | और वो लगे पेलने…

पेलते पेलते मुझे वैसे ही लेटा दिया और मेरे ऊपर लेट कर पीछे से मेरी चूत मार रहे थे और मेरे दोनों बूब्स अपने हाथों में पकड़ के दबा रहे थे ।
थोड़ी देर बाद मैंने कहा- बाबूजी मेरा होने वाला है, मुझे सीधा होने दो ।

बाबूजी पीछे हटे, मैं सीधी हो कर लेटी और बाबूजी फिर से मेरे ऊपर आ गए, मैंने अपने ससुर को अपने पति की तरह बाहों में भर लिया और अपनी टाँगें उनकी कमर पर लपेट ली, और चिपक गई उनके साथ | वो धाड़ धाड़ मेरे घस्से मार रहे थे, मैं नीचे से उचक रही थी, जब मैं स्खलित हुई तो मैंने बाबूजी के होंठो से अपने होंठ लगा दिये- बाबूजी मेरे बूब्स दबाओ! और ज़ोर से दबाओ… और मेरे होंठ चूस लो, मेरी जीभ खा लो, और ज़ोर से चोदो, आह मारो, और मारो |

कहते कहते मैं झड़ गई और बाबूजी से ऐसे चिपक गई जैसे गोंद लगा कर चिपका दिया हो किसी ने | जब मैं शांत हुई तो आराम से लेट गई, अब बाबूजी की बारी थी, मगर वो तो झड़ने का नाम ही नहीं ले रहे थे । मैंने बाबूजी के सीने पर हाथ फेर कर कहा- बाबूजी आप तो बहुत जवान मर्द हो, आपका तो हो ही नहीं रहा?

वो बोले- अरे बेटा, देसी जड़ी बूटी खाता हूँ, इतनी जल्दी पानी नहीं गिरने दूँगा । मैंने कहा- तो कोई बात नहीं जितनी देर आप कर सकते हो कर लो, मैं सारी रात ये कर सकती हूँ । वो बोले- और मैं सारी रात ये कर सकता हूँ ।

उसके बाद अगले 15 मिनट मेरी और जोरदार चुदाई हुई, और तब जा कर मेरे ससुरजी का माल झड़ा । कोई आधे घंटे से भी ज़्यादा उन्होंने मुझे चोदा… चूत की वो तसल्ली हुई, जिसे मैं कब से ढूंढ रही थी, उनके वीर्य से मेरी चूत भर गई ।

मैं निश्चिंत, संतुष्ट लेटी ऊपर छत को देख रही थी और वैसे लेटी ही सो गई । करीब सुबह चार बजे मुझे लगा फिर से जैसे ससुर जी ने मुझे सीधा किया, और फिर से चोदा मैंने तो आँखें खोल कर भी नहीं देखा । इस बार तो शायद 40-50 मिनट लगा दिये उन्होंने!

फिर मुझे गोद में उठा कर मेरे बेड पर लेटा गए । इस कहानी का शीर्षक बाबूजी के मोटे लंड ने मेरी सिस्कार निकाली है | सुबह जब 9 बजे के भी बाद मैं उठी, मेरे नाइट ड्रेस पहनी हुई थी । मैं उठ कर बाथरूम में गई, नहाते हुये शीशे में देखा, मेरे दोनों बूब्स पर यहाँ वहाँ उँगलियों के दांत काटने के निशान थे । कमर और पेट पर भी!

ससुर जी अपने रूम में थे, काम वाली ने चाय बना दी थी, मैं तैयार हो कर चाय लेकर खुद ससुर जी के कमरे में गई मगर उन्होंने ऐसे दिखाया जैसे कुछ हुआ ही नहीं । अगले महीने अनिकेत वापिस आ रहे हैं, मुझे हमेशा के लिए अपने साथ न्यूयार्क ले जाने!

