Antarvasna – | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru 100% Free Hindi Sex Stories - Sex Kahaniyan Tue, 20 Feb 2018 05:46:19 +0000 en-US hourly 1 /> //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/wp-content/uploads/2015/10/cropped-mastaram-dot-net-logo-red-32x32.png Antarvasna – | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru 32 32 भाभी के साथ चुदाई का मज़ा ली | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/group-sex/bhabhi-ke-sath-chudai-ka-maza-lee.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/group-sex/bhabhi-ke-sath-chudai-ka-maza-lee.html#respond Mon, 19 Feb 2018 16:20:31 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=12059 हेल्लो यह मेरी सच्ची कहानी है मेरी चुदाई करवाने में मेरी भाभी ने मुझे बहुत मदत की तब कही जा के मेरी चूत को लौड़ा मिला वही अनुभव आप सभी से शेयर कर रही हूँ आशा करती हूँ आप सभी को पसंद आएगी |

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भाभी के साथ चुदाई का मज़ा ली
( bhabhi ke sath chudai ka maza lee )

नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम निखिल है, मैं आपको पहले भी बता चुका हूँ कि मेरी सभी कहानियाँ काल्पनिक हैं जिनका किसी से भी कोई सम्बन्ध नहीं है अगर होता भी है तो यह मात्र एक संयोग ही होगा। मैं डेढ़ महीने से ज्यादा गाँव में रहा और श्रुति भाभी के साथ काफी मजा किया। मेरी छुट्टियाँ समाप्त हो गई थी इसलिए मैं वापस अपने घर आ गया। मैं घर आया तब तक मेरे भैया छुट्टियाँ समाप्त करके अपनी ड्यूटी पर जा चुके थे इसलिये अब मैं अपनी श्रुति भाभी के साथ उनके कमरे में सोने लगा और मेरे व भाभी के शारीरिक सम्बन्ध बनने फिर से चालू हो गये।

मुझे गाँव से आये हुए अभी दस दिन ही हुए थे कि एक दिन शाम को जब मैं क्रिकेट खेलकर घर आया तो देखा कि ड्राईंगरूम में जहरू चाचाजी बैठे हुए थे। उनको देखकर मैं थोड़ा सा डर गया कि कहीं उनको मेरे और श्रुति भाभी के बारे में पता तो नहीं चल गया और वो उसी की शिकायत करने के लिये यहाँ आये हों ?

खैर मैं उनके चरण स्पर्श करके सीधा अन्दर चला गया और जब अन्दर गया तो देखा की निधि (जहरू चाचा जी की बेटी) भी आई हुई थी, बाद में मुझे पता चला कि निधि को नौकरी के लिये कोई परीक्षा देनी है, उसी के लिये जहरू चाचाजी निधि को शहर लेकर आये हैं।

निधि की परीक्षा अगले दिन थी इसलिये वो दोनों उस रात हमारे घर पर ही रहे। अगले दिन परीक्षा के बाद वो जाना चाहते थे मगर मेरे मम्मी पापा निधि को हमारे घर कुछ दिन रुकने के लिये कहने लगे। वैसे तो निधि की छुट्टियाँ ही चल रही थी मगर वो अपने कपड़े लेकर नहीं आई थी इसलिए वो मना करने लगी। इसके लिये मेरी मम्मी ने उनहें श्रुति भाभी के कपड़े पहनने के लिये बताया और आखिरकार निधि रुकने के लिये मान गई। निधि को हमारे घर पर ही छोड़कर जहरू चाचाजी वापस गाँव चले गये।

निधि के रूकने से मेरे मम्मी पापा तो खुश थे मगर इसका खामियाजा मुझे भुगतना पड़ा क्योंकि निधि मेरी भाभी के साथ उनके कमरे में सोने लगी और मुझे फिर से ड्राईंगरूम में बिस्तर लगाना पड़ा जिससे मेरे और मेरी भाभी के शारीरिक सम्बन्ध होने बन्द हो गये, हमारे सम्बन्ध बस चूमने चाटने और लिपटने तक ही सीमित होकर रह गये थे, और वो भी तभी होता जब भाभी रात को घर का मुख्य दरवाजा बन्द करने के लिये ड्राईंगरूम से होकर आती जाती थी।

हमारे घर का मुख्य दरवाजा मेरी भाभी ही खोलती और बन्द करती थी क्योंकि रात को भाभी ही घर के काम निपटा कर सबसे आखिर में सोती और सुबह जब दूधवाला आता तो भाभी ही दूध लेने के लिये सबसे पहले उठकर दरवाजा खोलती थी, इसके लिये उन्हें ड्राईंगरूम से होकर गुजरना पड़ता था।

मैं उन्हें कभी कभी वहीं पर पकड़ लेता था मगर अब तो भाभी उसके लिये भी मना करने लगी क्योंकि एक बार जब मैं भाभी को ड्राईंगरूम में पकड़ कर चूम रहा था तो अचानक से निधि आ गई, उसने हमे देख लिया था। इसके बारे में निधि ने किसी से कुछ कहा तो नहीं मगर उसको हमारे सम्बन्धों का शक हो गया था इसलिये वो अब हम दोनों पर नजर रखने लगी, मगर वो जाहिर ऐसा करती जैसे कि उसे कुछ पता ही नहीं हो।

मुझे निधि से चिढ़ सी होने लगी थी, मैं सोचता रहता कि आखिर यह कब हमारे घर से जायेगी और इसी तरह हफ्ता भर गुजर गया।

एक बार रात में बिजली नहीं थी क्योंकि शाम को काफी जोरो से आँधी और बारिश होने के कारण लगभग पूरे शहर की ही बिजली गुल थी। बिजली नहीं होने के कारण सभी ने जल्दी ही खाना खा लिया। मेरे मम्मी पापा तो खाना खाते ही सो गये और मेरी भाभी व निधि घर के काम निपटाने लगी।

बिजली के बिना पूरे घर में अन्धेरा था, बस मोमबत्ती की रोशनी से ही काम चल रहा था, मैं मोमबत्ती की रोशनी में पढ़ाई तो कर नहीं सकता था, इसलिये खाना खाने के बाद ऐसे ही ड्राईंगरूम में लेट रहा था और भाभी के बारे में ही सोच रहा था।

तभी ड्राईंगरूम के अन्दर कोई आया और बाहर की तरफ चला गया। ड्राईंगरूम में इतना अन्धेरा था कि कुछ दिखाई नहीं दे रहा था बस दोनों तरफ के दरवाजे ही बाहर से आने वाली थोड़ी सी रोशनी की वजह से अन्धेरे में दिख रहे थे।

मैं समझ गया कि भाभी घर का मुख्य दरवाजा बन्द करने के लिये गई हैं, तभी मेरे शैतानी दिमाग में एक योजना आई, मैं सोचने लगा कि आज चारों तरफ अन्धेरा है और ड्राईंगरूम में तो कुछ भी दिखाई देना मुश्किल है इसलिये क्यों ना आज अन्धेरे का फायदा उठा लिया जाये।

वैसे भी मुझे भाभी के साथ सम्बन्ध बनाये हफ्ता भर हो गया था इसलिये मेरी हवश भी काफी जोर मार रही थी। इस मौके का फायदा उठाने की सोचकर मैं तुरन्त बिस्तर से उठकर खड़ा हो गया और भाभी के वापस आने का इन्तजार करने लगा।

जैसे ही भाभी घर का मुख्य दरवाजा बन्द करके ड्राईंगरूम से होकर वापस जाने लगी, मैंने उन्हें पकड़ लिया और उनकी गर्दन व गालों पर चुम्बनों की झड़ी लगा दी। अन्धेरे में अचानक हमले से भाभी सकपका गई और जब तक वो कुछ समझ सकें तब तक मैंने उनके दोनों होंठों को अपने मुँह की गिरफ्त में ले लिया ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ मजा आ गया।

भाभी ने अपने होंठों को छुड़ाने की भी कोशिश की मगर मैंने एक हाथ से उनकी गर्दन को पकड़ लिया और उनके होंठों को जोर से चूसने लगा।
भाभी काफी डर रही थी, वो मेरा विरोध तो नहीं कर रही थी मगर काफी कसमसा रही थी।

भाभी के होंठों को चूसते हुए ही मैंने अपना दूसरा हाथ उनके शर्ट के अन्दर भी डाल दिया और उनके पेट को सहलाते हुए धीरे धीरे उरोजों की तरफ बढ़ने लगा जिससे उनका पूरा बदन कांपने लगा, पता नहीं उन्हें ये कंपकपी डर के कारण हो रही थी या फ़िर उत्तेजना के कारण, मैं कुछ समझ नहीं पा रहा था |

भाभी ने मेरे हाथ को रोकने के लिये पकड़ना भी चाहा मगर तब तक मेरा हाथ उनके उरोजों तक पहुँच गया था। शर्ट के नीचे भाभी ने ब्रा पहन रखी थी इसलिये मैं ब्रा के उपर से ही उनके उरोजों को मसलने लगा मगर आज उनके उरोज मुझे कुछ छोटे व काफी कसे हुए से महसूस हुए।

और फिर तभी मेरे दिमाग में एक सवाल सा कौन्ध गया…कही यह निधि तो नहीं?

क्योंकि आज मुझे भाभी का व्यवहार भी कुछ अजीब ही लग रहा था, पहले जब कभी मैं भाभी को चुम्बन करता था तो वो हमेशा मेरा साथ देती थी मगर आज वो साथ देने की बजाय कसमसा रही थी और काफी घबरा भी रही थी।

यह बात मेरे दिमाग में आते ही मेरा हाथ जहाँ था वहीं का वहीं रूक गया और मैं बुरी तरह से घबरा गया। मेरी भाभी की व निधि की लम्बाई समान ही थी और उस दिन दोनों ने ही सलवार सूट पहन रखा था इसलिये अन्धेरे में मैं पहचान नहीं सका कि ये मेरी भाभी है या निधि?

मैंने गलती से आज निधि को पकड़ लिया था। निधि भी डर व शर्म के कारण कुछ बोल नहीं रही थी। शायद वो इस वजह से शर्मा रही थी कि अगर वो कुछ कहेगी तो मैं ये जान जाऊँगा कि उसे मेरे और मेरी भाभी के सम्बन्धों के बारे में पता है और उस दिन उसने मुझे व भाभी को देख लिया था, ऊपर से निधि बहुत डरपोक भी थी। आप यह हॉट हिंदी सेक्सी कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |

अब तो मुझे पता चल गया था कि ये श्रुति भाभी नहीं है बल्कि निधि है मगर फिर भी मैंने निधि को छोड़ा नहीं और उसे वैसे ही पकड़े रखा, क्योंकि इतना सब करने के बाद मैं अब अगर निधि को छोड़ देता हूँ तो वो भी समझ जायेगी कि मैंने उसे क्यों छोड़ दिया, अब निधि के जैसी स्थिति में ही मैं भी फँस गया था |

मेरे दिमाग में अब एक साथ काफी सवाल चल रहे थे। निधि को छोड़ दूँ या फिर पकड़े रहूँ? यह मालूम होने के बाद कि ये निधि है और डर व शर्म के कारण कुछ बोल नहीं रही है तो ना जाने क्यों मुझे बहुत रोमाँचित सा भी लग रहा था और रह रह कर निधि के प्रति मेरी वासना भी जोर मार रही थी।

मेरे दिमाग में एक साथ अनेक विचारों का भूचाल सा मच रहा था, मैं सोच रहा था कि अगर निधि डर व शर्म की वजह से कुछ बोल नहीं रही है तो क्यों ना मैं भी इसका फायदा उठा लूँ | आखिरकार वासना मेरे विचारों पर भारी पड़ने लगी और अपने आप ही मेरे हाथों की पकड़ निधि के उरोजों पर फिर से कसती चली गई। मैं निधि के होंठों को कसकर चूसने लगा और साथ ही धीरे धीरे उरोजों को भी मसलता रहा जिसका वो विरोध तो नहीं कर रही थी मगर अब भी कसमसाये जा रही थी।

कुछ देर उरोजों को दबाने के बाद मैंने अपना हाथ निधि के शर्ट से बाहर निकालकर धीरे से उसकी जाँघों की तरफ बढ़ा दिया और सलवार के ऊपर से ही एक बार उसकी बुर को मसल दिया जिससे निधि चिहुँक पड़ी, उसने मेरे हाथ को वहाँ से हटाकर अपनी दोनों जाँघो को भींच लिया।

तभी बाहर किसी की आहट सी सुनाई दी, शायद ये मेरी भाभी थी। अब निधि भी मुझसे छुटाने का जोरों से प्रयास करने लगी इसलिये मैं उसे छोड़ कर अलग हो गया, मैं नहीं चाहता था कि निधि को पता चले कि मैं उनके साथ ये सब जानबूझ कर कर रहा था। मुझसे छुटते ही निधि जल्दी से ड्राईंगरूम से बाहर चली गई।

निधि तो जा चुकी थी मगर मेरे अन्दर हवस का एक तूफान सा उमड़ रहा था इसलिये उस रात मैंने दो बार हस्तमैथुन किया तब जाकर मुझे नींद आ सकी। मेरी चचेरी बहन तो चली गई पर मेरे अन्दर वासना का तूफान उमड़ रहा था, रात में मैंने दो बार हस्तमैथुन किया तब जाकर मैं सो पाया।

अगले दिन सुबह मैं बिना नाश्ता किये जल्दी ही स्कूल चला गया इसलिये घर में मेरी किसी से भी बात नहीं हुई मगर दोपहर को जब मैं स्कूल से आया तो मेरे दिल में हल्का सा डर था, कहीं निधि ने रात वाली बात किसी को बता ना दी हो?

मगर ऐसा कुछ नहीं हुआ, सब कुछ सामान्य ही रहा और निधि का व्यवहार तो ऐसा था जैसे कल रात के बारे में उसे कुछ पता ही नहीं।

इसी तरह तीन दिन गुजर गये जो बिल्कुल सामान्य ही रहे मगर पता नहीं क्यों निधि के प्रति मेरी सोच को क्या होता जा रहा था, अब वो मुझे बहुत खूबसूरत लगने लगी थी। निधि को गाँव से आये हुए अभी एक हफ्ता ही हुआ था और हफ्ते भर में ही निधि का रंग रूप काफी निखर गया था, ऊपर से वो मेरी भाभी के सलवार सूट पहनती थी जो उस पर इतने खिलते थे उनको देखकर कोई कह ही नहीं सकता कि यह गाँव की वही सामान्य सी दिखने वाली लड़की है।

बिल्कुल गोल चेहरा, बड़ी बड़ी भूरी आँखें, पतले और सुर्ख गुलाबी होंठ, लम्बी सुराहीदार गर्दन, हाँ उनका वक्षस्थल मेरी भाभी के मुकाबले में कुछ छोटा था मगर उसमें काफी कटाव व कसाव था, लम्बा कद, बिल्कुल पतली सी कमर और उसके नीचे भरे हुए माँसल गुदाज नितम्ब व जाँघें!

उस समय भी निधि के शरीर का कटाव किसी फिल्मी अभिनेत्री से कम नहीं था बस कुछ समय की ही दरकार थी। अभी तक मैंने निधि को कभी ऐसे नहीं देखा था। निधि सही में इतनी खूबसूरत हो गई थी, या फिर पता नहीं उस रात के बाद मुझे ही ऐसा लगने लगा था।

निधि के परिवार और हमारे परिवार के बीच काफी करीबी सम्बन्ध थे, उसके पापा को मैं चाचा ही मानता था मगर फिर भी पता नहीं क्यों मैं निधि के प्रति आसक्त सा होता जा रहा था और दिल ही दिल में उसको हासिल करने कल्पना करने लगा था।

मैंने अपने आप को समझाने की काफी कोशिश भी की मगर जब मुझसे रहा नहीं गया तो आखिरकार मैंने निधि को पाने के लिये एक योजना बना ली और इसके लिये सबसे पहले तो मैंने अपनी भाभी को सारी बात बता दी।

मेरी बात सुन कर पहले तो भाभी गुस्सा हुई मगर फिर मान गई और मेरा साथ देने के लिये भी तैयार हो गई।

करीब दो दिन बाद ही मुझे मौका मिल गया, उस दिन हल्की सी बारिश होने के कारण मौसम थोड़ा सा खराब था इसलिये शाम को मौका देखकर मैंने शार्ट-सर्किट का बहाना करके जान बूझ कर हमारे घर की बिजली खराब कर दी जिससे हमारे पूरे घर में अन्धेरा हो गया।

मैं उस दिन की तरह ही अन्धेरे का फायदा उठाना चाहता था और इसके लिये मैंने अपनी योजना पहले ही भाभी को बता दी थी।
बिजली ना होने के कारण रात को सभी ने जल्दी खाना खा लिया और सोने की तैयारी करने लगे। मेरे मम्मी पापा तो खाना खाते ही अपने कमरे में जाकर सो गये और मैं ड्राईंगरूम में आ गया।

अब बर्तन साफ करना और बचे हुए काम मेरी भाभी व निधि को करने थे।
मेरी योजना के अनुसार भाभी ने पहले ही तबियत खराब होने का बहाना बना लिया और बचे हुए काम निधि को खत्म करने के लिये बोल कर अपने कमरे में जाकर सो गई।

निधि ने करीब आधे घण्टे में ही सारे काम निपटा लिये और अब बस उसे घर का मुख्य दरवाजा बन्द करने के लिये आना था, मगर निधि शायद दरवाजा बन्द करने के लिये आना नहीं चाहती थी क्योंकि काम खत्म होने के बाद भी काफी देर तक वो रसोईघर में ही खड़ी रही, वो असमन्जस में थी कि दरवाजा बन्द करने के लिये जाये या ना जाये!

इसके लिये वो अब भाभी को बता भी नहीं सकती थी, आखिर वो करे तो क्या करे?

