मुझे रंडी बना दो आज मुझे रंडी बनना है

दोस्तों मेरा नाम हर्षद है मै मस्ताराम डॉट नेट की कहानियों का शौक़ीन हूँ मुझे सेक्सी चुदाई की कहानियां पढ़ने में बहुत मज़ा आता है | कभी कभी जब ऑफिस में नहीं रहा जाता तो बोथ्रूम में जाकर कहानी पढ़ कर मुठ मारता हूँ मुझे कहानियां पढ़ने की तलब लगी रहती है जब मेरे दिल करता है तब कहानी पढ़ने को बैठ जाता हूँ | अब आप बोर हो रहे होंगे तो चलिए अब मै सीधे कहानी पर आता हूँ दोस्तों मैं कानपूर का रहने वाला हूँ। मैं सिम्पल जिंदगी से परेशांन हो गया था । कानपूर की भीड़ भाड़ से मैं कुछ दिनों के लिए दूर जाना चाहता था। बस मैंने बैग उठाया और आ गया मनाली। यहाँ पर एक होटल में आकर रुक गया। मित्रो यहाँ कितनी शांति थी। चारों तरह हरी हरी वादियाँ थी।

मेरा मन ख़ुशी से पागल हो रहा था । बार बार यही दिल कह रहा था कि कास अगर लड़की का इंतजाम हो जाता तो कितना अच्छा रहता । यहाँ ठंडी पड़ रही थी। लोग बिय खूब पीते थे।

मुझे रंडी बना दो आज मुझे रंडी बनना है फाड़ दो मेरी चुत को पी जाओ पानी मेरी चुत का –

मैं अपने होटल के बार में गया और बियर का आर्डर दिया। एक मस्त नेपाली वेट्रेस मेरे लिए ड्रिंक लेकर आई। क्या नाम है तुम्हारा?? मैंने हँसकर पूछा दिव्या!! वो बोली कोई लड़की वड़की नही मिलेगी ?? मैंने भौहें उचकाकर पूछा। वो समझ गयी की मैं किस बारे में बात कर रहा हूँ।
1000 लगेगा !! वो बोली चल!! मैंने कहा।

दोंस्तों, यहाँ मनाली में लोग अपनी बालकनी में भी दिन में खुले में चुदाई करते थे। मैंने कमरे में तो बड़ी चुदाई की थी। मै तो पूरे मुड में था कि बाहर बालकनी में आज चुदाई करूँगा। उस समय ११ बजे थे। नेपाली पर धुप निकल आयी थी। बड़ा सुहावना मौसम था। मैं दिव्या को लेकर ऊपर आ गया। मैं उसे बालकनी में दूसरी तरह ले गया जहाँ कोई हमको देख ना पाए चुदाई करते हुए। वो काफी गोरी थी, बिलकुल विदेशी लगती थी। मैंने उसकी शर्ट के बटन खोल दिये। उसकी ब्रा भी निकाल दी।

क्या मस्त बूब्स थे उसके। वो भी अपने चुदाई अवतार में आ गयी। वो बार में वेट्रेस का काम भी करती थी और मैंने एक दो हाथ उसके बूब्स के निपल्स पर मारे। चाटे मारने से उसके बूब्स जाग गया। मैनें जोर जोर से उसके बूब्स और चाटे मारे। कविया रंडीबाजी भी करती थी। वहां से एक्स्ट्रा पैसे कमाती थी। ओहः क्या मस्त बूब्स थे उसके। अचानक से मेरा मन बदला। मैंने अपने पूरे कपड़े निकाल दिए। मैं नँगा हो गया।

मैं एक कुर्सी पर बैठ गया। दिव्या मेरे सपने रेलिंग पर खड़ी हो गयी। मैंने अपना एक पैर उसके मुँह में ढूस दिया। वो चुदासी लड़की की तरह मेरे पैर और उसकी उँगलियाँ चूसने लगी। मेरे मेरे अंघुठे, मेरे उँगलियों को अपने मुँह में लेकर चूस रही थी। मुजें बड़ा मजा आ रहा था। उसके गुलाबी रसीले होंठ मेरे पैर की उँगलियों को कामुकता के साथ चूस रहे थे। मैं उसके बूब्स सहला रहा था।

फिर मैंने दूसरा पैर भी उसके मुँह में दे दिया। वो उस पैर के भी अंगूठे और उँगलियों को चूसने लगी। मेरे लण्ड खड़ा होने लगा। मेरी गोलीयाँ अब कसने लगी। मैं दिव्या को चोदने को बेताब हो रहा था। वो भी बहुत चुदासी हो गयी थी। फिर मैंने अपना पैर उसके मुँह से निकाल लिया और उसकी छतियों पर रख दिया। आप यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | अब मैं अपने पैर से उसके बूब्स दबा रहा था। मुझे बहुत मजा आ रहा था। फिर मैं अपना दूसरा पैर भीं दिव्या के बूब्स पर रख दिया। दिव्या मेरे सामने रेलिंग का सहारा लेकर खड़ी हो गयी। मैं अपने दोनों पैरों से उसके दोनों बूब्स को टमाटर की तरह कुचल रहा था। मैं चुदास में डूब चूका था। मैंने आजतक बस कमरे में ही चुदाई की थी।