अब मैं सोच रही हूँ कि जाऊँ या न जाऊँ? अरे सच एक बात और… आई एम प्रेग्नेंट । इसमें कोई शक नहीं कि यह बच्चा बाबूजी की ही है, मगर क्या अनिकेत इसे कबूल करेंगे। अब मुझे आपके जवाब का इन्तेजार है | आप ही मुझे कुछ राय दे की मै क्या करूँ |

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जवानी में मिला बुजुर्ग का लंड बड़ा मजेदार | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/chudai-ki-kahani/jawani-me-mila-bujurg-ka-lund-bada-majedar.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/chudai-ki-kahani/jawani-me-mila-bujurg-ka-lund-bada-majedar.html#respond Sat, 23 Dec 2017 05:50:31 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=11467 जवानी में मिला बुजुर्ग का लंड बड़ा मजेदार, अनुभवी बलदेव को यह समझने में देर न लगी कि लोहा गर्म है और हथोडा मारने का समय आ गया है वह गुड़िया को पलंग पर ले गया। उसे पलंग पर चित्त लिटा कर वह बोला रानी जरा टांगें चौड़ी कर गुड़िया अब पूरी तरह गर्म हो चुकी थी उसने बेहिचक अपनी टांगें फैला दीं बलदेव उसकी जांघों के बीच बैठ गया और उसने उसकी टांगें अपने कन्धों पर रख लीं वह उसकी चूत को अपने लंड के सुपाड़े से सहलाने लगा गुड़िया उत्तेजना से कसमसा उठी

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गुड़िया ने हमेशा मेहनत से काम किया पर गरीबी हमेशा छाई रही, फिर वो एक ज़ालिम ठेकेदार के सामने झुक गयी और अपने परिवार की खुशियों के लिए सौदा कर लिया.. मेहनत करते गुड़िया कभी थकती नही थी। यह तो उसका रोज का काम था। बस सड़क की सफाई करते-करते वह ऊब गई थी। अब वह किसी बड़े काम की तलाश में थी जहां वह ज्यादा पैसा कमा सके। कमाई कुछ बढे तो उसके लिए अपने निठल्ले पति का पेट भरना और उसकी दारू का इंतजाम करना थोडा आसान हो जायेगा।

शहर से कुछ दूर एक बहुमंजिला अस्पताल का निर्माण हो रहा था। गुड़िया की नजर बहुत दिनों से वहां के काम पर थी। वहां अगर काम मिल जाए तो मजे ही मजे! एक बार काम से छुट्टी होने पर वह वहां पहुन्ची भी थी लेकिन बात नही बनी क्योंकि फिलहाल वहां किसी मरद की जरूरत थी। उस दिन देर से घर पहुंची तो प्रतिक्षारत डबलू ने पूछ लिया, ‘‘इतनी देर कहां लगा दी?’’

गुड़िया एक नजर पति के चेहरे पर डालते हुए बोली, ‘‘अस्पताल गई थी।’’
‘‘काहे, बच्चा लेने?’’ खोखली हंसी हंसते डबलू ने पूछा।
‘‘और का… अब तू तो बच्चा दे नही सकता, वहीं से लाना पड़ेगा।’’ गुड़िया ने भी मुस्कराते हुए उसी अंदाज में उत्तर दिया।
‘‘बड़ी बेशरम हो गई है री….’’ डबलू ने खिलखिलाते हुए कहा।
‘‘चल काम की बात कर….’’
‘‘कब से तेरा रास्ता देखते आंखें पथरा गई। हलक सूखा जा रहा है। भगवान कसम, थोड़ा तर कर लूं। ला, दे कुछ पैसे…. ’’ डबलू बोला।

गुड़िया ने बिना किसी हील-हुज्जत के अपनी गांठ खोल बीस रुपए का मुड़ा-तुड़ा नोट उसकी ओर बढाते हुए कहा, ‘‘ले, मर….’’