कुछ देर तक तो निधि ऐसे ही रसोईघर में खड़ी रही और फिर दरवाजा बन्द करने की बजाय सीधा भाभी के कमरे में चली गई, शायद आज वो दरवाजा बन्द करना ही नहीं चाहती थी, इससे तो मेरी सारी योजना विफल होने वाली थी, मगर फ़िर भगवान ने मेरी सुन ली क्योंकि कुछ देर बाद ही मोमबत्ती जलाये हुए कोई ड्राईंगरूम की तरफ आने लगा।

मैं समझ गया कि यह निधि ही है, वो मोमबत्ती जलाकर इसलिए आ रही है ताकी मोमबत्ती की रोशनी में मैं उसे पहचान लूँ और उस दिन की तरह कोई हरकत ना करूँ मगर आज तो यह सारी योजना मेरी ही बनाई हुई थी।

मैं तुरन्त ड्राईंगरूम के दरवाजे के साथ चिपक गया और जैसे ही निधि ने दरवाजे में पैर रखा सबसे पहले मैंने मोमबत्ती को ही झपटा मारकर नीचे गिरा दिया। मोमबत्ती नीचे गीरते ही बुझ गई और बिल्कुल अन्धेरा हो गया। अचानक हमले से निधि घबरा गई और तुरन्त वापस मुड़ने लगी मगर मैंने उन्हें पकड़ कर ड्राईंगरूम के अन्दर खींच लिया और वो कुछ बोले उससे पहले ही उनके होंठों को अपने मुँह में भरकर बन्द कर दिया। अब निधि के दोनों होंठ मेरे मुँह में थे इसलिये वो कुछ बोल तो नहीं सकती थी मगर कसमसाते हुए पीछे की तरफ हटने लगी।

मैंने भी उसे छोड़ा नहीं और उसके साथ साथ पीछे होता रहा मगर वो ज्यादा पीछे नहीं जा सकी क्योंकि थोड़ा सा पीछे होते ही दीवार आ गई इसलिये अब वो अपने दोनों हाथों से मुझे धकेलने लगी मगर आज मैं कहाँ मानने वाला था, मैंने उसे दीवार से सटा लिया और जोरो से उसके होंठों को चूसता रहा।

निधि के होंठों को चूसते हुए ही मैंने अपना एक हाथ उसके शर्ट के अन्दर डाल दिया, नीचे उसने ब्रा पहन रखी थी इसलिये मैंने ब्रा के ऊपर से ही उसकी चूचियों पर अपना हाथ रख दिया।
निधि के उरोजों को मैं चूचियाँ इसलिये कह रहा हूँ क्योंकि वो काफी छोटी थी और मेरी भाभी के उरोजों के मुकाबले में तो वो चूचियाँ ही थी।

मैंने बस एक बार उन्हें हल्का सा सहलाकर ब्रा के किनारे को पकड़ लिया और आहिस्ता आहिस्ता उसको ऊपर खींचते हुए उसकी दोनों चूचियों को शर्ट के अन्दर ही ब्रा की कैद से आजाद कर लिया। अब उसकी दोनों नँगी चूचियाँ मेरी मुट्ठी में थी जिनको मैं धीरे धीरे सहलाने लगा।

निधि की चूचियाँ मेरी भाभी से छोटी थी मगर भाभी के मुकाबले में काफी सख्त और मुलायम थी, मुझे ऐसा लग रहा था जैसे कि मेरे हाथ में रबड़ की कोई गेंद आ गई हो।

मैं ऐसे ही निधि की दोनों चूचियों को मसलता रहा और ऊपर उनके होंठों को चूसते हुए अपनी ज़ुबान को भी उनके होंठों के दरम्यान में धकेलने की कोशिश करने लगा, मगर उसने दाँतों को बन्द कर रखा था जिसके कारण मेरी जीभ अन्दर नहीं जा सकती थी इसलिये मैं उनके होंठों को ही अन्दर से चाटने लगा, फिर कुछ देर बाद ही आहिस्ता आहिस्ता निधि के दाँत अपने आप थोड़ा सा अलग हुए जिससे मेरी ज़ुबान को अन्दर जाने की इजाज़त मिल गई और अगले ही पल मेरी ज़ुबान निधि की ज़ुबान से टकराने लगी!

कहानी जारी है … आगे की कहानी पढ़ने के लिए निचे दिए पेज नंबर पर क्लिक करें ….

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]]> //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/group-sex/bhabhi-ke-sath-chudai-ka-maza-lee.html/feed 0 काली मोटी आंटी की चुदाई की कहानी | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/chachi-ki-chudai/kali-moti-aunty-ki-chudai-ki-kahani.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/chachi-ki-chudai/kali-moti-aunty-ki-chudai-ki-kahani.html#respond Wed, 14 Feb 2018 02:50:29 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=11948 इसी समय मैंने लंड पूरा बाहर खींच के एक लंबा धक्का मारा। मेरे लंड ने आंटी की चूत की गहराई में जाकर पिचकारी छोड़ दी थी ,कैसी लगी  सेक्स स्टोरी , रिप्लाइ जररूर करना आंटी का दूसर पार्ट जलदी लेकर आऊगा |

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काली मोटी आंटी की चुदाई की कहानी
( Kali Moti Aunty Ki Chudai Ki Kahani )

हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम अजय है और मेरी उम्र 27 साल है। दोस्तों यह मेरी दुसरी कहानी है और में पटना सिटी होऊ बेगलुर काम करता होऊ अब आंटी के बारे बतात होऊ आंटी नाम सुनता हैं उम्र 38 साल की है पर  वो बहुत ही काली है और उसके बूब्स बहुत बड़े और टाइट है और गांड तो बहुत ही ज्यादा बाहर है और. उसका फिगर ३८ – ३२ – ४०. उसका पति  टेक्स डरवर है उसके २ बच्चे है, अब में कहानी आता हूं एक दिन की बात है, जब मैं सविता आंटी के घर बाहर था,  आंटी मेरे पास आई और बोल ने लगी मेरा एक हैल्प करा गए अजय में बोल क्या हैल्प आंटी जी ऑन्टी बोली बच्चे स्कूल फीस दान है २०.००० और बोली १ महीने वापस कर कर दूगी मै ने आंटी को दूसर दिन पैसा दे दिया । दकथा ते दकथा  २ मयना हो गए  आंटी ने पैसा नही दिया |

आंटी रोज बोलती कल कल करते करते और १० दिन हो गया, और आंटी एक दिन  अपने घर में बुलया और बोल लगी प्ल्ज़ और 3 मयने टाइम देदो .में बोल ने लग क्या नही सुना है बस्स कल मेरा पैसा वापस कर दान. या बोल के में आपन ऑफिस को चला गया और साम के ५ बजे ऑफिस से वापस आया .आंटी मेर घर आई और बोल लगी मेरी हालत बहुत खरब है २ महीने से और बोल लगी बस 15 दिन का टाइम दो. मै आंटी हालत देकर हा बोल दिया.

सोमवार दिन था अदा दिन ऑफिस काम कर घर आय २ बजे और सात  २ बियर बॉटल लाया १ बोतल पी लिए और खाना बनाने लगा ,और १५ मिनट खाना बान गया और खाना खता खता  सात मै बियर पीने लगा अब मेरा खाना हो गया था. और बियर खत्म हो गई थी अब सोन लगा १० मिनट हो गया नींद नही आरी थी  ३.३० बजे अब मेरे दिमाक आंटी आगई में आंटी के घर गया और . बोल लगा जोर जोर बोल लगा मेरा पैसा वापस कर दो आज ,आंटी बोली ने लगी घर के अंदर आके बात करा प्ल्ज़,  अब घर के आंदर गया और बोल लगा आज मेरा पैसा वापस कर दे , आंटी बोल ने लगी आपने  दारू पिया है जादा लगर है, में बोल लगा नही , आंटी बोल लगी अब तुम मेरे घर सौज आप , अब मेरा सार दर्द होने लगा था , आंटी बोल लगी बेडरूम जाकर सो जाऊ आप, अब में बेडरूप मै जाकर सोने लग, ४,३० बजे सो के बेडरूम बार निकल आंटी नाहक बातरूम निकली और में तो पागल ही हो गया.

और लन्ड ख़डा हो गए ‘आंटी मेर तरफ को दक ने लगि, अब तो मेरा मन बन गया था आंटी को चोदने का, आंटी बोल लगी आपने घर जाऊ आप बच्चे स्कूल आने टीम हो गया, में आपने घर जाकर सो गया उस दिन पुर रात आंटी याद आरी थी , अब रोज आंटी के नाम मुठ मरता था,  अब १५ दिन हो गया आंटी उस दिन रात को आकर १५.००० दिया ,और बोल लगी ५ दिन बाकी पैसा दुगी, में आंटी बोल लगा ठीक है बुधवार का दिन में ऑफ़स नही गया उस दिन पूरा दिन घर था  २.३० आंटी घर गया और ,आंटी बोली क्या काम है में बोल लगा आप से मिलने आया होऊ आंटी आंदर बुलाया और बोल लगी आप कॉफी पिता हो क्या मै  नही बोल दिया, आंटी बोल लगी आज तुम ऑफ़स नही गया मै बोल लगा आप से कम था आंटी बोली क्या काम हैं बस मिलान था |

में आंटी बोल दिया आप बहुत खूबसूरत हो ,आंटी बोल लगी नही तो, आंटी आप से प्रेम हो गया हम को, आंटी हत किश कर दिया आंटी भक कर बड़रम मै चलगई |

में बी बडरम चलगई,आंटी बोल लगी तुम आप अपने घर जाऊ , में आंटी को बोल लग तुम आज मेरा काम कर दो , आंटी बोली तुम गलत करे हो , में बोल लगा नही आंटी  में किस नही बोली ग’ यबात ,आंटी बोल लगी मेरा पति को मालूम हो गए आप को मार दगा, में बोल लग आप पति को मालूम होग जब तो,  अब आंटी और मै हम कुछ देर किस करते रहे. और जबान लडाते रहे. अब में आंटी के बूब्स को अपने दोनों हाथो से जोर जोर से मसल ने लगा. आप यह हिंदी सेक्स स्टोरी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | आंटी भी सिस्कारिया भरने लगी. आआआआ स्सस्सस्स ऊउह्ह्ह्ह हाहाहा आआआआ…. और जोर से दबा, मेने आंटी की ब्रा खोल दी. और उनके दोनों बूब्स बहार आ गये. में भूखे जानवर की तरह उन पर टूट पड़ा. आंटी को भी मजा आ रहा था. वो आहे भर रही थी. अब वो मेरे लंड को सहलाने लगी , कुछ देर बूब्स चूसने के बाद मेने उनकी पेंटी उतार दी. उन्हों ने शेव नही की थी. और  चूत उपर उठी हुई थी |

मेने उस पर अपना हाथ रखा तो पूरी हथेली चूत  के अंदर समा गई. फिर मेने उनको बिस्तर पर लेटा दिया, और उनकी चूत पर अपनी जबान फिराने लगा. आंटी जोश में आ गई. में भी मदहोश होकर उनकी चूत चाटने लगा. मेने अपनी जीभ उनकी चूत के छेद में घुसाई. जिस से आंटी कसमसा गई, कुछ देर बाद आंटी मेरे बाल पकड़ कर चूत पर दबाने लगी. और आआआआ ऊऊऊ ऊऊऊईईईं आआआआ हाहाहा ह्ह्ह्हह मजा आ रहा है, और जोर से चूस, आज तक मेरी चूत को इतनी अच्छी चुसाई किसी ने नहीं की हे,

आज तो तूने मुझे जन्नत दिखा दी. आज तक मेने ऐसी चुसाई नहीं की हे. में उसे बहोत जोर जोर से चूस रहा था और उसके एकदम अंदर तक मेरी जीभ डाल कर अंदर तक चूस रहा था और आंटी अब  अहह फह हहह फह अह्ह्ह कर रही थी और वह बहोत गरम हो गयी थी और उसकी चूत तो एक आग की तरह तड़प रही थी और में उसे अपने मुह से चोद रहा था.

थोड़ी देर में आंटी का  शरीर अकडने लगा और आंटी जड गई और उसने सारा पानी मेरे मुह में ही डाल दिया था.. आंटी का सारा पानी अपने मुह में भर लिया.अब आंटी ने मेरी पेंट निकाल दी, और मेरे लंड को पकड़ कर हिलाने लगी. जिस से वो और टाइट हो गया. और वो गपा गप अपने मुह उस पर चलाने लगी. मेरा लंड उनके गले तक जा रहा था.

और में भी उनके बाल पकड़ कर अपने लंड  डाल रहा था.. थोड़ी ही देर में आंटी बोल लगी, ‘अब डाल दो…अजय.. अब नहीं रुका जाता… जल्दी से… फाड़ दो मेरी . चूत  .!’  आंटी फुल गरम हो चुकी थीं। मैं उनकी टांगों की बीच में आ गया और अपना गुलाबी लन्ड उनकी चूत पर टिका कर जोर लगाने लगा। लेकिन उनकी मोटी सी चूत में मेरा मोटा लंड घुस गया सपसे अंदर घुस गया। अब मैं अपना लंड उनकी चूत की दरार पर ऊपर से नीचे डाल लगा… जिससे पूरा लंड चूत के पानी में भीग कर चिकना हो गया। उनकी चूत के मुहाने को उँगलियों से फैलाया और लन्ड फंसा दिया।

फिर उनकी कमर पकड़ के एक जोरदार  जोरदार  झटका मारा…लगा अब पूरा लंड चूत घुस गया था , अब चूत से फचाक फचाक फचाक आवज चूत आने लगा था ,और आंटी । के मुँह से चीख सी निकल सिसकारियाँ… उह्ह…आह्ह की आवाज निकल रही थी..अब लंड गीला होने के बाद आसानी से अंदर चला जार था  फिर धीरे-धीरे आंटी  के चूत अंदर जरा तह अब आंटी मेरे लन्ड के ऊपर के बैठ गई और उसका पूरा लंड आंटी की  चूत के अंदर चला गया।

अब उसके मुँह से आहें निकल रही थी और अब  आंटी मेरे लन्ड के ऊपर उछलने लगी  साथ हमारी चीखें तेज हो रही थी।। कुछ ही देर में आंटी की  चूत फव्वारा  स्पद रंग पानी आर था | आप यह हिंदी सेक्स स्टोरी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | अब ३० मिनट की चुदाई के बाद मुझे महसूस हुआ कि मैं अब झड़ने वाला हूँ तो मैंने लंबे-लंबे धक्के मरने शुरू कर दिया। अब आंटी मुँह से तेज सिसकारियाँ निकलने लगी…

अब आंटी की चूत और टाइट हो गई… इसी समय मैंने लंड पूरा बाहर खींच के एक लंबा धक्का मारा। मेरे लंड ने आंटी की चूत की गहराई में जाकर पिचकारी छोड़ दी थी ,कैसी लगी  सेक्स स्टोरी , रिप्लाइ जररूर करना आंटी का दूसर पार्ट जलदी लेकर आऊगा | [email protected]

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बड़ी बहन के देवर से चटवाई अपनी चुत | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/koi-mil-gaya/badi-bahan-ke-devar-se-chatwai-apni-chut.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/koi-mil-gaya/badi-bahan-ke-devar-se-chatwai-apni-chut.html#respond Tue, 13 Feb 2018 07:31:41 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=11942 बड़ी बहन के देवर से चटवाई अपनी चुत, दीदी के शादी में जब उनके देवर से मै मिली हम दोनों एक दुसरे के करीब आ गए और पहली बार नींद में उसने मुझे किस किया जिससे मेरी नींद खुल गई और मै उसके मन की बात जान गई और फिर हम रात में मिले और एक दमदार चुदाई किये

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हाय दोस्तों आज मैं पहली बार अपनी कहानी को मस्ताराम की साईट पे शेयर करने जा रही हूँ उम्मीद कराती हूँ की आप सभी को जरुर पसंद आएगी. आशा कराती हूँ की ये वैलेंटाइन डे आपके लिए स्पेशल रहे आपको आपका पाट्नर मिले और अगर ऐसा हो गया तो मुझे जरुर कमेंट बॉक्स में बताये. चलिए अब कहानी पे आते है. मेरा नाम अस्फा है | मैं रहने वाली हरिद्वार की हूँ | मेरी उम्र 22 साल है | मैं ऍम एस सी कम्पलीट कर चुकी हूँ | मेरी हाईट 5 फुट 6 इंच है | मैं दिखने में काफी गोरी हूँ | मेरा फिगर देख कर किसी बूढ़े आदमी का भी लंड खड़ा हो जाये | मेरे बड़े बड़े बूब्स और मेरी पतली कमर और मेरी मस्त बड़ी गांड है | मैं किसी हुस्न की मल्लिका से कम नहीं हूँ | जिसको देख कर मेरे मोहल्ले के लड़के पागल रहते हैं |

मुझे सेक्सी कहानी पढना बहुत अच्छा लगता है | मैं सेक्सी कहानी काफी अरसे से पढ़ती आ रही हूँ और आज मुझे भी मौका मिला रहा है की मैं भी एक कहानी लेकर आई हूँ | ये मेरी पहली कहानी है और मेरे जीवन की सच्ची घटना | मेरे घर मैं 4 लोग थे | मैं और मेरे मम्मी पापा और मेरी दीदी | जिसकी अभी कुछ महीने पहले शादी हो गयी है | मेरी दीदी की शादी जयपुर से हुई है | मैं आप लोगो का ज्यादा समय न लेती हुई सीधे अपनी कहानी पर आती हूँ |

ये कहानी कुछ दिन पहले की है जब मैं गर्मी की छुट्टियों में अपनी दीदी के घर गयी थी | मैं जब वहां गयी तब मैंने वहां दीदी के देवर को देखा | जिसका नाम अरशद था | वो दिखने में काफी अच्छा था | उसकी मस्त बॉडी भी थी और काफी स्मार्ट था | जब मैंने उसे पहली बार शादी में देख था तो वो मुझे इतना अच्छा नहीं लगा था | पर जब मैंने उसको उसके घर देख तो वो मुझे बहुत अच्छा लगा था | अब मैं उसके घर पर रुकी थी और मैं कभी कभी उसे मजाक भी कर दिया करती थी | एक दिन की बात है जब मैंने उसकी गांड पर हाथ मारा तो वो ये बात मेरी दीदी से बोल दिया | तो मेरी दीदी ने मुझसे कहा की तुमने मेरे देवर को क्यूँ मारा तो मैंने भी कह दिया | दीदी तुम्हरा देवर छोटा बच्चा नहीं है मैं तो मजाक कर रही थी | वो ये बात पीछे से सुन रहा था | तब वो मुझसे बोला ठीक है अस्फा जब मैं करूँगा तब भाभी से न कहना | तब मेरी दीदी बोली तुम दोनों आपस में जानो मुझ कोई जरूरत नही है और वो ये कह कर चली गयी | उसके बाद मैं सो रही थी |

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तब अरशद आकर मेरी होठो पर किस करने लगा और मैंने भी उसके लंड को पकड कर दबा दिया | तो वो मेरे बूब्स को दाबने लगा तभी दीदी ने मुझे आवाज दी और मैं चली गयी | इस तरह से वो मेरे साथ अक्सर किया करता था | मुझे भी अच्छा लगता था | एक दिन की बाद है जब मेरी दीदी और घर के सब लोग किसी पार्टी में जा रहे थे और अरशद नहीं जा रहा था | तो मैंने भी माना कर दिया और कहा मेरा मन नहीं है जाने का आप लोग चले जाओ | सब लोग चले गए और अरशद अपने कमरे में सो रहा था | मैंने जाकर उसके कमरे के दरवजा बंद करके उसकी होठो पर अपने होठ रख कर मैं उसकी होठो को चूसने लगी और उसकी आंखे खुल गयी | वो भी मेरा साथ देते हुए मेरी होठो को चूसने लगा |

मैं उसकी होठो को चूसने के साथ उसके लंड को पेंट के ऊपर से सहला रही थी | वो मुझे किस करने के साथ में मेरे बूब्स को कपडे के ऊपर से दबाने लगा | तो मेरे मुंह से उह्ह्ह उग्ग्ग्गु ह्ह्ह्ह उह्ह्ह उफ्फ्फ अह्ह्ह उह्ह आह्ह्ह ह्ह्ह्ह ऊह्ह उफ्फ्फ उह्ह्ह उह्ह्ह उफ़ उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ अह्ह्ह उफ्फ्फ उह्ह्ह अह्ह्ह उह्ह्ह उफ़ अह्ह्ह उह्ह्ह उफ्फ्फ अहह उह्ह्ह उफ्फ्फ ऊआआ हाह्ह्ह करने लगी | वो मेरे दूधो को जोर जोर से मसलने लगा | साथ में मेरी चूत को कपडे के ऊपर से सहला रहा था | तो मेरे मुंह से उह्ह उफ्फ्फ्फ़ उह्ह्ह ह्ह्ह्ह उह्ह्ह उफ्फ्फ अह्ह्ह उह्ह आह्ह्ह ह्ह्ह्ह ऊह्ह उफ्फ्फ उह्ह्ह उह्ह्ह उफ़ उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ अह्ह्ह उफ्फ्फ उह्ह्ह अह्ह्ह उह्ह्ह उफ़ अह्ह्ह उह्ह्ह उफ्फ्फ अहह उह्ह्ह उफ्फ्फ की सिसिकियाँ लेने लगी |आप यह हिंदी सेक्स स्टोरी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |

फिर उसने मेरे कपडे निकाल दिए | मैं अब उसके सामने ब्रा और पेंटी में थी | वो मेरे दूध को ब्रा के ऊपर से मसलते मसलते मेरी ब्रा भी खोल दी | अब मेरे बड़े बड़े दूध उसके सामने आ गए और वो मेरे एक दूध को अपने मुंह में लेकर चूसने लगा | जिससे मेरे मुंह से हलकी हलकी आवाज में उह्ह्ह उफ्फ्फ उह्ह्ह उह्ह्ह उफ्फ्फ ह्ह्ह्ह उह्ह्ह उफ्फ्फ अह्ह्ह उह्ह आह्ह्ह ह्ह्ह्ह ऊह्ह उफ्फ्फ उह्ह्ह उह्ह्ह उफ़ उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ अह्ह्ह उफ्फ्फ उह्ह्ह अह्ह्ह उह्ह्ह उफ़ अह्ह्ह उह्ह्ह उफ्फ्फ अहह उह्ह्ह उफ्फ्फ उह्ह उफ्फ्फ की सिसिकियाँ निकलने लगी | वो मेरे एक दूध को मुंह से चूस रहा था और एक को हाथ से मसल रहा था | में उह्ह्हू ऊग्ग्ग्ग उफ्फ्फ उह्ह्हू ह्ह्हू ह्ह्ह्ह उह्ह्ह उफ्फ्फ अह्ह्ह उह्ह आह्ह्ह ह्ह्ह्ह ऊह्ह उफ्फ्फ उह्ह्ह उह्ह्ह उफ़ उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ अह्ह्ह उफ्फ्फ उह्ह्ह अह्ह्ह उह्ह्ह उफ़ अह्ह्ह उह्ह्ह उफ्फ्फ अहह उह्ह्ह उफ्फ्फ करती हुई अपने मुंह में अपनी ऊँगली को डाल कर चूस रही थी |

फिर उसने मेरे पहले दूध को छोड़ कर दुसरे वाले को मुंह में रख कर चूसने लगा और पहले वाले को अपने हाथ से दबने लगा | तो मेरे मुंह से उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ उह्ह्हह्ह अह्ह्ह उह्ह्ह उफ्फ्फ ह्ह्ह्ह उह्ह्ह उफ्फ्फ अह्ह्ह उह्ह आह्ह्ह ह्ह्ह्ह ऊह्ह उफ्फ्फ उह्ह्ह उह्ह्ह उफ़ उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ अह्ह्ह उफ्फ्फ उह्ह्ह अह्ह्ह उह्ह्ह उफ़ अह्ह्ह उह्ह्ह उफ्फ्फ की सिसिकियाँ लेते हुए अपनी चूत को सहलाने लगी | वो मेरे दोनों दूधो को एक एक करके चूस रहा था | कुछ देर तक वो मेरे दोनों दूध को चूसता रहा |

फिर वो मेरी पेंटी को निकाल कर मेरी टांगो को थोडा से फेला कर उसने अपना मुंह मेरी चूत में घुसा कर मेरी चूत को चाटने लगा | तो मेरे मुंह से अह्ह्ह्ह उह्ह्ह आःह्ह की आवाज निकल गयी | वो मेरी चूत में अपनी जीभ को घुसा कर अन्दर बाहर करने लगा जिससे मेरे मुंह से उह्ह्हह्ह उह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह करती हुई अपने बूब्स को मसल रही थी | वो मेरी चूत को चाटने के साथ मेरी चूत में अपनी ऊँगली भी घुसा दी |

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तो में उह्ह्ह उफ्फ्फ उय्य्य उफ्फ्फ्फ़ करने लगी | वो मेरी चूत में अपनी ऊँगली को जोर जोर से अन्दर बाहर करने लगा जिससे मेरी मुंह से हलकी हलकी आवाज में उफ्फ्फ ऊह्ह उफ्फ्फ की सिसिकियाँ लेते हुए अपनी बूब्स को मसलने लगी | वो मेरी चूत को कुछ देर तक चाटता रहा | फिर अपने कपडे निकाल कर अपने लंड को हिलाने लगा | तो मैंने उसके लंड को अपने हाथ में पकड़ कर मुंह में रख कर चूसने लगी | तो उसके मुंह से ह्ह्ह्ह उह्ह्ह उह्ह्ह करने लगा | मैं उसके लंड को अपने मुंह में अन्दर बाहर करते हुए चूस रहा थी | वो अह्ह्ह उह्ह्ह करते हुए मेरे सर को पकड कर मेरे मुंह में धीरे धीरे धक्के मारने लगा | फिर वो मेरी टांगो को फेला कर मेरी चूत के मुंह पर रख कर मेरी चूत में लंड को घुसा कर अन्दर बाहर करने लगा | तो मेरे मुंह से अहह उह्ह्ह उफ्फ्फ करते हुए चुदने लगी | वो जोर जोर के धक्के के साथ मेरी चूत को चोद रहा था |

मैं उह्ह्ह उफ्फ्फ करते हुए चुद रही थी | वो अपने लंड से मेरी चूत को फुल स्पीड से चुदने लगा | वो मेरी चूत में अन्दर बाहर करते हुए मेरी चूत को चोद रहा था | मैं ह्ह्ह्ह उह्ह्ह उफ्फ्फ अह्ह्ह उह्ह आह्ह्ह ह्ह्ह्ह ऊह्ह उफ्फ्फ उह्ह्ह उह्ह्ह उफ़ उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ अह्ह्ह उफ्फ्फ उह्ह्ह अह्ह्ह उह्ह्ह उफ़ अह्ह्ह उह्ह्ह उफ्फ्फ अहह उह्ह्ह उफ्फ्फ करती हुए अपने चूत को हिला हिला कर चुदने लगी |आप यह हिंदी सेक्स स्टोरी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | वो मेरी चूत में अन्दर बाहर करते हुए चुद रहा था और मैं ह्ह्ह्ह उह्ह्ह उफ्फ्फ अह्ह्ह उह्ह आह्ह्ह ह्ह्ह्ह ऊह्ह उफ्फ्फ उह्ह्ह उह्ह्ह उफ़  उफ़ अह्ह्ह उह्ह्ह उफ्फ्फ अहह उह्ह्ह उफ्फ्फ उह्ह्ह उफ्फ्फ अहह करते हुए अपनी चूत को आगे पीछे करते हुए चुद रही थी वो मेरी चूत को अन्दर बाहर करते हुए चुद रहा था | वो 35 मिनट की मस्त चुदाई के बाद अपने लंड को मेरी चूत से निकाल कर मेरी चूत के ऊपर मुठ मारने लगा और कुछ दी देर में उसके लंड ने सारा माल मेरी चूत के ऊपर निकाल दिया |

इस तरह से मैंने अपनी दीदी के देवर से अपनी चूत की मस्त चुदाई करवाई | मैं उम्मीद करती हूँ की आप लोगो को मेरी कहानी पसंद आई होगी और मज़ा भी आया होगा | मेरी कहानी पढने के लिए धन्यवाद |

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प्यासे लंड की आग के सामने बेबस लड़की | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/chudai-ki-kahani/pyase-land-ki-aag-ke-samne-bebas-ladki.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/chudai-ki-kahani/pyase-land-ki-aag-ke-samne-bebas-ladki.html#respond Mon, 12 Feb 2018 16:49:03 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=11937 शीला और नताशा, दोनों सो गये. रात में सोने से पहले, चंदेल को नताशा ने समझा दिया की वो आज रात में चुदाई नहीं करेगी, आप चाहो तो शीला को चोद लेना, वो कुछ नहीं बोलेगी उसकी चुत में भयंकर आग लगी है |

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प्यासे लंड की आग के सामने बेबस लड़की
( Pyase Land Ki Aag Ke Samne Bebas Ladki )

हेल्लो दोस्तों कैसे है आप लोग मजे कर रहे हो ना मै समझ गया आप लोग मुठ मारने की तयारी कर रहे हो और मेरी बहने भी चुत रगड़ने की तयारी कर रही है तो चलिए सुरु करता हूँ कहानी दोस्तों कहानी के बाद अपनी प्रतिक्रिया कमेंट में जरुर लिखना | प्यासे लंड की आग के सामने बेबस लड़की कहानी का शीर्षक है दोस्तों अब आपको बता दूँ सागर की मम्मी का देहांत हुए महीना भी नहीं हुआ था की उसका पापा चंदेल, 19 साल की दुल्हन ढूढ़ने लगा. एक दिन, सागर घर में काफ़ी लोगों को देख अपने पापा से पूछता है की क्या बात है इतने लोग उसका पापा, उसे समझाने की कोशिश करता है की दोनों को ज़रूरत है एक औरत की जो, घर संभाल सके. सागर की मम्मी के बाद, उसकी बुआ घर के काम देख रही थी पर वो हमेशा तो रुक नहीं सकती. सागर को समझाते समझाते, चंदेल थक गया.

थोड़ी देर बाद, बुआ आकर अपने तरीके से समझाने लगी. सागर की बात सही थी. वो कैसे किसी और को, अपनी मम्मी एक्सेप्ट कर पाएगा. सागर सब समझ रहा था पर उसका दिल बिल्कुल भी नहीं मान रहा था थोड़ी देर बाद, चंदेल फिर आया और बुआ को जाने के लिए कहा. चंदेल, सागर से बोला की शादी करना ज़रूरी है और वो और उसकी नयी मम्मी वही करेगी, जो तू कहेगा कभी कोई प्राब्लम नहीं होगी सागर फिर भी इनकार करने लगा.

आख़िरी में चंदेल ने सागर से कहा मेरी मजबूरी है और बर्दाश्त नहीं होता चाहे जो भी मांग ले पर इनकार मत कर मैं तेरे हाथ जोड़ता हूँ और, वहाँ से चल दिया. “चुड़क्कड़ पापा” तरस रहा था और पीछे नहीं हटने वाला था. आख़िर, में शादी हो ही गई. दुल्हन का नाम, नताशा था.. 21 साल की थी और शरीर भरा हुआ था.. देखा जाए तो सागर, उससे 3 साल ही छोटा था और उसका पति उससे दुगुनी उमर का था. 2-3 दिनों तक, सब घर में ही थे तो “सुहाग रात” तो हुई ही नहीं. सबके जाने के बाद, नताशा ने घर संभाला.

चंदेल, सुबह खेत पर जाता और 7-८ बजे वापस आ जाता. सागर, दोपहर १ बजे स्कूल जाता और 5 बजे तक वापस आ जाता. सागर के दिल में, नयी मम्मी के लिए कोई फीलिंग नहीं थी बल्कि गुस्सा था. पहले दिन से ही, उसने नयी मम्मी को छोटे छोटे काम के लिए परेशान किया. पर नताशा ने, उसकी हर ज़रूरत का ख़याल रखा. सागर ने नहलाने तक का काम, नताशा से कराया.

नताशा के घर में भी वो सब काम करती थी और उसे इन सबकी आदत थी. गाँव की लड़कियों को, ये सब की आदत होती है. नताशा को पहले ही उसके पति ने कह कर रहा था की सागर को किसी चीज़ की तकलीफ़ नहीं होनी चाहिए जो वो कहे, वैसा ही करना नताशा डरी हुई थी, पर साथ ही खुश भी थी. चंदेल रोज़ सुबह, जल्दी खेत में काम करने जाता.

पहले दिन से ही, सागर ने नताशा को परेशान करना शुरू किया. सागर चंदेल के जाने के बाद उठा और संडास जा के नताशा के पास गया और नताशा को कहा – मुझे नहाना है पानी गरम कर के दो घर में ही एक कुआ था, नताशा कुए के पास गरम पानी रख कर खड़ी हो गई. सागर सामने, अंडरवियर में खड़ा हो गया. सागर ऐसे ही खड़ा रहा और नताशा को देख रहा था.

नताशा समझ गई की उसे स्नान भी करवा के देना होगा. नताशा ने साड़ी ऊपर की और बैठ गई. सामने सागर को बिठाया और उस पर पानी डाल कर, साबुन लगाने लगी. पूरे बदन पर साबुन लगा लिया पर अंडरवियर बाकी था. सागर के अंडरवियर में भी, उसे हाथ डालना पड़ा. सागर ये सब, “एंजाय” कर रहा था.

नताशा के मुलायम हाथों का स्पर्श, अपने “लंड और ग़ुल्लों” पर पा कर मन में ही उछल रहा था. साबुन घोते समय, नताशा को महसूस हुआ की सागर का लंड खड़ा हो गया था. नताशा, कुछ नहीं बोली. स्नान होने के बाद, सागर को टॉवेल से पोंछ दिया. सागर का लंड तब भी खड़ा हुआ. अंडरवियर निकाल कर टॉवेल लपेट कर, सागर ने नताशा को कहा की उसे भूख लगी है और सीधा रसोई में चला गया.. नताशा की नज़र उसके लंड पर थी, जो टॉवेल में “टेंट” बन रहा था. सागर, रसोई में गया और बैठ गया.

नताशा आ कर, सागर को खाना परोस कर सामने बैठ गई. एक दो नीवाला मुंह में डालने के बाद, सागर रुक गया. नताशा ने पूछा – क्या बात है खाना ठीक नहीं बना क्या ?? सागर कुछ नहीं बोला और खाना खाने लगा. कुछ देर बाद, सागर बोला की उसे नुन्नी में दर्द हो रहा है उसका लंड, अब भी खड़ा था नताशा ने कहा के टॉवेल ढीला कर दे, बाद में तेल लगा दूँगी. सागर बोला – अभी, तेल ले आओ नताशा ने कहा की खाना ख़तम कर लो, उसके बाद पर सागर ज़िद करने लगा.

नताशा ने कहा – ठीक है और वो तेल की शीशी ले आई. सागर वैसे ही, बैठा रहा. नताशा ने तेल थोड़ा हाथ में ले कर टॉवेल के अंदर हाथ डाल दिया और लंड को पकड़ कर रगड़ने लगी.

10 मिनिट के बाद, सागर का खाना हो गया पर मालिश चल ही रही थी. सागर टॉवेल को हटा कर बोला की टॉवेल चुभ रहा है. नताशा के सामने, सागर पूरा “नंगा” बैठा था. सागर अब बस झड़ने वाला था.

नताशा हाथ में लंड लेकर खुद भी हैरान थी और सोच रही थी की ये सब क्या हो रहा है. सागर, मज़े ले रहा था. खाना ख़तम होने के 2 मिनिट बाद, सागर बोला – अभी, बस हो गया आ आ आहा हा सागर के लंड से पिचकारी, सीधे सामने निकली. नताशा हैरान हो गई, ये सब देख कर.. पिचकारी, सीधे थाली में जा गिरी. यह हिंदी सेक्स कहानी आप मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |

सागर बोला – अब अच्छा लग रहा है नताशा की उंगली, सागर के वीर्य से सनी हुए थी. नताशा ने साड़ी के पल्लू से अपना हाथ और सागर का लंड पोंछ कर, साफ किया. अब ये, रोज़ की बात हो गई थी.

सागर नहाते वक़्त, नंगा हो जाता. नताशा को भी ये ही लगता था क्यूंकि सागर खुश था. सागर को अपनी सोच पर, बहुत अफ़सोस होने लगा. वो सोचता था की नताशा को परेशान करेगा, पर पहले दिन से ही नताशा उसकी सब बात मानती थी. सागर ने सोच लिया की वो नताशा को बहुत प्यार देगा पर एक दोस्त की तरह, वो कभी “मम्मी” का दर्जा नहीं दे पाएगा. एक दिन रात में, सागर को नींद नहीं आ रही थी.

सागर, उसका पापा और नताशा साथ ही एक ही कमरे में सोते हे. सागर ने देखा की चादर की अंदर, चंदेल नताशा के ऊपर सोया हुआ है और ज़ोर ज़ोर से हिल रहा है. कमरे की खिड़की से स्ट्रीट लाइट की रोशनी, सीधे उन पर आ रही थी. सागर, ध्यान से देखने लगा. थोड़ी देर में चादर साइड में हो गई और दोनों का “नंगा बदन” सामने आ गया.

चंदेल, चोदने में लगा हुआ था. नताशा, धीरे धीरे चिल्ला रही थी. नताशा की नज़र, सागर पर पड़ी. पर वो, कुछ ना बोली. सागर, चुप चाप देख रहा था. थोड़ी देर बाद, चंदेल ने नताशा को “डॉगी स्टाइल” में चोदना चालू किया. चंदेल ने जब सागर को जागते हुए देखा तो ज़ोर से सागर पर चिल्लाया – ओय, सोया नहीं अभी तक चल, मुंह उधर कर के सो नहीं तो टाँगे तोड़ दूँगा सागर डर गया और डर के मारे, सो गया. अगले दिन, सागर ने नहाते वक़्त नताशा से पूछा की रात मैं क्या चल रहा था नताशा, कुछ नहीं बोली.

सागर के बार बार पूछने पर नताशा ने कहा की ये सब बड़े लोगों का खेल है तुम नहीं समझोगे सागर ने कहा की उसे भी ये “खेल” खेलना है नताशा डाँट कर बोली की ऐसा, ये सब नहीं बोलना चाहिए वरना वो शिकायत करेगी, चंदेल से सागर चुप हो गया पर उसके दिमाग़ में कुछ चल रहा था. सागर, रोज़ खाना खाते खाते मूठ मरवाता.

अब, पापा बेटा दोनों खुश थे. नताशा, बेटे और पति को खुश रखने की कोशिश में जुटी थी. चंदेल ने कहा था की सागर को कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए और जो कहे, जो मांगे, दे देना. अपने पति की आग्या का पालन कर रही थी और सागर की कभी शिकायत नहीं की. चंदेल रात को आता और खाना खा कर सो जाता.

सागर दिन भर खेलता कूदता और पापा के आते ही, किताब ले कर बैठ जाता. नताशा, सुबह सागर को संभालती और शाम को चंदेल को. 3-4 महीनो बाद चंदेल की रिश्तेदार, सागर की चाची आई. सब की खबर, लेने के लिए.

शीला की शादी नहीं हुए थी और उमर बढ़ने के कारण, वो “वर्जिन एंड अनमॅरीड” ही रह गई. शीला (चाची) को लग रहा था की सब कुशल मंगल है, सब खुश लग रहे थे. वो कुछ दिनों के लिए, आई थी. अगले दिन, सुबह उठ कर वो पहले संडास करने के लिए खेतो में गई. उसके बाद वापस आ कर, घर के कामो में नताशा का हाथ बटाने लगी. नताशा ने फिर कुछ देर बाद, सागर को उठाया. सागर का लंड, सुबह की ठंडी में कड़क हो गया था. शीला ने देखा की उसकी पतलून में उभार है, और समझ गई की लड़का अब जवान हो गया है.