आज पहली बार मैं खुले में चुदाई का मजा ले रहा था। यहाँ से वादियों का मजा ही कुछ अलग था। दूर दूर तक बस पहाड़ ही पहाड़ दिख रहे थे। मैंने दिव्या के कपड़े भी उतरवा दिए। अब मैंने अपने पैर ने उसकी बुर में ऊँगली करने लगी। मैं अपने पैर के अंघुठे से उसकी बुर को सहला रहा था। वाकई ये कमाल का था। मेरा एक पैर उसकी नाभी को सहला रहा था।

दिव्या भी चुदासी हो गयी थी। अब मैं उसके बुर को जल्दी जल्दी अपने पैर के अंगूठे से घिसने लगा। फिर तो मैं और आगे बढ़ गया। मैंने अपने पैर का अंगूठा उसकी बुर में अंदर पेल दिया। और जल्दी जल्दी उसकी बुर अपने अंगूठे से चोदने लगा।

दिव्या भी बिलकुल मस्त और चुदासी हो गयी। आज तक उसको कई लोगों ने चोदा था पर पैर के अँगूठे से उसको आजतक किसी ने नहीं चोदा था। मैं गचागच उसकी बुर को अपने पैर के अँगूठे से चोद रहा था। मैंने आधे घण्टे तक दिव्या की बुर को अपने लण्ड से नहीं बल्कि अपने अंगूठे से चोदा। उसने अपना पानी छोड़ दिया। उसकी गर्म गर्म गाढ़ी मलाई से मेरे अंगूठा भीग गया।

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मन तो कर रहा था कि उसकी बुर में अपना पूरा पैर ही घुसेड़ दी। पर दोंस्तों ऐसा नहीं हो सकता था। ये नामुमकिन था, वरना मैं उसकी बुर में अपना पूरा पैर ही घुसेड़ देता। अब तो मेरा लण्ड भी पूरी तरह से तैयार था दिव्या को चोदने के लिए।

मैंने अपना अंगूठा दोबारा दिव्या के मुँह में पेल दिया। मेरा अंगूठा उसके गर्म मॉल।से भीगा था। अब दिव्या अपना गबियर माल खुद चाटने लगी। अब मुझसे खड़ा नहीं रहा गया। मैं खड़ा हो गया। मेरा लण्ड बिलकुल तन्ना गया था। ये तो बिलकुल लोहे की तरह हो गया था। ये लण्ड किसी भी चूत को फाड़ सकता था। इतनी ताकत थी इस लण्ड में इस समय। मैं खड़ा हो गया। मैंने दिव्या रंडी को नीचे उसके घुटने पर बैठा दिया। मैंने अपना लण्ड उसके मुँह में डाल दिया। वो मस्ती से मेरा लण्ड चूसने लगी।

मुझे मजा आ गया। लण्ड चुस्वाने में तो वैसे।ही बड़ा मजा आता है। दिव्या जोर जोर से सिर हिलाकर मेरा लण्ड चूसने लगी। मुझे शैतानी सूझी। मैं लण्ड निकाला और उससे ही उसके मुँह, नाक होंठों पर मारने लगा। उसे बहुत अच्छा लगा।

मैंने अपने लण्ड का इस्तेमाल किसी डंडी की तरह किया। जिस तरह से टीचर बच्चो के हाथ में डंडी से मरता है ठीक उसी तरह मैं अपने लण्ड को हाथ में पकड़ दिव्या के मुँह और गालों पर मार रहा था।

उसे भी मौज आ गयी थी। वो चाहती थी की मैं उसे जल्दी से बस चोदूँ पर मैं उसको पूरा तड़पा रहा था। अब तो मैं और।चुदासा हो गया। मैंने उसे बालों से रंडी की तरह पकड़ लिया। जैसै रंडियों को खींचकर द्रौपदी की तरह चीर हरड़ करते है उसी तरह मैंने दिव्या को कसके बालों पर पकड़ लिया रंडी की तरह। मैंने उसके मुँह में अपना हाथ डाल दिया और अपने लण्ड से उसके बूब्स पर मारने लगा।

दिव्या अब तो पूरी तरह चुदासी हो गयी थी। मैंने अपने लण्ड को हाथ में ले लिया और उसके बूब्स की निपल्स को लण्ड से डंडी की तरह मारने लगा। मैं उसके मुँह को बुर समझकर जल्दी जल्दी अपनी 4 उँगलियों से चोदने लगा। मैंने उसके बाल रंडियों की तरह कस कर पकड़ रखे थे और अपने लण्ड और उसको झुका रखा था। वो मेरा लण्ड मुँह में लेने दौड़ी तो मैंने पीछे कर लिया।