खींस निपोरते हुए डबलू नोट लेकर वहां से चला गया। रात गए वह लौटा तो हमेशा की तरह नशे में धुत था। गुड़िया मन मसोस कर रह गई और चुपचाप थाली परोस कर उसके सामने रख दी। खाना खाते-खाते डबलू ने एक बार फिर पूछा, ‘‘सच्ची बता री, तू अस्पताल काहे गई थी?’’

गुड़िया उसकी बेचैनी पर मुस्कराते हुए बोली, ‘‘क्यों? पेट पिराने लगा? अरे मुए, मैं वहां काम के जुगाड़ में गई थी। सुना है वहां जादा मजदूरी मिले है…. तीन सौ रुपए रोज।’’

‘‘तीन सौ?’’ डबलू की बांछें खिल गई।
‘‘बोल, करेगा तू काम? तेरे लिए वहां जगह है।’’ गुड़िया ने पूछा।

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डबलू खिलखिला पड़ा, ‘‘मैं और काम…. काहे? तू मुझे खिला नही सकती क्या?’’
‘‘अब तक कौन खिला रहा था, तेरा बाप?’’ गुड़िया ने पलट कर पूछ लिया।

‘‘देख गुड़िया, सच बात तो यो है कि मेरे से काम न होए। तू तो जानत है हमार हाथ-पैर पिरात रहत हैं।’’

‘‘रात को हमरे साथ सोवत समय नाही पिरात? तेरे को बस एक ही काम आवे है और वह भी आधा-अधूरा…. नामर्द कहीं का!’’ गुड़िया उलाहना देते हुए बोली। डबलू पर इसका कोई असर नही हुआ। वह जानता था कि वह गुड़िया को खुश नहीं कर पाता था।

‘‘ठीक है तू मत जा, मैं चली जाऊं वहां काम पर?’’ गुड़िया ने पूछा।
नशे में भी डबलू जैसे चिंता में पड़ गया, ‘‘ठेकेदार कौन है वहां?’’
‘‘बलदेव…. ’’

‘‘अरे वो…. वो तो बड़ा कमीना है।’’ डबलू बिफर पड़ा।
‘‘तू कैसे जाने?’’

‘‘मैंने सुना है।’’ डबलू ने बताया।

‘‘मुझे तो बड़ा देवता सा लागे है वो…. ’’ गुड़िया ने प्रशंसा की।
‘‘हुंह, शैतान की खोपड़ी है वो… ठेकेदार का बच्चा!’’ डबलू गुस्से में बहका।

‘‘फिर ना जाऊं?’’ गुड़िया ने पूछा।

डबलू सोच में पड़ गया। उसकी आँखों के सामने सौ-सौ के हरे नोट लहराने लगे और साथ ही दारू की रंग-बिरंगी बोतलें भी घूमने लगी। इसलिए उसने अनुमति के साथ चेतावनी भी दे डाली, ‘‘ठीक है चली जा, पर संभल कर रहियो वहां। बड़ा बेढब आदमी है बलदेव।’’

एक दिन समय निकाल कर और हिम्मत जुटा कर गुड़िया फिर ठेकेदार बलदेव के पास पहुंच गई। इस बार वह निर्माण-स्थल के बजाय उसके दफ्तर गई थी।

‘‘क्या बात है?’’ बलदेव ने पूछा।

‘‘काम चाहिए, और का?’’ गुड़िया मुस्कराते हुए बोली।

‘‘तेरे लिए यहां काम कहां है? मेरे को चौकीदारी के लिए मरद चाहिए…. अब तुझे चौकीदार रखूंगा तो मुझे तेरी चौकीदारी करनी पड़ेगी।’’ बलदेव भोंडी हंसी हँसता हुआ बोला। उसकी ललचाई नजरें गुड़िया के जिस्म के लुभावने उभारों पर फिसल रही थीं।