सागर, संडास करके आया और कुए (वेल) के पास जाकर कपड़े निकालने लगा. तब तक नताशा, गरम पानी बाल्टी में लेकर आई. शीला, दोनों को देख रही थी. शीला को होश तब आया जब नताशा, सागर के सिर पर पानी डाल कर साबुन लगाने लगी.

शीला यूही देखती रही और सोचने लग गई की ये तो “जवान लड़का” है, थोड़ी तो शरम आनी चाहिए. नताशा ने सारे बदन पर साबुन लगा दिया और एक पत्थर से, बदन घिसने लगी.

सागर नताशा से बोला – चाची को यहाँ से हटाओ मुझे शरम आती है नताशा हँसते हुए शीला से बोली – आप ज़रा रसोई में जाइए मेरे मुन्ना को, शरम आ रही है |

चाची बोली – काहे की शरम मैं तो तेरी मम्मी जैसी हूँ ना सागर ज़िद करने लगा.

नताशा के फिर से कहने पर चाची अंदर गई और हँसते हुए बोली – कितना शरमाता है शादी के बाद, क्या होगा तेरा

सागर नताशा से कहता है – नुन्नि को भी सॉफ कर दो

नताशा कहती है – तू अब बड़ा हो गया है ये सब, खुद से करना चाहिए चाची देखेगी तो क्या बोलेगी

सागर बोला – चाची तो एक दो दिनों के लिए है

नताशा ने फिर एक हाथ से एलास्टिक खींचा और दूसरे हाथ को अंदर डा

कर नुन्नि को मुट्ठी में पकड़ लिया.

सागर बोला – अच्छे से सॉफ करो इसमें से, बदबू आती है

नताशा, सागर के लंड पर साबुन लगा कर हिलाने लगी. सागर भी मज़े ले रहा था. शीला थोड़ी देर के बाद आई और फिर ये सब देख कर सोच में पड़ गई. सागर की नुन्नि, असल में एक लंड के आकर की हो गई थी. नताशा को भी पता था पर वो सागर को बच्चा ही समझ रही थी. शीला, सागर के हाव भाव देख कर समझ गई की दाल में कुछ काला है. आप यह हिंदी सेक्स स्टोरी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | स्नान होने के बाद, सागर कमरे में कपड़े पहनने गया. नताशा ने उसके सर पर चमेली का तेल लगाया. सागर बोला की थोडा तेल नुन्नि को भी लगाओ

नताशा ने पूछा – क्यू ??

तो सागर बोला – ऐसा करने से, मैं जल्दी जवान हो जाऊंगा ऐसा, मेरे दोस्तो ने कहा है

नताशा बोली – चल हट, बदमाश जा कर खुद लगा मुझे बहुत काम है

सागर बोला – बाद मैं मालिश कराऊंगा मुझे नहीं आता

नताशा, रूम से बाहर चली गई.

सागर ने फिर खुद ही तेल लगा लिया.

खाना खाते हुए, सागर बोला की दर्द हो रहा है.

नताशा बोली – नहीं अभी चाची है उनको अच्छा नहीं लगेगा

सागर, कुछ नहीं बोला. नताशा बोली की बाद में, तुझे मालिश करवाती हूँ  खाना खाने के बाद, सब सो गये पर सागर तो मालिश करवाने के लिए उत्तेजित था. शीला, रूम में सोई थी.सागर नताशा को लेकर रसोई में गया और कपड़े उतार कर, अंडरवियर में लेट गया. नताशा तेल की शीशी लेकर, उसकी मालिश करने लगी. फिर हाथ पैर की मालिश कर दी.. उतने में सागर का लंड, टाइट हो गया था. सागर ने कहा – जिसके लिए आया था वो तो छोड़ दिया

नताशा ने पूछा – क्या ??

तो सागर ने झट से जवाब दिया – मेरी नुन्नि

नताशा ने मुस्कुराते हुए हथेली में काफ़ी तेल लिया और दोनों हाथ से लंड पकड़ कर हिलाने लगी.

10 मिनिट के बाद सागर बोला – रूको मत, ज़ोर ज़ोर से करो

नताशा बोली – तेरा रस निकल जाएगा ऐसा मत कर

सागर बोला – रस निकलने के बाद ही चैन मिलता है आप जल्दी करो

नताशा फिर हिलाने लगी और थोड़ी देर के बाद, गरम वीर्य लंड से निकल आया.

नताशा ने फिर अपने पल्लू से लंड और हाथ सॉफ किया.

नताशा, ने सागर को कपड़े पहनकर सोने के लिए कहा और खुद भी सो गई.

शाम को चंदेल आया, हंसी मज़ाक का माहोल बना हुआ था.

चाची अपने गाँव के किस्से सुना रही थी और चंदेल भी घर की गाँव की बात करता.

रात में खाना खाते वक़्त, नताशा सागर से बोली की चाची, तुम्हारे साथ सोएगी

सागर ने ज़िद की, की अकेले सोना है.

शीला ने कहा की तुम्हारे साथ ही सोउंगी

नताशा ने कुछ कहा नहीं पर सोच में पड़ गई.

खाना खाने के बाद, नताशा ने शीला से कहा की रात में आप, जाग जाओगी

शीला समझ गई और हंस कर बोली – चिंता मत कर मैं एक बार सो गई तो आसानी से नहीं उठती तुम दोनों चाहे, जितना आवाज़ करो मुझे पता नहीं चलेगा और पता भी चला तो क्या हुआ ?? मैं तो घर की ही, हूँ ना

नताशा मुस्कुर कर बोली – क्या आप भी कुछ भी कहती हो

रात में, सब सो गये. शीला, नताशा के बगल में थी और दूसरी साइड में चंदेल. सागर, दूसरे कोने में सोता था. चंदेल को चुदाई बिना, नींद नहीं आती थी.
शीला और सागर को सोता हुआ देख, चंदेल नताशा के कपड़े उतारने लगा. नताशा को शरम आ रही थी, मना भी किया पर चंदेल के सिर पर सेक्स चढ़ा हुआ था. नताशा को नंगा कर खुद भी नंगा हो गया और आधी रात तक सेक्स होता रहा. चंदेल, नताशा पर रोज़ भारी पड़ता था. नताशा, चंदेल के लंड को कुछ देर बर्दाश्त करने के बाद टूट जाती थी और किसी तरहा फिर से ताक़त जुटा कर, दूसरी बार झड़ जाती. उस रात भी, कुछ ऐसा ही हुआ. नताशा ने कोशिश की, की आवाज़ ना निकले पर चीख तो निकल ही जाती थी. सुबह उठने के बाद, सब अपने अपने काम पर लग गये. शीला ने नताशा की तरफ़ देखा.

नताशा नॉर्मल बिहेव कर रही थी, जैसे कल आधी रात तक रात सेक्स किया ही ना हो. संडास करने, दोनों साथ में गये. संडास करते करते, शीला ने नताशा से कहा – क्या बात है ?? रात में इतनी देर जागने के बाद भी तुम काफ़ी फ्रेश लग रही हो नताशा बोली – आप को कैसे पता ?? आप तो सोई थी ??

शीला बोली – रात में तुम्हे बहुत दर्द हो रहा था अंजाने में, तुमने मेरा हाथ पकड़ लिया था मैंने आँखें खोली तो देखा की चंदेल तुम्हारी जम कर चुदाई कर रहा है |

चुदाई नाम सुन कर, नताशा शर्माकर बोली – क्या आप भी मुझे शरम आ रही है आप किसी को मत कहना, प्लीज़

शीला बोली – बोली भी दिया तो क्या सब को पता है की तुम्हारी चुदाई तो रोज़ होती होगी

दोनों हँसते हुए, गांड धो कर घर आ गई. नताशा और शीला, दोनों एक दूसरे के सामने थोड़ा खुल गई थी. सागर उठने के बाद, हॅगने गया और वापस आ कर नहाने कुए के पास आया. आप यह हिंदी सेक्स स्टोरी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | रोज़ की तरह नताशा से स्नान करवाया और लंड मालिश भी करवाई. दोपहर में तेल मालिश करवाने रसोई में दोनों गये और हमेशा की तरहा, लंड मालिश हो रही थी की अचानक शीला आ गई और उसने देख लिया. आप यह हिंदी सेक्स स्टोरी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | शीला को देख कर, दोनों डर गये. शीला का खून खौलने लगा पर वो कुछ ना बोली. शाम को चंदेल को, शीला ने सब कुछ बता दिया. चंदेल को याद था की उसके बेटे ने शर्त रखी थी की नयी मम्मी के साथ, वो किसी भी तरहा रह सकता है. चंदेल ने लंबी साँस ली और शीला को सब कुछ बता दिया. नताशा, दरवाजे के बाहर खड़ी सब सुन रही थी और सागर बाहर खेलने गया था. शीला, फिर बोली की ये सब ग़लत है.

चंदेल बोला – जाने दो घर की ही बात है, आपस में देख लेंगे

शीला का दिमाग़ घूम गया था और बहुत कुछ बोल देती पर चुप रही.

रात में खाना खाने के बाद, सब सो गये पर असल में सिर्फ़ सागर सोया था बाकी सब सोने का नाटक आर रहे थे. कुछ देर बाद, चंदेल मूतने के लिए बाहर गया और रूम के अंदर आते ही, कपड़े निकाल कर नंगा हो गया. चंदेल को देख, नताशा ने भी खुद के कपड़े नीकाल लिए. चंदेल, नताशा की टाँग फैला कर उसके ऊपर आ गया और चूमने लगा. “सेक्स का प्रोग्राम” स्टार्ट हो गया. शीला, इसका आनंद लेने के लिए आँखें खोल कर देख रही थी. चंदेल का ध्यान, सिर्फ़ नताशा पर था. 2 घंटे के बाद, दोनों सो गये. शीला का मन, बहुत करता सेक्स करने के लिए पर, कुछ नहीं कर पा रही थी. अगले दिन, शीला और नताशा दोनों संडास करते करते बाते कर रही थी..

शीला ने कहा – तुम बहुत नसीब वाली हो जो इतना प्यार करने वाला पति और बेटा मिला है

ये कह कर शीला की आँखें नम हो गई थी..

नताशा ने देखा और पूछा – क्या बात है आप को कोई दुख है क्या ??

शीला बोली – कुछ नहीं, चलो

एक दो बार पूछने पर भी, शीला कुछ नहीं बोली.

रात में जब चंदेल चोद रहा था तो नताशा ने देखा की शीला, उन दोनों को देख रही है और बदन को सिकोड कर सोई है.

नताशा को पहले ही शक हो गया था और अब यकीन हो गया की शीला की चुत में “आग” लगी है.

अगले दिन, नताशा ने चंदेल को सब बता दिया..

चंदेल गुस्से में बोला – बहन चोद को एक करेला दे, कुछ दिन के लिए अगर, सिर पर चढ़ गई तो मुसीबत होगी

नताशा बोली – आप की बात सही है पर एक बार तो उसको वो सुख दे ही सकते है ना

चंदेल, कुछ ना बोल कर निकल गया.

नताशा फिर दोपहर में खाते समय शीला से पूछा – आपको कैसे लगते है ??

शीला ने पूछा – क्या ??

नताशा बोली – सागर के पापाू ??

शीला, खाना खाते खाते बोली – अच्छा तो है काम भी बहुत करता है कमाता भी अच्छा है और क्या चाहिए

नताशा बोली – रात में, कैसे लगते है

शीला बोली – मैं समझी नहीं ??

नताशा बोली – मैंने देखा है आपको, रात में आँखें खुली थी..

शीला, कुछ नहीं बोली.

नताशा बोली – शरमाती क्यू हो ?? आपने ही तो कहा था की चुदाई सब करते है आज रात मे, मैं नहीं करूंगी मेरा व्रत है ना पर चंदेल को नहीं पता एक मुसीबत है

शीला पूछती है – क्या ??

नताशा बोली – चंदेल, रात में सुनते ही नहीं सीधा, हल जोतना चालू कर देते है एक काम करते है आप मेरी जगह पर सो जाना और मैं आपकी चंदेल, मुझे दूसरी तरफ़ देख कर कुछ नहीं करेंगे क्यूंकी उस तरफ दीवार है

शीला कुछ ना बोली और सोचने लगी.  शीला को अजीब लगा पर उसे कोई दिक्कत भी नहीं थी.

नताशा बोली – चलो, सो जाते है

शीला और नताशा, दोनों सो गये. रात में सोने से पहले, चंदेल को नताशा ने समझा दिया की वो आज रात में चुदाई नहीं करेगी, आप चाहो तो शीला को चोद लेना, वो कुछ नहीं बोलेगी उसकी चुत में भयंकर आग लगी है |

चंदेल बोला – कैसी बाते कर रही हो ?? मैं तुम्हारे साथ ही सोऊंगा ??

पर नताशा, मान ही नहीं रही थी. रात में नताशा, शीला की दूसरी तरफ सोई थी और उस तरफ थोड़ी दूर चंदेल सोया था. रात में, सब सो गये.
चंदेल ने चुदाई किए बगैर ही, रात निकाल ली. अगले दिन भी ऐसा ही होना था. नताशा ने शीला से कहा की रात में ध्यान से सोना, चंदेल रात को नींद मैं भी चुदाई कर सकता है, कोई भरोसा नहीं. शीला मन ही मन सोचने लगी की चुदाई के लिए, अगर लंड आ रहा है तो वो रोकेगी नहीं. अगली रात, सब सो गये. रात में, नताशा ने शीला की साड़ी को ऊपर उठा दिया. कुछ देर बाद, चंदेल को होश आया. सामने चूत का द्वार देख उससे रहा नहीं गया और वो शीला के करीब जाकर, पैर सहलाने लगा. शीला, आधी नींद में थी.

दोनों घुटने ऊपर करके, वो पीठ के बल आ गया. चंदेल ने शीला की साड़ी उतार दी और चिपक कर सो गया. शीला तुरंत जाग गई और देखा की चंदेल का एक हाथ चड्डी के अंदर था और एक से पीठ पकड़ी थी. शीला की गर्मी कम नहीं हुई थी और फिर “हवस की ज्वाला” भड़क उठी. आधी रात तक, दोनों “प्रेम लीला” में मग्न थे. सागर भी आवाज़ सुन कर जाग उठा पर दोनों एक दूसरे में इतने खो गये थे की उनका ध्यान ही नहीं गया. सुबह, दोनों लेट उठे. दोनों के चेहरे पर गिल्टी की फीलिंग सॉफ दिख रही थी और साथ ही साथ, एक दूसरे को प्यार करने की चाहत भी. उस दिन भी रात में चंदेल से, रहा नहीं गया. शीला भी सोई नहीं थी. चंदेल शीला के पास गया और बिना कुछ कहे, शीला से लिपट गया. आप सोच रहे होंगे की “नताशा और सागर” का क्यू हुआ. अब तक नताशा ने अपने पति और शीला को एंगेज करा लिया था तो अब वो फ्री हो गई थी, सागर को आज़माने के लिए |

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गन्ने की जूस वाली की चुत चोद कर भुर्ता बनाया | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/koi-mil-gaya/ganne-ki-juice-vali-ki-chut-chod-kar-bhurta-banaya.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/koi-mil-gaya/ganne-ki-juice-vali-ki-chut-chod-kar-bhurta-banaya.html#respond Sat, 10 Feb 2018 17:31:52 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=11921 दोस्तों यह मेरी सच्ची कहानी है मैंने कैसे गान्ने वाली को अपने बॉडी को दिखा कर चोदा इस कहानी में पूरा वर्णन किया हु आशा करता हु आप सभी को पसंद आएगी |

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गन्ने की जूस वाली की चुत चोद कर भुर्ता बनाया
( Ganne Ki Juice Vali Ki Chut Chod Kar Bhurta Banaya )

मेरा नाम संदीप है | मै २९ साल का भरपूर हट्टा कट्टा नौजवान हूँ मेरे लंड की लम्बाई ८ इंच है और 5 इंच मोटा है मेरे बाल जॉन अब्राहम की तरह बड़े बड़े है कुल मिलाकर अगर जवान लड़की या औरत मेरे शरीर को देख ले तो उसके मन में मेरे से चुदवाने की इच्छा हो जायेगी | मैं जब अपने ऑफिस के लिए निकलता हूँ तो दफ्तर जाते वक्त एक जूस की ठेली मिलती है, जहाँ एक गरीब सा 55-60 साल की उम्र का आदमी, शारिरिक रूप से कमजोर, गाल पिचके हुए, हाथ कांपते हुए जैसे किसी रोग से पीड़ित हो गन्ना का जूस बेचता है तो मैं कभी कभी उसकी ठेली से गन्ना का जूस पी लेता हूँ..

उसका हाथ उसकी पत्नी बंटाती है, जिसकी उम्र लगभग 48-50 साल होगी. दिखने में उसकी पत्नी भी कमजोर है, गाल पिचके हुए हैं, हाथ पतले पतले, गले की हड्डियां साफ दिखाई दे रही हैं, आँखें अंदर धसी हुयी हैं, बूब्स लटके हुए जैसे उनका सारा रस उसकी जवानी में कोई पी गया हो, रंग काला, कूल्हे भी छोटे से, पूरी कुपोषण की शिकार लग रही है..

ऐसा लग रहा है जैसे किसी गंभीर बिमारी से ग्रस्त हो, लेकिन उसकी ये हालत गरीबी के कारण थी. ऐसी औरत किसी को भी पसंद न आये लेकिन मैं बहुत ही हवसी किस्म का हूँ, मुझे लगा एक बार इसका अनुभव लेना चाहिए.

एक दिन मैं उसी की गन्ना की ठेली में जूस पीने रुका, उस दिन उसका पति नहीं था, वो ही जूस निकाल रही थी, उस दिन उसने एक हरी रंग की साड़ी पहनी हुयी थी जिसमे उसके साथ उसने हरे रंग ब्लाउज पहना था..

उसकी सफेद ब्रा ब्लाउज के बाहर से नजर आ रही थी, पतले पतले हाथ में उसने कुछ चूड़ियाँ पहनी हुई थी जो पुरानी थी, मेने उसके पैर देखे वो काले गंदे फटे हुए थे जिसमे उसने पुरानी पजेब पहन रखी थी..

ढीला सा बदन, ढीले से स्तन, ढीली साड़ी पहने हुए वो मेरे लिए गन्ना का जूस निकाल रही थी, उसमे से कोई आकर्षण नही झलक रहा था लेकिन फिर भी पता नहीं क्यों मेरा लण्ड उसे देखकर खड़ा था और मेने प्रतिज्ञा ली हुयी थी की इसे पटाकर जरूर चोदूंगा, उसने मुझे गन्ना का जूस दिया.
मैं- आज अंकल नही है, कहीं गए हैं क्या?

गन्ना के जूस वाली- हाँ आज मजदूरी में गए हैं.

मैं- नाम क्या है तेरा?

गन्ना के जूस वाली- सुनीता, क्यूँ पूछ रहा है?

मैं- मन किया पूछने का, नाम नहीं पूछ सकता क्या?