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मैंने उसे इसी तरह कई बार तड़पाया। फिर आखिर उसने मेरा लण्ड मुँह में ले लिया और मस्त चूसने लगी। जब मैंने खूब जी भरके उससे चुस्वा लिया तो मैंने उसे खड़ा कर दिया। मैंने उसको पिछु घुमा दिया। मैंने उसके लाल लाल दोनों चूतड़ों पर कई चांटे जड़ दिए जिससे वो लाल हो गए। मैंने अपने लण्ड को उसकें चूतड़ों के बीच में डाल दिया और उसकी बुर का छेद ढूंढने लगा। आप यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |  जब बहुत ढूंढने पर भी मैं उसकी बुर का छेद नहीं ढूंढ पाया तो खुद दिव्या ने मेरे लण्ड हाथ में पकड़ लिया और अपनी बुर के छेद में डाल दिया।

मैं मस्ती से उसे चोदने लगा। तभी मेरा ध्यान उसकी गांड की तरह गया। दोंस्तों, जब मैंने उसकी गांड देखी तो मेरे होश उड़ गये। ये मोटा छेद था उसकी गांड में। मैंने तो बस एक ऊँगली उसकी गांड में डालनी चाही थी पर दोंस्तों मेरी 4 उँगलियाँ उसकी गांड में चली गयी। मैं समझ गया कि रंडी बहुतों से चुद भीं चुकी है और गांड भी मरवा चुकी है।

अब तो मैं भकभक और भी जोश से उसको चोदने लगा। दोंस्तों उस समय धुप खिली थी। सूर्य देवता के सामने ही मैं चुदाई का मजा ले रहा था। वहां पर अनेक चिड़ियाँ भी चह चहा रही थी। खुले में चुदाई करने का मजा तो मुझे आज मिला था। बन्द कमरों में चुदाई करने में तो जरा भी मजा नहीं आता है।

मैं और जोश से धांय धांय धक्के मारने लगा। दिव्या के दोनों चुच्चे रेलिंग ने बाहर झूलने लगे। एक बार तो हल्का दर भी लगा की कहीं मेरी कोई चुदाई की वीडियो ना बना ले, कहीं ये वायरल ना हो जाए। फिर मैंने सोचा की अगर इतना ही डरूंगा तो कभी कोई मजा नहीं ले पाऊँगा। अब मैं एक बार दिव्या की बुर में ही झड़ गया था। मैंने उसको रेलिंग पर खड़े खड़े ही चोदा था। अब मैंने अपना लण्ड दिव्या की बुर से निकाल लिया। और उसकी गांड के बड़े से छेद में डाल दिया।

मुझे कस के चोदो आह्ह्ह आह यस आह मुझे रंडी बना दो आज मुझे रंडी बनना है | आज मेरी गांड को मत छोड़ना, आज मेरी खूब गांड मारो मेरे राजा दिव्या जोर जोर से चिल्लाने लगी। सच में वो बहुत चुदासी हो गयी थी। मैंने अपना लण्ड उसकी गांड में डाल दिया। उसने अपने दोनों हाथों से अपने दोनों चुदड़ो को फैलाया की ऊपर आ गया।

मैं तो अब दुगुने जोश से दिव्या की गांड चोदने लगा। चुदी चुदाई गांड चोदने में एक खास सुख मिलता है दोंस्तों। और जब दिव्या जैसे रंडी मिल जाए तो कहना ही क्या। मैं खूब हचाहच उसकी गांड चोदने लगा। मैं चट चट उसके चूतड़ों पर चांटे ज़माने लगा। और मस्ती ने उसको चोदने लगा। मुझे बहुत मजा आ रहा था दोंस्तों। मैं उसे घण्टों बाहर बालकनी में खड़े खड़े ही चोदा और उसकी गांड मारी।

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अब मैं वही लकड़ी की बालकनी में लेट गया। दिव्या मेरे ऊपर बैठ गयी। उसने मेरा लण्ड अपनी बुर में डाल लिया। वो मेरे ऊपर उछलने लगी और चुदवाने लगी। दिव्या बहुत ऐक्सपर्ट थी, वो बड़े हिसाब से उछल उछलकर चुदवा रही थी। दोस्ती उसने इसी तरह मेरे ऊपर बैठकर खुद मस्ती से चुदवाया।

दोंस्तों, पहाड़ की वो चुदाई मैं कभी नहीं भूल पाउँगा। मेरे दिल में उस चुदाई की यादे हमेशा ताजा रहेंगी। मैं कई दिनों तक इसे तरह लड़कियाँ बदल बदल कर मनाली की पहाडियों में चुदाई करता रहा। फिर १५ दिन बाद वापिस अपने घर लौट आया |

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