‘‘मेरा मरद तो काम करना ही न चाहे।’’ गुड़िया ने बताया।

‘‘तो मैं क्या करूं?’’ बलदेव लापरवाही से बोला।

गुड़िया निराश नही हुई। उसे वहां काम करने वाली मजदूरनी की नसीहत याद आ गई। गुड़िया ने वही पैतरा अपनाया, ‘‘बाबूजी, हमारा आपके सिवा कौन है! आप नौकरी नही देंगे तो हम भूखों मर जाएगें।’’

‘‘देख भई, इस दुनिया में सभी भूखे हैं। तू भूखी है तो मैं भी भूखा हूं। अगर तू मेरी भूख मिटा दे तो मैं तेरी और तेरे परिवार की भूख मिटा दूंगा।’’ बलदेव ने सीधा प्रस्ताव किया। गुड़िया सोच में पड़ गई।

‘‘सोचती क्या है…. काम यहां करना, हाजिरी वहां लग जाया करेगी।’’

‘‘अपने मरद से पूछ कर बताऊंगी।’’ गुड़िया ने कहा।

‘‘अरे उस डबलू के बच्चे को मैं तैयार कर लूंगा।’’ बलदेव ने विश्वासपूर्वक कहा।

अगले दिन ठेकेदार बलदेव ने बढ़िया देसी शराब की चार बोतलें डबलू के पास भेज दी। इतनी सारी बोतलें एक साथ देख डबलू निहाल हो गया। उसने सपने में भी नही सोचा था कि वह एक साथ इतनी सारी बोतलें पा जाएगा। बलदेव तो सचमुच ही देवता आदमी निकला। उसने गुड़िया को बलदेव के यहां काम करने की इजाज़त दे दी।

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अगले दिन गुड़िया बलदेव के दफ्तर पंहुच गयी। वहाँ कोई खास काम तो था नहीं। बस सफाई करना, पानी लाना, चाय बनाना इस तरह के काम थे। एक घंटे बाद बलदेव साईट पर चला गया। गुड़िया को कह गया कि वह एक बजे खाना खाने आएगा। खाना भी गुड़िया को ही बनाना था। गुड़िया सोच रही थी कि इस तरह के काम के बदले तीन सौ रुपये रोज मिल जाएँ तो उसकी तो मौज हो जायेगी … और साथ में डबलू की भी। पर साथ में उसे शंका भी थी। वह जानती थी कि बलदेव उसे ऐसे ही नहीं छोड़ेगा। फिर उसने सोचा कि ओखली में सर दे दिया है तो अब मूसल से क्या डरना।

बलदेव एक बजे वापस आ गया। गुड़िया ने उसे खाना खिलाया। फिर उसने अपनी खाने की पोटली खोली तो बलदेव ने कहा, “अरे, तू अपने लिए खाना ले कर आई है! कल से यह नहीं चलेगा। तू यहां मेरे साथ-साथ अपने लिए भी खाना बना लिया कर।”

गुड़िया ने खाना खा कर बर्तन साफ़ करने जा रही थी तो बलदेव ने उससे कहा, “अब मेरे आराम करने का वक़्त हो गया है।”

वह दफ्तर के पीछे के कमरे में चला गया। गुड़िया पहले ही देख चुकी थी कि दफ्तर के पीछे एक कमरा बना हुआ था जिसका एक दरवाजा दफ्तर में खुलता था और एक पीछे बाहर की तरफ। उससे लगा हुआ एक बाथरूम भी था। उस कमरे में एक पलंग, एक मेज और दो कुर्सियाँ रखी हुई थीं। थोड़ी देर में गुड़िया को बलदेव के खर्राटों की आवाज सुनाई देने लगी।

अब गुड़िया के पास कोई काम नहीं था। वह खाली बैठी सोच रही थी कि उसे आज के पैसे आज ही मिल जायेंगे या हफ्ता पूरा होने पर सात दिन के पैसे एक साथ मिलेंगे। उसने सोचा कि कम से कम एक दिन के पैसे तो उसे आज ही मांग लेने चाहियें।