सुनीता- तुझे क्या मतलब, तू जूस पी बस. आप यह हिंदी सेक्स स्टोरी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |

मैं- गुस्सा क्यों होती है आंटी. जूस बड़ा मस्त बनाया है तूने, अंकल तो बेकार बनाते हैं, तेरे हाथ से अच्छा निकला जूस.

सुनीता- ठीक है, 20 रु दे दे अब.

मैं- एक गिलास और पिला दे आंटी.

सुनीता- रुक जा इंतज़ार कर, जूस निकलना पड़ेगा.

मैं- ठीक है आंटी, मेरे पास टाइम ही टाइम है, तू आराम से निकाल. एक बात तो बता, रहती कहाँ है तू?

सुनीता- तुझ से मतलब, जहाँ भी रहती हूँ, तुझे क्या करना है जानकार?

मैं- पता होना चाहिए इतना मस्त जूस निकलने वाली का क्या पता है, कभी ठेली न लगी तो घर में जूस पीने आ जाऊंगा.

सुनीता- घर में नहीं निकालते हम, यहीं पीना है तो पी ले.

मैं- कोई बेटा या बेटी भी है तेरी?

सुनीता- ज्यादा सवाल मत पूछ, जूस पी और घर जा, एक बेटा है मेरा तेरे बराबर. आम बेचता है वो मंडी में. यहाँ से 2 किलोमीटर दूर नाला बस्ती में रहते हैं हम.

मैं- तेरी हालत ऐसी क्यूँ हो रखी है आंटी, बीमार सी लगती है तू.

सुनीता- बीमार नहीं हूँ, गरीबी ने ऐसा बना दिया है.

मैं- चल मैं 1 गिलास जूस के आज से 40 रु दूंगा तुझे रोज.

सुनीता- ऐसा क्यों रे, मेरा आदमी गुस्सा करेगा, वो बहुत खुद्दार आदमी है.

मैं- तेरे आदमी को थोड़े ही दूंगा, तुझे दूंगा, तू उसे बताइयो मत, चुपके से छिपा लियो.

सुनीता- ध्यान से देना लेकिन, उसे पता चलेगा तो मुझे पीटेगा वो. वैसे भी रोज दारु पीने के बाद रात में मुझे मारता है वो.

मैं- इतना हरामी है क्या, चल आंटी वादा रहा तुझ से, आज से वो नहीं पिटेगा तुझे.

सुनीता- वो कैसे?

मैं- मैं सबक सीखा दूंगा उसे.

सुनीता- ऐसा मत करना रे, उसे पता चल जायेगा. नाम क्या है तेरा बेटा?

मैं- मेरा नाम संदीप है आंटी. आंटी मैं अंकल को अपने तरीके से सबक सिखाऊंगा तू परेशान न हो.

सुनीता- ठीक है, लेकिन बेटा तू मेरे लिए ये सब क्यों कर रहा है?

मैं- मुझे तुझ पर दया आ गयी आंटी, मैं गरीबों की मदद करता हूँ, तभी तुझ से तेरे घर का पता पूछा ताकि कभी पैसे देने हो तो दे दूँ.

सुनीता- हाँ, नाला बस्ती में आ जाना पूछ लेना किसी से भी कि सुनीता का झोपडा कहाँ है कोई भी बता देगा.

मैं- ठीक है आंटी, मैं चलता हूँ, तू ख्याल रख अपना और कुछ खा पी, बहुत कमजोर हो गयी है. कल आता हूँ.

सुनीता- ठीक है बेटा, कल पक्का आना.

(और मैं सुनीता को आँख मारकर वहां से चला जाता हूँ जिससे वो सकपका जाती है लेकिन एक मुस्कान भी देती है जो शर्म से भरी हुयी थी)

(रात के समय मैं नाला बस्ती के पास सुनीता के बूढ़े पति का इंतज़ार कर रहा था, अचानक लड़खड़ा कर वो विक्रम से उतरा, उसने दारु पी रखी थी, जैसे ही वो अपने घर की गली की ओर मुड़ा, मेने उसे पीटना शुरू कर दिया, उसको लात और घूसों से पीटता रहा, वो रोने लगा, माफ़ी मांगने लगा)
गन्ना के जूस वाला- माफ़ कर दे मुझे , मत मार, छोड़ दे मुझे, बस कर भाई.

मैं- तेरी माँ का भोसड़ा, भेन के लौड़े, सुनीता को मारता है रोज़ दारु पीकर, आज मर्द से पाला पड़ा तो माफी मांग रहा है, हिजड़े, भेनचोद, बोल मारेगा अब सुनीता को??
गन्ना के जूस वाला- आज से कभी हाथ नहीं लगाउँगा बेटा, माफ कर दे इस बूढ़े को, जाने दे घर बेटा, आज से कभी नहीं मारूँगा उसे.

मैं- और सुन बेवड़े, अगर उसे बताया की मेने तुझे मारा है तो कल फिर मार खायेगा भोसडीके. सुन लिया?

गन्ना के जूस वाला- हाँ सुन लिया बेटा. माफ़ कर दे अब.

मैं- निकल मादरचोद यहाँ से अब, बहिनचोद साला हरामी.

(और सुनीता का पति घर चला जाता है, अगले दिन जब मैं गन्ना के जूस की ठेली पर जाता हूँ तो सुनीता काफी खुश दिख रही थी, उसका पति भी उसी के साथ था)

मैं- अंकल एक गिलास जूस देना.

(मैं और सुनीता आँखों ही आँखों से इशारा कर रहे थे, मैंने चुपके से उसे आँख मार दी, और वो मुस्कुराने लगी, मेने उसे इशारे में कहा कि थोड़ा आगे की तरफ मिलना, वो समझ गयी) आप यह हिंदी सेक्स स्टोरी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |

(गन्ना का जूस पीने के बाद मेने बाइक स्टार्ट करी और आगे चला गया और सुनीता का इंतज़ार करने लगा, सुनीता आई उसने लाल रंग की साड़ी, लाल रंग का ब्लाउज पहना हुआ था, आज काली ब्रा पहनी थी जो उसके कन्धों पर दिख रही थी, होंठों में लिपस्टिक भी लगायी हुयी थी, मैं समझ गया की उसने ये सब श्रृंगार मेरे लिए किया है, वो मेरे पास आई)

सुनीता- जूस पी लेता हूँ, उसका हाथकिया बुड्ढे को, उसने मारा नहीं मुझे, और अभी क्या काम है?? बुड्ढे को बोलकर आई हूँ कि थोड़ी देर आती हूँ, जल्दी बता क्या काम है??

मैं- तुझे पैसे देने थे कुछ, और सुन आज घर कब जायेगी, और घर में अकेले कब रहेगी, बता?

सुनीता- क्यों क्या करना है घर में?

मैं- पैसे देने है तुझे.

सुनीता- अभी दे दे, घर में 5 बजे जाउंगी, बुड्ढा 9 बजे आता है.

मैं- अभी नहीं आंटी, घर में दूंगा तुझे, सुन पीछे बैठ, तुझे घुमा कर लाता हूँ.

सुनीता- अभी टाइम नहीं है, बुड्ढा इंतज़ार कर रहा है.

मैं- कुछ ना होता, अगर कुछ बोलेगा तो मैं समझा दूंगा उसे, तू बैठ पीछे.

(सुनीता बाइक में बैठ जाती है और मैं उसे घुमाता हूँ, मैं उसे उसकी गन्ना की ठेली के आगे से ले जाता हूँ, ताकि उसका पति उसे एक बार मेरे साथ देख ले, वो बहुत मना करती है लेकिन मैं जबरदस्ती वहीँ से जता हूँ, वो साड़ी के पल्लू से अपना मुह छिपा लेती है, लेकिन बुड्ढे की नज़र उस पर पड़ जाती है और मैं बुड्ढे को सलाम ठोकता हूँ, बुड्ढा समझ जाता है कि कल रात मेने ही उसका सुतान किया था, सुनीता मेरे पीछे छुपी रहती है और मैं गन्ना के जूस की ठेली में बाइक रोकता हूँ)

मैं- अंकल 2 गिलास जूस बनाना.

अंकल- बेटा ये पीछे कौन है तुम्हारे साथ?

मैं- ऐसे पूछते हैं भेनचोद किसी की बीवी के बारे में, मेरी बीवी है ये पीछे, तू जूस बना भेन के लौड़े, वरना यहीं मारूँगा.

अंकल- माफ करदे बेटा, गलती हो गयी.

(और सुनीता और मैं जूस पीते हैं, सुनीता ने पल्लू से अपना मुह ढका हुआ था जिस वजह से उसका चेहरा दिख नहीं रहा था, जूस पीने के बाद मैं बाइक 80 की स्पीड से चलकर वहां से सुनीता को लेकर निकल जता हूँ)

सुनीता- ये क्या पागलपन है बेटा, मुझे फसा दिया तूने, अब बुड्ढा क्या बोलेगा.

मैं- कुछ नहीं बोलेगा आंटी, मैं समझा दूंगा उसे.

सुनीता- और तू गाली क्यों दे रहा था उन्हें, जो भी हों, मेरे पति है वो.

मैं- तू क्यों घबराती है इतना आंटी, चुपचाप बैठे रह, तुझे घूमाता हूँ मैं.

(मैं उसे बाइक में एक सुनसान जगह लेकर गया)

सुनीता- यहाँ जंगल में क्यों लाया तू, यहाँ तो कोई भी नहीं है, मुझे वापस मेरी ठेली में छोड़ दे तू बेटा.

मैं- रुक तो आंटी, तू बहुत घबराती है, इतना मत डरा कर.

(मैं बाइक को झाड़ियों के बीच में रोक देता हूँ, जहाँ हमे कोई नहीं देख सकता और आंटी को पकड़ कर उसके होंठों को अपने होंठो से दबोच लेता हूँ, वो एक दम से मुझ से अलग हो जाती है और उसके होंट से खून निकलने लगता है)

सुनीता- हरामी, साले, ये क्या कर रहा है, मुझे वापस ठेली में छोड़ वरना मैं चिल्लाऊंगी.

मैं- सुनीता सुन तो सही, तू बहुत मस्त लगती है मुझे कसम से, एक बार करने दे, तुझे भी मजा आएगा जानेमन.

सुनीता- ये क्या बोल रहा है, शर्म नहीं आती तुझे, मेरी उम्र तेरी माँ की उम्र के बराबर है, तेरे से बड़ा तो मेरा बेटा है, ये गलत है मुझे वापस छोड़ तू वरना अच्छा नहीं होगा.

(मैं सुनीता के बदन को अपनी बाँहों में दबोच लेता हूँ, वो छुटने का बहुत प्रयत्न करती है लेकिन मेरी भुजाओं की शक्ति के सामने उस हड्डीमल आंटी की ताकत असफल हो जाती है, और मैं उसकी साड़ी को और ब्लाउज को उसके मरियल कमजोर बदन से अलग कर देता हूँ.. अब वो काली ब्रा में थी और निचे उसने कुछ नहीं पहना था, उसके शरीर में कमजोरी की हड्डियां चमक रही थी, बूब्स बिलकुल मुरझाये हुए थे जिनमे काले खड़े निप्पल ही अच्छे लग रहे थे, गले में मंगलसूत्र हाथों में चूड़ियाँ, गंदे फटे पैरों में पुरानी पजेब पहने हुए कमजोर शरीर वाली 50 साल की सुनीता मेरे सामने नंगी थी और रो रही थी.. आप यह हिंदी सेक्स स्टोरी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | अचानक उसने चिल्लाना शुरू किया, मुझे गुस्सा आया और मेने उसके गाल पर 4 थप्पड़ जड़ दिए जिससे वो सुन्न हो गयी और उसके गले से एक भी आवाज़ नहीं निकली)

मैं- भेन की लोड़ी अगर अब चिल्लाई, यहीं जंगल में मार के फैंक दूंगा तुझे.

सुनीता(रोते हुए)- बेटा ऐसा मत कर, मैं तेरी माँ के समान हूँ, बेटा छोड़ दे मुझे, बख्श दे मुझे, मुझे वापस छोड़ दे बेटा, ऐसा मत कर…

मैं- चुप हो जा रांड, मजे लेने दे बस उसके बाद छोड़ दूंगा तुझे, और अगर ज्यादा होसियारी दिखाई तो नंगा ही छोड़ दूँगा जंगल में, समझी चिनाल साली सुकड़ीमल….हड्डियों का ढांचा.
सुनीता- इस पतली बीमार बूढी औरत में क्या मिलेगा तुझे बेटा, मत कर ये पाप, तूने ऐसा क्या देखा मुझ पर.

मैं- कुछ नहीं देखा, बस में ऐसी घटिया औरत का भी अनुभव लेना चाहता हूँ, देखना चाहता हूँ इन हड्डीयो के ढाँचे में कितना दम है.

(और मैं अपना लौड़ा अपनी पेंट से बाहर निकलता हूँ, जिसे देखकर सुनीता घबरा जाती है और मैं लौड़ा उसकी मुरझाई हुयी बालों से भरी चूत में लगाता हूँ और जोरदार धक्का मारता हूँ, जिससे सुनीता की चीख निकल जाती है और मेरा लण्ड बूढी चूत के अंदर समा जाता है)

सुनीता- अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह… उईईईईई… गईईईईईईई मैं बेटा…. मार दिया रेरेरेरेरे… रहम कररररररर…. अह्ह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ (और मैं लण्ड अंदर बाहर करके चुदाई करने लगता हूँ, शुरू से ही तेज़ रफ़्तार से मैं चुदाई करता हूँ, सुनीता बेहोश होने वाली होती है, वो सिसकारियाँ भरते हुए गिड़गिड़ाती है, मैं उसकी चुच्चियां अपने दोनों हाथों से मसलता हूँ)

सुनीता- बेटा, दर्द हो रहा है अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ ओहो ह्ह्ह्ह्ह…

मैं- अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह्… ओये होये, आंटी, अह्ह्ह्ह…गजब अह्ह्ह्ह… चूत अह्ह्ह… है अह्ह्ह… तेरी अह्ह्ह्ह…

(लगभग 15 मिनट तक लगातार चूत चुदाई के बाद सुनीता बेहोश हो जाती है, कमजोर बदन की सुनीता कमजोरी के चलते मेरे लण्ड को सहन नहीं कर पाती और बेहोश हो जाती है, उसकी बेहोशी के 15 मिनट बाद तक मैं उसकी चुदाई करते हुए उसकी चूत में निढाल हो जाता हूँ, और चूत के अंदर ही झड़ जाता हूँ)

(थोड़ी देर बाद सुनीता के मुह में पानी फेंकता हूँ तो उसे होश आता है)

मैं- कैसी हो जान, दर्द कैसा है? मेने अपना माल तेरी चूत के अंदर ही छोड़ दिया, कितनी कमजोर है तू, मेरा लण्ड सहन नही कर पायी.

सुनीता- हाये अम्मा, अह्ह्ह्ह्ह दर्द होता है, चूत के अंदर क्यों छोड़ा तूने रे, अब पेट से हो जाउंगी तो?

मैं- होने दे जान, मैं पाल लूंगा तेरे बच्चे को.

(मैं उसे उसका मुह खोलने को बोलता हूँ, सुनीता जैसे ही मुह खोलती है, मैं अपना लण्ड उसके मुह में डाल देता हूँ)

मैं- इसे चूस, इसमें और माल है उसे भी निकाल अपने मुह में मेरी रांड.

(और मैं लण्ड को उसके मुह में अंदर बाहर करते हुए उसकी मुह चुदाई करता हूँ, गले तक उसका लण्ड भरते हुए मैं झड़ने वाला होता हूँ)

मैं- मैं झड़ने वाला हूँ सुनीता… अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह ऊईईईई अयायायाया…. मैं आया तेरे मुह में मेरी रानी…

(और मैं उसके मुह में ही झड़ जाता हूँ और वो मेरा सारा माल पी जाती है, इसके बाद वो थकी हुयी अपने कपडे पहनती है और मेरे साथ बैठ जाती है, मैं उसे उसकी जूस की ठेली में छोड़ देता हूँ, और उसे आँख मारते हुए वहां से चला जाता हूँ)

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सासु माँ की धासु चुदाई की कहानी | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/rishto-me-chudai/sasu-ma-ki-dhasu-chudai-ki-kahani.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/rishto-me-chudai/sasu-ma-ki-dhasu-chudai-ki-kahani.html#respond Sat, 10 Feb 2018 15:33:56 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=11919 सासु माँ की धासु चुदाई की कहानी, मेरी बीवी और मेरी सास एक ही तरह दिखाती है दोनों की आज भी हॉट और सेक्सी है मैंने अपनी सास की कैसे चुदाई की ये इस कहानी में बताया गया है उनकी चुदाई करने में काफी मजा आया

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मेरे प्यारे दोस्त आज मैं आपको एक कहानी सुना रहा हु, जो की मेरे शादी के दिन की है, एक तांत्रिक की वजह से मैं अपने सास के साथ सुहागरात मनाया, पर अच्छा हुआ, इसके पहले मैंने कभी चूत का मज़ा नहीं लिया था और उस दिन ऐसा मौका आया की सुहागरात के दिन मैंने अपनी ही सास के साथ सेक्स किया. और दूसरे दिन मैंने अपने वाइफ का पर आप सच मानिये मेरे दोस्त मुझे सास को चोदने में बहुत मजा आया था, उसकी चूत आज भी टाइट थी. चूच उनका टाइट और गोल गोल है रंग गोरा लम्बी और होठ गुलाबी, चलती है तो चूतड़ ऐसे हिलता है की लंड महाराज भी खड़ा होके सलामी ठोकते नजर आते है.

मेरे ससुर जी का देहांत हुए 10 साल हो गया है, मेरी वाइफ सास ससुर की अकेली संतान है, धन दौलत की कोई कमी नहीं है, सासु माँ ने बड़े लाड प्यार से पाला, किसी चीज की कभी कोई कमी नहीं होने दी, मेरी वाइफ देखने में बड़ी ही खूबसूरत और मॉडर्न है, गोरी लम्बी सेक्स पार्ट तो मत पूछो यार, वो 24 साल की है, मेरी सास की उम्र 40 की है पर मेरी सास और वाइफ एक जैसी ही लगती है.

मेरी शादी हुयी कोर्ट मैरिज ग्रेटर नोएडा में, मैंने अपने माँ बाप से छुपा के शादी किया, क्योंकी मैं मीशा को पसंद करता था पर मेरे माँ पापा इसके लिए राजी नहीं थे. शादी हो गयी मैंने किराये के मकान में रहता था और मेरी सास को अपना वसंत कुञ्ज में फ्लैट है, मैं उनके यहाँ ही चला गया.