कोई एक घंटे बाद उसे पास के कमरे से कुछ आवाजें सुनाई दीं, चलने-फिरने की, बाथरूम का किवाड़ बंद होने और खुलने की। फिर उसने बलदेव की आवाज सुनी। वह उसे अन्दर बुला रहा था। वह कमरे में गयी तो बलदेव ने उसे कहा, “तू बाहर जा कर दफ्तर के ताला लगा दे और फिर पीछे के दरवाजे से इस कमरे में आ जा।”

वह ताला लगा कर पीछे से कमरे में आई तो उसने देखा कि बलदेव सिर्फ़ कच्छे और बनियान में एक कुर्सी पर बैठा था। उसने लम्पट दृष्टि से गुड़िया को देखते हुए कहा, “अब असली ‘काम’ करते हैं। दरवाजा बंद कर दे। किसी को पता नहीं चलेगा कि अन्दर कोई है।”

गुड़िया को पता था कि उसे देर-सबेर यह ‘काम’ करना ही पड़ेगा पर फिर भी दरवाजा बंद करते वक़्त वह घबरा रही थी। उसने डबलू के अलावा और किसी के साथ यह नहीं किया था और डबलू नामर्द न सही पर पूरा मर्द भी नहीं था। बलदेव ने उसे अपने पास बुला कर कपडे उतारने के लिए कहा। उसने झिझकते हुए अपनी ओढनी और चोली उतार कर मेज पर रख दी और सर झुका कर खड़ी हो गई। बलदेव ने अपने होंठों पर जीभ फेरते हुए कहा, “बाकी भी तो उतार।”

गुड़िया ने अचरज से पूछा, “बाकी काहे?”

“इसमें पूछने की क्या बात है? अपने खसम के आगे नहीं उतारती क्या?”
“नहीं।”

“तो क्या करता है वो?”
गुड़िया सर झुकाए चुपचाप खड़ी रही। बलदेव ने कहा, “बता ना, कुछ करता भी है या फिर छक्का है?”

“जी, वो अंगिया के ऊपर से हाथ फेर लेते हैं।”

“और? … और क्या करता है?”

“जी, लहंगा उठा कर अपना काम कर लेते है।”

‘और चूसता नहीं है?”

“क्या?”

“तेरी चून्चियां, और क्या?”

गुड़िया फिर चुप हो गई। उसे एक गैर मर्द के सामने ऐसी बातें करने में शर्म आ रही थी। लेकिन बलदेव को उसकी झिझक देख कर मज़ा आ रहा था। उसने फिर पूछा, “अरी, बता ना!”
“जी, उन्हें ये अच्छा नहीं लगता।”
“लो और सुनो! उसे ये अच्छा नहीं लगता! पूरा नालायक है साला! … खैर तू कपडे उतार। मैं चूसूंगा भी और चुसवाऊंगा भी!”

गुड़िया को उसकी बात पूरी तरह समझ में नहीं आई। उसे शर्म भी आ रही थी। किसी तरह हिम्मत कर के उसने अपने बाकी कपडे उतारे। उसे पूरी तरह नंगी देख कर बलदेव की तबीयत फड़कने लगी पर उसने कहा, “यह क्या जंगल उगा रखा है! कभी झांटें साफ़ नहीं करती?”
यह सुन कर तो गुड़िया शर्म से पानी-पानी हो गई। उसे कोई जवाब नहीं सूझ रहा था। पर बलदेव ने उसकी मुश्किल आसान करते हुआ कहा, “कोई बात नहीं। मैं कल तुझे शेविंग का सामान ला दूंगा। या तू कहेगी तो मैं ही तेरी झांटें साफ़ कर दूंगा।… अब आ जा यहां।”