अब मैं असल कहानी पे आता हु, मैं रोज दूसरे की कहानी पढ़ा करता था पर मुझे आज लगा की मैं भी अपनी कहानी पोस्ट करूँ जो आपके सामने है, दिन में २ बजे के करीब कोर्ट में शादी हो गयी, फिर मंदिर में आके फेरे ले लिए, शादी बड़ी ही गुपचुप तरीके से ही हुयी थी, शाम को हम लोग एक फाइव स्टार होटल में खाना खाए और घर के लिए निकल पड़े, अचानक मेरी वाइफ का तबियत ख़राब हो गया, वो बेहोश हो गयी तुरंत उसको हॉस्पिटल ले गया, हॉस्पिटल पहुँचते पहुँचते वो बेहोश हो गयी, डॉक्टर ने बोला की ये बेहोशी करीब १२ घंटे तक रहेगा, आई सी यु में भर्ती करवा दिया, मेरी सास्सू माँ और मैं खुद बहुत बैचेन थे, डॉक्टर ने कहा की अब आप लोग नहीं मिल सकते है सुबह के आठ बजे तक, तो सासु माँ बोली बेटा घर ही चलो यहाँ तो रहने भी नहीं दे रहे है, मिल भी नहीं सकते घर वह से २०० मीटर की दुरी पर ही था तो हमलोग घर आ गए.

सासु माँ बोली की क्या हो गया है, आज तुम्हारे ज़िंदगी का सबसे ख़ुशी का दिन था, सुहागरात का पर होनी को कौन टाल सकता है बेटा और रोने लगी, मैंने चुप करने जैसे ही आगे बढ़ा वो मेरे में लिपट गयी और रोने लगी, मैं समझाता रहा पर वो रोये जा रही थी मैंने अपने सीने से चिपका लिया था, उनकी चूचियाँ मेरे सीने से चिपक के आधा बाहर निकल रहा था पीठ सहलाते सहलाते मेरा लंड खड़ा होने लगा, ये एहसास मेरे सास को भी हो गया था मुझे ठीक नहीं लग रहा था की पता नहीं ये क्या सोचेगी पर हुआ इसका उल्टा.

वो मेरे गाल को किश करने लगी फिर होठ को किश करने लगी, वो अपने चूत की जगह के मेरे लंड के पास सटा दी इससे मुझे और भी सिहरन होने लगी, फिर वो मेरे पीठ को सहलाने लगी, वो किश करते ही जा रही थी, मुझसे भी रहा नहीं गया और मैं भी उनको किश में शामिल हो गया, अब दोनों तरफ से किश और सहलाना सुरु हो गया, अचानक वो घूम गयी, उनका गांड मेरे लंड के पास आ गया मैंने उनके गांड में लंड सटा दिया, वो आगे से मेरे हाथ को पकड़ के चूच के पास ले गयी और, दबाने के लिए कहने लगी, मैंने चूच को दबाते दबाते उनके नाभि में ऊँगली घुसाने लगा, फिर मैंने साडी के ऊपर से ही चूत को सहलाने लगा.

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वो आअह आआह आआह आआह करने लगी, और बोली बेटा आज तो मीशा नहीं है बेटा आज तू मेरे साथ ही सुहागरात मना ले, वो मुझे हाथ पकड़ के बेड रूम में ले गयी, और मेरे कपडे उतार दिया और खुद लेट गयी मैंने उनके ब्लाउज का हुक खोला और ब्रा के ऊपर से ही चूच को दबाने लगा वो हाथ ऊपर कर दी कांख में काले काले बाल थे मैंने जीभ से कांख के बाल को चाटने लगा, फिर वो खुद ही ब्रा का हुक पीछे से खोल दी ओह्ह्ह्ह माय गॉड बड़ा बड़ा गोल गोल टाइट चूच हवा में लहराने लगे मैंने तो जोश में आ गया और उनके दोनों चूच को बारी बार से पिने लगा, आआह आआअह उफ्फ्फ्फ्फ़ पि ले बेटा पि ले, आआअह आआआह हाय वो इस तरह से आवाज निकाल रही थी.

मैंने सरक के निचे हो गया और जीभ उनके नाभि में डालने लगा वो सिहर रही थी कह रही थी और खिल खिला के हँस रही थी कह रही थी हटो ना प्लीज गुद गुदी हो रही है, मैं फिर सरक के निचे हो गया और पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया ओह्ह्ह्ह, ब्लैक कलर की पेंटी मैंने सूंघने लगा, वो फिर से खिलखिला के है रही थी, मैंने पेंटी उतार दी, वो अपने हाथ से चूत को छिपा ली, बोली मेरा गिफ्ट सुहागरात का, मैंने अपने वाइफ के लिए एक सोने का चेन ले गया था मैंने पहना दिया.

फिर मैंने उनका हाथ चूत से हटा के पैर को अलग अलग किया थोड़े थोड़े बाल थे, चूत को हाथ लगाया वो गरम था चिपचिपा हो चूका था, मैंने उनके चूत के चाटना सुरु किया, करीब ५ मिनट तक चाटा तो सास बोली मुझे और ना तड़पाओ मुझे भी तुम्हारा लंड अपने मुह में लेने है, पर मैं अभी उनके चूत को नहीं छोड़ सकता मुझे चाटना था मुझे काफी अच्छा लग रहा था, तभी मुझे याद आया की 69 पोजीशन जिसमे लंड पार्टनर के मुह में और चूत दूसरे पार्टनर में मुझ के पास बस मैं घूम गया मेरा लंड उनके मुह में था और मेरा मुह उनके चूत के पास बस दोनों एक दूसरे को चाटने लगे, इस विच एक गहरी सांस और अंगड़ाई लेते हुए मेरी सास झड़ गयी, तभी मेरी सास मेरे लंड जो जोर जोर से चूसने लगी और मैं भी झड़ गया पूरा वीर्य उनके मुझ में भर गया, वो पि गयी बोली काफी नमकीन है.

अब मेरी सास उठी और फ्रीज़ से अंगूर लायी दोनों मिलकर अंगूर खाने लगे, दोनों नंगे थे, एक दूसरे को पकड़ के लेटे रहे फिर धीरे धीरे सहलाना सुरु किया मेरा लंड महाराज खड़ा हो गया अब मैं अपने सास के दोनों पैर को उठाया और बीच में लंड को रखा और घुसेड़ दिया, सासु माँ की चीख निकल गयी, बोली धीरे धीरे किसी वर्जिन से कम नहीं हु, आराम से करो, फिर मैं कहा रुकने बाला और वो कहा रुकने बाली, वो गांड उठा उठा के और मैं ऊपर से धक्के पे धक्का देने लगा, वो आअह आअह आअह आअह उफ्फ्फ उफ्फ्फ्फ़ उफ्फ्फ आॉच आउच करने लगी, फिर क्या था मैं नव सीखिये और मेरी सास अनुभवी वो मुझे अलग अलग पोज में चुदवाने लगी, इस तरह से हम दोनों रात भर चुदाई करते रहे, अब मेरी बीवी भी घर आ गयी है, हम तीनो सुखी बैवाहिक जीवन बिता रहे है.

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दोस्त की बहन का चोदा | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/teen-girls/dost-ki-bahan-ko-choda.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/teen-girls/dost-ki-bahan-ko-choda.html#respond Tue, 06 Feb 2018 14:58:39 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=11891 दोस्तों यह कहानी मेरे अपने दोस्त की बहन की चुदाई की स्टोरी है जो मै मस्ताराम के माध्यम से आप सभी के बिच में प्रस्तुत कर रहा हूँ आशा करता हूँ आप लोग मजे लेकर पढेगे |

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दोस्त की बहन का चोदा  ( Dost Ki Bahan Ko Choda )

नमस्कार दोस्तो में मेरी जिंदगी की पहली सेक्स स्टोरी सुनने जारा हु गलती हुई तो माफ करना में अपना परिचय दे दु मेरा नाम अभिषेक राजपूत है में औरंगाबादसे हु मेरी उम्र 19 साल है रोजाना जिम जाता हूं अपनी पर्सनालिटी का ध्यान रखता हूं मर्दाना जिस्म है मेरा लंड 6″लंबा 2.5″ मोटा है आपको ज्यादा बोर न करते हुए सीधे कहानी पर आता हूं ये बात करीब पिछले वर्ष 2017 की है नोवेम्बरका महीना था |

हल्की हल्की सर्दी लग रही थी मुझे भी जवानी का सुरूर चढ़ा हुआ था सेक्स का भूखा था आपको तो पता ही है इस उम्र में सेक्स की कितनी प्यास लगती है तो कहानी की नायिका है छाया(बदला हुआ नाम) लड़की लड़की शादी शुदा है में अपने दोस्त के घर हमेशा आता जाता रहता मेरे घर के सामने ही रहता है वो उसकी बहन की शादी हुई है |

मगर वो अपने पति के साथ यही रहती है तो कहानी यह से सुरुहुई में अक्सर किसी न किसी काम से उसके घर जय करता था 1दिन उसके घर कोई नही था में हेडफोन लौटने उसके घर गया तो वह कोई नही था दरवाजा खुला था मेरे दोस्त को आवाज दी कोई जवाब नही आया में उसे ढूंढते उनके घर घुस जब किसी ने रिप्लाय नही दिया तो वापिस लौटने को मुदा तभी बाथरूमका दरवाजा खुला और उसमेंसे छाया आयी आंग पर 1 कपड़ा भी नही था वो अपना सिर सुखा रही थी उसका ध्यान नही था |

मै सकड़ शरीर को घुर रहा था मेरा लौड़ा अपनी रियल साइज में आ चुका था नाईट पेंट मेसे साफ दिखाई दे रहा था उसकी नजर मुझ पर पड़ी उसका ध्यान ही नही था वो बिना कपड़े की बहार आयी थी मुझसे पूछा क्या काम है मैने बोला कुछ नही ये शंकर का हेडफोन देने आया था तो वो बोली ला दे मुझे मैन दिया उसकी हाथों का स्पर्श बहुत मुलायम था में लगातार गहरे जा रहा था फिर उसने मेरी नजर पकड़ी तो खुद को बिना कपड़े की पाकर हड़बड़ा गयी और पीछे मुड़ गयी मुझे पीछे से उसकी गांड दिकह रही थी | आप यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |

मै पलटा और अपने घर आ गया ऐसे ही 4-5 दिन गुजर गए में शुक्रवार के दिन उसके घर गया था तब मेरा दोस्त कही बाहर गांव गया हुआ था उस वक़्त घर पर छायाऔर उसके पति थे उसके पति भी कही जा रहे थे मैने पूछा शंकर कहा है तो वो बोले बाहर गांव गया हुआ है तो में बोला दीदी उसेसे मुझे मेरी किताब वापिस लेनी है आप जरा निकल दोंगी तो वो बोली रुको तुम्हारे जीजा को टिफ़िनपैक करवा दु फिर तुम्हे दे दूँगी टैब तक मे बैठा और पानी पिया उसका पति चला गया फिर उन्होंने दो कप चाय लेकर आयी मेरे साथ बैठ कर आई पीने लगी हम बाते कर रहे थे |

मैने जानबुझ कर उनसे कहा दीदी दरवाजा बंद किया करो आप डायरेक्ट इस तरफ बाहर आते हो कोई दूसरा होता तो आज क्या हो जाता वो बोली अरे यार उस दिन तेरे जीजा जी घर पर ही थे |

इसलिये दरवाजा खुला था और वो मार्किट गए थे में बाथरूम में थी तो कैसे लगती दरवाजा में बोल ठीक है मगर आगे से ध्यान रखो वो बोली अगर तेरे जगह कोई और होता तो क्या होता में चुप रहा वो फिर बोली बात ना क्या होता में बोल वो आपकी इज्जत लूट लेता तो दीदी बोली इज्जत तो तूने भी लूट ली मेरी में बोला मैन कब वो बोली उसी दिन मेरे पूरे बॉडी को देख रहा था तू आँखोंसेही बलात्कार कर रहा था मैंने बोला ऐसे कुछ नही है |

दीदी में नही घूर रहा था तो वो बोली अच्छा तो को घर रहा था मैने देखा था तुम्हारा वो पूरा टाइट हो गया था में नजरे नीचे कर के बैठा हुआ था तो वो बोली अब तक कितने लड़की को चोदा है में बोला एक भी नही वो बोली क्यों में बोल कोई मिलती नही वो बोली इतनी अच्छी बॉडी है ऐसे कैसे नही मिली में बोला बॉडी होने से कुछ नही होता किसस्मत होना | आप यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | वैसी फिर वो बोली उस दिन तूने क्या क्या देखा था मेरा में बोला आपके ऊपर के दूध और आपकी हल्के बाल वाली बुर तो वो बोली अच्छा तो कैसी लगी में बोल क्या तो वो बोली मेरी बुर में बोला अच्छी है तो वो बोली फिर देखनी है में चुप रह उन्होंने फिर सवाल क्या देखनी है |

मै सिर हिलाया तो उसने अपनी साड़ी ऊपर की पैंटी हटाई मुजे दिखाई देख में देख रहा था मेंने उसे हाथ से छुआ तो वो गरम भट्टी जैसे थी मैने उसे सुंग तो मदहोश करने वाली सुगंध थी फिर वो बोली मेरा देख लिया अपना नही दिखाएंगे मैने बोला आप खुद देख लो वो नीचे ज़ुकी मेरी नाईट पेंट उतरी और मेरे लौड़ा को बाहर निकल के हाथ से हिलाने लगी मैन उसे पास खीचा और उसे किस करने लगा उसका हाथ अभी भी मेरे लुंड को हिला रहा था |

मेरा एक हाथ उसके उरोजों पर था एक हाथ उसके बुर पर फिर मैंने उसका ब्लाउज निकला ब्रा पर से बॉल चूस रहा था फिर ब्रा निकल फेखि उसके उरोजों को जोर जोर से चूसने लगा फिर में नीचे आया उसकी सदी खोल दी पेटीकोट निकल फेका पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत चूसने लगा मैने उसकी पैंटी उतार फेंकी और जोरो से चूसने लगा में खड़े हुआ अपनी पेंट पूरी तरह से उतार दी वो नीचे बैठ गयी और मेरा लौड़ा चूसने लगी मैने उसके मुंह को चोदा और अपनी टीशर्ट उतार दी फिर उसे

लिटा दिया और उसकी चुत में अपना लौड़ा घुसा कर खूब धक्के मारे और उसकी चुत में ही सारा माल गिरा दिया |

आज के लिए बस इतना ही आगे की कहानी फिर कभी भेजूंगा आप लोग कमेंट कर मुझे बताये की मेरी ये सच्ची कहानी कैसी लगी और आप लोग भी अपनी कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर प्रकाशित करवा सकते है |

मस्ताराम डॉट नेट पर कहानी प्रकाशित करवाने के लिए अपनी कहानी लिख कर [email protected] पर भेज दे | और अगर आपको कहानी हिंदी में लिखना सिखना है तो यहाँ पर क्लिक करें |

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पड़ोस की बड़ी दीदी को चोद के चुदाई ज्ञान लिया | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/padosi/pados-ki-badi-didi-ko-chod-kar-chudai-ka-gyan-liya.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/padosi/pados-ki-badi-didi-ko-chod-kar-chudai-ka-gyan-liya.html#respond Mon, 05 Feb 2018 16:02:19 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=11889 पड़ोस की बड़ी दीदी को चोद के चुदाई ज्ञान लिया दीदी ने खूब उछल उछल के चुदवाया मेरा लौड़ा पडोसी दीदी की चुत में हिचकोले खा रहा था |

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पड़ोस की बड़ी दीदी को चोद के चुदाई ज्ञान लिया ( Pados Ki Badi Didi Ko Chod Ke Chudai Ka Gyan Liya )

नमस्कार दोस्तो मै सिद्धार्थ बनारस से, आप का स्वागत करता हु। दोस्तो मैं 24 साल का नौजवान स्टूडेंट हु और यही बनारस में रहता हु । दोस्तो मैं बहुत पहले से सेक्स की कहानियां पड़ता आ रहा हु लेकिन कभी सोचा नही था कि एक दिन अपनी कहानी भी लिख के आप सब तक पहुँचाऊगा दोस्तो ये कहानी बिल्कुल असली और मेरे साथ की घटित घटना है ये बिल्कुल भी झूटी या काल्पनिक नही है।

आप सब का टाइम न बर्बाद करते हुए मैं कहानी सुरु करता हु इस कहानी में जो लडकी है वो मेरे घर के बगल की मेरी पड़ोसी है जिन्हें मैं दीदी कहता था हालांकि वो मुझसे काफी बड़ी मेरे से दूनी उम्र की है उन्हें मैं दीदी ही बोलता था वैसे उनका नाम गुड्डी है वो सिंह अंकल की सबसे छोटी बेटी है वो तीन बहन और एक भाई हैं सबकी सादी हो चुकी थी सिर्फ वही बची थी सादी के लिए उनके घर मे वो उनके मम्मी पापा भाई और भाभी थे। और मेरे घर मे मै और मम्मी पापा ही रहते है हम दो भाई है पर मेरा बड़ा भाई बोर्डिंग स्कूल में रह कर पढता है घर पे मैं ही रहता हूं मम्मी पापा के साथ, मेरी अपनी दीदी की शादी हो चुकी है वो अपने ससुराल ही रहती है।

उस समय मैं क्लास 8th में था तब मुझे सेक्स या इन बातों का कोई ज्ञान भी नही था मै स्कूल से आता घर पे खेलता कूदता या बगल वाली दीदी के घर जाके खेलता, मैं बचपन से ही उनसे बहुत घुला मिला हु वो मुझे बहुत प्यार भी करती थी मुझे बहुत खेलाती थी पढ़ाती भी थी, मैं स्कूल से आके उन्ही के पास चला जाता था मम्मी भी भेज देती थी उनके पास या वो ही आ जाती हमारे घर पे तो ऐसे ही चल रहा था मौज मस्ती भरे दिन।

ऐसे ही एक दिन मैं स्कूल से आया और उनके घर चला गया और उनके साथ खेलने लगा उस समय हम बेड पे थे और एक दूसरे के पैर के पंजों को मिला के जैसे सायकिल की पैंडल मारी जाती है वैसे ही एक दूसरे के पैर को चला रहे थे( जैसे बेड के एक तरफ उनका सर दूसरी तरफ मेरा सर बीच मे दोनो के पैर के पंजे एक दूसरे से चिपके हुए) जो लोग बचपन मे ये खेले होंगे वो समझ जाएंगे ऐसे ही तेजी से हम पैर चलाये जा रहे थे कि तभी अचानक दीदी का पैर फिसला और मेरे दोनो पैरो के बीच मे बहुत ही तेज़ी से जा लगा मेरी तो हालात खराब हो गयी बहुत बुरी तरह से दर्द होने लगा और मै रोना स्टार्ट कर दिया | आप यह हिंदी सेक्स स्टोरी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | दीदी को भी ये एहसास हो गया कि मुझे बहुत जोर से लगी है वो मुझे चुप कराने लगी और मेरी पैंट के ऊपर से ही सहलाने लगी लेकिन मैं चुप ही नही हो रहा था क्योंकि मुझे बहुत बुरी तरह से चोट लगी थी |

दर्द भी बहुत भयंकर कर रहा था वो पैंट के ऊपर से ही सहला रही थी जब आराम नही मिला तो उन्होंने मेरी पेंट खोली और मेरी उस जगह को देखा जहा चोट लगी थी मेरी लुल्ली के नीचे अंडकोषों पे चोट लगी थी जिस वजह से मेरी गोलियो में सूजन भी आ गयी थी और बहुत तेज़ दर्द भी हो रहा था उन्होंने मेरी छोटी सी लुल्ली को छुआ और मेरे अंडकोसो को सहलाया लेकिन मुझे कोई आराम नही मिल रहा था |