गुड़िया लजाते हुए उसके पास पहुंची तो बलदेव ने उसे अपनी गोद में बिठा लिया। उसने उसकी गर्दन को चूमना शुरू किया और धीरे-धीरे उसके होंठ पहले गुड़िया के कान और फिर गालों से होते हुए उसके होंठों तक पहुँच गए। उसके हाथ गुड़िया की नंगी पीठ पर घूम रहे थे। होंठों को चूसते-चूसते उसने उसके स्तन को अपने हाथ में भर लिया और उसे हल्के-हल्के दबाने लगा। उसने अपनी जीभ उसकी जीभ से लड़ाई तो गुड़िया भी अपने आप को रोक नहीं पाई। उसने बेमन से खुद को बलदेव के हवाले किया था पर अब वह भी उत्तेजित होने लगी थी। उसने भी अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी और मुँह के अंदर उसे घुमाने लगी।

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अब बलदेव को लगा कि गुड़िया उसके काबू में आ गई है। उसने उसे अपने सामने फर्श पर बैठाया। अपना कच्छा उतार कर उसे बोला, “चल, अब इसे मुँह में ले!”

गुड़िया ने हैरत से कहा, “यह क्या कह रहे हैं आप!”

बलदेव बोला, “अरे, चूसने के लिए ही तो कह रहा हूं। अब यह मत कहना कि डबलू ने तुझ से लंड भी नहीं चुसवाया।”

जमुना ने सोचा, “ये कहाँ फंस गई मैं! डबलू ठीक ही कह रहा था। यह बलदेव तो वास्तव में कमीना है।” प्रत्यक्षत: उसने रुआंसी आवाज में कहा, “मैं सच कह रही हूं। उन्होंने कभी नहीं चुसवाया।”

बलदेव यह जान कर खुश हो गया कि उसे एक कुंवारा मुंह मिल रहा है। वह बोला, “मैं डबलू नहीं, ठेकेदार बलदेव हूं। चूत से पहले लंड हमेशा मुंह में देता हूं। चल, मुंह खोल।”

गुड़िया को यह बहुत गन्दा लग रहा था। डबलू अधूरा मर्द ही सही पर उससे ऐसा काम तो नहीं करवाता था। यहाँ उसके पास और कोई चारा नहीं था। मजबूरी में उसे अपना मुंह खोलना पड़ा। बलदेव ने लंड उसके होंठों पर फिसलाते हुए कहा, “एक बार स्वाद ले कर देख! फिर रोज़ चूसने को मन करेगा! जीभ फिरा इस पर!

उसने बेमन से लंड के सुपाड़े पर जीभ फिराई। पहले उसे अजीब सा महसूस हुआ पर कुछ देर जीभ फिराने के बाद उसे लगा कि स्वाद बुरा नहीं है। उसने सुपाड़ा मुंह में लिया और अपनी झिझक छोड़ कर उसे चूसने लगी। बलदेव ने उसका सर पकड़ लिया और वह उसके मुंह में धक्के लगाने लगा, “आह्ह! चूस, मेरी रानी … चूस। आह … आह्ह!”

बलदेव काफी देर तक लंड चुसवाने का मज़ा लेता रहा। जब उसे लगा कि वो झड़ने वाला है तो उसने अपना लण्ड मुंह से बाहर निकाल लिया। उसने गुड़िया को अपने सामने खड़ा कर दिया। अब गुड़िया के उठे हुए अर्धगोलाकार मम्मे उसके सामने थे। बलदेव की मुट्ठियां अनायास ही उसके मम्मों पर भिंच गयीं। वह उन्हें बेदर्दी से दबाने लगा। गुड़िया दर्द से सिसक उठी पर बलदेव पर उसकी सिसकियों का कोई असर नहीं हुआ। जी भर कर मम्मों को दबाने और मसलने के बाद उसने अपना मुंह एक मम्मे पर रख दिया। वह उसे चाट रहा था और चूस रहा था। साथ ही वह अपनी जीभ उसके निप्पल पर फिरा रहा था और उसको बीच-बीच में आहिस्ता से काट भी लेता था।

गुड़िया का दर्द अब गायब हो चुका था। उसे अपनी चूंची से एक मीठी गुदगुदी उठती हुई महसूस हो रही थी। वो भी अब चूंची-चुसाई का आनन्द लेने लगी। उसके मुंह से बरबस ही कामुक आवाज़ें निकल रही थी। बलदेव का एक हाथ उसकी जाँघों के बीच पहुँच गया। उसके मम्मों को चूसने के साथ-साथ वह अपने हाथ से उसकी चूत को सहला रहा था। जल्द ही चूत उत्तेजना से पनिया गई। अब उन दोनों की कामुक सिसकारियाँ कमरे में गूज रही थी।

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अनुभवी बलदेव को यह समझने में देर न लगी कि लोहा गर्म है और हथोडा मारने का समय आ गया है। वह गुड़िया को पलंग पर ले गया। उसे पलंग पर चित्त लिटा कर वह बोला, “रानी, जरा टांगें चौड़ी कर!”

गुड़िया अब पूरी तरह गर्म हो चुकी थी। उसने बेहिचक अपनी टांगें फैला दीं। बलदेव उसकी जांघों के बीच बैठ गया और उसने उसकी टांगें अपने कन्धों पर रख लीं। वह उसकी चूत को अपने लंड के सुपाड़े से सहलाने लगा। गुड़िया उत्तेजना से कसमसा उठी। उसने अपने चूतड उछाले पर लंड अपनी जगह से फिसल गया। बलदेव उसकी बेचैनी देख कर खुश हो गया। उसे लगा कि मुर्गी खुद क़त्ल होने के लिए तडफड़ा रही है। वह ठसके से बोला, “क्या हो रहा है, रानी? चुदवाना चाहती है?”

गुड़िया ने बेबसी से उसकी तरफ देखा। उसके मुंह से शब्द नहीं निकले। उसने धीरे से अपनी गर्दन हाँ में हिला दी। बलदेव ने कहा, “चूत पर थूक लगा ले।“

गुड़िया ने अपने हाथ पर थूका और हाथ से चूत पर थूक लगा लिया।

बलदेव फिर बोला, “इतने से काम नहीं चलेगा। ज़रा मेरे लंड पर भी थूक लगा दे।“

गुड़िया ने फिर अपने हाथ पर थूका और इस बार उसने लंड के सुपाड़े पर थूक लगा दिया। बलदेव ने सुपाड़ा उसकी चूत पर रखा और अपने चूतड़ों को पूरी ताक़त से आगे धकेल दिया। लंड अपना रास्ता बनाता हुआ चूत के अन्दर घुस गया। गुड़िया कोई कुंवारी कन्या नहीं थी पर इतना जानदार लंड उसने पहली बार लिया था। वह तड़प कर बोली, “आह्ह! … सेठ, आराम से!”

वह बोला, “बस रानी, अब डरने की कोई बात नहीं है।”

वह गुड़िया के ऊपर लेट गया। चूत बहुत टाइट थी और वह बुरी तरह उत्तेजित था लेकिन वह लम्बे समय तक औरत को चोदने के तरीके जानता था। उसने चुदाई बहुत हलके धक्कों से शुरू की। … जब उसने अपनी उत्तेजना पर काबू पा लिया तो धक्कों की ताक़त बढ़ा दी। वह कभी अपने लंड को लगभग पूरा निकाल कर सिर्फ सुपाड़े से उसे चोद रहा था तो कभी आधे लंड से। कुछ देर बाद गुड़िया नीचे से धक्के लगा कर उसके धक्कों का जवाब देने लगी। बेशक वो अब इस खेल में पूरी तरह से शामिल थी और चुदाई का लुत्फ़ उठा रही थी। उसके मुंह से बेसाख्ता सिस्कारियां निकल रही थीं।