फिर उन्होंने कपड़े से गर्म करके सेकाई की उसके बाद पानी गर्म करकर भी सेकाई की थोड़ा बहुत आराम मिला मुझे, उन्होंने कहा किसी को बताना मत की तुम्हे चोट लगी थी मैं ने भी मम्मी को कुछ नही बताया।

दो तीन दिन तक दीदी ने सेकाई करी और धीरे धीरे मुझे आराम मिल गया और सूजन भी खत्म हो गयी लेकिन उस बीच एक दिन दीदी ने मेरी लुल्ली को छुआ और उसके ऊपर वाली चमड़ी हटानी चाही लेकिन मुझे बहुत दर्द हुआ मेरी चमड़ी पूरी तरह से खुल नही पायी दीदी ने बताया कि इसे पूरी तरह से खुलना चाहिए सबके लुल्ली की चमड़ी खुलती है मेरी क्यों नही खुल रही क्योंकि मैंने कभी उसे खोलने की कोसिस नही की थी आपसब को पता होगा दोस्तो बच्चो की लुल्ली की चमड़ी ठीक से नही खुल पाती उसे धीरे धीरे कई दिन तक खोलते रहने से खोला जाता है |

फिर उन्होंने मुझे कहा कि रोज़ रोज़ इसे खोला कर धीरे धीरे खुलने लगेगी और वैसे ही वो रोज़ ही मेरी लुल्ली को छूती और उसे खोलती धीरे धीरे मेरी लूल्ली खुलने लगी उसमे न जाने कहा से गंदगी आ जाती थी जिसे उन्होंने कहा कि रोज़ इसे नहाते समय खोल के साफ कर लिया कर मैं रोज़ ही साफ कर लेता पर फिर भी वो रोज़ ही मेरी लुल्ली को निकाल के उससे खेलती वो सख्त हो जाता एकदम कड़ा रॉड की तरफ फिर वो मुझे मज़े करने का तरीका भी बताई की कैसे मै इसे आगे पीछे करके मजे ले सकता हु वो तो रोज़ ही उसे आगे पीछे करती खुब मस्ती करती ऐसे ही कई दिन बीत गए फिर एक दिन उन्होंने मेरे हाथ को अपने समीज ( कपड़े) के अंदर जो कि उनकी बॉब्स थी में डाला और मेरे हाथ को अपने बूब्स पे जोर जोर से दबाने लगी और अपनी आँखें बंद करके वो ऐसे ही करती ऐसा रोज़ ही होने लगा था मेरी भी रुचि इन चीज़ों में होने लगी थी मैं भी मौके की तलाश में रहता था कि कब वो मेरे साथ ऐसे मज़े करे चुपके चुपके हम लोग खूब मज़े लिया करते थे |

उनकी मम्मी और भाभी का डर भी था कि कही कोई देख न लें लेकिन उनका कमरा ऊपर दूसरे माले पे था जहाँ कोई कभी कभी ही आता था लेकिन फिर भी डर तो था ही कोई भी कभी भी आ सकता है उस समय मुझे ऐसी मस्ती मिल रही थी कि मै यहा उसे लिख के नही बता सकता क्या मज़ेदार दिन थे ऐसे ही रोज़ मस्ती होती।

एक दिन दीदी ने मुझे आंख बंद करने को कहा मैने आंख बंद करली दीदी काफी जोश में थी मुझे किस पप्पी और इधर उधर खूब चाट रही थी उन्होंने जोश में मेरी लुल्ली को अपने मुंह मे ले लिया मुझे तो बड़ा अजीब लगा पर गजब मज़ा आ रहा था पूरी लुल्ली थूक से भींग गयी थी वो उसे किसी लॉलीपॉप की तरह चाटे जा रही थी ज़ोर ज़ोर से उसे चूसे जा रही थी मुझे भी बहुत मज़ा आ रहा था मैंने वैसा मज़ा कभी महसूस ही नही किआ था मुझे तो अजीब सी गुदगुदी और बहुत मज़ा आ रहा था दीदी तो जैसे कही खो गयी थी उन्हें पहली बार मैंने कहि खोया हुआ देखा था उन्हें कोई होस ही नही था बहुत देर तक वो मेरे लुल्ली को चुस्ती रही तभी अचानक हमे लगा कि कोई सीढ़ियों से चलता हुआ ऊपर आ रहा है हम लोग तुरंत ठीक ठाक हुए अपने कपड़े भी ठीक कर के पढ़ने बैठ गए |

उनकी मम्मी थी थोड़ी देर बैठी फिर चली गयी हम लोग ऐसे ही रोज़ मस्ती करते किसी को कुछ शक भी नही होता क्योंकि कोई ऐसा सोच ही नही सकता था हम दोनो के बारे में मैं छोटा 15,16 साल का बच्चा था और वो उस टाइम 27या 28 साल की रही होंगी।

ऐसे ही एक दिन वो मेरी लुल्ली को चूस रही थी कि मुझे बहुत तेज़ी से जैसे पेसाब जैसा लगा मैने दीदी से कहा कि मुझे टॉयलेट जाना है तो वो बोली नही तुम अब जवान मर्द बन गए हो और मुह से निकाल कर खूब तेज़ तेज़ मेरी लुल्ली को आगे पीछे करने लगी तभी मुझे जैसे लगा कि मैं पेसाब कर दूंगा और उनके हाथ से छुड़ाने लगा और अचानक से तभी मेरे लुल्ली से कुछ चिपचिपा सा गाढा पानी निकला जिसे देख के वो बहुत खुश हुई और मुझे पप्पी और किस करने लगी थोड़ी देर में मेरी फूली हुई लुल्ली सिकुड़ गयी पर मुझे बहुत मज़ा आया अब मैं रोज़ ही अपनी लुल्ली को हिलाता बाथरूम में या जब भी पोट्टी करने जाता मुझे इसकी आदत लग गयी थी मैं खुद भी मारता और जब दीदी अकेले में मिल जाती तो वो भी मज़े लेती और मेरा पानी निकालती |

धीरे धीरे वो मुझे लड़के से मर्द बना रही थी इतनी कम उम्र में ही मैं बहुत कुछ सिख और देख लिया था लोग मुझे बच्चा समझते थे और मैं सबका बाप बन चुका था |

ऐसे ही एक दिन दीदी ने मुझे अपने बॉब्स नंगे करके दिखाए बहुत ही सॉफ्ट था मैं बता नही सकता गजब का था एकदम सफेद गोरा सा मुलायम मखमली जैसा उसपे एक छोटा सा काले रंग का निकला हुआ हिस्सा था निपल्स जिसे मै मुह में लेकर पिता था बहुत ही मज़ा आता था गजब की खुसी मिलती थी मुझे ऐसा करते समय दीदी भी मुझे हर चीज़ सीखा रही थी एक एक चीज़ बता रही थी | आप यह हिंदी सेक्स स्टोरी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |

ऐसे ही हम मस्ती करते रहे फिर नंगे हो कर मस्ती करने लगे मेरी भी लुल्ली अब लंड में बदल चुकी थी गजब का मोटा और लम्बा हो गया था मैं उस परिवर्तन को महसूस करता आया था वो उसे चूस चूस के और मोटा बनाते जा रही थी |

ऐसे ही एक दिन इन्होंने मेरा हाथ अपनी सलवार में डाला अपनी चड्डी के भी अंदर वहा मुझे जैसे बालो का हिस्सा महसूस हुआ मैं अपने हाथ को वहा फेरता रहा उन्होंने मेरी उंगली को अपनी चूत के अंदर डाला वहा मुझे पूरा भींगा हुआ महसूस हुआ जैसे उन्होंने पेसाब कर दिया हो मैने अपना हाथ वहां से हटा लिया मुझे समझ नही आया मैने सोचा दीदी ने टॉयलेट कर दिया है चड्डी में ही लेकिन उन्होंने फिर से मेरे हाथ के अपनी चड्डी में डाला और साथ ही मेरी एक उंगली को अपनी चूत के छेद में डाल दिया गजब का मज़ा आ रहा था |

मुझे मैं अपनी अंगुली को खूब आगे पीछे किये जा रहा था वो सिसकारियां लिए जा रही थी उन्हें भी बहुत मज़ा आ रहा था मैं उनकी सलवार और समीज को उतारने लगा उन्होंने पहले मना किया लेकिन फिर खुद ही अपने कपड़े उतार दिए और मुझे भी उतारने को कहा मैने भी अपने पूरे कपड़े उतार दिए अब हम दोनों बिल्कुल नंगे थे मैं उनकी चूत में उंगली करने लगा और एक हाथ से उनकी चुचिओ को दबाने लगा वो मेरे लड से खेल रही थी मेरे लंड पूरा खड़ा था एकदम टाइट मुझे मेरे लंड में दर्द भी महसूस हो रहा था मैंने उनसे बोला तो वो लेट गयी और मुझे अपने ऊपर खीच लिया |

अब हम दोनों एक दूसरे के ऊपर लेते हुए थे उन्होंने मेरे लड को एडजस्ट करके अपनी चूत में लगाया और मुझे धक्का लगाने को बोला मैं इस काम मे अनुभवी नही था मैने तेज़ से धक्का मारा जिससे पूरा लंड उनकी चुत में चीरता हुआ अंदर चला गया उन्हें बहुत तेज़ दर्द हुआ वो मुझे हटने को बोलने लगी उनकी हालत खराब हो गयी आंख से आंसू भी निकलने लगे थे मैं अपना लैंड निकाल के बैठ गया थोड़ी देर बाद उन्हें जब आराम मिला तब उन्होंने धीरे धीरे करने को बोला तब मैं लंड को चूत पे एडजस्ट करके धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगा दोस्तो बता नही सकता कितना मज़ा आ रहा था गजब का मज़ा है चुत चोदने में हम ऐसे ही खूब मज़े करते रहे दीदी भी सिसकारियां ले रही थी उन्हें भी बहुत मज़ा आ रहा था |

थोड़ी देर में मेरा स्पर्म निकलने को हुआ तो मैंने दीदी को बताया उन्हेंने बाहर निकलने को कहा मै अपना लंड निकाल के उनकी काली झांटो वाली चुत पे रगड़ने लगा मेरा स्पर्म निकल गया बहुत मज़ा आया जीवन की पहली चुदाई कर के क्या गजब का मज़ा है चुदाई में।

दोस्तो हम लोग ऐसे ही कई सालों तक चुदाई करते रहे 2014 में उनकी शादी हो गई और हमारी चुदाई पे विराम लग गया लेकिन जब भी वो घर आती है हम मौका देखकर चुदाई कर लेते है। वो अक्सर ही अपने घर आया करती है क्योंकि उनकी शादी भी यही पास में ही हुई है अब उन्हें एक बच्ची है। दोस्तो उनके जाने के बाद मैने एक और लड़की को पटाया जिसकी कहानी कभी और लिखूंगा तब तक के लिए नमस्कार।।
मेरा ईमेल आईडी com कृपया आप सब मुझे कहानी की प्रतिक्रिया जरूर (comment) दें |

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अन्तर्वासना | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/first-time-sex/antarvasna.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/first-time-sex/antarvasna.html#respond Sun, 04 Feb 2018 03:17:07 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=11870 उसके चुत साफ किये गये थे एकदम चीकनी थे फिर मैने उसके पूरे बदन को चूमा बूब्ब मसले धीरे धीरे चुत पर हाथ लगाया ओ मचल सी गई और सीत्कार भरने लगी मौका देखकर एक ऊँगली उसे चुत मे डाल दिया |

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अन्तर्वासना ( Antarvasna )

हलो दोस्तों मेरा नाम आनंद है और प्यार से अवनी बुलाते है यह मेरी पहली और सच्ची कहानी है | जिसमें मैं सुकृता को कैसे चोदा ये बताऊँगा, दोस्तों बात उन दिनो की है जब मैं बी.ए.। में पढ़ रहा था। वो रोज हमारे घर आती थी, दोस्तो मेरा घर गाँव में है इसलिए पानी हमारे कुँआ से लेकर जाती थी। 1 दिन जब मैं नहा राहा था उस वक्त घर पर कोई नहीं था वो आई और पानी भरने लगी झुकने पर उसके बुब्ब दिखने लगी एकदभ दूध की तरह सफेद जिसे देखकर लंड कडा होने लगा जिसे उसने देख लिया और मुस्कुराकर चल दी अगले दिन उसने फिर वही किया लेकिन इस बार मैने उसका हाथ पकडा और बोल दिया आई लव यू ।

पहले तो उसने थप्पड मारा फिर कहा आई लव यू 2 और जोर से गले लग गई किस किया और चली गई अब हम रोज मिलने लगे एक दिन मैंने कहा कि मुझे तूम्हे चोदने का मन कर रहा है तो कहने लगी नही यह गलत है मेरे बहुत कहने पर वो मान गई और रात का प्रोग्राम बना लिया । रात को मिलने का पुरी तैयारी हो चुकी थी सब के खाना खाने के बाद करीब 10 बजे तय किये जगह पर पहुँच गये क्या लग रही थी | आप यह हॉट हिंदी सेक्सी कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | मैं उसके पास गया और जोरदार चुम्बन लिया अब जल्दी से अपना कपडा उतारकर उसके भी कपडे उतार दिये उसके बूब्ब देखकर तो पागल सा हो गया और उन पर टूट पडा उसका 36.28.30 के शरीर कयामत ढाने वाले थे |

उसके चुत साफ किये गये थे एकदम चीकनी थे फिर मैने उसके पूरे बदन को चूमा बूब्ब मसले धीरे धीरे चुत पर हाथ लगाया ओ मचल सी गई और सीत्कार भरने लगी मौका देखकर एक ऊँगली उसकी चुत मे डाल दी उसके मुँह से आह निकल गई ऊँगली अंदर बाहर करने से उसका शरीर अकडने लगी और ओ झड गई यही क्रिया फिर किया करता गया और वो 3 बार झड चुकी थी ओ तडप रही थी कह रही थी कि अवनी अब अंदर डाल दो मुझसे बर्दाश्त नही हो रहा है

मैने भी समय ना गंवाते हुए अपने 6 इंच का लंड चुत के मुँह पर रख दिया और झटका दिया चुत टाईट थी इसलिए 2 इंच ही अंदर गया और उसके मुँह से चीख निकल गई ओ तडपने लगी थोडी देर बाद जब ओ ठीक हो गई तो दोबारा एक जोरदार झटका मारा और पूरा का पूरा लंड घूस गया ओ तडपने लगी उसके आंख से आंसु बहने लगी चुत से खून बहने लगा तब पता चला कि वह कुँवारी थी ।

थोडी देर बाद मैं लंड अंदर बाहर करने लगा और उसे भी अच्छा लगने लगा और ओ भी चुतड़ हिला हिलाकर साथ देने लगी लगातार चुदाई से दोनो पानी पानी हो गये थे

इसी दौरान ओ एक बार और झड गई अब मैं भी झडने वाला था तो मैंने अपनी रफ्तार बढ़ाई और 5 मी. में मैं भी झड गया और निडाल होकर उसके उपर ही लेट गया फिर अपने अपने कपडे पहने और घर चल दिये ।

तो दोस्तों आपको यह कहानी कैसी लगी । अगली कहानी जल्द भेजूँगा

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बायोलॉजी पढ़ते पढ़ते केमिस्ट्री स्टार्ट हो गया | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/padosi/biology-padhate-padhate-chemistry-star-ho-gya.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/padosi/biology-padhate-padhate-chemistry-star-ho-gya.html#respond Fri, 02 Feb 2018 09:41:53 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=11864 बायोलॉजी पढ़ते पढ़ते केमिस्ट्री शुरू हो गया, घर के नीचे के हिस्से में हम लोग रहते थे और ऊपर के हिस्से में किरायेदार रहते थे एक रूम में 2 लड़कियाँ और दूसरे रूम में एक भाई और बहन रहते थे वो सभी एक ही शहर से थे और सब एक दूसरे को जानते थे उन दोनों लड़कियों का नाम सुष्मिता और रिधिमा था वो दोनों दिखने में बहुत खूबसूरत थी

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हैल्लो दोस्तों, सेक्सी कहानिया पढ़ के मुठ मारने वालो मुझे पटा है तुम लोग वाही हो जो शक्ल से तो दिखाते बहुत शरीफ हो लेकिन चार दिवारी के अंदर तुम कितने वैश्य या कौफनक हो ये कभी बहार वाला तुम्हे देखकर अंदाजा नहीं लगा पता. तुम्हारे जैसे मैंने बहुत से देखे है जो दिन में शरीफ कपूर और रात में शक्ति कपूर बन जाते हो. कोई बात नहीं भाई तुम्हारे पास गर्लफ्रेंड नहीं है या अगर है तो चुद्वाती नहीं है तभी तो ये कहानी पढ़ रहे हो अभी तो पढ़ते रहो और चुदाई का मजा लेते रहो.