उसकी प्रतिक्रिया देख कर बलदेव बोला, “क्यों रानी, अभी भी दर्द हो रहा है?”
“स्स्स! … नहीं! … उई मां! … उम्म्म! … जोर से!”
“ले रानी … ले, जोर से ले!” और बलदेव ने अपनी पूरी ताक़त लगा दी। लंड अब पूरा अन्दर जा रहा था। घमासान चुदाई से कमरे में ‘फच्च फच्च’ की आवाजें गूँज रही थीं।

कुछ ही देर में गुड़िया झड़ने की कगार पर पहुँच गई। वह बेमन से चुदने के लिए तैयार हुई थी पर ऐसी धमाकेदार चुदाई उसे आज पहली बार नसीब हुई थी। उसने बलदेव को कस कर पकड़ लिया और हांफते हुए बोली, “बस सेठ … मैं झड रही हूँ। … अब बस!”

बलदेव भी झड़ने के लिए तैयार था। वह सिर्फ गुड़िया के लिए रुका हुआ था। जब उसने देखा कि गुड़िया अपनी मंजिल पर पहुँचने वाली है तो उसने धुआंधार चुदाई शुरू कर दी। दोनों एक साथ चुदाई के चरम पर पहुंचे … दोनों के शरीर अकड़ गए … लंड ने चूत में बरसात शुरू कर दी।
कुछ देर दोनों एक दूसरे की बाँहों में पड़े रहे। … गुड़िया चुद चुकी थी। उसकी चूत तृप्त हो गई थी। … बलदेव खुश था कि उसके मन की मुराद पूरी हो गई थी और एक नई चिड़िया उसके जाल में फंस गई थी।

दिन बीतते गए। यह खेल चलता रहा। वायदे के मुताबिक ठेकेदार बलदेव डबलू की भूख-प्यास मिटाता रहा। गुड़िया चुदती रही और इतनी चुदी कि एक भावी मजदूर उसकी कोख में पलने लगा।

अपनी घरवाली का पेट दिनों-दिन बढ़ता देख कर डबलू को चिंता सताने लगी। उसने सोचा कि मैंने जरा सी छूट क्या दे दी, इन्होने तो … वह ठेकेदार बलदेव के पास जाने ही वाला था कि विलायती दारू की एक पेटी उसके पास पहुंच गई। पूरी पेटी और वह भी विलायती दारू की! … उसके विचार बदलने लगे। उसने सोचा, “बलदेव तो देवता है … देवता प्रसाद तो देगा ही … गुड़िया ही मूरख निकली … उसे प्रसाद लेना भी न आया! आजकल तो इतने सारे साधन हैं फिर भी …”

रात को नशे में धुत्त डबलू गुड़िया पर फट पड़ा। दिल की बात जुबान पर आ गई, ‘‘अपने पेट को देख, बेशरम! यह क्या कर आई?’’
“मैंने क्या किया? यह सब तो भगवान के हाथ में है!”
“भगवान के हाथ में? इसे रोकने के साधन मुफ्त में मिलते हैं! किसी सरकारी अस्पताल क्यों ना गई?”
“क्यों जाती अस्पताल? ज़रा सोच, अभी तो तेरे खाने-पीने का जुगाड़ मैं कर सकती हूं। मैं बूढ़ी हो जाऊंगी तो कौन करेगा यह?” गुड़िया अपने पेट पर हाथ फेरते हुए बोली, ‘‘बुढ़ापे में तेरी देखभाल करने वाला ले आई हूं मैं?’’

यह सुन कर डबलू का दुःख दूर हो गया. वह सोच रहा था, “क्या इन्साफ किया है भगवान ने! बुढापे में मेरी सेवा ठेकेदार बलदेव का बेटा करेगा!”

 

 

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