यह उन दिनों की बात है जब हमारे घर में नये किरायदार रहने आए थे। घर के नीचे के हिस्से में हम लोग रहते थे और ऊपर के हिस्से में किरायेदार रहते थे। एक रूम में 2 लड़कियाँ और दूसरे रूम में एक भाई और बहन रहते थे। वो सभी एक ही शहर से थे और सब एक दूसरे को जानते थे। उन दोनों लड़कियों का नाम सुष्मिता और रिधिमा था, वो दोनों दिखने में बहुत खूबसूरत थी। ख़ासकर सुष्मिता बहुत खूबसूरत थी। वो जब घर में रहती थी तो स्कर्ट और शर्ट पहनती थी, रिधिमा भी खूबसूरत थी, लेकिन सुष्मिता के जितनी नहीं। सुष्मिता का बॉडी फिगर भी बहुत अच्छा था, उसकी बॉडी भरी- भरी थी, जिससे वो और भी अच्छी लगती थी, काले बाल उसकी खूबसूरती को और भी बढ़ाते थे। गर्मी में शाम देर से होती है तो में अक्सर शाम को छत पर चला जाया करता था और छत पर 1-2 घंटे रहता था। सुष्मिता मेडिकल की तैयारी कर रही थी और उसकी क्लास 2 बजे तक खत्म होती थी और वो 3 बजे तक घर आ जाती थी।

फिर जब में शाम को छत पर जाता था, तो अक्सर सुष्मिता भी अपने रूम के बाहर बैठी रहती थी। में सुष्मिता से हमेशा बात करने की कोशिश में रहता था और जैसे ही मौका मिलता था वैसे ही में उससे बातें करता था। उसे इंटरनेट के बारे में कुछ भी पता नहीं था। फिर एक दिन उसने मुझसे कहा कि मुझे अपने एक फ्रेंड को मैल करना है, लेकिन मैल कैसे करते है? मुझे पता नहीं है, क्या आप मेरी मदद करेंगे? तो मैंने कहा कि ठीक है, में आपको बता दूँगा। हमारे घर से थोड़ी दूरी पर ही एक साइबर कैफे है, जिसमें में और सुष्मिता गये और मैंने उसे मैल करने के बारे में बताया। अब जब में उसे बता रहा था तो बहुत बार मेरा हाथ उसके हाथों से टच हुआ, तो मुझे तो बहुत अच्छा लग रहा था, लेकिन जब भी मेरा हाथ टच होता तो में सॉरी बोलकर बात को अनदेखा करने की कोशिश करता। फिर तभी उसने कहा कि सॉरी बोलने की जरूरत नहीं है, जब आप मुझे कुछ सिखा रहे है तो हाथ टच हो गया तो क्या हुआ? फिर में वही कैफे पर उसके हाथ को हल्के से पकड़ने की कोशिश करने लगा और एक बार पकड़ भी लिया। उसके हाथ इतने सॉफ्ट थे कि में बता नहीं सकता हूँ? बस मेरा दिल कर रहा था कि उसके हाथों को इस तरह पकड़े रहूँ। फिर थोड़ी देर के बाद हम लोग घर चले आए और वो अपने रूम में चली गई।

अब में उस दिन बहुत बैचेन हो गया था कि सुष्मिता से कैसे बात करूँ? वो मॉर्निंग में अपनी मेडिकल क्लास जाती थी, वो क्लास करने के लिए घर से ऑटो से जाती थी और ऑटो घर से थोड़ी दूरी पर ही मिलता था। तो तब मैंने डिसाइड किया की जब वो क्लास से लौटेगी तो तब उससे बात करूँगा और फिर में दूसरे दिन 1 बजे घर से निकल गया और उसकी कोचिंग क्लास के बाहर जाकर उसकी क्लास छूटने का इंतजार करने लगा। फिर थोड़ी देर के बाद उसकी क्लास ख़त्म हुई, तो मैंने देखा कि रिधिमा भी उसके साथ में है, तो में निराश हो गया कि अब कैसे बात करूँगा? तो तभी मैंने देखा कि रिधिमा ने सुष्मिता से कुछ कहा और फिर वो कहीं और जाने लगी। फिर जब सुष्मिता आगे बढ़कर ऑटो की तरफ जाने लगी, तो मैंने अपनी बाइक सुष्मिता के बगल में रोकी और कहा कि घर जा रही हो तो मेरे साथ चलो, में भी घर ही जा रहा हूँ। तो वो बिना कुछ कहे मेरी बाइक पर बैठ गई।

अब में बहुत खुश था कि सुष्मिता मेरी बाइक पर मेरे साथ बैठी थी। अब जब वो बाइक पर बैठी थी तो उसके बूब्स बार-बार मेरी पीठ से टच हो रहे थे। अब मुझे बहुत अच्छा लग रहा था, तो तभी मैंने सुष्मिता से कहा कि मुझे आप बहुत अच्छी लगती हो, आप बहुत खूबसूरत हो और आज में आपसे बात करने के लिए ही यहाँ तक आया हूँ। तो मेरी बातें सुनकर सुष्मिता हँसने लगी और बोली कि आप भी मुझे अच्छे लगते है, में भी आपसे बात करना चाहती थी, लेकिन आप बात ही नहीं करते थे। फिर मैंने पूछा कि रिधिमा कहाँ गई है? तो वो बोली कि रिधिमा आपको देखकर मुझसे अलग चल गई थी, वो जानती थी कि आप मुझसे बात करने के लिए यहाँ तक आए है। अब उसकी बात सुनकर में बहुत खुश हो रहा था। अब मेरे दिल में एक अजीब सी खुशी हो रही थी। फिर सुष्मिता से बातें करते-करते कब घर के पास आ गये? पता ही नहीं चला।

फिर में शाम होने का इंतज़ार करने लगा कि शाम होगी तो छत पर जाऊँगा और सुष्मिता से बातें करूँगा। फिर शाम हो गई और में छत पर गया, तो सुष्मिता बाहर ही बैठी हुई थी और रिधिमा अंदर रूम में सो रही थी। फिर जब सुष्मिता ने मुझे देखा तो उसने मुझसे बैठने के लिए कहा, तो में उसके बगल में ही एक कुर्सी पर बैठ गया। फिर थोड़ी देर के बाद सुष्मिता मेरे लिए चाय बनाकर ले आई और बोली कि चाय पी लीजिए, तो में चाय का कप हाथ में लेकर पीने लगा और अपना एक हाथ सुष्मिता के हाथों के ऊपर रख दिया। तो सुष्मिता मुझे देखकर थोड़ा सा मुस्कुराई, लेकिन बोली कुछ नहीं। फिर में समझ गया कि सुष्मिता भी चाहती है कि में उसके साथ कुछ करूँ, लेकिन शाम का टाईम था तो ज्यादातर लोग अपनी-अपनी छतों पर थे, तो में कुछ कर नहीं पा रहा था। फिर में सुष्मिता के चेहरे की तरफ अपना एक हाथ बढ़ाकर उसके गालों को छूते हुए अपने हाथ को उसके लिप्स पर ले गया। फिर सुष्मिता बोली कि क्या कर रहे हो अंकित? रिधिमा देख लेगी तो क्या सोचेंगी? फिर उसके बाद में थोड़ी देर तक वहाँ बैठ रहा और फिर नीचे चला आया और रात होने का इंतज़ार करने लगा।

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फिर रात में करीब 11 बजे में छत पर गया तो मैंने देखा कि सुष्मिता के रूम की लाईट ऑन है, तो में वही छत पर खड़ा होकर उसके बाहर आने का इंतज़ार करने लगा। फिर रात को 11:30 पर वो रूम से बाहर आई तो मुझे देखकर चौंक गई और बोली कि आप यहाँ क्या कर रहे है? तो मैंने कहा कि आपके बिना रहा नहीं जा रहा था, आपकी याद आ रही थी तो छत पर चला आया और यह कहते हुए मैंने उसे अपनी बाँहों में खींच लिया। तभी वो बोली कि अरे ये क्या कर रहे हो? कोई देख लेगा तो? तो मैंने कहा कि इस टाईम कौन देख रहा है? और यह कहते हुए मैंने उसके होंठो पर किस करना चाहा। तो पहले तो उसने मना किया, लेकिन फिर खुद ही वो मेरे होंठो पर किस करते हुए बोली कि अब आप नीचे जाओ। तो में बिना कुछ कहे फिर से उसके होंठो पर किस करने लगा, तो इस बार वो कुछ नहीं बोली। अब इस टाईम भी उसने स्कर्ट और शर्ट पहन रखी थी। अब जब में उसके होंठो पर किस कर रहा था, तो उसके बूब्स मेरी छाती से टच हो रहे थे, तो मुझे बहुत अच्छा लग रहा था।

फिर में उसे पीछे से पकड़ते हुए उसके गले पर किस करने लगा और उसकी चूचीयों को अपने हाथों में लेकर दबाने लगा। तो पहले तो उसने थोड़ा सा विरोध किया, लेकिन फिर जब में उसकी चूचीयों को ज़ोर- ज़ोर से दबाने लगा। तो उसने सिसकते हुए कहा कि आह धीरे-धीरे कीजिए, उउउहह। अब मेरा भी लंड टाईट होने लगा था। फिर मैंने सुष्मिता से कहा कि चलो सबसे ऊपर वाली छत पर चलते है और यह कहते हुए मैंने उसे अपनी गोद में उठा लिया। तो उसने अपनी आँखे बंद कर ली और फिर में उसे उठाकर सबसे ऊपर वाली छत पर चला गया। फिर वहाँ जाते ही सुष्मिता मेरे सीने से लिपट गई और मेरे होंठो पर किस करने लगी और बोलने लगी कि अंकित में तुमसे बहुत प्यार करती हूँ और अब वो मेरे होंठो को बेतहाशा चूमे जा रही थी। अब मैंने भी अपने दोनों हाथों से उसकी चूचीयों को दबाना स्टार्ट कर दिया था, उसकी चूचीयाँ बहुत टाईट थी।

अब थोड़ी देर में ही मेरे हाथों में दर्द होने लगा तो मैंने सुष्मिता को पकड़कर हल्का सा जमीन के ऊपर लेटाते हुए उसकी शर्ट के सारे बटन खोल दिए, उसने शर्ट के नीचे कुछ नहीं पहना था। अब उसकी चूचीयों को देखकर तो मानो मेरे लंड में 440 वॉल्ट का करंट दौड़ गया था। फिर में उसकी चूचीयों को अपने दोनों हाथों में लेकर दबाने लगा और अपने मुँह को उसकी चूचीयों के पास ले जाकर उसके निप्पल को अपने दोनों होंठो के बीच में दबाकर अपनी जीभ से हल्का-हल्का चूसने लगा था। अब सुष्मिता को और भी अच्छा लगने लगा था। अब में उसकी चूचीयों को पूरा अपने मुँह में लेकर चूसने लगा था। अब सुष्मिता जोश में बोल रही थी आह अंकित, मेरे अंकित मेरी चूचीयों का सारा दूध पी लो और आआअहह चूसते रहो मेरे अंकित और ज़ोर से चूसो। अब उसकी यह बातें मेरे अंदर और भी जोश पैदा कर रही थी और अब मेरी चूसने की स्पीड भी तेज हो गई थी। फिर उसकी चूचीयों को चूसते हुए में अपना एक हाथ उसके पेट के ऊपर से उसकी जांघो के पास ले गया और उसे हल्के हाथ से सहलाने लगा।

अब सुष्मिता भी जोश में मेरे मुँह को अपनी चूचीयों पर ज़ोर से दबाने लगी थी और आआआ, आआहह कर रही थी। फिर में उसकी चूचीयों को चूसते-चूसते अपने दोनों हाथों से उसकी स्कर्ट को खोलने लगा तो पहले तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और फिर उसने खुद ही अपनी स्कर्ट खोल दी, उसने ब्लेक कलर की पैंटी पहन रखी थी। अब चाँदनी रात में उसका खूबसूरत जिस्म और ऊपर से उसकी ब्लेक पैंटी मेरे ऊपर कयामत ढा रहे थे। फिर में उसे अपनी बाँहों में भरकर उसके पूरे जिस्म को अपने दोनों हाथों से सहलाने लगा। अब मेरा लंड मेरे कंट्रोल में नहीं हो रहा था। फिर मैंने जल्दी से उसकी पैंटी उतार दी। अब उसकी क्लीन शेव चूत को देखकर तो मेरे होश ही उड़ गये थे, उसकी क्लीन शेव चूत इतनी सॉफ्ट थी कि क्या बताऊँ? फिर मैंने उसकी चूत पर एक हल्का सा किस किया, ताकि वो जोश से भर जाए। फिर थोड़ी देर के बाद वो मेरे कपड़े उतारने लगी। अब हम दोनों पूरे नंगे थे। अब सुष्मिता के शरीर पर भी कोई कपड़ा नहीं था और मेरे शरीर पर भी कोई कपड़ा नहीं था।

फिर उसने जैसे ही अपने मुलायम हाथों से मेरे लंड को टच किया, तो मेरे तो होश ही उड़ गये। मेरा लंड पूरी तरह से उसके हाथों में नहीं आ रहा था। अब वो बार-बार मेरे लंड को पूरी तरह से पकड़ने की कोशिश कर रही थी। फिर उसने एक बार मेरे लंड पर झुककर किस कर लिया, तो मेरा लंड बेकाबू हो गया। फिर मैंने उसे अपने ऊपर से हटाते हुए उसे नीचे लेटा दिया और उसकी चूत के पास अपना मुँह ले जाकर उस पर किस किया। फिर तभी वो बोली कि अंकित ये क्या कर रहे हो? मुझे कुछ हो रहा है और वो उउउफफफफ ऐसा मत करो बोले जा रही थी। फिर मैंने अपनी जीभ बाहर निकाली और उसकी चूत के ऊपर अपनी जीभ को फैरने लगा। तो सुष्मिता ज़ोर-ज़ोर से आआहह, उफफफफफ करने लगी। अब सुष्मिता को देखकर ऐसा लग रहा था कि अब उससे भी कंट्रोल नहीं हो रहा था।

फिर वो बोलने लगी कि मेरे अंकित जो करना है जल्दी से कर लो, जल्दी-जल्दी कर लो, उउउहह, आआआ, बस करो अंकित, अब और नहीं, आहह, उउहह, अंकित जल्दी से कर लो। फिर मैंने अपने दोनों हाथों से उसकी चूत को हल्का सा फैलाया और अपनी जीभ उसकी चूत के अंदर डाल दी, उसकी चूत बहुत ही गर्म थी। अब सुष्मिता मेरे मुँह को ज़ोर से अपनी चूत पर दबाकर अपनी कमर को हिलाने लगी थी और साथ में बड़बड़ा रही थी पूरा चूस लो मेरी चूत को, चूस लो अंकित, अंकित आई लव यू, अंकित चूस लो मेरी चूत का सारा रस, आह अंकित, मेरे अंकित, उूउउ, आअहह और फिर थोड़ी देर के बाद उसकी कमर हिलने की स्पीड धीरे हो गई और फिर उसकी चूत में से रस निकलने लगा। अब जब तक उसकी चूत से रस निकल रहा था, तो तब तक उसने मेरे मुँह को अपनी चूत पर कसकर दबा रखा था। फिर में उठा और उसके बगल में लेट गया। तो वो मुझसे लिपट गई और मेरे लंड को अपने हाथों में लेकर हिलाने लगी। अब वो अपने एक हाथ से मेरे लंड को हिला रही थी और उसका दूसरा हाथ मेरे पूरे शरीर पर चल रहा था। अब मेरा लंड पूरा टाईट खड़ा हो चुका था।

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फिर सुष्मिता वहाँ से उठकर मेरे लंड के पास गई और अपने होंठो से मेरे लंड के चारों तरफ किस करने लगी। अब में पूरी तरह से बेकाबू होकर उसे चोदने के लिए तैयार हो गया था। फिर मैंने सुष्मिता को नीचे लेटाकर उसके दोनों पैरो को फैलाया और उसके बीच में जाकर बैठ गया। अब वो बड़ी ध्यान से मेरी तरफ देख रही थी। फिर मैंने उसकी चूत में अपनी एक उंगली डाली तो मुझे ऐसा लगा कि उसकी चूत बहुत टाईट है। अब मेरी एक उंगली भी उसकी चूत में बड़ी मुश्किल से जा पा रही थी। फिर में अपनी एक उंगली को उसकी चूत में अंदर डालकर अपनी उंगली को अंदर बाहर करने लगा तो थोड़ी देर में ही मेरी उंगली आसानी से अंदर बाहर होने लगी। फिर तब मैंने अपना लंड उसकी चूत के छेद पर रखा, तो उसने अपनी आँखे बंद कर ली। अब मैंने हल्का सा अपने लंड को उसकी चूत पर दबाया ही था कि वो चिल्ला उठी नहीं अंकित अब नहीं, बहुत दर्द हो रहा है। तो तभी मैंने थोड़ा सा अपने लंड को और दबा दिया। अब मेरा आधा लंड उसकी चूत में जा चुका था और वो ज़ोर से चिल्लाई अंकित नहीं, में मर जाऊँगी, प्लीज रहने दो, आआहह बहुत दर्द हो रहा है, उहह अंकित अब मत करो, बहुत दर्द हो रहा है। फिर मैंने अपने लंड को वैसे ही छोड़ दिया, आधा अंदर आधा बाहर।

फिर थोड़ी देर के बाद जब उसका दर्द जैसे ही कम हुआ, तो मैंने ज़ोर का एक झटका दिया तो मेरा पूरा लंड सुष्मिता की चूत में समा गया। वो इस बार ज़ोर से चिल्ला उठी अंकित्ल्ल्ल्लल्ल्ल्ल आअहह, अंकित्ल्ल्ल्ल बस करो। फिर मैंने अपना लंड उसकी चूत में डालकर वैसे ही छोड़ दिया। फिर 2 मिनट के बाद जब उसका दर्द कुछ कम हुआ तो सुष्मिता ने अपने दोनों से मुझे जकड़ लिया और मेरे होंठो पर किस करने लगी। फिर मैंने अपना लंड सुष्मिता की चूत से बाहर निकाला और फिर से एक ज़ोर का झटका मारा तो इस बार मेरा पूरा लंड एक ही बार में अंदर चला गया। तभी सुष्मिता बोली कि सस्स्स्स, हाईईईईई, धीरे-धीरे करो, बहुत दर्द हो रहा है। फिर में अपने लंड को उसकी चूत में ही छोड़कर उसके होंठो को चूसने लगा।
फिर जब वो मेरे होंठो को चूसने में मस्त हो गई, तो मैंने अपने लंड से एक ज़ोर का झटका फिर से उसकी चूत में मारा, तो इस बार उसे उतना दर्द नहीं हुआ और वो बस आआ, उहह मेरे अंकित अपना लंड मेरी चूत में डाल दो, मेरी चूत सिर्फ़ तुम्हारी है अंकित। तो तब मैंने अपने लंड को उसकी चूत में अंदर बाहर करना शुरू किया। अब सुष्मिता तो बस उउउईईईई माँ मर गई और ज़ोर से मेरे अंकित और ज़ोर से करते रहो, आज मेरी चूत की प्यास मिटा दो मेरे अंकित, उफफ्फ बोले जा रही थी। अब सुष्मिता को भी मज़ा आने लगा था और अब वो भी धीरे-धीरे अपनी कमर को उठा-उठाकर मेरा साथ देने लगी थी। अब में पूरे जोश से अपने लंड को उसकी चूत में अंदर बाहर कर रहा था और साथ ही साथ उसके होंठो को भी बीच-बीच में चूम रहा था।

फिर तभी अचानक से उसकी कमर उठाने की स्पीड बहुत तेज हो गई और कहने लगी कि मेरे अंकित आज मेरी चूत को फाड़ दो और ज़ोर से करो मेरे साथ, अयाया करते रहो मेरे अंकित, करते रहो और फिर उसने अपने दोनों पैरो से मेरी कमर को पूरी तरह से जकड़ लिया और फिर एक ज़ोर के झटके के साथ झड़ गई। फिर वो मेरे होंठो पर अपने होंठो को रखकर किस करने लगी। अब मेरा लंड भी अब आखरी स्टेज पर आ चुका था तो में और ज़ोर-ज़ोर से उसकी चूत में अपना लंड अंदर बाहर करने लगा और ज़ोर-ज़ोर से झटके मारने लगा था। फिर थोड़ी देर के बाद में भी झड़ने लगा और फिर में उसकी चूत के अन्दर ही झड़ गया। अब उसकी चूत मेरे वीर्य से भर गई थी। फिर में 2 मिनट तक तो ऐसे ही उसके ऊपर लेटा रहा और फिर उसके बगल में आकर लेट गया और वो मेरे कंधे पर अपना सिर रखकर लेट गई, उसका नंगा मुलायम शरीर सच में बहुत खूबसूरत लग रहा था।
फिर मैंने उस रात ही एक बार फिर से उसकी चुदाई की। फिर सुबह 5 बजे जब हल्की रोशनी होने लगी तो तब हम लोग नीचे आ गये। फिर जब हम नीचे गये, तो तब तक रिधिमा जाग चुकी थी और फिर वो हम दोनों को साथ में देखकर हँसते हुए बोले कि रातभर आप लोग सोए नहीं है क्या? फिर सुष्मिता तो उसकी बात सुनकर हंसकर रूम के अंदर चली गई और फिर में भी नीचे अपने रूम में चला गया। उस दिन सुष्मिता पूरा दिन सोती रही और वो अपनी क्लास भी नहीं गई थी। फिर 10 दिन तक तो लगातार हम लोग रोज रात में इस तरह से चुदाई का खेल खेलते रहे ।।

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